FUN-MAZA-MASTI
चोदो बहुत मन कर रहा है-1
मेरा नाम मोहित, 2 साल पहले मैंने ऍम सी ए किया था।
अभी कुछ दिन पहले ही मैंने दिल्ली में एक कंपनी ज्वाइन की। मैं 24 साल का हूँ ....मैं इलाहाबाद का रहे वाला हूँ....
मैं कम्पनी के पास ही एक कमरे में किराये पर रहता हूँ । मकान मालिक दिल्ली में ही सरकारी बाबू हैं।
मेरी मकान मालकिन निधि एक साधारण सी 32 साल की घरेलू महिला हैं। उसके दो बच्चे हैं एक 8 और दूसरा 5 साल के हैं।
निधि की चूचियाँ बड़ी बड़ी और मोटी घरेलू औरतों जैसी हैं।
मेरा कमरा पहली मंजिल पर है। मैं नवम्बर में इस किराए के मकान में आ गया था और पहले दिन 10 बजे घर पहुँचा था।
मुझे देखकर निधि बोली- नमस्ते मोहित, आओ, आपको आपका कमरा दिखा देती हूँ।
नीचे निधि और उसका परिवार रहता है, नीचे साथ में ही एक कमरा है, निधि ने बताया कि इसमें 21 साल की अनु नाम की लड़की किराए पर रहती है, वो एक होटल में फ़ूड मैनेजर है, सुबह 9 बजे जाती है और रात को 8 बजे आती है।
उसके बाद हम लोग ऊपर आ गए। ऊपर मेरे कमरे के बगल एक कमरे और किचन का सेट था जिसमें एक विवाहित जोड़ा रहता हैं।
पति का नाम अनुज और पत्नी का सुमन है। सुमन बाहर निकल कर आई और उसने मुझे नमस्ते की। सुमन की उम्र 22-24 साल लग रही थी। सुरेखा दिखने में मुझे बहुत सुंदर लगी। मेरा और अनुज का बाथरूम एक ही है बाथरूम के बाहर एक नल लगा हुआ है। पहली मंजिल पूरी ऊपर से ढकी है। नीचे और ऊपर जाने की सीढियाँ है। उन पर दरवाज़ा लगा है। दरवाजे बंद करने के बाद निचे से कोई ऊपर नहीं अया सकता है। छत एकदम खाली है।
निचे आकर निधि ने मेरे लिए चाय बनाई , वो मुझसे ढेर सारी बातें करने लगी जैसे कि मुझे पहले से जानती हो।
धीरे धीरे रात हो गयी और मैं अपने कमरे में जाकर सो गया....
सुबह 7 बजे जब नींद खुली तो सामने सुमन को पाया...वो कपड़े धो रही थी। उसकी चूचियाँ ब्लाउज़ से बाहर निकल रही थीं।
सुबह के खड़े हुए लंड को और हवा मिल गई और वो आसमान छूने की कोशिश करने लगा।
मैंने लंड पजामे से बाहर निकाल लिया और छुप कर लोड़ा सहलाते हुए सुमन की चूचियां निहारने लगा। मन कर रहा था कि बाहर निकल कर चूचियां पकड़ लूं।
कपड़े धोते धोते अचानक सुमन की साड़ी का पल्लू गिर गया था।
उसने निचे ब्रा नहीं पहनी थीं उसके ब्लाउज से दोनों उरोज बाहर निकलने को आतुर हो रहे थे। मेरा लोड़ा हुंकार भर रहा था।
सुमन कपड़े धोने के बाद उठी और उसने अपनी साड़ी उतार दी गीले ब्लाउज से भूरी भूरी निप्पल पूरी दिख रही थीं, मेरे लोड़े मैं आग लगी हुई थी।
सुमन ने झुककर अपनी साड़ी उठाई और धोने लगी ढीले ब्लाउज़ के अंदर से उसकी चूचियां आगे पीछे हिल रही थीं।
साड़ी धोने के बाद उसने अपना ब्लाउज उतार दिया उसकी नंगी चूचियां खुलकर बाहर आ गईं, पूरी दिख गईं थी, ग़ज़ब की सुंदर और कसी हुई गोरी गोरी चूचियां थी, उसकी नुकीली भूरी निप्पल मेरे लंड को परेशान कर रही थीं।
एक बार फिर वो झुककर ब्लाउज धोने लगी, नंगी हिलती चूचियाँ मेरे लंड को परेशान कर रही थीं।
मैं कल ही आया था शायद वो इस धोखे में थी कि घर में कोई आदमी नहीं है। उसकी हिलती नंगी चूचियों ने मेरे लंड को अपना पानी छोडने पर मजबूर कर दिया और मेरे लंड ने तेज धार से पानी छोड़ना शुरू कर दिया।
तभी सीढ़ी के दरवाजे पर आवाज़ आई।
निधि भाभी मेरा हाल पूछने आई थीं।
सुमन बोली- दीदी, मैं नहा रही हूँ।
निधि बोली- राकेश उठ गया क्या?
यह सुनते ही सुमन ने अपनी चूचियों को अपने हाथों से ढक लिया, इसके बाद अपने बदन पर तौलिया डाल लिया और सीढ़ी का दरवाज़ा खोल कर दौड़ती हुई बाथरूम में घुस गई।
मेरे लंड ने अब पानी छोड़ दिया था और मैंने पजामा पहन लिया।
मैं कमरे मैं बैठ गया। तभी खट खट हुई, सामने मेरी मकान मालकिन निधि थीं वो बोलीं- रात में नींद अच्छी आई होगी?
मैंने कहा- हाँ ! नींद तो अच्छी आई।
निधि बोलीं- आपका बाथरूम सामने वाला है, अभी उसमें सुमन नहा रही है।वो बहुत अच्छी औरत है।
निधि भाभी ने बताया कि सुमन का पति बहुत गंदा है और दारू पीकर कभी कभी सुमन को पीट भी देता है।
सुमन और उसके पति की उम्र में 8 साल का फर्क है! दोनों ने 2 साल पहले घर से भाग कर शादी की थी, सुमन का अब अपने घर से कोई सम्बन्ध नहीं |
सुमन को रोज़ 2-2 घंटे पीटता था, नीचे तक सुमन के पिटने और रोने की आवाज़ आती थी, एक दिन इन्होंने डांटा तब हरामी थोड़ा सा सुधरा।
पिंकी बिंदास होकर बात कर रही थीं।
थोड़ी देर बाद सुमन 3 कप चाय बना कर ले आई, मैंने सुमन से नमस्ते की, सुमन बोली- अरुण तो आज 5 से 3 बजे की शिफ्ट में हैं शाम को लगभग 4 बजे आएँगे।
मैं सुमन को ऊपर से नीचे तक निहार रहा था। कुछ दारुबाज निकम्मों की किस्मत बहुत अच्छी होती है, दारु के मज़े भी लेते हैं और सुंदर बीवी को भी जैसे चाहें, वैसे भोगते हैं।
सुमन गज़ब की माल थी, तराशा हुआ बदन था सुमन का, ब्लाउज़ में सुंदर चूचियाँ छुपी हुई थीं। सुबह का याद करके मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा लेकिन मैंने उसे चुप करा दिया।
सुमन चुपचाप चाय पी रही थी, मुझे ऐसा लगा जैसे कि वो मुझे प्यार भरी नज़रों से घूर रही हो।
चाय खत्म करने के बाद निधि बोली- आप 12 बजे से पहले जब चाहें तब आ जाइएगा। उसके बाद आना हो तो पहले बता देना।
मैंने कहा- ठीक है भाभी !
उसके बाद निधि नीचे चली गई।
मैं थोड़ी देर बाद नहाने बाथरूम में गया....
मैं बनियान उतार कर टांगने जा रहा था तो वहां मुझे एक लाल रंग की पैंटी दिखी शायद सुमन की थी। सुबह जब सुमन नहाई होगी तब छोड़ गई होगी। पैंटी देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया था।
तभी दरवाजे पर हलका सा धक्का पड़ा, मैंने दरवाज़े से झाँका तो सुमन खड़ी थी, शरमाते हुए बोली- मेरी वो होगी अंदर, दे दीजिए न ! मैंने पीछे हटते हुए मुस्करा कर कहा- यह लीजिए।
मैंने पैंटी सुरेखा को दे दी।
सुमन जाते जाते बोली- पहनना भूल गई थी !
उसकी इस बात ने मेरे लंड में आग लगा दी और मुझे मुठ मारनी पड़ी। मैं जब नहा कर आया तो सुमन मेरे लिए नाश्ता ले आई।
मैं बोला- भाभी, इस की क्या जरूरत?
सुमन बोली- आप ले लीजिए, आज पहला दिन है।
सुमन बोली- आप मेरे पेइंग गेस्ट बन जाइये न,
मैंने हामी भर दी।
उसके बाद मेरा सामान आ गया, निधि भाभी की मदद से मैंने अपना सामान कमरे में लगा लिया।
निधि से बातों बातों में मुझे पता चला कि बाथरूम की लाइट ख़राब है और 500 रुपए सही करने में लगेंगे।
निधि मुझसे बोली- बाथरूम तो बहुत छोटा है, आप खुले में बाहर नहा लिया करिए। अनुज तो खुले मैं नहा कर जाते ही हैं।
सुमन भी सुबह जल्दी उठती है और 6 बजे से पहले ही खुले में नहा लेती है, ऊपर से बंद है कौन देख रहा है। आज तो कपड़े धो रही थी और आप भी उठ गए थे इसलिए बाथरूम में नहाने चली गई।
रात को सुमन के पति अनुज से मेरी मुलाकात हो गई, उसके मुँह से देसी दारु की बदबू आ रही थी। अनुज सामान्य से पतला दुबला एक साधारण सा आदमी था।
मैं रात को 10 बजे सोने चला गया, सोने से पहले मैंने सुबह 5 बजे का अलार्म भर दिया, सुबह सुमन को नहाते हुए जो देखना था।
सुबह 4 बजे ही मेरी नींद खुल गई बार बार दरवाजे की झिर्री से मैं सुमन के घर की तरफ देख रहा था। सामने कमरे मैं अनुज जाने की तैयारी कर रहे थे, 4:30 बजे वो निकल गए। सुमन मैक्सी पहन कर नीचे उन्हें छोड़ने गई और वापस अपने कमरे में चली गई।
आखिर वो घड़ी आ गई 5:30 बजे वो नहाने आ गई, उसने बाहर का नल खोल लिया और बाल्टी नीचे रख दी। उसके बाद वो मेरे कमरे की तरफ बढ़ी। मेरी समझ में नहीं आया पर मैं वापस आकर पलंग पर बैठ गया।
सुमन ने बाहर से मेरा दरवाजा बंद कर वापस चली गई, मैं दुबारा उठकर बाहर झाँकने लगा।
नीचे और ऊपर जाने का दरवाज़ा बंद था और मेरा दरवाज़ा बाहर से उसने बंद कर दिया था। अब वो आराम से नहा सकती थी।
अगले मिनट उसने अपनी मैक्सी उतार दी। उसके के बदन पर अब सिर्फ एक लाल पैंटी थी। उसने एक जोर की अंगड़ाई ली।
वाह ! क्या नंगा हसीन बदन था ! तनी हुई चूचियाँ और उन पर सजी हुई भूरी निप्पल, सेक्सी नाभि के नीचे का प्रदेश और गरम गरम जांघें ! सुमन की कमसिन जवानी ने मेरे लंड में तो आग लगा दी।
सुमन झुककर अपनी मैक्सी धोने लगी, उसकी हिलती नंगी चूचियों ने मुझे पजामा उतारने पर मजबूर कर दिया, मैंने अपना पजामा उतार दिया और अपना 7 इंची लंड हाथ में पकड़ लिया।
मैक्सी धोने के बाद सुमन ने उसे आगे बढ़कर डोरी पर डाल दिया, डोरी मेरे दरवाज़े के आगे ही थी, उसका हसीन नंगा बदन मैक्सी डालते समय मेरे से थोड़ी दूर पर ही था, मन कर रहा था जाकर साली को जकड़ लूँ।
इसके बाद सुमन अपनी जांघें फ़ैला कर पटरे पर नहाने बैठ गई। उसकी चिकनी जांघें देखकर मेरे लौडे ने कुछ बूंदें माल की त्याग दी। सुमन ने पहले अपने पैरों और हाथों पर साबुन लगाया उसके बाद उसने अपने गले और गाल पर साबुन लगाया। उसकी लगातार हिलती हुई नंगी गोल चूचियों ने मुझे पागल कर दिया। साबुन लगाने के बाद पानी बदन पर डालने से सुमन का पूरा बदन भीग रहा था, दोनों निप्पल से पानी की बूंदें गिर रही थीं। अब उसके दूधों पर साबुन दौड़ रहा था, दोनों स्तन अपने हाथों से दबाते हुए उसने उन पर साबुन मला इसके बाद लोटे से पानी डालने लगी।
सुमन की नंगी कमसिन जवानी मुझे पगला रही थी। वो अपनी पैंटी में हाथ डालकर अपनी बुर पर साबुन मलने लगी। साबुन लगाने के बाद सुमन पानी से नहाने लगी,15 मिनट तक सुमन नहाती रही और मैं उसके जवान नग्न शरीर का मज़ा लेता रहा। आखिर में उसने बचा हुआ पूरा पानी अपने बदन पर डाल लिया और तौलिए से अपना बदन पोंछने लगी।
सुमन ने तौलिया बाँध कर अपनी पैंटी उतार दी। मुझे लगा अब सुमन का स्नान पूरा हो गया है और मुझे अब सुमन की बुर रानी के दर्शन नहीं होंगे।
नहाने के बाद सुमन ने पीछे जाकर तेल की शीशी निकाली और पास मैं पड़े तख्त पर बैठकर अपने बदन पर तेल मलने लगी बाहर के बल्ब की रोशनी सीधे उसके बदन पर पड़ रही थी। अपने हाथों पर तेल मलने के बाद उसने अपनी चूचियों को दबाते हुए तेल मालिश करनी शुरू कर दी। मेरे लौड़ा ने हार मानते हुए ढेर सारा माल जमीन पर छोड़ दिया।
सुमन 5 मिनट तक अपनी चूची और पेट पर तेल मलती रही। लौड़ा दुबारा खड़ा हो गया था। स्तनों पर तेल मालिश के बाद सुमन ने मेरे दरवाज़े की तरफ देखा और फिर अपना तौलिया हटा दिया। बुर प्रदेश काली झांटों में छिपा हुआ था। उसने झुककर पहले अपने पैरों पर तेल लगाया इसके बाद अपनी जांघें फ़ैला लीं और जाँघों पर तेल मालिश करने लगी।
बुर का दरवाज़ा मेरी आँखों के सामने था, आह ! पूरी खुली हुई बुर मेरे लौड़ा को चोदने के लिए उकसा रही थी।
जाँघों की मालिश के बाद बुर की बारी थी, बहुत सारा तेल उसने बुर पर डाल लिया और अंदर उंगली डाल कर बुर की मालिश करने लगी।दस मिनट तक मैंने उसकी नंगी बुर के हर कोण से दर्शन किये।इसके बाद उसने ब्लाउज और पेटीकोट पहन लिया और मेरे दरवाज़े की सांकल खोल कर अंदर चली गई। 6 बज़ रहे थे।
8 बजे सुमन चाय नाश्ता लेकर आ गई। सुमन इस समय साड़ी ब्लाउज़ में थी, बोली- आज से आप मेरे पेइंग गेस्ट हैं, आप चाय और खाने में क्या और किस समय लेंगे?
मैंने कहा- भाभी आप जो चाहें वो खिलाओ। सुबह 8 बजे नाश्ता और रात को 10 बजे मैं खाना लेता हूँ।
सुमन मुस्कराती हुई बोली- आप चाहें तो मुझे सुमन कह कर बुला लिया करें।
सुमन मुस्करा रही थी। सुबह के स्नान का याद करके मैं सोच रहा था सुमन को अपनी गोद में बैठा लूँ और उसकी चूचियों और बुर से खेलूं। मेरा लौड़ा उसको देख कर खड़ा हो गया था, बड़ी मुश्किल से अपने लौड़ा को संभाले हुआ था।
10-12 दिन इसी तरह से निकल गए। रोज़ सुबह सुमन की नंगी जवानी का आनंद लेने लगा था मैं, सुमन को चोदने की इच्छा बढ़ती जा रही थी।
एक दिन नीचे वाली भाभी बोलीं- सुमन को खुजली की शिकायत हो रही है, कुछ प्रॉब्लम है, उसे लेडी डॉक्टर को दिखा लाओ, उसका पति तो नालायक है और दो दिन को बाहर भी गया है। तुम्हारे पास बाइक भी है और कल तुम्हारा ऑफ भी है, तुम तो आराम से ले जाओगे उसे।
मैं बोला- सुमन चली जाएगी?
निधि हँसते हुए बोली- चिपक कर बैठ कर जाएगी। तुम्हें पसंद करने लगी है, कह रही थी कि राकेश भाईसाहब बहुत अच्छे हैं। काश मुझे भी ऐसे पति मिलते।
मुझे कुछ गुदगुदी सी हुई, मैं बोला- ठीक है, आप उससे कह दो कल ले जाऊंगा।
शाम को सुमन जब खाना देने आई तो बोली- भाभी कह रहीं थीं…!
मैंने कहा- हाँ कल चले चलेंगे।
मैंने पूछा- आपको क्या दिक्कत है?
सुमन शर्माते हुए बोली- नीचे कुछ औरतों वाली दिक्कत है। इनके मुँह से तो दारु की बदबू आती रहती है ये एक दो बार डॉक्टर के यहाँ गए हैं तो उसने इन्हें कमरे से भगा दिया था।
सुमन बोली- 10 बजे चलेंगे।और वो बाहर चली गई।
अगले दिन सुबह 6 बजे सुमन जब नंगी नहा रही थी तो मुझे लगा कि सुमन की बुर में अब लौड़ा घुसाने के दिन आने वाले हैं।
सुबह 10 बजे सुमन साड़ी ब्लाउज़ पहन कर तैयार हो गई, मुझसे बोली- थोड़ी दूर वाले हॉस्पिटल में चलेंगे, यहाँ जान-पहचान वाला कोई मिल जाता है तो बड़ी शर्म आती है।
हम लोग घर से 15 किलोमीटर दूर एक हॉस्पिटल में गए, रास्ते में सुमन बड़ी शालीनता से बैठी रही। वहाँ गीता नाम की लेडी डॉक्टर को दिखाने सुमन अंदर चली गई। मैं बाहर बैठ गया।
थोड़ी देर बाद एक नर्स आई और बोली- सुमन जी के साथ आप ही हैं?
मैं बोला- हाँ !
“अंदर चलिए, डॉक्टर साहब बुला रही हैं।”
डॉक्टर के कमरे के अंदर एक कमरा था, डॉक्टर मुझे अंदर ले गईं, अंदर सुमन चादर ओढ़े लेटी थी।
डॉक्टर बोली- आपको पता है इनको क्या दिक्कत है?
मैं बोला- नहीं !
तो डॉक्टर ने सुमन की चादर हटा दी। सुमन पूरी नंगी मेरे सामने लेटी थी उसने हाथ और पैर से अपनी बुर और चूची छिपाने की कोशिश की।
डॉक्टर ने सुमन को डांटा और बोलीं- इतना नाटक करने की जरूरत नहीं, रात को तो बिना नहाए धोए गंदे ही एक दूसरे से चिपक जाते हो और डॉक्टर के पास शर्मा रही हो?
डॉक्टर मुझे सुमन का पति समझ रही थीं। सुमन ने दयनीय स्थिति में मुझे इशारा किया कि मैं डॉक्टर को कुछ नहीं बताऊँ।
डॉक्टर ने सुमन की टांगें फैला दीं और उसकी बुर की झांटे दिखाती हुई सुमन से बोली- इन बालों को समय से साफ़ किया करो।
मेरी तरफ देखती हुई डॉक्टर ने कहा- देखो, इसकी वेजिना कितनी लाल हो रही है, यह एलर्जी है, आप लोग बिना साफ़ सफाई के अंदर डाल देते हो, उससे होती है। शर्म आनी चाहिए, आपकी पत्नी है, ठीक से आराम से किया करो, साफ सुथरे होकर सेक्स करने में ज्यादा मज़ा आता है।
सुमन के हाथ को हटाते हुए बोलीं- यह क्या है?
चूची पर दो कटे के निशान थे ,डॉक्टर ने मेरा हाथ सुमन की चूची पर रख दिया और बोली- देखो, काटने से खाल तक छिल गई है। आप प्यार से सेक्स क्यों नहीं करते हैं।
सुमन की हालत पतली हो रही थी, मेरा भी बुरा हाल था। सुमन की गुलाबी चूची पर हाथ रखने से मेरा लौड़ा जाग चुका था।
डाक्टर ने इसके बाद नर्स को बुलाया और कहा- इन्हें दवाई दे दो और बाकी बातें समझा दो।
डॉक्टर बाहर अपने कमरे में चली गईं। नर्स एक 50-55 की औरत थी। इसके बाद नर्स ने एक ट्यूब ली और बोलीं इसकी क्रीम इनकी योनि के अंदर और बाहर धीरे धीरे उंगली से सहलाते हुए रात को अच्छी तरह से साफ़ हाथ से लगानी है।
उसने मेरे हाथ धुलवाए और मेरी उंगली पर क्रीम लगा दी और बोली- जरा लगा कर दिखाओ !
मेरी और सुमन की हालत पतली हो रही थी, मैंने उसकी बुर में उंगली घुसा दी और काँपते हाथों से बाहर बाहर मालिश करने लगा। मेरा लोड़ा पूरा खड़ा हो गया था।
नर्स बोली- यह बाहर बाहर क्यों लगा रहा है? पूरी अंदर तक घुसा कर लगा ! रात को तो बड़ी जल्दी चढ़ता होगा।
नर्स का यह शायद रोज़ का ही काम था। मैंने भी अब बेशरम होकर सुमन की बुर की मालिश अंदर बाहर शुरू कर दी। सुमन धीरे धीरे उई ऊई कर रही थी। मेरा लोड़ा पूरा गरम हो रहा था।
2 मिनट बाद नर्स बोली- ठीक है, एसे ही रात को सोने से पहले 5 मिनट तक मालिश कर देना।
इसके बाद उसने कुछ गोलियाँ दी और बोली- दो-दो गोली सुबह शाम खानी हैं, 7-8 दिन लगेंगे ठीक होने में, तब तक बुर में लोड़ा अंदर नहीं डालना है।
नर्स के मुँह से ये बातें सुनकर सुमन शर्म से जमीन में गड़ी जा रही थी, नर्स मेरी तरफ देखती हुई रुखी सी देसी भाषा में बोली- तू दिखता तो साफ़ सुथरा और सीधा सा है लेकिन है बदमाश ! इसने सब बता दिया है। अपने लोड़े को अच्छी तरह साफ़ करके अंदर डालना।ये दाने साफ़ नहीं रहने के कारण होते हैं।
सुमन की तरफ देखती हुई नर्स बोली- तू भी अपनी बुर साफ़ रखा कर ! झांटे देख कितनी बड़ी बड़ी हो रहीं हैं। सन्डे की सन्डे झांटे साफ़ करने की क्रीम लगा कर डेटोल से बुर साफ़ करा कर।
आँख दबाती हुई नर्स बोली- तू भी कम नहीं लग रही है, डलवाती होगी तभी तो आगे पीछे दोनों तरफ से ये तेरी रोज़ मारता है। अब 7- 8 दिन बुर में लोड़ा मत घुसवाना और ज्यादा मन करे तो मुँह मैं ले लियो और इतने पे भी चैन न पड़े तो गांड में डलवा लेना लेकिन साफ़ सफाई से और गांड में जब भी डलवाए तो कंडोम लगा के डलवाना। चलो अब तुम लोग जाओ और अगर एक हफ्ते में दाने सही नहीं हुए तो दुबारा आना।
बाइक पर अब सुमन मुझसे चिपक कर बैठी हुई थी, दोनों चूचियाँ मेरी पीठ से दब रही थीं, बड़ा अच्छा लग रहा था।
सुमन बोली- 10 मिनट कहीं बैठ सकते हैं?
मैंने कहा- ठीक है।
और हम एक काफी हाउस में घुस गए, कोने में एक सीट पर बैठ गए।
सुमन ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- आज जो हुआ किसी को मत बताना, मुझे तो बहुत शर्म आ रही है।
सुमन बोली- डॉक्टर साहिबा ने नंगी कराने के बाद जब मेरी बड़ी बड़ी झांटें देखीं तो बहुत डाँटा था। उन्होंने मुझसे पूछा कि मेरे पति कैसे सेक्स करते हैं तो मुझे सच सच बताना पड़ा। अनुज रोज़ रात को अपना नंगा लंड मेरी बुर और गांड दोनों में डाल देते हैं, कई बार तो गांड से निकला लंड वैसे का वैसा ही बुर में डाल देते हैं। डॉक्टर यह सुन कर गुस्सा हो गई और उन्होंने तुम्हें बुला लिया।
मैं बोल उठा- आपकी चूचियाँ बहुत सुंदर हैं।
सुमन शरमा कर बोली- आपकी उंगली ने तो मेरी जान निकाल ली।
सुमन और मैं मुस्करा पड़े।
सुमन बोली- दवा आप अपने पास रख लें। इन्होंने देख ली तो मेरी जान ले लेंगे। सुमन ने मेरा हाथ उठाकर अपनी जाँघों पर रख लिया, धीरे धीरे उसकी जांघें सहलाते हुए मैं उससे बातें करने लगा। काफी आ गई, पीते-पीते मुझे पता चला कि सुमन पैसों की कमी के कारण क्रीम और कॉस्मेटिक नहीं खरीद पाती है। मेरा हाथ अब उसकी जाँघों के बीच चल रहा था, उसको मज़ा आ रहा था।काफी पीने के बाद मैंने उसे 2000 रुपए के कॉस्मेटिक दिलवाई। इसके बाद वो बाइक पर मुझसे चिपक कर बैठ गई और हाथ उसने मेरे तने हुए लंड के ऊपर रख दिया। पूरे रास्ते वो मेरा लंड सहलाती हुई आई। मैं भी बाइक 20 की स्पीड से चला रहा था। उसके बाद हम घर आ गए।
चार बज़ रहे थे, हम दोनों ऊपर आ गए और अपने अपने कमरे में चले गए।
रात को सुमन ने खाना 10 बजे तैयार किया ऊपर आज रात मैं और सुमन अकेले थे, सुमन और मैंने एक साथ खाना खाया, उसके बाद सुमन बोली- मैं 11 बजे आपके लिए दूध लेकर आती हूँ।
11 बजे सुमन पारदर्शी मैक्सी में दूध लेकर आई। उसकी लाल पैंटी और दूधिया चूचियाँ साफ़ दिख रही थीं। मुझे देख कर वह मुस्करा रही थी।
मैंने दूध पीते हुए पूछा- क्रीम लगवानी है?
सुमन बोली- लगा दीजिएगा।
उसकी आँखों में एक कामुक चमक थी।
दूध का गिलास रखने के बाद मैंने उसे अपनी गोद में खींच लिया और अपने से चिपका लिया। उसके होंठ अब मेरे होंटों से चिपक गए थे। हम दोनों एक दूसरे को चूस रहे थे।
इसके बाद मैंने सुमन को बिस्तर पर गिरा दिया। उसकी मैक्सी खुल गई थी, नीचे सिर्फ एक लाल पैंटी थी, गुलाबी स्तन चमक उठे थे, जिन स्तनों को देखकर मैं 10 दिन से मुठ मार रहा था, आज वो मेरे हाथों में थे, उन्हें दबाते हुए बोला- सच, गज़ब के सेक्सी हैं तुम्हारे ये स्तन।
सुमन ने मेरे मुँह में अपनी निप्पल लगा दी और बोली- आप इसे चूसो ना ! आज सुबह से मेरा बहुत मन कर रहा है कि आप मेरे इनसे खेलें।
मैंने उसके दूधिया स्तनों को दबाते हुए चूसना शुरू कर दिया। सुमन की उह आह उह कमरे में गूँज रही थी। उसकी निप्पल्स तन गई थीं, मसलाई अच्छी हो रही थी।
थोड़ी देर बाद मेरे हाथों से उसकी पैंटी भी नीचे उतर गई, बुर बिल्कुल चिकनी हो रही थी, शाम को ही साफ़ करी लग रही थी। मैंने उसकी बुर के होंटों पर अपनी उंगलियाँ फ़िराईं।
सुमन पागल हो रही थी- बोली चोदो राकेश ! चोदो बहुत मन कर रहा है।
मैंने उठकर अपने सारे कपड़े उतार दिए और अपनी जाँघों पर उसे बैठाते हुए उसकी जांघें और बुर सहलाने लगा।
मैंने कहा- एक हफ्ते तक तो बुर का दरवाज़ा बंद है।
सुमन मेरे 7 इंची तने हुए लंड को दबाते हुए बोली- आज चोद दो, एक दिन से कुछ नहीं होता है। सच तुम्हें मैं अपने अंदर लेना चाहती हूँ, मेरी बुर चोदो।
उसकी बुर से काफी पानी बह रहा था, मेरा लंड भी चोदने को पागल हो रहा था।
सुमन को मैंने लेटा दिया, उसने अपनी जांघें चौड़ी कर दी थीं, अपनी बुर में उंगली करते हुए बोली- राकेश, अंदर घुसाओ न !
अब हमारे बीच की दूरी ख़त्म होने वाली थी, मैंने देर किए बिना अपना लोड़ा उसकी बुर की फलकों पर लगा दिया और घुसाने लगा। थोड़ी देर में लंड पूरा अंदर था। उसने टांगें मेरी पीठ पर लगा दी थीं, हम दोनों की साँसें तेज चल रही थीं। मैंने पेलना शुरू कर दिया था सुमन अब चुदने लगी थी, आह ! उह आह ! और करो ! आअहा की आवाज़ों से कमरा गूँज रहा था। कुछ धक्कों के बाद सुमन का गर्भ माल से नहा गया था। वो मुझसे चिपक गई, हम दोनों बातें करने लगे। दो बजे के करीब हम सो गए।
सुबह चार बजे उसने मुझे उठा दिया, मुझसे चिपक गई और अपने हाथ से वो मेरा लंड सहलाने लगी। थोड़ी देर में लंड चोदने के लिए तैयार था।
अबकी बार आराम से मैंने उसे कोहनी के बल घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी बुर में लंड घुसा दिया और आराम आराम से उसको चोदने लगा।
चुदते चुदते सुमन बोली- सच राकेश, बहुत मज़ा आ रहा है तुमसे चुदने में ! थोड़ी तेज चोदो, आह आह मज़ा आ गया।
कुछ देर में सुमन झड़ गई लेकिन मेरा लंड पूरा खड़ा था, मैंने उससे कहा- लो मुँह से करो !
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चोदो बहुत मन कर रहा है-1
मेरा नाम मोहित, 2 साल पहले मैंने ऍम सी ए किया था।
अभी कुछ दिन पहले ही मैंने दिल्ली में एक कंपनी ज्वाइन की। मैं 24 साल का हूँ ....मैं इलाहाबाद का रहे वाला हूँ....
मैं कम्पनी के पास ही एक कमरे में किराये पर रहता हूँ । मकान मालिक दिल्ली में ही सरकारी बाबू हैं।
मेरी मकान मालकिन निधि एक साधारण सी 32 साल की घरेलू महिला हैं। उसके दो बच्चे हैं एक 8 और दूसरा 5 साल के हैं।
निधि की चूचियाँ बड़ी बड़ी और मोटी घरेलू औरतों जैसी हैं।
मेरा कमरा पहली मंजिल पर है। मैं नवम्बर में इस किराए के मकान में आ गया था और पहले दिन 10 बजे घर पहुँचा था।
मुझे देखकर निधि बोली- नमस्ते मोहित, आओ, आपको आपका कमरा दिखा देती हूँ।
नीचे निधि और उसका परिवार रहता है, नीचे साथ में ही एक कमरा है, निधि ने बताया कि इसमें 21 साल की अनु नाम की लड़की किराए पर रहती है, वो एक होटल में फ़ूड मैनेजर है, सुबह 9 बजे जाती है और रात को 8 बजे आती है।
उसके बाद हम लोग ऊपर आ गए। ऊपर मेरे कमरे के बगल एक कमरे और किचन का सेट था जिसमें एक विवाहित जोड़ा रहता हैं।
पति का नाम अनुज और पत्नी का सुमन है। सुमन बाहर निकल कर आई और उसने मुझे नमस्ते की। सुमन की उम्र 22-24 साल लग रही थी। सुरेखा दिखने में मुझे बहुत सुंदर लगी। मेरा और अनुज का बाथरूम एक ही है बाथरूम के बाहर एक नल लगा हुआ है। पहली मंजिल पूरी ऊपर से ढकी है। नीचे और ऊपर जाने की सीढियाँ है। उन पर दरवाज़ा लगा है। दरवाजे बंद करने के बाद निचे से कोई ऊपर नहीं अया सकता है। छत एकदम खाली है।
निचे आकर निधि ने मेरे लिए चाय बनाई , वो मुझसे ढेर सारी बातें करने लगी जैसे कि मुझे पहले से जानती हो।
धीरे धीरे रात हो गयी और मैं अपने कमरे में जाकर सो गया....
सुबह 7 बजे जब नींद खुली तो सामने सुमन को पाया...वो कपड़े धो रही थी। उसकी चूचियाँ ब्लाउज़ से बाहर निकल रही थीं।
सुबह के खड़े हुए लंड को और हवा मिल गई और वो आसमान छूने की कोशिश करने लगा।
मैंने लंड पजामे से बाहर निकाल लिया और छुप कर लोड़ा सहलाते हुए सुमन की चूचियां निहारने लगा। मन कर रहा था कि बाहर निकल कर चूचियां पकड़ लूं।
कपड़े धोते धोते अचानक सुमन की साड़ी का पल्लू गिर गया था।
उसने निचे ब्रा नहीं पहनी थीं उसके ब्लाउज से दोनों उरोज बाहर निकलने को आतुर हो रहे थे। मेरा लोड़ा हुंकार भर रहा था।
सुमन कपड़े धोने के बाद उठी और उसने अपनी साड़ी उतार दी गीले ब्लाउज से भूरी भूरी निप्पल पूरी दिख रही थीं, मेरे लोड़े मैं आग लगी हुई थी।
सुमन ने झुककर अपनी साड़ी उठाई और धोने लगी ढीले ब्लाउज़ के अंदर से उसकी चूचियां आगे पीछे हिल रही थीं।
साड़ी धोने के बाद उसने अपना ब्लाउज उतार दिया उसकी नंगी चूचियां खुलकर बाहर आ गईं, पूरी दिख गईं थी, ग़ज़ब की सुंदर और कसी हुई गोरी गोरी चूचियां थी, उसकी नुकीली भूरी निप्पल मेरे लंड को परेशान कर रही थीं।
एक बार फिर वो झुककर ब्लाउज धोने लगी, नंगी हिलती चूचियाँ मेरे लंड को परेशान कर रही थीं।
मैं कल ही आया था शायद वो इस धोखे में थी कि घर में कोई आदमी नहीं है। उसकी हिलती नंगी चूचियों ने मेरे लंड को अपना पानी छोडने पर मजबूर कर दिया और मेरे लंड ने तेज धार से पानी छोड़ना शुरू कर दिया।
तभी सीढ़ी के दरवाजे पर आवाज़ आई।
निधि भाभी मेरा हाल पूछने आई थीं।
सुमन बोली- दीदी, मैं नहा रही हूँ।
निधि बोली- राकेश उठ गया क्या?
यह सुनते ही सुमन ने अपनी चूचियों को अपने हाथों से ढक लिया, इसके बाद अपने बदन पर तौलिया डाल लिया और सीढ़ी का दरवाज़ा खोल कर दौड़ती हुई बाथरूम में घुस गई।
मेरे लंड ने अब पानी छोड़ दिया था और मैंने पजामा पहन लिया।
मैं कमरे मैं बैठ गया। तभी खट खट हुई, सामने मेरी मकान मालकिन निधि थीं वो बोलीं- रात में नींद अच्छी आई होगी?
मैंने कहा- हाँ ! नींद तो अच्छी आई।
निधि बोलीं- आपका बाथरूम सामने वाला है, अभी उसमें सुमन नहा रही है।वो बहुत अच्छी औरत है।
निधि भाभी ने बताया कि सुमन का पति बहुत गंदा है और दारू पीकर कभी कभी सुमन को पीट भी देता है।
सुमन और उसके पति की उम्र में 8 साल का फर्क है! दोनों ने 2 साल पहले घर से भाग कर शादी की थी, सुमन का अब अपने घर से कोई सम्बन्ध नहीं |
सुमन को रोज़ 2-2 घंटे पीटता था, नीचे तक सुमन के पिटने और रोने की आवाज़ आती थी, एक दिन इन्होंने डांटा तब हरामी थोड़ा सा सुधरा।
पिंकी बिंदास होकर बात कर रही थीं।
थोड़ी देर बाद सुमन 3 कप चाय बना कर ले आई, मैंने सुमन से नमस्ते की, सुमन बोली- अरुण तो आज 5 से 3 बजे की शिफ्ट में हैं शाम को लगभग 4 बजे आएँगे।
मैं सुमन को ऊपर से नीचे तक निहार रहा था। कुछ दारुबाज निकम्मों की किस्मत बहुत अच्छी होती है, दारु के मज़े भी लेते हैं और सुंदर बीवी को भी जैसे चाहें, वैसे भोगते हैं।
सुमन गज़ब की माल थी, तराशा हुआ बदन था सुमन का, ब्लाउज़ में सुंदर चूचियाँ छुपी हुई थीं। सुबह का याद करके मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा लेकिन मैंने उसे चुप करा दिया।
सुमन चुपचाप चाय पी रही थी, मुझे ऐसा लगा जैसे कि वो मुझे प्यार भरी नज़रों से घूर रही हो।
चाय खत्म करने के बाद निधि बोली- आप 12 बजे से पहले जब चाहें तब आ जाइएगा। उसके बाद आना हो तो पहले बता देना।
मैंने कहा- ठीक है भाभी !
उसके बाद निधि नीचे चली गई।
मैं थोड़ी देर बाद नहाने बाथरूम में गया....
मैं बनियान उतार कर टांगने जा रहा था तो वहां मुझे एक लाल रंग की पैंटी दिखी शायद सुमन की थी। सुबह जब सुमन नहाई होगी तब छोड़ गई होगी। पैंटी देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया था।
तभी दरवाजे पर हलका सा धक्का पड़ा, मैंने दरवाज़े से झाँका तो सुमन खड़ी थी, शरमाते हुए बोली- मेरी वो होगी अंदर, दे दीजिए न ! मैंने पीछे हटते हुए मुस्करा कर कहा- यह लीजिए।
मैंने पैंटी सुरेखा को दे दी।
सुमन जाते जाते बोली- पहनना भूल गई थी !
उसकी इस बात ने मेरे लंड में आग लगा दी और मुझे मुठ मारनी पड़ी। मैं जब नहा कर आया तो सुमन मेरे लिए नाश्ता ले आई।
मैं बोला- भाभी, इस की क्या जरूरत?
सुमन बोली- आप ले लीजिए, आज पहला दिन है।
सुमन बोली- आप मेरे पेइंग गेस्ट बन जाइये न,
मैंने हामी भर दी।
उसके बाद मेरा सामान आ गया, निधि भाभी की मदद से मैंने अपना सामान कमरे में लगा लिया।
निधि से बातों बातों में मुझे पता चला कि बाथरूम की लाइट ख़राब है और 500 रुपए सही करने में लगेंगे।
निधि मुझसे बोली- बाथरूम तो बहुत छोटा है, आप खुले में बाहर नहा लिया करिए। अनुज तो खुले मैं नहा कर जाते ही हैं।
सुमन भी सुबह जल्दी उठती है और 6 बजे से पहले ही खुले में नहा लेती है, ऊपर से बंद है कौन देख रहा है। आज तो कपड़े धो रही थी और आप भी उठ गए थे इसलिए बाथरूम में नहाने चली गई।
रात को सुमन के पति अनुज से मेरी मुलाकात हो गई, उसके मुँह से देसी दारु की बदबू आ रही थी। अनुज सामान्य से पतला दुबला एक साधारण सा आदमी था।
मैं रात को 10 बजे सोने चला गया, सोने से पहले मैंने सुबह 5 बजे का अलार्म भर दिया, सुबह सुमन को नहाते हुए जो देखना था।
सुबह 4 बजे ही मेरी नींद खुल गई बार बार दरवाजे की झिर्री से मैं सुमन के घर की तरफ देख रहा था। सामने कमरे मैं अनुज जाने की तैयारी कर रहे थे, 4:30 बजे वो निकल गए। सुमन मैक्सी पहन कर नीचे उन्हें छोड़ने गई और वापस अपने कमरे में चली गई।
आखिर वो घड़ी आ गई 5:30 बजे वो नहाने आ गई, उसने बाहर का नल खोल लिया और बाल्टी नीचे रख दी। उसके बाद वो मेरे कमरे की तरफ बढ़ी। मेरी समझ में नहीं आया पर मैं वापस आकर पलंग पर बैठ गया।
सुमन ने बाहर से मेरा दरवाजा बंद कर वापस चली गई, मैं दुबारा उठकर बाहर झाँकने लगा।
नीचे और ऊपर जाने का दरवाज़ा बंद था और मेरा दरवाज़ा बाहर से उसने बंद कर दिया था। अब वो आराम से नहा सकती थी।
अगले मिनट उसने अपनी मैक्सी उतार दी। उसके के बदन पर अब सिर्फ एक लाल पैंटी थी। उसने एक जोर की अंगड़ाई ली।
वाह ! क्या नंगा हसीन बदन था ! तनी हुई चूचियाँ और उन पर सजी हुई भूरी निप्पल, सेक्सी नाभि के नीचे का प्रदेश और गरम गरम जांघें ! सुमन की कमसिन जवानी ने मेरे लंड में तो आग लगा दी।
सुमन झुककर अपनी मैक्सी धोने लगी, उसकी हिलती नंगी चूचियों ने मुझे पजामा उतारने पर मजबूर कर दिया, मैंने अपना पजामा उतार दिया और अपना 7 इंची लंड हाथ में पकड़ लिया।
मैक्सी धोने के बाद सुमन ने उसे आगे बढ़कर डोरी पर डाल दिया, डोरी मेरे दरवाज़े के आगे ही थी, उसका हसीन नंगा बदन मैक्सी डालते समय मेरे से थोड़ी दूर पर ही था, मन कर रहा था जाकर साली को जकड़ लूँ।
इसके बाद सुमन अपनी जांघें फ़ैला कर पटरे पर नहाने बैठ गई। उसकी चिकनी जांघें देखकर मेरे लौडे ने कुछ बूंदें माल की त्याग दी। सुमन ने पहले अपने पैरों और हाथों पर साबुन लगाया उसके बाद उसने अपने गले और गाल पर साबुन लगाया। उसकी लगातार हिलती हुई नंगी गोल चूचियों ने मुझे पागल कर दिया। साबुन लगाने के बाद पानी बदन पर डालने से सुमन का पूरा बदन भीग रहा था, दोनों निप्पल से पानी की बूंदें गिर रही थीं। अब उसके दूधों पर साबुन दौड़ रहा था, दोनों स्तन अपने हाथों से दबाते हुए उसने उन पर साबुन मला इसके बाद लोटे से पानी डालने लगी।
सुमन की नंगी कमसिन जवानी मुझे पगला रही थी। वो अपनी पैंटी में हाथ डालकर अपनी बुर पर साबुन मलने लगी। साबुन लगाने के बाद सुमन पानी से नहाने लगी,15 मिनट तक सुमन नहाती रही और मैं उसके जवान नग्न शरीर का मज़ा लेता रहा। आखिर में उसने बचा हुआ पूरा पानी अपने बदन पर डाल लिया और तौलिए से अपना बदन पोंछने लगी।
सुमन ने तौलिया बाँध कर अपनी पैंटी उतार दी। मुझे लगा अब सुमन का स्नान पूरा हो गया है और मुझे अब सुमन की बुर रानी के दर्शन नहीं होंगे।
नहाने के बाद सुमन ने पीछे जाकर तेल की शीशी निकाली और पास मैं पड़े तख्त पर बैठकर अपने बदन पर तेल मलने लगी बाहर के बल्ब की रोशनी सीधे उसके बदन पर पड़ रही थी। अपने हाथों पर तेल मलने के बाद उसने अपनी चूचियों को दबाते हुए तेल मालिश करनी शुरू कर दी। मेरे लौड़ा ने हार मानते हुए ढेर सारा माल जमीन पर छोड़ दिया।
सुमन 5 मिनट तक अपनी चूची और पेट पर तेल मलती रही। लौड़ा दुबारा खड़ा हो गया था। स्तनों पर तेल मालिश के बाद सुमन ने मेरे दरवाज़े की तरफ देखा और फिर अपना तौलिया हटा दिया। बुर प्रदेश काली झांटों में छिपा हुआ था। उसने झुककर पहले अपने पैरों पर तेल लगाया इसके बाद अपनी जांघें फ़ैला लीं और जाँघों पर तेल मालिश करने लगी।
बुर का दरवाज़ा मेरी आँखों के सामने था, आह ! पूरी खुली हुई बुर मेरे लौड़ा को चोदने के लिए उकसा रही थी।
जाँघों की मालिश के बाद बुर की बारी थी, बहुत सारा तेल उसने बुर पर डाल लिया और अंदर उंगली डाल कर बुर की मालिश करने लगी।दस मिनट तक मैंने उसकी नंगी बुर के हर कोण से दर्शन किये।इसके बाद उसने ब्लाउज और पेटीकोट पहन लिया और मेरे दरवाज़े की सांकल खोल कर अंदर चली गई। 6 बज़ रहे थे।
8 बजे सुमन चाय नाश्ता लेकर आ गई। सुमन इस समय साड़ी ब्लाउज़ में थी, बोली- आज से आप मेरे पेइंग गेस्ट हैं, आप चाय और खाने में क्या और किस समय लेंगे?
मैंने कहा- भाभी आप जो चाहें वो खिलाओ। सुबह 8 बजे नाश्ता और रात को 10 बजे मैं खाना लेता हूँ।
सुमन मुस्कराती हुई बोली- आप चाहें तो मुझे सुमन कह कर बुला लिया करें।
सुमन मुस्करा रही थी। सुबह के स्नान का याद करके मैं सोच रहा था सुमन को अपनी गोद में बैठा लूँ और उसकी चूचियों और बुर से खेलूं। मेरा लौड़ा उसको देख कर खड़ा हो गया था, बड़ी मुश्किल से अपने लौड़ा को संभाले हुआ था।
10-12 दिन इसी तरह से निकल गए। रोज़ सुबह सुमन की नंगी जवानी का आनंद लेने लगा था मैं, सुमन को चोदने की इच्छा बढ़ती जा रही थी।
एक दिन नीचे वाली भाभी बोलीं- सुमन को खुजली की शिकायत हो रही है, कुछ प्रॉब्लम है, उसे लेडी डॉक्टर को दिखा लाओ, उसका पति तो नालायक है और दो दिन को बाहर भी गया है। तुम्हारे पास बाइक भी है और कल तुम्हारा ऑफ भी है, तुम तो आराम से ले जाओगे उसे।
मैं बोला- सुमन चली जाएगी?
निधि हँसते हुए बोली- चिपक कर बैठ कर जाएगी। तुम्हें पसंद करने लगी है, कह रही थी कि राकेश भाईसाहब बहुत अच्छे हैं। काश मुझे भी ऐसे पति मिलते।
मुझे कुछ गुदगुदी सी हुई, मैं बोला- ठीक है, आप उससे कह दो कल ले जाऊंगा।
शाम को सुमन जब खाना देने आई तो बोली- भाभी कह रहीं थीं…!
मैंने कहा- हाँ कल चले चलेंगे।
मैंने पूछा- आपको क्या दिक्कत है?
सुमन शर्माते हुए बोली- नीचे कुछ औरतों वाली दिक्कत है। इनके मुँह से तो दारु की बदबू आती रहती है ये एक दो बार डॉक्टर के यहाँ गए हैं तो उसने इन्हें कमरे से भगा दिया था।
सुमन बोली- 10 बजे चलेंगे।और वो बाहर चली गई।
अगले दिन सुबह 6 बजे सुमन जब नंगी नहा रही थी तो मुझे लगा कि सुमन की बुर में अब लौड़ा घुसाने के दिन आने वाले हैं।
सुबह 10 बजे सुमन साड़ी ब्लाउज़ पहन कर तैयार हो गई, मुझसे बोली- थोड़ी दूर वाले हॉस्पिटल में चलेंगे, यहाँ जान-पहचान वाला कोई मिल जाता है तो बड़ी शर्म आती है।
हम लोग घर से 15 किलोमीटर दूर एक हॉस्पिटल में गए, रास्ते में सुमन बड़ी शालीनता से बैठी रही। वहाँ गीता नाम की लेडी डॉक्टर को दिखाने सुमन अंदर चली गई। मैं बाहर बैठ गया।
थोड़ी देर बाद एक नर्स आई और बोली- सुमन जी के साथ आप ही हैं?
मैं बोला- हाँ !
“अंदर चलिए, डॉक्टर साहब बुला रही हैं।”
डॉक्टर के कमरे के अंदर एक कमरा था, डॉक्टर मुझे अंदर ले गईं, अंदर सुमन चादर ओढ़े लेटी थी।
डॉक्टर बोली- आपको पता है इनको क्या दिक्कत है?
मैं बोला- नहीं !
तो डॉक्टर ने सुमन की चादर हटा दी। सुमन पूरी नंगी मेरे सामने लेटी थी उसने हाथ और पैर से अपनी बुर और चूची छिपाने की कोशिश की।
डॉक्टर ने सुमन को डांटा और बोलीं- इतना नाटक करने की जरूरत नहीं, रात को तो बिना नहाए धोए गंदे ही एक दूसरे से चिपक जाते हो और डॉक्टर के पास शर्मा रही हो?
डॉक्टर मुझे सुमन का पति समझ रही थीं। सुमन ने दयनीय स्थिति में मुझे इशारा किया कि मैं डॉक्टर को कुछ नहीं बताऊँ।
डॉक्टर ने सुमन की टांगें फैला दीं और उसकी बुर की झांटे दिखाती हुई सुमन से बोली- इन बालों को समय से साफ़ किया करो।
मेरी तरफ देखती हुई डॉक्टर ने कहा- देखो, इसकी वेजिना कितनी लाल हो रही है, यह एलर्जी है, आप लोग बिना साफ़ सफाई के अंदर डाल देते हो, उससे होती है। शर्म आनी चाहिए, आपकी पत्नी है, ठीक से आराम से किया करो, साफ सुथरे होकर सेक्स करने में ज्यादा मज़ा आता है।
सुमन के हाथ को हटाते हुए बोलीं- यह क्या है?
चूची पर दो कटे के निशान थे ,डॉक्टर ने मेरा हाथ सुमन की चूची पर रख दिया और बोली- देखो, काटने से खाल तक छिल गई है। आप प्यार से सेक्स क्यों नहीं करते हैं।
सुमन की हालत पतली हो रही थी, मेरा भी बुरा हाल था। सुमन की गुलाबी चूची पर हाथ रखने से मेरा लौड़ा जाग चुका था।
डाक्टर ने इसके बाद नर्स को बुलाया और कहा- इन्हें दवाई दे दो और बाकी बातें समझा दो।
डॉक्टर बाहर अपने कमरे में चली गईं। नर्स एक 50-55 की औरत थी। इसके बाद नर्स ने एक ट्यूब ली और बोलीं इसकी क्रीम इनकी योनि के अंदर और बाहर धीरे धीरे उंगली से सहलाते हुए रात को अच्छी तरह से साफ़ हाथ से लगानी है।
उसने मेरे हाथ धुलवाए और मेरी उंगली पर क्रीम लगा दी और बोली- जरा लगा कर दिखाओ !
मेरी और सुमन की हालत पतली हो रही थी, मैंने उसकी बुर में उंगली घुसा दी और काँपते हाथों से बाहर बाहर मालिश करने लगा। मेरा लोड़ा पूरा खड़ा हो गया था।
नर्स बोली- यह बाहर बाहर क्यों लगा रहा है? पूरी अंदर तक घुसा कर लगा ! रात को तो बड़ी जल्दी चढ़ता होगा।
नर्स का यह शायद रोज़ का ही काम था। मैंने भी अब बेशरम होकर सुमन की बुर की मालिश अंदर बाहर शुरू कर दी। सुमन धीरे धीरे उई ऊई कर रही थी। मेरा लोड़ा पूरा गरम हो रहा था।
2 मिनट बाद नर्स बोली- ठीक है, एसे ही रात को सोने से पहले 5 मिनट तक मालिश कर देना।
इसके बाद उसने कुछ गोलियाँ दी और बोली- दो-दो गोली सुबह शाम खानी हैं, 7-8 दिन लगेंगे ठीक होने में, तब तक बुर में लोड़ा अंदर नहीं डालना है।
नर्स के मुँह से ये बातें सुनकर सुमन शर्म से जमीन में गड़ी जा रही थी, नर्स मेरी तरफ देखती हुई रुखी सी देसी भाषा में बोली- तू दिखता तो साफ़ सुथरा और सीधा सा है लेकिन है बदमाश ! इसने सब बता दिया है। अपने लोड़े को अच्छी तरह साफ़ करके अंदर डालना।ये दाने साफ़ नहीं रहने के कारण होते हैं।
सुमन की तरफ देखती हुई नर्स बोली- तू भी अपनी बुर साफ़ रखा कर ! झांटे देख कितनी बड़ी बड़ी हो रहीं हैं। सन्डे की सन्डे झांटे साफ़ करने की क्रीम लगा कर डेटोल से बुर साफ़ करा कर।
आँख दबाती हुई नर्स बोली- तू भी कम नहीं लग रही है, डलवाती होगी तभी तो आगे पीछे दोनों तरफ से ये तेरी रोज़ मारता है। अब 7- 8 दिन बुर में लोड़ा मत घुसवाना और ज्यादा मन करे तो मुँह मैं ले लियो और इतने पे भी चैन न पड़े तो गांड में डलवा लेना लेकिन साफ़ सफाई से और गांड में जब भी डलवाए तो कंडोम लगा के डलवाना। चलो अब तुम लोग जाओ और अगर एक हफ्ते में दाने सही नहीं हुए तो दुबारा आना।
बाइक पर अब सुमन मुझसे चिपक कर बैठी हुई थी, दोनों चूचियाँ मेरी पीठ से दब रही थीं, बड़ा अच्छा लग रहा था।
सुमन बोली- 10 मिनट कहीं बैठ सकते हैं?
मैंने कहा- ठीक है।
और हम एक काफी हाउस में घुस गए, कोने में एक सीट पर बैठ गए।
सुमन ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- आज जो हुआ किसी को मत बताना, मुझे तो बहुत शर्म आ रही है।
सुमन बोली- डॉक्टर साहिबा ने नंगी कराने के बाद जब मेरी बड़ी बड़ी झांटें देखीं तो बहुत डाँटा था। उन्होंने मुझसे पूछा कि मेरे पति कैसे सेक्स करते हैं तो मुझे सच सच बताना पड़ा। अनुज रोज़ रात को अपना नंगा लंड मेरी बुर और गांड दोनों में डाल देते हैं, कई बार तो गांड से निकला लंड वैसे का वैसा ही बुर में डाल देते हैं। डॉक्टर यह सुन कर गुस्सा हो गई और उन्होंने तुम्हें बुला लिया।
मैं बोल उठा- आपकी चूचियाँ बहुत सुंदर हैं।
सुमन शरमा कर बोली- आपकी उंगली ने तो मेरी जान निकाल ली।
सुमन और मैं मुस्करा पड़े।
सुमन बोली- दवा आप अपने पास रख लें। इन्होंने देख ली तो मेरी जान ले लेंगे। सुमन ने मेरा हाथ उठाकर अपनी जाँघों पर रख लिया, धीरे धीरे उसकी जांघें सहलाते हुए मैं उससे बातें करने लगा। काफी आ गई, पीते-पीते मुझे पता चला कि सुमन पैसों की कमी के कारण क्रीम और कॉस्मेटिक नहीं खरीद पाती है। मेरा हाथ अब उसकी जाँघों के बीच चल रहा था, उसको मज़ा आ रहा था।काफी पीने के बाद मैंने उसे 2000 रुपए के कॉस्मेटिक दिलवाई। इसके बाद वो बाइक पर मुझसे चिपक कर बैठ गई और हाथ उसने मेरे तने हुए लंड के ऊपर रख दिया। पूरे रास्ते वो मेरा लंड सहलाती हुई आई। मैं भी बाइक 20 की स्पीड से चला रहा था। उसके बाद हम घर आ गए।
चार बज़ रहे थे, हम दोनों ऊपर आ गए और अपने अपने कमरे में चले गए।
रात को सुमन ने खाना 10 बजे तैयार किया ऊपर आज रात मैं और सुमन अकेले थे, सुमन और मैंने एक साथ खाना खाया, उसके बाद सुमन बोली- मैं 11 बजे आपके लिए दूध लेकर आती हूँ।
11 बजे सुमन पारदर्शी मैक्सी में दूध लेकर आई। उसकी लाल पैंटी और दूधिया चूचियाँ साफ़ दिख रही थीं। मुझे देख कर वह मुस्करा रही थी।
मैंने दूध पीते हुए पूछा- क्रीम लगवानी है?
सुमन बोली- लगा दीजिएगा।
उसकी आँखों में एक कामुक चमक थी।
दूध का गिलास रखने के बाद मैंने उसे अपनी गोद में खींच लिया और अपने से चिपका लिया। उसके होंठ अब मेरे होंटों से चिपक गए थे। हम दोनों एक दूसरे को चूस रहे थे।
इसके बाद मैंने सुमन को बिस्तर पर गिरा दिया। उसकी मैक्सी खुल गई थी, नीचे सिर्फ एक लाल पैंटी थी, गुलाबी स्तन चमक उठे थे, जिन स्तनों को देखकर मैं 10 दिन से मुठ मार रहा था, आज वो मेरे हाथों में थे, उन्हें दबाते हुए बोला- सच, गज़ब के सेक्सी हैं तुम्हारे ये स्तन।
सुमन ने मेरे मुँह में अपनी निप्पल लगा दी और बोली- आप इसे चूसो ना ! आज सुबह से मेरा बहुत मन कर रहा है कि आप मेरे इनसे खेलें।
मैंने उसके दूधिया स्तनों को दबाते हुए चूसना शुरू कर दिया। सुमन की उह आह उह कमरे में गूँज रही थी। उसकी निप्पल्स तन गई थीं, मसलाई अच्छी हो रही थी।
थोड़ी देर बाद मेरे हाथों से उसकी पैंटी भी नीचे उतर गई, बुर बिल्कुल चिकनी हो रही थी, शाम को ही साफ़ करी लग रही थी। मैंने उसकी बुर के होंटों पर अपनी उंगलियाँ फ़िराईं।
सुमन पागल हो रही थी- बोली चोदो राकेश ! चोदो बहुत मन कर रहा है।
मैंने उठकर अपने सारे कपड़े उतार दिए और अपनी जाँघों पर उसे बैठाते हुए उसकी जांघें और बुर सहलाने लगा।
मैंने कहा- एक हफ्ते तक तो बुर का दरवाज़ा बंद है।
सुमन मेरे 7 इंची तने हुए लंड को दबाते हुए बोली- आज चोद दो, एक दिन से कुछ नहीं होता है। सच तुम्हें मैं अपने अंदर लेना चाहती हूँ, मेरी बुर चोदो।
उसकी बुर से काफी पानी बह रहा था, मेरा लंड भी चोदने को पागल हो रहा था।
सुमन को मैंने लेटा दिया, उसने अपनी जांघें चौड़ी कर दी थीं, अपनी बुर में उंगली करते हुए बोली- राकेश, अंदर घुसाओ न !
अब हमारे बीच की दूरी ख़त्म होने वाली थी, मैंने देर किए बिना अपना लोड़ा उसकी बुर की फलकों पर लगा दिया और घुसाने लगा। थोड़ी देर में लंड पूरा अंदर था। उसने टांगें मेरी पीठ पर लगा दी थीं, हम दोनों की साँसें तेज चल रही थीं। मैंने पेलना शुरू कर दिया था सुमन अब चुदने लगी थी, आह ! उह आह ! और करो ! आअहा की आवाज़ों से कमरा गूँज रहा था। कुछ धक्कों के बाद सुमन का गर्भ माल से नहा गया था। वो मुझसे चिपक गई, हम दोनों बातें करने लगे। दो बजे के करीब हम सो गए।
सुबह चार बजे उसने मुझे उठा दिया, मुझसे चिपक गई और अपने हाथ से वो मेरा लंड सहलाने लगी। थोड़ी देर में लंड चोदने के लिए तैयार था।
अबकी बार आराम से मैंने उसे कोहनी के बल घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी बुर में लंड घुसा दिया और आराम आराम से उसको चोदने लगा।
चुदते चुदते सुमन बोली- सच राकेश, बहुत मज़ा आ रहा है तुमसे चुदने में ! थोड़ी तेज चोदो, आह आह मज़ा आ गया।
कुछ देर में सुमन झड़ गई लेकिन मेरा लंड पूरा खड़ा था, मैंने उससे कहा- लो मुँह से करो !
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