FUN-MAZA-MASTI
चोदम-चोद खेलेंगे
दोस्तों मैं फन मजा मस्ती की नियमित पाठक हूँ, मेरा नाम अनुज्ञा है |
चुदाई मेरी आदत में सुमार है जब तक मैं दिन में एक बार चुद नहीं लेती मुझे चैन नहीं आता|
मैं और मेरी सहेली अविका अक्सर शाम को अपने बॉय फ्रेंड्स के साथ मौज मस्ती करने उनके घर पर जाया करते थे लेकिन किसी कारणवश मेरा मेरे बॉय फ्रेंड के साथ मनमुटाव हो गया और हम अलग हो गये।
मेरा फिगर है 32-28-34. मैं 21 वर्ष की एक सुन्दर लड़की हूँ. रंग साफ है और 5 फुट 4 इंच का क़द।
मैं दिल्ली में कॉलेज में पढ़ती हूँ, हमारे कॉलेज की बहुत लड़कियाँ नाइट आउट के लिये लड़कों के साथ जाया करती थीं और बहुत बार अनजाने लड़कों के साथ भी निकल लेती थीं।
ऐसी ही घटना का वर्णन करने जा रही हूँ।
मुझे और अविका को पता चला कि रात को लाजपत नगर पुल के नीचे बहुत सी कॉल गर्ल्स ग्राहकों की तलाश में खड़ी रहती हैं और उनमें कुछ तो काफी ऊँचा दाम भी लेती हैं।
मैंने अविका से कहा कि चलो यह भी ट्राई करते हैं।
उसने साफ मना कर दिया लेकिन मेरे ऊपर तो इसे ट्राई करने का भूत सवार था तो मैंने जैसे तैसे अविका तो अपने साथ चलने के लिये मना ही लिया।
रात के 12 बजे मैं अविका के साथ अपनी कार में लाजपत नगर पुल के नीचे पहुँचे तो देखते हैं कि काफी औरतें और कुछ कॉलेज की लड़कियाँ वहाँ मौजूद थीं।
कार से निकल के मैंने सीसा खोलकर लिपस्टिक लगाने लगी ताकि अमिन और सेक्सी दिखू|
मेरी तो गाण्ड फटी हुई थी कि न जाने अब क्या होगा, कहीं कुछ गड़बड़ तो नहीं हो जायगी।
हालांकि मैंने कई बार चुदाई की थी लेकिन सिर्फ अपने बॉय फ्रेंड के साथ ही!
आज यह पहले मौका होगा जब मैं किसी और से चुदूँगी।
मैं लिपस्टिक लगा ही रही थी की एक इनोवा कार मेरे पास आकर रुकी।
अंदर बैठे लड़के ने गाड़ी का शीशा नीचे किया और पूछा- चलेगी? …आजा गाड़ी में!
मैं बोली- कितना देगा? 5000 लगेंगे |वो भी अभी…पैसा देगा तो ही बैठूँगी गाड़ी में!
वो बोला- ठीक है।
और उसने 4000 दे दिये और कहा बाक़ी के 1000 सुबह देगा।
वो पैसे मैंने अविका को दे दिये और कार का नंबर भी लिखवा दिया।
अविका मेरी कार लेकर वापिस घर को चल दी और मैं गाड़ी में चढ़ गई।
मैं गाड़ी में बैठ तो गई लेकिन डर से मेरी टांगें कांप रही थीं।
पहली दफा मैं किसी अनजान लड़के के साथ नाइट आउट पर जा रही थी और वो भी पैसे लेकर।
धीरे धीरे हमने बातें करना शुरू कर दिया।
उसने अपना नाम अभय बताया।
मैंने भी उसे बताया कि यह मेरा पहला अनुभव होगा।
उसने पूछा कि मुझे पता कैसे चला इस जगह के बारे में जहाँ लड़कियां खड़ी होती हैं।
मैंने बताया के मेरे कॉलेज कि कई लड़कियाँ यहाँ आती हैं, उनसे ही मालूम हुआ।
फिर हम दोनों ने सिगरेट जला लीं।
उसका एक हाथ स्टेयरिंग पर था और दूसरा हाथ उसने मेरी जाँघों पर फिराना चालू कर दिया।
धीरे धीरे उसका हाथ जांघ से होता हुआ पीठ पर आ गया और फिर पेट पर। मैं भी आँखें मूंदे चुपचाप इस सबका मज़ा ले रही थी।
कुछ ही देर में गाड़ी की ब्रेक लगी और अभय बोला- घर आ गया।
उसके घर में घुस कर मुझे डर लग रहा था, फिर भी मैं हिम्मत करके चली ही गई।
फ्लैट में जाकर मैंने उससे टॉइलेट के बारे में पूछा तो वो मेरा हाथ पकड़ के मुझे टॉइलेट तक छोड़ आया।
जब मैं बाहर निकली तो देखा कि अभय ने वोड्का के दो पेग बनाकर तय्यार रखे हैं।
थोड़ी वोड्का पीने के बाद अभय ने अपनी टी शर्ट उतार दी और मेरी बगल में आकर बैठ गया।
पहले उसने मेरे कंधे को चूमा, फिर मेरे गालों को, फिर गले को और फिर मेरी पीठ पर से बाल हटा कर पीठ को खूब चूमा।
उसने मेरी टी शर्ट के भीतर हाथ डाल के ब्रा खोल दी और मेरे पीछे बैठ कर मुझे अपनी टांगों के बीच में ले लिया।
मैं आराम से आँखें बंद किये इसका मज़ा ले रही थी कि अचानक से अभय ने मेरे दोनों हाथों को ऊपर किया और कहा कि इनको ऐसे ही खड़ा रखना।
तब उसने एकदम से मेरी टी शर्ट को उतार के फेंक दिया और फिर मेरी ब्रा को पहले से ही खुली हुई थी, उसे भी झटके से उतार कर एक तरफ को फेंक दिया।
उसने मुझे उठा कर खड़ा किया, फिर हम दोनों आमने सामने थे और एक दूसरे को किस कर रहे थे।
वो मेरे नीचे वाले होंठ चूस रहा था और मैं उसके ऊपर वाले होंठ को।
उसके हाथ मेरी चूचियों को दबा रहे थे, उनके साथ खेल रहे थे।
तब उसने एक झटके से मुझे बेड पर गिरा दिया और वोड्का मेरी चूचुक पर गिरा कर लगा चाटने।
मुझे तो इतना मज़ा आ रहा था जिसका मैं वर्णन नहीं कर सकती।
कुछ देर बाद उसने मेरी नाभि में वोदका भर दी और लगा चूसने चाटने।
फिर उसने मुझे बैठ जाने को कहा तो मैं झट से उठ के बैठ गई।
तभी उसने अपना अकड़ा हुआ लौडा, जो अभी तक उसके लोअर के अन्दर ही था, मेरे सामने कर दिया और मैं लंड को ऊपर से ही पकड़ कर हिलाने सहलाने लगी।
मैंने उसकी लोअर और जॉकी दोनों खींच कर उतार दीं जिस से वो मेरे सामने एकदम नंगा खड़ा हुआ था हालान्कि मैं अभी भी जीन्स पहने हुए थी।
उसने अपना लंड मेरे होंठों से लगा दिया और पहले तो मैंने मना किया लेकिन फिर फटाक से उसे मुंह में ले लिया।
अभी मैंने लंड को चूसना शुरू ही किया था कि अभय ने एक झटके से अपना पूरा का पूरा 7 इंच का लौड़ा मेरे मुंह में घुसेड़ दिया।
मेरी तो सांस ही अटक गई।
लेकिन फिर मैंने लंड को धीरे धीरे चूसना शुरू कर दिया।
अभय के हाथ मेरी चूचियों को दबा रहे थे, उसे जैसे मेरी चूचुक से प्यार हो गया था।
मुझे भी उसका सात इंच का मोटा सा लंड चूसने में बड़ा मज़ा आ रहा था।
मैं कभी लंड के चौचक पर जीभ घुमाती तो कभी लंड को मुंह से बाहर निकाल के उसे नीचे से ऊपर तक चाट लेती।
लंड जब मेरे मुंह में घुसा हुआ तुनक तुनक करता तो मज़े से पूरे शरीर में सुरसुरी सी दौड़ जाती।
थोड़ी थोड़ी देर के बाद एक चिकनी से बूंद लंड के छेद पर उभर आती जिसे मैं बड़े स्वाद से चाट लेती।
इधर अभय ज़ोर ज़ोर से मेरी चूचियाँ निचोड़े जा रहा था, सच में उसे उन से प्यार ही हो गया था, कभी वो बड़ी नर्मी से मेरे अकड़ाए मम्मे दबाता तो कभी यकायक से पूरे ज़ोर से मसल देता।
मुझे थोड़ा सा दर्द तो होता लेकिन वो दर्द बहुत मज़ा बढ़ाने वाला था जिस से मेरी चूत की आग और भी अधिक भड़क उठती।
फिर वो उठा और फ़्रिज से थोड़ा सा मक्खन निकाल कर गर्म किया।
उसने मेरे चूचों पर बटर लगाया और अपने लंड पर भी लगाया।
फिर उसने मुझे बेड पर लिटा कर मेरे हाथ ऊपर को सिर के पीछे कर दिये और मेरी बगलों में भी मक्खन लगाया।
फिर वो मुड़ा और मेरी टांगों की तरफ मुंह करके उसने अपना लंड मेरे मुंह में दे दिया और खुद मेरी जीन्स के ऊपर से ही मेरी चूत को खाने की कोशिश करने लगा।
तभी उसका लौड़ा झड़ गया और उसका लावा मेरे मुँह में भल्ल भल्ल करता हुआ छूटा।
वो दो मिनट तक मेरे ऊपर ही लेटा रहा।
मैं अभी भी उसका झडा हुआ लंड चूसे जा रही थी।
फिर उसने मेरी जींस के बटन खोल दिये और ऊपर आकर मेरी चूचियों पर लगा हुआ मक्खन चाट के साफ किया, फिर मेरी बगलों में लगा हुआ बटर भी चाटा।
फिर उसने मेरी जींस उतार के फेंक दी और मेरी पैंटी को छू कर देखा।
वो बिल्कुल गीली हो रही थी।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
उसने पैंटी उतार दी और अपनी जीभ मेरी चूत पर घुमायी तो मस्त होकर मैंने भी अपनी टांगे फैला लीं।
थोड़ी देर चूत चूस के उसने अपनी उंगली चूत में घुसाई और अंदर बाहर करने लगा।
20-25 बार जब उसकी उंगली अंदर बाहर हो गई तो मैं झड़ने लगी।
अभय मुझे झड़ते हुए देखता रहा और फिर उसने चाट के चूत को साफ किया।
वो बोला- थोड़ा सा रेस्ट कर लो।
मैं बोली- ठीक है।
और मैंने एक सिग्रेट सुलगा ली। एक सिग्रेट उसे भी ऑफर की तो उसने भी सिग्रेट जला ली।
मैं अभी सिग्रेट पी ही रही थी कि अभय ने मेरी कमर को पकड़ लिया और बोला- आज तो जी भर के चोदूँगा तुझे!
मैं बोली- इसीलिये तो आई हूँ। पहले सिग्रेट तो पी लें फिर चोदम-चोद खेलेंगे।
पर वो कहाँ सुनने वाला था, उसने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया, खुद मेरे ऊपर चढ़ कर लंड को चूत पर रगड़ने लगा।
फिर उसने एक ज़ोर से धक्का मारा तो लंड आधा मेरी चूत में चला गया।
मुझे दर्द भी हो रहा था क्योंकि काफी दिन से इस चूत का दरवाज़ा किसी लंड के लिये नहीं खुला था।
जब दर्द थोड़ा कम हुआ तो अभय ने एक धक्का और मारा तो लंड पूरा का पूरा चूत में घुस कर फिट हो गया।
अब वो बार बार लंड को अंदर बाहर करने लगा।
कुछ ही देर में मुझे भी मज़ा आने लगा और मैंने भी नीचे से धक्के मारने चालू कर दिये जबकि अभय ऊपर से धक्के पर धक्का लगा रहा था।
क़रीब 10 मिनट तक ऐसे ही मस्त चुदाई चलती रही, फिर मैं झड़ गई।
अभय लगातार धक्के पेले जा रहा था और 20-25 धक्के ठोकने के बाद उसने लंड को चूत से बाहर निकल लिया, फिर मेरे पेट पर लंड रख के वो ज़ोर से झड़ा।
सारा का सारा गर्म लावा उसने मेरे पेट पर गिरा दिया।
वो मुझे चूमने लगा और मेरे चूचे दबाने लगा।
मैं काफी थक चुकी थी इसलिये मैंने कहा- मैं ज़रा बाथरूम में सफाई करके फ्रेश होकर आती हूँ।
इतना कह के मैं बाथरूम में घुस गई और अपना पेट और चूत साफ करने लगी।
इतने में अभय पीछे से आ गया और मुझे पकड़ लिया।
उसका लंड मेरे चूतड़ों के बीच में फंस गया और वो तभी उसने शावर चालू कर दिया।
हम दो तीन मिनट तक यूँही भीगते रहे और उसके हाथ मेरी बुर को सहलाते रहे।
कुछ देर मे वो खुद मेरे सामने कि तरफ आ गया और मेरे होंठ चूसते हुए उसने उंगली चूत में घुसा दी।
मैंने भी उसका लंड पकड़ लिया और लगी दबाने।
लंड अभी तक बैठा हुआ था लेकिन ज्यों ही मैंने उसे पकड़ा वो फौरन खड़ा हो गया।
हम इसी तरह लगे रहे और थोड़ी देर में एक दूसरे को चूमते चूमते बेडरूम में आ गये।
अब मुझे ठंड लगने लगी थी क्योंकि हम पूरी तरह भीग चुके थे।
अभय उठा और पंखा बंद करके ऐसी को गर्म पर सेट कर दिया, फिर वो बोला- वोड्का पी ले तो ठंड नहीं लगेगी।
उसने दो तगड़े पेग बनाये जिसे मैं एक ही सांस में पी गई।
5 मिनट के बाद मैंने उसे बेड पर लिटा दिया और खुद उस के ऊपर बैठ कर लगी चूमने, जबकि वो मेरी चूचियाँ निचोड़ने लगा।
रात के 3 बज रहे थे, अब मुझे भी गर्मी चढ़ चुकी थी, मैंने अपनी चूत उसके लंड पर रखी और दबाना शुरू किया तो लंड मेरी पानी पानी हो रही चूत में सेट होता चला गया।
मैंने उछल उछल उसे चोदने के मज़े लेने शुरू किये लेकिन मैं शीघ्र ही थक गई।
फिर अभय उठ के बैठ गया और मुझे अपने लंड पर फिट किये किये मेरे होंठ चूसते हुए झटके लगाने लगा।
मैं भी जवाबी झटके लगातार लगाने लगी।
अभय ने अब तेज़ तेज़ धक्के मारने शुरू कर दिये थे।
मेरी चूत भी खूब जूस छोड़ने लगी थी।
हर धक्के में चूत मज़े से व्याकुल होकर और जूस झाड़ती।
मैंने भी अभय की स्पीड से स्पीड मिलते हुए धक्के देने चालू कर दिये और कुछ ही धक्के मार के मैं झड़ गई, लेकिन अभय अभी भी लगातार झटके लगाये जा रहा था।
फिर उसने एक उंगली मेरी गाण्ड में घुसा दी और बराबर धक्के चूत में मारे गया।
थोड़ी देर चोदने के बाद वो बोला कि मेरा बस निकलने ही वाला है।
मैंने कहा- चूत में ना छोड़ना, लंड को मेरी चूचियों पर झाड़ दो।
उसने 5-6 धक्के और लगाये और जैसे ही झाड़ने को हुआ तो लौड़ा चूत से बाहर निकाला और मेरे चूचों के ऊपर सारा माल निकाल दिया।
फिर उसने लंड मेरे मुंह से लगा दिया और मैंने लंड को चूस के चाट के साफ कर दिया।
अभय उठा और फ्रिज से बचा हुआ मक्खन निकाल के ब्रेड पर लगाकर ब्रेड बटर मुझे खिलाया।
तब तक सुबह के 4 बज चुके थे। इतना चुद जाने के बाद मेरे में ज़रा भी जान नहीं बची थी।
अभय ने मुझे बचे हुए 1000 रुपये दिये जो मैंने अपने पर्स में रख लिये।
फिर वो मुझे किस करने लगा और मैं उसी के ऊपर लेट कर सो गई।
सुबह के 10 बजे आँख खुली तो वो मेरे मम्मे दबा रहा था और मेरी टांगें चौड़ी कर के मेरी चूत चाट रहा था।
वो मुझे गरम करने की कोशिश कर रहा था लेकिन मुझ में इतनी जान नहीं बची थी कि चुदाई का एक और राउण्ड झेल सकूं।
अभय ने मुहे रीवाईटल दिया और फिर हम उसकी इन्नोवा में घर की तरफ चल पड़े।
रास्ते में उसने मुझे लंच ऑफर किया।
मैंने भी हाँ कर दी।
लंच करके उसने मुझे मेट्रो स्टेशन पर ड्रॉप कर दिया और मैं अपने घर वापिस आ गई।
तो दोस्तों कैसी लगी मेरी कहानी |
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चोदम-चोद खेलेंगे
दोस्तों मैं फन मजा मस्ती की नियमित पाठक हूँ, मेरा नाम अनुज्ञा है |
चुदाई मेरी आदत में सुमार है जब तक मैं दिन में एक बार चुद नहीं लेती मुझे चैन नहीं आता|
मैं और मेरी सहेली अविका अक्सर शाम को अपने बॉय फ्रेंड्स के साथ मौज मस्ती करने उनके घर पर जाया करते थे लेकिन किसी कारणवश मेरा मेरे बॉय फ्रेंड के साथ मनमुटाव हो गया और हम अलग हो गये।
मेरा फिगर है 32-28-34. मैं 21 वर्ष की एक सुन्दर लड़की हूँ. रंग साफ है और 5 फुट 4 इंच का क़द।
मैं दिल्ली में कॉलेज में पढ़ती हूँ, हमारे कॉलेज की बहुत लड़कियाँ नाइट आउट के लिये लड़कों के साथ जाया करती थीं और बहुत बार अनजाने लड़कों के साथ भी निकल लेती थीं।
ऐसी ही घटना का वर्णन करने जा रही हूँ।
मुझे और अविका को पता चला कि रात को लाजपत नगर पुल के नीचे बहुत सी कॉल गर्ल्स ग्राहकों की तलाश में खड़ी रहती हैं और उनमें कुछ तो काफी ऊँचा दाम भी लेती हैं।
मैंने अविका से कहा कि चलो यह भी ट्राई करते हैं।
उसने साफ मना कर दिया लेकिन मेरे ऊपर तो इसे ट्राई करने का भूत सवार था तो मैंने जैसे तैसे अविका तो अपने साथ चलने के लिये मना ही लिया।
रात के 12 बजे मैं अविका के साथ अपनी कार में लाजपत नगर पुल के नीचे पहुँचे तो देखते हैं कि काफी औरतें और कुछ कॉलेज की लड़कियाँ वहाँ मौजूद थीं।
कार से निकल के मैंने सीसा खोलकर लिपस्टिक लगाने लगी ताकि अमिन और सेक्सी दिखू|
मेरी तो गाण्ड फटी हुई थी कि न जाने अब क्या होगा, कहीं कुछ गड़बड़ तो नहीं हो जायगी।
हालांकि मैंने कई बार चुदाई की थी लेकिन सिर्फ अपने बॉय फ्रेंड के साथ ही!
आज यह पहले मौका होगा जब मैं किसी और से चुदूँगी।
मैं लिपस्टिक लगा ही रही थी की एक इनोवा कार मेरे पास आकर रुकी।
अंदर बैठे लड़के ने गाड़ी का शीशा नीचे किया और पूछा- चलेगी? …आजा गाड़ी में!
मैं बोली- कितना देगा? 5000 लगेंगे |वो भी अभी…पैसा देगा तो ही बैठूँगी गाड़ी में!
वो बोला- ठीक है।
और उसने 4000 दे दिये और कहा बाक़ी के 1000 सुबह देगा।
वो पैसे मैंने अविका को दे दिये और कार का नंबर भी लिखवा दिया।
अविका मेरी कार लेकर वापिस घर को चल दी और मैं गाड़ी में चढ़ गई।
मैं गाड़ी में बैठ तो गई लेकिन डर से मेरी टांगें कांप रही थीं।
पहली दफा मैं किसी अनजान लड़के के साथ नाइट आउट पर जा रही थी और वो भी पैसे लेकर।
धीरे धीरे हमने बातें करना शुरू कर दिया।
उसने अपना नाम अभय बताया।
मैंने भी उसे बताया कि यह मेरा पहला अनुभव होगा।
उसने पूछा कि मुझे पता कैसे चला इस जगह के बारे में जहाँ लड़कियां खड़ी होती हैं।
मैंने बताया के मेरे कॉलेज कि कई लड़कियाँ यहाँ आती हैं, उनसे ही मालूम हुआ।
फिर हम दोनों ने सिगरेट जला लीं।
उसका एक हाथ स्टेयरिंग पर था और दूसरा हाथ उसने मेरी जाँघों पर फिराना चालू कर दिया।
धीरे धीरे उसका हाथ जांघ से होता हुआ पीठ पर आ गया और फिर पेट पर। मैं भी आँखें मूंदे चुपचाप इस सबका मज़ा ले रही थी।
कुछ ही देर में गाड़ी की ब्रेक लगी और अभय बोला- घर आ गया।
उसके घर में घुस कर मुझे डर लग रहा था, फिर भी मैं हिम्मत करके चली ही गई।
फ्लैट में जाकर मैंने उससे टॉइलेट के बारे में पूछा तो वो मेरा हाथ पकड़ के मुझे टॉइलेट तक छोड़ आया।
जब मैं बाहर निकली तो देखा कि अभय ने वोड्का के दो पेग बनाकर तय्यार रखे हैं।
थोड़ी वोड्का पीने के बाद अभय ने अपनी टी शर्ट उतार दी और मेरी बगल में आकर बैठ गया।
पहले उसने मेरे कंधे को चूमा, फिर मेरे गालों को, फिर गले को और फिर मेरी पीठ पर से बाल हटा कर पीठ को खूब चूमा।
उसने मेरी टी शर्ट के भीतर हाथ डाल के ब्रा खोल दी और मेरे पीछे बैठ कर मुझे अपनी टांगों के बीच में ले लिया।
मैं आराम से आँखें बंद किये इसका मज़ा ले रही थी कि अचानक से अभय ने मेरे दोनों हाथों को ऊपर किया और कहा कि इनको ऐसे ही खड़ा रखना।
तब उसने एकदम से मेरी टी शर्ट को उतार के फेंक दिया और फिर मेरी ब्रा को पहले से ही खुली हुई थी, उसे भी झटके से उतार कर एक तरफ को फेंक दिया।
उसने मुझे उठा कर खड़ा किया, फिर हम दोनों आमने सामने थे और एक दूसरे को किस कर रहे थे।
वो मेरे नीचे वाले होंठ चूस रहा था और मैं उसके ऊपर वाले होंठ को।
उसके हाथ मेरी चूचियों को दबा रहे थे, उनके साथ खेल रहे थे।
तब उसने एक झटके से मुझे बेड पर गिरा दिया और वोड्का मेरी चूचुक पर गिरा कर लगा चाटने।
मुझे तो इतना मज़ा आ रहा था जिसका मैं वर्णन नहीं कर सकती।
कुछ देर बाद उसने मेरी नाभि में वोदका भर दी और लगा चूसने चाटने।
फिर उसने मुझे बैठ जाने को कहा तो मैं झट से उठ के बैठ गई।
तभी उसने अपना अकड़ा हुआ लौडा, जो अभी तक उसके लोअर के अन्दर ही था, मेरे सामने कर दिया और मैं लंड को ऊपर से ही पकड़ कर हिलाने सहलाने लगी।
मैंने उसकी लोअर और जॉकी दोनों खींच कर उतार दीं जिस से वो मेरे सामने एकदम नंगा खड़ा हुआ था हालान्कि मैं अभी भी जीन्स पहने हुए थी।
उसने अपना लंड मेरे होंठों से लगा दिया और पहले तो मैंने मना किया लेकिन फिर फटाक से उसे मुंह में ले लिया।
अभी मैंने लंड को चूसना शुरू ही किया था कि अभय ने एक झटके से अपना पूरा का पूरा 7 इंच का लौड़ा मेरे मुंह में घुसेड़ दिया।
मेरी तो सांस ही अटक गई।
लेकिन फिर मैंने लंड को धीरे धीरे चूसना शुरू कर दिया।
अभय के हाथ मेरी चूचियों को दबा रहे थे, उसे जैसे मेरी चूचुक से प्यार हो गया था।
मुझे भी उसका सात इंच का मोटा सा लंड चूसने में बड़ा मज़ा आ रहा था।
मैं कभी लंड के चौचक पर जीभ घुमाती तो कभी लंड को मुंह से बाहर निकाल के उसे नीचे से ऊपर तक चाट लेती।
लंड जब मेरे मुंह में घुसा हुआ तुनक तुनक करता तो मज़े से पूरे शरीर में सुरसुरी सी दौड़ जाती।
थोड़ी थोड़ी देर के बाद एक चिकनी से बूंद लंड के छेद पर उभर आती जिसे मैं बड़े स्वाद से चाट लेती।
इधर अभय ज़ोर ज़ोर से मेरी चूचियाँ निचोड़े जा रहा था, सच में उसे उन से प्यार ही हो गया था, कभी वो बड़ी नर्मी से मेरे अकड़ाए मम्मे दबाता तो कभी यकायक से पूरे ज़ोर से मसल देता।
मुझे थोड़ा सा दर्द तो होता लेकिन वो दर्द बहुत मज़ा बढ़ाने वाला था जिस से मेरी चूत की आग और भी अधिक भड़क उठती।
फिर वो उठा और फ़्रिज से थोड़ा सा मक्खन निकाल कर गर्म किया।
उसने मेरे चूचों पर बटर लगाया और अपने लंड पर भी लगाया।
फिर उसने मुझे बेड पर लिटा कर मेरे हाथ ऊपर को सिर के पीछे कर दिये और मेरी बगलों में भी मक्खन लगाया।
फिर वो मुड़ा और मेरी टांगों की तरफ मुंह करके उसने अपना लंड मेरे मुंह में दे दिया और खुद मेरी जीन्स के ऊपर से ही मेरी चूत को खाने की कोशिश करने लगा।
तभी उसका लौड़ा झड़ गया और उसका लावा मेरे मुँह में भल्ल भल्ल करता हुआ छूटा।
वो दो मिनट तक मेरे ऊपर ही लेटा रहा।
मैं अभी भी उसका झडा हुआ लंड चूसे जा रही थी।
फिर उसने मेरी जींस के बटन खोल दिये और ऊपर आकर मेरी चूचियों पर लगा हुआ मक्खन चाट के साफ किया, फिर मेरी बगलों में लगा हुआ बटर भी चाटा।
फिर उसने मेरी जींस उतार के फेंक दी और मेरी पैंटी को छू कर देखा।
वो बिल्कुल गीली हो रही थी।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
उसने पैंटी उतार दी और अपनी जीभ मेरी चूत पर घुमायी तो मस्त होकर मैंने भी अपनी टांगे फैला लीं।
थोड़ी देर चूत चूस के उसने अपनी उंगली चूत में घुसाई और अंदर बाहर करने लगा।
20-25 बार जब उसकी उंगली अंदर बाहर हो गई तो मैं झड़ने लगी।
अभय मुझे झड़ते हुए देखता रहा और फिर उसने चाट के चूत को साफ किया।
वो बोला- थोड़ा सा रेस्ट कर लो।
मैं बोली- ठीक है।
और मैंने एक सिग्रेट सुलगा ली। एक सिग्रेट उसे भी ऑफर की तो उसने भी सिग्रेट जला ली।
मैं अभी सिग्रेट पी ही रही थी कि अभय ने मेरी कमर को पकड़ लिया और बोला- आज तो जी भर के चोदूँगा तुझे!
मैं बोली- इसीलिये तो आई हूँ। पहले सिग्रेट तो पी लें फिर चोदम-चोद खेलेंगे।
पर वो कहाँ सुनने वाला था, उसने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया, खुद मेरे ऊपर चढ़ कर लंड को चूत पर रगड़ने लगा।
फिर उसने एक ज़ोर से धक्का मारा तो लंड आधा मेरी चूत में चला गया।
मुझे दर्द भी हो रहा था क्योंकि काफी दिन से इस चूत का दरवाज़ा किसी लंड के लिये नहीं खुला था।
जब दर्द थोड़ा कम हुआ तो अभय ने एक धक्का और मारा तो लंड पूरा का पूरा चूत में घुस कर फिट हो गया।
अब वो बार बार लंड को अंदर बाहर करने लगा।
कुछ ही देर में मुझे भी मज़ा आने लगा और मैंने भी नीचे से धक्के मारने चालू कर दिये जबकि अभय ऊपर से धक्के पर धक्का लगा रहा था।
क़रीब 10 मिनट तक ऐसे ही मस्त चुदाई चलती रही, फिर मैं झड़ गई।
अभय लगातार धक्के पेले जा रहा था और 20-25 धक्के ठोकने के बाद उसने लंड को चूत से बाहर निकल लिया, फिर मेरे पेट पर लंड रख के वो ज़ोर से झड़ा।
सारा का सारा गर्म लावा उसने मेरे पेट पर गिरा दिया।
वो मुझे चूमने लगा और मेरे चूचे दबाने लगा।
मैं काफी थक चुकी थी इसलिये मैंने कहा- मैं ज़रा बाथरूम में सफाई करके फ्रेश होकर आती हूँ।
इतना कह के मैं बाथरूम में घुस गई और अपना पेट और चूत साफ करने लगी।
इतने में अभय पीछे से आ गया और मुझे पकड़ लिया।
उसका लंड मेरे चूतड़ों के बीच में फंस गया और वो तभी उसने शावर चालू कर दिया।
हम दो तीन मिनट तक यूँही भीगते रहे और उसके हाथ मेरी बुर को सहलाते रहे।
कुछ देर मे वो खुद मेरे सामने कि तरफ आ गया और मेरे होंठ चूसते हुए उसने उंगली चूत में घुसा दी।
मैंने भी उसका लंड पकड़ लिया और लगी दबाने।
लंड अभी तक बैठा हुआ था लेकिन ज्यों ही मैंने उसे पकड़ा वो फौरन खड़ा हो गया।
हम इसी तरह लगे रहे और थोड़ी देर में एक दूसरे को चूमते चूमते बेडरूम में आ गये।
अब मुझे ठंड लगने लगी थी क्योंकि हम पूरी तरह भीग चुके थे।
अभय उठा और पंखा बंद करके ऐसी को गर्म पर सेट कर दिया, फिर वो बोला- वोड्का पी ले तो ठंड नहीं लगेगी।
उसने दो तगड़े पेग बनाये जिसे मैं एक ही सांस में पी गई।
5 मिनट के बाद मैंने उसे बेड पर लिटा दिया और खुद उस के ऊपर बैठ कर लगी चूमने, जबकि वो मेरी चूचियाँ निचोड़ने लगा।
रात के 3 बज रहे थे, अब मुझे भी गर्मी चढ़ चुकी थी, मैंने अपनी चूत उसके लंड पर रखी और दबाना शुरू किया तो लंड मेरी पानी पानी हो रही चूत में सेट होता चला गया।
मैंने उछल उछल उसे चोदने के मज़े लेने शुरू किये लेकिन मैं शीघ्र ही थक गई।
फिर अभय उठ के बैठ गया और मुझे अपने लंड पर फिट किये किये मेरे होंठ चूसते हुए झटके लगाने लगा।
मैं भी जवाबी झटके लगातार लगाने लगी।
अभय ने अब तेज़ तेज़ धक्के मारने शुरू कर दिये थे।
मेरी चूत भी खूब जूस छोड़ने लगी थी।
हर धक्के में चूत मज़े से व्याकुल होकर और जूस झाड़ती।
मैंने भी अभय की स्पीड से स्पीड मिलते हुए धक्के देने चालू कर दिये और कुछ ही धक्के मार के मैं झड़ गई, लेकिन अभय अभी भी लगातार झटके लगाये जा रहा था।
फिर उसने एक उंगली मेरी गाण्ड में घुसा दी और बराबर धक्के चूत में मारे गया।
थोड़ी देर चोदने के बाद वो बोला कि मेरा बस निकलने ही वाला है।
मैंने कहा- चूत में ना छोड़ना, लंड को मेरी चूचियों पर झाड़ दो।
उसने 5-6 धक्के और लगाये और जैसे ही झाड़ने को हुआ तो लौड़ा चूत से बाहर निकाला और मेरे चूचों के ऊपर सारा माल निकाल दिया।
फिर उसने लंड मेरे मुंह से लगा दिया और मैंने लंड को चूस के चाट के साफ कर दिया।
अभय उठा और फ्रिज से बचा हुआ मक्खन निकाल के ब्रेड पर लगाकर ब्रेड बटर मुझे खिलाया।
तब तक सुबह के 4 बज चुके थे। इतना चुद जाने के बाद मेरे में ज़रा भी जान नहीं बची थी।
अभय ने मुझे बचे हुए 1000 रुपये दिये जो मैंने अपने पर्स में रख लिये।
फिर वो मुझे किस करने लगा और मैं उसी के ऊपर लेट कर सो गई।
सुबह के 10 बजे आँख खुली तो वो मेरे मम्मे दबा रहा था और मेरी टांगें चौड़ी कर के मेरी चूत चाट रहा था।
वो मुझे गरम करने की कोशिश कर रहा था लेकिन मुझ में इतनी जान नहीं बची थी कि चुदाई का एक और राउण्ड झेल सकूं।
अभय ने मुहे रीवाईटल दिया और फिर हम उसकी इन्नोवा में घर की तरफ चल पड़े।
रास्ते में उसने मुझे लंच ऑफर किया।
मैंने भी हाँ कर दी।
लंच करके उसने मुझे मेट्रो स्टेशन पर ड्रॉप कर दिया और मैं अपने घर वापिस आ गई।
तो दोस्तों कैसी लगी मेरी कहानी |
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