FUN-MAZA-MASTI
प्रेषक: संजय
दोस्तो ! मैं अपने अनुभव आप लोगों के साथ बाँट कर आपके मन और तन को खुश करता हूँ. इस सिलसिले में मुझे कई लोगों के मेल मिले जिसमे उन्होंने पूंछा की क्या मेरी सभी कहानियाँ सच्ची है. क्या मै सेक्स के मामले में सच में इतना शौकीन हूँ? ये सवाल ज्यादातर औरतों ने (शादीशुदा) मुझसे किया. मैंने उन्हें कहा हाँ. उसमे से कुछ ने कहा की वो भी ऐसा ही सेक्स का मजा लेना चाहती लेकिन उन्हें डर और शर्म ने जकड रखा है. मेरी कहानियाँ सच होती है लेकिन उसमे पात्र और स्थान बदले जाते है. ताकि किसी को कोई शक न हो.
और एक बात मैंने नोट की है की कुछ और लोग जिनके नाम संजय है मेरी कहानियो को अपने नाम से अपनी नेट की लड़कियों को या औरतों को भेज कर नाम कमाते है. ऐसा ही एक किस्सा मेरे सामने तब आया जब एक महिला जो मुझसे चाट कर रही थी उसने कहा की उसे किसी संजय नाम के नेट फ्रेंड ने एक अच्छी कहानी भेजी है और वो भी आपकी तरह बहुत सेक्सी है. मेरा अनुरोध मेरे सभी चाहने वालों से है की ऐसे धोखेबाज लोगों से सावधान रहे. ऐसे लोगो के चक्कर में कुछ औरतें पड़ कर किसी मुसीबत में फंस सकती है. क्योकि बेईमान और चोर हमेशा स्वाभाव से वैसे ही रहते है. अपना फायदा ले कर आपको मुसीबत में डाल देंगे. खैर ये आपके समझने की बात है.विशेषकर महिलाओं की. अब मै आपका ज्यादा वक्त बरबाद ना करते हुए मेरी एक बहुत ही ख़ास घटना को कहानी के रूप में पेश कर रहा हूँ. बात आज से करीब दस साल पहले की है. मेरी उमर तब २७ साल की थी. शादी हो चुकी थी. एक लड़का हो चुका था. वैसे तो मै १५ साल की उमर से ही चुदाई में पारंगत हो चुका था. इस बारे में मेरे कई अनुभव मैंने कहानी के रूप में आपके सामने रख चुका हूँ. मेरे तीन साले है. मेरी बड़ी सलहज की मैंने कैसे चुदाई की ये आप पढ़ चुके है. मेरा दूसरा साला भी मेरी बीवी से उमर में बड़ा है. बड़ा तो तीसरा भी है. लेकिन उसकी शादी मेरी शादी के बाद हुई. मेरे बड़े साले के दो बेटे थे फ़िर भी मैंने पूजा भाभी को फ़िर से माँ बना दिया था. मेरे दूसरे साले की बीवी 5 साल शादी के होने के बाद भी माँ नही बन पायी थी. मेरी पत्नी के साथ जो बात उसने अपने पति के साथ सेक्स सम्बन्ध की बात कही उससे मैंने अंदाजा लगाया था की शायद वो अभी तक कुंवारी ही है.
उस समय वो 25 साल की थी. बहुत सुंदर है, उसका फिगर 34-26-36, ऊंचाई 5’ 2", वो बहुत सेक्सी है. जब भी मैं उसके बारे मे सोचता तो उसको गोद में उठा कर जमकर चोदने का मन करता. (मेरी ऊँचाई 5'9" है) लेकिन मैं कुछ नही कर पाता. वो मेरी पत्नी से सारी बातें शेयर करती थी। वो मेरी पत्नी को सेक्सी फ़िल्में और सेक्सी किताबें दिया करती थी। मेरी पत्नी मुझसे मांग कर उसे ये सब देती थी. उसके बाद मैं इन्टरनैट पर सेक्सी कहानियाँ ढूंढने लगा, मुझे बहुत सी कहानियाँ मिली मै उन्हें प्रिन्ट करके उन्हें देने लगा। उसकी इन हरकतों से मै समझ गया था की एक बार कोशिश करते ही वो अपनी चूत मेरे लंड के हवाले कर देगी. मैं बस उसको चोदना चाहता था। जब मेरी पत्नी के बच्चा हुआ, दो महीने के बाद वो मायके गई। अब उसके मन में भी माँ बनने की चाह होने लगी।मेरी ससुराल के पास ही एक मन्दिर में मेरी पत्नी को किसी मन्नत की पूजा देनी थी. मै किसी काम की वजह से उसके साथ नही जा पाया और दूसरे दिन जाने का प्रोग्राम बनाया. लेकिन दूसरे दिन मेरी पत्नी अपने भाई के साथ वहां चली गई क्योकि रिज़र्वेशन किया हुआ था. उसकी भाभी रजनी रूक गई क्योकि मै वहां पहुँचने वाला था. मेरी पत्नी और ख़ास कर मेरे बेटे को देख कर और उससे पहले उसने पूजा भाभी के बेटे को भी देखा था और उनसे मिल कर बहुत बातें की थी. और ३८ साल की उमर में पूजा भाभी बेटे को जन्म दिया. और वो भी मुझसे चुदवा कर. इस बात की उसे शायद भनक लग चुकी थी.
जब मैं अगले दिन रविवार के दिन सुबह ससुराल में गया तो वो मुझे देख कर खुश हुई। जैसा की मैंने कहा था की ससुराल में मेरे दो साले रहते है. बड़ा साला मुंबई में ही रहता है. मैंने देखा मेरा दूसरा साला मेरी पत्नी के साथ दो दिन के लिए पास के शहर मन्दिर गया हुआ है और छोटे की नई शादी हुयी थी इसलिए वो अपने ससुराल गया हुआ था. मैंने देखा की रजनी बहुत उदास सी है ज्यादा बात भी नही कर रही थी. घर में वो और मेरी सास ही थे. सास के पैरों में तकलीफ होने से वो नीचे वाले हिस्से में रहती थी. और ऊपर तीन कमरे और एक बड़ी सी छत थी. दोनों भाई दो कमरे में रहते थे और तीसरा कमरा मेहमानों के लिए या फ़िर मै और नंदिनी या बड़े भाई और पूजा भाभी के लिए था. उन्होंने मुझे वोही कमरा दिया. रजनी का कमरा थी मेरे सामने ही था. मै जा कर फ्रेश हुआ. मै जब नहा कर बाथरूम से टॉवेल में निकला तो रजनी मेरे सामने थी. मैंने देखा उसकी नज़र सीधे मेरे टॉवेल में बंद लंड की तरफ़ गई. उसके बाद मै जब पजामा पहन कर बैठा तो मुझे पानी और चाय देने के लिए वो इस तरह झुक रही थी की उसके बड़े गले के ब्लाउज से उसकी चुन्चिया आधी बहार झाँकने लगती थी. मेरा लंड पाजामे में खड़ा होने लगा था और उसने ये देख भी लिया था. मैंने भी उनकी तरफ़ देखा. वो थोड़ा मुस्कुराई लेकिन वो मेरी तरफ़ बड़ी उम्मीद भरी नज़रों से देख रही थी. कई बार मुझे देख कर वो अपना पल्लू ठीक कर रही थी. खाना खाने के बाद दिन में हम दोनो बातें करने लगे मैने बातों बातों में पूछा आप कि के चेहरे पर वो मुस्कान नहीं दिखाई देती। उसने कहा कुछ नहीं बस ऐसे ही। मैंने उससे कहा - देखो मैं आपके दोस्त की तरह हूँ, आप मुझे बताओ कि क्या मैं आपकी कुछ हेल्प कर सकता हूँ। उसने कहा "ऐसी कोई बात नहीँ।" फ़िर दुबारा उससे पूछा तब उसने कहा कि "वो मुझे डांटते रहते हैं और ठीक से प्यार भी नहीं करते।" मैंने कहा "मैं जानता था कि यही बात होगी। अब आप साफ साफ बताओ कि क्या परेशानी है. वैसे मुझे नंदिनी ने बताया की वो आपको वो ख़ुशी पूरी तरह नहीं दे पाते।" फ़िर वो रोने लगी और कहा कि "क्या बताऊं वो ठीक तरह से नहीं कर पाते। कर नही पाते क्या ..सच तो ये है की शायद मै औरत ही नही बनी लड़की से." और वो अपने हाथों से चेहरा छुपा कर सिसकने लगी. मैंने उसके कंधे पर हाथ रख कर थपथपाया और हाथ वही रखे और उसकी पीठ पर फेरने लगा. मेरी उँगलियाँ उसके ब्लाउज से खुले हिस्से को आहिस्ता आहिस्ता छेड़ने लगी. उसके चहरे से हाथ हटा कर गालों के आंसू पंचे और गल सहलाते हुए मैने कहा कि आज कल ऐसी बहुत सी औरतें है जिनके साथ यह प्रॉब्लम है पर वो तो ऐसे नही रोंती। उसने मेरी तरफ़ देख कर कहा "तो तुम ही बताओ कि मैं क्या करूं।" मैने कहा "मैं आपको वो प्यार दे सकता हूँ।" वो चौंक गई, उसने कहा "ये आप क्या कह रहे है. ये तो पाप होगा. सब इसे बुराई समझेंगे. किसी को पता चल गया तो?" मैने कहा "इसमें कोई बुराई नहीं है सभी ऐसे ही करती हैं। आप का कोई दोष नहीं।" फ़िर मैंने "आप बेफ़िक्र हो जाइये किसी को कानो कान खबर नहीं होगी।" उसने कहा "ऐसा पोसिबल है?" मैने कहा अगर आप चाहें तो हो सकता है.. आपका कमरा सामने ही है. रात में मांजी तो नीचे ही सोती है.. उनके सोने के बाद आप मेरे पास आ सकती है. या मै आपके कमरे में आ जाऊंगा.. देखिये मैं कोई धोखा नही कर रहा, आपकी इज़ाज़त हो तो मैं वो प्यार दे सकता हूं जो मेरे साले ने देना था। देखो बाकी आपकी मरजी है मैं तो बस आपको खुश देखना चाहता हूं। आप चाहो तो मुझे रात को मिल सकती है। तो वो कहने लगी- "लेकिन अगर किसी को को पता चल गया तो?"
मैने कहा "हम कोई पागल थोडी ना हैं। जब घर में दूसरे लोग रहेंगे तो मर्यादा में तो हमे ही रहना पडेगा। और मै आपको मेरा ऑफिस का टेलेफोन नो. दे दूंगा. जब आपके पति नही रहेंगे तो मुझे फोन कर देना. हमेशा तो घर में नही आ सकता उसकी गैर हाजरी में. तब मै आपको बाहर कहीं बुला लूँगा. और किसी अच्छे होटल में आपको पुरी तरह संतुष्ट करूँगा." ये सुन कर उसने मुसकरा दिया. फ़िर उसने कहा "एक बात पूंछू?" मैंने कहा "ज़रूर" तब उसने कहा "क्या आपने वहां पर पूजा दीदी के साथ भी किया था...क्या पूजा दीदी का तीसरा बेटा भी..." मैंने कहा "हाँ.. लेकिन आपको कैसे पता चला.. ?" उसने कहा "उसकी और आपके बेटे की शकल बहुत मिलती है.. और फ़िर जब भी आपके बारे में हम बात करती है तो पूजा दीदी कहती है की आपके पास जो है वो एक औरत की चाहत पूरी करने के लिए एक दम परफेक्ट है." . मैंने कहा " अच्छा तो ठीक है फ़िर आज आपकी चाहत भी देख लेना." वो कुछ बोली नही. मेरी तरफ़ मुस्कुरा कर देखा ओर रूम से बाहर आ गई। रात को मैं रूम में वेट कर रहा था।मुझे मालूम था वो ज़रूर आएगी.
वो 11:30 बजे आई। अपने सरे काम निपटा कर. सास भी नीचे सो गई थी. उसने एक गाऊन पहना था. जो सामने से खुलता था. उसके लंबे बाल खुले हुए थे. होंठो में हलकी लिपस्टिक थी. मेरा दरवाजा खुला था. वो अन्दर आई और उसने दरवाजा अन्दर से बंद कर लिया. मै उठ कर खड़ा हुआ और वो आते ही मुझसे लिपट गई। मैंने उसे अपने से कस के जकड लिया उसने चेहरा ऊपर किया मेरी तरफ़ देखा मैंने उसके होंठो को पहले हलके से चूमा फ़िर दोनों होंठ मेरे होंठो में ले लिए अब मै उसे बेसबरी से चूम रहा था। वो भी मुझे चूमती हुए कह रही थी "इतने दिन पहले क्यों नही मिले।" मैंने कहा "आपने कभी इशारा ही नही किया." उसने कहा "पूजा दीदी बहुत किस्मत वाली है. हमेशा आप उनके पास रहते हो" मैंने कहा आज आपकी भी किस्मत और चूत दोनों खुल जायेगी. और आज के बाद जब मौका मिलेगा मेरा लंड तुम्हारी चूत को खुश करेगा." वो शर्मा गई और कहा "धत्" मैंने कहा क्यों चूत नही खुलवओगी? उसने कहा "तो फ़िर मै यहाँ किसलिए आई हूँ जमाई राजा" . मेरा लंड पाजामे में उछल पड़ा. मेरा एक हाथ उसकी पीठ और चूतड पर फिसल रहा था. उसके चूतड .. उफ़...एक दम मुलायम लेकिन ठोस थे. मै उन्हें दबाता तो वो.. कहती आह.. धीरे.. मैंने वोही हाथ कमर से फेरते हुए उसकी पेट तक ले आया. मै उसे अभी भी चूमे जा रहा था. कभी मेरी जीभ उसके मुंह में तो कभी उसकी जीभ मेरे मुंह में.. कभी दोनों की जीभ बाहर और हम जीभ लडाते और फ़िर एक दूसरे के होंठ मुंह में लेने की होड़ लग जाती. मेरा हाथ पेट से होते हुए ऊपर की तरफ़ सरका.. और मैंने मेरा हाथ उसके चूंचियों पर सरकाया और हलके से दबाया, उसकी चूंचियां एकदम कड़क थे. फ़िर गाउन के ऊपर से निपल के साथ खेलने लगा तो वो और उत्तेजित हो गई और मुझे पागलो की तरह चूमने लगी, मैंने देखा उसने अन्दर ब्रा नही पहनी थी. थोडी देर मै उसकी चूंचियों से गाऊन के ऊपर से खेलता रहा. उसके निपल कड़क होने लगे थे. अब मैंने उसका गाउन उपर सरका के उसके चूंचियों को नंगा कर दिया। उसकी चुंचिया गोल और गोरी थी.. बिल्कुल भी ढीलापन नही था. सामने तने हुए शंकु की तरह थे. मैं उसके चूंचियों को बारी बारी से चूमने और चाटने लगा उसको बहुत मजा आ रहा था, एक हाथ से मैं चूंचियों को दबा रहा था और जीभ से उसकी निपल से खेल रहा था. उसके मुंह से अब "आह.. उफ़.. दबाओ.. तुम्हारे हाथ में जादू है.. और जोर से.. तुम्हारे साले साहब के हाथ में तो ताकत ही नही है.. और अगर कभी इनसे खेले..उई ..ई..ई..ई... तो चादर ख़राब कर देते है." मैंने उसके निपल में दांत लगा दिए थे इसलिए वो चिल्लाई थी. अब मेरा हाथ उसके चिकने पेट पर फिसलने लगा था. उसने अपने एक निपल को अपनी दो उँगलियों के बीच पकड़ा और मेरे मुंह के अन्दर डालते हुए बोली.."लो ना.. चूसो इसे.. जोर जोर से..." तभी दूसरा हाथ मैंने उसकी चूत की ओर बढाया।
उसकी चड्डी चूत वाले हिस्से पर पूरी भीग चुकी थी इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वो कितनी उत्तेजित थी और मजे लूट रही थी. अब मैं उसकी चूत के दाने चड्डी के ऊपर से खेलने लगा. फ़िर मैंने उसका गाऊन निकाल दिया वो सिर्फ़ पैंटी में थी. मैंने भी अपना पाजामा और बनियान निकाल दिया. अब मै भी सिर्फ़ अंडरवियर में था. मेरा फूला हुआ लंड उसमे उभर कर तम्बू बना रहा था. मैंने उसे अपनी तरफ़ खींचा. मेरा लंड उसके पेट में घुसने की कोशिश कर रहा था. मैंने फ़िर से उसके होंठ चूमते हुए उसकी चूंचियों को बेदर्दी से मसलना शुरू कर दिया.वो भी मेरे लंड को ज्यादा से ज्यादा अपने बदन से लगाने लगी थी. मैंने पीछे से उसकी पैंटी में हाथ डाल कर चूतड दबाते हुए गांड सहलाया और पैंटी को नीचे किया.. इस तरह धीरे धीरे मैंने पैंटी उसके जांघो तक निकल दिया. फ़िर मेरा हाथ उसकी जांघ से होते हुए सामने उसकी चूत पर गया. .. ओह्ह.. एकदम चिकनी चूत. लगा जैसे आज ही साफ़ किया हो. मैंने उसकी पैंटी को पैरों से भी निकाल कर हटा दिया अब वो एकदम नंगी थी, उसने अंडरवियर में हाथ डाल कर उसे उतार दिया और मेरे लंड को हाथ से सहलाया और जब उसने हथेली से उसे पकड़ना चाहा तो वो उसके मुठ्ठी में नही आ रहा था. उसने पूरे लंड पर हाथ फेरते हुए कहा "जमाई राजा .. ये तो बहुत मोटा और लंबा है.." मैंने कहा "पसंद है?" उसने मेरे सीने पर चूमते हुए कहा.. "मालूम नही .. उनका देखा है और वो इसका आधा भी नही है.. वैसे नंदिनी को तो बहुत अच्छा लगता होगा.. और पूजा दीदी को भी." मैंने कहा आज तुम्हे भी अच्छा लगेगा रानी. उसने कुछ कहा नही सिर्फ़ मेरे लंड को मसलने लगी. मैंने उसकी कमर पर हाथ डाला और उसे गोद में हवा में उठा लिया. उसकी सख्त चूंचियां और निपल मेरे होंठो के पास आ गए. मैंने उसके निपल मुंह में लेकर चूसते हुए उसे बेड पर ले जाता हूँ. बेड पर सीधा लिटा कर. फ़िर मै उसके साइड में आधा उसके ऊपर होते हुए लेट गया. फ़िर उसकी चूंचियों को दबाते हुए चूमने और काटने लगा.. मैंने उसके गालों को चूमते हुए दांत गडा दिए वो बोली.. "संजय.. दांत मत लगाओ... सुबह किसी ने देख लिया तो." मै अब चूंचियों को दबाते और चूमते हुए नीचे बढ़ने लगा.. उसका पेट एकदम गोरा और चिकना था.. मै उसके पैरों के बीच आ गया. और झुक कर उसके नितम्बो को पकड़ कर नाभि और उसके नीचे चूमने लगा.. जीभ से चाटने लगा.. "ओह्ह..संजय... बहुत अच्छा लग रहा है..हाँ.. ऐसे ही.. उफ़..ऐसा किसी ने नही किया..आह्ह" करते हुए उसने अपने पैर थोड़े फैलाये.. और मैंने
अपना मुहं उसकी चूत पर रख दिया, उसकी चूत से एक अजीब सी सुगंध आ रही थी. चूत एकदम फूली हुई थी बहुत गोरी चूत थी.. उसकी चूत की फांक एकदम चिपकी हुयी थी. मै देख कर ही समझ गया की ये कुंवारी चूत है. जो क्लीन शेव्ड थी. चूत के होंठ एकदम गुलाबी थे. मैं उसी चूत को चाटने लगा और साथ में उसके चूंचियों को भी मसलने लगा। अब वो खुशी के मारे हल्के से बोल रही थी.... संजय.. मुझे बहुत मजा आ रहा है, चूसो मेरी चूत को...... आ.आ.. आआया.आआआआआअ..आआआ..उ.ऊउऊ.ऊ.ईई.ऊई..ऊई आह आआह्ह्छ .....ओह्ह मुंह ताऊ... मेरी पेशाब निकलेगी..ई..ई..ई..ई..ई.. मैंने कहा भाभी निकलने दो मेरे मुंह में.. और मैंने चूत के दाने को और जोर जोर से जीभ से कुरेद रहा था.. और उसने मेरे सर को अपनी चूत पर जोर से दबाया.. और अपना सर उठा कर मेरे जीभ की हरकत देखने की कोशिश करने लगी..और फ़िर.. उसने अपनी गांड बड़ी जोर से उछालते हुए बड़ी तेज़ी से पहली बार अपनी चूत का पानी निकाला. वो धीरे धीरे चिल्ला रही थी.. ओह्ह्ह ये क्या किया.. ओह्ह्ह ऐसा कभी नही हुआ.. ओह्ह मै मर गई.." और फ़िर वो निढाल हो कर लेट गई.. पैर फैला दिए. मैंने जब फ़िर से उसकी चूत में ऊँगली डालने की कोशिश की तो वो तड़प उठी.. और कहा ".संजय ...मुझसे और इंतजार नही हो सकता प्लीज़ मुझे चोदो....प्लीज़ फक मी... मेरी चूत खोल दो .. मुझे भी माँ बना दो .. ओह्ह तुम्हारा ये मोटा और लंबा हथियार.. मेरे अन्दर दो.."
मैं भी तैयार था, मैंने उसके पैर हवा में उठाये.. गांड के नीचे एक तकिया रखा. उसने दोनों पैर मेरे कंधो पर रख दिए। अब मैंने अपना 8" लंबा और 2.5" लंड एक हाथ से पकड कर उसकी चूत के फांक को फैला कर चूत पर रगड़ने लगा तो वो गिड़गिड़ाने लगी प्लीज़ मुझे चोदो ना, मत तड़पाओ..अब मैंने अपने लंड का सुपाडा उसकी रसीली चूत के द्वार पे रख कर एक जोरदार धक्का लगाया........मर गई..निकालो....निकालो..मैं रुक गया और उसके चूंचियों के साथ खेलने लगा, कुछ पल में वो अपनी गांड हिलाने लगी तो मैंने एक और जोरदार धक्का लगाया लगभग 6" तक मेरा लंड उसकी चूत में घुस गया. उसकी चूत से खून बहने लगा. और वो अपने होंठो को दांत से दबा कर दर्द सहन कर रही थी... उसकी आँख से आंसू निकल आए थे... सारा बदन ऐंठ गया था. .. मेरे लंड पर खून ही खून लग गया था.. नीचे की चादर भी.. लाल हो रही थी.. मैंने थोड़ा बाहर खींचा और फ़िर से एक धक्का दिया ताकि रास्ता बन जाए.. और अब सारी दीवारें टूट गई. ...वो जोर जोर से चिल्लाने लगी..... मार.. डाला... ओह्ह्ह.. बहुत..दर्द हो ..रहा है... संजय... आह.. लग रहा..अन्दर चाकू से काट दिया है.., मैंने आगे झुक कर उसके बगल से हाथ डाला और पीठ की तरफ़ से उसके कंधो को जोर से पकड़ा. ताकि वो मेरा बाकी बचा हुआ लंड लेते वक्त हिल न सके और मैंने अपने होठं उसके होठं पर रख दिए और एक धक्का मारा इस बार मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया.....वो दर्द के मारे तड़पने लगी ...मैं थोडी देर उसके चूंचियों को धीरे धीरे दबाता रहा और उसे चूमता रहा। २ मिनिट बाद उसने थोडी राहत महसूस की तो अपने कुल्हे उठाने लगी। अब मैंने धीरे धीरे अपना लंड अन्दर -बाहर करने लगा. अब वो अपनी स्पीड बढाती जा रही थी. करीब १० मिनिट बाद उसका शरीर तंग हो गया ...वो झड़ गई...अब पूरा कमरा फचक फचाक ..फचक की आवाज से गूंज रहता.....साथ में रजनी की सिसकारियां आ..आया..या.य्य्य्य्य्य्य.ओह..या..या.. आह्ह्ह्ह... संजय.... तुम्हारा ये लन्ड....उफ़..मेरी चूत... .... कितना..अन्दर.. आह्ह.. मजा आ रहा है... चोदो..चोदो..फाड़ दो.....ऊऊऊउईईईईईईईईईईईईईईईईई अब मैंने भी स्पीड बढाई ....मेरा लंड चूत में इंजन के पिस्टन की तरह अन्दर बाहर हो रहा था......अब मेरी बारी थी सांसे एकदम तेज हो गई। दोनों पसीने से तर हो रहे थे.. मैंने पुरा लंड बाहर खिंच कर धक्के लगाने शुरू कर दिए.. लंड अन्दर गहराई तक जा रहा था.. और मेरा लंड अब फूलने लगा था.. मै झड़ने के करीब था.. करीब 8-१० बहुत जोरदार धक्के मार कर मैंने लंड को उसकी बच्चे दानी के मुंह पर दबाया और मेरे लंड ने पिचकारी चला दी.. और उसकी गर्मी से वो भी फ़िर से आह्ह...ओह्ह्ह बार दो... मुझे माँ.. बना दो..संजय.. गई मै.. आअह्ह..आअह्ह्ह.. करते हुए मेरे लंड को नेहला दिया. मै उसके ऊपर लेट कर मेरी साँस को दुरुस्त करने लगा और उसे चाटने लगा था...
हम अपनी मस्ती में सारी दुनिया भूल चुके थे। वो बहुत खुश थी। मैने जमकर ४५ मिनट तक चुदाई की। वो बोली - आज मैने असली सुहागरात मनाई है। शादी के बाद आज पहली बार सेक्स की प्यास बुझी है। चुदाई करते समय उसने बताया कि संजय तुम्हारा लन्ड मेरे पति के लंड से बहुत बड़ा और मोटा भी है। और इतना सख्त है.. उनका तो ठीक से खड़ा ही नहीहोता.. अन्दर डालने से पहले ही झड़ जाता है. अब पूरी रात में हमने ६-७ बार सेक्स किया। वो पूरी तरह तृप्त हो गई थी। उसने कहा कि मुझे सही मायनो में सेक्स का मतलब पता लगा है। फ़िर हमने इसके बाद सोमवार नंदिनी और उसके पति के आने से पहले 6 बार सेक्स किया। उसने कहा - आज मुझे पूरा विश्वास है कि मैं इस बार प्रेगनैन्ट हो जाउंगी और ऐसा ही हुआ।
अगली सुबह मैं नंदिनी को साथ ले कर ससुराल से वापिस आ गया. उसके बाद वो मुझे फ़ोन कर के बुलाती और मै एक अच्छे होटल में या जब उसका पति बाहर हो तो उसके घर में ही उसकी जम कर चुदाई करता. एक साल में ही उसने एक लड़के को जन्म दिया. उसकी शक्ल भी मेरे और नंदिनी के बेटे से मिलती है.
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हमशकल बच्चे
दोस्तो ! मैं अपने अनुभव आप लोगों के साथ बाँट कर आपके मन और तन को खुश करता हूँ. इस सिलसिले में मुझे कई लोगों के मेल मिले जिसमे उन्होंने पूंछा की क्या मेरी सभी कहानियाँ सच्ची है. क्या मै सेक्स के मामले में सच में इतना शौकीन हूँ? ये सवाल ज्यादातर औरतों ने (शादीशुदा) मुझसे किया. मैंने उन्हें कहा हाँ. उसमे से कुछ ने कहा की वो भी ऐसा ही सेक्स का मजा लेना चाहती लेकिन उन्हें डर और शर्म ने जकड रखा है. मेरी कहानियाँ सच होती है लेकिन उसमे पात्र और स्थान बदले जाते है. ताकि किसी को कोई शक न हो.
और एक बात मैंने नोट की है की कुछ और लोग जिनके नाम संजय है मेरी कहानियो को अपने नाम से अपनी नेट की लड़कियों को या औरतों को भेज कर नाम कमाते है. ऐसा ही एक किस्सा मेरे सामने तब आया जब एक महिला जो मुझसे चाट कर रही थी उसने कहा की उसे किसी संजय नाम के नेट फ्रेंड ने एक अच्छी कहानी भेजी है और वो भी आपकी तरह बहुत सेक्सी है. मेरा अनुरोध मेरे सभी चाहने वालों से है की ऐसे धोखेबाज लोगों से सावधान रहे. ऐसे लोगो के चक्कर में कुछ औरतें पड़ कर किसी मुसीबत में फंस सकती है. क्योकि बेईमान और चोर हमेशा स्वाभाव से वैसे ही रहते है. अपना फायदा ले कर आपको मुसीबत में डाल देंगे. खैर ये आपके समझने की बात है.विशेषकर महिलाओं की. अब मै आपका ज्यादा वक्त बरबाद ना करते हुए मेरी एक बहुत ही ख़ास घटना को कहानी के रूप में पेश कर रहा हूँ. बात आज से करीब दस साल पहले की है. मेरी उमर तब २७ साल की थी. शादी हो चुकी थी. एक लड़का हो चुका था. वैसे तो मै १५ साल की उमर से ही चुदाई में पारंगत हो चुका था. इस बारे में मेरे कई अनुभव मैंने कहानी के रूप में आपके सामने रख चुका हूँ. मेरे तीन साले है. मेरी बड़ी सलहज की मैंने कैसे चुदाई की ये आप पढ़ चुके है. मेरा दूसरा साला भी मेरी बीवी से उमर में बड़ा है. बड़ा तो तीसरा भी है. लेकिन उसकी शादी मेरी शादी के बाद हुई. मेरे बड़े साले के दो बेटे थे फ़िर भी मैंने पूजा भाभी को फ़िर से माँ बना दिया था. मेरे दूसरे साले की बीवी 5 साल शादी के होने के बाद भी माँ नही बन पायी थी. मेरी पत्नी के साथ जो बात उसने अपने पति के साथ सेक्स सम्बन्ध की बात कही उससे मैंने अंदाजा लगाया था की शायद वो अभी तक कुंवारी ही है.
उस समय वो 25 साल की थी. बहुत सुंदर है, उसका फिगर 34-26-36, ऊंचाई 5’ 2", वो बहुत सेक्सी है. जब भी मैं उसके बारे मे सोचता तो उसको गोद में उठा कर जमकर चोदने का मन करता. (मेरी ऊँचाई 5'9" है) लेकिन मैं कुछ नही कर पाता. वो मेरी पत्नी से सारी बातें शेयर करती थी। वो मेरी पत्नी को सेक्सी फ़िल्में और सेक्सी किताबें दिया करती थी। मेरी पत्नी मुझसे मांग कर उसे ये सब देती थी. उसके बाद मैं इन्टरनैट पर सेक्सी कहानियाँ ढूंढने लगा, मुझे बहुत सी कहानियाँ मिली मै उन्हें प्रिन्ट करके उन्हें देने लगा। उसकी इन हरकतों से मै समझ गया था की एक बार कोशिश करते ही वो अपनी चूत मेरे लंड के हवाले कर देगी. मैं बस उसको चोदना चाहता था। जब मेरी पत्नी के बच्चा हुआ, दो महीने के बाद वो मायके गई। अब उसके मन में भी माँ बनने की चाह होने लगी।मेरी ससुराल के पास ही एक मन्दिर में मेरी पत्नी को किसी मन्नत की पूजा देनी थी. मै किसी काम की वजह से उसके साथ नही जा पाया और दूसरे दिन जाने का प्रोग्राम बनाया. लेकिन दूसरे दिन मेरी पत्नी अपने भाई के साथ वहां चली गई क्योकि रिज़र्वेशन किया हुआ था. उसकी भाभी रजनी रूक गई क्योकि मै वहां पहुँचने वाला था. मेरी पत्नी और ख़ास कर मेरे बेटे को देख कर और उससे पहले उसने पूजा भाभी के बेटे को भी देखा था और उनसे मिल कर बहुत बातें की थी. और ३८ साल की उमर में पूजा भाभी बेटे को जन्म दिया. और वो भी मुझसे चुदवा कर. इस बात की उसे शायद भनक लग चुकी थी.
जब मैं अगले दिन रविवार के दिन सुबह ससुराल में गया तो वो मुझे देख कर खुश हुई। जैसा की मैंने कहा था की ससुराल में मेरे दो साले रहते है. बड़ा साला मुंबई में ही रहता है. मैंने देखा मेरा दूसरा साला मेरी पत्नी के साथ दो दिन के लिए पास के शहर मन्दिर गया हुआ है और छोटे की नई शादी हुयी थी इसलिए वो अपने ससुराल गया हुआ था. मैंने देखा की रजनी बहुत उदास सी है ज्यादा बात भी नही कर रही थी. घर में वो और मेरी सास ही थे. सास के पैरों में तकलीफ होने से वो नीचे वाले हिस्से में रहती थी. और ऊपर तीन कमरे और एक बड़ी सी छत थी. दोनों भाई दो कमरे में रहते थे और तीसरा कमरा मेहमानों के लिए या फ़िर मै और नंदिनी या बड़े भाई और पूजा भाभी के लिए था. उन्होंने मुझे वोही कमरा दिया. रजनी का कमरा थी मेरे सामने ही था. मै जा कर फ्रेश हुआ. मै जब नहा कर बाथरूम से टॉवेल में निकला तो रजनी मेरे सामने थी. मैंने देखा उसकी नज़र सीधे मेरे टॉवेल में बंद लंड की तरफ़ गई. उसके बाद मै जब पजामा पहन कर बैठा तो मुझे पानी और चाय देने के लिए वो इस तरह झुक रही थी की उसके बड़े गले के ब्लाउज से उसकी चुन्चिया आधी बहार झाँकने लगती थी. मेरा लंड पाजामे में खड़ा होने लगा था और उसने ये देख भी लिया था. मैंने भी उनकी तरफ़ देखा. वो थोड़ा मुस्कुराई लेकिन वो मेरी तरफ़ बड़ी उम्मीद भरी नज़रों से देख रही थी. कई बार मुझे देख कर वो अपना पल्लू ठीक कर रही थी. खाना खाने के बाद दिन में हम दोनो बातें करने लगे मैने बातों बातों में पूछा आप कि के चेहरे पर वो मुस्कान नहीं दिखाई देती। उसने कहा कुछ नहीं बस ऐसे ही। मैंने उससे कहा - देखो मैं आपके दोस्त की तरह हूँ, आप मुझे बताओ कि क्या मैं आपकी कुछ हेल्प कर सकता हूँ। उसने कहा "ऐसी कोई बात नहीँ।" फ़िर दुबारा उससे पूछा तब उसने कहा कि "वो मुझे डांटते रहते हैं और ठीक से प्यार भी नहीं करते।" मैंने कहा "मैं जानता था कि यही बात होगी। अब आप साफ साफ बताओ कि क्या परेशानी है. वैसे मुझे नंदिनी ने बताया की वो आपको वो ख़ुशी पूरी तरह नहीं दे पाते।" फ़िर वो रोने लगी और कहा कि "क्या बताऊं वो ठीक तरह से नहीं कर पाते। कर नही पाते क्या ..सच तो ये है की शायद मै औरत ही नही बनी लड़की से." और वो अपने हाथों से चेहरा छुपा कर सिसकने लगी. मैंने उसके कंधे पर हाथ रख कर थपथपाया और हाथ वही रखे और उसकी पीठ पर फेरने लगा. मेरी उँगलियाँ उसके ब्लाउज से खुले हिस्से को आहिस्ता आहिस्ता छेड़ने लगी. उसके चहरे से हाथ हटा कर गालों के आंसू पंचे और गल सहलाते हुए मैने कहा कि आज कल ऐसी बहुत सी औरतें है जिनके साथ यह प्रॉब्लम है पर वो तो ऐसे नही रोंती। उसने मेरी तरफ़ देख कर कहा "तो तुम ही बताओ कि मैं क्या करूं।" मैने कहा "मैं आपको वो प्यार दे सकता हूँ।" वो चौंक गई, उसने कहा "ये आप क्या कह रहे है. ये तो पाप होगा. सब इसे बुराई समझेंगे. किसी को पता चल गया तो?" मैने कहा "इसमें कोई बुराई नहीं है सभी ऐसे ही करती हैं। आप का कोई दोष नहीं।" फ़िर मैंने "आप बेफ़िक्र हो जाइये किसी को कानो कान खबर नहीं होगी।" उसने कहा "ऐसा पोसिबल है?" मैने कहा अगर आप चाहें तो हो सकता है.. आपका कमरा सामने ही है. रात में मांजी तो नीचे ही सोती है.. उनके सोने के बाद आप मेरे पास आ सकती है. या मै आपके कमरे में आ जाऊंगा.. देखिये मैं कोई धोखा नही कर रहा, आपकी इज़ाज़त हो तो मैं वो प्यार दे सकता हूं जो मेरे साले ने देना था। देखो बाकी आपकी मरजी है मैं तो बस आपको खुश देखना चाहता हूं। आप चाहो तो मुझे रात को मिल सकती है। तो वो कहने लगी- "लेकिन अगर किसी को को पता चल गया तो?"
मैने कहा "हम कोई पागल थोडी ना हैं। जब घर में दूसरे लोग रहेंगे तो मर्यादा में तो हमे ही रहना पडेगा। और मै आपको मेरा ऑफिस का टेलेफोन नो. दे दूंगा. जब आपके पति नही रहेंगे तो मुझे फोन कर देना. हमेशा तो घर में नही आ सकता उसकी गैर हाजरी में. तब मै आपको बाहर कहीं बुला लूँगा. और किसी अच्छे होटल में आपको पुरी तरह संतुष्ट करूँगा." ये सुन कर उसने मुसकरा दिया. फ़िर उसने कहा "एक बात पूंछू?" मैंने कहा "ज़रूर" तब उसने कहा "क्या आपने वहां पर पूजा दीदी के साथ भी किया था...क्या पूजा दीदी का तीसरा बेटा भी..." मैंने कहा "हाँ.. लेकिन आपको कैसे पता चला.. ?" उसने कहा "उसकी और आपके बेटे की शकल बहुत मिलती है.. और फ़िर जब भी आपके बारे में हम बात करती है तो पूजा दीदी कहती है की आपके पास जो है वो एक औरत की चाहत पूरी करने के लिए एक दम परफेक्ट है." . मैंने कहा " अच्छा तो ठीक है फ़िर आज आपकी चाहत भी देख लेना." वो कुछ बोली नही. मेरी तरफ़ मुस्कुरा कर देखा ओर रूम से बाहर आ गई। रात को मैं रूम में वेट कर रहा था।मुझे मालूम था वो ज़रूर आएगी.
वो 11:30 बजे आई। अपने सरे काम निपटा कर. सास भी नीचे सो गई थी. उसने एक गाऊन पहना था. जो सामने से खुलता था. उसके लंबे बाल खुले हुए थे. होंठो में हलकी लिपस्टिक थी. मेरा दरवाजा खुला था. वो अन्दर आई और उसने दरवाजा अन्दर से बंद कर लिया. मै उठ कर खड़ा हुआ और वो आते ही मुझसे लिपट गई। मैंने उसे अपने से कस के जकड लिया उसने चेहरा ऊपर किया मेरी तरफ़ देखा मैंने उसके होंठो को पहले हलके से चूमा फ़िर दोनों होंठ मेरे होंठो में ले लिए अब मै उसे बेसबरी से चूम रहा था। वो भी मुझे चूमती हुए कह रही थी "इतने दिन पहले क्यों नही मिले।" मैंने कहा "आपने कभी इशारा ही नही किया." उसने कहा "पूजा दीदी बहुत किस्मत वाली है. हमेशा आप उनके पास रहते हो" मैंने कहा आज आपकी भी किस्मत और चूत दोनों खुल जायेगी. और आज के बाद जब मौका मिलेगा मेरा लंड तुम्हारी चूत को खुश करेगा." वो शर्मा गई और कहा "धत्" मैंने कहा क्यों चूत नही खुलवओगी? उसने कहा "तो फ़िर मै यहाँ किसलिए आई हूँ जमाई राजा" . मेरा लंड पाजामे में उछल पड़ा. मेरा एक हाथ उसकी पीठ और चूतड पर फिसल रहा था. उसके चूतड .. उफ़...एक दम मुलायम लेकिन ठोस थे. मै उन्हें दबाता तो वो.. कहती आह.. धीरे.. मैंने वोही हाथ कमर से फेरते हुए उसकी पेट तक ले आया. मै उसे अभी भी चूमे जा रहा था. कभी मेरी जीभ उसके मुंह में तो कभी उसकी जीभ मेरे मुंह में.. कभी दोनों की जीभ बाहर और हम जीभ लडाते और फ़िर एक दूसरे के होंठ मुंह में लेने की होड़ लग जाती. मेरा हाथ पेट से होते हुए ऊपर की तरफ़ सरका.. और मैंने मेरा हाथ उसके चूंचियों पर सरकाया और हलके से दबाया, उसकी चूंचियां एकदम कड़क थे. फ़िर गाउन के ऊपर से निपल के साथ खेलने लगा तो वो और उत्तेजित हो गई और मुझे पागलो की तरह चूमने लगी, मैंने देखा उसने अन्दर ब्रा नही पहनी थी. थोडी देर मै उसकी चूंचियों से गाऊन के ऊपर से खेलता रहा. उसके निपल कड़क होने लगे थे. अब मैंने उसका गाउन उपर सरका के उसके चूंचियों को नंगा कर दिया। उसकी चुंचिया गोल और गोरी थी.. बिल्कुल भी ढीलापन नही था. सामने तने हुए शंकु की तरह थे. मैं उसके चूंचियों को बारी बारी से चूमने और चाटने लगा उसको बहुत मजा आ रहा था, एक हाथ से मैं चूंचियों को दबा रहा था और जीभ से उसकी निपल से खेल रहा था. उसके मुंह से अब "आह.. उफ़.. दबाओ.. तुम्हारे हाथ में जादू है.. और जोर से.. तुम्हारे साले साहब के हाथ में तो ताकत ही नही है.. और अगर कभी इनसे खेले..उई ..ई..ई..ई... तो चादर ख़राब कर देते है." मैंने उसके निपल में दांत लगा दिए थे इसलिए वो चिल्लाई थी. अब मेरा हाथ उसके चिकने पेट पर फिसलने लगा था. उसने अपने एक निपल को अपनी दो उँगलियों के बीच पकड़ा और मेरे मुंह के अन्दर डालते हुए बोली.."लो ना.. चूसो इसे.. जोर जोर से..." तभी दूसरा हाथ मैंने उसकी चूत की ओर बढाया।
उसकी चड्डी चूत वाले हिस्से पर पूरी भीग चुकी थी इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वो कितनी उत्तेजित थी और मजे लूट रही थी. अब मैं उसकी चूत के दाने चड्डी के ऊपर से खेलने लगा. फ़िर मैंने उसका गाऊन निकाल दिया वो सिर्फ़ पैंटी में थी. मैंने भी अपना पाजामा और बनियान निकाल दिया. अब मै भी सिर्फ़ अंडरवियर में था. मेरा फूला हुआ लंड उसमे उभर कर तम्बू बना रहा था. मैंने उसे अपनी तरफ़ खींचा. मेरा लंड उसके पेट में घुसने की कोशिश कर रहा था. मैंने फ़िर से उसके होंठ चूमते हुए उसकी चूंचियों को बेदर्दी से मसलना शुरू कर दिया.वो भी मेरे लंड को ज्यादा से ज्यादा अपने बदन से लगाने लगी थी. मैंने पीछे से उसकी पैंटी में हाथ डाल कर चूतड दबाते हुए गांड सहलाया और पैंटी को नीचे किया.. इस तरह धीरे धीरे मैंने पैंटी उसके जांघो तक निकल दिया. फ़िर मेरा हाथ उसकी जांघ से होते हुए सामने उसकी चूत पर गया. .. ओह्ह.. एकदम चिकनी चूत. लगा जैसे आज ही साफ़ किया हो. मैंने उसकी पैंटी को पैरों से भी निकाल कर हटा दिया अब वो एकदम नंगी थी, उसने अंडरवियर में हाथ डाल कर उसे उतार दिया और मेरे लंड को हाथ से सहलाया और जब उसने हथेली से उसे पकड़ना चाहा तो वो उसके मुठ्ठी में नही आ रहा था. उसने पूरे लंड पर हाथ फेरते हुए कहा "जमाई राजा .. ये तो बहुत मोटा और लंबा है.." मैंने कहा "पसंद है?" उसने मेरे सीने पर चूमते हुए कहा.. "मालूम नही .. उनका देखा है और वो इसका आधा भी नही है.. वैसे नंदिनी को तो बहुत अच्छा लगता होगा.. और पूजा दीदी को भी." मैंने कहा आज तुम्हे भी अच्छा लगेगा रानी. उसने कुछ कहा नही सिर्फ़ मेरे लंड को मसलने लगी. मैंने उसकी कमर पर हाथ डाला और उसे गोद में हवा में उठा लिया. उसकी सख्त चूंचियां और निपल मेरे होंठो के पास आ गए. मैंने उसके निपल मुंह में लेकर चूसते हुए उसे बेड पर ले जाता हूँ. बेड पर सीधा लिटा कर. फ़िर मै उसके साइड में आधा उसके ऊपर होते हुए लेट गया. फ़िर उसकी चूंचियों को दबाते हुए चूमने और काटने लगा.. मैंने उसके गालों को चूमते हुए दांत गडा दिए वो बोली.. "संजय.. दांत मत लगाओ... सुबह किसी ने देख लिया तो." मै अब चूंचियों को दबाते और चूमते हुए नीचे बढ़ने लगा.. उसका पेट एकदम गोरा और चिकना था.. मै उसके पैरों के बीच आ गया. और झुक कर उसके नितम्बो को पकड़ कर नाभि और उसके नीचे चूमने लगा.. जीभ से चाटने लगा.. "ओह्ह..संजय... बहुत अच्छा लग रहा है..हाँ.. ऐसे ही.. उफ़..ऐसा किसी ने नही किया..आह्ह" करते हुए उसने अपने पैर थोड़े फैलाये.. और मैंने
अपना मुहं उसकी चूत पर रख दिया, उसकी चूत से एक अजीब सी सुगंध आ रही थी. चूत एकदम फूली हुई थी बहुत गोरी चूत थी.. उसकी चूत की फांक एकदम चिपकी हुयी थी. मै देख कर ही समझ गया की ये कुंवारी चूत है. जो क्लीन शेव्ड थी. चूत के होंठ एकदम गुलाबी थे. मैं उसी चूत को चाटने लगा और साथ में उसके चूंचियों को भी मसलने लगा। अब वो खुशी के मारे हल्के से बोल रही थी.... संजय.. मुझे बहुत मजा आ रहा है, चूसो मेरी चूत को...... आ.आ.. आआया.आआआआआअ..आआआ..उ.ऊउऊ.ऊ.ईई.ऊई..ऊई आह आआह्ह्छ .....ओह्ह मुंह ताऊ... मेरी पेशाब निकलेगी..ई..ई..ई..ई..ई.. मैंने कहा भाभी निकलने दो मेरे मुंह में.. और मैंने चूत के दाने को और जोर जोर से जीभ से कुरेद रहा था.. और उसने मेरे सर को अपनी चूत पर जोर से दबाया.. और अपना सर उठा कर मेरे जीभ की हरकत देखने की कोशिश करने लगी..और फ़िर.. उसने अपनी गांड बड़ी जोर से उछालते हुए बड़ी तेज़ी से पहली बार अपनी चूत का पानी निकाला. वो धीरे धीरे चिल्ला रही थी.. ओह्ह्ह ये क्या किया.. ओह्ह्ह ऐसा कभी नही हुआ.. ओह्ह मै मर गई.." और फ़िर वो निढाल हो कर लेट गई.. पैर फैला दिए. मैंने जब फ़िर से उसकी चूत में ऊँगली डालने की कोशिश की तो वो तड़प उठी.. और कहा ".संजय ...मुझसे और इंतजार नही हो सकता प्लीज़ मुझे चोदो....प्लीज़ फक मी... मेरी चूत खोल दो .. मुझे भी माँ बना दो .. ओह्ह तुम्हारा ये मोटा और लंबा हथियार.. मेरे अन्दर दो.."
मैं भी तैयार था, मैंने उसके पैर हवा में उठाये.. गांड के नीचे एक तकिया रखा. उसने दोनों पैर मेरे कंधो पर रख दिए। अब मैंने अपना 8" लंबा और 2.5" लंड एक हाथ से पकड कर उसकी चूत के फांक को फैला कर चूत पर रगड़ने लगा तो वो गिड़गिड़ाने लगी प्लीज़ मुझे चोदो ना, मत तड़पाओ..अब मैंने अपने लंड का सुपाडा उसकी रसीली चूत के द्वार पे रख कर एक जोरदार धक्का लगाया........मर गई..निकालो....निकालो..मैं रुक गया और उसके चूंचियों के साथ खेलने लगा, कुछ पल में वो अपनी गांड हिलाने लगी तो मैंने एक और जोरदार धक्का लगाया लगभग 6" तक मेरा लंड उसकी चूत में घुस गया. उसकी चूत से खून बहने लगा. और वो अपने होंठो को दांत से दबा कर दर्द सहन कर रही थी... उसकी आँख से आंसू निकल आए थे... सारा बदन ऐंठ गया था. .. मेरे लंड पर खून ही खून लग गया था.. नीचे की चादर भी.. लाल हो रही थी.. मैंने थोड़ा बाहर खींचा और फ़िर से एक धक्का दिया ताकि रास्ता बन जाए.. और अब सारी दीवारें टूट गई. ...वो जोर जोर से चिल्लाने लगी..... मार.. डाला... ओह्ह्ह.. बहुत..दर्द हो ..रहा है... संजय... आह.. लग रहा..अन्दर चाकू से काट दिया है.., मैंने आगे झुक कर उसके बगल से हाथ डाला और पीठ की तरफ़ से उसके कंधो को जोर से पकड़ा. ताकि वो मेरा बाकी बचा हुआ लंड लेते वक्त हिल न सके और मैंने अपने होठं उसके होठं पर रख दिए और एक धक्का मारा इस बार मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया.....वो दर्द के मारे तड़पने लगी ...मैं थोडी देर उसके चूंचियों को धीरे धीरे दबाता रहा और उसे चूमता रहा। २ मिनिट बाद उसने थोडी राहत महसूस की तो अपने कुल्हे उठाने लगी। अब मैंने धीरे धीरे अपना लंड अन्दर -बाहर करने लगा. अब वो अपनी स्पीड बढाती जा रही थी. करीब १० मिनिट बाद उसका शरीर तंग हो गया ...वो झड़ गई...अब पूरा कमरा फचक फचाक ..फचक की आवाज से गूंज रहता.....साथ में रजनी की सिसकारियां आ..आया..या.य्य्य्य्य्य्य.ओह..या..या.. आह्ह्ह्ह... संजय.... तुम्हारा ये लन्ड....उफ़..मेरी चूत... .... कितना..अन्दर.. आह्ह.. मजा आ रहा है... चोदो..चोदो..फाड़ दो.....ऊऊऊउईईईईईईईईईईईईईईईईई अब मैंने भी स्पीड बढाई ....मेरा लंड चूत में इंजन के पिस्टन की तरह अन्दर बाहर हो रहा था......अब मेरी बारी थी सांसे एकदम तेज हो गई। दोनों पसीने से तर हो रहे थे.. मैंने पुरा लंड बाहर खिंच कर धक्के लगाने शुरू कर दिए.. लंड अन्दर गहराई तक जा रहा था.. और मेरा लंड अब फूलने लगा था.. मै झड़ने के करीब था.. करीब 8-१० बहुत जोरदार धक्के मार कर मैंने लंड को उसकी बच्चे दानी के मुंह पर दबाया और मेरे लंड ने पिचकारी चला दी.. और उसकी गर्मी से वो भी फ़िर से आह्ह...ओह्ह्ह बार दो... मुझे माँ.. बना दो..संजय.. गई मै.. आअह्ह..आअह्ह्ह.. करते हुए मेरे लंड को नेहला दिया. मै उसके ऊपर लेट कर मेरी साँस को दुरुस्त करने लगा और उसे चाटने लगा था...
हम अपनी मस्ती में सारी दुनिया भूल चुके थे। वो बहुत खुश थी। मैने जमकर ४५ मिनट तक चुदाई की। वो बोली - आज मैने असली सुहागरात मनाई है। शादी के बाद आज पहली बार सेक्स की प्यास बुझी है। चुदाई करते समय उसने बताया कि संजय तुम्हारा लन्ड मेरे पति के लंड से बहुत बड़ा और मोटा भी है। और इतना सख्त है.. उनका तो ठीक से खड़ा ही नहीहोता.. अन्दर डालने से पहले ही झड़ जाता है. अब पूरी रात में हमने ६-७ बार सेक्स किया। वो पूरी तरह तृप्त हो गई थी। उसने कहा कि मुझे सही मायनो में सेक्स का मतलब पता लगा है। फ़िर हमने इसके बाद सोमवार नंदिनी और उसके पति के आने से पहले 6 बार सेक्स किया। उसने कहा - आज मुझे पूरा विश्वास है कि मैं इस बार प्रेगनैन्ट हो जाउंगी और ऐसा ही हुआ।
अगली सुबह मैं नंदिनी को साथ ले कर ससुराल से वापिस आ गया. उसके बाद वो मुझे फ़ोन कर के बुलाती और मै एक अच्छे होटल में या जब उसका पति बाहर हो तो उसके घर में ही उसकी जम कर चुदाई करता. एक साल में ही उसने एक लड़के को जन्म दिया. उसकी शक्ल भी मेरे और नंदिनी के बेटे से मिलती है.
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !


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