Sunday, June 1, 2014

FUN-MAZA-MASTI उई माँ …मार दिया रे

FUN-MAZA-MASTI

 उई माँ …मार दिया रे
 बात उन दिनों की है जब मैं कॉलेज की पढ़ाई में बहुत ही मन लगा कर पढ़ता था। उस समय मेरी उम्र करीब 21 साल की रही होगी, मैं अपने मामा के यहाँ रहकर पढ़ता था।
मैं कॉलेज कभी-कभी जाया करता था क्योंकि वहाँ नाम मात्र की पढ़ाई होती थी।
मैं ज्यादातर अपनी कोचिंग से ही अपनी पढ़ाई पूरी कर लेता था और अपने दोस्तों से भी नोट्स माँग कर मैनेज कर लेता था।
आपको बता दूँ कि मेरे मामा का घर बहुत बड़ा और मेरे घर से लगभग 2 किमी की दूरी पर ही था। मेरा घर बहुत ही छोटा है, मेरे घर में मेरे मम्मी-पापा के अलावा मेरे दो छोटे भाई और एक छोटी बहन रहती है।
मेरा घर बहुत छोटा होने के कारण मेरा पढ़ाई अपने घर में नहीं हो पाती थी, जिसके कारण मैं रोज सुबह 10 बजे ही अपने मामा के यहाँ पढ़ाई करने चला जाता था और शाम को वापस घर आता था।
मेरे मामा को बेटा नहीं था, वो मुझे बेटे की तरह मानते थे और प्यार भी करते थे। मामी भी बहुत प्यार करती थीं और मुझे रोज अच्छे-अच्छे पकवान बना कर खिलाती थीं।
उनकी सिर्फ एक बेटी है, उसका नाम निधि है। वह पढ़ती थी और अगले साल उसे बोर्ड का एग्जाम देना था, जिसके कारण वह भी मन लगा कर पढ़ाई करती थी।
वह सुबह आठ बजे से बारह बजे तक कोचिंग के लिए जाती थी। उसे घर आते-आते 12:30 हो जाते थे।
मुझे मामाजी ने मेरी पढ़ाई के लिए एक अलग कमरा दे रखा था। मामाजी शाम 6 बजे अपने ऑफिस से लौटते थे।
एक दिन मैं मामाजी के यहाँ पढा़ई कर रहा था, तभी मेरी मामी मेरे कमरे मे आईं और बोलीं- अमित देखो, रसोई में गैस खत्म हो गई है और नया सिलेंडर लगाना मुझे नहीं आता है.. प्लीज़ चलो न.. लगा दो ना..! आई एम वेरी सॉरी.. तुम्हारी पढ़ाई में दखल करने के लिए।
मैंने कहा- इसमें सॉरी बोलने की क्या बात है.. मामी चलिए, मैं नया सिलेंडर लगा देता हूँ।
मैंने जाकर नया सिलेंडर लगा दिया तो उन्होंने कहा- चाय पी लो, पढ़ते-पढ़ते थक गए होगे।
मामी चाय बनाने लगीं और मैं रसोई से सटे कमरे में बैठ गया और चाय का इंतजार करने लगा।
थोड़ी देर बाद मामी चाय लेकर आईं और कहा- अमित, अगर प्रेशर-कुकर तीन सीटी दे दे तो गैस बन्द कर देना, थोड़ी देर में निधि कोचिंग से आ जाएगी।
और इतना कहने के बाद वो बाथरूम के अन्दर नहाने चली गईं।
एक बात आप सभी को बता दूँ कि मेरी मामी की उम्र अधिक नहीं थी और उनकी जवानी अभी चरम सीमा पर थी। वो काफी गोरी थीं और उनके लम्बे-लम्बे बाल थे और देखने में काफी कुछ सोनाली बेन्द्रे जैसी लगती थीं।
वो मुझे अपने दोस्त की तरह समझती थीं क्योंकि दिन भर मैं और मेरी मामी घर पर रहते थे, सो उनसे मेरे लगाव बहुत ज्यादा था।
मैं मन ही मन मामी के बारे में सोचा करता था कि मामा कितने भाग्यशाली है कि उन्हें मामी जैसी खूबसूरत औरत मिली।
उस समय मेरी जवानी अपनी शुरूआत में थी और मैं अपने और मामी के बारे में सोच कर मुठ मारा करता था। उस समय मेरी कोई गर्ल-फ्रेंड नहीं थी।
मैं मामी को चोदना चाहता था लेकिन डर था कि मेरे कुछ करने पर वो मामा को बता देंगी, तब क्या होगा?
तीन सीटी देने के बाद मैंने गैस बन्द कर दी और अपने ऊपर वाले रूम में जाने लगा। पता नहीं मेरे मन में क्या आया और मैंने सोचा कि मामी की बिंदास जवानी को ऊपर रूम से सटे हुए बाथरूम के वेंटीलेटर से देखा जाए, सो मैं ऊपर सीढ़ी वाले वेंटीलेटर से अपनी जवान मामी को देखने लगा, लेकिन मेरी मामी को यह पता नहीं था कि मैं ऊपर चला गया हूँ।
मैंने जैसे ही वेंटीलेटर के एक छोटे से छिद्र से देखा तो दंग रह गया वो अपनी दोनों चूचियों पर साबुन लगा कर झाग पैदा कर रही थीं और जोर-जोर से अपनी चूचियों को दबा रही थीं।
यह देखते ही मेरा लंड लोहे की तरह सख्त हो गया।
क्या बताऊँ दोस्तो, उस समय लगा कि मैं अपनी मामी को यहीं पटक कर चोद दूँ, बाद जो होगा सो देखा जाएगा।
इतने में कॉलबेल बजी तो देखा कि निधि आ गई थी।
मैं झट से अपने कमरे में चला आया और पढ़ने के लिए बैठ गया, लेकिन मेरे मन में मामी की गोल-गोल चूचियाँ ही दिख रही थीं।
उस रात मैं अपने मामा के यहाँ ही रूक गया था, क्योंकि निधि ने मुझसे मैथ्स में कुछ पूछना था, इसलिए मामाजी ने मेरी मम्मी को फोन कर दिया- दीदी, अमित आज यहाँ खा कर सो जाएगा, चिंता मत करना।
मेरी मम्मी मेरी चिंता बहुत करती थीं।
रात 12 बजे जब मैं पेशाब करने के लिए उठ कर बाथरूम की ओर जैसे ही बढ़ा कि मुझे कुछ खुसुर-फुसुर की आवाज सुनाई दी।
वो आवाज मामाजी के कमरे से आ रही थी।
मैंने दरवाजे के एक छोटे से छेद से देखा तो देखकर दंग ही रह गया। मैंने देखा कि मामा नीचे लेटे हुए थे और मामी ऊपर चढ़ी हुई थीं और जोर-जोर से सिसकारियाँ के रही थीं।
मामा नीचे से मामी के बुर को जोर-जोर से चोद रहे थे। मामा का लौड़ा काफी बड़ा और लम्बा दिख रहा था। मामी पूरी तरह से नंगी थी।
कुछ देर बाद मामा ने उठ कर मामी को बेड पर पटक दिया और उनकी मस्त भीगी हुई बुर को चाटने लगे और मामी को बड़ा मजा आ रहा था।
मामी अपने मुँह से ‘आह-ह आह..उई उई इइइईईई’ निकाल रही थीं।
यह सब देख मेरा लंड एकदम लोहे की तरह खड़ा हो कर फुंफकारने लगा था और पानी-पानी हो गया था। फिर मामी ने अपने मुँह से मामाजी का लंबा लंड को चूसने लगीं।
मामा भी मामी के बाल पकड़कर सहला रहे थे ओैर मामी जोर-जोर से मुँह ऊपर-नीचे कर रही थीं।
अंततः मामा जी ने मामी को इशारे में कहा कि लंड को छोड़ो और मेरे नीचे आ जाओ।
फिर मामी नीचे आ गईं, मामा ने अपने लंड को जोर से हिलाया और मामी की गुलाबी बुर के ऊपर रगड़ने लगे।
मामी की आँख में एक प्यासी कशिश थी, जो मामा को मन ही मन कह रही थी कि अब कितना तड़पाओगे.. जल्दी मेरी बुर में पेलो न.. !
मामा ने धीरे-धीरे रगड़ते हुए अपने लम्बे लौड़े को जोर से झटका मारते हुए मामी की बुर के अन्दर अपना लंड पेल दिया।
मामी जोर से चिल्ला उठीं और मामी के आँखों से पानी आ गया।
फिर उन्होंने अपने आप को संभालते हुए मामा को जोर से पकड़ लिया और मामा का साथ देने लगीं।
मामा उस समय तो कसाई जैसे लग रहे थे। मामी दर्द से चिल्ला रही थीं और मस्त चुदवा रही थीं।
मामा भी अपना लंड को बिना रोके चोद रहे थे।
इतने मे पीछे से कोई ने मुझे आवाज लगाई।
मैंने पलट कर देखा तो पीछे निधि खड़ी थी।
मैं तो उसे देख कर सहम गया।

 वो बोली- आप यहाँ क्या कर रहे हैं भैया.. और दरवाजे से क्या झांक रहे है?
मैंने उसे टालने की कोशिश की, लेकिन वो मानने को तैयार ही नहीं हो रही थी और वो मुझे पीछे हटाकर खुद देखने लगी।
करीब दस सेकेंड देखने के बाद वो मेरी तरफ देखने लगी और शरमा गई।
मैंने उससे कहा- मैंने मना किया था न..! तो फिर क्यों देखा?
“हाँ.. भैया आपने तो मना तो किया था.. पर आपको बताना चाहिये था कि अन्दर क्या हो रहा है?”
मैंने कहा- क्या बताता..! कि अन्दर तुम्हारे पापा तुम्हारी मम्मी की जोरदार चुदाई कर रहे हैं।
वो फिर शरमा गई और मन ही मन हँसने लगी।
हम लोग ये सब बातें धीरे-धीरे इसलिए कर रहे थे कि कहीं हमारी आवाज अन्दर ना चली जाए।
तो मैंने निधि से कहा- चलो यहाँ से.. हमारी आवाज अन्दर चली जाएगी तो गजब हो जाएगा।
थोड़ी देर बाद निधि मेरे कमरे में आई और बोली- भैया जो हमने देखा उसे किसी अपने दोस्त को मत बताना।
मैंने कहा- पागल हो क्या..! यह बात तो क्या.. मैं कभी कुछ नहीं बताता..!
वो तपाक से बोली- कौन सी और बात?
तो मेरे मुँह से यह निकल गया कि मैं रोज तुम्हारी मम्मी को नहाते हुए देखता हूँ.. वो बात..!
वो बोली- क्या आप मेरी मम्मी को रोज नहाते हुए देखते हैं?
मैंने ‘हाँ’ में अपना सिर हिला दिया।
फिर वो बोली- भैया आप तो बड़े छुपे-रूस्तम निकले। आप को भी मेरा एक काम करना होगा।
मैंने पूछा- क्या?
वो बोली- जैसे अभी हम दोनों नीचे देख कर आए हैं.. आप भी मेरे साथ वैसा कीजिए न..!
मैंने कहा- क्या..??
वो बोली- हाँ भइया.. आप मेरी भी जोरदार चुदाई करो ना..! बिल्कुल मेरे पापा की तरह..!
मेरी तो समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ..!
मैं तो इसकी माँ को चोदना चाहता था यहाँ तो ताजा बुर भी मेरा इंतजार कर रही है।
मेरे तो मन में लड्डू फूटने लगे, चलो भगवान देता है तो छप्पर फाड़ के देता है.. फटी बुर चोदने से अच्छा है कि मस्त ताजा बुर को चोदूँ।
मैंने कहा- निधि, हम दोनों के लिये यह अच्छी बात नहीं है..!
तो वो झट से बोली- मेरी माँ को नहाते देख कर आप को अच्छा लगता है ओैर मुझ पर डायलॉग झाड़ रहे हो.. यह अच्छी बात नहीं है.. चलो अब इंसानियत छोड़ो और मुझे चोदो।
और इतना कहते ही वो मुझसे लिपट गई और मेरे होंठों को चूसने लगी। मैं भी उसके होंठों को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा।
फिर उसने कहा- भैया दरवाजा बन्द कर दो नहीं तो किसी को शक हो जाएगा कि मैं इतनी रात तुम्हारे कमरे में क्या कर रही हूँ।
मैंने वैसा ही किया जैसा निधि ने बोला।
मैं जैसे ही दरवाजा बन्द कर वापस मुड़ा, तो वो अपने कपड़े उतार रही थी।
मैंने उसे रोकते हुए कहा- जानू मैं कब काम आऊँगा, सब तुम ही कर लोगी तो मैं क्या करूँगा?
मैंने सबसे पहले उसके पास जाकर उसे चूमना शुरू किया और मेरा एक हाथ उसके चूची पर थी, जो धीरे-धीरे उस पर अपना दबाव बना रही थी। फिर उसके बालों को मैंने पूरा खोल दिया।
उसके बाद उसकी कमीज के अन्दर अपना हाथ डालकर ब्रेज़ियर के हुक को खोल दिया। उसकी चूची इतनी उभरी हुई थी कि मैं क्या कोई भी उसका दीवाना हो जाता। उसकी चूची को मैंने मुँह में लिया और चूसने लगा।
वो “आह उई ई” कर-कर के सिसकियाँ भर रही थी और मैं जोर से चूसे जा रहा था।
वो थोड़ी देर बाद बोली- भैया अब मेरी घुण्डी दर्द कर रही है।
मैंने कहा- मुझसे चुदवा रही हो और मुझे भैया भी बोल रही हो?
फिर उसके सारे कपड़े मैंने उतार दिए और वो अब बिल्कुल नंगी हो चुकी थी।
मैंने भी अपने सारे कपड़े खोल दिए थे। फिर उसने मेरे लौड़े को खड़ा करने के लिये उसे जोर-जोर से चूसने लगी, बिल्कुल अपनी माँ की तरह।
मैं मन ही मन कह रहा था कि दोनों माँ-बेटी एक जैसी चुदवाती हैं।
फिर उसे मैंने नीचे लिटाया और उसकी गरमा-गरम बुर को चाटना शुरू कर दिया।
उसकी बुर से पानी ही पानी निकल रहा था, जो स्वाद में नमकीन लग रहा था।
मैं लगभग आधे घंटे तक उसकी बुर को चाटता रहा और वो सिसकियाँ पर सिसकियाँ भर रही थी- आह… उई माँ… और चाटो.. खूब चाटो मेरे जानू… तुम बहुत अच्छे से चाटते हो और चाटो आह…
मैं और जोर-जोर से चाटने लगा।
थोड़ी देर बाद वो खुद बोली- अमित, अब तुम मुझे, मेरी बुर को चोदो !
मैं- नहीं पगली, मेरा लण्ड बहुत बड़ा और लम्बा है.. तुम्हारी बुर फट जाएगी और तुम्हें बहुत दर्द होगा।
वो बोली- भैया आपको मैं एक बात बता दूँ कि लण्ड कैसा भी हो.. किसी भी लड़की या औरत की चूत हर तरह का लण्ड संभाल सकती है !
“तुम्हारी बात में दम तो है.. चलो देखते हैं.. कौन किसको संभालता है।” इतना कहते ही मैं उसके ऊपर आ गया और अपना लौड़ा उसकी बुर के ऊपर टिका दिया और धीरे-धीरे अन्दर डालने लगा। लेकिन उसकी बुर टाइट होने के कारण मेरा लण्ड में फंसाव हो रहा था और मेरे लण्ड का पूरा सुपारा बाहर निकल आया था। मैं फिर उसकी बुर के अन्दर अपना लण्ड डालने लगा और धीरे-धीरे डालते हुए एक जोरदार धक्का दे दिया।
“आह… उई माँ …मार दिया रे.. ! इतना बड़ा लण्ड… मुझको बहुत दर्द हो रहा है.. निकालो जल्दी.. निकालो..!”
मैंने कहा- कुछ नहीं होगा सिर्फ बरदाश्त करो। फिर देखना तुम्हें अच्छा लगेगा !
और वो मुझसे लिपट गई, मैं धीरे-धीरे उसकी बुर के अन्दर ठोलें मार रहा था।
इतने में देखा कि मेरा लण्ड बुरी तरह खून से सन कर लाल हो गया है। मैंने अपने लण्ड को बाहर निकाल कर उसके फेंके हुए दुपट्टे से साफ किया और फिर उसकी बुर में अपना लौड़ा को पेलकर जोर-जोर से चोदने लगा।
उसे और भी आनन्द आ रहा था और मेरा कमर पकड़ कर जोरदार धक्के सह रही थी।
चुदाई का इतना मजा आ रहा था कि मैंने पूरी रात-भर उसे चार बार चोदा और एक बार अपना सारा वीर्य उसके बुर के अन्दर ही गिरा दिया।
उस दिन के बाद हम दोनों का अक्सर पढ़ने-पढ़ाने के बहाने चोदा-चुदाई का तांडव चलता रहा





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