Saturday, November 30, 2013

FUN-MAZA-MASTI रोहन और रीमा--19

FUN-MAZA-MASTI
 रोहन और रीमा--19

 ५ मिनट के बाद टेक्सी वाला भी आ गया और फिर नीतू रीमा के साथ
टेक्सी में बेठ कर मालिक के बंगले की और चल दी
मलिक के बंगले पर पहंचकर नीतू ने टेक्सी वाले को विदा किया और बंगले के बाहर खड़े गार्ड को अपना नाम बताया तो
उसने उन दोनों को बिना कोई सवाल किये अन्दर जाने को कह दिया और फिर वो दोनों बंगले में चली गयी ,
जैसे ही वो दोनों बंगले में दाखिल हुई तो रीमा ने थोड़ी बेचेनी से कहा ...
भाभी हम यहाँ आ तो गए ..लेकिन आपको पक्का यकीन तो है न की पैसो का इंतजाम हो जायेगा ... कोई गड़बड़ तो नहीं होगी न ?
नीतू ने कहा ...
ह्म्म्म यकीन है तभी तो तुझे यहाँ लेकर आई हूँ बस अब जैसे-२ में कहूँ तू वैसे-२ करती जाना और हाँ एक बात का ख़ास
तौर पर ध्यान रखना की सिर्फ मतलब की बात ही करना बाकी सब में अपने आप संभाल लुंगी ... समझी की नहीं .....
नीतू की बात सुन रीमा ने अपनी गर्दन हिलाते हुए कहा ... ठीक है भाभी में पूरा ध्यान रखूंगी ...
और फिर वो दोनों चलते -२ मालिक के रूम के पास पहुच गई मलिक के रूम के बाहर पहुंचकर नीतू ने रीमा से कहा
सुन रीमा .... तू अभी यही खड़ी रहना और जब तक में तुझे बुलाने नहीं आऊ तब तक अन्दर नहीं आना क्योकि में
पहले अंदर जाकर मलिक का मूड देखती हूँ फिर तुझे बुला लुंगी ..... ठीक है ...
कहते हुए नीतू मलिक के कमरे में दाखिल हो गयी और रीमा वहीँ बाहर ही रुक गयी ....
कमरे में दाखिल होते ही नीतू की नजर मलिक पर पड़ी जो एक आराम कुर्सी पर अधलेटा हुआ था और उसके हाथ में
शराब का गिलास था ऐसा लग रहा था जैसे वो अपनी ही मस्ती में मस्त पड़ा है क्योकि नीतू के आगमन का भी उसको
कोई आभास नहीं हुआ था ,,
और फिर जैसे ही नीतू की नजर मालिक के पैरो की तरफ गयी तो वो चोंक कर ठिठक गयी क्योकि मलिक के पैरो
के पास नीचे फर्श पर एक औरत जो करीब -२ अर्धनग्न अवस्था में थी बेठी हुई मालिक के पैर दबा रही थी....
नीतू ने मलिक के बिलकुल करीब जाकर उसे हाथ जोड़कर नमस्ते करी तो मलिक का ध्यान भंग हुआ और वो नीतू
को देख कर खुश होते हुए बोला .... अरे तू कब आई ?
नीतू ने फर्श पर बेठी औरत की तरफ देखते हुए कहा ......मलिक साहब ........में कहीं गलत टाइम पर तो नहीं आ गयी .......
मलिक को भी नीतू की कहीं पे निगाहे कहीं पर निशाना वाला डायलोग समझ में आ चूका था ....
इसलिए वो अपने पैर से फर्श पर बेठी औरत के उभारो को दबाते हुए बोला ....
अरे नहीं..,..नहीं मेरी जान ..... तू बिलकुल सही टाइम पर आई है ..... और ये .....ये तो मेरी नयी मेड है ...
कहते हुए मलिक हंसने लगा और फिर नीतू की और देख कर बोला ... जरा देख तो सही माल कैसा है ?
मलिक की बात सुन कर नीतू को मन ही मन उस औरत की किस्मत पर तरस तो बहुत आ रहा था लेकिन वो कर
भी क्या सकती थी इसलिए उसने अपने चेहरे पर बनावटी मुस्कान बिखेरते हुए कहा ....
बहुत अच्छी है सर ... लेकिन पता नहीं क्यों ये मुझे किसी भी एंगल से मेड नहीं लग रही लगता है आप मुझसे
मजाक कर रहे है .,,,,,कहती हुई नीतू मलिक को सवालिया निगाहों से देखने लगी ,,
मलिक ने इस बार हँसते हुए कहा .... तू भी अब समझदार होती जा रही है मेरी जान तूने ठीक समझा है
इसका नाम ज्योति है और ये भी तेरे जैसा ही मेरे टाइम पास का एक खिलौना है .....
कहते हुए मालिक ने अपने पैर से ही फर्श पर बेठी औरत के मुंह को ऊपर उठाते हुए फिर से कहा ...
अभी नयी है न इसलिए इसको ट्रेंड कर रहा हूँ वैसे काफी समझदार है जल्दी ही सब समझ जायेगी ...
मलिक की बात सुन कर नीतू की आँखों में एक पल के लिए मलिक के लिए घर्णा जरूर आई लेकिन अगले ही पल
उसने खुद को संयत करते हुए फर्श पर बेठी ज्योति के चेहरे को गौर से देखा तो ज्योति की बेबस निगाहों ने
नीतू को अन्दर तक झिंझोड़ कर रख दिया ,,
उसकी बेबस निगाहे और चेहरे पर छाई लाचारी को नीतू अच्छी तरह समझ रही थी क्योकि वो खुद भी तो मलिक
की हेवानियत का शिकार बन चुकी थी और अच्छी तरह से जानती थी की मलिक के शिकंजे में फंसी हुई औरत की
स्तिथि ठीक वैसे ही परकटे परिंदे की तरह होती है जो चाह कर भी उड़ान नहीं भर सकता था ,,
इस से पहले की नीतू कुछ बोलती मलिक ने अपने गिलास में बची हुई शराब को एक ही झटके में ख़तम किया और
खाली गिलास को ज्योति की तरफ उछाल कर बोला .... चल उठ............. पेग बना कर ला .....
मलिक का हुक्म सुनते ही ज्योति किसी रोबोट की तरह से उठी और पेग बनाने चली गयी ...
और फिर मलिक ने नीतू का हाथ पकड़ कर उसे अपनी गोद में खींच लिया ...
नीतू भी चुपचाप किसी पालतू जानवर की तरह मलिक की गोद में बेठी गयी और मलिक उसके जिस्म को सहलाने लगा
इसी बीच ज्योति मलिक का पेग बना कर ले आई और नीतू ने उसके हाथ से वो पेग ले लिया अब नीतू मालिक की
गोद में बेठी अपने हाथ से मलिक को शराब पिला रही थी .....
और ज्योति को शायद समझ नहीं आ रहा था की अब वो क्या करे इसलिए वो अपने दोनों हाथो को बाँध कर
अपनी जगह पर खड़ी हो गयी ,
शराब की चुस्की मारते हुए मालिक ने कहा .... हाँ नीतू अब तू बोल ........ क्या कह रही थी फ़ोन पर ?
लेकिन नीतू के दिमाग में शायद अभी कुछ और ही चल रहा था इसलिए उसने अपने नितम्बो को मलिक के लिंग पर
रगड़ते हुए बड़ी अदा से कहा ...............बताती हूँ न इतनी जल्दी भी क्या है ..........कहते कहते नीतू ने ज्योति की और
इशारा करते हुए कहा .... मलिक साहब आपने ये नहीं बताया की इतनी हॉट मेड आपको मिली कैसे ?
नीतू ने जिस अदा से अपने नितम्बो को मलिक के लिंग पर रगडा था उस से मलिक के तन बदन में वासना की
लहरें दौड़ने लगी थी ..... उसने नीतू के उभार को सहलाते हुए कहा ....
इसके खसम ने मुझसे ब्याज पर पैसा लिया था लेकिन उसका बिजनेस फ्लॉप हो गया और जब रकम वापसी का समय
आया तो उसके पास असल तो दूर की बात ब्याज तक देने को नहीं था ,,
उसने मुझसे कर्ज वापसी के लिए थोडा टाइम और माँगा जो मेने दे दिया लेकिन वो फिर भी पैसा लौटाने में नाकाम रहा
तो मेने उसको अपने आदमी भेज कर उठवा लिया और मार -२ के साले को छठी का दूध याद दिलवा दिया ...
ये भी अपने खसम को सूंघते -२ यहाँ तक आ पहुंची और इसको देखते ही मुझे इसके खसम पर दया आने लगी
कहते -२ मलिक ने नीतू के ब्लाउज में अपना हाथ डाल कर उसके उभारो को मसल दिया मलिक की इस हरकत से
नीतू को एहसास होने लगा था की वो बहुत ज्यादा उत्तेजित हो चूका है ...
और नीतू भी तो यही चाहती थी की वो मलिक की उत्तेजना को एक बार उसकी चरम सीमा पर पहुंचा दे ....
इसलिए नीतू ने एक बार फिर से अपने नितम्बो को मलिक के लिंग पर रगड़ते हुए बड़े ही चुल्बलेपन से कहा ....
आपको दया आई थी या आपकी बीच वाली टांग को ............
नीतू की इस हरकत से मलिक बहुत ज्यादा उतेजित हो गया और बोला .....
हाँ ........इस साली की मस्त जवानी को देख कर मेरे लंड में ऐसा तूफ़ान मचा की मेने इसको हासिल करने के
लिए इसके खसम के सामने एक शर्त रख दी ....
नीतू .... कैसी शर्त ?
मलिक ... यही की वो जब तक वो मेरे पैसे नहीं लौटाता तब तक ये मेरे घर में मेड बन कर रहेगी ..
नीतू ... फिर क्या हुआ उसने मान लिया इस बात को ..
मलिक किसी शैतान की तरह ठहाका मार के बोला .... मानता कैसे नहीं .... उसके पास और कोई रास्ता ही नहीं था .
आई बात तेरी समझ में या नहीं .................... कहते हुए मलिक ने नीतू के उभार को इस बार बड़ी ही बेदर्दी से मसल दिया
मलिक ने नीतू के उभार को इतनी जोर से मसला था की नीतू चुहंक कर मलिक की गोद में उछल पड़ी
मलिक ने इस बार नीतू के उभारो को प्यार से सहलाते हुए कहा ... चल अब तू बता ..... क्या बात है ?
नीतू को भी अब अपने नितम्बो में गड़े मलिक के लिंग की उत्तेजना का आभास हो रहा था
उसने कहा ................. मुझे आपसे अकेले में बात करनी है ....
नीतू की बात सुन कर मलिक ने ज्योति को कमरे से बाहर जाने का इशारा किया तो वो चुपचाप वहां से चली गयी
अब कमरे में सिर्फ नीतू और मलिक ही थे ... नीतू ने मलिक की छाती के बालो में ऊँगली फेरते हुए कहा
मलिक साहब ..........आज में आपके लिए एक ऐसा तोहफा लायी हूँ जिसको देख कर आप ख़ुशी से उछल पड़ेंगे ...
नीतू की बात सुन कर मलिक ने चोंकते हुए इधर उधर देखा और बोला .......
किधर है मुझे तो कहीं भी कुछ दिखाई नहीं दे रहा .........
नीतू ने इस बार मुस्कराते हुए कहा ...
१ मिनट रुकिए अभी दिखाती हूँ .........................कहते हुए वो मलिक की गोद से उठी और कमरे के बाहर चली गयी
नीतू जब वापिस आई तो उसके साथ इस बार रीमा थी लेकिन रीमा का चेहरा मलिक को दिखाई नहीं दे रहा था
क्योकि नीतू के कहने पर रीमा में घुंघट से अपने चेहरे को छुपा लिए था ,,
रीमा का हाथ पकड़ कर नीतू उसको मालिक के पास ले गयी और बोली
जरा गौर से देखिये मलिक साहब .... कितना नशीला हुस्न लायी हूँ में आपके लिए ,,,
मलिक को रीमा का चेहरा तो दिखाई नहीं दे रहा था लेकिन काले लिबास में छुपा रीमा का हुस्न मलिक पर
बिजलिया गिरा रहा था
रीमा को यहाँ लाने से पहले नीतू ने जिस तरह से तैयार किया था वो वाकई में बेमिसाल था
नाभि से नीचे बंधी हुई साड़ी में रीमा के जिस्म के कटाव देख कर मलिक की लार टपकने लगी थी
मलिक से अब रहा नहीं जा रहा था उसने कहा ...........
मुझे तेरा तोहफा पसंद है .............. जल्दी से इसकी कीमत बोल ?

 नीतू ने किसी मंझे हुए सेल्समेन की तरह मालिक को अपने जाल में फंसते देखकर रीमा को उसकी जगह पर
ही खड़े -२ घुमा दिया और उसकी साड़ी को घुटनों तक ऊपर करके बोली ...
बता रही हूँ मलिक साहब इतने उतावले क्यों हो रहे है पहले जरा अच्छी तरह से देखिये तो सही
इसके सांचे में तराशे हुए जिस्म को वो भी ऐसा जैसे मक्खन मलाई से बना हुआ हो ,,
आपने आज तक ऐसा जिस्म देखा बेशक होगा लेकिन इतना में भी दावे से कह सकती हूँ कि भोगा कभी नहीं होगा
मालिक जो पहले से ही रीमा के हुस्न का दवाना बन चूका था वो अब उसकी केले के तने जैसी गोरी चिकनी
पिंडलिया देख बिलकुल पागल हो गया और उत्तेजना में हाँफते हुए बोला ..
तूने सुना नहीं ............इसकी कीमत बोल जल्दी से क्योकि अब मुझसे और रुका नहीं जा रहा अब तो मेरे दिल को
चैन तभी मिलेगा जब में इस कयामत को अपने बिस्तर की रानी बना लूँगा ....
नीतू ने मलिक को गौर से देखते हुए कहा ....
वैसे तो ऐसे नायाब हुस्न की कोई भी कीमत लगाना बेईमानी होगी क्योकि ऐसा हुस्न मेरी नजर में अनमोल है
फिर भी अगर आप इस रसीले योवन का रसपान करना चाहते है तो आपको नजराने में सिर्फ २ लाख देने होंगे
और उन २ लाख रुपयों के एवज में ये सिर्फ एक रात आपके साथ बिताएगी ,,
कहकर नीतू मलिक को मुस्कराती हुई देखने लगी ...
और उधर २ लाख का नाम सुनते ही मलिक के दिमाग से जैसे रीमा के हुस्न के नशे के साथ साथ शराब का नशा भी
ऐसे काफूर हो गया ........जैसे गधे के सर से सींग गायब होते है ........... वो झल्लाता हुआ बोला
पागल हो गयी है क्या तू ... साली रंडी ....२ लाख का मतलब भी जानती है तू ........या ऐसे ही भोंक दिया तूने ....
हालाँकि मलिक ने जिस लहजे में नीतू से ये सब कहा था वो बेहद घटिया था लेकिन फिर भी नीतू ने
बिलकुल संयत लहजे में कहा ......जानती हूँ मलिक साहब और ये भी जानती हूँ की हीरे की कदर सिर्फ जोहरी ही करना
जानता है इसलिए इस हीरे को में सबसे पहले आपके ही पास लायी थी लेकिन आपकी बातो से मुझे अब लग रहा है कि
आपकी परख भी अब उम्र के साथ साथ कमजोर पड़ने लगी है ,,
मलिक को नीतू की ये बात जैसे किसी शूल की तरह से चुभ गयी थी .... उसने तिलमिलाते हुए कहा ...
साली २ टके की औरत अपनी औकात मत भूल तू अच्छी तरह से इस बात को जानती है की में अपने लंड की
ख़ुशी के लिए २ लाख तो क्या १० लाख भी खर्च कर सकता हूँ ....पहले इसकी शक्ल तो दिखा मुझे फिर में भी
तुझे बताता हूँ ये कितनी कीमत का माल है
नीतू को अब लगने लगा था की लोहा पूरी तरह से गरम हो चूका है इसलिए उसने चोट मारने में देरी न करते हुए
रीमा का घूँघट उठा कर उसे मलिक के बिलकुल ठीक सामने खड़ा कर किया ....
मलिक कुछ पल के लिए टकटकी लगाये रीमा के चेहरे को देखता ही रहा फिर कुछ सोचते हुए बोला
ये तो वही है न जो तेरे पड़ोस में रहती है ...... जिसका मर्द अपाहिज है .... वो ही है न ये ?
नीतू ने मुस्कराते हुए कहा ....
जी हां ये बिलकुल ये वही है जिसको आपने उस दिन मेरे घर देखा पर था फिर तो आपको ये भी याद आगया होगा
की इसको देखकर आपको क्या हुआ था ..... कितने बेचेन हो उठे थे आप उस वक़्त इसको हासिल करने के लिए ....
मलिक को जैसे कुछ याद आया हो वो खुश होता हुआ बोला ....
हां--हां सब याद है मुझे लेकिन उस दिन तो तू इसकी शान में बड़े कसीदे पड़ रही थी की ये तो बड़ी ही शरीफ और खुद्दार किस्म की औरत है
इस काम के लिए तो ये किसी भी कीमत पर राज़ी नहीं होगी ....और आज ये अपनी बोली लगवाने खुद चलकर तेरे साथ आई है
कुछ समझ नहीं आया मुझे................. आखिर माजरा क्या है ?
मलिक के इस सवाल ने रीमा के साथ साथ नीतू की भी अंतरात्मा को बुरी तरह से झिंझोड़ कर रख दिया था
क्योकि रीमा के साथ साथ नीतू भी इस बात को अच्छी तरह से जानती थी की किस्मत ने रीमा को किस मोड़ पर लाकर
खड़ा कर दिया है एक ऐसे मोड़ पर जहाँ उसके पास सिर्फ एक ही रास्ता बचा है आखिर कैसा अनोखा मोड़ था ये ............
खैर वक़्त का तकाजा था की जवाब देना नीतू की मजबूरी थी इसलिए उसने कहा ...
हाँ मलिक साहब मेने उस दिन आपसे जो कहा था वो भी उतना ही सच था जितना इस वक़्त ये सच है की ये खुद
आपके सामने खड़ी अपनी अस्मत का सौदा होते देख रही है ....
मलिक ने अपनी पलकों को झपकाते हुए कहा ...... सीधी-२ बात बता मुझे ...... ये सब चुतियापा मुझे समझ नहीं आता
मुझे तो सिर्फ ये बता की आज इसको यहाँ तक आने के लिए किसी ने मजबूर किया है या ये खुद अपनी मर्जी से आई है ?
नीतू ने कहा .... हाँ इसको मजबूर किया है वक़्त ने ... इसके हालातो ने ........ और ये अपने आप यहाँ आई है ,,
मलिक को जैसे कुछ कुछ समझ आने लगा हो उसने कहा ..... हम्म तो मुद्दा ये है की इसको पैसे की जरूरत है ...
लेकिन पैसे की जरुरत तो इसको उस वक़्त भी थी ....तूने बताया था की ये नौकरी के लिए धक्के खाती फिर रही है ..
उस वक़्त जब ये सती सावित्री थी तो फिर आज अचानक इसने अपना इरादा कैसे बदल दिया ?
नीतू ने इस बार बिलकुल सपाट लहजे में कहा ....
मलिक साहब दरअसल बात ये है की इसके पति की तबियत अचानक बहुत ज्यादा बिगड़ गयी है और उसके ऑपरेशन के लिए
इसको २ लाख रूपये की जरुरत है, इस बेचारी ने हालाँकि पैसो का इंतजाम करने के लिए बहुत कोशिश करी लेकिन कर नहीं पायी
इसलिए जब इसके पास और कोई चारा नहीं बचा तो बहुत मजबूर होकर इसने ये फैसला लिया है ,,कहते -२ नीतू की आवाज भर्राने लगी ,,
लेकिन मलिक जैसे कमीने इंसान के लिए किसी की मज़बूरी या दर्द कोई मायने नहीं रखता था उसको तो जैसे इन सब बातो से
अनजाने में ही फायदे का सौदा दिखाई दे रहा था उसने रीमा की मज़बूरी का फायदा उठाते हुए कहा ....
ह्म्म्म तो ये है असल जड़ की बात .... चल कोई बात नहीं कैसे भी सही अब जब ये मेरे पास आई ही है तो में इसको निराश नहीं करूँगा
लेकिन इसको २ लाख रूपये के बदले मेरे पास पुरे ७ दिनों तक रहना पड़ेगा और पुरे तन मन से मेरी सेवा करनी पड़ेगी ....
अगर मंजूर है तो बोलो .....





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FUN-MAZA-MASTI रोहन और रीमा--18

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 रोहन और रीमा--18
 रीमा घुटनों में अपने मुंह को छुपाये न जाने कब से सिसक रही थी की अचानक नीतू की आवाज ने उसको
अपनी उदासी से उबरने के लिए मजबूर कर दिया ...
रीमा ने आंसुओ से भीगे अपने चेहरे को ऊपर उठा कर सुर्ख आँखों से नीतू की और देखा ..
रीमा की हालत देखकर नीतू ने सबसे पहले तो अपनी साड़ी के आँचल से रीमा के आंसुओ को पोंछा और फिर
बड़े ही प्यार से रीमा के सर पर अपना हाथ फेरती हुई बोली
''देख रीमा अगर तू इस तरह से रो रो कर अपना बुरा हाल कर लेगी तो फिर रोहन का ख्याल कोन रखेगा ''..

में जानती हूँ की इस वक़्त तुझ पर क्या बीत रही है लेकिन जरा सोच की ऐसे रोने से भला क्या ये मुसीबत टल जायेगी
रीमा के पास नीतू की किसी भी बात का कोई जवाब नहीं था वो तो बस गुमसुम सी बेठी रही ...
नीतू ने फिर से रीमा को कहा ....चल कुछ खा ले .... देख में तेरे लिए खाना लायी हूँ ....
कहते हुए नीतू ने लंच बॉक्स को अपने बेग से निकाल कर रीमा के आगे रख दिया ...
एक नजर लंच बॉक्स पर डाल कर रीमा ने बड़ी ही दर्द भरी आवाज में कहा ....
नहीं भाभी इस वक़्त मेरे से कुछ भी नहीं खाया जायेगा प्लीज मुझे खाने के लिए मत कहिये ,,
नीतू ने रीमा को समझाते हुए कहा ....
सुन रीमा अगर तू कुछ खाएगी पीयेगी नहीं तो ऐसे कब तक चलेगा ऐसे तो तू खुद भी बिस्तर पर पड़ जाएगी ...
चल अब जल्दी से खा ले ....... में तुझे जिद्द नहीं कर रही लेकिन जितना भी तेरा मन करे उतना खा ले ....
कहते है की डूबते को तिनके का सहारा भी बहुत होता है और वही हाल इस वक़्त रीमा का भी था क्योकि इस वक़्त नीतू ही तो थी
जो उसकी सबसे बड़ी हमदर्द थी ...बेशक रीमा इस बात को भी अच्छी तरह से जानती थी की नीतू ने पिछले दिनों उसके साथ कोनसा
खेल खेला है , लेकिन साथ ही साथ रीमा इस बात को भी अच्छे से जानती थी की फिलहाल उसको नीतू के साथ की कितनी जरुरत है
इसलिए वो भी पिछली बातो को भुला कर नीतू के साथ बड़े ही अपनेपन से पेश आ रही थी ,,
और फिर नीतू ने समझा बुझा कर रीमा को आखिरकार थोडा सा खिला ही दिया ...
रोहन अभी भी गहरी नींद में था लेकिन रीमा लगातार रोहन की हालत को देख-२ कर विचलित हो रही थी ...
नीतू बेशक उसको दिलासा देने की पूरी कोशिश कर रही थी लेकिन रीमा अब तक इस बात को अच्छी तरह से
समझ चुकी थी की अगर कल तक रोहन का ऑपरेशन नहीं हुआ तो वो रोहन को हमेशा के लिए खो देगी ....
तभी अचानक रोहन की निद्रा भंग हुई और वो अर्ध-मुर्छित अवस्था में रीमा------ रीमा पुकारने लगा ...
रोहन की आवाज सुनते ही रीमा और नीतू दोनों का ध्यान भंग हो गया और रीमा लपक पर रोहन के बेड के पास
पहुँच गयी और रोहन के सर पर अपने हाथ को बड़े ही प्यार से फेरने लगी ...
लेकिन रोहन शायद पुरे होश में नहीं था क्योकि उसको रीमा की मौजूदगी का एहसास नहीं हो रहा था
वो निरंतर रीमा--- रीमा करके बडबडाता जा रहा था हालाँकि रीमा उसको अपनी मौजूदगी का एहसास करवाने के लिए
लगातार उसके साथ बोल रही थी ...
हाँ रोहन में आपके पास ही हूँ ... बोलिए न क्या हो रहा है ... बोलिए न क्या हुआ ... कुछ तो बोलिए ..

लेकिन रोहन इस सबसे अनजान सिर्फ .. रीमा ..... रीमा ..... रीमा ..... बडबडाये जा रहा था ..,,,,
ऐसा लग रहा था जैसे रोहन के दिमाग पर अभी तक नीद के इंजेक्शन का गहरा असर था ....
तभी रीमा का ध्यान रोहन की नाक से निकलती लहू की लकीर पर गया जो उसकी नाक से निकल कर उसकी गरदन तक
जाने लगी थी और उस लहू को देखते ही रीमा तो जैसे अपनी सुध बुध खो बेठी और वो बड़ी ही घबराहट में .....
सिस्टर -२ कहती हुई चिल्लाने लगी लेकिन उस वक़्त शायद कोई भी नर्स रोहन वाले वार्ड में मौजूद नहीं थी ...
किसी नर्स को न देख रीमा वार्ड से बाहर की और भागी और बाहर जाते ही उसको नर्स दिखाई दे गयी
रीमा ने हाँफते हुए नर्स को रोहन की नाक से निकलने वाले खून के बारे में बताया तो सुनकर नर्स भी घबरा गयी और
उसने जल्दी से जाकर इमरजेंसी डॉक्टर को बुला लिया ...
डॉक्टर ने रोहन को फिर से कोई इंजेक्शन दिया और रोहन एकबार फिर से गहरी नींद में सो गया और उसकी नाक से
निकलने वाला लहू भी रुक गया ....
रीमा ने डॉक्टर को बड़ी बेचेनी भरी निगाहों से देखते हुए कहा ;;;
ये क्या हुआ था डॉक्टर साहब इनकी नाक से अचानक खून क्यों निकलने लगा था ?
कोई खतरे वाली बात तो नहीं है न ?
डॉक्टर ने कहा ....
देखिये आपके पति इस वक़्त जिस स्टेज पर है उस स्टेज में जब तक इनका ऑपरेशन नहीं हो जाता ये सब होना नार्मल बात है
शुक्र है की खून सिर्फ इनकी नाक से ही निकला था नहीं तो अक्सर इस तरह के केस में मरीज के मुंह से भी खून आ जाता है
खैर आप चिंता मत कीजिये मेने इनको इंजेक्शन दे दिया है और अब ये आराम से सोये रहेंगे ....मुझे उम्मीद है की
इनकी हालत भी इस्थिर रहेगी लेकिन आप इनके ऑपरेशन में बिलकुल भी देर न करे क्योकि अगर इनका ऑपरेशन
कल रात तक नहीं हुआ तो इनकी पोजीशन और क्रिटिकल होती जायेगी और फिर शायद हमारे हाथ में भी कुछ नहीं होगा ...
डॉक्टर तो अपनी बात कहता हुआ चला गया लेकिन रीमा किसी पत्थर के बुत की तरह वही खड़ी की खड़ी रह गयी
कुछ देर तक रीमा अपलक रोहन की और देखती रही और फिर अचानक रीमा के चेहरे के भाव बदलने लगे ऐसा लग रहा था
मानो वो मन ही मन कोई ठोस निर्णय ले चुकी है.......
नीतू भी रीमा के चेहरे के भाव देख कर घबरा गयी उसने रीमा को झिंझोड़ते हुए कहा
क्या हुआ रीमा ?.... ऐसे क्या सोच रही है .............कुछ बोल तो सही .....
रीमा ने बड़ी तडफ भरी आवाज में कहा :-
में अपने रोहन को इस तरह से तिल-२ कर मरने नहीं दूंगी........मेने फैसला कर लिया है ..............
चाहे कुछ भी हो जाए रोहन का ऑपरेशन जरूर होगा और वो भी कल रात से पहले .....
उसके लिए चाहे मुझे कुछ भी करना पड़े .......बेशक मुझे खुद को भी बेचना पड़ा तो में बेच दूंगी .....
रीमा की बात सुन कर नीतू हक्की बक्की रह गयी शायद उसको रीमा के मुंह से ऐसे अल्फाजो की उम्मीद नहीं थी
नीतू ने रीमा को बड़े ही प्यार से समझाते हुए कहा ....
ऐसा नहीं कहते रीमा ... भगवान् करेगा सब ठीक हो जायेगा ...और तू ये अनाप शनाप क्या बोले जा रही है ,,
रीमा ने तड़फ कर कहा ...
नहीं भाभी में जो भी कह रही हूँ वो अच्छी तरह से सोच समझ कर ही कह रही हूँ
अगर रोहन को कुछ हो गया तो फिर मेरा जीना भी बेकार है ..... इनके सिवा दुनिया में मेरा है ही कोन ..
और अपनी बात कहते -२ रीमा सुबकने लगी ...
नीतू ने फिर से रीमा को समझाते हुए कहा ....
तू इस वक़्त बहुत ज्यादा डिस्टर्ब है इसलिए तेरे दिमाग में ऐसी उलटी सीधी बाते आ रही है जानती भी है की
जो तू जो बोल रही है उसका मतलब क्या है ,,
रीमा ने नीतू की आँखों में अपनी आँखे डालते हुए कहा ....
जानती हूँ भाभी ... में अच्छी तरह से सोच समझ कर ही बोल रही हूँ आप सिर्फ इतना बताओ की मेरी मदद करेंगी या नहीं ?
रीमा की बात सुन कर नीतू पूरी तरह से चोंक गयी क्योकि वो भली भांति जानती थी की रीमा का इशारा किस और है
भले ही नीतू लाख बुरी सही लेकिन इन हालातो में उसको भी रीमा के साथ पूरी तरह से हमदर्दी हो चुकी थी
आखिर वो भी तो एक औरत थी ....और एक औरत का दर्द दूसरी औरत अच्छी तरह से समझ सकती है,,
नीतू ने कहा ...में मानती हूँ रीमा की मेने अपने स्वार्थ के लिए तुझे गुमराह करने की कोशिश करी थी और अपनी उस
गलती का एहसास मुझे अब तक हो रहा है ,,
लेकिन अब में तेरी मजबूरी का कोई नाजायज़ फायदा उठाने के लिए तेरा साथ नहीं दे रही हूँ बल्कि तेरा साथ इस लिए
दे रही हूँ की मेने उस वक़्त जो गलती की थी उसका पश्चाताप कर सकूँ ,,
कहते -२ नीतू की आँखों से बरबस ही आंसू बह निकले .. जो शायद उसकी सच्चाई को बयां कर रहे थे ...
नीतू की बात सुन कर रीमा अपलक नीतू को देखने लगी
अपनी आँखों से बहते आंसू पोंछती हुई नीतू ने कहा .... नहीं रीमा में हरगिज इस बात में तेरा साथ नहीं दे सकती
में पहले ही तेरी गुनाहगार हूँ अब में और किसी गुनाह का बोझ अपने दिल पर नहीं ले सकती ,,,
लेकिन रीमा तो जैसे पूरी तरह से फैसला ले चुकी थी उसने अपनी बात पर अड़ते हुए कहा ......


 रीमा ने कहा ... भाभी आप मुझे सिर्फ इतना बताइए की आप मेरी मदद करेंगी या नहीं ..
रीमा के चेहरे की द्रढ़ता और लफ्जों में गज़ब का आत्मविश्वास देखकर नीतू भी कुछ पलो के लिए सोच में पड़ गयी
उसकी समझ में कुछ नहीं आ रहा था की वो रीमा की बात का क्या जवाब दे ,,
नीतू को कुछ बोलता न देख कर रीमा ने एक बार फिर से अपनी बात को दोहराते हुए कहा
''नीतू भाभी प्लीज.................... मुझे जवाब दीजिये....... आप मेरी मदद करेंगी या नहीं ''
अब नीतू के लिए रीमा को जवाब देना मज़बूरी बन चुकी थी इसलिए नीतू ने एक गहरी साँस लेते हुए कहा
हाँ रीमा में तेरी मदद जरूर करुँगी लेकिन इस काम में कदापि नहीं जो तू कह रही है .....
क्योकि शायद अभी तू इस बात को नहीं जानती की जिस राह पर तूने चलने का फैसला किया है वो राह
एक ऐसी दलदल के समान है कि जिसमे तूने एक बार अपना कदम रख दिया तो फिर तू धंसती ही चली जायेगी
फिर तू चाह कर भी उसमे से कभी बाहर नहीं निकल सकती ... नहीं नहीं ...में ऐसा हरगिज नहीं कर सकती .....
प्लीज रीमा मुझे ऐसे किसी धर्मसंकट में मत डाल... में तेरे हाथ जोडती हूँ ...
कहते -२ नीतू की आँखों से अश्रु धारा बहने लगी जो की नीतू के निर्दोष होने की गवाही दे रही थी ,,
लेकिन रीमा का कलेजा तो मानो अब पत्थर बन चूका था इसलिए उसपर नीतू की किसी भी बात का कोई
असर नहीं हो रहा था .....उसने सपाट लहजे में कहा ....
नहीं भाभी ..........मुझे अब किसी बात की परवाह नहीं है ...अंजाम बेशक कुछ भी हो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता
लेकिन रोहन को में इस तरह से तड़फ तडफ कर मरने नहीं दूंगी ....अगर आप मेरा साथ नहीं दे सकती तो मुझे
मना कर दीजिये में अपने आप ही कुछ ......... कहते हुए रीमा ने अपनी बात को अधुरा छोड़ दिया ,,,
और रीमा की जिद्द और बेबाकी को देखते हुए नीतू को भी आखिरकार मजबूरी में सही लेकिन हथियार डालने पड़े .
नीतू ने भर्राई हुई आवाज में कहा ........ ठीक है रीमा जैसी तेरी मर्जी........
नीतू की बात सुनते ही रीमा के चेहरे पर ठीक वैसे ही संतुष्टि के भाव आ गए जैसे किसी बच्चे के चेहरे पर
अपनी जिद्द मनवाने के बाद आते है ,,
रीमा ने कुछ पल चुप रहने के बाद फिर से कहा ....भाभी .... अब कुछ बोलिए तो सही कि हमें करना क्या है
नीतू जोकि पहले ही रीमा के इस फैसले से बड़ी गहरी कशमकश में पड़ी हुई थी वो रीमा की बात सुनते ही जैसे
अपनी तन्द्रा से बाहर आई हो उसने बड़ी बोझिल आवाज में कहा ...
ह्म्म्म---- में एक ऐसे आदमी को जानती हूँ जो तुझे एक साथ इतने पैसे दे सकता है कि जिससे तेरा मकसद
हल हो जायेगा ठहर पहले में उससे ही बात करती हूँ ,,कहते हुए नीतू ने अपने मोबाइल से कहीं फोन मिलाया ...
लेकिन उधर से फोन रिसीव नहीं हुआ ... २-३ बार नीतू ने फिर से ट्राई जरूर किया लेकिन नतीजा सिफर रहा
और नीतू ने झल्लाते हुए कहा ....लगता है कमीना कहीं रंगरलिया मना रहा है ....
नीतू की बात सुन कर रीमा के चेहरे पर हताशा छाने लगी और उसने नीतू की और देखते हुआ कहा
अब क्या होगा भाभी ?
नीतू ने कुछ पल सोचने के बाद कहा .....
फिलहाल तो मुझे भी कुछ समझ नहीं आ रहा क्योकि ये शख्स ऐसा था जिसकी रग-२ से में अच्छी तरह से
वाकिफ हूँ अगर इस से मेरी बात हो जाती तो बिना किसी टेंशन के काम बन जाता
रीमा ने बड़ी बेसब्री से कहा ....
अगर उसका फ़ोन नहीं मिल रहा तो कुछ और सोचिये भाभी ......क्योकि हमारे पास टाइम बहुत कम है
अगर सुबह तक पैसो का इंतजाम नहीं हुआ तो .......कहते -२ रीमा उदास होने लगी
रीमा की इस बेचेनी को देखकर नीतू की आँखे भी नम हो गयी क्योकि उसको रीमा के इस हाल पर बहुत
तरस आ रहा था वो मन ही मन सोच में पड़ गयी की इंसान कभी कभी वक़्त के हाथो इतना मजबूर क्यों हो जाता है
लेकिन फिलहाल शायद उसके पास इस बात का कोई माकूल जवाब नहीं था
नीतू अपनी आँखों को बंद करके कुछ पल सोचती रही और फिर अपनी आँखों को खोलकर बोली
वैसे तो एक शख्स और भी है जो इस वक़्त हमारी जरूरत को पूरा कर सकता है लेकिन में सोच रही हूँ
की उससे बात करूँ या नहीं .....
रीमा ने नीतू को ताकते हुए कहा .... में कुछ समझी नहीं ? आप कहना क्या चाहती है ?
नीतू ने कहा ....
में ये कहना चाहती थी की वो बेहद कमीना और घटिया किस्म का इंसान है उसके लिए औरत एक खिलोने से बढकर
कुछ नहीं है .....इसलिए में सोच में पड़ी हूँ की उससे बात करूँ या नहीं .....
रीमा ने अपनी गर्दन को झटकते हुए कहा ....
इस वक़्त हम किसी चॉइस की पोजीशन में नहीं है भाभी .................. आप बेफिक्र होकर बात कीजिये ,
रीमा की बात से शायद नीतू भी सहमत थी इसलिए उसने फिर से कहीं और फ़ोन लगाया और फ़ोन रिसीव होते ही ...
मलिक साहब नमस्ते ........... नीतू ने बड़ी आदर भरी आवाज में कहा ,,
मलिक का नाम सुनते ही रीमा के दिल ओ दिमाग में जैसे कोई तूफ़ान उठने लगा हो वो यकायक नर्वस होने लगी
शायद उसकी आँखों के आगे मलिक का वो वेह्शी रूप जो उसने नीतू के घर देखा था बरबस ही आ गया था ..
लेकिन रीमा ने खुद पर काबू पाने के लिए अपनी आँखों को बंद करके लम्बी लम्बी सांसे लेनी शुरू कर दी
और अगले कुछ पलो में रीमा के चेहरे के भाव बदलने लगे और ऐसा लगने लगा जैसे वो खुद को समझाने में कामयाब हो गयी थी ,,
और उधर मालिक से बात करने के बाद नीतू ने रीमा से कहा ...
मलिक से मेरी बात हो गयी है और उसने हमें अपने बंगले पर बुलाया है लेकिन हमे अभी के अभी चलना होगा
रीमा ने एक नजर रोहन की और देखा और बोली ...ह्म्म्म- चलिए ...
फिर वो दोनों हस्पताल से बाहर निकली और एक खाली ऑटो में बेठ गयी ऑटो में बैठते ही नीतू ने ऑटो वाले को
अपने घर का पता बताया तो सुनते ही रीमा ने चोंककर नीतू से कहा ...
हमे तो कहीं और जाना था लेकिन आप तो मुझे अपने घर ले जा रही हो ?
नीतू ने ऑटो वाले की और इशारा करते हुए रीमा से कहा ...
अभी आराम से बेठी रहो ........... घर जाकर बात करेंगे ...
नीतू की बात सुन कर रीमा उस वक़्त तो चुप रहने पर मजबूर हो गयी लेकिन जैसे ही वो नीतू के घर में दाखिल हुई
उसने फटाक से कहा .....क्या बात है भाभी ........अचानक आप घर क्यों आई है ,,
नीतू ने कहा :-इसके पीछे क्या वजह है ये भी तुझे अभी पता चल जाएगी ....
लेकिन रीमा की समझ में नीतू की बात नहीं आई थी उसने कहा ... में कुछ समझी नहीं
नीतू ने रीमा का हाथ पकड़ कर उसको आईने के आगे ले जाकर खड़ा कर दिया और बोली ...
मेरी पगली .... इस हुस्न के बाज़ार में जो दिखता है वही बिकता है
नीतू की बात सुन कर रीमा ने आईने में खुद को निहारा और फिर उसकी समझ में नीतू की बात आने लगी ...
फिर नीतू ने रीमा को नहा कर आने को कहा और वो खुद रीमा के पहनने के लिए कपडे निकालने लगी
कुछ देर बाद रीमा जब नहा कर आई तो उसका गोरा बदन एक टॉवल में लिपटा हुआ था लेकिन नीतू के
घर में इस वक़्त और कोई नहीं था इसलिए रीमा को कोई परेशानी महसूस नहीं हो रही थीं ...
नीतू ने रीमा को ब्लैक कलर की एक डिजायनर ब्रा और पेंटी देते हुए कहा ... ले इसको पहन ले ..
रीमा ने बिना कुछ कहे चुपचाप वो ब्रा पेंटी पहन ली अब रीमा का गोरा बदन काली ब्रा और पेंटी में कुंदन के
जैसा चमक रहा था और फिर नीतू ने रीमा के पुरे जिस्म पर बड़ा ही मादक खुशबु वाला परफ्यूम लगाया और
इसके बाद नीतू ने रीमा को ब्लैक कलर का पेटीकोट और ब्लैक कलर का ही चोलीनुमा ब्लाउज पहनवा दिया
ऐसा ब्लाउज जिसमे रीमा का जोबन छुपाये नहीं छुप रहा था रीमा ने शायद आज तक ऐसा ब्लाउज पहले कभी नहीं पहना था
इसलिए उसको वो ब्लाउज अपने जिस्म पर बड़ा ही असहज सा लग रहा था ,,
लेकिन उस वक़्त रीमा ने कुछ भी कहना उचित नहीं समझा और अपनी जुबान को बंद ही रखा
फिर नीतू ने उसको ब्लैक कलर की नेट वाली साड़ी देते हुए कहा ;;;
ले अब इसको पहन ले और हां जितना ज्यादा नीचे हो सके उतना नीचे ही बांधना ...
रीमा ने स्वीकृती में अपने सर को हिलाते हुए वो साडी नीतू से ले ली और बाँधने लगी
साड़ी बाँधने के बाद रीमा नीतू के पास जाकर बोली देखिये भाभी साड़ी ठीक से बंधी है की नहीं ?
नीतू ने रीमा को ऊपर से नीचे तक निहारा और बोली .......वाह क्या बात है अब लग रही है तू चाँद का टुकड़ा
कोई और वक़्त होता तो शायद अपनी तारीफ सुन कर रीमा को ख़ुशी और गर्व महसुसू होता लेकिन इस वक़्त
तो वो बेचारी अपनी अस्मत को अपने ही हाथो नीलाम करने जा रही थी इसलिए सिर्फ एक आह भर कर रह गयी
फिर नीतू ने रीमा का अपने हिसाब से मेकअप किया और जब उसको पूरी तस्सली हो गयी तो उसने किसी को
फ़ोन किया की वो गाड़ी ले कर आ जाये ,,
रीमा ने एक बार फिर से नीतू से पुछा ... आपने किसको गाडी लाने के लिए कहा है
नीतू ने कहा ... मेने टेक्सी वाले को फ़ोन किया है क्योकि इस वक़्त में तुझे ऑटो में नहीं ले जा सकती
रीमा समझ गयी की नीतू ने जो कहा है वो ठीक है इसलिए वो दोनों टेक्सी का इंतज़ार करने लगे










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FUN-MAZA-MASTI रोहन और रीमा--17

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 रोहन और रीमा--17
 कुछ देर बाद रीमा जब वापिस आई तो उसके गोरे मुखड़े पर ताजगी के साथ-२ अधरों पर हलकी सी मुस्कान झलक रही थी
साथ ही उसके हाथ में चाय की ट्रे थी ...जिसमे २ प्याली चाय की रखी थी
रीमा ने मुस्कराते हुए ट्रे को रोहन की और बड़ा दिया रोहन ने चाय का कप उठाते हुए कहा .....
हम्म ..............तो अब बताओ पूरी बात की क्या हुआ है ?
रीमा भी रोहन के पास ही बेठ गयी और उसने चाय की चुस्की मारते हुए कहा ...
पिछले कुछ दिनों में मेने बखूबी इस बात का एहसास कर लिया है की आप जो कहते थे सिर्फ वही सच था ..
और में भी इतनी पगली थी जो आपकी बात की गहराई को नहीं समझ पाती थी ...
रीमा की बात सुन कर समझ तो रोहन भी सब कुछ चूका था की रीमा का इशारा किस और है लेकिन
वो फिर भी रीमा के मुंह से ही सब उगलवाना चाहता था ,,
उसने कहा ...... में कुछ समझा नहीं डार्लिंग प्लीज मुझे पूरी बात बताओ की आखिर ऐसा क्या हुआ जो तुम्हारा दिल
इतना दुखी हो गया ,,
रीमा ने फिर रोहन को शुरू से आखिर तक जो भी बीता वो पूरा किस्सा सुना दिया और साथ ही साथ ये भी कह दिया की
अब वो किसी जॉब शोब के चक्कर में नहीं पड़ेगी ,,
रीमा की बात सुन कर रोहन के लबो पर एक संतुष्टि से भरी मुस्कान दौड़ने लगी ....
और फिर इसी तरह से अगले कुछ दिन बीत गए
रोहन जो पहले सिर्फ २ स्टूडेंट्स को टियुशन दे रहा था अब धीरे -२ उसके पास स्टूडेंट्स बड़ने लगे थे और
रीमा भी इसी काम में रोहन का साथ देने में जुट गयी थी....इस तरह से दोनों मिल कर अपने हालातो को सुधारने में जुट गए थे
और अब धीरे -२ उन दोनों को ऐसा लगने लगा था की जैसे उनके अच्छे दिन शुरू होने वाले है ,,
लेकिन वक़्त के गर्भ में क्या छुपा है ये कोई नहीं जानता शायद रीमा और रोहन भी इस सबसे अनजान थे ....
एक दिन शाम को जब रोहन ट्यूशन पडाने के बाद चाय पी रहा था तो उसने रीमा से कहा ...
पता नहीं क्यों आज सुबह से मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मेरी आँखों की रौशनी धीरे-२ कम होती जा रही है ....
रोहन की बात सुन कर रीमा मन ही मन बुरी तरह से घबरा गयी लेकिन फिर भी उसने रोहन की हिम्मत बढाने के लिए कहा
आजकल आप रेस्ट कम कर रहे हो और दिमागी काम ज्यादा इसलिए हो सकता है आपको अनिंद्रा की वजह से ऐसा लग रहा हो
रोहन ने भी रीमा की बात सुन कर सहमति में अपने सर को हिला दिया और बोला ...
हूमम्म .....तुम ठीक कह रही हो ... खैर जो भी है .........
वैसे में सोच रहा हूँ की कल एक बार डॉक्टर के पास जाकर अपनी आँखे जरूर चेक करवाऊंगा ,,
रीमा ने कहा ... हम्म ये ठीक सोचा है आपने...... कल में आपके साथ चलूंगी ....
और फिर बात आई गयी हो गयी और रात हो गयी रीमा रसोई में खाना बना रही थी और रोहन बाहर लेटा हुआ था
अचानक रीमा को रोहन के चिल्लाने की आवाज आई और उस आवाज को सुन कर रीमा बुरी तरह से हडबडा गयी
वो जल्दी से रसोई से बाहर निकली और भाग कर रोहन के पास चली गयी ...
इस से पहले की रीमा कुछ पूछती मानो रोहन को रीमा के पास होने का एहसास हो चूका था उसने अपने हाथ
को इधर उधर मारते हुए रीमा ----रीमा कहना शुरू कर दिया ....
रोहन को इस तरह से करता देख रीमा की कुछ समझ में नहीं आया उसने अपने हाथ को आगे बड़ा कर रोहन का
हाथ थाम लिया और बोली ....
क्या हुआ आपको ..... चिल्लाये क्यों थे ....... और ये क्या कर रहे हो आप में आपके सामने ही तो खड़ी हूँ
आपको में दिखाई नहीं दे रही क्या ?
रीमा की बात सुन कर रोहन बड़ी बदहवासी में बोला ......नहीं मुझे कुछ दिखाई नहीं दे रहा ..
ये सुनते ही रीमा के पैरो की जमीन निकल गयी ....
रीमा ने बड़ी ही रुन्वासी होते हुए कहा ..... नहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता आप मजाक कर रहे हो प्लीज सच सच बताइए न
रोहन ने इस बार गुस्से से कहा .... तुम्हे क्या लगता है की में ऐसा भद्दा मजाक करूँगा वो भी तुम्हारे साथ ,,
अब रीमा को पूरा यकीन हो गया की रोहन जो भी कह रहा है वो सच है और फिर तो रीमा की रुलाई छुट गयी और
वो रोते रोते रसोई में गयी और वहां जाकर उसने गैस बंद किया और फिर से बाहर आकर बोली ...
आप यही बेठे रहिये ..........में बाहर से ऑटो ले कर आती हूँ ..... हम अभी डॉक्टर के पास चलते है
रोहन कुछ बोलता इस से पहले रीमा तेज़ कदमो से घर से बाहर निकल गयी ...
रीमा बड़ी ही बदहवासी की हालत में गली से गुजर रही थी की अचानक सामने से नीतू आ गयी और उसने रीमा को देखते ही कहा
क्या बात है रीमा सब ठीक तो है न ?....... तू इस वक़्त कहाँ जा रही है ..... और तू इतनी घबराई हुई क्यों है ?
रीमा का दिमाग इस वक़्त सिर्फ रोहन के बारे में ही सोच रहा था इसलिए उसने नीतू की हर बात को अनसुना करते हुए सिर्फ इतना ही कहा
भाभी मुझे रोहन को डॉक्टर के पास ले कर जाना है इसलिए में ऑटो लेने जा रही हूँ ,,
डॉक्टर का नाम सुनते ही नीतू हेरानी से रीमा को देखती हुई बोली ... क्या हुआ है रोहन को ?
रीमा की आँखों से आंसू बहने लगे और वो बोली ... पता नहीं उनको अचानक दिखाई देना बंद हो गया ,,,
नीतू भी रीमा की बात सुन कर सकते में आ गयी और वो बोली .... अरे ये क्या हुआ ...चल तू रोहन के पास जा में ऑटो ले कर आती हूँ
इस वक़्त रीमा का दिमाग कुछ भी सोचने समझने की स्तिथि में नहीं था इसलिए उसने नीतू से कुछ नहीं कहा और वो वापिस अपने
घर की और भागी चली गयी ,
रीमा ने घर जा कर देखा तो रोहन अभी भी वैसे ही बेठा था जैसे वो उसको छोड़ कर गयी थी रोहन को अब भी रीमा नहीं दिखाई
दे रही थी .. वो अपने हाथ को इधर उधर करके ही रीमा को बुला रहा था ,,, रीमा ने रोहन का हाथ पकड़ा और बोली
आप बिलकुल भी मत घबराइए ऑटो आ रहा है हम अभी डॉक्टर के पास चल रहे है सब ठीक हो जायेगा
इसी बीच नीतू ऑटो ले कर आ गयी और फिर रीमा और नीतू ने रोहन को ऑटो में बेठा दिया और डॉक्टर के पास चल दिए
नीतू के साथ होने से रीमा को थोड़ी हिम्मत मिल रही थी इसलिय वो उसको भी अपने साथ ले जा रही थी
और फिर जब वो डॉक्टर के पास पहुंचे तो

 डॉक्टर ने रोहन का चेक अप करने के बाद जो कहा वो सुनकर रीमा हक्की बक्की रह गयी
डॉक्टर ने कहा ....
इनको आँखों की कोई परेशानी नहीं है लेकिन मुझे डाउट है की प्रॉब्लम इनके दिमाग की किसी नस में है
शायद कोई नस ठीक से अपना काम नहीं कर रही इसलिय बेहतर यही होगा की आप इनको किसी अच्छे हॉस्पिटल में ले जाए
एक बात और.......इस काम में बिलकुल भी लापरवाही नहीं होनी चाहिए क्योकि ऐसे केसेस में जरा सी भी लापरवाही की वजह से
मरीज की जान को खतरा हो सकता है ,,
अपनी बात कहकर डॉक्टर तो चला गया लेकिन रीमा तो जैसे किसी पत्थर का बुत बन गयी थी
उसको समझ ही नहीं आ रहा था की ये सब हो क्या रहा है ...उसको तो मानो ये सब किसी भयानक सपने के जैसा लग रहा था
काश ये सपना ही होता तो कितना अच्छा होता लेकिन अफ़सोस ये सपना नहीं था बल्कि ये तो एक साक्षात हकीकत थी
जो रीमा की परीक्षा लेने एक बार फिर से उसके सामने मुंह फैलाये खड़ी थी .....
नीतू ने रीमा के कंधे को झिंझोड़ते हुए कहा ..... तूने सुना नहीं डॉक्टर साहब ने क्या कहा है ...
रीमा ने नीतू की और ऐसे देखा जैसे उसको अभी भी कुछ पता न चला हो की ये सब क्या है ..
नीतू ने इस बार रीमा के गाल को थपथपाते हुए कहा .... तू ठीक तो है न ?
इस बार रीमा ने कहा ;; हाँ भाभी मेने सुना लेकिन मुझे कुछ नहीं पता की अब इनको किस हॉस्पिटल में लेकर जाना है
नीतू भी शायद रीमा की तकलीफ को समझ रही थी उसने कहा ....
मुझे पता है ......यहीं पास ही में एक हॉस्पिटल है और वहां की एक नर्स भी मेरी जान पहचान की है
हम रोहन को वहीँ ले चलते है ,,
और वो दोनों एक बार फिर से रोहन को लेकर हॉस्पिटल की और चल दिए ........
लेकिन ये क्या यहाँ आ तो गए थे लेकिन यहाँ के डॉक्टर ने रोहन को देखते ही कहा
हमे इनके कुछ जरूरी टेस्ट करवाने है इसलिए आप फिलहाल २० हज़ार एडवांस जमा करवा दीजिये ,,
डॉक्टर की बात सुनते ही रीमा और नीतू दोनों एक दुसरे का मुंह ताकने लगे ....
क्योकि रीमा तो घर में जितने भी पैसे रखे थे वो सब ले आई थी लेकिन वो सब मिलाकर सिर्फ ४००० थे
और रहा सवाल नीतू का तो उसके पर्स में भी २००० थे मतलब कुल मिलकर उन दोनों के पास सिर्फ ६०००
रूपए ही थे और जमा होने थे २०००० ....अब क्या हो ?

नीतू ने अपनी पहचान वाली नर्स से बात करी तो उसने जो कहा वो सुनकर तो रीमा की रही सही हिम्मत
भी टूट कर बिखर गयी ....
उसने रीमा से कहा .... मुझे कहना तो नहीं चाहिए लेकिन नीतू मेरी दोस्त है इसलिए में आपको बता रही हूँ
आप लोग यहाँ गलत आ गए हो क्योकि यहाँ तो सिर्फ वही लोग आते है जिनके लिए पैसा सिर्फ कागज़ के टुकड़े
की तरह होता है ....और अगर आपने आज कहीं से इंतजाम करके पैसे जमा भी करवा दिए तो कल क्या होगा
क्योकि यहाँ तो आपका मरीज जब तक एडमिट रहेगा आपको रोजाना ऐसे ही पैसे जमा करवाने पड़ेंगे
आज बीस हज़ार तो कल ५० हज़ार और परसों एक लाख भी हो सकता है ,,
रीमा ने बड़ी ही दर्द भरी आवाज में उस नर्स से कहा ....
फिर आप ही बताओ की में क्या करूँ ?कहाँ जाऊ इनको लेकर ?
शायद वो नर्स भी रीमा की हालत देख कर उसपर तरस खाने लगी थी उसने कहा ....
मेरी राय में आप ऐसा करो इनको ले कर किसी सरकारी हस्पताल में चली जाओ
वहां आपका पैसा भी कम खर्च होगा और इलाज़ भी ठीक से हो जायेगा ....
लेकिन मेने आपको जो भी कहा है वो सिर्फ अपने तक ही रखना नहीं तो मेरी नौकरी को खतरा हो सकता है ,,
कहती हुई वो नर्स भी चली गयी और अब नीतू और रीमा दोनों ही सोच में पड़ गए ,,
लेकिन कुछ न कुछ तो करना ही था इसलिए एक बार फिर से वो दोनों रोहन को सरकारी हस्पताल में ले गयी ...
लेकिन कहते है न की बुरा वक़्त जब आता है तो मुश्किलें हर दिशा से आनी शुरू हो जाती है
यहाँ ही कुछ ऐसा ही चल रहा था ....
क्योकि यहाँ आने के बाद रोहन के टेस्ट डॉक्टर ने बेशक कर लिए थे लेकिन टेस्ट करने के बाद उसने जो कहा
वो रीमा के लिए हिमालय की चोटी पर जाने के बराबर था ,,
डॉक्टर ने कहा ..... हमने बेसिक टेस्ट करके देख लिया है इनके दिमाग की एक नस से खून रिस रहा है
और रिस रिस कर खून का जो थक्का दिमाग में बन चूका है उसकी वजह से इनको दिखाई देना बंद हो गया है
अगर अगले २४ घंटो में इनका ऑपरेशन नहीं हुआ तो फिर इनकी जान दुनिया का कोई भी डॉक्टर नहीं बचा सकता ,,
डॉक्टर की बात सुनते ही रीमा बहुत ज्यादा घबरा गयी उसने डॉक्टर से कहा ....
लेकिन डॉक्टर साहब ये तो बताइए की इनके ऑपरेशन में कितना खर्चा आएगा
डॉक्टर ने कहा
सब मिला जुला कर करीब २ लाख का खर्चा हो जायेगा लेकिन इन २ लाख का इंतजाम अगले २४ घंटे में ही करना पड़ेगा
क्योकि उसके बाद फिर कुछ नहीं हो सकता ....इस बात को ध्यान रखियेगा ,,
ये बात कहता हुआ डॉक्टर तो चला गया
लेकिन डॉक्टर की बातो को सुन कर रीमा को तो मानो जैसे कोई सदमा सा लग गया था
वो बेंच पर अपना सर पकड़ कर बेठ गयी और उसकी आँखों से आंसू बहने शुरू हो गए
रीमा की ये हालत देख कर नीतू ने कहा ....
रीमा तू यहाँ बेठ कर रोना बंद कर और पैसे का इंतजाम कहाँ से करना है ये सोच
रीमा के पास शायद नीतू की किसी बात का कोई जवाब नहीं था इसलिए वो सिर्फ नीतू को देखती ही रही
नीतू ने रीमा के बहते आंसुओ को पोंछ कर बड़े ही प्यार से कहा ...
में समझ सकती हूँ रीमा की इस वक़्त तेरे ऊपर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है लेकिन ये वक़्त ऐसे बेठने का नहीं है
क्योकि अगर अगले २४ घंटो में रोहन का ऑपरेशन नहीं हुआ तो .... नीतू ने अपनी बात को अधुरा छोड़ दिया ,,
रीमा पूरी तरह से टूट चुकी थी वो नीतू के कंधो पर अपना सर रख कर बेहताशा रोने लगी....
नीतू उसकी पीठ पर हाथ फेरती हुई उसको तस्सली बेशक दे रही थी लेकिन वो दोनों ही शायद इस बात को
अच्छी तरह से जानती थी की अब ऐसी तस्सली से कुछ हासिल होने वाला नहीं है ,,
रीमा ने नीतू से कहा .... भाभी आप तो हमारे हालातो को अच्छी तरह से जानती हो और ये भी जानती हो की
में दुनियादारी से भी बिलकुल अनजान हूँ इसलिए अब इस संकट की घडी में सिर्फ आप ही मेरी मदद कर सकती हो
प्लीज अब आप ही मुझे कोई रास्ता बताओ ,, कहती हुई रीमा नीतू की गोद में अपना सर रखकर फिर से सुबकने लगी ,,
एक गहरी साँस लेकर नीतू ने कहा ...
हाँ रीमा में सब कुछ जानती हूँ मगर अफ़सोस की इतनी बड़ी रकम जुटाने में तेरी मदद में भी नहीं कर सकती
क्योकि इतना तो तू भी जानती है की २ लाख कितनी बड़ी रकम होती है ,,
बात अगर १० -२० हज़ार तक होती हो में तुझे कैसे भी करके नहीं न कही से पैसो का इंतजाम कर देती लेकिन
इतनी बड़ी रकम का इंतजाम करना तो मेरे लिए नामुमकिन बात है ,,
रीमा भी इस बात को जानती थी की नीतू गलत नहीं कह रही उसकी बात सोलह आने सच है ...लेकिन
रीमा ने फिर से कहा ... भाभी क्या आप ये पैसे मुझे कहीं से लोन नहीं दिलवा सकती ?
नीतू ने कहा ... दिलवा सकती थी रीमा लेकिन लोन देने वाला लोन के बदले में कोई चीज़ गिरवी भी रखता है
या फिर लोन लेने वाले की साख उसकी नजर में इतनी अच्छी हो की लोन देने वाला उसकी साख पर ही लोन दे दे
लेकिन तेरे पास तो इन दोनों में कोई भी चीज़ नहीं है इसलिए लोन का इरादा तो तू न ही कर तो अच्छा है ,
बल्कि तू अपनी जान पहचान में कोई ऐसा इन्सान सोच जो तुझे ऐसे समय में पैसे दे कर तेरा काम चला दे
और तू उसको बाद में थोड़े-२ करके वापिस कर दे ..........सोच कोई ऐसा इन्सान है क्या तेरी नजर में ?
नीतू की बात सुन कर रीमा सोच में पड़ गयी और फिर जैसे उसको उम्मीद की कोई किरण दिखाई दी हो उसने कहा
हाँ भाभी...... मेरी एक फ्रंड है अनीता .... में उससे बात करती हूँ शायद वो मेरी कुछ मदद कर सके
और फिर रीमा ने नीतू के मोबाइल से अनीता का फ़ोन मिलाया लेकिन अनीता का फ़ोन स्विच ऑफ आने लगा
रीमा ने उदास होते हुए कहा उसका तो फ़ोन ही स्विच ऑफ है अब क्या करू.............
नीतू ने कहा ...................कोई बात नहीं तुझे उसका एड्रेस पता है तो चल हम वहीँ उसके पास ही चलते है ,,
नीतू की बात रीमा को ठीक लगी उसने कहा
हाँ भाभी ये ठीक रहेगा..................... और वो दोनों ऑटो से अनीता के घर की और चल दिए ,,
लेकिन वहां पहुँच कर भी कुछ हासिल नहीं हुआ क्योकि अनीता के घर पर ताला लगा था और पड़ोस वालो ने
बताया की अनीता की माँ का देहांत हो गया है इसलिए सब लोग वहीँ गए है ..........कब आएंगे ये भी पता नहीं,,
रीमा एक बार फिर से निराशा की स्तिथि में आ गयी ....क्योकि वो अनीता के पास बड़ी उम्मीद से आई थी,,
अनीता के घर से वो दोनों जब वापिस आ रहे थे तो रास्ते में अचानक रीमा को समीर की याद आ गयी और
रीमा ने नीतू से कहा ... भाभी एक शख्स और है जो मेरी मदद कर सकता है लेकिन मुझे उसका मोबाइल नंबर नहीं पता ,,,
नीतू ने कहा.......फिर क्या करे ..............तुझे उसका एड्रेस पता है ?
रीमा ने बड़ी मायूसी से कहा ... नहीं वो भी नहीं पता ,,
नीतू ने कहा .... बिना एड्रेस के किसी को इस शहर में ढूंडना बहुत टेडी खीर है ,,
रीमा भी इस बात को अच्छी तरह से जानती थी की नीतू की बात सही है ...
तभी अचानक रीमा को याद आया की उस दिन समीर में एक विसिटिंग कार्ड उसको दिया था और ये बात याद
आते ही रीमा ने अपना पर्स खोल कर देखा तो उसमे उसे वो कार्ड मिल गया कार्ड देखते ही रीमा की जान में
जान आ गयी उसको ऐसा लगने लगा जैसे उसको कोई सौगात मिल गयी है
रीमा ने जल्दी से समीर का नंबर मिलाया लेकिन शायद रीमा के सितारे बहुत ज्यादा गर्दिश में थे क्योकि
उधर से फ़ोन किसी औरत ने उठाया जोकि समीर की माँ थी उन्होंने बताया की समीर की जॉब विदेश में लग गयी है
और वो वहां चला गया है लेकिन वो उसको रीमा का मेसेज जरूर दे देंगी ,,
रीमा के पास न तो अब इस से आगे कुछ कहने की गुंजायश थी और न ही कुछ और कहना उसको उचित लगा
इसलिय ..................अब रीमा के लिए सारे रास्ते बंद हो चुके थे ,,
नीतू ने रीमा से कहा .... यहाँ भी बात नहीं बनी अब सोच और कोई है ?
रीमा ने बड़ी उदासी से अपनी गर्दन को हिलाया और बोली नहीं अब ......अब तो सिर्फ भगवान् का ही सहारा है
और फिर नीतू रीमा को हस्पताल में छोड़ कर वापिस अपने घर चली गयी और जाते -२ कह कर गयी कि वो
थोड़ी देर बाद उसके लिए खाना लेकर फिर से वापिस आएगी ,,
नीतू के जाने के बाद रीमा वहीँ रोहन के बेड के पास ही बेठ गयी ,
रोहन को बेड पर पड़ा देख कर रीमा खुद को रोक नहीं पायी और उसकी दर्द भरी सिसकिया निकलने लगी ..
लेकिन इस वक़्त उसके इस रुदन को सुनने वाला भी कोई नहीं था क्योकि ....
डॉक्टर ने रोहन को नींद का इंजेक्शन दिया हुआ था इसलिए रोहन गहरी नींद में था ....








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FUN-MAZA-MASTI रोहन और रीमा--16

FUN-MAZA-MASTI
 रोहन और रीमा--16

 और फिर अगले दिन राघव अपनी माँ के साथ हमारे घर आया और उसने पिताजी से मेरा हाथ मांग लिया
पिताजी की नजर में सब कुछ ठीक था और सबसे बड़ी बात ये थी की मुझे भी ये रिश्ता मंजूर था
इसलिए बिना किसी दिक्कत के हमारा रिश्ता पक्का हो गया और फिर उसके ४ दिन बाद ही हमारी शादी हो गयी ,
राघव को अपने पति के रूप में पाकर में बहुत खुश थी और फिर शादी के करीब १० दिन बाद राघव अपनी माँ और मुझे
अपने साथ लेकर राजनगर आ गया और तब से हम लोग यही रहने लगे ,,
रीमा ने अनीता की बात बीच में ही रोकते हुए कहा ... एक बात तो पक्की है की बेशक तेरे साथ बहुत बुरा हुआ लेकिन
राघव जैसा इंसान मिलने से तेरी जिन्दगी पूरी तरह से बदल गयी ... तेरे सारे गम खुशियों में बदल गए ......है की नहीं
और मेरी नजर में तो राघव का मिलना ही तेरी जिन्दगी का सबसे अनोखा मोड़ है ,,,


अनीता :- हाँ तूने सही कहा है अगर राघव मेरी जिन्दगी में नहीं आता तो पता नहीं मेरा क्या होता ,
रीमा :- अच्छा ये बता जब सब कुछ ठीक चल रहा था फिर अचानक ऐसा क्या हो गया जो तुझे वो कदम उठाना पड़ा
अनीता ;- बस अब वही बताने जा रही हूँ ...
कहते कहते अनीता एक बार फिर से जैसे अपने अतीत में खोने लगी और बोली ...
राघव के साथ मेरी मेरिज लाइफ बहुत अच्छी चल रही थी हालाँकि राघव की माँ का स्वाभाव थोडा तेज़ है ,
उनके साथ शुरू -२ में एडजस्ट करना मुझे बड़ा मुश्किल लगता था लेकिन दूसरी तरफ राघव के प्यार ने मुझे ऐसा बना
दिया था की मुझे राघव के प्यार के आगे सब कुछ मंजूर लगने लगा था ,
और फिर जब राघव और मेरे प्यार की निशानी ने इस दुनिया में कदम रखा तो हमारी खुशियों का कोई ठिकाना ही न रहा
हम दोनों अपनी छोटी सी दुनिया में इतने खुश हो गए की हमे बाकी दुनिया की कोई खबर ही न रही ,
लेकिन शायद हमारी खुशियों को हमारी ही नजर लग गयी ....
एक दिन राघव जब देर रात तक घर नहीं लौटा तो मुझे उसकी बड़ी चिंता होने लगी मेने राघव के मोबाइल पर फ़ोन किया
तो वो भी स्विच ऑफ आ रहा था इस बात से मेरे मन में बेचेनी और बडने लगी आखिर जब मेरे से रहा नहीं गया तो
मे अपनी सास को साथ लेकर राघव के सेठ के घर चली गयी
वहां जाते ही उसके सेठ ने जो कहा वो सुनते ही मेरे पैरो के नीचे की जमीन खिसक गयी ...
सेठ ने कहा मुझे भी अभी थोड़ी देर पहले ही पता चला है की राघव का किसी सवारी के साथ कुछ लफड़ा हो गया है और
पुलिस उसको पकड़ कर ले गयी है , बस में वहीं जाने ही वाला ही था की तुम लोग आ गए
मेने घबराते हुए सेठ से पुछा की क्या लफड़ा हुआ है तो उसने कहा
पूरी बात का तो अभी मुझे भी नहीं पता लेकिन इतना पता चला है की किसी सवारी का बेग राघव की ऑटो से गायब हुआ है
और वो सवारी इसका इलज़ाम राघव पर लगा रही है ,,
वैसे तुम लोग चिंता मत करो जाओ अपने घर जाओ ....में थाने जाकर देखता हूँ क्या मुद्दा है फिर जैसा भी होगा तुम्हे बता दूंगा ...

मेने रुन्वासी आवाज में कहा .... सेठ जी आप तो राघव को इतने समय से जानते हो और ये भी जानते हो की वो कितना ईमानदार है
वो ऐसा काम कभी नहीं करेगा ,,
सेठ ने कहा ...
हाँ में जानता हूँ की राघव ऐसा काम कभी नहीं करेगा लेकिन मेरे इस बात को मानने से पुलिस थोड़े न मान जाएगी
वो तो अपने हिसाब से मामले की पूरी तहकीकात करेगी और वैसे भी पुलिस का काम बिना लिए दिए नहीं चलता ...
खैर में वही जाकर देखता हूँ क्या होता है ...................कहते हुए वो जाने के लिए उठ खड़ा हुआ ,,
न जाने मेरे मन में क्या आया और मेने कहा ...सेठ जी हमे भी अपने साथ पुलिस स्टेशन ले चलिए ...
सेठ ने कुछ सोचते हुए कहा ठीक है तुम लोग भी मेरे साथ चलो
पुलिस स्टेशन में जाते ही मेने राघव को जब लॉकअप में बंद देखा तो में अपने आप को रोक नहीं पायी
मेरी आँखों से आंसू बहने लगे और में जोर जोर से रोने लगी ...
मुझे ऐसा रोता देख राघव ने कहा ...
अनीता तुम क्यों रो रही हो मेने जब कुछ गलत किया ही नहीं तो मुझे डर किस बात का है ,,,

बेशक उस वक़्त राघव की बात ने मुझे थोडा सा होंसला जरूर दिया था लेकिन इस बात को भी में अच्छी तरह से जानती थी की
आज की दुनिया में गरीब होने ही इंसान का सबसे बड़ा जुर्म है ...
मेने सेठ से कहा .... सेठ जी आप जाकर इंस्पेक्टर साहब से बात तो कीजिये ..
मेरी बात सुन कर सेठ इंस्पेक्टर के पास चला गया और उसने वहां जाकर क्या बात करी ये तो मुझे नहीं पता
लेकिन उसे मुंह लटकाए वापिस आते देख कर मुझे एहसास हो गया की उसकी एक नहीं चली होगी ....
मेने फिर भी हसरत भरी निगाहों से सेठ को देखा और कहा ...
क्या हुआ सेठ जी इंस्पेक्टर साहब मान गए न ? वो राघव को छोड़ रहे है न ?
सेठ ने मुंह बिचकाते हुए कहा ....
मेने अपनी तरफ से पूरी कोशिश करके देख ली है लेकिन मामला थोडा टेडा है क्योकि जिसका बेग चोरी हुआ है वो भी कोई पुलिस वाला ही है
इसलिए ये लोग कुछ सुनने को तैयार ही नहीं अब तो लगता है बिना पैसे दिए ये काम नहीं बनने वाला ....
मेने उदास होते हुए कहा .... लेकिन ये तो बताइए न सेठजी की कितने पैसे लगेंगे ?
सेठ ने कहा .... पक्का तो नहीं कह सकता लेकिन उसकी बातो से अंदाज़ा लग रहा है की एक पेटी से कम नहीं लेगा ..
मेने कहा................. में कुछ समझी नहीं सेठजी ............. पेटी मतलब ?
सेठ मुझे देख कर मुस्कराते हुए बोला .......................एक पेटी का मतलब एक लाख ,,
एक लाख का नाम सुनते ही मेरा सर चकराने लगा मेने थूक सटकते हुए कहा ...
सेठ जी आप तो हमारी माली हालत जानते ही है इतने पैसे हम भला कहाँ से देंगे ..........
प्लीज आप फिर से जाकर बात करिए हो सकता है शायद बिना पैसे दिए ही कुछ हो जाए ,,
सेठ ने इनकार में अपनी मुंडी हिलाते हुए कहा ...
जितना में कह सकता था मेने कह दिया इस से ज्यादा अगर मेने कुछ कहा तो कहीं ऐसा न हो की बात बिगड़ जाये और फिर पैसे से भी काम न हो ,
इसलिए अब तो पहले पैसे का इंतजाम करलो फिर बात होगी ....
सेठ को हथियार डालते देख मेने कहा ....
सेठ जी अगर आप कहे तो में जाकर साहब से बात करूँ हो सकता है उसको मुझ पर तरस आ जाये और वो मान जाए
सेठ ने कहा ... हम्म .............देख लो बात करके वैसे मुझे उम्मीद नहीं की वो मानेगा ,
में सेठ की बात को अनसुना करती इंस्पेक्टर के पास चली गयी और उससे हाथ जोड़ कर बहुत रिक्वेस्ट करी लेकिन वो नहीं माना
बल्कि उसने मुझे डांटते हुए कहा ...
बेकार की बातो में मेरा टाइम ख़राब मत करो जाओ जाकर किसी अच्छे वकील का इंतजाम करो इसकी जमानत के लिए
नहीं तो जेल में ही ५-६ साल तक सड़ता रहेगा ,,
इंस्पेक्टर की बात सुन कर मेरा पूरा जिस्म सिहरने लगा और में जल्दी से वापिस सेठ के पास आई और उसको कहा
सेठ जी आप जैसे भी हो राघव को छुडवाइए
सेठ बोला ... पैसो का इंतजाम है तुम्हारे पास ?
मेने नजरे झुकाते हुए कहा ....
फ़िलहाल पैसो का इंतजाम तो नहीं है सेठ जी लेकिन आप राघव को छुडवा लीजिये हम जल्दी ही कोई न कोई इंतजाम कर लेंगे

सेठ ने बुरा सा मुंह बनाते हुए कहा ... हून्ह... कहाँ से इंतजाम कर लोगे .... अभी तक मकान के बकाया पैसे तो दिए नहीं जा रहे
राघव से ऊपर से उसको में नया कर्जा और दे दूँ ....न भाई न मेरे बस का रोग नहीं है ,, मुझसे अब कोई उम्मीद न रखो ....
मेने गिडगिडाते हुए सेठ को हाथ जोड़ कर कहा ...
सेठ जी इस वक़्त सिर्फ आप ही हमारी मदद कर सकते हो प्लीज आप कुछ भी करके राघव को एक बार यहाँ से छुडवा दीजिये
में आपको विश्वास दिलाती हूँ की ये वाले पैसे आपको ७ दिन में वापिस मिल जायेंगे ..
मेरी बात सुन कर सेठ मुझे गौर से देखता हुआ बोला .......
तुम्हारे कहने से में कैसे यकीन कर लूँ ..... अगर राघव कहे तो एक बार में सोच भी सकता हूँ ,,
में जानती थी की राघव इस बात के लिए कभी राजी नहीं होगा और में राघव को इस तरह हवालात में देख नहीं सकती थी
मेने कुछ सोचते हुए कहा ....
सेठ जी हमारे मकान के कागज़ तो अभी तक आपके ही पास है ....अगर हम आपको ७ दिन में पैसे न दे पाए तो आप
मकान को अपने कब्जे में कर लेना ....कहते हुए मेने अपनी सास से कहा ....
क्यों मांजी में सही कह रही हूँ न ...
पता नहीं मेरी बात का क्या असर हुआ की मेरी सास ने भी मेरी हाँ में हां मिला दी ....
और मकान की बात सुन कर सेठ की आँखों में चमक बड़ने लगी उसने कहा ....
सोच लो अगर ७ दिनों में मुझे मेरे पैसे वापिस नहीं मिले तो में तुम लोगो को मकान से बाहर निकाल दूंगा
फिर न कहना की सेठ ये क्या कर रहे हो ....कुछ नहीं सुनूंगा में उस वक़्त ...
मेरे सामने उस वक़्त राघव की रिहाई से बढकर और कुछ नहीं था मेने बिना कुछ सोचे समझे कह दिया ...
मुझे मंजूर है सेठ जी आप राघव को रिहा करवाओ आपको पैसे ७ दिन में मिल जायेंगे....

और फिर सेठ ने अपने पास से पैसे देकर राघव को रिहा करवा दिया ....
घर आने के बाद मेने राघव को जब पूरी बात बताई तो राघव के पैरो के नीचे से जमीन निकल गयी शायद उसको
अपनी रिहाई की ये कीमत बहुत बड़ी लग रही थी ,,
और उसका ऐसा सोचना सही भी था क्योकि मेने पैसे लौटने का जो वादा सेठ से किया था वो राघव को उन हालातो में
नामुमकिन सा लग रहा था ,
राघव को चिंता में डूबता देख कर मेने कहा ...
राघव प्लीज तुम अपना दिल छोटा मत करो मेरे पास जो भी जेवर है उनको बेच दो ...
राघव ने मेरी बात सुन कर कहा ...
अनीता तुम समझने की कोशिश क्यों नहीं कर रही तुम्हारे जेवर बेचकर भी सेठ का कर्जा नहीं उतर सकता
हद से हद तुम्हारे जेवर ५० हज़ार के बिक जायेंगे लेकिन बाकि के पैसे कहाँ से आयेंगे ?
मेने राघव को फिर से दिलासा देते हुए कहा ...
तुम चिंता मत करो बाकि का भी इंतजाम हो जायेगा
राघव ने ठंडी आह भरते हुए कहा ....
कहाँ से हो जायेगा अनीता कोन देगा हमे और अगर कोई दे भी देगा तो उसको वापिस कैसे करेंगे
तुम तो जानती ही हो की इस महंगाई में पहले ही कितनी मुश्किल से गुजारा चल रहा है ,,
मेने राघव से कहा ......
ऐसा करते है बाकि के पैसे हम किसी से ब्याज पर ले लेते है और में भी जॉब करना शुरू कर देती हूँ
फिर हम दोनों मिल कर जल्दी ही सब ठीक कर लेंगे ,
मेरी बात सुन कर राघव के लबो पर हलकी सी मुस्कराहट दौड़ गयी और राघव ने मुझे अपने गले से लगा लिया
हमने मोहल्ले के एक साहूकार से ५० हज़ार रूपये ब्याज पर ले लिए और जेवर बेचकर सेठ को उसके पैसे ७ दिनों
के अन्दर ही वापिस लौटा दिए.....इस तरह से हमारा मकान तो बच गया लेकिन मुश्किलों से छुटकारा अभी भी नहीं मिला था
क्योंकि जो ५० हज़ार हमने ब्याज पर लिए थे उसकी हर महीने की ५००० रूपये की ब्याज थी ...
अकेले राघव की आमदनी से एकसाथ घर चलाना और ब्याज भरना बहुत मुश्किल काम था
इसलिए में नौकरी की तलाश में घर से बाहर निकल पड़ी ,
शुरू शुरू में कई दिनों तक में भटकती रही लेकिन मुझे कोई ऐसी जॉब नहीं मिली जिससे की हमारी समस्या का हल निकल सकता हो
में इस बात को भी अच्छी तरह से जानती थी की एक एक दिन करके समय बीतता जा रहा है और अगर मुझे काम नहीं मिला तो
आखिरकार राघव को फिर से कोई नयी परेशानी उठानी पड़ेगी....
हालाँकि राघव पैसे कमाने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहा था लेकिन एक अकेला इंसान आखिर कितना कर सकता है ,
फिर एक दिन मुझे किसी ने बताया की @@@ स्कूल में टीचर्स के लिए वेकेंसी है मे फ़ौरन वहां पहुँच गयी और थोड़ी
सी फोर्मेल्टी के बाद वहां मेरी नौकरी लग गयी ,
नौकरी लगते ही हम दोनों ने चैन की साँस ली और एक बार फिर से लगने लगा की सब ठीक होने लगा है
लेकिन ये ख़ुशी भी सिर्फ चंद दिनों की मेहमान थी क्योकि एक महीना बीतने से पहले ही प्रिंसिपल ने मेरे सामने वही शर्त रख दी
उसकी शर्त सुनकर में भी बहुत गुस्सा हुई थी एक बार के लिए तो मेरे मन में भी उस नौकरी छोड़ने का विचार आया था
लेकिन उस समय हमारे जो हालात चल रहे थे उन हालातो में मेरे सामने अपने घर की खुशियों को बचाने का और कोई रास्ता नहीं था
हालाँकि ये बात में भली भांति जानतो थी की में जो कदम उठाने जा रही हूँ वो सरासर गलत है ..
अगर राघव को इसकी जरा सी भनक भी लग गयी तो पता नहीं क्या हो जाता ...
लेकिन दूसरी तरफ राघव की इन मुश्किल हालातो में मदद करना भी मेरे लिए बेहद अहम् था ,,
में जानती थी की मेरी नौकरी कायम रहने से कम से कम राघव के सर पर ब्याज की टेंशन तो नहीं रहेगी और ऊपर से प्रिंसिपल ने
मुझे जो ६ महीने की सेलरी बोनस में देने की बात कही थी वो भी मेरे लिए बहुत बड़ी रकम थी में सोचने लगी थी की अगर मुझे एक साथ
इतने पैसे मिल जायेंगे तो जो कर्जा हमारे सर पर है वो भी चुकता हो जायगा यही सब सोच कर मेने वो कदम उठाने पर मजबूर हो गयी थी
लेकिन तब में ये बात नहीं जानती थी की मेरा वो कदम मुझे किस दलदल में धकेल देगा ,,
कहते हुए अनीता की एक बार फिर से रुलाई छुट गयी और वो फफक -२ कर रोने लेगी
रीमा ने अनीता को दिलासा देते हुए चुप करवाने की कोशिश की और कहा
में मानती हूँ की तूने जो कुछ भी किया वो सिर्फ अपने घर की भलाई और राघव के लिए ही किया लेकिन तेरा ये कदम
कहलायेगा तो राघव से ये विश्वासघात ही
अनीता ने सुर्ख आँखों से रीमा को देखते हुए कहा ....
बेशक मेने राघव से विश्वासघात ही किया है और इस बात का बोझ हमेशा मेरे दिल पर रहेगा
लेकिन में राघव को दुखी भी तो नहीं देख सकती थी ....
रीमा ने गहरी साँस लेते हुए कहा ... हाँ ये बात भी तेरी किसी हद तक ठीक है क्योकि राघव अगर इसी गम में एक बार टूट जाता तो
पता नहीं फिर क्या होता , चल तूने अपने घर और सुहाग को बचाने के लिए जो भी कीमत अदा की है इसको अपने दिल में ही रखना
अनीता ने अपना सर हिलाते हुए कहा ..... आज तक इस बात को मेने कभी अपने लबो तक भी नहीं आने दिया है .............

बातो बातो में समय बीतता जा रहा था लेकिन उन दोनों का शायद इसका एहसास नहीं हो रहा था
क्योकि रीमा भी भाव विभोर हो कर अनीता की बाते बड़े ध्यान से सुन रही थी
और फिर जैसे ही रीमा का ध्यान भंग हुआ और उसको समय का एहसास हुआ तो उसने अनीता से कहा ...
अनीता मुझे अब घर जाना चाहिए ................ अगर में जल्दी ही घर नहीं पहुंची तो रोहन चिंता करेगा ...
अनीता ने कहा ... हाँ तू ठीक कह रही है वैसे भी अब बताने के लिए कुछ बचा ही नहीं .....
चल में तुझे तेरे घर छोड़ कर आती हूँ
रीमा ने कहा
नहीं नहीं रहने दे ................तू बेकार में परेशान होगी........ तू तो बस मुझे बाहर ऑटो तक छोड़ दे वहां से अपने आप चली जाउंगी ,
फिर अनीता रीमा को छोड़ने बाहर तक आई और उसने रीमा को उसके घर तक जाने के लिए ऑटो करवा दिया ,
अनीता से विदा लेकर रीमा अपने घर की और चल दी लेकिन पुरे रास्ते उसके दिमाग में सिर्फ अनीता की बाते ही चलती रही और वो
यही सब बाते सोचते -२ इतनी भावुक हो उठी की उसकी रुलाई छूटने को थी लेकिन जैसे तैसे करके उस ने खुद पर काबू पाया
और फिर जैसे ही वो घर पहुंची तो रोहन को देखते ही वो खुद को रोक नहीं पायी और उसकी रुलाई छुट गयी और वो दौड़ते हुए
रोहन के पास चली गयी और उसके गले लग कर जार जार रोने लगी ...
रीमा को ऐसे रोता देख कर शायद रोहन कुछ समझ नहीं पाया उसने रीमा की पीठ पर बड़े ही प्यार से सहलाते हुए कहा
क्या हुआ मेरी जान.......................बताओ तो सही ...
लेकिन रीमा का मन तो कर रहा था की बस वो रोती ही रहे क्योकि उसके दिल में न जाने कब से गुबार भरा हुआ था और
बहुत देर रोने के बाद जब रीमा का मन हल्का हुआ तो उसने रोहन की गोद में किसी बच्चे की तरह से अपने सर को रख दिया
और कहा ..... आप सही कहते थे में ही गलत थी जो आपकी बात नहीं मानती थी ,,
रोहन ने बड़े प्यार से रीमा के चेहरे को अपने हाथ से ऊपर उठाया और उसकी आँखों में झांकते हुए कहा ...


''सुबह का भूला अगर शाम को घर वापिस आ जाये तो उसको भुला नहीं कहते ''
फिर रोहन ने रीमा के गाल को बड़े ही प्यार से थपथपाते हुए कहा .... अच्छा अब उठो और हाथ मुंह धोकर फ्रेश हो जाओ फिर
मुझे पूरी बात बताना की क्या हुआ है ... ठीक है !!
रीमा भी किसी अच्छे बच्चे की तरह उठ कर खड़ी हो गयी और कमरे में चली गयी ...








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FUN-MAZA-MASTI रोहन और रीमा--15

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 और फिर राघव में और वो पुलिस वाला हम तीनो मयंक को उसी हालत में छोड़ कर गेस्ट हाउस से बाहर आ गए
बाहर आने के बाद वो पुलिस वाला अपनी बाइक से पता नहीं किधर चला गया और में राघव की ऑटो में बेठ गयी
रास्ते में मेने राघव से पुछा .. ये पुलिस वाला कोन था और तुम्हारे साथ क्यों आया था ?
राघव ने जोर से हँसते हुए कहा .....
अरे वो असली नहीं नकली पुलिस वाला था.... वैसे वो मेरा बहुत पुराना दोस्त है जो आजकल नाटक कंपनी में काम करता है
जब में प्लान बना रहा था तो अचानक ही मेरे दिमाग में उस का ख्याल आ गया और फिर मेने उसे अपने प्लान में शामिल कर लिया ...
मेने हेरानी से कहा ....
वो .... वो नकली था .........मुझे तो अब भी यकीन ही नहीं हो रहा की वो नकली था क्योकि वो जिस लहजे में मयंक से बात
कर रहा था वैसा लहजा सिर्फ पुलिस वालो का ही हो सकता है और उसके पास जो पिस्तौल थी वो भी बिलकुल असली जैसी थी
राघव ने कहा ....
यही तो एक अच्छे कलाकार की पहचान है की वो जिस चरित्र को निभाता है उसमे खुद को वैसा ही ढाल लेता है
और आजकल तो असली पिस्तौल हासिल करना भी कोई बड़ी बात नहीं है वैसे तुम्हे एक बात बताऊ वो पिस्तौल भी नकली थी ,,
लेकिन जो भी हुआ .......मुझे इस बात की ख़ुशी है की मेने जैसा सोचा था बिलकुल वैसे ही हुआ ,,
मेने भी खुश होते हुए आगे बड कर राघव के गाल को चूम लिया और कहा ...
तुमने न सिर्फ मुझे मयंक के चुंगल से आज़ाद करवाया है बल्कि उस कमीने का जो हश्र किया है वो मेरे लिए बड़े गर्व की बात है
लेकिन पता नहीं क्यों मुझे एक बात का डर लग रहा है ...
राघव ने पुछा ............... तुम्हे अब किस बात का डर लग रहा है ?
मेने कहा
मयंक बहुत पैसे वाला है और साथ ही साथ उसके यार दोस्त भी सब गुंडे बदमाश किस्म के है कहीं ऐसा न हो की वो
हमसे बदला लेने के लिए कुछ गलत न कर बेठे ,,
राघव ने कहा
तुम चिंता मत करो क्योकि मेने आज उसकी जो हालत की है इसके बाद वो ऐसा कुछ सोचने की हिम्मत तक नहीं करेगा
और वैसे भी हम कोनसा अब इस शहर में ज्यादा दिनों तक रहने वाले है
मेने चोंकते हुए कहा .......................................क्या मतलब
राघव ने कहा
हां अनीता मेने सोच लिया है की आज ही तुम्हारे बाबूजी से अपनी शादी की बात कर लूँगा और शादी के बाद हम फ़ौरन यहाँ से चले जायेंगे
राघव के मुंह से शादी की बात सुन कर में मन ही मन ख़ुशी से झूम उठी लेकिन बाहर जाने की बात मेरी समझ में नहीं आ रही थी इसलिए
मेने कहा ................लेकिन राघव हम शादी के बाद यहाँ से जायेंगे कहाँ ?
राघव ने कहा
वहीँ जहाँ से में आया हूँ ........... शादी के बाद में तुम्हे भी अपने साथ वहीँ ले जाऊंगा तुम बिलकुल भी चिंता मत करो वहां मेरा अपना घर है
और अब तो माँ भी हमारे साथ चलेगी ... फिर हम सब साथ मिल कर रहेंगे ... राघव की आवाज में बड़ी ख़ुशी थी
राघव की बाते सुन कर मुझे भी बड़ा अच्छा लग रहा था लेकिन बाहर जाने वाली बात मेरी समझ में नहीं आ रही थी
मेने हिचकिचाते हुए कहा
लेकिन राघव मुझे भी तो कुछ बताओ न ..........की आखिर हम कहाँ जायेंगे ? और तो और तुमने मुझे अभी तक ये भी नहीं बताया की तुम
इतने दिनों तक कहाँ थे और क्या करते रहे ...और -- और............... फिर तुम अचानक यहाँ किस लिए आये थे ?

राघव ने कहा .. लगता है तुम्हे अब सब बताने का ठीक वक़्त आ गया है
राघव ने ऑटो सड़क की साइड में लगा कर कहा ..


 मेरे होश सँभालने से पहले ही मेरे सर से बाप का साया उठ गया था इसलिए मेने बचपन से जवान होने तक
अपनी जिन्दगी में कदम कदम पर बहुत मुसीबते झेली है और हद से ज्यादा गरीबी देखी है ,,

शायद यही वजह थी की आज से कुछ समय पहले तक मेरी जिन्दगी का सबसे बड़ा सपना सिर्फ पैसा कमाना ही था
तुम्हे तो शायद ये बात भी मालूम नहीं होगी की मे दिन में पढाई करता था और रात में एक वाइन बार में वेटर की नौकरी
लेकिन ये सब में अपनी ख़ुशी से नहीं कर रहा था बल्कि इसलिए कर रहा था क्योकि मेरे पास इसके सिवा अपनी पढाई को
जारी रखने का और कोई जरिया नहीं था क्योकि दिन में अगर में कोई और काम करता तो फिर में पढाई नहीं कर सकता था ,

और फिर एग्जाम के दिनों में मेरी जान पहचान फ़िरोज़ नाम के एक आदमी से हुई
फ़िरोज़ उन दिनों रोजाना हमारी बार में आता था अपने पहनावे और हाव भाव से फ़िरोज़ बहुत अमीर लगता था
वो मुझे टिप भी बाकि सब कस्टमर से ज्यादा दिया करता था इसलिए में लालच में ज्यादातर उसकी टेबल के इर्द गिर्द ही घूमता रहता था..
शायद उसने मेरी इस कमजोरी को भांप लिया था इसलिए एक दिन उसने मुझे बातो ही बातो में कहा.....
अगर तू पैसे कमाना चाहता है तो एक बार मेरे साथ राजनगर ( काल्पनिक नाम ) चल में तेरी लाइफ बना दूंगा ....
में भी लोगो के जूठे बर्तनों को उठाते -२ ऊब चूका था इसलिए बिना कुछ सोचे समझे उसकी बातो में आ गया
मेरे दिमाग पर उन दिनों सिर्फ पैसा कमाने का भूत सवार था इसलिए उसने जो कुछ भी कहा उसकी हर बात पर
मे आँख मूँद कर भरोसा करता चला गया ...ये तक भी जानने की कोशिश नहीं की कि फ़िरोज़ की असलियत क्या है ,,
और फिर आखरी एग्जाम देने के बाद में माँ को बिना कुछ बताये फिरोज के साथ राजनगर के लिए निकल गया
राजनगर पहुँचने के बाद फ़िरोज़ ने मुझे एक बहुत ही शानदार से होटल में ठहराया और खुद ये कहकर चला गया
तू अब यहाँ मौज मस्ती कर और अपने सफ़र की थकान को मिटा ........... में तुझे शाम को मिलता हूँ ,

उधर में होटल की चमक दमक और फ़िरोज़ की शान ओ शोकत से लबालब बातो में ही खो कर रह गया
और पूरा दिन सिर्फ अपने आने वाले खुशगवार दिनों के रंगीन सपने ही बुनता रहा ...

शाम को जब फ़िरोज़ मेरे पास आया तो उसने मुझसे इधर उधर की २-४ बाते करने के बाद कहा ..
यार राघव एक गड़बड़ हो गयी है ,,
गड़बड़ का लफ्ज़ सुनते ही में बुरी तरह से घबरा गया मुझे अपने सुनहरी सपने बिखरते नजर आने लगे
मेने हडबडाते हुए कहा ...........क्या गड़बड़ हो गयी फ़िरोज़ भाई ?
मुझे घबराता देखकर फ़िरोज़ ने मुझे दिलासा देते हुए कहा ...
अरे यार तू क्यों घबरा रहा है ...तेरे से थोड़े न कुछ गलत हुआ है .... गलती तो मेरे से हुई है
उसकी बात सुन कर मेने मन ही मन चैन की साँस ली और कहा ... लेकिन हुआ क्या है ? बताओ तो सही
फ़िरोज़ ने बड़ी उदास आवाज में कहा ...... दरअसल हुआ ये की कल वहां से आते वक़्त जल्दबाजी में मेने ध्यान नहीं दिया
और मेरा ब्रीफकेस होटल के लगेज रूम में किसी और के ब्रीफकेस से बदल गया ,,
मेने भी अफसोस जाहिर करते हुए कहा .... ओ ओ हो ........फिर अब क्या होगा ?
फिरोज बोला ... वैसे तो आज मेने होटल में फोन करके पता कर लिया है मेरा ब्रीफकेस वहीँ पर है लेकिन जिसका ब्रीफकेस में
गलती से अपने ब्रीफकेस की जगह ले आया हूँ वो बेचारा वहां परेशान हो रहा है इसलिए मुझे फ़ौरन ब्रीफकेस चेंज करने के लिए
वापिस जाना होगा ...............लेकिन .......कहते -२ वो रुक गया ...
मेने बड़ी अधीरता से पुछा .... लेकिन क्या ?
वो बोला .... यार दरअसल बात ये है की अगर में वहां ब्रीफकेस चेंज करने के लिए गया तो मुझे वापिस आते आते कल रात हो जाएगी
और यहाँ मेने तेरे काम के लिए जिस बन्दे से बात करनी है वो कल दोपहर की फ्लाइट से विदेश जा रहा है अब में इसी टेंशन में हूँ
की अगर कल में उस बन्दे से नहीं मिल पाया तो तेरा यहाँ आना बेकार हो जायेगा और दूसरी तरफ अगर में ब्रीफकेस को चेंज करने
के लिए आज नहीं गया तो कहीं ऐसा न हो की कहीं मेरा ब्रीफकेस इधर उधर हो जाये,,
मेने कहा ... फ़िरोज़ भाई लगता है आपके ब्रीफकेस में कोई बहुत जरूरी सामान है ?
फिरोज ने कहा .....हाँ यार उस ब्रीफकेस में मेरे बहुत जरूरी कागजात है अगर वो कहीं गम हो गए तो मेरा लाखो का नुक्सान हो जायेगा
कहते हुए वो ऐसी शक्ल बना कर बेठ गया जैसे वो बड़ी गहरी सोच मे पड़ा हो .....
में भी उसकी बात सुन कर बड़ी कशमकश में पड़ गया था ..और फिर पता नहीं मेरे मन में उस वक़्त क्या आया की मेने कहा ,,
फ़िरोज़ भाई क्यों न ऐसा करे की आपका ब्रीफकेस चेंज करने के लिए में चला जाता हूँ और आप कल यहाँ रहकर मेरे काम की बात कर लेना ...
मेरी बात सुन कर फिरोज ख़ुशी से उछल पड़ा और बोला .. वाह राघव क्या आईडिया दिया है तूने ...
तूने तो एक ही झटके में सारी मुश्किलें ख़तम कर दी ... वाह भाई वाह क्या दिमाग पाया है तूने ....
फ़िरोज़ के मुंह से अपनी तारीफ सुन कर में मन ही मन इतराने लगा क्योकि में तब तक नहीं जानता था की फ़िरोज़ के मन में क्या है
और उधर शायद फिरोज मन ही मन अपनी कामयाबी पर खुश हो रहा था ,,
फिर उसी रात को में फ़िरोज़ का ब्रीफकेस ले कर वापिस अपने शहर की और चल दिया और अगले दिन सुबह फिरोज ने जिस
होटल का मुझे एड्रेस दिया था में वहां पहुँच गया और जिस आदमी से मिलने के लिए मुझे फ़िरोज़ ने कहा था में उससे जाकर मिला
उस आदमी ने मुझसे फ़िरोज़ का ब्रीफकेस ले लिया और हुबहू बिलकुल वैसा ही एक दूसरा ब्रीफकेस मुझे दे दिया
पहली नजर मे में भी दोनों ब्रीफकेसों को एक साथ देख कर यकीन कर बेठा की फ़िरोज़ की बात सोलह आने सच है
क्योकि वो दोनों ब्रीफकेस एक ही कंपनी और एक ही मॉडल के थे और साथ ही साथ कलर भी एक ही था ,,
खैर ब्रीफकेस वहां से ले कर में एक बार फिर से राजनगर के लिए निकल पड़ा ,,

में तब तक भी इस बात को नहीं जानता था की फ़िरोज़ कितनी होशियारी से मेरा इस्तेमाल कर रहा है और
जानता भी तो कैसे ..... क्योकि अभी तक तो सब कुछ ऐसे घट रहा था जैसे सबकुछ स्वभाविक हो ...

और फिर अगले दिन शाम को जैसे ही ट्रेन लालगंज स्टेशन पर पहुंची तो ८-१० पुलिस वालो ने मुझे प्लेटफोर्म पर उतारते ही
घेर लिया और घसीटते हुए अपने साथ जीप में बेठा कर पुलिस थाने ले गए ,
ये सब कुछ इतना अचानक और इतनी जल्दी हुआ की मेरी समझ में कुछ नहीं आया की माजरा क्या है
हालाँकि मेने पूछने की कोशिश जरुर की लेकिन उन लोगो ने मुझे घुड़क कर चुप रहने को मजबूर कर दिया और फिर
जब उन लोगो ने मुझे अपने ऑफिसर के सामने पेश किया तब मुझे हकीकत पता चली
और हकीकत का पता चलते ही मेरे पैरो के नीचे से धरती खिसक गयी ...... और मेरी सांसे थम गई ...
क्योकि मेरे ब्रीफकेस से लाखो रूपये के नकली नोट बरामद हुए थे ,,,
मेने अपनी बेगुनाही साबित करने की हर संभव कोशिश की लेकिन मेरे हाथ सिर्फ नाकामयाबी ही लगी
और तो और मेरी बेगुनाही का सबसे बड़ा सुबूत जोकी फिरोज था उसका मोबाइल भी स्विच ऑफ हो चूका था ..
में समझ गया की फ़िरोज़ को मेरे अंजाम की खबर मिल चुकी है ....
पुलिस में मुझे ३-४ दिन तक हवालात में बंद रखा और सच्चाई उगलवाने के लिए जानवरों की तरह पीटा लेकिन उनके हाथ कुछ नहीं लगा
और लगता भी तो क्या ....क्योकि में तो कुछ जानता ही नहीं था और फिर शायद उन लोगो को भी इस बात का यकीन होने लगा था
इसलिए फिर मुझे जेल में भेज दिया गया और तकरीबन ६ महीने जेल में रहने के बाद पता नहीं क्यों एक दिन मुझे रिहा कर दिया गया ....
में जेल से तो रिहा हो चूका था लेकिन अब मेरे सामने सबसे बड़ा सवाल ये था की में घर क्या मुंह ले कर जाऊंगा
क्योकि उस वक़्त मेरी जो हालत थी उसमें तो में माँ से नजरे मिलाने लायक भी नहीं रहा था ...
और फिर मेने मन ही मन इस बात का फैसला किया की में खाली हाथ घर वापिस नहीं जाऊंगा
में लालगंज में ही रहकर अपने लिए काम तलाश करने लगा और कुछ दिनों की जद्दोजेहद के बाद आख़िरकार
मुझे एक सर्विस स्टेशन में काम मिल गया मेरे पास चूँकि रहने का कोई ठिकाना नहीं था इसलिए में रात को वहीँ सोने लगा
और फिर कुछ ही दिनों में मेरी एक ऑटोरिक्शा वाले से दोस्ती हो गयी उसने जब मेरी कहानी सुनी तो उसको शायद मेरे
ऊपर तरस आया और उसने मुझे पहले ऑटो चलाना सिखाया और फिर उसी ने मुझे अपने सेठ से किराये पर ऑटो दिलवा दिया
और में ऑटो चलाने लगा और अगले कुछ महीनो में में पूरी तरह से अपने धंधे में सेट हो गया और फिर मेने अपने सेठ की
मदद से एक राजनगर में एक छोटा सा मकान भी ले लिया
और अब जब सबकुछ ठीक हो चूका था ......तो में माँ को अपने साथ ले जाने के लिए यहाँ आया था
और इक्तेफाक से तुम भी मुझे मिल गयी और उसके आगे तो फिर तुम्हे सब पता ही है ...
राघव की बात सुनने के बाद मुझे हेरानी के साथ साथ अच्छा भी लग रहा था क्योकि राघव ने मुझे सब कुछ सच सच बताया था
मेने राघव की और बड़े ही प्यार से देखते हुए कहा ...
राघव मुझे इस बात की सबसे ज्यादा ख़ुशी है की तुमने इतनी मुसीबते सहने के बाद भी अपने जमीर को जिन्दा रखा
और तुमने ऐसा कोई भी काम नहीं किया जिस से तुम्हारे चरित्र पर कोई दाग लगा हो तुम्हारी दास्तान सुनने के बाद
में तुमसे और भी ज्यादा प्यार करने लगी हूँ ...........लेकिन मुझे एक बात समझ नहीं आ रही ?

राघव ने मुझे घूरते हुए कहा ... अब कोनसी बात रह गयी जो समझ नहीं आ रही ?
मेने तिरछी निगाहों से राघव की और देखते हुए कहा ...
तुमने सब कुछ तो बता दिया लेकिन ये नहीं बताया की तुम्हे मुझसे प्यार कब हुआ ...?

राघव ने मेरी और प्यार से देखते हुए कहा ...
प्यार तो मुझे तुमसे उसी पल से हो गया था जब मेने तुम्हे पहली बार देखा था लेकिन अपने प्यार का इज़हार करने से डरता रहा ....
मेने राघव की और शिकायत भरी निगाहों से देखते हुए कहा ....
अच्छा जी तो आप डरते भी है लेकिन किस वजह से जरा वो भी तो बता दीजिये
राघव ने कहा ....
और किसी बात से नहीं .....डरता तो में सिर्फ अपनी गरीबी से था ... क्योकि उस वक़्त मेरी इतनी हैसियत भी नहीं थी की में तुम्हे
किसी अच्छे से रेस्टोरेंट में बेठा कर एक कप चाय भी पिला सकता और दूसरी वजह ये भी थी की में मन ही मन ये सोचता था की
में तुमसे अपने प्यार का इजहार उस दिन करूँगा जिस दिन में किसी लायक बन जाऊंगा ....
न जाने क्यों राघव की एक एक बात मेरे दिल की गहराईयों में उतर रही थी मेने कहा ....
और अगर तुम्हे कहीं अपने प्यार का इज़हार करने में देर हो जाती और में किसी और की हो जाती तो क्या होता ,,
मेरी बात सुन राघव ने कहा .....
अगर ऐसा होता तो फिर में जिन्दगी भर कुंवारा रहकर तुम्हारे नाम की माला जपता ,,
राघव के कहने का अंदाज़ कुछ ऐसा था की बरबस ही मेरी हंसी छुट गयी और फिर मेने आगे बढकर राघव के गाल पर एक चुम्बन जड़ दिया



और अनायस ही मेरे मुंह से निकल गया.................................. आई लव यु













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FUN-MAZA-MASTI रोहन और रीमा--14

FUN-MAZA-MASTI
 रोहन और रीमा--14
 मेरी बात सुन कर राघव ने बिलकुल सपाट लहजे में कहा ......
मेरी छोडो पहले ये बताओ की तुम इतनी देर तक होटल में क्या कर रही थी ,
उसकी बात सुन कर में बुरी तरह से सकपका गयी फिर भी मेने खुद को सँभालते हुए कहा ....
में यहाँ एक इंटरव्यू के लिए आई थी उसमे जरा ज्यादा टाइम लग गया ...
राघव इस बार थोड़े तल्ख़ लहजे में बोला ....
मुझे समझ नहीं आ रहा की ऐसा कोन सा इंटरव्यू था जो पिछले ३ घंटो से एक बंद कमरे में चल रहा था ..
और उसपर मजे की बात ये है की इंटरव्यू में इकलोती कैंडिडेट सिर्फ तुम ही थी ,,

राघव की बात सुन कर मेरी सिट्टी पिट्टी गूम हो गयी मेने लडखडाती जुबान में कहा
वो ...वो ......इंटरव्यू के बाद सर ने मुझे लंच के लिए रोक लिया था इसलिए देर हो गयी ...
राघव ने बिलकुल मेरी खिल्ली उड़ाने के लहजे में कहा ...
अनीता पहले तू सही से झूठ बोलना तो सीख ले .....तुझे तो झूठ बोलना भी नहीं आता ...,,
मेने झेंपते हुए कहा..............
क्या मतलब ......... तुम्हे ऐसा क्यों लग रहा है की में झूठ बोल रही हूँ ...
राघव ने अपनी सीट के नीचे से निकाल कर एक आइना मुझे देते हुए कहा
पहले जरा अपनी शक्ल देख इसमें फिर बोलना ,,
मेने कांपते हाथो से आईने में अपना चेहरा देखा तो मुझे मेरे माथे पर नील के निशान साफ़ दिखाई देने लगे
और निशान देखते ही मेरी हालत ऐसी हो गयी जैसे में चोरी करते रंगे हाथो पकड़ी गयी हूँ ....
मेने जल्दी से अपने दुप्पटे को अपने माथे पर लपेट लिया और नजरे झुकाते हुए कहा ...
वो तो में सुबह नहाते वक़्त बाथरूम में फिसल गयी थी ,,ये तो तब का है

राघव ने ऑटो रोक दिया और मेरी तरफ घूम कर बोला
अनीता तुम फिर से झूठ बोल रही हो सुबह जब मेने तुम्हे होटल तक छोड़ा था तब तुम्हारे चेहरे पर
ऐसा कोई भी निशान नहीं था......... ये निशान होटल में जाने के बाद बने है ,
तुम जरूर मेरे से कुछ न कुछ छुपाने की कोशिश कर रही हो ,,,सच सच बताओ बात क्या है ?

राघव की बातो से साफ़ जाहिर था की उसने मेरा झूठ पकड़ लिया है और उसको मेरे ऊपर पूरा शक हो चूका है
की में उससे बहुत कुछ छुपा रही हूँ ,
मन ही मन चाहती तो में भी यही थी की में उसको सबकुछ सच सच बता दूँ की में किस मुसीबत में हूँ
लेकिन में राघव को वो सब बाते बता कर उसकी नजरो में गिरना भी नहीं चाहती थी
मुझे खुद पर गुस्सा आने लगा और मेने तिलमिलाते हुए कहा
तुम होते कोन हो मुझ से इस तरह पूछने वाले ...... जल्दी से ऑटो रोको मुझे यही उतरना है ...
राघव ने ऑटो सड़क के किनारे रोक दिया और बोला ....
अनीता में तुम्हारा और कुछ न सही लेकिन एक दोस्त होने के नाते तो तुम मुझे अपनी प्रॉब्लम
बता सकती हो ,, शायद में तुम्हारी कुछ मदद कर सकूँ ..
न जाने क्यों राघव के इतने अपनेपन से कहे ये लफ्ज़ सीधे मेरे दिल में उतर गए और में भावनाओं में
बेहने लगी मेरा दिल कह रहा था की में उसको सब बता दूँ ,,लेकिन एक बार फिर से मेरी मज़बूरी ने
जुबान पर ताला लगा दिया ,,काश कि में उसको बता पाती की में किन हालातो में घुट -२ के जी रही हूँ
मेने जैसे तैसे अपनी भावनाओ पर काबू किया और राघव को कोई जवाब नहीं दिया
और चुपचाप उसके ऑटो से उतर गयी,, राघव को शायद मुझसे ऐसी बेरुखी की उम्मीद नहीं थी
वो मुझे बस देखता ही रह गया कुछ बोला नहीं ...
लेकिन उसकी आँखों से झलकते प्यार के सैलाब को मे साफ़ महसूस कर रही थी मगर अफ़सोस
चाहकर भी कुछ कह न सकी ,
लेकिन जैसे ही में चंद कदम आगे बड़ी मुझे राघव की बाते और उसकी आँखों में मेरे लिए बसा प्यार
बरबस मुझे अपनी और खींचने लगा ,,
मुझे ऐसा महसूस होने लगा जैसे मे अनजान भीड़ के सैलाब में किसी अपने से बिछड़ गयी हूँ
दिल बहुत बेचेन हो उठा और कदम बोझिल से होने लगे ,,
दिल मजबूर करने लगा की में भागती हुई वापिस राघव के पास चली जाऊ और उसके सीने पर
अपना सर रख कर उसको सब कुछ सच सच बता दूँ ..
में खुद को रोक नहीं पायी और मेने बड़ी हसरत भरी निगाहों से पलट कर पीछे देखा ,

लेकिन शायद मेने ये फैसला लेने में देर कर दी थी क्योकि जैसे ही मेने पलट कर देखा
राघव वहां नहीं था ................. वो जा चूका था .................................
उस वक़्त पहली बार मुझे एहसास होने लगा था की में राघव से प्यार करने लगी हूँ ....


मेरा दिल रोने लगा और में बड़ी उदासी में थके थके कदमो से एक गली में घुस गयी ....


 में जिस गली में घुसी थी में नहीं जानती थी की वो कहाँ जाती है में तो बस बेमकसद ही
अपनी ही धुन में चली जा रही थी ...
ये भी एक इक्तेफाक था की में जिस गली में जा रही थी वो एक बंद गली थी लेकिन में इस बात को
नहीं जानती थी इसलिए में चलती चली गयी और फिर जैसे ही में गली के आखरी छोर पर पहुंची ......
वहां २-३ लोग एक चारपाई पर बेठे आपस में बतिया रहे थे
मुझे देख कर उनमे से एक आदमी जो काफी उमरदराज था बोला ....कहाँ जाना है बेटी ?
उसकी बात सुन कर जैसे में अपनी तन्द्रा से बाहर आई मेने कहा .....
काका वो में शायद इधर गलती से आ गयी हूँ ... कहती हुई में फिर से वापिस चल दी
वापिस जाते वक़्त मुझे गली में ही एक केमिस्ट की शॉप दिखाई दी और कुछ सोच कर में उस शॉप में चली गयी ..
मुझे देख कर दूकान वाले ने पुछा ..... क्या चाहिए मेडम ?
उसकी बात सुन कर पहले तो में बड़ी कशमकश में पड़ गयी की कैसे कहूँ फिर मेने होंसला करते हुए कहा ...
भाई साहब ...मुझे नींद की गोलिया चाहिए ?
मेरी बात सुन कर वो मुझे गौर से देखता हुआ बोला ....डॉक्टर का परचा दिखाइए
उसकी बात सुन कर में बगले झाँकने लगी ....मेने कहा जी मेरे पास किसी डाक्टर का परचा तो नहीं है

उसने मुझे घूरते हुए कहा ... सॉरी मेडम में आपको बिना पर्चे के गोलिया नहीं दे सकता ...
कहते हुए वो मुझे अनदेखा करके अपने काम मे लग गया ,,
मेने एक बार फिर से हिम्मत करते हुए उसको रिक्वेस्ट के अंदाज़ में कहा ... प्लीज् भाई साहब दे दीजिये न
आप जितने भी पैसे कहेंगे में देने को तैयार हूँ ,
मेरी बात सुन कर वो कुछ पल के लिए सोच में पड़ गया फिर बोला ....
मेडम आपको नींद की गोलिया किस लिए चाहिए ?
उसकी बात के अंदाज़ से अब मुझे लगने लगा की वो शायद मुझे गोलिया दे देगा
मेने कहा ... मुझे कई दिनों से ढंग से नींद नहीं आ रही इसलिए ले रही हूँ ,,
उसने फिर से मेरी तरफ देखते हुए कहा .... कितनी गोलिया चाहिए ?
मेने कहा पूरी शीशी ही दे दीजिये...
मेरी बात सुन कर वो अपनी मुंडी हिलाते हुए बोला ... नहीं नहीं में आपको एकसाथ पूरी शीशी नहीं दे सकता
ज्यादा से ज्यादा २-३ गोलिया ही दे सकता हूँ ,
मेने अपने पर्स से ५०० का नोट निकाल कर उसकी झलक दूकान वाले को दिखाते हुए कहा
देख लीजिए अगर आप नहीं देंगे तो में कहीं और से ले लुंगी कहती हुई में जैसे ही मुड़ी
दूकान वाले ने मुझे आवाज दी और कहा ..... रुकिए मेडम चलिए ले जाइये ..
मेने पलट कर उसकी और देखा तो वो बड़ी खिसियानी हंसी हँसने लगा ..
मेने ५०० का नोट उसको दिया और उससे गोलियों की शीशी ले कर वहां से निकल गयी
उसकी दूकान से बाहर निकलते ही मेरी आँखों की चमक बड़ने लगी शायद मुझे महसूस होने लगा था
की आज मुझे मेरी सारी उलझनों का हल मिल गया है ,,

में अपनी मुट्ठी में गोलियों की शीशी ऐसे दबाये हुए चली जा रही थी जैसे उसमे मेरी जान बसी हो
और मन ही मन ये भी सोच रही थी की घर जाते ही सारी की सारी गोलिये खा कर ऐसी गहरी नींद में
सो जाउंगी की फिर कभी इस जालिम दुनिया में अपनी आँखों को नहीं खोलूंगी ,,


अभी में १५-२० कदम ही चली थी की मुझे रुकना पड़ा क्योकि मेरे सामने राघव खड़ा था ,,
राघव ने गुस्से से मुझे घूरते हुए देखा और बोला ........यहाँ क्या कर रही हो ?
मेने एक बार फिर से झूठ बोलते हुए कहा ..... मुझे यहाँ कुछ काम था
राघव : क्या काम था जरा पता तो चले
मेने नजरे चुराते हुए कहा ....
कहा न मेने........ था कोई काम.......... अब हर बात में तुम्हे बताऊ ये जरूरी तो नहीं
राघव ने मेरे हाथ की और इशारा करते हुए कहा ....
ह्म्म्म........लेकिन ये तुमने अपनी मुट्ठी में क्या दबाया हुआ है ?क्या है इसमें ?
उसकी बात सुनते ही मुझे लगने लगा की अब मेरा सारा खेल बिगड़ गया है मेने अपनी मुट्ठी को और कस
कर बंद कर लिया और तल्ख़ लहजे में कहा ....
मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी ...........प्लीज मेरे रास्ता छोडो.... मुझे जाने दो
राघव ने मेरी कलाई को पकड़ा और बोला .. में तुझे तेरे घर छोड़ कर आता हूँ चल मेरे साथ
मेने राघव से अपनी कलाई छुडवाने का प्रयास किया लेकिन सफल नहीं हो पाई मेने कसमसाते हुए कहा
नहीं जाना मुझे तुम्हारे साथ ...छोडो मुझे नहीं तो में शोर मचा दूंगी ,,
राघव ने गुस्से में आकर मेरी कलाई को उमेठते हुए कहा ... बस यही सुनना बाकी रह गया था
कहते -२ राघव की आँखे भर आई और उसने झटके से मेरे हाथ को छोड़ दिया
जैसे ही उसने मेरा हाथ छोड़ा मेरी मुट्ठी में दबी शीशी छिटक कर जमीन पर गिर गयी
इस से पहले की में कुछ सोचती राघव ने लपक कर वो शीशी जमीन से उठा ली और जैसे ही उसने
शीशी पर लगे लेबल को पड़ा उसके चेहरे की हवाइया उड़ती चली गयी
कभी वो मुझे देखता तो कभी उस शीशी को मानो उसे यकीन ही न हो रहा हो की ये हकीकत है ,,
और में अपनी निगाहों को किसी अपराधी की तरह नीची किये खड़ी हो गयी
राघव ने भर्राई आवाज में कहा .... ये सब क्या है अनीता ? .....ये क्या कर रही हो तुम ?
मेरी आँखे भर आई लेकिन मेने कोई जवाब नहीं दिया चुपचाप खड़ी रही
राघव ने फिर से कहा ... प्लीज अनीता कुछ तो बोलो ......कम से कम इतना तो बता दो की ऐसी कोनसी
वजह है जो तुम ये सब कर रही हो ...... बोलो अनीता ........बोलो न ....
इधर मेरे भी सब्र का बाँध टूटने के कगार पर आ चूका था लेकिन में उसको अपनी बर्बादी की दास्ताँ
सुनाने का होंसला नहीं कर पा रही थी ,,
राघव ने मेरे दोनों कंधो को पकड़ कर झिंझोड़ते हुए कहा ....
प्लीज अनीता मेरी खातिर कुछ तो बोलो ... तुम अगर झूठ बोलोगी तो वो भी में सच मान लूँगा लेकिन
कुछ तो बोलो .....इस तरह में तुम्हे घुट घुट कर जीता हुआ नहीं देख सकता ,,
राघव की आवाज में इतनी तड़फ थी की में खुद को रोक नहीं पायी और मेरे सब्र का बाँध इस तरह टूटा
की में राघव के गले लग कर फफक फफक कर रोने लगी
राघव बड़े ही प्यार से मेरी पीठ को सहलाते हुए मुझे दिलासा देने की कोशिश जरूर कर रहा था लेकिन
मुझे इस हाल में देख वो खुद भी अपनी आँखों को सुर्ख होने से रोक नहीं पाया ,,
दुनिया से बेखबर में राघव की बाँहों में समाये हुए तड़फ तड़फ के अपने दिल का गुबार निकाल रही थी ....
कुछ देर तक मुझे दिलासा देने के बाद राघव ने मेरे कान में हलके से फुसफुसाते हुए कहा .......
खुद को संभालो अनीता सब हमे ही देख रहे है
उसकी बात सुन कर मुझे अपनी स्तिथि का आभास हुआ और में झेंपती हुई राघव से अलग हो गयी
राघव ने भी मौके की नजाकत समझते हुए मेरा हाथ पकड़ा और मुझे गली से बाहर निकाल कर ले गया
बाहर जाकर राघव ने मुझे ऑटो में बेठने के लिए कहा और में बिना कुछ बोले राघव के ऑटो में बेठ गयी
राघव ने ऑटो चलाना शुरू कर दिया और कुछ देर बाद उसने एक जगह जाकर ऑटो रोका और बोला
आओ अनीता यहाँ बेठ कर बात करते है
में ऑटो से बाहर निकली और देखा तो सामने एक पार्क था
हम दोनों वहां जाकर एक बेंच पर बेठ गए और फिर राघव ने मेरी आँखों में प्यार से देखते हुए कहा ....
अगर अब तुम्हारा मुझे कुछ बताने का मन कर रहा हो तो बता सकती हो
मुझे राघव के इस अंदाज़ पर प्यार आने लगा मेने होले से मुस्कराते हुए कहा ...
में तुम्हे सब कुछ बताउंगी लेकिन मेरी एक शर्त है
राघव ने अपनी आँखों को बंद करके एक पल के लिए कुछ सोचा और फिर बोला
मंजूर है.......... बोलो क्या शर्त है
मेने कहा ....
शर्त ये है की में तुम्हे जो कुछ भी बताउंगी उसको सुन कर तुम गुस्सा नहीं करोगे और
न ही कोई ऐसा कदम उठाओगे जिससे तुम्हे कोई नुक्सान पहुंचे क्योकि में नहीं चाहती की मेरी वजह
से तुम किसी मुसीबत में पड़ो,,
राघव ने मुस्कराते हुए कहा .... तुम मेरी फिक्र मत करो मुझे कुछ नहीं होगा ,,
और फिर मेने राघव को शुरू से आखिर तक अपनी आपबीती सुना दी ...
मेरी आपबीती सुनकर राघव की आँखों में लहू उतर आया और उसके जबड़े भिंचते चले गए
में राघव के इस रोद्र रूप को देख कर सन्न रह गयी मेने डरते हुए राघव से कहा
देखो राघव तुमने मुझसे वादा किया था की तुम गुस्सा नहीं करोगे ..
राघव ने दर्द भरी आवाज में कहा ....
हाँ मेने वादा किया था मुझे याद है लेकिन तुम्हारे साथ उस कमीने ने जो हेवानियत की है उसका
सबक तो में उसको जरूर दूंगा और ऐसा सबक दूंगा की वो मरते दम तक याद रखेगा
राघव की बात सुन कर मुझे डर सताने लगा की अब क्या होगा में मन ही मन सोचने लगी की
अगर कहीं राघव ने मयंक के साथ मार पीट की तो कहीं ऐसा न हो की मयंक मेरे क्लिप्स को नेट पर
डाल दे और यदि ऐसा हुआ तो मेरी जिन्दगी मौत से भी बदतर हो जायेगी ,,
मेने राघव के आगे हाथ जोड़ते हुए कहा ..... राघव प्लीज तुम शांत हो जाओ .... में जानती हूँ की ये सब
सुन कर तुम्हे बहुत गुस्सा आ रहा है लेकिन जरा ठन्डे दिमाग से सोचो की अगर तुमने जल्दबाजी में
कोई गलत फैसला ले लिया तो मेरा क्या होगा उस कमीने के पास मेरे क्लिप अभी भी है वो उनका कुछ
भी मिस यूज़ कर सकता है
मेरी बात सुन कर राघव सपाट लहजे में बोला ... उस बात की चिंता मुझे भी है लेकिन तुम घबराओ मत
अब ये टेंशन सिर्फ तुम्हारी अकेली की नहीं है बल्कि हम दोनों की है ,,
राघव की बात सुन कर मेरे दिल को बहुत सुकून होने लगा मुझे एहसास होने लगा की में अकेली नहीं हूँ
फिर हम दोनों अपने पुराने दिनों की बाते करने लगे और कुछ देर बाद राघव ने कहा ....
चलो अनीता अब तुम्हे घर छोड़ देता हूँ क्योकि शाम होने को है माँ तुम्हारी राह देख रही होंगी
राघव की बात सुन कर मेने प्यार से राघव को देखते हुए कहा ....
तुम्हे मेरी इतनी चिंता है ये देख कर पता नहीं क्यों मेरे दिल में कुछ -२ होने लगा है ,,
राघव ने मुस्कराते हुए कहा .... रास्ते में बता देना अभी तो चलो

और फिर हम दोनों पार्क से बाहर निकल आये
राघव ने मुझे ऑटो में बेठा कर ऑटो स्टार्ट कर दिया ,,,


 कुछ देर चुप्पी साधने के बाद आखिरकार मेने ही कहा
''तुम मेरे लिए इतना सब कर रहे हो समझ नहीं आ रहा की तुम्हारा कैसे शुक्रिया अदा करू ''

राघव ने मेरी तरफ देखे बिना ही कहा ....
''उसकी कोई जरूरत नहीं बस तुम खुश रहो यही मेरे लिए बहूत है ''
कुछ पल चुप रहने के बाद मेने फिर से कहा ...
''अच्छा ये तो बताओ की तुम इतने दिनों तक कहाँ रहे ?
राघव ने कहा ... समय आने दो सब बता दूंगा
में सोच रही थी की राघव से बातो ही बातो में उसके दिल में मेरे लिए क्या है उगलवा लुंगी
लेकिन राघव था की मेरी हर बात का २ टूक जवाब देकर बात को वही ख़तम कर देता था ,
मेने भी हिम्मत नहीं हारी और फिर से कहा .... अच्छा चलो ये बताओ कल क्या कर रहे हो ?
राघव ने हँसते हुए कहा .... करना क्या है ऑटो ही चलाऊंगा सडको पर पूरा दिन
मेने झेंपते हुए कहा .... मेरा वो मतलब नहीं था,, में तो इसलिए पूछ रही थी की कल तुम्हारे
पास कुछ फ्री टाइम होगा या नहीं ?
राघव ने कहा.......... क्यों मेरे फ्री टाइम का तुमने क्या करना है ?
मेने थोडा सा शरमाते हुए कहा ....
तुमसे बहुत सारी बाते करने का मन कर रहा है इसलिए अगर तुम कल फ्री रहोगे तो .......
मेने अपनी बात को जान बुझ कर अधुरा छोड़ दिया क्योकि में राघव की मर्जी जानना चाहती थी ..
राघव ने इस बार पलट कर मुझे देखा और मुस्कराते हुए बोला ...
बात को इतना गोल गोल क्यों घुमाये जा रही हो सीधे -२ बोलो न जो मन में है
उसकी बात सुन कर में बुरी तरह से झेंप गयी .. और कोई जवाब नहीं दिया
राघव ने फिर से कहा ... जवाब नहीं दिया मेरी बात का
मेने शरमाते हुए कहा .... मे तुम्हे पसंद करने लगी हूँ
राघव ने पलट कर मझे गौर से देखते हुए कहा ... सिर्फ पसंद .......या उस से भी कुछ ज्यादा ?
मेने अपनी नजरे नीचे झुकाते हुए कहा .... हम्म ........उससे भी ज्यादा .......बहुत ज्यादा
राघव ने ऑटो साइड में रोक दिया और पूरी तरह से घूम कर मेरी और देखा और बोला
सच ............. मुझे अपने कानो पर यकीन नहीं हो रहा .....एक बार फिर से कहो
उसके इस बात को कहने के अंदाज़ से में बुरी तरह शर्मा गयी
मेने अपनी निगाहे नीची करते हुए अपनी गर्दन को सहमति में हिला दिया ,
और मेरी इस अदा ने न जाने राघव पर क्या जादू कर दिया वो ख़ुशी से झुमने लगा और
उसने अपना हाथ मेरी और बढ़ाते हुए कहा ...... अपना हाथ दो
मेने अपना हाथ आगे बड़ा दिया और राघव ने मेरा हाथ अपने हाथ में बड़े प्यार से ले कर कहा
अनीता तुम नहीं जानती की ये बात कहकर तुमने मुझे मेरी जिन्दगी की सबसे बड़ी ख़ुशी दे दी है
में तुमसे वादा करता हूँ की जब तक मेरी साँस चलेगी ये साथ नहीं छूटेगा ,
राघव की बात सुन कर में मन ही मन सोचने के लिए मजबूर हो उठी की मेरी पूरी हकीकत जान लेने के बाद
भी जिस शख्स के मन में मेरे लिए इतना सम्मान है उसका प्यार कभी झूठा नहीं हो सकता
में फिर से भावुक हो उठी मेने भर्राई आवाज में कहा ...
मे भी अपनी आखरी साँस तक इस प्यार के बंधन को निभाउंगी
राघव ने मेरे हाथ को चूम लिया और फिर बोला ...
चलो अब तुम्हे देर हो रही है इसलिए बाकि की बाते कल तस्सली से करेंगे
और उसने फिर से ऑटो स्टार्ट कर दिया और फिर बातो ही बातो में मेरा घर भी आ गया
राघव से अगले दिन मिलने का वाद करके में अपने घर चली गयी ..

उस दिन घर पहुँचने के बाद मुझे मयंक के दिए जख्मो के दर्द से कहीं ज्यादा अपने दिल में एक अजीब सी ख़ुशी महसूस हो रही थी
और वो ख़ुशी थी राघव से मिलने की क्योकि राघव के प्यार और अपनेपन ने मुझे उस दिन मेरे साथ जो भी बुरा बीता था वो सब
भूलने के लिए मजबूर कर दिया था और मुझे मन ही मन एहसास होने लगा था की अब मेरे दुखो का अंत होने वाला है
में मन ही मन अगले दिन राघव से अपनी होने वाली मुलाकात का तानाबाना बुनने लगी ,

और फिर अगले दिन जब में राघव से मिलने गयी तो मेरी राघव से खूब सारी बाते हुई मेने अपने दिल में छुपे सारे दर्द को
निकाल कर राघव के आगे रख दिया और राघव ने भी मेरे दिल के जख्मो पर अपने प्यार का मरहम लगाने में कोई कसर
बाकी नहीं छोड़ी ,,
राघव के आगे अपने दिल का गुबार निकालकर मेरे दिल को बहुत सुकून मिला था मुझे ऐसा लगने लगा था
जैसे मेरी बेरंग अँधेरी और उदास जिन्दगी में दिन का उजाला होने लगा है,
और फिर राघव ने मुझे बताया की उसने मुझे मयंक के चंगुल से निकालने के लिए प्लान बना लिया है मेरे बहुत
पूछने पर भी उसने मुझे अपने प्लान के बारे में कुछ ख़ास नहीं बताया लेकिन मुझे क्या करना है वो सब समझा दिया ,,
राघव से मिल कर में अपने घर आ गयी और अब मुझे उस दिन का इंतज़ार था जिस दिन मयंक मुझे बुलाएगा
और फिर इसी दौरान पिताजी ने जिन लड़के वालो को मुझे दिखाने के लिए बुलाया था वो मुझे देखने आये लेकिन
उनको शायद मुझसे कहीं ज्यादा दहेज़ में इंटरेस्ट था इसलिए बात आगे बड नहीं पायी
इस बात से पिताजी बेशक चिंतित हो उठे थे लेकिन मेने मन ही मन राहत की साँस ली थी
क्योकि अब मुझे मेरे सपनो का राजकुमार जो मिल गया था ,
३-४ दिन बीत गए लेकिन मयंक की तरफ से मुझे कोई सन्देश नहीं मिला लेकिन में राघव के संपर्क में लगातार बनी रही
और फिर ठीक सातवे दिन मुझे मयंक का सन्देश मिला इस बार उसने मुझे किसी नयी जगह बुलाया था ....
जैसे ही मुझे मयंक का सन्देश मिला मेने तुरंत राघव को इसकी जानकारी दी
जब में राघव को मयंक के सन्देश के बारे में बता रही थी तब मुझे बहुत घबराहट हो रही थी ..
मुझे घबराता देख राघव ने मुझे तस्सली देते हुए कहा ...
तुम हिम्मत से काम लो और खुद को अकेली मत समझो में साये की तरह तुम्हारे साथ रहूँगा ...
राघव के इन लफ्जों ने मेरे अन्दर बहुत ज्यादा होंसला पैदा कर दिया था ...
और फिर अगले दिन मयंक की बताई जगह पर में राघव के साथ उसकी ऑटो में बेठ कर चली गयी ...

मयंक ने इस बार मुझे किसी गेस्ट हाउस में बुलाया था अगर मुझे अकेली को वहां जाना होता तो शायद मुझे
वहां तक पहुँचने में बहुत परेशानी होती क्योकि वो गेस्ट हाउस लगभग सिटी से बाहर था लेकिन राघव ने मुझे
सीधा मेरी मंजिल तक पहुंचा दिया ..............में ऑटो से उतर कर गेस्ट हाउस में चली गयी ,
जिस रूम में मयंक था मेने उस रूम का दरवाजा खटकाया तो मयंक ने ही दरवाजा खोला में कमरे में दाखिल
हो गयी मेरा दिल बड़ी तेज़ -२ धड़क रहा था क्योकि में नहीं जानती की अब क्या होने वाला है ,
जैसे ही में कमरे में दाखिल हुई मुझे देख कर मयंक बोला ....
सुन छमिया आज मेंने अपने एक ख़ास दोस्त को बुलाया है इसलिए ये बात अपनी खोपड़ी में अच्छी तरह से बेठा ले की
उसके सामने किसी किस्म का नाटक नहीं होना चाहिए वरना तू जानती है की में क्या करूँगा ...
मयंक की बात सुन कर मेरे मन में मयंक के लिए घर्णा और ज्यादा बढती चली गयी लेकिन मेने कोई जवाब नहीं दिया
वो फिर से बोला ....
अगर तू उसको पूरी तरह से खुश कर देगी तो में तुझे फिर से ७ दिन का रेस्ट दे दूंगा समझी न तू ...........
मेने इस बार भी कोई जवाब नहीं दिया तो वो बोला ..
चल अब जल्दी से कपडे उतार और नंगी हो कर बिस्तर पर आजा ...
मुझे अपना हुकुम सुना कर वो अपने कपडे उतारने लगा लेकिन में अपनी जगह पर वैसे ही खड़ी रही ..
मुझे कपडे न उतारता देख वो मुझे घुड़की देता हुआ बोला .... साली तुझे सुनाई नहीं दिया मेने क्या कहा है ..
इस बार मेने जवाब दिया और कहा .... अपने दोस्त को भी आ जाने दो फिर एक ही साथ दोनों कर लेना जो मन हो
मेरी बात सुन कर मयंक खुश होते हुए बोला .... अरे वाह आज तो तूने बिलकुल रंडियों वाली बात करी है सुन कर
मन खुश हो गया बस ऐसे ही मेरी पालतू रंडी बन कर मुझे खुश करती रहा कर ,,
में मन ही मन उसकी इस बेवकूफी पर हंस रही थी क्योकि मुझे राघव ने पहले ही समझा दिया था की में उसको अपनी
बातो में कुछ देर तक उलझाए रखूं ..
और फिर तभी दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी
दस्तक की आवाज सुन कर मयंक बोला ....
लगता है वो आ गया ......जा दरवाजा खोल मेरे यार को और बड़ी इज्ज़त से उसके साथ पेश आना ..
में चुपचाप दरवाजा खोलने चली गयी .. जैसे ही मेने दरवाजा खोला एक आदमी पुलिस की वर्दी में खड़ा नजर आया
उसको देख कर में कुछ समझती इससे पहले वो मुझे साइड में धकेलता हुआ कमरे में दाखिल हो गया ...
पुलिस वाले को देखते ही मयंक भी हडबडा कर बिस्तर से उठ खड़ा हुआ और अपनी शर्ट पहनने लगा ...
में भी गहरी सोच में पड़ गयी की अब ये पुलिस वाला कोन है जो यहाँ आ धमका है ...
कहीं ये मयंक का ही तो कोई दोस्त नहीं ?
इससे पहले की में अपने सवाल का कोई जवाब तलाशती राघव भी कमरे में दाखिल हो गया ..
राघव को देखते ही मेरी जान में जान आ गयी राघव ने कमरे में दाखिल होते ही दरवाजे को अन्दर से बंद कर दिया
मयंक की समझ में कुछ नहीं आ रहा था वो बेवकूफों की तरह कभी उस पुलिस वाले को तो कभी राघव को देखने लगा
तभी पुलिस वाले ने कड़क आवाज में कहा ... क्यों बे तेरा नाम मयंक है ?
मयंक थोडा घबराते हुए बोला .... यस सर में ही मयंक हूँ कहिये क्या बात है
पुलिस वाला फिर से बोला .... और ये लड़की कोन है ?
मयंक ने शरीफ बनते हुए कहा .... ये----ये तो मेरी गर्ल फ्रेंड है सर
और हम दोनों तो यहाँ सिर्फ बात चीत करने के लिए आये थे ...
पुलिस वाले ने मेरी और देखते हुए कहा ... क्यों लड़की..... क्या ये सच बोल रहा है ?
मेने राघव की और देखा तो उसने मुझे आँखों ही आँखों में इशारा किया की में सब कुछ सच-२ बता दूँ
मेने कहा .... नो सर ये मेरा कोई नहीं है ये तो मुझे यहाँ जबरदस्ती ले कर आया है और अगर आप नहीं आते तो ये मेरे साथ
कहते -२ मेरी आवाज भर्राने लगी और आँखे भर आई ...

अब उस पुलिस वाले ने अपनी रिवोल्वर निकाल ली और मयंक की और तान कर बोला ...
क्यों बे साले लड़की के साथ जबरदस्ती करता है...चल जल्दी से बता अपने बाप का नाम उसको भी यही बुलवाता हूँ
बाप की बात सुनते ही मयंक बुरी तरह से हडबडा गया उसने बड़ी दयनीय आवाज में पुलिस वाले से कहा
सर प्लीज ......आप इस बात को ज्यादा मत बढाइए ... आप जैसा कहोगे वैसा हो जायेगा
पुलिस वाला बोला..........अच्छा क्या हो जायेगा जरा बता तो सही ?
मयंक पुलिस वाले के करीब आकर बोला ...
आप जितना कहोगे ..... उतना में आपको दूंगा लेकिन आप इस बात को यहीं ख़तम कर दीजिये
पुलिस वाले ने मयंक को एक जोर की लात मारी और मयंक दर्द से तड़फता हुआ फर्श पर जा गिरा उसको शायद पुलिस वाले
से ऐसी उम्मीद नहीं थी इसलिए वो हेरानी से पुलिस वाले की तरफ देखने लगा ..
पुलिस वाले ने मयंक पर गालीयो की बोछार करते हुए कहा ....
साले मादरचोद मुझे रिश्वत का लालच देता है..... भोसड़ी के तुझे में घुसखोर दिखाई देता हूँ .....
मयंक फर्श पर पड़ा दर्द से कराहता हुआ बोला ...
सॉरी सर माफ़ कीजिये मुझसे गलती हो गयी ... प्लीज आप खुद ही बता दीजिये की फिर में आपकी क्या सेवा करूँ
पुलिस वाले ने मयंक से इस बार थोडा नरम लहजे में कहा .....
चल तू खुद ही बता की पैसे के अलावा तू मेरी और क्या-२ सेवा कर सकता है बोल ?
मयंक ने फर्श पर बेठे -२ ही कहा ..
सर अगर आप चाहो तो इस लड़की के साथ ..... कहते हुए मयंक ने मेरी तरफ इशारा किया
जैसे ही मयंक ने मेरी तरफ इशारा किया में सर से पाँव तक सिहर उठी क्योकि में अभी तक इस बात का कोई ठोस अंदाज़ा
नहीं लगा पायी थी की वो पुलिस वाला कोन है और वो राघव के साथ क्यों आया है ....
मेने बड़ी घबराहट में राघव की और देखा लेकिन मेरे हाथ निराशा ही लगी क्योकि राघव मेरी तरफ देख ही नहीं रहा था
उधर पुलिस वाला मयंक की बात सुन कर मुझे घूरता हुआ बोला ...
ह्म्म्म ...... माल तो अच्छा है लेकिन मुझे बिलकुल फ्रेश माल चाहिए ......तेरे पास कोई फ्रेश माल है तो बोल ...
मयंक को पुलिस वाले की बातो से अब समझोते की उम्मीद लगने लगी थी वो उठ कर खड़ा हो गया और
चमचागिरी के अंदाज़ में पुलिस वाले को मक्खन लगाता हुआ बोला .....
सर आप एक बार हुकुम तो करिए में आपके सामने एक से बढकर एक फ्रेश माल की लाइन लगा दूंगा लेकिन उसमे
थोडा सा टाइम लगेगा तब तक आप की सेवा के लिए मेरे पास और बहुत माल है आप कहे तो में आपको दिखाऊ ?
पुलिस वाले ने मयंक की बातो में इंटरेस्ट दिखाते हुए कहा .... अच्छा ........चल दिखा जल्दी से क्या है तेरे पास
मयंक ने अपने मोबाइल को जल्दी से निकाला और उस पुलिस वाले को दिखाते हुए बोला ....
ये देखिये सर इसमें से पसंद कर लीजिये फिर आप जिसको कहोगे वो आपकी सेवा में हाज़िर हो जाएगी ..
पुलिस वाले ने मयंक से मोबाइल लेकर देखना शुरू कर दिया और फिर सब फोटो देख कर मयंक से बोला ...
अबे साले तेरे पास तो पूरा खज़ाना है ,,,, ये सब तेरी पर्सनल सेटिंग है ये रंडिया है ?
मयंक जोश में बोला ... नहीं नहीं सर इसमें से कोई भी रंडी नहीं है ये सब मेरी अपनी सेटिंग है
पुलिस वाले ने मयंक को अचम्भे से देखकर और चडाते हुए कहा ....
अच्छा लेकिन ये तो बता की इन सबको तूने अपने जाल में फंसाया कैसे जरा मुझे भी तो पता चले ..

मयंक को अब पूरा यकीन हो चूका था की पुलिस वाला उसके फेवर में हो चूका है इसलिए उसने बिना कुछ सोचे कहा
सर कोई ख़ास फार्मूला नहीं है बस लड़की को पहले अपने प्यार के जाल में फंसा लेता हूँ और फिर उसको पार्टी के बहाने
किसी जगह अकेले बुलाकर कोल्ड ड्रिंक में नींद की गोलिया खिला कर गहरी नींद में सुला देता हूँ और फिर उसकी नंगी विडियो बना लेता हूँ
उसके बाद तो फिर जो में कहता हूँ वो खुद बा खुद करती है ... कहता हुआ मयंक भद्दी हंसी हंसने लगा ..
और मयंक की बाते सुन -२ कर पुलिस वाला बड़ी हेरानी से मयंक को देखता हुआ बोला ...
वाह वाह ....क्या दिमाग लगाया है तूने ....................साले तू तो सच में बड़ा हरामी है ..............
और मयंक अपनी तारीफ सुन कर इतराने लगा .....
पुलिस वाले ने फिर से कहा ....... अच्छा फिर तो तेरे पास इस लोंडिया का भी विडियो भी जरूर होगा
में समझ गयी की पुलिस वाले का इशारा मेरी तरफ है ...
मयंक ने जल्दी से अपने मोबाइल में मेरा विडियो चालू करके पुलिस वाले को दिखाया और बोला ..
ये देखिये सर ये रहा इस लड़की का विडियो ...
पुलिस वाला मयंक के मोबाइल में मेरे विडियो को बड़ी गौर से देख कर मेरी और देखता हुआ बोला .....
हम्म अब मुझे यकीन हो गया तेरी बात का वैसे एक बात बता तू अपने मोबाइल में ऐसे-२ विडियो रखता है
अगर किसी दिन तेरा मोबाइल कहीं खो जाये या चोरी हो जाये तो तेरी सारी मेहनत तो बेकार हो जाएगी समझ रहा है न तू

मयंक भी अब तक पुरे रंग में आ चूका था उसने अपनी शेखी बखारते हुए कहा ....
कोई चिंता नहीं है सर ...........क्योकि मेरे पास एक चिप में पुरे डाटा की एक कॉपी अलग से सेव है

पुलिस वाला भी मयंक की बातो का पूरा लुत्फ़ उठाता हुआ बोला ....
अच्छा फिर तो जरूर तू उस चिप को कहीं बेंक के लोकर में या किसी सेफ जगह पर रखता होगा ....?
मयंक अब पुलिस वाले से ऐसे पेश आने लगा था जैसे वो उसका दोस्त हो उसने कहा ...
अरे नहीं सर .....लोकर वोकर में क्या रखना है .........वो चिप तो हमेशा मेरे पर्स में रहती है ये देखिये
कहते हुए मयंक ने अपने पर्स से निकाल कर चिप पुलिस वाले को दिखाते हुए कहा ...... ये देखिये
पुलिस वाले ने चिप अपने हाथ में लेकर कहा .....
वैसे यार ये भी कितनी अजीब सी चीज़ है जरा सी है देखने में और इसमें कितना कुछ समां जाता है
कहते हुए उसने वो चिप राघव को दिखाते हुए कहा ... क्यों हवलदार तूने देखि है ऐसी चीज़ कभी ?
राघव ने अपने हाथ में चिप लेकर कहा ... नहीं साहब मे तो आज पहली दफा ऐसी चीज़ देख रहा हूँ ..
और फिर ये बात कहते -२ राघव ने उस चिप को एकदम से मोड़ कर तोड़ दिया .
जैसे ही राघव ने चिप तोड़ी मयंक हडबडाता हुआ बोला ....
अ अर अरे अरे................ हवालदार साहब ये क्या किया आपने आपको पता नहीं इसमें मेरा कितना कीमती डाटा था
कहता हुआ मयंक पुलिस वाले की तरफ बड़े अफ़सोस से देखने लगा ...
राघव ने कहा .... साहब मेने तो बस ऐसे ही इसको मोड़ कर देखा था मुझे क्या पता था की ये टूट जाएगी
पुलिस वाले ने भी अफ़सोस जाहिर करते हुए कहा ....
हवालदार तू भी पूरा चुतिया है तुझे मोड़ने की भी क्या जरूरत थी अब हो गया न इसका नुक्सान
फिर पुलिस वाले ने मयंक से रूबरू होते हुए कहा ....
चल यार कोई बात नहीं तेरे पास तो और भी कहीं सेव होगा ये डाटा ....
मयंक ने बड़े अफ़सोस से कहा ...
नहीं सर बस मोबाइल और चिप में ही था चलिए कोई बात नहीं अब मोबाइल से नयी चिप में सेव कर लूँगा ,
पुलिस वाले ने कहा ....
हाँ ये ठीक है लेकिन अगर तेरे मोबाइल से भी ये डाटा डीलीट हो जाए तो क्या होगा ?
मयंक ने हँसते हुए कहा ... ऐसा कैसे हो जायेगा भला
पुलिस वाले ने मयंक के हाथ से उसका मोबाइल ले कर जोर से फर्श पर पटक कर मारा और बोला
देख ऐसे ............. कहता हुआ वो पुलिस वाला जोर से हंसने लगा और मयंक तो मानो बिलकुल पागल हो गया
वो बडबडाने लगा और बोला ... ये क्या किया तुमने कोन हो तुम लोग और क्या चाहते हो ?
पुलिस वाले ने मुस्कराते हुए मयंक को देखा और बोला ... ये सब तुझे हवालदार समझाएगा
इससे पहले की मयंक कुछ बोलता राघव ने आगे बढकर मयंक के गाल पर इतनी जोर से तमाचा मारा की मयंक दूर जा गिरा
राघव ने तमाचा इतनी जोर से मारा था की अगले २ मिनट तक मयंक फर्श पर वैसे ही पड़ा रहा जैसे गिरा था
२ मिनट बाद मयंक अपने गाल को पकड कर उठा और बड़ी घबराहट में बोला ....
कोन हो तुम लोग ....... नहीं .......तुम पुलिस वाले नहीं हो सकते ......बोलो क्या चाहते हो मेरे से ?
राघव ने आगे बढकर मयंक को उसके बालो से पकड कर खड़ा किया और इस बार एक जोरदार घूंसा उसके मुंह पर मारा
घूंसा पड़ते ही मयंक की नाक से खून बहना शुरू हो गया और वो दर्द से तड़फता हुआ दरवाजे की और भागने लगा लेकिन
राघव ने लपक कर उसको फिर से पकड़ लिया और फिर तो राघव और उस पुलिस वाले ने मार मार मयंक की वो दुर्गत कर दी
की वो फर्श पर खुनो खून हो कर पड़ा तड़फने लगा बेशक जिस हालत में मयंक था उस हालत में किसी को भी देख कर मन
में दया आ जाती लेकिन उस वक़्त उसकी इस हालत को देख कर मेरे दिल को बेहद सुकून मिल रहा था
मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरे हर एक जख्म का बदला राघव ने ले लिया है ....
और फिर राघव ने फर्श पर टूटा हुआ मयंक का मोबाइल उठा कर उसको टॉयलेट में ले जाकर फ्लेश कर दिया और बाहर
आकर मेरा हाथ पकड़ा और मुझे मयंक के पास ले जाकर बोला
इसकी शक्ल को अच्छी तरह से देख ले हरामजादे अगर आज के बाद तूने गलती से भी इसकी तरफ आँख उठा कर
देख लिया तो में तेरी दोनों आँखे नोच दूंगा ,
कहते हुए राघव ने जोर की एक ठोकर मयंक की पसलियों में मारी और मयंक एक बार फिर दर्द से बिलबिला उठा
राघव ने मेरा हाथ पकड़ा और बोला ... चलो अनीता अब यहाँ और ज्यादा देर रुकना ठीक नहीं है
मेने राघव से अपना हाथ छुड़वाते हुआ कहा .............जरा एक मिनट रुको
और मेने मयंक के मुंह पर थूकते हुए बड़ी घर्णा से कहा .....कमीने तुझे कीड़े पड़ेंगे


में नहीं जानती थी की मेने ऐसा क्यों किया लेकिन ऐसा करने से मेरे दिल को बड़ा सुकून मिल रहा था ऐसा लग रहा था जैसे
मेने कोई जंग जीत ली हो ,,,





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