FUN-MAZA-MASTI
रोहन और रीमा--18
रीमा घुटनों में अपने मुंह को छुपाये न जाने कब से सिसक रही थी की अचानक नीतू की आवाज ने उसको
अपनी उदासी से उबरने के लिए मजबूर कर दिया ...
रीमा ने आंसुओ से भीगे अपने चेहरे को ऊपर उठा कर सुर्ख आँखों से नीतू की और देखा ..
रीमा की हालत देखकर नीतू ने सबसे पहले तो अपनी साड़ी के आँचल से रीमा के आंसुओ को पोंछा और फिर
बड़े ही प्यार से रीमा के सर पर अपना हाथ फेरती हुई बोली
''देख रीमा अगर तू इस तरह से रो रो कर अपना बुरा हाल कर लेगी तो फिर रोहन का ख्याल कोन रखेगा ''..
में जानती हूँ की इस वक़्त तुझ पर क्या बीत रही है लेकिन जरा सोच की ऐसे रोने से भला क्या ये मुसीबत टल जायेगी
रीमा के पास नीतू की किसी भी बात का कोई जवाब नहीं था वो तो बस गुमसुम सी बेठी रही ...
नीतू ने फिर से रीमा को कहा ....चल कुछ खा ले .... देख में तेरे लिए खाना लायी हूँ ....
कहते हुए नीतू ने लंच बॉक्स को अपने बेग से निकाल कर रीमा के आगे रख दिया ...
एक नजर लंच बॉक्स पर डाल कर रीमा ने बड़ी ही दर्द भरी आवाज में कहा ....
नहीं भाभी इस वक़्त मेरे से कुछ भी नहीं खाया जायेगा प्लीज मुझे खाने के लिए मत कहिये ,,
नीतू ने रीमा को समझाते हुए कहा ....
सुन रीमा अगर तू कुछ खाएगी पीयेगी नहीं तो ऐसे कब तक चलेगा ऐसे तो तू खुद भी बिस्तर पर पड़ जाएगी ...
चल अब जल्दी से खा ले ....... में तुझे जिद्द नहीं कर रही लेकिन जितना भी तेरा मन करे उतना खा ले ....
कहते है की डूबते को तिनके का सहारा भी बहुत होता है और वही हाल इस वक़्त रीमा का भी था क्योकि इस वक़्त नीतू ही तो थी
जो उसकी सबसे बड़ी हमदर्द थी ...बेशक रीमा इस बात को भी अच्छी तरह से जानती थी की नीतू ने पिछले दिनों उसके साथ कोनसा
खेल खेला है , लेकिन साथ ही साथ रीमा इस बात को भी अच्छे से जानती थी की फिलहाल उसको नीतू के साथ की कितनी जरुरत है
इसलिए वो भी पिछली बातो को भुला कर नीतू के साथ बड़े ही अपनेपन से पेश आ रही थी ,,
और फिर नीतू ने समझा बुझा कर रीमा को आखिरकार थोडा सा खिला ही दिया ...
रोहन अभी भी गहरी नींद में था लेकिन रीमा लगातार रोहन की हालत को देख-२ कर विचलित हो रही थी ...
नीतू बेशक उसको दिलासा देने की पूरी कोशिश कर रही थी लेकिन रीमा अब तक इस बात को अच्छी तरह से
समझ चुकी थी की अगर कल तक रोहन का ऑपरेशन नहीं हुआ तो वो रोहन को हमेशा के लिए खो देगी ....
तभी अचानक रोहन की निद्रा भंग हुई और वो अर्ध-मुर्छित अवस्था में रीमा------ रीमा पुकारने लगा ...
रोहन की आवाज सुनते ही रीमा और नीतू दोनों का ध्यान भंग हो गया और रीमा लपक पर रोहन के बेड के पास
पहुँच गयी और रोहन के सर पर अपने हाथ को बड़े ही प्यार से फेरने लगी ...
लेकिन रोहन शायद पुरे होश में नहीं था क्योकि उसको रीमा की मौजूदगी का एहसास नहीं हो रहा था
वो निरंतर रीमा--- रीमा करके बडबडाता जा रहा था हालाँकि रीमा उसको अपनी मौजूदगी का एहसास करवाने के लिए
लगातार उसके साथ बोल रही थी ...
हाँ रोहन में आपके पास ही हूँ ... बोलिए न क्या हो रहा है ... बोलिए न क्या हुआ ... कुछ तो बोलिए ..
लेकिन रोहन इस सबसे अनजान सिर्फ .. रीमा ..... रीमा ..... रीमा ..... बडबडाये जा रहा था ..,,,,
ऐसा लग रहा था जैसे रोहन के दिमाग पर अभी तक नीद के इंजेक्शन का गहरा असर था ....
तभी रीमा का ध्यान रोहन की नाक से निकलती लहू की लकीर पर गया जो उसकी नाक से निकल कर उसकी गरदन तक
जाने लगी थी और उस लहू को देखते ही रीमा तो जैसे अपनी सुध बुध खो बेठी और वो बड़ी ही घबराहट में .....
सिस्टर -२ कहती हुई चिल्लाने लगी लेकिन उस वक़्त शायद कोई भी नर्स रोहन वाले वार्ड में मौजूद नहीं थी ...
किसी नर्स को न देख रीमा वार्ड से बाहर की और भागी और बाहर जाते ही उसको नर्स दिखाई दे गयी
रीमा ने हाँफते हुए नर्स को रोहन की नाक से निकलने वाले खून के बारे में बताया तो सुनकर नर्स भी घबरा गयी और
उसने जल्दी से जाकर इमरजेंसी डॉक्टर को बुला लिया ...
डॉक्टर ने रोहन को फिर से कोई इंजेक्शन दिया और रोहन एकबार फिर से गहरी नींद में सो गया और उसकी नाक से
निकलने वाला लहू भी रुक गया ....
रीमा ने डॉक्टर को बड़ी बेचेनी भरी निगाहों से देखते हुए कहा ;;;
ये क्या हुआ था डॉक्टर साहब इनकी नाक से अचानक खून क्यों निकलने लगा था ?
कोई खतरे वाली बात तो नहीं है न ?
डॉक्टर ने कहा ....
देखिये आपके पति इस वक़्त जिस स्टेज पर है उस स्टेज में जब तक इनका ऑपरेशन नहीं हो जाता ये सब होना नार्मल बात है
शुक्र है की खून सिर्फ इनकी नाक से ही निकला था नहीं तो अक्सर इस तरह के केस में मरीज के मुंह से भी खून आ जाता है
खैर आप चिंता मत कीजिये मेने इनको इंजेक्शन दे दिया है और अब ये आराम से सोये रहेंगे ....मुझे उम्मीद है की
इनकी हालत भी इस्थिर रहेगी लेकिन आप इनके ऑपरेशन में बिलकुल भी देर न करे क्योकि अगर इनका ऑपरेशन
कल रात तक नहीं हुआ तो इनकी पोजीशन और क्रिटिकल होती जायेगी और फिर शायद हमारे हाथ में भी कुछ नहीं होगा ...
डॉक्टर तो अपनी बात कहता हुआ चला गया लेकिन रीमा किसी पत्थर के बुत की तरह वही खड़ी की खड़ी रह गयी
कुछ देर तक रीमा अपलक रोहन की और देखती रही और फिर अचानक रीमा के चेहरे के भाव बदलने लगे ऐसा लग रहा था
मानो वो मन ही मन कोई ठोस निर्णय ले चुकी है.......
नीतू भी रीमा के चेहरे के भाव देख कर घबरा गयी उसने रीमा को झिंझोड़ते हुए कहा
क्या हुआ रीमा ?.... ऐसे क्या सोच रही है .............कुछ बोल तो सही .....
रीमा ने बड़ी तडफ भरी आवाज में कहा :-
में अपने रोहन को इस तरह से तिल-२ कर मरने नहीं दूंगी........मेने फैसला कर लिया है ..............
चाहे कुछ भी हो जाए रोहन का ऑपरेशन जरूर होगा और वो भी कल रात से पहले .....
उसके लिए चाहे मुझे कुछ भी करना पड़े .......बेशक मुझे खुद को भी बेचना पड़ा तो में बेच दूंगी .....
रीमा की बात सुन कर नीतू हक्की बक्की रह गयी शायद उसको रीमा के मुंह से ऐसे अल्फाजो की उम्मीद नहीं थी
नीतू ने रीमा को बड़े ही प्यार से समझाते हुए कहा ....
ऐसा नहीं कहते रीमा ... भगवान् करेगा सब ठीक हो जायेगा ...और तू ये अनाप शनाप क्या बोले जा रही है ,,
रीमा ने तड़फ कर कहा ...
नहीं भाभी में जो भी कह रही हूँ वो अच्छी तरह से सोच समझ कर ही कह रही हूँ
अगर रोहन को कुछ हो गया तो फिर मेरा जीना भी बेकार है ..... इनके सिवा दुनिया में मेरा है ही कोन ..
और अपनी बात कहते -२ रीमा सुबकने लगी ...
नीतू ने फिर से रीमा को समझाते हुए कहा ....
तू इस वक़्त बहुत ज्यादा डिस्टर्ब है इसलिए तेरे दिमाग में ऐसी उलटी सीधी बाते आ रही है जानती भी है की
जो तू जो बोल रही है उसका मतलब क्या है ,,
रीमा ने नीतू की आँखों में अपनी आँखे डालते हुए कहा ....
जानती हूँ भाभी ... में अच्छी तरह से सोच समझ कर ही बोल रही हूँ आप सिर्फ इतना बताओ की मेरी मदद करेंगी या नहीं ?
रीमा की बात सुन कर नीतू पूरी तरह से चोंक गयी क्योकि वो भली भांति जानती थी की रीमा का इशारा किस और है
भले ही नीतू लाख बुरी सही लेकिन इन हालातो में उसको भी रीमा के साथ पूरी तरह से हमदर्दी हो चुकी थी
आखिर वो भी तो एक औरत थी ....और एक औरत का दर्द दूसरी औरत अच्छी तरह से समझ सकती है,,
नीतू ने कहा ...में मानती हूँ रीमा की मेने अपने स्वार्थ के लिए तुझे गुमराह करने की कोशिश करी थी और अपनी उस
गलती का एहसास मुझे अब तक हो रहा है ,,
लेकिन अब में तेरी मजबूरी का कोई नाजायज़ फायदा उठाने के लिए तेरा साथ नहीं दे रही हूँ बल्कि तेरा साथ इस लिए
दे रही हूँ की मेने उस वक़्त जो गलती की थी उसका पश्चाताप कर सकूँ ,,
कहते -२ नीतू की आँखों से बरबस ही आंसू बह निकले .. जो शायद उसकी सच्चाई को बयां कर रहे थे ...
नीतू की बात सुन कर रीमा अपलक नीतू को देखने लगी
अपनी आँखों से बहते आंसू पोंछती हुई नीतू ने कहा .... नहीं रीमा में हरगिज इस बात में तेरा साथ नहीं दे सकती
में पहले ही तेरी गुनाहगार हूँ अब में और किसी गुनाह का बोझ अपने दिल पर नहीं ले सकती ,,,
लेकिन रीमा तो जैसे पूरी तरह से फैसला ले चुकी थी उसने अपनी बात पर अड़ते हुए कहा ......
रीमा ने कहा ... भाभी आप मुझे सिर्फ इतना बताइए की आप मेरी मदद करेंगी या नहीं ..
रीमा के चेहरे की द्रढ़ता और लफ्जों में गज़ब का आत्मविश्वास देखकर नीतू भी कुछ पलो के लिए सोच में पड़ गयी
उसकी समझ में कुछ नहीं आ रहा था की वो रीमा की बात का क्या जवाब दे ,,
नीतू को कुछ बोलता न देख कर रीमा ने एक बार फिर से अपनी बात को दोहराते हुए कहा
''नीतू भाभी प्लीज.................... मुझे जवाब दीजिये....... आप मेरी मदद करेंगी या नहीं ''
अब नीतू के लिए रीमा को जवाब देना मज़बूरी बन चुकी थी इसलिए नीतू ने एक गहरी साँस लेते हुए कहा
हाँ रीमा में तेरी मदद जरूर करुँगी लेकिन इस काम में कदापि नहीं जो तू कह रही है .....
क्योकि शायद अभी तू इस बात को नहीं जानती की जिस राह पर तूने चलने का फैसला किया है वो राह
एक ऐसी दलदल के समान है कि जिसमे तूने एक बार अपना कदम रख दिया तो फिर तू धंसती ही चली जायेगी
फिर तू चाह कर भी उसमे से कभी बाहर नहीं निकल सकती ... नहीं नहीं ...में ऐसा हरगिज नहीं कर सकती .....
प्लीज रीमा मुझे ऐसे किसी धर्मसंकट में मत डाल... में तेरे हाथ जोडती हूँ ...
कहते -२ नीतू की आँखों से अश्रु धारा बहने लगी जो की नीतू के निर्दोष होने की गवाही दे रही थी ,,
लेकिन रीमा का कलेजा तो मानो अब पत्थर बन चूका था इसलिए उसपर नीतू की किसी भी बात का कोई
असर नहीं हो रहा था .....उसने सपाट लहजे में कहा ....
नहीं भाभी ..........मुझे अब किसी बात की परवाह नहीं है ...अंजाम बेशक कुछ भी हो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता
लेकिन रोहन को में इस तरह से तड़फ तडफ कर मरने नहीं दूंगी ....अगर आप मेरा साथ नहीं दे सकती तो मुझे
मना कर दीजिये में अपने आप ही कुछ ......... कहते हुए रीमा ने अपनी बात को अधुरा छोड़ दिया ,,,
और रीमा की जिद्द और बेबाकी को देखते हुए नीतू को भी आखिरकार मजबूरी में सही लेकिन हथियार डालने पड़े .
नीतू ने भर्राई हुई आवाज में कहा ........ ठीक है रीमा जैसी तेरी मर्जी........
नीतू की बात सुनते ही रीमा के चेहरे पर ठीक वैसे ही संतुष्टि के भाव आ गए जैसे किसी बच्चे के चेहरे पर
अपनी जिद्द मनवाने के बाद आते है ,,
रीमा ने कुछ पल चुप रहने के बाद फिर से कहा ....भाभी .... अब कुछ बोलिए तो सही कि हमें करना क्या है
नीतू जोकि पहले ही रीमा के इस फैसले से बड़ी गहरी कशमकश में पड़ी हुई थी वो रीमा की बात सुनते ही जैसे
अपनी तन्द्रा से बाहर आई हो उसने बड़ी बोझिल आवाज में कहा ...
ह्म्म्म---- में एक ऐसे आदमी को जानती हूँ जो तुझे एक साथ इतने पैसे दे सकता है कि जिससे तेरा मकसद
हल हो जायेगा ठहर पहले में उससे ही बात करती हूँ ,,कहते हुए नीतू ने अपने मोबाइल से कहीं फोन मिलाया ...
लेकिन उधर से फोन रिसीव नहीं हुआ ... २-३ बार नीतू ने फिर से ट्राई जरूर किया लेकिन नतीजा सिफर रहा
और नीतू ने झल्लाते हुए कहा ....लगता है कमीना कहीं रंगरलिया मना रहा है ....
नीतू की बात सुन कर रीमा के चेहरे पर हताशा छाने लगी और उसने नीतू की और देखते हुआ कहा
अब क्या होगा भाभी ?
नीतू ने कुछ पल सोचने के बाद कहा .....
फिलहाल तो मुझे भी कुछ समझ नहीं आ रहा क्योकि ये शख्स ऐसा था जिसकी रग-२ से में अच्छी तरह से
वाकिफ हूँ अगर इस से मेरी बात हो जाती तो बिना किसी टेंशन के काम बन जाता
रीमा ने बड़ी बेसब्री से कहा ....
अगर उसका फ़ोन नहीं मिल रहा तो कुछ और सोचिये भाभी ......क्योकि हमारे पास टाइम बहुत कम है
अगर सुबह तक पैसो का इंतजाम नहीं हुआ तो .......कहते -२ रीमा उदास होने लगी
रीमा की इस बेचेनी को देखकर नीतू की आँखे भी नम हो गयी क्योकि उसको रीमा के इस हाल पर बहुत
तरस आ रहा था वो मन ही मन सोच में पड़ गयी की इंसान कभी कभी वक़्त के हाथो इतना मजबूर क्यों हो जाता है
लेकिन फिलहाल शायद उसके पास इस बात का कोई माकूल जवाब नहीं था
नीतू अपनी आँखों को बंद करके कुछ पल सोचती रही और फिर अपनी आँखों को खोलकर बोली
वैसे तो एक शख्स और भी है जो इस वक़्त हमारी जरूरत को पूरा कर सकता है लेकिन में सोच रही हूँ
की उससे बात करूँ या नहीं .....
रीमा ने नीतू को ताकते हुए कहा .... में कुछ समझी नहीं ? आप कहना क्या चाहती है ?
नीतू ने कहा ....
में ये कहना चाहती थी की वो बेहद कमीना और घटिया किस्म का इंसान है उसके लिए औरत एक खिलोने से बढकर
कुछ नहीं है .....इसलिए में सोच में पड़ी हूँ की उससे बात करूँ या नहीं .....
रीमा ने अपनी गर्दन को झटकते हुए कहा ....
इस वक़्त हम किसी चॉइस की पोजीशन में नहीं है भाभी .................. आप बेफिक्र होकर बात कीजिये ,
रीमा की बात से शायद नीतू भी सहमत थी इसलिए उसने फिर से कहीं और फ़ोन लगाया और फ़ोन रिसीव होते ही ...
मलिक साहब नमस्ते ........... नीतू ने बड़ी आदर भरी आवाज में कहा ,,
मलिक का नाम सुनते ही रीमा के दिल ओ दिमाग में जैसे कोई तूफ़ान उठने लगा हो वो यकायक नर्वस होने लगी
शायद उसकी आँखों के आगे मलिक का वो वेह्शी रूप जो उसने नीतू के घर देखा था बरबस ही आ गया था ..
लेकिन रीमा ने खुद पर काबू पाने के लिए अपनी आँखों को बंद करके लम्बी लम्बी सांसे लेनी शुरू कर दी
और अगले कुछ पलो में रीमा के चेहरे के भाव बदलने लगे और ऐसा लगने लगा जैसे वो खुद को समझाने में कामयाब हो गयी थी ,,
और उधर मालिक से बात करने के बाद नीतू ने रीमा से कहा ...
मलिक से मेरी बात हो गयी है और उसने हमें अपने बंगले पर बुलाया है लेकिन हमे अभी के अभी चलना होगा
रीमा ने एक नजर रोहन की और देखा और बोली ...ह्म्म्म- चलिए ...
फिर वो दोनों हस्पताल से बाहर निकली और एक खाली ऑटो में बेठ गयी ऑटो में बैठते ही नीतू ने ऑटो वाले को
अपने घर का पता बताया तो सुनते ही रीमा ने चोंककर नीतू से कहा ...
हमे तो कहीं और जाना था लेकिन आप तो मुझे अपने घर ले जा रही हो ?
नीतू ने ऑटो वाले की और इशारा करते हुए रीमा से कहा ...
अभी आराम से बेठी रहो ........... घर जाकर बात करेंगे ...
नीतू की बात सुन कर रीमा उस वक़्त तो चुप रहने पर मजबूर हो गयी लेकिन जैसे ही वो नीतू के घर में दाखिल हुई
उसने फटाक से कहा .....क्या बात है भाभी ........अचानक आप घर क्यों आई है ,,
नीतू ने कहा :-इसके पीछे क्या वजह है ये भी तुझे अभी पता चल जाएगी ....
लेकिन रीमा की समझ में नीतू की बात नहीं आई थी उसने कहा ... में कुछ समझी नहीं
नीतू ने रीमा का हाथ पकड़ कर उसको आईने के आगे ले जाकर खड़ा कर दिया और बोली ...
मेरी पगली .... इस हुस्न के बाज़ार में जो दिखता है वही बिकता है
नीतू की बात सुन कर रीमा ने आईने में खुद को निहारा और फिर उसकी समझ में नीतू की बात आने लगी ...
फिर नीतू ने रीमा को नहा कर आने को कहा और वो खुद रीमा के पहनने के लिए कपडे निकालने लगी
कुछ देर बाद रीमा जब नहा कर आई तो उसका गोरा बदन एक टॉवल में लिपटा हुआ था लेकिन नीतू के
घर में इस वक़्त और कोई नहीं था इसलिए रीमा को कोई परेशानी महसूस नहीं हो रही थीं ...
नीतू ने रीमा को ब्लैक कलर की एक डिजायनर ब्रा और पेंटी देते हुए कहा ... ले इसको पहन ले ..
रीमा ने बिना कुछ कहे चुपचाप वो ब्रा पेंटी पहन ली अब रीमा का गोरा बदन काली ब्रा और पेंटी में कुंदन के
जैसा चमक रहा था और फिर नीतू ने रीमा के पुरे जिस्म पर बड़ा ही मादक खुशबु वाला परफ्यूम लगाया और
इसके बाद नीतू ने रीमा को ब्लैक कलर का पेटीकोट और ब्लैक कलर का ही चोलीनुमा ब्लाउज पहनवा दिया
ऐसा ब्लाउज जिसमे रीमा का जोबन छुपाये नहीं छुप रहा था रीमा ने शायद आज तक ऐसा ब्लाउज पहले कभी नहीं पहना था
इसलिए उसको वो ब्लाउज अपने जिस्म पर बड़ा ही असहज सा लग रहा था ,,
लेकिन उस वक़्त रीमा ने कुछ भी कहना उचित नहीं समझा और अपनी जुबान को बंद ही रखा
फिर नीतू ने उसको ब्लैक कलर की नेट वाली साड़ी देते हुए कहा ;;;
ले अब इसको पहन ले और हां जितना ज्यादा नीचे हो सके उतना नीचे ही बांधना ...
रीमा ने स्वीकृती में अपने सर को हिलाते हुए वो साडी नीतू से ले ली और बाँधने लगी
साड़ी बाँधने के बाद रीमा नीतू के पास जाकर बोली देखिये भाभी साड़ी ठीक से बंधी है की नहीं ?
नीतू ने रीमा को ऊपर से नीचे तक निहारा और बोली .......वाह क्या बात है अब लग रही है तू चाँद का टुकड़ा
कोई और वक़्त होता तो शायद अपनी तारीफ सुन कर रीमा को ख़ुशी और गर्व महसुसू होता लेकिन इस वक़्त
तो वो बेचारी अपनी अस्मत को अपने ही हाथो नीलाम करने जा रही थी इसलिए सिर्फ एक आह भर कर रह गयी
फिर नीतू ने रीमा का अपने हिसाब से मेकअप किया और जब उसको पूरी तस्सली हो गयी तो उसने किसी को
फ़ोन किया की वो गाड़ी ले कर आ जाये ,,
रीमा ने एक बार फिर से नीतू से पुछा ... आपने किसको गाडी लाने के लिए कहा है
नीतू ने कहा ... मेने टेक्सी वाले को फ़ोन किया है क्योकि इस वक़्त में तुझे ऑटो में नहीं ले जा सकती
रीमा समझ गयी की नीतू ने जो कहा है वो ठीक है इसलिए वो दोनों टेक्सी का इंतज़ार करने लगे
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रोहन और रीमा--18
रीमा घुटनों में अपने मुंह को छुपाये न जाने कब से सिसक रही थी की अचानक नीतू की आवाज ने उसको
अपनी उदासी से उबरने के लिए मजबूर कर दिया ...
रीमा ने आंसुओ से भीगे अपने चेहरे को ऊपर उठा कर सुर्ख आँखों से नीतू की और देखा ..
रीमा की हालत देखकर नीतू ने सबसे पहले तो अपनी साड़ी के आँचल से रीमा के आंसुओ को पोंछा और फिर
बड़े ही प्यार से रीमा के सर पर अपना हाथ फेरती हुई बोली
''देख रीमा अगर तू इस तरह से रो रो कर अपना बुरा हाल कर लेगी तो फिर रोहन का ख्याल कोन रखेगा ''..
में जानती हूँ की इस वक़्त तुझ पर क्या बीत रही है लेकिन जरा सोच की ऐसे रोने से भला क्या ये मुसीबत टल जायेगी
रीमा के पास नीतू की किसी भी बात का कोई जवाब नहीं था वो तो बस गुमसुम सी बेठी रही ...
नीतू ने फिर से रीमा को कहा ....चल कुछ खा ले .... देख में तेरे लिए खाना लायी हूँ ....
कहते हुए नीतू ने लंच बॉक्स को अपने बेग से निकाल कर रीमा के आगे रख दिया ...
एक नजर लंच बॉक्स पर डाल कर रीमा ने बड़ी ही दर्द भरी आवाज में कहा ....
नहीं भाभी इस वक़्त मेरे से कुछ भी नहीं खाया जायेगा प्लीज मुझे खाने के लिए मत कहिये ,,
नीतू ने रीमा को समझाते हुए कहा ....
सुन रीमा अगर तू कुछ खाएगी पीयेगी नहीं तो ऐसे कब तक चलेगा ऐसे तो तू खुद भी बिस्तर पर पड़ जाएगी ...
चल अब जल्दी से खा ले ....... में तुझे जिद्द नहीं कर रही लेकिन जितना भी तेरा मन करे उतना खा ले ....
कहते है की डूबते को तिनके का सहारा भी बहुत होता है और वही हाल इस वक़्त रीमा का भी था क्योकि इस वक़्त नीतू ही तो थी
जो उसकी सबसे बड़ी हमदर्द थी ...बेशक रीमा इस बात को भी अच्छी तरह से जानती थी की नीतू ने पिछले दिनों उसके साथ कोनसा
खेल खेला है , लेकिन साथ ही साथ रीमा इस बात को भी अच्छे से जानती थी की फिलहाल उसको नीतू के साथ की कितनी जरुरत है
इसलिए वो भी पिछली बातो को भुला कर नीतू के साथ बड़े ही अपनेपन से पेश आ रही थी ,,
और फिर नीतू ने समझा बुझा कर रीमा को आखिरकार थोडा सा खिला ही दिया ...
रोहन अभी भी गहरी नींद में था लेकिन रीमा लगातार रोहन की हालत को देख-२ कर विचलित हो रही थी ...
नीतू बेशक उसको दिलासा देने की पूरी कोशिश कर रही थी लेकिन रीमा अब तक इस बात को अच्छी तरह से
समझ चुकी थी की अगर कल तक रोहन का ऑपरेशन नहीं हुआ तो वो रोहन को हमेशा के लिए खो देगी ....
तभी अचानक रोहन की निद्रा भंग हुई और वो अर्ध-मुर्छित अवस्था में रीमा------ रीमा पुकारने लगा ...
रोहन की आवाज सुनते ही रीमा और नीतू दोनों का ध्यान भंग हो गया और रीमा लपक पर रोहन के बेड के पास
पहुँच गयी और रोहन के सर पर अपने हाथ को बड़े ही प्यार से फेरने लगी ...
लेकिन रोहन शायद पुरे होश में नहीं था क्योकि उसको रीमा की मौजूदगी का एहसास नहीं हो रहा था
वो निरंतर रीमा--- रीमा करके बडबडाता जा रहा था हालाँकि रीमा उसको अपनी मौजूदगी का एहसास करवाने के लिए
लगातार उसके साथ बोल रही थी ...
हाँ रोहन में आपके पास ही हूँ ... बोलिए न क्या हो रहा है ... बोलिए न क्या हुआ ... कुछ तो बोलिए ..
लेकिन रोहन इस सबसे अनजान सिर्फ .. रीमा ..... रीमा ..... रीमा ..... बडबडाये जा रहा था ..,,,,
ऐसा लग रहा था जैसे रोहन के दिमाग पर अभी तक नीद के इंजेक्शन का गहरा असर था ....
तभी रीमा का ध्यान रोहन की नाक से निकलती लहू की लकीर पर गया जो उसकी नाक से निकल कर उसकी गरदन तक
जाने लगी थी और उस लहू को देखते ही रीमा तो जैसे अपनी सुध बुध खो बेठी और वो बड़ी ही घबराहट में .....
सिस्टर -२ कहती हुई चिल्लाने लगी लेकिन उस वक़्त शायद कोई भी नर्स रोहन वाले वार्ड में मौजूद नहीं थी ...
किसी नर्स को न देख रीमा वार्ड से बाहर की और भागी और बाहर जाते ही उसको नर्स दिखाई दे गयी
रीमा ने हाँफते हुए नर्स को रोहन की नाक से निकलने वाले खून के बारे में बताया तो सुनकर नर्स भी घबरा गयी और
उसने जल्दी से जाकर इमरजेंसी डॉक्टर को बुला लिया ...
डॉक्टर ने रोहन को फिर से कोई इंजेक्शन दिया और रोहन एकबार फिर से गहरी नींद में सो गया और उसकी नाक से
निकलने वाला लहू भी रुक गया ....
रीमा ने डॉक्टर को बड़ी बेचेनी भरी निगाहों से देखते हुए कहा ;;;
ये क्या हुआ था डॉक्टर साहब इनकी नाक से अचानक खून क्यों निकलने लगा था ?
कोई खतरे वाली बात तो नहीं है न ?
डॉक्टर ने कहा ....
देखिये आपके पति इस वक़्त जिस स्टेज पर है उस स्टेज में जब तक इनका ऑपरेशन नहीं हो जाता ये सब होना नार्मल बात है
शुक्र है की खून सिर्फ इनकी नाक से ही निकला था नहीं तो अक्सर इस तरह के केस में मरीज के मुंह से भी खून आ जाता है
खैर आप चिंता मत कीजिये मेने इनको इंजेक्शन दे दिया है और अब ये आराम से सोये रहेंगे ....मुझे उम्मीद है की
इनकी हालत भी इस्थिर रहेगी लेकिन आप इनके ऑपरेशन में बिलकुल भी देर न करे क्योकि अगर इनका ऑपरेशन
कल रात तक नहीं हुआ तो इनकी पोजीशन और क्रिटिकल होती जायेगी और फिर शायद हमारे हाथ में भी कुछ नहीं होगा ...
डॉक्टर तो अपनी बात कहता हुआ चला गया लेकिन रीमा किसी पत्थर के बुत की तरह वही खड़ी की खड़ी रह गयी
कुछ देर तक रीमा अपलक रोहन की और देखती रही और फिर अचानक रीमा के चेहरे के भाव बदलने लगे ऐसा लग रहा था
मानो वो मन ही मन कोई ठोस निर्णय ले चुकी है.......
नीतू भी रीमा के चेहरे के भाव देख कर घबरा गयी उसने रीमा को झिंझोड़ते हुए कहा
क्या हुआ रीमा ?.... ऐसे क्या सोच रही है .............कुछ बोल तो सही .....
रीमा ने बड़ी तडफ भरी आवाज में कहा :-
में अपने रोहन को इस तरह से तिल-२ कर मरने नहीं दूंगी........मेने फैसला कर लिया है ..............
चाहे कुछ भी हो जाए रोहन का ऑपरेशन जरूर होगा और वो भी कल रात से पहले .....
उसके लिए चाहे मुझे कुछ भी करना पड़े .......बेशक मुझे खुद को भी बेचना पड़ा तो में बेच दूंगी .....
रीमा की बात सुन कर नीतू हक्की बक्की रह गयी शायद उसको रीमा के मुंह से ऐसे अल्फाजो की उम्मीद नहीं थी
नीतू ने रीमा को बड़े ही प्यार से समझाते हुए कहा ....
ऐसा नहीं कहते रीमा ... भगवान् करेगा सब ठीक हो जायेगा ...और तू ये अनाप शनाप क्या बोले जा रही है ,,
रीमा ने तड़फ कर कहा ...
नहीं भाभी में जो भी कह रही हूँ वो अच्छी तरह से सोच समझ कर ही कह रही हूँ
अगर रोहन को कुछ हो गया तो फिर मेरा जीना भी बेकार है ..... इनके सिवा दुनिया में मेरा है ही कोन ..
और अपनी बात कहते -२ रीमा सुबकने लगी ...
नीतू ने फिर से रीमा को समझाते हुए कहा ....
तू इस वक़्त बहुत ज्यादा डिस्टर्ब है इसलिए तेरे दिमाग में ऐसी उलटी सीधी बाते आ रही है जानती भी है की
जो तू जो बोल रही है उसका मतलब क्या है ,,
रीमा ने नीतू की आँखों में अपनी आँखे डालते हुए कहा ....
जानती हूँ भाभी ... में अच्छी तरह से सोच समझ कर ही बोल रही हूँ आप सिर्फ इतना बताओ की मेरी मदद करेंगी या नहीं ?
रीमा की बात सुन कर नीतू पूरी तरह से चोंक गयी क्योकि वो भली भांति जानती थी की रीमा का इशारा किस और है
भले ही नीतू लाख बुरी सही लेकिन इन हालातो में उसको भी रीमा के साथ पूरी तरह से हमदर्दी हो चुकी थी
आखिर वो भी तो एक औरत थी ....और एक औरत का दर्द दूसरी औरत अच्छी तरह से समझ सकती है,,
नीतू ने कहा ...में मानती हूँ रीमा की मेने अपने स्वार्थ के लिए तुझे गुमराह करने की कोशिश करी थी और अपनी उस
गलती का एहसास मुझे अब तक हो रहा है ,,
लेकिन अब में तेरी मजबूरी का कोई नाजायज़ फायदा उठाने के लिए तेरा साथ नहीं दे रही हूँ बल्कि तेरा साथ इस लिए
दे रही हूँ की मेने उस वक़्त जो गलती की थी उसका पश्चाताप कर सकूँ ,,
कहते -२ नीतू की आँखों से बरबस ही आंसू बह निकले .. जो शायद उसकी सच्चाई को बयां कर रहे थे ...
नीतू की बात सुन कर रीमा अपलक नीतू को देखने लगी
अपनी आँखों से बहते आंसू पोंछती हुई नीतू ने कहा .... नहीं रीमा में हरगिज इस बात में तेरा साथ नहीं दे सकती
में पहले ही तेरी गुनाहगार हूँ अब में और किसी गुनाह का बोझ अपने दिल पर नहीं ले सकती ,,,
लेकिन रीमा तो जैसे पूरी तरह से फैसला ले चुकी थी उसने अपनी बात पर अड़ते हुए कहा ......
रीमा ने कहा ... भाभी आप मुझे सिर्फ इतना बताइए की आप मेरी मदद करेंगी या नहीं ..
रीमा के चेहरे की द्रढ़ता और लफ्जों में गज़ब का आत्मविश्वास देखकर नीतू भी कुछ पलो के लिए सोच में पड़ गयी
उसकी समझ में कुछ नहीं आ रहा था की वो रीमा की बात का क्या जवाब दे ,,
नीतू को कुछ बोलता न देख कर रीमा ने एक बार फिर से अपनी बात को दोहराते हुए कहा
''नीतू भाभी प्लीज.................... मुझे जवाब दीजिये....... आप मेरी मदद करेंगी या नहीं ''
अब नीतू के लिए रीमा को जवाब देना मज़बूरी बन चुकी थी इसलिए नीतू ने एक गहरी साँस लेते हुए कहा
हाँ रीमा में तेरी मदद जरूर करुँगी लेकिन इस काम में कदापि नहीं जो तू कह रही है .....
क्योकि शायद अभी तू इस बात को नहीं जानती की जिस राह पर तूने चलने का फैसला किया है वो राह
एक ऐसी दलदल के समान है कि जिसमे तूने एक बार अपना कदम रख दिया तो फिर तू धंसती ही चली जायेगी
फिर तू चाह कर भी उसमे से कभी बाहर नहीं निकल सकती ... नहीं नहीं ...में ऐसा हरगिज नहीं कर सकती .....
प्लीज रीमा मुझे ऐसे किसी धर्मसंकट में मत डाल... में तेरे हाथ जोडती हूँ ...
कहते -२ नीतू की आँखों से अश्रु धारा बहने लगी जो की नीतू के निर्दोष होने की गवाही दे रही थी ,,
लेकिन रीमा का कलेजा तो मानो अब पत्थर बन चूका था इसलिए उसपर नीतू की किसी भी बात का कोई
असर नहीं हो रहा था .....उसने सपाट लहजे में कहा ....
नहीं भाभी ..........मुझे अब किसी बात की परवाह नहीं है ...अंजाम बेशक कुछ भी हो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता
लेकिन रोहन को में इस तरह से तड़फ तडफ कर मरने नहीं दूंगी ....अगर आप मेरा साथ नहीं दे सकती तो मुझे
मना कर दीजिये में अपने आप ही कुछ ......... कहते हुए रीमा ने अपनी बात को अधुरा छोड़ दिया ,,,
और रीमा की जिद्द और बेबाकी को देखते हुए नीतू को भी आखिरकार मजबूरी में सही लेकिन हथियार डालने पड़े .
नीतू ने भर्राई हुई आवाज में कहा ........ ठीक है रीमा जैसी तेरी मर्जी........
नीतू की बात सुनते ही रीमा के चेहरे पर ठीक वैसे ही संतुष्टि के भाव आ गए जैसे किसी बच्चे के चेहरे पर
अपनी जिद्द मनवाने के बाद आते है ,,
रीमा ने कुछ पल चुप रहने के बाद फिर से कहा ....भाभी .... अब कुछ बोलिए तो सही कि हमें करना क्या है
नीतू जोकि पहले ही रीमा के इस फैसले से बड़ी गहरी कशमकश में पड़ी हुई थी वो रीमा की बात सुनते ही जैसे
अपनी तन्द्रा से बाहर आई हो उसने बड़ी बोझिल आवाज में कहा ...
ह्म्म्म---- में एक ऐसे आदमी को जानती हूँ जो तुझे एक साथ इतने पैसे दे सकता है कि जिससे तेरा मकसद
हल हो जायेगा ठहर पहले में उससे ही बात करती हूँ ,,कहते हुए नीतू ने अपने मोबाइल से कहीं फोन मिलाया ...
लेकिन उधर से फोन रिसीव नहीं हुआ ... २-३ बार नीतू ने फिर से ट्राई जरूर किया लेकिन नतीजा सिफर रहा
और नीतू ने झल्लाते हुए कहा ....लगता है कमीना कहीं रंगरलिया मना रहा है ....
नीतू की बात सुन कर रीमा के चेहरे पर हताशा छाने लगी और उसने नीतू की और देखते हुआ कहा
अब क्या होगा भाभी ?
नीतू ने कुछ पल सोचने के बाद कहा .....
फिलहाल तो मुझे भी कुछ समझ नहीं आ रहा क्योकि ये शख्स ऐसा था जिसकी रग-२ से में अच्छी तरह से
वाकिफ हूँ अगर इस से मेरी बात हो जाती तो बिना किसी टेंशन के काम बन जाता
रीमा ने बड़ी बेसब्री से कहा ....
अगर उसका फ़ोन नहीं मिल रहा तो कुछ और सोचिये भाभी ......क्योकि हमारे पास टाइम बहुत कम है
अगर सुबह तक पैसो का इंतजाम नहीं हुआ तो .......कहते -२ रीमा उदास होने लगी
रीमा की इस बेचेनी को देखकर नीतू की आँखे भी नम हो गयी क्योकि उसको रीमा के इस हाल पर बहुत
तरस आ रहा था वो मन ही मन सोच में पड़ गयी की इंसान कभी कभी वक़्त के हाथो इतना मजबूर क्यों हो जाता है
लेकिन फिलहाल शायद उसके पास इस बात का कोई माकूल जवाब नहीं था
नीतू अपनी आँखों को बंद करके कुछ पल सोचती रही और फिर अपनी आँखों को खोलकर बोली
वैसे तो एक शख्स और भी है जो इस वक़्त हमारी जरूरत को पूरा कर सकता है लेकिन में सोच रही हूँ
की उससे बात करूँ या नहीं .....
रीमा ने नीतू को ताकते हुए कहा .... में कुछ समझी नहीं ? आप कहना क्या चाहती है ?
नीतू ने कहा ....
में ये कहना चाहती थी की वो बेहद कमीना और घटिया किस्म का इंसान है उसके लिए औरत एक खिलोने से बढकर
कुछ नहीं है .....इसलिए में सोच में पड़ी हूँ की उससे बात करूँ या नहीं .....
रीमा ने अपनी गर्दन को झटकते हुए कहा ....
इस वक़्त हम किसी चॉइस की पोजीशन में नहीं है भाभी .................. आप बेफिक्र होकर बात कीजिये ,
रीमा की बात से शायद नीतू भी सहमत थी इसलिए उसने फिर से कहीं और फ़ोन लगाया और फ़ोन रिसीव होते ही ...
मलिक साहब नमस्ते ........... नीतू ने बड़ी आदर भरी आवाज में कहा ,,
मलिक का नाम सुनते ही रीमा के दिल ओ दिमाग में जैसे कोई तूफ़ान उठने लगा हो वो यकायक नर्वस होने लगी
शायद उसकी आँखों के आगे मलिक का वो वेह्शी रूप जो उसने नीतू के घर देखा था बरबस ही आ गया था ..
लेकिन रीमा ने खुद पर काबू पाने के लिए अपनी आँखों को बंद करके लम्बी लम्बी सांसे लेनी शुरू कर दी
और अगले कुछ पलो में रीमा के चेहरे के भाव बदलने लगे और ऐसा लगने लगा जैसे वो खुद को समझाने में कामयाब हो गयी थी ,,
और उधर मालिक से बात करने के बाद नीतू ने रीमा से कहा ...
मलिक से मेरी बात हो गयी है और उसने हमें अपने बंगले पर बुलाया है लेकिन हमे अभी के अभी चलना होगा
रीमा ने एक नजर रोहन की और देखा और बोली ...ह्म्म्म- चलिए ...
फिर वो दोनों हस्पताल से बाहर निकली और एक खाली ऑटो में बेठ गयी ऑटो में बैठते ही नीतू ने ऑटो वाले को
अपने घर का पता बताया तो सुनते ही रीमा ने चोंककर नीतू से कहा ...
हमे तो कहीं और जाना था लेकिन आप तो मुझे अपने घर ले जा रही हो ?
नीतू ने ऑटो वाले की और इशारा करते हुए रीमा से कहा ...
अभी आराम से बेठी रहो ........... घर जाकर बात करेंगे ...
नीतू की बात सुन कर रीमा उस वक़्त तो चुप रहने पर मजबूर हो गयी लेकिन जैसे ही वो नीतू के घर में दाखिल हुई
उसने फटाक से कहा .....क्या बात है भाभी ........अचानक आप घर क्यों आई है ,,
नीतू ने कहा :-इसके पीछे क्या वजह है ये भी तुझे अभी पता चल जाएगी ....
लेकिन रीमा की समझ में नीतू की बात नहीं आई थी उसने कहा ... में कुछ समझी नहीं
नीतू ने रीमा का हाथ पकड़ कर उसको आईने के आगे ले जाकर खड़ा कर दिया और बोली ...
मेरी पगली .... इस हुस्न के बाज़ार में जो दिखता है वही बिकता है
नीतू की बात सुन कर रीमा ने आईने में खुद को निहारा और फिर उसकी समझ में नीतू की बात आने लगी ...
फिर नीतू ने रीमा को नहा कर आने को कहा और वो खुद रीमा के पहनने के लिए कपडे निकालने लगी
कुछ देर बाद रीमा जब नहा कर आई तो उसका गोरा बदन एक टॉवल में लिपटा हुआ था लेकिन नीतू के
घर में इस वक़्त और कोई नहीं था इसलिए रीमा को कोई परेशानी महसूस नहीं हो रही थीं ...
नीतू ने रीमा को ब्लैक कलर की एक डिजायनर ब्रा और पेंटी देते हुए कहा ... ले इसको पहन ले ..
रीमा ने बिना कुछ कहे चुपचाप वो ब्रा पेंटी पहन ली अब रीमा का गोरा बदन काली ब्रा और पेंटी में कुंदन के
जैसा चमक रहा था और फिर नीतू ने रीमा के पुरे जिस्म पर बड़ा ही मादक खुशबु वाला परफ्यूम लगाया और
इसके बाद नीतू ने रीमा को ब्लैक कलर का पेटीकोट और ब्लैक कलर का ही चोलीनुमा ब्लाउज पहनवा दिया
ऐसा ब्लाउज जिसमे रीमा का जोबन छुपाये नहीं छुप रहा था रीमा ने शायद आज तक ऐसा ब्लाउज पहले कभी नहीं पहना था
इसलिए उसको वो ब्लाउज अपने जिस्म पर बड़ा ही असहज सा लग रहा था ,,
लेकिन उस वक़्त रीमा ने कुछ भी कहना उचित नहीं समझा और अपनी जुबान को बंद ही रखा
फिर नीतू ने उसको ब्लैक कलर की नेट वाली साड़ी देते हुए कहा ;;;
ले अब इसको पहन ले और हां जितना ज्यादा नीचे हो सके उतना नीचे ही बांधना ...
रीमा ने स्वीकृती में अपने सर को हिलाते हुए वो साडी नीतू से ले ली और बाँधने लगी
साड़ी बाँधने के बाद रीमा नीतू के पास जाकर बोली देखिये भाभी साड़ी ठीक से बंधी है की नहीं ?
नीतू ने रीमा को ऊपर से नीचे तक निहारा और बोली .......वाह क्या बात है अब लग रही है तू चाँद का टुकड़ा
कोई और वक़्त होता तो शायद अपनी तारीफ सुन कर रीमा को ख़ुशी और गर्व महसुसू होता लेकिन इस वक़्त
तो वो बेचारी अपनी अस्मत को अपने ही हाथो नीलाम करने जा रही थी इसलिए सिर्फ एक आह भर कर रह गयी
फिर नीतू ने रीमा का अपने हिसाब से मेकअप किया और जब उसको पूरी तस्सली हो गयी तो उसने किसी को
फ़ोन किया की वो गाड़ी ले कर आ जाये ,,
रीमा ने एक बार फिर से नीतू से पुछा ... आपने किसको गाडी लाने के लिए कहा है
नीतू ने कहा ... मेने टेक्सी वाले को फ़ोन किया है क्योकि इस वक़्त में तुझे ऑटो में नहीं ले जा सकती
रीमा समझ गयी की नीतू ने जो कहा है वो ठीक है इसलिए वो दोनों टेक्सी का इंतज़ार करने लगे
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