Saturday, November 30, 2013

FUN-MAZA-MASTI रोहन और रीमा--8

FUN-MAZA-MASTI
 रोहन और रीमा--8
 जैसे ही रीमा एग्जिट डोर की तरफ बड़ी तो उसको अपनी योनी से लेकर नितम्बो की दरार में चिपचिपाहट महसूस होने लगी ,
और रीमा को समझते एक पल की भी देर नहीं लगी की उसकी योनी से रिसता हुआ शहद बाहर तक आ चूका है
और जैसे ही रीमा को इस बात का एहसास हुआ उस के कदम थम से गए
क्योकि इस हालत में ज्यादा देर तक चलना उसके लिए बड़ा ही दुश्वार था.. चंद कदम चलने से ही जब उसकी योनी से
रिसता हुआ शहद उसके गुदा द्वार तक पहुँच कर दस्तक देने लगा था तो आगे क्या हो सकता है ये बात रीमा अच्छी तरह
से जानती थी ,वो जल्द से जल्द इस चिपचिपे एहसास से मुक्ति पाने की सोचने लगी लेकिन कैसे ये उसकी समझ में नहीं आ रहा था
और फिर कुछ सोचते हुए रीमा जल्दी से हॉल से बाहर निकली और बाहर निकलते ही उसने सबसे पहले टॉयलेट को खोजना
शुरू कर दिया , और फिर जैसे ही उसको लॉबी के कोर्नर पर टॉयलेट का साइन बोर्ड दिखाई दिया ......
वो जल्दी से टॉयलेट की और बड़ी और उसने टॉयलेट में जाते ही सबसे पहले अन्दर से चटकनी बंद करी ...
चटकनी लगाने के बाद रीमा ने अपनी नजरो को टॉयलेट में हर तरफ घुमा कर देखा ( क्योकि ऑफिस के टॉयलेट में
उसके साथ जो हुआ था वो उसके लिए बहुत बड़ा सबक बन चूका था )
और फिर जब उसको पूरी तस्सली हो गयी की सब ठीक है तो उसने अपनी साड़ी को ऊपर उठा कर अपनी कमर तक कर लिया
और फिर उसने अपने हाथ को पेंटी में घुसा दिया ,अब वो दिवार से अपनी पीठ सटाकर खड़ी थी और उसका हाथ पेंटी
में घुसा हुआ हलचल मचा रहा था , रीमा अपनी आँखों को मूँद कर तेज़ तेज़ सांसे लेती हुई अपनी योनी में ऊँगली चला रही थी
और फिर कुछ देर तक ऐसा करने के बाद रीमा ने अपने हाथ को पेंटी से बाहर निकाल लिया ....
इस वक़्त रीमा के चेहरे पर पूरी संतुष्टि के भाव थे और फिर काम रस से भीगे अपने हाथ को देख कर रीमा के चेहरे पर
मुस्कराहट दौड़ने लगी और उसने अपनी पेंटी को उतार दिया और अपनी ही पेंटी से अपनी योनी को अच्छी तरह से पोंछने के बाद
रीमा ने पेंटी को अपने हेंड बेग में रख लिया और फिर वो अपने हाथो को वाश बेसिन में धोने लगी हाथो को धोने के बाद उसने
अपने चेहरे को आईने में देख कर दुरुस्त किया और बाहर आ गयी ,
लेकिन बाहर तक आते ही रीमा को अपनी गलती का एहसास होने लगा था क्योकि बिना पेंटी के अब उसका पेटीकोट
नितम्बो की दरार में फंसने लगा था ,लेकिन अब तो कुछ भी नहीं हो सकता था इसलिए रीमा थोडा संभल कर चलने लगी
और फिर थोडा सा चलने के बाद उसकी नजर एक कॉफ़ी शॉप पर गयी , रीमा ने बाहर से देखा तो कॉफ़ी शॉप में कोई
खास भीड़ नहीं थी सिर्फ ६-७ लोग ही बेठे थे ये देख कर वो अन्दर चली गयी और फिर एक खाली पड़ी टेबल पर बेठ गयी
उसने अपने लिए कॉफ़ी का आर्डर दे दिया और अगले ५ मिनट में कॉफ़ी उसके सामने रखी थी ...
अब रीमा मजे से कॉफ़ी की चुसकिया लेने लगी और हॉल में जो हुआ उसके बारे में सोचने लगी ..........
अभी रीमा ने कॉफ़ी की ३-४ चुसकिया ही ली थी की एक बहुत ही हेंडसम लड़का जिसकी उम्र बमुश्किल २५-२६ साल होगी बड़े ही
शानदार लिबास में बिलकुल फ़िल्मी हीरो जैसा आ कर उसकी टेबल के पास खड़ा हो गया उसने मुस्कराते हुए रीमा से कहा ....
एक्स कियुज़ मी .......................क्या में आपके सामने वाली चेयर पर बेठ सकता हूँ
रीमा कुछ सोचती और जवाब देती इस से पहले ही वो रीमा की सामने वाली कुर्सी पर विराजमान हो गया
उसके इस तरह से बेठने से रीमा के चेहरे पर तनाव दिखाई देने लगा था और इस बात को महसूस करते ही उस लड़के ने कहा
अगर आपको मेरे यहाँ बेठने से कोई ऐतराज है तो प्लीज बता दीजिये में कही और जाकर बेठ जाता हूँ ..
पता नहीं ये उसकी शानदार पर्सनेल्टी का असर था या उसकी बेबाकी और बिंदासपन का ......की
.....रीमा ने कहा नहीं नहीं आप बेठिये....वैसे भी में अब जाने वाली हूँ ......

लड़के ने एक बार फिर से मुस्कराते हुए रीमा की तरफ देखा और फिर उसने वेटर को २ कप कॉफ़ी का आर्डर दे दिया
उसको २ काफी का एक साथ आर्डर देता देख रीमा मन ही मन सोचने लगी की ये कैसा पागल इन्सान है जो एक साथ
२ कप कॉफ़ी का आर्डर दे रहा है और इस बात को सोचते ही रीमा के गुलाबी लबो पर एक मुस्कान बिखरने लगी थी
और फिर जैसे ही रीमा ने अपनी कॉफ़ी ख़तम करी ....... वेटर ने २ कॉफ़ी और ला कर टेबल पर सजा दी ....,
और अब इस से पहले की रीमा अपनी कुर्सी से उठती ...
लड़के ने कॉफ़ी का कप रीमा के आगे सरकाते हुए बड़े ही मासूमियत भरे अंदाज में कहा .....
मेने एक कॉफ़ी आपके लिए काफी मंगवाई है ,
रीमा ने हेरानी से उसको देखते हुए कहा .............लेकिन क्यों ? में तो अपनी कॉफ़ी पी चकी हूँ ,
लड़के ने बड़े ही भोलेपन से उसको देखते हुए कहा....तो क्या हुआ एक कप और सही ..मेरा साथ देने के लिए ही पी लीजिये
उस लड़के की बात सुन कर अब रीमा ने अपनी कुर्सी से उठते हुए थोडा तल्ख़ अंदाज़ में कहा ....
देखिये मिस्टर बावजूद इसके की हम दोनों एक दुसरे को जानते तक नहीं आपने मेरी मर्जी के बिना मेरे लिए कॉफ़ी
मंगवा ली और ऊपर से अब आप मुझे कॉफ़ी पीने के लिए कह रहे हो ....समझा क्या है आपने मुझे ??
रीमा की बात सुन कर उस लड़के के चेहरे पर हलकी सी मुस्कान दौड़ने लगी और उसने कहा
आप तो बेवजह गुस्सा हो रही है ... आपकी ये बात बिलकुल दुरुस्त है की हम एक दुसरे को पहले से नहीं जानते लेकिन
जान पहचान तो करने से ही होती है न .......
मेरा नाम समीर है और में इसी शहर का रहने वाला हूँ और पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर हूँ . ..
अब आप भी जल्दी से अपने बारे में बता दीजिये हो गयी जान पहचान ......
कहते हुए वो मंद मंद मुस्कराता हुआ रीमा को देखने लगा ,

उसका ये बिंदासपन शायद रीमा के दिल की गहराइयों को छू गया था वो मुस्कराती हुई अपनी कुर्सी पर फिर से बेठ गयी ...
और कुछ पल चुप रहने के बाद रीमा ने कहा आपकी बातो को देख कर लगता नहीं की आप इंजीनियर हो आप तो
बिलकुल फ़िल्मी अंदाज़ में बाते करते हो मेरे हिसाब से तो आपको एक्टर होना चाहिए था ...

समीर भी रीमा की बात पर हँसते हुए बोला
सोचता तो में भी कुछ ऐसा ही हूँ लेकिन शायद मेरे घर वालो की सोच कुछ अलग है जो
मुझे इंजीनियर बना दिया ..................वैसे आपका नाम क्या है ?
रीमा भी अब उसके साथ घुलने मिलने लगी थी उसने कहा .........मेरा रीमा है
समीर ने कहा रीमा ...................................वाओ ............ वैरी स्वीट नेम ...... तो रीमा जी आप जॉब करती है
या हाउस वाइफ है ?
रीमा ने कुछ सोचते हुए कहा .... में हाउस वाइफ हूँ ,

और फिर बातो ही बातो में जब रीमा ने समीर से पूछ ही लिया की उसकी शादी हो चुकी है या नहीं तो
समीर ने मुस्कराते हुए कहा ...अभी तक कोई ऐसी लड़की ही नहीं मिली जिसको में शादी के लिए परपोज़ करूँ
रीमा ने मुस्कराते हुए कहा........ तो फिर आपकी गर्ल फ्रेंड तो जरूर होगी
इस बार समीर ने अपनी नजरे दूसरी और करते हुए कहा ...... फ्रेंड तो कई है लेकिन गर्ल फ्रेंड कोई नहीं ...
रीमा ने कहा ताज्जुब है आप जैसे स्मार्ट बन्दे की कोई गर्ल फ्रेंड नहीं बनी ...
समीर ने कहा रीमा जी सच कहूँ तो में खुद ही इस टाइप के रिलेशन में ही विश्वास नहीं रखता मेरा मान न ये है की
जिस लड़की से में शादी करूँगा वही मेरी रियल गर्ल फ्रेंड होगी ,
रीमा ने उसकी बातो से इम्प्रेस होते हुए कहा आपके विचार तो बहुत अच्छे है देखना आपको बहुत ही अच्छी लड़की मिलेगी
और फिर बातो ही बातो में समीर और रीमा ने एक दुसरे के बारे में भी सब कुछ जान लिया था ....
फिर समीर ने कहा रीमा जी आपके हसबेंड दुनिया के सबसे खुश्नासेब इन्सान है क्योकि उनके पास आप जैसी
प्यार करने वाली बीवी है ,
रीमा के पास शायद फिलहाल इस बात का कोई जवाब नहीं था वो चुप हो गयी .... और फिर
बातो बातो में कब शाम के ५ बज गए पता ही नहीं चला जैसे ही रीमा का ध्यान टाइम पर गया वो हडबडाती हुई बोली
अरे ५ कब बज गए मुझे तो पता ही नहीं चला .... कहते हुए रीमा उठ कर खड़ी हो गयी
समीर ने मुस्कराते हुए कहा रीमा जी जब बाते ऐसी चल रही हो तो ,,,,,समय का पता ही नहीं चलता वैसे आपको जाना किधर है
अगर आप बुरा न माने तो मुझे बता दीजिये में आपको अपनी गाड़ी से छोड़ देता हूँ ,
उसकी बात सुन कर रीमा घबराती हुई बोली ..............नहीं नहीं ........ में अपने आप चली जाउंगी ,
कुछ सोचते हुए समीर ने भी फिर जिद्द नहीं की क्योकि वो भी इस बात को अच्छे से जानता था की रीमा किसी की बीवी है
समीर ने रीमा को अपना मोबाइल नंबर देते हुए कहा ... रीमा जी अब हम दोनों दोस्त बन गए है ,,,,,, इसलिए आपको कभी
भी मेरी जरूरत हो तो निसंकोच मुझे फ़ोन कर दीजिये ,
समीर की इस बात को सुनकर रीमा को लगने लगा की दुनिया में सिर्फ बुरे लोग ही नहीं है ............
और फिर रीमा समीर से विदा ले कर वहां से चल दी ,



मॉल से बाहर निकल कर रीमा ने जल्दी से ऑटो रोका और अपने घर की और चल दी लेकिन पता नहीं क्यों
पुरे रास्ते रीमा के दिमाग में सिर्फ समीर के साथ हुई अपनी मुलाकात और बाते ही चलती रही,
न जाने ऐसा कोनसा जादू था समीर की बातो में रीमा उसकी बाते अपने दिल और दिमाग से निकाल ही नहीं
पा रही थी , और फिर इन्ही विचारो की कशमकश में कब उसका घर आ गया उसे पता ही नहीं चला ,
ऑटो को अपने घर से थोड़ी दूर रुकवा कर रीमा उतर गयी और वहां से पैदल अपने घर को चल दी
घर पहुँचते ही रीमा का सामना जैसे ही रोहन से हुआ रोहन ने मुस्कराते हुए रीमा का स्वागत किया और बोला
'' आओ मेरी जान कैसा रहा आज का दिन कोई परेशानी तो नहीं हुई ''
रीमा ने भी रोहन को प्यार से देखते हुए कहा ...
'' जी नहीं आज तो पूरा दिन बहुत अच्छा बीता सब कुछ ठीक रहा ,,
रोहन ने गहरी साँस लेते हुए कहा '' शुक्र है भगवान् का ... मुझे तुम्हारी ही चिंता हो रही थी
चलो तुम पहले चेंज करके आ जाओ फिर चाय पीते है ....
रोहन की बात सुन कर रीमा कमरे में चली गयी और फिर अचानक ही उसके कदम आईने की और बड गए
रीमा आईने के आगे खड़ी हो कर खुद को ऐसे निहारने लगी मानो वो खुद से ही सवाल कर रही हो की
वो कितनी खूबसूरत है कुछ देर तक अपने आप को आईने में निहारने के बाद रीमा गुनगुनाते हुए अपनी
साड़ी को उतारने लगी साड़ी को उतार कर उसने तह किया और अलमारी में रख दिया और पहनने के
लिए सलवार कमीज निकाल लिया रीमा ने अपने ब्लाउज के हुक खोल कर अपने ब्लाउज को उतारा और
कमीज पहन ली और फिर वो सलवार पहनने के लिए जैसे ही अपने पेटीकोट का नाडा खोलने लगी तो
उसको अपनी पेंटी का ध्यान आ गया और पेंटी की बात याद आते ही रीमा के गोरे गालो पर लाली छाने लगी ,
उसने जल्दी से अपने बेग को खोला और पेंटी को बाहर निकाल कर बड़े गौर से देखने लगी
गुलाबी पेंटी पर लगे उसके काम रस के सूखे हुए धब्बे साफ़ साफ़ चमक रहे थे, और उन धब्बो को देख कर
रीमा की आँखों में मदहोशी सी छाने लगी और फिर न जाने क्या सोच कर उस ने वही पेंटी पहन ली
और फिर वो कपडे बदल कर हाथ मुंह धोने चली गयी हाथ मुंह धोने के बाद वो रोहन के लिए चाय बनाने लगी
और फिर चाय बनाते बनाते रीमा को याद आया की उसको तो कल सुबह ८ बजे तक स्कूल पहुंचना है
जबकि ऑफिस जाने के लिए वो घर से ९ बजे निकलती थी वो मन ही मन इस बात को सोचने लगी की
रोहन से इस बारे में कैसे बात करे वो ऐसा कोनसा बहाना बनाये जो रोहन को अजीब न लगे ,
और फिर सोचते -२ उसके दिमाग में एक युक्ति आ ही गयी और वो होले-२ मुस्कराने लगी
रोहन को चाय देते हुए रीमा ने कहा ...
मुझे कल से ऑफिस जल्दी जाना पड़ेगा ....
रीमा की बात सुन कर रोहन चोंकता हुआ बोला ..............लेकिन क्यों ?
रीमा ने रोहन को समझाते हुए कहा अरे बाबा में जल्दी जाउंगी तो जल्दी आउंगी भी तो
लेकिन रोहन को मानो उसकी बात हज़म नहीं हुई थी उसने कहा
लेकिन ऑफिस टाइम से पहले तुम वहां जाकर क्या करोगी ....ऐसा क्या काम है जो जल्दी जाना पड़ रहा है ?
रीमा ने पहले से ही अपने दिमाग में इस सवाल का जवाब सोचा हुआ था उसने कहा ..
हमारे ऑफिस में न्यू स्टाफ को ट्रेनिंग दी जा रही है इसलिए मुझे भी ट्रेनिंग के लिए जाना पड़ेगा
लेकिन में २ घंटे जल्दी जाउंगी तो मेरी छुट्टी भी २ घंटे पहले ही हो जाया करेगी ,
अब रोहन के पास इस बात को न मान ने की कोई वजह नहीं थी उसने कहा ठीक है , और फिर
अगले दिन रीमा स्कूल जाने के टाइम पर तैयार हो गयी और उसने स्कूल की यूनिफार्म वाली साड़ी पहनी और रोहन
से विदा ले कर वो घर से निकल गयी , लेकिन नौकरी का पहला दिन होने की वजह से रीमा के मन मे थोड़ी सी घबराहट थी
इसलिए वो घर से निकलने के बाद बजाय स्कूल जाने के पहले नीतू ने घर चली गयी ,
नीतू के घर जा कर रीमा ने डोरबेल बजाई नीतू को शायद इस वक़्त रीमा के आने की कोई उम्मीद नहीं थी इसलिए
जैसे ही उसने रीमा को देखा तो वो चोंक गयी लेकिन रीमा के चेहरे के भाव देख कर वो सब समझ गयी
नीतू ने मुस्कराते हुए कहा .. क्या हुआ ? इतनी नर्वस क्यों हो रही है ?
रीमा ने झेंपते हुए कहा '' भाभी स्कूल में आज मेरा पहला दिन है और आपको तो पता ही है की मुझे टीचिंग का
जरा सा भी एक्सपीरियंस नहीं है इसलिए मुझे पता नहीं क्यों बड़ा अजीब सा लग रहा है ''
नीतू ने हँसते हुए कहा ...
'' अरी पगली ......तू बिलकुल भी किसी बात की चिंता मत कर मेने आंटी को पहले ही तेरे बारे में सब कुछ बता दिया है
तू सीधा आंटी के पास जाना वो तुझे अपने आप सब समझा देंगी ,
नीतू की बात सुन कर रीमा के दिल को थोड़ी सी राहत मिली और वो स्कूल के लिए चल दी
स्कूल पहुँचने के बाद रीमा सबसे पहले प्रिंसिपल के रूम में गयी और उसने
मुस्कारते हुए प्रिंसिपल की और देखा और कहा................ गुड मोर्निंग मेम
प्रिंसिपल ने भी मुस्कराते हुए रीमा को देखा और बेठने का इशारा किया ....... रीमा बेठ गयी
इस से पहले की रीमा कुछ बोलती प्रिंसिपल के रूम में एक युवती ने प्रवेश किया जिसके जिस्म पर वही
यूनिफार्म थी जो रीमा ने पहनी हुई थी इसलिए उसको देख कर ही रीमा समझ गयी की वो भी यहाँ टीचर है ...
उस युवती ने आते ही प्रिंसिपल को पहले गुड मोर्निंग कहा और फिर बोली............ मेम आपने बुलाया था ..
प्रिंसिपल ने रीमा से उस युवती का परिचय करवाते हुए कहा .... रीमा ये अनीता है
रीमा ने अनीता की तरफ देख कर स्माइल दी अनीता ने भी स्माइल से रीमा को रिप्लाई दिया
प्रिंसिपल ने इस बार अनीता से मुखातिब होते हुए कहा
अनीता ये रीमा है और इसने आज ही ज्वाइन किया है और में चाहती हूँ की तुम इसकी हेल्प करो
प्रिसिपल की बात सुन कर अनीता ने मुस्कराते हुए रीमा को देखा और फिर बोली जी मेम आप बिलकुल निश्चिन्त
रहिये में इनको सब समझा दूंगी ,
अनीता की बात सुन कर प्रिंसिपल के चेहरे पर एक रहस्मयी मुस्कान दौड़ने लगी और फिर अनीता रीमा को
अपने साथ ले कर प्रिंसिपल के कमरे से बाहर आ गयी और अपने साथ एक क्लास में ले गयी ,
क्लास में जाने के बाद अनीता ने स्टूडेंटस से रीमा का इंट्रोडक्शन करवाया और फिर अपने रूटीन वर्क के
बाद उसने स्टूडेंट्स को कुछ काम दिया ,और फिर वो रीमा से बाते करने लगी
अनीता भी रीमा की हमउम्र थी और बेहद हँसमुख स्वाभाव वाली एक आकर्षक व्यक्तित्व वाली युवती थी
इसलिए अनीता के साथ रीमा जल्द ही घुल मिल गयी और फिर बातो ही बातो में दोनों एक दुसरे के बारे में
बहुत कुछ जान गयी ,
अनीता ने बताया की उसकी शादी को ५ साल हो चुके है और उसका पति सिक्योर्टी कम्पनी में गार्ड है
अनीता ने ये भी बताया की उसका एक बेबी भी है जिसको उसकी अनुपस्तिथि में उसकी सास संभालती है ...,
इस तरह अनीता के साथ बातो बातो में रीमा का पूरा दिन बेहद अच्छा बीता.
दोनों एक दुसरे को पहली ही मुलाकात में इतनी अच्छी तरह से जान गयी थी जैसे वो बचपन की सहेलिया हो
और फिर छुट्टी के बाद दोनों स्कूल से साथ साथ निकली और अपने अपने घर को चल दी ,
आज रीमा मन ही मन बहुत खुश थी क्योकि उसे हमउम्र और हमखयाल एक अच्छी दोस्त मिल गयी थी
और फिर इस तरह से अगले १५ दिन कैसे बीत गए, रीमा को इसका एहसास तक नहीं हुआ ....
लेकिन वक़्त ने एक बार फिर से करवट बदली ...............
एक दिन प्रिसिपल ने छुट्टी के बाद सारी टीचर्स को अपने रूम में बुलाया और कहा
आप सबको तो पता ही है की हमारा स्कूल मंत्री जी की कृपा से चल रहा है और मंत्री जी स्वयं
महीने में एक बार निरिक्षण के लिए यहाँ अवश्य आते है ,
कहते हुए प्रिंसिपल ने सबकी और देखा .....सब टीचर्स ने सहमति में अपना सर हिलाया
प्रिंसिपल फिर से बोली मेने आप सबको आज यहाँ इसलिए बुलाया है ताकि में आपको बता दूँ की
मंत्री जी कल हमारे स्कूल के निरिक्षण के लिए आ रहे है, और में चाहती हूँ की हमेशा की तरह इस बार भी
उनके आदर सत्कार में किसी बात की कमी न रहे,
प्रिंसिपल की बात सुन कर सारी टीचर्स एक दुसरे से आँखों ही आँखों के इशारो में बाते करने लगी
लेकिन रीमा उनके इशारो की भाषा का मतलब नहीं जानती थी ,इसलिए वो चुपचाप बेठी रही
प्रिंसिपल ने फिर से कहा ....
उनके स्वागत के लिए मेने पुरे कार्यक्रम की रूप रेखा तैयार कर ली है कहते हुए प्रिंसिपल ने
सबको उनका काम समझाना शुरू कर दिया .
सबको समझाने के बाद प्रिंसिपल ने कहा अब आप सब जा सकती है
और फिर एक एक करके सब टीचर जाने लगी जैसे ही रीमा जाने के लिए उठी तो प्रिंसिपल ने उसको
रुकने का इशारा किया तो वो रुक गयी और फिर सबके जाने के बाद प्रिंसिपल ने रीमा से कहा
देखो रीमा तुम यहाँ नयी हो इसलिए में तुम्हे विशेष रूप से समझा रही हूँ की तुम्हे क्या करना है
रीमा ने बड़े ही भोलेपन से प्रिंसिपल की और देखा और बोली जी मेम बताइए
प्रिसिपल ने कहा ... तुम कल स्कूल की यूनिफार्म में आने के बजाय अच्छी सी साड़ी पहन कर आना और
अच्छी तरह से मेकअप भी कर लेना
प्रिंसिपल की बात सुन कर रीमा मन ही मन कुछ सोचने लगी और फिर उसने कहा
लेकिन मेम बाकि सब टीचर्स तो स्कूल की यूनिफार्म में आएँगी तो में फिर ....
प्रिंसिपल ने रीमा को समझाते हुए कहा .... वो इसलिए की तुम यहाँ नयी हो और में चाहती हूँ की
तुम्हारा इम्प्रैशन उन पर अच्छा पड़े इसका तुम्हे ये फायदा होगा की तुम्हारी जॉब भी परमानेंट हो जाएगी
और सैलरी भी इनक्रीज हो जाएगी कहती हुई वो रीमा को गौर से देखने लगी
रीमा को न जाने क्यों मन ही मन किसी अनहोनी की आशंका होने लगी थी लेकिन वो फिर भी अपने मनोभाव
को संयत करके बोली ... ठीक है मेम में कल वैसे ही आउंगी जैसे आपने कहा है
रीमा की बात सुन कर प्रिंसिपल के चेहरे पर चमक बड़ने लगी और फिर रीमा प्रिंसिपल से विदा ले कर बाहर
आ गयी बाहर आते ही रीमा ने देखा की अनीता उसके इंतज़ार में खड़ी है अनीता को देखते ही रीमा के चेहरे
पर मुस्कान दौड़ने लगी और फिर वो दोनों स्कूल से बाहर आ गयी ,
बाहर आते ही अनीता ने रीमा का हाथ पकड़ कर कहा ...
क्या कह रही थी प्रिसिपल तुझे ?
रीमा ने अनीता को पूरी बात बता दी
और रीमा की बात सुन कर अनीता के चेहरे पर उदासी की लकीरे छाने लगी इस बात को रीमा ने भी
महसूस कर लिया था उसने अनीता से कहा
क्या हुआ अनीता तुम एक दम से उदास क्यों हो गयी कुछ गलत है क्या ?
अनीता को जैसे ही इस बात का अंदेशा हुआ की रीमा ने उसके मनोभाव पड़ लिए है वो अपने चेहरे पर
कृतिम मुस्कराहट लाते हुए बोली '' नहीं नहीं में तो बिलकुल भी उदास नहीं हूँ तुझे ऐसे ही लग रहा है
और फिर वो दोनों एक दूजे से विदा ले कर अपने अपने घर की और चल दी
रीमा अपने घर तो आ गयी लेकिन उसके दिमाग में अभी तक प्रिंसिपल की बाते और फिर उन बातो का
अनीता पर असर उसको अजीब सा लग रहा था उसका मन घबराने लगा लेकिन उसको समझ भी तो नहीं
आ रहा था की वो ऐसी स्तिथि में क्या करे ,
और फिर इसी उधेड़बुन में रात हो गयी रोहन खाना खा कर सो गया था लेकिन रीमा की आँखों से नींद
गायब थी वो आने वाले कल के बारे में सोच रही थी की कल क्या होने वाला है ,
और यही सब सोचते -२ कब उसकी आँख लगी पता ही नहीं चला ....
अगले दिन सुबह रीमा की जब नींद खुली तो उसने देखा की ८ बज चुके है
टाइम देखते ही रीमा हडबडाते हुए उठी और फिर वो जल्दी से तैयार हो कर स्कूल के लिए निकल पड़ी
जैसे ही वो स्कूल में पहुंची उसका दिल तेज़ तेज़ धडकने लगा वो मन ही मन सोचने लगी की वो देर से
आई है कही कोई गड़बड़ न हो जाये लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं
और फिर जब रीमा प्रिंसिपल के कमरे में गयी तो उसको देखते ही प्रिंसिपल ने कहा
प्रिंसिपल ने रीमा की तारीफों के पुल बांधते हुए कहा ........ तुम सच में नेचुरल ब्यूटी हो रीमा ...
'' तुम्हे देख कर कोई कह नहीं सकता की तुम्हारी शादी हो चुकी है ''
प्रिंसिपल की बाते सुन कर
रीमा ने लजाते हुए नीचे देखना शुरू कर दिया उसको शरमाते देख प्रिंसिपल ने कहा
रीमा तुम यहीं बेठो में जरा इंतजाम देख कर आती हूँ कही कोई कमी न रह गयी हो
प्रिंसिपल रीमा को अपने रूम में छोड़ कर चली गयी और रीमा कुर्सी पर बेठी सोचने लगी की अब क्या होगा
लेकिन उसको अपने इस सवाल का कोई सटीक जवाब नहीं मिल रहा था और फिर
थोड़ी देर बाद प्रिंसिपल अपने कमरे में वापिस आई और रीमा से बोली
मंत्री जी आने ही वाले है जल्दी चलो हमे उनका स्वागत करना है और हाँ तुम मेरे साथ-२ ही रहना
प्रिंसिपल की बात सुनते ही रीमा उठ कर खड़ी हो गयी और फिर प्रिंसिपल के साथ साथ वो बाहर आ गयी
बाहर निकलते ही रीमा ने देखा की अनीता और उसके साथ में ५-६ टीचर्स और खड़ी है
उन सबके हाथो में फूल मालाये थी और अनीता ने हाथ में आरती की थाली थी ,
रीमा को देखते ही अनीता ने इशारे से उसकी तारीफ करी लेकिन इस से पहले की कोई कुछ बोलता
प्रिंसिपल ने रीमा का हाथ पकड़ा और बाकि सबको अपने पीछे आने के लिए कहा
सब प्रिंसिपल के पीछे पीछे चलने लगी और फिर वो सब स्कूल के मेन गेट से पहले बनाये हुए फूलो के
गेट के पास जाकर खड़े हो गए और मंत्री जी का इंतज़ार करने लगे











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