Saturday, November 30, 2013

FUN-MAZA-MASTI रोहन और रीमा--17

FUN-MAZA-MASTI
 रोहन और रीमा--17
 कुछ देर बाद रीमा जब वापिस आई तो उसके गोरे मुखड़े पर ताजगी के साथ-२ अधरों पर हलकी सी मुस्कान झलक रही थी
साथ ही उसके हाथ में चाय की ट्रे थी ...जिसमे २ प्याली चाय की रखी थी
रीमा ने मुस्कराते हुए ट्रे को रोहन की और बड़ा दिया रोहन ने चाय का कप उठाते हुए कहा .....
हम्म ..............तो अब बताओ पूरी बात की क्या हुआ है ?
रीमा भी रोहन के पास ही बेठ गयी और उसने चाय की चुस्की मारते हुए कहा ...
पिछले कुछ दिनों में मेने बखूबी इस बात का एहसास कर लिया है की आप जो कहते थे सिर्फ वही सच था ..
और में भी इतनी पगली थी जो आपकी बात की गहराई को नहीं समझ पाती थी ...
रीमा की बात सुन कर समझ तो रोहन भी सब कुछ चूका था की रीमा का इशारा किस और है लेकिन
वो फिर भी रीमा के मुंह से ही सब उगलवाना चाहता था ,,
उसने कहा ...... में कुछ समझा नहीं डार्लिंग प्लीज मुझे पूरी बात बताओ की आखिर ऐसा क्या हुआ जो तुम्हारा दिल
इतना दुखी हो गया ,,
रीमा ने फिर रोहन को शुरू से आखिर तक जो भी बीता वो पूरा किस्सा सुना दिया और साथ ही साथ ये भी कह दिया की
अब वो किसी जॉब शोब के चक्कर में नहीं पड़ेगी ,,
रीमा की बात सुन कर रोहन के लबो पर एक संतुष्टि से भरी मुस्कान दौड़ने लगी ....
और फिर इसी तरह से अगले कुछ दिन बीत गए
रोहन जो पहले सिर्फ २ स्टूडेंट्स को टियुशन दे रहा था अब धीरे -२ उसके पास स्टूडेंट्स बड़ने लगे थे और
रीमा भी इसी काम में रोहन का साथ देने में जुट गयी थी....इस तरह से दोनों मिल कर अपने हालातो को सुधारने में जुट गए थे
और अब धीरे -२ उन दोनों को ऐसा लगने लगा था की जैसे उनके अच्छे दिन शुरू होने वाले है ,,
लेकिन वक़्त के गर्भ में क्या छुपा है ये कोई नहीं जानता शायद रीमा और रोहन भी इस सबसे अनजान थे ....
एक दिन शाम को जब रोहन ट्यूशन पडाने के बाद चाय पी रहा था तो उसने रीमा से कहा ...
पता नहीं क्यों आज सुबह से मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मेरी आँखों की रौशनी धीरे-२ कम होती जा रही है ....
रोहन की बात सुन कर रीमा मन ही मन बुरी तरह से घबरा गयी लेकिन फिर भी उसने रोहन की हिम्मत बढाने के लिए कहा
आजकल आप रेस्ट कम कर रहे हो और दिमागी काम ज्यादा इसलिए हो सकता है आपको अनिंद्रा की वजह से ऐसा लग रहा हो
रोहन ने भी रीमा की बात सुन कर सहमति में अपने सर को हिला दिया और बोला ...
हूमम्म .....तुम ठीक कह रही हो ... खैर जो भी है .........
वैसे में सोच रहा हूँ की कल एक बार डॉक्टर के पास जाकर अपनी आँखे जरूर चेक करवाऊंगा ,,
रीमा ने कहा ... हम्म ये ठीक सोचा है आपने...... कल में आपके साथ चलूंगी ....
और फिर बात आई गयी हो गयी और रात हो गयी रीमा रसोई में खाना बना रही थी और रोहन बाहर लेटा हुआ था
अचानक रीमा को रोहन के चिल्लाने की आवाज आई और उस आवाज को सुन कर रीमा बुरी तरह से हडबडा गयी
वो जल्दी से रसोई से बाहर निकली और भाग कर रोहन के पास चली गयी ...
इस से पहले की रीमा कुछ पूछती मानो रोहन को रीमा के पास होने का एहसास हो चूका था उसने अपने हाथ
को इधर उधर मारते हुए रीमा ----रीमा कहना शुरू कर दिया ....
रोहन को इस तरह से करता देख रीमा की कुछ समझ में नहीं आया उसने अपने हाथ को आगे बड़ा कर रोहन का
हाथ थाम लिया और बोली ....
क्या हुआ आपको ..... चिल्लाये क्यों थे ....... और ये क्या कर रहे हो आप में आपके सामने ही तो खड़ी हूँ
आपको में दिखाई नहीं दे रही क्या ?
रीमा की बात सुन कर रोहन बड़ी बदहवासी में बोला ......नहीं मुझे कुछ दिखाई नहीं दे रहा ..
ये सुनते ही रीमा के पैरो की जमीन निकल गयी ....
रीमा ने बड़ी ही रुन्वासी होते हुए कहा ..... नहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता आप मजाक कर रहे हो प्लीज सच सच बताइए न
रोहन ने इस बार गुस्से से कहा .... तुम्हे क्या लगता है की में ऐसा भद्दा मजाक करूँगा वो भी तुम्हारे साथ ,,
अब रीमा को पूरा यकीन हो गया की रोहन जो भी कह रहा है वो सच है और फिर तो रीमा की रुलाई छुट गयी और
वो रोते रोते रसोई में गयी और वहां जाकर उसने गैस बंद किया और फिर से बाहर आकर बोली ...
आप यही बेठे रहिये ..........में बाहर से ऑटो ले कर आती हूँ ..... हम अभी डॉक्टर के पास चलते है
रोहन कुछ बोलता इस से पहले रीमा तेज़ कदमो से घर से बाहर निकल गयी ...
रीमा बड़ी ही बदहवासी की हालत में गली से गुजर रही थी की अचानक सामने से नीतू आ गयी और उसने रीमा को देखते ही कहा
क्या बात है रीमा सब ठीक तो है न ?....... तू इस वक़्त कहाँ जा रही है ..... और तू इतनी घबराई हुई क्यों है ?
रीमा का दिमाग इस वक़्त सिर्फ रोहन के बारे में ही सोच रहा था इसलिए उसने नीतू की हर बात को अनसुना करते हुए सिर्फ इतना ही कहा
भाभी मुझे रोहन को डॉक्टर के पास ले कर जाना है इसलिए में ऑटो लेने जा रही हूँ ,,
डॉक्टर का नाम सुनते ही नीतू हेरानी से रीमा को देखती हुई बोली ... क्या हुआ है रोहन को ?
रीमा की आँखों से आंसू बहने लगे और वो बोली ... पता नहीं उनको अचानक दिखाई देना बंद हो गया ,,,
नीतू भी रीमा की बात सुन कर सकते में आ गयी और वो बोली .... अरे ये क्या हुआ ...चल तू रोहन के पास जा में ऑटो ले कर आती हूँ
इस वक़्त रीमा का दिमाग कुछ भी सोचने समझने की स्तिथि में नहीं था इसलिए उसने नीतू से कुछ नहीं कहा और वो वापिस अपने
घर की और भागी चली गयी ,
रीमा ने घर जा कर देखा तो रोहन अभी भी वैसे ही बेठा था जैसे वो उसको छोड़ कर गयी थी रोहन को अब भी रीमा नहीं दिखाई
दे रही थी .. वो अपने हाथ को इधर उधर करके ही रीमा को बुला रहा था ,,, रीमा ने रोहन का हाथ पकड़ा और बोली
आप बिलकुल भी मत घबराइए ऑटो आ रहा है हम अभी डॉक्टर के पास चल रहे है सब ठीक हो जायेगा
इसी बीच नीतू ऑटो ले कर आ गयी और फिर रीमा और नीतू ने रोहन को ऑटो में बेठा दिया और डॉक्टर के पास चल दिए
नीतू के साथ होने से रीमा को थोड़ी हिम्मत मिल रही थी इसलिय वो उसको भी अपने साथ ले जा रही थी
और फिर जब वो डॉक्टर के पास पहुंचे तो

 डॉक्टर ने रोहन का चेक अप करने के बाद जो कहा वो सुनकर रीमा हक्की बक्की रह गयी
डॉक्टर ने कहा ....
इनको आँखों की कोई परेशानी नहीं है लेकिन मुझे डाउट है की प्रॉब्लम इनके दिमाग की किसी नस में है
शायद कोई नस ठीक से अपना काम नहीं कर रही इसलिय बेहतर यही होगा की आप इनको किसी अच्छे हॉस्पिटल में ले जाए
एक बात और.......इस काम में बिलकुल भी लापरवाही नहीं होनी चाहिए क्योकि ऐसे केसेस में जरा सी भी लापरवाही की वजह से
मरीज की जान को खतरा हो सकता है ,,
अपनी बात कहकर डॉक्टर तो चला गया लेकिन रीमा तो जैसे किसी पत्थर का बुत बन गयी थी
उसको समझ ही नहीं आ रहा था की ये सब हो क्या रहा है ...उसको तो मानो ये सब किसी भयानक सपने के जैसा लग रहा था
काश ये सपना ही होता तो कितना अच्छा होता लेकिन अफ़सोस ये सपना नहीं था बल्कि ये तो एक साक्षात हकीकत थी
जो रीमा की परीक्षा लेने एक बार फिर से उसके सामने मुंह फैलाये खड़ी थी .....
नीतू ने रीमा के कंधे को झिंझोड़ते हुए कहा ..... तूने सुना नहीं डॉक्टर साहब ने क्या कहा है ...
रीमा ने नीतू की और ऐसे देखा जैसे उसको अभी भी कुछ पता न चला हो की ये सब क्या है ..
नीतू ने इस बार रीमा के गाल को थपथपाते हुए कहा .... तू ठीक तो है न ?
इस बार रीमा ने कहा ;; हाँ भाभी मेने सुना लेकिन मुझे कुछ नहीं पता की अब इनको किस हॉस्पिटल में लेकर जाना है
नीतू भी शायद रीमा की तकलीफ को समझ रही थी उसने कहा ....
मुझे पता है ......यहीं पास ही में एक हॉस्पिटल है और वहां की एक नर्स भी मेरी जान पहचान की है
हम रोहन को वहीँ ले चलते है ,,
और वो दोनों एक बार फिर से रोहन को लेकर हॉस्पिटल की और चल दिए ........
लेकिन ये क्या यहाँ आ तो गए थे लेकिन यहाँ के डॉक्टर ने रोहन को देखते ही कहा
हमे इनके कुछ जरूरी टेस्ट करवाने है इसलिए आप फिलहाल २० हज़ार एडवांस जमा करवा दीजिये ,,
डॉक्टर की बात सुनते ही रीमा और नीतू दोनों एक दुसरे का मुंह ताकने लगे ....
क्योकि रीमा तो घर में जितने भी पैसे रखे थे वो सब ले आई थी लेकिन वो सब मिलाकर सिर्फ ४००० थे
और रहा सवाल नीतू का तो उसके पर्स में भी २००० थे मतलब कुल मिलकर उन दोनों के पास सिर्फ ६०००
रूपए ही थे और जमा होने थे २०००० ....अब क्या हो ?

नीतू ने अपनी पहचान वाली नर्स से बात करी तो उसने जो कहा वो सुनकर तो रीमा की रही सही हिम्मत
भी टूट कर बिखर गयी ....
उसने रीमा से कहा .... मुझे कहना तो नहीं चाहिए लेकिन नीतू मेरी दोस्त है इसलिए में आपको बता रही हूँ
आप लोग यहाँ गलत आ गए हो क्योकि यहाँ तो सिर्फ वही लोग आते है जिनके लिए पैसा सिर्फ कागज़ के टुकड़े
की तरह होता है ....और अगर आपने आज कहीं से इंतजाम करके पैसे जमा भी करवा दिए तो कल क्या होगा
क्योकि यहाँ तो आपका मरीज जब तक एडमिट रहेगा आपको रोजाना ऐसे ही पैसे जमा करवाने पड़ेंगे
आज बीस हज़ार तो कल ५० हज़ार और परसों एक लाख भी हो सकता है ,,
रीमा ने बड़ी ही दर्द भरी आवाज में उस नर्स से कहा ....
फिर आप ही बताओ की में क्या करूँ ?कहाँ जाऊ इनको लेकर ?
शायद वो नर्स भी रीमा की हालत देख कर उसपर तरस खाने लगी थी उसने कहा ....
मेरी राय में आप ऐसा करो इनको ले कर किसी सरकारी हस्पताल में चली जाओ
वहां आपका पैसा भी कम खर्च होगा और इलाज़ भी ठीक से हो जायेगा ....
लेकिन मेने आपको जो भी कहा है वो सिर्फ अपने तक ही रखना नहीं तो मेरी नौकरी को खतरा हो सकता है ,,
कहती हुई वो नर्स भी चली गयी और अब नीतू और रीमा दोनों ही सोच में पड़ गए ,,
लेकिन कुछ न कुछ तो करना ही था इसलिए एक बार फिर से वो दोनों रोहन को सरकारी हस्पताल में ले गयी ...
लेकिन कहते है न की बुरा वक़्त जब आता है तो मुश्किलें हर दिशा से आनी शुरू हो जाती है
यहाँ ही कुछ ऐसा ही चल रहा था ....
क्योकि यहाँ आने के बाद रोहन के टेस्ट डॉक्टर ने बेशक कर लिए थे लेकिन टेस्ट करने के बाद उसने जो कहा
वो रीमा के लिए हिमालय की चोटी पर जाने के बराबर था ,,
डॉक्टर ने कहा ..... हमने बेसिक टेस्ट करके देख लिया है इनके दिमाग की एक नस से खून रिस रहा है
और रिस रिस कर खून का जो थक्का दिमाग में बन चूका है उसकी वजह से इनको दिखाई देना बंद हो गया है
अगर अगले २४ घंटो में इनका ऑपरेशन नहीं हुआ तो फिर इनकी जान दुनिया का कोई भी डॉक्टर नहीं बचा सकता ,,
डॉक्टर की बात सुनते ही रीमा बहुत ज्यादा घबरा गयी उसने डॉक्टर से कहा ....
लेकिन डॉक्टर साहब ये तो बताइए की इनके ऑपरेशन में कितना खर्चा आएगा
डॉक्टर ने कहा
सब मिला जुला कर करीब २ लाख का खर्चा हो जायेगा लेकिन इन २ लाख का इंतजाम अगले २४ घंटे में ही करना पड़ेगा
क्योकि उसके बाद फिर कुछ नहीं हो सकता ....इस बात को ध्यान रखियेगा ,,
ये बात कहता हुआ डॉक्टर तो चला गया
लेकिन डॉक्टर की बातो को सुन कर रीमा को तो मानो जैसे कोई सदमा सा लग गया था
वो बेंच पर अपना सर पकड़ कर बेठ गयी और उसकी आँखों से आंसू बहने शुरू हो गए
रीमा की ये हालत देख कर नीतू ने कहा ....
रीमा तू यहाँ बेठ कर रोना बंद कर और पैसे का इंतजाम कहाँ से करना है ये सोच
रीमा के पास शायद नीतू की किसी बात का कोई जवाब नहीं था इसलिए वो सिर्फ नीतू को देखती ही रही
नीतू ने रीमा के बहते आंसुओ को पोंछ कर बड़े ही प्यार से कहा ...
में समझ सकती हूँ रीमा की इस वक़्त तेरे ऊपर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है लेकिन ये वक़्त ऐसे बेठने का नहीं है
क्योकि अगर अगले २४ घंटो में रोहन का ऑपरेशन नहीं हुआ तो .... नीतू ने अपनी बात को अधुरा छोड़ दिया ,,
रीमा पूरी तरह से टूट चुकी थी वो नीतू के कंधो पर अपना सर रख कर बेहताशा रोने लगी....
नीतू उसकी पीठ पर हाथ फेरती हुई उसको तस्सली बेशक दे रही थी लेकिन वो दोनों ही शायद इस बात को
अच्छी तरह से जानती थी की अब ऐसी तस्सली से कुछ हासिल होने वाला नहीं है ,,
रीमा ने नीतू से कहा .... भाभी आप तो हमारे हालातो को अच्छी तरह से जानती हो और ये भी जानती हो की
में दुनियादारी से भी बिलकुल अनजान हूँ इसलिए अब इस संकट की घडी में सिर्फ आप ही मेरी मदद कर सकती हो
प्लीज अब आप ही मुझे कोई रास्ता बताओ ,, कहती हुई रीमा नीतू की गोद में अपना सर रखकर फिर से सुबकने लगी ,,
एक गहरी साँस लेकर नीतू ने कहा ...
हाँ रीमा में सब कुछ जानती हूँ मगर अफ़सोस की इतनी बड़ी रकम जुटाने में तेरी मदद में भी नहीं कर सकती
क्योकि इतना तो तू भी जानती है की २ लाख कितनी बड़ी रकम होती है ,,
बात अगर १० -२० हज़ार तक होती हो में तुझे कैसे भी करके नहीं न कही से पैसो का इंतजाम कर देती लेकिन
इतनी बड़ी रकम का इंतजाम करना तो मेरे लिए नामुमकिन बात है ,,
रीमा भी इस बात को जानती थी की नीतू गलत नहीं कह रही उसकी बात सोलह आने सच है ...लेकिन
रीमा ने फिर से कहा ... भाभी क्या आप ये पैसे मुझे कहीं से लोन नहीं दिलवा सकती ?
नीतू ने कहा ... दिलवा सकती थी रीमा लेकिन लोन देने वाला लोन के बदले में कोई चीज़ गिरवी भी रखता है
या फिर लोन लेने वाले की साख उसकी नजर में इतनी अच्छी हो की लोन देने वाला उसकी साख पर ही लोन दे दे
लेकिन तेरे पास तो इन दोनों में कोई भी चीज़ नहीं है इसलिए लोन का इरादा तो तू न ही कर तो अच्छा है ,
बल्कि तू अपनी जान पहचान में कोई ऐसा इन्सान सोच जो तुझे ऐसे समय में पैसे दे कर तेरा काम चला दे
और तू उसको बाद में थोड़े-२ करके वापिस कर दे ..........सोच कोई ऐसा इन्सान है क्या तेरी नजर में ?
नीतू की बात सुन कर रीमा सोच में पड़ गयी और फिर जैसे उसको उम्मीद की कोई किरण दिखाई दी हो उसने कहा
हाँ भाभी...... मेरी एक फ्रंड है अनीता .... में उससे बात करती हूँ शायद वो मेरी कुछ मदद कर सके
और फिर रीमा ने नीतू के मोबाइल से अनीता का फ़ोन मिलाया लेकिन अनीता का फ़ोन स्विच ऑफ आने लगा
रीमा ने उदास होते हुए कहा उसका तो फ़ोन ही स्विच ऑफ है अब क्या करू.............
नीतू ने कहा ...................कोई बात नहीं तुझे उसका एड्रेस पता है तो चल हम वहीँ उसके पास ही चलते है ,,
नीतू की बात रीमा को ठीक लगी उसने कहा
हाँ भाभी ये ठीक रहेगा..................... और वो दोनों ऑटो से अनीता के घर की और चल दिए ,,
लेकिन वहां पहुँच कर भी कुछ हासिल नहीं हुआ क्योकि अनीता के घर पर ताला लगा था और पड़ोस वालो ने
बताया की अनीता की माँ का देहांत हो गया है इसलिए सब लोग वहीँ गए है ..........कब आएंगे ये भी पता नहीं,,
रीमा एक बार फिर से निराशा की स्तिथि में आ गयी ....क्योकि वो अनीता के पास बड़ी उम्मीद से आई थी,,
अनीता के घर से वो दोनों जब वापिस आ रहे थे तो रास्ते में अचानक रीमा को समीर की याद आ गयी और
रीमा ने नीतू से कहा ... भाभी एक शख्स और है जो मेरी मदद कर सकता है लेकिन मुझे उसका मोबाइल नंबर नहीं पता ,,,
नीतू ने कहा.......फिर क्या करे ..............तुझे उसका एड्रेस पता है ?
रीमा ने बड़ी मायूसी से कहा ... नहीं वो भी नहीं पता ,,
नीतू ने कहा .... बिना एड्रेस के किसी को इस शहर में ढूंडना बहुत टेडी खीर है ,,
रीमा भी इस बात को अच्छी तरह से जानती थी की नीतू की बात सही है ...
तभी अचानक रीमा को याद आया की उस दिन समीर में एक विसिटिंग कार्ड उसको दिया था और ये बात याद
आते ही रीमा ने अपना पर्स खोल कर देखा तो उसमे उसे वो कार्ड मिल गया कार्ड देखते ही रीमा की जान में
जान आ गयी उसको ऐसा लगने लगा जैसे उसको कोई सौगात मिल गयी है
रीमा ने जल्दी से समीर का नंबर मिलाया लेकिन शायद रीमा के सितारे बहुत ज्यादा गर्दिश में थे क्योकि
उधर से फ़ोन किसी औरत ने उठाया जोकि समीर की माँ थी उन्होंने बताया की समीर की जॉब विदेश में लग गयी है
और वो वहां चला गया है लेकिन वो उसको रीमा का मेसेज जरूर दे देंगी ,,
रीमा के पास न तो अब इस से आगे कुछ कहने की गुंजायश थी और न ही कुछ और कहना उसको उचित लगा
इसलिय ..................अब रीमा के लिए सारे रास्ते बंद हो चुके थे ,,
नीतू ने रीमा से कहा .... यहाँ भी बात नहीं बनी अब सोच और कोई है ?
रीमा ने बड़ी उदासी से अपनी गर्दन को हिलाया और बोली नहीं अब ......अब तो सिर्फ भगवान् का ही सहारा है
और फिर नीतू रीमा को हस्पताल में छोड़ कर वापिस अपने घर चली गयी और जाते -२ कह कर गयी कि वो
थोड़ी देर बाद उसके लिए खाना लेकर फिर से वापिस आएगी ,,
नीतू के जाने के बाद रीमा वहीँ रोहन के बेड के पास ही बेठ गयी ,
रोहन को बेड पर पड़ा देख कर रीमा खुद को रोक नहीं पायी और उसकी दर्द भरी सिसकिया निकलने लगी ..
लेकिन इस वक़्त उसके इस रुदन को सुनने वाला भी कोई नहीं था क्योकि ....
डॉक्टर ने रोहन को नींद का इंजेक्शन दिया हुआ था इसलिए रोहन गहरी नींद में था ....








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