Saturday, November 16, 2013

FUN-MAZA-MASTI शुभारम्भ-28

FUN-MAZA-MASTI

शुभारम्भ-28

 मैडम तो लंड पे सितम करके उतर गयी और मैं चूतिये जैसे उनकी गांड देखने के चक्कर में उतरना ही भूल गया और बस अपने बाप की तो थी नहीं की अपुन जब तक नहीं उतरे बस रुकी रहे..........बस चल पड़ी......मैं खड़ा होकर आगे भागा तो कंडक्टर बोला, "ओ भाई साहब बैठ जाओ गिर जाओगे....."

अब लंड....... गिरना हीबाकि था......कॉलेज निकल गया था और यह भेन्चोद अगले स्टाप तक किसी VIP के लिए भी नहीं रुकने वाला था. मैंने दरवाजे पर खड़े खड़े बाहर देखा, बस इतनी तेज़ भी नहीं चल रही थी की कूद न पाओ..........यूँभी आजकल अपने सितारे तेज़ चल रहे थे....मैं कूद गया.

मेरे पैर ज़मीन पर टिके और अगले ही पल मैं गुलाटी खाता हुआ सड़क पर आ गिरा..........घुटने छील गए.....कोहनी पर रगड़ लग गयी.....इसकी माँ की चूत.....

भेन्चोद बस का कंडक्टर बस के दरवाजे से लटका हुआ मुझे गाली दे रहा था और आज पास खड़े लोग खी खी हँस रहे थे....इनकी माँ का भोसड़ा......गांड के बल गिरने से गांड भी दुखने लगी थी......कोहनी पर छील जाने से हल्का सा खून आ गया था......अपनी चुतियापने पर अपने आप को गाली देते देते मैंने समझ लिया की अब कोलेज को मारो गोली घर ही जाना पड़ेगा.........

ऑटो किया और सीधा घर आया.........घर में लंगड़ाते लंगड़ाते घुसा और माँ को आवाज़ लगाई तो चाची किचन से बाहर आई और मेरी हालत देखकर चिल्ला पड़ी,

"हाय राम लल्ला.......क्या हुआ.........????"

मैंने कराहते हुए कहा, "क क क कुछ नहीं च च चाची........."

"हाय राम.....कुछ नहीं........देखो तो......कितनी लगी है.......कोहनी छील गयी........लंगड़ा भी रहा है.......क्या हुआ रे......बताता क्यों नहीं.....?"

मैंने थोडा और कराहते हुए कहा, " क क कुछ नहीं.....एक्सिडेंट हो गया था......."

चाची बोली, " झूट मत बोल......जरुर किसी से झगडा कर के आया है.........बता....."

अब लंड.......सच बोलो तो इनको झूठ लगता है......मैंने कुछ नहीं कहा......और चेयर पर बैठ कर अपना पैर दूसरी चेयर पर रख दिया......

चाची मेरे पास आई और बोली...."राम.......मुझे दिखा......खून ज्यादा तो नहीं आया........"

एक तो भेन्चोद पूरा अंग अंग दुःख रहा था उसके ऊपर से चाची की पटर पटर बंद ही नहीं हो रही थी.......मैंने कुछ जवाब ही नहीं दिया. चाची निचे फर्श पर उकडू बैठ कर मेरी जींस ऊपर करने लगी........जींस से मेरे छिले हुए घुटने पर रगड़ लगी और मेरे मुंह से चाची के लिए डांट निकलने वाली ही थी की मेरी आवाज़ मेरे गले में ही घुट गयी.

चाची के उकडू बैठने से उनकी साड़ी उनके घुटनों से ऊपर तक उठ कर उनकी दोनों टांगो के बिच इकट्ठी हो गयी थी और रूम की छत पर लगी लाइट का फोकस सीधा चाची की चिकनी जांघों के बिच चुप कर बैठी उनकी चिकनी चमेली पर पड़ रहा था.

भेन्चोद यह औरत चड्डी पहनना कब सीखेगी.

एक झटके में मेरा सारा दर्द गायब हो गया.
जैसे कुत्ता हड्डी देखकर लार टपकाने लगता है वैसे ही मेरा बाबुराव लार टपकाने लगा.........चाची की मुनिया अभी भी चिकनी चपक थी........चाची मेरी जींस ऊपर करने की कोशिश कर रही थी और मैं चाची की मुनिया का दीदार करने की.........

कीड़ा कुलबुलाने लगा था.........

मैंने धीरे से सिसकारी भरी और एक दम जोर से आह कहकर अपने पैर को झटका दिया......

चाची बोली, "हाय राम......दुख क्या लल्ला........मरी तेरी यह पेंट भी तो इतनी टाईट है.........घाव पर बार बार रगड़ मार रही है........राम राम......घुटने पर से तो पेंट भी घिस गयी है......खून आ रहा है और घाव पर मिटटी भी लगी है........इसको धो ले........नहीं तो इनसेक्सशन हो जायेगा......."

दर्द से हाय हाय करते हुए मैंने पूछा, " क्या क्या.......क्या हो जायेगा........"

चाची बोली, " अरे इनसेक्सशन........."

अब मैं समझा......मैंने कहा, "अरे चाची वो इनफेक्शन होता है ना की इनसेक्सशन...........इन"सेक्स"शन का मतलब तो कुछ और ही हो गया ......."

चाची अपनी ऑंखें गोल गोल करके बोली, " हैन........ इनसेक्सशन का क्या मतलब है.......?"

मैंने कुलबुलाते हुए कीड़े को कंट्रोल किया और कहा, " च च च चाची इसका मतलब है..........सेक्स करना........."

चाची गंवार थी पागल नहीं.........उन्होंने हाय बोलकर अपने मुंह पर हाथ रख लिया और खी खी हंसने लगी.........

मैंने भी चूतिये जैसे हंसने लगा मगर मेरी नज़रे अब भी उनकी साड़ी के बीच झांकी उनकी मुनिया पर थी..........चाची ने मेरी नज़रो का पीछा किया और जैसे से निचे देखा उई माँ बोल कर साड़ी से अपनी मुनिया को ढक लीया......

पर्दा गिर चूका था.

किस्मत तो मेरी गधे के लंड से ही लिखी थी मगर उस मादरचोद गधे को जरुर शीघ्रपतन की बीमारी थी........लाइफ में जैसे ही मज़ा आने लगता माँ चुद जाती.

अच्छी खासी लौंडी पटी तो माँ चूदी...........

बस में पास में आकर मैडम बैठी तो माँ चूदी.......

अब चाची की मस्त चिकनी मुनिया दिखी तो फिर से .........माँ चूदी.

मैंने मन ही मन सोचा की बॉस.....अब किस्मत पर भरोसा नहीं......कुछ कोशिश खुद करनी पड़ेगी.

मैंने जोर से आह भरी. चाची घबरा कर बोली, "क्या हुआ लल्ला......? जोर से दुःख रहा है क्या.....हाय राम.....कहीं हड्डी तो नहीं टूट गयी......."

मैंने आह भरते भाते पूछा, "च च चाची.......माँ कहाँ है........"

चाची बोली, "राम.....भाभी जी तो दोपहर से ही मंदिर गए है...........शाम को ही आये शायद......कोई माता जी आई है दिल्ली से.........सत्संग है....."

मैंने फिर हाय कर दी.......चाची बोली, "अरे राम......कहाँ दुःख रहा है बताता क्यों नहीं..........."

मैंने ना में सर हिला दिया.........और उठ कर अपने रूम में जाने के कोशिश करने लगा......अब की बार तो भेन्चोद सच मुच गांड से लेकर पैर तक ऐसा दर्द हुआ की मैं लड़खड़ा गया. चाची ने झट उठ कर मुझे सहारा दिया.......मैंने भी बड़े आराम से उनके गले में हाथ डाल दिया. चाची धीरे धीरे से मुझे मेरे रूम में ले जाने लगी. मैं पूरी तरह अपने वज़न चाची पर डाल कर ही चल रहा था.......मेरा हाथ तो उनके कंधे पर था ही.....मैंने थोडा सा उसको निचे कर के उनके मम्मे के थोडा सा ऊपर टिका दिया.

चाची धीरे से मुझे चला कर रूम में ले जा रही थी और मैं हर कदम के साथ अपने हाथ को निचे लेकर आ रहा था........कुछ ही कदम में मेरा हाथ जन्नत के दरवाजे पर दस्तक दे रहा था. मेरा हाथ उनके मम्मे पर लैंड कर चूका था. अगले कदम पर मैं लड़खड़ा गया और मैंने सहारे के लिए चाची पर झुकते हुए उनके मम्मे को दबोच लिया. चाची एक दम चिंहुक गयी और बोली, "हाय राम.......हाथ थोडा ऊपर कंधे पर रख ना......."

मैंने अनसुना करके चलते चलते फिर उनके मम्मो को धीरे से मसल डाला.......एक दम तने हुए गुब्बारे थे........भेन्चोद.....मेरा बल्लू चाचा पूरा चुतिया है.......
चाची जैसे मेरी बीवी होती तो दबा दबा कर अभी तक रुई के गोले जैसे नरम कर देता......मगर उस गंडमरे को तो दुकान पर गांड मराने से ही फुर्सत नहीं थी.
भोसड़ी का.....शादी के इतने साल बाद एक बच्चा पैदा नहीं कर पाया.

चाची ने अपने कंधे को ऊँचा करके मेरा हाथ अपने मम्मे पर से हटाने की कोशिश की.......मगर मैं तो पूरा फार्म में था........जैसे चुम्बक लोहे कर चिपक जाता है....वैसे ही मेरा हाथ उनके मम्मे पर चिपक गया था......उन्होंने फिर से हटाने की कोशिश की तो मैंने उनके निप्पल जो इतनी सी देर में कड़क हो गए थे......को अणि हथेली से धीरे से रगड़ दिया......चाची के मुंह से तुरंत एक सिसकारी निकल गयी

मैंने भी अनजान बनकर पूछा, "क्या हुआ चाची......."

चाची बोली, " हैन.......कुछ नहीं......व.,....व.....वो.......पैर में बिछिया चुभ गयी...."

हाय रे.......बिछिया......

अब तो मेरा पूरा मुड सेट था......बाबुराव घंटाघर के घंटे जैसा टनटना रहा था.....घर में कोई नहीं था.......आज तो चाची की कह के लूँगा.

अफ़सोस की सफ़र छोटा सा था......रूम में आने के बाद चाची ने मुझे बेड पर बिठा दिया.....हालाँकि मैंने बैठते बैठते भी एक बार चाची के मम्मे को अच्छे से मसल लिया मगर अब मुझे मज़बूरी में बेड पर बैठना पड़ा.

चाची मुझे बेड पर बिठा कर बोली, "ला.....बता कहाँ दर्द है......."

मैंने ना में सर हिलाया और फिर जोर से हाय हाय करने लगा.

चाची बोली, " राम राम.....दर्द से मारा जा रहा है......मगर बता नहीं रहा........बताता है की नहीं......बुलाऊ डाक्टर साहब को......."

अब मैं कोई दूध पीता बच्चा तो था नहीं की " बुलाऊ डाक्टर साहब को " सुनके दर जाता मगर हाँ मेरी इंजेक्शन से बहुत गांड फटती थी...........मैंने सोचा अगर चाची ने डॉक्टर को बुला लिया तो भेन्चोद सीन बिगड़ जायेगा.

मैंने कहा, " न न नहीं.....च...च....चाची.......वो.......मेरे घुटने पर और जांघ पर रगड़ लगी है ना....."

चाची बोली, "अरे तो मरे.......वोही तो कह रही हूँ.........घाव साफ़ करले......."


मैंने कहा, " चाची......मुझसे बैठते तो बन नहीं रहा......साफ़ क्या करूँगा........आप जाओ मैं लेट जाता हूँ........"

चाची झट से बोली, "अरे....राम......बगैर साफ़ करे लेटेगा तो इनसेक्सशन नहीं हो जायेगा........??"

मैंने हाय हाय करते हुए और आहे भरते हुए कहा, " चाची इनसेक्सशन नहीं......इन्फेक्शन, .......................... "

चाची बोली, "फालतू बात छोड़.......अपनी पेंट उतार......."

वाह रे भगवन कामदेव........चल पड़ी.

मैंने कुछ नहीं कहा और धीरे से अपनी जींस का बटन खोला..........और निचे के बटन खोलने लगा.......चाची आंखे फाड़े हुए देख रही थी...

" हाय राम.......तेरी पेंट में चेन नहीं है रे.......चेन की जगह पर भी बटन लगे है.......??????", चाची ने पूछा.

मैंने जींस नीचे करते हुए कहा, "चाची मैं चेन वाली जींस नहीं पहनता.......आपको याद है छोटी बुआ की शादी में मेरी.......चेन में फंस गयी थी."

चाची ने ऑंखें गोल करके हैरानी से पूछा, " क्या फंस गयी थी.......""

मैंने सकपका कर कहा, "अरे.....व.....वो......म....म.....म......मेरी.......नुन्नी........."

चाची जोर से ठहाका मारकर हंस पड़ी.........मैं अपनी अंडरवियर में बेड पर बैठा था और वो मेरे सामने खड़ी थी. उनको इतनी जोर से हंसी आ रही थी की वो आगे झुक गयी थी और उनका हाथ मेरी नंगी जांघों पर टिका था.........वो बेतहाशा हँसे जा रही थी.......उनका पल्लू मौका देखकर तुरंत गिर गया और उनके मम्मे ब्लाउस में से आखें फाड़ फाड़ के बाहर देखने लगे.

पता नहीं की आप लोगों को कभी यह सौभाग्य प्राप्त हुआ की नहीं......मगर कोई औरत ऐसी हालत में आप से सिर्फ कुछ इंच की दुरी पर हो तो उस के जैसा नजारा तो कुतुबमीनार की छत से भी नहीं दीखता.

चाची ने हमेशा की तरह ब्रा पहनी ही नही थी.चाची के मम्मे........दो बेचारे बिना सहारे........इधर उधर डोल रहे थे और मेरी गर्दन भी उनके साथ साथ इधर उधर हो रही थी मानो मैं कोई टेनिस का मेच देख रहा हूँ.

चाची ने अपनी हंसी को कंट्रोल किया और अपना पल्लू सही करने लगी मगर पल्लू भी कामदेव बाबा के कंट्रोल में था. बार बार सरक रहा था.....आखिर चाची ने उसको अपने हाल पर छोड़ दिया और धीरे धीरे से मेरी जींस को उतारने लगी. मैंने भी पूरी एक्टिंग कर रहा था......थोड़ी थोड़ी देर में.....उह....आह.....आउच.....
मगर मेरी नज़ारे चाची के मम्मो से नहीं हट पा रही थी. ठीक ऐसे मानो अकाल का भूखा जिसने रोटी नहीं देखी हो उसके सामने रस मलाई आ जाये. चाची ने मेरी जींस मेरे पैरो से निकल कर साइड में रख दी. और मेरे घावों का मुआयना करने लगी.....और मैं तो उनके मम्मो का मुआयना कर ही रहा था.......

चाची बोली, "लल्ला.......जा के बाथरूम में तेरे घुटने और बाकि चोट की जगह धो ले........"

मैंने चाची के मम्मो को टापते हुए कहा, "चाची......म..म..म..मुझसे तो उठा भी नहीं जायेगा.......मैंने बाद में कर लूँगा......"

चाची बोली, "अरे राम .......इतना दुःख रहा है क्या.....रुक.......मैं बाल्टी लाती हूँ......"

यह कहकर वो उठी और बाथरूम में जाने लगी..........

चाची का पल्लू.........उनके कंधे पर नहीं......ज़मीन पर उनके पीछे घिसटता हुआ जा रहा था. उनके गांड के गोले ऐसे ऊँचे नीचे हो रहे थे जैसे वर्ल्ड कप फायनल में धोनी की बीवी साक्षी बार बार कूद रही थी.

कामदेव भगवन.........आप को ग्यारह का नहीं एक सौ एक का प्रसाद चढ़ाउंगा .


चाची जैसे ही बाथरूम में घुसी...मैंने फटाफट अपनी जींस को निचे सरकाया........ठरक के मारे मेरे दिमाग को दर्द का ज़रा भी एहसास तक नहीं हुआ. जींस निकल कर मैं सिर्फ अपने अंडरवियर में ही बेड पर पीछे की तरफ हाथ टिका कर टाँगे फैला कर बेड के निकर पर बैठ गया........आगे क्या होगा यह सोच सोच कर मेरे रोम रोम में सनन सनन हो रही थी.

चाची बाथरूम से बाल्टी और एक टोवल ले कर आई और मेरे सामने ज़मीन पर बैठ गयी. चाची पालकी मार कर बैठी थी और उनका बेशरम पल्लू पूरी बेपरवाही से निचे ही पड़ा था और उनके गोल गोल मम्मे ब्लाउस में से टुकुर टुकुर मुझे ही देख रहे थे. चाची ने टोवल गीला किया और मेरे घुटने पर लगी चोट पर छुआया..........मेरे मुंह से आह निकल गयी....चाची को लगा की मुझे दर्द हुआ.....बेचारी ने अपने हाथ हटा कर पूछा...

"राम लल्ला......दुखा क्या.......मरी लगी भी तो ज्यादा है......मिटटी तो साफ़ करनी ही पड़ेगी......थोडा जी कट्ठा कर ले....."

अब चाची को क्या बोलता की जी कट्ठा होने की बजाये मेरा बाबुराव कट्ठा होने लगा है. चाची ने फिर से टोवल लगाया.........दर्द तो हुआ मगर एक अजीब से सनसनी भी मेरे बदन में दौड़ने लगी..........मेरी नज़रे बार बार चाची के मम्मो की तरफ जा रही थी. हालाँकि मैं चाची को दो बार ठोक चूका था....मगर वो ऐसे ही जताती थी मानो कुछ भी न हुआ हो.........उनके इस बर्ताव से मुझे थोडा डर भी लगता था......और उसके उपर में गांड फट तो था ही.

मैं चोर नजरो से चाची के बदन को निहार रहा था. और चाची बड़े प्यार धीरे धीरे सहला सहला कर मेरे घावो को साफ़ कर रही थी.

कीड़ा कुलबुलाने लगा ......

मैंने अपनी टांगो को और फैला लिया और चाची से कहा....." च च चाची.....म.मम....मेरी.......जांघ पर भी लगी है........"

चाची ने अपना ध्यान मेरी जांघ पर फोकस किया और उनकी नज़र सीधी मेरे तने हुए तम्बू पर जा पड़ी.

चुदाई की दुनिया का दस्तूर है की ढीले लंड और सूखी चूत का कोई ग्राहक नहीं होता........

मगर मेरा बाबुराव तो माशा अल्लाह पूरा तना हुआ था और मुझे यकीं था की बाबुराव को देखते ही चाची की मुनिया भी लार लपकने लगी होगी.

चाची ने कुछ सेकण्ड तो मेरे खड़े बाबुराव को देखा जो अंडरवियर के अन्दर कसमसा रहा था.....फिर उन्होंने अपना ध्यान मेरी चोट की तरह लगा लिया.......

चाची आगे झुक कर मेरे घावो को साफ़ कर रही थी.......उनकी गरम गरम सांसें मेरी जांघों की संवेदनशील चमड़ी पर टकरा रही थी और उनके मम्मे सामने से दबने के कारण ब्लाउस के अन्दर से उफन उफन के बाहर आ रहे थे. मेरे दिमाग में येही कीड़ा कुलबुला रहा था की कैसे चाची की लूँ.....

चाची के मम्मे देख देख कर मेरी हालत टाईट पर टाईट होती जा रही थी............क्या करू और कैसे करू मेरी समझ में नहीं आ रहा था......इच्छा तो हो रही थी की चाची को पकड़ के बिस्तर पर पटक के चोद डालू मगर मेरी फटती हुयी गांड का क्या इलाज.....?

मेरी परेशानी बाबुराव ने दूर कर दी.......उसने अपने मुंह अंडरवियर से थोडा सा बाहर निकल लिया. और तभी चाची ने कुछ कहने के लिए अपने मुंह ऊपर किया और अपुन के सिपाही ने अंडरवियर के इलास्टिक में से अपने मुंह बाहर निकाले हुए चाची को सलाम ठोंक दिया.

चाची की ऑंखें गोल की गोल ही रह गयी. अब मेरी गांड भी फट रही थी और मुझे हंसी भी आ रही थी. चाची का मुंह बाबुराव से मुश्किल से 6 -7 इंच की दुरी पर था.
चाची चाहती तो मेरी अंडरवियर को निचे कर के गप्प से बाबुराव को अपने मुंह में ले सकती थी
मगर इंसान जैसा सोचे अगर वैसा ही होने लगे तो बेचारी हर कोई अपनी पड़ोसन को ठोक ले
केटरीना की चुत का भोसड़ा सेकंडो में बन जाए, अंबानी दिवालिया हो जाये और अपना पप्पु पास हो जाये



मैने भी सोचा की चलो देखते है की होता क्या है ?

चाची ने बाबूराव को तिरछी नज़र से देखा और पूछा, "क्यो रे लल्ला.......ये तो बता की तू बस से गिरा कैसे ?? हैं.....इधर उधर छोकरियों को टाप रहा था क्या रे.......? मारी आजकल को छोरिया भी तो बेहया बन के घूमती हैं......वो सामने वाले जैन साहब की छोरी का दुपट्टा देखो जरा......सुबह झाडू लगती हैं तो पूरा गिर जाता हैं........बेहया को कोई होश ही नही रहता......उसका पड़ोसी वो कपूर.......६० साल का होगा......अपनी बेटी की उमर की लड़की को ऐसे घूरता है जैसे की वहीं पर चो..... "

चाची एक दम से रुक गयी.......हाय चाची बोल ही देती.......

 चाची ने अपना मुंह नीचे कर लिया.......

अपुन का बाबुराव तो फुल फार्म में था.....थोड़ी हिम्मत की...

"चाची......वो कपूर अंकल क्या.......कर देते.....", मैंने धीरे से पूछा.

चाची ने टोवल पटका और गुर्राई " अरे राम......बेहया......मेरी तो जबान फिसल गयी थी......बेशरम क्या सुनना है तुझे......तू भी भूखे कुत्ते की तरह उसको देखता हैं.....आने दे तेरी माँ को आज"

अपनी गांड की फटफटी चल निकली....

"म...म....म.....म......मेरा......म....म....मतलब.....व्...व्...वो नहीं था........म......मेरा......म.....मतलब था की.......वो........मैं...........", मैं हकलाया. मेरी फूल फट चुकी थी.

चाची बोली, " हाँ ... हाँ.....बोल.....हरामी.....फालतू बातों के अलावा कुछ सूझता नहीं क्या.....
मुझे तो लगता है....की बस से भी किसी छोकरी तो टापते टापते गिरा होगा......"

अब मैं क्या बोलता.....की चाची छोकरी नहीं.....कुदरत का नायब नमूना था.....शानदार मुजस्सिमा था.

मैंने बात संभाली, " न...न.....नहीं चाची......आप.....गुस्सा क्यों हो रही हो........म...म....मैं.....तो..."

चाची ने बात काटी, "ठीक है ठीक है......वैसे भी जैन साहब की लड़की में देखने लायक कुछ है भी नहीं......, मरी लकड़ी जैसी दुबली पतली तो है......जाने अपने पति को कैसे खुश रखेगी.....पता नहीं राम.....शायद आज कल के लड़के भी ऐसी दुबली पतली लडकियों को ही पसंद करते है"

चाची ने बोल्लिंग शुरू कर दी थी....अब मुझे भी क्रिस गेल के जैसा खेलना था.

मैंने प्लेट किया, "चाची.....ऐसी नहीं है......लड़के तो भरी पूरी......म...म....म....मेरा मतलब है की तंदुरुस्त लडकिय ही पसंद करते है......"

चाची ने गुगली डाली, "छोड़ रे लल्ला.......मुझे देख.......थोड़ी सी मोटी क्या हुई ...तेरे चाचा तो मुझे देखते तक नहीं....."

ये कहकर चाची ने मेरी जांघ के जोड़ पर.......जी हाँ जनाब.....मेरे गोटों पर टोवल रगड़ दिया.

दिल की धड़कन तुरंत 200 हो गयी.......मैंने बोलने की लिया मुंह खोला.....मगर ठरक से मेरा गला सुख गया था.....भेन्चोद आवाज़ ही नहीं निकली......मैंने थूक गटका....और बल्ला घुमाया.

"अरे....च....च....चाची......आप भी कैसी बात करती हो.......आप.....क....क....कहाँ मोटी हो....."

चाची ने ऑंखें नचाई और बोली, "चल अब रहने दे.....मुझे सब पता है......उस दिन तो हाथ लगा लगा कर बता रहा था.....की मेरे कुल्हे मोटे है......और जाने क्या क्या "

चाची ये कहते कहते आगे झुक गयी और उनके मम्मे अपना सर ब्लौस में से निकलने लगे......
अपुन का बाबुराव तो पहले से ही थोड़ी से मुंडी अंडरवियर में से निकल चूका था.

आज तो IPL 20 -20 होके रहेगा .

चाची की नज़ारे बाबुराव पर पड़ी.

"हाय राम.....देखो तो बेशरम......अन्दर कर इसको...."

"च...च....च....चाची अन्दर ही तो है......", मैंने चाची को उकसाया.

चाची अपनी निगाहें बाबुराव पर जमाये हुए बोली, " हैं....कहाँ से अन्दर है......बेशरम....लल्ला......तू बहुत बदतमीज़ हो गया है.........अन्दर कर इसको"

अब तो जो होगा देखेंगे.....

"च...च...चाची......सची में और अन्दर नहीं होगा......जब यह.....ख.....ख....खड़ा होता है तो बाहर ही निकल आता है."

चाची बाबुराव को ऐसे देख रही थी जैसे बिल्ली मलाई को देखती है.

चाची ढिठाई से बोली, "राम.....अंदर कैसे नहीं होगा......ठहर......टांगे फैला तो"

चाची बाबुराव को खुद.....अपने हाथ से............... अंडरवियर में डालने वाली थी.

















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