FUN-MAZA-MASTI
एक अजीब सा उन्माद--7
कांता नहा धो कर तयार हो जाती है और ड्रॉयिंग रूम में जा कर बैठ जाती है. वह एक गहरी सोच में डूब जाती है, उसकी आँखों से आँसू बहने लगते हैं. पता नहीं इंदु क्या सोचेगी मेरे बारे में. अपनी ममता के हाथो मजबूर हो कर यह मेने क्या कर दिया?. क्या इंदु के दिल में उसके लिए वोही इज़्ज़त होगी या नहीं?. क्या वह अपनी बेटी से नज़रें मिला पाएगी या नहीं?. कितने जतन से उसने कितना त्याग कर के प्यार, भरोसे, और एक आदर की इमारत बनाई थी. आज उसे सब कुछ ढेहता हुआ महसूस हो रहा था.
इन्ही विचारों में खोई हुई उसे पता ही ना चला के कब इंदु नहा धो कर तयार हो गई और चाय बना के ले आई, आज इंदु का चेरा खिला हुआ था, आँखों मे शर्म और हया की लाली थी.
बहुत ही सकुचाते हुए वह अपनी मा को आवाज़ देती है “ मा चाय”
कांता अपनी सोचों के बवंडर से वापिस आती है और इंदु की तरफ देखती है.
उसकी आँखों में अब भी आँसू थे. भरे हुए गले से “ बेटी हो सके तो मुझे माफ़ कर दे, मेरे बारे में कुछ ग़लत ना सोचना”
इंदु “ मा यह तुम क्या कह रही हो, और रो क्यूँ रही हो”
काँटा : “ बेटी आज सुबह जो कुछ भी हुआ …. वो वो….
इंदु : शरमाते हुए- “ कुछ मत सोचो मा, तुमने कुछ बुरा नहीं किया, मेरे लिए तो तुम अब और भी ज़्यादा पूजनीय हो गई हो” “ चलो चाय पियो और मुझे अपने कॉलेज की और बाते बताओ” इंदु बातों का रुख़ मोड़ती है ताकि उसकी मा अपनी ग्लानि से बाहर निकल सके.
“ बताओ ना मा, मेने आज की सब अपायंट्मेंट्स कॅन्सल कर दी हैं, आज में सारा दिन तुम्हारे साथ रहूंगी” इंदु चेहरे पे नटखटपान लाते हुए बोलती है.
कांता एक सकूँ की साँस लेती है, उसके दिल का गुबार हल्का हो जाता है , चेहरे पे हसी आ जाती है और वह अपनी बेटी को गले लगा कर अपनी ममता लुटाने लग जाती है.
इधर कामया जब सो कर उठती है तो अपने पति को साथ में सोया हुआ देखती है. उसे रात में राजीव का कॉल याद आ जाता है और चेहरा शर्म से लाल हो जाता है.
“ है राम, राजीव क्या सोच रहा होगा, उसके माता पिता संभोग में लिप्त थे जब उसने फोन किया, कैसे उसे फेस करूँगी जब वो वापिस आएगा- सिर्फ़ हेलो की आवाज़ सुनते ही वो ताड़ गया था और फटा फॅट बोल कर फोन काट दिया” कामया को रात की अपनी चुदाई याद आ जाती है , किस तरहा राजीव के फोन आने के बाद वह और भी उत्तेजित हो गई थी, किस तरहा उसकी चूत ने ढेरों पानी बहाया था, उसका पति भी उसके ओर्गसम की तीव्रता से हैरान हो गया था. ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था.
यह क्या उसकी चूत गीली होने लगी, हे राम यह मुझे क्या हो रहा है. वह अपने पे कंट्रोल करती है और बाथरूम में घुस जाती है.
त्यार हो कर कामया अपने पति को उठाती है और किचन में चली जाती है, तब तक नेहा भी नीचे आ जाती है.
कामया : गुड मॉर्निंग बेटा , नींद तो अच्छी आई.
नेहा : गुड मॉर्निंग मों. चाय तयार हो गई?
कामया : हान बेटा बस थोड़ी देर में, तू चल में अभी लेकर आई, और हान तेरे चहेते भाई का फोन आया था रात को, ठीक ठाक है आज दुपहर में फोन करेगा.
नेहा : भाई, का फोन आया था ! उसने मुझे क्यूँ नहीं किया, भूल गया है मुझे.
कामया : नहीं बेटा, रात बहुत हो गई थी और तब तक तू सो गई होगी. कल ही उसे सिम कार्ड मिला है .
नेहा : छोड़ूँगी नहीं, वापिस तो आने दो.अच्छा मा जल्दी चाय दो मुझे आज जल्दी तयार हो कर कॉलेज जाना है.
ज़रा जॉर्डन में देखते हैं क्या हो रहा है.
यहाँ जॉर्डन में सुबह सब तयार हो चुके थे और ब्रेकफास्ट टेबल पर बैठे हुए थे. आज राजेश के ग्रूप को डेड सी जाना था, वह चाहता तो प्रोफ गेरहार्ड का प्रोग्राम अपने प्रोग्राम की तरहा बदल देता पर उसे ऐसा नहीं किया.
वह अपने और केथ के बीच में अब गॅप लाना चाहता था. राजेश अपने ग्रूप के साथ बैठा हुआ ब्रेकफास्ट कर रहा था उसे जोक्स सुना सुना कर सबको हसा रहा था, पर मीनाक्षी के चेहरे पर कोई हसी नहीं थी, उसका चेरा बुझा हुआ था, सॉफ पता चल रहा था की रात को वो बहुत रोई थी, उसने मेकप में अपने चेहरे को बहुत खुशनुमा बनाए की भरसक कोशिश करी थी पर सफल नहीं हो पाई. सारा ग्रूप उसे देख रहा था एक दो ने पूछा भी तो उसने टाल दिया.
ब्रेकफास्ट करने के बाद राजेश प्रफ़ गेरहार्ड की टेबल की तरफ चला गया. केथ की मा उसे दिल खोल कर गले मिली और उसके कानो में हल्के से “ थॅंक्स” बोल दिया” अपनी बेटी की चाल देख कर उसे पता चल गया था की राजेश अपने प्रॉमिस पर खरा उतरा था. राजेश की इज़्ज़त अब केथ की मा के दिल में बहुत ही ज़यादा बॅड गई थी, केथ की तो नज़रें राजेश से हट ही नहीं रही थी. राजीव भी राजेश का अनुसरण करते हुए वहाँ पहुच गया था और उसने सब को विश किया. सब ने उसके विश का जवाब दिया, वह जूली को देख रहा था जो उसे कोई भाव नहीं दे रही थी. उसके लिए तो राजीव एक हॅमबर्गर की तरहा ही था, कल जब भूख लगी थी तो खा लिया. इस से ज़यादा राजीव का कोई वजूद नही था जूली की आँखों में. राजीव के लिए जूली का उसे अवाय्ड करना काफ़ी प्रशणात्मक था, उसके चेहरे पर हैरानी सॉफ झल्क रही थी.
इधर केथ उठ कर राजेश के गले लग जाती है और अपनी फॅमिली के सामने ही स्मूच करने लगती है “ विल मिस यू ए लॉट , डू कॉल मी वेनेवर यू आर फ्री” केथ उसके कानो में बोलती है.
उनका गाइड आ गया था और प्रोफ गेरहार्ड खड़े हो जाते हैं. राजेश सबसे हाथ मिलता है और विदाई लेता है. प्रोफ गेरहार्ड उसे गले लगा लेते हैं और अपने घर इन्वाइट करते हैं. जूली भी जाते वक़्त राजेश के गले लग जाती है, उसे अपनी बहन की पसंद पर नाज़ था. एक भावभीनी विदाई के साथ वो लोग चले जाते हैं.
राजेश का ग्रूप भी इधर चलने को तयार था. वह लोग अपनी कोच में बैठ जाते हैं. डेड सी तक का सफ़र 2 घंटे में ख़तम हो गया. इनका अरेंज्मेंट एक बहुत ही आचे 5* होटल में हुआ था जो बिल्कुल डेड सी के किनारे था और उसका एक प्राइवेट बीच था.
सब लोग अपने अपने कमरे में जा कर अपना अपना समान संभालते हैं, राजेश स्विम्मिंग कॉस्ट्यूम पह्न कर नीचे आ जाता है और बीच की तरफ चल देता है. डेड सी का पानी बहुत ही नमकीन और तेल जैसा था, इसमे कोई जीव जन्तु पल नहीं सकता था इसीलिए इससे डेड सी कहते हैं. सामने देखो तो इज़्रेल और पॅलेस्टीन के झंडे सॉफ दिख रहे थे . डेड सी का पानी बहुत ही मेडिसिनल इंपॉर्टेन्स रखता था और इसमें नहाने से काफ़ी स्किन की बीमारियाँ दूर हो जाती हैं.
राजेश समुद्रा में जा कर पानी की स्ताः पर तैरने लगता है. जी हान जिससे तैरना नहीं भी आता वो इस पानी में फ्लोट ही करेगा डूबेगा नहीं.
दो रातों से राजेश ने बहुत धैर्य रखा हुआ था आज उसे अपने शिकार की तलाश थी.
चलिए ज़रा कांता के पास चलते हैं .
राजेश अपने कमरे में बिस्तर पर लेट जाता है और कुछ यादों में खो जाता है, यह याद्देन वही हैं जिनकी वजह से राजेश ने इतनी पीनी शुरू कर दी थी. उसके साथ कुछ ऐसा हुआ था जिसने उसके वजूद को हिला कर रखा हुआ था और वह पी पी कर अपने आप को सज़ा देता था. पीते पीते वह टेंकर बन चुका था पर यह याद्देन उसका पीछा नहीं छोड़ती थी, ऐसा क्या हुआ था उसके साथ यह सिर्फ़ वही जानता था और किसी को इसके बारे में भनक तक नहीं थी. उसका दिल उदास रहता था पर वह हमेशा अपने चेहरे पे हँसी रखता था, उसके दिल का यह दर्द उसे अंदर ही अंदर खाए जा रहा था.
लंच का टाइम हो जाता है और राजीव उसे बुलाने चला आता है, वह पहले भी आया था पर तब तक राजेश वहाँ से गायब हो चुका था, रूम की बेल सुनके राजेश अपनी यादों से वापिस आटा हैं, बाथरूम जा कर अपना फेस वॉश करता है और चेहरे पर फिर वही मनमोहक हँसी लेकर दरवाजा खोलता है, सामने राजीव खड़ा था.
“ अबे कहाँ गायब हो जाता है तू, चल नीचे सभी तेरा लंच के लिए इंतेज़ार कर रहे हैं. “
राजेश कुछ नहीं बोलता और रूम बंद कर राजीव के साथ चला जाता है.
राजेश जब नीचे पहुँचता है तो मज़े से खिल उठता है वो दोनो फुलझड़ियाँ अपने परिवार के साथ इन्ही की साथ वाली टेबल पेर बैठी हुई थी.
राजेश इस तरहा बैठता है की उसकी पीठ उनकी तरफ होती है. सभी आपस में हसी मज़ाक कर रहे थे, मीनाक्षी अपनी गर्दन नीचे करे राजेश को छुपी निगाहों से देखती रहती है. उसका चेहरा अभी भी सुबह की तरहा उदास था.
राजेश बाते करते हुए , चलो यार लोगों आज तुम्हें एक रोमॅंटिक इटॅलियन गाना सुनता हूँ , सभी तालियाँ बजा कर उसका स्वागत करते हैं. ग्रूप में से एक बोलता है, गुरु गाने के बाद उसका मतलब भी समझा देना. यह गाना बहुत ही पुराना रोमॅंटिक गाना था जो शायद आज की इटॅलियन पीडी जानती तक ना थी.
राजेश एक प्रोफेशनल सिंगर की तरहा गाने लगता है, वह अपनी आवाज़ इतनी रखता है के उसके पीछे बैठ हुई फॅमिली आसानी से सुन ले.
गाना ख़तम होता है तो वो फॅमिली इस गाने की धुन में खो जाती है और जिस तरन्नुम से राजेश यह गाना गाता है उसके ग्रूप के साथ साथ वह फॅमिली भी तालियाँ बजाने लगती है.
उन लड़कियों का पिता उठ कर राजेश के पास आता है और आज की दोपहर को हसीन बनाना के लिए उसे दिल से धन्यवाद करता है और लंच के लिए अपनी टेबल पर इन्वाइट करता है.
कांता और इंदु लंच कर रहे होते हैं की कामया का फोन आता है.
कांता : हाइ मेरी बन्नो , कैसे याद किया.
कामया : यार तुझसे बहुत ज़रूरी बात करनी है.
कांता : तो कर ना मेरी जान किसने रोका है.
कामया : अरे फोन पर नहीं ,कब मिल सकती है.
कांता : कोई और पटा लिया है क्या, लगता है जीजू से दिल भर गया. ( कांता जान भुझ कर इंदु के सामने ऐसी बाते कर रही थी)
कामया : पागल है क्या, कुछ भी बोल देती है. कब मिल रही है.
कांता : यार में अपने नये पार्ट्नर के साथ लंच कर रही हूँ. 1 घंटे के बाद घर पर ही हूँगी.
कामया : कयययययययययाआआआअ ! नया पार्ट्नर !!!!!!! यह क्या बक रही है.
काँटा : यार वो तो कान्फरेन्स पे चले गये, अब में क्या करती , सो नया पार्ट्नर बना लिया.
कामया : शर्म नहीं आती , इस उम्र में ऐसे हरकत कर रही है, तोबा तोबा
कांता : अरे मेरी जान इसमें शर्म की क्या बात है, तू तो रोज़ मज़े ले रही है और में यहाँ क्या दीवारें देखा करूँ, अभी भी जवान हूँ ,कमसिन बदन है, जब कसक उठती है तो बर्दाश्त नहीं होती.
कामया : हे भगवान , क्या हो गया है तुझको, बचे जवान हो चुके हैं शादी करने लायक और तुउुुुउउ
कांता : खिलखिला कर हस्ते हुए, “अरी बन्नो परेशान मत हो, में तो मज़ाक कर रही थी- चल मिलते हैं फिर बातें करेंगे, बहुत दिन हो गये तुझसे मिले हुए” और कांता फोन काट देती है
इंदु हैरानी से अपनी मा को देखने लगती है, कांता उसे आँख मरते हुए
कांता : क्यूँ तू मेरी नयी पार्ट्नर नहीं बन गई , अब तो तू मेरी बेटी भी है और दोस्त भी.
इंदु के चेरे पर हसी आ जाती है और थोड़ी शर्म भी
काँटा : हाए क्या कहने तेरी इस शर्म के, काश में लड़का होती.
इंदु : झेंपते हुए “ माआआअ प्लीज़ “
कांता : यार कैसी दोस्त है तू , थोड़ा मज़ाक भी नहीं सह्न कर सकती.
इंदु : अच्छ बाबा सॉरी सॉरी.
कांता : ह्म्*म्म्म यह हुई ना बात.चल जल्दी लंच ख़तम कर, तेरी कामया आंटी आने वाली है.
इंदु : कामया आंटी, इतने दीनो बाद, सब ठीक तो है.
कांता : भाई उसे कुछ परेशानी है, देखते हैं क्या बात है.
इधर जॉर्डन में राजेश अपनी टेबल से उठ कर इटॅलियन फॅमिली के पास जा कर बैठ जाता है. दो शक्स उसे घूर रहे होते हैं राजीव और मीनाक्षी. दोनो के चेहरे पे गुस्सा और जलन सॉफ सॉफ दिख रही थी.
लड़कियाँ तो कयामत थी हीं, उनकी मा भी किसी शोले से कम ना थी. तीन तीन हसिनाओं के बीच राजेश कृष्ण कन्हिया से कम नहीं लग रहा था क्यूंकी उसका व्यक्तितिव अपने होस्ट से कहीं अधिक करिज़मॅटिक था. राजेश को उनके साथ हंस बोलता देख कर राजीव की तो झांटें ब्राउन हो गई थी. कामदेव का अवतार राजेश तीनो पर ही अपना जादू चला रहा था, तीन तीन चूत एक साथ गीली हो रही थी और पेड्रो उस फॅमिली का हेड भी उसके जादू से नहीं बचा था. वह अपनी बीवी को देखे ही जा रहा था , आज तो उसकी बीवी की ज़रूर शामत आने वाली थी. राजेश का गाना था ही बहुत रोमॅंटिक असर तो होता ही.
लंच ख़तम होते ही पेड्रो ने चांपैगने की बॉटल मंगा ली , वह आज की दोपहर को सेलेब्रेट करना चाहता था . पेड्रो का एक्सपोर्ट का बिज़्नेस था , उसकी बीवी और उसकी बेटियाँ तीनो ही डॉक्टर थे. कर लो बात, एक डॉक्टर से पीछा अभी छूटा ही था की तीन और गले पड़ने वाली थी.
राजीव उनको ही घुरे जा रहा था, अचानक उसे याद आता है की उसे घर फोन करना था. रात को तो बात कर ही नहीं सका था. और उसकी आँखो के सामने उसकी मा की खूबसूरत देह लहरानी लगती है. “सला यह मुझे हो क्या रहा है” सोचते हुए वह उठ कर रेस्टोरेंट के एक कोने में चला जाता है.
बहुत सोच कर वह अपनी मा को नहीं नेहा को फोन करता है.
लंच टाइम अभी ख़तम ही हुआ था , एक पीरियड खाली था, नेहा अपनी सहेलियों के साथ हसी मज़ाक कर रही थी की उसका फोन बज उठता है, कोई अटपटा सा नंबर होता है , फिर उसे धयान आता है की भाई का फोन हो सकता है.
नेहा : सीधा गुस्से में फोन उठाते ही शुरू हो जाती है, “ अब आई मेरी याद, ज़रूर वहाँ लड़कियों के पीछे ही रहते होगे, और ये पीनी कब से शुरू कर दी”
राजीव : “ अरे ओ हिट्लर , बड़े भाई से ऐसे बातें करते हैं क्या, तुझे समझाया तो था की नेटवर्क नहीं मिल रहा था और लोकल सिम कार्ड भी कल रात को बहुत देर से मिला था.”
नेहा : तो कल फोन क्यूँ नहीं किया. मैं कितनी परेशान हो रही थी, कुछ एहसास भी है.
राजीव : मेरी स्वीट डॉल ऐसे नाराज़ नहीं होते, मेरी प्राब्लम तो समझ.
नेहा : चलो फोन की बात तो छोड़ो, पर यह बताओ अपने पीनी कब से शुरू कर दी और क्यूँ पीते हो
राजीव : अरे किसने कहा तुझसे की मेने पीनी शुरू कर दी, दिमाग़ तो सही है ना तेरा.
नेहा : जाओ भाई, मुझसे झूठ मत बोलो, उस दिन सॉफ सॉफ पता चल रहा था की अपने पी रखी है, क्यूँ कर रहे हो ऐसा.
राजीव : देख स्वीट्यू, अब हम बहुत बड़े हो चुके हैं और जिस ट्रेड में मैं काम करता हूँ , कभी कभी पीनी पड़ जाती है, पर में बहुत ही कम पिता हूँ. ( वह नेहा से और झूठ नहीं बोलना चाहता था)
नेहा : भाई छोड़ दो पीना और ऐसी पार्टी में मत जाया करो, और भी लोग तो हैं तुम्हारे ट्रेड में जो बिल्कुल नहीं पीते. यह ट्रेड का बहाना मत दो.
राजीव : अच्छा छोड़ इन बातों को और यह बता घर में सब कैसे हैं, मोम, डेड
नेहा : सब अच्छे हैं, पर आपके बिना सुना सुना लगता है, कब आ रहे हो.
राजीव : बस 3 दिन और, फिर बंदा अपनी गुड़िया की सेवा में हाज़िर हो जाएगा, बता तेरे लिए क्या .लाउन
नेहा : कुछ नहीं भाई, बस आप जल्दी आजाओ.
राजीव : अच्छा चल में रखता हूँ, मा को बोल देना मेरा फोन आया था और यहाँ सब ठीक है. बाइ
नेहा : बाइ, कल फोन ज़रूर करना. ( भाई से बात करने के बाद उसका चेरा खिल उठा था)
राजीव अपना मोबाइल जेब में डालता है और एक गहरी साँस ले कर अपने ग्रूप के पास चला जाता है. सब लोग लंच कब का ख़तम कर चुके थे और उठने की तयारि में थे. ऑर्गनाइज़र ने वहाँ उनको शाम की आक्टिविटीस के बारे में बताया और सारा ग्रूप फिर इधर उधर भिखर गया. मीनाक्षी वहाँ से एक नयी टेबल पर जा बैठती है और बियर माँगा कर पीने लगती है, उसकी नज़रें राजेश पर ही टिकी हुई थी.
राजेश अभी भी इटॅलियन फॅमिली के साथ लगा हुआ था और शेम्पेन के दौर चल रहे थे. राजीव इधर उधर देखता है और वह भी मीनाक्षी के पास चला जाता है “ क्या में जोइन कर सकता हूँ”
मीनाक्षी कुछ ना बोल कर उसे बैठने का इशारा करती है. राजीव उसके सामने बैठ जाता है और अपने लिए बियर मंगवा लेता है. मींकशी बहुत चुप थी वह कोई बात नहीं कर रही थी. राजीव को बहुत ऑक्वर्ड फील होता है और वह इस चुप्पी को तोड़ता है. “ क्या बात है मीनाक्षी काफ़ी टाइम से देख रहा हूँ तुम बहुत उदास रहती हो, जब पहली बार मिले थे इस ग्रूप को जाय्न करने पे तो तुम एक खिले हुए फूल की तरहा चहक्ती थी, ऐसा क्या हो गया, सब ठीक तो है ना घर पे.”
मीनाक्षी चुप रहती है, कोई जवाब नहीं देती.
राजीव : “ देखो अगर मैं तुम्हे डिस्टर्ब कर रहा हूँ तो मैं चला जाता हूँ”
मीनाक्षी : सर नीचे झुकाए हुए “ नहीं सब ठीक है , बस मन उदास रहता है ” उसकी नज़रें राजेश को कनखियों से देख रही थी.
राजीव को कुछ शक तो पहले से ही था, जब वह उसकी नज़रों का पीछा करता है तो उसका शक यकीन में बदल जाता है, एक और हसीना राजेश की आग में खुद को बर्बाद कर रही थी, उसे मीनाक्षी पर तरस आता है.
राजीव : मीनाक्षी यह अंगूर खट्टे ही नहीं दुर्लभ भी हैं, अपनी सोच को बदलो और खुद को बर्बाद ना करो, जिंदगी जीने के लिए है, तू नहीं और सही और नहीं और सही.
मीनाक्षी गम से भारी आँखों से उसे देखते हुए अपना बियर का गॅलास्स उठाती है और एक ही झटके में खाली कर देती है.
मीनाक्षी : “ बहुत देर हो चुकी है राजीव, अब यह दिल बस में नहीं रहा, उसका मेरे लिए इतना रूखापन मुझसे सह्न नहीं हो रहा.”
“वाह रे उप्परवाले एक और बलि चॅड गयी” सोचते हुए राजीव गहरी साँस लेता है और मीनाक्षी का हाथ थाम लेता है.
मीनाक्षी कुछ नहीं बोलती बस खाली आँखो से राजीव को देखती है और अपना हाथ छुड़ा लेती है, वह एक और बियर मंगवा लेती है.
राजीव : मीना वह मेरे बचपन का दोस्त है, मैं उसे बहुत अच्छी तरहा जानता हूँ, उसने जब इस ट्रेड में कदम लिया था तभी एक कसम खाई थी की वह ट्रेड की किसी भी लड़की की तरफ आँख उठा कर नहीं देखेगा, इसीलिए देखो वो आज कहाँ पहुँच चुका है. हम दोनो ने साथ साथ नौकरी श्रु करी थी, मैं आज भी नौकरी कर रहा हूँ और वो एक हस्ती बन चुका है, मेरे जैसे कितने उसके लिए काम कर रहे हैं. यह जो तुम उसे खिलखिलाता हुआ देख रही हो ना, सब दिखावा है, वह अपना दर्द अपने अंदर ही रखता है, मुझे भी नहीं बताता. बड़ी खूबी से अपने आँसू छुपा लेता है, किसी को भनक तक नहीं पड़ती की अंदर से वह कितना दुखी है और क्यूँ है. पिछले 6 महीनो में वह बहुत बदल चुका है, पानी की तरहा पीने लगा है और शराब भी उस पर असर नहीं करती, उसके बारे में जब भी सोचता हूँ तो दिल एक डर से भर जाता है, मैं कुछ भी नहीं कर पा रहा हूँ. वह सबको हसता रहता है अपनी सारी ज़िम्मेदारियाँ बखूबी पूरी करता है. पर अंदर से वो एक खाली बॉटल की तरहा हो चुका है, मुझे डर है कहीं कुछ अनहोनी ना हो जाए.
मीनाक्षी : राजीव के मुहन पर हाथ रख देती है “ नहीं नहीं उसे कुछ भी नहीं होगा, मैं उसे कुछ नहीं होने दूँगी, वो मेरा कितना भी तिरस्कार क्यूँ ना करे में उसके सारे दर्द उस से छीन लूँगी”
राजीव फटी आँखो से मीनाक्षी को देखता रहता है, उसने राजेश की लिए बहुत सी लड़कियों को तड़प्ते हुए देखा है, पर इतना समर्पण किसी में नहीं था. राजीव मीनाक्षी के दिल का हाल बखूबी समझ जाता है और उसकी आँखों में आँसू आ जाते हैं. “ तो मेरी भाभी बनने की कसम खा ही ली है”
मीनाक्षी का चेहरा लाल सुर्ख हो जाता है, शरम के मारे नज़रें नीचे झुका लेती है. राजेश ने उसे एक प्रोफेशनल दोस्त की जगह तो दे ही दी थी, उसके लिए इतना काफ़ी था राजेश की दिल तक पहुँचने के लिए. वह सोच चुकी थी की उसने क्या करना है. उसकी आँखों में अब उदासी नहीं एक दरिड निश्चयए झलक रहा था.
राजीव से यह बदलाव छुपता नहीं और तज़ूब होता है की क्या कोई लड़की इस हद तक भी जाने की सोच सकती है. { क्या ऐसा भी होता है?)
मीनाक्षी बियर का ग्लास उठा कर चियर्स करती है “ टू आवर सक्सेस”
“राजीव तुम मेरा साथ दोगे ना, तुम्हारे साथ के बिना में शायद बहुत अकेली ही पड़ जौंगी”
“ अपने यार के लिए में कुछ भी कर सकता हूँ”
मीनाक्षी के चेहरे पे एक चमक आ जाती है.
“ राजीव कल सुबह ब्रेकफास्ट टेबल पर में राजेश से कुछ प्रोफेशनल बाते करना चाहती हूँ, वो मूज़े अवाय्ड करेगा, प्लीज़ मेरी मदद करना”
“ क्यों नहीं” चलो इसी खुशी में एक एक बियर और.
“ अरे में इतना नहीं पीती भाई पहले ही 2 बियर हो चुकी हैं चॅड जाएगी मुझे और तमाशा खड़ा हो जाएगा”
“ अरे इस देवर की खातिर एक और प्लीज़ , कुछ नहीं होगा”
“ बहुत बदमाश हो तुम, अच्छा तुम्हारी खातिर एक ग्लास और ले लूँगी बस, इस से ज़्यादा नहीं”
राजीव दो बोतलें और माँगा लेता है.
“ दो क्यूँ, एक मंगानी थी ना”
“ भाभी जान आप एक ग्लास ही लेना, मैं तो पी सकता हूँ ना”
“ देखो यह भाभी वाबी बोलना बंद करो नहीं तो उठ जवँगी”
“ लो कर लो बात , अब होनेवाली भाभी को भाभी नहीं बोलूं तो क्या बोलूं”
“ प्लीज़ राजीव तंग मत करो”
“ अच्छा बाबा नहीं करता “
दोनो बियर ख़तम करते हैं और मीनाक्षी अपने कमरे में चली जाती है. अब वह उदास नहीं थी, उसके चेहरे पे लाली और खुशी सॉफ सॉफ झलक रही थी, वह तकिये को अपनी बाहों में दबोचते हुए कुछ सोचने लगती और साथ साथ मुस्कुराती रहती है.
इधर राजीव राजेश की तरफ देखता है और फिर इधर उधर टहल कर होटेल का जाएजा लेने लगता है.
राजेश शाम के डिन्नर का टाइम फिक्स कर पेड्रो और उसकी फॅमिली से इज़ाज़त लेता है और बार की तरफ चला जाता है. एक बियर ले कर वह हल्की हल्की चुस्कियाँ लेता है और अपने ख्यालों में खो जाता है.
यहाँ जब तक कांता और इंदु घर पहुँचते हैं , कामया भी लगबग उसी समय पहुँच जाती है.
कांता कामया के गले लगती है और इंदु जब पैरों को छूने लगती है तो कामया उसे रोकते हुए गले से लगा लेती है.
तीनो ड्रॉयिंग रूम में बैठ जाती है.
“मा आप लोग बातें करो में आंटी के लिए कुछ लाती हूँ.”
“ बेटा जा ज़रा 3 कॉफी ले आ”
“ अभी लाई” और इंदु किचन की तरफ चली जाती है.
कामया : यह तू फोन पे क्या बकवास कर रही थी.
कांता : ( एक कुटिल मुस्कान के साथ) क्यूँ भाई, मैं नया पार्ट्नर नहीं ढूंड सकती क्या, किसी का भी खड़ा कर सकती हूँ.
कामया : हो क्या गया है तुझे
कांता : यार जब चूत में खुजली होती है ना , तो बर्दाश्त नहीं होता. तू तो रोज़ लेती रहती है, तेरी खुजली मिटानेवाला तो तेरे साथ है और मेरा इधर उधर कान्फरेन्स पे भागता रहता है. सोच रही हूँ एक और लंड का इंतेज़ाम कर ही लूँ. क्या ख़याल है टेस्ट बदलना चाहेगी क्या.
कामया : साली तू तो पूरी रांड़ हो गई हे, बच्चों पे क्या असर पड़ेगा .
कांता : क्या करूँ यार पेट के साथ साथ चूत की भूख का भी तो ख़याल रखना पड़ता है ना. अभी तुझे थोड़ी देर में अपने नये पार्ट्नर से मिलाती हूँ.
कामया : क्या तूने उसे भी बुला रखा है, इंदु क्या सोचेगी. उसका सामना कर पाएगी तू.
कांता : अरे छोड़ तू देखती जा, अपनी बता क्या बात करनी थी.
कामया : यार वो वो
कांता : अरी बोल ना, नया चोदनेवाला ढूंड लिया क्या?
कामया : कमीनी , कुत्ति क्या क्या भोंक रही है.
कांता : तू बोलेगी नहीं तो मैं और क्या सोचूँ ( आँखे नाचते हुए)
इतने में इंदु कॉफी ले कर आ जाती है और सबको एक एक कप देती है.
कांता : हान बोल अब.
कामया : इंदु बेटा, ज़रा कुछ देर के लिए हमे अकेला छोड़ दो.
कांता : यह कहीं नहीं जाएगी, इसके सामने बोल, अब यह बड़ी हो चुकी है और उस पर डॉक्टर भी है.
कामया : मुझे कुछ पर्सनल बात करनी है.
कांता : तो शर्मा क्यूँ रही है, हो सकता है मुझ से बड़ीया सुझाव इंदु देदे.
कामया : बड़ी असमंजस सथिति में आ गई थी, कुछ सोचते हुए बोलती है, “ कल रात को राजीव का फोन आया था”
कांता : तो क्या उसे कुछ प्राब्लम है, वह तो राजेश के साथ गया हुआ है, उसके होते हुए राजीव को क्या प्राब्लम होगी.
कामया : अब कैसे बताउन.
इंदु : आंटी मुझे बेटी मत समझो एक सैकेटरिस्ट समझ कर , खुल के बोलो.
कामया : शर्म से लाल होती हुई, “ कल जब उसका फोन आया तो तेरे जीजाजी मेरे साथ ……..”
कांता : ओह हो तो बेचारे ने तेरी चुदाई में खलल डाल दिया.
कामया और इंदु दोनो ही हैरानी से इतने खुले शब्दों को कांता के मुँह से सुनते है, दोनो का चेहरा शर्म से और भी लाल हो जाता है.
कांता : ओये डाक्टरणी, तू क्यूँ शर्मा रही , तेरी चुदाई की बाते थोड़ी ना हो रही हैं.
इंदु झेंप जाती है और कामया का मुहन खुल्ला रह जाता है.
कांता : अब बोल भी क्या हुआ था, तू चुद रही थी और उसका फोन आ गया, फिर
कामया : शर्म से दोहरी होते हुए “ मुझे लगता है उसे पता चल गया की उस वक़्त में क्या कर रही थी- उसने जल्दी से बोला की सब ठीक है और फोन काट दिया”
कांता : तो इसमें परेशान होने वाली क्या बात है.
कामया : अरे जब वो वापस आएगा तो उसका सामना कैसे करूँगी.
कांता : जैसे रोज उससे बात करती है, वैसे ही करियो , यह कोई बहुत बड़ी बात नहीं. लड़का बड़ा है, समझदार है .
कामया : प्राब्लम और भी है, उसके फोन रखने के बाद मुझे हर वक़्त ऐसा लग रहा था जैसे वो मुझे चुदते हुए देख रहा है. और मेरी उत्तेजना बदती जा रही थी. और जिंदगी में पहली बार मुझे मल्टिपल ओर्गसम हुआ.
अब कामया भी खुल कर बोलने लगी थी.
कांता : ह्म्*म्म्ममम तो अब तुझे राजीव का लंड चाहिए.
( इंदु अपनी मा को इतना खुल के बोलते हुए शर्म से लाल पद जाती )
कामया : पागल तो नहीं हो गई क्या. तू मेरे बारे में ऐसा सोच भी कैसे सकती है.
इंदु : आंटी बुरा मत मानना, मैं डॉक्टर के नाते अब बोल रही हूँ. इस फीलिंग को इन्सेस्ट कहते हैं. अगर आपके दिमाग़ में वो नहीं होता जो मम्मी ने कहा है तो आप को जैसा आपने कहा मल्टिपल ओर्गसम नहीं होता. आपको यह नहीं लगता की राजीव आपको देख रहा है. मा बेटे के अंदर कभी कभी इस टाइप की फीलिंग आ जाती है, यह नॅचुरल है, बस इस को हवा नहीं देनी चाहिए. कभी मा बेटे के बारे में ऐसा सोचती है तो कभी बेटा मा के बारे में. जब राजीव का फोन उस वक़्त आया था आप जिस दुनिया में थी, उस फोन का केरेक्टर आपके सबकॉन्षियस माइंड में आपके साथ जुड़ गया. अगर आप लोग उस वक़्त रुक जाते और अपने संभोग को आगे नहीं बड़ाते तो ऐसा नहीं होता जो आपको फील हुआ.
कामया : तो अब मैं क्या करूँ, में ऐसा कोई भी ग़लत काम नहीं करना चाहती, मैं नहीं चाहती की राजीव मुझे ग़लत समझे .इंदु : आंटी राजीव मेच्यूर है, अगर उसने ऐसा फील भी किया होगा , की उसने ग़लत टाइम पर आपको फोन कर दिया, तो उसे अपने उपर ग्लानि होगी, वह आपका बेटा है, आपसे बहुत प्यार करता है, आपकी बहुत इज़्ज़त करता है, वह कोई भी ऐसा काम नहीं करेगा जिससे से आप को दुख पहुँचे.
आप इस बात को बिल्कुल अपने दिमाग़ से निकल दीजिए की राजीव क्या सोच रहा होगा. और हान जब आप अंकल के साथ दुबारा हों तो यह बात अपने दिमाग़ में बिल्कुल मत लाना और केवल उनके बारे में ही सोचना.
काँटा : क्यूँ जानेमन हो गई तेरी प्राब्लम सॉल्व. चल अब तुझे अपने नये पार्ट्नर से मिलाती हूँ. यह बैठी तेरे सामने, अब यह मेरी बेटी ही नहीं तेरी तरहा मेरी दोस्त भी है.
इंदु : अच्छा मा में अपने कमरे में जा रही हूँ मुझे कल के कुछ केस स्टडी करने हैं.
कांता : ठीक है बेटी जा अपना काम कर.
इंदु चली जाती है.
कामया : यह तूने क्या किया, इंदु को इन्वॉल्व क्यूँ किया.
कांता : मेरी मजबूरी थी कामया.
कामया : क्या
कांता : कल तेरे घर आती हूँ, आराम से बात करेंगे.
कामया अपने घर चली जाती है और कांता अपनी सोचों में डूब जाती है.
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एक अजीब सा उन्माद--7
कांता नहा धो कर तयार हो जाती है और ड्रॉयिंग रूम में जा कर बैठ जाती है. वह एक गहरी सोच में डूब जाती है, उसकी आँखों से आँसू बहने लगते हैं. पता नहीं इंदु क्या सोचेगी मेरे बारे में. अपनी ममता के हाथो मजबूर हो कर यह मेने क्या कर दिया?. क्या इंदु के दिल में उसके लिए वोही इज़्ज़त होगी या नहीं?. क्या वह अपनी बेटी से नज़रें मिला पाएगी या नहीं?. कितने जतन से उसने कितना त्याग कर के प्यार, भरोसे, और एक आदर की इमारत बनाई थी. आज उसे सब कुछ ढेहता हुआ महसूस हो रहा था.
इन्ही विचारों में खोई हुई उसे पता ही ना चला के कब इंदु नहा धो कर तयार हो गई और चाय बना के ले आई, आज इंदु का चेरा खिला हुआ था, आँखों मे शर्म और हया की लाली थी.
बहुत ही सकुचाते हुए वह अपनी मा को आवाज़ देती है “ मा चाय”
कांता अपनी सोचों के बवंडर से वापिस आती है और इंदु की तरफ देखती है.
उसकी आँखों में अब भी आँसू थे. भरे हुए गले से “ बेटी हो सके तो मुझे माफ़ कर दे, मेरे बारे में कुछ ग़लत ना सोचना”
इंदु “ मा यह तुम क्या कह रही हो, और रो क्यूँ रही हो”
काँटा : “ बेटी आज सुबह जो कुछ भी हुआ …. वो वो….
इंदु : शरमाते हुए- “ कुछ मत सोचो मा, तुमने कुछ बुरा नहीं किया, मेरे लिए तो तुम अब और भी ज़्यादा पूजनीय हो गई हो” “ चलो चाय पियो और मुझे अपने कॉलेज की और बाते बताओ” इंदु बातों का रुख़ मोड़ती है ताकि उसकी मा अपनी ग्लानि से बाहर निकल सके.
“ बताओ ना मा, मेने आज की सब अपायंट्मेंट्स कॅन्सल कर दी हैं, आज में सारा दिन तुम्हारे साथ रहूंगी” इंदु चेहरे पे नटखटपान लाते हुए बोलती है.
कांता एक सकूँ की साँस लेती है, उसके दिल का गुबार हल्का हो जाता है , चेहरे पे हसी आ जाती है और वह अपनी बेटी को गले लगा कर अपनी ममता लुटाने लग जाती है.
इधर कामया जब सो कर उठती है तो अपने पति को साथ में सोया हुआ देखती है. उसे रात में राजीव का कॉल याद आ जाता है और चेहरा शर्म से लाल हो जाता है.
“ है राम, राजीव क्या सोच रहा होगा, उसके माता पिता संभोग में लिप्त थे जब उसने फोन किया, कैसे उसे फेस करूँगी जब वो वापिस आएगा- सिर्फ़ हेलो की आवाज़ सुनते ही वो ताड़ गया था और फटा फॅट बोल कर फोन काट दिया” कामया को रात की अपनी चुदाई याद आ जाती है , किस तरहा राजीव के फोन आने के बाद वह और भी उत्तेजित हो गई थी, किस तरहा उसकी चूत ने ढेरों पानी बहाया था, उसका पति भी उसके ओर्गसम की तीव्रता से हैरान हो गया था. ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था.
यह क्या उसकी चूत गीली होने लगी, हे राम यह मुझे क्या हो रहा है. वह अपने पे कंट्रोल करती है और बाथरूम में घुस जाती है.
त्यार हो कर कामया अपने पति को उठाती है और किचन में चली जाती है, तब तक नेहा भी नीचे आ जाती है.
कामया : गुड मॉर्निंग बेटा , नींद तो अच्छी आई.
नेहा : गुड मॉर्निंग मों. चाय तयार हो गई?
कामया : हान बेटा बस थोड़ी देर में, तू चल में अभी लेकर आई, और हान तेरे चहेते भाई का फोन आया था रात को, ठीक ठाक है आज दुपहर में फोन करेगा.
नेहा : भाई, का फोन आया था ! उसने मुझे क्यूँ नहीं किया, भूल गया है मुझे.
कामया : नहीं बेटा, रात बहुत हो गई थी और तब तक तू सो गई होगी. कल ही उसे सिम कार्ड मिला है .
नेहा : छोड़ूँगी नहीं, वापिस तो आने दो.अच्छा मा जल्दी चाय दो मुझे आज जल्दी तयार हो कर कॉलेज जाना है.
ज़रा जॉर्डन में देखते हैं क्या हो रहा है.
यहाँ जॉर्डन में सुबह सब तयार हो चुके थे और ब्रेकफास्ट टेबल पर बैठे हुए थे. आज राजेश के ग्रूप को डेड सी जाना था, वह चाहता तो प्रोफ गेरहार्ड का प्रोग्राम अपने प्रोग्राम की तरहा बदल देता पर उसे ऐसा नहीं किया.
वह अपने और केथ के बीच में अब गॅप लाना चाहता था. राजेश अपने ग्रूप के साथ बैठा हुआ ब्रेकफास्ट कर रहा था उसे जोक्स सुना सुना कर सबको हसा रहा था, पर मीनाक्षी के चेहरे पर कोई हसी नहीं थी, उसका चेरा बुझा हुआ था, सॉफ पता चल रहा था की रात को वो बहुत रोई थी, उसने मेकप में अपने चेहरे को बहुत खुशनुमा बनाए की भरसक कोशिश करी थी पर सफल नहीं हो पाई. सारा ग्रूप उसे देख रहा था एक दो ने पूछा भी तो उसने टाल दिया.
ब्रेकफास्ट करने के बाद राजेश प्रफ़ गेरहार्ड की टेबल की तरफ चला गया. केथ की मा उसे दिल खोल कर गले मिली और उसके कानो में हल्के से “ थॅंक्स” बोल दिया” अपनी बेटी की चाल देख कर उसे पता चल गया था की राजेश अपने प्रॉमिस पर खरा उतरा था. राजेश की इज़्ज़त अब केथ की मा के दिल में बहुत ही ज़यादा बॅड गई थी, केथ की तो नज़रें राजेश से हट ही नहीं रही थी. राजीव भी राजेश का अनुसरण करते हुए वहाँ पहुच गया था और उसने सब को विश किया. सब ने उसके विश का जवाब दिया, वह जूली को देख रहा था जो उसे कोई भाव नहीं दे रही थी. उसके लिए तो राजीव एक हॅमबर्गर की तरहा ही था, कल जब भूख लगी थी तो खा लिया. इस से ज़यादा राजीव का कोई वजूद नही था जूली की आँखों में. राजीव के लिए जूली का उसे अवाय्ड करना काफ़ी प्रशणात्मक था, उसके चेहरे पर हैरानी सॉफ झल्क रही थी.
इधर केथ उठ कर राजेश के गले लग जाती है और अपनी फॅमिली के सामने ही स्मूच करने लगती है “ विल मिस यू ए लॉट , डू कॉल मी वेनेवर यू आर फ्री” केथ उसके कानो में बोलती है.
उनका गाइड आ गया था और प्रोफ गेरहार्ड खड़े हो जाते हैं. राजेश सबसे हाथ मिलता है और विदाई लेता है. प्रोफ गेरहार्ड उसे गले लगा लेते हैं और अपने घर इन्वाइट करते हैं. जूली भी जाते वक़्त राजेश के गले लग जाती है, उसे अपनी बहन की पसंद पर नाज़ था. एक भावभीनी विदाई के साथ वो लोग चले जाते हैं.
राजेश का ग्रूप भी इधर चलने को तयार था. वह लोग अपनी कोच में बैठ जाते हैं. डेड सी तक का सफ़र 2 घंटे में ख़तम हो गया. इनका अरेंज्मेंट एक बहुत ही आचे 5* होटल में हुआ था जो बिल्कुल डेड सी के किनारे था और उसका एक प्राइवेट बीच था.
सब लोग अपने अपने कमरे में जा कर अपना अपना समान संभालते हैं, राजेश स्विम्मिंग कॉस्ट्यूम पह्न कर नीचे आ जाता है और बीच की तरफ चल देता है. डेड सी का पानी बहुत ही नमकीन और तेल जैसा था, इसमे कोई जीव जन्तु पल नहीं सकता था इसीलिए इससे डेड सी कहते हैं. सामने देखो तो इज़्रेल और पॅलेस्टीन के झंडे सॉफ दिख रहे थे . डेड सी का पानी बहुत ही मेडिसिनल इंपॉर्टेन्स रखता था और इसमें नहाने से काफ़ी स्किन की बीमारियाँ दूर हो जाती हैं.
राजेश समुद्रा में जा कर पानी की स्ताः पर तैरने लगता है. जी हान जिससे तैरना नहीं भी आता वो इस पानी में फ्लोट ही करेगा डूबेगा नहीं.
दो रातों से राजेश ने बहुत धैर्य रखा हुआ था आज उसे अपने शिकार की तलाश थी.
चलिए ज़रा कांता के पास चलते हैं .
राजेश अपने कमरे में बिस्तर पर लेट जाता है और कुछ यादों में खो जाता है, यह याद्देन वही हैं जिनकी वजह से राजेश ने इतनी पीनी शुरू कर दी थी. उसके साथ कुछ ऐसा हुआ था जिसने उसके वजूद को हिला कर रखा हुआ था और वह पी पी कर अपने आप को सज़ा देता था. पीते पीते वह टेंकर बन चुका था पर यह याद्देन उसका पीछा नहीं छोड़ती थी, ऐसा क्या हुआ था उसके साथ यह सिर्फ़ वही जानता था और किसी को इसके बारे में भनक तक नहीं थी. उसका दिल उदास रहता था पर वह हमेशा अपने चेहरे पे हँसी रखता था, उसके दिल का यह दर्द उसे अंदर ही अंदर खाए जा रहा था.
लंच का टाइम हो जाता है और राजीव उसे बुलाने चला आता है, वह पहले भी आया था पर तब तक राजेश वहाँ से गायब हो चुका था, रूम की बेल सुनके राजेश अपनी यादों से वापिस आटा हैं, बाथरूम जा कर अपना फेस वॉश करता है और चेहरे पर फिर वही मनमोहक हँसी लेकर दरवाजा खोलता है, सामने राजीव खड़ा था.
“ अबे कहाँ गायब हो जाता है तू, चल नीचे सभी तेरा लंच के लिए इंतेज़ार कर रहे हैं. “
राजेश कुछ नहीं बोलता और रूम बंद कर राजीव के साथ चला जाता है.
राजेश जब नीचे पहुँचता है तो मज़े से खिल उठता है वो दोनो फुलझड़ियाँ अपने परिवार के साथ इन्ही की साथ वाली टेबल पेर बैठी हुई थी.
राजेश इस तरहा बैठता है की उसकी पीठ उनकी तरफ होती है. सभी आपस में हसी मज़ाक कर रहे थे, मीनाक्षी अपनी गर्दन नीचे करे राजेश को छुपी निगाहों से देखती रहती है. उसका चेहरा अभी भी सुबह की तरहा उदास था.
राजेश बाते करते हुए , चलो यार लोगों आज तुम्हें एक रोमॅंटिक इटॅलियन गाना सुनता हूँ , सभी तालियाँ बजा कर उसका स्वागत करते हैं. ग्रूप में से एक बोलता है, गुरु गाने के बाद उसका मतलब भी समझा देना. यह गाना बहुत ही पुराना रोमॅंटिक गाना था जो शायद आज की इटॅलियन पीडी जानती तक ना थी.
राजेश एक प्रोफेशनल सिंगर की तरहा गाने लगता है, वह अपनी आवाज़ इतनी रखता है के उसके पीछे बैठ हुई फॅमिली आसानी से सुन ले.
गाना ख़तम होता है तो वो फॅमिली इस गाने की धुन में खो जाती है और जिस तरन्नुम से राजेश यह गाना गाता है उसके ग्रूप के साथ साथ वह फॅमिली भी तालियाँ बजाने लगती है.
उन लड़कियों का पिता उठ कर राजेश के पास आता है और आज की दोपहर को हसीन बनाना के लिए उसे दिल से धन्यवाद करता है और लंच के लिए अपनी टेबल पर इन्वाइट करता है.
कांता और इंदु लंच कर रहे होते हैं की कामया का फोन आता है.
कांता : हाइ मेरी बन्नो , कैसे याद किया.
कामया : यार तुझसे बहुत ज़रूरी बात करनी है.
कांता : तो कर ना मेरी जान किसने रोका है.
कामया : अरे फोन पर नहीं ,कब मिल सकती है.
कांता : कोई और पटा लिया है क्या, लगता है जीजू से दिल भर गया. ( कांता जान भुझ कर इंदु के सामने ऐसी बाते कर रही थी)
कामया : पागल है क्या, कुछ भी बोल देती है. कब मिल रही है.
कांता : यार में अपने नये पार्ट्नर के साथ लंच कर रही हूँ. 1 घंटे के बाद घर पर ही हूँगी.
कामया : कयययययययययाआआआअ ! नया पार्ट्नर !!!!!!! यह क्या बक रही है.
काँटा : यार वो तो कान्फरेन्स पे चले गये, अब में क्या करती , सो नया पार्ट्नर बना लिया.
कामया : शर्म नहीं आती , इस उम्र में ऐसे हरकत कर रही है, तोबा तोबा
कांता : अरे मेरी जान इसमें शर्म की क्या बात है, तू तो रोज़ मज़े ले रही है और में यहाँ क्या दीवारें देखा करूँ, अभी भी जवान हूँ ,कमसिन बदन है, जब कसक उठती है तो बर्दाश्त नहीं होती.
कामया : हे भगवान , क्या हो गया है तुझको, बचे जवान हो चुके हैं शादी करने लायक और तुउुुुउउ
कांता : खिलखिला कर हस्ते हुए, “अरी बन्नो परेशान मत हो, में तो मज़ाक कर रही थी- चल मिलते हैं फिर बातें करेंगे, बहुत दिन हो गये तुझसे मिले हुए” और कांता फोन काट देती है
इंदु हैरानी से अपनी मा को देखने लगती है, कांता उसे आँख मरते हुए
कांता : क्यूँ तू मेरी नयी पार्ट्नर नहीं बन गई , अब तो तू मेरी बेटी भी है और दोस्त भी.
इंदु के चेरे पर हसी आ जाती है और थोड़ी शर्म भी
काँटा : हाए क्या कहने तेरी इस शर्म के, काश में लड़का होती.
इंदु : झेंपते हुए “ माआआअ प्लीज़ “
कांता : यार कैसी दोस्त है तू , थोड़ा मज़ाक भी नहीं सह्न कर सकती.
इंदु : अच्छ बाबा सॉरी सॉरी.
कांता : ह्म्*म्म्म यह हुई ना बात.चल जल्दी लंच ख़तम कर, तेरी कामया आंटी आने वाली है.
इंदु : कामया आंटी, इतने दीनो बाद, सब ठीक तो है.
कांता : भाई उसे कुछ परेशानी है, देखते हैं क्या बात है.
इधर जॉर्डन में राजेश अपनी टेबल से उठ कर इटॅलियन फॅमिली के पास जा कर बैठ जाता है. दो शक्स उसे घूर रहे होते हैं राजीव और मीनाक्षी. दोनो के चेहरे पे गुस्सा और जलन सॉफ सॉफ दिख रही थी.
लड़कियाँ तो कयामत थी हीं, उनकी मा भी किसी शोले से कम ना थी. तीन तीन हसिनाओं के बीच राजेश कृष्ण कन्हिया से कम नहीं लग रहा था क्यूंकी उसका व्यक्तितिव अपने होस्ट से कहीं अधिक करिज़मॅटिक था. राजेश को उनके साथ हंस बोलता देख कर राजीव की तो झांटें ब्राउन हो गई थी. कामदेव का अवतार राजेश तीनो पर ही अपना जादू चला रहा था, तीन तीन चूत एक साथ गीली हो रही थी और पेड्रो उस फॅमिली का हेड भी उसके जादू से नहीं बचा था. वह अपनी बीवी को देखे ही जा रहा था , आज तो उसकी बीवी की ज़रूर शामत आने वाली थी. राजेश का गाना था ही बहुत रोमॅंटिक असर तो होता ही.
लंच ख़तम होते ही पेड्रो ने चांपैगने की बॉटल मंगा ली , वह आज की दोपहर को सेलेब्रेट करना चाहता था . पेड्रो का एक्सपोर्ट का बिज़्नेस था , उसकी बीवी और उसकी बेटियाँ तीनो ही डॉक्टर थे. कर लो बात, एक डॉक्टर से पीछा अभी छूटा ही था की तीन और गले पड़ने वाली थी.
राजीव उनको ही घुरे जा रहा था, अचानक उसे याद आता है की उसे घर फोन करना था. रात को तो बात कर ही नहीं सका था. और उसकी आँखो के सामने उसकी मा की खूबसूरत देह लहरानी लगती है. “सला यह मुझे हो क्या रहा है” सोचते हुए वह उठ कर रेस्टोरेंट के एक कोने में चला जाता है.
बहुत सोच कर वह अपनी मा को नहीं नेहा को फोन करता है.
लंच टाइम अभी ख़तम ही हुआ था , एक पीरियड खाली था, नेहा अपनी सहेलियों के साथ हसी मज़ाक कर रही थी की उसका फोन बज उठता है, कोई अटपटा सा नंबर होता है , फिर उसे धयान आता है की भाई का फोन हो सकता है.
नेहा : सीधा गुस्से में फोन उठाते ही शुरू हो जाती है, “ अब आई मेरी याद, ज़रूर वहाँ लड़कियों के पीछे ही रहते होगे, और ये पीनी कब से शुरू कर दी”
राजीव : “ अरे ओ हिट्लर , बड़े भाई से ऐसे बातें करते हैं क्या, तुझे समझाया तो था की नेटवर्क नहीं मिल रहा था और लोकल सिम कार्ड भी कल रात को बहुत देर से मिला था.”
नेहा : तो कल फोन क्यूँ नहीं किया. मैं कितनी परेशान हो रही थी, कुछ एहसास भी है.
राजीव : मेरी स्वीट डॉल ऐसे नाराज़ नहीं होते, मेरी प्राब्लम तो समझ.
नेहा : चलो फोन की बात तो छोड़ो, पर यह बताओ अपने पीनी कब से शुरू कर दी और क्यूँ पीते हो
राजीव : अरे किसने कहा तुझसे की मेने पीनी शुरू कर दी, दिमाग़ तो सही है ना तेरा.
नेहा : जाओ भाई, मुझसे झूठ मत बोलो, उस दिन सॉफ सॉफ पता चल रहा था की अपने पी रखी है, क्यूँ कर रहे हो ऐसा.
राजीव : देख स्वीट्यू, अब हम बहुत बड़े हो चुके हैं और जिस ट्रेड में मैं काम करता हूँ , कभी कभी पीनी पड़ जाती है, पर में बहुत ही कम पिता हूँ. ( वह नेहा से और झूठ नहीं बोलना चाहता था)
नेहा : भाई छोड़ दो पीना और ऐसी पार्टी में मत जाया करो, और भी लोग तो हैं तुम्हारे ट्रेड में जो बिल्कुल नहीं पीते. यह ट्रेड का बहाना मत दो.
राजीव : अच्छा छोड़ इन बातों को और यह बता घर में सब कैसे हैं, मोम, डेड
नेहा : सब अच्छे हैं, पर आपके बिना सुना सुना लगता है, कब आ रहे हो.
राजीव : बस 3 दिन और, फिर बंदा अपनी गुड़िया की सेवा में हाज़िर हो जाएगा, बता तेरे लिए क्या .लाउन
नेहा : कुछ नहीं भाई, बस आप जल्दी आजाओ.
राजीव : अच्छा चल में रखता हूँ, मा को बोल देना मेरा फोन आया था और यहाँ सब ठीक है. बाइ
नेहा : बाइ, कल फोन ज़रूर करना. ( भाई से बात करने के बाद उसका चेरा खिल उठा था)
राजीव अपना मोबाइल जेब में डालता है और एक गहरी साँस ले कर अपने ग्रूप के पास चला जाता है. सब लोग लंच कब का ख़तम कर चुके थे और उठने की तयारि में थे. ऑर्गनाइज़र ने वहाँ उनको शाम की आक्टिविटीस के बारे में बताया और सारा ग्रूप फिर इधर उधर भिखर गया. मीनाक्षी वहाँ से एक नयी टेबल पर जा बैठती है और बियर माँगा कर पीने लगती है, उसकी नज़रें राजेश पर ही टिकी हुई थी.
राजेश अभी भी इटॅलियन फॅमिली के साथ लगा हुआ था और शेम्पेन के दौर चल रहे थे. राजीव इधर उधर देखता है और वह भी मीनाक्षी के पास चला जाता है “ क्या में जोइन कर सकता हूँ”
मीनाक्षी कुछ ना बोल कर उसे बैठने का इशारा करती है. राजीव उसके सामने बैठ जाता है और अपने लिए बियर मंगवा लेता है. मींकशी बहुत चुप थी वह कोई बात नहीं कर रही थी. राजीव को बहुत ऑक्वर्ड फील होता है और वह इस चुप्पी को तोड़ता है. “ क्या बात है मीनाक्षी काफ़ी टाइम से देख रहा हूँ तुम बहुत उदास रहती हो, जब पहली बार मिले थे इस ग्रूप को जाय्न करने पे तो तुम एक खिले हुए फूल की तरहा चहक्ती थी, ऐसा क्या हो गया, सब ठीक तो है ना घर पे.”
मीनाक्षी चुप रहती है, कोई जवाब नहीं देती.
राजीव : “ देखो अगर मैं तुम्हे डिस्टर्ब कर रहा हूँ तो मैं चला जाता हूँ”
मीनाक्षी : सर नीचे झुकाए हुए “ नहीं सब ठीक है , बस मन उदास रहता है ” उसकी नज़रें राजेश को कनखियों से देख रही थी.
राजीव को कुछ शक तो पहले से ही था, जब वह उसकी नज़रों का पीछा करता है तो उसका शक यकीन में बदल जाता है, एक और हसीना राजेश की आग में खुद को बर्बाद कर रही थी, उसे मीनाक्षी पर तरस आता है.
राजीव : मीनाक्षी यह अंगूर खट्टे ही नहीं दुर्लभ भी हैं, अपनी सोच को बदलो और खुद को बर्बाद ना करो, जिंदगी जीने के लिए है, तू नहीं और सही और नहीं और सही.
मीनाक्षी गम से भारी आँखों से उसे देखते हुए अपना बियर का गॅलास्स उठाती है और एक ही झटके में खाली कर देती है.
मीनाक्षी : “ बहुत देर हो चुकी है राजीव, अब यह दिल बस में नहीं रहा, उसका मेरे लिए इतना रूखापन मुझसे सह्न नहीं हो रहा.”
“वाह रे उप्परवाले एक और बलि चॅड गयी” सोचते हुए राजीव गहरी साँस लेता है और मीनाक्षी का हाथ थाम लेता है.
मीनाक्षी कुछ नहीं बोलती बस खाली आँखो से राजीव को देखती है और अपना हाथ छुड़ा लेती है, वह एक और बियर मंगवा लेती है.
राजीव : मीना वह मेरे बचपन का दोस्त है, मैं उसे बहुत अच्छी तरहा जानता हूँ, उसने जब इस ट्रेड में कदम लिया था तभी एक कसम खाई थी की वह ट्रेड की किसी भी लड़की की तरफ आँख उठा कर नहीं देखेगा, इसीलिए देखो वो आज कहाँ पहुँच चुका है. हम दोनो ने साथ साथ नौकरी श्रु करी थी, मैं आज भी नौकरी कर रहा हूँ और वो एक हस्ती बन चुका है, मेरे जैसे कितने उसके लिए काम कर रहे हैं. यह जो तुम उसे खिलखिलाता हुआ देख रही हो ना, सब दिखावा है, वह अपना दर्द अपने अंदर ही रखता है, मुझे भी नहीं बताता. बड़ी खूबी से अपने आँसू छुपा लेता है, किसी को भनक तक नहीं पड़ती की अंदर से वह कितना दुखी है और क्यूँ है. पिछले 6 महीनो में वह बहुत बदल चुका है, पानी की तरहा पीने लगा है और शराब भी उस पर असर नहीं करती, उसके बारे में जब भी सोचता हूँ तो दिल एक डर से भर जाता है, मैं कुछ भी नहीं कर पा रहा हूँ. वह सबको हसता रहता है अपनी सारी ज़िम्मेदारियाँ बखूबी पूरी करता है. पर अंदर से वो एक खाली बॉटल की तरहा हो चुका है, मुझे डर है कहीं कुछ अनहोनी ना हो जाए.
मीनाक्षी : राजीव के मुहन पर हाथ रख देती है “ नहीं नहीं उसे कुछ भी नहीं होगा, मैं उसे कुछ नहीं होने दूँगी, वो मेरा कितना भी तिरस्कार क्यूँ ना करे में उसके सारे दर्द उस से छीन लूँगी”
राजीव फटी आँखो से मीनाक्षी को देखता रहता है, उसने राजेश की लिए बहुत सी लड़कियों को तड़प्ते हुए देखा है, पर इतना समर्पण किसी में नहीं था. राजीव मीनाक्षी के दिल का हाल बखूबी समझ जाता है और उसकी आँखों में आँसू आ जाते हैं. “ तो मेरी भाभी बनने की कसम खा ही ली है”
मीनाक्षी का चेहरा लाल सुर्ख हो जाता है, शरम के मारे नज़रें नीचे झुका लेती है. राजेश ने उसे एक प्रोफेशनल दोस्त की जगह तो दे ही दी थी, उसके लिए इतना काफ़ी था राजेश की दिल तक पहुँचने के लिए. वह सोच चुकी थी की उसने क्या करना है. उसकी आँखों में अब उदासी नहीं एक दरिड निश्चयए झलक रहा था.
राजीव से यह बदलाव छुपता नहीं और तज़ूब होता है की क्या कोई लड़की इस हद तक भी जाने की सोच सकती है. { क्या ऐसा भी होता है?)
मीनाक्षी बियर का ग्लास उठा कर चियर्स करती है “ टू आवर सक्सेस”
“राजीव तुम मेरा साथ दोगे ना, तुम्हारे साथ के बिना में शायद बहुत अकेली ही पड़ जौंगी”
“ अपने यार के लिए में कुछ भी कर सकता हूँ”
मीनाक्षी के चेहरे पे एक चमक आ जाती है.
“ राजीव कल सुबह ब्रेकफास्ट टेबल पर में राजेश से कुछ प्रोफेशनल बाते करना चाहती हूँ, वो मूज़े अवाय्ड करेगा, प्लीज़ मेरी मदद करना”
“ क्यों नहीं” चलो इसी खुशी में एक एक बियर और.
“ अरे में इतना नहीं पीती भाई पहले ही 2 बियर हो चुकी हैं चॅड जाएगी मुझे और तमाशा खड़ा हो जाएगा”
“ अरे इस देवर की खातिर एक और प्लीज़ , कुछ नहीं होगा”
“ बहुत बदमाश हो तुम, अच्छा तुम्हारी खातिर एक ग्लास और ले लूँगी बस, इस से ज़्यादा नहीं”
राजीव दो बोतलें और माँगा लेता है.
“ दो क्यूँ, एक मंगानी थी ना”
“ भाभी जान आप एक ग्लास ही लेना, मैं तो पी सकता हूँ ना”
“ देखो यह भाभी वाबी बोलना बंद करो नहीं तो उठ जवँगी”
“ लो कर लो बात , अब होनेवाली भाभी को भाभी नहीं बोलूं तो क्या बोलूं”
“ प्लीज़ राजीव तंग मत करो”
“ अच्छा बाबा नहीं करता “
दोनो बियर ख़तम करते हैं और मीनाक्षी अपने कमरे में चली जाती है. अब वह उदास नहीं थी, उसके चेहरे पे लाली और खुशी सॉफ सॉफ झलक रही थी, वह तकिये को अपनी बाहों में दबोचते हुए कुछ सोचने लगती और साथ साथ मुस्कुराती रहती है.
इधर राजीव राजेश की तरफ देखता है और फिर इधर उधर टहल कर होटेल का जाएजा लेने लगता है.
राजेश शाम के डिन्नर का टाइम फिक्स कर पेड्रो और उसकी फॅमिली से इज़ाज़त लेता है और बार की तरफ चला जाता है. एक बियर ले कर वह हल्की हल्की चुस्कियाँ लेता है और अपने ख्यालों में खो जाता है.
यहाँ जब तक कांता और इंदु घर पहुँचते हैं , कामया भी लगबग उसी समय पहुँच जाती है.
कांता कामया के गले लगती है और इंदु जब पैरों को छूने लगती है तो कामया उसे रोकते हुए गले से लगा लेती है.
तीनो ड्रॉयिंग रूम में बैठ जाती है.
“मा आप लोग बातें करो में आंटी के लिए कुछ लाती हूँ.”
“ बेटा जा ज़रा 3 कॉफी ले आ”
“ अभी लाई” और इंदु किचन की तरफ चली जाती है.
कामया : यह तू फोन पे क्या बकवास कर रही थी.
कांता : ( एक कुटिल मुस्कान के साथ) क्यूँ भाई, मैं नया पार्ट्नर नहीं ढूंड सकती क्या, किसी का भी खड़ा कर सकती हूँ.
कामया : हो क्या गया है तुझे
कांता : यार जब चूत में खुजली होती है ना , तो बर्दाश्त नहीं होता. तू तो रोज़ लेती रहती है, तेरी खुजली मिटानेवाला तो तेरे साथ है और मेरा इधर उधर कान्फरेन्स पे भागता रहता है. सोच रही हूँ एक और लंड का इंतेज़ाम कर ही लूँ. क्या ख़याल है टेस्ट बदलना चाहेगी क्या.
कामया : साली तू तो पूरी रांड़ हो गई हे, बच्चों पे क्या असर पड़ेगा .
कांता : क्या करूँ यार पेट के साथ साथ चूत की भूख का भी तो ख़याल रखना पड़ता है ना. अभी तुझे थोड़ी देर में अपने नये पार्ट्नर से मिलाती हूँ.
कामया : क्या तूने उसे भी बुला रखा है, इंदु क्या सोचेगी. उसका सामना कर पाएगी तू.
कांता : अरे छोड़ तू देखती जा, अपनी बता क्या बात करनी थी.
कामया : यार वो वो
कांता : अरी बोल ना, नया चोदनेवाला ढूंड लिया क्या?
कामया : कमीनी , कुत्ति क्या क्या भोंक रही है.
कांता : तू बोलेगी नहीं तो मैं और क्या सोचूँ ( आँखे नाचते हुए)
इतने में इंदु कॉफी ले कर आ जाती है और सबको एक एक कप देती है.
कांता : हान बोल अब.
कामया : इंदु बेटा, ज़रा कुछ देर के लिए हमे अकेला छोड़ दो.
कांता : यह कहीं नहीं जाएगी, इसके सामने बोल, अब यह बड़ी हो चुकी है और उस पर डॉक्टर भी है.
कामया : मुझे कुछ पर्सनल बात करनी है.
कांता : तो शर्मा क्यूँ रही है, हो सकता है मुझ से बड़ीया सुझाव इंदु देदे.
कामया : बड़ी असमंजस सथिति में आ गई थी, कुछ सोचते हुए बोलती है, “ कल रात को राजीव का फोन आया था”
कांता : तो क्या उसे कुछ प्राब्लम है, वह तो राजेश के साथ गया हुआ है, उसके होते हुए राजीव को क्या प्राब्लम होगी.
कामया : अब कैसे बताउन.
इंदु : आंटी मुझे बेटी मत समझो एक सैकेटरिस्ट समझ कर , खुल के बोलो.
कामया : शर्म से लाल होती हुई, “ कल जब उसका फोन आया तो तेरे जीजाजी मेरे साथ ……..”
कांता : ओह हो तो बेचारे ने तेरी चुदाई में खलल डाल दिया.
कामया और इंदु दोनो ही हैरानी से इतने खुले शब्दों को कांता के मुँह से सुनते है, दोनो का चेहरा शर्म से और भी लाल हो जाता है.
कांता : ओये डाक्टरणी, तू क्यूँ शर्मा रही , तेरी चुदाई की बाते थोड़ी ना हो रही हैं.
इंदु झेंप जाती है और कामया का मुहन खुल्ला रह जाता है.
कांता : अब बोल भी क्या हुआ था, तू चुद रही थी और उसका फोन आ गया, फिर
कामया : शर्म से दोहरी होते हुए “ मुझे लगता है उसे पता चल गया की उस वक़्त में क्या कर रही थी- उसने जल्दी से बोला की सब ठीक है और फोन काट दिया”
कांता : तो इसमें परेशान होने वाली क्या बात है.
कामया : अरे जब वो वापस आएगा तो उसका सामना कैसे करूँगी.
कांता : जैसे रोज उससे बात करती है, वैसे ही करियो , यह कोई बहुत बड़ी बात नहीं. लड़का बड़ा है, समझदार है .
कामया : प्राब्लम और भी है, उसके फोन रखने के बाद मुझे हर वक़्त ऐसा लग रहा था जैसे वो मुझे चुदते हुए देख रहा है. और मेरी उत्तेजना बदती जा रही थी. और जिंदगी में पहली बार मुझे मल्टिपल ओर्गसम हुआ.
अब कामया भी खुल कर बोलने लगी थी.
कांता : ह्म्*म्म्ममम तो अब तुझे राजीव का लंड चाहिए.
( इंदु अपनी मा को इतना खुल के बोलते हुए शर्म से लाल पद जाती )
कामया : पागल तो नहीं हो गई क्या. तू मेरे बारे में ऐसा सोच भी कैसे सकती है.
इंदु : आंटी बुरा मत मानना, मैं डॉक्टर के नाते अब बोल रही हूँ. इस फीलिंग को इन्सेस्ट कहते हैं. अगर आपके दिमाग़ में वो नहीं होता जो मम्मी ने कहा है तो आप को जैसा आपने कहा मल्टिपल ओर्गसम नहीं होता. आपको यह नहीं लगता की राजीव आपको देख रहा है. मा बेटे के अंदर कभी कभी इस टाइप की फीलिंग आ जाती है, यह नॅचुरल है, बस इस को हवा नहीं देनी चाहिए. कभी मा बेटे के बारे में ऐसा सोचती है तो कभी बेटा मा के बारे में. जब राजीव का फोन उस वक़्त आया था आप जिस दुनिया में थी, उस फोन का केरेक्टर आपके सबकॉन्षियस माइंड में आपके साथ जुड़ गया. अगर आप लोग उस वक़्त रुक जाते और अपने संभोग को आगे नहीं बड़ाते तो ऐसा नहीं होता जो आपको फील हुआ.
कामया : तो अब मैं क्या करूँ, में ऐसा कोई भी ग़लत काम नहीं करना चाहती, मैं नहीं चाहती की राजीव मुझे ग़लत समझे .इंदु : आंटी राजीव मेच्यूर है, अगर उसने ऐसा फील भी किया होगा , की उसने ग़लत टाइम पर आपको फोन कर दिया, तो उसे अपने उपर ग्लानि होगी, वह आपका बेटा है, आपसे बहुत प्यार करता है, आपकी बहुत इज़्ज़त करता है, वह कोई भी ऐसा काम नहीं करेगा जिससे से आप को दुख पहुँचे.
आप इस बात को बिल्कुल अपने दिमाग़ से निकल दीजिए की राजीव क्या सोच रहा होगा. और हान जब आप अंकल के साथ दुबारा हों तो यह बात अपने दिमाग़ में बिल्कुल मत लाना और केवल उनके बारे में ही सोचना.
काँटा : क्यूँ जानेमन हो गई तेरी प्राब्लम सॉल्व. चल अब तुझे अपने नये पार्ट्नर से मिलाती हूँ. यह बैठी तेरे सामने, अब यह मेरी बेटी ही नहीं तेरी तरहा मेरी दोस्त भी है.
इंदु : अच्छा मा में अपने कमरे में जा रही हूँ मुझे कल के कुछ केस स्टडी करने हैं.
कांता : ठीक है बेटी जा अपना काम कर.
इंदु चली जाती है.
कामया : यह तूने क्या किया, इंदु को इन्वॉल्व क्यूँ किया.
कांता : मेरी मजबूरी थी कामया.
कामया : क्या
कांता : कल तेरे घर आती हूँ, आराम से बात करेंगे.
कामया अपने घर चली जाती है और कांता अपनी सोचों में डूब जाती है.
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