FUN-MAZA-MASTI
एक अजीब सा उन्माद--6
राजेश को केथ की आँखों में प्यार का अतः समुंदर हिल्लोरे लेता हुआ दिख रहा था. वह केथ को अपनी बाहों में खींच लेता है और उसके होंठों को धीरे धीरे चूसने लगता है. केथ के जिस्म में खुशी वा आनंद की लहर कोंध जाती है, उसका जिस्म बेल की तरहा राजेश से चिपक जाता है. दोनो बड़े प्यार से एक दूसरे के होंठों को चूस्ते रहते हैं, राजेश का लंड तूफान मचाने लगता है, 9 इंच का लंड 90 डिग्री के कोण में आके उसकी पेंट फाड़ने को उतारू हो जाता है. बार मेन को मालूम था की एक बॉटल का ऑर्डर अभी आया ही आया, इसलिए चाहे देर हो रही थी, वह इनकी प्रेमलीला देखता रहता है और मंद मंद मुस्कुराता रहता है, उसके यहाँ अब तक हज़ारों कस्टमर्स आ चुके थे, पेर इतना पॅशनेट लव सीन उसने आज तक नहीं देखा था.
किस करते करते दोनो की आँखे बंद हो जाती हैं, दोनो का दिमाग़ जैसे अपने शेल में चला जाता है और उनका दिल जिस्म को कंट्रोल करने लगता है. केथ के होंठों से निकलती हुई मादक सिसकारियाँ राजेश के मुँह में घुलने लगती हैं जिससे वो अपने अंदर समेटता रहता है.
कुछ देर बाद राजेश किस तोड़ता है और दोनो गहरी साँसे लेने लगते हैं.
राजेश कल की तरहा ही बार मेन से एक वोड्का की बॉटल और कुछ और समान का ऑर्डर देता जिसे वह कुछ देर बाद पिकप करने की लिए बोलता है और केथ का हाथ पकड़ डिन्नर काउंटर की तरफ बॅड जाता है. दोनो अपना अपना डिन्नर करने लगते हैं. एक श्कस केथ को बुरी तरहा घूर रहा था, बस चले तो मार ही डाले, और कोई नहीं वह मीनाक्षी ही थी जिसकी राजेश शुरू से ही उपेक्षा कर रहा था. मीनाक्षी खूबसूरती में रंभा से कम ना थी और राजेश की बेरूख़ी उसे पल पल जला रही थी. राजेश का ध्यान अपनी तरफ खींचने के लिए वह उन दोनो के पास जाती है और “ राजेश हमारा कल का प्लान क्या है?” राजेश गुस्से से उसे देखते हुए “ हाउ डू आई नो आस्क दा ऑर्गनाइज़र?”
राजेश अपने डिन्नर की प्लेट वहीं छोड़ते हुए उठ जाता है और बार काउंटर की तरफ चला जाता है, केथ अपना डिन्नर पहले ही ख़तम कर चुकी थी वह भी राजेश के पीछे चली जाती है. राजेश की यह बेरूख़ी मीनाक्षी से सह्न नहीं होती और वो फूट फूट कर रोने लगती है. बार मेन सारा नज़ारा देख रहा होता है, उसे राजेश की किस्मत पर रक्श होता है, क्या इंसान है, लड़कियाँ लाइन लगा कर इसके पीछे पड़ी हैं.
अपना समान बार काउंटर से लेकर राजेश केथ को अपने साथ उसी कल वाली जगह पर ले जाता है. आज कुछ ठंडी ही मनभावक हवा चल रही थी जैसे उसे इन दो प्रेमियों का ही इंतेज़ार हो.
आज राजेश चट्टान पर बैठने की जगह सारा समान वहाँ रख देता है और नीचे रेत पर बैठ जाता है. केथ दो पेग त्यार करती है और एक राजेश को पकड़ा देती है.
दोनो ही चियर्स कर के हल्की हल्की चुस्कियाँ लेते हुए ठंडी हवा का आनंद लेते रहते हैं.
राजेश की नज़रें जैसे ही उपर आसमान को देखती हैं तो उसे वदिरूम की ख़ासियत का पता चल जाता है, इतने मोटे टिमटिमाते हुए तारे , जैसे हाथ बदाओ और छू लो हर पाँच मिनिट के अंतराल में एक तारा टूट रहा थे , कहते हैं टूटे हुए तारे को देख कर कोई भी विश माँग लो जल्दी पूरी होती है.
वह दो विश माँगता है , एक तो इंदु शादी के लिए हाँ कर दे और दूसरी, दूसरी को वो अपने दिल की गहराइयों में छुपा लेता है.
केथ की साँसे जैसे ही संभलती है वह राजेश के उपर आ जाती है, राजेश का ध्यान भंग होता है और उसे केथ की मौजूदगी का एहसास होता साथ ही वो मज़ा उसके जिस्म में ढोढने लगता है जो केथ ने उसे थोड़ी देर पहले दिया था.
वह पलटी मारता है और केथ को अपने नीचे कर लेता है.
होंठों से चूमते हुए वह केथ की चूत तक पहुँच जाता है और उसके बहते हुए कम रस को चाटने लगता है, स्लुउउउउर्र्र्र्र्र्र्र्रप्प्प्प्प्प्प्प्प , सस्स्स्स्स्सल्ल्ल्ल्ल्लररउप्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प, केथ मस्ती में भरने लगती है, राजेश उसकी चूत के होंठों को खोलता है और एके एक कर चूसने लगता, धीरे धीरे वह अपने दाँत भी गाड़ा रहा था. आआआआआअहह, आअहह, आाआईयईईईईईई, उूुुुुुुुउउफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ केथ की सिसकियाँ गूंजने लगती हैं वह इस तड़प और मज़े को सह्न नही कर पाती और अपने जिस्म को उपर की तरफ खींचती राजेश साथ में खींचा जाता है और उसका सकत लंड रेत में घुस्स जाता है, ठंडी ठंडी रेत उसके लंड के चारों तरफ उसे बहुत ही आनंदित कर देती है.
वह केथ की चूत पर भूखे कुत्ते की तरहा टूट पड़ता है, केथ की सिसकारियाँ तेज़ होने लगती है, अरे यह क्या राजेश की कमर भी उपर नीचे होने लगती है, जैसे धरती माँ को चोद रहा हो.
( इन्सेस्ट में अपनी माँ को चोद्ते हुए तो सुना है, यहाँ तो धरती माँ की चुदाई हो रही थी- शायद इन्सेस्ट की प्रकाष्ठा यही है – क्या ऐसा भी होता है?)
केथ अपने चरम पर पहुँचने लगती है, उसकी चूत में बाड़ आ जाती है , कई बाँध एक साथ टूट जाते हैं और वह मल्टिपल ओर्गसम की मार ना सहते हुए बेहोश हो जाती है राजेश उसके कम रस को गाता गत गाता गत पीने लगता , उसकी खुश्बू उसे मदमस्त कर देती है और उसकी कमर तेज़ी से उपर नीचे होने लगती है वह भी जल्दी ही अपने चर्म पर पहुँच अपना लावा धरती माँ में छोड़ देता है, जिसे ठंडी सुखी रेत अपने में सोख लेती है , जैसे उसे इसका ही बरसों से इंतेज़ार था.
दोनो निढाल हो जाते हैं , राजेश अब पलट जाता है और गहरी साँसे लेने लगता है. ऐसा मज़ा उसे कभी नहीं आया था.
इधर दिल्ली में राजेश के फोन के बाद जब इंदु अपनी माँ कांता के गले लगती है तो दोनो के सकत उरोज़ एक दूसरे से टकरा जाते हैं , एक क्रॅंट दोनो के जिस्मो में दोड जाती है, इंदु अपनी बाहों का घेरा अपनी माँ की पीठ के चारों तरफ सकत कर देती है और दोनो के उरोज़ एक दूसरे को चूमने लगते हैं, दोनो ने झीनी सी नाइटी पहनी हुई थी जिसका होना ना होना बराबर था.
इंदु की आँखे बंद हो जाती हैं उसका जिस्म झटके लेने लगता है, कांता समाज जाती है की इंदु को ओर्गसम हो रहा है, वह इंदु के सर पर प्यार से हाथ फेरने लगती है और उसकी गर्दन पर हल्के हल्के चुंबन बरसाने लगती है, वह इंदु से कस के चिपक जाती है और बेटी के आनंद को महसूस करने लगती है, उसकी आँखो में एक चमक आ जाती है, आज उसकी बेटी उसके बहुत ही करीब हो गई हे. दोनो एक दूसरे से चिपके हुए नींद के आगोश में चले जाते हैं.
वहीं मीनाक्षी जिसकी राजेश उपेक्षा कर रहा था, अपना ब्रह्मास्त्र चलाने का निर्णय लेती है, अपनी सारी शर्मो हया को त्याग कर वह राजेश के कमरे में चली जाती है और अपने सभी वस्त्र उतार कर उसके बिस्तर पर लेट जाती है, वह नागिन की तरह बल खाती हुए राजेश की खुश्बू को उसके बिस्तर से सूंगने लगती है, उसका नशा बदता ही रहता है और वह नग्न राजेश का इंतेज़ार करने लगती है, उसे पूरा यकीन था की राजेश उसके योवन की ताप में जल उठेगा और उसके आगोश में आ जायगा.
सुबह कांता की नीद जल्दी खुल जाती है, वह इंदु को अपनी बाहों में पाती है. इंदु की नाइटी उपर से खिसक गई थी और उसके उरोज़ आधे बाहर झाँक रहे थे. इंदु के उरोज़ कांता को अपनी तरफ खीच रहे थे, वह बड़े प्यार से उनको सहलाने लगी और धीरे धीरे दबाने लगी. इंदु की नीद टूट जाती है और वह अपनी मा को अपने उरोज़ से खेलता हुआ पाती है. वह अपनी आँखे बंद कर लेती है , उसे बहुत शर्म आ रही थी की मा उसके साथ क्या कर रही है, इंदु की उत्तेजना बॅडने लगती है और वह हल्की हल्की सिसकियाँ लेने लगती है. कांता समझ गई की इंदु जाग चुकी है, वह इंदु की सारी शर्म दूर करना चाहती थी, ताकि उसकी बेटी उस से अपने दिल की सारी बातें कर सके . कांता के हाथों का कसाव इंदु के एक उरोज़ पर बॅड जाता है और वह उसके दूसरे उरोज़ की निपल को हल्के हल्के चूसने लगती है.
इंदु का शर्म के मारे बहुत बुरा हाल हो जाता है, वह अपनी मा को कुछ कह नही पाती उसके जिस्म में उत्तेजना बॅडने लगती है, वह अपनी टॅंगो को आपस में रगड़ने लगती , उसकी छूट गीली होने लगती है.
इंदु के 36सी साइज़ के उरोज़ कड़क होने लगते हैं, उसके निपल तन जाते हैं. उसका हाल बहुत बुरा होने लगता है, वह बेचैन होने लगती है, म्*म्म्माआआआअ, उूुुुउउफफफफफफफफफफफफफ्फ़ , माआआआआआअ, हहाआआआऐययईईईईईईईईईईईईईईई, ककक्क्क्यययययययाआआअ ककककककककाआआररर्र्र्ररर र्र्र्र्र्ररराआआआहहिईीई हूऊऊऊ.
कांता इंदु की आँखों में देखती है, “ घबरा मत बेटी सब ठीक हो जाएगा” और फिर दोनो हाथो से दोनो उरोज़ को मसल्ने लगती है, साथ ही इंदु के गालों को चूमने लगती है, इंदु की आँखे लाल सुर्ख हो चुकी थी.
इंदु तेज़ तेज़ आँहे भरने लगती है, उसके जिस्म में आँधी चलने लगती है, सारा जिस्म अकड़ने लगता है, वह जैसे हवा में उड़ने लगी थी और बरसों से रुका हुआ बाँध आज डेह जाता है और इंदु पहली बार ओर्गसम का सुख अनुभव करते हुए एक गहरी नींद के आगोश में चली जाती है.
इस दोरान कांता उसके सर पर प्यार से हाथ फेरती रहती है.
जहाँ कांता एक तरफ दुखी थी, की उसने अपने आपको अपने बच्चों की नज़रों में गिरा दिया था, वहाँ उसे इस बात की खुशी थी की उसने अपनी बेटी का सेक्स से परिचय करवाया था. अब शायद इंदु का रुझान शादी की तरफ हो जाए.
वह इंदु को सोने देती है और खुद नहाने चली जाती है.
रात अपने पूरे योवन पर आ चुकी थी, ठंड बदती जा रही थी, आनंद की थकान से सोए हुए दो बदन इस ठंड को महसूस करके जाग जाते हैं. ठंड वाक्य में कुछ ज़यादा थी और रेगिस्तान में तो रात को तापमान बहुत गिर जाता है. राजेश और केथ दोनो ही अपने कपड़े पह्न लेते हैं. राजेश आधी बची हुई बॉटल से एक नीट घूँट मारता है और केथ को भी पीला देता है, ताकि जिस्म में कुछ गर्मी आए.
दोनो शिविर की तरफ बॅड जाते हैं, केथ का दिल अभी भरा नही था वह राजेश के साथ उसके कमरे में आ जाती है.
जैसे ही उनकी आँखे कमरे की धीमी रोशनी में देखने को अभ्यस्त होती हैं , तो उन्हे रति का रूप बिस्तर पर सोया दिखता है पल के लिए तो राजेश उस रूप की चकाचोंध में खो जाता है , फिर वह ध्यान से देखता है की मीनाक्षी नग्न उसके बिस्तर की शोभा बड़ा रही है, उसका यह रूप किसी बुड्ढे का लंड भी फौलाद की तरहा खड़ा कर दे. उसे कुछ समझ नहीं आता वह केथ की तरफ देखता है, केथ के चेहरे पर हसी थी, केथ उसे आगे बॅडने का इशारा करती है, वह शुरू से ही मींकशी को नोट कर रही थी, उसे मालूम था की मीनाक्षी भी उसकी तरहा राजेश पर मर मिट्टी है. हालाँकि केथ का दिल थोड़ा दुखी ज़रूर हुआ था.
राजेश केथ को इशारा करता है मीनाक्षी को उठाने के लिए. केथ बड़े प्यार से मीनाक्षी को उठाती है, केथ को अपने सामने देख कर मीनाक्षी थोड़ा घबरा जाती है और उठ कर राजेश को निहारने लगती है.
राजेश गुस्से में मीनाक्षी को कपड़े पहनने के लिए बोलता है और मुँह दूसरी तरफ करके खड़ा हो जाता है.
मीनाक्षी ज़हरीली आँखों से केथ को देखते हुए कपड़े पह्न लेती है और राजेश से जा के चिपक जाती है.
राजेश उसे अपने से दूर कर देता है और बैठने के लिए इशारा करता है. आज वह मीनाक्षी से खुल के बात करना चाहता था और इस पागलपन पर रोक लगाना चाहता था.
मीनाक्षी की आँखों में आँसू थे वह गर्दन नीचे जुका कर बैठ गई.
“ मीनाक्षी यह क्या पागल पन है, अगर कोई और तुम्हे मेरे कमरे में इस तरह देख लेता तो क्या इज़्ज़त रह जाती तुम्हारी, अपने आप को सम्भालो”
“ राजेश में तुम्हे चाहती हूँ और तुम्हारी उपेक्षा मुझ से सह्न नहीं हो रही थी, प्लीज़ मेरा इतना तिरस्कार ना करो, अपने दिल में कहीं एक छोटी जगह मुझे भी देदो”
“ देखो मीनाक्षी तुम एक अच्छी लड़की हो, ट्रेड में तुम्हारा कुछ नाम है, अपनी इज़्ज़त से मत खेलो , और एक बात सुन लो, में ट्रेड में किसी भी लड़की के साथ किसी भी तरहा का संबंध नहीं बनाता, यह मेरा पक्का उसूल है और में इससे किसी भी कीमत पर नहीं तोड़ूँगा, तुम बेकार में ही मुझ पर अपना टाइम बर्बाद कर रही हो, हम सिर्फ़ एक प्रोफेशनल दोस्त ही रह सकते हैं और कुछ भी नहीं.”
“ मुझे एक मोका तो दो, तुम्हे मुझ से कभी भी कोई परेशानी नहीं होगी”
“ नहीं मीनाक्षी, प्लीज़ अपने कमरे में जाओ और भूल कर भी दुबारा ऐसी हरकत मत करना, वरना में भूल जाउन्गा की तुम एक लड़की हो और मेरा कहर तुम पर टूट पड़ेगा, प्लीज़ ऐसी नौबत ना आने देना. प्लीज़ गो ”
मीनाक्षी अपने टूटे हुए दिल के साथ धीरे धीरे कमरे से बाहर निकल जाती है और फूट फूट कर रोने लगती है. उसके रोने की आवाज़े अंदर कमरे तक आ रही थी. केथ उठती है और बाहर जा कर मीनाक्षी को संभालती है और उसे उसके कमरे तक ले जाती है. मीनाक्षी की हालत देख कर केथ का भी दिल भर आता है और वह उसे चुप करने की कोशिश करती है.
राजेश का मूड ऑफ हो जाता है वह बाकी बची हुई वोड्का नीट ही पी जाता है और बिस्तर पर लूड़क जाता है.
केथ मीनाक्षी के कमरे से वापिस आती है और राजेश को इस तरहा पड़ा हुआ देख मन मसोस कर अपने कमरे में चली जाती है.
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एक अजीब सा उन्माद--6
राजेश को केथ की आँखों में प्यार का अतः समुंदर हिल्लोरे लेता हुआ दिख रहा था. वह केथ को अपनी बाहों में खींच लेता है और उसके होंठों को धीरे धीरे चूसने लगता है. केथ के जिस्म में खुशी वा आनंद की लहर कोंध जाती है, उसका जिस्म बेल की तरहा राजेश से चिपक जाता है. दोनो बड़े प्यार से एक दूसरे के होंठों को चूस्ते रहते हैं, राजेश का लंड तूफान मचाने लगता है, 9 इंच का लंड 90 डिग्री के कोण में आके उसकी पेंट फाड़ने को उतारू हो जाता है. बार मेन को मालूम था की एक बॉटल का ऑर्डर अभी आया ही आया, इसलिए चाहे देर हो रही थी, वह इनकी प्रेमलीला देखता रहता है और मंद मंद मुस्कुराता रहता है, उसके यहाँ अब तक हज़ारों कस्टमर्स आ चुके थे, पेर इतना पॅशनेट लव सीन उसने आज तक नहीं देखा था.
किस करते करते दोनो की आँखे बंद हो जाती हैं, दोनो का दिमाग़ जैसे अपने शेल में चला जाता है और उनका दिल जिस्म को कंट्रोल करने लगता है. केथ के होंठों से निकलती हुई मादक सिसकारियाँ राजेश के मुँह में घुलने लगती हैं जिससे वो अपने अंदर समेटता रहता है.
कुछ देर बाद राजेश किस तोड़ता है और दोनो गहरी साँसे लेने लगते हैं.
राजेश कल की तरहा ही बार मेन से एक वोड्का की बॉटल और कुछ और समान का ऑर्डर देता जिसे वह कुछ देर बाद पिकप करने की लिए बोलता है और केथ का हाथ पकड़ डिन्नर काउंटर की तरफ बॅड जाता है. दोनो अपना अपना डिन्नर करने लगते हैं. एक श्कस केथ को बुरी तरहा घूर रहा था, बस चले तो मार ही डाले, और कोई नहीं वह मीनाक्षी ही थी जिसकी राजेश शुरू से ही उपेक्षा कर रहा था. मीनाक्षी खूबसूरती में रंभा से कम ना थी और राजेश की बेरूख़ी उसे पल पल जला रही थी. राजेश का ध्यान अपनी तरफ खींचने के लिए वह उन दोनो के पास जाती है और “ राजेश हमारा कल का प्लान क्या है?” राजेश गुस्से से उसे देखते हुए “ हाउ डू आई नो आस्क दा ऑर्गनाइज़र?”
राजेश अपने डिन्नर की प्लेट वहीं छोड़ते हुए उठ जाता है और बार काउंटर की तरफ चला जाता है, केथ अपना डिन्नर पहले ही ख़तम कर चुकी थी वह भी राजेश के पीछे चली जाती है. राजेश की यह बेरूख़ी मीनाक्षी से सह्न नहीं होती और वो फूट फूट कर रोने लगती है. बार मेन सारा नज़ारा देख रहा होता है, उसे राजेश की किस्मत पर रक्श होता है, क्या इंसान है, लड़कियाँ लाइन लगा कर इसके पीछे पड़ी हैं.
अपना समान बार काउंटर से लेकर राजेश केथ को अपने साथ उसी कल वाली जगह पर ले जाता है. आज कुछ ठंडी ही मनभावक हवा चल रही थी जैसे उसे इन दो प्रेमियों का ही इंतेज़ार हो.
आज राजेश चट्टान पर बैठने की जगह सारा समान वहाँ रख देता है और नीचे रेत पर बैठ जाता है. केथ दो पेग त्यार करती है और एक राजेश को पकड़ा देती है.
दोनो ही चियर्स कर के हल्की हल्की चुस्कियाँ लेते हुए ठंडी हवा का आनंद लेते रहते हैं.
राजेश की नज़रें जैसे ही उपर आसमान को देखती हैं तो उसे वदिरूम की ख़ासियत का पता चल जाता है, इतने मोटे टिमटिमाते हुए तारे , जैसे हाथ बदाओ और छू लो हर पाँच मिनिट के अंतराल में एक तारा टूट रहा थे , कहते हैं टूटे हुए तारे को देख कर कोई भी विश माँग लो जल्दी पूरी होती है.
वह दो विश माँगता है , एक तो इंदु शादी के लिए हाँ कर दे और दूसरी, दूसरी को वो अपने दिल की गहराइयों में छुपा लेता है.
केथ की साँसे जैसे ही संभलती है वह राजेश के उपर आ जाती है, राजेश का ध्यान भंग होता है और उसे केथ की मौजूदगी का एहसास होता साथ ही वो मज़ा उसके जिस्म में ढोढने लगता है जो केथ ने उसे थोड़ी देर पहले दिया था.
वह पलटी मारता है और केथ को अपने नीचे कर लेता है.
होंठों से चूमते हुए वह केथ की चूत तक पहुँच जाता है और उसके बहते हुए कम रस को चाटने लगता है, स्लुउउउउर्र्र्र्र्र्र्र्रप्प्प्प्प्प्प्प्प , सस्स्स्स्स्सल्ल्ल्ल्ल्लररउप्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प, केथ मस्ती में भरने लगती है, राजेश उसकी चूत के होंठों को खोलता है और एके एक कर चूसने लगता, धीरे धीरे वह अपने दाँत भी गाड़ा रहा था. आआआआआअहह, आअहह, आाआईयईईईईईई, उूुुुुुुुउउफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ केथ की सिसकियाँ गूंजने लगती हैं वह इस तड़प और मज़े को सह्न नही कर पाती और अपने जिस्म को उपर की तरफ खींचती राजेश साथ में खींचा जाता है और उसका सकत लंड रेत में घुस्स जाता है, ठंडी ठंडी रेत उसके लंड के चारों तरफ उसे बहुत ही आनंदित कर देती है.
वह केथ की चूत पर भूखे कुत्ते की तरहा टूट पड़ता है, केथ की सिसकारियाँ तेज़ होने लगती है, अरे यह क्या राजेश की कमर भी उपर नीचे होने लगती है, जैसे धरती माँ को चोद रहा हो.
( इन्सेस्ट में अपनी माँ को चोद्ते हुए तो सुना है, यहाँ तो धरती माँ की चुदाई हो रही थी- शायद इन्सेस्ट की प्रकाष्ठा यही है – क्या ऐसा भी होता है?)
केथ अपने चरम पर पहुँचने लगती है, उसकी चूत में बाड़ आ जाती है , कई बाँध एक साथ टूट जाते हैं और वह मल्टिपल ओर्गसम की मार ना सहते हुए बेहोश हो जाती है राजेश उसके कम रस को गाता गत गाता गत पीने लगता , उसकी खुश्बू उसे मदमस्त कर देती है और उसकी कमर तेज़ी से उपर नीचे होने लगती है वह भी जल्दी ही अपने चर्म पर पहुँच अपना लावा धरती माँ में छोड़ देता है, जिसे ठंडी सुखी रेत अपने में सोख लेती है , जैसे उसे इसका ही बरसों से इंतेज़ार था.
दोनो निढाल हो जाते हैं , राजेश अब पलट जाता है और गहरी साँसे लेने लगता है. ऐसा मज़ा उसे कभी नहीं आया था.
इधर दिल्ली में राजेश के फोन के बाद जब इंदु अपनी माँ कांता के गले लगती है तो दोनो के सकत उरोज़ एक दूसरे से टकरा जाते हैं , एक क्रॅंट दोनो के जिस्मो में दोड जाती है, इंदु अपनी बाहों का घेरा अपनी माँ की पीठ के चारों तरफ सकत कर देती है और दोनो के उरोज़ एक दूसरे को चूमने लगते हैं, दोनो ने झीनी सी नाइटी पहनी हुई थी जिसका होना ना होना बराबर था.
इंदु की आँखे बंद हो जाती हैं उसका जिस्म झटके लेने लगता है, कांता समाज जाती है की इंदु को ओर्गसम हो रहा है, वह इंदु के सर पर प्यार से हाथ फेरने लगती है और उसकी गर्दन पर हल्के हल्के चुंबन बरसाने लगती है, वह इंदु से कस के चिपक जाती है और बेटी के आनंद को महसूस करने लगती है, उसकी आँखो में एक चमक आ जाती है, आज उसकी बेटी उसके बहुत ही करीब हो गई हे. दोनो एक दूसरे से चिपके हुए नींद के आगोश में चले जाते हैं.
वहीं मीनाक्षी जिसकी राजेश उपेक्षा कर रहा था, अपना ब्रह्मास्त्र चलाने का निर्णय लेती है, अपनी सारी शर्मो हया को त्याग कर वह राजेश के कमरे में चली जाती है और अपने सभी वस्त्र उतार कर उसके बिस्तर पर लेट जाती है, वह नागिन की तरह बल खाती हुए राजेश की खुश्बू को उसके बिस्तर से सूंगने लगती है, उसका नशा बदता ही रहता है और वह नग्न राजेश का इंतेज़ार करने लगती है, उसे पूरा यकीन था की राजेश उसके योवन की ताप में जल उठेगा और उसके आगोश में आ जायगा.
सुबह कांता की नीद जल्दी खुल जाती है, वह इंदु को अपनी बाहों में पाती है. इंदु की नाइटी उपर से खिसक गई थी और उसके उरोज़ आधे बाहर झाँक रहे थे. इंदु के उरोज़ कांता को अपनी तरफ खीच रहे थे, वह बड़े प्यार से उनको सहलाने लगी और धीरे धीरे दबाने लगी. इंदु की नीद टूट जाती है और वह अपनी मा को अपने उरोज़ से खेलता हुआ पाती है. वह अपनी आँखे बंद कर लेती है , उसे बहुत शर्म आ रही थी की मा उसके साथ क्या कर रही है, इंदु की उत्तेजना बॅडने लगती है और वह हल्की हल्की सिसकियाँ लेने लगती है. कांता समझ गई की इंदु जाग चुकी है, वह इंदु की सारी शर्म दूर करना चाहती थी, ताकि उसकी बेटी उस से अपने दिल की सारी बातें कर सके . कांता के हाथों का कसाव इंदु के एक उरोज़ पर बॅड जाता है और वह उसके दूसरे उरोज़ की निपल को हल्के हल्के चूसने लगती है.
इंदु का शर्म के मारे बहुत बुरा हाल हो जाता है, वह अपनी मा को कुछ कह नही पाती उसके जिस्म में उत्तेजना बॅडने लगती है, वह अपनी टॅंगो को आपस में रगड़ने लगती , उसकी छूट गीली होने लगती है.
इंदु के 36सी साइज़ के उरोज़ कड़क होने लगते हैं, उसके निपल तन जाते हैं. उसका हाल बहुत बुरा होने लगता है, वह बेचैन होने लगती है, म्*म्म्माआआआअ, उूुुुउउफफफफफफफफफफफफफ्फ़ , माआआआआआअ, हहाआआआऐययईईईईईईईईईईईईईईई, ककक्क्क्यययययययाआआअ ककककककककाआआररर्र्र्ररर र्र्र्र्र्ररराआआआहहिईीई हूऊऊऊ.
कांता इंदु की आँखों में देखती है, “ घबरा मत बेटी सब ठीक हो जाएगा” और फिर दोनो हाथो से दोनो उरोज़ को मसल्ने लगती है, साथ ही इंदु के गालों को चूमने लगती है, इंदु की आँखे लाल सुर्ख हो चुकी थी.
इंदु तेज़ तेज़ आँहे भरने लगती है, उसके जिस्म में आँधी चलने लगती है, सारा जिस्म अकड़ने लगता है, वह जैसे हवा में उड़ने लगी थी और बरसों से रुका हुआ बाँध आज डेह जाता है और इंदु पहली बार ओर्गसम का सुख अनुभव करते हुए एक गहरी नींद के आगोश में चली जाती है.
इस दोरान कांता उसके सर पर प्यार से हाथ फेरती रहती है.
जहाँ कांता एक तरफ दुखी थी, की उसने अपने आपको अपने बच्चों की नज़रों में गिरा दिया था, वहाँ उसे इस बात की खुशी थी की उसने अपनी बेटी का सेक्स से परिचय करवाया था. अब शायद इंदु का रुझान शादी की तरफ हो जाए.
वह इंदु को सोने देती है और खुद नहाने चली जाती है.
रात अपने पूरे योवन पर आ चुकी थी, ठंड बदती जा रही थी, आनंद की थकान से सोए हुए दो बदन इस ठंड को महसूस करके जाग जाते हैं. ठंड वाक्य में कुछ ज़यादा थी और रेगिस्तान में तो रात को तापमान बहुत गिर जाता है. राजेश और केथ दोनो ही अपने कपड़े पह्न लेते हैं. राजेश आधी बची हुई बॉटल से एक नीट घूँट मारता है और केथ को भी पीला देता है, ताकि जिस्म में कुछ गर्मी आए.
दोनो शिविर की तरफ बॅड जाते हैं, केथ का दिल अभी भरा नही था वह राजेश के साथ उसके कमरे में आ जाती है.
जैसे ही उनकी आँखे कमरे की धीमी रोशनी में देखने को अभ्यस्त होती हैं , तो उन्हे रति का रूप बिस्तर पर सोया दिखता है पल के लिए तो राजेश उस रूप की चकाचोंध में खो जाता है , फिर वह ध्यान से देखता है की मीनाक्षी नग्न उसके बिस्तर की शोभा बड़ा रही है, उसका यह रूप किसी बुड्ढे का लंड भी फौलाद की तरहा खड़ा कर दे. उसे कुछ समझ नहीं आता वह केथ की तरफ देखता है, केथ के चेहरे पर हसी थी, केथ उसे आगे बॅडने का इशारा करती है, वह शुरू से ही मींकशी को नोट कर रही थी, उसे मालूम था की मीनाक्षी भी उसकी तरहा राजेश पर मर मिट्टी है. हालाँकि केथ का दिल थोड़ा दुखी ज़रूर हुआ था.
राजेश केथ को इशारा करता है मीनाक्षी को उठाने के लिए. केथ बड़े प्यार से मीनाक्षी को उठाती है, केथ को अपने सामने देख कर मीनाक्षी थोड़ा घबरा जाती है और उठ कर राजेश को निहारने लगती है.
राजेश गुस्से में मीनाक्षी को कपड़े पहनने के लिए बोलता है और मुँह दूसरी तरफ करके खड़ा हो जाता है.
मीनाक्षी ज़हरीली आँखों से केथ को देखते हुए कपड़े पह्न लेती है और राजेश से जा के चिपक जाती है.
राजेश उसे अपने से दूर कर देता है और बैठने के लिए इशारा करता है. आज वह मीनाक्षी से खुल के बात करना चाहता था और इस पागलपन पर रोक लगाना चाहता था.
मीनाक्षी की आँखों में आँसू थे वह गर्दन नीचे जुका कर बैठ गई.
“ मीनाक्षी यह क्या पागल पन है, अगर कोई और तुम्हे मेरे कमरे में इस तरह देख लेता तो क्या इज़्ज़त रह जाती तुम्हारी, अपने आप को सम्भालो”
“ राजेश में तुम्हे चाहती हूँ और तुम्हारी उपेक्षा मुझ से सह्न नहीं हो रही थी, प्लीज़ मेरा इतना तिरस्कार ना करो, अपने दिल में कहीं एक छोटी जगह मुझे भी देदो”
“ देखो मीनाक्षी तुम एक अच्छी लड़की हो, ट्रेड में तुम्हारा कुछ नाम है, अपनी इज़्ज़त से मत खेलो , और एक बात सुन लो, में ट्रेड में किसी भी लड़की के साथ किसी भी तरहा का संबंध नहीं बनाता, यह मेरा पक्का उसूल है और में इससे किसी भी कीमत पर नहीं तोड़ूँगा, तुम बेकार में ही मुझ पर अपना टाइम बर्बाद कर रही हो, हम सिर्फ़ एक प्रोफेशनल दोस्त ही रह सकते हैं और कुछ भी नहीं.”
“ मुझे एक मोका तो दो, तुम्हे मुझ से कभी भी कोई परेशानी नहीं होगी”
“ नहीं मीनाक्षी, प्लीज़ अपने कमरे में जाओ और भूल कर भी दुबारा ऐसी हरकत मत करना, वरना में भूल जाउन्गा की तुम एक लड़की हो और मेरा कहर तुम पर टूट पड़ेगा, प्लीज़ ऐसी नौबत ना आने देना. प्लीज़ गो ”
मीनाक्षी अपने टूटे हुए दिल के साथ धीरे धीरे कमरे से बाहर निकल जाती है और फूट फूट कर रोने लगती है. उसके रोने की आवाज़े अंदर कमरे तक आ रही थी. केथ उठती है और बाहर जा कर मीनाक्षी को संभालती है और उसे उसके कमरे तक ले जाती है. मीनाक्षी की हालत देख कर केथ का भी दिल भर आता है और वह उसे चुप करने की कोशिश करती है.
राजेश का मूड ऑफ हो जाता है वह बाकी बची हुई वोड्का नीट ही पी जाता है और बिस्तर पर लूड़क जाता है.
केथ मीनाक्षी के कमरे से वापिस आती है और राजेश को इस तरहा पड़ा हुआ देख मन मसोस कर अपने कमरे में चली जाती है.
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