Saturday, November 30, 2013

FUN-MAZA-MASTI तकलीफ--4

FUN-MAZA-MASTI

 तकलीफ--4

 मैं तो कोई स्वप्न की दुनियामें ही था. मेरे लिए ये जो हो रहा था वो कल्पना के बाहर था. पहेले जब कभी रीना हमारे घर आती थी तो अक्सर मैं उसे देखता रहेता था पर कभी ये नहीं सोचा था की मैं वही सुन्दर लड़की के कभी इतना करीब भी जा सकूँगा. और करीब क्या जाना? मैं तो उस सुन्दर नयी नवेली दुल्हन के अंदर काफी गहराइयों में जा चूका था. कुछ दिनों के बाद तो वो UK चली जाएगी. ऐसा मौका फिर कभी नहीं मिलेगा वो मैं अच्छी तरह से जानता था. रीना फिर कब मेरी जिंदगी में वापस आएगी वो नहीं जानता था. रीना तो ठीक पर ऐसी सुंदर अप्सरा जैसी लड़की की कभी चुदाई करने को मिलेगी भी या नहीं. रीनाके अलावा मेरे दिमाग मैं कोई ख़याल नहीं आ रहा था. मुझे फिरसे रीना की चुदाई करने का मन हो रहा था.


रीना किचन में खाना बना रही थी. उसकी सुहागन की चूड़ियों की खनक और पायल की झनकार मुझे और भी मदहोश कर रही थी. मैं उसके करीब गया और सोचता था की कैसे बात करूँ? कैसे कहूँ की मुझे अभी तुम्हारी चुदाई करने का मन कर रहा है. इतने में रीना ने सामनेसे ही बात शुरू की. “कैसा लगा?”
मैंने कहा "बहोत मज़ा आया. इतना मझा आया की मैं बयां नहीं कर सकता. तुम बहोत सुन्दर हो. I love you. ”.

रीना ने मेरे होंठो को प्यार से चूम कर कहा “Thanks, मुझे भी बहोत मज़ा आया. काफी दिनों के बाद ये करने का मौका मिला. और तुम चुदाई भी बहोत अच्छी करते हो. चुदाई करना तुमने कहाँ से सिखा?”
मैं बोला "ये तुमसे ही तो सिखा है"
रीना बोली "चल जूठे, मैंने तुझे कब सिखाया?”
मैं बोला "तुम इतनी सेक्सी हो की सब अपने आपही हो रहा था. मै तो केवल इतना ख्याल रखता था की कहीं मेरे स्पर्म न निकल जाये नहीतो तुम्हारी चुदाई अधूरी रह जायेगी."
रीना यह सुन कर फिर से गर्म होने लागी थी. फिर से मेरे होठों को चूमते हुए बोली "शैतान कहींका, तुम्हे मालूम है तुम्हारी ये हरकत की वजह से मैं कितनी बार झड गयी?... और तुम थे की झड ने का नाम ही नहीं लेते थे!!!”
मेरे होंठ चुमते हुए वो फिर से मदहोश होती जा रही थी और मुझे अपनी बाँहों में लेकर मदहोशी में ही कहा "मै भी यही चाहती थी की तुम कभी ना रुको और बस यूँही मेरी चुदाई करते रहो.. करते रहो...”
और रीना ने मेरे होंठ काट लिए. उसने फिर से भूखी शेरनी जैसा रूप बना लिया था. उसने सब्जी का गैस बंध कर दिया और मुझे धक्का देकर फर्श पर गिरा दिया. मेरे गिरते ही वो मुझ पर टूट पड़ी. मेरे पुरे चहरे पर उसने चुम्बनों की वर्षा कर दी. मुझे चुमते हुए ही उसने मेरे सब कपडे उतार दिए और तुरंत ही मेरे खड़े हुए लंड पर लपक गयी. उसे मुंह में लेकर खूब जोर से चूसने लगी. मेरे पूरे लंड को निगलना उसे बहोत पसंद था. वो मेरे लंड को पूरा निगल कर चूस रही थी.


तभी उसके मोबाइल की रिंग बजी. पर वो कहाँ सुननेवाली थी? काफी देर रिंग बजने के बाद उसके रंग मैं भंग पड़ा और बड़े गुस्सेसे फ़ोन उठाया. देखा तो उसके हसबंड का ही फोन था. एक क्षण के लिए तो वो अपनी धड़कन चुक गयी पर अपने आप को संभाल कर उसने अपने मुंह पर उंगली रख कर इशारे से मुझे चुप रहने को बोला.

मैंने भी इशारे पूछा "कौन है?”
उसने फिरसे इशारेमे कहा उसके हसबंड है. यह जान कर मै भी थोडा डर गया. मुझे डरा हुआ देखकर उसने मुझे इशारे से शांत रहने को कहा. मैं वैसे ही फर्श पर लेटा रहा और रीना मेरे लंड को अपने हाथ में लिए अपने हसबंड के साथ फोन पर बात करना शुरू किया. हाय-हेल्लो करने के बाद रीनाने रोमेंटिक बाते शुरू की. रीना ने बताया की वो उसको कितना मिस कर रही है और कितना तड़प रही है. यह कह कर रीना ने मेरे लंड फिर से अपने मुंह में डाला और चूसने लगी और मोबाइल को करीब ला कर उसके हसबंड को भी लंड चुसाई की आवाज़ सूना रही थी. हसबंड के पूछने पर बताया की "तुम्हारी याद में मै डिल्डो से काम चला रही हूँ और अभी उसे ही चूस रही हूँ" यह सुनकर उसका हसबंड भी मूड में आ गया और सेक्स की बातें करने लगा. उसने भी अपना पेंट निकाल कर अपना लंड हाथ में लिया और रीना को बोला "जोर से चुसो... और जोर से चुसो...."
रीना भी यही चाहती थी. वो मेरे लंड को जोर से चूसने लगी. देर तक लंड चूसने के बाद रीना से रहा नहीं गया. उसने एक के बाद एक अपने सब कपडे उतार फैंके और मेरे सामने अपने पैर फैलाकर लेट गई. एक तरफ उसने अपने हसबंड को फोन पर कहा की उसकी चूत चाटें और दूसरी और रीना ने मेरा सर पकड़ कर मेरे होंठ उसकी चूत पर कस दिए. जब मैं रीना की चूत चुस रहा था तब रीना के मुह से निकलती हुई मदहोशी की आंहे उसका हसबंड सुन रहा था. मैं रीना की चूत और उसकी मख्खन जैसी जांघे सब कुछ चाट रहा था तभी रीना ने अपने दुसरे हाथ की उँगलियों से चूत को खोल कर चौड़ा किया और बोली "मेरी चूत चाटो ना..."
मुझे इशारे से उसकी चूतके अन्दर चूसने को कहा. रीना का हसबंड भी फोन पर यह कल्पना कर रहा था की वो रीना की चूत चाट रहा है पर उसे क्या मालुम था की वास्तव में उसकी बीवी किसी और के आगे अपनी चूत खोल कर लेटी है और कोई और उसकी चूत में जीभ रगड़ रहा है.


काफी देर रीना की चूत चाटने के बाद रीना अचानक उछल पड़ी और उसके मुंह से जोर से आह निकल गयी. रीना का हसबंड समज गया की रीना झड गयी थी. और ये जान कर वो भी बड़ा उत्तेजित हो चूका था. उसने रीना को कहा की अब वो डिल्डो अपनी चूत मैं डाले. रीना अभी तक हांफ रही थी. उसने अपने हसबंड को थोड़ी देर रुकने को कहा. पर मैं बड़ा अधीर था. मैंने रीना की परवाह किये बिना उसके दोनों पैर फैलाकर उसके ऊपर चढ़ गया और लंड को उसकी चूत की गहराइयों में गाड़ दिया. रीना अभी अभी झड़ी थी इसलिए उसकी चूत काफी तंग थी. उसको बांहों में लेकर मैं आहिस्ता आहिस्ता उसकी चुदाई कर रहा था. कुछ देर बाद रीना वापस चुदाई के लिए तैयार हो गयी और कहने लगी "मुझ से और रहा नहीं जाता... मेरी चुदाई करो ना....".
दूसरी ओर उसका हसबंड यह सुन कर और भी उत्तेजित हो रहा था और कल्पनामें ही रीना की चुदाई कर रहा था. दूसरी और मैं एक ही लय से रीना की चुदाई कर रहा था और उसका हसबंड फोन पर रीना की आहें सुन कर आनंद ले रहा था. मन ही मन मैं रीना की चतुराई को दाद दे रहा था की उसने क्या दिमाग लगाया था. एक तरफ उसके हसबंड से बात भी कर रही थी ताकि उसे बुरा ना लगे और कोई शक न हो और दूसरी ओर वो अपनी चूत की आग बुझा रही थी.


पर रीना को यह नहीं पता था की इस बार चूत की आग बुझाने में स्वर्ग का आनंद मिलेगा. मैं एक लय से रीना की चूत की गहराईयोंमे मेरा लंड डाल रहा था. उस दरम्यान रीना को चूत के अन्दर कुछ अजीब सा महेसुस हो ने लगा. धीरे-धीरे उसकी आँखे मदहोशी से मूंद गयी और बेकाबू हो कर मेरी बाहों में मचलने लगी. कुछ देर बाद तो उसके हाथों से मोबाइल गिर गया और उसके दोनों हाथों से मुझे जोर से जकड लिया. उसने अपने पुरे होश खो दिए थे. रीना को ऐसी उत्तेजित पहले नहीं देखा था. मैं भी थोडा डर गया. उसने दोनों पैर मेरी कमर पर कस दिए और उछल उछल कर मेरा लंड अपनी चूतमें और अन्दर तक लेने के लिए बेताब होने लगी. करीब आधे घंटे की जम कर चुदाई के बाद रीना झड झड के थक चुकी थी पर मेरा झडने का नाम नहीं था. रीना के चहेरे पे गहरा संतोष छा गया था. रीना ने मुझे रोका और मुझे गले लगा कर बोली "बस अब और नहीं...मैं पूरी तरह से संतुष्ट हु. आज मुझे एसा सुख मिला है जैसे मैं कभी भूल नहीं पाउंगी. तुमने मुझे आज स्वर्गका सुख दे कर पूरी तरह से तृप्त किया है. आज मेरी सब इच्छाए पूरी हुई है और इसके लिए तुम्हे बहोत बहोत Thanks”
रीना के हसबंड को लगा की रीना उसे ये सब कह रही है तो वो मन हे मन खुश हो रहा था. रीना ने फटा फट फोन पर बात ख़तम करके फोन रख दिया. मेरा लंड अभी भी रीना की चूत मैं पड़ा था. रीना आगे बोली "मुझे पता है की तुम अभी तक झडे नहीं हो पर मैं तुम्हारे स्पर्म अपने हाथों से निकाल कर दूंगी.”
रीना की बातों को मानते हुए मैंने मेरा लंड रीना की चूतमें से बाहर निकाला. निकालते ही रीना की आँखे खुल गयी. मेरा लंड सूजा हुआ था. रीना को अब सब कुछ समज मैं आ रहा था की उसे स्वर्गका आनंद कैसे मिला था. मेरा तगडा लंड देख कर रीना को अपनी चूत की चिंता हुई उसने अपनी चूत की और देखा तो वो फट चुकी थी और फटने की वजह से थोडा ब्लीडिंग भी हुआ था. चूत का काना पूरा खुल गया था. पर अब मेरे लंड की सुजन का क्या करे? तब रीना ने एल पल की भी देर न करते हुए मेरा लंड वापस अपनी चूत मैं समा लिया.
 उस रात डिनर के बाद रीना किचन में सब ठीक कर रही थी तभी मैंने चुपके से उसके पीछे जा कर उसकी पतली कमर में हाथ डाल कर उसे बाँहों में समा लिया.
.............रात को....” बोल कर रीना मेरी बाँहों में से छुट कर फटाफट किचन का काम निपटाने लगी.
मैंने कहा "तुम इतनी सुन्दर हो की मुझ से रहा नहीं जाता. चल ना...थोड़ी देर.....”
वो बोली "अब पांच-दस मिनिट रुक ना... काम ख़तम करके फिर बेड पर आराम से करते है ना. ....फिर पूरी रात चुदाई करना.... मैं मना नहीं करुँगी...”
पर अभी एक बार डालने दो ना..." मैंने जिद की.
मेरी जिद के आगे वो हार कर बोली "ठीक है... पर एक ही बार.....ज्यादा नहीं...."
मैं खुश हो गया और जल्दी से मेरी चड्डी उतार दी. मेरा लंड तन कर रीना की और खड़ा था. रीना अभी उसकी पेंटी निकाल रही थी. मैं उतावला हो रहा था. रीना ने अपनी साड़ी उठा दी और प्लेटफोर्म पर अपने पैर फैला कर बैठ गई. मै तो तैयार ही था. तुरंत पास जा कर लंड को उसकी चूत में डाल दिया.
.....माँ....” लंड को अपनी चूत मैं महसूस करते ही रीना के मुंह से आह निकल गई. मैंने उसकी चुदाई शुरू ही की थी की उसने मुझे रोक लिया. “बस अभी इतना ही...बाकी का रात को.....”
कुछ देर और please” मैंने बिनती की पर उसने एक नहीं सुनी. आखिर मै मैंने उसकी चूत में से निकाल लिया.
मुझे निराश होते देख वो बोली "तुम बेडरूम में जाओ मैं बस अभी आई...”
नाराजगी जताने के लिए मैंने उसके स्तन को पकड़ कर जोर से काट लिया और रीना मुझे पकड़ पाए उससे पहले में बेडरूम की और भाग ने लगा. उसने मुझे मार ने के लिए पास में पड़ा बेलन लिया पर तब तक तो मैं दूर जा चुका था.
तू भाग कर कहाँ जाएगा.. तू रुक मैं अभी आई...और तुझे कुछ करने नहीं दूंगी.....” रीना झूठ मुठ का गुस्सा दिखाकर एक हाथ में अपने दुःखते हुए स्तन को पकड़ कर बोली.
मैं बेडरूम मैं जा कर रीना का इंतझार करने लगा. मुझे काफी थकान महेसुस हो रही थी और कुछ ही देर मैं मेरी कब आँख लग गयी पता ही नहीं चला.

सुबह उठकर देखा तो ग्याराह बजे थे. मैं फटाफट उठा और देखा तो रीना भी अभी तक सोयी हुई थी. सुबह सुबह में अगर बाजू में बिखरी हुई जुल्फ़े और अस्तव्यस्त कपड़ों में रसीले होंठ वाली अप्सरा सोई हुई हो तो लंड कैसे सोता रहेगा? पर उसे जगाने का मन नहीं करता था. बस ऐसे ही उसे जी भर कर देखता रहूँ. उसकी सुन्दरताको आँखों में समालू. उसकी आँखे, होंठ, गोरे गाल, कोमल उंगलिया, छत की और ताकते हुए स्तन और उसके ऊपर मेरे काटने का निशान, नाजुक कमर, मलाई जैसी जांघ. साडी को चुपके से थोडा और उठाया तो मेरी प्यारी चूत. सब कुछ मैं जी भर के करीब से देख रहा था. उसकी खुशबु को सांसो मैं भर रहा था. मैं मेरे होंठ उसकी चूत के करीब ले गया और धीरे से उसके पैर फैलाये ताकि मैं उसके पैरो के बिच लेटकर चूत को करीब से देख सकू. जैसे ही उसकी चूत के करीब गया तो चूत की खुशबु से मैं होश खो बैठा. मैं इतना करीब था की मेरी सांसे उसकी चूत को छु रही थी. गहरी सांसो में मैं उसकी सुगंध कैद करना चाहता था. अपने दोनों हाथों की उंगलिओं से बड़ी सावधानी से उसकी चूत को थोडा चौड़ा किया ताकि उसकी अन्दरकी सुंदरता भी मन मैं समा लू. अभी तो उसकी चूत को पूरा खोला भी नहीं था पर लग रहा था की मैं गुलाब की कली को खोल रहा हूँ. चूतके अन्दर जैसे तजा गुलाब की दो पंखडीयां आपस मैं चिपकी हुई है. वो इतनी कोमल थी की उसे छुने की मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी. मैं मेरे होंठ उसकी चूत के करीब ले गया और जीभकी मदद से उसकी दोनों पंखडियों को अलग किया. अलग करते ही उसकी चूत में बचे मेरे स्पर्म सरक कर चद्दर पर गिरे. मेरे होंठ उसकी चूत को छूते नहीं थे पर इतने करीब थे की चूत की गरमी महेसुस हो रही थी. उसकी चूत के हरएक गुसबम्प की तस्वीर मैं मेरी नजरों में कैद कर रहा था. मेरे होंठ ज्यादा देर तक रुक न सके और हार कर उसकी चूत पंखडियों को थोडा और फैला कर उसमे चिपक गए. मेरे ठन्डे होंठ उसकी चूत मैं छूते ही रीना जाग गयी. उसकी चूत मैं मेरे होंठ गड़े हुए देख अपनी चूत को मेरे होठों से दूर कर के वो झट से बेड पर बैठ गयी और बोली “इतनी सुबह हो गयी है और तुमने मुझे जगाया क्यों नहीं?.
मै बोला "क्यों जगाऊ? फिर तुम घर के काम में लग जाओगी और मैं तेरी राह देखता रहूँगा..”
वो तुरंत बहार भागी और भागते हुए बोली "बहार दूधवाले ने दूध रखा होगा... अगर तुरंत लिया नहीं तो बिल्ली के हाथ लग सकता है.”
दूध लेकर वापस वो अपने काम मैं लग गयी.
मैं बोला "वापस काम? चलो न थोड़ी देर करते हैं"
वो बोली "फिर रात को क्यों सो गए? पूरी रात पड़ी थी हमारे पास.... मै आई तो तुम गहरी नींद में सोये पड़े थे.”
मै बोला “तो जगाया क्यों नहीं?”
वो बोली “एक बार तुम्हे हिलाया था पर तुम इतनी गहरी नींद में थे की उठने का नाम ही नहीं लेते थे.... फिर मैं भी तो थक गयी थी और चूतको भी आराम देना था ताकि वो सिल जाए. ”
कुछ देर रुक कर बोली "दोपहर को करते है... तब तक मैं सब काम फटाफट निपटा लेती हूँ... ठीक है?”
मुझे समझाकर फिर से वो अपने काम मैं जुट गयी.

करीब दोपहर को तिन बजे थे हमने खाना का लिया था और रीनाने सब काम निपटा लिया था. वो थोड़ी थक गयी थी और ड्राइंगरूम में आ कर अपने आप को सोफे पर झोंक दिया. अभी कुछ ही देर हुई थी की मेरे लंड की सुजन शुरू होने लगी. मै एक ओर रीना की ओर देख रहा था तो दूसरी ओर मेरे लंड को बड़ा होते देख रहा था. मैंने रीना को आवाझ दी "रीना... देखो...”
रीना ने आँख उठा कर देखा तो मेरा तगड़ा लंड उसकी चूत के इंतझार मैं तन कर खड़ा था. थकान होते हुए भी उसने तुरंत उठ कर अपनी साड़ी खिंच कर निकाल फेंकी. अपने पेटीकोट को उठा कर अपनी पेंटी उतार ली और मैं जहाँ बैठा था वो सोफे पर चढ़ गयी. अपने दोनो पैर सोफे के दोनों बाजू रख कर खड़ी हो गई. नीचे देख कर उसने मेरे लंड की ऊंचाई नाप ली और मेरे कंधे का सहारा लेकर अपने चुतड को निचे लाई. जैसे ही उसकी चूत मेरे सुपडे के बराबर ऊपर आई तो एक हाथ की पहेली दो उँगलियों से उसने अपनी चूत खोली. जितनी हो सके उतनी चूत को चौड़ी करके उसने
सुपडे के ऊपर रख दिया और धीरे से सुपडे को चूत मैं समा लिया. सुपड़ेको निगलने के बाद उसकी आँख मूंद गयी और मुंह से "........................" निकल गयी. वो कुछ क्षण रुकी और धीरे धीरे बड़ी सावधानी से वो मेरे लंड पर बैठ गयी. उसकी चूत ने मेरा पूरा लंड समा लिया था जैसे अजगर अपने शिकार को निगलता हो. इतना लम्बा और तगड़ा लंड उसकी छोटीसी चुतमे कैसे समता होगा. पक्का उसकी नाभिके पार निकल चूका होगा. इस तरफ मेरा पूरा लंड अपनी चूत में समाये रीना मेरे कंधे पर सर रख कर ढल गयी और थकी हुई आवाज़ मैं बोली “अभी कुछ मत करना....कुछ देर मुझे थकान उतारने दो.....”. और वो ऐसे ही पड़ी रही.

करीब दस मिनट बाद डोर बेल बजा. रीना और मैं गभरा गए. अब क्या करे? दरवाजे पर कौन होगा? और अभी दरवाजा कैसे खोले? मेरे लंड को रीना की चूत की सख्त जरुरत थी. लेकीन दरवाजा खोलना जरुरी था. इतने मैं दो-तिन बार बैल बजी. रीना तुरंत सोफे पर खड़ी हो गयी अपनी चूत मैं से मेरे लंड को निकाल दिया और लंड को छुपाने के लिए उसके ऊपर एक तकिया रख दिया. जो भी दरवाजे पर है उसे झटपट विदा करने के इरादे से उसने फटाफट साडी पहन कर दरवाजा खोला. और देखा तो उसकी सहेलियां थी. रीना को देखतेही ख़ुशी के मारे रीना को गले लगा लिया और रीना कुछ कहे उससे पहले सब सहेलियां घर के अन्दर चली आई.
माया, सुषमा, नीला, नूपुर ...... तुम लोग? इतने दिनों के बाद?” रिनाकी आवाज़ मैं ख़ुशी भी थी और डर भी था.
हाँ... तेरे साथ झगड़ा करने के लिए आये हैं... " सुषमा झूठा गुस्सा दिखाकर बोली
तुमने छुप-छुप कर शादी कर ली... हमें अपनी शादी मैं बुलाया क्यों नहीं?” माया बिच मैं ही टूट पड़ी.
और वो तो ठीक.. तुम हमेशा के लिए UK जा रही हो तो हमें मिलने की भी इच्छा नहीं होती है?” सुषमा ने फिरसे रीना को लिया.
रीना अपने आप को सँभालते हुए बोली “पर.. सब इतना जल्दी हो गया की कुछ सोचने का वक्त ही नहीं मिला.. I am sorry.... please माफ़ कर दो... "
रीना को गिडगिडाते हुए देख कर नुपुर से रहा नहीं गया "अरे ये लोग तो तुम्हे वैसे ही चिढ़ा रहे हैं.... हमने कल ही तेरे घर फोन किया था और आंटी ने सब बताया....हमें सब पता है...इसीलिए हमने आज साथ मै बिताने का प्लान किया है.... हम पहले शॉपिंग करेंगे... फिर मूवी देखेंगे और साथ मैं डिनर करेंगे....”
चलो अब फटाफट तैयार हो जाओ.” सुषमा ने आर्डर किया.
रीना ने चिंता जताई “प्लान तो बहोत अच्छा है... पर काश मैं आ सकती. .. “
क्यों... क्यूँ नहीं आ सकती... चल अब नाटक बंध कर और तैयार हो जा.....तू मूड ख़राब मत कर....” नीला बोली.
चारो सहेलियों में से नीला के अलावा सब की शादी हो चुकी थी. नीला अभी भी लड़का ढूंढ रही थी. मेरे सामने ये सब लोग कब से बाते कर रहे थे और मैं सूजे हुए लंड को तकिये के निचे छुपा कर बैठा था.... मैंने आवाज़ दी "रीना.....” और उसे इशारा कर के मेरे लंड की याद दिलाई.
रीना सब सहेलियों की बातो मैं मुझे भूल ही गयी थी. अचानक याद आने पर उसने झट से दरवाजा बंध किया और सब को ड्राइंगरूम में बिठाया. सब सहेलियां उसकी और ओर एकदूसरे की ओर आश्चर्य से देख रही थी और सोच रही थी रीना ये क्या कर रही है? अचानक उसे क्या हो गया? इतने में रीना सोफे पर चढ़ गयी. तकिये को लंड पर से हटाया और पेटीकोट ऊपर उठा कर मेरे लंड को उसकी चूत मैं गाड़ दिया... सब सहेलियों को ये देखकर जोर का झटका लगा. उन सब का मुंह और आँखे फटी की फटी रह गई. एक तो इतना तगडा और लम्बा लंड था और रीना ने पलक झपक ते ही अपनी चूत मैं ले लिया और ऊपर बैठ गयी जैसे कुछ हुआ ही न हो!!!. रीना ने मेरे लंड पर बैठे बैठे सब को कहा "इसमे हैरान होने की कोई बात नहीं है... आप सब शांत हो जाओ... मैं सब बताती हूँ....” रीना ने फिर पूरी कहानी सब को बताई. जैसे जैसे उनको मेरे बारे मैं मालुम पड़ा वे लोग अचम्बे मैं पड गए....उनके लिए ये सब पर यकीन करना असंभव था.... पर लम्बा तगड़ा और सुजा हुआ लंड तो उन्होंने अपनी आँखों से देखा था.... तो क्या ये सब सच था?












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