FUN-MAZA-MASTI
रोहन और रीमा--9
रीमा प्रिन्सिपल के कमरे से बाहर आने के बाद एक कोने में खड़ी हुई अपने आंसुओ को बहा रही थी
तभी अचानक किसी ने रीमा के कंधे पर अपना हाथ रखा और रीमा हडबडा कर उस शख्स को देखने लगी
वो शख्स और कोई नहीं अनीता थी , अनीता को देखते ही रीमा खुद पर काबू न रख पाई और वो
अनीता के गले लग कर सुबक सुबक कर रोने लगी .......
अनीता ने रीमा को अपने गले से लगा कर दिलासा देते हुए कहा मेरे साथ चल और पहले चुप हो जा
ऐसे रो कर अपना तमाशा न बनवा ,
अनीता की बात सुन कर रीमा ने अपने आंसुओ को साड़ी के आँचल से पोंछा और अनीता के साथ चल दी
अनीता रीमा को ले कर सीधा स्टाफ रूम ने गयी चूँकि लंच टाइम ख़तम हो गया था इस लिए स्टाफ रूम
बिलकुल खाली पड़ा था वहां ले जाकर अनीता ने रीमा को पहले पानी पिलाया और फिर बोली ....
तुझे जब आने में देर हो गयी तो मेरे मन में भी न जाने क्यों बुरे बुरे ख्याल आने लगे इसलिए में तुझे देखती हुई
प्रिंसिपल के रूम तक आई थी और अच्छा हुआ जो में आ गयी नहीं तो तू वहां खड़ी हो कर रोती रहती और
इस हालत में कोई तुझे देखता तो पता नहीं कैसी कैसी बाते बनाता ,
रीमा भी अब तक कुछ संयत हो चुकी थी लेकिन उसके दिल का गुबार पूरी तरह से नहीं निकला था उसने रुन्वासे
चेहरे से अनीता की और देखते हुए कहा ......अनीता प्लीज मेरे साथ बाहर तक चल मुझे अपने घर जाना है ..
अनीता रीमा की हालत देख कर काफी कुछ समझ चुकी थी उसने रीमा का हाथ अपने हाथ में ले कर कहा
बाहर तक क्यों में तझे तेरे घर तक छोड़ कर आउंगी लेकिन अगर तुझे बुरा न लगे तो क्या में जान सकती हूँ
की आखिर बात क्या हुई है ?
इस समय रीमा के लिए अनीता से बड़ा हमदर्द और कोई नहीं था लिहाजा रीमा ने प्रिंसिपल से हुई पूरी बात अनीता को
बता दी और रीमा की बात सुन कर अनीता ने कहा .....
वाह रीमा वाह तूने बहुत ही अच्छा सबक दिया है आज उस कुलटा को ,
में दाद देती हूँ तेरी हिम्मत की और सलाम ठोंकती हूँ तेरी बहादुरी को
जितनी हिम्मत तूने आज दिखाई है काश उतनी में भी उस दिन दिखा पाती.......और ये बात कहते हुए
अनीता की आँखे भी भर आई
अनीता की बात सुन कर रीमा ने चोंकते हुए अनीता को देखा और बोली क्या मतलब में कुछ समझी नहीं
अब तक अनीता की आँखे भी छलक उठी थी अनीता ने अपने रुमाल से आंसुओ को पोंछते हुए एक गहरी
सांस ली और कहा ..........
हाँ रीमा आज से ६ महीने पहले मेरे सामने भी यही सिचुवेशन क्रियेट हुई थी और मेरे ही क्या इस स्कूल में
काम करने वाली हर टीचर के सामने एक दिन ये सिचवेशन जरूर आती है
अनीता की बात सुन कर रीमा अपना सारा गम भूल गयी और अनीता के मुंह को ताकने लगी
रीमा को ऐसे चोंकता देख कर अनीता ने अपने रुन्वासे चेहरे पर मुस्कान लाने की एक नाकाम सी कोशिश की
और बोली ..... हाँ रीमा ये सच है यहाँ जो भी नयी टीचर आती है उसकी जॉब तभी परमानेंट होती है जब वो
मंत्री को खुश करती है नहीं तो उसको नौकरी से भी निकाल दिया जाता है ,
लेकिन तूने अच्छा किया जो उसकी नौकरी उसके मुंह पर मार दी और चली आई क्योकि अगर तू एक बार इन
हरामजादो के चंगुल में फंस जाती तो ये तुझे अपने जाल से कभी नहीं निकलने देते और फिर तू इन कमीनो के
हाथो में कठपुतली की तरह नाचती जैसे में आज तक नाच रही हूँ ,
अनीता की बातो को सुन कर रीमा के पुरे शरीर में सिहरन होने लगी उसको अब वहां एक पल भी रुकना दुश्वार
लगने लगा उसने अनीता से कहा
अनीता यार प्लीज चल न मेरे साथ मुझे तेरे साथ बात करनी है लेकिन यहाँ नहीं कही और चलते है ,
रीमा की बात सुन कर अनीता ने कहा ठीक है लेकिन पहले में प्रिसिपल से जाने की परमिशन ले कर आती हूँ
तब तक तू गेट तक पहुँच में तुझे वहीँ मिलती हूँ ,
अनीता प्रिंसिपल के कमरे में चली गयी और रीमा गेट की तरफ चल दी
अनीता जैसे ही प्रिंसिपल के कमरे में दाखिल हुई प्रिंसिपल ने अनीता को घूरते हुए कहा
तू उसकी बड़ी हिमायती बन रही है याद रहे अगर कोई हरकत हुई तो अंजाम अच्छा नहीं होगा
अनीता ने घबराते हुए कहा ....................जी मेम में कुछ समझी नहीं
प्रिसिपल ने अपनी आँखे निकालते हुए कहा ... मेने सब देखा है जब वो मेरे रूम से बाहर निकली तो तू ही उसको
ले गयी थी अपने साथ , बड़े गले लग कर रो रही थी वो तेरे ...
अनीता ने दिमाग का इस्तेमाल करते हुए कहा ..... मेडम में उसकी कोई तरफदारी नहीं कर रही हूँ बल्कि में तो उसको
समझा रही थी की वो आपकी बात मान ले , इसी में उसका फायदा है ...
अनीता की बात सुन कर जैसे प्रिंसिपल को उम्मीद की कोई किरण दिखाई दी हो उसने अनीता को मुस्कराते हुए देखा
और बोली .... ओह रियली ... शाबाश मुझे तुमसे यही उम्मीद थी वैसे तुम्हे क्या लगा उसकी बातो से वो मानेगी ?
अनीता ने जब देखा की उसका पासा सीधा पड़ा है तो उसने कहा .... उम्मीद तो है की वो मान जाएगी लेकिन उसके लिए
मुझे उससे तस्सली से बात करनी पड़ेगी अगर आप कहे तो में उसको कही सुकून वाली जगह पर ले जाकर उससे इस
बारे में बात करू ?
प्रिंसिपल की हालत तो इस वक़्त ऐसी थी जैसे अँधा क्या मांगे दो नयन उसने अनीता से कहा हाँ हाँ तुम उसको कही
ले जाओ और अच्छी तरह से उसकी खातिरदारी करो उसको खिलाओ पिलाओ और ऐसे ऐसे रंगीन ख्वाब दिखाओ की वो
खुद आकर मेरे पैरो में गिर जाये कहते हुए प्रिंसिपल की आँखों में चमक बड़ने लगी ....
मौका अच्छा देख कर अनीता ने कहा .... मेडम वो अपने घर के लिए बाहर तक निकल चुकी है अगर आपकी इज़ाज़त
हो तो में उसको अभी कही ले जाऊ , फिर पता नहीं कब मौका मिले ....
प्रिंसिपल ने बिना सोचे समझे कहा .........यस बी फ़ास्ट जल्दी से उसको पकड़ो और मुझे जल्दी से गुड न्यूज़ दो
अनीता प्रिंसिपल से विदा ले कर उसके कमरे से बाहर निकली और जल्दी से गेट की तरफ बड़ने लगी
गेट से बाहर निकलते ही अनीता को रीमा दिखाई दे गयी और अनीता लगभग भागती हुई रीमा के पास गयी और
बोली चल रीमा जितना जल्दी हो यहाँ से निकल चल
इस से पहले की रीमा कुछ जवाब देती अनीता ने ऑटो रोका और रीमा के साथ ऑटो में बेठ गयी अनीता ने ऑटो
वाले से जहाँ जाना था वहां का एड्रेस बताया और ऑटो चल पड़ा ,
२ मिनट चुप रहने के बाद रीमा ने अनीता से कहा लेकिन हम जा कहाँ रहे है ?
अनीता ने कहा मेरे घर चलते है वही आराम से बेठ कर बात करेंगे और फिर वहां से में तुझे तेरे घर छोड़ आउंगी
अनीता की बात सुन कर रीमा चुप हो गयी क्योकि रीमा अनीता से वो सब राज़ जानने के लिए बुरी तरह से उत्सुक
थी जिसका ज़िक्र अनीता ने स्टाफ रूम में किया था ,
और फिर कुछ ही देर में औती अनीता के घर के पास पहुँच गया
अनीता ने ऑटो वाले को पैसे दिए और रीमा के साथ अपने घर को चल दी ,
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रोहन और रीमा--9
और फिर थोड़ी ही देर में इंतजार की घडिया ख़तम हो गयी
मंत्री जी की सायरन बजाती हुई सफ़ेद लम्बी गाड़ी स्कूल के गेट में प्रवेश कर गयी ,
मंत्री जी की गाड़ी देखते ही प्रिंसिपल ने रीमा से कहा
रीमा तुम अनीता से आरती की थाली ले लो क्योकि आज आरती तुम करोगी
प्रिंसिपल की बात सुन कर ही रीमा का कलेजा मुंह को आने लगा
क्योकि रीमा जैसी घरेलु औरत जिसने आज तक किसी पराये मर्द को आँख उठा कर भी नहीं देखा था
उसके लिए ये सब करना बेहद मुश्किल काम था लेकिन इस वक़्त रीमा के पास प्रिंसिपल की बात
को मान ने के सिवा और कोई चारा भी तो नहीं था ,
उसने कांपते हाथो से अनीता के हाथ से आरती की थाली को ले लिया , लेकिन रीमा को अपने हाथो में
आरती की थाली ऐसी लग रही थी जैसे उसके हाथो में किसी ने जहरीला नाग पकड़ा दिया हो
इस वक़्त रीमा मन ही मन भगवान् से सिर्फ यही प्रार्थना कर रही थी की सब ठीक ठाक निपट जाये
उस से कहीं कोई गड़बड़ न हो जाये ,
लेकिन वक़्त के गर्भ में क्या छुपा है ये तो सिर्फ और सिर्फ वक़्त ही जानता है
और फिर इसी बीच मंत्री जी अपने ४-५ चमचो के साथ गाड़ी से बाहर निकले उनके सब
चमचे तो वही गाड़ी के पास ही रुक गए और मंत्री जी अकेले ही स्वागत द्वार की और बड़ने लगे ,
मंत्री जी की उम्र करीब ५० साल की थी लेकिन लम्बे तगड़े कद काठी के थे ,उनके चेहरे पर घनी -२
मुछे और आँखों पर काला चश्मा उनके व्यक्तित्व को और ज्यादा प्रभावशाली बना रहा था ,
मंत्री जी ने इस वक़्त अपने जिस्म पर सफ़ेद कुरता पायजामा और खादी की जेकेट पहनी हुई थी
लेकिन रीमा इस सबसे बेखबर अपनी निगाहों को नीचे किये ऐसे खड़ी थी मानो उसको फांसी का
हुकुम सुनाया गया हो और फिर जैसे ही मंत्री जी स्वागत द्वार पर आये प्रिंसिपल ने आगे बढकर
उनके गले में फूलो की एक भारी भरकम माला डाल दी और बाकी सब टीचर्स मंत्री जी पर फूलो की वर्षा करने लगी
रीमा मन ही मन इस बात को सोच कर घबराये जा रही थी की अब उसका नंबर भी आने वाला है
और फिर जैसे ही प्रिंसिपल ने रीमा को आरती करने का इशारा किया तो रीमा का दिल धाड़ धाड़ करके बजने लगा
वो जैसे ही मंत्री जी की और बड़ी उसको लगने लगा की उसके कदम जमीन में धंसते जा रहे है
रीमा को अपना एक एक कदम ऐसा लग रहा था जैसे हर कदम मीलो का बन गया हो , खैर
जैसे तैसे करके वो मंत्री जी के आगे जाकर खड़ी हो ही गयी और अपने कांपते हाथो से मंत्री जी की
आरती उतारने लगी,
रीमा की नीची निगाहे और कांपते हाथ उसकी हालत को बयां करने के लिए काफी थे और उस पर रीमा को
इस बात का भी भली भांति एहसास हो रहा था की मंत्री जी उसकी और टकटकी लगा कर ही देखे रहे है
रीमा के लिए ये पल ऐसे था जैसे वो नंगे पाँव अंगारों पर खड़ी हो
लेकिन रीमा की मजबूरी थी की उसको मंत्री जी की आरती उतारनी थी इसलिए वो जैसे तैसे करके
अपने काम को अंजाम दे रही थी ,
और फिर इन सब बनावटी रस्मो के बाद प्रिंसिपल मंत्री जी को बड़े ही आदर से स्टेज पर ले गयी,
मंत्री जी स्टेज पर बने अपने विशेष आसन पर जाकर बेठ गए और कार्यक्रम शुरू हो गया ,
प्रिंसिपल भी स्टेज पर मंत्री जी के साथ एक कुर्सी पर बेठी थी और बाकि सब टीचर्स के लिए स्टेज की
साइड में कुर्सिया लगी हुई थी रीमा भी वहीँ अनीता के साथ वाली कुर्सी पर गुमसुम सी बेठ गयी ...
अनीता से रीमा के दिल का हाल छुपा नहीं था इसलिए वो रीमा को बहाने से एक तरफ ले गयी और बोली
रीमा में जानती हूँ की तू इस वक़्त बहुत डिस्टर्ब है लेकिन इंसान को मजबूरी में सब कुछ करना पड़ता है
और अब तो जो होना था वो हो गया.......... अब तो तू रिलैक्स हो जा ,
रीमा ने नीतू की और देख कर कहा तू ठीक कह रही है यार में भी इस बात को समझती हूँ
लेकिन सच कहूँ तो ये जो मंत्री है वो मुझे अच्छा इंसान नहीं लगा ,
अनीता ने हेरानी से रीमा को देखा और बोली .. क्या मतलब तेरे से कुछ कहा है क्या उसने ?
रीमा ने कहा .. नहीं उसने मझे कहा तो कुछ नहीं लेकिन जब में उसकी आरती उतार रही थी तब
वो मुझे इतनी गन्दी नजरो से घूर रहा था की एक बार को मेरा मन किया की में आरती की थाली
उसके मुंह पर मार दूँ और यहाँ से चली जाऊ .................
अनीता ने मुस्कराते हुए कहा ... छोड़ न यार क्यों बेकार की बातो में अपना मूड बिगाड़ रही है और
सच कहूँ तो ......... मुझे अब हर मर्द की निगाहे एक जैसी ही लगती है.....
अनीता से बात करके रीमा का मन थोडा अच्छा हुआ और वो दोनों फिर से वापिस जाकर अपनी-२
कुर्सियों पर बेठ गयी ,
प्रोग्राम करीब १ घंटे तक चलता रहा और फिर कार्यक्रम के समापन के बाद प्रिंसिपल जलपान के लिए
मंत्री जी को अपने कमरे में ले गयी , और जिन टीचर्स के जिम्मे जलपान की व्यवस्था थी वो
प्रिंसिपल के कमरे में जलपान ले जाने लगी और बाकि टीचर्स प्रिंसिपल के कमरे के बाहर खड़ी
होकर बतियाने लगी
रीमा और अनीता भी दोनों एक साइड में जाकर बाते करने लगी ......
तभी एक टीचर ने आकर रीमा से कहा
मेडम ने तुम्हे अन्दर बुलाया है ,कहकर वो वहां से चली गयी और
रीमा अनीता की तरफ ऐसी बेबस निगाहों से देखने लगी मानो वो कह रही हो की उसको नहीं जाना
लेकिन अनीता ने रीमा की हिम्मत बंधाते हुए कहा ...
''अरे यार चली जा न इतना घबराती क्यों है कोई खा थोड़ी जायेगा तुझे'' ...................
और फिर रीमा अपने मन को मार कर प्रिंसिपल के कमरे में चली गयी
वहां जाकर रीमा ने देखा की मंत्री प्रिंसिपल की कुर्सी पर अधलेटा सा बेठा हुआ था
और उसके सामने टेबल पर नाश्ते की प्लेट्स लगी थी,
रीमा को देखते ही मंत्री की निगाहे रीमा के जिस्म पर चिपक गयी मंत्री का इस तरह से देखना
रीमा को कतई अच्छा नहीं लग रहा था लेकिन वो करती भी तो क्या चुपचाप अपने हाथो को बांधे खड़ी रही
प्रिंसिपल ने रीमा को देखते ही कहा ... आओ रीमा मेने तुम्हे मंत्री जी से मिलवाने के लिए ही बुलाया है ,
कहते हुए प्रिंसिपल ने रीमा को इशारे से कहा की वो मंत्री को नमस्ते करे
रीमा ने अपने दोनों हाथ जोड़ कर मंत्री को नमस्ते करी और वो फिर से चुपचाप खड़ी हो गयी
प्रिंसिपल कुछ पल चुप रहने के बाद बोली ''सर यही है वो नयी टीचर जिसके बारे में मेने आपको बताया था ,
मंत्री तो पहले ही अपनी आँखों से रीमा के योवन का रसपान करने में मस्त था
उसने रीमा को और ज्यादा घूरते हुए कहा ....
''हम्म तो तुम हो रीमा.......... मेडम तुम्हारी बहुत तारीफ कर रही थी और तुम्हे देख कर लगता है की
वो गलत नहीं कह रही थी ,,,,,सच में तुम तारीफ के लायक हो ....
ये बात कहते हुए मंत्री अपनी जीभ को लबो पर फेरने लगा ,
मंत्री की बात सुन कर रीमा मन ही मन सिहर उठी क्योकि वो उसकी बातो में छुपा मतलब समझ रही थी
लेकिन उसने फिर भी मुस्कराते हुए कहा ...........................थैंक यू सर
मंत्री की हवस से भरी निगाहे रीमा को बहुत असहनीय लग रही थी वो जल्द से जल्द
वहां से भाग जाना चाहती थी लेकिन कैसे ये उसको समझ नहीं आ रहा था तभी
प्रिंसिपल ने रीमा से कहा ... अरे रीमा ऐसे चुपचाप खड़ी मत रहो जरा मंत्री जी को कुछ खिलाओ पिलाओ
पता नहीं आज इनको क्या हुआ है
....हमारे कहने से तो ये कुछ ले ही नहीं रहे हो सकता है तुम्हारी बात मान ले ,
रीमा के पास अब नाश्ते की प्लेट उठा कर मंत्री के आगे करने के सिवा और कोई चारा ही नहीं बचा था
रीमा ने अपने आँचल को दुरुस्त करते हुए टेबल से एक मिठाई की प्लेट उठाई और मंत्री के आगे कर दी
मंत्री ने रीमा को गौर से देखते हुए मिठाई का एक पीस उठा लिया और खाने के बाद बोला
'' जो खुद मिठाई से भी ज्यादा मीठा हो उसके हाथो से मिठाई खाने का मजा ही कुछ और है ''
मंत्री की बात सुन कर प्रिंसिपल बेशर्मी से दांत निकालने लगी और रीमा मंत्री की बात सुन कर
शर्म से पानी पानी हो गयी ,
प्रिंसिपल ने फिर से कहा '' सर तो फिर क्या सोचा आपने रीमा के बारे में ?''
मंत्री ने कहा '' इसमें सोचना ही क्या है आपको जो ठीक लगता है कीजिये मेरी तरफ से पूरी हाँ है ''
रीमा बेचारी समझ ही नहीं पा रही थी की प्रिंसिपल और मंत्री उसके बारे में क्या बात कर रहे है वो
तो बस उनकी बातो को सुन कर मन ही मन घबराये जा रही थी और फिर
प्रिंसिपल ने रीमा से कहा ....
रीमा ......मेने तुम्हारी जॉब परमानेंट करने की सिफारिश मंत्री जी से की थी जो इन्होने मान ली और
अब तुम्हारी जॉब परमानेंट होने के साथ ही साथ तुम्हारी सेलरी भी इनक्रीज हो जाएगी ,,
प्रिंसिपल की बात सुन कर रीमा मन ही मन खुश होने लगी और उसने कहा .... थैंक यू मेडम
थैंक यू सर ....
मंत्री तो जैसे रीमा के योवन का प्यासा हो चूका था उसने रीमा को घूरते हुए बड़ी बेशर्मी से कहा
ऐसे ही सुखा सुखा थैंक यू करके काम नहीं चलेगा ...
मंत्री की बात सुन कर रीमा के चेहरे पर एक बार फिर से चिंता की लकीरे छाने लगी
उसने हिचकते हुए कहा ..................जी सर में कुछ समझी नहीं ..
रीमा के चेहरे के भाव शायद प्रिंसिपल ने समझ लिए थे उसने बात बदलते हुए कहा
कुछ नहीं रीमा मंत्री जी तो मजाक कर रहे है ..... कहते हुए वो हंसने लगी ....
और फिर कुछ देर इधर उधर की बाते करने के बाद प्रिंसिपल ने रीमा से कहा
अब तुम जा सकती हो .....
ये सुनते ही जैसे रीमा की जैसे जान में जान आ गयी हो वो प्रिसिपल के कमरे से बाहर आ गयी
बाहर निकल कर रीमा तेज़ तेज़ कदमो से अनीता के पास चली गयी ....
जैसे ही रीमा अनीता के पास पहुंची अनीता ने कहा ......क्या बात हुई ?
रीमा ने अनीता को अन्दर हुई एक एक बात बता दी.......... सुनकर अनीता ने कहा
'' देखा मेने कहा था न की कुछ नहीं होगा और तू ऐसे ही घबराये जा रही थी चल अच्छा हुआ जो तू परमानेंट हो गयी ''
रीमा ने भी मुस्कराते हुए कहा ..हम्म्म्म परमानेंट तो हो गयी अब देखते है आगे क्या होता है
अनीता ने कहा होना क्या है .... अब तो तेरे से पार्टी लुंगी ऐसे नहीं छोड़ने वाली में तुझे
रीमा ने मुस्कराते हुए हा.......... हाँ हाँ क्यों नहीं यार जिस दिन मुझे सेलरी मिलेगी तुझे पार्टी दे दूंगी
और दोनों फिर से अपनी बातो में मस्त हो गयी और थोड़ी देर बाद मंत्री भी चला गया मंत्री के जाने के
बाद प्रिंसिपल ने सब टीचर्स को अपने -२ घर जाने को कह दिया और सब अपने अपने घर को चली गयी
बाकी सब टीचर्स की तरह रीमा और अनीता भी अपने अपने घर चली गयी ......
रीमा अपने घर तो आ गयी थी लेकिन उसके दिमाग में अभी भी प्रिंसिपल और मंत्री की बाते घूम रही थी
उसको उन सब बातो का मतलब समझ नहीं आ रहा था जो मंत्री और प्रिंसिपल के बीच में हुई थी
एक तरफ तो वो अपने प्रमोशन से खुश थी लेकिन दूसरी तरफ उसको ये भी लग रहा था की कही
कुछ गलत तो नहीं होने जा रहा है ,,
और फिर यही सब बाते सोचते सोचते पूरा दिन और फिर रात बीत गयी
अगले दिन सुबह रीमा रोजाना की तरह स्कूल पहुंची और अपने काम में लग गयी
दोपहर तक सब कुछ नार्मल चलता रहा लंच टाइम में रीमा अनीता के पास चली गयी और दोनों ने
साथ साथ लंच किया लंच करने के बाद दोनों बेठी गप्पे लड़ा रही थी की तभी
चपरासी ने आकर रीमा से कहा
रीमा मेडम आपको बड़ी मेडम ने बुलाया है कहकर वो चला गया
चपरासी के जाने के बाद रीमा ने अनीता से चिंताजनक स्वर में कहा
'' मुझे मेडम ने इस वक़्त क्यों बुलाया होगा ? क्या हो सकता है
अनीता ने हँसते हुए रीमा को देखा और कहा
'' अरे यार जा कर देख ले न कोई काम होगा ....तू पता नहीं क्यों हर टाइम डरती
रहती है जा जल्दी से बात सुन कर आजा में यही बेठी हूँ ''
रीमा प्रिसिपल के कमरे की तरफ जाने लगी लेकिन पता नहीं क्यों उसके मन में अजीब सी धूकर धूकर हो रही थी
रीमा को देखते ही प्रिसिपल ने कहा '' आओ रीमा बेठो
रीमा बेठ गयी और सवालिया निगाहों से प्रिसिपल की तरफ देखने लगी
प्रिंसिपल ने कहा '' देखो रीमा तुम तो जानती ही हो की हमारा स्कूल मंत्री जी की कृपा से चल रहा है
हमे जब भी जिस चीज़ चीज़ की जरूरत होती है मंत्री जी की कृपा से मिल जाती है ,,
रीमा ने भी उसकी हाँ में हाँ मिलते हुए कहा................... जी मेडम
प्रिसिपल ने फिर से कहा '' तुम्हारे लिए बड़े गर्व की बात है की मंत्री जी तुमसे मिलकर बहुत खुश हुए है
जाते जाते भी वो सिर्फ तुम्हारी ही तारीफ कर रहे थे मुझे लगता है की वो तुम्हारी पर्सनेल्टी से बहुत
ज्यादा इम्प्रेस है ...... दिस इस वैरी गुड फॉर यू ,,,, कहते हुए वो रीमा को देखने लगी
प्रिंसिपल की इन बातो का रीमा के पास और तो कोई जवाब नहीं था उसने कहा .......... थेंक्स मेडम
प्रिसिपल ने इस बार रीमा के चेहरे को गौर से देखते हुए कहा
''अभी कुछ देर पहले मंत्री जी का फ़ोन आया था और वो तुमसे अकेले में मिलना चाहते है''
प्रिंसिपल की बात सुनते ही रीमा के पैरो के नीचे से जमीन निकल गयी उसने हडबडाते हुए कहा
लेकिन वो मेरे से अकेले में क्यों मिलना चाहते है ....में कुछ समझी नहीं ......................
प्रिंसिपल ने रीमा की और कुटिल निगाहों से देखते हुए कहा
'' रीमा तुम एक शादी शुदा औरत हो क्या तुम्हे ये भी समझाना पड़ेगा की कोई मर्द किसी औरत से अकेले में
क्यों मिलना चाहता है''
कहते हुए वो अर्थपूर्ण ढंग से मुस्कराने लगी
प्रिंसिपल की बात का मतलब जैसे ही रीमा की समझ में आया उसने थोड़े तैश में आते हुए कहा
'' सॉरी मेडम..... आपके मन में शायद मेरे लिए कोई गलत फ़हमी भरी है तो प्लीज उसे निकाल दीजिये
में उस टाइप की औरत नहीं हूँ जैसा आप सोच रही है .....
प्रिंसिपल को शायद रीमा से ऐसे पलटवार जवाब की उम्मीद नहीं थी वो बुरी तरह से सकपका गयी
लेकिन वो भी पूरी खेली खाई थी इतनी आसानी से कहाँ मान ने वाली थी उसने नया पैंतरा चलते हुए कहा
''रीमा तुम जानती हो की तुम्हारा ये बचकाना फैसला तुम्हे कितना नुक्सान पहुंचा सकता है ''
रीमा ने भी तल्ख़ आवाज में कहा ''अंजाम चाहे जो भी हो लेकिन मेरा फैसला बदल नहीं सकता''
प्रिंसिपल को भी अब रीमा की बातो से लगने लगा था की वो इतनी आसानी से काबू में नहीं आने वाली
उसने रीमा को समझाते हुए कहा ......
''देखो रीमा इतनी जल्दबाजी में कोई भी फैसला मत लो तुम अगर उनसे मिलने जाओगी तो तुम्हारा फायदा ही होगा
में जानती हूँ की तुम्हारी माली हालत अच्छी नहीं है अगर तुम अपने फैसले को बदलने के लिए राज़ी हो जाओ तो
तुम्हे ६ महीने की सेलेरी ऍस ए बोनस मिल सकती है .....
अब जरा ठन्डे दिमाग से सोचो की एक तरफ तुम्हे परमानेंट जॉब और ६ महीने की सेलेरी बोनस में मिल रही है
और दूसरी तरफ तुम्हे कुछ भी नहीं मिलेगा और तो और अपनी इस नौकरी से भी हाथ धो बेठोगी ....
देखो रीमा में तुमसे उम्र में बड़ी हूँ मेने दुनिया देखी है .......और में तुम्हारा भला ही चाहती हूँ ....
कहकर वो चुप हो गयी और रीमा के जवाब की प्रतीक्षा करने लगी ....
रीमा प्रिंसिपल की ऐसी बातो से बुरी तरह से आहत हो चुकी थी उसकी आँखे सुर्ख हो चुकी थी और गला भर आया था
वो मन ही मन सोच रही थी की क्या इस दुनिया में इंसानियत नाम की चीज़ ख़तम हो चुकी है या उसके नसीब में
सिर्फ ऐसे ही कमीने लोग लिखे है जो हर कदम पर उसकी मजबूरी का नाजायज़ फायदा उठाने के लिए बेठे है ......
रीमा ने अपने आप को सँभालते हुए रुंधे गले से कहा
''मेडम आप को ही मुबारक हो ऐसी नौकरी और ऐसा बोनस'' में अपने घर जा रही हूँ
कहती हुई वो प्रिंसिपल के कमरे से बाहर आ गयी
लेकिन बाहर आते ही उसकी रुलाई छुट गयी और उसकी आँखों से आंसुओ का सैलाब बहने लगा
मंत्री जी की सायरन बजाती हुई सफ़ेद लम्बी गाड़ी स्कूल के गेट में प्रवेश कर गयी ,
मंत्री जी की गाड़ी देखते ही प्रिंसिपल ने रीमा से कहा
रीमा तुम अनीता से आरती की थाली ले लो क्योकि आज आरती तुम करोगी
प्रिंसिपल की बात सुन कर ही रीमा का कलेजा मुंह को आने लगा
क्योकि रीमा जैसी घरेलु औरत जिसने आज तक किसी पराये मर्द को आँख उठा कर भी नहीं देखा था
उसके लिए ये सब करना बेहद मुश्किल काम था लेकिन इस वक़्त रीमा के पास प्रिंसिपल की बात
को मान ने के सिवा और कोई चारा भी तो नहीं था ,
उसने कांपते हाथो से अनीता के हाथ से आरती की थाली को ले लिया , लेकिन रीमा को अपने हाथो में
आरती की थाली ऐसी लग रही थी जैसे उसके हाथो में किसी ने जहरीला नाग पकड़ा दिया हो
इस वक़्त रीमा मन ही मन भगवान् से सिर्फ यही प्रार्थना कर रही थी की सब ठीक ठाक निपट जाये
उस से कहीं कोई गड़बड़ न हो जाये ,
लेकिन वक़्त के गर्भ में क्या छुपा है ये तो सिर्फ और सिर्फ वक़्त ही जानता है
और फिर इसी बीच मंत्री जी अपने ४-५ चमचो के साथ गाड़ी से बाहर निकले उनके सब
चमचे तो वही गाड़ी के पास ही रुक गए और मंत्री जी अकेले ही स्वागत द्वार की और बड़ने लगे ,
मंत्री जी की उम्र करीब ५० साल की थी लेकिन लम्बे तगड़े कद काठी के थे ,उनके चेहरे पर घनी -२
मुछे और आँखों पर काला चश्मा उनके व्यक्तित्व को और ज्यादा प्रभावशाली बना रहा था ,
मंत्री जी ने इस वक़्त अपने जिस्म पर सफ़ेद कुरता पायजामा और खादी की जेकेट पहनी हुई थी
लेकिन रीमा इस सबसे बेखबर अपनी निगाहों को नीचे किये ऐसे खड़ी थी मानो उसको फांसी का
हुकुम सुनाया गया हो और फिर जैसे ही मंत्री जी स्वागत द्वार पर आये प्रिंसिपल ने आगे बढकर
उनके गले में फूलो की एक भारी भरकम माला डाल दी और बाकी सब टीचर्स मंत्री जी पर फूलो की वर्षा करने लगी
रीमा मन ही मन इस बात को सोच कर घबराये जा रही थी की अब उसका नंबर भी आने वाला है
और फिर जैसे ही प्रिंसिपल ने रीमा को आरती करने का इशारा किया तो रीमा का दिल धाड़ धाड़ करके बजने लगा
वो जैसे ही मंत्री जी की और बड़ी उसको लगने लगा की उसके कदम जमीन में धंसते जा रहे है
रीमा को अपना एक एक कदम ऐसा लग रहा था जैसे हर कदम मीलो का बन गया हो , खैर
जैसे तैसे करके वो मंत्री जी के आगे जाकर खड़ी हो ही गयी और अपने कांपते हाथो से मंत्री जी की
आरती उतारने लगी,
रीमा की नीची निगाहे और कांपते हाथ उसकी हालत को बयां करने के लिए काफी थे और उस पर रीमा को
इस बात का भी भली भांति एहसास हो रहा था की मंत्री जी उसकी और टकटकी लगा कर ही देखे रहे है
रीमा के लिए ये पल ऐसे था जैसे वो नंगे पाँव अंगारों पर खड़ी हो
लेकिन रीमा की मजबूरी थी की उसको मंत्री जी की आरती उतारनी थी इसलिए वो जैसे तैसे करके
अपने काम को अंजाम दे रही थी ,
और फिर इन सब बनावटी रस्मो के बाद प्रिंसिपल मंत्री जी को बड़े ही आदर से स्टेज पर ले गयी,
मंत्री जी स्टेज पर बने अपने विशेष आसन पर जाकर बेठ गए और कार्यक्रम शुरू हो गया ,
प्रिंसिपल भी स्टेज पर मंत्री जी के साथ एक कुर्सी पर बेठी थी और बाकि सब टीचर्स के लिए स्टेज की
साइड में कुर्सिया लगी हुई थी रीमा भी वहीँ अनीता के साथ वाली कुर्सी पर गुमसुम सी बेठ गयी ...
अनीता से रीमा के दिल का हाल छुपा नहीं था इसलिए वो रीमा को बहाने से एक तरफ ले गयी और बोली
रीमा में जानती हूँ की तू इस वक़्त बहुत डिस्टर्ब है लेकिन इंसान को मजबूरी में सब कुछ करना पड़ता है
और अब तो जो होना था वो हो गया.......... अब तो तू रिलैक्स हो जा ,
रीमा ने नीतू की और देख कर कहा तू ठीक कह रही है यार में भी इस बात को समझती हूँ
लेकिन सच कहूँ तो ये जो मंत्री है वो मुझे अच्छा इंसान नहीं लगा ,
अनीता ने हेरानी से रीमा को देखा और बोली .. क्या मतलब तेरे से कुछ कहा है क्या उसने ?
रीमा ने कहा .. नहीं उसने मझे कहा तो कुछ नहीं लेकिन जब में उसकी आरती उतार रही थी तब
वो मुझे इतनी गन्दी नजरो से घूर रहा था की एक बार को मेरा मन किया की में आरती की थाली
उसके मुंह पर मार दूँ और यहाँ से चली जाऊ .................
अनीता ने मुस्कराते हुए कहा ... छोड़ न यार क्यों बेकार की बातो में अपना मूड बिगाड़ रही है और
सच कहूँ तो ......... मुझे अब हर मर्द की निगाहे एक जैसी ही लगती है.....
अनीता से बात करके रीमा का मन थोडा अच्छा हुआ और वो दोनों फिर से वापिस जाकर अपनी-२
कुर्सियों पर बेठ गयी ,
प्रोग्राम करीब १ घंटे तक चलता रहा और फिर कार्यक्रम के समापन के बाद प्रिंसिपल जलपान के लिए
मंत्री जी को अपने कमरे में ले गयी , और जिन टीचर्स के जिम्मे जलपान की व्यवस्था थी वो
प्रिंसिपल के कमरे में जलपान ले जाने लगी और बाकि टीचर्स प्रिंसिपल के कमरे के बाहर खड़ी
होकर बतियाने लगी
रीमा और अनीता भी दोनों एक साइड में जाकर बाते करने लगी ......
तभी एक टीचर ने आकर रीमा से कहा
मेडम ने तुम्हे अन्दर बुलाया है ,कहकर वो वहां से चली गयी और
रीमा अनीता की तरफ ऐसी बेबस निगाहों से देखने लगी मानो वो कह रही हो की उसको नहीं जाना
लेकिन अनीता ने रीमा की हिम्मत बंधाते हुए कहा ...
''अरे यार चली जा न इतना घबराती क्यों है कोई खा थोड़ी जायेगा तुझे'' ...................
और फिर रीमा अपने मन को मार कर प्रिंसिपल के कमरे में चली गयी
वहां जाकर रीमा ने देखा की मंत्री प्रिंसिपल की कुर्सी पर अधलेटा सा बेठा हुआ था
और उसके सामने टेबल पर नाश्ते की प्लेट्स लगी थी,
रीमा को देखते ही मंत्री की निगाहे रीमा के जिस्म पर चिपक गयी मंत्री का इस तरह से देखना
रीमा को कतई अच्छा नहीं लग रहा था लेकिन वो करती भी तो क्या चुपचाप अपने हाथो को बांधे खड़ी रही
प्रिंसिपल ने रीमा को देखते ही कहा ... आओ रीमा मेने तुम्हे मंत्री जी से मिलवाने के लिए ही बुलाया है ,
कहते हुए प्रिंसिपल ने रीमा को इशारे से कहा की वो मंत्री को नमस्ते करे
रीमा ने अपने दोनों हाथ जोड़ कर मंत्री को नमस्ते करी और वो फिर से चुपचाप खड़ी हो गयी
प्रिंसिपल कुछ पल चुप रहने के बाद बोली ''सर यही है वो नयी टीचर जिसके बारे में मेने आपको बताया था ,
मंत्री तो पहले ही अपनी आँखों से रीमा के योवन का रसपान करने में मस्त था
उसने रीमा को और ज्यादा घूरते हुए कहा ....
''हम्म तो तुम हो रीमा.......... मेडम तुम्हारी बहुत तारीफ कर रही थी और तुम्हे देख कर लगता है की
वो गलत नहीं कह रही थी ,,,,,सच में तुम तारीफ के लायक हो ....
ये बात कहते हुए मंत्री अपनी जीभ को लबो पर फेरने लगा ,
मंत्री की बात सुन कर रीमा मन ही मन सिहर उठी क्योकि वो उसकी बातो में छुपा मतलब समझ रही थी
लेकिन उसने फिर भी मुस्कराते हुए कहा ...........................थैंक यू सर
मंत्री की हवस से भरी निगाहे रीमा को बहुत असहनीय लग रही थी वो जल्द से जल्द
वहां से भाग जाना चाहती थी लेकिन कैसे ये उसको समझ नहीं आ रहा था तभी
प्रिंसिपल ने रीमा से कहा ... अरे रीमा ऐसे चुपचाप खड़ी मत रहो जरा मंत्री जी को कुछ खिलाओ पिलाओ
पता नहीं आज इनको क्या हुआ है
....हमारे कहने से तो ये कुछ ले ही नहीं रहे हो सकता है तुम्हारी बात मान ले ,
रीमा के पास अब नाश्ते की प्लेट उठा कर मंत्री के आगे करने के सिवा और कोई चारा ही नहीं बचा था
रीमा ने अपने आँचल को दुरुस्त करते हुए टेबल से एक मिठाई की प्लेट उठाई और मंत्री के आगे कर दी
मंत्री ने रीमा को गौर से देखते हुए मिठाई का एक पीस उठा लिया और खाने के बाद बोला
'' जो खुद मिठाई से भी ज्यादा मीठा हो उसके हाथो से मिठाई खाने का मजा ही कुछ और है ''
मंत्री की बात सुन कर प्रिंसिपल बेशर्मी से दांत निकालने लगी और रीमा मंत्री की बात सुन कर
शर्म से पानी पानी हो गयी ,
प्रिंसिपल ने फिर से कहा '' सर तो फिर क्या सोचा आपने रीमा के बारे में ?''
मंत्री ने कहा '' इसमें सोचना ही क्या है आपको जो ठीक लगता है कीजिये मेरी तरफ से पूरी हाँ है ''
रीमा बेचारी समझ ही नहीं पा रही थी की प्रिंसिपल और मंत्री उसके बारे में क्या बात कर रहे है वो
तो बस उनकी बातो को सुन कर मन ही मन घबराये जा रही थी और फिर
प्रिंसिपल ने रीमा से कहा ....
रीमा ......मेने तुम्हारी जॉब परमानेंट करने की सिफारिश मंत्री जी से की थी जो इन्होने मान ली और
अब तुम्हारी जॉब परमानेंट होने के साथ ही साथ तुम्हारी सेलरी भी इनक्रीज हो जाएगी ,,
प्रिंसिपल की बात सुन कर रीमा मन ही मन खुश होने लगी और उसने कहा .... थैंक यू मेडम
थैंक यू सर ....
मंत्री तो जैसे रीमा के योवन का प्यासा हो चूका था उसने रीमा को घूरते हुए बड़ी बेशर्मी से कहा
ऐसे ही सुखा सुखा थैंक यू करके काम नहीं चलेगा ...
मंत्री की बात सुन कर रीमा के चेहरे पर एक बार फिर से चिंता की लकीरे छाने लगी
उसने हिचकते हुए कहा ..................जी सर में कुछ समझी नहीं ..
रीमा के चेहरे के भाव शायद प्रिंसिपल ने समझ लिए थे उसने बात बदलते हुए कहा
कुछ नहीं रीमा मंत्री जी तो मजाक कर रहे है ..... कहते हुए वो हंसने लगी ....
और फिर कुछ देर इधर उधर की बाते करने के बाद प्रिंसिपल ने रीमा से कहा
अब तुम जा सकती हो .....
ये सुनते ही जैसे रीमा की जैसे जान में जान आ गयी हो वो प्रिसिपल के कमरे से बाहर आ गयी
बाहर निकल कर रीमा तेज़ तेज़ कदमो से अनीता के पास चली गयी ....
जैसे ही रीमा अनीता के पास पहुंची अनीता ने कहा ......क्या बात हुई ?
रीमा ने अनीता को अन्दर हुई एक एक बात बता दी.......... सुनकर अनीता ने कहा
'' देखा मेने कहा था न की कुछ नहीं होगा और तू ऐसे ही घबराये जा रही थी चल अच्छा हुआ जो तू परमानेंट हो गयी ''
रीमा ने भी मुस्कराते हुए कहा ..हम्म्म्म परमानेंट तो हो गयी अब देखते है आगे क्या होता है
अनीता ने कहा होना क्या है .... अब तो तेरे से पार्टी लुंगी ऐसे नहीं छोड़ने वाली में तुझे
रीमा ने मुस्कराते हुए हा.......... हाँ हाँ क्यों नहीं यार जिस दिन मुझे सेलरी मिलेगी तुझे पार्टी दे दूंगी
और दोनों फिर से अपनी बातो में मस्त हो गयी और थोड़ी देर बाद मंत्री भी चला गया मंत्री के जाने के
बाद प्रिंसिपल ने सब टीचर्स को अपने -२ घर जाने को कह दिया और सब अपने अपने घर को चली गयी
बाकी सब टीचर्स की तरह रीमा और अनीता भी अपने अपने घर चली गयी ......
रीमा अपने घर तो आ गयी थी लेकिन उसके दिमाग में अभी भी प्रिंसिपल और मंत्री की बाते घूम रही थी
उसको उन सब बातो का मतलब समझ नहीं आ रहा था जो मंत्री और प्रिंसिपल के बीच में हुई थी
एक तरफ तो वो अपने प्रमोशन से खुश थी लेकिन दूसरी तरफ उसको ये भी लग रहा था की कही
कुछ गलत तो नहीं होने जा रहा है ,,
और फिर यही सब बाते सोचते सोचते पूरा दिन और फिर रात बीत गयी
अगले दिन सुबह रीमा रोजाना की तरह स्कूल पहुंची और अपने काम में लग गयी
दोपहर तक सब कुछ नार्मल चलता रहा लंच टाइम में रीमा अनीता के पास चली गयी और दोनों ने
साथ साथ लंच किया लंच करने के बाद दोनों बेठी गप्पे लड़ा रही थी की तभी
चपरासी ने आकर रीमा से कहा
रीमा मेडम आपको बड़ी मेडम ने बुलाया है कहकर वो चला गया
चपरासी के जाने के बाद रीमा ने अनीता से चिंताजनक स्वर में कहा
'' मुझे मेडम ने इस वक़्त क्यों बुलाया होगा ? क्या हो सकता है
अनीता ने हँसते हुए रीमा को देखा और कहा
'' अरे यार जा कर देख ले न कोई काम होगा ....तू पता नहीं क्यों हर टाइम डरती
रहती है जा जल्दी से बात सुन कर आजा में यही बेठी हूँ ''
रीमा प्रिसिपल के कमरे की तरफ जाने लगी लेकिन पता नहीं क्यों उसके मन में अजीब सी धूकर धूकर हो रही थी
रीमा को देखते ही प्रिसिपल ने कहा '' आओ रीमा बेठो
रीमा बेठ गयी और सवालिया निगाहों से प्रिसिपल की तरफ देखने लगी
प्रिंसिपल ने कहा '' देखो रीमा तुम तो जानती ही हो की हमारा स्कूल मंत्री जी की कृपा से चल रहा है
हमे जब भी जिस चीज़ चीज़ की जरूरत होती है मंत्री जी की कृपा से मिल जाती है ,,
रीमा ने भी उसकी हाँ में हाँ मिलते हुए कहा................... जी मेडम
प्रिसिपल ने फिर से कहा '' तुम्हारे लिए बड़े गर्व की बात है की मंत्री जी तुमसे मिलकर बहुत खुश हुए है
जाते जाते भी वो सिर्फ तुम्हारी ही तारीफ कर रहे थे मुझे लगता है की वो तुम्हारी पर्सनेल्टी से बहुत
ज्यादा इम्प्रेस है ...... दिस इस वैरी गुड फॉर यू ,,,, कहते हुए वो रीमा को देखने लगी
प्रिंसिपल की इन बातो का रीमा के पास और तो कोई जवाब नहीं था उसने कहा .......... थेंक्स मेडम
प्रिसिपल ने इस बार रीमा के चेहरे को गौर से देखते हुए कहा
''अभी कुछ देर पहले मंत्री जी का फ़ोन आया था और वो तुमसे अकेले में मिलना चाहते है''
प्रिंसिपल की बात सुनते ही रीमा के पैरो के नीचे से जमीन निकल गयी उसने हडबडाते हुए कहा
लेकिन वो मेरे से अकेले में क्यों मिलना चाहते है ....में कुछ समझी नहीं ......................
प्रिंसिपल ने रीमा की और कुटिल निगाहों से देखते हुए कहा
'' रीमा तुम एक शादी शुदा औरत हो क्या तुम्हे ये भी समझाना पड़ेगा की कोई मर्द किसी औरत से अकेले में
क्यों मिलना चाहता है''
कहते हुए वो अर्थपूर्ण ढंग से मुस्कराने लगी
प्रिंसिपल की बात का मतलब जैसे ही रीमा की समझ में आया उसने थोड़े तैश में आते हुए कहा
'' सॉरी मेडम..... आपके मन में शायद मेरे लिए कोई गलत फ़हमी भरी है तो प्लीज उसे निकाल दीजिये
में उस टाइप की औरत नहीं हूँ जैसा आप सोच रही है .....
प्रिंसिपल को शायद रीमा से ऐसे पलटवार जवाब की उम्मीद नहीं थी वो बुरी तरह से सकपका गयी
लेकिन वो भी पूरी खेली खाई थी इतनी आसानी से कहाँ मान ने वाली थी उसने नया पैंतरा चलते हुए कहा
''रीमा तुम जानती हो की तुम्हारा ये बचकाना फैसला तुम्हे कितना नुक्सान पहुंचा सकता है ''
रीमा ने भी तल्ख़ आवाज में कहा ''अंजाम चाहे जो भी हो लेकिन मेरा फैसला बदल नहीं सकता''
प्रिंसिपल को भी अब रीमा की बातो से लगने लगा था की वो इतनी आसानी से काबू में नहीं आने वाली
उसने रीमा को समझाते हुए कहा ......
''देखो रीमा इतनी जल्दबाजी में कोई भी फैसला मत लो तुम अगर उनसे मिलने जाओगी तो तुम्हारा फायदा ही होगा
में जानती हूँ की तुम्हारी माली हालत अच्छी नहीं है अगर तुम अपने फैसले को बदलने के लिए राज़ी हो जाओ तो
तुम्हे ६ महीने की सेलेरी ऍस ए बोनस मिल सकती है .....
अब जरा ठन्डे दिमाग से सोचो की एक तरफ तुम्हे परमानेंट जॉब और ६ महीने की सेलेरी बोनस में मिल रही है
और दूसरी तरफ तुम्हे कुछ भी नहीं मिलेगा और तो और अपनी इस नौकरी से भी हाथ धो बेठोगी ....
देखो रीमा में तुमसे उम्र में बड़ी हूँ मेने दुनिया देखी है .......और में तुम्हारा भला ही चाहती हूँ ....
कहकर वो चुप हो गयी और रीमा के जवाब की प्रतीक्षा करने लगी ....
रीमा प्रिंसिपल की ऐसी बातो से बुरी तरह से आहत हो चुकी थी उसकी आँखे सुर्ख हो चुकी थी और गला भर आया था
वो मन ही मन सोच रही थी की क्या इस दुनिया में इंसानियत नाम की चीज़ ख़तम हो चुकी है या उसके नसीब में
सिर्फ ऐसे ही कमीने लोग लिखे है जो हर कदम पर उसकी मजबूरी का नाजायज़ फायदा उठाने के लिए बेठे है ......
रीमा ने अपने आप को सँभालते हुए रुंधे गले से कहा
''मेडम आप को ही मुबारक हो ऐसी नौकरी और ऐसा बोनस'' में अपने घर जा रही हूँ
कहती हुई वो प्रिंसिपल के कमरे से बाहर आ गयी
लेकिन बाहर आते ही उसकी रुलाई छुट गयी और उसकी आँखों से आंसुओ का सैलाब बहने लगा
रीमा प्रिन्सिपल के कमरे से बाहर आने के बाद एक कोने में खड़ी हुई अपने आंसुओ को बहा रही थी
तभी अचानक किसी ने रीमा के कंधे पर अपना हाथ रखा और रीमा हडबडा कर उस शख्स को देखने लगी
वो शख्स और कोई नहीं अनीता थी , अनीता को देखते ही रीमा खुद पर काबू न रख पाई और वो
अनीता के गले लग कर सुबक सुबक कर रोने लगी .......
अनीता ने रीमा को अपने गले से लगा कर दिलासा देते हुए कहा मेरे साथ चल और पहले चुप हो जा
ऐसे रो कर अपना तमाशा न बनवा ,
अनीता की बात सुन कर रीमा ने अपने आंसुओ को साड़ी के आँचल से पोंछा और अनीता के साथ चल दी
अनीता रीमा को ले कर सीधा स्टाफ रूम ने गयी चूँकि लंच टाइम ख़तम हो गया था इस लिए स्टाफ रूम
बिलकुल खाली पड़ा था वहां ले जाकर अनीता ने रीमा को पहले पानी पिलाया और फिर बोली ....
तुझे जब आने में देर हो गयी तो मेरे मन में भी न जाने क्यों बुरे बुरे ख्याल आने लगे इसलिए में तुझे देखती हुई
प्रिंसिपल के रूम तक आई थी और अच्छा हुआ जो में आ गयी नहीं तो तू वहां खड़ी हो कर रोती रहती और
इस हालत में कोई तुझे देखता तो पता नहीं कैसी कैसी बाते बनाता ,
रीमा भी अब तक कुछ संयत हो चुकी थी लेकिन उसके दिल का गुबार पूरी तरह से नहीं निकला था उसने रुन्वासे
चेहरे से अनीता की और देखते हुए कहा ......अनीता प्लीज मेरे साथ बाहर तक चल मुझे अपने घर जाना है ..
अनीता रीमा की हालत देख कर काफी कुछ समझ चुकी थी उसने रीमा का हाथ अपने हाथ में ले कर कहा
बाहर तक क्यों में तझे तेरे घर तक छोड़ कर आउंगी लेकिन अगर तुझे बुरा न लगे तो क्या में जान सकती हूँ
की आखिर बात क्या हुई है ?
इस समय रीमा के लिए अनीता से बड़ा हमदर्द और कोई नहीं था लिहाजा रीमा ने प्रिंसिपल से हुई पूरी बात अनीता को
बता दी और रीमा की बात सुन कर अनीता ने कहा .....
वाह रीमा वाह तूने बहुत ही अच्छा सबक दिया है आज उस कुलटा को ,
में दाद देती हूँ तेरी हिम्मत की और सलाम ठोंकती हूँ तेरी बहादुरी को
जितनी हिम्मत तूने आज दिखाई है काश उतनी में भी उस दिन दिखा पाती.......और ये बात कहते हुए
अनीता की आँखे भी भर आई
अनीता की बात सुन कर रीमा ने चोंकते हुए अनीता को देखा और बोली क्या मतलब में कुछ समझी नहीं
अब तक अनीता की आँखे भी छलक उठी थी अनीता ने अपने रुमाल से आंसुओ को पोंछते हुए एक गहरी
सांस ली और कहा ..........
हाँ रीमा आज से ६ महीने पहले मेरे सामने भी यही सिचुवेशन क्रियेट हुई थी और मेरे ही क्या इस स्कूल में
काम करने वाली हर टीचर के सामने एक दिन ये सिचवेशन जरूर आती है
अनीता की बात सुन कर रीमा अपना सारा गम भूल गयी और अनीता के मुंह को ताकने लगी
रीमा को ऐसे चोंकता देख कर अनीता ने अपने रुन्वासे चेहरे पर मुस्कान लाने की एक नाकाम सी कोशिश की
और बोली ..... हाँ रीमा ये सच है यहाँ जो भी नयी टीचर आती है उसकी जॉब तभी परमानेंट होती है जब वो
मंत्री को खुश करती है नहीं तो उसको नौकरी से भी निकाल दिया जाता है ,
लेकिन तूने अच्छा किया जो उसकी नौकरी उसके मुंह पर मार दी और चली आई क्योकि अगर तू एक बार इन
हरामजादो के चंगुल में फंस जाती तो ये तुझे अपने जाल से कभी नहीं निकलने देते और फिर तू इन कमीनो के
हाथो में कठपुतली की तरह नाचती जैसे में आज तक नाच रही हूँ ,
अनीता की बातो को सुन कर रीमा के पुरे शरीर में सिहरन होने लगी उसको अब वहां एक पल भी रुकना दुश्वार
लगने लगा उसने अनीता से कहा
अनीता यार प्लीज चल न मेरे साथ मुझे तेरे साथ बात करनी है लेकिन यहाँ नहीं कही और चलते है ,
रीमा की बात सुन कर अनीता ने कहा ठीक है लेकिन पहले में प्रिसिपल से जाने की परमिशन ले कर आती हूँ
तब तक तू गेट तक पहुँच में तुझे वहीँ मिलती हूँ ,
अनीता प्रिंसिपल के कमरे में चली गयी और रीमा गेट की तरफ चल दी
अनीता जैसे ही प्रिंसिपल के कमरे में दाखिल हुई प्रिंसिपल ने अनीता को घूरते हुए कहा
तू उसकी बड़ी हिमायती बन रही है याद रहे अगर कोई हरकत हुई तो अंजाम अच्छा नहीं होगा
अनीता ने घबराते हुए कहा ....................जी मेम में कुछ समझी नहीं
प्रिसिपल ने अपनी आँखे निकालते हुए कहा ... मेने सब देखा है जब वो मेरे रूम से बाहर निकली तो तू ही उसको
ले गयी थी अपने साथ , बड़े गले लग कर रो रही थी वो तेरे ...
अनीता ने दिमाग का इस्तेमाल करते हुए कहा ..... मेडम में उसकी कोई तरफदारी नहीं कर रही हूँ बल्कि में तो उसको
समझा रही थी की वो आपकी बात मान ले , इसी में उसका फायदा है ...
अनीता की बात सुन कर जैसे प्रिंसिपल को उम्मीद की कोई किरण दिखाई दी हो उसने अनीता को मुस्कराते हुए देखा
और बोली .... ओह रियली ... शाबाश मुझे तुमसे यही उम्मीद थी वैसे तुम्हे क्या लगा उसकी बातो से वो मानेगी ?
अनीता ने जब देखा की उसका पासा सीधा पड़ा है तो उसने कहा .... उम्मीद तो है की वो मान जाएगी लेकिन उसके लिए
मुझे उससे तस्सली से बात करनी पड़ेगी अगर आप कहे तो में उसको कही सुकून वाली जगह पर ले जाकर उससे इस
बारे में बात करू ?
प्रिंसिपल की हालत तो इस वक़्त ऐसी थी जैसे अँधा क्या मांगे दो नयन उसने अनीता से कहा हाँ हाँ तुम उसको कही
ले जाओ और अच्छी तरह से उसकी खातिरदारी करो उसको खिलाओ पिलाओ और ऐसे ऐसे रंगीन ख्वाब दिखाओ की वो
खुद आकर मेरे पैरो में गिर जाये कहते हुए प्रिंसिपल की आँखों में चमक बड़ने लगी ....
मौका अच्छा देख कर अनीता ने कहा .... मेडम वो अपने घर के लिए बाहर तक निकल चुकी है अगर आपकी इज़ाज़त
हो तो में उसको अभी कही ले जाऊ , फिर पता नहीं कब मौका मिले ....
प्रिंसिपल ने बिना सोचे समझे कहा .........यस बी फ़ास्ट जल्दी से उसको पकड़ो और मुझे जल्दी से गुड न्यूज़ दो
अनीता प्रिंसिपल से विदा ले कर उसके कमरे से बाहर निकली और जल्दी से गेट की तरफ बड़ने लगी
गेट से बाहर निकलते ही अनीता को रीमा दिखाई दे गयी और अनीता लगभग भागती हुई रीमा के पास गयी और
बोली चल रीमा जितना जल्दी हो यहाँ से निकल चल
इस से पहले की रीमा कुछ जवाब देती अनीता ने ऑटो रोका और रीमा के साथ ऑटो में बेठ गयी अनीता ने ऑटो
वाले से जहाँ जाना था वहां का एड्रेस बताया और ऑटो चल पड़ा ,
२ मिनट चुप रहने के बाद रीमा ने अनीता से कहा लेकिन हम जा कहाँ रहे है ?
अनीता ने कहा मेरे घर चलते है वही आराम से बेठ कर बात करेंगे और फिर वहां से में तुझे तेरे घर छोड़ आउंगी
अनीता की बात सुन कर रीमा चुप हो गयी क्योकि रीमा अनीता से वो सब राज़ जानने के लिए बुरी तरह से उत्सुक
थी जिसका ज़िक्र अनीता ने स्टाफ रूम में किया था ,
और फिर कुछ ही देर में औती अनीता के घर के पास पहुँच गया
अनीता ने ऑटो वाले को पैसे दिए और रीमा के साथ अपने घर को चल दी ,
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