Saturday, November 30, 2013

FUN-MAZA-MASTI रोहन और रीमा--13

FUN-MAZA-MASTI
 रोहन और रीमा--13

 कुछ पल बाद अन्दर से दरवाजा खुला और मयंक ने मुझे देख कर अन्दर आने को कहा
में चुपचाप अन्दर दाखिल हो गयी और दाखिल होते ही मेने बड़ी रुन्वासी आवाज में कहा ......
तुम मुझे इस तरह से जलील करवाने पर क्यों तुले हो आखिर चाहते क्या हो तुम ?

मयंक ने मुस्कराते हुए मेरी तरफ देखा और बोला
अरे मेरी जान पहले बेठो तो सही और फिर इत्मीनान से बताओ कि क्या हुआ है ......
मेरी हालत उस वक़्त किसी पर कटे परिंदे की तरह हो रही थी मेने बिना एक भी पल गंवाए
मयंक को उसका फ़ोन आने से लेकर यहाँ तक पहुँचने की पूरी कहानी सुना दी ..

और सुन कर मयंक ने हँसते हुए कहा ..............
मेरी जान तो इसमें इतना परेशान होने वाली क्या बात है तुझे तो खुश होना चाहिए
अच्छा हुआ जो सबको पता चल गया की तू मेरी सेटिंग है ,,, सेटिंग का मतलब समझती है की नहीं ?

उसकी इन घटियापने की बातो को सुन कर मेने बड़े दुखी मन से कहा...
लेकिन में नहीं चाहती की मेरे साथ तुम्हारा नाम किसी भी तरह से नाम जोड़ा जाए ........
मयंक ने मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया और वो अपने मोबाइल से खेलने लगा ,,
कुछ पल चुप रहने के बाद मेने फिर से बड़ी दयनीय आवाज में कहा
मयंक प्लीज् अब तो वो क्लिप डिलीट कर दो तुमने जैसा कहा मेने वैसा ही किया है ,,
मयंक ने हँसते हुए कहा .....
कर दूंगा मेरी जान इतनी जल्दी भी क्या है पहले मुझे अच्छी तरह से इस बात का यकीन तो होने दे की
तू आगे भी इसी तरह से मेरी हर बात मानती रहेगी ....

कहते -२ मयंक मेरे बिलकुल करीब आ गया और उसने मेरे दुप्पटे को झटके से खिंचा और फेंक दिया ,
उसकी इस बेतुकी हरकत से में हक्की बक्की रह गयी मेरे मुंह से सिर्फ इतना ही निकला
''ये क्या कर रहे हो तुम ?

मेरी बात सुन कर वो बड़े ही भद्दे तरीके से हँसता हुआ बोला
घबरा मत मेरी छमिया बाकी का सब कुछ अब तू खुद उतार ले
उसकी बात का मतलब समझते ही मेने तड़प कर कहा
नहीं नहीं प्लीज मेरे साथ अब कोई ऐसी गलत हरकत मत करो प्लीज जल्दी से मेरे सब विडियो
डिलीट कर दो और मुझे जाने दो.....
लेकिन मयंक ने बेशर्मी से हँसते हुए कहा .... मेरी छमिया तुझे अगर अपनी विडियो डिलीट करवानी है तो पहले
मुझे खुश कर दे....... चल जल्दी से अपने कपडे उतार .....
मेने गिडगिडाते हुए मयंक को हाथ जोड़ कर कहा .....
प्लीज मयंक .....भगवान के लिए ऐसा मत करो मेरी इज्ज़त से और मत खेलो मेरी जिन्दगी बर्बाद न करो ...
कहते हुए मेरी रुलाई छुट गयी और में फूट -२ कर रोने लगी ...

लेकिन उस जालिम को तो जैसे मेरे दर्द और मेरे आंसुओ से कोई सरोकार ही नहीं था ,,,
उसने मेरे उभारो पर अपना हाथ रख दिया और बेशर्मी से उन्हें सहलाता हुआ बोला ...
देख छमिया अगर तू चाहती है की में तेरे विडियो डिलीट कर दूँ तो चुपचाप हँसते -२ मुझे खुश कर दे ...
तू ख़ुशी खुशी काम करवाएगी तो दोनों को मजा आएगा .....सोच ले ..
कहते हुए उसने मेरे एक उभार को इतनी जोर से मसल दिया की मेरी जोर की चीख निकल गयी
लेकिन वहां मुझ बदनसीब की चीख सुनने वाला भी कोई नहीं था ,,,

मयंक ने मुझे हुक्म देते हुए कहा ... चल अब जल्दी से अपने कपडे उतार और मुझे खुश कर दे ...
मेने मयंक के पैरो में गिर कर गिडगिडाते हुए कहा .......
में तुम्हारे पाँव पड़ती हूँ प्लीज मेरे साथ ऐसा मत करो मुझे और बर्बाद मत करो रहम करो मुझ पर

मयंक इस बार गुस्से से भर कर मुझे गन्दी गन्दी गालिया देता हुआ बोला .....
जा रहम किया तुझ पर चल भाग यहाँ से कहते हुए उसने मुझे अपने पैरो से ठोकर मारी और बोला
चल चल ............निकल ले तू अब यहाँ से ..... अब मेरा मूड ख़राब हो गया है .... निकल चल


कहते हुए उसने अपने मोबाइल से कहीं फ़ोन मिलाया और बोला .....
अनीता की सब विडियो नेट पर अपलोड कर दे .....
उसकी बात सुन कर मेरी रूह फ़ना हो गयी क्योकि में जानती थी की अगर ऐसा हो गया तो क्या होगा ..


मेने फिर से उसके आगे हाथ जोड़कर कर गिडगिडाते हुए कहा
नहीं नहीं तुम नाराज न हो प्लीज उसको रोक दो तुम जैसा कहोगे में करुँगी लेकिन पहले उसको रोको
में अपने कपडे उतार रही हूँ कहते हुए मेने रोते रोते अपने कुरते को उतार दिया और मयंक से रहम
की गुहार करने लगी ,


काली ब्रा से बाहर झांकते मेरे गोरे-२ उभारो को मयंक बड़े गौर से देखता हुआ बोला ...
अब तो कोई ड्रामा नहीं करेगी तू ?


मेने रोते हुए उसको हाथ जोड़कर कहा .... नहीं तुम जैसे कहोगे में करुँगी प्लीज उसको रोक दो
मयंक ने अपने मोबाइल से फिर फ़ोन किया और बोला ....... अभी कुछ किया तो नहीं ......
चल रुक जा अभी कुछ मत कर .......


कहते हुए मयंक ने अपने हाथ से मेरे उभारो को फिर से सहलाते हुए कहा .....
बड़ी गोरी गोरी चुचिया है तेरी ह्म्म्म ....कहते हुए उसने मेरी ब्रा में अपना हाथ घुसा दिया और
मेरे उभार को बेदर्दी से मसल दिया मेने कुछ नहीं कहा बस चुपचाप खड़ी रही क्योकि में जानती थी
की मेरे पास अब उसकी बात मानने के सिवा और कोई रास्ता बाकी नहीं है ,


मुझे पूरी तरह से अपने वश में देखकर वो बोला चल अब जल्दी से उतार ये सब बाकी का ...

मेने चुपचाप अपनी सलवार का नाडा खोल दिया और सलवार मेरे पैरो में गिर गयी अब में मयंक के
सामने सिर्फ ब्रा और पेंटी में खड़ी थी और शर्म से अपनी निगाहें तक नहीं उठा पा रही थी ...


मयंक ने अपनी एक ऊँगली मेरे उभारो की दरार में डाली और ब्रा को खींचता हुआ बोला ....
रुक मत सब उतार दे ...जल्दी कर ..


मेने फिर से गिडगिडा कर कहा .. बस अब और मत उतरवाओ मुझे माफ़ कर दो .....

मयंक की हवस अब सर चढ़ कर बोलने लगी थी वो गुस्से से बोला
देख अगर तू अब कुछ बोली या तूने कोई ड्रामा किया तो में इस बार में तेरी कोई बात नहीं सुनूंगा


उसके रुख को देख कर मुझे रहम की कोई उम्मीद नहीं लग रही थी मेने फिर कुछ नहीं कहा
अपनी ब्रा के हुक खोले और ब्रा को उतार दिया और फिर अपनी पेंटी को भी उतार दिया अब में
मयंक के सामने बिलकुल नग्न अवस्था में खड़ी थी ,
हालाँकि में अपने हाथो से अपने उभारो को और अपनी दोनों जांघो को आपस में चिपका कर योनी को
जांघो में भींच कर छुपाने की नाकाम कोशिश कर रही थी, लेकिन सब बेकार साबित हुआ ..


मयंक कुछ देर तक मुझे घूर -२ कर देखता रहा फिर उसने मेरे करीब आकर मुझे अपनी बाँहों में भर लिया
और मेरे लबो को अपने लबो में दबाकर बेहताशा चूमने लगा , लबो को चुमते हुए मयंक मेरे पुरे जिस्म को
सहलाता रहा, में भी अब उसका कोई विरोध नहीं कर रही थी क्योकि मेने खुद को हालात के हवाले कर दिया था ,


उसके हाथ मेरे जिस्म के हर एक हिस्से पर रेंग रहे थे , जो उसके मन में आता वो कर रहा था और फिर
जब उसने अच्छी तरह से मेरे पुरे जिस्म का मुआयना कर लिया तब वो मेरा हाथ पकड़ कर मुझे पलंग के पास
खींचता हुआ ले गया और वहां जाकर उसने मुझे पलंग पर धकेल दिया ,


फिर वो अपने कपडे उतारने लगा , कपडे उतार कर वो भी पलंग पर आ गया और अपने लिंग को सहलाता हुआ
मेरी तरफ देख कर बोला .. चल पकड़ इसको अपने हाथ में ...


मेने उसके लिंग की तरफ देखे बिना अपना हाथ आगे बड़ा कर उसके लिंग को पकड़ लिया और पकड़ते ही
मुझे उसके लिंग की लम्बाई का एहसास होने लगा ,और में मन ही मन आगे की सोच कर घबराने लगी
में उसके लिंग को अपने हाथ में पकड़ कर हिलाने लगी और कुछ देर में ही उसका लिंग मेरे नाजुक हाथो
के स्पर्श से किसी लोहे की रोड की तरह कड़ा हो गया ,


उसने मुझे फिर से एक नया हुकुम देते हुए कहा ........चल मेरी छमिया अब जरा चूस इसको ..

चूसने का नाम सुनते ही मुझे घिन सी आने लगी मेने उस से बड़ी मिन्नतें करी लेकिन वो नहीं मान
और वो मेरे मुंह के आगे खड़ा होकर अपने लिंग को झुलाने लगा ,


मेने डर से अपनी आँखों को बंद कर लिया और अपने दोनों लबो को सख्ती से चिपका लिया ...
मुझे ऐसा करता देख वो अपने लिंग को मेरे गालो और लबो पर रगड़ने लगा लेकिन मेने फिर भी
न अपनी आँखे खोली और न मुंह तो उसने मेरे गाल पर एक जोर का तमाचा जड़ दिया
तमाचा इतनी जोर का था की दर्द से मेरी आँखों के साथ साथ मेरा मुंह भी थोडा सा खुल गया
और में उसको अवाक होकर देखने लगी ...


मयंक ने मेरे थोड़े से खुले हुए लबो में अपने लिंग को बिना कुछ कहे फंसा दिया ...
और फिर मुझे न चाहते हुए भी उसके लिंग को अपने मुंह में लेना ही पड़ा और फिर धीरे -२ मयंक का
लिंग मेरे छोटे से मुंह में जितना समा सकता था समा गया मयंक ने उत्तेजना वश जैसे ही लिंग को
और ज्यादा अन्दर घुसाने का प्रयास किया तो लिंग मेरे गले तक पहुँच गया और फिर जैसे ही उसका
लिंग मेरे हलक से टकराया मुझे बड़ी तेज़ उबकाई आने लगी और फिर जो कुछ भी मेरे पेट में था सब
बाहर आ गया ,,


मेने उसके आगे हाथ जोड़कर बहुत मिन्नतें की कि में ये सब नहीं कर सकती लेकिन वो नहीं माना और
उसने फिर से अपने लिंग को जबरदस्ती मेरे मुंह में ठेल दिया और फिर से अपने लिंग को मेरे हलक तक
घुसा दिया मुझे फिर से उबकाईया आती रही लेकिन वो अपनी मनमानी करता रहा उसके ऐसा करने से
मेरी बहुत बुरी हालत हो गयी आँखे सूज कर सुर्ख हो गयी और मुंह भी बुरी तरह से छिल गया और जबड़े
भी दर्द करने लगे लेकिन उसने अपने लिंग को मेरे मुंह से निकलने नहीं दिया और फिर उसने मेरे सर को
अपने दोनों हाथो से कस कर जकड लिया और मेरे मुंह में बड़ी तेज़ तेज़ अपने लिंग को अन्दर बाहर करने लगा
में गों गों गों की आवाजे निकाल रही थी लेकिन वो जालिम किसी कसाई की तरह अपने काम को अंजाम देने में
लगा रहा और फिर उसने एक झटके से अपने लिंग को मेरे हलक में घुसा दिया और उसके लिंग से वीर्य की
पिचकारी सीधी मेरे हलक में गिरी ...मेने बुरी तरह से छटपटा कर उसकी गिरफ्त से निकलने की कोशिश की
लेकिन निकल नहीं पायी और फिर जब उसने अपना पूरा वीर्य मेरे हलक में उड़ेल दिया तब मुझे अपनी पकड़
से आज़ाद कर दिया जैसे ही उसने मुझे आजाद किया मुझे फिर से बड़ी तेज़ उबकाई आ गयी और
मे सीधा बाथरूम में भागी चली गयी वहां जाते ही मेने वोमिट की और फिर बहुत देर तक में पानी
से कुल्ला करती रही लेकिन उसके वीर्य का लिसलिसापन मेरे मुंह से जाने का नाम ही नहीं ले रहा था
बहुत देर तक कुल्ले करने के बाद मुझे कुछ राहत मिली और में वापिस कमरे में आ गयी मुझे देख
कर वो कमीना हँसते हुए बोला ..... कैसा लगा स्वाद तुझे मेरे जूस का ?


मेने तड़फ कर कहा .... तुम इंसान नहीं बल्कि कोई राक्षस हो क्योकि अगर तुम इंसान होते तो मेरे साथ
इतना अमानवीय व्यवहार न करते ,


मेरी बात सुन कर वो जोर का ठहाका लगा कर हँसने लगा ..और बोला ....चल अब अगले राउंड के लिये
तैयार हो जा कहते हुए वो फिर से मेरे पास आ गया और अपने लिंग को मेरे हाथ में पकडवा कर मेरे
उभारो को फिर से मसलने लगा और कुछ देर तक मेरे उभारो का मर्दन करने के पश्चात् उसने मुझे फिर
से लिंग चूसने को कहा ,,, में जानती थी की उस हेवान से अब दया की उम्मीद करना बेकार है इसलिए में
उसके लिंग को अपने मुंह में ले कर चूसने लगी कुछ देर तक अपना लिंग चुसवाने के बाद उसने मुझे
पलंग पर चोपाया बना कर खड़ा कर दिया और खुद फर्श पर खड़ा हो कर अपने लिंग को मेरी योनी से
सटा दिया जैसे ही उसने अपने लिंग को मेरे योनी द्वार पर सटा दिया मेने अपनी आँखों को बंद करके अपने
जबड़ो को सख्ती से भींच लिया और फिर उसने बड़ी बेदर्दी से अपने लिंग को मेरी योनी में प्रविष्ट करवा दिया ..
उसका लिंग मेरी अक्षत योनी को चीरता हुआ अन्दर बड़ने लगा और में दर्द से तड़फती हुई अपने सर को
इधर उधर पटकने लगी लेकिन मयंक ने मेरी कमर में अपने दोनों हाथो को डाल कर बड़ी सख्ती से मुझे कसा हुआ था
की में पूरी तरह से उसके शिकंजे में थी और वो जालिम अपनी पूरी तरह से मनमर्जी कर रहा था
में किसी बेजान गुडिया की तरह उसके हर जुल्म को सह रही थी लगभग २०-२५ मिनट तक मुझे रोंदने के बाद
मयंक के लिंग ने वीर्य की गर्म पिचकारिया निकाली और मेरी योनी को वीर्य से लबालब भर दिया ,


कुछ देर तक मयंक अपने लिंग को मेरी योनी में डाल कर ऐसे ही खड़ा रहा और फिर जब उसके लिंग
शिथिल होने लगा तो उसने अपने लिंग को झटके से मेरी योनी से बाहर खींच लिया
उसके लिंग के निकलते ही में किसी बेजान लाश की तरह पलंग पर औंधे मुंह गिर गयी ....


में औंधे मुंह पड़ी तेज़ तेज़ सांसे लेती रही, मुझे एहसास हो रहा था की उसका वीर्य मेरी योनी से रिस -२ कर बाहर
निकल रहा है लेकिन मुझ में इतनी हिम्मत भी नहीं बची थी की में उठकर अपनी योनी को पोंछ लेती ..
कुछ देर ऐसे ही पड़े रहने के बाद जब मेरी सांसे संयत हुई तो में उठी और जैसे तैसे करके बाथरूम में चली गयी
वहां जाकर मेने पेशाब किया और अपनी योनी को धोया ,,योनी सूज कर लाल हो चुकी थी और दर्द भी हो रहा था ..
हालाँकि मयंक ने मेरे साथ आज दूसरी बार सम्भोग किया था लेकिन उस दिन चूँकि में बेहोश थी इसलिए
मुझे उस वक़्त किसी तरह के दर्द का एहसास नहीं हुआ था ,
में बाहर आई और अपने कपडे पहन ने लगी , तो मयंक ने मुझे रोक दिया और बोला
रुक जा ..............कपडे मत पहन अभी एक बार और लूँगा ...


उसकी बात सुनकर में फिर से उस दर्द की कल्पना करके ही घबरा गयी मेने रुन्वासी होते हुए कहा ....
प्लीज अब और नहीं ... मुझे बड़ी तकलीफ हो रही है .... अगर अब तुमने किया तो में मर जाउंगी
प्लीज मुझ पर अब और जुल्म मत करो ...... दया करो ...


मेरी बात सुन कर मयंक ने कहा .... चल आगे से नहीं तो पीछे से करवा ले ..

उसका आशय समझते ही मेने घबराते हुए उसको हाथ जोड़ कर कहा .... नहीं नहीं ऐसा जुल्म मत करो
लेकिन मेरे रोने गिडगिडाने का उस जालिम पर कोई असर नहीं हो रहा था ...


उसने फिर से मुझे धमकाते हुए कहा .... विडियो डिलीट करवानी है या नहीं जल्दी बोल ...

उसकी बात सुन कर मेने दिल पर पत्थर रख लिया और कहा .... हाँ करवानी है ..

मेरी बेबसी पर वो हँसते हुए बोला ....तो जल्दी बोल फिर ....... करवाएगी या नहीं ?

मेने बेबस हो कर सहमति में अपने सर को हिला दिया
मयंक ने कहा ... चल फिर जाके पलंग पर लेट जा
में जाकर पलंग पर लेट गयी और फिर वो भी मेरे पास आकर लेट गया उसने मुझे फिर से अपनी बाहों में
भर लिया और मेरे जिस्म से खेलने लगा थोड़ी देर बाद उसका लिंग फिर से तैयार हो गया और उसने
इस बार मुझे किसी वहशी दरिन्दे की तरह रोंद डाला ...


और फिर जब उसने अपनी हर मर्जी पूरी कर ली तब वो बोला .. चल अब अपने कपडे पहन ले
मेने अपने कपडे पहने और कहा ....


अब तो मेरी विडियो डिलीट कर दो अब तो मेने तुम्हारी हर बात मानी है ,
मयंक ने हँसते हुए कहा ...
हाँ तूने मेरी हर बात मानी है इसीलिए तो तेरी विडियो अभी तक मेरे पास सेफ है नहीं तो अब तक
नेट पर डाल चूका होता ,


मेने कहा लेकिन तुमने को कहा था की तुम उन विडियो को डिलीट कर दोगे अब करते क्यों नहीं

मयंक अपनी औकात पर आ गया और बोला .... सुन छमिया अभी विडियो डिलीट करने का मेरा मूड नहीं है
लेकिन जब तक तू मेरी हर बात ऐसे ही मानती रहेगी तेरे क्लिप मेरे पास पूरी तरह से महफूज रहेंगे
और एक बात अपने दिमाग में अच्छी तरह से बेठा ले की जिस दिन भी तूने मेरी बात मानने से इनकार किया
उस दिन में तेरा वो हाल कर दूंगा की फिर तू सिर्फ पछताएगी


मेने तड़फ कर कहा इसका मतलब तुम मुझे अपने चंगुल से कभी आज़ाद नहीं करोगे , ऐसे ही मेरे जिस्म
को अपनी हवस का शिकार बनाकर रोंदते रहोगे तुम्हारी हेवानियत का नंगा नाच ऐसे ही चलता रहेगा ,,


मेरी बात सुन कर मयंक हँसता हुआ बोला ....
तू तो सच में बड़ी समझदार है जो मेरे कुछ कहे बिना ही सब समझ गयी ....


मेरे मुंह से कुछ नहीं निकला सिर्फ आँखों से आंसू बहने लगे

कुछ देर तक चुप रहने के बाद मयंक फिर से बोला ....

चल अब तू अपने घर जा और सुन कल से तू कॉलेज रोजाना आएगी समझी

मेने रोते -२ कहा....... नहीं में नहीं आ सकती में तो आज भी माँ से बहाना बना कर आई हूँ

मयंक ने कुछ सोचते हुए कहा ...चल रोज़ न सही लेकिन जब जब में तुझे बुलाऊंगा तुझे आने होगा
मेने कहा .... तुम मेरी मजबूरी समझने की कोशिश क्यों नहीं कर रहे मे माँ से बार-२ बहाने नहीं बना सकती


मयंक ने गुस्से से कहा ... ये तू सोच तुझे क्या करना है अगर तु चाहती है की तेरी विडियो मेरे पास सेफ
रहे तो तुझे आना ही पड़ेगा ,,,कहते हुए उसने मुझे जाने का इशारा किया .....

में अपनी बेबसी पर आंसू बहाती वहां से अपने घर को चल दी ,,

अनीता का हाथ अपने हाथ में ले कर रीमा ने बड़े ही दुखी स्वर में कहा ......
च..च ..च ..कितना दर्द सहा है तूने अनीता ..... तेरी कहानी सुन कर मेरे रोंगटे खड़े हो गए है
मुझे एक औरत होने के नाते तेरे दर्द का एहसास हो रहा है ,,
लेकिन तू उसके चंगुल से आजाद कैसे हुई ?? क्या उसने खुद तुझे आजाद किया या कुछ और हुआ था ?


अनीता ने गहरी साँस लेते हुए कहा ..... इसकी भी एक कहानी है लेकिन में तुझे वो सब भी बताउंगी ,,

कहते हुए अनीता ने पानी पिया और बोली ...

 होटल से निकल कर में जैसे तैसे लोगो की नजरो से छुपती छुपाती अपने घर तक पहुंची ...
मयंक की हेवानित ने मेरे जिस्म के साथ साथ मेरी आत्मा को भी बुरी तरह से झकझोर के रख दिया था
मुझे मेरा जिस्म बड़ा ही नापाक लग रहा था खुद अपने आप से ही घिन महसूस हो रही थी
माँ से नजरे मिलाने तक की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी लेकिन फिर भी मेने जैसे तैसे करके
माँ के सवालो का जवाब दिया ......मनघडंत कहानी बनाकर माँ को समझाई और सीधी बाथरूम में घुस गयी ...
और फिर में ऐसे नहाने लगी जैसे में किसी कीचड की नदी में तैर कर आई हूँ ...
में रोती जा रही थी और अपने पुरे जिस्म पर साबुन रगड़ -२ मलती जा रही थी ...
आखिरकार साबुन की टिकिया भी ख़तम होने को आ गई लेकिन मुझे फिर भी ऐसा लग रहा था
मानो मेरा जिस्म अभी भी गन्दा रह गया है , मुझे मयंक की एक -२ हेवानियत याद आ रही थी
और में बिलख बिलख कर रो रही थी .... तड़फ रही थी ....घुट रही थी ...........
पूरा दिन में ऐसे ही तड़फती रही न कुछ खाया जा रहा था और न कुछ अच्छा लग रहा था
रात को पिताजी जब घर आये तो उन्होंने ये बात कहकर मुझे और बुरी तरह से चोंका दिया की
उन्होंने मेरे लिए एक लड़का देख लिया है और अगले रविवार को वो लोग मुझे देखने घर आयेंगे
उनकी ये बात सुन कर में अन्दर ही अन्दर घुटने लगी और चिंता में पड़ गयी की अब क्या होगा.....
एक तरफ तो वो मेरी शादी के ख्वाब देख रहे है और दूसरी तरफ में मयंक के चंगुल में इतनी बुरी तरह से
फंस चुकी हूँ की निकलना तो दूर की बात निकलने का कोई रास्ता तक सुझाई नहीं दे रहा ,
इसी उधेड़बुन में ३-४ दिन बीत गए और फिर एक दिन ....
मयंक ने कॉलेज की ही एक लड़की प्रीती जोकि उसके बेहद करीब थी .. ऐसा मेने सुना हुआ था ..
उसके हाथ मेरा हालचाल पूछने के बहाने धमकी से भरी खबर भिजवाई की कल में फिर से उसी जगह
ठीक ११ बजे तक पहुँच जाऊ जहाँ में पहले आई थी ...
उसका संदेशा मिलते ही मेरी हालत एक बार फिर से किसी परकटे परिंदे की तरह हो गयी
में अगले दिन मयंक के पास जाने की सोच सोच कर ही घबराने लगी क्योकि में इस बात को
अच्छी तरह से जानती थी की वहां मेरा क्या हश्र होने वाला है ,,,
मुझे एक बार फिर से उस घिनोनी यातना से गुजरना पड़ेगा खैर जाना तो मेरी मजबूरी थी इसलिए मेने
एक बार फिर से माँ को बहाना बनाया और घर से निकल पड़ी अपने मोहल्ले से बाहर निकलते ही मेने
एक ऑटो रोका और उसमे बेठ कर होटल प्रिन्स की और चल दी ,
में इतनी ज्यादा टेंशन में थी की मेने जल्दबाजी में ये तक भी नहीं देखा की जिस ऑटो को मेने रोका है
वो ऑटो मेरे ही मोहल्ले का है ,,और उसका ड्राईवर भी मुझे अच्छी तरह से जानता है .....
तकरीबन आधे रास्ते तक पहुँचने के बाद जैसे ही मेरे ध्यान ऑटो ड्राईवर की तरफ गया जो मुझे व्यू मिरर में
घूरे जा रहा था मेने सकपका कर अपने मुंह को दुप्पटे से ढँक लिया मुझे ऐसा करता देख उसने अपनी गर्दन
घुमा कर मुझे मुस्कराते हुए देखा और बोला ... क्या हुआ अनीता अपना मुंह क्यों छुपा रही है ,,,
उसका चेहरा देखते ही में बुरी तरह से हडबडा गयी और मेरे मुंह से निकला .......तू..तू तुम
उसने ऑटो की स्पीड हलकी कर दी और मुस्कराते हुए बोला ..... हाँ में ..पहचान लिया या नहीं ?
वो ऑटो वाला कोई और नहीं बल्कि राघव था ...........मेने अपनी गर्दन को सहमति में हिला दिया
राघव और मेने हाई स्कूल की परीक्षा एक साथ ही दी थी लेकिन उसके बाद फिर पता नहीं वो
अचानक कहाँ गायब हो गया ,, कभी दिखाई नहीं दिया ,,,
और आज इस तरह से अचानक राघव को देख कर में पूरी तरह से चोंक गयी थी ,
मेने हेरानी से राघव को देखते हुए कहा ..... तुम एग्जाम के बाद अचानक कहाँ गायब हो गए थे ?
राघव ने अपने सर को एक झटका देते हुए कहा ..... वो सब फिर कभी बताऊंगा पहले ये बताओ की तुम
कैसी हो ....और पढाई कैसी चल रही है ?
राघव की बात सुन कर मे बड़ी मायूसी से बोली .... मेने भी पढाई छोड़ ही दी समझो ..
राघव मुझे गौर से देखता हुआ बोला ..... में कुछ समझा नहीं .... क्या हुआ ?
मेने अपनी गर्दन झुकाते हुए कहा ..... कुछ नहीं ......बस आजकल सब कुछ ऐसे ही चल रहा है ...
न जाने क्यों मेरे मुंह से ये सब कैसे निकल गया लेकिन राघव ने शायद मेरी बात को पकड़ लिया था
उसने मुझे गौर से देखते हुए कहा ....
में जिस अनीता को जानता था लगता है उस अनीता में और आज की इस अनीता में बहुत चेंज आ गया है..
उसकी बात सुन कर में मन ही मन पछताने लगी की मेने राघव से ये सब क्यों कह दिया लेकिन अब
हो भी क्या सकता था मेने एकदम से बात बदलते हुए कहा ...
राघव प्लीज जरा जल्दी चलो वहां कोई मेरी इंतज़ार कर रहा है ,,
शायद मेरा इस तरह बेरुखी से बात करना राघव को अच्छा नहीं लगा उसने अपने कंधो को उचकाते हुए
ऑटो की स्पीड बड़ा दी ..और होटल पहुँचने तक राघव ने अपनी जुबान से एक भी लफ्ज़ नहीं निकाला
लेकिन में राघव के साथ बीते एग्जाम के उन दिनों के बारे में जरूर सोचने लगी ,, और सोचते -२ में
ऐसी खयालो में खो गयी की पता ही नहीं चला की कब होटल आ गया ,
होटल के बाहर ऑटो रोक कर राघव ने कहा ... मेडम आपकी मंजिल आ गयी ....
उसके कहने के अंदाज़ से लग रहा था की वो अभी तक मेरी बात से नाराज है लेकिन इस सबके पीछे मेरी
क्या मजबूरी थी ये में उसको चाह कर भी नहीं बता सकती थी ...
में बड़े ही बोझिल मन से ऑटो से बाहर निकली और राघव को पैसे देने लगी लेकिन राघव ने पैसे लेने से
मना कर दिया ,,,बड़ी देर बहस के बाद भी जब उसने पैसे नहीं लिये तो मजबूरन में पैसे दिए बिना ही
होटल में चली गयी,,
इस बार भी मयंक ने रूम नंबर २०८ ही बुक किया हुआ था इसलिए में सीधी कमरा नंबर २०८ में चली गयी
कमरे में जाते ही एक बार फिर से वही सब हेवानियत का खेल शुरू हो गया और फिर जब उस हेवान ने हर
तरह से अपनी मनमर्जी कर ली तो वो पलंग से उठा और सिगरेट सुलगा कर पीने लगा , में भी उठी और
बाथरूम में चली गयी जब में फ्रेश होकर बाहर आई और अपने कपडे पहनने लगी तब उसने मुझे इशारे से
कपडे पहनने को मना कर दिया और में समझ गयी की अभी उसका मन नहीं भरा अभी मुझे एक बार फिर से
उसकी हवस का शिकार बनना पड़ेगा तो में पलंग पर चादर लपेट कर ऐसे ही लेट गयी और उसके अगले सितम
का इन्तजार करने लगी ....
मयंक ने फिर से सिगरेट सुलगा ली और वो कमरे में इधर से उधर चहल कदमी करने लगा
उसकी इन हरकतों को देख कर मुझे ऐसे लग रहा था जैसे वो किसी गहरी सोच में पड़ा हो
लेकिन में नहीं जानती थी की उस हरामजादे के मन ने अब कोनसी नयी चाल चल रही है ,
मेने झिझकते हुए उसको कहा ...जो भी करना है प्लीज जल्दी कर लो मुझे जल्दी वापिस जाना है ....
मेरी बात सुन कर वो मुस्कराते हुए मुझे देख कर बोला .....
जानेमन बस थोडा सा सब्र करले फिर तुझे वापिस भेज दूंगा ,,
इससे पहले की में कुछ और कहती दरवाजे पर दस्तक हुई और मयंक लपक कर दरवाजे की तरफ जाने लगा
और मुझे मन ही मन किसी अनहोनी की आशंका होने लगी में जल्दी से भाग कर बाथरूम में घुस गयी
लेकिन में बाथरूम के दरवाजे की आड़ से कमरे की स्तिथि का जायजा लेने लगी
मेरा अंदाज़ा सही निकला मयंक ने जैसे ही दरवाजा खोला २ लड़के कमरे में दाखिल हो गए और उन लडको
को देखते ही मेरे मुंह से घुटी हुई चीख निकल गयी ... क्योकि वो दोनों लड़के मेरे कॉलेज के ही थे और
मयंक के साथ ही रहते थे . में सब समझ गयी की मयंक ने उन दोनों को यहाँ क्यों बुलाया है ,,
मेने घबराकर जल्दी से दरवाजे को अन्दर से बंद करने की कोशिश की लेकिन टूटी हुई चिटकनी देखते ही
मेरे होश उड़ गए और डर से आँखों में आंसू आ गए में मन ही मन इस बात को सोच कर तड़फ उठी की
अब ये तीनो मिलकर मेरी क्या दुर्गत बनायेंगे इस बात की कल्पना करके ही मेरा पूरा जिस्म सिहर उठा
और में दरवाजे पर अपनी पीठ लगा कर खड़ी हो गयी और मन ही मन इस बात की दुआ करने लगी की
वो दोनों किसी और वजह से आये हो और वापिस चले जाए ... लेकिन ऐसा नहीं हुआ .....
मयंक की आवाज मेरे कानो में पड़ी .... छमिया जल्दी से बाहर आजा ...
उसकी आवाज सुनकर मेने कोई जवाब नहीं दिया बल्कि डर के मारे दरवाजे पर अपनी कमर का दबाव और बड़ा दिया
और फिर दरवाजे पर किसी ने जोर का धक्का दिया और में छिटक कर दरवाजे से दूर मुंह के बल जा गिरी
मुझसे इतनी हिम्मत भी नहीं हुई की में उठ कर खड़ी हो जाऊ में अपनी आँखों को बंद करके फर्श पर पड़ी रही
इतने में ही मयंक बाथरूम में दाखिल हुआ और उसने कहा ..... चच---च्च---च्च कहीं लगी तो नहीं मेरी छमिया
मेने रोते -२ मयंक से कहा .... ये सब क्या कर रहे हो तुम ... इन दोनों को यहाँ किस लिए बुलाया है
मेरी लाचारी पर हँसते हुए वो बोला .... जानेमन वो दोनों भी मेरे यार है कुछ तो उनका भी हक बनता है ..
मेने तड़फ कर कहा ... बकवास मत करो में तुम्हारी जागीर नहीं हूँ जो जिसको मर्जी बांटते फिरो और न ही
में कोई बाजारू लड़की हूँ जो कोई भी आये और मेरे जिस्म को रौंद कर चला जाए ,,
शराफत से उन दोनों को वापिस भेज दो नहीं तो अच्छा नहीं होगा ,,
मेरी बात सुन कर उसका पारा आसमान में चढ़ गया और वो मेरे पास आया और आते ही उसने मेरे गाल
पर एक जोरदार तमाचा जड़ा और बोला ... कुतिया मेरे से जुबान लड़ाती है
हरामजादी तू तो बाजारू रंडियों से से भी कहीं ज्यादा गई गुजरी है क्योकि वो तो चुदवाने के पैसे लेती है
और तुझे ....तुझे तो में जब चाहू जहाँ चाहू मुफ्त में चोद सकता हूँ ........भूल गयी क्या .......साली रंडी .......
अब बोल तेरी औकात क्या है ,,
उसकी इन बातो ने मेरी आत्मा को अन्दर तक झिंझोड़ के रख दिया ...में ऐसे चुप हो गयी जैसे मेरी जुबान
को लकवा मार गया हो में सिर्फ बिलख -२ कर रोती रही ....
वो फिर से बोला .... चल अब शराफत से उठ कर खड़ी हो जा नहीं तो २-४ को और बुला लूँगा और फिर वो
सब मिलकर तुझे कुतिया बना कर चोदेंगे ,
उसकी बाते सुन कर में और ज्यादा बिलख -२ रोने लगी ...अपना सर जमीन पर पटकने लगी ....
इतने में बाहर से आवाज आई ... क्या हुआ यार मयंक .... किस बात का रंडी रोना चल रहा है
मयंक ने कहा ... कुछ नहीं हुआ यार.......... साली ड्रामा कर रही है तुमसे चुदने में ......
बाहर से फिर आवाज आई ..... अबे प्यार से नहीं आ रही तो खींच के ला साली को घसीटता हुआ ....
उन लोगो को बाते सुन सुन कर मुझे लग रहा था जैसे मेरा कोई अस्तित्व ही नहीं बचा है
में तो सिर्फ उन लोगो की अय्याशी का खिलौना हूँ वो जैसे चाहे मेरा इस्तेमाल कर सकते है ,,,
और फिर मयंक ने मेरे बालो को पकड़ कर जोर से खींचा और में दर्द से कराहती हुई उठने के लिए
मजबूर हो गयी ,,
मयंक मुझे बालो से पकड़ कर खींचता हुआ बाथरूम से कमरे में ले गया ...
में बिलकुल नग्न अवस्था में थी लेकिन उस वक़्त इतनी मजबूर थी की कुछ कर भी नहीं सकती थी
क्योकि मयंक ने मेरे बालो को इतनी बुरी तरह से खींचा हुआ था की दर्द से मेरी जान निकल रही थी
और फिर मयंक ने मुझे पलंग के पास ले जा कर पलंग पर धकेल दिया ...
में पलग पर नंगी पड़ी उन सबको हाथ जोड़ कर गिडगिडाते हुए कह रही थी की मुझे जाने दो ..
लेकिन वो सब मेरी इस हालत पर हँसते हुए पलंग के चारो और घूमते रहे और फिर वो तीनो
कूद कर पलंग पर आ गए और मेरे इर्द गिर्द बेठ गए में उन सबके बीच पलंग पर नंगी पड़ी थी
मुझे अपनी इस बेबसी पर इतना रोना आ रहा था कि में सोचने लगी की यहाँ आने की जगह अगर
में अपनी जीवन लीला ही ख़तम कर लेती तो अच्छा था ,
वो तीनो मेरे जिस्म से ऐसे खिलवाड़ कर रहे थे जैसे में कोई खिलौना हूँ
कभी वो मेरे स्तनों को खींचते तो कभी मसलते कभी दांतों से काटते ,,कभी मेरी योनी में अपनी ऊँगली घुसाते
तो कभी मेरे नितम्बो पर चुटकी काटते कभी मेरे मुंह में अपना लिंग घुसाते जहाँ भी उनका मन होता वो मुझे
गिद्धों की नोच रहे थे और में उनके बीच पड़ी सिर्फ तड़फ रही थी ,
इसी नोच खसोट के बीच उन तीनो ने अपने कपडे उतार दिए और फिर उन तीनो ने मेरे जिस्म को
इस बुरी तरह से रोंदा की मेरे जिस्म के साथ साथ मेरी आत्मा भी काँप उठी ,
पुरे कमरे में मेरी दर्द से भरी सिसकिया गूंजती रही लेकिन उन कमीनो की हेवानियत का खेल जारी रहा
मेरे जिस्म के हर हिस्से पर उनकी वेह्शियत की गाज गिरती रही ...
ऐसी वेहशियत जिसको सोच कर ही किसी की रूह कांप उठे वो वेह्शियत मेने झेली और फिर
जब उन सबकी हवस की आग ठंडी हुई तो वो मुझे अधमरी हालत में पलंग पर पड़ा छोड़ कर उठ गए
मेने अपनी अधखुली आँखों से देखा की वो सब अपने कपडे पहन चुके है लेकिन में नग्न अवस्था में ही
पलंग पर नंगी पड़ी रही क्योकि मेरे जिस्म में इतनी भी जान नहीं बची थी की में उठ पाती
तभी मेरे कानो में उनकी आवाज पड़ी ... एक ने कहा ...
बड़ा मस्त माल फांसा है तूने मयंक कसम से मजा आ गया ....
दूसरा बोला ...यार मयंक इसको किसी दिन मेरे फार्महाउस पर बुलवा ..... वहां साली को नंगा दौड़ा दौड़ा कर चोदेंगे....
उसकी बात पर वो सब हंसने लगे और फिर मयंक बोला .....
तू क्यों चिंता करता है यार जब कहेगा बुला लूँगा साली को ... अब तो ये मेरे हुक्म की गुलाम है
ये सब बाते सुन सुन कर मेरी रूह फना हो रही थी ... लेकिन में चुपचाप सब सुनती रही
और फिर मयंक ने मेरे करीब आकर मेरे एक उभार को पकड़ा और बड़ी बेदर्दी से मसलते हुए कहा .....
चल मेरी छमिया उठ जा .............अब रूम खाली करने का टाइम हो गया है ...
उसकी बात सुन कर मेरी जान में जान आ गयी क्योकि मुझे इस बात का डर सता रहा था की कहीं वो
जालिम फिर से अपनी हेवानियत की बिजलिया मुझ पर न गिराने की सोच बेठे ....
में जल्दी से उठी और मेने बाथरूम में जाकर अपने हुलिए को दुरुस्त किया और कपडे पहन कर
बाहर आई ... मुझे देख कर मयंक बोला
आज तूने मेरे साथ साथ मेरे यारो को भी खुश किया है इसी ख़ुशी में तुझे अगले एक हफ्ते का रेस्ट
उसकी बात सुन कर वो दोनों भी हंसने लगे ...
मयंक ने फिर से कहा ..... अब तू यहाँ से निकल और अगली बार कहाँ आना है इसका इंतज़ार कर
मेने कोई जवाब नहीं दिया और चुपचाप कमरे से बाहर निकल गयी ,, कमरे से बाहर निकलते ही मेरी
आँखे फिर से आंसुओ से भर उठी मेरे साथ जो कुछ भी हुआ था वो मेरे लिए किसी सजा से कम नहीं था
मेने अपने आंसुओ को पोंछा और किसी तरह से अपने आपको संभालती हुई होटल से बाहर निकल आई ...
जैसे ही में बाहर निकली .... एक ऑटो मेरे पास आया और में उसमे बिना कुछ सोचे समझे बेठ गयी
ऑटो चल पड़ा .... और फिर जैसे ही मेरी नजर ऑटो की ड्राईवर पर पड़ी में हेरानी से बोली

तुम अभी तक यही थे ...






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