FUN-MAZA-MASTI
शुभारम्भ-25
चाची ने निचे देखते देखते ही मेरे हाथ पर जोर से मारा. मगर मुझे तो ठरक चढ़ गयी थी मैं अब कहाँ सुनने वाला था. नीचे से कोमल भाभी ने कुछ कहा तो चाची फिर से नीचे देखने लगी और मैंने चाची की साड़ी को और ऊपर कर दिया. अब पेंटी में फंसे उनके नितम्ब दिखने लगे थे.....उनका दीदार होते ही मेरा बाबुराव और मेरा दिल दोनों भड भड धड़कने लगे. मैंने दांत पीस कर चाची के गांड के गोलों को पकड़ा और मसल दिया. आव देखा न ताव.....चाची की पेंटी खिंच कर नीचे कर दी और अपनी उंगली उनके गांड के सल से फेरता हुआ उनकी मुनिया के पास ले जाने लगा. चाची ने पीछे पलट के देखा और होंट दबा कर बोली,
"साले हरामी......मान जा......खुल्ले में किसी ने देख लिया तो गज़ब हो जायेगा.......कल रात की हरकत से दिल नहीं भरा क्या......बेशरम."
नीचे से कोमल भाभी चिल्लाई...." अरे नीलू चाची......कोई और भी है क्या आपके साथ........?"
अब चाची की गांड फटी....."न न न नहीं रे.........वो हवा में कपडे उड़ न जाये......इसलिए देख रही थी.......हाँ तुम क्या बोल रही थी......"
कोमल भाभी बोली, "अरे वो मिश्रा आंटी यह भी कह रही थी की वो जैन साहब की बहु का केरेक्टर ठीक नहीं है......शादी के पहले भी उसका तीन चार लड़कों के साथ चक्कर था....और तो और वो एक बार नेहरु पार्क में किसी लड़के के साथ पकड़ा भी गयी थी.......बिना कपड़ो के......हाय राम.....कितनी बेशरम है......."
चाची कुछ बोलती इस के पहले मैंने उनकी मुनिया को अपनी ऊँगली से छेड़ दिया......चाची के मुंह से आह निकल गयी......कोमल भाभी ने पूछा, "अरे क्या हुआ...."
चाची हडबडा कर बोली, " ह ह ह हैं... ....राम ....कमर में दर्द है......."
कोमल भाभी हँसते हुए बोली, " क्यों चाची......कल रात को doggi किया क्या ? तभी कमर दुःख रही है ........" और खी खी करके हंसने लगी.
उस को क्या पता की रात को चाची की चिकनी चमेली की doggi में और न जाने किस किस पोसिशन में रगड़ाई हुयी थी.
कोमल भाभी की ऐसी बातें सुन कर मुझे भी मज़ा आ गया और मैंने धीरे से अपनी उंगली चाची की मुनिया में उतार दी. चाची भले ही मना कर रही थी मगर उनकी मुनिया अन्दर से मस्त पानी छोड़ रही थी. मेरी उंगली पच्च करके अन्दर ऊतर गयी.
चाची के मुंह से फिर आह निकल गयी......और वो कोमल भाभी तो नॉन स्टॉप बोले जा रही थी. फिर बोली, "अरे चाची वो सक्कू बाई है ना....वो भी बोली की उसने वो सुषमा और उसके देवर को एक साथ कमरे ने निकलते देखा है......राम राम.....अपने देवर के साथ ही......वैसे तो मेरा तो कोई देवर है नहीं.......मगर मैं ऐसा सोच भी नहीं सकती..."
चाची को भी शायद कोमल भाभी की बातों में मज़ा आ रहा था......उनकी मुनिया मेरे उंगली करते करते ही पनियाने लगी थी.......
क्या सीन बन गया था.........कोई कमज़ोर दिल वाला देख लेता तो शायद उसका पानी देखते ही निकल जाता......चाची मुंडेर पर झुकी हुयी.....अपनी विशाल गदराई गांड हवा में उठाये......टांगे फैलाय......खुले आसमान के नीचे.......अपनी मुनिया में अपने प्यारे भतीजे शील से उंगली करवा रही थी....
मैंने धीरे से अपनी उंगली निकली और अब एक की जगह दो उंगली चाची की लपलपाती मुनिया में ठूंस दी.
चाची ने धीरे से आह भरी और थोड़ी सी गर्दन मोड़ कर होंट चबा कर धीरे से बोली, " धीरे धीरे कर हरामी........रबड़ की नहीं है......फाड़ ही देगा क्या ?"
मैं नीचे बैठ गया और जोर जोर से चाची की चूत में उंगली करने लगा.......जैसे ही मेरी उंगलिया पूरी अन्दर तक ऊतर जाती मेरा हाथ चाची के नितम्बो से टकरा जाता और वो ऐसे हिल जाते जैसे जेल्ली हो.....
चाची की पूरी चूत पनिया चुकी थी........
चाची अब भी कोमल भाभी की बातें सुनने की कोशिश कर रही थी.......
बेचारी चाची फंस गयी थी.....अगर मुझे कुछ बोलती तो कोमल भाभी को शक हो जाता और नहीं बोलती तो मैं तो मस्त मुनिया में दो दो उँगलियाँ फ़साये हुए था.
नीचे से कोमल भाभी फिर बोली, " अरे नीलू चाची......वो जिस्म २ आने वाली है......सुना हैं उसकी हिरोइन कोई सनी लियोनि है.....अमेरिका में गंदे गंदे रोल करती थी......
चाची ने कराहते आह भरकर पुछा, " गंदे मतलब........."
कोमल भाभी बोली, " अरे चाची.....वो गन्दी गन्दी फिल्मो में काम करती है वहां पर.... "
मैंने जोर से अपनी उंगली मुनिया में डाली तो बेचारी चाची के मुंह से फिर हाय निकल गयी.......कोमल भाभी समझी की चाची को उनकी बातों से मज़ा आ रहा है.
कोमल भाभी बोली, "राम चाची.......आप को तो दिनभर यह ही सब सूझता रहता है........आप ना सच्ची में बहुत ही बेकार हो........"
चाची क्या बोलती............चाची ने फिर मुझे पीछे मुडकर देखा और ऑंखें तरेरी........
फिर धीरे से बोली " साले हरामी......मरवाएगा तू आज......."
यह बोलकर उस हरामन ने मेरे बाबुराव को, जो की अंडरवियर से आधा बाहर झांक रहा था, को पकड़ा और चड्डी से बाहर खिंच लिया......मेरी आह निकल गयी.
चाची ने मेरे बाबुराव को सुपाड़े के नीचे से पकड़ा जैसे कसाई मुर्गे को गर्दन से पकड़ता है. वो अभी भी झुकी तो मुंडेर पर ही थी मगर मुड़ कर मेरे बाबुराव की जान निकाले जा रही थी......ठंडी ठंडी हवा चाची के बालो को बिखरा रही थी और मेरे नंगे कुल्हो पर गुदगुदी कर रही थी.
सच ही है.....सावन का महीना ही मादक होता है......इंसान तो इंसान.....कुत्ते कुतिया भी इस मौसम में हर गली में चोदते चुदाते मिल जाते है.
मैंने कचकचा कर चाची की मुनिया में उंगली करने की स्पीड बड़ा दी.....तुरंत ही चाची ने भी मेरे बाबुराव पर अपनी पकड़ मजबूत की और कड़क कड़क हाथ से मेरी मुठ मारने लगी. चाची मुंडेर पर झुकी झुकी ही पीछे मुड़ कर मुझे देख रही थी....उनका मुंह उत्तेजना से खुला हुआ था . और ....मेरे दांत भींचे हुए थे और मेरी ऑंखें चाची की आँखों में लोक हो गयी थी.
अचानक नीचे से कोमल भाभी चिल्लाई, "अरे नीलू चाची.......क्या कर रही हो यार........."
चाची ने हडबडा कर नीचे देखा मगर मेरा लंड नहीं छोड़ा, " अरे यार......वो कपडे निचोड़ रही हूँ........बोल ना............."
चाची सच में मेरे बाबुराव को कपडे जैसे निचोड़ रही थी.....उनके छोटे छोटे नाज़ुक हाथों में बला की ताकत थी........उन्होंने मेरे बाबुराव को इस मजबूती से पकड़ रखा था की कोई मुझे छत से लटका देता तो भी उनकी पकड़ ढीली नहीं होती.
कोमल भाभी बोली, "चाची.......यह मौसम में......कितना अच्छा लगता है ना.........मैंने तो इनसे कहा था की आज ऑफिस मत जाओ........दिन भर.......घर में ही रहेंगे........मगर इनको तो एक साल में ही कंपनी का मालिक बनना है............मालूम है मुझसे ढंग से बाय बोले बिना ही चले गए......."
चाची बेचारी क्या बोलती, एक औरत जो अपनी चूत में दो दो उंगलिया फंस्वाए खुले आम अपनी छत पर नंगी खड़ी हो, उसके हाथ में एक लपलपाता हुआ लौड़ा हो तो क्या बोलेगी......
नीचे से बेचारी कोमल भाभी अपने दुखड़ा सुनाये जा रही थी.......
"अरे चाची......कल रात को हमने वो वाली DVD देखी थी............ये भी न इतने बेशरम है..........मैं तो समझी की मजाक कर रहे है......मगर इन्होने तो सच में DVD दिखा दी...........काले आदमी गोरी लड़कियों के साथ..........राम राम.......मुझे नहीं पता था की इतना बड़ा भी होता है.............पता है......आधे आधे घंटे तक कर रहे थे.......बिना रुके.........जरुर कुछ खाते होंगे.............वर्ना कोई इतनी देर तक थोड़ी कर सकता है............ये तो......दो तीन मिनट में ही............अरे चाची आपका ध्यान कहाँ है....???? "
चाची बेचारी अपनी मुनिया के हाल चाल समझने में लगी थी......मैंने अपना दूसरा हाथ बड़ा कर उनके मम्मो को भी ब्लाउस के ऊपर से ही दबोच लिया था........
चाची बोली, " हें......हाँ.......क्या बोली.........कोमल भाभी...........हाँ हाँ.......बहुत बड़े होते है इन मरे कालो के...........आह......."
कोमल भाभी ने शक की टोन से पूछा, " क्यों चाची......सच्ची सच्ची बताओ कौन है आपके साथ...........जरुर चाचा जी है........क्या कर रहे हो........दोनों...."
चाची घबरा गयी, " अरे नहीं.......क.....क.....कोई नहीं है......."
यह बोलकर उन्होंने मेरा लौड़ा छोड़ा और थोडा और आगे झुक कर कोमल भाभी को सफाई देने लगी.....
"अरे वो तो मैं कपडे निचोड़ रही थी.....और मेरी कमर दुःख रही थी न.......इसीलिए.......... आआआआआआहहहहहहहहहहहहह"
चाची के झुकने से उनकी टपकती हुयी चूत खुल कर मेरे सामने आ गयी थी......मैंने आव देखा न ताव और अपने लौड़ा सीधा चाची के छेद पर निशाना मार के ठोक दिया, कामरस से भीगी चूत ने कोई विरोध नहीं किया और लपक कर बाबुराव को पूरा अपने अन्दर समां लिया.
चाची की कराह और आह सुनकर कोमल भाभी का शक यकीं में बदल गया...........
वो बोली, "हाय राम......चाची........आप तो बिन्दासों की रानी निकली.......चाचा के साथ खुल्ले आम........."
चाची क्या बोलती......मैं कचकचा कर इतने जोर जोर से ठोक रहा था की मेरे जांघ की चाची की जांघ से टकराने की ठाप कोमल भाभी को भी सुनाई दे रही होगी. और चाची बेचारी मुंडेर को सहारे के लिए पकडे हुए उसी पर अपने सर टिका कर बड़े प्रेम से ले रही थी.
कोमल भाभी की ऑंखें फ़ैल गयी थी, वो बोली, " च च चाची.......आप एन्जाय करो....मैं जाती हूँ........"
तभी मैंने चाची के मम्मो को मसल दिया.....चाची चिल्लाई, " न न न नहीं........."
कोमल भाभी पलटी और उनके चेहरे पर आश्चर्य के भाव आ गए........वो बोली, "आ आ आप का मतलब है चाची की मैं रुकू.......????"
मैंने अपने पूरा लंड चाची की भीगी भागी चूत से बहार खिंचा और धप्प से अन्दर पेल दिया......चाची बोली, " य य यस.........हाँ........"
कोमल भाभी समझी की चाची ने उनको रुकने के लिए बोल दिया है.......वो वही की वही अपनी गर्दन ऊँची किये अपनी सहेली को ठुकवाते हुए देखने लगी.
कोमल भाभी की ऑंखें फ़ैल गयी थी, वो बोली, " च च चाची.......आप एन्जाय करो....मैं जाती हूँ........"
तभी मैंने चाची के मम्मो को मसल दिया.....चाची चिल्लाई, " न न न नहीं........."
कोमल भाभी पलटी और उनके चेहरे पर आश्चर्य के भाव आ गए........वो बोली, "आ आ आप का मतलब है चाची की मैं रुकू.......????"
मैंने अपने पूरा लंड चाची की भीगी भागी चूत से बहार खिंचा और धप्प से अन्दर पेल दिया......चाची बोली, " य य यस.........हाँ........"
कोमल भाभी समझी की चाची ने उनको रुकने के लिए बोल दिया है.......वो वही की वही अपनी गर्दन ऊँची किये अपनी सहेली को ठुकवाते हुए देखने लगी.
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सावन की ठंडी ठंडी हवा चल रही थी.............हलकी हलकी रिम झिम बारिश भी होने लगी थी........ठंडी हवा मेरे नंगे नितम्बो से टकरा कर मेरी ठरक और बड़ा रही थी.
अब मैं अपना बाबुराव बाहर खिंच कर धप्प से चाची की लपलपाती मुनिया में पेल रहा था.....मेरे हर धक्के पर चाची इस कदर सिसिया रही थी मानो उनकी चूत में लंड नहीं मिर्ची फंसी हो.....
और बेचारी कोमल भाभी........अपने खुल्ले मुंह पर हाथ रखे अपनी सहेली नीलू चाची की तूफानी चुदाई देख रही थी......उनकी ऑंखें कंचो जैसी गोल गोल हो गयी थी.
चाची की ऑंखें तो आनंद के अतिरेक से बंद थी और उन्होंने कोमल भाभी की कोई बात सुनी ही नहीं थी.
यूँ भी अगर किसी औरत की खुले आम नीले गगन के तले हलकी हलकी बारिश में चुदाई हो रही हो तो वो ट्रेन का होर्न भी नहीं सुन पाए......और फिर कोमल भाभी की आवाज़ तो कोयल जैसी सुरीली थी. मैं जैसे ही अपना बाबुराव चाची की मुनिया से बाहर खींचता और धक्का मारता चाची भी अपनी गांड से मेरे लंड पर धक्का मार देती. जैसे ही हम दोनों की जांघें टकराती तो फटाक की आवाज़ पूरी छत पर गूंज जाती.
चाची ने चुदते चुदते ही अपनी ऑंखें खोली और उनकी नज़रे सीधे पास वाली छत पर निचे मुंह फाड़े खड़ी कोमल भाभी से जा टकराई.....
"हाय राम.........क्या द द देख रही है..........क क कोमल..........आह........धीरे.......आह........ज ज जा यहाँ से........आह....." चाची ने कराहते हुए कहा.
एक सेकण्ड तो बेचारी कोमल भाभी को कुछ समझ ही नहीं आया.....आखिर बेचारी पहली बार लाइव टेलीकास्ट देख रही थी. चाची ने फिर चिल्लाया तो अचानक कोमल भाभी की होश आया.....
" अरे चाची.....मैं तो जा रही थी.....आपने ही तो बोला की रुक......मैंने फिर से पूछा तो था आपसे की मैं रुकू क्या......आप बोली हाँ तो मैं रुक गयी...."
चाची ने अपनी मुनिया पर मेरे लौड़े की चोट खाते खाते ही फिर कहा, " न न नहीं......ऊह.,.........तू.......ज ज जा........"
कोमल भाभी के चेहरे पर शरारत के भाव तैर गए.....वो ऑंखें नचा कर बोली, " ओ नीलू चाची.........अब तो मैं पूरा मेच देख कर ही जाउंगी......ही ही ही.....
आप बहुत ही बेकार हो..........और चाचा जी तो और भी..........बेकार है."
चाची ने पीछे पलट कर मुझे देखा........उनके चेहरे पर बाल बिखर गए थे और उनके बालों की एक लट उनके चिकने गालों पर लटक रही थी......मेरे हर धक्के पर वो लट भी इठला कर हिल रही थी. चाची ने दांत पिंस कर कहा,
"साले हरामी...........आह........मरवाएगा तू..........आह....................जल्दी कर ले.....वो कोमल मरी निचे खड़ी खड़ी बेशरम जैसे देख रही है.....आअह..."
बोलो अब.......कोमल भाभी चाची को चुदते देखले तो बेशरम और चाची बिंदास अपनी छत पर साड़ी ऊँची कर ले चुदवा तो ठीक........
मैंने चाची की कमर पर इकठ्ठी हुयी साड़ी को घोड़े की लगाम जैसा पकड़ा और कुत्ते जैसी स्पीड में चाची को चोदना शुरू कर दिया......चाची कुछ और भी बोलना चाह रही थी मगर उनके शब्द उनके गले में ही रह गए और शब्दों के बदले उनके मुंह से वासनाभरी ऐसी आह निकली की मेरे रौंगटे खड़े हो गए और मैंने अपनी कमर को थोडा सा और झुका कर जोर जोर से अपने बाबुराव को उनकी रस टपकाती चूत में पेलना शुरू कर दिया.
चाची का मुंह आनंद से खुल गया था मगर शर्म लिहाज से उन्होंने अपनी आवाज़ रोक रखी थी ...मगर जैसे ही उनकी मुनिया की बेदर्द ठुकाई होने लगी उनसे रुकना मुश्किल हो गया.........उनके मुंह से कामुक सिस्कारियां निकलने लगी...
"आह......आह........म म म म मार डाला...रे........हाय अम्मा...........आह............हाँ......... हाँ ...........हाँ.............कूट दे इसको......आह......."
नीचे खड़ी कोमल भाभी मुंह खोले यह देसी चुदाई का नज़ारा देख रही थी......उसकी समझ में नहीं आ रहा था की रुके या चली जाये.........रात को अपनी पति के साथ ब्लू फिल्म में काले लोगों के लम्बे लौड़े देख कर वो पहले से ही मस्ताई हुयी थी ऊपर से नीलू चाची की यह चुदाई उसके भेजे को हिला रही थी.
चाची ने तो अब लाज शर्म सब छोड़ दी थी.......वो इस कदर चिल्ला चिल्ला कर मेरे बाबुराव पर पलट कर धक्के मार रही थी की मानो इस चुदाई की जंग में आज उसको ओलंपिक का गोल्ड मेडल चाहिए. मगर जीतना इतना आसान नहीं था. मुकाबला टक्कर का था...
मैंने आगे हाथ बड़ा कर चाची के झूलते हुए मम्मो को पकड़ा और उनके निप्पलों को अपनी उंगली के बीच में लाकर रेडियो के बटन जैसा घुमा दिया. चाची की सिसकारी चीखों में बदलने लगी.......साली ठरकी.......उनके निप्पल उनकी कमजोरी थे यह मुझे पता था और इसीलिए मैंने सीधा हमला उनके विक स्पोट पर किया था.
आखिर जंग और चुदाई में सब जायज़ है.
अचानक चाची के पाँव लड़खड़ाने लगे और उन्होंने धक्के मारना बंद कर दिया. बहुत धीमे से से उनके मुंह से एक आवाज़ निकली जो ट्रेन की सिटी जैसे धीरे धीरे बढती गयी....
"आ....आ......आ........आ........आ..........उई........म म म्माँ .आ आ आ ..............आ.......आह.........."
जैसे ही चाची ढीली पड़ी मैंने उनकी चोटी पीछे से पकड़ी और धमाधम बाबुराव को उनकी झरने जैसे बहती चूत में ठोकना शुरू कर दिया. चाची ने आगे होकर बचने की कोशिश की मगर मैंने उनकी चोटी को लगाम जैसे पकड़ा हुआ था आखिर बच कर कहाँ जाती.......उन्होंने अपना हाथ मुंह पर ढँक लिया और अपने सिस्कारियों को दबाने की कोशिश करने लगी......
चाची की गांड मेरे हर धक्के पर इस तरह हिल रही थी मानो भूकंप आया हुआ हो......उनकी हिलती गांड देख कर मुझसे रहा नहीं गया और मैंने धीरे से एक चपत उनकी गांड पर मार दी.....चाची के मुंह से सिसकारी और आह दोनों निकल गयी....
वो सिसियते हुए बोली, " आआह......मार डालेगा क्या हरामी.........जल्दी कर ले.........क..क..कोई आ गया तो.....आह........जानवर...........आह......छोड़ मुझे........"
मैंने दांत पिंस कर अपने बाबुराव उनकी मुनिया में से बाहर निकाला.......सुपाडा इस कदर लाल होकर सूज गया था मानो गुस्से में पागल हो रहा हो.
चाची ने चैन की सांस ली ही थी की मैंने तुरंत अपने लपलपाता हुआ बाबुराव उनकी मुनिया में पेल दिया. चाची की तो आवाज़ ही गले में घुट गयी........
अब मैंने ट्रेन फुल स्पीड में छोड़ दी थी......पकापक पकापक बाबुराव चाची की मुनिया में पेले जा रहा था और चाची फिर से अपनी गांड से धक्के मारने लगी थी.
इरादा तो मेरा कुछ और था मगर चाची ने नीचे हाथ डाले और मेरे गोटों पर अपने नाख़ून रगड़ने लगी.....भेन्चोद आखिर साली को मेरी कमजोरी भी पता थी.
मेरे गोटों में तुरंत सुरसुरी होने लगी, मैंने अपनी स्पीड स्लो करने की कोशिश की ताकि पानी न निकले मगर चाची पुरानी खिलाडी थी, उन्होंने मेरे बाबुराव पर पलट के अपने गांड से वो धक्के मारने शुरू कर दिए की मेरा दी एंड मुझे दिख गया.
चाची ने अपना हाथ और आगे बड़ा कर मेरे गोटों के पीछे वाली नाज़ुक जगह पर लगाया ही था की मेरे दिमाग में पानी छुटने की अनाऊँस्मेन्ट हो गयी.
मैंने अपने नितम्बो को सिकोडा और जोरदार धक्के के साथ अपना लौदा चाची की मुनिया में जड़ तक फंसा दिया. और तभी एक के बाद एक मेरे बाबुराव से पिचकारी की तरह पानी निकल कर चाची की मुनिया में उतरने लगा......मेरे होश ही गुम हो गए थे........एक सेकंड के लिया पूरा शारीर कमान जैसा तन गया और अचानक ही मेरे पैर जवाब दे गए और मैं चाची के ऊपर ही झुक गया और जोर जोर से साँसें लेने लगा. मेरा पूरा बदन पसीने और बारिश के पानी से भीग चूका था. चाची के मुंह से भी मम्म मम्म मम्म करके संतोष भरी आवाज़े निकल रही थी.
अचानक..........छत के दरवाज़े के खुलने की आवाज़ आई. मैं और चाची दोनों चौंक गए, हम कुछ बोलते इसके पहले बल्लू चाचा की आवाज़ छत पर गूंज गयी.........
"नीलू.............अरे.....नीलू.......कहाँ हो तुम........आधे घंटे से नीचे भाभी तुम्हे आवाज़ लगा रही है........नीलू......"
गांड की फटफटी सेल्फ स्टार्ट हो गयी.
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शुभारम्भ-25
चाची ने निचे देखते देखते ही मेरे हाथ पर जोर से मारा. मगर मुझे तो ठरक चढ़ गयी थी मैं अब कहाँ सुनने वाला था. नीचे से कोमल भाभी ने कुछ कहा तो चाची फिर से नीचे देखने लगी और मैंने चाची की साड़ी को और ऊपर कर दिया. अब पेंटी में फंसे उनके नितम्ब दिखने लगे थे.....उनका दीदार होते ही मेरा बाबुराव और मेरा दिल दोनों भड भड धड़कने लगे. मैंने दांत पीस कर चाची के गांड के गोलों को पकड़ा और मसल दिया. आव देखा न ताव.....चाची की पेंटी खिंच कर नीचे कर दी और अपनी उंगली उनके गांड के सल से फेरता हुआ उनकी मुनिया के पास ले जाने लगा. चाची ने पीछे पलट के देखा और होंट दबा कर बोली,
"साले हरामी......मान जा......खुल्ले में किसी ने देख लिया तो गज़ब हो जायेगा.......कल रात की हरकत से दिल नहीं भरा क्या......बेशरम."
नीचे से कोमल भाभी चिल्लाई...." अरे नीलू चाची......कोई और भी है क्या आपके साथ........?"
अब चाची की गांड फटी....."न न न नहीं रे.........वो हवा में कपडे उड़ न जाये......इसलिए देख रही थी.......हाँ तुम क्या बोल रही थी......"
कोमल भाभी बोली, "अरे वो मिश्रा आंटी यह भी कह रही थी की वो जैन साहब की बहु का केरेक्टर ठीक नहीं है......शादी के पहले भी उसका तीन चार लड़कों के साथ चक्कर था....और तो और वो एक बार नेहरु पार्क में किसी लड़के के साथ पकड़ा भी गयी थी.......बिना कपड़ो के......हाय राम.....कितनी बेशरम है......."
चाची कुछ बोलती इस के पहले मैंने उनकी मुनिया को अपनी ऊँगली से छेड़ दिया......चाची के मुंह से आह निकल गयी......कोमल भाभी ने पूछा, "अरे क्या हुआ...."
चाची हडबडा कर बोली, " ह ह ह हैं... ....राम ....कमर में दर्द है......."
कोमल भाभी हँसते हुए बोली, " क्यों चाची......कल रात को doggi किया क्या ? तभी कमर दुःख रही है ........" और खी खी करके हंसने लगी.
उस को क्या पता की रात को चाची की चिकनी चमेली की doggi में और न जाने किस किस पोसिशन में रगड़ाई हुयी थी.
कोमल भाभी की ऐसी बातें सुन कर मुझे भी मज़ा आ गया और मैंने धीरे से अपनी उंगली चाची की मुनिया में उतार दी. चाची भले ही मना कर रही थी मगर उनकी मुनिया अन्दर से मस्त पानी छोड़ रही थी. मेरी उंगली पच्च करके अन्दर ऊतर गयी.
चाची के मुंह से फिर आह निकल गयी......और वो कोमल भाभी तो नॉन स्टॉप बोले जा रही थी. फिर बोली, "अरे चाची वो सक्कू बाई है ना....वो भी बोली की उसने वो सुषमा और उसके देवर को एक साथ कमरे ने निकलते देखा है......राम राम.....अपने देवर के साथ ही......वैसे तो मेरा तो कोई देवर है नहीं.......मगर मैं ऐसा सोच भी नहीं सकती..."
चाची को भी शायद कोमल भाभी की बातों में मज़ा आ रहा था......उनकी मुनिया मेरे उंगली करते करते ही पनियाने लगी थी.......
क्या सीन बन गया था.........कोई कमज़ोर दिल वाला देख लेता तो शायद उसका पानी देखते ही निकल जाता......चाची मुंडेर पर झुकी हुयी.....अपनी विशाल गदराई गांड हवा में उठाये......टांगे फैलाय......खुले आसमान के नीचे.......अपनी मुनिया में अपने प्यारे भतीजे शील से उंगली करवा रही थी....
मैंने धीरे से अपनी उंगली निकली और अब एक की जगह दो उंगली चाची की लपलपाती मुनिया में ठूंस दी.
चाची ने धीरे से आह भरी और थोड़ी सी गर्दन मोड़ कर होंट चबा कर धीरे से बोली, " धीरे धीरे कर हरामी........रबड़ की नहीं है......फाड़ ही देगा क्या ?"
मैं नीचे बैठ गया और जोर जोर से चाची की चूत में उंगली करने लगा.......जैसे ही मेरी उंगलिया पूरी अन्दर तक ऊतर जाती मेरा हाथ चाची के नितम्बो से टकरा जाता और वो ऐसे हिल जाते जैसे जेल्ली हो.....
चाची की पूरी चूत पनिया चुकी थी........
चाची अब भी कोमल भाभी की बातें सुनने की कोशिश कर रही थी.......
बेचारी चाची फंस गयी थी.....अगर मुझे कुछ बोलती तो कोमल भाभी को शक हो जाता और नहीं बोलती तो मैं तो मस्त मुनिया में दो दो उँगलियाँ फ़साये हुए था.
नीचे से कोमल भाभी फिर बोली, " अरे नीलू चाची......वो जिस्म २ आने वाली है......सुना हैं उसकी हिरोइन कोई सनी लियोनि है.....अमेरिका में गंदे गंदे रोल करती थी......
चाची ने कराहते आह भरकर पुछा, " गंदे मतलब........."
कोमल भाभी बोली, " अरे चाची.....वो गन्दी गन्दी फिल्मो में काम करती है वहां पर.... "
मैंने जोर से अपनी उंगली मुनिया में डाली तो बेचारी चाची के मुंह से फिर हाय निकल गयी.......कोमल भाभी समझी की चाची को उनकी बातों से मज़ा आ रहा है.
कोमल भाभी बोली, "राम चाची.......आप को तो दिनभर यह ही सब सूझता रहता है........आप ना सच्ची में बहुत ही बेकार हो........"
चाची क्या बोलती............चाची ने फिर मुझे पीछे मुडकर देखा और ऑंखें तरेरी........
फिर धीरे से बोली " साले हरामी......मरवाएगा तू आज......."
यह बोलकर उस हरामन ने मेरे बाबुराव को, जो की अंडरवियर से आधा बाहर झांक रहा था, को पकड़ा और चड्डी से बाहर खिंच लिया......मेरी आह निकल गयी.
चाची ने मेरे बाबुराव को सुपाड़े के नीचे से पकड़ा जैसे कसाई मुर्गे को गर्दन से पकड़ता है. वो अभी भी झुकी तो मुंडेर पर ही थी मगर मुड़ कर मेरे बाबुराव की जान निकाले जा रही थी......ठंडी ठंडी हवा चाची के बालो को बिखरा रही थी और मेरे नंगे कुल्हो पर गुदगुदी कर रही थी.
सच ही है.....सावन का महीना ही मादक होता है......इंसान तो इंसान.....कुत्ते कुतिया भी इस मौसम में हर गली में चोदते चुदाते मिल जाते है.
मैंने कचकचा कर चाची की मुनिया में उंगली करने की स्पीड बड़ा दी.....तुरंत ही चाची ने भी मेरे बाबुराव पर अपनी पकड़ मजबूत की और कड़क कड़क हाथ से मेरी मुठ मारने लगी. चाची मुंडेर पर झुकी झुकी ही पीछे मुड़ कर मुझे देख रही थी....उनका मुंह उत्तेजना से खुला हुआ था . और ....मेरे दांत भींचे हुए थे और मेरी ऑंखें चाची की आँखों में लोक हो गयी थी.
अचानक नीचे से कोमल भाभी चिल्लाई, "अरे नीलू चाची.......क्या कर रही हो यार........."
चाची ने हडबडा कर नीचे देखा मगर मेरा लंड नहीं छोड़ा, " अरे यार......वो कपडे निचोड़ रही हूँ........बोल ना............."
चाची सच में मेरे बाबुराव को कपडे जैसे निचोड़ रही थी.....उनके छोटे छोटे नाज़ुक हाथों में बला की ताकत थी........उन्होंने मेरे बाबुराव को इस मजबूती से पकड़ रखा था की कोई मुझे छत से लटका देता तो भी उनकी पकड़ ढीली नहीं होती.
कोमल भाभी बोली, "चाची.......यह मौसम में......कितना अच्छा लगता है ना.........मैंने तो इनसे कहा था की आज ऑफिस मत जाओ........दिन भर.......घर में ही रहेंगे........मगर इनको तो एक साल में ही कंपनी का मालिक बनना है............मालूम है मुझसे ढंग से बाय बोले बिना ही चले गए......."
चाची बेचारी क्या बोलती, एक औरत जो अपनी चूत में दो दो उंगलिया फंस्वाए खुले आम अपनी छत पर नंगी खड़ी हो, उसके हाथ में एक लपलपाता हुआ लौड़ा हो तो क्या बोलेगी......
नीचे से बेचारी कोमल भाभी अपने दुखड़ा सुनाये जा रही थी.......
"अरे चाची......कल रात को हमने वो वाली DVD देखी थी............ये भी न इतने बेशरम है..........मैं तो समझी की मजाक कर रहे है......मगर इन्होने तो सच में DVD दिखा दी...........काले आदमी गोरी लड़कियों के साथ..........राम राम.......मुझे नहीं पता था की इतना बड़ा भी होता है.............पता है......आधे आधे घंटे तक कर रहे थे.......बिना रुके.........जरुर कुछ खाते होंगे.............वर्ना कोई इतनी देर तक थोड़ी कर सकता है............ये तो......दो तीन मिनट में ही............अरे चाची आपका ध्यान कहाँ है....???? "
चाची बेचारी अपनी मुनिया के हाल चाल समझने में लगी थी......मैंने अपना दूसरा हाथ बड़ा कर उनके मम्मो को भी ब्लाउस के ऊपर से ही दबोच लिया था........
चाची बोली, " हें......हाँ.......क्या बोली.........कोमल भाभी...........हाँ हाँ.......बहुत बड़े होते है इन मरे कालो के...........आह......."
कोमल भाभी ने शक की टोन से पूछा, " क्यों चाची......सच्ची सच्ची बताओ कौन है आपके साथ...........जरुर चाचा जी है........क्या कर रहे हो........दोनों...."
चाची घबरा गयी, " अरे नहीं.......क.....क.....कोई नहीं है......."
यह बोलकर उन्होंने मेरा लौड़ा छोड़ा और थोडा और आगे झुक कर कोमल भाभी को सफाई देने लगी.....
"अरे वो तो मैं कपडे निचोड़ रही थी.....और मेरी कमर दुःख रही थी न.......इसीलिए.......... आआआआआआहहहहहहहहहहहहह"
चाची के झुकने से उनकी टपकती हुयी चूत खुल कर मेरे सामने आ गयी थी......मैंने आव देखा न ताव और अपने लौड़ा सीधा चाची के छेद पर निशाना मार के ठोक दिया, कामरस से भीगी चूत ने कोई विरोध नहीं किया और लपक कर बाबुराव को पूरा अपने अन्दर समां लिया.
चाची की कराह और आह सुनकर कोमल भाभी का शक यकीं में बदल गया...........
वो बोली, "हाय राम......चाची........आप तो बिन्दासों की रानी निकली.......चाचा के साथ खुल्ले आम........."
चाची क्या बोलती......मैं कचकचा कर इतने जोर जोर से ठोक रहा था की मेरे जांघ की चाची की जांघ से टकराने की ठाप कोमल भाभी को भी सुनाई दे रही होगी. और चाची बेचारी मुंडेर को सहारे के लिए पकडे हुए उसी पर अपने सर टिका कर बड़े प्रेम से ले रही थी.
कोमल भाभी की ऑंखें फ़ैल गयी थी, वो बोली, " च च चाची.......आप एन्जाय करो....मैं जाती हूँ........"
तभी मैंने चाची के मम्मो को मसल दिया.....चाची चिल्लाई, " न न न नहीं........."
कोमल भाभी पलटी और उनके चेहरे पर आश्चर्य के भाव आ गए........वो बोली, "आ आ आप का मतलब है चाची की मैं रुकू.......????"
मैंने अपने पूरा लंड चाची की भीगी भागी चूत से बहार खिंचा और धप्प से अन्दर पेल दिया......चाची बोली, " य य यस.........हाँ........"
कोमल भाभी समझी की चाची ने उनको रुकने के लिए बोल दिया है.......वो वही की वही अपनी गर्दन ऊँची किये अपनी सहेली को ठुकवाते हुए देखने लगी.
कोमल भाभी की ऑंखें फ़ैल गयी थी, वो बोली, " च च चाची.......आप एन्जाय करो....मैं जाती हूँ........"
तभी मैंने चाची के मम्मो को मसल दिया.....चाची चिल्लाई, " न न न नहीं........."
कोमल भाभी पलटी और उनके चेहरे पर आश्चर्य के भाव आ गए........वो बोली, "आ आ आप का मतलब है चाची की मैं रुकू.......????"
मैंने अपने पूरा लंड चाची की भीगी भागी चूत से बहार खिंचा और धप्प से अन्दर पेल दिया......चाची बोली, " य य यस.........हाँ........"
कोमल भाभी समझी की चाची ने उनको रुकने के लिए बोल दिया है.......वो वही की वही अपनी गर्दन ऊँची किये अपनी सहेली को ठुकवाते हुए देखने लगी.
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सावन की ठंडी ठंडी हवा चल रही थी.............हलकी हलकी रिम झिम बारिश भी होने लगी थी........ठंडी हवा मेरे नंगे नितम्बो से टकरा कर मेरी ठरक और बड़ा रही थी.
अब मैं अपना बाबुराव बाहर खिंच कर धप्प से चाची की लपलपाती मुनिया में पेल रहा था.....मेरे हर धक्के पर चाची इस कदर सिसिया रही थी मानो उनकी चूत में लंड नहीं मिर्ची फंसी हो.....
और बेचारी कोमल भाभी........अपने खुल्ले मुंह पर हाथ रखे अपनी सहेली नीलू चाची की तूफानी चुदाई देख रही थी......उनकी ऑंखें कंचो जैसी गोल गोल हो गयी थी.
चाची की ऑंखें तो आनंद के अतिरेक से बंद थी और उन्होंने कोमल भाभी की कोई बात सुनी ही नहीं थी.
यूँ भी अगर किसी औरत की खुले आम नीले गगन के तले हलकी हलकी बारिश में चुदाई हो रही हो तो वो ट्रेन का होर्न भी नहीं सुन पाए......और फिर कोमल भाभी की आवाज़ तो कोयल जैसी सुरीली थी. मैं जैसे ही अपना बाबुराव चाची की मुनिया से बाहर खींचता और धक्का मारता चाची भी अपनी गांड से मेरे लंड पर धक्का मार देती. जैसे ही हम दोनों की जांघें टकराती तो फटाक की आवाज़ पूरी छत पर गूंज जाती.
चाची ने चुदते चुदते ही अपनी ऑंखें खोली और उनकी नज़रे सीधे पास वाली छत पर निचे मुंह फाड़े खड़ी कोमल भाभी से जा टकराई.....
"हाय राम.........क्या द द देख रही है..........क क कोमल..........आह........धीरे.......आह........ज ज जा यहाँ से........आह....." चाची ने कराहते हुए कहा.
एक सेकण्ड तो बेचारी कोमल भाभी को कुछ समझ ही नहीं आया.....आखिर बेचारी पहली बार लाइव टेलीकास्ट देख रही थी. चाची ने फिर चिल्लाया तो अचानक कोमल भाभी की होश आया.....
" अरे चाची.....मैं तो जा रही थी.....आपने ही तो बोला की रुक......मैंने फिर से पूछा तो था आपसे की मैं रुकू क्या......आप बोली हाँ तो मैं रुक गयी...."
चाची ने अपनी मुनिया पर मेरे लौड़े की चोट खाते खाते ही फिर कहा, " न न नहीं......ऊह.,.........तू.......ज ज जा........"
कोमल भाभी के चेहरे पर शरारत के भाव तैर गए.....वो ऑंखें नचा कर बोली, " ओ नीलू चाची.........अब तो मैं पूरा मेच देख कर ही जाउंगी......ही ही ही.....
आप बहुत ही बेकार हो..........और चाचा जी तो और भी..........बेकार है."
चाची ने पीछे पलट कर मुझे देखा........उनके चेहरे पर बाल बिखर गए थे और उनके बालों की एक लट उनके चिकने गालों पर लटक रही थी......मेरे हर धक्के पर वो लट भी इठला कर हिल रही थी. चाची ने दांत पिंस कर कहा,
"साले हरामी...........आह........मरवाएगा तू..........आह....................जल्दी कर ले.....वो कोमल मरी निचे खड़ी खड़ी बेशरम जैसे देख रही है.....आअह..."
बोलो अब.......कोमल भाभी चाची को चुदते देखले तो बेशरम और चाची बिंदास अपनी छत पर साड़ी ऊँची कर ले चुदवा तो ठीक........
मैंने चाची की कमर पर इकठ्ठी हुयी साड़ी को घोड़े की लगाम जैसा पकड़ा और कुत्ते जैसी स्पीड में चाची को चोदना शुरू कर दिया......चाची कुछ और भी बोलना चाह रही थी मगर उनके शब्द उनके गले में ही रह गए और शब्दों के बदले उनके मुंह से वासनाभरी ऐसी आह निकली की मेरे रौंगटे खड़े हो गए और मैंने अपनी कमर को थोडा सा और झुका कर जोर जोर से अपने बाबुराव को उनकी रस टपकाती चूत में पेलना शुरू कर दिया.
चाची का मुंह आनंद से खुल गया था मगर शर्म लिहाज से उन्होंने अपनी आवाज़ रोक रखी थी ...मगर जैसे ही उनकी मुनिया की बेदर्द ठुकाई होने लगी उनसे रुकना मुश्किल हो गया.........उनके मुंह से कामुक सिस्कारियां निकलने लगी...
"आह......आह........म म म म मार डाला...रे........हाय अम्मा...........आह............हाँ......... हाँ ...........हाँ.............कूट दे इसको......आह......."
नीचे खड़ी कोमल भाभी मुंह खोले यह देसी चुदाई का नज़ारा देख रही थी......उसकी समझ में नहीं आ रहा था की रुके या चली जाये.........रात को अपनी पति के साथ ब्लू फिल्म में काले लोगों के लम्बे लौड़े देख कर वो पहले से ही मस्ताई हुयी थी ऊपर से नीलू चाची की यह चुदाई उसके भेजे को हिला रही थी.
चाची ने तो अब लाज शर्म सब छोड़ दी थी.......वो इस कदर चिल्ला चिल्ला कर मेरे बाबुराव पर पलट कर धक्के मार रही थी की मानो इस चुदाई की जंग में आज उसको ओलंपिक का गोल्ड मेडल चाहिए. मगर जीतना इतना आसान नहीं था. मुकाबला टक्कर का था...
मैंने आगे हाथ बड़ा कर चाची के झूलते हुए मम्मो को पकड़ा और उनके निप्पलों को अपनी उंगली के बीच में लाकर रेडियो के बटन जैसा घुमा दिया. चाची की सिसकारी चीखों में बदलने लगी.......साली ठरकी.......उनके निप्पल उनकी कमजोरी थे यह मुझे पता था और इसीलिए मैंने सीधा हमला उनके विक स्पोट पर किया था.
आखिर जंग और चुदाई में सब जायज़ है.
अचानक चाची के पाँव लड़खड़ाने लगे और उन्होंने धक्के मारना बंद कर दिया. बहुत धीमे से से उनके मुंह से एक आवाज़ निकली जो ट्रेन की सिटी जैसे धीरे धीरे बढती गयी....
"आ....आ......आ........आ........आ..........उई........म म म्माँ .आ आ आ ..............आ.......आह.........."
जैसे ही चाची ढीली पड़ी मैंने उनकी चोटी पीछे से पकड़ी और धमाधम बाबुराव को उनकी झरने जैसे बहती चूत में ठोकना शुरू कर दिया. चाची ने आगे होकर बचने की कोशिश की मगर मैंने उनकी चोटी को लगाम जैसे पकड़ा हुआ था आखिर बच कर कहाँ जाती.......उन्होंने अपना हाथ मुंह पर ढँक लिया और अपने सिस्कारियों को दबाने की कोशिश करने लगी......
चाची की गांड मेरे हर धक्के पर इस तरह हिल रही थी मानो भूकंप आया हुआ हो......उनकी हिलती गांड देख कर मुझसे रहा नहीं गया और मैंने धीरे से एक चपत उनकी गांड पर मार दी.....चाची के मुंह से सिसकारी और आह दोनों निकल गयी....
वो सिसियते हुए बोली, " आआह......मार डालेगा क्या हरामी.........जल्दी कर ले.........क..क..कोई आ गया तो.....आह........जानवर...........आह......छोड़ मुझे........"
मैंने दांत पिंस कर अपने बाबुराव उनकी मुनिया में से बाहर निकाला.......सुपाडा इस कदर लाल होकर सूज गया था मानो गुस्से में पागल हो रहा हो.
चाची ने चैन की सांस ली ही थी की मैंने तुरंत अपने लपलपाता हुआ बाबुराव उनकी मुनिया में पेल दिया. चाची की तो आवाज़ ही गले में घुट गयी........
अब मैंने ट्रेन फुल स्पीड में छोड़ दी थी......पकापक पकापक बाबुराव चाची की मुनिया में पेले जा रहा था और चाची फिर से अपनी गांड से धक्के मारने लगी थी.
इरादा तो मेरा कुछ और था मगर चाची ने नीचे हाथ डाले और मेरे गोटों पर अपने नाख़ून रगड़ने लगी.....भेन्चोद आखिर साली को मेरी कमजोरी भी पता थी.
मेरे गोटों में तुरंत सुरसुरी होने लगी, मैंने अपनी स्पीड स्लो करने की कोशिश की ताकि पानी न निकले मगर चाची पुरानी खिलाडी थी, उन्होंने मेरे बाबुराव पर पलट के अपने गांड से वो धक्के मारने शुरू कर दिए की मेरा दी एंड मुझे दिख गया.
चाची ने अपना हाथ और आगे बड़ा कर मेरे गोटों के पीछे वाली नाज़ुक जगह पर लगाया ही था की मेरे दिमाग में पानी छुटने की अनाऊँस्मेन्ट हो गयी.
मैंने अपने नितम्बो को सिकोडा और जोरदार धक्के के साथ अपना लौदा चाची की मुनिया में जड़ तक फंसा दिया. और तभी एक के बाद एक मेरे बाबुराव से पिचकारी की तरह पानी निकल कर चाची की मुनिया में उतरने लगा......मेरे होश ही गुम हो गए थे........एक सेकंड के लिया पूरा शारीर कमान जैसा तन गया और अचानक ही मेरे पैर जवाब दे गए और मैं चाची के ऊपर ही झुक गया और जोर जोर से साँसें लेने लगा. मेरा पूरा बदन पसीने और बारिश के पानी से भीग चूका था. चाची के मुंह से भी मम्म मम्म मम्म करके संतोष भरी आवाज़े निकल रही थी.
अचानक..........छत के दरवाज़े के खुलने की आवाज़ आई. मैं और चाची दोनों चौंक गए, हम कुछ बोलते इसके पहले बल्लू चाचा की आवाज़ छत पर गूंज गयी.........
"नीलू.............अरे.....नीलू.......कहाँ हो तुम........आधे घंटे से नीचे भाभी तुम्हे आवाज़ लगा रही है........नीलू......"
गांड की फटफटी सेल्फ स्टार्ट हो गयी.
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