Saturday, November 16, 2013

FUN-MAZA-MASTI शुभारम्भ-27

FUN-MAZA-MASTI

शुभारम्भ-27

 मुझे ऐसा लगा मानो करीना कपूर बिस्तर पर लेटे लेटे मुझे बोल रही हो की आइये मेरे साथ लेट जाइये....मैं तुरंत उसके पास जाकर बैठ गया......मेरा बैठना हुआ और कामदेव की मेहरबानी से सड़क पर एक गड्डे में बस जोर से हिली......मेरा पूरा बदन उसके बदन के साथ चिपक गया. हाय.......

उसकी हाईट ज्यादा होने से मैं उसके गर्दन तक ही आ रहा था. चूँकि मैं बैठ ही रहा था मेरा हाथ सीट पर था और बस के झटका खाने से मेरा हाथ उसकी कमर जो की साडी हटने से पूरी बेपर्दा थी.....पर जा टकराया......ओये होए......कुत्तों की ना किस्मत कुत्तों जैसी ही होती है......बरसात में कोई ना कोई कुतिया मिल ही जाती है.

मैंने सकपकाते हुए कहा, " आ आ आई एम् सॉरी......" ( भेन्चोद यह हकलाना कब मेरा पीछा छोड़ेगा......)

वो मुस्कुरायी, छोटे छोटे मोती जैसे दांत चमक उठे..........और बोली, " नहीं.....आई एम् सॉरी.....एंड थेंक यु.........आप ना होते तो वो आदमी......थेंक यु सो मच...."

अब मैं क्या बोलता......की मेडम जी मेरे भी अरमान कुछ उस बुढाऊ के जैसे ही है.........

मैंने कहा, "हाँ तो.......अरे कितना बेशरम था........नहीं हटता तो मैं........" वो बीचे में बोली, "अरे नहीं नहीं........झगडा करना अच्छी बात नहीं है......"

अरे डार्लिंग तेरे लिए तो मैं मर्डर कर दूँ झगडा क्या चीज़ है......... मैंने कहा, " हाँ जी.....इस उम्र में भी....."

यह सुनकर वो मुस्कुराने लगी........हाय......क्या मुस्कान थी..........भइया इस की तो मुझे चाहिए भले कुछ भी हो जाए......

उसने पुचा, "स्टुडेंट हो ?"

मैंने कहा "हांजी......"

वो बोली, " अरे वाह .....आई एम् अ टीचर......."

साली....जरुर सेक्सोलोजी बोले तो कामशास्त्र की टीचर ही होगी.

उसने अपने दोनों हाथ आगे वाली सीट पर रखे हुए थे, जिससे उसके साइड का पूरा बदन जो पल्लू से ढका था उस पर से साड़ी हट गयी थी.
उसकी गोल गांड बैठने से और चौड़ी हो गयी थी. भेन्चोद इतनी पतली कमर और इतनी चौड़ी गांड का कातिल रिमिक्स मैंने पहली बाद देखा था.

माँ कसम इसको तो डोगी बनाकर............

बैठने के बाद भी वो मुझसे लम्बी थी और मैं इसी का फायदा उठाकर बाहर देखने के बहाने से उसके बदन को निहार रहा था. उस ने सच मुच बहुत ही टाईट ब्लाउस पहना था, पल्ला इस तरह सरका था की उसके ब्लाउस में से मचल मचल कर बाहर निकल रहे मम्मे बड़ी आसानी से दिख रहे थे. साला एक एक मम्मा ढाई किलो का था. ढाई किलो का हाथ तो सुना था (अरे सनी देओल का...) मगर ऐसे बदन पर ढाई किलो का मम्मा खुशनसीब ही देख पाते है

मैं उपरवाले के इस मुज्जसिमे को देखने में इतना मगन था की मेरा ध्यान ही नहीं गया की वो कुछ कह रही है...........

मैंने बड़ी मुश्किल से उसके बदन से नजर हटा कर उस की सेक्सी आँखों में झाँका और पूछा, " ज ज ज जी.....क्या ?"

वो मुस्कुराई और बोली , "अरे मैं पूछ रही थी की इस शहर में क्या क्या देखने लायक है.........मुझे यहाँ आये ज्यादा वक़्त नहीं हुआ है ना... "

मैंने कहा, "अरे यहाँ तो स स स सब कुछ देखने लायक है....... प प प पुराना किला है.........तालाब म म मेरा मतलब झील है........."

भेन्चोद हकलाना......बंद ही नहीं हो रहा था.......

वो बोली, "हम्म्म.......मेरे हसबेंड तो अभी कोलकाता में ही है..........उनका ट्रान्सफर यहाँ हो गया है ना.........वो आने वाले थे मगर वो वहा से रिलीव नहीं हो पाए.......वो आ जायेगे तो फिर मैं जरुर ये शहर देखूंगी........."

मेरे मन तो आया की मैं ही दिखा दूँ इसको ............शहर.

बस में भीड़ बढ गयी थी.........लोग बीच में खड़े थे........और उनके दबाव से में इस भाभी की तरफ दबा जा रहा था. एक मन तो हुआ की बाबा मजे ले लूँ.....मगर फिर लगा की साली सोचेगी की मैं भी बुढाऊ की तरह फायदा उठा रहा हूँ...............आखिर अपने भी उसूल है......सामने वाली लाइन दे तो अपुन उसकी वही मार ले......मगर किसी की मज़बूरी का फायदा उठाना तो गलत है........

मैं भीड़ का दबाव अपने ऊपर लेता रहा मगर साले मादरचोद पुरे के पुरे मुझ पर ही पिले जा रहे थे. दो तीन झटके लगे.......मैंने अपने एक हाथ सामने वाली सीट पर रख कर दबाव झेला.....मगर भीड़ तो भीड़ थी......भेन्चोद साले मुझ पर ही टिक गए......मैंने अपना दूसरा हाथ उस भाभी के सामने से ले जाकर खिड़की की फ्रेम पर रख दिया और दबाव झेलने लगा मगर दबाव बढ़ता ही जा रहा था....आखिर सुबह का समय था.....किसी को स्कुल जाना था किसी को कोलेज.....किसी को ऑफिस....

वो मुझे देख रही की मैं कैसे अपने ऊपर लोड ले रहा हूँ मगर उस से नहीं चिपक रहा.......उसने कहा, "आप थोडा इधर सरक जाइये ना......."

किसी की मर्ज़ी के बिना मजे लेना गलत है......मगर अब कोई खुद बोल दे.....और वो भी इस के जैसी आइटम तो फिर गए उसूल गधे की गांड में......

मैं उसकी तरफ थोडा सा सरका और बाकि काम भीड़ ने कर दिया.......मुझे उस से ऐसा चिपकाया की जगह तो छोड़ो हवा भी नहीं घुस पाती......मेरी जांघें उसकी मोटी मोटी जांघों से सट गयी और मेरा वो हाथ जो उसके सामने से ले जाकर मैंने खिड़की पर रखा था वो सीधा उसके मम्मो की लाइन में आ गया......भीड़ ने एक धक्का और मारा और मैं उसके नंगे पेट की गर्मी अपनी शर्ट के अन्दर ही महसूस करने लगा.............वो जगह करने के लिए सीट पर आगे सरकी और लो......उसके मम्मे मेरे कोहनी से आ टकराए.........

बाबुराव अभी तक तो नन्हा मुन्ना बन के बैठा था.....जैसे ही मम्मे टकराए.......उसने लौड़े जैसे हरकत की और फटाफट खड़ा हो गया.

साला मादरचोद.......इधर भीड़ भोसड़ी की मेरे उपर गिरे जा रही.....इधर इस गरमा गरम आइटम से मैं चिपक कर बैठा.....उधर उसके मम्मे मेरी कोहनी पर टिके हुए और इधर यह लंड खड़ा होकर अपनी औकात दिखा रहा.....

अब क्या करू......

मेरा हाथ थोडा सा मुडा और उसके मम्मे इतनी नरमाई से दब गए.......

बॉस इस खेत में बहुत हल चला हुआ था......मगर ज्यादा जुटे हुए खेत फसल भी तो अच्छी देते है .

मैंने सोचा की अपने उसूल के मुताबिक मैंने आगे बढ़ कर कोई हरकत तो की नहीं.....अब इसने खुद बोला है की आप थोडा सा सरक लो....तो मैं थोडा सा ज्यादा सरक लेता हूँ..........मैंने अपनी कोहनी से उसके मम्मे को फिर दबाया........वाह.......ढाई ढाई किलो के तने हुए मम्मे और फिर भी इतने नर्म........

यह तो ऐसा ही हुआ की दारू पियो तो नशा तो हो मगर स्मेल नहीं आये.

मैंने कनखियों से उसकी तरफ देखा.....वो खिड़की के बाहर नज़ारे देखने में व्यस्त थी. मैंने फिर से उसके मम्मे को कोहनी से दबा मारा......आह......भेन्चोद क्या माल था यार........उसने या तो ध्यान नहीं दिया या उसे लगा की भीड़ के कारण ऐसा हो रहा है.

 भीड़ भी पक्की मादरचोद थी, इतने जोर से मुझ पर पिले जा रही थी मानो मैं सलमान खान हूँ..........इधर बढ़ते दबाव से भाभी का नरम नरम शरीर मेरे गरम गरम शरीर से चिपका जा रहा था. मैंने अपने हाथ बड़े सावधानी से उसके मम्मो से थोडा सा आगे कर रखा था......सुबह सुबह का ट्राफिक था.....बस ड्रायवर बेचारा बार बार ब्रेक मारे जा रहा था और भाभी के मम्मे बड़े प्यार से मेरे हाथ पर चिपके जा रहे थे.

उसने कुछ कहा ......मैं तो हवस की दुनिया का वर्ल्ड टूर कर रहा था.......लंड कुछ सुनाई नहीं देता........उसने फिर कुछ कहा......

मैंने हडबडा कर पूछा, " ज ज ज जी.....क क क क्या......"

उसने फिर कहा, "आप कहाँ पर उतरेंगे......."

मन में तो आया की मैडम जी जहाँ तक आप पास में बैठी हो.......भले ही बस नॉनस्टाप कश्मीर से कन्याकुमारी जा रही हो.

मैंने कहा, "बस ही.....ए ए एक....द...द.....दो.......स्टाप आगे......"

"अच्छा......मुझे लल्लूभाई कॉलेज में जाना है......कोनसा स्टाप है.....?", "उसने अपनी खनखनाती आवाज़ में पूछा.

मैंने कहा, " लल्लूभाई कॉलेज........म.म.म.मैं भी तो वहीँ जा रहा हूँ.........अगला स्टाप है....."

मैंने सोचा बाबा अब यह तो निकल लेगी.....अभी अभी तो मज़ा आना शुरू हुआ था.........चलो कुछ इन्क्वायरी कर लेते है.

"आ आ आप........कोनसे स्कुल में पढ़ाती है......वहां तो कोई स्कुल नहीं है.....", मैंने दाना डाला.

वो हँसते हुए बोली. "अरे नहीं नहीं.......मैं स्कुल टीचर नहीं हूँ......मैं तो कोल्कता में कॉलेज में लेक्चरार थी......यहाँ भी कॉलेज में ही पढ़ाने आई हूँ......"

मेरे दिमाग में कीड़ा कुलबुल कुलबुल करने लगा.... ...अगर यह कॉलेज में पढ़ाने आई है........और मेरे कॉलेज मतलब लल्लूभाई कॉलेज वाले स्टाप पर उतर रही है........ तो......तो.......तो........इसका........मतलब.........है........की......


 मेरे दिमाग में कीड़ा कुलबुल कुलबुल करने लगा.... ...अगर यह कॉलेज में पढ़ाने आई है........और मेरे कॉलेज मतलब लल्लूभाई कॉलेज वाले स्टाप पर उतर रही है........ तो......तो.......तो........इसका........मतलब.........है........की........

यह मुजस्सिमा मेरे ही कॉलेज का नूर बढाने वाला है.........

वो बोली, "आज मेरा पहला दिन है.........लल्लूभाई कॉलेज कैसा कॉलेज है वैसे....?"

लो......मेरे लंड के तो ख़ुशी के मारे आंसू निकल गए.......लल्लूभाई कॉलेज तो बहुत खुशनसीब कॉलेज है मैडम जो आप वह पर पढ़ाने आ रही है.

मैंने कहा, "अरे.....व....व.....वाह.......म....म.....मैं भी व....व...वहीँ पढता हूँ......."

उसने मुझे ध्यान से देखा और बोली, " सच्ची.......लगता नहीं है.....तुम तो स्कुल गोइंग लगते हो......."

ओ मैडम.....अभी लंड दिखा दिया तो समझ में आएगा की स्कुल गोइंग हूँ या कॉलेज गोइंग.

मैंने कहा, "हांजी.....वो......म...म...मेरी उम्र थोड़ी कम ही दिखती है......."

मैं फिर दाना डाला, "वैसे मैडम....आ...आ....आप....कोनसा सब्जेक्ट पढ़ाती है.....?"

वो बोली, " इकोनोमिक्स..........तुम्हे पसंद है ???? "

अब सेक्सोलोजी बोलती तो और बात थी......चलो इकोनोमिक्स से ही काम चला लेते है.

मैंने हाँ में इतनी जोर से सर हिलाया मानो मुझसे ज्यादा इकोनोमिक्स में किसी को इंटरेस्ट हैं ही नहीं.........

वो मुस्कुरा कर बोली." ओके......गुड...."

तभी बस रुकी.....भाभी......मेरा मतलब है की मैडम के मम्मो ने एक बार फिर मेरे हाथ पर लोट पलोट कर ली. इसकी माँ की.......क्या माल है......यार.

मैंने कहा, "लल्लूभाई कॉलेज आ गया है........"

वो बोली. "अरे तो चलो उतरो......" और जल्दी से खड़ी हो गयी

मैंने मौका ताड़ा और उसको बोला, " पहले आप निकल जाइये.....भीड़ बहुत है ना.....कहीं बस ना चल दे......."

वो हाँ बोली और टेडी होकर सीट से बहर निकलने लगी.........बस एक बात भूल गयी.....की उसके और बस के पैसेज के बिच में लल्ला बैठा है.......

उसने अपनी पीठ मेरी तरफ करके निकलने की कोशिश की.....चूँकि वो खड़ी हो चुकी थी और मैं बैठा था......

इसीलिए मेरी निगाहों के ठीक सामने थी...............मैडम की रसभरी गांड.......उनकी पतली कमर से जो मोड़ शुरू हो रहा था तो बस मुड़े ही जा रहा था.........इतनी जबरदस्त गोल गोल भरी भरी गांड देखकर मेरे मन में आ रहा था की बस इसी में डूब जाऊ. मर्द क्यों गोल गांड वाली औरतों पर मरते है यह आज समझ आया.

वो बेचारी तो भीड़ में से बाहर निकलने का तरीका ढूंढ़ रही थी और मैं सोच रहा था की भगवान इसकी कैसे भी मिल जाए......

उसने देखा की ऐसे वो भीड़ में जगह नहीं बना पाएगी तो वो वहीँ पर खड़े खड़े मुड गयी.......

और अब मेरे सामने था उसकी कमर........बेचारी ने बस की छत पर लगा डंडा पकड़ रखा था......जिस के कारन उस के पेट पर से साड़ी हट गयी थी.....उसका नंगा पेट मेरे चेहरे से कुछ इंच की दुरी पर था.....और आखिरकार वो बंगालन थी.....तो नाभि दर्शना साडी पहनना तो उसका कर्त्तव्य था..........उसकी नाभि इतनी सेक्सी थी......की एक ही पल में मुझे तब्बू की याद आ गयी.

बिलकुल तब्बू के जैसा हल्का सा मांसल पेट था....और उसके बीचोबीच बिलकुल गोल और सुडोल.......किसी अंधे कुंए के जैसी उसकी नाभि......अभी तक तो मेरे अन्दर का जानवर अंगड़ाई ले रहा था मगर अब तो वो पापा रंजीत की तरह " एएह....." करने लगा.

मैं मज़े से उसकी नाभि की गहराई अपनी आँखों से नापे जा रहा था की उसने छत पर डंडा छोड़ कर मेरी सीट के पीछे लगी रेलिंग पकड़ ली..

.........भेन्चोद.......साला.....क्या नाभि थी.....उसके मम्मे मेरे सर पर हलके हलके टकरा रहे थे.

आज घर से निकलते हुए शायद उपरवाले का नाम लिया था.....इसीलिए आज वो भी मुझे पुरे मज़े करा रहा था.......

उपरवाला भी मूड में था........बस वाले ने स्टाप पर बस रोकने के लिए ऐसा ब्रेक मारा की मेरा चेहरे सीधा मैडम के पेट से जा टकराया और अनजाने में ही उनकी नाभि पर मेरे होटों से एक चुम्मा पढ गया. उसके ढाई ढाई किलो की मम्मे मेरे सर पर आ गए. मैंने मौका ताड़ा और अपने हाथ आगे बड़ा कर उनकी गांड पर जमा दिए और ऐसा दिखाया मानो मैंने ऐसा बैलेंस बनाने के लिए किया.

बस रुकी......लोग उतरने लगे.....मगर मेरे लिए समय रुक गया था........मैडम के मम्मे मेरे सर पर टिके हुए ..........मेरे होंट उनकी नाभि पर लगे हुए......और मेरे हाथ उनकी विशाल गुन्दाज़ गांड को पकडे हुए........

स्वर्ग तो यहीं जमीं पर है प्यारे.......

 स्वर्ग तो यहीं जमीं पर है प्यारे.......और अप्सरा मेरे पास है प्यारे.....

मैडम इतनी हट्टी कट्टी थी की मेरे हाथ जो उनकी विशाल गांड पर जमे थे पूरी तरह से खुल चुके थे............मेरा बाँहों का घेरा पूरा खुलने के बाद ही मैडम का कटी क्षेत्र यानि कमर मेरी बाँहों में आ पाई थी. सही में ऊपर वाला जब देता है तो छप्पर फाड़ के ही देता है और आज के दिन तो शायद सेक्स के भगवन कामदेव का मूड हो गया था की लल्ला की लुल्ली को मज़े कराना है इसीलिए स्वर्ग से इस मुजस्सिमे को मेरी बाँहों में भेज दिया.

बस पूरी तरह से रुक चुकी थी, और सटासट भीड़ उतरे जा रहा थी और मेरा पापी मन बार बार येही कह रहा था की मादरचोदो धीरे धीरे उतरो, थोड़ी देर इस हसीना का स्पर्श सुख और लेने दो मगर यह तो होना ही नहीं था........मैडम मेरी बाँहों में कसमसाई और मैं तुरंत उनकी गांड पर से हाथ हटाकर पीछे हो गया और इधर उधर देखने लगा मानो कुछ भी नहीं हुआ......

मैडम धीरे से बस के पैसेज में सरकती हुयी गयी और मैं उनके जांघों के रगड़ मेरे कन्धों पर लेता रहा......काश की उनकी जांघों और मेरे कन्धों के बिच ये कपडे न होते तो उनकी गदराई मोटी मोटी जांघें मेरे कन्धों पर होती और उनकी ..............च......च........च........चूत.........मेरे होटों के ठीक सामने खिले हुए फूल की तरह होती.........जाने क्यों मुझे यकीं था की मैडम की मुनिया बिलकुल खिले हुए कमल के फूल जैसी होगी.............इतना सोचने में तो मेरे बाबुराव ने जंग का ऐलान कर दिया और सटाक से खड़ा हो गया....... इतना कड़क हो गया की जींस में उसका दम घुटने लगा.........मैंने इधर उधर करके अडजस्ट किया तो बाबुराव के सुपाड़े पर रगड़ लग गयी, मेरे मुंह से आह निकल गयी और मैडम को बस की चिल्ल पो में भी मेरी आह सुने दे गयी.......मैंने जींस के अन्दर हाथ डाल कर बाबुराव को अडजस्ट किया और उनका निचे देखना हुआ........ हैरानी से उनकी ऑंखें फ़ैल गयी.......मैंने फटाफट अपने हाथ बाहर निकाला मगर जींस में से भी खड़ा हुआ हमारा सिपाही नहीं चूका और उसने जींस में दबे दबे ही ठुनकी मार कर मैडम को सलाम ठोक दिया.......ओह shit .......

मैडम का चेहरा एक सेकंड के लिया तो बिलकुल लाल हो गया...मैंने गोरे रंग की लड़कियों को गुस्से और शर्म में लाल होते तो देखा था मगर किसी सावली बंगालन को लाल होते पहली बार देख रहा था........हे कामदेव भगवान.......मैं आपको 11 रूपये का प्रसाद चड़ाउंगा.....बस इसकी एक बार दिलवा दो.........

मैडम ने अपनी नज़रे बस के गेट की और कर ली और पासेज में आगे बढ़ गयी.........उनके हर कदम पर उनकी गांड के गोले ऊँचे और निचे हो रहे थे और उसी के साथ मेरा लंड भी ऊँचा निचा हो रहा था.

मेरी गांड की फटफटी धीरे धीरे चलने लगी थी........मैडम मेरे ही कॉलेज में पढ़ने वाली है और उन्होंने मुझे मेरी जींस में हाथ डाले हुए देख लिया और वहां तक भी ठीक था मगर इस कमीने बाबुराव ने भी उनको ठुनकी सलाम दे दिया..........अब मैडम क्या सोचेगी..

यह सब सोचते सोचे भी मैं उनकी गांड से नज़रे नहीं हटा पा रहा था.....ऐसा लग रहा था मानो उनकी गांड में एक चुम्बक है जो मुझे खिंच रहा है........फटती हुयी गांड की फटफटी पर मेने क्लच दबा रखा था.........मैडम बस से निचे उतरने लगी

मगर अचानक वो पलटी और उन्होंने सीधा मेरी आँखों में देखा और धीरे से मुस्कुरा दी.......

क्लच छूट गया और लंड की डुगडुगी दौड़ पड़ी......

कामदेव भगवान.........तुस्सी ग्रेट हो.



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