Saturday, November 30, 2013

FUN-MAZA-MASTI तकलीफ--6

FUN-MAZA-MASTI

 तकलीफ--6

 सुषमा जैसे उसी पल की राह देख रही थी. उसने मेरे लंड को पकड़ कर अपने मुंह मैं ले लिया. बड़ी बेताबी से वो पुरे लंडको चूसने लगी उसने मेरा लंड पर से माया का रस पूरी तरह से साफ़ कर दिया. पर मैं लंड चुसवाने के मुड मैं नहीं था. मैं सुषमा से मेरा लंड छुड़वा कर वहां से उठा और नीला को पकड़ा. नीला को खिंच कर बाजू के सोफे पर धक्का देकर गिरा दिया. निलाके गिरते ही उसके पैर कुल गए और मैं उसके ऊपर चढ़ गया. ये सब इतना जल्दी हो गया की नीला कुछ समज पाए उसके पहले मेरा लंडका सूपड़ा उसकी क्लीन शेव की हुई चिकनी चूत का सिल तोड़कर चला गया.
"........माँआआ ......................" नीलाकी चीख निकल गयी और उसके के आँख और मुंह फटे के फटे रह गए. अपने पास मैं पड़े तकिये को निचोड़ दिया. दूसरीही क्षण तकिये को छोड़ कर उसने मुझे धक्का मारा और मैं उसके सामने गिर पड़ा. नुपुर और रीना तुरंत नीला के पास पहुंचे और उसे शांत करने लगे. नीला गुस्से से चिल्लाई "ये क्या कर रहे हो? मुझे नहीं चुदवाना है.”
नुपुर बोली "शांत हो जा.. नीला.”
नीला फिर से गुस्से से चिल्लाई "What the hell he did...”
नुपुर बोली "Calm down नीला.. उसमे नील की गलती नहीं है.. तू तो जानती है उसकी बिमारी..... ”
नीला बोली "पर मुझे नहीं सेकना उसके लंड को.... “
मै हैरान था और थोडा डरा हुआ था की मुझसे कुछ गलत हो गया. मैंने धीरे से कहा "Sorry...अगर मुझसे कोई गलती हो गई हो तो.. “
नीला बोली "गलती? तुम्हे मालुम है तुमने क्या किया?”
मुझे अभी भी समज मैं नहीं आ रहा था की मैंने क्या किया. नीलादीदी नंगी थी और उनकी उनकी चुदाई के लिए मैं उनके ऊपर चढ़ा. उसमे मेरी क्या गलती? मैं बस उसकी और चहेरे पर एक सवाल के साथ देखता रहा.
नुपुर बोली "हाँ पर नील को नहीं मालुम की लड़की का सिल क्या होता है.”
नीला ने अपनी चूत दिखाकर बोली "ये देखो उसने मेरी चूत का क्या हाल किया है. सिल तो क्या उसने पूरी चूत फाड़ दी है. ”
मैंने नीला की और देखा. मुझे ये लोग जो बोल रहे थे वो कुछ समजमें नहीं आ रहा था की किस सिल की बात कर रहे है और मैंने उसे कैसे तोड़ा? मैं बारी बारी सबके चहरे के सामने इसी सवालके साथ देख रहा था.
एक तरफ नुपुर और रीना, नीला को समझा रहे थे तो दूसरी और सुषमा मेरी परेशानी समज गयी और मेरे पास आई. उसने कहा "इधर आ" बोलकर वो मेरे पासके सोफे पर बैठी. उसने अपने पैर फैलाए ताकि मैं उसकी चूत देख सकूँ. उसने फिर से मुझे बुलाया. मैं उठकर उनके पास गया.
नीचे बैठ..”
मैं उसकी चूत के सामने बैठ गया. उसने अपनी चूत खोलकर मुझे सब समझाने लगी की सिल क्या होता है और चूत मैं किस जगह को छूने से लड़की को अच्छा लगता है. वो बोली "मेरा तो सिल कबका टूट चुका है पर नीला का सिल तूने आज तोडा. इसीलिए वो गुस्सा है..”
मैंने कहा "मुझे लगा की वो नंगी है तो मतलब की मैं उनकी चुदाई कर सकता हूँ.”
सुषमा हंस कर बोली "हर नंगी लड़की जरुरी नहीं है की वो चुदवायेगी..”
मैं परेशान था "अगर उनको चुदवाना नहीं था तो नंगी क्यों हुई?”
सुषमा बोली "वो उत्तेजित हो गई थी और खाली अपनी चूत सहलाकर संतोष ले रही थी. उसे चुदवाना तो है पर अभी नहीं. वो अपने fiance से ही चुदवाना चाहती थी. “
मैंने कहा "आप भी?”
सुषमा के चहरेका भाव मेरा सवाल सुनकर तुरंत बदल गए. उसकी आँखों मैं मस्ती छा गयी और मुस्कुराते हुए बोली "हम लोग नीला के जैसे बुद्धू नहीं है की ऐसा मौका हाथ से जाने दे.. क्यों नुपुर?”
नुपुर बोली "तो क्या? नीला को तो कुछ समज नहीं है. उसने कभी लंड लिया ही नहीं तो उसे क्या समझाये? पर हम टाइम वेस्ट नहीं करा सकते वरना उसका लंड वापस नोर्मल हो जाएगा.”
नुपुर नीला को छोड़ कर हमारे पास आई और सुषमा के ऊपर पीठके बल सो गयी. मेरे सामने एक के ऊपर चूत अपने पैर फैलाए लबलबाती पड़ी थी.
सुषमा बोली "चल अब सोचता क्या है? डाल न? तुझे इन्विटेशन देना पडेगा क्या?”
मैं थोडा हिचकिचा रहा था "क्या नुपुरदीदी को भी...”
नुपुर बिच मैं ही नीला के सामने उसे चिडाते हुए बोली "अरे कर न? मैं नीला नहीं हूँ...चल चढ़ जा...”
मैंने भी नीला की और देखा. सुषमासे अब सहा नहीं गया. उसने मुझे मेरे लंडसे पकड़ कर खिंचा और लंडके सुपडे को अपनी चूतके काने पर रख दिया. “चल न... टाइम पास मत कर".
अब मैंने नुपुर को उसकी पतली कमर से पकड़ा और सुषमा की चूत पर सूपड़ा दबाया. सुपडे के आगे नन्ही सी चूत थी. थोडा ज्यादा जोर लगाने पर सूपड़ा लपक कर अन्दर घुस गया. लंड घुसते ही उसका चहरा जैसे पानी मैं देर तक डूबे रहने के बाद कोई पानी के बहार सर निकालता है और सांस लेनेके लिए बेताब हो वैसा था. वो एकदम हडबडा गयी थी. उसने मुझे थोड़ी देर रुकने को कहा. उसकी जोर जोर से सांसे चल रही थी और यहाँ नुपुर ऊपर नीचे हो रही थी. कुछ देर बाद उसकी साँसे शांत हुई और कहा "ओह नुपुर...... क्या लंड है साले का !!...जिंदगीभर का अफ़सोस रह जाता अगर....
"......."
"नील थोडा धीरे.....”
“oh my god.... "
"आह... रुक...... रुक जा रे.... ”
पूरा डाल दिया क्या?”
मैं कुछ कहूँ उससे पहले रीना बोली "अभी तो आधा ही लिया है तूने...”
सुषमा बोली "चल झूठी....”
रीना बोली "ठीक है नील... उसे पूरा डाल कर दिखा...”
दुसरे ही पल एक धक्का मारा और पूरा लंड सुषमा की चूत मैं समा गया. सुषमा एक जोर के झटके के साथ उछली और बेहोश हो गयी. उसका भी गला सुखा गया और कुछभी बोलने की हालत मैं न रही.
रीना भागी दौड़ी आई और सुषमा को हवा डालने लगी.
नीला बोली "देख... इतना दर्द होता है तो मजा कैसे आएगा?”
रीना बोली "तू चुप बैठ.. तुझे कुछ समज मैं नहीं आयेगा...”
रीना आगे बोली "नील... तू नुपुर मैं डाल दे..."
मैंने सुषमा की चूत मैं से लंड निकाला और नुपुर की चूत पर रगडा. नुपुर पहले से ही तैयार थी. उसे मालुम था की कितना दर्द होगा और दर्द के बाद कितना आनंद होगा. लंड का स्पर्श होते ही नुपुर को जैसे करंट लगा. लंड के सुपडे को अपने हाथों से अपनी चूत पर रगड़ ने लगी और सुपडे को पूरा गिला कर अपने अन्दर डाल दिया. सूपड़ा अन्दर जाते ही उसके फैले हुए पैर मेरी कमरके आसपास लिपट गए. क्या पता मेरा सुपदा चूत मैं जाते ही इनको क्या हो जाता है? थोड़ी देर तक तो कोई हिलता भी नहीं है. जैसे किसी ने चूत मैं चाकू डाल दिया हो!! थोड़ी देर बाद नुपुर को जान आई और उसने कहा "तू कुछ मत करना... जो करना है मैं ही करुँगी....”
यह बोलकर उसने अपनी जांघो से मेरी कमर को जकड लिया और अपने पैरों से मुझे अपने पास खिंचने लगी. डिलीवरी जितना दर्द सहते हुए उसकी चूत धीरे धीरे मेरा लंड निगल रही थी.
........”
माँ......”
मर गयी.....”
........”
...............”

आखिरमें पुरे लंड को निगल कर बोली....”तू अब हिलना मत... मैं जब बोलूंगी तब ही हिलना...."
नुपुर की चूत अन्दर से लबालब हो रही थी. लंड को अन्दर से कभी जकड रही थी तो कभी छोड़ रही थी. उसका बदन जैसे मोम की कोई मूरत हो. उसके पुरे बदन को मैं महेसुस करने लगा. जैसे ये सब मेरे लंड के लिए मर रहे थे वैसे ही मैं भी ये सब बेहद खुबसूरत बदन को पा कर धन्य हो रहा था. अपने आप को कह रहा था की ये बिमारी २४ घंटे क्यों नहीं रहती? चारों की चारों काफी अच्छे घर की लड़कियाँ थी जो कभी दुसरे पुरुष के बारेमें ऐसा सोचतीभी नहीं थी. और आज मेरे लंड ने उनको बहका दिया? सोचते हुए मैंने नुपुर के रुई जैसे स्तन पर हाथ रखा. मेरे हाथ पर अपने हाथ रख दिए और वो खुद ही मेरे हाथों से अपने स्तन दबोच रही थी. कुछ देर ऊपर से सहलाने के बाद उसके ब्लाउज के अन्दर हाथ डाला और ब्लाउज को थोडा ऊपर खिंचा. एक के बाद एक उसके हुक खोलकर ब्लाउज को उसके स्तन पर से दूर किया. .अपनी नज़रों के सामने वो ब्लाउज के हुक को खुलते हुए देख रही थी. इन सब ने इतनी सहजता उसने अपना पूरा बदन मुझे सोंप दिया था की मैं हैरान था. ये सब ऐसी रूप सुंदरियाँ थी की जैसे दूध से नहाई हुई संगेमरमर की कोई मूरत हो जिसके ऊपर मख्खन का लेप किया हो. कोमल इतने की अगर इन्हें जोर से पकड़ लिया तो लहू उभर आये. सब के स्तनको देख कर कोई भी कह देगा की ये खाते पीते घराने की लड़कियाँ है.

जब चूत का लबलबाना थोडा कम हुआ तो उसने अपनी जांघे फैलादी. मेरी कमर से उसकी जांघे छुट गई और मैं उसके ऊपर गिर पड़ा. गिरते ही उसने मेरे होंठ चूम लिए और आँखों मैं आँखे डाल कर बोली "नील... तुम्हारी वजहसे हमें ये खुशीयाँ नसीब हुई है. हम सब तुम्हे जिंदगी भर नहीं भूलेंगे”
थोडा रुक कर बोली "आज अपनी ये दीदी पर रहेम मत करना.. तुझे मेरी कसम...”
सुषमा नीचेसे बोली "और अपनी ये दीदी पर रहेम करो....और फिरसे मेरी चूत भर दो.”
दोनों मख्खन जैसी चूतें चुदवाने के लिए मचल रही थी.

दूसरी तरफ रीना नीला को समझा रही थी "ये देख....अरे तू चिंता मत कर. एक महीने मैं तेरी चूत वापस नोर्मल हो जाएगी. किसी को पता भी नहीं चलेगा.”
नीला बोली "बहोत दर्द कर रहा है...ये क्या कर दीया उसने..”
रीना बोली "तू फिकर मत कर.. ऐसाही होता है.. शुरूमै दर्द होता है और बाद मैं इतना मजा आता है की तू सब दर्द भूल जाएगी और हम सब की तरह उछल-उछल कर चुद्वायेगी..”


सुषमा "... ....”
नुपुर "ओह... माँ......”
सुषमा "मर गयी....”
नुपुर "कर ना......”
सुषमा "और अन्दर...”
नुपुर "हा..........”
सुषमा "......”
नुपुर ".......”
सुषमा "............. ”

नुपुर और सुषमा दोनों साथ मैं बोली "अधुरा मत छोड़......पूरा डाल ना........”

सुषमा "............”
नुपुर "हां.......”
सुषमा "ऐसे.......”
नुपुर "हाँ....”
सुषमा "हा....ये.......”
नुपुर ".........”
......
......
.....
धीरे धीरे सुषमा की चूत कड़क होने लगी. नुपुर अभी भी मजे लेने के मुड मैं थी. दस-बारा धक्के मैं सुषमा उछल पड़ी. नुपुर बाजू मैं गिर पड़ी. सुषमा के पुरे बदन मैं ख़ुशी की लहरे दौड़ गयी. पूरा बदन मैं जैसे ताजगी छा गयी. झड़ने के बाद सुषमा की चूत की पकड़ काफी मजबूत हो गयी जो मुझे पागल कर रही थी. नुपुर के गिरते ही मैं सुषमा के ऊपर चढ़ गया और उसे बाँहों मैं जकड कर उसकी जम कर चुदाई की. सुषमा इतनी बार झड़ी की आखिर मैं नुपुर ने उसे छुडाया और मुझे हलकासा धक्का देकर जमीन पर गिरा दिया. सुषमा भी तृप्त होकर सोफे पर शांत होकर पड़ी थी.


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