Saturday, November 30, 2013

FUN-MAZA-MASTI रोहन और रीमा--4

FUN-MAZA-MASTI
 रोहन और रीमा--4
 नीतू को आता देख कर रीमा मैगजीन छोड़ कर उठ कर खड़ी हो गयी और उसने नीतू की तरफ सवालिया निगाहों से देखते हुए पुछा
'' क्या हुआ भाभी बॉस ने आपको मेरे बारे में कोई बात करने के लिए बुलाया था ?
नीतू ने रीमा को देख कर मुस्कराते हुए कहा अरे नहीं पगली वो तो मेरे से किसी और काम के बारे में बात कर रहे थे
वैसे बॉस तेरे से बहुत खुश है वो तेरी बड़ी तारीफ कर रहे थे ''
ये बात सुन कर रीमा की सांस तेज़ चलने लगी और वो थोडा सा झेंपते हुए बोली मेरी तारीफ ,,
लेकिन मेरे तारीफ वो भला क्यों कर रहे थे .. मेंने तो अभी तक ऐसा कुछ किया ही नहीं ,
नीतू ने रीमा के गाल पर अपना हाथ फेरते हुए कहा .. यही तो बात है मेरी जान तू नहीं समझेगी इस बात को क्योकि
''हीरे की कदर सिर्फ जोहरी ही जानता है ''
नीतू की बात सुन का रीमा की समझ में कुछ नहीं आया लेकिन वो इस से पहले की कोई सवाल करती नीतू ने बात ही बदल दी
नीतू ने रीमा से कहा '' मुझे पता है की तू आज लंच लेकर नहीं आई है इसलिए तू मेरे साथ ही लंच में ही शेयर कर लेना ,
रीमा ने थोडा सा सकुचाते हुए कहा रहने दीजिये भाभी वैसे भी मुझे भूख नहीं लगी है , में घर जा कर ही खाना खा लुंगी
नीतू ने आँखे तरेर कर रीमा को देखा और बोली ज्यादा मत बोल नहीं तो रोहन से तेरी शिकायत कर दूंगी की तू मेरी बात नहीं मानती, और फिर सोच ले क्या होगा .....
नीतू की बात सुन कर रीमा ने मुस्कराते हुए कहा अच्छा भाभी आप गुस्से न होइए में आ जाउंगी ,
फिर रीमा वापिस बॉस के केबिन में आ गयी ,
बॉस अपनी चेयर पर बेठा ऊँघ रहा था क्योकि नीतू ने उसका वीर्यपात करके उसको शिथिल कर दिया था
रीमा जा कर फिर से अपनी चेयर पर चुपचाप बेठ गयी बॉस ने तिरछी निगाह से रीमा को देखा और वो फिर से अपनी कुर्सी पर अधलेटा सा हो गया ,
थोड़ी देर बाद बॉस उठ कर खड़ा हुआ और उसने रीमा से कहा ....
में अब लंच के लिए जा रहा हूँ .. .....अगर तुम चाहो तो नीतू के पास जाकर बेठ सकती हो कहकर वो अपनी कुर्सी से उठ कर खड़ा हो गया और फिर केबिन से बाहर निकल गया ,
बॉस के जाने के कुछ देर बाद रीमा भी अकेले बोर होने लगी और वो नीतू के पास चली गयी
नीतू कंप्यूटर पर कुछ काम कर रही थी ये देख कर रीमा नीतू के पास पड़ी कुर्सी पर बेठ गयी और फिर जब नीतू का काम ख़तम हुआ तो उसने रीमा की और देख कर कहा
'' क्या हुआ रीमा ... कोई काम है क्या ?
रीमा ने फिर नीतू को बताया की बॉस लंच के लिए गए है और वो कह कर रहे थे की अगर मेरा मन हो तो में आपके पास आकर बेठ सकती हूँ ,
और फिर में भी वहाँ अकेली बेठी-२ बोर ही हो रही थी ,,इसलिए में आपके पास आ गयी
ये सुन कर नीतू के चेहरे पर एक शरारती मुस्कान दौड़ने लगी वो समझ गयी की लिंग चुसाई के बाद बॉस का सारा जोश ठंडा पड़ गया होगा
इसलिए तो वो रीमा जैसे मस्त माल को अकेला छोड़ कर लंच के लिए निकल लिया ....
लेकिन रीमा बेचारी इन सब बातो से अभी तक अनजान थी की नीतू और बॉस के बीच में क्या खिचड़ी पक रही है
और उसको भी यहाँ काम दिलवाने के पीछे नीतू का क्या मकसद है ,,
फिर नीतू ने रीमा से कहा चल यार अब हम लोग भी लंच करते है और फिर वो दोनों लंच करने लगी खाने के दौरान नीतू ने रीमा से कहा
'' तुझे इतनी हेवी साड़ी में परेशानी नहीं हो रही क्या ?
रीमा ने उदास होते हुए कहा '' हो तो रही है लेकिन क्या करू मेरे पास ले दे कर अब २-४ साड़ी ही बची है जिनको पहन कर में कही बाहर आ जा सकती हूँ ,
बाकि सब कपडे तो अब घर पहनने के लायक ही बचे है ,
नीतू ने अपने चेहरे पर अफ़सोस लाते हुए कहा में समझ सकती हूँ .
चल तू चिंता न कर आज यहाँ से जाने के बाद पहले मेरे घर चलना मेरे पास कुछ नयी ड्रेस रखी है , तू देख लेना अगर तेरे को उनमे से कोई पसंद आये तो तू ले लेना ,
रीमा ने झिझकते हुए कहा लेकिन भाभी में आपकी ड्रेस ऐसे कैसे ले सकती हूँ ऐसे तो मुझे अच्छा नहीं लगेगा
नीतू ने रीमा की और देख कर आँखे तरेर कर कहा '' में तेरे को मुफ्त में नहीं दे रही हूँ जब तुझे यहाँ से तनख्वाह मिलेगी तब तू मुझे पैसे दे देना ....
अब बता इसमें तो कोई बुरा नहीं लगेगा न तुझे ,
नीतू का इतना अपना पन देख कर रीमा की इसके आगे कुछ बोलने की हिम्मत ही नहीं हुई और उसने हामी भर दी
और फिर ऐसे ही बातो बातो में शाम के ५ कब बज गए ...पता ही नहीं चला और मजे की बात ये हुई की बॉस भी अभी तक लंच से वापिस नहीं आया था ,
और फिर पता चला की बॉस ने ऑफिस में फ़ोन करके न आने के लिए बता दिया है
इसलिए छुट्टी के टाइम पर रीमा और नीतू ऑफिस से अपने घर के लिए निकल पड़े ,
इक्त्फाक से लोटते समय उनको जो बस मिली थी उस में भीड़ कम थी इसलिए रीमा और नीतू दोनों को सीट भी मिल गयी , रास्ते में रीमा ने नीतू से कहा


 भाभी एक बात है लेकिन मुझे कहते हुए शर्म आ रही है ...
नीतू ने रीमा को प्यार से देखते हुए कहा ... तू न ये पागलो वाली बाते मत किया कर ...... बोल क्या बात है
रीमा ने कहा'' भाभी वो मेरे को आप २०० रुपये उधार दे दीजिये मेंरा मन है की में रोहन के लिए मिठाई ले कर जाऊ और उनका मुंह मीठा करवाऊं....लेकिन मेरे पास पैसे नहीं है कहते हुए रीमा की नजरे नीची हो गयी .....
रीमा की बात सुन कर नीतू ने मुस्कराते हुए कहा ...बस उतनी सी बात के लिए सोच रही थी ...और फिर नीतू ने अपने बेग से ५०० का नोट निकाल कर रीमा के हाथ पर रखते हुए कहा ... ये ले और चाहिए तो मांग लेना शर्म मत करना में तो तुझे अपनी छोटी बहिन समझती हूँ लेकिन अब तेरा पता नहीं कि तू मेरे को क्या समझती हे ..
नीतू की बात सुन कर रीमा ने नीतू के हाथ पर अपना हाथ रखते हुआ कहा ...
''बस इतना समझ लीजिये की आप मेरे लिए किसी फ़रिश्ते से कम नहीं हो ''
और फिर ऐसे ही बातो बातो में उनका स्टॉप भी आ गया और वो दोनों बस से उतर कर अपने घर की तरफ चल दी रास्ते में एक मिठाई की दुकान से रीमा ने मिठाई ली और फिर वो नीतू के साथ उसके घर चली गयी रीमा और नीतू के घर बिलकुल पास पास थे इसलिए रीमा को भी अपने घर जाने की कोई चिंता नहीं थी \
अपने रूम में ले जाकर नीतू ने रीमा को एक बड़ा सा पोलिबेग देते हुए कहा ले इसमें से देख ले जो पसंद हो वो ले लेना ,
रीमा ने जब पाली बेग को खोला तो उसमे बहुत सारी लेगिंग और कुर्तिया थी और सब एक से बड़कर एक .. रीमा देखती ही रह गयी उसका मन तो कर रहा था की वो सब की सब ड्रेस ले ले लेकिन उसको अपना बजट भी तो देखना था
इसलिए उसने अपने लिए २ लेग्गिंग और २ कुर्तिया पसंद करके निकाल ली और फिर जब उनके प्राइस टेग पर रीमा की नजर गयी तो उसकी सारी खुशी एक ही पल में उड़न छू हो गयी, और वो अब मन ही मन सोचने लगी थी की वो अब क्या करे ,, वो मन ही मन सोचने लगी की नीतू से क्या कहे वो अब
इस से पहले रीमा कुछ बोलती नीतू जोकि ये सब नजारा बड़े गौर से देख रही थी उसने झट से रीमा की पसंद की हुई दोनों ड्रेस को एक पाली थिन में डाल कर रीमा से कहा बस २ ही ड्रेस पसंद आई है तुझे और कोई पसंद नहीं आई ?
रीमा का तो प्राइस टेग देखकर ही सारा जोश ठंडा पड़ गया था उसने थोड़ी उदास आवाज में कहा ....
भाभी अभी आप इनको भी अपने ही पास रख लीजिये में ये भी नहीं ले सकती
रीमा की बात सुन कर नीतू ने हेरान होते हुए कहा '' लेकिन हुआ क्या तू बता तो सही पहले
रीमा ने कहा भाभी वो क्या है कि यदि इन ड्रेसो के प्राइस टेग अगर में पहले ही देख लेती तो में पसंद ही नहीं करती ....
नीतू खेली खायी औरत थी उसने अपनी चाल खेलते हुए जोर से एक ठहाका मारा और रीमा के सर पर होले से चपत मार कर बोली ...
''तू सच में बड़ी भोली है अरे पगली जो टेग तूने देखे है उनपर ७०% का डिस्काउंट भी है ''
कहते हुए नीतू फिर से हंसने लगी और नीतू की बात सुन कर रीमा हक्की बक्की रह गयी लेकिन इस बात को सुनकर उसके चेहरे पर मुस्कान जरूर वापिस आ गयी थी ,
और फिर रीमा ने नीतू को देखते हुए कहा भाभी आप सच कह रही हो न ?
नीतू ने इस बार मुंह बनाते हुए कहा ... तुझे क्या लगता है में तेरे से झूठ बोलूंगी और अपना नुक्सान करुँगी ...
रीमा को अब नीतू की बात सच लगने लगी और उसने अपनी ड्रेस वाली पाली उठाई और फिर नीतू से बोली
अच्छा भाभी में अब चलती हूँ ,
जैसे ही रीमा जाने लगी तो नीतू ने कहा ..... मेरा मुंह मीठा नहीं करवओगी क्या ?
नीतू की बात सुन कर रीमा को अपनी भूल का एहसास हुआ और उसने झेंपते हुए मिठाई का डिब्बा नीतू के आगे कर दिया
नीतू ने मुस्कराते हुए मिठाई का एक पीस ले लिए और रीमा को एक बार फिर से मुबारकबाद दी और फिर रीमा नीतू के घर से निकल कर अपने की और चल दी ,
जैसे ही रीमा घर पहुंची तो उसने देखा .......

 और फिर जैसे ही रीमा अपने घर में आई तो उसने देखा की रोहन बड़ी बेचेनी से उसके आने का इंतज़ार कर रहा था
रोहन के चेहरे पर ऐसी उदासी छाई हुई थी जैसे की उसका सब कुछ किसी ने लूट लिया हो ,,,और फिर जैसे ही रोहन ने
रीमा को देखा तो देखते ही रोहन की जैसे जान में जान आ गयी हो उसने अपनी आँखे बंद करके दोनों हाथो को जोड़ कर
ऐसे ऊपर देखा मानो वो भगवान् को धन्यवाद् दे रहा हो ,
ये सब देख कर रीमा के चेहरे पर एक मुस्कान के साथ साथ आँखों में नमी भी आ गयी ,
रीमा लगभग दौड़ती हुई रोहन के पास गयी और उसके गले लग गयी रोहन ने भी रीमा को अपनी बाहों में भरकर रुंधे हुए गले से कहा
'' अगर तुम्हे कुछ देर और लग जाती आने में तो पता नहीं आज मेंरा क्या होता ''
रोहन की बात सुन कर रीमा भी भावुक हो गयी और उसने रुन्वासी आवाज में कहा
'' आप भी बिलकुल बच्चो की तरह हो ऐसे भी कोई करता है क्या ''
रोहन ने रीमा के गाल पर ठहरे आंसू को चुमते हुए कहा ...
''क्या करू मेरी जान तुमसे दूर रहने की अब आदत जो नहीं रही ''
रीमा ने रोहन से अलग होते हुए कहा ठीक है तो फिर में कल से काम पर नहीं जाउंगी ,, आपके पास ही रहूंगी
ये सुन कर रोहन ने कहा '' नहीं नहीं ऐसा मेने कब कहा है , मुझे तुम्हारे काम करने से कोई शिकायत नहीं है
रीमा ने रोहन की तरफ बड़े प्यार से देखते हुए कहा
''' तो फिर ऐसे कैसे चलेगा में आपको इस तरह से दुखी होते हुए भी तो नहीं देख सकती
रोहन ने मासूम शक्ल बना कर रीमा की आँखों में देखते हुए कहा
'' मेरी जान तुम मेरी बातो को सीरियस मत लिया करो में तुमसे दूर होता हूँ तो मुझे कुछ होने लगता है ''
कहते हुए रोहन ने रीमा को मुस्कराते हुए आँख मारी और बोला
'' चलो इसी बात पर आज तो कुछ मीठा हो जाये ''
रोहन की बात सुन कर रीमा ने मुस्कराते हुए मिठाई का डिब्बा अपने बेग से निकला और रोहन के आगे कर दिया और बड़े प्यार से कहा
''ये बात तो में पहले से ही जानती थी इसलिए पहले ही ले कर आई हूँ ..
लेकिन रोहन ने मिठाई उठाने के लिए अपना हाथ आगे नहीं बढाया और बोला ऐसे नहीं चलेगा
''आज तो में अपनी जान के हाथ से मुंह मीठा करूँगा ''
ये बात सुन कर रीमा ने मिठाई का एक पीस उठाया और रोहन के मुंह में डाल दिया और फिर रोहन को बड़े प्यार से देखती हुई बोली
''मुझे पता है अब आपका चाय पीने का भी मन कर रहा है , है न बोलो बोलो कहते हुए रीमा रोहन की और देख कर आँखे नचाने लगी
रोहन ने रीमा की और देख कर हेरान होते हुए कहा ''तुम मुझे मेरे से भी ज्यादा जानती हो मेरी जान ''
रीमा ने मुस्कराते हुए रोहन की नाक को दबाते हुए कहा .... '' तेरे दिल की बात में जानू ,,,
फिर रीमा ने रोहन के गाल पर एक चुम्बन जड़ते हुए कहा ....
में पहले हाथ मुंह धो लूँ फिर आपके लिए चाय बना कर लती हूँ , कहते हुए रीमा चली गयी
और फिर जैसे ही रीमा हाथ मुंह धो कर चाय बनाने रसोई में गयी तो उसने देखा की दूध फटा हुआ था , ये देख कर रीमा ने सोचा की
चलो बाहर ही दूध की दूकान है २ मिनट में ले आती हूँ उसने रोहन से कहा में अभी आई और वो दूध लेने बाहर चली गयी लेकिन
दूध वाले के पास भी दूध ख़तम हो चूका था, रीमा मन मसोस कर वापिस अपने घर को आने लगी तभी अचानक उसके दिमाग में आया
की वो क्यों न नीतू भाभी के घर से एक कप दूध का मांग ले , ये विचार मन में आते ही वो नीतू के घर चली गयी
रीमा ने नीतू के घर के बाहर लगी बेल को बजा दिया, और दरवाजा खुलने का इंतज़ार करने लगी
२ मिनट बाद अन्दर से नीतू की आवाज आई ...... कोन है ?
रीमा ने कहा ...... में हूँ भाभी ..
रीमा की आवाज सुन कर नीतू ने दरवाजा खोल दिया ,, और बोली ..... आओ रीमा आओ
रीमा ने झेंपते हुए कहा .... भाभी वो आज पता नहीं कैसे दूध फट गया और बाहर से लेने गयी तो वहां भी नहीं मिला इसलिए
नीतू ने हँसते हुए कहा ... बस बस में समझ गयी और कुछ मत बोल बस आजा अन्दर आजा मेरे से ले जा ,,
रीमा ने झिझकते हुए कहा भाभी बस एक कप ही चाहिए चाय बनानी है रोहन के लिए में यही खड़ी हूँ आप ला दीजिये
नीतू ने कहा...... लेकिन ऐसे मुझे अच्छा नहीं लगेगा की तू बाहर खड़ी रहे चल अन्दर आजा
कहते हुए नीतू अन्दर जाने के लिए पलटी तो रीमा भी नीतू के पीछे पीछे घर में दाखिल हो गयी .....
रीमा को तो यही उम्मीद थी की नीतू घर में अकेली होगी इस लिए वो निसंकोच चली जा रही थी
लेकिन जैसे ही रीमा लॉबी तक आई तो उसके नथुनों में शराब की एक तेज़ गंध समां गयी और इस से पहले की वो कुछ सोचती उसकी नजर
सोफे पर बेठे एक लम्बे तगड़े अधेड़ आदमी पर पड़ी उसको देखते ही रीमा ठिठक गयी और उस आदमी ने रीमा को ऐसे घूर कर देखना शुरू कर दिया
मानो वो रीमा को आँखों ही आँखों में खा जाना चाहता हो ... एक तो उसके देखने का अंदाज़ इतना भद्दा था और उसपर उसकी आँखे बिलकुल सुर्ख थी ,
ये सब देखते ही रीमा की घिग्गी बांध गयी और एक बार को तो उसके मन में आया की वो वहां से भाग जाये लेकिन अभी वो कुछ सोचती इस से पहले ही
नीतू अपने हाथ में दूध का एक गिलास ले कर आ गयी और उसने रीमा से कहा .... ये लो रीमा हो जायेगा काम इतने से या और दूँ
रीमा ने कांपते हाथो से दूध का गिलास नीतू से लिया और पलट के जैसे ही जाने लगी तो नीतू ने आवाज दे कर रीमा को रोका और बोली ..
रीमा उस आदमी को देख कर पहले से ही घबराई हुई थी उसने नीतू की तरफ देख कर घबराते हुए कहा .... जी भाभी ?
नीतू ने कहा क्या हुआ रीमा तुम कुछ घबराई हुई सी लग रही हो क्या हुआ ,,,
अब बेचारी रीमा क्या बोलती उसकी तो हालत तो वैसे ही उस आदमी को देख कर ख़राब हो रही थी
उसने बहाना बनाते हुए कहा की चाय बन ने के लिए स्टोव पर रखी है ,
ये सुन कर नीतू ने मुस्कराते हुए कहा ... अच्छा ठीक है तो जा फिर .....
रीमा ने दूध का गिलास अपने हाथो में कस कर पकड़ा और नीतू को थैंक्यू बोल कर तेज़ कदमो से पलट गयी लेकिन रीमा को एहसास होने लगा
था की वो आदमी उसको जाते जाते भी बड़ी गन्दी निगाहों से घूर कर देख रहा है
इसलिए रीमा अपनी चाल को संयमित करके नीतू के घर से बहार निकल आई , बाहर आने के बाद रीमा ने एक गहरी सांस ली और वो अपने घर चली गयी
रीमा अपने घर तो आ गयी लेकिन उसके दिमाग में अभी भी उस आदमी का चेहरा घूम रहा था और वो मन ही मन सोच रही थी की आखिर वो कोन हो सकता है
जो इस तरह से नीतू के घर में बेठा था , और वहां से शराब की बदबू क्यों आ रही थी कोन पी रहा था वहां शराब ...
ये सब सवाल रीमा के दिमाग में खलबली मचा रहे थे , और फिर रीमा ने जल्दी से रोहन को चाय बना कर दी और रोहन से बोली आप चाय पीजिये में थोड़ी
देर आराम करुँगी मेरे सर में दर्द हो रहा है ,
रोहन ने कहा हम्म ठीक है तुम थोडा रेस्ट कर लो सुबह से उठी हुई हो आराम करने से अच्छा लगेगा , और फिर रीमा अन्दर कमरे में चली गयी और अपनी आँखे
बंद करके लेट गयी , रीमा की आँखे तो बंद थी लेकिन उसका दिमाग बड़ी तेज़ चल रहा था वो मन ही मन सोचने लगी थी की .....


रीमा अपनी आँखों को बंद करके मन ही मन सोचने लगी की नीतू का उस आदमी से क्या रिश्ता हो सकता है ?
कोन है वो आदमी जिसको अकेली होने के बावजूद नीतू ने अपने घर में इस तरह से पनाह दी हुई थी ?
उन दोनों के बीच में क्या हो सकता है ??
रीमा के दिमाग में इन्ही सब सवालो की गुत्थी अब और उलझती जा रही थी .....
...............................और उधर नीतू के घर में ................................................
नीतू के घर पर जिस आदमी को रीमा ने देखा था उसका नाम था अनिरुद्ध मलिक
लेकिन लोग उसको मलिक साहब कहकर ही बुलाते थे , उम्र ५० की हो गयी थी लेकिन बन्दे का मिजाज
अभी तक रंगीन था, मतलब कहने का ये था की उसकी ठरक अभी तक ख़तम नहीं हुई थी और अपनी इसी ठरक को
मिटाने के लिए वो आये दिन मजबूर और हालात की मारी लडकियों को अपने जाल में फंसाने के मंसूबे बनाता रहता था,
दौलत और रसूख दोनों की उसके पास ताकत थी इसलिए वो अपने नापाक इरादों में आसानी से कामयाब भी हो जाता था ,
और आज जब से उसने रीमा को देखा था तब से वो रीमा के योवन का प्यासा हो चूका था और वो रीमा के योवन का
रसपान करने के लिए तड़पने लगा था .........
इस वक़्त भी वो नीतू से रीमा के बारे में ही छानबीन कर रहा था ....
मलिक .. कोन थी ये आइटम.... साली बड़ी मस्त लग रही थी , कहते हुए मलिक अपने लिंग को सहलाने लगा
ये सब देख कर नीतू ने मुस्कराते हुए कहा ... उसका नाम रीमा है ...... यही रहती है मेरे पड़ोस में ,
मलिक ने एक आह भरते हुए कहा .. रीमा ....साली का नाम भी उतना ही सेक्सी है जितनी वो खुद है
हाय क्या चीज़ है साली ऊपर से नीचे तक क़यामत है ,कहते हुए मालिक अपने लिंग को फिर से सहलाने लगा
.अच्छा ये बता करता क्या है इसका आदमी ? मालिक ने घूर कर नीतू को देखते हुए पुछा .....
मलिक का दिमाग इस वक़्त कहाँ चल रहा है ये बात नीतू भी अच्छी तरह से जानती थी इसलिए वो मलिक के
जज्बातों को और भड़काते हुई बोली ... कुछ नहीं करता बेचारा अपाहिज है ...
अरे छोडिये न आपको क्या लेना देना इस सब से कहते हुए नीतू ने शराब की बोतल मेज के नीचे से निकाली और
मलिक के लिए एक तगड़ा सा पेग बना दिया और उसको पेग देते हुए बड़ी अदा से बोली
मलिक साहब रवि कब तक आएगा ? वो तो बोल कर गया था की २-३ दिन में आ जायेगा लेकिन अब तो उसको गए हुए
पुरे १० दिन हो गए है ?
मलिक ने पेग से चुस्की मारते हुए कहा ... आ जायेगा २-४ दिन में तूने कोन सा उसका आचार डालना है चल इधर आ
नीतू समझ गयी की मलिक का क्या हुक्म है और उसको क्या करना है ....
वो जाकर मलिक के पैरो के पास बेठ गयी और उसने मलिक की पेंट की चैन खोलकर
उसके लिंग को बाहर निकाला और फिर उस के लिंग को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया कुछ देर चाटने के बाद
नीतू ने मलिक के लिंग को मुंह में भर लिया और चूसने लगी मलिक अपनी आँखों को बंद करके चुसाई का सुख लेने लगा
लेकिन मलिक के दिमाग में शायद अभी भी रीमा का योवन घूम रहा था ....... इसलिए उसने नीतू से कहा .....
अभी तू इसको चुसना बंद कर पहले मुझे रीमा के बारे में कुछ बता उसकी पूरी स्टोरी बता मुझे ....
मालिक की बात सुन कर नीतू ने मालिक के लिंग को अपने मुंह से निकाला और फिर वो मलिक को रीमा के बारे में
जितना जानती थी बताना शुरू कर दिया और साथ ही साथ वो मलिक का लिंग भी अपने हाथ से सहलाये जा रही थी
मलिक पुरे ध्यान से नीतू की एक एक बात को सुन रहा था और जब नीतू को मलिक के हाव भाव से महसूस होने लगा की
मलिक अब रीमा के योवन को पाने के लिए कुछ भी कर सकता है तो उसने मलिक के अरमानो को घाव देते हुए कहा ...
मलिक साहब एक बात तो में आपको बताना भूल ही गयी ....मेने आज ही रीमा को अपने ऑफिस में काम पर लगवाया है
ये सुन कर मलिक.,तीखे स्वर में बोला , बावली है तू जो ऐसे मस्त माल की बेकद्री करवाने वहां ले गयी है इसको मेरे पास लाती
तो इसकी जिन्दगी बना देता में ...........रानी बना देता इसको .......
नीतू ने एक लम्बी सांस लेते हुए कहा .... हे राम आप को ऐसा क्यों लगता है की आप जिस लड़की पर नजर डालोगे वो
आपकी गोद में आकर बेठ ही जाएगी ,
मलिक ने भी पेग ख़तम करके मेज पर रखा और बोला .......कोई शक है तुझे ?... मेने आज तक जिस लोंडिया पर भी
नजर डाली है उसको अपने नीचे ले कर ही छोड़ा है... तू बाकियों की छोड़ अपनी ही सोच जरा तुझे मेने कैसे नीचे लिया था .......
याद है तुझे या भूल गयी .................कहते हुए मलिक ने बड़ी भद्दी हंसी हँसना शुरू कर दिया ...
और नीतू उसकी बात सुन कर मानो अर्श से फर्श पर गिर गयी हो वो एक दम शांत हो गयी और एक पल के लिए वो भी अपने
अतीत को सोचने को मजबूर हो गयी थी , लेकिन अगले कुछ ही पलो में उसने खुद को संभल लिया और मलिक के खाली गिलास
में फिर से पेग बनाने लगी उसको कुछ न बोलता देख कर मलिक ने कहा ... क्या हुआ सांप सूंघ गया क्या तुझे ?
नीतू ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा ...
मलिक साहब .....रीमा उस टाइप की औरत नहीं है जैसा आप सोच रहे हो वो मजबूर है लेकिन साथ ही बहुत शरीफ भी है और
जहाँ तक में उसको जानती हूँ वो बेहद पतिव्रता किस्म की औरत है क्योकि जिस हाल में वो अपने अपाहिज पति के साथ रह रही है
उन हालातो में रहना हरेक के बस की बात नहीं है इसी से पता चलता है की वो अपने पति से कितना प्यार करती है ...
और उसका पति उस से भी कहीं ज्यादा खुद्दार इंसान है ..वो भी रीमा से बेइंतहा प्यार करता है ,
वो तो रीमा के नौकरी करने के भी खिलाफ था लेकिन ......
नीतू को बात पूरी न करता देख मलिक ने कहा ... लेकिन क्या ,,,,? आगे तो बोल
नीतू ने कहा ... लेकिन उसके घर के हालात कुछ ऐसे हो चुके है की उसको मजबूरी में रीमा की जिद्द के आगे झुकना पड़ा और
रीमा की बात माननी पड़ी ,
मलिक ने कहा .... ह्म्म्म इसका मतलब ये तो साफ़ ही है की उनको पैसे की जरूरत है ......
नीतू ने इस बार बुरा सा मुंह बना कर कहा ,,, जरुरत है लेकिन इसका मतलब ये तो नहीं की वो सड़क पर खड़ी हो कर अपनी
नीलामी लगवा लेगी ... वो घरेलु औरत है कोई बाजारू धन्देवाली नहीं है
पैसे में बड़ी ताकत होती है मेरी जान और ये बात में तुझे साबित करके दिखाऊंगा ,कहते हुए मलिक ने अपने खाली गिलास
की तरफ इशारा किया तो नीतू समझ गयी और उसने गिलास में फिर से शराब भर दी और पानी डालते हुए बोली
मेने ऐसा कब कहा की पैसे में ताकत नहीं होती अगर पैसे में ताकत न होती तो आज आप रवि को बाहर भेज कर मेरे साथ
यहाँ न होते ,कहते हुए नीतू ने मलिक को ऐसे देखा मानो वो शिकायत कर रही हो .... मलिक भी पहुंचा हुआ खिलाडी था .... उसने
नीतू के उभार को कस के मसलते हुए कहा ....तू जानती है न की मेरे पास लोंडियो की कोई कमी नहीं है, अगर में चाहूँ तो लाइन
लगा कर लोंडिये मेरे आगे अपनी-२ खोल कर खड़ी हो जाये लेकिन तेरे से मुझे प्यार है इसलिए तो तेरे गांडू खसम को मुफ्त
की तनख्वाह दे रहा हूँ , तुझे अगर कोई ऐतराज है तो बोल कल ही उसको छुटी दे देता हूँ ,,
मलिक की बात सुन कर नीतू अन्दर ही अन्दर सिहर उठी उसने पैंतरा बदलते हुए मलिक को कामुक निगाहों से देखा और बोली
में भी तो आपसे बहुत प्यार करती हूँ इसीलिए तो आपके बिना ज्यादा दिन तक नहीं रह सकती
फिर नीतू ने मलिक को और मस्का लगाते हुए कहा
मलिक साहब रीमा भी एक न एक दिन लाइन पर आएगी लेकिन इस तरह से नहीं जैसे आप सोच रहे हो
मलिक पेग में सिप मारता हुआ बोला अच्छा तो फिर किस तरह आएगी जरा मुझे भी तो समझा ?
नीतू ने कहा आप बस कुछ दिन सब्र करिए में अपने हिसाब से जल्दी ही उसको लाइन पर ले आउंगी .........
मलिक भी अब तक शराब पी कर और लिंग को नीतू से सहलवा कर उत्तेजना से भर उठा था उसने नीतू के उभार को
कस कर दबाते हुए कहा चल अब बहुत देर हो गयी हल्का होने दे मुझे .....
नीतू मलिक का इशारा समझ गयी और वो उठ कर बेडरूम की और चल दी और उसके पीछे पीछे मालिक भी बेडरूम में चला गया
और अन्दर जाते ही वो नीतू पर ऐसे झपट पड़ा जैसे कोई कुत्ता हड्डी पर झपटता है .....
....................और इधर.........................
विचारो के समुन्दर में गोते लगाते हुए कब रीमा की आँख लग गयी उसको पता ही नहीं चला और वो गहरी नींद के आगोश में
चली गयी .....
रीमा को जब बहुत देर हो गयी तो रोहन भी व्हील चेयर पर बेठ कर अन्दर रीमा के पास चला गया और उसने ....

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