Saturday, November 30, 2013

FUN-MAZA-MASTI रोहन और रीमा--7

FUN-MAZA-MASTI
 रोहन और रीमा--7
 और फिर अगले दिन सुबह
रीमा ऑफिस टाइम पर ही तैयार हो गयी और तैयार होने के बाद
उसने जल्दी से रोहन के लिये चाय नाश्ता भी बना दिया
रोहन ने चाय पीते हुए रीमा से कहा .....
अगर आज भी तबियत ठीक नहीं लग रही हो तो बेशक मत जाओ ...
रीमा ने मुस्कराते हुए रोहन को देखा और बोली ....
आप मेरी फिक्र न करिए आज में जल्दी घर नहीं आउंगी
रोहन मुस्कराते हुए रीमा को देखने लगा ,
तभी नीतू की आवाज ने रीमा और रोहन दोनों को चोंका दिया क्योकि आज
नीतू ने घर के बाहर से ही रीमा को आवाज दी थी , रीमा ने रोहन को मुस्कराते हुए देखा
रोहन ने भी स्माइल देते हुए रीमा को विदा किया ...और फिर वो घर से निकल कर बाहर आ गयी ,
बाहर नीतू खड़ी थी उसने रीमा को देखते ही कहा चल जल्दी से चल और फिर वो दोनों अपनी
गली से बाहर निकल कर सड़क तक आ गयी , सड़क पर आते ही नीतू ने एक ऑटो को रोका
और इस से पहले की रीमा कुछ पूछती नीतू ने उसे ऑटो में बेठने को कहा
रीमा चुपचाप ऑटो में बेठ गयी और फिर नीतू उसके साथ वाली सीट पर बेठ गयी ...
बैठते ही नीतू ने ऑटो वाले को जिस जगह जाना था वहां का पता बताया ....
ऑटो वाले ने ऑटो स्टार्ट किया और नीतू ने उसको जो पता बताया था वो उस पते की और चल पड़ा ,
१५ मिनट तक सडको पर दौड़ने के बाद ऑटो वाला एक जगह रुक गया
नीतू जानती थी की उसकी मंजिल आ गयी है इसलिए उसने ऑटो से उतर कर ऑटो वाले को पैसे दिए और
रीमा को साथ ले कर सड़क की दूसरी तरफ बनी एक पुरानी सी ईमारत की तरफ चल दी ,
वो ईमारत बाहर से देखने में एक पुरानी हवेली जैसी लग रही थी ,लेकिन ईमारत में दाखिल होते ही
रीमा को स्कूल जैसा माहोल दिखाई देने लगा और फिर नीतू के साथ चलती हुई वो प्रिंसिपल के
कमरे के बाहर तक आ गयी ...
प्रिंसिपल के कमरे के बाहर स्टूल पर बेठे चपरासी को नीतू ने कहा ...
हमे मेडम से मिलना है ...
चपरासी ने कहा ...... मेडम आप अपना नाम बता दीजिये में बड़ी मेडम से पूछ कर आता हूँ
नीतू ने उसको अपना नाम बता दिया और फिर वो चपरासी प्रिंसिपल के कमरे में चला गया और जब
वो वापिस आया तो उसने कहा मेडम आप अन्दर जा सकती है ..
और फिर रीमा और नीतू प्रिंसिपल के कमरे में दाखिल हो गयी ,
तकरीबन ४० साल की उम्र की गेंहुए रंग और तीखे नैन नक्श वाली औरत सफ़ेद रंग की साड़ी में
बड़ी सी रिवाल्विंग चेयर पर विराज मान थी ,
आँखों पर गोल्डन फ्रेम वाला चश्मा उसकी शख्सियत को और ज्यादा प्रभावशाली बना रहा था
उसके आगे बड़ी सी मेज पर एक नेम प्लेट रखी थी जिसपर पीतल के अक्षरो में लिखा था ,
साधना गुप्ता ....जो की उसका नाम था ....
कमरे में दाखिल होते ही नीतू ने बड़े अदब से अपने दोनों हाथो को जोड़ कर उसको नमस्ते की
नीतू की देखा देखी रीमा ने भी साधना को हाथ जोड़ कर नमस्ते की ,
साधना ने मुस्कारते हुए दोनों की तरफ देखा और अपनी गर्दन को जुम्बिश देते हुए दोनों को
नमस्ते का जवाब दिया और फिर उसने उन दोनों को बेठने को कहा ,
नीतू और रीमा साधना के सामने पड़ी कुर्सियों पर बेठ गए कुछ देर तक नीतू से इधर उधर की
बाते करने के बाद साधना ने रीमा की और रूबरू होते हुए कहा ... यू आर रीमा हम्म
रीमा ने थोडा घबराते हुए कहा जी मेडम मेरा ही नाम रीमा है
साधना ने रीमा को गौर से देखा और बोली मुझे नीतू ने तुम्हारे बारे में सब कुछ बता दिया है इसलिए
तुम किसी बात की चिंता मत करो ,में सब संभाल लुंगी , बस जैसे जैसे में कहूँ वैसे वैसे करती जाना ठीक है
रीमा ने कहा जी ठीक है और फिर उसने रीमा से एक फॉर्म भरवाया और बोली ...
देखो रीमा अभी १ महीने तक तुम्हारी जॉब टेम्परेरी रहेगी और सेलरी होगी ३५०० और फिर जब तुम
परमानेंट हो जाओगी तो तुम्हारी सेलरी ५००० हो जाएगी , तुम्हे सुबह ८ बजे तक यहाँ आना होगा और
यहाँ की टीचर्स के लिए जो यूनिफार्म कंपलसरी है तुम भी वही पहन कर आओगी , ठीक है ..
रीमा ने अपनी गरदन को हिलाते हुए कहा जी मेडम ठीक है ...लेकिन वो यूनिफार्म ...
साधना ने रीमा की भावनाओ को समझते हुए कहा ...वो यूनिफार्म तुम्हे यही से मिलेगी में अभी दिलवाती हूँ
कहते हुए उसने अपनी मेज पर रखी बेल बजाई तो चपरासी अन्दर आ गया ,
साधना ने चपरासी से कहा .... इनको स्टोर में ले जाओ और दीप्ति मेडम से कहना की इनको यूनिफार्म दे दे
फिर साधना ने रीमा से कहा तुम इसके साथ स्टोर में चली जाओ और वहां से अपनी यूनिफार्म ले लो ...
रीमा उठ कर चपरासी के साथ स्टोर की तरफ चल दी और नीतू वही साधना के पास बेठी रही ...
चपरासी प्रिंसिपल के कमरे से निकल कर स्टोर की और चल दिया और रीमा उसके पीछे पीछे चल दी
स्टोर रूम प्रिंसिपल के रूम से ज्यादा दूर नहीं था , वहां जाकर चपरासी ने स्टोर कीपर दीप्ति से कहा
इनको बड़ी मेडम ने भेजा है टीचर वाली यूनिफार्म के लिए और इतना कहकर वो चला गया ,
चपरासी के जाने के बाद दीप्ति ने रीमा को गौर से देखा और बड़े ही अर्थपूर्ण ढंग से मुस्कराती हुई बोली ...
क्या नाम है तुम्हारा ?
रीमा ने उसकी और मुस्कराते हुए देखा और बोली .....जी रीमा
फिर दीप्ति ने स्टोर से निकाल कर २ नीले रंग की साड़ी और २ पेटीकोट रीमा को देते हुए कहा ...
ये लो ......बस अब ब्लाउज तुम्हे अपने पास से अरेंज करने होंगे ,
रीमा ने कहा ... जी कोई बात ....मेरे पास पहले से ही इस कलर का ब्लाउज है...
और रीमा दीप्ति से यूनिफार्म ले कर वापिस प्रिंसिपल के कमरे की और चल दी ...
जैसे ही रीमा प्रिंसिपल के कमरे के अन्दर पहुंची तो शायद उसी के बारे में ही जिक्र चल रहा था क्योकि रीमा के
आते ही वो दोनों सकपका कर चुप हो गयी और नीतू ने रीमा को देखते ही बात बदल दी वो बोली ...
मिल गयी यूनिफार्म ?
रीमा ने अपने हाथ में पोली की और इशारा करते हुए कहा हम्म मिल गयी ..
फिर नीतू ने साधना से कहा ...ठीक है आंटी फिर ये कल से आ जाएगी और फिर वो दोनों साधना से विदा ले कर
उसके कमरे से बाहर आ गयी ,
बाहर सड़क पर आने के बाद नीतू ने रीमा से कहा तू अब यहाँ से वापिस अपने घर चली जा और में
ऑफिस के लिए निकलती हूँ , नीतू की बात सुन कर रीमा ने कुछ सोचते हुए कहा ...
भाभी लेकिन में अभी घर चली गयी तो रोहन को क्या कहूँगी ...
रीमा की बात सुन कर नीतू ने अपने पर्स से १०० के ५ नोट निकाले और रीमा को देते हुए कहा
ये ले पहले ये पैसे अपने पास रख ....
रीमा ने झिझकते हुए कहा लेकिन भाभी आप ये पैसे मुझे क्यों दे रही हो ?
नीतू ने मुस्कराते हुए कहा अरे रख तो सही पहले फिर बताती हूँ ...
रीमा ने वो पैसे अपने बैग में रख लिए और नीतू को देखने लगी ....
नीतू ने कहा ...... तुझे अभी घर नहीं जाना इसलिए तू शाम तक मार्किट में घूम फिर कुछ खा पी और सिनेमा देख ..
पूरा दिन मस्ती कर और .शाम को घर चली जाना ....
नीतू की बात सुन कर रीमा घबराती हुई बोली ....


 लेकिन भाभी में तो आज तक अकेली कभी मार्किट में भी नहीं गयी और आप मुझसे घुमने फिरने और
सिनेमा देखने की बात कर रही है, सच कहूँ तो मुझे ये भी पता नहीं की सिनेमा हॉल है कहाँ ...
नहीं नहीं मेरे से नहीं होगा ये सब ... में घर ही चली जाती हूँ जो होगा देखा जायेगा ...
नीतू ने रीमा को देख कर अपनी आँखे नचाते हुए कहा अरी मेरी भोली सखी जब तक तू कही आयगी जाएगी नहीं
तो तुझ पता कैसे चलेगा की क्या चीज़ कहाँ पर है , और तू कोई दूध पीती बच्ची तो है नहीं जो कही खो जाएगी
सारी जिन्दगी इसी तरह से किसी की ऊँगली पकड़-२ कर ही चलती रहेगी तो बस कूप मंडूक बन के ही रह जाएगी ,
कहते हुए नीतू रीमा को गौर से देखने लगी और जब उसको लगने लगा की रीमा उसकी बातो को सुन कर कुछ
ज्यादा ही सीरियस होने लगी है तो उसने अपने चेहरे पर मायूसी लाते हुए कहा ....
रीमा अगर तुझे मेरी बातो का बुरा लगा हो तो प्लीज मुझे माफ़ करना पता नहीं में क्या क्या बोल गयी
नीतू का हाथ अपने हाथ में लेकर रीमा ने कहा नहीं भाभी आपने जो भी कहा वो सोलह आने सच ही तो कहा है
मुझे आपकी किसी भी बात का बुरा नहीं लगा , ,
नीतू की बातो ने रीमा के दिलो दिमाग पर गहरा असर डाल दिया था इसलिए रीमा ने भी फैसला कर ही लिया की
आज चाहे कुछ भी हो जाये वो अपनी इस दब्बू किस्म की छवि से बाहर निकल कर ही रहेगी
रीमा ने कहा ...ठीक है भाभी आप मुझे जहाँ जाना है वहां के लिए ऑटो करवा दीजिये
नीतू ने रीमा की बात सुन कर खुश होते हुए कहा गुड गर्ल और फिर उसने एक ऑटो रुकवाया और
ऑटो वाले से कहा मेडम को गोल मार्किट ले जाओ ....
रीमा ऑटो से गोल मार्किट की तरफ चल दी और नीतू ने अपने ऑफिस के लिए दूसरा ऑटो ले लिए
ऑटो वाले ने कुछ देर तक सडको पर घुमाने के बाद एक भीड़ भाड़ वाली जगह पर ले जाकर रीमा से कहा
मेडम गोल मार्किट आ गयी है रीमा ने ऑटो वाले को पैसे दिए और वो ऑटो से उतर कर मार्किट की तरफ पैदल
चलने लगी कुछ दूर चलने के बाद रीमा को एक जगह सिनेमा के पोस्टर दिखाई दिए पोस्टर देख कर रीमा समझ गयी
की यहाँ सिनेमा हाल है और रीमा उस बड़ी सी बिल्डिंग की और बड गयी जहाँ सिनेमा के पोस्टर लगे थे ..
दरअसल वो बड़ी सी बिल्डिंग किंग माल था ....
रीमा माल में दाखिल हो गयी लेकिन दाखिल होते ही एक से बढकर एक शोरूम जिनमे लेटेस्ट फैशन के कपडे ,ज्वेलरी,
कॉस्मेटिक और तरह तरह की चीज़े थी ये देखकर रीमा की आँखे चोंधिया गयी ,उसको लगने लगा की वो जिस दुनिया
को बेरंग समझ के जी रही है , वो तो सच में बड़ी रंगीन है,
रीमा के पास इतने पैसे तो थे नहीं की वो शोपिंग कर सके इसलिए वो माल में इधर उधर घुमती फिरती रही और
विंडो शोपिंग का मजा लेने लगी , और घूमते घूमते आखिरकार उसको सिनेमा का टिकट विंडो भी नजर आ गया ...
रीमा हिचकिचाते हुए विंडो पर चली गयी और वहां उसने हिम्मत करके एक टिकट ले ही ली ,
टिकट ले कर वो माल में प्रथम तल पर बने सिनेमा हॉल में चली गयी ,
पिक्चर शुरू हो चुकी थी इसलिए हॉल में नीम अँधेरा छाया हुआ था
टिकट चेकर ने टोर्च की रौशनी से रीमा को उसकी सीट दिखा दी और रीमा जाकर अपनी सीट पर बेठ गयी
और फिर जैसे ही अँधेरे में रीमा की आँखे देखने की अभ्यस्त हुई रीमा ने अपने आसपास एक सरसरी निगाह डाल
कर स्थिति का मुआयना किया ,रीमा के आस पास की सभी सीट खाली पड़ी थी वैसे तो तकरीबन पूरा हॉल ही खाली था
क्योकि दिन के शो में लोग कम ही होते है और जिस लाइन में रीमा की सीट थी उस लाइन में भी सिर्फ रीमा की सीट
की बायीं तरफ से ४-५ सीट छोड़ कर एक लड़का लड़की बेठे थे मतलब पूरी लाइन में रीमा को मिलाकर सिर्फ ३ ही लोग थे
बाकि पूरी लाइन खाली पड़ी थी और वो लड़का लड़की भी दोनों आपस में इतने मशगुल थे की उनको देखते ही रीमा समझ गयी
की वो दोनों लवर्स है ,
रीमा ने अपनी निगाहों को अब सिनेमा की स्क्रीन पर कर लिया और पिक्चर देखने लगी ,
कुछ देर बाद जैसे ही एक उत्तेजक द्रश्य आया तो रीमा का ध्यान किसी की फुसफुसाहट ने अपनी और आकर्षित कर लिया
और रीमा की निगाह यक बा यक अपने बायीं और बेठे उस जोड़े की तरफ चली गयी ..
और अब रीमा का पूरा ध्यान उन दोनों की तरफ हो गया .. वो लड़का शायद उस लड़की से कुछ कह रहा था और लड़की
मना कर रही थी इस लिए दोनों होले -२ फुसफुसाते हुए बोल रहे थे वो क्या बोल रहे थे ये तो रीमा को समझ नहीं आ रहा था
लेकिन इतना जरूर था की लड़की बार बार अपने टॉप को नीचे कर रही थी और वो लड़का बार बार उसके टॉप को ऊपर कर
रहा था ये देख कर रीमा की समझ में आने लगा की वो लड़का उस लड़की का टॉप उतरवाने को कह रहा है और लड़की इस
बात के लिए मान नहीं रही ,
अब रीमा का पूरा ध्यान उन दोनों की तरफ हो गया था वो कनखियों से सिर्फ उन दोनों को ही देख रही थी और अब
रीमा के कान भी उस फुसफुसाहट को सुनने की कोशिश रहे थे ,कोई उन को देख रहा है इस बात से अनजान वो दोनों
एक दुसरे से हरकते करने में मस्त थे ,और फिर शायद उस लड़की को लड़के ने मना लिए क्योकि लड़की ने अपने टॉप को
उतार दिया था और वो अब ब्रा में बेठी थी , और फिर वो लड़का उस लड़की के सीने में अपना मुंह घुसा कर बेठ गया
ये सब देख कर रीमा के मन में एक अनजाना सा डर और उत्तेजना पैदा होने लगी , रीमा का अब पूरा ध्यान उन दोनों की
तरफ था और वो कनखियों से लगातार उन दोनों को ही देख रही थी ,
कुछ देर बाद रीमा ने देखा की वो लड़की अपने साथ वाली सीट पर झुक गयी और अब शायद वो अपने आशिक का लिंग चूस
कर उसको मुख मैथुन का आन्नद दे रही थी क्योकि लड़का अपने हाथ से लड़की की कमर को सहला रहा था ,और उसके मुंह
से यस यस निकल रहा था ...
और इधर अब रीमा को अपने जिस्म में अजीब सी खुमारी महसूस होने लगी थी और वो अपने निचले
होंट को अपने दांतों से दबा कर अपनी उत्तेजना को दबाने की नाकाम सी कोशिश कर रही थी रीमा की धड़कने
तेज़ होने लगी और उसके कान सुर्ख होने लगे और फिर न चाहते हुए भी रीमा का हाथ अपने उभार पर चला गया और
वो अपने हाथ से अपने उभार को सहलाने लगी ,रीमा का पूरा ध्यान अब भी उन दोनों की तरफ ही था ....
और फिर वो लड़की अपनी सीट से उठी और उसने अपनी जींस को नीचे खिसका कर पैरो तक कर लिया और फिर वो लड़के की
गोद में बेठ गयी , कुछ देर तक ऐसे ही बेठे रहने के बाद उस लड़की ने अगली सीट को पकड़ लिया और अब वो होले -२
उस लड़के की गोद में कूदने लगी और रीमा को भी समझ में आ ही गया की वो लड़की अपनी योनी में उस लड़के का
लिंग धारण किये हुए है क्योकि अब उस लड़की और लड़के दोनों के मुंह से दबी दबी सिसकिया निकल रही थी
ये सब देख कर रीमा उत्तेजना से भरती चली गयी और उसको अब भली भांति एहसास होने लगा था की उसकी योनी गीली
हो चुकी है और रीमा को जैसे ही अपनी योनी में गीलेपन का एहसास होने लगा उसके लिए अब वहां रुकना बहुत मुश्किल
काम था , रीमा ने अपनी साड़ी के ऊपर से अपनी योनी को इस तरह से दबाया जैसे वो अपनी योनी का जायजा ले रही हो
और फिर रीमा अपनी सीट से उठी और सीधा हॉल के एग्जिट डोर की तरफ बड गयी ......





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