FUN-MAZA-MASTI
शुभारम्भ-30
चाची खिलखिला कर हँसने लगी......वो स्टूल पर उकडू बैठी थी. शर्ट उनकी जांघों पर ऊपर तक चढ़ आया था.....शर्ट सिमट कर उनकी चिकनी जांघें के जोड़ पर इकठ्ठा हो गया था. मुझे याद आया की चाची ने पेंटी नहीं पहनी है.
कीड़ा कुलबुलाने लगा.
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चाची थी की ठहाके मार मार कर हँसे ही जा रही थी.
शर्ट के ऊपर के दो बटन खुले होने से उनके मम्मे भी उभर उभर के अपनी गोलाईयां बता रहे था.
बाबुराव के हुँकार के साथ अपने सर उठाना शुरू कर दिया.
मेरी नज़रे चाची के मम्मो और उनकी जांघों के बीच इकठठी शर्ट पर ही ऊपर निचे हो रही थी और उसके साथ की बाबुराव भी ऊँचा निचा हो रहा था.
चाची ने हँसना बंद किया और ऑंखें तरेर के बोली, "नहाता क्यों नहीं रे.....बेशरम....क्या देख रहा है....?"
भेन्चोद क्या औरत है......मुझे पक्का यकीन था की मेरी नंगी गांड पर ठंडा पानी चाची ने जानबूझकर डाला था.
साली मादरचोद की मुनिया भी कुलबुलाती है मगर चूहा बिल्ली खेले बिना इसकी खुजाल नहीं मिटती.
मन मसोस कर मैं फिर से मुडा और नहाने के लिए शावर चालू करने लगा.
तभी झपाक के साथ खूब सारा ठंडा ठंडा पानी मेरी नंगी गांड और मेरी जांघ के पिछवाड़े पर पड़ा. ठंडा ठंडा पानी रिस रिस कर मेरे गोटों तक चला गया और मेरे बदन के एक एक नस सनसना गयी.
ठन्डे पानी और बाबूराव का कुछ कनेक्शन तो है बॉस.....
बाबूराव ने गुस्सैल सांड कि तरह फनफना का अपना सर उठाया और मेरा सुपाड़ा एक दम भक्क लाल होकर चमड़ी की चुनर उतार कर खुल्ली हवा में सांस लेने लगा.
गोटों से चूता ठंडा पानी मेरे बाबूराव की जड़ तक को सनसना रहा था, बाबूराव सावन महीने के पतंग के तरह ठुनकी मारने लगा.
मेरी पीठ अभी तक चाची की और थी इस लिए चाची बाबूराव का विकराल रूप नहीं देख पायी थी.
चाची तो अपनी हरकत पर खुश होकर ठहाके पर ठहाके लगा लगा कर हंस रही थी.
तभी मेरी नज़र मेरे पैरों के पास पड़ी बाल्टी पर गयी, बाल्टी आधी भरी थी मैंने आव देखा न ताव बाल्टी उठाई और मुड़कर एक झटके में चाची के ऊपर खाली कर दी,
"हाय....राम.......", इसके आगे चाची की आवाज़ घुट के रह गयी.
चाची एक दम से खड़ी हो गयी. पानी उनके पुरे बदन से टिप टिप कर के गिर रहा था. जो शर्ट उन्होंने से पहना था वो पूरी तरह से उनके बदन से चिपक गया था.
चाची ने पहले ही शर्ट के ऊपर वाले दो बटन लगाये नहीं थे पानी के जोर से एक बटन और खुल गया.
शर्ट अब चाची की गोल गोल नाभि तक खुला था और उनका दांया मम्मा उसमे से बाहर झांक रहा था.
चाची कुछ बोलने को हुयी मगर मैं थोडा आगे बड़ा तो चुप हो गयी.
मैं चाची के ठीक सामने सिर्फ कुछ इंच की दुरी पर खड़ा था.
मेरे बदन पर एक भी कपडा नहीं था और मैं चाची से सिर्फ कुछ इंच दूर.
चाची बोलते बोलते रुक गयी और मेरी आँखों में देखने लगी.
समय एक दम रुक गया था.....उत्तेजना से मेरा दिल धपाक धपाक धड़क रहा था....मनो मेरे कानो में हथोड़े पड़ रहे हो. मेरी नज़र चाची के चेहरे से फिसल कर नीचे जाने लगी.....शर्ट से निकल आये मम्मे की घुंडी मतलब निप्पल एकदम कड़क हो चुकी थी. चाची की एकदम नींद टूटी और उन्होंने अपने मम्मे को शर्ट के अंदर करने के लिया अपना हाथ उठाया.
मैंने उनका हाथ पहले ही पकड़ लिया और नीचे कर दिया. चाची ने अपना हाथ छुड़ा कर फिर से अपने बदन को ढकना चाहा मगर मैंने फिर से उनका हाथ पकड़ कर नीचे कर दिया.
अबकी बार उन्होंने हाथ छुड़ाने की कोशिश नहीं की....चाची बस एक टक मेरी आँखों में देखे जा रही थी.
उनकी साँसें तेज़ होने लगी.....और मेरे नंगे सीने पर टकराने लगी......उनका मुंह उत्तेजना और आश्चर्य से
खुला था......मैंने चाची का हाथ जो अपने हाथ में पकड़ा हुआ था उसे अपने फनफनाते ठुनकी मारते बाबूराव पर रख दिया.
चाची ने एक तेज़ सांस अंदर खींची.
चाची की नज़रें अभी तक मेरी नज़रों से मिली हुयी थी......चाची का हाथ मेरे बाबूराव पर बस ऐसे ही रखा था......मैंने अपना हाथ उठाया और चाची की ऑंखें मेरे हाथ का पीछा करने लगी......मेरा हाथ उनके शर्ट से बाहर झांकते मम्मे की और जाने लगा.....
चाची एकटक मेरे हाथ का सफ़र देख रही थी और मैं उनकी आँखों की चाल को.
जैसे ही मेरा हाथ उनके मम्मे को छूने वाला था उनकी आँखे बंद हो गयी और उन्होंने से अपने सर थोडा पीछे की और कर लिया और एक मदमाती आवाज़ गले से निकली....."म्म्म्म्म्म्म्म...."
मैंने उनके मम्मे को छुआ नहीं सिर्फ एक सेंटीमीटर पहले रुक गया....चाची के चेहरे पर हैरानी के भाव आये और उन्होंने ऑंखें खोल के मेरी आँखों में देखा और धीरे से अपने निचला होंट दांतो से काट कर आँखों आँखों में ही याचना की...मानो अपनी नशीली आँखों से कह रही हो की लल्ला मसल दे मेरे मम्मो को.......
मैंने कुछ नहीं किया बस चाची की आँखों में उमड़ते हवस और वासना के तूफान को देखता रहा.....
चाची का हाथ जो मेरे बाबूराव पर था......वो एकदम से मेरे बाबूराव पर कस गया और चाची ने बड़ी बेशर्मी से मेरी आँखों में देखते देखते ही मेरे पप्पू को उमेठना शुरू कर दिया......मेरे पप्पू की सारी नसे तो पहले ही ठन्डे पानी से सनसना रही थी....चाची की इस हरकत और अदा ने मेरे बाबूराव की टोपी उछाल दी....
मैंने चाची के मम्मे को अपनी हथेली में पूरा पकड़ कर मसल दिया.....चाची के गले से घुटी घुटी कराह निकली और उन्होंने अपना सर पीछे कर लिया और अपने बदन को मेरे बदन पर दबा दिया.
मेरा बाबूराव चाची की फौलादी पकड़ में था और मैं बेरहमी से उनके मम्मे को मसल रहा था.
मेरा दूसरा हाथ चाची के पीछे गया और उनकी गोल गोल गदराई गांड को सहलाने लगा......चाची अपनी गांड को मेरे हाथ पर दबा दिया.....ऊपर तो वो अपने मम्मे मेरी और दबा रही थी और निचे अपनी गांड मेरे हाथों पे घुमा रही थी.
चाची के होटों पर पानी की कुछ बुँदे बाथरूम की लाइट में ओस की बूंदों जैसी चमक रही थी.....मैंने अपने उत्तेजना से सूखे होंटों पर जुबान फेरी और चाची के लरजते होंटों पर झुक गया.
चाची ने तुरंत अपना मुंह खोल लिया और अपनी जीभ मेरे मुंह में डालने लगी.....मैंने चाची की गांड को कस कर मसल दिया......चाची किस करते करते ही सिसियाने लगी......उनका हाथ और ज़ोर से मेरे लंड को मुठियाने लगा.
मैंने चाची की शर्ट के बटन खोलने की कोशिश की ताकि दूसरा मम्मा भी आजाद हो सके.....भीग जाने से कपडा चिपक गया था ....बटन खुल ही नहीं पा रहे थे.....चाची ने मेरे होंटों पर से अपने होंट हटाये बिना अपने दोनों हाथों से शर्ट को को कॉलर के पास से पकड़ा और एक जोर से झटका दिया........
एक दो बटन तो टूट गए और बाकि शर्ट का नाज़ुक कपडा चाची की हवस के आगे क्या करता......
शर्ट चरररररर की आवाज़ के साथ फट गया. चाची ने दूसरे ही झटके में शर्ट को अपने बदन से अलग कर दिया....शर्ट का बचा हिस्सा निकलने के लिए वो थोडा अलग हुयी.....और मेरी ऑंखें अपने सामने का नज़ारा देख कर पपोटों में से बाहर आ गयी.....
चाची के भीगे बाल.....उनके कंधे और गर्दन पर चिपक गए थे.......दोनों मम्मे अपनी पूरी गोलाई के साथ अपना सर तान कर खड़े थे.....दोनों निप्पल ठन्डे पानी और उत्तेजना के मारे फूल कर अंगूर के दाने हो गए थे.......चाची की कमर तो और भी पतली थी....मगर उसे निचे आते आते कमर का कटाव खतरनाक अंधे मोड़ जैसे घुमाव खा रहा था.......कमर इतनी पतली और गांड इतनी बड़ी.........मेरा बाबूराव रूप के इस नज़ारे को ठुनकी मार कर सलामी देने लगा.
चाची की नाभि पर पानी की बूंदें चमक रही थी......चाची के पेट हल्का सा मांसल था......बस मोटा होने के पहले वाली हालत.......नाभि तो ऐसी नरम और गद्देदार लग रही थी की इसमें ही बाबूराव पेल दूँ.....
मेरी नज़ारे चाची की नज़रो से मिली....और न जाने क्यों मुझे शर्म सी आ गयी.....
चाची के चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान आ गयी और वो बोली,
"हाय राम......हरामी ......अब तुझे शर्म आ रही है.......मेरी ऐसी हालत कर दी कमीने....हट परे....और मेरा टॉवेल दे.....बेशरम........लल्ला.......तू बहुत बदमाश हो गया है रे........चल ला टॉवेल दे......"
मैं हक्का बक्का अपना खड़ा बाबूराव लिए अपने सामने खड़ी मादर जात नंगी चाची की बात सुन रहा था.
चाची फिर से मुस्कुराते हुए बोली, " राम....लल्ला.....दे...ना ....."
"क...क.....क्या दूँ चाची आपको ??????"
चाची ने निचे इशारा किया.....भेनचोद इशारा लंड की तरफ था की टॉवेल की तरफ ????
माँ की चूत.....हाथ तो आया पर मुंह को...मेरा मतलब है लंड को न लगा........
मैंने हिम्मत बटोरी, " च....च.....चाची......आप बाहर जा रहे हो क्या ?? "
चाची ने ऑंखें तरेरी, " और क्या राम......क्या यहीं पर ऐसे खड़ी रहू बेशरम......"
मेरे सामने इतनी कामुक और चुदैल औरत नंगी खड़ी और मैं उसे जाने दू........?
मैं टर्राया, " च....च.....च......वो.......म...म...मेरा मतलब......की......ये......अ...अ...मेरा.......
मेरा....यह दुखने लगा है......"
मैंने अपने बाबूराव की तरह इशारा किया जो इस परेशानी की घडी में भी अपने सर उठा कर खड़ा था.
चाची ने नज़रों से ही बाबूराव को सहलाते हुए कहा, " हाय......राम....इसका क्या......?...लल्ला....इसका ख्याल तो तेरी बीवी रखेगी......आज मैंने रख लिया तो मेरी बहु शिकायत न करेगी....की चाची अपने हमारी मलाई खा ली........"
"मलाई खा ली",........सुनते ही बाबूराव ने एक ठुनकी मार दी.
मलाई खाने के मतलब सोच सोच कर ही बाबूराव के आंसू निकल आये.....एक छोटी सी प्रीकम की बूंद बाबूराव के छेद से निकली और बाथरूम की लाइट में चमकने लगी.....
चमक तो चाची की आँखों में भी आ गयी थी........
किसी ने सच ही कहा है की औरत इमोशनल होती है आंसू नहीं देख सकती.....बाबूराव के आंसू देख कर चाची का मन या शायद उनका तन पिघल गया और वो बोली, "हाय......रामजी.......कहाँ फँस गयी....?"
"क....क.....क्या हुआ चाची...."
"कुछ नहीं से लल्ला.......तू कहता है न की ये ऐसी हालत में रहता तो तुझे दर्द होने लगता है.....? "
"हुंह....?......हाँ...हाँ.....अरे चाची......बहुत दुखता है........."
"तो तू एक कम कर.....हाथ से इसको हिला कर.........निकाल ले."
लो बहनचोद..........हाथ से हिला कर निकालना होता तो वो तो दिन में चार बार करता ही हूँ...मगर आज तो चाची की मुनिया चाहिए ...... अब क्या करू.....
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"च....चाची......हाथ से नहीं होता........."
"हाय राम.....कैसे नहीं होता........कर तो सही......"
बताओ....साली मादरचोद मेरे सामने नंगी खड़ी है........और मुझसे बोल रही है की मैं हाथ से हिला कर निकाल कर दिखाऊ.
हम लोंडे तो टीवी पर नाचती छोरियों को देख कर इतने टन्ना जाते है मत पूछो......अगर सामने चाची जैसे हवस की देवी नंगी खड़ी हो तो भाई....हिलाने की भी क्या जरुरत है........
मैंने ना में सर हिलाया तो चाची मस्कुराते हुए बोली, " हाय राम.....फिर दुखेगा तो......?"
मैंने सोचा चलो आखरी दांव मारते है......
"कोई बात नहीं चाची.......आप रहने दो...."
चाची को एक सेकण्ड कुछ समझ नहीं आया....." हैं.......?.......मतलब ........"
साली खुजाल तो उसकी मुनिया में भी थी. एक पल रुक के वो बोली
"राम...लल्ला.....तुझे दुखेगा रे..........."
लंड दुखेगा भेन की लोड़ी....
"न...न.....न...नहीं चाची....आ...हाँ....हाँ.....दुखेगा तो सही.....पर.....?
चाची ने ऐसे दिखाया मानो सोच रही हो....फिर बोली, " ला.....इधर आ मैं निकाल दूँ......."
फटफटी चल पड़ी
सचिन को २०० शतक लगा के भी इतनी ख़ुशी नहीं मिलेगी.....जितनी चाची की एक लाइन ने मुझे दे दी.
मैं चाची की और लपका, चाची ने हँसते हुए कहा,
" आराम से लल्ला जी.......हाथ से निकालने दो.....और कोई गलत हरकत मत करना.....और यह अपने दोनों हाथ पीछे कर लो ज़रा......"
मैंने अपने दोनों हाथ अपने सर के पीछे बांध लिए और खेल के मज़े लेने के लिए तैयार हो गया.
चाची ने अपनी ऊँगली बाबूराव के छेद पर फिराई ...मेरा पूरा बदन गनगना गया.
चाची ने अपनी ऊँगली को बाबूराव के आंसू, मतलब की प्रीकम से लथेड़ लिया......और अपनी ऊँगली बाबूराव के ऊपर चलाने लगी.......धीरे से उन्होंने बाबूराव के छेद पर अपने नाख़ून को गड़ा दिया.
मेरे मुंह से सिसकारी निकल गयी....चाची ने नकली शर्म भरी मुस्कान से मेरी और देखा और बाबूराव को अपने हाथ में जकड कर अपने हाथ को एक बार ऊपर निचे किया.......
इतने में ही मेरे गोटों में भरा वीर्य उबाल खाने लगा.
चाची ने अपनी ऊँगली को बाबूराव के प्रीकम में लपेटा,
मेरी ऑंखें फटी की फटी रह गयी......जब चाची ने वो ऊँगली अपने मुंह में डाल कर उसे चूस लिया और म्म्म्म्म्म्म कहा.
माँ का भोसड़ा........ ऐसा तो आज तक सनी लेओनी की नंगी पिक्चर में भी नहीं देखा था.
मैंने अपने दोनों हाथ से चाची के मम्मो को थामा और पागलों की तरह उन्हें मसलने लगा....
चाची कभी हंसती कभी खिलखिलाती कभी सिसकारी मारने लगती.
उनका हाथ फिर से मेरे बाबूराव पर था. और मैं तो पागल हो रहा था.
मैंने अपने हाथ उनकी चूत पर डाला. बिच वाली लम्बी ऊँगली जैसे उनकी मुनिया के मुंह पर टिकाई....
लबालब पानी छोड़ती मुनिया इतनी चिकनी हो गयी थी की मेरी ऊँगली सीधी उनकी मुनिया के अंदर चली गयी थी.
चाची ने दूसरे हाथ से मेरे बल पकडे और मेरे मुंह को निचे खिंच कर अपने मम्मो पर कर दिया.
मैंने अपने मुंह खोला और एक ही बार पुरे मम्मे को मुंह में ले लिया. एक पल मैं उनके मम्मे को जोर से चूसता दूसरे ही पल अपनी जीभ की नोक से उनके कड़क निप्पल को छेड देता.
चाची ने मेरे लंड को छोड़ा और मेरे बालों में हाथ फेरने लगी. उन्होंने अपने मुंह से एक मादक गुर्राहट निकली और मेरे बालों को खिंच कर मेरे मुंह को अपने होंटों पर रख लिया.
हमारे मुंह एकदूसरे से चिपक से गए......कभी जीभ लड़ाते कभी होंटों को चूसते.....कभी दोनों जीभ बाहर निकाल कर नोक से नोक टकराते......और फिर ज़ोर ज़ोर से होंटों को चूसने लगते...
वासना का चुम्बन इतना गरम था की उत्तेजना से चाची का पूरा बदन कांपने लगा था.
अब तो मुझ से रुकते ही नहीं बन रहा था. मैंने चाची की गांड के दोनों गोलों को पकड़ा और चाची को ऊपर उठाने लगा.....पहले तो चाची को समझ नहीं आया फिर वो समझ गयी.....और ऊपर उठ गयी और अपने पैरों को मोड़ लिया.
मैंने चाची की टांगों के नीच से हाथ डाल कर उन्हें पूरा हवा में उठा लिया. चाची ने अपनी बांहे मेरे गले माँ डाल दी....और अपनी टंगे चौड़ी कर के अपने बदन को मेरे बदन से चिपका लिया.....अब उनकी वासना के रस से सरोबोर मुनिया ठीक मेरे ठुनकी मारते बाबूराव के ऊपर थी....चाची ने अपने हाथ को निचे डाल कर बाबूराव को पकड़ा और सीधे बाबूराव के सुपाड़े तो अपनी तमतमाती मुनिया के मुंह पर रख दिया......और धीरे से निचे हो गयी....बाकि का काम मैंने एक जबर्दस्त धक्का मारकर कर दिया.
बाबूराव और मुनिया का मिलन हो चूका था.
चाची ने अपने दोनों हाथों को मेरी गर्दन पर डाल रखा था....और जब भी उछाल कर मेरे लंड पर अपनी चूत गिराती मुझे तारे चाँद सूरज ग्रह उपग्रह सब दिख जाते...
चाची हुंकार मार मार कर अपनी मुनिया से बाबूराव को पीस रही थी मानो चटनी बना रही हो......चाची की मुनिया का अमृत बाबूराव की रगड़ाई से मलाई बन बन कर मेरी जांघों पर गिर रहा था और मुझे महसूस हो रहा था की मेरी पूरी जांघ उससे सन गई है.
चाची ने मुझे ज़ोर से जकड दिया और अपने मम्मे मेरी छाती पर दबा दी दिए ....और सिसकारी मारते मारते अपने पूरा बदन को कड़क कर लिया और सिर्फ अपनी गांड को गोल गोल घुमाने लगी.
क्या नज़ारा था.....बाथरूम की दीवार पर लगा शीशा मुझे लाइव शो दिखा रहा था.......चोदने का मज़ा लंड को और देखने का मज़ा आँखों को.....और क्या चाहिए बॉस ??
चाची कि सांसों कि रफ़्तार बढ़ती जा रही थी....और मेरे भी गोटें सनसनाने लगे थे.
चाची ने अपनी गांड को और ज़ोर ज़ोर से हिलना शुरू कर दिया.....अब तो कभी तो अपनी कमर को पूरा ऊपर तक उठा कर धपाक से साथ मेरे लंड पर गिरती और कभी गांड को सिकोड़ कर मेरे लंड का मख्खन निकलने लगती.....तभी चाची से ज़ोर से आह भरी और सिककते हुए बोली.
" हाय......हाय......हरामी........हाँ......हाँ.......और ज़ोर से.........आह......लल्ला......रे.........आह.......
हाँ रे.......लगा......लगा.......आह.......चोद दे....रे..........आआह.......चोद ....मादरचोद.........आआअ
चाची का पूरा बदन कड़क हो गया.......और वो पागलों कि तरह मेरे लंड पर उछलने लगी.......मम्मे को मेर छाती पर दबा दिया......और मेरे होंटों को अपने मुंह में ले लिया......
मैंने भी अपने गोटों कि सुरसुरी महसूस कि और चाची कि गांड पर अपनी पकड़ मज़बूत करते धपाधप धक्के देना शुरू कर दिए....
चाची तो चिल्ला चिल्ला कर उछलने लगी......"हाय......हाँ मेरे लल्ला......निकाल.....निकाल दे रे......"
और मेरे अरमानों का दरिया बह निकला.........मेरे गोटों एक दम कड़क हो गए और मेरा तो बैलेंस ही बिगड़ गया मगर मैंने चाची कि पीठ को दिवार पर टिका दिया और उनकी गांड को सामान रखने वाले आले पर टिका दिया.
मैं कुत्ते जैसा हांफ रहा था और बेचारी चाची तो अभी भी मेरी कमर पर अपने टंगे लपेटे बस ऑंखें बंद किये मिमिया रही थी...
चाची ने अपनी आँखे खोली और बोली, "लल्ला.......तू बहुत कमीना हो गया रे......."
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चाची खिलखिला कर हँसने लगी......वो स्टूल पर उकडू बैठी थी. शर्ट उनकी जांघों पर ऊपर तक चढ़ आया था.....शर्ट सिमट कर उनकी चिकनी जांघें के जोड़ पर इकठ्ठा हो गया था. मुझे याद आया की चाची ने पेंटी नहीं पहनी है.
कीड़ा कुलबुलाने लगा.
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चाची थी की ठहाके मार मार कर हँसे ही जा रही थी.
शर्ट के ऊपर के दो बटन खुले होने से उनके मम्मे भी उभर उभर के अपनी गोलाईयां बता रहे था.
बाबुराव के हुँकार के साथ अपने सर उठाना शुरू कर दिया.
मेरी नज़रे चाची के मम्मो और उनकी जांघों के बीच इकठठी शर्ट पर ही ऊपर निचे हो रही थी और उसके साथ की बाबुराव भी ऊँचा निचा हो रहा था.
चाची ने हँसना बंद किया और ऑंखें तरेर के बोली, "नहाता क्यों नहीं रे.....बेशरम....क्या देख रहा है....?"
भेन्चोद क्या औरत है......मुझे पक्का यकीन था की मेरी नंगी गांड पर ठंडा पानी चाची ने जानबूझकर डाला था.
साली मादरचोद की मुनिया भी कुलबुलाती है मगर चूहा बिल्ली खेले बिना इसकी खुजाल नहीं मिटती.
मन मसोस कर मैं फिर से मुडा और नहाने के लिए शावर चालू करने लगा.
तभी झपाक के साथ खूब सारा ठंडा ठंडा पानी मेरी नंगी गांड और मेरी जांघ के पिछवाड़े पर पड़ा. ठंडा ठंडा पानी रिस रिस कर मेरे गोटों तक चला गया और मेरे बदन के एक एक नस सनसना गयी.
ठन्डे पानी और बाबूराव का कुछ कनेक्शन तो है बॉस.....
बाबूराव ने गुस्सैल सांड कि तरह फनफना का अपना सर उठाया और मेरा सुपाड़ा एक दम भक्क लाल होकर चमड़ी की चुनर उतार कर खुल्ली हवा में सांस लेने लगा.
गोटों से चूता ठंडा पानी मेरे बाबूराव की जड़ तक को सनसना रहा था, बाबूराव सावन महीने के पतंग के तरह ठुनकी मारने लगा.
मेरी पीठ अभी तक चाची की और थी इस लिए चाची बाबूराव का विकराल रूप नहीं देख पायी थी.
चाची तो अपनी हरकत पर खुश होकर ठहाके पर ठहाके लगा लगा कर हंस रही थी.
तभी मेरी नज़र मेरे पैरों के पास पड़ी बाल्टी पर गयी, बाल्टी आधी भरी थी मैंने आव देखा न ताव बाल्टी उठाई और मुड़कर एक झटके में चाची के ऊपर खाली कर दी,
"हाय....राम.......", इसके आगे चाची की आवाज़ घुट के रह गयी.
चाची एक दम से खड़ी हो गयी. पानी उनके पुरे बदन से टिप टिप कर के गिर रहा था. जो शर्ट उन्होंने से पहना था वो पूरी तरह से उनके बदन से चिपक गया था.
चाची ने पहले ही शर्ट के ऊपर वाले दो बटन लगाये नहीं थे पानी के जोर से एक बटन और खुल गया.
शर्ट अब चाची की गोल गोल नाभि तक खुला था और उनका दांया मम्मा उसमे से बाहर झांक रहा था.
चाची कुछ बोलने को हुयी मगर मैं थोडा आगे बड़ा तो चुप हो गयी.
मैं चाची के ठीक सामने सिर्फ कुछ इंच की दुरी पर खड़ा था.
मेरे बदन पर एक भी कपडा नहीं था और मैं चाची से सिर्फ कुछ इंच दूर.
चाची बोलते बोलते रुक गयी और मेरी आँखों में देखने लगी.
समय एक दम रुक गया था.....उत्तेजना से मेरा दिल धपाक धपाक धड़क रहा था....मनो मेरे कानो में हथोड़े पड़ रहे हो. मेरी नज़र चाची के चेहरे से फिसल कर नीचे जाने लगी.....शर्ट से निकल आये मम्मे की घुंडी मतलब निप्पल एकदम कड़क हो चुकी थी. चाची की एकदम नींद टूटी और उन्होंने अपने मम्मे को शर्ट के अंदर करने के लिया अपना हाथ उठाया.
मैंने उनका हाथ पहले ही पकड़ लिया और नीचे कर दिया. चाची ने अपना हाथ छुड़ा कर फिर से अपने बदन को ढकना चाहा मगर मैंने फिर से उनका हाथ पकड़ कर नीचे कर दिया.
अबकी बार उन्होंने हाथ छुड़ाने की कोशिश नहीं की....चाची बस एक टक मेरी आँखों में देखे जा रही थी.
उनकी साँसें तेज़ होने लगी.....और मेरे नंगे सीने पर टकराने लगी......उनका मुंह उत्तेजना और आश्चर्य से
खुला था......मैंने चाची का हाथ जो अपने हाथ में पकड़ा हुआ था उसे अपने फनफनाते ठुनकी मारते बाबूराव पर रख दिया.
चाची ने एक तेज़ सांस अंदर खींची.
चाची की नज़रें अभी तक मेरी नज़रों से मिली हुयी थी......चाची का हाथ मेरे बाबूराव पर बस ऐसे ही रखा था......मैंने अपना हाथ उठाया और चाची की ऑंखें मेरे हाथ का पीछा करने लगी......मेरा हाथ उनके शर्ट से बाहर झांकते मम्मे की और जाने लगा.....
चाची एकटक मेरे हाथ का सफ़र देख रही थी और मैं उनकी आँखों की चाल को.
जैसे ही मेरा हाथ उनके मम्मे को छूने वाला था उनकी आँखे बंद हो गयी और उन्होंने से अपने सर थोडा पीछे की और कर लिया और एक मदमाती आवाज़ गले से निकली....."म्म्म्म्म्म्म्म...."
मैंने उनके मम्मे को छुआ नहीं सिर्फ एक सेंटीमीटर पहले रुक गया....चाची के चेहरे पर हैरानी के भाव आये और उन्होंने ऑंखें खोल के मेरी आँखों में देखा और धीरे से अपने निचला होंट दांतो से काट कर आँखों आँखों में ही याचना की...मानो अपनी नशीली आँखों से कह रही हो की लल्ला मसल दे मेरे मम्मो को.......
मैंने कुछ नहीं किया बस चाची की आँखों में उमड़ते हवस और वासना के तूफान को देखता रहा.....
चाची का हाथ जो मेरे बाबूराव पर था......वो एकदम से मेरे बाबूराव पर कस गया और चाची ने बड़ी बेशर्मी से मेरी आँखों में देखते देखते ही मेरे पप्पू को उमेठना शुरू कर दिया......मेरे पप्पू की सारी नसे तो पहले ही ठन्डे पानी से सनसना रही थी....चाची की इस हरकत और अदा ने मेरे बाबूराव की टोपी उछाल दी....
मैंने चाची के मम्मे को अपनी हथेली में पूरा पकड़ कर मसल दिया.....चाची के गले से घुटी घुटी कराह निकली और उन्होंने अपना सर पीछे कर लिया और अपने बदन को मेरे बदन पर दबा दिया.
मेरा बाबूराव चाची की फौलादी पकड़ में था और मैं बेरहमी से उनके मम्मे को मसल रहा था.
मेरा दूसरा हाथ चाची के पीछे गया और उनकी गोल गोल गदराई गांड को सहलाने लगा......चाची अपनी गांड को मेरे हाथ पर दबा दिया.....ऊपर तो वो अपने मम्मे मेरी और दबा रही थी और निचे अपनी गांड मेरे हाथों पे घुमा रही थी.
चाची के होटों पर पानी की कुछ बुँदे बाथरूम की लाइट में ओस की बूंदों जैसी चमक रही थी.....मैंने अपने उत्तेजना से सूखे होंटों पर जुबान फेरी और चाची के लरजते होंटों पर झुक गया.
चाची ने तुरंत अपना मुंह खोल लिया और अपनी जीभ मेरे मुंह में डालने लगी.....मैंने चाची की गांड को कस कर मसल दिया......चाची किस करते करते ही सिसियाने लगी......उनका हाथ और ज़ोर से मेरे लंड को मुठियाने लगा.
मैंने चाची की शर्ट के बटन खोलने की कोशिश की ताकि दूसरा मम्मा भी आजाद हो सके.....भीग जाने से कपडा चिपक गया था ....बटन खुल ही नहीं पा रहे थे.....चाची ने मेरे होंटों पर से अपने होंट हटाये बिना अपने दोनों हाथों से शर्ट को को कॉलर के पास से पकड़ा और एक जोर से झटका दिया........
एक दो बटन तो टूट गए और बाकि शर्ट का नाज़ुक कपडा चाची की हवस के आगे क्या करता......
शर्ट चरररररर की आवाज़ के साथ फट गया. चाची ने दूसरे ही झटके में शर्ट को अपने बदन से अलग कर दिया....शर्ट का बचा हिस्सा निकलने के लिए वो थोडा अलग हुयी.....और मेरी ऑंखें अपने सामने का नज़ारा देख कर पपोटों में से बाहर आ गयी.....
चाची के भीगे बाल.....उनके कंधे और गर्दन पर चिपक गए थे.......दोनों मम्मे अपनी पूरी गोलाई के साथ अपना सर तान कर खड़े थे.....दोनों निप्पल ठन्डे पानी और उत्तेजना के मारे फूल कर अंगूर के दाने हो गए थे.......चाची की कमर तो और भी पतली थी....मगर उसे निचे आते आते कमर का कटाव खतरनाक अंधे मोड़ जैसे घुमाव खा रहा था.......कमर इतनी पतली और गांड इतनी बड़ी.........मेरा बाबूराव रूप के इस नज़ारे को ठुनकी मार कर सलामी देने लगा.
चाची की नाभि पर पानी की बूंदें चमक रही थी......चाची के पेट हल्का सा मांसल था......बस मोटा होने के पहले वाली हालत.......नाभि तो ऐसी नरम और गद्देदार लग रही थी की इसमें ही बाबूराव पेल दूँ.....
मेरी नज़ारे चाची की नज़रो से मिली....और न जाने क्यों मुझे शर्म सी आ गयी.....
चाची के चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान आ गयी और वो बोली,
"हाय राम......हरामी ......अब तुझे शर्म आ रही है.......मेरी ऐसी हालत कर दी कमीने....हट परे....और मेरा टॉवेल दे.....बेशरम........लल्ला.......तू बहुत बदमाश हो गया है रे........चल ला टॉवेल दे......"
मैं हक्का बक्का अपना खड़ा बाबूराव लिए अपने सामने खड़ी मादर जात नंगी चाची की बात सुन रहा था.
चाची फिर से मुस्कुराते हुए बोली, " राम....लल्ला.....दे...ना ....."
"क...क.....क्या दूँ चाची आपको ??????"
चाची ने निचे इशारा किया.....भेनचोद इशारा लंड की तरफ था की टॉवेल की तरफ ????
माँ की चूत.....हाथ तो आया पर मुंह को...मेरा मतलब है लंड को न लगा........
मैंने हिम्मत बटोरी, " च....च.....चाची......आप बाहर जा रहे हो क्या ?? "
चाची ने ऑंखें तरेरी, " और क्या राम......क्या यहीं पर ऐसे खड़ी रहू बेशरम......"
मेरे सामने इतनी कामुक और चुदैल औरत नंगी खड़ी और मैं उसे जाने दू........?
मैं टर्राया, " च....च.....च......वो.......म...म...मेरा मतलब......की......ये......अ...अ...मेरा.......
मेरा....यह दुखने लगा है......"
मैंने अपने बाबूराव की तरह इशारा किया जो इस परेशानी की घडी में भी अपने सर उठा कर खड़ा था.
चाची ने नज़रों से ही बाबूराव को सहलाते हुए कहा, " हाय......राम....इसका क्या......?...लल्ला....इसका ख्याल तो तेरी बीवी रखेगी......आज मैंने रख लिया तो मेरी बहु शिकायत न करेगी....की चाची अपने हमारी मलाई खा ली........"
"मलाई खा ली",........सुनते ही बाबूराव ने एक ठुनकी मार दी.
मलाई खाने के मतलब सोच सोच कर ही बाबूराव के आंसू निकल आये.....एक छोटी सी प्रीकम की बूंद बाबूराव के छेद से निकली और बाथरूम की लाइट में चमकने लगी.....
चमक तो चाची की आँखों में भी आ गयी थी........
किसी ने सच ही कहा है की औरत इमोशनल होती है आंसू नहीं देख सकती.....बाबूराव के आंसू देख कर चाची का मन या शायद उनका तन पिघल गया और वो बोली, "हाय......रामजी.......कहाँ फँस गयी....?"
"क....क.....क्या हुआ चाची...."
"कुछ नहीं से लल्ला.......तू कहता है न की ये ऐसी हालत में रहता तो तुझे दर्द होने लगता है.....? "
"हुंह....?......हाँ...हाँ.....अरे चाची......बहुत दुखता है........."
"तो तू एक कम कर.....हाथ से इसको हिला कर.........निकाल ले."
लो बहनचोद..........हाथ से हिला कर निकालना होता तो वो तो दिन में चार बार करता ही हूँ...मगर आज तो चाची की मुनिया चाहिए ...... अब क्या करू.....
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"च....चाची......हाथ से नहीं होता........."
"हाय राम.....कैसे नहीं होता........कर तो सही......"
बताओ....साली मादरचोद मेरे सामने नंगी खड़ी है........और मुझसे बोल रही है की मैं हाथ से हिला कर निकाल कर दिखाऊ.
हम लोंडे तो टीवी पर नाचती छोरियों को देख कर इतने टन्ना जाते है मत पूछो......अगर सामने चाची जैसे हवस की देवी नंगी खड़ी हो तो भाई....हिलाने की भी क्या जरुरत है........
मैंने ना में सर हिलाया तो चाची मस्कुराते हुए बोली, " हाय राम.....फिर दुखेगा तो......?"
मैंने सोचा चलो आखरी दांव मारते है......
"कोई बात नहीं चाची.......आप रहने दो...."
चाची को एक सेकण्ड कुछ समझ नहीं आया....." हैं.......?.......मतलब ........"
साली खुजाल तो उसकी मुनिया में भी थी. एक पल रुक के वो बोली
"राम...लल्ला.....तुझे दुखेगा रे..........."
लंड दुखेगा भेन की लोड़ी....
"न...न.....न...नहीं चाची....आ...हाँ....हाँ.....दुखेगा तो सही.....पर.....?
चाची ने ऐसे दिखाया मानो सोच रही हो....फिर बोली, " ला.....इधर आ मैं निकाल दूँ......."
फटफटी चल पड़ी
सचिन को २०० शतक लगा के भी इतनी ख़ुशी नहीं मिलेगी.....जितनी चाची की एक लाइन ने मुझे दे दी.
मैं चाची की और लपका, चाची ने हँसते हुए कहा,
" आराम से लल्ला जी.......हाथ से निकालने दो.....और कोई गलत हरकत मत करना.....और यह अपने दोनों हाथ पीछे कर लो ज़रा......"
मैंने अपने दोनों हाथ अपने सर के पीछे बांध लिए और खेल के मज़े लेने के लिए तैयार हो गया.
चाची ने अपनी ऊँगली बाबूराव के छेद पर फिराई ...मेरा पूरा बदन गनगना गया.
चाची ने अपनी ऊँगली को बाबूराव के आंसू, मतलब की प्रीकम से लथेड़ लिया......और अपनी ऊँगली बाबूराव के ऊपर चलाने लगी.......धीरे से उन्होंने बाबूराव के छेद पर अपने नाख़ून को गड़ा दिया.
मेरे मुंह से सिसकारी निकल गयी....चाची ने नकली शर्म भरी मुस्कान से मेरी और देखा और बाबूराव को अपने हाथ में जकड कर अपने हाथ को एक बार ऊपर निचे किया.......
इतने में ही मेरे गोटों में भरा वीर्य उबाल खाने लगा.
चाची ने अपनी ऊँगली को बाबूराव के प्रीकम में लपेटा,
मेरी ऑंखें फटी की फटी रह गयी......जब चाची ने वो ऊँगली अपने मुंह में डाल कर उसे चूस लिया और म्म्म्म्म्म्म कहा.
माँ का भोसड़ा........ ऐसा तो आज तक सनी लेओनी की नंगी पिक्चर में भी नहीं देखा था.
मैंने अपने दोनों हाथ से चाची के मम्मो को थामा और पागलों की तरह उन्हें मसलने लगा....
चाची कभी हंसती कभी खिलखिलाती कभी सिसकारी मारने लगती.
उनका हाथ फिर से मेरे बाबूराव पर था. और मैं तो पागल हो रहा था.
मैंने अपने हाथ उनकी चूत पर डाला. बिच वाली लम्बी ऊँगली जैसे उनकी मुनिया के मुंह पर टिकाई....
लबालब पानी छोड़ती मुनिया इतनी चिकनी हो गयी थी की मेरी ऊँगली सीधी उनकी मुनिया के अंदर चली गयी थी.
चाची ने दूसरे हाथ से मेरे बल पकडे और मेरे मुंह को निचे खिंच कर अपने मम्मो पर कर दिया.
मैंने अपने मुंह खोला और एक ही बार पुरे मम्मे को मुंह में ले लिया. एक पल मैं उनके मम्मे को जोर से चूसता दूसरे ही पल अपनी जीभ की नोक से उनके कड़क निप्पल को छेड देता.
चाची ने मेरे लंड को छोड़ा और मेरे बालों में हाथ फेरने लगी. उन्होंने अपने मुंह से एक मादक गुर्राहट निकली और मेरे बालों को खिंच कर मेरे मुंह को अपने होंटों पर रख लिया.
हमारे मुंह एकदूसरे से चिपक से गए......कभी जीभ लड़ाते कभी होंटों को चूसते.....कभी दोनों जीभ बाहर निकाल कर नोक से नोक टकराते......और फिर ज़ोर ज़ोर से होंटों को चूसने लगते...
वासना का चुम्बन इतना गरम था की उत्तेजना से चाची का पूरा बदन कांपने लगा था.
अब तो मुझ से रुकते ही नहीं बन रहा था. मैंने चाची की गांड के दोनों गोलों को पकड़ा और चाची को ऊपर उठाने लगा.....पहले तो चाची को समझ नहीं आया फिर वो समझ गयी.....और ऊपर उठ गयी और अपने पैरों को मोड़ लिया.
मैंने चाची की टांगों के नीच से हाथ डाल कर उन्हें पूरा हवा में उठा लिया. चाची ने अपनी बांहे मेरे गले माँ डाल दी....और अपनी टंगे चौड़ी कर के अपने बदन को मेरे बदन से चिपका लिया.....अब उनकी वासना के रस से सरोबोर मुनिया ठीक मेरे ठुनकी मारते बाबूराव के ऊपर थी....चाची ने अपने हाथ को निचे डाल कर बाबूराव को पकड़ा और सीधे बाबूराव के सुपाड़े तो अपनी तमतमाती मुनिया के मुंह पर रख दिया......और धीरे से निचे हो गयी....बाकि का काम मैंने एक जबर्दस्त धक्का मारकर कर दिया.
बाबूराव और मुनिया का मिलन हो चूका था.
चाची ने अपने दोनों हाथों को मेरी गर्दन पर डाल रखा था....और जब भी उछाल कर मेरे लंड पर अपनी चूत गिराती मुझे तारे चाँद सूरज ग्रह उपग्रह सब दिख जाते...
चाची हुंकार मार मार कर अपनी मुनिया से बाबूराव को पीस रही थी मानो चटनी बना रही हो......चाची की मुनिया का अमृत बाबूराव की रगड़ाई से मलाई बन बन कर मेरी जांघों पर गिर रहा था और मुझे महसूस हो रहा था की मेरी पूरी जांघ उससे सन गई है.
चाची ने मुझे ज़ोर से जकड दिया और अपने मम्मे मेरी छाती पर दबा दी दिए ....और सिसकारी मारते मारते अपने पूरा बदन को कड़क कर लिया और सिर्फ अपनी गांड को गोल गोल घुमाने लगी.
क्या नज़ारा था.....बाथरूम की दीवार पर लगा शीशा मुझे लाइव शो दिखा रहा था.......चोदने का मज़ा लंड को और देखने का मज़ा आँखों को.....और क्या चाहिए बॉस ??
चाची कि सांसों कि रफ़्तार बढ़ती जा रही थी....और मेरे भी गोटें सनसनाने लगे थे.
चाची ने अपनी गांड को और ज़ोर ज़ोर से हिलना शुरू कर दिया.....अब तो कभी तो अपनी कमर को पूरा ऊपर तक उठा कर धपाक से साथ मेरे लंड पर गिरती और कभी गांड को सिकोड़ कर मेरे लंड का मख्खन निकलने लगती.....तभी चाची से ज़ोर से आह भरी और सिककते हुए बोली.
" हाय......हाय......हरामी........हाँ......हाँ.......और ज़ोर से.........आह......लल्ला......रे.........आह.......
हाँ रे.......लगा......लगा.......आह.......चोद दे....रे..........आआह.......चोद ....मादरचोद.........आआअ
चाची का पूरा बदन कड़क हो गया.......और वो पागलों कि तरह मेरे लंड पर उछलने लगी.......मम्मे को मेर छाती पर दबा दिया......और मेरे होंटों को अपने मुंह में ले लिया......
मैंने भी अपने गोटों कि सुरसुरी महसूस कि और चाची कि गांड पर अपनी पकड़ मज़बूत करते धपाधप धक्के देना शुरू कर दिए....
चाची तो चिल्ला चिल्ला कर उछलने लगी......"हाय......हाँ मेरे लल्ला......निकाल.....निकाल दे रे......"
और मेरे अरमानों का दरिया बह निकला.........मेरे गोटों एक दम कड़क हो गए और मेरा तो बैलेंस ही बिगड़ गया मगर मैंने चाची कि पीठ को दिवार पर टिका दिया और उनकी गांड को सामान रखने वाले आले पर टिका दिया.
मैं कुत्ते जैसा हांफ रहा था और बेचारी चाची तो अभी भी मेरी कमर पर अपने टंगे लपेटे बस ऑंखें बंद किये मिमिया रही थी...
चाची ने अपनी आँखे खोली और बोली, "लल्ला.......तू बहुत कमीना हो गया रे......."
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