Saturday, November 30, 2013

FUN-MAZA-MASTI तकलीफ--2

FUN-MAZA-MASTI

 तकलीफ--2

 दुसरे दिन सुबह में ही वापस सुजन आई. भैया ऑफिस जा ही रहे थे की मैंने उनको आवाज़ दी. इस बार राजेश भैया ने मेरे लंड पर जेल लगाया और चूत को गर्म कर के मुझे दी और मैंने उसमे लंड डाला. थोड़ी देर मेरे साथ बैठे तभी ज्योति भाभी आई और भैयाको कहा की आप ऑफिस जाइये वो मेरा ख्याल रखेगी. भैया चले गए और मै चूत को हाथ में लिए बैठा था. सभी भाभियाँ अपने-अपने काम में जुट गयी. थोड़े थोड़े समय के बाद ज्योति भाभी आ कर मुझे मिल कर जाती थी. करीब एक घंटे बाद जब सुजन चली गयी तो ज्योति भाभी ने चूत में से मेरा लंड निकाल कर चूत को साफ़ करने के लिए ले गयी. ये अब रोज का हो गया था. लंड कभी भी सूज जाता था. लंड का सुजना, चूत को गर्म करके उसमे डालना और भाभियों का चूत की सफाई करना जैसे नोर्मल हो गया था.

कुछ दिन बाद सुमन भाभी की छोटी बहन रीना की शादी थी. सुमन भाभी एक हफ्ते पहले ही अपने माता-पिता के घर उनकी मदद करने चले गए थे. शादी का घर था और बहोत सारे काम थे. लड़का UK में sattled एक डॉक्टर था. शादी के बाद वो दोनों एक हफ्ते के लिए हनीमून पर गए और बाद में लड़का UK वापस चला गया. रीना एक महिने बाद जाने वाली थी. कुछ दिन रीना अपने माता-पिता के साथ रुकी और कुछ दिन बाद रीना हमारे घर रुकने के लिए आई ताकि सुमन भाभी के साथ कुछ समय बिता सके. न जाने UK जाने के बाद कब वापस आना होगा.

रीना मेरी इस बीमारी से अनजान थी पर आने के दुसरेही दिन उसको पता चल गया. मेरी बीमारी और उसके इलाज के बारे में सुनके वो भी काफी आश्चर्य चकित थी. एक बार मौका देख कर मेरे पास आई और धीरे से मुझे कहा "फिरसे जब भी ऐसा हो तो मुझे बुलाना. पर ख्याल रखना की कोई देख ना ले."
मैं बोला "क्यों?"
वो बोली "मुझे देखना है की ये सब कैसे होता है"
मुझे भला क्या एतराज होता. मै बोला "ठीक है. मैं बताऊंगा"
जाते जाते वो फिर से याद दिला गयी "पर किसी को मालूम नहीं होना चाहिए"

दुसरे दिन दोपहर को करीब तिन बजे फिरसे सुजन आई. मैंने इधर उधर देखा तो सब अपने अपने कमरे में थे. मैं रीना तो ढूंढ रहा था पर वो नजर नहीं आ रही थी. अब मुझसे और सहा नहीं गया और मैंने आर्टिफीसियल चूत को गर्म करने के लिए रखी और अपने लंड पर जेल लगाया. उतने में ही मैंने रीना को देखा. हलके से उसको आवाज़ दी और बुलाया.
देखते ही उसकी आँखे फटी की फटी रह गयी और बोली "Oh my God!”
कुछ क्षण बाद अपने आप को संभालते हुए दौड़ी चली गयी और सुमन भाभी को कह कर आई की एक घंटे के लिए वो बाहर जा रही है और वापस मेरे कमरे में चली आई और दरवाजा अन्दर से बंध कर दिया.
पास आते ही बोली "मुझे देखना है की तुम क्या करते हो.”
मैं बोला "ठीक है. देखो मैंने अभी अभी मेरे लंड पर जेल लगाया है. अब मैं इसे ये आर्टिफीसियल चूत मैं डालूँगा.”
वो बोली "एक मिनट रुको. क्या मैं इसे छू सकती हूँ?” उसने मेरे लंड की तरफ इशारा किया.
मैं बोला "हाँ देखो."
उसने मेरे पुरे लंड को अपने हाथ में लिया और उसके ऊपर हाथ फिराने लगी. मेरे लंड का एक एक हिस्सा वो महेसुस कर रही थी. मैं भी उत्तेजित हो रहा था और उसकी साँसे भी तेज हो रही थी. मेरे लंड पर उसके हाथों की पकड़ धीरे धीरे मजबूत हो रही थी और मुझे दर्द हो रहा था.
मैंने उसे रोक कर बोला "मुझे अब इसमें डालना होगा. मुझे दर्द हो रहा है.”
उसने झट से अपने होश संभाले और मेरे लंड पर से अपने हाथ हटा दिए. मैंने मेरा लंड वो आर्टिफीसियल चूत में डाला और पकड़ के बैठ गया.
कुछ समय की शांति के बाद मैंने थोडा डरते हुए रीना को कहा "एक बात जाननी है.”
रीना बोली "क्या?"
मै टूटते हुए लब्जों में बोला "कया...क्या...तुम नाराज तो नही होंगी?”
रीना बोली "ना बाबा. बोलो."
मै टूटते हुए लब्जों में फिर से बोला "कया...क्या...तुम भाभी को तो नही कहोगी?”
रीना बोली "अरे बाबा किसी को नहीं कहूँगी. अब बोलो भी. मुजसे डरने की कोई जरुरत नहीं."
मैं हिम्मत करके बोला "क्या.. क्या.... ल..ल... लड़की की... वो भी.. ऐसी ही होती है?” मेरा इशारा रीना चूत की तरफ था.
रीना हंस के बोली "अरे मैंने ये artificial vajaina पहली बार देखि है. मुजे नहीं मालुम वो कैसी होती है.”
मैं बोला "पर क्या दिखने में वो ऐसी ही होती है?”
रीना बोली "हाँ. आगे का भाग तो करीब वैसा ही है"
मैं बोला "तो क्या उसमे भी लंड ऐसे ही डालते है?” फिर से मेरा इशारा रीना की चूत की और था.
वो हंस के बोली "नहीं बाबा. ऐसे नहीं डालते.”
मैं बोला "तो फिर कैसे डालते हैं?”
रीना बोली "तुम अभी छोटे हो ये सब जान ने के लिए. बड़े हो जाओगे तो अपने आप ही मालुम पड़ जाएगा.”
मैं बोला "ठीक है पर क्या तुम मुझे तुम्हारी ये चूत दिखा सकती हो?”
"चूत" शब्द सुनके उसने मेरी आँखों में देखकर बोला "ना मैं नहीं दिखा सकती. तुम बहोत छोटे हो."
मै नाराज हो के बोला "तुम मेरा लंड देख सकती हो पर मैं तुम्हारी चूत नहीं देख सकता.”
मुझे नाराज देखकर वो कुछ पल रुकी और फिर बोली "ठीक है मैं तुम्हे एक दूसरी बात बताती हूँ.”
यह कह कर उसने अपने हाथो में आर्टिफीसियल चूत को लिया और मेरे लंड को बहार निकाल कर वापस अन्दर डाला. ऐसा अन्दर-बाहर करते-करते अचानक मेरे पुरे शरीरमें एक अजीब सी लहर दौड़ गयी. मैंने दोनों हाथो से रीना के हाथ पकड़ लिए. ये मेरे लिए एक अत्यंत रोमांचक अनुभव था. कुछ पलों के लिए मेरा अपने आप पर कंट्रोल नहीं था.
मेरे शांत होने पर रीना ने कहा "ऐसा ही अनुभव लड़की की चूत में जब लंड जाता है तब होता है.”
अब मैंने उसकी चूत देखने की जिद पकड़ी. अंत में हार मान के उसने प्रोमिस किया की एक दिन वो जरुर दिखाएगी और रूम दरवाजा खोल कर चली गयी.

 मैंने वो चूत को सफाई के लिए बाथरूम में रख दिया. शाम को पायल भाभी मेरी खबर पूछने के लिए आई और देखा तो बाथरूम में चूत पड़ी है. उन्होंने सफाइ के लिए जैसे ही उसे हाथ में लिया वैसे ही उसमे से मेरे स्पर्म निकल कर बाहर आये. तसल्ली करने के लिए पायल भाभी ने स्पर्म को हाथ में लेकर मसल कर देखा तो उनको कुछ-कुछ समज में आया. उन्होंने मेरे सामने देखा और मेरी तबियत के बारे में फिर से पूछा. मेरे जवाब से वो संतुस्ट नहीं लगी तब उन्होंने सुमन भाभी और ज्योति भाभी को भी बुलाया और वो चूत में से निकले मेरे स्पर्म को दिखाया. उन्होंने भी स्पर्म को हाथ में मसल कर देखा और तसल्ली करने के लिए उन्होंने सूंघ के देखा. तसल्ली होने के बाद उन्होंने इशारे में अपना सर हिलाया और मेरी तरफ कुछ अजीब तरीके से देखा. ज्योति भाभी मेरे पास आई और कहा "अपनी चड्डी उतारो जरा"   
मैंने मेरी चड्डी उतारी दी. सामने सभी भाभियाँ खड़ी थी और उनके सामने मै नंगा खडा था. ज्योति भाभी ने झुक कर मेरे लंड को एक हाथ से पकड़ा और मेरे सुपाडे पर से लंड की चमड़ी निचे उतारी. दुसरा हाथ मेरे सुपडे पर फिराया और वोही चिकनापन उन्हों ने पायी. सब तसल्ली करने के बाद उन्होंने पूछा "तुम्हे कुछ हुआ था क्या?”
मैंने कहा "नहीतो?"
उन्होंने फिर से पूछा "कुछ तो हुआ है. हमसे छुपाओ नहीं. हमसे छुपाओगे तो हम डॉक्टर को क्या बताएँगे? वो कैसे तुम्हारा इलाज करेंगे?”
मैंने उनकी तरफ देखा. उतने में रीना भी वहां आई. मैंने उसकी और देखा. उसको तो पता नहीं था की वहां क्या बात हो रही थी पर फिर भी उसने इशारे से मुझे कुछ भी बताने से मना किया. एक और सब भाभिओं का दबाव था तो दूसरी और रीना. फिर कुछ देर बाद मैंने रीना की और देखा और जो हुआ उसे बताना शुरू किया. बिच-बिच में मैं रीना की और देखता था. रीना के चहेरे पे घभराहट छाने लगी वो सभी भाभिओं ने भी देखा. मैंने पूरी बात बताई पर कही रीना का जिक्र नहीं किया. बात ख़तम होने पर रीना की जान में जान आई और चहेरे से डर चला गया. वो भी सभी भाभिओं ने देखा. भाभिओं ने मंद मंद मुस्कुराते हुए चैन की सांस ली की कुछ चिंता की बात नहीं है. पर पायल भाभी ने सवाल किया की "तुमने ये कहाँ से सिखा?”
मैंने वापस रीना की और देखा तो वो फिर से डर गयी और इधर उधर देखने लागी. मैंने जवाब दिया "ऐसे ही एक बार मेरा हाथ ऊपर निचे हुआ और मुझे अच्छा लगा तो मैंने फिर से किया और फिर बार बार किया तो कुछ देर बाद मेरे शरीरमें कुछ हुआ और मुझे बहोत मझा आया. तो मैंने आज फिरसे किया.”
तब तीनो भाभिया एक साथ बोल पड़ी "पर मैंने तो पहले कभी तेरे स्पर्म इसमे नहीं पाए?”
मैंने कहा "मुझे स्पर्म क्या होता है वो नहीं मालुम.”
मेरा जवाब सुनके भाभिओंने ज्यादा सवाल पूछना ठीक नहीं समझा. और अपने अपने काम में जुट गयी. थोड़ी देर बाद रीना मेरे पास आई और बोली “Thanks. तुमने मेरे बारे में कुछ बताया नहीं. मैं तो डर गयी थी.”
मैं बोला "कोई बात नहीं"
रीना जा ही रही थी की मैंने उसे रोका और कहा "रीना दीदी अभी यहाँ कोई नहीं है please मुजे तुम्हारी चूत देखनी है. दिखाओना".
रीना पास आके धीरे से बोली "ना. अभी नहीं. कोई आ जाएगा.. बाद में कभी.”
मैं रीना के घुटनों की और झुका और उसकी साड़ी को हाथ में लिए उठाने की कोशीश करते हुए बोला "बाद में तो तुम चली जाओगी. अभी एक बार दिखाओना. जल्दी से.”
वो मेरे हाथ में से उसकी साडी छुडा कर दो कदम पीछे हट गयी और कहा "ये क्या पागलपन है? कोई देखा लेगा. थोड़ी धीरज रखो. मै तुम्हे जाने से पहले जरुर दिखाउंगी.”
मैं बोला "पर अभी फटाफट दिखा दो ना..”
"उतावले मत हो. धीरज रखो.” बोलकर गुस्सा होकर वो चली गयी

उस रात को फिर से मेरी नींद उड़ गयी थी. मैं बार बार वोही अनुभव की याद कर रहा था की कितना मझा आया था. कैसे रीना मेरे लंड को अन्दर बाहर कर रही थी. कैसे उसके स्तन हिल रहे थे. उसे मालुम था की मैं उसके स्तन को एक नझर देख रहा हु फिर भी उसने अपने स्तन को पल्लू से ढंका नहीं. उसके स्तन वैसे तो भाभिओं जैसे बड़े नहीं थे पर उसका उभार एकदम परफेक्ट था. उसके सफ़ेद दूध जैसे स्तन पर एक चमक थी. उसका पूरा बदन जैसे मख्खन का बना था. उसके पेटीकोट का नाडा उसकी मख्खन जैसी कमर पर मानो छुरी का काम कर रहा था. ये सब द्रश्य सामने आते ही मेरा लंड खड़ा हो गया. उसका वादा याद आ गया की वो अपनी चूत दिखाएगी. कैसी होगी असली चूत और वो भी रीना की? और यकीं नहीं हो रहा था की रीना अपना वादा निभाएगी? अगर उसने अपनी चूत दिखाई तो मैं जरुर उसके सामने गिडगिड़ाउंगा की मुझे छू ने दे. यही तो एक मौका है. यही विचार से मैंने वो आर्टिफीसियल चूत हाथ में ली और खड़े हुए लंड पर जेल लगा कर चूत में डाला और मेरी उत्तेजना को शांत किया. चूत को बाथरूम में छोड़ दिया और सो गया.

दुसरे दिन दोपहर को मैं मेरे रूम में था और फिर से सुजन आई अब तो सुजन के बहाने में अपनी उत्तेजना को भी शांत कर लेता था. तभी छोटी भाभी पायल मेरे कमरे के पास से गुजरी. उन्होंने मुझे मेरे लंड पर चूत हिलाते हुए देख लिया पर कुछ बोली नहीं और चुप चाप चली गयी. करीब एक घंटे के बाद वो आई और मेरे बाथरूम में पड़ी चूत को साफ़ किया और बहार आके हलकी सी मुस्कान के साथ बोली "कितना गन्दा करते हो तुम इसे. ये तुम्हारे स्पर्म इसमे चिपक जाते हैं और जल्दी से साफ़ भी नहीं होते". और फिर चूतमें लगे पानी को सुखाने के लिए उसे ले गई.

एक दिन सुबह सुबह पायल भाभी के घर से फोन आया की उनके मौसाजी गुजर गए. अब समधी होने के नाते सबको उनके क्रिया कर्म में शामिल होना था पर सबको मेरी फिकर थी. मेरी ये बिमारी के कारण कोई मुझे घर में अकेला नहीं छोड़ते थे पर ये प्रसंग ही ऐसा था की सबको जाना ही पड़े. पर चिंता ये थी की पायल भाभी के मौसाजी गोवा में रहेते थे वहां जा कर आना मतलब तिन दिन की बात थी. तिन दिन तक मुज़े अकेला छोड़ना संभव नहीं था. एक सुझाव ऐसा था की मुझे साथ ले कर जाए पर मुसाफ़री के दौरान अगर सुजन आई यी तो कहाँ जाये? और एक बार सुजन आई तो ज्यादा देर तक राह नहीं देख सकते. आखिरमे रीना ने सुझाव दिया की वो मेरा ख़याल रखेगी. एक महेमानको तकलीफ देना किसीको अच्छा नहीं लगता. पर रीना ने सब को मना लिया की इस समय यही करना ठीक रहेगा और मात्र तिन दिन की ही तो बात थी. सब ने हिचकिचाहट से आखिर में रीना की बात मान ली और यह तय हुआ की सब लोग जायेंगे और रीना मेरा ख्याल रखेगी.

कुछा घंटे बाद सब लोग चले गए. घरमे मैं और रीना अकेले थे. रीना घर के बाकी काम निपटाने में जुट गयी और मैं तो बस रीना को ही देख रहा था. वो भी जानती थी की मैं उसको ही देख रहा हूँ और क्यों देख रहा हूँ. मेरी बेचेनी उससे छुपी नहीं थी. वो भी मंद मंद मुस्कुरा रही थी.
आखिर में मुझसे रहा नहीं गया. मैं बड़ी व्याकुलता से बोला "क्या कर रही हो?”
उसे जैसे कुछ पता ही न हो वैसे भोली बन कर पूछा "क्यों क्या बात है?”
अब मैं बड़ा अधीर हो गया था और कहा "रीना दीदी अबतो घर में कोई नहीं है मुझे तुम्हारी चूत दिखाओ ना.."
मैं ड्राइंग रूम मैं बैठा था. रीना मेरे पास आई और झुक कर मरे चहेरे के सामने अपना चहेरा ला कर बोली "थोड़ा और धीरज रखो. पहले मुझे घर के सारे काम पुरे कर लेने दो.”
जैसे ही वो मेरे आगे झुकी तो उसका पल्लू उसके ब्लाउज पर से गिर गया. फिरसे उसके गोरे गोरे स्तन मेरी आँखों के आगे झूल रहे थे. मैं भी क्या करता मुझे कुछ समज नहीं थी. मैंने झट से उसके स्तन को दोनों हाथों से दबोचा पर वो झट से अपने स्तन छुड़वा कर दो कदम पीछे चली गयी और गुस्सा हो कर बोली "ये क्या कर रहे हो? मेरी बात तुम्हे समज में नहीं आती? जाओ मैं तुम्हे नहीं दिखाउंगी.”
मै उसके सामने गिडगिडाने लगा और कहा "Please ऐसा मत करो...तुम जैसा बोलोगी वैसा मैं करूँगा...तुम काम पूरा कर लो मैं कुछ नहीं बोलूँगा.”
रीना बोली "तो ठीक है पर अपनी जगह से उठना भी नहीं.”
मैं बोला "ठीक है नहीं उठूँगा पर तुम अपनी चूत दिखाओगी ना?”
रीना बोली "हाँ पर मेरी बात मानोगे तो ही"
मेरे पास उसकी बात मानने के अलावा कोई और चारा नहीं था. वो आंख मिचाकती हुई वापस अपना पल्लू ठीक करके किचन में चली गयी. उसका पल्लू भी उसके पीछे पीछे किचन में चला गया.

कुछ समय बाद वो किचन के बहार आई और मेरे सामने आकर खडी हो गयी. मै हैरान था की क्या मुझसे कोई भूल हुई है? पर उसने तो अपना पल्लू अपने बाजू से उठा कर जमीं पर डाल दिया. मैं हैरान था की वो क्या कर रही है? दुसरे ही पल उसने अपनी कमर मैं से साडी खिंच कर निकाल दी और फर्श पर गिरा दी. अब वो मात्र ब्लाउज और पेटीकोट में थी. मेरी आँखे फटी पड़ी थी. और मैं जो देख रहा था उसपे यकीन नहीं हो रहा था. मैं उसके एक एक अंग को बड़ी उत्सुकता से देख रहा था. उसके कोमल होंठ, छाती पर उभरे हुए दो स्तन, सुन्दर नाजुकसी मख्खन जैसी चिकनी कमर और बिच मैं भंवर जैसी गहरी नाभि. उसकी पूरी सुन्दरता को जैसे मैं आँखों से छू रहा था. उसने अब अपने बालों की क्लिप खोल दी और बालों को खुला छोड़ दिया. धीरे से वो पलट कर खडी हो गयी. उसके लहराते केसुओ उसकी कमर को छू रहे थे. धीरे से उसने केसुओ को अपने हाथों से ऊपर उठाया ताकि मैं उसकी पीठ देख सकू. उसकी सपाट सी चिकनी पीठ और भरी-भरी सी गांड देख कर जी मैं आया की अभी उठ कर लिपट जाऊं और पूरा का पुरा लंड उसकी गांड में गाड़ दूँ. पर मैंने चुपचाप बैठ ने का वादा जो किया था. वापस पलट कर वो मेरे सामने खडी हो गयी. वो मन से एकदम शांत लगाती थी. उसकी हर चाल में स्थिरता थी. ऐसा लगता था की उसने पहले से ही कुछ सोच कर रखा है. कुछ क्षण बाद मेरे साथ नज़रे मिलाई और बड़ी कोमलता से चलकर मेरे करीब आई. जैसे ही वो करीब आई मैंने उसे कमर से पकड़ कर और करीब खींचा. खिंचतेही मेरे होंठ उसके स्तन के बिच की गहराई में दब गए. ऐसा लगा जैसे समय वंही रूक गया हो. कुछ क्षण उसके स्तन की गहराई में गर्म साँसे लेने के बाद मैंने उसके स्तन के उभारों को चूमना चाहा पर अपने आप को मुझसे छुडा कर वो दो कदम पीछे चली गयी और इशारे से मुझे आगे न बढ़ने को कहा. अपनी साडी को वंही फर्श पर छोड़ कर वो वापस किचन में चली गयी.

(क्रमशः)













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