Friday, November 22, 2013

FUN-MAZA-MASTI एक बार चिपका लीजिए--2

FUN-MAZA-MASTI

 एक बार चिपका लीजिए--2
मैं यही सब सोच रहा था कि स्वीटी आ गई। स्वीटी ज्यादातर नाईट-सूट, पैजामा-शर्ट पहन कर सोती थी, पर आज वो नाईटी पहन कर टायलेट से आई। शायद गुड्डी का असर था। वो अब अपने बैग में अपना सलवार सूट डाला तो मैंने देखा कि उसने एक सफ़ेद ब्रा और काली पैन्टी भी साथ में भीतर रखा, यानि अभी स्वीटी सिर्फ़ एक नाईटी में थी। ओह भगवान.... मेरे दिमाग ने कहा। अब हम दोनों भी ऊपर की अपनी सीट पर आ गए। फ़िर मैंने ही तय किया हम अपना सर अलग-अलग साईड में रखें। गुड्डी ने हम दोनों को गुड-नाईट कहा और फ़िर दीवार की साईड करवट ले ली। मेरी जल्दी हीं मुझे लग गया कि स्वीटी वैसे सोने में आराम नहीं महसूस कर रही है। गुड्डी भी यह महसूस कर रही थी। वो ही बोली, "स्वीटी तुम भी भैया की साईड ही सर कर के सो जाओ, वो थोड़ा कमर को झुका लेंगे तो उनके पैर और सर के बीच में ज्यादा जगह हो जाएगा और तुम इतनी लम्बी हो नहीं तो आराम से उस बीच में सो सकोगी।" उसके पापा तो खर्राटे लेने लगे थे और मम्मी थोड़ा थकी हुई थी सो वो सो चुकी थी। करीब दस बज रहा था तब। स्वीटी भी अब उठी और मेरे सर की तरफ़ सर करके लेटी। उसके उठने के क्रम में उसका नाईटी पूरा ऊपर हो गया और उसकी जाँघ और बूर के दर्शन मुझे हो गए। मेरा दिल किया धक्क... और लन्ड ने एक ठुनकी मार दी। मैं एक दम से साईड मे खिसक गया था जिससे कि स्वीटी को ज्यादा जगह मिल सके सोने के लिए।

जल्दी हीं हम सो गए, थोड़ा थकान भी था और थोड़ा ट्रेन के चलने से होने वाले झुले के मजे की वजह से। करीब १ बजे रात को मुझे पेशाब लगा तो मैं जागा। मैं जब लौट कर आया तो स्वीटी आराम से पूरे सीट पर फ़ैल गई थी। मैंने उसको एक करवट किया और फ़िर उसी करवट हो कर उसके पीछे लेट गया। मेरी नींद अब गायब हो चुकी थी। पेशाब लगा हुआ था सो लन्ड में वैसे भी तनाव आया हुआ था। अब यह हालत...मन किया कि एक बार जा कर मूठ मार आउँ कि लन्ड ढ़ीला हो जाए। पर तभी स्वीटी थोड़ा हिली और उसका चुतड़ मेरे लन्ड से चिपक गया। मैंने अपने हाथ फ़ैला रखे थे सो वो नींद में ही मेरे बाँह पर अपना सर रख दी और मेरी तरफ़ घुम गई। उसकी खुले गले की नाईटी से उसकी चूचियों का ऊअपर का हिस्सा अब दिखने लगा था। मेरे लिए अब मुश्किल था सोना, फ़िर भी मैंने उसको बाहों से लपेट कर सोने की कोशीश की। इसके बाद अचानक हीं वो ऊठी कि "आ रहे हैं टायलेट से..." और नीचे चली गई। स्वीटी नीचे उतरी और इसके कुछ समय बाद गुड्डी वापस आ गई, उसने मुझे देखा, फ़िर धीरे से मेरे कान के पास बोली, "एक लड़की के साथ कैसे सोया जाता है पता नहीं है  क्या?" मैं चुप था तो वो ही बोली, "एक बार चिपका लीजिए वो थोड़ी देर में शान्ति से सो जाएगी। नहीं तो उसको नींद आ भी जाए, आपको नींद अब नहीं आएगी तनाव की वजह से।" तभी स्वीटी लौट आई, तो वो "बेस्ट और लक..." बोल कर अपने बर्थ पर चढ़ गई, और स्वीटी अपने बर्थ पर।



 मैंने गुड्डी का सब इशारा समझ लिया था पर एक हिचक थी। मैंने सोचा कि एक बार देखते हैं वैसे सो कर, सो मैंने स्वीटी को अपनी तरफ़ घुमा लिया और फ़िर उसके चेहरे को सहलाने लगा। गुड्डी की तरफ़ मेरी पीठ थी। पर मुझे पता था कि वो सब देख रही होगी। यह सब सोच मेरे लन्ड को और बेचैन किए जा रहा था। मैं जब स्वीटी की कान के नीचे सहलाया तो वो मेरे से चिपक गई, बहुत जोर से। मेरा खड़ा लन्ड अब उसकी पेट में चुभ रहा था। स्वीटी हल्के हाथ से मेरे लन्ड को थोड़ा साईड कर के मेरे से और चिपकी। जब उसने बेहिचक मेरे लन्ड को अपने हाथ से साईड किया तो मुझे हिम्मत आई। मैंने धीरे से कहा, "सहलाओ ना उसको, थोड़ी देर में ढ़ीला हो जाएगा... नहीं तो रात भर ऐसे ही चुभता रहेगा तुम्हे, और हमको भी नींद नहीं आएगी।" वो अपना चेहरा उठाई और मेरे होठ से अपने होठ मिला दी, साथ हीं अपना बाँया हाथ मेरे हाफ़ पैन्ट के भीतर घुसा दिया। अगले पल मेरा लन्ड उसकी मुट्ठी में था। मैं उसको चुम रहा था और वो मेरा लन्ड हिला रही थी। गुड्डी के बर्थ से करवट बदलने की आवाज आई तो मैं पीछे देखा, स्वीटी भी अपना सर ऊपर की यह देखने के लिए कि मैंने चुम्बन क्यों रोका। गुड्डी बर्थ पर बैठ गई थी। हम दोनों भाई-बहन को देखते देख उसने हमें एक फ़्लाईग किस दिया। स्वीटी अब सीधा लेट गई। मेरा खड़ा लन्ड अब उसकी जाँघ से चिपका हुआ था। मैंने अब उपर से उसके होठ चूमे, तो उसने अपने जीभ को मेरे मुँह में घुसा दिया। गुड्डी अब हमारी तरफ़ पीठ घुमा कर लेट गई।

उसने वैसे भी मेरी बहुत मदद कर दी थी। मैं स्वीटी की चुचियों को नाईटी के ऊपर से हीं मसल रहा था और होठ चुम रहा था। उसने मेरे हाथ को अपने जाँघ पर रख कर मुझे सिग्नल दे दिया। फ़िर मैंने उसकी नाईटी उठा दी और उसके जाँघ सहलाने लगा। मक्खन जाँघ था उसका, एक दम ताजा हेयर-रिमुवर से साफ़, चिकना। बिना कुछ सोचे मैंने अपना हाथ थोड़ा और भीतर घुसा दिया। फ़िर उसके बिना झाँटों वाली चिकनी बूर की मुलायमियत को महसूस किया। स्वीटी की आँख बन्द थी। मैं जब ऊँगली से उसकी बूर की फ़ाँक सहला रहा था तब वो खुद अपना जाँघ खोल दी और मैंने अपना एक ऊँगली बूर की छेद में घुसा दिया। वो फ़ुस्फ़ुसाते हुए बोली, "एक बार ऊपर आ जाईए न भैया, फ़िर हम दोनों को चैन हो जाएगा और नींद भी आ जाएगी।" चैन वाली बात सही थी, पर मुझे लग रहा था कि स्वीटी कुँवारी है, यहाँ ऐसे सब के बीच किसी कुँवारी लड़की की सील कैसे तोड़ी जा सकती है। मैंने उसके कान में कहा, "ऊपर-ऊपर ही कर लेते हैं, यह सही जगह नहीं है पहली बार तुमको दर्द भी होगा और खून भी निकलेगा थोड़ा सा।" वो फ़ुस्फ़ुसाई, "ऐसा कुछ नहीं होगा भैया, "सब ठीक है... आप बेफ़िक्र हो कर ऊपर आ जाईए। वो सब दर्द हम पहले ही झेल लिए है।" मैं अब सन्न.... पूछा"कौन...?, कब...?" स्वीटी बुदबुदाते हुए बोली, "वो सब बाद मैं पहले अभी का काम, वैसे भी पूरा बौगी में सब लोग सोया हुआ है, अब तो गुड्डी भी दुसरे करवट है"।


 वो खुद हीं अपना नाईटी एकदम से ऊपर कर दी और तब पैर से लेकर चुचियों तक उसका पूरा बदन दिखने लगा था। मैं सोच में था और वो जैसे चुदाई के बिना मरी जा रही हो। उसकी चिकनी मखमली बूर अब मेरे आँख के सामने थी। स्वीटी बोली, "अब ऊपर आईए न भैया, बहुत गीला हो गया है, सुरसुरी भी तेज है"। वो रह-रह कर अपना जाँघ भींच रही थी। सच में उसके बदन पर जैसे चुदास चढ़ गया था। मेरे हाफ़ पैन्ट के भीतर उसने अपना हाथ घुसा दिया और लन्ड पकड़ कर अपनी तरफ़ खींची। मैं अब सब रिश्ते-नाते भूल गया। जब मुझे लगा कि यह तो पहले से चुदवा रही है, फ़िर क्या फ़िक्र.... तो मैं भी अब सब भूल-भाल कर उसकी टाँगों के बीच बैठ गया। स्वीटी अब तेजी से मेरे पैन्ट को कमर से नीचे ससार दी, तो मईने भी उसको थोड़ा और नीचे अपने घुटने के पास कर दिया। मेरा ७" का जवान काला लन्ड सामने एक जवान लड़की की गोरी भक्क बूर देख कर पूरा ठनक गया था। स्वीटी आराम से अपने पैरों को मेरे कमर से चारों तरफ़ लपेट दी। इस तरह से उसका जाँघ अब पूरा खुल गया और मैं देख रहा था कि उसकी बूर के भीतर का भाग रस से चमक रहा है। मन तो कर रहा था कि उसकी उस चमकदार बूर को चाट कर खा जाऊँ, पर अभी ऐसा समय नहीं था। कहीं कोई जाग जाए तो...। गोरा बदन, सेव की साईज की चूची, सपाट पेट जो थोड़ा से नीचे की ओर था (स्वीटी दुबली है), एक शानदार गहरी नाभी और उसके नीचे एक गुलाबी फ़ाँक। लड़की की वो चीज, जो हर मर्द को पैदा करती है और फ़िर हर मर्द लड़की की उसी चीज के लिए बेचैन रहता है।

मैंने स्वीटी की गुलाबी फ़ाँक को अपने हाथ से खोला और उसका छोटा सा छेद नजर आया। यही वो छेद है जो मुझे आज अभी असीम आनन्द देने वाला था। मेरे हाथ जैसे हीं उसकी बूर से सटे उसकी आँखें बन्द हो गई। मैंने अब अपना थुक अपनी लन्ड के सुपाड़े पे लगाया और फ़िर बाँए हाथ से अपना लन्ड पकड़ कर अपने सबसे छोटी बहन के चिकने बूर के मुँह से टिका दिया। फ़िर उसके बदन पर झुकते हुए पूछा, "ठीक है सब...स्वीटी?" वो आँख बन्द किए-किए हीं बोली, "हाँ भैया, अब घुसा दीजिए अपना वाला पूरा मेरे भीतर....दो जिस्म एक जान बन जाईए।" मैंने अब अपने कमर को दबाना शुरु किया, और मेरा लन्ड मेरी बहन की बूर को फ़ैलाते हुई भीतर घुसने लगा। सुपाड़ा के जाने के बाद, उसका बदन हल्के से काँपा और मुँह से आवाज आई, जैसे वो गले और नाक दोनों से निकली हो..."आआआह्ह्ह"। मैंने अब एक झटका दिया अपनी कमर को और पूरा ७" भीतर पेल दिया। स्वीटी के मुँह से एक कराह निकली जिसे उसने होठ भींच कर आवाज को भीतर हीं रोकने की कोशिश की, पर फ़िर भी जब जवान लड़की जब चुदेगी तो कुछ तो आवाज करेगी...सो थोड़ा घुटा हुआ सा आवाज हो हीं गया। इतना कि सामने के बर्थ पर हमारी तरह पीठ करके लेटी हुई गुड्डी हमारी तरफ़ पलट जाए। स्वीटी की तो आँख मजे से बन्द थी। मैं गुड्डी को अपनी तरफ़ मुड़ते देख सकपकाया, पर गुड्डी ने मुझे अपना सर हिला कर इशारा किया कि मैं चालू रहूँ। मैंने अपने दोनों हाथों से स्वीटी के दोनों कंधों को जकड़ लिया था, मेरे जाँघ उसकी दोनों जाँघों में फ़ंस कर उन्हें खोले हुए थे, मेरा लन्ड उसकी बूर के भीतर धँसा हुआ था....और एक अदद जवान लड़की हम दोनों भाई-बहन से करीब ४ फ़ीट की दूरी पर लेटी हम दोनों को घुर रही थी।

 यह शानदार सोंच हीं मेरे लिए किसी वियाग्रा से कम न था। मैंने अपने कमर को उपर-नीचे चलाना शुरु किया, यानि अब मैंने अपने बहन की असली वाली चुदाई शुरु कर दिया। स्वीटी के मुँह से कभी ईईस्स्स्स्स तो कभी उउउम्म्म्म्म निकल जाता था। पर अब मुझे कोई फ़िक्र नहीं थी उस माड़वाड़ी दम्पत्ति की....जो हमारे बर्थ के ठीक नीचे सोए थे। वैसे भी मैं अपनी बहन चोद रहा था, किसी को इस बात से क्या फ़र्क पड़ जाता। मैंने अपने होंठ स्वीटी की होठ से लगा दिया और चुदाई जारी रखी। करीब ७-८ मिनट बाद मेरा छुटने लगा तो मैं थोड़ा रुका और बोला, "मेरा अब निकल जाएगा, मैं बाहर खींच लेता हूँ।" स्वीटी बोली, "ठीक है जैसे हीं निकलने वाला हो बाहर निकाल कर मेरे पेट पर गिरा दीजिएगा।" इसके बाद मैंने फ़िर से धक्के लगाने शुरु कर दिए और करीब २० बार बूर चोदने के बाद लन्ड खींच कर बाहर कर दिया कि तभी लन्द से पिचकारी छूटी और मेरा सब वीर्य उसके पेट छाती सब से होते हुए होठों के करीब तक चला गया। दूसरी बार पिचकारी छुटने से पहले मैंने लन्ड के दिखा को ठीक किया जिससे बाकी का सब वीर्य स्वीटी के गहर पेट पर गिरा। गुड्डी अब नीचे उतरी एक रुमाल बैग से निकाल कर हम लोगों को दिया जिससे हम अपना बदन साफ़ कर सकें। फ़िर वो बोली, "अब एक बार मुझे भी चाहिए यह मजा...मेरे बर्थ पर आ जाओ"। मैं अब सही में घबड़ाया और नीचे उसके मम्मी-पापा की तरफ़ देखा। वो बोली, "कोई डर की बात नहीं है मैं हूँ ना... अभी डेढ़ बजा है, दो बजे तक मुझे भी कर दो फ़िर ३-४ घन्टे हम सब सो लेंगे।"

मैं अभी भी चुप था, तो वो स्वीटी से बोली, "तुम मेरे बर्थ पर चली जाओ सोने, मैं ही इसके साथ तुम्हारे बर्थ पर आ जाती हूँ, अब अगर मम्मी-पापा जाग भी गए तो वो मुझे दोष देंगे न कि तुम्हारे इस डरपोक भाई को" और वो सच में मेरे बर्थ पर चढ़ गई। स्वीटी चुपचाप अपनी पैन्टी अपने हाथ में ले कर उतर गई। अब मैं समझा कि यह लड़की क्यों मुझे और स्वीटी को इतना हिम्मत दे रही थी। जो अपने माँ-बाप के मौजूदगी में ऐसे एक लड़के से चुदने को तैयार हो वो क्या चीज होगी। मेरा लन्ड अपना पानी निकाल कर अब थोड़ा शान्त हो रहा था, जिसको वो बिना हिचक अपने मुँह में ले कर चुसने लगी और एक मिनट भी न लगा होगा कि मेरा लन्ड फ़िर से इतना टाईट हो गया था कि एक बार फ़िर किसी टाईट बूर की सील भी तोड़ सके। गुड्डी अब पलट गई और कुतिया वाला पोज बना ली। फ़िर अपना नाईटी कमर तक उठा ली और तब उसका इरादा समझ मैं उसकी पैन्टी को खोलने लगा। बहुत ही मुलायम पैन्टी थी उसकी। मैंने उसके बूर की फ़ाँकों को अपने हाथों से खोला और पीछे से बूर मे लण्ड पेल दिया। वो अब अपना सर नीचे करके सीट से टिका ली और मुझसे चुदाने लगी। लाख प्रयास के बाद भी एक दो बार थप-थप की आवाज हो ही जाती जब मेरा बदन उसके माँसल चुतड़ से टकराता। तभी उसकी मम्मी ने करवट बदली... और मैं शान्त हो गया।


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