Friday, November 22, 2013

FUN-MAZA-MASTI एक अजीब सा उन्माद--2

FUN-MAZA-MASTI

 एक अजीब सा उन्माद--2
 केथ राजेश को झकझोर देती है, वह किसी पुतले की तरहा चट्टान से फिसल जाता है और रेत पर ढेर हो जाता है. केथ चीख पड़ती है, जल्दी से अपनी पेंटी उतरती है और राजेश की तरफ एक छलाँग लगा देती है. चट्टान कोई ज़्यादा उँची नहीं थी मात्रा 2’ की ही उँचाईए थी.

केथ राजेश की तरफ लपकती है जो तड़प रहा होता है. साला दिमाग़ में ओमलेट बन गयी थी, एक तरफ लंड की पुकार और दूसरी तरफ उसके इम्मान की पुकार , दोनो के बीच घनचकर बन कर वो शीतल पॅड जाता है, आँखों से आँसू बहने लगते है, यह तड़प उस से सह्न नहीं हो पा रही थी, वह उठना चाहता था पर सारे अंग जैसे जवाब दे गये थे.

केथ उसकी तरफ़ लपकती है उसके सर को अपनी गोद में रख लेती है, उसे कुछ समझ में नहीं आता, राजेश को यकायक क्या हो गया है, वह उसके आँसुओं को चाट ने लगती है, धीरे धीरे वह राजेश के निपल्स की तरफ बॅड जाती है और ऐसे चूसने लगती है जैसे किसे भूखे बचे को माँ बहुत देर बाद अपना दूध पिलाने लगती है. राजेश की तड़प और भी ज़्यादा बॅड ने लगती है,वह काँप उठता है इतना संवेदन उसने कभी भी किसी के साथ महसूस नहीं किया था.

केथ उसकी नाभि चूमते हुए उसके लंड की तरफ बॅड जाती है, एक पल के लिए उसके विकराल रूप को देख कर सहम जाती है पर दिल और चूत दोनो के हाथों मजबूर हो कर राजेश के लंड को चूमने लगती है और उसके सूपाड़े को मूँह में ले लेती है. राजेश एक भयंकर् चीख मारता है जो वादियों में खो जाती है, उसकी बर्दाश्त करने की सहनशक्ति जैसे पल पल धराशाही होने लगती है , वह ज़ोर ज़ोर से रोने लगता है, ऐसा अंतरदवंद उसने कभी नहीं झेला था, उसका शरीर एक एक फुट उपर उछलने लगता है, वह केथ को रोकने की भरपूर कोशिश करता है पर हाथों में तो जान ही नहीं बची थी.

केथ पूरी ताक़त लगा कर उसके उपर झुक जाती है और उसके लंड को गले की गहराइयों तक लेने लगती है, उसे साँस लेने में बहुत ही दिक्कत हो रही थी, पर उसका वजूद जैसे केवल राजेश को भरपूर आनंद देना चाहता था, वह अपनी तकलीफ़ भूल कर राजेश के लंड को एक पागल की तरहा चूसने लगती है.

उसका एक हाथ राजेश के अंडकोशून से खेल रहा था जो पल पल उसके लंड के साथ चिपकते जा रहे थे, एक लावा उनमे से फूटने के लिए तत्पर हो रहा था.
लंड से उठती हुई उमंगे और तड़प दिमाग़ से जीत जाती हैं , एक ज्वालामुखी दो जगह अपना सर उठाने लगता है उसके अंडकोशून में और उसके दिमाग़ में, वह घबरा जाता है, इतना आनंद उसने कभी भी तस्सवुर नहीं किया था.

केथ अपनी ही लगन में मस्त थी, उसका चेहरा जलते हुए कोले से भी ज़्यादा लाल हो रहा था, उसकी आँखों से निरंतर आँसू बह रहे थे. उसकी साँसे फूल रही थी एक जुनून सा उस पर चड़ा हुआ था, उसकी मेहनत रंग लाती है और राजेश का उफनता हुआ ज्वालामुखी एक ज़ोरदार गगन भेदी चीख के साथ फॅट पड़ता है और उसके वीर्य की बोचारें केथ के गले में उतरने लगती हैं.

केथ घबरा जाती है पर लंड मुँह से बाहर नहीं निकालती , राजेश तड़प तड़प के उसके मुँह को भर ने लगता है, केथ का मुँह फूलता रहता है, वह हिम्मत नहीं हारती अपने होंठ राजेश के लंड पर और सख़्त कर देती है, थोड़ी ही देर में ऐसा लगता है जैसे केथ के मुहन में किसी ने दो बड़े रसगुल्ले भर दिए हों.
इतना भयंकर डिसचार्ज राजेश ने अपनी जिंदगी में कभी नहीं किया था. केथ धीरे धीरे मुँह में जमा हुए कामरस को पीने लगती है, वाकई में जैसे रसगुल्ले का आनंद उठा रही हो. केथ ने अपनी जिंदगी में पहली बार ब्लोजॉब करी थी, और राजेश की हालत को देख कर सॉफ पता चल रहा था की उसने तमाम रंडियों को मीलों पीछे छोड़ दिया था.

राजेश अपने अतुलनीय ओर्गसम के आनंद को महसूस करते हुए डेह जाता है, वहीं केथ उसके बगल में गिर कर अपनी सांसो को संभालने लगती है. उसके चेहरे पर अपार खुशी विद्यमान हो रही थी, जैसे ओलिंपिक ढोढ़ में गोल्ड मेडल जीत लिया हो.

इधर राजेश भी थोड़ा संभलता है, जो अकथनीय मज़ा उसे केथ ने दिया था वह उस से भी ज़्यादा केथ को देना चाहता था.

राजेश उठता है और केथ को एक गहरा स्मूच देने लगता है, उसके होंठों को ऐसे चूसने लगता है जैसे मिशरी चूस रहा हो, केथ मज़े के आनंद में डूबने लगती है. राजेश साथ साथ उसके उरोजोन को मसल रहा था, थोड़ी देर बाद वह अपना सारा ध्यान केथ के उरोजोन पर केंद्रित कर देता है...............


 राजेश कभी उसके एक निपल को चूस्ता तो कभी दूसरे को, केथ की सिसकियाँ वादी में गूंजने लगी अयाया आहह उूुुुउउफफफफफ्फ़ सक मी सक मी सक मे हार्डर, राजेश उसके दोनो उरोंजों को साथ दबा कर दोनो निपल्स को मुँह में भर लेता है और दोनो को ही हल्के हल्के काटने लगता है, केथ यह वार सह नही पाती उसके पूरे शरीर में आतिशबाजियाँ छूटने लगती हैं, उसकी चूत से कामरस अवीरल बहने लगता है.

राजेश नीचे की तरफ बॅडता है उसकी नाभि को चूमते हुए उसकी चूत पर पहुँच जाता है, एक कमसिन नाज़ुक चूत जैसे संतरे की फाँक को एक हल्का से चीरा बीच में दिया गया हो, वह उसे अपने मुँह में भर लेता है और अपनी ज़ुबान से छेड़ने लगता है उसकी ज़ुबान पत्थर जैसे सकत हो जाती है जिससे वो धीरे धीरे उसकी चूत में घुसा देता है, एक दर्द की लहर केथ के शरीर में गूँज उठती है, वह तड़प कर उपने शरीर को उठा कर कमान का रूप ले लेती है…आइइईईईई, ,

राजेश जीब से उसे चोदने लगता है, उसका लंड झड़ने के बाद भी ढीला नहीं हुआ था, एक सकत लोहे की रोड की तरहा उफ्फन्ने लगता है, राजेश उसे अभ और तेज़ी से चोदने लगता है, केथ की सिसकियाँ बॅडती जाती हैं , उसकी चूत लाल सुर्ख हो जाती है, आँखे बंद हो जाती हैं, शरीर तपने लगा , एक भाप ज़मीन से उठने लगती है, उसका शरीर इतना गरम हो जाता है जो नीचे बिछी ठंडी रेत में समाए हुए कुछ पानी के कन्नों को भाप में बदल देता है, सारा रेगिस्तान आनंदायिक सिसकियों से गूँज रहा था. वह अपनी कमर बहुत ज़ोर ज़ोर से राजेश के मुँह पर मरने लगती है, नदियों का समस्व जैसे बाँध तोड़ने को आतुर था, एक जोरदार चीख के साथ यह बाँध टूट जाता है और राजेश का मुँह कामरस से भर जाता है, वह उसे गलपप्प गलपप्प्प्प्प करते हुए पीता रहता है, पर यह बहाव कोई छोटा बहाव नहीं था, बाँध पे बाँध टूटता रहता है, राजेश समज जाता है की केथ को मल्टिपल ओर्गसम हुआ है, केथ इस अनुभव में खो जाती है, उसका शरीर शीतल पॅड जाता है.

राजेश ने इतना कामरस कभी नहीं पिया था, साला लगता है सुबह का ब्रेकफास्ट अभी हो गया था.

राजेश उठ के बैठ जाता है और केथ को उसके जीवन के पहले मल्टिपल ओर्गसम को एंजाय करने देता है, वह उसकी बगल में लेट जाता है और अपनी साँसे दुरुस्त करने लगता है. केथ तो आनंद की अधिकारेक के कारण बेहोश हो गई थी.
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चलिए जबतक यह दोनो खुद को संभालते हैं ज़रा राजीव का हाल भी देख लेते हैं.

राजेश को बार काउंटर पर छोड़ कर राजीव अपने कमरे में पहुँच जाता है, उसे राजेश पर बहुत ही गुस्सा आ रहा था, मन ही मन वह राजेश को बहुत गालियाँ दे रहा था, इतने में उसका मोबाइल बज उठता है.
बेह्न्चोद इस वक्त किस की मा मार गयी जो मुझे इतनी रात को फोन कर रहा है, सोचते हुए जेब से मोबाइल निकलता है,स्क्रीन पर झलकते हुए नाम को देख कर होंठो पे स्माइल आ जाती है, फोन नेहा का था, उसकी छोटी बहन.

राजीव : हेलो गुड्डिया अभी तक सोई नहीं, क्या बात है इस वक्त इतनी रात को फोन कर रही है.

नेहा : रोते हुए, भाई तुम बहुत गंदे हो, जबसे गये हो एक बार भी फोन नहीं किया, में तब से आपके फोन का इंतेज़ार कर रही हूँ. राजेश भाई का भी फोन नहीं आया, आप दोनो को मेरी कोई चिंता नहीं कोई मुझसे प्यार नहीं करता, मैं ही पागलों की तरह आप लोगों के पीछे पड़ी रहती हूँ…. ( उस से बोला नहीं जा रहा था, वह ज़ोर ज़ोर से फोन पर रोने लगती है)

राजीव : सॉरी, सॉरी, सॉरी, यार रो मत पहले मेरी बात तो सुन ले

नेहा : क्या सुंनू, कितनी पी है, ज़बान लड़खड़ा रही है, शरम नहीं आती, घर से दूर होते ही पीने लग गये, फोन क्यूँ नहीं किया.

राजीव : पीईईईईई, अरे किसने पीईईईई है, कुछ नहीं पिया, रो मत , सुन , यहाँ नेटवर्क ठीक से काम नहीं कर रहा है, बहुत बार फोन मिलाने की कोशिश करी, कनेक्ट होने से पहले ही नेटवर्क गायब हो जाता है, काम का भी बहुत नुकसान हो रहा है, किसी से बात नहीं कर पा रहा हूँ. कल लोकल सिम कार्ड मिल जाएगा, सबसे पहले तुझे फोन करूँगा.

नेहा : ( गुस्से में चिल्लाते हुए) मैं ही मिली थी बेवकूफ़ बनाना को, अब कैसे बात हो रही है……………….आवाज़ आनी बंद हो जाती है, नेटवर्क गायब हो जाता है.

राजीव परेशन हो जाता है , मोबाइल नेटवर्क वालों को गालियाँ देने लगता है, दो दिन से लगातार ट्राइ कर रहा था पर नेटवर्क नहीं मिल रहा था, नेहा कल उसकी सही क्लास लेगी, पर दूसरी तरफ उसकी रूह को एक सकूँ मिल गया था. वह नेहा से बहुत प्यार करता था, उसकी जान थी वो, एक ही प्यारी सी छोटी बहन, ममता की भारी हुई. राजेश पर चड़ा हुआ गुस्सा उसके दिमाग़ से गायब हो गया था, और नेहा की प्यारी छवि लहराने लगी थी. बिस्तर पेर लेट कर वह सोने की कोशिश करता है , आँखे बंद करता है तो नेहा नज़र आने लगती है.

वह घबरा जाता है और उठ जाता है, यह क्या, नेहा का यह रूप उसे क्यों नज़र आया. जॉर्डन आने से पहले ग़लती से उसे नेहा के उरूंजों की एक हल्की सी क्षण भर के लिए झलक मिल गयी थी, जिसे उसने ध्यान तक नहीं दिया था.

अब इस वक़्त उसे नेहा के (34सी ) उरोज़ सॉफ सॉफ नज़र आने लगे थे. उसका गला सुख जाता है, वह चारों तरफ नज़र दोडाता है, उसका जिस्म पसीने से भीग गया था, वह थर थर काँपने लगता है, ये क्या था, उसे कुछ समज नहीं आता.
वह अपने आप को कोसने लगता है, बिस्तर के पास पड़ी हुई ब्लॅक लेबल की बोतल उठाता है और एक ही साँस में खाली कर जाता है, उसका सीना बुरी तरह से जलने लगा था.

आँखे बंद करते ही उसे फिर वोही नेहा का तिलस्सिमि रूप दिखता है, हड़बड़ा कर आँखे खोलता है और राजेश के कमरे की तरफ भागता है, राजेश उसे कहीं नज़र नहीं आता, उसे इतना पसीना आ रहा था की कपड़े तक चूने लग गये थे, उसके चेहरे पर एक डर सॉफ सॉफ दिख रहा था. वह बाहर निकलता है और बार काउंटर की तरफ जाता है, वहाँ तो एक वीरना उसे नज़र आता है.

यह राजेश कहाँ गायब हो गया, कमरे में जाने से उसे डर लगता है, वह सोना नहीं चाहता था, उसे इस वक़्त राजेश की बहुत सख़्त ज़रूरत महसूस हो रही थी, उसका एक ही दोस्त था- राजेश.

कहाँ गया साला केसानोवा, ज़रूर केथ के कमरे में होगा. केथ के कमरे की तरफ जाने की उसकी हिमात नहीं होती. क्या करूँ? कहाँ जाउन? उसका दिमाग़ फटने लगता है. राजेश , राजेश , राजेश चिल्ला, चिल्ला कर उसे पुकारता है. राजेश वहाँ होता तो जवाब देता.

उफफफफफफ्फ़ हे भगवान क्या करूँ कहाँ जाउन, वह ज़मीन पर गिर कर रेत पे अपना सर पटकने लगता है. कहाँ है यार तू………..नस्सों में दर्द और नशे की अधिकता के कारण वह बेहोश हो जाता है.

कहते हैं, अगर दोस्ती सच्ची हो तो दिल की आवाज़ दिल तक पहुँच जात है, चाहे लाखों मीलों की दूरी क्यूँ ना हो. ऐसा ही कुछ होता है…

केथ के साथ लेटे हुए राजेश को अजीब से बेचैनी महसूस होने लगती है. उसे कुछ समज नहीं आता यह क्या हो रहा है, लंड में से तनाव एक दम गायब हो जाता है.

वह अपने साथ सोई हुई केथ को उठाता है और घड़ी देखता है, वह नहीं चाहता था की केथ के माता पिता उसे कमरे से गायब पाएँ. दोनो कपड़े पहनते है और शिविर की तरफ बॅड जाते हैं. वहाँ पहुँच कर वह राजीव को ज़मीन पर बेहोश पता है. उसे कुछ समज नहीं आता. केथ अपने कमरे की तरफ भागती है कपड़े चेंज करने के लिए.

राजीव, राजीव …… वह उसके गाल थपथपता है, कोई असर नहीं होता, उसे बार काउंटर पर पानी की एक बॉटल दिखती है, वह भाग कर उसे उठाता है और राजीव के सर व चेहरे पर छिड़कने लगता है.

कुछ ही देर में राजीव कुछ कुन्मूनाता है……..राजेश की साँस में साँस आती है. तब तक केथ भी कपड़े बदल कर पहुँच चुकी थी.
राजीव हल्की सी आँखें खोलता है और राजेश को सामने पाता है, उसे केवल एक झलक ही दिख रही थी.

"मुझे बचाले " फुसफुसता हुआ वह आँखे मूंद लेता है. राजेश उसे उठा कर उसके कमरे में ले जाता है और बिस्तर पर लिटा देता है. वह उसके पास ही एक कुर्सी पर बैठ जाता है और केथ को अपने कमरे में जाकर सोने का इशारा करता है.

केथ का दिल उसे छोड़ के जाने को बिल्कुल नहीं करता, वह रूम में कॉफी मेकर तलाश करती है और दो कप कॉफी के बना कर एक राजेश को देती है. राजेश उसकी आँखों में देखते हुए कॉफी ले लेता है, इस वक़्त उसे कॉफी की सकत ज़रूरत थी.





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