Saturday, November 30, 2013

FUN-MAZA-MASTI रोहन और रीमा--16

FUN-MAZA-MASTI
 रोहन और रीमा--16

 और फिर अगले दिन राघव अपनी माँ के साथ हमारे घर आया और उसने पिताजी से मेरा हाथ मांग लिया
पिताजी की नजर में सब कुछ ठीक था और सबसे बड़ी बात ये थी की मुझे भी ये रिश्ता मंजूर था
इसलिए बिना किसी दिक्कत के हमारा रिश्ता पक्का हो गया और फिर उसके ४ दिन बाद ही हमारी शादी हो गयी ,
राघव को अपने पति के रूप में पाकर में बहुत खुश थी और फिर शादी के करीब १० दिन बाद राघव अपनी माँ और मुझे
अपने साथ लेकर राजनगर आ गया और तब से हम लोग यही रहने लगे ,,
रीमा ने अनीता की बात बीच में ही रोकते हुए कहा ... एक बात तो पक्की है की बेशक तेरे साथ बहुत बुरा हुआ लेकिन
राघव जैसा इंसान मिलने से तेरी जिन्दगी पूरी तरह से बदल गयी ... तेरे सारे गम खुशियों में बदल गए ......है की नहीं
और मेरी नजर में तो राघव का मिलना ही तेरी जिन्दगी का सबसे अनोखा मोड़ है ,,,


अनीता :- हाँ तूने सही कहा है अगर राघव मेरी जिन्दगी में नहीं आता तो पता नहीं मेरा क्या होता ,
रीमा :- अच्छा ये बता जब सब कुछ ठीक चल रहा था फिर अचानक ऐसा क्या हो गया जो तुझे वो कदम उठाना पड़ा
अनीता ;- बस अब वही बताने जा रही हूँ ...
कहते कहते अनीता एक बार फिर से जैसे अपने अतीत में खोने लगी और बोली ...
राघव के साथ मेरी मेरिज लाइफ बहुत अच्छी चल रही थी हालाँकि राघव की माँ का स्वाभाव थोडा तेज़ है ,
उनके साथ शुरू -२ में एडजस्ट करना मुझे बड़ा मुश्किल लगता था लेकिन दूसरी तरफ राघव के प्यार ने मुझे ऐसा बना
दिया था की मुझे राघव के प्यार के आगे सब कुछ मंजूर लगने लगा था ,
और फिर जब राघव और मेरे प्यार की निशानी ने इस दुनिया में कदम रखा तो हमारी खुशियों का कोई ठिकाना ही न रहा
हम दोनों अपनी छोटी सी दुनिया में इतने खुश हो गए की हमे बाकी दुनिया की कोई खबर ही न रही ,
लेकिन शायद हमारी खुशियों को हमारी ही नजर लग गयी ....
एक दिन राघव जब देर रात तक घर नहीं लौटा तो मुझे उसकी बड़ी चिंता होने लगी मेने राघव के मोबाइल पर फ़ोन किया
तो वो भी स्विच ऑफ आ रहा था इस बात से मेरे मन में बेचेनी और बडने लगी आखिर जब मेरे से रहा नहीं गया तो
मे अपनी सास को साथ लेकर राघव के सेठ के घर चली गयी
वहां जाते ही उसके सेठ ने जो कहा वो सुनते ही मेरे पैरो के नीचे की जमीन खिसक गयी ...
सेठ ने कहा मुझे भी अभी थोड़ी देर पहले ही पता चला है की राघव का किसी सवारी के साथ कुछ लफड़ा हो गया है और
पुलिस उसको पकड़ कर ले गयी है , बस में वहीं जाने ही वाला ही था की तुम लोग आ गए
मेने घबराते हुए सेठ से पुछा की क्या लफड़ा हुआ है तो उसने कहा
पूरी बात का तो अभी मुझे भी नहीं पता लेकिन इतना पता चला है की किसी सवारी का बेग राघव की ऑटो से गायब हुआ है
और वो सवारी इसका इलज़ाम राघव पर लगा रही है ,,
वैसे तुम लोग चिंता मत करो जाओ अपने घर जाओ ....में थाने जाकर देखता हूँ क्या मुद्दा है फिर जैसा भी होगा तुम्हे बता दूंगा ...

मेने रुन्वासी आवाज में कहा .... सेठ जी आप तो राघव को इतने समय से जानते हो और ये भी जानते हो की वो कितना ईमानदार है
वो ऐसा काम कभी नहीं करेगा ,,
सेठ ने कहा ...
हाँ में जानता हूँ की राघव ऐसा काम कभी नहीं करेगा लेकिन मेरे इस बात को मानने से पुलिस थोड़े न मान जाएगी
वो तो अपने हिसाब से मामले की पूरी तहकीकात करेगी और वैसे भी पुलिस का काम बिना लिए दिए नहीं चलता ...
खैर में वही जाकर देखता हूँ क्या होता है ...................कहते हुए वो जाने के लिए उठ खड़ा हुआ ,,
न जाने मेरे मन में क्या आया और मेने कहा ...सेठ जी हमे भी अपने साथ पुलिस स्टेशन ले चलिए ...
सेठ ने कुछ सोचते हुए कहा ठीक है तुम लोग भी मेरे साथ चलो
पुलिस स्टेशन में जाते ही मेने राघव को जब लॉकअप में बंद देखा तो में अपने आप को रोक नहीं पायी
मेरी आँखों से आंसू बहने लगे और में जोर जोर से रोने लगी ...
मुझे ऐसा रोता देख राघव ने कहा ...
अनीता तुम क्यों रो रही हो मेने जब कुछ गलत किया ही नहीं तो मुझे डर किस बात का है ,,,

बेशक उस वक़्त राघव की बात ने मुझे थोडा सा होंसला जरूर दिया था लेकिन इस बात को भी में अच्छी तरह से जानती थी की
आज की दुनिया में गरीब होने ही इंसान का सबसे बड़ा जुर्म है ...
मेने सेठ से कहा .... सेठ जी आप जाकर इंस्पेक्टर साहब से बात तो कीजिये ..
मेरी बात सुन कर सेठ इंस्पेक्टर के पास चला गया और उसने वहां जाकर क्या बात करी ये तो मुझे नहीं पता
लेकिन उसे मुंह लटकाए वापिस आते देख कर मुझे एहसास हो गया की उसकी एक नहीं चली होगी ....
मेने फिर भी हसरत भरी निगाहों से सेठ को देखा और कहा ...
क्या हुआ सेठ जी इंस्पेक्टर साहब मान गए न ? वो राघव को छोड़ रहे है न ?
सेठ ने मुंह बिचकाते हुए कहा ....
मेने अपनी तरफ से पूरी कोशिश करके देख ली है लेकिन मामला थोडा टेडा है क्योकि जिसका बेग चोरी हुआ है वो भी कोई पुलिस वाला ही है
इसलिए ये लोग कुछ सुनने को तैयार ही नहीं अब तो लगता है बिना पैसे दिए ये काम नहीं बनने वाला ....
मेने उदास होते हुए कहा .... लेकिन ये तो बताइए न सेठजी की कितने पैसे लगेंगे ?
सेठ ने कहा .... पक्का तो नहीं कह सकता लेकिन उसकी बातो से अंदाज़ा लग रहा है की एक पेटी से कम नहीं लेगा ..
मेने कहा................. में कुछ समझी नहीं सेठजी ............. पेटी मतलब ?
सेठ मुझे देख कर मुस्कराते हुए बोला .......................एक पेटी का मतलब एक लाख ,,
एक लाख का नाम सुनते ही मेरा सर चकराने लगा मेने थूक सटकते हुए कहा ...
सेठ जी आप तो हमारी माली हालत जानते ही है इतने पैसे हम भला कहाँ से देंगे ..........
प्लीज आप फिर से जाकर बात करिए हो सकता है शायद बिना पैसे दिए ही कुछ हो जाए ,,
सेठ ने इनकार में अपनी मुंडी हिलाते हुए कहा ...
जितना में कह सकता था मेने कह दिया इस से ज्यादा अगर मेने कुछ कहा तो कहीं ऐसा न हो की बात बिगड़ जाये और फिर पैसे से भी काम न हो ,
इसलिए अब तो पहले पैसे का इंतजाम करलो फिर बात होगी ....
सेठ को हथियार डालते देख मेने कहा ....
सेठ जी अगर आप कहे तो में जाकर साहब से बात करूँ हो सकता है उसको मुझ पर तरस आ जाये और वो मान जाए
सेठ ने कहा ... हम्म .............देख लो बात करके वैसे मुझे उम्मीद नहीं की वो मानेगा ,
में सेठ की बात को अनसुना करती इंस्पेक्टर के पास चली गयी और उससे हाथ जोड़ कर बहुत रिक्वेस्ट करी लेकिन वो नहीं माना
बल्कि उसने मुझे डांटते हुए कहा ...
बेकार की बातो में मेरा टाइम ख़राब मत करो जाओ जाकर किसी अच्छे वकील का इंतजाम करो इसकी जमानत के लिए
नहीं तो जेल में ही ५-६ साल तक सड़ता रहेगा ,,
इंस्पेक्टर की बात सुन कर मेरा पूरा जिस्म सिहरने लगा और में जल्दी से वापिस सेठ के पास आई और उसको कहा
सेठ जी आप जैसे भी हो राघव को छुडवाइए
सेठ बोला ... पैसो का इंतजाम है तुम्हारे पास ?
मेने नजरे झुकाते हुए कहा ....
फ़िलहाल पैसो का इंतजाम तो नहीं है सेठ जी लेकिन आप राघव को छुडवा लीजिये हम जल्दी ही कोई न कोई इंतजाम कर लेंगे

सेठ ने बुरा सा मुंह बनाते हुए कहा ... हून्ह... कहाँ से इंतजाम कर लोगे .... अभी तक मकान के बकाया पैसे तो दिए नहीं जा रहे
राघव से ऊपर से उसको में नया कर्जा और दे दूँ ....न भाई न मेरे बस का रोग नहीं है ,, मुझसे अब कोई उम्मीद न रखो ....
मेने गिडगिडाते हुए सेठ को हाथ जोड़ कर कहा ...
सेठ जी इस वक़्त सिर्फ आप ही हमारी मदद कर सकते हो प्लीज आप कुछ भी करके राघव को एक बार यहाँ से छुडवा दीजिये
में आपको विश्वास दिलाती हूँ की ये वाले पैसे आपको ७ दिन में वापिस मिल जायेंगे ..
मेरी बात सुन कर सेठ मुझे गौर से देखता हुआ बोला .......
तुम्हारे कहने से में कैसे यकीन कर लूँ ..... अगर राघव कहे तो एक बार में सोच भी सकता हूँ ,,
में जानती थी की राघव इस बात के लिए कभी राजी नहीं होगा और में राघव को इस तरह हवालात में देख नहीं सकती थी
मेने कुछ सोचते हुए कहा ....
सेठ जी हमारे मकान के कागज़ तो अभी तक आपके ही पास है ....अगर हम आपको ७ दिन में पैसे न दे पाए तो आप
मकान को अपने कब्जे में कर लेना ....कहते हुए मेने अपनी सास से कहा ....
क्यों मांजी में सही कह रही हूँ न ...
पता नहीं मेरी बात का क्या असर हुआ की मेरी सास ने भी मेरी हाँ में हां मिला दी ....
और मकान की बात सुन कर सेठ की आँखों में चमक बड़ने लगी उसने कहा ....
सोच लो अगर ७ दिनों में मुझे मेरे पैसे वापिस नहीं मिले तो में तुम लोगो को मकान से बाहर निकाल दूंगा
फिर न कहना की सेठ ये क्या कर रहे हो ....कुछ नहीं सुनूंगा में उस वक़्त ...
मेरे सामने उस वक़्त राघव की रिहाई से बढकर और कुछ नहीं था मेने बिना कुछ सोचे समझे कह दिया ...
मुझे मंजूर है सेठ जी आप राघव को रिहा करवाओ आपको पैसे ७ दिन में मिल जायेंगे....

और फिर सेठ ने अपने पास से पैसे देकर राघव को रिहा करवा दिया ....
घर आने के बाद मेने राघव को जब पूरी बात बताई तो राघव के पैरो के नीचे से जमीन निकल गयी शायद उसको
अपनी रिहाई की ये कीमत बहुत बड़ी लग रही थी ,,
और उसका ऐसा सोचना सही भी था क्योकि मेने पैसे लौटने का जो वादा सेठ से किया था वो राघव को उन हालातो में
नामुमकिन सा लग रहा था ,
राघव को चिंता में डूबता देख कर मेने कहा ...
राघव प्लीज तुम अपना दिल छोटा मत करो मेरे पास जो भी जेवर है उनको बेच दो ...
राघव ने मेरी बात सुन कर कहा ...
अनीता तुम समझने की कोशिश क्यों नहीं कर रही तुम्हारे जेवर बेचकर भी सेठ का कर्जा नहीं उतर सकता
हद से हद तुम्हारे जेवर ५० हज़ार के बिक जायेंगे लेकिन बाकि के पैसे कहाँ से आयेंगे ?
मेने राघव को फिर से दिलासा देते हुए कहा ...
तुम चिंता मत करो बाकि का भी इंतजाम हो जायेगा
राघव ने ठंडी आह भरते हुए कहा ....
कहाँ से हो जायेगा अनीता कोन देगा हमे और अगर कोई दे भी देगा तो उसको वापिस कैसे करेंगे
तुम तो जानती ही हो की इस महंगाई में पहले ही कितनी मुश्किल से गुजारा चल रहा है ,,
मेने राघव से कहा ......
ऐसा करते है बाकि के पैसे हम किसी से ब्याज पर ले लेते है और में भी जॉब करना शुरू कर देती हूँ
फिर हम दोनों मिल कर जल्दी ही सब ठीक कर लेंगे ,
मेरी बात सुन कर राघव के लबो पर हलकी सी मुस्कराहट दौड़ गयी और राघव ने मुझे अपने गले से लगा लिया
हमने मोहल्ले के एक साहूकार से ५० हज़ार रूपये ब्याज पर ले लिए और जेवर बेचकर सेठ को उसके पैसे ७ दिनों
के अन्दर ही वापिस लौटा दिए.....इस तरह से हमारा मकान तो बच गया लेकिन मुश्किलों से छुटकारा अभी भी नहीं मिला था
क्योंकि जो ५० हज़ार हमने ब्याज पर लिए थे उसकी हर महीने की ५००० रूपये की ब्याज थी ...
अकेले राघव की आमदनी से एकसाथ घर चलाना और ब्याज भरना बहुत मुश्किल काम था
इसलिए में नौकरी की तलाश में घर से बाहर निकल पड़ी ,
शुरू शुरू में कई दिनों तक में भटकती रही लेकिन मुझे कोई ऐसी जॉब नहीं मिली जिससे की हमारी समस्या का हल निकल सकता हो
में इस बात को भी अच्छी तरह से जानती थी की एक एक दिन करके समय बीतता जा रहा है और अगर मुझे काम नहीं मिला तो
आखिरकार राघव को फिर से कोई नयी परेशानी उठानी पड़ेगी....
हालाँकि राघव पैसे कमाने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहा था लेकिन एक अकेला इंसान आखिर कितना कर सकता है ,
फिर एक दिन मुझे किसी ने बताया की @@@ स्कूल में टीचर्स के लिए वेकेंसी है मे फ़ौरन वहां पहुँच गयी और थोड़ी
सी फोर्मेल्टी के बाद वहां मेरी नौकरी लग गयी ,
नौकरी लगते ही हम दोनों ने चैन की साँस ली और एक बार फिर से लगने लगा की सब ठीक होने लगा है
लेकिन ये ख़ुशी भी सिर्फ चंद दिनों की मेहमान थी क्योकि एक महीना बीतने से पहले ही प्रिंसिपल ने मेरे सामने वही शर्त रख दी
उसकी शर्त सुनकर में भी बहुत गुस्सा हुई थी एक बार के लिए तो मेरे मन में भी उस नौकरी छोड़ने का विचार आया था
लेकिन उस समय हमारे जो हालात चल रहे थे उन हालातो में मेरे सामने अपने घर की खुशियों को बचाने का और कोई रास्ता नहीं था
हालाँकि ये बात में भली भांति जानतो थी की में जो कदम उठाने जा रही हूँ वो सरासर गलत है ..
अगर राघव को इसकी जरा सी भनक भी लग गयी तो पता नहीं क्या हो जाता ...
लेकिन दूसरी तरफ राघव की इन मुश्किल हालातो में मदद करना भी मेरे लिए बेहद अहम् था ,,
में जानती थी की मेरी नौकरी कायम रहने से कम से कम राघव के सर पर ब्याज की टेंशन तो नहीं रहेगी और ऊपर से प्रिंसिपल ने
मुझे जो ६ महीने की सेलरी बोनस में देने की बात कही थी वो भी मेरे लिए बहुत बड़ी रकम थी में सोचने लगी थी की अगर मुझे एक साथ
इतने पैसे मिल जायेंगे तो जो कर्जा हमारे सर पर है वो भी चुकता हो जायगा यही सब सोच कर मेने वो कदम उठाने पर मजबूर हो गयी थी
लेकिन तब में ये बात नहीं जानती थी की मेरा वो कदम मुझे किस दलदल में धकेल देगा ,,
कहते हुए अनीता की एक बार फिर से रुलाई छुट गयी और वो फफक -२ कर रोने लेगी
रीमा ने अनीता को दिलासा देते हुए चुप करवाने की कोशिश की और कहा
में मानती हूँ की तूने जो कुछ भी किया वो सिर्फ अपने घर की भलाई और राघव के लिए ही किया लेकिन तेरा ये कदम
कहलायेगा तो राघव से ये विश्वासघात ही
अनीता ने सुर्ख आँखों से रीमा को देखते हुए कहा ....
बेशक मेने राघव से विश्वासघात ही किया है और इस बात का बोझ हमेशा मेरे दिल पर रहेगा
लेकिन में राघव को दुखी भी तो नहीं देख सकती थी ....
रीमा ने गहरी साँस लेते हुए कहा ... हाँ ये बात भी तेरी किसी हद तक ठीक है क्योकि राघव अगर इसी गम में एक बार टूट जाता तो
पता नहीं फिर क्या होता , चल तूने अपने घर और सुहाग को बचाने के लिए जो भी कीमत अदा की है इसको अपने दिल में ही रखना
अनीता ने अपना सर हिलाते हुए कहा ..... आज तक इस बात को मेने कभी अपने लबो तक भी नहीं आने दिया है .............

बातो बातो में समय बीतता जा रहा था लेकिन उन दोनों का शायद इसका एहसास नहीं हो रहा था
क्योकि रीमा भी भाव विभोर हो कर अनीता की बाते बड़े ध्यान से सुन रही थी
और फिर जैसे ही रीमा का ध्यान भंग हुआ और उसको समय का एहसास हुआ तो उसने अनीता से कहा ...
अनीता मुझे अब घर जाना चाहिए ................ अगर में जल्दी ही घर नहीं पहुंची तो रोहन चिंता करेगा ...
अनीता ने कहा ... हाँ तू ठीक कह रही है वैसे भी अब बताने के लिए कुछ बचा ही नहीं .....
चल में तुझे तेरे घर छोड़ कर आती हूँ
रीमा ने कहा
नहीं नहीं रहने दे ................तू बेकार में परेशान होगी........ तू तो बस मुझे बाहर ऑटो तक छोड़ दे वहां से अपने आप चली जाउंगी ,
फिर अनीता रीमा को छोड़ने बाहर तक आई और उसने रीमा को उसके घर तक जाने के लिए ऑटो करवा दिया ,
अनीता से विदा लेकर रीमा अपने घर की और चल दी लेकिन पुरे रास्ते उसके दिमाग में सिर्फ अनीता की बाते ही चलती रही और वो
यही सब बाते सोचते -२ इतनी भावुक हो उठी की उसकी रुलाई छूटने को थी लेकिन जैसे तैसे करके उस ने खुद पर काबू पाया
और फिर जैसे ही वो घर पहुंची तो रोहन को देखते ही वो खुद को रोक नहीं पायी और उसकी रुलाई छुट गयी और वो दौड़ते हुए
रोहन के पास चली गयी और उसके गले लग कर जार जार रोने लगी ...
रीमा को ऐसे रोता देख कर शायद रोहन कुछ समझ नहीं पाया उसने रीमा की पीठ पर बड़े ही प्यार से सहलाते हुए कहा
क्या हुआ मेरी जान.......................बताओ तो सही ...
लेकिन रीमा का मन तो कर रहा था की बस वो रोती ही रहे क्योकि उसके दिल में न जाने कब से गुबार भरा हुआ था और
बहुत देर रोने के बाद जब रीमा का मन हल्का हुआ तो उसने रोहन की गोद में किसी बच्चे की तरह से अपने सर को रख दिया
और कहा ..... आप सही कहते थे में ही गलत थी जो आपकी बात नहीं मानती थी ,,
रोहन ने बड़े प्यार से रीमा के चेहरे को अपने हाथ से ऊपर उठाया और उसकी आँखों में झांकते हुए कहा ...


''सुबह का भूला अगर शाम को घर वापिस आ जाये तो उसको भुला नहीं कहते ''
फिर रोहन ने रीमा के गाल को बड़े ही प्यार से थपथपाते हुए कहा .... अच्छा अब उठो और हाथ मुंह धोकर फ्रेश हो जाओ फिर
मुझे पूरी बात बताना की क्या हुआ है ... ठीक है !!
रीमा भी किसी अच्छे बच्चे की तरह उठ कर खड़ी हो गयी और कमरे में चली गयी ...








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