Saturday, November 30, 2013

FUN-MAZA-MASTI तकलीफ--1

FUN-MAZA-MASTI

 तकलीफ--1

 ये कहानी मै सभी सेक्सी भाभियो को डेडीकेट करता हु. और उम्मीद करता हु की वो इसे पसंद करेगी और अपने फीडबेक देगी.

पहेले में मेरी और मेरी फेमिली के बारे जो जरुरी हे वो में फटाफट बता देता हु. तो बात कुछ तब शुरू हुई थी जब मै ९ कक्षा में पढ़ रहा था. माँ और पिताजी सूरत में रहेते थे और मै मेरे तिन भाई भाभी के साथ मुंबई में रहेता था. तीनो भाइयो की शादी हो चुकी थी. सबसे बडे भाई-भाभी का नाम सागर और सुमन था. दुसरे भाई-भाभी का नाम राकेश और ज्योति था और तीसरे का प्रकाश और पायल था. सब से छोटा में था. सुमन भाभी कुछ ३८ साल की थी, ज्योति भाभी ३२ की और पायल भाभी २७ की.

सब अपनी-अपनी फेमिली लाइफ में खुश थे. फेमिली का बिजनेस था और तीनो भाइ-भाभिया मिलजुल के रहेते थे. मेराभी तीनो भाई-भाभियों के प्रति बड़ा प्रेम था. खास कर तीनो भाभियों के प्रति क्योंकि मेरी सुबह की स्कुल थी और दिन भर में उन्ही के साथ रहेता था.

Teen age में प्रवेश कर चूका था इसीलिए हर सुन्दर स्त्री के प्रति आकर्षण रहेना स्वाभाविक था जिसमे मेरी अपनी भाभिया भी शामिल थी. मैं उन्हें खूब पसंद करता था. न की मात्र उनका स्वाभाव अच्छा था परन्तु वो सब दिखने में भी उतनी ही अच्छी थी. वो सभी गोरी तो नहीं थी पर सुन्दर थी. सुन्दरता उनके हर अंग में थी पर एसा लगता था की तीनो भाइयो ने जैसे आपस में ठान लिया था की शादी करेंगे तो बड़े बड़े स्तन वाली लड़की से ही करेंगे. कोईभी अगर भाभियों को मिलता तो पहेली नज़र उनके स्तन पर ही जाती बादमे चहेरे पे. पल्लू के निचे क्या साइज़ के स्तन होंगे वोही सोचने में कई लोगो की नज़र उनके स्तन से हटती भी नहीं थी. इसमें मैं भी शामिल हु. और कभी स्तन पर से पल्लू जरासा भी इधरउधर हुआ तब तो लोगों की शामत आ जाती. पर मैं इस बारे में लकी हु. मैंने भरभर के उनके स्तन देखने के आनंद लिया हे. कई बार एसा सोचा की वो सब मेरी माता समान है और बुरी नज़र से देखना पाप हे पर खुदको रोकना मुश्किल था जब हररोज नज़ारा ही कुछ एसा देखनेको मिले. रात को अक्सर स्त्रीया सोते वक्त अपनी ब्रा निकाल देती है और ख़ास कर अगर स्तन अपनी ब्रा में समाते न हो तब तो ब्रा फटाकसे खोल कर फ़ेंक देती है ताकि थोडा रिलेक्स रह सके और पतिओ की नींद हराम कर सके. सुबह उठते ही वो कामकाज में खो जाती हे और अक्सर उनको अपने कपड़ों का ख्याल नहीं रहेता. कई बार तो वे लोग अपनी साडी का पल्लू अपने स्तन पर से निकाल के अपनी कमर में डाल देते थे. अगर छलकते-उछलते हुए स्तनवाली और लचकती हुई कमरवाली सुंदरियाँ आप के आसपास घुमती हो तो कोई कैसे अपने आप को रोक सकता है. खास कर घर में पोछा करते वक्त स्तन का सरक के अचानक बहार आना और वो ज़ुलते हुए स्तन को दबोच के वापस अपने ब्लाउज में डालना और अपने काम में फिरसे व्यस्त होना वो सब मेरी आँखों के सामने अक्सर होता था और में उसके जी भर के मज़े लेता था.

 खैर, अब मैं बात करता हूँ मेरी उस बीमारी की जिससे मेरी जिंदगी पूरी तरह बदल गई. एक रात की बात है. अचानक मेरी नींद खुल गई. मुजे लगा जैसे मेरे लंड पे किसी ने जोर से काटा हो. मैंने फटाक से मेरी हाफ पेंट उतारी और लंड को बाहर निकला. और मैंने क्या देखा? एक मकड़ी मेरे लंड पे जोर से चिपकी हुई है. बिना देर किये मैंने उसे उखाड़ फेंका किन्तु उसके दो कांटे अभी भी मेरे लंड पे गड़े हुए थे. मैं दर्द के मारे चीखा. मेरी चीख सुनके पास के रूम में से सागर भैया और सुमन भाभी दौड़े चले आये. देखा तो मैं लंड हाथ में लिए बैठा हु और दर्द से मेरी हालत ख़राब है. भैया-भाभी को मैंने सब कुछ बताया. भाभी दौड़े और फ्रिज में से बर्फ लाके भैया को मेरे लंड पे रगड़ ने को बोला ताकि दर्द कम हो और सुजन न हो. भैया ने फटाफट मेरे लंड को हाथ में लिए बर्फ की मालिश करने लगे. भाभीने तब तक सब को बुला लिया और जो हुआ उसके बारे में बताया. सब मेरी हालत देख के परेशान थे.

बर्फ के मालिश से भी कोई फर्क नहीं हो रहा था. ऊपर से मेरा दर्द और बढ़ा और मेरा लंड सुजन के मारे गधे के लंड जैसा लम्बा और मोटा हो गया. अब मेरे लिए दर्द बर्दाश से बाहर था. घर के लोग भी बेचेन थे की करे तो क्या करे. आखिर में आधी रात को डॉक्टर को फोन कर के बुलाया. डॉक्टर ने जाँच करके बोला की मुजे बर्फ के मालिश की नहीं बलके हलके से गर्म पानी की मालिश करनी थी. जिस मकड़ी ने काटा थे वो एक अलग किसम की मकड़ी थी जिसके काट ने पर गर्म पानी की मालिश राहत देती है और सुजन फैलती नहीं है. अब हलके से गर्म पानी की मालिश शुरू की. कुछ समय बाद थोड़ी सुजन कम हुई और दर्द में भी राहत थी. करीब एक घंटे बाद पूरी सुजन और दर्द गायब हो गया. सब ने रहत की सांस ली और कुछ समय मेरे साथ व्यतीत करने के बाद सब लोग वापस सोने के लिए चले गए. मुझेभी कुछ समय बाद नींद आ गयी.

दुसरे दिन दोपहर को वापस वोही दर्द वोही सुजन होने लगी. फिर से मेरा लंड मोटा और लम्बा हो गया. मैंने भाभियों को आवाज़ दी और वे सब काम छोड़ के मेरे पास दौड़ी आई. वापस मेरी ये हालत देख कर चिंता करने लगी. ज्योति भाभी झट से हल्का सा गर्म पानी लेके आई और मेरे लंड को अपने हाथों में लेकर मालिश करने लगी. करीब एक घंटे बाद फिरसे सब नोर्मल हो गया. शाम को जब भैया घर आये तो भाभियों ने दोपहर को जो हुआ उसके बारे में बताया. सब लोग मेरी ये अजीब किसम की तकलीफ से परेशान थे.

उस दिन शाम को सागर भैया मुझे डॉक्टर के पास लेके गए. डॉक्टर के काफी जाँच करने के बाद कहा की मेरे लंड पर से मकड़ी के दो कांटे तो निकाल ने पड़ेंगे परन्तु मकड़ी का जहर मेरे लंड के निचे की वृषण में चला गया है और जब तक जहर वृषण मैं है तब तक लंड ऐसे ही सूज जायेगा. डॉक्टर ने मेरे लंड से मकड़ी के कांटे निकाले और जहर की असर को कम करनेके लिए कुछ टेबलेट्स दिए. साथ में एक इलेक्ट्रिक से चलने वाली करीब एक फिट लम्बी प्लास्टिक की नाली भी दी. जैसे पानी का कोई पाइप हो. जिसका एक छोड़ बंध था पर दूसरे छोड़ पर एक छोटा सा छेद था. बाद में मुझे पता चला की इसे आर्टिफिसियल चूत कहते हैं जिसका अंदरका तापमान आप अपनी जरुरत के हिसाब से कम-ज्यादा कर सकते है. डॉक्टर ने बोला की जब भी मेरा लंड सूज जाये तब ये आर्टिफिसियल चूतका तापमान अपने शरीरके तापमान जितना रखके तुरंत अपना लंड उसमे डालना. ये जरुरी है की वो चूत का तापमान शरीरके तापमान जितना ही हो. इससे जहर की साइड इफेक्ट चली जाएगी और राहत भी मिलेगी.

 उस रात को मेरे मन में एक ही द्रश्य छा रहा था. ज्योति भाभी कैसे मेरा लंड अपने हाथों में ले कर मालिश कर रही थी!! मेरा तो पूरा शरीर ये सोच के ही गर्म हो रहा था की ज्योति भाभी ने मेरे लंड को छुआ था. इतना ही नहीं, उन्होंने अपने हाथ में ले कर मालिश भी की थी. वो भी एक घंटे तक. वैसे तो दर्द की वजह से शुरू में मुजे कुछ भी समज नहीं थी पर जैसे ही मेरा दर्द कम हुआ वैसे ही मेरी नज़र ज्योति भाभी पड़ी. भाभी मेरे लंड की और झुके थे और छाती से पल्लू कही और गिर के पड़ा था. ब्लाउज में कैद उनके बड़े बड़े स्तन मेरी आँखों के सामने झूल रहे थे. वैसे तो कई बार उनके स्तन की गहरी खाई देखि थी पर आज पहेली बार इतने करीब से और इतनी फुरसत से करीब-करीब पुरे स्तन देखने को मिले थे. में उनके स्तन का हरएक हिस्सा आँखों से चूम रहा था यही आशा से के कही मुझे उनके निप्पल की झलक देखने को मिले या फिर उनके स्तन ब्लाउज में से सरक के बहार निकल आये. पर ऐसा कुछा न ही हुआ. खैर कोई बात नहीं पर आज मालुम पड़ा की उनके स्तन पर दो तिल है. बांये स्तन पर एक लाल तिल है और दांये स्तन पर शायद थोडा निप्पल के बाजू में एक और काला तिल है जो उनके स्तन की खूबसूरती को चार चाँद लगाते है. ऊपर से उनके लम्बे घने केसु जैसे उनके बदन पर से कोई लहराती हुई नदी जा रही हो. कुछ लटें स्तन के ऊपर से गुजरती हुई उनकी मख्खन जैसी कमर को लिपट रही थी. कुछ लटें उनके बाजुओं से गुजर कर जमीन पर बिखरी हुई थी. कुछ उनके ताज़ा खिले हुए गुलाब की पंखडी जैसे होंठो को चूम रही थी जिसे वो बार बार हटा रही थी. कुछ लटें उनके कान के झुमखे मै उल्ज़ी हुई थी. कुछ लटें उनकी कजरारी आँखों पर परदा कर रही थी. उनकी तो हर हिलचाल मैं भी संगीत था. कभी उनके झुमखे का तो कभी उनके पायल की झनकार या फिर चूड़ी की खनकार. मेरी तो नींद हराम हो चुकी थी और में यही राह देख रहा था की कब मेरा लंड फिर से सूज जाए और कब ज्योति भाभी अपने कोमल हाथों से मालिश करे!! पर अब तो मालिश कहाँ? आर्टिफीसियल चूत जो थी. 

दुसरे दिन रात को खाना खाने के बाद सब लोग ड्राइंग रूम में बैठे थे और बाते कर रहे थे तभी फिर से लंड पर सुजन आई और सिर्फ पांच मिनट में लंड चड्डी के नीचेसे निकल कर घुटनों तक लम्बा हो गया. सबने ये होते हुए देखा और झट से मुझे मेरे कमरे में ले गए. इस बार मुझे थोडा दर्द कम था. शायद दवाई की असर थी. सागर भैया ने वो आर्टिफीसियल चूत का वायर लगाया और उसे गर्म करने को रखी. तब तक मैंने मेरी चड्डी निकाल दी और मेरे बेड पर बैठ गया. इस बार मुजे नंगे होने में कुछ शर्म भी आ रही थी. सब लोग मेरे आस पास खड़े थे और आशा करते थे की जल्द से जल्द सब ठीक हो जाय. भैया ने दो मिनट बाद कुछ जेल जैसा मेरे पुरे लंड पर लगाया और वो चूत को मेरे लंड के सुपडे के पास लाये और मुजे बोले की धीरे धीरे मैं लंड उसमे डालू. मैंने मेरे लंड को उस चूत में डाल ना शुरू किया. जैसे ही मैंने लंड को उस चूत के मुंह पर दबाया वो आगे से हलकी सी खुल गयी. जैसे जैसे मै लंड डाल रहा था वैसे वैसे वो चूत में मानो जगह बन रही थी और मुझे उसकी गर्मी का एहसास हो रहा था. वो काफी मुलायम भी थी. काफी आसानी से मेरा पूरा लंड उसमे चला गया. मेरे पुरे लंड को एक साथ एक समान गर्मी मिल रही थी और मुझे भी काफी अच्छा महेसुस हो रहा था. मेरे आस-पास बैठ के सब लोग बाते कर रहे थे और मेरे ठीक होने का इंतज़ार कर रहे थे. करीब आधे घंटे के बाद मेरा दर्द पूरा चला गया पर सुजन अभी भी थी. में भी नंगा बैठा हुआ हाथ में चूत लिए सब की बाते सुन रहा था. सोच रहा था की क्या सच में चूत ऐसी होती है!! क्या चूत में ऐसे लंड डालते है!! और लंड डाल ने का एहसास क्या ऐसा होता है!! मुजे एक अलग सा एक्साईट्मैंट हो रहा था और काफी आश्चर्य हो रहा था पर बाकी लोंगो को देखा तो लगता था की जैसे उनके लिए ये कोई नयी बात नहीं है. एकदम सहजता से एक दुसरे से बाते कर रहे थे.

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