Sunday, March 16, 2014

FUN-MAZA-MASTI फागुन के दिन चार--113

FUN-MAZA-MASTI

   फागुन के दिन चार--113
गतांक से आगे ...........


 शीला भाभी का शरीर बिलकुल शिथिल पड़ गया था।
वो पसीने से नहा गयी थीं।

उनकी योनी का क्रमाकुंचन भी बंद हो गया था , लेकिन मेरा लिंग लगता था शहद के कूप में हैं।

लेकिन थोड़ी देर में ही भाभी फिर मैदान में आ गयी , चुम्बनो और उनके उरोजों के सहलाने का असर और उससे भी बढ़ कर खुद शीला भाभी का जोश।

मेरा लंड अब फिर एक बार हलके हलके उनकी बुर में आगे पीछे होने लगा , चूंचिया मैं जोर से मसलने लगा और नीचे से शीला भाभी भी अपने भारी भारी चूतड़ उठा उठा जे धक्के का जवाब धक्के से देने लगी।

और अब एक बार फिर उनकी बुर मेरे लंड को कस कस के दबोचने भींचने लगी थी।

" भाभी , आपकी बुर कितनी कसी है और कितनी मस्त " मैंने धक्को की रफ्तार बढ़ाते हुए भाभी की तारीफ की।
उन्होंने जोर से मुझे भींच के मेरे गाल कस के काट लिए और बोलीं ,


" लाला , पांच साल बाद बुर में लंड जा रहा है "

मुझे उनकी व्यथा कथा मालूम थी। शादी के बाद से ही, उनके पति , पुरुष प्रेमी थे और वो बॉटम , पैसिव।

इसलिए मैंने वो बात टाल दी और शादी के पहले की बात छेड़ी ,

" लेकिन भाभी उसके पहले तो ,… " और मेरी बात काट के शीला भाभी ने अपनी पूरी कहानी बतानी शुरू कर दी।

वो एक बार झड चुकी थीं , इसलिए न उन्हें जल्दी थी न मुझे।

वो बोलीं ,

" वो जो तेरा माल है ना साल्ली , छिनार , तेरी बहन , रंजी। फनफनाती फिरते है चूतड़ मटकाती , चुदवासी। जिस छिनार को चोदने में तुम इतना शरमा लजा रहे हो , जब मैं उसकी उमर की थी सात आठ लंड घोंट चुकी थी। "

उनके निपल को हलके से बाइट कर के मैंने पूछा ,

" मतलब भाभी , आप सात आठ बार चुद चुकी थीं। "

" तुम भी न लाला , तुझे बहुत सीखाना पड़ेगा। अरे खाते समय रोटी और जवानी में चुदाते समय कोई चुदाई , गिनता है।

सात आठ लड़कों , मरदो के लंड मैं घोंट चुकी थी और कितनी बार चुदी ये न मैंने हिसाब रखा न चोदने वालों ने। और उस तेरी रंजी साली का अभी तक खाता भी नहीं खुला। "

मेरे सीने पे अपने गदराये बड़े बड़े जोबन रगड़ते भाभी बोलीं।

अपना लंड शीला भाभी की बुर में गोल गोल घुमाते मैंने पुछा , " भाभी कब , कौन था वो खुश किस्मत ,… "

और मेरे बिना पूरा बोले भाभी बात समझ गयीं और , फ्लैश बैक में चली गयीं।


 फलैश बैक , शीला भाभी की सील टूटी


और मेरे बिना पूरा बोले भाभी बात समझ गयीं और , फ्लैश बैक में चली गयीं।

" आज का ही दिन था , होली का , और में तेरे माल , उस रंजी से एक साल से छोटी ही रही होउंगी। घर पे मैं सिर्फ थी और मेरी भाभी , बाकी लोग कहीं शादी में गए थे। मेर इम्तहान थे इसलिए मैं और मेरा साथ देने के लिए भाभी रुक गयी थीं।

मेरे एक जीजा थे और मैंने और भाभी ने बहुत उनसे कहा था कि होली में जर्रूर आयें। "


मैं चुपचाप सुन रहा था। बजाय हुंकारी भरने के , कभी मेरे होंठ , भाभी के भरे भरे गाल काट लेते तो कभी चूंची पे अपने दांत के निशान बना देते।

भाभी ने बात आगे बढ़ायी।

जब उनके जीजा घर आये तो शीला भाभी और उनकी भाभी ने बहोत प्लानिंग की थी। लेकिन जीजू ने सीधे अपनी कुँवारी , किशोर साली पे हमला किया और उस कच्ची कली के गालों का रस रंग लगाने के बहाने लेने लगे। लेकिन उनका टारगेट उसके टॉप में छिपे जवानी के फूल थे और गालों से फिसल के जल्द ही हाथ टॉप के अंदर घुस गए।

शीला भाभी ने बहोत कोशिश की , लेकिन उनकी भाभी ने पाला बदल लिया था और अपनी ननद की कोमल कलाइयों को पीछे से पकड़ लिया था। यही नहीं , उन्होंने पीछे से टॉप उठा के उनके टीन ब्रा के हुक भी खोल दिए और अब दोनों कबूतर जीजू के हाथ में थे।

खूब जम के वो रगड़ मसल रहे थे कि , शीला भाभी की भाभी ने अपने नंदोई को ललकारा ,

" अरे नंदोई जी तोहार छोट साली है , होली के दिन भी बहन , बहन में फर्क कर रहे है। होली साली से खेलना है या उसके टॉप से , "

और अगले ही पल पहले टॉप और फिर ब्रा , आँगन में आ गयी और जीजू ने खुल के जोबन मर्दन शुरू कर दिया। यही नहीं , उनका एक हाथ अब शीला भाभी की स्कर्ट में घुस गया और उनकी चड्ढी भी उतर गयी।

पहली बार उनकी चुन्मुनिया पे किसी मर्द का हाथ पड़ा था।

लेकिन थोड़ी देर में जीजू और भाभी का भी यही हाल हो गया।

लेकिन प्लानिंग तो कुछ और थी।

रंग फैले हुए आँगन में ही जीजू ने अपनी किशोर साली पे चढ़ाई कर दी। और भाभी उनका पूरा साथ दे रही थीं। एक हाथ भाभी ने पकड़ रखा था और साथ ही अपनी ननद की किशोर चूंचियांभी जम के दबा मसल रही थीं।

और नंदोई को ललकार रही थीं ,

" अरे नंदोई जी , छोटी छोटी चूंचियां है ,बुर बिना बाल की
चोदो जीजू कस के ,साली है कमाल की। "


यहाँ तक की जब जीजू ने लंड ठेला ,और शीला भाभी जोर से चीखीं , उनके जीजा ने मुंह बंद करने की कोशिश की तो , उनकी भाभी ने मना कर दिया। और बोली ,

" अरे चिल्लाने दो न साली को , अब सुपाड़ा घोंट लिया है उसने , तो वो लाख चूतड़ पटके लंड तो उसे पूरा घोटना ही होगा। रगड़ रगड़ कर चोदो , कच्ची कली की चूत फाड़ने का मजा तो तभी है जब रोये चिल्लाये। "

मैंने शीला भाभी से पूछा ,

" आपको अपनी भाभी पे गुस्सा नहीं आया "

तो वो नीचे से जोर से चूतड़ उठा के मेरे धक्के का जवाब देते बोलीं ,

" उस समय तो बहुत आया लेकिन , बाद में जब चुदाई का मजा आने लगा तब सब गुस्सा ख़तम हो गया। और अब तो लगता है की उनकी बात कितनी सही थी , झिल्ली रोज रोज थोड़े ही फटती है। "

और ये कह के उन्होंने जोर से मुझे अपनी बाहों में भींच लिया और साथ ही उनकी बुर ने भी मेरे पूरे धंसे लंड को दबोच लिया , पूरी ताकत से।

शीला भाभी ने अपनी बात आगे बढ़ायी ,

" मैं रो रही , चीख रही थी जोर जोर से चूतड़ आंगन में पटक रही थी , लेकिन बाहर होली का इतनी जोर से हंगामा चल रहा था की गालियों, जोगीड़ा और कबीर के शोर में मेरी चीख कौन सुनने वाला था , ये बात भाभी अच्छी तरह जानती थीं। हाँ मेरे दोनों हाथ उन्होंने कस के पकड़ रखे थे की कहीं मैं छुड़ाने की कोशिश ना करूँ।

जीजू मेरी दोनों चुन्चिया मसलते , अब खुल के , हचक हचक के धक्के लगा रहे थे।

भाभी मुझे समझा भी रही थीं की अरे तू किस्मत वाली है , तेरी चूत ऐन होली के दिन फटी , वो भी अपने जीजू के साथ। अब देखना तेरी चूतरानी को खूब मजे मिलेंगे। जीजू का लंड भी तगड़ा था , हाँ तेरे ऐसा गधे या घोड़े जैसा नहीं था , लेकिन कुँवारी चूत को हिला देने के लिए बहुत था। "

अपनी तारीफ सुन के मेरे जंगबहादुर फूल के कुप्पा हो गए और सुपाड़ा तक लंड बाहर निकाल कर मैंने हचक के एक जोरदार धक्का मारा।

" जबरदस्त चोदू हो तुम , तेरे सारे मायकेवालियों को तुमसे चुदवाउंगी , "

नीचे से धक्के के जवाब में जोर से चूतड़ उछालते , शीला भाभी बोली।

वो फिर बात मेरी ओर मोड़ती , मैंने उन्हें उनकी पहली चुदाई के किस्से की और वापस भेज दिया।

" भाभी , फिर क्या हुआ " मैंने पुछा।

" अरे जब चोद के मेरी चूत जीजू उठे तो मैं हिल नहीं पा रही थी। सहारा देके उन्होंने और भाभी ने मुझे बैठाया। फिर भाभी , ठंडाई के बड़े बड़े ग्लास लायी और हम तीनो ने पिया। और भांग के जब सब नशे में चूर थे तब मुझे असली बात पता चली। " वो बोलीं।

" क्या थी असली बात " मैं अपने को रोक नहीं पाया।

" असल में मेरी भाभी , अपने नंदोई से चुदना चाह्ती थीं। मेरे भैया तो बिजनेस के चक्कर में महीने में २० दिन बाहर रहते थे। लेकिन उनके नंदोई यानि मेरे जीजू ने शर्त ये रखी , की उन्हें पहले अपनी अन चुदी कुँवारी साली चाहिए। इसलिए होली के दिन भाभी ने ये सीन फिट किया। "

शीला भाभी ने बताया।

" तो क्या आपके जीजू ने आपकी भाभी को ? " मैंने पुछा।

" एकदम वहीँ , होली के रंगभरे आँगन में , पटक पटक कर , और उस बार भाभी के दोनों हाथ मैंने पकड़े। ' हँसते हुए शीला भाभी बोलीं।

भाभी आपकी तो फिर होली अच्छी हो गयी। मैंने उनकी चूंची दबाते हुए , मुस्करा के कहा।

" अरे कुछ नहीं , असली रगड़ाई तो फिर हुयी रात को "

वो हंस के बोली , फिर उन्होने एक ज्ञान की बात बतायी


" मेरी भाभी ने बाद में समझाया और अब मैंने भी मानती हूँ , की अगर किसी नयी लौंडिया को चोदो , तो कम से कम दो बार जरूर चोदना चाहिए।

वरना उसके मन में डर ,घर कर लेगा , वो हदस जायेगी और अगर कहीं गिल्ट फिलिंग हो गयी तो फिर तो कभी टांग नहीं फैलाएगी। और बेस्ट तो ये है कि दो अलग लंड से चुद जाए , फिर तो उसकी शरम , झिझक , लिहाज सब ख़तम हो जाएगा और खुद उसकी चूत में चींटे काटेंगे।

और फिर लड़के भी बोलेंगे न कि यार दो से चुद चुकी है मेरे में कांटे लगे हैं क्या ? इसलिए एक बार चोद के कभी मत छोड़ना किसी नए माल को। "

मैंने बात गाँठ बाँध ली। लेकिन मैंने पुछा , लेकिन भाभी शाम को कौन ?


 " बताती हूँ , "हंस के वो बोली और पूरा किस्सा बताना शुरू किया कि वो कौन दूसरा लंड था जो उनकी चूत में घुसा।

ये भी उनकी भाभी की कर्टसी ही था।

हम लोगो कि चुदाई भी मध्यम गति से साथ साथ चल रही थी और शीला भाभी ने बताना शुरू किया।

होली की शाम मुन्ना आया था , भाभी का भाई , भाभी से थोडा छोटा और मुझसे चार पांच साल बड़ा। और उसके साथ , भाभी का एक बुआ का लड़का।

मुन्ना को मैं बहुत चिढ़ाती थी , साला , साल्ला बोल के। आखिर मेरे भैया का साल्ला तो था ही , साल्ला।

चौथी में भाभी की शादी के बाद वो आया तो मैंने , मेरी सहेलियों ने जम के उसे गालियां सुनायीं थी , और ज्यादातर , भाभी से उसका नाम जोड़ के.

मुन्ना साल्ला आया हमारे आँगन ,

आने को आदर , बैठन को कुर्सी ,

खाने को खाना , पीने को पानी
अरे सोवन को अरे संग सोवन को

( और मैं जोर से उसे सुना के कहती )

अरे संग को मजा लेवन को ,

हमरी भौजी राजी रे , अरे मुन्ना कि बहिनी राजी रे

( और कोई मेरी सहेली और जोश में जोड़ देती )

अरे संग चुदावन को , बुर मरावन को हमरी भाभी राजी रे।


और भाभी जब मुझे चिढ़ाती कि बिन्नो एक बार चढ़वा लो मुन्ना को तो पता चलेगा , तो मैं मुंह बना के बोलती ,

"अरे भाभी मुझे तो लगता है मुन्ना नहीं मुन्नी है। "

भाभी हंस के बोलतीं , अबकी आएगा ना तो खोल के पकड़ के देख लेना क्या है।

जवाब में मैं बोलती ,

" भाभी , वही साल्ला शर्मा के भाग जाएगा , आपकी ननद नहीं पीछे हटने वाली।"


भाभी ने जब बताया की मुन्ना आया है और उनके बुआ का लड़का लवली , मैं जरा उनसे जा के मिल लू और वो अभी आ रही हैं।

मेरे मन में शरारते नाचने लगीं। मैंने दो ग्लास में खूब भांग मिला के ठंडाई बनायी और एक प्लेट में पक्के रंग और ऊपर से हलकी सी गुलाल की परत।

दोपहर में जबसे जीजू ने मेरी प्रेम गली खोल दी थी मेरी धड़क और बढ़ गयी थी , झिझक और कम हो गयी थी और नीचे 'वहाँ 'हलकी हलकी चींटी काट रही थी।


लेकिन सब दांव उलटा पड गया।

पहले तो उन ने खिंच के मुझे अपने बीच में बैठा लिया और जब मैंने ठंडाई का ग्लास दिया , तो वो लवली , भाभी के बुआ का लड़का बोला ,

" लेडीज फर्स्ट आप जरा सा मुंह लगा दो , तो और मीठा हो जाएगा। "

मैंने सोचा चल झूठ मूंठ मुंह लगा के इन्हे गिलास दे दूंगी और पी के दोनों अंटागफील हो जायेंगे।

लेकिन वो दोनों भी , जैसे मैंने ग्लास मुंह में लगायामुन्ना , भाभी के सगे भाई ने ग्लास पकड़ कर उठा दिया और मेरा सर जबरन पकड़ लिया , और आधे से ज्यादा डबल भांग वाली ठंडाई सीधे मेरे पेट में।

यही नहीं दोनों ने खिंच के सीधे मुझे गोद में बिठा लिया और फिर लवली , भाभी के फुफेरे भाई ने जोर से मेरी नाक पिंच कर दी। मेरे लिए सांस लेनी मुश्किल हो रही थी और मैंने मुंह खोल दिया और एक बार फिर मुन्ना ने दूसरा ग्लास भी मेरे मुंह से लगा दिया , मेरे पास गटक करने के कोई चारा नहीं थी।

डेढ़ ग्लास से ज्यादा भांग कि ठंडाई , थोड़ी ही देर में असर शुरू हो गया।
.
लेकिन रंग डालने में मैं कामयाब हो गयी।

भाभी आ गयीं और उन दोनों ने मुझे छोड़ दिया। मैंने दोनों के पीछे जा के मांग में भर भर लाल गुलाल डाल दिया और बाकी उनके गाल पे। और चिढ़ाने लगी ,

" भाभी देखिये आप के दोनों भाईओं का सिन्दूर दान हो गया। इन दोनों के मांग में सिन्दूर कितना अच्छा लग रहा है। "


लेकिन लवली ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोला ,

" अरे जानूं , सिंदूर दान तो कर दिया है , फिर तो सुहाग रात भी मनानी पड़ेगी। "


मैं कुछ बोलती इस के पहले भाभी ने मेरी और से जवाब दे दिया ,


" अरे मेरी बिन्नो को समझते क्या हो तुम दोनों। बस तुम रात को रुक जाओ तो ये सुहाग रात भी मना लेगी। आज होली को इस ने तय किया कि किसी को मना नहीं करेगी। "


" लेकिन दी , सिंदूर दान तो आपकी ननद ने दोनों के साथ कर दिया है तो फिर ,"

भाभी के सगे भाई , मुन्ना ने सवाल किया।

" अरे छोटी सी बात , तुम लोग समझते क्या हो मेरी ननद को , दोनों के साथ मना लेगी। बस तुम दोनों पुर्जी निकाल लेना की कौन पह्ले नंबर लगाएगा , या फिर साथ साथ,…" हँसते हुए बोलीं


तब तक लवली ने प्लेट में रखा गुलाल उठा के मेरे गाल पे लगाना शुरू कर दिया।

मैंने कुछ हाथ चलाया , तो फिर भाभी ने आके पीछे से मेरे दोनों हाथ पकड़ लिया और बोलीं ,

" ये फाउल है , जब तुम सिंदूर दान कर रही थीं तो मेरे सीधे साधे भाई ने तुम्हारा हाथ पकड़ा क्या , तो अब जब मेरे भाई डाल रहे हैं तो तुम भी चुप चाप डलवा लो। "

और साथ ही उन्होंने अपने सगे भाई को भी ललकारा ,

" अरे मुन्ना तू भी आ जा ना , लवली गाल के मजे ले रहा है तो तू सीधे मॉल पे पहुँच जा।

मुन्ना का एक हाथ टॉप के ऊपर से और दूसरा टॉप के नीचे से , और मेरे दोनों कबूतर उसके हाथ में थे। गुलाल तो सिर्फ बहाना था , वो मेरे उठते उभारों का रस ले रहा था। एक बार कस के दबा के उसने भाभी से बोला ,

" दी जीजू का माल तो बहुत मस्त है। "

भाभी मेरे दोनों हाथ कस के पकडे हंस के बोली ,

" अरे इस मस्त माल पे मस्ती भी बहुत चढ़ी है , जरा रगड़ रगड़ के छुड़ा दो। "

फिर क्या था , वो कचकचा के मेरेउठते जोबन रगड़ रहा था और बोला ,

"आज , जीजू को साल्ला बना के ही जाऊंगा। '

अब मुझे भी मजा आ रहा था और भांग भी चढ़ गयी थी। मैं बोली ,

" अरी साल्ले , तू साल्ला है , साल्ला रहेगा और मेरे भैया , जीजू रहेंगे। "

वो और भाभी एक साथ बोले , " कल सुबह पूछेंगे तुमसे। "

तबतक भाभी के कजिन लवली ने स्कर्ट उठा के सीधे पीछे मेरे नितम्बो को सहलाना शुरू कर दिया और मुन्ना का एक हाथ मेरी पैंटी के अंदर घुस के मेरी चुन्मुनिया को रगड़ने लगा। उस गुलाबी बुलबुल की चोंच ने आज पहली बार चारा खाया था इसलिए ज्यादा ही चहक रही थी।


भाभी हमे छोड़ कर चली गयी , फिर तो वो दोनों और बदमाशी पे उतर आये , लेकिन मैंने भी दोनों के पैंट में नाप जोख कर ली।

खाने के समय भी छेड़ खानी चालु थी।

जब भैया नहीं होते तो मैं और भाभी साथ सोते थे और भाभी अपनी और भैया की कब्बड़ी का हाल खुल के बताती थी।

आज वो दोनों भी साथ आ गए। मुन्ना भाभी का सगा भाई मेरी साइड में लेटा और लवली , उनका कजिन भाभी की ओर।

" फिर कुछ हुआ " मैंने मैंने जोर से धक्का मारते हुए शीला भाभी से पुछा।


 " अरे लाला , ये पूछो क्या नहीं हुआ। " नीचे से जोर से चूतड़ उठा के धक्के का जवाब धक्के से देती हुयी वो बोलीं।

फिर उन्होंने बात आगे बढ़ायी ,

भाभी का सगा भाई , मुन्ना थोड़े ही देर में वो मेरे ऊपर चढ़ायी करने की कोशिश करने लगा। मन तो मेरा भी कर रहा था , लेकिन मैं ना नुकुर कर रही थी।

लेकिन फिर जैसे जब जीजा ने चढ़ाई की थी , तो भाभी ने जीजू का साथ दिया बिलकुल उसी तरह अब वो फिर मैदान में आ गयीं , और उन्होंने मेरे दोनों हाथ जोर से पकड़ लिए।

अबकी भाभी का कजिन लवली भी उन के साथ था , वो तीन मैं अकेली।

लवली ने मुन्ना से बोला , "

चल यार तू नीचे का मोर्चा सम्हाल , मैं ऊपर का मजा लेता हूँ "

और दोनों जोबन जोर जोर से मसलने लगा। मस्ती से मेरी हालत और खराब हो गयी।

भाभी ने मेरे कान में चिढ़ाया ,

" अरे यार तेरे भैया को मैं रोज देती हूँ , आज होली का दिन है तू मेरे भाइयों को दे दे ना। "

फिर , मैंने पुछा।

फिर क्या , शीला भाभी ने बात आगे बढ़ायी।

मुन्ना ने मेरी दोनों टाँगे उठा के हचक के एक धक्का दिया और सुपाड़ा अंदर , बहुत परपराया लेकिन मैं चीख भी नहीं पायी।

क्यों ,मैं अपनी उत्सुकता रोक नहीं पाया।


' इसलिए की लवली , भाभी के कजिन ने मेरे मुंह में अपना लंड ठेल दिया। जैसे ही मैं चीखी , भाभी ने जोर से मेरा चेहरा पकड़ लिया और मौके का फायदा उठा के मेरे खुले मुंह में लवली ने लंड घुसेड़ दिया। भाभी ने और अपने भाई को चढ़ाया ,

" मुन्ना अब आराम आराम से ले इसकी। एक बार तेरा सुपाड़ा घुस गया है अंदर , अब ये छिनार लाख चूतड़ पटके बिना चुदवाये बच नहीं सकती। "

और भाभी की बात एकदम सही थी। मैं गों गो करती रही , लेकिन लवली ने आधे से ज्यादा लंड मेरे मुंह में पेल रखा था , और मैं बोल नहीं पा रही थी।

और कमर भी मैं लाख हिला रही थी , चूतड़ पटक रही थी , लेकिन जैसे कोई बोतल में काक अटक जाय , भाभी के भाई , मुन्ना का लंड मेरी चूत में धंसा था और उसके निकलने का कोई सवाल नहीं था। ऊपर से भाभी और मजे है ले रही थी मुझे चिढ़ा रही थी,


" अरे बिन्नो , होली की रात में एक साथ दो दो औजार बड़ी किस्मत वाली को मिलते हैं। और मेरे अलावा यहाँ है कौन , ले ले खुल के मजे। वैसे भी अब तो ये दोनों तेरे ऐसे मस्त माल को बिना चोदे तो छोड़ेंगे नहीं। तो चाहे जबरदस्ती चुदवाओ चाहे ख़ुशी खुशी। "


मैंने भी सोचा भाभी ठीक कह रही है, और फिर मैं भी खुल के मजे लेने लगी।

फिर आदत के मुताबिक़ मैंने पूछ लिया और शीला भाभी ने जोर से मुझे बाँहों में भींच के कहा ,

" फिर क्या। फिर हचक के चुदी मैं। तेरी रंजी की तरह थोड़े ही , की खुद चुदवासी, छनछनाती फिर रही है और तुम भी लार टपकाते रहते हो ये नहीं की पटक के पेल दो साल्ली को। उससे मैं एक साल से ज्यादा छोटी थी और एक साथ दो दो लंड , एक बुर में , एक मुंह में।

थोड़ी देर में जब भाभी को लग गया की अब मैं कोई छिनालपना नहीं करुँगी और मजे ले ले के चुदवा रही हूँ , तो उन्होंने अपने कजिन लवली को इशारा किया और उसने मेरे मुंह से लंड बाहर निकाल लिया।

और उसके बाद तो मुन्ना, भाभी के सगे भाई ने वो रगड़ रगड़ के चोदा , चुदी तो मैं सुबह जीजू के साथ भी थी , लेकिन पहली बार था , इसलिए दर्द बहुत हो रहा था।

दूसरे दिन का समय था तो ये भी था की कही कोई पड़ोसन दरवाजा ना खटखटाने लगे।

अभी तो पूरी रात अपनी थी। साथ में लवली भी , कभी मेरी चूंची दबाता तो कभी निपल चूस लेता। और भाभी खूब मुझे चिढ़ा रही थीं , अपने भाई को ललकार रही थीं। यहाँ तक की जब वो , झड़ने लगा तो भाभी ने कहा ,

"खिला दो इसको पूरी मलाई , एक बूँद भी बाहर नहीं आनी चाहिए। घबड़ा मत , मेरे पास पिल है कल खिला दूंगी इसको। "

और मुन्ना ने पूरी गाढ़ी मलायी मेरी बुर को खिला दी। थोड़ी देर बाद जब वो मेरे ऊपर से उठा तो मेरी निगाह घडी पे पड़ी। आधे घंटे पूरे चुदी थी मैं।

मेरे बिना हुंकारी भरे शीला भाभी ने कहानी आगे बढ़ायी।

 " असली मजा तो उसके बाद आया। मुन्ना को भूख लग गयी थी। मैं डबल भांग वाली गुझिया ले आयी और उन दोनों के साथ भाभी को भी खिलाया। फिर थोड़ी देर में ही हम चारों टुन्न थे।

मैं एक हाथ में लवली और एक हाथ में मुन्ना का हथियार ले के आगे पीछे कर रही थी और थोड़ी देर में ही दोनों के एकदम तन्ना गए थे। भाभी मुझे चिढ़ा रही थी ,

"चल आज तू मेरे भाइयों से मजा ले ले , फिर तूझे तेरे भाई से भी मजा दिलवाउंगी। "

मैं क्यों पीछे रहती।मैंने भाभी को चिढ़ाया ,

"अरे भाभी मेरे भैया जब आयेंगे तब देखा जाएगा , अभी तो आपका भाई यहाँ है। उसका हथियार भी खड़ा है और आपकी बात मान के मैंने उस के साथ कर भी लिया तो अब आपका नंबर है। मेरे बहुत पीछे पड़ने पे वो मान गयीं फिर मुन्ना उनके साथ ,… "

"मतलब ,…" मैं चौंक गया। मून्ना , मतलब उनका सगा भाई ,…मैने पुछा। मैंने इस फोरम में कितनी कहानियां पढ़ी थी लेकिन मुझे विश्वास नहीं हुआ।


" अरे आगे तो सुनो " शीला भाभी ने बात आगे बढ़ायी।

मुन्ना , मेरी भाभी की दोनों चूंचिया पकड़ के जोर जोर से धक्के मारते बोला ,

" दी कित्ते दिन हो गए "

तो भाभी बोलीं ,

" झूठे ,तीन महीने पहले तो ही मैं मायके आयी थी , सात दिन के लिए और एक दिन जो तूने नागा किया हो। '

मुन्ना , वो भाभी का सगा भाई जोर जोर से धक्के मारते बोला। " अरे दी तीन महीने बहुत होते हैं ".


तब मेरी समझ में आया की भाभी का उससे काफी दिनों से चक्कर था। और प्लान बना के उन्होंने उसे मेरे ऊपर इस लिए चढ़ा दिया था की , एक तो उन का भाई मेरे ऊपर जोर से दीवाना था , और दूसरे भाभी समझ रही थी एक बार मैं उनके भाई से चुद गयी तो वो भी मेरे सामने ही उसके साथ मजे ले सकती है "


लेकिन अचानक शीला भाभी को फिर मेरी और रंजी की याद आ गयी और वो मेरे पीछे पड़ गयीं ,


" अब सोच ले तू सबक सीख ले। मेरी भाभी के सगे भाई ने , भाभी को ,… और रंजी तो तेरी कौन सी सगी बहन है। ममेरी बहन है तेरी और फिर भी इतने दिनों से तू , अरे वो तो मैंने और गुड्डी ने तुम दोनों को इतना चढ़ाया समझाया , तो तुम दोनों थोडा बहुत ,… "

मैंने बात टालने में ही भलाई समझी और शीला भाभी से पूछ लिया ,

" और भाभी वो लवली , आपके भाभी का कजिन ,"

हंस के वो बोलीं ,

" तूने मेरी भाभी को समझा क्या है। उन्होंने उसे उकसा के मेरे उपर चढ़ा दिया। फिर मुन्ना , भाभी को चोद रहा था और उनके बगल में लवली मुझे चोद रहा था। दोनों साथ धक्के लगाते , जैसे कोई बद के कुश्ती लड़े।

और झड़े भी दोनों साथ। लेकिन उसके बाद भी मेरी बचत नहीं थी।

भाभी ने एक बार फिर मुन्ना को और फिर लवली को मेरे ऊपर , चार बार चुदी मैं उस रात , दो बार लवली के साथ और दो बार मुन्ना के साथ ",


" और अपने जीजू को जोड़ ले तो पांच बार " मैंने बोला।

एकदम हंस के शीला भाभी ने माना।

शीला भाभी के पहली चुदाई की कहानी से मैं बहुत ज्यादा जोश में आ गया था।

भाभी की टाँगे मैंने आलमोस्ट दुहरी कर दीं , और उनके दोनों बड़े बड़े चूतड़ पकड़ के जोर का का धक्का मारा। सुपाड़ा सीधे बच्चेदानी से टकराया।

उयीईईईईई , भाभी के मुंह से सिसकी निकल गयी।

लेकिन मैं रुका नहीं , और एक बार फिर लंड सुपाड़े तक निकाल के जोर का धक्का जोर से , शीला भाभी की बुर में लंड दरेरता , रगड़ता , घिसटता घुसा और तभी रुका जब मेरे लंड का बेस उनके क्लिट से रगड़ रहा था।


मैं पूरा लंड भाभी की बुर में घुसाये , जोर जोर से लंड के बेस से घिस्सा मार रहा था। और भाभी की बुर भी , जैसे वो भी उतनी मस्ता रही हो लंड कि रगड़ाई से , अपने आप मेरे मोटे लंड को भींच रही , थी दबोच रही थी , निचोड़ रही थी , जैसे कोई केन क्रशर , गन्ने को निचोड़ कर उसका पूरा रस निकाल ले। 


मेरे दोनों हाथ शीला भाभी की गदराई चूंचियों पे थे और जोर जोर से उन्हें दबा मसल रहे थे। मेरे मन में एक सवाल था , वो मैंने शीला भाभी से पूछ ही लिया ,

" भाभी जब आपकी पहली बार , आपके जीजू ने , फिर भाभी के भाई ने ली थी , तो ,… मेरा मतलब आपकी ये ,… चूंचियां कितनी बड़ी थीं। "

भाभी ने एक बार और जोर से अपनी रसीली बुर मेरे पूरे धंसे लंड पे सिकोड़ी , और कचकचा के मेरा गाल काट के बोलीं ,

" अरे तू खुद सोच न साल्ले , मैंने बोला था न कि तेरे उस माल , ममेरी बहन से एक साल छोटी थी मैं , तो अच्छा चल मैं बता देती हूँ , गुड्डी की छोटी बहन के उभार देखे हैं ,…"

उनकी बात काट के मैं बोला ,

" क्यों भाभी वो छुटकी , उसके तो बड़े बड़े टिकोरे जैसे , "
अब बात काटने कि बारी शीला भाभी की थी। वो हंस के बोली

" अरे लाला वो नहीं , हालंकि दबवाने लायक तो वो भी हो गयी है , उससे बड़ी वाली , मंझली , जो गुड्डी से ठीक छोटी है , उसकी चूंची देखी है बस वैसे ही ,…'

सब लड़कों की तरह मेरी निगाह भी लड़कियों की चूंची पे पहले पड़ती थी , चेहरे पे बाद में और गुड्डी की छोटी बहने तो वैसे भी मेरी होने वाली सालियाँ थीं।

लंड बाहर तक निकाल के मैंने फिर एक जोरदार धक्का दिया , और बोला

" एकदम भाभी , मस्त चूंचियां उठान हैं अभी। "
" और यही उमर होती है , दबाने दबवाने की। इस उम्र से मिजवाना शुरू करने पे मस्त चूंचिया होती है " शीला भाभी बोलीं।

मैं उनका इशारा समझ गया की मुझे गुड्डी की छोटी बहन और अपनी साली पे भी नंबर लगाना शुरू कर देना चाहिये। लेकिन भाभी को मस्का लगाने के लिए मैं बोला ,

" तभी तो भाभी आप का जोबन , इतना मस्त और`ग़द्दर है। लेकिन जिस दिन उस में दूध छलकेगा , ये और मस्त हो जाएगा और तब मैं जरूर इस का मजा लूंगा। "

" अरे लाला तेरे मुंह में घी शक्कर। अरे चूंची से तुम्हे दूध भी पिलाऊंगी , " नीचे से चूतड़ उछालती शीला भाभी बोलीं।

" और भाभी नेग में क्या मिलेगा ,' मैंने भाभी को और चिढ़ाया।

" और क्या, अपनी सारी ननदे , तेरी सारी ससुराल वालियों कि दिलवाउंगी , टिकोरे वालियों से ले के भोसड़ी वालियों तक , अरे भोसड़ी वालियों का मजा अलग ही है , लाला। "


भाभी ने मुझे अपनी बाहों में जोर से भींच के अपनी बुर मेरे लंड पे दबाते बोला।


" अरे भाभी आपके मुंह में घी शक्कर फिर तो मैं आपको दुबारा भी गाभिन करूँगा " मैंने बोला और उनकी ग़द्दर चूंची दबा के जोर जोर से चोदना शुरू कर दिया।

" अरे लाला , अभी पूरा नेग तो बताया नहीं मैंने नीचे से चूतड़ उठा के धक्के मारते शीला भाभी बोलीं। " साथ में गुड्डी की भी ननदें और उस की ससुराल वालियां भी " उन्होंने जोड़ा।

मैं चुदाई में इतना मगन था की बिना कुछ सुने समझे मैंने हामी भर दी और एक बार फिर से आलमोस्ट पूरा लंड निकाल के ऐसा धक्का मारा की भाभी की बच्चेदानी भी हिल गयी।  


जवाब में भाभी के नाख़ून मेरी पीठ में गड़ गए और खूब जोर से अपने चूतड़ उछाल के जवाब दिया।

तब तक मुझे याद आया की भाभी ने मुझसे किस बात के लिए हामी भरवा लिया। भाभी के गदराये गाल काट के मैं बोला ,

" मेरी ससुराल तो ठीक है लेकिन भाभी गुड्डी की ससुराल , "

मेरी बात काट के वो बोली " अब तो लाला तुम हाँ कर दिए हो , अब तो कौनो रास्ता नहीं है। अरे घबड़ा का रहे हो , हम हैं न जौन ससुरी न मानिहै ना ओकर टांग जबरदस्ती फैला दूंगी। "

उसके बाद भाभी ने समझाया भी ,की जब से उनके सामने उनकी भाभी ने अपने सगे भाई से चुदवाया तो वो समझ गयी की रिश्ता सिर्फ एक है लंड और बुर का।

" अरे लाला , लंड का काम है , प्यासी चूत की प्यास बुझाना और चूत का काम है लंड की गरमी शांत करना बस। "

शीला भाभी बात आगे बढ़ाती की मैंने तिहरा हमला कर दिया , मेरे होंठो और एक हाथ ने उनके उभारो पे , एक हाथ ने क्लिट पे और लंड ने बुर पे। मेरे होंठ जोर जोर से भाभी के निपल चूस रहे थे , फ्लिक कर रहे थे , हलके से बाइट कर रहे थे और उन्ही की ताल पे दूसरे निपल को मेरी उँगलियाँ पुल कर रही थी पिंच कर रही थीं।

दुसरे हाथ का अंगूठा कभी जोर से भाभी की क्लिट दबा देता तो कभी मैं , अपने अंगूठे और तर्जनी के बीच उसे गोल गोल घुमाने लगता। और साथ ही किसी इंजन के पिस्टन की तरह मेरा लंड बिना रुके अंदर बाहर हो रहा था।

हम दोनों झड़ने के एकदम करीब थे।

लेकिन मैंने गुड्डी को वचन दिया था की मैं आज भाभी को गाभिन कर के रहूँगा , और मैं उनको उसी आसन में चोदना और उसी तरह से झड़ना चा.हता था जिससे भाभी के गाभिन होने का चांस एक दम पूरा हो।


मैंने भाभी के चूतड़ों को थोडा और उठा दिया और सब कुशन तकिये इस तरह से लगा दिए की उनके चूतड़ पूरी तरह हवा में उठे थे और फिर उनकी टांगो को दुहरा कर दिया। अब हर धक्का सीधे बच्चे दानी पे लग रहा था।

भाभी मस्त हो रही थीं , गिनगिना रहीं थी और फिर उन्होंने झड़ना शुरु कर दिया। उनकी देह शिथिल पड रही थी , आँखे मुंद रही थीं और बुर जोर जोर से मेरे लंड को भींच रही थी।

अब साथ में मैंने भी झड़ना शुरू कर दिया। मैंने पूरी ताकत से जोर से लंड पेला था और सुपाड़ा एक दम बच्चेदानी से सटा था। भाभी के चूतड़ हवा में उठे थे। और मेरी गाढ़ी मलायी सीधे बच्चेदानी पे ही , मैं गिरता रहा , झड़ता रहा।

लग रहा था जैसे बहुत दिनों से सूखी धरती पे तेजी से बारिश हो रही हो धरती हरषा रही हो , भीग रही हो , गीली हो रही हो , सोख रही हो सब रस अपने अंदर।

भाभी ने जोर से मुझे भींच रखा था जैसे वो अब कभी मुझे नहीं छोड़ने वाली।

और जब बारिश रुकी , तो एक बार फिर भाभी की बुर ने मेरे लंड को दबोचना , निचोड़ना शुरू कर दिया , जैसे वो आखिरी बूँद तक रस रोप लेना चाहती हो।

और हुआ वही , मेरे लंड से फिर से वीर्यधार निकलने लगी।

कम से कम एक मुट्ठी गाढी थक्केदार मलायी।

झड़ने के बाद भी दस मिनट तक मैं हिला नहीं। मैं जानता था की इस पोज में , स्पर्म सीधे गर्भाशय में जाएगा और बचा हुआ वीर्य भाभी की योनी की दीवारों में सोख लिया जाएगा।

दस मिनट बाद जब मैंने लंड बाहर निकाला तो भी उनकी चूत की पुत्तियों को मैंने दो उंगली से जोर से दबा के भींच रखा था।

एक भी कतरा बाहर नहीं निकला।

कुछ देर बाद हम दोनों अलग हुए हुए।

मेरे कुछ समझ में नहीं आया लेकिन मैंने उन्हें जोर से चूम लिया।

भाभी खुद ही बोलीं , " मेरी एक भाभी ने समझाया था की जब औरत के पेट में बीज जाता है , वो गाभिन होती है , तो उसे अजीब सा लगता है , एक ख़ास तरह का ,… बस मुझे वैसे ही लग रहा है।, एकदम पक्का , तूने वो काम कर दिया जिसके लिए मैं इतने दिनों से कहाँ कहाँ भटक रही थी। "

मुझे भी बहुत ख़ुशी हुयी आखिर गुड्डी को मैंने प्रामिस किया था। मैंने भाभी के पेट पे हाथ फिराते बोला , तो भाभी दो तीन महीने में उलटी और नौ महीने में केहा केहा , सोहर।

" एकदम लाला और अब तो तुम्हारा नेग पक्का तेरी ससुरालवालियां और गुड्डी की ससुरालवालियां। " वो चिढ़ाते हुए बोलीं। ख़ुशी से उनके आँखे चमक रही थीं। अब वो कल गाँव लौटेंगी तो चैन से।
 


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