Sunday, June 8, 2014

FUN-MAZA-MASTI जुनून भाग-2

FUN-MAZA-MASTI

जुनून भाग-2


हमें अभिनय सीखते सीखते लगभग एक महीना हो चुका था। अब हम मयंक से काफ़ी घुलमिल गये थे। आज मयंक आते ही बोले -
क्षमा तुम्हें अभिनय सीखते हुए लगभग एक महीना हो गया है। आज तुम्हारा इम्तिहान है। अगर तुम इम्तिहान में पास हो गयी तो हम तुम्हें आगे सिखाना जारी रखेगें वरना आज से अभिनय सिखाना बंद।
मयंक की बात सुनकर हम एकदम घब्ररा गये फ़िर जैसे कैसे करके हमने अपने आपको इम्तिहान के लिये तैयार किया।
मयंक - आज तुम्हें एकदम नये किरदार का एवम् नये अभिनय रस का प्रदर्शन करना है। तुम्हें आज अभिनय के सबसे कठिन रसों मे से एक काम रस पर आधारित अभिनय करना है और तुम्हारा किरदार एक तवायफ़ का है।
मैं - पर मयंक हमने इस प्रकार क किरदार कभी नहीं किया है और तुम्हारे सामने करने में हमें संकोच होता है।
मयंक - अरे वाह क्षमा । बहुत बढिया । तुम्हें अपने भैया से छुपाकर अभिनय सीखने में संकोच नहीं होता। क्यों बेकार के बहाने बनाती हो। तवायफ़ का अभिनय अत्याधिक कठिन होता है और हर किसी के बस की बात नहीं है। मै समझ सकता हूँ । मैने ही गलती की जो एक मामूली सी विद्यालय स्तर की अदाकारा को एक उच्च कोटि की अदाकारा समझ बैठा।
मयंक की यह बात पता नहीं क्यों मुझे चुभ गयी और मैं अभिनय के लिये तैयार हो गयी। मैने अपने संवाद पढे और उनका अभ्यास करने लगी। इस नाटक में मयंक का भी किरदार था। वह कोठे पर आया हुआ एक ग्राहक था। मेरा नाम अनारकली था।
अनारकली - आइये हुजुर आज आपने आने में बङी देर कर दी।
ग्राहक - बस मेरी जान तुम्हारे शोख गालॊं और मुलायम उरोजों से खेलने के अलावा भी कम्बख्त कई सारे काम है। उस सब को जाने दो। चलो हमारे लिये शराब लाओ और हमारे हाथ से एक जाम पी कर आज की रात का जश्न चालू करॊ।
इसके बाद हमने मयंक की कोका कोला की बोतल से एक ग्लास भरा और मयंक को दे दिया । फ़िर कहानी के अनुसार मयंक ने हमें वह ग्लास पिला दिया। इसके पश्चात कहानी अनुसार ग्राहक की बीवी कोठे पर आती है, हमारे और उसके बीच में कुछ संवाद होता है। ग्राहक की बीवी के संवाद मयंक ने पढे । और नाटक का अंत हो जाता है। इस समय घङी में १०:०० बज रहे थे और मयंक हमारे काम की तारीफ़ कर रहे थे।
अचानक योनि में हुई हलचल से मेरी नींद टूटी। यह क्या । मै बिस्तर पर पूर्णत: नग्न थी और मयंक मेरी योनि के साथ खेल रहा था। मैने एकदम झटके से मयंक को दूर धकेल दिया।
मैं - मयंक तुम यह क्या कर रहे हो । तुम्हारी इतनी हिम्मत कैसे हुई ?
मयंक - अरे मेरी जान तवायफ़ का अभिनय कर रही हो तो ग्राहक से चुदना पङेगा ना।
मैं - मयंक अपनी जुबान पर काबु रखो। मै अभी चिल्लाकर सब को बुलाती हूँ।
मयंक - तुम कपङे पहनकर चिल्लाओगी या बिना पहने।
मयंक की बात सुन हमें आभास हुआ कि हम अभी भी नग्न ही थे। हमने एक हाथ से अपनी योनि एवम् एक हाथ से किसी तरह अपने उरोजों तो छुपाने की कोशिश की। हमें यह आभास हुआ कि कई बार बहुत सुडोल और पूर्णत: उरोज भी कष्ट का कारण हो सनते हैं। इसके पश्चात हम अपने वस्त्रों को ढूंढने लगे। परन्तु यह क्या हमारे कपङों का कोई अता पता ही नहीं था। ऊपर से मयंक की निगाहें हमारे बदन का रसास्वादन कर रही थी। हमारी हालत बहुत खराब हो गयी। एक तो हम नग्न थे, मयंक हमारे बहुत बुरी नजर से घूर रहा था और हमारे कपङे नही मिल रहे थे।
मयंक - मेरी रानी क्या हुआ तुम चिल्लाई नहीं। चिल्लाओ खूब जोर से चिल्लाओ ताकि सभी लोगों को इस मस्त चीज का आनन्द मिले।
इतना कह मयंक हमारी तरफ़ आने लगा। हम पीछे हठे और उससे हमें छोङने के लिये रोने लगे।
मैं - मयंक प्लीज हमे छोङ दो। हम किसी से कुछ नहीं कहेंगे। जो हुआ हम भूल जायेगे। पर हमें प्लीज छोङ दो।
मयंक - अब लाइन पर आई ना। चलो जाने दिया।
इसके बाद उसने हमे हमारे कपङे दे दिये और् हमने उन्हें पहन लिया।
मैं - मयंक अब हमें और अभिनय नहीं सीखना । तुम इसी वक्त यहाँ से निकल जाओ और हमें अपनी शक्ल कभी मत दिखाना।
इसके बाद हमने मयंक को लगभग धक्का दे कर घर से बाहर निकाल दिया।
मयंक के जाने के बाद हम १-२ घंटे रोते रहे और साथ ही साथ हमने भगवान का शुक्रिया भी किया कि उसने हमें बचा लिया। फिर हमने अपने आपको पूर्णत: नग्न कर लिया और देखा कि कहीं कोई खरोच आदि के निशान तो नहीं है। फिर हमने अपनी योनि का परिक्षण किया यह जानने के लिये कि कहीं उस हरामी ने हमारे साथ सेक्स तो नहीं किया। सब कुछ ठीक देखकर हमारी जान में जान आ गयी। हमने सोचा कि यह एक बुरा सपना था और इसे भूल जाने में ही हमारी भलाई है।
फिर हमने सोचा की आदित्य को इस बारे में बताना चाहिये। परन्तु सोचा कि नहीं इस बारे में कोई नहीं जानता तो इस वाक्ये को यहीं दबा देना चाहिये। इसके पश्चात हम तैयार हो कर सभी लोगों के आने का इंतजार करने लगे।


अगले दिन हम सुबह जल्दी ही उठ गये थे। हम बहुत दुखी थे क्योंकि हमारी अभिनय सीखने की रोज की दिनचर्या पर अब विराम लग गया था। भैया और आदित्य जा चुके थे । लगभग ९:०० बज चुके थे। तभी एकदम दरवाजे पर किसी चीज के टकराने की आवाज आई। हम एकदम चौंक गये। बाहर जाकर देखा तो अखबार में रोल किया हुआ कुछ पङा हुआ था। हमने चारों ओर देखा पर कोई नहीं था। हमने उसे खोल कर देखा तो उसमें कई सारे कागज थे। हमने उन्हे पलटा और -
यह क्या ! हर कागज में हमारी नग्न तसवीर थी। पहली तसवीर में हम पलंग पर लेटे हुए थे और किसी का सर हमारे उरोंजो पर था। दूसरी तसवीर में हमारा कमर के ऊपर का पूरा शरीर नग्न था और फ़िर किसी का सर हमारी योनि के ऊपर था मानो जैसे कोई हमारी योनि चूस रहा हो। तीसरी तसवीर में हम किसी पुरुष के उपर थे और उसका शिश्न हमारी योनि में था उसकी शक्ल नहीं दिख रही थी।
यह सब देखकर हमें थोङी सी बैचेनी हुई। मुझमें उत्तेजना जागी और ऐसा लगा की हमें सेक्स की दरकार है। फ़िर हमने अपने आपको सम्हाला और स्थिति का जायजा लिया।
तभी दरवाजे पर दस्तक होती है। हमने तसवीरों को अलमारी में छुपाया और दरवाजा खोलने गये। वहाँ सामने मयंक था। हम इसके पहले कुछ कहते वह कमरे के अन्दर आ गया।
हम बहुत घबरा गये। इसके पहले कि हम कुछ बोलते वह बोला-
मयंक - अरे मेरी जान ! कैसी लगी तसवीरें।
इतना कहकर वह हमारे पास आ गया और हमारे उरोजों को सहलाने लगा। हमने उसे धक्का देकर दूर कर दिया। इस पर वह भङक गया।
मयंक - ए रांड ! बहुत हो गया तेरा नाटक। अगर ज्यादा इतराई तो तेरी नंगी तसवीर कल सारे शहर में बाँट दूँगा। साली अपने आपको समझती क्या है।
मैं - मैने तुम्हारा क्या बिगाङा है। तुम मेरे साथ ऐसा क्यों कर रहे हो।
मयंक - तेरे भरे हुए मम्मे और मस्त चूत किसी को भी दीवाना बना दे। तू अपने मम्मे और कसी हुई चूत मुझे देदे मैं कुछ नही करूँगा।
अब तक हम बुरी तरह डर गये थे। अगर हमारी तसवीर बाहर आ गयी तो हम कहीं के नहीं रहेंगे। हम यह सोच ही रहे थे कि मयंक तब तक हमारे उरोजों से खेल रहा था। हम इतना डरे हुए थे कि कुछ नही बोला। फ़िर उसने हमारे चुचुको को पकङ कर खीचा। हमारे मुँह से चीख निकली। अब तो उसने पीछे से हमारे कुर्ते के बटन खोल दिये थे। हमने उसे रोका और कहा कि इसे मत उतारो।
मयंक - ठीक है मै जा रहा हूँ। कल का अखबार जरूर देखना। तुम सुपर स्टार बन चुकी होगी।
इतना कह वह जाने लगा हमने उसे रोका और रोते हुए बोला कि ऐसा मत करो।
मैं - हम एक शरीफ़ खानदान से ताल्लुक रखते है। प्लीज हमारी जिन्दगी मत बरबाद करो।
मयंक - या तुम मेरी रखेल बन जाओ या सुपर स्टार।
मैं - तुम ऐसा कैसे कर सकते हो। तुम आदित्य के दोस्त हो।
मयंक - ज्यादा बहस नहीं जल्दी बोलो क्या बनना है।
मैं - जो तुम्हे करना हो करलो।
मयंक - ऐसे नहीं साफ़ साफ़् बोलो रखेल या सुपर स्टार।
मैं(रोते हुए) - रखेल
इतना कहना था कि मयंक एकदम हमारे पास आ गया और उसने हमारी कुर्ती उतार दी। फ़िर पीछे से हमारी काली ब्रा भी खोल दी| अब हमारी ब्रा का हुक पीछे से खुला हुआ था। मयंक हमारी पीठ पर लगातार हाथ फ़ेर रहा था। फ़िर उसने पीठ पर चुम्बन लेना भी शुरु कर दिया। उसकी लय में गजब का तारतम्य था। अब तो हम भी आह भरने लगे। हमारा दिमाग तो ग्लानि से भर रहा था परन्तु शरीर की चाह कुछ और थी। शायद यह बात मयंक को भी पता चल गयी थी।
इतने में उसने हाथ आगे किया और हमारी ब्रा को हमारे शरीर से दूर कर दिया। अब हम अर्धनग्न थे। उसने पीछे से हाथ डालकर हमारे दोनो उरोजो को पकङ लिया एवम् उनके साथ खेलने लगा।
मयंक - कुछ भी कहो तुम्हारे मम्मे बङे मस्त हैं। ऐसे मम्मो को देखे अरसा बीत गया। एक दम टाइट।
फ़िर मयंक सामने से आकर हमारे उरोजो को चूसने लगा। उसकी जीभ में गजब का जादू था। अब तो हम भी गरम हो गये थे। आजतक हमने कभी सेक्स नही किया था। तो यह अनुभूति बहुत ही प्रिय एवम् नई थी। इतने के बाद मयंक ने हमारी सलवार में हाथ डाल दिया और उसका हाथ हमारी पैंटी में चला गया। मयंक हमारी योनि को उंगली से सहलाने लगा।
मयंक - अरे बहुत नखरे मार रही थी । साली तेरी चूत तो चुदने को मरे जा रही है। साला कितना पानी छोङ दिया है। अरे रांड तुझे चुदने का इतना शौक है तो फ़िर ये सब नाटक क्यों किया।
यह सब सुन कर हम अन्दर से तो बहुत शर्मा रहे थे पर मेरा शरीर तो जैसे मयंक का दिवाना हो गया था। इतने में मयंक ने मेरा सलवार भी खोल दिया। अब तो मुझे डर लगने लगा।
मै - मयंक प्लीज मेरे साथ सेक्स ना करना।
मयंक - अरे डरो ना । मै अपना लंड नहीं डालूगाँ। अगर डालना होता तो कल ही चोद डालता। मै तुम्हारी इज्जत नहीं लूटूगाँ। बस तुम्हारे शरीर से खेलूगा।
इतना कह कर मयंक ने हमारी पेंटी भी उतार दी। अब हम अपने पूरे होशो हवास में एक अन्जाने मर्द के सामने पूर्णत: नग्न थे। हमने अपनी योनि को छिपाने के लिये अपने पैरों को सोकोङ लिया। पर मयंक ने जबरदस्ती उन्हें दूर कर दिया। अब तो हमारी योनि में भी सलसलाहट हो रही थी। हमने देखा कि हमारी योनि में से पानी टपक रहा था। हमारा सरीर कह रहा था कि मयंक हमारे साथ संभोग करे।
फ़िर मयंक ने हमें उठाकर बिस्तर पर पटक दिया। उसके बाद उसने अपना पेंट खोल कर अपना शिश्न निकाल लिया। फ़िर उसने जबरन हमारा मूँह पकङकर अपना शिश्न हमारे मूँह में डाल दिया। हमने बहुत कोशिश की और उसका शिश्न मूँह से निकाल दिया।
मयंक - साली रांड फ़िर नखरे मार रही है। चोदूं क्या तुझे। शराफ़त से मेरा लौङा मूँह में ले वरना तेरी चूत में जायेगा।
इतना कहना ही था कि मयंक अपना शिश्न हमारी योनि में डालने लगा। हम बहुत घबरा गये और उससे बोला कि हम सका शिश्न मूँह में लेंगे। फ़िर उसने अपना शिश्न हमारी योनि से निकाल हमारे मूँह में डाल दिया।
मयंक - चूस मेरे लौङे को। साली बहुत तङपाया है तुने। अब मेरा समय आ गया है। अब तो तू मेरी छिनाल है।
फ़िर उसने जोर जोर से धक्के लगाना शुरु कर दिया। साथ ही साथ एक हाथ से वह हमारे उरोजो को सहला रहा था तो दूसरे हाथ से हमारी योनि में से खिलवाङ कर रहा था। इतने में हमें लगा कि हमारी योनि में कुछ हो रहा है। ऐसा लगा कि हमारी योनि फट जायेगी। और तब मयंक ने उसके साथ खेलना बंद कर दिया। हमने अपने हाथों से अपनी योनि को सहलाने की कोशिश की पर मयंक ने हाथ पकङ लिया।
मयंक - क्यों चूत में खुजली हो रही है। अभी तो बहुत नखरे मार रही थी ना। अब तू चुदने को तङपेगी।
इतना कह मयंक का हमारे मूँह मे स्खलन हो गया। उसका सारा वीर्य हमारे मूँह में भर गया और हम खाँसने लगे। मयंक ने जबरदस्ती हमें उठने नहीं दिया और हमें सारा वीर्य निगलना पङा। पर हमारा शरीर अब अत्याधिक गरम हो गया था। हमें सेक्स की दरकार थी पर मयंक ने तो अब तक अपना पेंट पहन लिया था।
मयंक - चल छिनाल अब कपङे पहन ले। क्या दिनभर नगीं ही पङी रहेगी।
इतना कह कर वह उस कमरे से बाहर आ गया और उसने घर क दरवाजा खोल दिया। उसके दरवाजा खोलने से हम घबरा गये और हमने जल्दी जल्दी अपने कपङे पहने। इतनी जल्दी कि हमने अपनी ब्रा और पेन्टी भी नहीं पहनी। हमारा सर भी दुखने लगा था क्योंकि हमारी कामोत्तेजना शांत नहीं हुई थी। हम मयंक को संकोच से यह भी नहीं कह सकते थे कि हमें तुम्हारे साथ सेक्स करना है।
हम जब तक बाहर आये मयंक घर से जा चुका था। हमें बहुत गुस्सा आया। वह खुद तो अपनी प्यास बुझा गया पर हमारे मन में आग लगा गया।


कल का वाक्या अभी तक हमारे जहन में हलचल मचा रहा था। कहाँ तो आजतक हमने किसी मर्द को छुआ तक नहीं था और कहाँ कल एक पराया मर्द हमारे शरीर का बलात् उपभोग कर चला गया। और इतना ही नहीं वह हमारे शरीर के साथ तो खेला पर हमारे शरीर की ज्वाला को शांत किये बिना ही चला गया। तभी बैठक में आवाज़ हुई। हम बैठक में आये तो वहाँ मयंक खङा था। उसे देखकर हम एकदम घबरा गये।
मयंक - और मेरी रांड कैसा रहा कल का दिन।
हमारे मन में उत्तेजना, सेक्स एवम् गुस्से की अजीब सी मिश्रित भावनायें चल रही थी।
मयंक - लगता है छिनाल की चूत में बहुत खुजली हुई।
हम - मयंक तुम हमारे साथ ऐसा क्यों कर रहे हो।
अब मयंक हमारे करीब आने लगा। हम भी पीछे हटने लगे। हमें पीछे हटता देखकर मयंक बोला ।
मयंक - अब तो में तंग आ गया हूँ तेरे नखरे से। मैं जा रहा हूँ तेरी नंगी तस्वीर अखबार में देने ।
इतना कह मयंक जाने लगा। हम बहुत घबरा गये और दौङ उसके पैरों को पकङ लिया ।
हम - मयंक प्लीज़ ऐसा मत करो हम बरबाद हो जायेगें।
मयंक - तुम हर रोज़ नखरे मारती हो। मैने शराफत से तुम्हारा बलात्कार नहीं किया पर तुम तो हर रोज़ नखरे मारती हो। यह तुम्हारी आखरी बार मैं गल्ती माफ़ कर रहा हूँ। इसके बाद कभी भी मुझे गुस्सा आया तो तुम्हारी नग्न तस्वीरें पूरे मुम्बई में छप जाएगीं।
इतना कहकर मयंक ने हमारे उरोजों को सहलाना शुरु कर दिया। हम डर के मारे कुछ नहीं बोले। फिर उसने हमारी t-shirt उतार दी। हम गुलाबी रंग की ब्रा और जींस में आ गये। मयंक ने हमारी ब्रा का हुक खोलकर हमारी ब्रा उतार दी। अब तो हमारे उरोज़ नग्न हो गये। मयंक हमारे नग्न उरोजों को सहलाने लगा और उन्हें चूसने लगा। हमारे पूरे शरीर में एक उत्तेजना दौङ गयी। फिर उसने हमारी जींस के बटन खोल दिये और हमारी जींस नीचे कर दी। फिर उसने हमारी पैंटी भी उतार दी और हमारी योनि को अपनी जुबान से सहलाने लगा। हमारा शरीर तो एक दम मचलने लगा। हमें लगा मानो हम स्वर्ग में है। मयंक की जुबान ने कमाल कर दिया था। हमारा मन चाह रहा था कि मयंक हमारे शरीर से खेले पर शर्म के कारण हम कुछ कह नहीं रहे थे।
हमारी योनि में से गर्म रस निकलने लगे। हमें तो आजतक मालूम ही नहीं था कि योनि भी पानी छोङती है। मयंक ने अपनी जुबान रोक ली थी। अब मयंक हमें पलंग पर ले गया। उसने हमें पलंग पर लिटा दिया। मयंक ने अपने सारे कपङे खोल दिये। फिर मयंक ने अपना शिश्न हमारी योनि पर रख दिया। हमारे सारे शरीर में एक बिजली की लहर दौङ गयी। इसके पहले कि हम कुछ कर पाते उसने अपना शिश्न हमारी योनि में डाल दिया और हमारे हाथ पकङ लिये। हम तो एक दम तङप गये।
हम - मयंक यह क्या कर रहे हो । प्लीज़ अपना शिश्न हमारी योनि से बाहर निकालो।
मयंक - किससे क्या बाहर निकालो। तू क्या हिन्दी साहित्य की परिक्षा दे रही है क्या। बोल कि मेरी प्यासी चूत में से





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