FUN-MAZA-MASTI
फागुन के दिन चार--108
गतांक से आगे ...........
रीत ने लम्बी सांस लेते हुए कहा ,
" अरे यार भगवान ने ये लड़के क्यों बनाये और बनाये तो भेजे में थोड़ी सी अक्कल डाल देते। "
" एकदम सही बोल रही हो , " मीनल ने जबरदस्त अंगड़ाई ली और हामी भरी।
" बता, दो खूबसूरत लड़कियां , जवानी के बोझ से लदी उसके बगल में बैठी थीं। ये नहीं कि कुछ प्यार भरी बात करें , दो चार शेर वेर सुनाये , कुछ नहीं तो गोरे गुलाबी गालों पे हाथ ही फेर लेते , लेकिन नहीं , उन्हें तो बस , उस दुष्ट को ले जाने की जल्दी थी ," ठंडी सांस भर के रीत बड़े अफ्सोस से बोली।
" कदर जानी ना मोरे राजा , कदर जानी ना , " उसी टोन में अंगड़ाई लेते हुए , पीछे हाथ कर के , अपने उभारों को और उभारती , मीनल बोली।
" अरे यार हमारी कदर ना करते तो कम से कम इस गद्दर जवानी की तो कदर करते। " रीत ने अपना दुःख जाहिर किया , तब तक उसका मोबाइल चिल्लाया। मेसेज का टोन था।
रीत ने मेसेज पढ़ा और झल्ला कर फोन टेबल पर पटक दिया और मीनल से पूछा।
" यार होली में लड़के लड़कियों से कैसी बाते करते हैं ,"
' सेक्सी , रंगीन मस्ती भरी , … लड़कियां गुस्साती हैं , गालियां देती हैं लेकिन मन ही मन खुश होती हैं। " मीनल ने बोला।
" किस्मत वाली होती होंगी वो , यहाँ तो १ ४ ० ० किमी एक तो होली में बैठे हैं , अपनी मायकेवालियों से होली खेल रहे हैं और मुझसे बोल रहे हैं , जल्दी से प्रतापनगर पहुँचो , रेलवे कंट्रोल रूम में. "
रीत अपना दुखड़ा और रोती तब तक एक लड़के सा आर्डर लेने आ गया।
" क्या खाएंगी , "
" हम तो गम खाते हैं और आंसू पीते हैं , जहर मिलेगा तुम्हारे यहाँ। "
रीत अब उस पर चढ़ गयी।
मीनल ने बात सम्हाली।
लड़के को उसने रोका और रीत से पूछा ,
" सुन दबोली खायेगी। "
रीत ने हामी में सर हिलाया।
थोड़ी देर में टेबल पर दबोली , खाखड़ा , और फरसाण थे , और वो दोनों उसे ख़तम करने में जुटी थीं।
रीत ने करन को फोन लगाया , लेकिन उसके कुछ बोलने पूछने के पहले करन बोल पड़ा ,
" तुम्हे कैसे पता था कि उसके जबड़े में कुछ गड़बड़ होगा। "
"क्योंकि मैं रीत हूँ सिम्पल , सामने वाले दोनो दांत ना,…"
एक बार फिर करन ने रीत कि बात काटी और बोला ,
" दोनों दांत नकली हैं और एक्स रे में खोखले दिख रहे हैं "
" जी नहीं उनमे , पोटैशियम सायनाइड भरा है , दबोली खाते हुए रीत बोली , और जोड़ा
" उसके होश में आने के पहले ही उसे निकाल देना वरना उससे कोई भी बात चीत नहीं हो पायेगी। "
“लेकिन ये सब तुम्हे कैसे मालुम है ,…" करन ने चकित हो के पुछा।
" बताया तो , सिम्पल यार क्योंकि रीत हूँ। बनारस में जेड का बहुत प्रोटेक्शन किया था पुलिस और आई बी ने , हाँ इसी का मौसेरा भाई , तब भी कालिया ने उसे ऊपर पहुंचा दिया। और जब पोस्ट मार्टम हुआ तो पता चला कि किसी अच्छे डेंटिस्ट से उसने दांत बनवाया था , जिसने दांत में बजाय सोना भरने के सायनाइड भर दिया था। "
रीत ने दबोली कि दूसरी प्लेट ख़तम करते हुए कहा और फिर करन से पूछा ,
" सब मुझसे पूछ लिया अपने मोहल्ले का भी तो हाल बताओ "
" अरे यहाँ , उसका तो मैंने बता दिया , ओह क्या गड़बड़ किया चलो कोई बात नहीं बाकी ही उखाड़ दो," करन बोला
" क्या गड़बड़ कर दिया , तुम लड़कों से एक लड़की तो सम्भलती नहीं , टेररिस्ट कहाँ से संभलेगा। रीत ने खिंचाई की
" अरे नहीं यार , वो डेंटिस्ट , उसने गलती से ऊपर की जगह , नीचे के दांत निकाल दिए। उसी को बोल रहा था टेंशन मत ले , फिर से ऊपर वाले भी निकाल ले , टू बी सेफर साइड अगल बगल के दो और निकाल दे। " करन बोला , और बात आगे बढ़ायी ,
" मेरे निकलते ही वो सिक्योरिटी वाले यार्ड में पहुँच गए थे, उन्होंने यार्ड में काम करने वालों से बोला की पूरे इलाके में कर्फ्यू लग गया है , इसलिए वो अपने काम बंद कर दे और अपने आफिस में जा के बैठ जायं। वहाँ भी सिक्योरिटी लगा दी है।
सारा काम बंद हो गया है , इसलिए न तो बाकी वैगन में डिवाइस लगेगी , और ना ही कोई रेक रिफायनरी में आएगा। "
करन ने बात पूरी भी नहीं कि थी कि मीनल चालू हो गयी ,
" जीजू उस हसीना की फ़ोटो मिली। "
रीत समझ गयी , मीनल किस कि बात कर रही थी. वही आदमी , जिसने लोगो को उनके खिलाफ उकसाया था , उन के कब्जे से उसको ले जाना चाहता था और जब कुछ नहीं हो पाया तो बैग को कब्जे में करना चाहता था।
" हाँ एकदम , करन बोला।
लेकिन यार्ड में कोई उसको पहचान नहीं पाया। उन लोगो ने सिर्फ ये बताया कि , वो तेजी से उन लोगो के पास आया कि तुम दोनों उन के बॉस कि पिटाई कर रही हो , और वो बेहोश हो के गिरे पड़े हैं। इसी लिए उत्तेजित हो के वो आये थे। आर पी एफ के लोग भी उसे नहीं पहचान पाये।
लेकिन गुजरात पुलिस के लोग अस्योर कर रहे हैं कि बारह घंटे के अंदर वो उसे ढूंढ निकालेंगे। बस स्टेशन , ट्रेन हर जगह वो फ़ोटो सर्क्युलेट हो गयी है। "
" और जो डिवाइस मैंने दी थी ," रीत ने पुछा।
" बॉम्ब डिस्पोजल स्क्वाड और फोरेंसिक टीमें उसे हैंडल कर रही है। दस मिनट के अंदर काफी कुछ मालुम हो जाएगा। " करन बोला।
रीत ने जो कुछ देखा था और ओ उसका अंदाज था वो बता दिया।
करन ने ये भी बताया , पूरे इनर पेरीमीटर में कर्फ्यू चार घंटे के लिए लगा दिया गया है। पूरी रिफायनरी और उसके आस पास के इलाको को खाली कराया जा रहा है। और जैसे ही बॉम्ब डिस्पोजल वाले बॉम्ब का डिटेल और उसकी मेकेनिज्म बताएँगे , उसे डिफ्यूज करने का काम शुरू हो जाएगा। लेकिन सवाल एक ही है कि कैसे ,
रीत ने बात काट कर पूछने कि कोशिश की ,
तो करन बोल उठा , तुम बीच में काट देती हो।
और मीनल रीत के सपोर्ट में आ गयी जैसे दोनों जनम जनम की बहने हों और बोल उठी।
" वाह जीजू , आप दी को बोल रहे हो , और आप ने जो इत्ती जोर से काटा है न अब तक दुःख रहा है ,"
और अपने सीने के ऊपर हाथ रख के जोर से बोल उठी, आह्ह्ह
" देखा , अब मैं अकेले नहीं हूँ कि जब देखा तब चढ़ लिए , " रीत खिलखिलाते हुए बोली।
" आने दी शाम को तुझे भी देख लूंगा और तेरी छोटी बहन को "
रीत फिर मुद्दे पे आ गयी ,
" मैं ये कह रही थी , कि तुम ये सोच रहे होगे न कि डिवाइस को वैगन से बाहर कैसे निकाले , तो यार्ड में एक सीनियर फिटर हैं बनारस के उनसे आप लोग बात कर लेना। वो रिलायबल भी है और डिवाइस निकाल भी सकते है। दूसरी बात ये कि वो मैग्नेटिक है , तो अगर उसकी डिंमैगनेटाइज करोगे तो और आसानी से निकल आएगी।
अभी मैं और मीनल रेलवे कंट्रोल रूम के लिए निकल रहे हैं। वहाँ पहुँच के बात करेंगे। "
दोनों ने फोन रख दिया।
अब आनद का नंबर था।
और वो भी चालु हो गया ,
" तुम लोग अभी कंट्रोल रूम नहीं पहुंची। "
और रीत ने जबरदस्त जवाब दिया। बजरिये गुड्डी , उसे वहाँ कि होली का हाल मिल चूका था।
" अच्छा जी , रात में मेरी बहन के साथ मजे लेते हो और दिन में अपनी बहन के साथ , और मुझे लेक्चर दे रहे हो। " रीत ने हड़काया।
" तुम कर क्या रही हो , " आनंद ने परेशान हो के पूछा।
" अरे कर क्या रही ,एक सेक्सी
हैंडसम लड़के से बात कर रही हूँ और दबोली खा रही हूँ , खाना है तुम्हे बहोत मस्त है , एकदम तेरी तरह। " रीत ने छेड़ा।
" दबोली खा रही हो ?" चकित हो के आनन्द ने पूछा।
" क्यों जो आप सुबह से अपनी बहनों , भाभियों का दबा दबा के मजा ले रहे हैं , और यहाँ कोई दबाने वाला नहीं है , तो क्या करें दबोली खा के ही मजे ले रहे हैं " रीत पीछे हटने वाली नहीं थी।
" सिर्फ बहनों , भाभियों , का दबाया , चाची , मौसी , बुआ, ...."
मीनल भी अब मैदान में आ गयी थी और थोड़ी और मिर्च छोड़ी ,
" मैंने तो सूना था इनके यहाँ सब औरतें , लड़कियां घर में ही ,.... बाहर वालों कि जरूरत ही नहीं पड़ती ".
"एकदम सही सुना था , मेरी बहन और गलत सुने , लेकिन उन का नंबर शाम को आएगा। सुबह को वो लोग काम वालों को काम दान करती है , धोबी, दूध वाला , नाउ , जो मांग ले , और, शाम को , इनका दिन में लकड़िया अपने भाइयों के साथ,"
रीत ने दबोली कि प्लेट ख़तम करते अपना ज्ञान जाहिर किया।
आनंद समझ गया कि अगर रीत इस मूड में और साथ में मीनल भी हो तो उससे पार पाना मुश्किल है।
उसने टॉपिक बदला।
" करन से बात हुयी क्या ? "
, तो जेड कि तरह कोई गड़बड़ नहीं होगा और वो जिन्दा कस्टडी में रहेगा
अब रीत थोड़ी सीरियस हुयी।
उसने करन से जो भी बात हुयी थी सब बता दी और ये भी बता दिया कि उसके प्वाइजन वाले दांत निकाले जा रहे हैं , तो जेड कि तरह कोई गड़बड़ नहीं होगा और वो जिन्दा कस्टडी में रहेगा. दूसरी बात ये भी है कि उस डिवाइस के बारे में पांच दस मिनट में डिटेल मिल जायेंगे फिर वो बॉम्ब डिफ्यूज करना शुरू कर देंगे। आधे घंटे में करन फिर लेटेस्ट बतायेगा। "
" मैं तुम लोगों को इसी लिए कंट्रोल रूम जाने को कह रहा था। "
आनंद ने अब अपनी बात रखी।
" इयर पीस पे मैं यार्ड में तुम्हारी सारी बातें सुन रहा था। मुझे ये लगा कि जो तीन पेट्रोलियम के टैंक रेक तुम लोगो ने आइडेंटिफाई किये ,उसके अलावा भी रेक हो सकते हैं जिसमें सुबह या उसके पहले बॉम्ब लगा दिए गए हों , और वो अभी चल रहे हों।
अगर ' वाई ' के मौके से हटने कि सूचना उन लोगो को मिल गयी हो और उन्होंने रास्ते के किसी रेक में ही रिमोट अ किसी और तरीके से बॉम्ब एक्सप्लोड कर दिया , तो माल गाड़ियों के साथ यहाँ डबल लाइन होने से बगल कि लाइन पे पैसेंजर गाड़िया भी चलती हैं। तो एक तो एक्सप्लोजन से उनमे आग भी लग सकती है। दूसरे , अगर वो माल गाडी का डिब्बा एक्स्पोल्जन से दूसरी पटरी पे गिरा तो , दूसरी ओर से अ रही यात्री गाडी उससे टकराकर डिरेल हो जायेगी और सैकड़ों लोग मरेगें , और वो अपने मकसद में कामयाब हो जायेंगे। .
बड़ौदा में , मुम्बई दिल्ली और मुम्बई अहमदाबाद रूट मिलते हैं , इसलिए यहाँ गाड़ियों कि सघनता बहुत ज्यादा है। सूरत से अहमदाबाद तक औटोमेटिक सिग्नल है और पिक टाइम पे करीब हर पांच दस मिनट में गाड़ियां होती हैं। मुम्बई दिल्ली और मुम्बई अहमदाबाद के बीच कि यात्री गाडियो के अलावा , इम्पोर्ट एक्सपोर्ट का सारा ट्रैफिक , बाम्बे के पोर्ट के लिए भी इधर से हो के जाता है। "
मीनल और रीत दोनों चुपचाप सुन रहे थे। रीत बोली , करना क्या है ?
आनद ने बात आगे बढ़ायी
' वही तो बता रहा हूँ। मैंने अपने हैकर फ्रेंड्स से बात कर ली है। वो चार से आठ तक साइलेंस जोन बना रहे हैं बल्कि बना दिया है। उन्होंने उन इ जो सीमा पार के हेड क्वार्टर हैं जहाँ से स्ट्रेटेजी तय होती वहाँ पर कम्युनकेशन ओवर लोड कर दे रहे हैं , जिससे कहीं से भी उनसे कोई संपर्क ना हो पाये। २ ६ /१ १ को यही एक बड़ी गलती हुयी थी कि ताज में बैठे आतंकवादी लगातार अपने आकाओं से संपर्क में थे , और वो उन्हें गाइड कर रहे थे।
आज हमने चार घण्टे के लिए ये कनेक्शन काट दिया है। इसलिए आठ बजे तक हमें सब कुछ न्यूट्रलाइज कर लेना है। "
अब मीनल और रीत दोनों सीरियस होके सुन रही थीं। फोन स्पीकर फोन पे था।
एक पल चुप हो के आनंद ने फिर बोला ,
“त्रिपाठी , वो मेरे हॉस्टेल में सीनियर थे। वही वहाँ सीनियर डी ओ एम् ( सीनियर डिविजनल आपरेशन मैनेजर ) हैं , और एक दम रिलायबल हैं। मैंने उन्हें समझा दी है। सिर्फ एक ही रास्ता था , ओ एच यी काटने का और वो उन्होंने कर दिया है। वो कंट्रोल रूम में है और उन्हें तुम दोनों के बारे में बता दिया है। "
मीनल ने अपना ज्ञान जताया ,
" वो जो बिजली के तार ट्रेन के ऊपर होते हैं ना , उन्ही को , जिनसे इंजन में बिजली आती है , उसे रेलवे वाले ओ एच यी कहते हैं। "
लेकिन आनंद की बात जारी थीं।
" बिजली कि सप्प्लाई रुकने से सारी गाड़ियां जहाँ की तहां खडी हैं।
अब वो ये देख रहे हैं कि पिछले चौबीस घंटे में किन गाड़ियों का करछिया में इक्जामिनेशन हुआ। उन गाड़ियों को अलग शिफ्ट कर देंगे। और ख़ास तौर से उस वाई कि शिफ्ट में जो इक्जामिनेशन हुआ होगा , उन्हें विशेष रूप से जांचना होगा। तुम लोग वहाँ पहुँच जाओगी तो तुम भी उन्हें ज्वाइन कर लोगी।
और फिर करन से भी तुम उन्हें इंट्रोड्यूस करा देना। बल्कि कारण को बोलना कि आधे एक घंटे में रिफायनरी का काम निपटाकर , वहीँ कंट्रोल रूम में आ जाएँ। "
आनंद की बात में दम था।
“ठीक है हम कंट्रोल पहुँच के बात करेंगे , और हाँ रंजी आयगी ना शाम को , तो उसके मस्त कबूतर जरा एक बार मेरी ओर से भी दबा देना , और कचकचा के मेरी और से उस के गाल काट भी लेना और किस्सी भी लेना.
हाँ ये भी बोल देना बनारस में उसे एक से एक मोटे लम्बे ,… मिलेंगे , रेहन और उसके ठरकी अभी से सरसों का तेल मल रहे हैं। ."
ये कह के रीत ने फोन रख दिया और धन्नो पे सवार हो के मीनल के साथ रेलवे कंट्रोल रूम कि ओर चल पड़ी।
बड़ौदा , रीत पहली बार आयी थी और हर किसी किशोरी कि तरह मीनल को भी अपने शहरकी तारीफ का शौक था। लेकिन वो हेरिटेज और इतिहास से जुड़ा था। काला घोडा चौराहे से गुजरते समय , उसने घोड़े पे सवार मूर्ति को दिखाया और बोली ,
" ये सर सयाजी राव गायकवाड़ की मूर्ति है , आधुनिक बडोदा के निर्माण में इनकी बड़ी भूमिका रही है। वो लोग थोडा आगे बढे , तो अपनी धन्नो को धीमी कर उसने एक खूब बड़े से महल को दिखाया , लक्ष्मी विलास पैलेस , इसे सयाजी राव ने बनवाया था अपनी पत्नी के नाम पे और हाँ ये कोई होटल वोटल नहीं बना।
आज भी उनके वंशज इसमें रहते है। सबसे बड़ा व्यक्तिगत निवास है ये और अभी जो राजा हैं , रंजीत सिंह जी , वो बहुत अच्छे गायक , पेंटर हैं। एक गरबा में मैं गयी थी , वहाँ उन्होंने भी गाया था और बेस्ट डांसर का इनाम भी मुझे उनके हाथ से ही मिला था। ( रंजीत सिंह जी अब नहीं रहे )."
मीनल कि स्कूटी आगे निकली तो एक लालबाग नाम की कोई जगह पड़ी. वहाँ पर रेलवे क्रासिंग थी।
रीत ने चिढ़ाया , " अब ये मत कहना कि ये रेलवे भी उन्होंने बनायी। "
मीनल ने मुस्करा कर अपनी स्कूटी पे मुड़ के रीत को देखा और बोली ,
" सच तुम ठीक कह रही हो। ये दो लाइने है ना , एक संकरी सी नैरो गेज और दूसरी ब्राड गेज। तो नैरो गेज तो गायकवाड़ ने ही शुरू कि थी और सिर्फ यही नहीं , पूरे हिन्दुस्तान में , १ ८ ६ २ में।
पहली नैरोगेज लाइन गायकवाड़ बे ही बनवायी थी , डबोही से मियागाम तक। '
वो लोग रेलवे आफिस की ओर मुड़े तो बगल में एक कालेज सा पड़ा , कुछ रेलवे का कालेज था।
रीत कि गलती , पूछ बैठी। " ये क्या है ?"
और मीनल चालु ,
" अरे यही तो अपने हीरो से मिली थी मै , मेरा मतलब , ये रेलवे स्टाफ कालेज है यही तो वो एक हफ्ते कि ट्रेनिँग के लिए आया था आनँद , जब हम दोनों कि मुलाक़ात हुयी थी। हाँ ये भी सयाजी राव ने बनवाया था अपने ग्रांड सन के लिए , इसे प्रिंस पैलैस भी कहते हैं।
उनके पोते प्रताप सिंह गायकवाड़ , इसमें रहते थे।वो जो हम रेलवे आफिस चल रहे है ना , प्रताप नगर में , वो नाम उन्ही के नाम पे पड़ा। सयाजी राव के बाद वही तो राजा बने वरना पहले उस इलाके का नाम गोया गेट था। "
गनीमत था उनकी धन्नो अब लगता है रेलवे के इलाके में पहुँच चुकी थी। एक छोटा सा स्टेशन था और उसके सामने एक खूबसूरत पार्क।
रीत से नहीं रहा गया और उसने उस पार्क के बारे में पूछ लिया और मीनल अबकी उसके अपर चढ़ गयी ,
" दी तुम भी न , फिर कहोगी बहुत बोलती है ,… देर हो रही है , चलो मैं बता ही देती।
ये एक एकदम अलग तरह का पार्क है , हेरिटेज पार्क इसमें नैरो गेज कि हिस्ट्री डिस्प्लेड है। और इस इलाके के बारे में भी बहुत कुछ , जब ये बन रहा था तब मैं आयी थी डी आर एम् अंकल का इंटरव्यू लेने और मेरे साथ की दो लड़किया , आर्किटेक्चर डिपार्टमेंट की भी इसमें इन्वाल्व थीं। "
रीत पीछे बैठी बैठी सोच रही थी , टिपिकल , डिट्टो गुड्डी जैसी।
और गुड्डी की याद आते ही उसने मोबाइल निकाल के एक के बाद एक दो तीन मेसेज दाग दिए। जरा उसकी भी तो खोज खबर ले लूँ , शाम कि क्या प्लानिंग है उस की और उस रंजी कि कैसे ऐसी कि तैसी करनी है।
तब तक धन्नो खडी होगयी थी। डी आर एम् आफिस आ गया था। एक पुरानी बिल्डिंग।
बिना उसके पूछे रीत बोली ," इसे भी सयाजी राव गायकवाड़ ने बनवाया था। "
" तुमने सही पहचाना। लोगो देखा हो बिल्डिंग के ऊपर , इसका पुराना नाम जी बी एस आर था , गायकवाड़ बड़ौदा स्टेट रेलवे। १ ९ २ १ में ये रेलवे के आपरेशन के लिए था और यहं उनके जी एम् बैठते थे और अब जब इन्डियन रेलवे ने ले लिया है है तो उसी जगह डी आर एम बैठते हैं। "
मीनल ने बात पूरी की।
मीनल इधर उधर देख रही थी। उसे एक सीढ़ी दिखी और रीत का हाथ पकड़ कर वो धड़धड़ाते हुए ऊपर चढ़ गयी।
दूसरे मंजिल पे कंट्रोल आफिस था।
इसके पहले रीत ने कभी रेलवे आफिस नहीं देखा था ,कंट्रोल आफिस तो दूर चीज है. वो सोचती थी , ट्रेन तो स्टेशन से दूसरे स्टेशन चलती है , स्टेशन मास्टर , ड्राइवर , गार्ड,....
लेकिन आज उसने देखा , कंट्रोल आफिस में खूब गहमा गहमी है , ढेर सारे केबिन हैं और जिसे देखो वो फोन पे बात कर रहा है और ढेर सारी कंप्यूटर स्क्रीन्स लगी हैं।
मीनल उसे खींच के एक केबिन में ले गयी , और बोला ये सेक्शन कंट्रोल है।
जब तक रीत कुछ पूछती , उस आदमी ने खुद ही बताना शुरू कर दिया (बाद में रीत को पता चला कि उसे सेक्शन कंट्रोलर कहते हैं ),कि , रेलवे को सेक्शन में बांटते है ,
जैसे बड़ौदा डिवीजन में तीन सेक्शन है , बड़ोदा -सूरत , बड़ोदा गोधरा और बड़ोदा -अहमदाबाद। इस सेक्शन के सारे स्टेशन और ट्रेन यहाँ से कंट्रोल होती हैं / सारे स्टेशन उस सेक्शन के , फोन से कंट्रोलर से बात करते हैं और वहाँ से गाडी के निकलने का समय बताते हैं , जिसे वो कम्प्युटर में फीड करते हैं और कंप्यूटर स्क्रीन पे गाड़ियों का पाथ बनता है।
कंट्रोलर यहीं से स्टेशन को बोलता है कि कौन सी गाडी क्रासिंग में रुकेगी और कौन से गाडी आगे जायेगी।
रीत की निगाह कंप्यूटर स्क्रीन पे थी जहाँ , लाल हरी काली लाइने थी , ऊपर और नीचे , कुछ सोच के उसने पुछा ,
" लेकिन डबल लाइन में तो क्रासिंग की जरूरत नहीं पड़ेगी। "
" एकदम सही कहा आपने , लेकिन वहाँ भी कुछ गाडी धीमे चलती हैं जैसे माल गाड़िया , यहाँ चार्ट में जो काली लाइने दिख रही हैं या हरी वाली पैसेन्जर गाड़िया , इन्हे रोकना होता है, मेल एक्सप्रेस गाड़ियों को जो लाल लाइन आप देख रही हैं , उन्हें , पार कराने के लिए। "
" लेकिन अभी तो सारी लाइने हॉरिजेंटल हैं इसका क्या मतलब , " रीत ने फिर पुछा।
" कुछ इमरजेंसी हो गयी है , सारी गाड़ियां खडी हैं। ओ एच यी काट दी गयी है " वो बोला।
तब तक एक आदमी आया , चीफ कंट्रोलर। उसने पुछा , रीत आप हैं।
रीत ने तुरन्त हामी भरी।
" सीनियर डी ओ म से मिलने आयी हैं आप ना। बड़े साहब बुला रहे हैं आपको
और वो दोनों सीनियर डी ओ एम के रूम में पहुँच गयीं।
क्या नजारा था.
आदमी एक और फोन चार ,
तीन पर वो बात कर रहे थे , और एक फोन एक आदमी लेके खड़ा था , बार बार बोल रहा था सर राजकोट डी ओ एम।
उसके अलावा दो फोन टेबल पे घनघना रहे थे।
इंटरकॉम पे अलग बत्ती जल बुझ रही थी।
एक फोन पे वो डांट रहे थे ,
दूसरे पे किसी से यस सर यस सर कर के बात कर रहे थे
और तीसरे से कुछ पोजिशन ले रहे थे।
जब वो यस सर वाला फोन बंद हुआ तो उन्होंने राजकोट वाला फोन लिया और पुछा ,
तुम्हारे यहाँ आज कल में कोई करछिया का एक्जामिन रेक पहुंचा है , हाँ हाँ टैंक रेक , यार कानालुस में
कुछ देर तक शान्ति रही , लगता है वो उधर कुछ चेक कर रहा था , फिर बातचीत चालु हुयी।
" ओ के एक रेक , कहाँ पर है
"जाम नगर रिफायनरी में प्लेस है "
"लोडिंग तो नहीं नहीं शुरू हुयी है? "उन्होंने पूछा
"आधे घण्टे में शुरू होने वाली है ," उधर से जवाब आया
नहीं नहीं लोडिंग रोक दो , और उसे खींच के शंटिंग नेक में डाल दो या विंड मिल गुड शेड खाली होगा , वहाँ डाल दो। हाँ हाँ मैंने सी एफ टीम को बोल दिया है , तुरंत।और हाँ प्लेस करा के कंट्रोल को बोलना मुझे बता देगा। ' और ये कह के उन्होंने राजकोट वाला फोन रख दिया।
तब तक उनकी निगाह रीत और मीनल पे पड़ी। और उन्होंने हाथ के इशारे से बैठने को कहा और बोला ,
बस दो मिनट में अभी वो बात करते हैं।
तब तक बगल के कंट्रोल रूम से एक आदमी एक कागज़ ले के आगया और बोलने लगा ,
" सर वो कामोडिटी वाइज लिस्ट करछिया के एक्जामिनेशन कि आ गयी है। आज सुबह से चार टैंक रेक एक्जामिन हुए थे , जिसमें से तीन आई ओ सी में गए थे एक गया था और दो जाने वाले थे। एक टैंक रेक रिलायंस रिफायनरी जामनगर गया था ,"
उसकी बात काट के एक पियोन टाइप आदमी को उन्होंने समोसे लाने को बोला और फिर कहा ,
" वही रेक , जिसके बारे में अभी मैं बात कर रहा था था। "
" हाँ सर वही , राज कोट से बी पी सी ( ब्रेक पावर सर्टिफिकेट ) नंबर मैच करा लिया है , वही है। " उसने कन्फर्म किया।
" आधे घंटे में राजकोट से चेक करा लेना और मुझे फीड बैक दे देना। हाँ और टैंक के अलावा , और कौन से रेक हैं उन्होंने पुछा।
" छह बॉक्स हैं कोयले के , एक वानकबोरी का था , पहुँच गया है लेकिन अभी टिपलिंग नहीं शुरू हुयी है , एक उकई का है , सूरत पहुँच रहा था। बाकी चार कि लोकेशन चेक कर रहे हैं रहे हैं। " वो बोला.
" जल्दी चेक कर के बताओ , और वो वानकबोरी पावर हाउस वाला , निकाल के यार्ड में डाल दो। और उन के पास तो चौदह दिन का कोयला है न तो बोलो , टिपलिंग बंद कर दे।
एक काम करो , गुरमीत सिंह, एम् डी आपरेशन , जी इ बी को फोन लगाओ मुझसे बात कराओ।
उसने वहीं रखे एक फोन पे फोन लगाया। लगता है स्पीकर फोन आन था।
' आप को एक दिन कोयला नहीं मिलने से चलेगा न अभी तो चौदह दिन का कोयला है आपके पास और एक यूनिट भी बंद है। " उन्होंने गुरुमीत सिंह से कहा।
" एकदम नहीं कोई प्राबलम हुयी है क्या , ऐक्सिडेंट वेक्सीडेंट, " उधर से गुरुमीत सिंह कि आवाज आयी।
" नहीं , कुछ कंजेशन है , पाइप लाइन में रेक थोड़े अटके हैं और एक आपका रेक जो पहुँच गया था उसमे भी कुछ प्राबलम है , मुझे बाहर खिंचवाना पडेगा। जरा प्लांट को बोल दीजियेगा। " उन्होंने रिक्वेस्ट की।
" एकदम अभी बोल देता हूँ। ' गुरुमीत सिंह बोले।
उन दोनों ने फोन रख दिया , और रीत का मोबाईल चिल्ला उठा।
करन कि आवाज थी और वो परेशान लग रहा था।
" वो आदमी अब जग गया है , अच्छा हुआ तुमने उसके जहर के दांत तुड़वा दिए थे। पहले उसने वही कोशिश की , लेकिन जब उसे पता चला कि वहाँ गैप है , तो वो निराश हो गया।
सोडियम पेंटाथाल के दो इंजेक्शन के बाद से वो गाने लगा है ये हाई प्रेशर पे , थोडा थोडा। और गुजरात पुलिस कि इन्वेस्टिगेशन स्किल भी अच्छी है। उन्होंने बहुत सी बातें यार्ड में भी जांच कर के पता कर ली है। दो बहुत चिंता कि बाते हैं। "
करन बोला
" क्या"
रीत ने पुछा।
" पहली बात तो ये ही कि कोयले के वैगन में भी कुछ डिवाइस एक्जामिनेशन के समय उसने डाली थीं। ये कोयले के तरह की ही उसी रंग कि डिवाइस है और प्लास्टिक एक्सप्लोसिव्स की तरह है। एक तरह की आ ई डी समझ लो। ये हाई प्रेशर पे एक्सप्लोड करेगी।
कोयले को पावर हाउस में जब ले जाते है तो एक वैगन टिपलर पे रख के वैगन को टिपल या उलट देते हैं , वहाँ से वैगन से गिरा कोयला , कन्वेयर बेल्ट से जाता है। उसके बाद सुपर क्रशर उसे क्रश कर के बहुत फाइन ग्राइंड करते हैं और फिर वो बायलर में जाता है। अब जब उसे क्रश किया जायेगा तो उस समय वो एक्सप्लोड करेगा या फिर बायलर में।
अभी ये नहीं पता चल रहा है कि वो रेक हैं कहा , और अगर एक भी टिपल हो के कन्वेयर पे चला गया तो कहानी ख़तम।
बॉम्ब डिस्पोजल वालों का ये मानना है कि वो अगर रेक पे पहुँच जाय , तो वो उस डिवाइस को अपने एक्विपमेंट्स से पहचान लेंगे।“
करन बहुत ही परेशान लग रहा था।
" और " रीत के चेहरे पे भी परेशानी झलकने लगी।
' वो कोयले के रेक एक दो जगह पे इकट्ठे हो तो ये कुछ कर पाएंगे , लेकिन उसके पहले उन्हें पावर हाउस पहुंचने से रोकना होगा और दूसरी बात जो डिवाइस तुमने पकड़ी थी बैग में , उसका भी पता बॉम्ब डिस्पोजल वालों ने कर लिया है। लेकिन वो और खतरनाक है। '
करन कि चिंता गहरा रही थी।
" क्या हुआ। ' रीत से करन कि परेशानी नहीं देखी जा रही थी।
" वो डिवाइस , बहुत ही पावर फूल एक्सोलॉसिव्स हैं उसमें।
जब पेट्रोल की लोडिंग होती तो उसे कुछ नहीं होता , हाँ वो प्रेशर एक्टिवेटेड है और जब टैंक वैगन तीन चोथाई लोड हो जाते तो वो प्रेशर थ्रेशोल्ड पार हो जाता , और वो एक्सप्लोड करते। पेट्रोल के कारण जबरदस्त आग लगती और कम से कम तीन चार वैगन में आग फैल जाती।
पूरा वैगन बॉम्ब में कन्वर्ट हो जाता और उछल कर जो टुकड़े जाते वो साइलो में भी चले जाते। लेकिन परेशानी ये है कि उसमें टाइमर डिवाइस है रात आठ बजे की।
और अगर टैंक में अब लोडिंग नहीं भी होगी , तो भी वैगन में लगी डिवाइस एक्सप्लोड करेगी और वो रिफायनरी को एक्सप्लोड करा सकती है। करछिया यार्ड में अगर एक्सप्लोजन हुआ तो भी रिफायनरी नहीं बचेगी। और सारी डिवाइसेज को वैगन से निकालने का काम सिर्फ रेलवे वाले कर सकते हैं।
लेकिन यार्ड में इतने लोग नहीं है। कम से कम तीस चालीस चालीस लोग चाहिये होंगे। बॉम्ब डिस्पोजल वालों का कहना है सात बजे तक सारी डिवाइसेज निकालनी होंगी , तभी वो टाइम पे डिफ्यूज कर पाएंगे। कुछ समझ में नहीं आ रहा है , "
करन बोला।
त्रिपाठी , सीनियर डी ओ एम रीत के चेहरे की ओर देख रहे थे।
" क्या हुआ , " उन्होंने पुछा।
और रीत ने करन को होल्ड करा के सारी परेशानी बता दी।
" उनको बोलो कि तुम उसे पांच मिनट में फोन कर रही हो और तब तक तुम लोग समोसे खाओ। ' वो बोले।
करन को ये बात रीत ने बता दी। तब तक मीनल हंस के बोली ,
" लेकिन समोसे तो अभी तक आये नहीं। "
और पियन को डांट पड गयी।
किसी ने बोला कि सर अभी वो गरम छान रहा है , बस दो मिनट में ला रहा है।
फिर उन्होंने एक दो और बटने दबाई और जिन्न की तरह दो तीन लोग प्रकट हो गए।
एक से उन्होंने कहा कि गोधरा कि लाइन पोजिशन लाओ।
दूसरे से बोला , स्टेशन मैनेजर बड़ोदा को बोलो कि शंटिंग इंजन से किसी भी पैसेंजर रेक से चार कोच काट के , यार्ड में खुद ले के जाय और दस मिनट में मुझे कन्फर्म करे।
तीसरे से उन्होंने कोयले के रेक की पोजिशन पूछी , और उसने बिना कागज़ देखे बतायी , " एक वानकबोरी पावर हाउस में निकल के यार्ड में आ गया है। एक उकई पहुँच रहा था , उधना में खड़ा है। और चार बड़ोदा गोधरा सेक्शन में हैं। "
तब तक एक आदमी गोधरा के लाइन पोजिशन का कागज ले के आ गया था।
उसे देख के उन्होंने बोला , " तीन लाइन खाली है ना, ओ के मेरे ख्याल से माल गोदाम भी खाली है। "
तब तक चीफ कंट्रोलर भी वहाँ आ गए थे। उन्होंने हामी भरी।
" ऐसा करो दो रेक निकाल के माल गोदाम में डाल दो , और अब पांच लाइने खाली हो जाएंगी। कोयले के रेक जो चार सेकशन में है उन्हें और वानकबोरी के रेक को वहाँ ले जा के स्टेबल कर दो। सारी गाड़ियां अभी खडी हैं तो आधे घंटे में ये कोल रेक पहुँच जाने चाहिए।
आप ड्राइवर से खुद बात कर लो बोलो क्लीयर पैसेज मिलेगा , काँटा , पचहत्तर से नीचे नहीं जाना चाहिए। चालीस मिनट मैक्स। साढ़े पांच तक सारे रेक गोधरा पहुंचाओ।
और कैरिज कंट्रोलर को भेजो। " सीनियर डी ओ एम ने बोला।
तब तक कैरिज कंट्रोलर आ के खड़ा हो गया ,
" सर,…'
" तुम्हारे पास बड़ोदा में कोचिंग और गुड्स मिला के शिफ्ट में कितने आदमी होंगे , चालीस -पचास तो होंगे न। " उन्होंने पूछा।
" हाँ , सर " वो बोला।
" इन सब को करछिया यार्ड भेजना है , तुरंत। मैंने स्टेशन मैनेजर बड़ोदा को बोल दिया है , एक शंटिंग इंजिन में तीन कोच वो अटैच कर रहा है। उसमें पहले कोचिंग यार्ड वालों को बैठा दो , फिर गुड्स यार्ड वालों को।
स्टेशन मैनेजर खुद उन को ले के जायेंगे। मैं सीनियर डी एम ई ( सीनियर डिविजनल मेकेनिकल इंजिनियर ) साहब को भी बोल दे रहा हूँ। "
" नहीं सर, उसकी जरूरत नहीं है। आपका कहना काफी है। मैं ट्रेनिंग स्कूल वालों को भी बोल देता हूँ। फिटर का एक कोर्स चल रहा है। पन्दरह फिटर वहाँ भी हैं , वो भी तब तक यार्ड में पहुँच जायंगे। " और ये कह के वो कंट्रोल में चला गया।
और उन्होंने सीनियर डी एम ई को फोन लगाया।
" बॉस , आपके बड़ोदा के आदमियों को मैं जरा करछिया भेज रहा हूँ , एक शिफ्ट के लिए। " उन्होंने बोला।
" अरे यार सब तुम्हारे आदमी है , लेकिन वो बड़ोदा यार्ड के लिए जो रेक आ रहे थे , कल हेड क्वार्टर न चिल्लाये। " उधर से जवाब मिला।
" अरे नहीं उसे मैं स्टेबल कर रहा हूँ , वो इशु आप मेरे ऊपर छोड़ दो। " उन्होंने जवाब दिया।
" ठीक है लेकिन ले कैसे जाओगे , " उधर से सवाल आया।
" अरे वो स्टेशन मैनेजर बड़ोदा कोच स्पेशल में लाद के ले जाएगा। " उन्होंने समझाया।
" फिर ठीक है , ए एम ई ( असिस्टेंट मेकेनिकल इंजिनियर ) और सी डी ओ ( कोचिंग डिपो आफिसर ) भी यार्ड मैं हैं उन दोनों को भी चढ़ा दो। ज्यादा कुछ हो तो मैं आउ ,… "सीनियर डी एम ई ने पुछा।
" अरे कुछ नही आप घर पे हो न कोई बात होगी तो मैं बात कर लूंगा , वैसै भी आपका ये कैरिज कंट्रोलर स्मार्ट है। " उन्होंने जवाब दिया।
दोनो ने फोन रख दिया
समोसे आ गए थे।
और अब उन्होंने मीनल की ओर रुख किया।
" तेरे चक्कर में मैं दो बार मिताली से डांट खा चूका हूँ , आयी क्यों नहीं इत्ते दिन से " उन्होंने समोसा उठाते हुए कहा।
( रीत को बाद में मीनल ने बताया कि मीताली उनकी पत्नी हैं और रेलवे बीट के चक्कर में वो रेलवे फेमली कि एक तरह से मेंबर हो गयी थी। )
" थोडा फँस गयी थी , इसी हफ्ते आउंगी और भाभी को फोन दूंगी। " मीनल बोली।
और अब रीत का नंबर था. वो उससे मुखातिब थे।
" आनंद की क्या हाल है। एक बनारस की लड़की से वो बहोत खतो किताबत करता था। सब लोग हॉस्टल में कहते थे कि पोस्ट आफिस वाले उसके चक्कर में अपना डिपार्टमेंट नहीं बंद कर पा रहे हैं , तो अभी चिट्ठी से ही काम चल रहा है या बात करने कि हिम्मत जुटा पाया। "
समोसे में चटनी लगाते रीत मुस्करा के बोली , "दोनों कि शादी तय हो गयी है। इसी साल गर्मी में हो जायेगी। "
वो शान्ति से समोसा ख़तम कर के बोले ,
" चलो , अब पोस्ट आफिस वाले आराम से अपना डिपार्ट्मेन्ट बंद कर सकते हैं। "
तब तक एक चीफ कंट्रोलर अंदर आए और बोले ,
" बड़ोदा स्टेशन से वो कोच लगा के इंजन चल दिया है , चालीस आदमी उस में करछिया जा रहे हैं। और वानकबोरी पावर हाउस वाला रेक टिम्बा निकल रहा है।
बीस मिनट में गोधरा पहुँच जाएगा। गोधरा सेक्शन वाला पहला रेक पन्दरह मिनट में पहंच जाएगा। बाकी भी चल दिए हैं और ज्यादा से ज्यादा साढ़े पांच तक सभी गोधरा पहुच जायेगें। राजकोट से बात हो गयी है , जामनगर रिफायनरी का रेक उन्होंने विंडमिल में प्लेस कर दिया है और , सूरत ने भी उकई का रेक उधना में रखवा दिया है। "
ठीक है वो बोले और रीत से कहा कि वो अपने मोबाइल से करन से बात कराये।
करन से उन्होंने पुछा कि पुलिस कमिश्नर साहेब हैं क्या वहाँ पे , और करन के हाँ करने पे उन्होंने बोला कि जरा फोन दो।
और अब दोनों लोग चालु हो गए।
" सर , लास्ट क्रिकेट मैच के बाद आप दिखे ही नहीं। " त्रिपाठी , सीनियर डी ओ एम ने कहा।
" अरे तुम लोगो ने इतनी जबरदस्त ढंग से हराया , " हँसते हुए पुलिस कमिश्नर ने कहा।
" कहाँ सर , इसके पहले वाले दो मैच तो आप लोगो ने ही जीते थे , अच्छा सर ये कोएले के पांच रेक मैंने गोधरा यार्ड में भेज दिए हैं। पहला रेक दस मिनट में पहुँच जाएगा। वानक बोरी में एक रेक था वो भी मैंने विदड्रा करा लिया है। जी इ बी ( गुजरात इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड ) को भी मैंने बोल दिया है कहीं भी रेक अन लोड कल तक नहीं करेंगे। और एक रेक उकई पावर हाउस का था , तो वो उधना में रखवा दिया है। '
" एक मिनट , "पुलिस कमिशनर बोले।
वो डिफेंस और बॉम्ब डिस्पोजल स्क्वाड के लोगो से बात कर रहे थे। फिर उन्होंने बोला ,
" ठीक है , हमारे पास चार चापर है, दो टीमें हम गोधरा भेज दे रहे है और एक सूरत। आधे घंटे में ये पहुँच जायेंगे , और अपना काम शुरू कर देंगे। हाँ पञ्च महल के एस पी को भी मैं बोल दे रहा हूँ , स्टेशन के एरिया के आस पास चार घंटे के लिए एतिहातन कर्फ्यू लगा देगा। और सूरत में भी उधना के अगल बगल। " पुलिस कमिशनर ने बोला।
" अभी एक कोचिंग स्पेशल मैं करछिया भेज रहा हूँ। चालीस पचास फिटर हैं उसमे। और बाकी करछिया यार्ड के जोड़ के साठ के करीब हो जायेंगे। अगर आप को साठ वैगन तीन रेक में हैंडल करने हैं तो औसतन एक आदमी आधे घंटे में एक वैगन हैंडल कर लेता है। इस लिए ज्यादा से ज्यादा एक घण्टे यानि छह सवा छह तक उनका काम हो जाएगा। उन के साथ एक ट्रैफिक और दो मेकेनिकल डिपार्टमेंट के अफसर भी है। हाँ एक सस्पेकटेड रेक जाम नगर रिफायनरी में भी है जिसे हमने विंड मिल भेज दिया है। वो गुड शेड शहर से बहुत बाहर है , और रिलाएंस के लोगो ने नेवी के लोगो से बात कर ली है , उनकी एक यूनिट उसे एक्जामिन करने पहुँच जायेगी। वहाँ भी फिटर स्टाफ आधे घंटे में पहुँच जाएगा। " सीनियर डी ओ एम ने बोला।
कुछ रुक के पुलिस कमिशनर ने बोला , " ओ के मैं दूसरे फोन पे होम सेक्रेटरी से बात कर रहा था। वो अहमदाबाद से एक बॉम्ब डिस्पोजल यूनिट जामनगर के लिए चापर से भेज रहे हैं। रिलायंस से उनकी बात भी हो गयी है। तो हमारी यूनिट फिर यहीं पे काम करेगी। तुम्हारे लोग एक बार यहाँ आ जाएँ , तो फिर यहाँ काम शुरु हो। "
' हम लोग ट्रेन कितने बजे स्टार्ट करे , राजधानी सात बजे सूरत आ जाती है. उसको मैं नहीं डिटेन करना चाहता। " इधर से फिर सीनियर डी ओ एम ने बोला।
फोन पर कुछ हल्ला सुनायी पड़ा।
" लो तुम्हारी स्पेशल आ गयी है , और पहला चापर भी स्टार्ट हो गया है। आधे घंटे में यहाँ का काम शुरू करा के मैं तुम्हारे पास कंट्रोल आफिस में आ रहा हूँ , करन भी आ जाएगा मेरे साथ। यहाँ तो हम लोगों का काम ख़तम सा ही है , फिर वहीँ समोसे खायेंगे और तय कर लेंगे। " ये कह के पुलिस कमिशनर ने फोन रख दिया।
वो दोनों , पुलिस कमिशनर और करन आधे घण्टे से कम समय में वहाँ आ गए।
तब तक रीत ने दो बार करन से और दो बार आनंद से बात कर ली थी। गुड्डी से भी , रंजी के बारे में मेसेज का आदान प्रदान हो चूका था।
कोयले के पांच में से चार रेक गोधरा पहुँच चुके थे। बॉम्ब डिस्पोजल स्क्वाड की पहली टुकड़ी गोधरा चापर से पहुँच चुकी थी और एक रेक उन्होंने डिफ्यूज कर दिया था। सूरत में भी बॉम्ब डिस्पोजल स्क्वाड के लोग पहुँच गए थे।
करछिया यार्ड में बड़ोदा से गए स्टाफ ने अब तक दो रेक जांच कर उनकी डिवाइस निकाल ली थी। पूरे यार्ड को स्निफर डॉग्स ने चेक कर सेफ डिक्लेयर कर दिया था। तीसरा रेक भी आधे घंटे में हो जाना था।
क्राइसिस लगभ समाप्त हो चुकी थी। रिफाइनरी में बने कंट्रोल रूम में गुजरात पुलिस के बाकी अधिकारी ,कुछ सेना के अधिकारी और आई बी के लोग अभी भी मॉनिटर कर रह थे।
पुलिस कमिशनर और करन के आने के साथ साथ समोसे कि अगली खेप भी तुरंत आ गयी।
पुलिस कमिशनर , मीनल को तो जानते ही थे , रीत से उनका इंट्रो करन ने करवाया। हालाँकि रीत के बारे में वो अच्छी तरह सुन चुके थे लेकिन सामने मिल अभी रहे थे।
हाथ मिलाते हुए उन्होंने रीत कि तारीफ की , कि उसने किस तरह एक बड़े खतरे से बचा लिया।
रीत ने तुरंत मीनल को आगे कर दिया ,
" सर असली काम तो इसने किया। पहले उस "वाई " का स्केच बनाया , पता लगाया , और आज उसे मीठी मीठी बातों में फुसलाया और उसके खूबसूरत चेहरे पे पेपर स्प्रे से वार किया। मैंने तो खाली जो कहानी में कहते हैं आखिरी सूई निकाली। "
पुलिस कमिशनर ने मुस्कराकर मीनल को देखा और बोले , " अरे अखबार वाले और मीठी बातें , मुझसे तो आज तक इसने मीठी बात नहीं की। "
मीनल ने उन्हें मीठी निगाह से देखा और बोला ;" सर आज कि घटना के बारे में प्रेस की ब्रीफिंग , ये कर्फ्यू क्यों लगा रिफायनरी के आस पास ,"
पुलिस कमिशनर ने बनावटी गुस्से से उसे देखा " फँसा दिया न तूने , चल अब तू ही रास्ता बता। पूछेंगे तो लोग। "
" सर , रिहर्सल ,… " मुस्करा के मीनल बोली।
" सही आइडिया , चल लिख , आज रिफायनरी , और बाकी पेट्रो केमिकल इंडस्ट्री तथा रेलवे के साथ मिलकर एक चार घण्टे का थ्रेट परसेप्शन असेसमेंट और प्रिपेयर्डनेस का रिहर्सल किया गया , इसके साथ ही माक ड्रिल का भी आयोजन था। … "
वो दस मिनट तक बोलते रहे मीनल नोट करती रही और उसेन अपने मोबाइल से ही न्यूज , सिटी एडिटर के पास भेज दी।
रीत बार बार घडी देख रही थी।
तब तक चीफ कंट्रोलर ने आके बताया , आखिरी रेक भी गोधरा पहुँच गया।
पुलिस कमिशनर के पास मेसेज आया कि जामनगर में भी बम्ब डिस्पोजल स्क्वाड ने काम शुरू कर दिया है।
रीत ने करन को भी इशारा किया घडी का।
सीनियर डी ओ एम ने उससे पूछ ही लिया ,
" कहीं जाना है क्या तुम दोनों को , जो इस तरह घडी देख रही हो। "
" हाँ , साढ़े छह बजे पैलेस में बाकी टूरिस्ट्स के साथ , कल्चरल प्रोग्राम है और उनके साथ चाय ,… "
आगे कि बात मीनल ने पूरी की ,
" दोनों को नहीं तीनो को , उस से भी ज्यादा जरुरी काम है , उसके पहले , करन कि ओर इशारा कर के वो बोली , इन्हे लूटने का , शापिंग का पहले ट्रेडिशनल ड्रेसज फिर माल में "
" तो फिर चलो ना तुम सब , हाँ जाने के पहले ये बचे दोनों समोसे ख़तम करो। "सीनियर डी ओ एम ने बोला।
चीफ कंट्रोलर सामने खड़ा था। उससे उन्होंने कहा अब गाडी चलवाओ , और पुलिस कमिश्नर ने भी हामी भर दी। पहले मेल एक्सप्रेस , फिर पैसेन्जर। गुडस ट्रेन्स आठ बजे के बाद। हाँ पावर हाउस और रिफायनरी में कल दोपहर के बाद ही प्लेसमंट होगा।
जब वो तीनो निकलने लगे तो पुलिस कमिशनर ने करन से बोला , " मीनल को यहाँ के सब गली कूचे मालूम हैं , सही शापिंग करवाएगी। "
रीत और मीनल दोनों एक साथ बोलीं , हमारा सिर्फ एक आब्जेक्ट है करन को लूटने का। "
पुलिस कमिश्नर और सीनियर डी ओ एम दोनों जोर से हँसे , और बोले अच्छी तरह लूटना , कुछ छोड़ना मत।
जब तीनो सीढ़ी से उतर रहे थे तो करन बोला ,
" अगर आज ये मिशन फेल हो जाता तो कितना डैमेज होता ,"
" अरे यार वो मिशन ख़तम , अब नया मिशन शुरू " रीत मुस्करा के बोली।
" और क्या मिशन , लूटो जीजू को " खिखिलाती हुयी मीनल बोली।
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फागुन के दिन चार--108
गतांक से आगे ...........
रीत ने लम्बी सांस लेते हुए कहा ,
" अरे यार भगवान ने ये लड़के क्यों बनाये और बनाये तो भेजे में थोड़ी सी अक्कल डाल देते। "
" एकदम सही बोल रही हो , " मीनल ने जबरदस्त अंगड़ाई ली और हामी भरी।
" बता, दो खूबसूरत लड़कियां , जवानी के बोझ से लदी उसके बगल में बैठी थीं। ये नहीं कि कुछ प्यार भरी बात करें , दो चार शेर वेर सुनाये , कुछ नहीं तो गोरे गुलाबी गालों पे हाथ ही फेर लेते , लेकिन नहीं , उन्हें तो बस , उस दुष्ट को ले जाने की जल्दी थी ," ठंडी सांस भर के रीत बड़े अफ्सोस से बोली।
" कदर जानी ना मोरे राजा , कदर जानी ना , " उसी टोन में अंगड़ाई लेते हुए , पीछे हाथ कर के , अपने उभारों को और उभारती , मीनल बोली।
" अरे यार हमारी कदर ना करते तो कम से कम इस गद्दर जवानी की तो कदर करते। " रीत ने अपना दुःख जाहिर किया , तब तक उसका मोबाइल चिल्लाया। मेसेज का टोन था।
रीत ने मेसेज पढ़ा और झल्ला कर फोन टेबल पर पटक दिया और मीनल से पूछा।
" यार होली में लड़के लड़कियों से कैसी बाते करते हैं ,"
' सेक्सी , रंगीन मस्ती भरी , … लड़कियां गुस्साती हैं , गालियां देती हैं लेकिन मन ही मन खुश होती हैं। " मीनल ने बोला।
" किस्मत वाली होती होंगी वो , यहाँ तो १ ४ ० ० किमी एक तो होली में बैठे हैं , अपनी मायकेवालियों से होली खेल रहे हैं और मुझसे बोल रहे हैं , जल्दी से प्रतापनगर पहुँचो , रेलवे कंट्रोल रूम में. "
रीत अपना दुखड़ा और रोती तब तक एक लड़के सा आर्डर लेने आ गया।
" क्या खाएंगी , "
" हम तो गम खाते हैं और आंसू पीते हैं , जहर मिलेगा तुम्हारे यहाँ। "
रीत अब उस पर चढ़ गयी।
मीनल ने बात सम्हाली।
लड़के को उसने रोका और रीत से पूछा ,
" सुन दबोली खायेगी। "
रीत ने हामी में सर हिलाया।
थोड़ी देर में टेबल पर दबोली , खाखड़ा , और फरसाण थे , और वो दोनों उसे ख़तम करने में जुटी थीं।
रीत ने करन को फोन लगाया , लेकिन उसके कुछ बोलने पूछने के पहले करन बोल पड़ा ,
" तुम्हे कैसे पता था कि उसके जबड़े में कुछ गड़बड़ होगा। "
"क्योंकि मैं रीत हूँ सिम्पल , सामने वाले दोनो दांत ना,…"
एक बार फिर करन ने रीत कि बात काटी और बोला ,
" दोनों दांत नकली हैं और एक्स रे में खोखले दिख रहे हैं "
" जी नहीं उनमे , पोटैशियम सायनाइड भरा है , दबोली खाते हुए रीत बोली , और जोड़ा
" उसके होश में आने के पहले ही उसे निकाल देना वरना उससे कोई भी बात चीत नहीं हो पायेगी। "
“लेकिन ये सब तुम्हे कैसे मालुम है ,…" करन ने चकित हो के पुछा।
" बताया तो , सिम्पल यार क्योंकि रीत हूँ। बनारस में जेड का बहुत प्रोटेक्शन किया था पुलिस और आई बी ने , हाँ इसी का मौसेरा भाई , तब भी कालिया ने उसे ऊपर पहुंचा दिया। और जब पोस्ट मार्टम हुआ तो पता चला कि किसी अच्छे डेंटिस्ट से उसने दांत बनवाया था , जिसने दांत में बजाय सोना भरने के सायनाइड भर दिया था। "
रीत ने दबोली कि दूसरी प्लेट ख़तम करते हुए कहा और फिर करन से पूछा ,
" सब मुझसे पूछ लिया अपने मोहल्ले का भी तो हाल बताओ "
" अरे यहाँ , उसका तो मैंने बता दिया , ओह क्या गड़बड़ किया चलो कोई बात नहीं बाकी ही उखाड़ दो," करन बोला
" क्या गड़बड़ कर दिया , तुम लड़कों से एक लड़की तो सम्भलती नहीं , टेररिस्ट कहाँ से संभलेगा। रीत ने खिंचाई की
" अरे नहीं यार , वो डेंटिस्ट , उसने गलती से ऊपर की जगह , नीचे के दांत निकाल दिए। उसी को बोल रहा था टेंशन मत ले , फिर से ऊपर वाले भी निकाल ले , टू बी सेफर साइड अगल बगल के दो और निकाल दे। " करन बोला , और बात आगे बढ़ायी ,
" मेरे निकलते ही वो सिक्योरिटी वाले यार्ड में पहुँच गए थे, उन्होंने यार्ड में काम करने वालों से बोला की पूरे इलाके में कर्फ्यू लग गया है , इसलिए वो अपने काम बंद कर दे और अपने आफिस में जा के बैठ जायं। वहाँ भी सिक्योरिटी लगा दी है।
सारा काम बंद हो गया है , इसलिए न तो बाकी वैगन में डिवाइस लगेगी , और ना ही कोई रेक रिफायनरी में आएगा। "
करन ने बात पूरी भी नहीं कि थी कि मीनल चालू हो गयी ,
" जीजू उस हसीना की फ़ोटो मिली। "
रीत समझ गयी , मीनल किस कि बात कर रही थी. वही आदमी , जिसने लोगो को उनके खिलाफ उकसाया था , उन के कब्जे से उसको ले जाना चाहता था और जब कुछ नहीं हो पाया तो बैग को कब्जे में करना चाहता था।
" हाँ एकदम , करन बोला।
लेकिन यार्ड में कोई उसको पहचान नहीं पाया। उन लोगो ने सिर्फ ये बताया कि , वो तेजी से उन लोगो के पास आया कि तुम दोनों उन के बॉस कि पिटाई कर रही हो , और वो बेहोश हो के गिरे पड़े हैं। इसी लिए उत्तेजित हो के वो आये थे। आर पी एफ के लोग भी उसे नहीं पहचान पाये।
लेकिन गुजरात पुलिस के लोग अस्योर कर रहे हैं कि बारह घंटे के अंदर वो उसे ढूंढ निकालेंगे। बस स्टेशन , ट्रेन हर जगह वो फ़ोटो सर्क्युलेट हो गयी है। "
" और जो डिवाइस मैंने दी थी ," रीत ने पुछा।
" बॉम्ब डिस्पोजल स्क्वाड और फोरेंसिक टीमें उसे हैंडल कर रही है। दस मिनट के अंदर काफी कुछ मालुम हो जाएगा। " करन बोला।
रीत ने जो कुछ देखा था और ओ उसका अंदाज था वो बता दिया।
करन ने ये भी बताया , पूरे इनर पेरीमीटर में कर्फ्यू चार घंटे के लिए लगा दिया गया है। पूरी रिफायनरी और उसके आस पास के इलाको को खाली कराया जा रहा है। और जैसे ही बॉम्ब डिस्पोजल वाले बॉम्ब का डिटेल और उसकी मेकेनिज्म बताएँगे , उसे डिफ्यूज करने का काम शुरू हो जाएगा। लेकिन सवाल एक ही है कि कैसे ,
रीत ने बात काट कर पूछने कि कोशिश की ,
तो करन बोल उठा , तुम बीच में काट देती हो।
और मीनल रीत के सपोर्ट में आ गयी जैसे दोनों जनम जनम की बहने हों और बोल उठी।
" वाह जीजू , आप दी को बोल रहे हो , और आप ने जो इत्ती जोर से काटा है न अब तक दुःख रहा है ,"
और अपने सीने के ऊपर हाथ रख के जोर से बोल उठी, आह्ह्ह
" देखा , अब मैं अकेले नहीं हूँ कि जब देखा तब चढ़ लिए , " रीत खिलखिलाते हुए बोली।
" आने दी शाम को तुझे भी देख लूंगा और तेरी छोटी बहन को "
रीत फिर मुद्दे पे आ गयी ,
" मैं ये कह रही थी , कि तुम ये सोच रहे होगे न कि डिवाइस को वैगन से बाहर कैसे निकाले , तो यार्ड में एक सीनियर फिटर हैं बनारस के उनसे आप लोग बात कर लेना। वो रिलायबल भी है और डिवाइस निकाल भी सकते है। दूसरी बात ये कि वो मैग्नेटिक है , तो अगर उसकी डिंमैगनेटाइज करोगे तो और आसानी से निकल आएगी।
अभी मैं और मीनल रेलवे कंट्रोल रूम के लिए निकल रहे हैं। वहाँ पहुँच के बात करेंगे। "
दोनों ने फोन रख दिया।
अब आनद का नंबर था।
और वो भी चालु हो गया ,
" तुम लोग अभी कंट्रोल रूम नहीं पहुंची। "
और रीत ने जबरदस्त जवाब दिया। बजरिये गुड्डी , उसे वहाँ कि होली का हाल मिल चूका था।
" अच्छा जी , रात में मेरी बहन के साथ मजे लेते हो और दिन में अपनी बहन के साथ , और मुझे लेक्चर दे रहे हो। " रीत ने हड़काया।
" तुम कर क्या रही हो , " आनंद ने परेशान हो के पूछा।
" अरे कर क्या रही ,एक सेक्सी
हैंडसम लड़के से बात कर रही हूँ और दबोली खा रही हूँ , खाना है तुम्हे बहोत मस्त है , एकदम तेरी तरह। " रीत ने छेड़ा।
" दबोली खा रही हो ?" चकित हो के आनन्द ने पूछा।
" क्यों जो आप सुबह से अपनी बहनों , भाभियों का दबा दबा के मजा ले रहे हैं , और यहाँ कोई दबाने वाला नहीं है , तो क्या करें दबोली खा के ही मजे ले रहे हैं " रीत पीछे हटने वाली नहीं थी।
" सिर्फ बहनों , भाभियों , का दबाया , चाची , मौसी , बुआ, ...."
मीनल भी अब मैदान में आ गयी थी और थोड़ी और मिर्च छोड़ी ,
" मैंने तो सूना था इनके यहाँ सब औरतें , लड़कियां घर में ही ,.... बाहर वालों कि जरूरत ही नहीं पड़ती ".
"एकदम सही सुना था , मेरी बहन और गलत सुने , लेकिन उन का नंबर शाम को आएगा। सुबह को वो लोग काम वालों को काम दान करती है , धोबी, दूध वाला , नाउ , जो मांग ले , और, शाम को , इनका दिन में लकड़िया अपने भाइयों के साथ,"
रीत ने दबोली कि प्लेट ख़तम करते अपना ज्ञान जाहिर किया।
आनंद समझ गया कि अगर रीत इस मूड में और साथ में मीनल भी हो तो उससे पार पाना मुश्किल है।
उसने टॉपिक बदला।
" करन से बात हुयी क्या ? "
, तो जेड कि तरह कोई गड़बड़ नहीं होगा और वो जिन्दा कस्टडी में रहेगा
अब रीत थोड़ी सीरियस हुयी।
उसने करन से जो भी बात हुयी थी सब बता दी और ये भी बता दिया कि उसके प्वाइजन वाले दांत निकाले जा रहे हैं , तो जेड कि तरह कोई गड़बड़ नहीं होगा और वो जिन्दा कस्टडी में रहेगा. दूसरी बात ये भी है कि उस डिवाइस के बारे में पांच दस मिनट में डिटेल मिल जायेंगे फिर वो बॉम्ब डिफ्यूज करना शुरू कर देंगे। आधे घंटे में करन फिर लेटेस्ट बतायेगा। "
" मैं तुम लोगों को इसी लिए कंट्रोल रूम जाने को कह रहा था। "
आनंद ने अब अपनी बात रखी।
" इयर पीस पे मैं यार्ड में तुम्हारी सारी बातें सुन रहा था। मुझे ये लगा कि जो तीन पेट्रोलियम के टैंक रेक तुम लोगो ने आइडेंटिफाई किये ,उसके अलावा भी रेक हो सकते हैं जिसमें सुबह या उसके पहले बॉम्ब लगा दिए गए हों , और वो अभी चल रहे हों।
अगर ' वाई ' के मौके से हटने कि सूचना उन लोगो को मिल गयी हो और उन्होंने रास्ते के किसी रेक में ही रिमोट अ किसी और तरीके से बॉम्ब एक्सप्लोड कर दिया , तो माल गाड़ियों के साथ यहाँ डबल लाइन होने से बगल कि लाइन पे पैसेंजर गाड़िया भी चलती हैं। तो एक तो एक्सप्लोजन से उनमे आग भी लग सकती है। दूसरे , अगर वो माल गाडी का डिब्बा एक्स्पोल्जन से दूसरी पटरी पे गिरा तो , दूसरी ओर से अ रही यात्री गाडी उससे टकराकर डिरेल हो जायेगी और सैकड़ों लोग मरेगें , और वो अपने मकसद में कामयाब हो जायेंगे। .
बड़ौदा में , मुम्बई दिल्ली और मुम्बई अहमदाबाद रूट मिलते हैं , इसलिए यहाँ गाड़ियों कि सघनता बहुत ज्यादा है। सूरत से अहमदाबाद तक औटोमेटिक सिग्नल है और पिक टाइम पे करीब हर पांच दस मिनट में गाड़ियां होती हैं। मुम्बई दिल्ली और मुम्बई अहमदाबाद के बीच कि यात्री गाडियो के अलावा , इम्पोर्ट एक्सपोर्ट का सारा ट्रैफिक , बाम्बे के पोर्ट के लिए भी इधर से हो के जाता है। "
मीनल और रीत दोनों चुपचाप सुन रहे थे। रीत बोली , करना क्या है ?
आनद ने बात आगे बढ़ायी
' वही तो बता रहा हूँ। मैंने अपने हैकर फ्रेंड्स से बात कर ली है। वो चार से आठ तक साइलेंस जोन बना रहे हैं बल्कि बना दिया है। उन्होंने उन इ जो सीमा पार के हेड क्वार्टर हैं जहाँ से स्ट्रेटेजी तय होती वहाँ पर कम्युनकेशन ओवर लोड कर दे रहे हैं , जिससे कहीं से भी उनसे कोई संपर्क ना हो पाये। २ ६ /१ १ को यही एक बड़ी गलती हुयी थी कि ताज में बैठे आतंकवादी लगातार अपने आकाओं से संपर्क में थे , और वो उन्हें गाइड कर रहे थे।
आज हमने चार घण्टे के लिए ये कनेक्शन काट दिया है। इसलिए आठ बजे तक हमें सब कुछ न्यूट्रलाइज कर लेना है। "
अब मीनल और रीत दोनों सीरियस होके सुन रही थीं। फोन स्पीकर फोन पे था।
एक पल चुप हो के आनंद ने फिर बोला ,
“त्रिपाठी , वो मेरे हॉस्टेल में सीनियर थे। वही वहाँ सीनियर डी ओ एम् ( सीनियर डिविजनल आपरेशन मैनेजर ) हैं , और एक दम रिलायबल हैं। मैंने उन्हें समझा दी है। सिर्फ एक ही रास्ता था , ओ एच यी काटने का और वो उन्होंने कर दिया है। वो कंट्रोल रूम में है और उन्हें तुम दोनों के बारे में बता दिया है। "
मीनल ने अपना ज्ञान जताया ,
" वो जो बिजली के तार ट्रेन के ऊपर होते हैं ना , उन्ही को , जिनसे इंजन में बिजली आती है , उसे रेलवे वाले ओ एच यी कहते हैं। "
लेकिन आनंद की बात जारी थीं।
" बिजली कि सप्प्लाई रुकने से सारी गाड़ियां जहाँ की तहां खडी हैं।
अब वो ये देख रहे हैं कि पिछले चौबीस घंटे में किन गाड़ियों का करछिया में इक्जामिनेशन हुआ। उन गाड़ियों को अलग शिफ्ट कर देंगे। और ख़ास तौर से उस वाई कि शिफ्ट में जो इक्जामिनेशन हुआ होगा , उन्हें विशेष रूप से जांचना होगा। तुम लोग वहाँ पहुँच जाओगी तो तुम भी उन्हें ज्वाइन कर लोगी।
और फिर करन से भी तुम उन्हें इंट्रोड्यूस करा देना। बल्कि कारण को बोलना कि आधे एक घंटे में रिफायनरी का काम निपटाकर , वहीँ कंट्रोल रूम में आ जाएँ। "
आनंद की बात में दम था।
“ठीक है हम कंट्रोल पहुँच के बात करेंगे , और हाँ रंजी आयगी ना शाम को , तो उसके मस्त कबूतर जरा एक बार मेरी ओर से भी दबा देना , और कचकचा के मेरी और से उस के गाल काट भी लेना और किस्सी भी लेना.
हाँ ये भी बोल देना बनारस में उसे एक से एक मोटे लम्बे ,… मिलेंगे , रेहन और उसके ठरकी अभी से सरसों का तेल मल रहे हैं। ."
ये कह के रीत ने फोन रख दिया और धन्नो पे सवार हो के मीनल के साथ रेलवे कंट्रोल रूम कि ओर चल पड़ी।
बड़ौदा , रीत पहली बार आयी थी और हर किसी किशोरी कि तरह मीनल को भी अपने शहरकी तारीफ का शौक था। लेकिन वो हेरिटेज और इतिहास से जुड़ा था। काला घोडा चौराहे से गुजरते समय , उसने घोड़े पे सवार मूर्ति को दिखाया और बोली ,
" ये सर सयाजी राव गायकवाड़ की मूर्ति है , आधुनिक बडोदा के निर्माण में इनकी बड़ी भूमिका रही है। वो लोग थोडा आगे बढे , तो अपनी धन्नो को धीमी कर उसने एक खूब बड़े से महल को दिखाया , लक्ष्मी विलास पैलेस , इसे सयाजी राव ने बनवाया था अपनी पत्नी के नाम पे और हाँ ये कोई होटल वोटल नहीं बना।
आज भी उनके वंशज इसमें रहते है। सबसे बड़ा व्यक्तिगत निवास है ये और अभी जो राजा हैं , रंजीत सिंह जी , वो बहुत अच्छे गायक , पेंटर हैं। एक गरबा में मैं गयी थी , वहाँ उन्होंने भी गाया था और बेस्ट डांसर का इनाम भी मुझे उनके हाथ से ही मिला था। ( रंजीत सिंह जी अब नहीं रहे )."
मीनल कि स्कूटी आगे निकली तो एक लालबाग नाम की कोई जगह पड़ी. वहाँ पर रेलवे क्रासिंग थी।
रीत ने चिढ़ाया , " अब ये मत कहना कि ये रेलवे भी उन्होंने बनायी। "
मीनल ने मुस्करा कर अपनी स्कूटी पे मुड़ के रीत को देखा और बोली ,
" सच तुम ठीक कह रही हो। ये दो लाइने है ना , एक संकरी सी नैरो गेज और दूसरी ब्राड गेज। तो नैरो गेज तो गायकवाड़ ने ही शुरू कि थी और सिर्फ यही नहीं , पूरे हिन्दुस्तान में , १ ८ ६ २ में।
पहली नैरोगेज लाइन गायकवाड़ बे ही बनवायी थी , डबोही से मियागाम तक। '
वो लोग रेलवे आफिस की ओर मुड़े तो बगल में एक कालेज सा पड़ा , कुछ रेलवे का कालेज था।
रीत कि गलती , पूछ बैठी। " ये क्या है ?"
और मीनल चालु ,
" अरे यही तो अपने हीरो से मिली थी मै , मेरा मतलब , ये रेलवे स्टाफ कालेज है यही तो वो एक हफ्ते कि ट्रेनिँग के लिए आया था आनँद , जब हम दोनों कि मुलाक़ात हुयी थी। हाँ ये भी सयाजी राव ने बनवाया था अपने ग्रांड सन के लिए , इसे प्रिंस पैलैस भी कहते हैं।
उनके पोते प्रताप सिंह गायकवाड़ , इसमें रहते थे।वो जो हम रेलवे आफिस चल रहे है ना , प्रताप नगर में , वो नाम उन्ही के नाम पे पड़ा। सयाजी राव के बाद वही तो राजा बने वरना पहले उस इलाके का नाम गोया गेट था। "
गनीमत था उनकी धन्नो अब लगता है रेलवे के इलाके में पहुँच चुकी थी। एक छोटा सा स्टेशन था और उसके सामने एक खूबसूरत पार्क।
रीत से नहीं रहा गया और उसने उस पार्क के बारे में पूछ लिया और मीनल अबकी उसके अपर चढ़ गयी ,
" दी तुम भी न , फिर कहोगी बहुत बोलती है ,… देर हो रही है , चलो मैं बता ही देती।
ये एक एकदम अलग तरह का पार्क है , हेरिटेज पार्क इसमें नैरो गेज कि हिस्ट्री डिस्प्लेड है। और इस इलाके के बारे में भी बहुत कुछ , जब ये बन रहा था तब मैं आयी थी डी आर एम् अंकल का इंटरव्यू लेने और मेरे साथ की दो लड़किया , आर्किटेक्चर डिपार्टमेंट की भी इसमें इन्वाल्व थीं। "
रीत पीछे बैठी बैठी सोच रही थी , टिपिकल , डिट्टो गुड्डी जैसी।
और गुड्डी की याद आते ही उसने मोबाइल निकाल के एक के बाद एक दो तीन मेसेज दाग दिए। जरा उसकी भी तो खोज खबर ले लूँ , शाम कि क्या प्लानिंग है उस की और उस रंजी कि कैसे ऐसी कि तैसी करनी है।
तब तक धन्नो खडी होगयी थी। डी आर एम् आफिस आ गया था। एक पुरानी बिल्डिंग।
बिना उसके पूछे रीत बोली ," इसे भी सयाजी राव गायकवाड़ ने बनवाया था। "
" तुमने सही पहचाना। लोगो देखा हो बिल्डिंग के ऊपर , इसका पुराना नाम जी बी एस आर था , गायकवाड़ बड़ौदा स्टेट रेलवे। १ ९ २ १ में ये रेलवे के आपरेशन के लिए था और यहं उनके जी एम् बैठते थे और अब जब इन्डियन रेलवे ने ले लिया है है तो उसी जगह डी आर एम बैठते हैं। "
मीनल ने बात पूरी की।
मीनल इधर उधर देख रही थी। उसे एक सीढ़ी दिखी और रीत का हाथ पकड़ कर वो धड़धड़ाते हुए ऊपर चढ़ गयी।
दूसरे मंजिल पे कंट्रोल आफिस था।
इसके पहले रीत ने कभी रेलवे आफिस नहीं देखा था ,कंट्रोल आफिस तो दूर चीज है. वो सोचती थी , ट्रेन तो स्टेशन से दूसरे स्टेशन चलती है , स्टेशन मास्टर , ड्राइवर , गार्ड,....
लेकिन आज उसने देखा , कंट्रोल आफिस में खूब गहमा गहमी है , ढेर सारे केबिन हैं और जिसे देखो वो फोन पे बात कर रहा है और ढेर सारी कंप्यूटर स्क्रीन्स लगी हैं।
मीनल उसे खींच के एक केबिन में ले गयी , और बोला ये सेक्शन कंट्रोल है।
जब तक रीत कुछ पूछती , उस आदमी ने खुद ही बताना शुरू कर दिया (बाद में रीत को पता चला कि उसे सेक्शन कंट्रोलर कहते हैं ),कि , रेलवे को सेक्शन में बांटते है ,
जैसे बड़ौदा डिवीजन में तीन सेक्शन है , बड़ोदा -सूरत , बड़ोदा गोधरा और बड़ोदा -अहमदाबाद। इस सेक्शन के सारे स्टेशन और ट्रेन यहाँ से कंट्रोल होती हैं / सारे स्टेशन उस सेक्शन के , फोन से कंट्रोलर से बात करते हैं और वहाँ से गाडी के निकलने का समय बताते हैं , जिसे वो कम्प्युटर में फीड करते हैं और कंप्यूटर स्क्रीन पे गाड़ियों का पाथ बनता है।
कंट्रोलर यहीं से स्टेशन को बोलता है कि कौन सी गाडी क्रासिंग में रुकेगी और कौन से गाडी आगे जायेगी।
रीत की निगाह कंप्यूटर स्क्रीन पे थी जहाँ , लाल हरी काली लाइने थी , ऊपर और नीचे , कुछ सोच के उसने पुछा ,
" लेकिन डबल लाइन में तो क्रासिंग की जरूरत नहीं पड़ेगी। "
" एकदम सही कहा आपने , लेकिन वहाँ भी कुछ गाडी धीमे चलती हैं जैसे माल गाड़िया , यहाँ चार्ट में जो काली लाइने दिख रही हैं या हरी वाली पैसेन्जर गाड़िया , इन्हे रोकना होता है, मेल एक्सप्रेस गाड़ियों को जो लाल लाइन आप देख रही हैं , उन्हें , पार कराने के लिए। "
" लेकिन अभी तो सारी लाइने हॉरिजेंटल हैं इसका क्या मतलब , " रीत ने फिर पुछा।
" कुछ इमरजेंसी हो गयी है , सारी गाड़ियां खडी हैं। ओ एच यी काट दी गयी है " वो बोला।
तब तक एक आदमी आया , चीफ कंट्रोलर। उसने पुछा , रीत आप हैं।
रीत ने तुरन्त हामी भरी।
" सीनियर डी ओ म से मिलने आयी हैं आप ना। बड़े साहब बुला रहे हैं आपको
और वो दोनों सीनियर डी ओ एम के रूम में पहुँच गयीं।
क्या नजारा था.
आदमी एक और फोन चार ,
तीन पर वो बात कर रहे थे , और एक फोन एक आदमी लेके खड़ा था , बार बार बोल रहा था सर राजकोट डी ओ एम।
उसके अलावा दो फोन टेबल पे घनघना रहे थे।
इंटरकॉम पे अलग बत्ती जल बुझ रही थी।
एक फोन पे वो डांट रहे थे ,
दूसरे पे किसी से यस सर यस सर कर के बात कर रहे थे
और तीसरे से कुछ पोजिशन ले रहे थे।
जब वो यस सर वाला फोन बंद हुआ तो उन्होंने राजकोट वाला फोन लिया और पुछा ,
तुम्हारे यहाँ आज कल में कोई करछिया का एक्जामिन रेक पहुंचा है , हाँ हाँ टैंक रेक , यार कानालुस में
कुछ देर तक शान्ति रही , लगता है वो उधर कुछ चेक कर रहा था , फिर बातचीत चालु हुयी।
" ओ के एक रेक , कहाँ पर है
"जाम नगर रिफायनरी में प्लेस है "
"लोडिंग तो नहीं नहीं शुरू हुयी है? "उन्होंने पूछा
"आधे घण्टे में शुरू होने वाली है ," उधर से जवाब आया
नहीं नहीं लोडिंग रोक दो , और उसे खींच के शंटिंग नेक में डाल दो या विंड मिल गुड शेड खाली होगा , वहाँ डाल दो। हाँ हाँ मैंने सी एफ टीम को बोल दिया है , तुरंत।और हाँ प्लेस करा के कंट्रोल को बोलना मुझे बता देगा। ' और ये कह के उन्होंने राजकोट वाला फोन रख दिया।
तब तक उनकी निगाह रीत और मीनल पे पड़ी। और उन्होंने हाथ के इशारे से बैठने को कहा और बोला ,
बस दो मिनट में अभी वो बात करते हैं।
तब तक बगल के कंट्रोल रूम से एक आदमी एक कागज़ ले के आगया और बोलने लगा ,
" सर वो कामोडिटी वाइज लिस्ट करछिया के एक्जामिनेशन कि आ गयी है। आज सुबह से चार टैंक रेक एक्जामिन हुए थे , जिसमें से तीन आई ओ सी में गए थे एक गया था और दो जाने वाले थे। एक टैंक रेक रिलायंस रिफायनरी जामनगर गया था ,"
उसकी बात काट के एक पियोन टाइप आदमी को उन्होंने समोसे लाने को बोला और फिर कहा ,
" वही रेक , जिसके बारे में अभी मैं बात कर रहा था था। "
" हाँ सर वही , राज कोट से बी पी सी ( ब्रेक पावर सर्टिफिकेट ) नंबर मैच करा लिया है , वही है। " उसने कन्फर्म किया।
" आधे घंटे में राजकोट से चेक करा लेना और मुझे फीड बैक दे देना। हाँ और टैंक के अलावा , और कौन से रेक हैं उन्होंने पुछा।
" छह बॉक्स हैं कोयले के , एक वानकबोरी का था , पहुँच गया है लेकिन अभी टिपलिंग नहीं शुरू हुयी है , एक उकई का है , सूरत पहुँच रहा था। बाकी चार कि लोकेशन चेक कर रहे हैं रहे हैं। " वो बोला.
" जल्दी चेक कर के बताओ , और वो वानकबोरी पावर हाउस वाला , निकाल के यार्ड में डाल दो। और उन के पास तो चौदह दिन का कोयला है न तो बोलो , टिपलिंग बंद कर दे।
एक काम करो , गुरमीत सिंह, एम् डी आपरेशन , जी इ बी को फोन लगाओ मुझसे बात कराओ।
उसने वहीं रखे एक फोन पे फोन लगाया। लगता है स्पीकर फोन आन था।
' आप को एक दिन कोयला नहीं मिलने से चलेगा न अभी तो चौदह दिन का कोयला है आपके पास और एक यूनिट भी बंद है। " उन्होंने गुरुमीत सिंह से कहा।
" एकदम नहीं कोई प्राबलम हुयी है क्या , ऐक्सिडेंट वेक्सीडेंट, " उधर से गुरुमीत सिंह कि आवाज आयी।
" नहीं , कुछ कंजेशन है , पाइप लाइन में रेक थोड़े अटके हैं और एक आपका रेक जो पहुँच गया था उसमे भी कुछ प्राबलम है , मुझे बाहर खिंचवाना पडेगा। जरा प्लांट को बोल दीजियेगा। " उन्होंने रिक्वेस्ट की।
" एकदम अभी बोल देता हूँ। ' गुरुमीत सिंह बोले।
उन दोनों ने फोन रख दिया , और रीत का मोबाईल चिल्ला उठा।
करन कि आवाज थी और वो परेशान लग रहा था।
" वो आदमी अब जग गया है , अच्छा हुआ तुमने उसके जहर के दांत तुड़वा दिए थे। पहले उसने वही कोशिश की , लेकिन जब उसे पता चला कि वहाँ गैप है , तो वो निराश हो गया।
सोडियम पेंटाथाल के दो इंजेक्शन के बाद से वो गाने लगा है ये हाई प्रेशर पे , थोडा थोडा। और गुजरात पुलिस कि इन्वेस्टिगेशन स्किल भी अच्छी है। उन्होंने बहुत सी बातें यार्ड में भी जांच कर के पता कर ली है। दो बहुत चिंता कि बाते हैं। "
करन बोला
" क्या"
रीत ने पुछा।
" पहली बात तो ये ही कि कोयले के वैगन में भी कुछ डिवाइस एक्जामिनेशन के समय उसने डाली थीं। ये कोयले के तरह की ही उसी रंग कि डिवाइस है और प्लास्टिक एक्सप्लोसिव्स की तरह है। एक तरह की आ ई डी समझ लो। ये हाई प्रेशर पे एक्सप्लोड करेगी।
कोयले को पावर हाउस में जब ले जाते है तो एक वैगन टिपलर पे रख के वैगन को टिपल या उलट देते हैं , वहाँ से वैगन से गिरा कोयला , कन्वेयर बेल्ट से जाता है। उसके बाद सुपर क्रशर उसे क्रश कर के बहुत फाइन ग्राइंड करते हैं और फिर वो बायलर में जाता है। अब जब उसे क्रश किया जायेगा तो उस समय वो एक्सप्लोड करेगा या फिर बायलर में।
अभी ये नहीं पता चल रहा है कि वो रेक हैं कहा , और अगर एक भी टिपल हो के कन्वेयर पे चला गया तो कहानी ख़तम।
बॉम्ब डिस्पोजल वालों का ये मानना है कि वो अगर रेक पे पहुँच जाय , तो वो उस डिवाइस को अपने एक्विपमेंट्स से पहचान लेंगे।“
करन बहुत ही परेशान लग रहा था।
" और " रीत के चेहरे पे भी परेशानी झलकने लगी।
' वो कोयले के रेक एक दो जगह पे इकट्ठे हो तो ये कुछ कर पाएंगे , लेकिन उसके पहले उन्हें पावर हाउस पहुंचने से रोकना होगा और दूसरी बात जो डिवाइस तुमने पकड़ी थी बैग में , उसका भी पता बॉम्ब डिस्पोजल वालों ने कर लिया है। लेकिन वो और खतरनाक है। '
करन कि चिंता गहरा रही थी।
" क्या हुआ। ' रीत से करन कि परेशानी नहीं देखी जा रही थी।
" वो डिवाइस , बहुत ही पावर फूल एक्सोलॉसिव्स हैं उसमें।
जब पेट्रोल की लोडिंग होती तो उसे कुछ नहीं होता , हाँ वो प्रेशर एक्टिवेटेड है और जब टैंक वैगन तीन चोथाई लोड हो जाते तो वो प्रेशर थ्रेशोल्ड पार हो जाता , और वो एक्सप्लोड करते। पेट्रोल के कारण जबरदस्त आग लगती और कम से कम तीन चार वैगन में आग फैल जाती।
पूरा वैगन बॉम्ब में कन्वर्ट हो जाता और उछल कर जो टुकड़े जाते वो साइलो में भी चले जाते। लेकिन परेशानी ये है कि उसमें टाइमर डिवाइस है रात आठ बजे की।
और अगर टैंक में अब लोडिंग नहीं भी होगी , तो भी वैगन में लगी डिवाइस एक्सप्लोड करेगी और वो रिफायनरी को एक्सप्लोड करा सकती है। करछिया यार्ड में अगर एक्सप्लोजन हुआ तो भी रिफायनरी नहीं बचेगी। और सारी डिवाइसेज को वैगन से निकालने का काम सिर्फ रेलवे वाले कर सकते हैं।
लेकिन यार्ड में इतने लोग नहीं है। कम से कम तीस चालीस चालीस लोग चाहिये होंगे। बॉम्ब डिस्पोजल वालों का कहना है सात बजे तक सारी डिवाइसेज निकालनी होंगी , तभी वो टाइम पे डिफ्यूज कर पाएंगे। कुछ समझ में नहीं आ रहा है , "
करन बोला।
त्रिपाठी , सीनियर डी ओ एम रीत के चेहरे की ओर देख रहे थे।
" क्या हुआ , " उन्होंने पुछा।
और रीत ने करन को होल्ड करा के सारी परेशानी बता दी।
" उनको बोलो कि तुम उसे पांच मिनट में फोन कर रही हो और तब तक तुम लोग समोसे खाओ। ' वो बोले।
करन को ये बात रीत ने बता दी। तब तक मीनल हंस के बोली ,
" लेकिन समोसे तो अभी तक आये नहीं। "
और पियन को डांट पड गयी।
किसी ने बोला कि सर अभी वो गरम छान रहा है , बस दो मिनट में ला रहा है।
फिर उन्होंने एक दो और बटने दबाई और जिन्न की तरह दो तीन लोग प्रकट हो गए।
एक से उन्होंने कहा कि गोधरा कि लाइन पोजिशन लाओ।
दूसरे से बोला , स्टेशन मैनेजर बड़ोदा को बोलो कि शंटिंग इंजन से किसी भी पैसेंजर रेक से चार कोच काट के , यार्ड में खुद ले के जाय और दस मिनट में मुझे कन्फर्म करे।
तीसरे से उन्होंने कोयले के रेक की पोजिशन पूछी , और उसने बिना कागज़ देखे बतायी , " एक वानकबोरी पावर हाउस में निकल के यार्ड में आ गया है। एक उकई पहुँच रहा था , उधना में खड़ा है। और चार बड़ोदा गोधरा सेक्शन में हैं। "
तब तक एक आदमी गोधरा के लाइन पोजिशन का कागज ले के आ गया था।
उसे देख के उन्होंने बोला , " तीन लाइन खाली है ना, ओ के मेरे ख्याल से माल गोदाम भी खाली है। "
तब तक चीफ कंट्रोलर भी वहाँ आ गए थे। उन्होंने हामी भरी।
" ऐसा करो दो रेक निकाल के माल गोदाम में डाल दो , और अब पांच लाइने खाली हो जाएंगी। कोयले के रेक जो चार सेकशन में है उन्हें और वानकबोरी के रेक को वहाँ ले जा के स्टेबल कर दो। सारी गाड़ियां अभी खडी हैं तो आधे घंटे में ये कोल रेक पहुँच जाने चाहिए।
आप ड्राइवर से खुद बात कर लो बोलो क्लीयर पैसेज मिलेगा , काँटा , पचहत्तर से नीचे नहीं जाना चाहिए। चालीस मिनट मैक्स। साढ़े पांच तक सारे रेक गोधरा पहुंचाओ।
और कैरिज कंट्रोलर को भेजो। " सीनियर डी ओ एम ने बोला।
तब तक कैरिज कंट्रोलर आ के खड़ा हो गया ,
" सर,…'
" तुम्हारे पास बड़ोदा में कोचिंग और गुड्स मिला के शिफ्ट में कितने आदमी होंगे , चालीस -पचास तो होंगे न। " उन्होंने पूछा।
" हाँ , सर " वो बोला।
" इन सब को करछिया यार्ड भेजना है , तुरंत। मैंने स्टेशन मैनेजर बड़ोदा को बोल दिया है , एक शंटिंग इंजिन में तीन कोच वो अटैच कर रहा है। उसमें पहले कोचिंग यार्ड वालों को बैठा दो , फिर गुड्स यार्ड वालों को।
स्टेशन मैनेजर खुद उन को ले के जायेंगे। मैं सीनियर डी एम ई ( सीनियर डिविजनल मेकेनिकल इंजिनियर ) साहब को भी बोल दे रहा हूँ। "
" नहीं सर, उसकी जरूरत नहीं है। आपका कहना काफी है। मैं ट्रेनिंग स्कूल वालों को भी बोल देता हूँ। फिटर का एक कोर्स चल रहा है। पन्दरह फिटर वहाँ भी हैं , वो भी तब तक यार्ड में पहुँच जायंगे। " और ये कह के वो कंट्रोल में चला गया।
और उन्होंने सीनियर डी एम ई को फोन लगाया।
" बॉस , आपके बड़ोदा के आदमियों को मैं जरा करछिया भेज रहा हूँ , एक शिफ्ट के लिए। " उन्होंने बोला।
" अरे यार सब तुम्हारे आदमी है , लेकिन वो बड़ोदा यार्ड के लिए जो रेक आ रहे थे , कल हेड क्वार्टर न चिल्लाये। " उधर से जवाब मिला।
" अरे नहीं उसे मैं स्टेबल कर रहा हूँ , वो इशु आप मेरे ऊपर छोड़ दो। " उन्होंने जवाब दिया।
" ठीक है लेकिन ले कैसे जाओगे , " उधर से सवाल आया।
" अरे वो स्टेशन मैनेजर बड़ोदा कोच स्पेशल में लाद के ले जाएगा। " उन्होंने समझाया।
" फिर ठीक है , ए एम ई ( असिस्टेंट मेकेनिकल इंजिनियर ) और सी डी ओ ( कोचिंग डिपो आफिसर ) भी यार्ड मैं हैं उन दोनों को भी चढ़ा दो। ज्यादा कुछ हो तो मैं आउ ,… "सीनियर डी एम ई ने पुछा।
" अरे कुछ नही आप घर पे हो न कोई बात होगी तो मैं बात कर लूंगा , वैसै भी आपका ये कैरिज कंट्रोलर स्मार्ट है। " उन्होंने जवाब दिया।
दोनो ने फोन रख दिया
समोसे आ गए थे।
और अब उन्होंने मीनल की ओर रुख किया।
" तेरे चक्कर में मैं दो बार मिताली से डांट खा चूका हूँ , आयी क्यों नहीं इत्ते दिन से " उन्होंने समोसा उठाते हुए कहा।
( रीत को बाद में मीनल ने बताया कि मीताली उनकी पत्नी हैं और रेलवे बीट के चक्कर में वो रेलवे फेमली कि एक तरह से मेंबर हो गयी थी। )
" थोडा फँस गयी थी , इसी हफ्ते आउंगी और भाभी को फोन दूंगी। " मीनल बोली।
और अब रीत का नंबर था. वो उससे मुखातिब थे।
" आनंद की क्या हाल है। एक बनारस की लड़की से वो बहोत खतो किताबत करता था। सब लोग हॉस्टल में कहते थे कि पोस्ट आफिस वाले उसके चक्कर में अपना डिपार्टमेंट नहीं बंद कर पा रहे हैं , तो अभी चिट्ठी से ही काम चल रहा है या बात करने कि हिम्मत जुटा पाया। "
समोसे में चटनी लगाते रीत मुस्करा के बोली , "दोनों कि शादी तय हो गयी है। इसी साल गर्मी में हो जायेगी। "
वो शान्ति से समोसा ख़तम कर के बोले ,
" चलो , अब पोस्ट आफिस वाले आराम से अपना डिपार्ट्मेन्ट बंद कर सकते हैं। "
तब तक एक चीफ कंट्रोलर अंदर आए और बोले ,
" बड़ोदा स्टेशन से वो कोच लगा के इंजन चल दिया है , चालीस आदमी उस में करछिया जा रहे हैं। और वानकबोरी पावर हाउस वाला रेक टिम्बा निकल रहा है।
बीस मिनट में गोधरा पहुँच जाएगा। गोधरा सेक्शन वाला पहला रेक पन्दरह मिनट में पहंच जाएगा। बाकी भी चल दिए हैं और ज्यादा से ज्यादा साढ़े पांच तक सभी गोधरा पहुच जायेगें। राजकोट से बात हो गयी है , जामनगर रिफायनरी का रेक उन्होंने विंडमिल में प्लेस कर दिया है और , सूरत ने भी उकई का रेक उधना में रखवा दिया है। "
ठीक है वो बोले और रीत से कहा कि वो अपने मोबाइल से करन से बात कराये।
करन से उन्होंने पुछा कि पुलिस कमिश्नर साहेब हैं क्या वहाँ पे , और करन के हाँ करने पे उन्होंने बोला कि जरा फोन दो।
और अब दोनों लोग चालु हो गए।
" सर , लास्ट क्रिकेट मैच के बाद आप दिखे ही नहीं। " त्रिपाठी , सीनियर डी ओ एम ने कहा।
" अरे तुम लोगो ने इतनी जबरदस्त ढंग से हराया , " हँसते हुए पुलिस कमिश्नर ने कहा।
" कहाँ सर , इसके पहले वाले दो मैच तो आप लोगो ने ही जीते थे , अच्छा सर ये कोएले के पांच रेक मैंने गोधरा यार्ड में भेज दिए हैं। पहला रेक दस मिनट में पहुँच जाएगा। वानक बोरी में एक रेक था वो भी मैंने विदड्रा करा लिया है। जी इ बी ( गुजरात इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड ) को भी मैंने बोल दिया है कहीं भी रेक अन लोड कल तक नहीं करेंगे। और एक रेक उकई पावर हाउस का था , तो वो उधना में रखवा दिया है। '
" एक मिनट , "पुलिस कमिशनर बोले।
वो डिफेंस और बॉम्ब डिस्पोजल स्क्वाड के लोगो से बात कर रहे थे। फिर उन्होंने बोला ,
" ठीक है , हमारे पास चार चापर है, दो टीमें हम गोधरा भेज दे रहे है और एक सूरत। आधे घंटे में ये पहुँच जायेंगे , और अपना काम शुरू कर देंगे। हाँ पञ्च महल के एस पी को भी मैं बोल दे रहा हूँ , स्टेशन के एरिया के आस पास चार घंटे के लिए एतिहातन कर्फ्यू लगा देगा। और सूरत में भी उधना के अगल बगल। " पुलिस कमिशनर ने बोला।
" अभी एक कोचिंग स्पेशल मैं करछिया भेज रहा हूँ। चालीस पचास फिटर हैं उसमे। और बाकी करछिया यार्ड के जोड़ के साठ के करीब हो जायेंगे। अगर आप को साठ वैगन तीन रेक में हैंडल करने हैं तो औसतन एक आदमी आधे घंटे में एक वैगन हैंडल कर लेता है। इस लिए ज्यादा से ज्यादा एक घण्टे यानि छह सवा छह तक उनका काम हो जाएगा। उन के साथ एक ट्रैफिक और दो मेकेनिकल डिपार्टमेंट के अफसर भी है। हाँ एक सस्पेकटेड रेक जाम नगर रिफायनरी में भी है जिसे हमने विंड मिल भेज दिया है। वो गुड शेड शहर से बहुत बाहर है , और रिलाएंस के लोगो ने नेवी के लोगो से बात कर ली है , उनकी एक यूनिट उसे एक्जामिन करने पहुँच जायेगी। वहाँ भी फिटर स्टाफ आधे घंटे में पहुँच जाएगा। " सीनियर डी ओ एम ने बोला।
कुछ रुक के पुलिस कमिशनर ने बोला , " ओ के मैं दूसरे फोन पे होम सेक्रेटरी से बात कर रहा था। वो अहमदाबाद से एक बॉम्ब डिस्पोजल यूनिट जामनगर के लिए चापर से भेज रहे हैं। रिलायंस से उनकी बात भी हो गयी है। तो हमारी यूनिट फिर यहीं पे काम करेगी। तुम्हारे लोग एक बार यहाँ आ जाएँ , तो फिर यहाँ काम शुरु हो। "
' हम लोग ट्रेन कितने बजे स्टार्ट करे , राजधानी सात बजे सूरत आ जाती है. उसको मैं नहीं डिटेन करना चाहता। " इधर से फिर सीनियर डी ओ एम ने बोला।
फोन पर कुछ हल्ला सुनायी पड़ा।
" लो तुम्हारी स्पेशल आ गयी है , और पहला चापर भी स्टार्ट हो गया है। आधे घंटे में यहाँ का काम शुरू करा के मैं तुम्हारे पास कंट्रोल आफिस में आ रहा हूँ , करन भी आ जाएगा मेरे साथ। यहाँ तो हम लोगों का काम ख़तम सा ही है , फिर वहीँ समोसे खायेंगे और तय कर लेंगे। " ये कह के पुलिस कमिशनर ने फोन रख दिया।
वो दोनों , पुलिस कमिशनर और करन आधे घण्टे से कम समय में वहाँ आ गए।
तब तक रीत ने दो बार करन से और दो बार आनंद से बात कर ली थी। गुड्डी से भी , रंजी के बारे में मेसेज का आदान प्रदान हो चूका था।
कोयले के पांच में से चार रेक गोधरा पहुँच चुके थे। बॉम्ब डिस्पोजल स्क्वाड की पहली टुकड़ी गोधरा चापर से पहुँच चुकी थी और एक रेक उन्होंने डिफ्यूज कर दिया था। सूरत में भी बॉम्ब डिस्पोजल स्क्वाड के लोग पहुँच गए थे।
करछिया यार्ड में बड़ोदा से गए स्टाफ ने अब तक दो रेक जांच कर उनकी डिवाइस निकाल ली थी। पूरे यार्ड को स्निफर डॉग्स ने चेक कर सेफ डिक्लेयर कर दिया था। तीसरा रेक भी आधे घंटे में हो जाना था।
क्राइसिस लगभ समाप्त हो चुकी थी। रिफाइनरी में बने कंट्रोल रूम में गुजरात पुलिस के बाकी अधिकारी ,कुछ सेना के अधिकारी और आई बी के लोग अभी भी मॉनिटर कर रह थे।
पुलिस कमिशनर और करन के आने के साथ साथ समोसे कि अगली खेप भी तुरंत आ गयी।
पुलिस कमिशनर , मीनल को तो जानते ही थे , रीत से उनका इंट्रो करन ने करवाया। हालाँकि रीत के बारे में वो अच्छी तरह सुन चुके थे लेकिन सामने मिल अभी रहे थे।
हाथ मिलाते हुए उन्होंने रीत कि तारीफ की , कि उसने किस तरह एक बड़े खतरे से बचा लिया।
रीत ने तुरंत मीनल को आगे कर दिया ,
" सर असली काम तो इसने किया। पहले उस "वाई " का स्केच बनाया , पता लगाया , और आज उसे मीठी मीठी बातों में फुसलाया और उसके खूबसूरत चेहरे पे पेपर स्प्रे से वार किया। मैंने तो खाली जो कहानी में कहते हैं आखिरी सूई निकाली। "
पुलिस कमिशनर ने मुस्कराकर मीनल को देखा और बोले , " अरे अखबार वाले और मीठी बातें , मुझसे तो आज तक इसने मीठी बात नहीं की। "
मीनल ने उन्हें मीठी निगाह से देखा और बोला ;" सर आज कि घटना के बारे में प्रेस की ब्रीफिंग , ये कर्फ्यू क्यों लगा रिफायनरी के आस पास ,"
पुलिस कमिशनर ने बनावटी गुस्से से उसे देखा " फँसा दिया न तूने , चल अब तू ही रास्ता बता। पूछेंगे तो लोग। "
" सर , रिहर्सल ,… " मुस्करा के मीनल बोली।
" सही आइडिया , चल लिख , आज रिफायनरी , और बाकी पेट्रो केमिकल इंडस्ट्री तथा रेलवे के साथ मिलकर एक चार घण्टे का थ्रेट परसेप्शन असेसमेंट और प्रिपेयर्डनेस का रिहर्सल किया गया , इसके साथ ही माक ड्रिल का भी आयोजन था। … "
वो दस मिनट तक बोलते रहे मीनल नोट करती रही और उसेन अपने मोबाइल से ही न्यूज , सिटी एडिटर के पास भेज दी।
रीत बार बार घडी देख रही थी।
तब तक चीफ कंट्रोलर ने आके बताया , आखिरी रेक भी गोधरा पहुँच गया।
पुलिस कमिशनर के पास मेसेज आया कि जामनगर में भी बम्ब डिस्पोजल स्क्वाड ने काम शुरू कर दिया है।
रीत ने करन को भी इशारा किया घडी का।
सीनियर डी ओ एम ने उससे पूछ ही लिया ,
" कहीं जाना है क्या तुम दोनों को , जो इस तरह घडी देख रही हो। "
" हाँ , साढ़े छह बजे पैलेस में बाकी टूरिस्ट्स के साथ , कल्चरल प्रोग्राम है और उनके साथ चाय ,… "
आगे कि बात मीनल ने पूरी की ,
" दोनों को नहीं तीनो को , उस से भी ज्यादा जरुरी काम है , उसके पहले , करन कि ओर इशारा कर के वो बोली , इन्हे लूटने का , शापिंग का पहले ट्रेडिशनल ड्रेसज फिर माल में "
" तो फिर चलो ना तुम सब , हाँ जाने के पहले ये बचे दोनों समोसे ख़तम करो। "सीनियर डी ओ एम ने बोला।
चीफ कंट्रोलर सामने खड़ा था। उससे उन्होंने कहा अब गाडी चलवाओ , और पुलिस कमिश्नर ने भी हामी भर दी। पहले मेल एक्सप्रेस , फिर पैसेन्जर। गुडस ट्रेन्स आठ बजे के बाद। हाँ पावर हाउस और रिफायनरी में कल दोपहर के बाद ही प्लेसमंट होगा।
जब वो तीनो निकलने लगे तो पुलिस कमिशनर ने करन से बोला , " मीनल को यहाँ के सब गली कूचे मालूम हैं , सही शापिंग करवाएगी। "
रीत और मीनल दोनों एक साथ बोलीं , हमारा सिर्फ एक आब्जेक्ट है करन को लूटने का। "
पुलिस कमिश्नर और सीनियर डी ओ एम दोनों जोर से हँसे , और बोले अच्छी तरह लूटना , कुछ छोड़ना मत।
जब तीनो सीढ़ी से उतर रहे थे तो करन बोला ,
" अगर आज ये मिशन फेल हो जाता तो कितना डैमेज होता ,"
" अरे यार वो मिशन ख़तम , अब नया मिशन शुरू " रीत मुस्करा के बोली।
" और क्या मिशन , लूटो जीजू को " खिखिलाती हुयी मीनल बोली।
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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