FUN-MAZA-MASTI
फागुन के दिन चार--109
गतांक से आगे ...........
" और क्या मिशन , लूटो जीजू को " खिखिलाती हुयी मीनल बोली।
" जब मैं उसके बाद तुम को लूटूँगा न तो पता चलेगा। " उसके गाल को जोर से पिंच करता हुआ करन बोला।
" कब आयेगा वो टाइम जीजू ,…मैं तो लुटाने के लिए बेताब हूँ " उसे पीछे से पकड़ के अपने उभार करन कि पीठ पे रगड़ती , मीनल बोली।
थोड़ी देर में ही तीनो नवाबाजार में थे , बड़ोदा के ट्रेडिशनल ड्रेस का अड्डा , और करन को लूटने का काम चालु हो गया।
मीनल ने न सिर्फ अपने लिए बल्कि रीत के लिए भी बैक लेस चोली , चनिया और करन के लिए भी ट्रेडिशनल गरबा के ड्रेस खरीदवाए।
एकदो नहीं ढेर सारे , और उन का इस्तेमाल भी हो गया।
जब वो तीनो पैलेस में पहुंचे तो बाकी टूरिस्ट पहुँच रहे थे।
कल्चरल प्रोग्राम में गरबा था। मीनल ने रीत और करन को कुछ स्टेप सिखा दिए और फिर जबरदस्त नचाया ,
शरत पूनो ना चाँद नू ,
चाँद शरद का नहीं फागुन का ही सही , पूनो तो थी ही और उस पूनम में मीनल और रीत के रूप के चाँद भी दमक रहे थे।
और वहाँ से बाकी टूरिस्ट के साथ वो महाराजा एक्सप्रेस में पहुंचे।
इस बार खाना उन्होंने हवेली स्टाइल में खाया और फिर प्रेसिडेंशियल स्यूट में,
अब मेरा लूटने का नंबर है , करन बोला और जोर से मीनल को बांहो में भर के उसके रसीले , भरे भरे गाल कस के काट लिए।
"दी देखो जीजू कित्ते जोर से काटते हैं है , कटखने कही के,… " मीनल मुंह बना के जोर से चिल्लाई।
" हंसते हुए रीत बोली , " हे जीजू साल्ली के बीच मैं नहीं बोलने वाली , तू भी काट ना "
बात आगे बढ़ती उसके पहले वान्या पहुँच गयी ,
" अभी दस मिनट में गाडी स्टार्ट होने वाली है। " उसका इशारा मीनल की ओर था कि अगर उसे उतरना है तो अभी उतर ले ,
तब तक गाड़ी में जोर का झटका लगा शायद इंजन लगा गया था।
वान्या से करन बोला , नहीं ये भी हमारे साथ चलेगी।
वान्या ने पुछा , फिर बगल का ट्विन बेड वाला केबिन मैं तैयार कर देती हूँ।
" नहीं नहीं बाद में देखेंगे , मैं बाद में बता दूंगा आपको " करन बोला।
मीनल उहापोह में थी , इन लोगो के साथ चले ना चले , घर पे एक हप्ते के लिए वो अकेली थी और उसने अपने सिटी एडिटर को बोल भी दिया था कि वो रात में कांटेक्ट के बाहर रहेगी।
और मीनल का फैसला ट्रेन ने कर दिया , गाडी स्टार्ट हो गयी , और उस के झटके से मीनल डबल बेड पे.
और उसके ऊपर करन।
जब तक मीनल सम्हलती सम्हलती , उसकी दोनों नरम कलाइयां , करन के हाथ में ,
और दूसरे हाथ ने मीनल के उभारों को अनावृत कर दिया ,
वो दोनों मस्त गोलाइयां , कड़ी कड़ी गुदाज , जो सुबह से करन का दिल ललचा रही थीं , करन के हाथों में थी।
और फिर तो उसके दोनों हाथो में लड्डू ,
पहले तो वो हलके हलके सहलाता रहा , मसलता रहा , फिर करन के नदीदे होंठ भी मैदान में आ गए.
करन भी नवल खिलाड़ी था , चपल रसिया।
उसकी जीभ , हलके हलके मीनल की किशोर , गोरी गोलाइयों के बेस को सहलाती रही , पुचकारती रही। फिर होंठ चुम्बन के पग धरते ऊपर कि और बढे। उरोजों के शिखर पर पहुँच कर , पहले तो जीभ ने उसके चारो और परिक्रमा की , छोटे छोटे चुम्बन लिए.
मीनल के निपल्स एकदम कड़े , खड़े थे दावत देते , चैलेन्ज करते ,
और जीभ से करन ने उन्हें हलके हलके फ्लिक करना शुरू किया , कभी वो धीरे से मीनल के निपल के बेस को बाइट कर लेता , और जब मीनल चीखती तो उसे चूम लेता ,
फिर अचानक जैसे दूर आकाश में उड़ता बाज एकदम नीचे आये और कबूतर को दबोच ले , उसके होंठों ने मीनल के एक निपल को दबोच लिया और चूसने , चुभलाने लगे। जोर जोर से।
दूसरा जोबन करन के हाथों के बीच अब कस कस के कुचला मसला जा रहा था , और उसके निपल पे करन ने अचानक पिंच कर लिया।
मीनल ने खूब जोर से सिसकी ली।
उसका मन कर रहा था बस जीहे जू , उसे मसल दे रगड़ दे , चढ़ जाय उसके ऊपर और अपने मुस्टंडे से उसके भरतपुर को,…
रीत ने उसे चिढ़ाया , " हे कैसा लग रहा है , मजा आ रहा है जीजू के साथ,…"
मीनल भी कौन सी कम थी , आँख नचाकर , मुस्कराकर बोली ,
" दी एक बात समझ लो , आज कि रात जीजू मेरे , आप उपवास करो। छूने भी नहीं दूंगी इनको। "
" अरे यार तेरे जीजू है , तू इनके साली , तेरा तो हक़ बनता है , मैं बगल वाले केबिन में चली जाती हूँ। " रीत मुस्करा के मीनल के गाल सहलाते बोली।
" नहीं दी , आप यही रहो न , आप पास में रहेंगी , तो ज्यादा तंग करेंगे न तो मैं आप से शिकायत लगा दूंगी , " मीनल खिलखिला के बोली।
तब तक करन भी टॉप लेस हो गया,
और करन कि चौड़ी छाती के नीचे ,मीनल के नयी आयी जवानी के दोनों फूल दबे , मसले , कुचले जा रहे थे।
करन के होंठ , मीनल के रसीले गुलाबी होंठो का रस ले रहे थे , चूस रहे थे , और जब मस्ती में मीनल ने अपनी गुलाब की पंखुड़ियों खोले तो करन की जीभ अंदर ,
पर मीनल भी कम रसीली नहीं थी। माना उसकी चुनमुनिया ने अभी तक चारा नहीं घोंटा था , लेकिन देह सुख का पाठ कितने गरबा की रातों में सहेलियों कि देखादेखी अच्छी तरह सीख लिया था।
करन की रसीली जुबान को मीनल के मखमली मुंह ने झट गड़प लिया , और इस तरह चूसने लगी , जैसे यार का लिंग चूस रही हो, मजे ले ले कर।
उसके बांहो की लताएँ करन के देह को दबोचे , भींचे हुयी थीं। और जब करन का सीना उसके उभारों को दबाता तो वो भी उसे ललचाती , अपने गद्दर जोबन उभार के रगड़ देती , मानो कह रही हो , ले लो जीजा साल्ली का मजा।
मजा करन को आ रहा था , मीनल को आ रहा था ,
लेकिन उन दोनों से ज्यादा सुख रीत के मन में हो रहा था , करन के चेहरे कि ख़ुशी को देख के,
कित्ते दिनों बाद सब कुछ नारमल सा , जीजा साली की ये मस्ती , ये देह सुख , … वो सोच भी नहीं सकती थी सपने में भी , कि विधना ये अच्छे सुनहले दिन लिखे होंगे उसके लिए। .
उसे एक शरारत सूझी और उसने झुक के मीनल के कान में फुसफुसाया।
मीनल भी मुस्करायी और अगले पल मीनल कि मृणाल बाहों की तरह , उसकी लम्बी टाँगे भी करन के चारो ओर ,
बेल्ट तो पहले ही उतर चुकी थी , मीनल कि शरारती उँगलियों ने करन के पैंट की भी बटन खोल दी और जबतक करन कुछ समझे , सरर सरर ,…जिप भी खुल गयी और मुस्टंडा बाहर ,
मीनल की मीन सी बड़ी बड़ी आँखे उसे देखे नहीं अघा रही थी , गोरा खूब मोटा , आलमोस्ट बित्ते के बराबर
मीनल के ऊपर और नीचे दोनों मुंह में लार टपक रही थी।
सरर… सरर और करन ने भी मीनल कि स्किनी जींस पकड़ के नीचे खींच दी , और उसकी खूब लम्बी लम्बी , गोरी , चिकनी टाँगे बाहर।
मीनल ने दोनों हाथों से अपने जांघो के बीच हाथ कर के उसे उस छुपाने कि कोशिश की , उस खजाने पे जहाँ आज तक किसी लड़के का हाथ नहीं लगा था।
लेकिन उसकी दी, रीत ने पाला बदल लिया और अब वो करन के साथ हो गयी।
रीत ने मीनल की जांघो के बीच गुदगुदी लगायी , और पल भर ले लिए प्रेम गली पर से मीनल के हाथों का पर्दा उठ गया। इतना समय काफी था करन के हाथों के लिए और अब वो उड़ने को बेताब गुलाबी परी , मखमली ,काम रस से गीली , करन की हथेली के नीचे थी।
करन उस कभी हलके से दबा रहा था , सहला रहा था तो कभी दबोच लेता। और उसका असर मुस्टंडे पे भी हुआ।
वो पूरा ९ ० डिग्री का हो गया था ,तना , टनटनाया ,…
" अरे तू भी तो पकड़। "
लजाती , शरमाती , झिझकती मीनल का हाथ पकड़ के जबरन रीत ने करन के लिंग पे रख दिया। दो चार पल तो बस वो शर्माती रही फिर उसने , हलके से उसे महसूस करना शुरू कर दिया , सहलाने लगी।
" कित्ता कड़ा है , मोटा भी ,… दी ," रीत के कान में उसने फुसफुसाया।
" अरे तभी तो मजा देगा। आगे पीछे कर ना " रीत भी उसी तरह उसके कान में बोली।
मीनल को अच्छा तो लग रहा था लेकिन कुछ समझ में नहीं आ रहा था। रीत का हाथ अभी भी मीनल के लिंग पकडे हाथ पे था। रीत ने अपने हाथ कि पकड़ का जोर थोडा बढ़ाया और मीनल कि कोमल उंगलियों से उसके लिंग को आगे पीछे करवाने लगी, जैसे कोई बच्चे के हाथ में कलम पकड़ा के क ख ग लिखना सिखाये।
"काटेगा नहीं , जोर से आगे पीछे कर न ,"प्यार से मीनल को डांटते हुए रीत बोली।
" कहीं काट ले तो "खिलखिलाती मीनल बोली।
" तो कटवा लेना ," उसी तरह हंस के रीत बोली , फिर उस के कान में कहा "अरे यार सुपाड़ा खोल ना उसका बहोत मस्त है। "
और रीत के हाथ में फँसी मीनल कि उँगलियों ने जोर लगा के स्किन पीछे किया, तो सुपाड़ा खुल गया।
खूब मोटा, गुस्साया सा, पहाड़ी आलू ऐसा , लाल गुलाबी , बीच में जैसे कोई टीका लगा , वैसा पी होल।
मीनल कि बड़ी बड़ी आँखे नदीदी , ललचायी उसे देख रही थीं।
रीत ने अपनी उंगलिया अब हटा ली थी , लेकिन मीनल खुद अब प्यार से लिंग आगे पीछे कर रही थी , कभी हलके से कभी जोर से।
" लेगी मुंह में , 'रीत ने फिर मीनल को उकसाया।
" धत , " लजा के मीनल बोली। फिर हलके से अपने आप उसके मुंह से निकल गया ,
" बहुत मोटा है जाएगा नहीं। "
" रानी एकदम जायेगा , बस तू झुक के एक चुम्मी ले ले ना इस के सुपाड़े पे , सारे मुंह में जाएगा। और अगर कही तेरे जीजू को ज्यादा जोश आ गया ना , तो जो इतना टाइट जींस में चूतड़ मटकाती फिरती है न , तो निहुरा के तेरी कुँवारी गांड भी मार लेंगे। "
अब रीत के अंदर दूबे भाभी की आत्मा घुस गयी थी और उस कि भाषा वही हो गयी थी।
मीनल का अंगूठा झिझकते , ललचाते अब करन के मोटे सुपाड़े को सहला रहा था और उधर करन ने भी अपनी तरजनी , मीनल की कसी, कच्ची, कुँवारी ,गुलाबी पुत्तियों के बीच डाल के उसे फैला रहा था , आगे पीछे कर रहा था। कई बार उसका अंगूठा , मस्ती से सूजी हुयी क्लिट को भी सहला देता और मीनल गिनगिना उठती.
अपने आप स्वागत में मीनल की गोरी चिकनी जांघे फैली जा रही थीं।
करन अपने हथेली के निचले हिस्से से मीनल की गीली रसीली योनि को अब जोर जोर से रगड़ रहा था. उसके हाथ की दोनों उँगलियाँ भगोष्ठों को दबोचे हुए कस कस के दब रही थी , भींच रही थी।
उसकी बुर अब अच्छी तरह पनिया गयी थी।
मीनल लम्बी लम्बी साँसे ले रही थी , उसकी आँखे मुंदी पड़ रही थी , किशोर अनछुए स्तन अब पत्थर के हो गए थे और निापल भी छोटे छोटे कंचो कि तरह कड़े खड़े। वह अपने आप हलके हलके , भारी नितम्बो को उठा रही थी , उचका रही थी। और अब बिना किसी शरम के उसकी कोमल नाजुक उंगलिया , करन के मस्त मोटे लंड को जोर जोर से आगे पीछे कर रही थीं।
तभी ड्राइवर ने जोर से ब्रेक लगाया , और मीनल अब बिस्तर पे गिर पड़ी ,करन के कब्जे से अलग हो कर।
गाडी रुक रही थी लेकिन उनकी प्रेम लीला नहीं रुकी।
करन एक बार फिर बादल की तरह मीनल के उपर छा गया , लेकिन मीनल ने अपनी बांहे ऊपर कर , अपनी बड़ी कजरारी आँखों से बरज कर उसे वहीँ रोक दिया।
उसे मालूम था कि करन को क्या चाहिए था। जब वो टॉप पहने थी तब भी करन कि लालची निगाहें वहीँ आके गाड़ जाती।
उसने अपने भारी भारी नितम्बो और कंधो के जोर से धनुष की तरह वक्र कर अपने शरीर को उठाया , और सोने के उलटे कटोरों कि तरह , उसके सपुष्ट वक्ष , अपने आप करन के प्यासे होंठो के पास पहुँच गए। थोड़ी देर वो तरसाती रही , ललचाती रही , लेकिन वो भी तो उतनी ही प्यासी थी ,…
अगले पल उसके निपल्स करन के होंठो के बीच। होंठ उसे चूस रहे थे , जीभ उसे चाट रही थी और दांत हलके हलके काट के अपनी सील लगा रहे थे।
मुंह एक था और गदराये , बौराये जोबन दो ,
करन कभी एक को चूसता तो कभी दूसरे को , कभी एक उरोज पे अपने दांत के निशान लगाता और दूसरे पे नाखुनो के,…
लेकिन करन के होंठ आज लम्बी यात्रा पे थे पूरी देह की यात्रा पे ,
और कुछ देर में उरोजो कि उंचाइयो से नीचे उतर कर , पान के पत्ते से चिकने, कोमल ,स्निग्ध , गोरे पेट पे उन्होंने चुम्बनो की बारिश शुरू कर दी। जीभ कि नोक गहरे नाभि -कूप में भी उतरी , लेकिन स्त्री की गहराई और ऊंचाई कौन नाप पाया है आज तक ,
मीनल को लग रहा था अब करन के होंठ उसके निचले होंठो तक पहुंचेंगे , उसका रस लेंगे , लेकिन अब करन कि बारी थी उसे तड़पाने की सुलगाने की.
पागल हो के सब शरम लिहाज भूल के , मीनल उसके सर को अपने दोनों हाथो से पकड़ के जोर से अपनी ओर खींच रही थी , दबा रही थी।
करन कि जीभ मीनल के केले के तने ऐसी चिकनी मांसल जांघो को चाट रहा था , चूम रहा था और फिर उसकी जीभ बहुत धीमे धीमे योनी के चारो ओर घूम रही थी। फिर एक उंगली से कसी चूत कि फांको को अलग कर के उसके बीच जीभ फिरानी शुरू की ,…
और मीनल पागल हो गयी। दोनों हाथो से बिस्तर को उसने जोर से पकड़ रखा था , आँखे आधी बंद थी और उसके मुंह से निकल रहा था ,
जीजू , जीजू , प्लीज जीजू , दी बोलो न जीजू को , चूस लो उसे , ओह्ह ओह्ह
और अपने दोनों होंठो के बीच करन ने मीनल कि गुलाबी सहेली को भींच लिया , और ओअहली बार में ही खूब और से चूस लिया ,
लेकिन तब तक मोबाइल फोन घनघनाया ,
उसने काट दिया।
फिर फोन बजा , और उसने जब देखा तो उसके बॉस के बॉस का मेसेज ,
नॅशनल सिक्योरटी अडवाइजर का , आई बी के बॉस ने फारवर्ड किया था।
उसे वो इग्नोर नहीं कर सकता था ,
माफी के अंदाज में उसने मीनल की और देखा ,
और मुस्करा के मीनल ने उसे माफ कर दिया।
वो और रीत भी तो उसी आपरेशन का हिस्सा थीं , उन्हें मालूम था पहले काम , .... फिर काम.
मेसेज था कि होम मिनिस्ट्री , पेट्रोलियम , पावर मिनिस्ट्री और गुजरात सरकार ने मिलकर एक पोटेंशियल डैमेज असेसमेंट रिपोर्ट तैयार की है , मतलब डैमेज जो नहीं हुआ।
साढ़े नौ बजे कैबिनेट कमिटी आफ इंटरनल सिक्योरिटी की इसको लेके एक अर्जेंट मीटिंग होनी है, जिसमें ये रिपोर्ट पेश होनी है। अभी वो रिपोर्ट भी मेल की जा रही है। नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर का कहना है की करन , एक बार इसे देख के रिवाइज कर के साढ़े आठ तक उसे भेज दे।
सबकी निगाहें घडी की ओर मुड़ गयीं। ठीक आठ बजे थे। आधे घंटे का समय।
तब तक फिर दुबारा एक मेल का मेसेज आया।
मीनल करन के पीछे पकड़ के बैठी थी , अपने अनावृत उरोजों से उसके पीठ पे रगड़ती छेड़ती। उसके इयर लोब्स को चूमती वो बोली ,
" फिकर नाट जीजू , मैं कही जा नहीं रही हूँ , और गाडी तो मुम्बई सुबह पहुंचेगी। बस अभी दस मिनट में इस का तिया पांचा कर देते हैं , फिर आप साली सेवा में लग जाना , ब्रेक के बाद। "
रीत भी करन से सट के बैठी थी , और मेल खोल के करन बोल बोल के पढने लगा ,
एक्सपेक्टेड ह्यूमन लास - बड़ोदा - १२ ०० ,जामनगर ४,०० , वानकबोरी पावर हाउस , २०० , उकई पावर हाउस २०० , कुल २,०००।
मीनल ने वहीँ टोका , गलत है बहुत अंडरस्टेटेड है। अगल बगल के गाँवों का अकाउंट नहीं किया है।
करन ने रीत को इशारा किया और उसने गूगल अर्थ पे करछिया डिटेल्ड मैप निकाला। कुल पंद्रह गाँव थे जो रिफायनरी से सटे थे। मीनल ने पापुलेशन कि फिगर निकाली और कहा कि अगर २० % भी लास आफ लाइफ इन गावों का माने तो वो फिगर ४,००० आएगी।
कारन ने बोला चलो आधी मान लेते है यानि २,००० और बड़ोदा में।
"इसके अलावा , इतने तेज एक्सप्लोशन से जहरीली गैसें भी निकलती और उसका असर सीधे शहर पे पड़ता तो करीब १,००० और। " मीनल बोली।
चलो ८,०० मन के बड़ोदा कि फिगर ४,००० पे राउंड आफ करते हैं। करन बोला।
रीत और मीनल ने बाकी जगहों के भी मैप निकले , पापुलेशन फिगर भी और सारी फिगर बढ़ के कंजर्वेटिव इस्टीमेट से आठ हजार डेथ की हो रही थी।
करन साथ साथ मेल टाइप कर रहा था।
बाद में फाइंनेशियल लास कि फिगर थीं।
हिंदुस्तान कि गवर्मेंट सेकटर और प्राइवेट सेक्टर दोनों की सबसे बड़ी रिफायनरी कम से कम एक महीने के लिए बंद हो जाती और रिफायनिंग कैपेसिटी २८ % कम हो जाती।
यानि रिफाइंड तेल इम्पोर्ट करना पड़ता , उसका अतिरिक्त खरचा पेट्रोलियम मन्त्रालय ने ६, हजार करोड़ आका था। उसके अलावा रिफानरी के रिपेयर में १२०० करोड़ खर्च होता। इसी तरह के फिगर दोनों पावर हाउस के भी थे।
करन ने कहा इसमें तो हम कुछ जोड़ नहीं सकते। मीनल कुछ देर सोचती रही , फिर बोली
" हाँ , लेकिन एक बात लिख सकते हैं , एक अन स्पेसिफाइड डैमेज , उन इंडस्ट्रिज का जो बड़ोदा के आस पास हैं और पेट्रो केमिकल प्रॉडक्ट बनाते हैं
महीनो वो बंद रहेंगे और मैन डेज का नुकसान , प्रोडक्शन कैपिसिटी का नुकसान "
' सही है , करन बुदबुदाया और उसको भी मेसेज में जोड़ दिया। फिर उसने पूरा मेल पढ़ के सुनाया।
मीनल का मन तो कही और था , वो बार बार घडी देखती , कभी शरारत से करन के निपल्स को अपने लम्बे नाखून से स्क्रैच कर देती।
" भेज दूँ , करन ने बोला।
एकदम , रीत और मीनल एक साथ बोलीं। और करन के सेंड दबाते ही तीनो ने जोर से हाई फाइव किया।
घडी में अभी आठ पन्दरह हुए थे।
"जीजू आप झूठे ही परेशान हो रहे थे , सिर्फ पन्दरह मिनट का ब्रेक तो था , अब साली सेवा शुरू ,…" मीनल ने एक हलकी सी बाइट करन के गाल पे काटते हुए कहा।
मीनल ने अपनी गुलाबी जीभ की नोक से करन के कान में सुरसुरी की , और कुछ फुसफुसाया।
करन मुस्करा उठा , ख़ुशी से उसकी आँखे चमक उठीं।
रीत बिना किसी खतरे की आशंका के करन के बगल में बैठी थी।
मीनल चुपके से उसके पीछे गयी , उसकी कमर में गुदगुदी की , और जब तक रीत सम्हले , दोनों हाथों से उसका टॉप पकड़ कर उपर।
एक साथ १,००० वाट के दो दूधिया बल्ब जल उठे।
रीत के कड़े गुदाज, ,उभार बाहर थे।
और उसका टॉप वहीँ जहाँ मीनल का टॉप और जींस , करन कि टी और पैंट थे , पलंग के नीचे।
चाहती तो वो भी थी इस कबड्डी में ज्वाइन करना लेकिन थोड़ी हिचक , झिझक रही थी।
" पिटेगी तू मेरे हाथ से आज कस के , बहुत मारूंगी । "बनावटी गुस्से से रीत मीनल पे हाथ उठाते बोली।
लेकिन करन ने उसका हाथ कस के पकड़ लिया और बोला , " जाने दे यार छोटी सी बच्ची है। "
" बच्ची जरूर है , मम्मे देखो कित्ते मस्त हैं , मुझसे बड़े ही होंगे " रीत करन से बोली , और मीनल को एक बार फिर घात लगाने का मौका मिल गया।
वो एक बार फिर रीत के पीछे थी , उसके हाथ रीत के मखमली पेट पे और अबकी निशाना , पजामी का नाडा था। रीत की गुलाबी पजामी का नाडा उसने ना सिर्फ खोल दिया , बल्कि पजामी थोड़ी नीचे भी सरका दी।
रीत अब और गुस्से में
और बनारसी बोली में भी उतर आयी ,
" एही पलन्ग पे न पटक पटक के तोहार कचूमर बनवाउंगी। रगड़ रगड़ के , जो तुम्हारे जीजू , तुम्हारे साथ दे रहे हैं , ना ओनही से।
करन ने अभी भी रीत को पकड़ रखा था।
मीनल ने फिर रीत को चिढ़ाया , "अरे दीदी आपके मुंह में घी शक्कर। कब?"
और करन ने रीत को छोड़ दिया। रीत फनफनाती हुयी खड़ी हुयी।
मीनल तो इसी मौके कि तलाश में थी , उसने हलके हाथों से रीत कि गुलाबी पजामी पकड़ रखी थी। और रीत के खड़े होते ही ,
सरर,… सरर ,… गुलाबी पजामी नीचे , और गुलाबी परी बाहर।
रीत ने इसकी चिंता नहीं की और पलंग के कोने पे जा के मीनल को धर दबोचा।
अब मीनल नीचे , रीत ऊपर। दोनों बिना कपड़ों के।
रीत के उभार कस के , मीनल के उरोजों को दबा रहे थे। एक हाथ से रीत ने मीनल के दोनों हाथों को दबोच रखा था। रीत के बड़े गुदाज नितम्ब , छोटे छोटे नगाड़ों की तरह उभरे ललचा रहे थे।
लड़ दोनों रही थीं , हालत करन के मुस्टंडे कि खराब हो रही थी।
मीनल भी पीछे नहीं रहने वाली थी।
दोनों हाथो से उसने रीत कड़े कड़े जोबन को दबाया , और हंस के बोली,
" क्यों दी , जीजू ऐसे दबाते हैं क्या ?
रीत ने जोर से उसके गुदाज उभार रगड़ते हुए उसके निपल पूरी ताकत से पुल कर लिया और बोली ,
" नहीं ऐसे " फिर उसके कान में बोली ," बुला दूँ, खुद मलवा के देख ले ना। "
मीनल ने जोर से रीत के निपल को जवाब में कस के चूस लिया।
रीत के होंठ क्यों पीछे रहते। पहला किस, मीनल के कंधे पे था , दूसरा खुले उभार के ऊपरी हिस्से पे और फिर सीधे निपल को उसकी जुबान , जोर जोर से फ्लिक करने लगी। दूसरे उभार पे रीत के लम्बे नाख़ून निशान बना रहे थे।
मस्ती से मीनल कि गोरी मांसल जांघे अपने आप फैल गयीं। उसकी चुनमुनिया फिर रस बहाने लगी।
और रीत बनारस की सीखी खेली, दूबे भाभी कि शिष्या , अपनी चूत से उसने मीनल कि कुँवारी चुनमुनिया पे घिस्से पे घिस्से मारने शुरू किये।
और कुछ ही देर में मीनल झड़ने के कगार पे आ गयी और रीत ने फिर पैंतरा बदल दिया। वो रुक गयी।
मीनल तड़प रही थी , सुलग रही थी और करन ललचा रहा था।
मीनल कि मस्त चूंचियों को पकड़ के पूरी ताकत से रीत ने फिर एक घीस्सा अपनी चूत से दिया , और मीनल जोर से सिसक पड़ी।
रीत ने मीनल के कान में कुछ कहा , और मीनल ने जवाब में ना में जोर से सर हिलाया और हलके से बोली , नहीं दी , जीजू के सामने नहीं।
रीत ने फिर समझाया , और मीनल अभी भी ना में सर हिला रही थी , तो रीत ने तीन चार बार बिना रुके कस के , अपनी बुर उसकी चूत पे रगड़ी।
मीनल जोर से सिसकने लगी।
"बोल , हाँ ,…" अबकी रीत ने जोर से बोला। फिर धीरे से समझाया ,
" अरे यार होली का दिन है। और वो भी जीजा साली की होली का दिन , अगर खुल के नहीं बोली ना तो होलिका गुस्सा हो जाती हैं "
" ओ के दी तुम बोल रही हो तो , हम लोग सहेलियां , तो आपस में ऐसे ही खुल के बोलते हैं ,लेकिन जीजू के सामने। तुम बोल रही हो तो चलो
मीनल मान गयी।
लेकिन करन अब बौरा रहा था , " मैं भी आ जाऊं , हे मुझे भी शामिल कर लो ना " वो बोला।
मीनल और रीत ने फिर आपस में कानाफूसी की और रीत मीनल से बोली ,
" क्यों मीनल , शामिल कर लें इन्हे , और बिना उसके जवाब का इन्तजार किये बोली , ठीक है आ जाओ।
" चलो दी मिल के जीजू कि , " मीनल ने मुस्कराकर कहा और बात रीत ने पूरी की , सैंडविच बनाते हैं।
जब तक करन कुछ समझे , दोनों ने एक साथ धक्का दिया और करन पलंग के बीचो बीच , और वो दोनों शरारती , नटखट , उसके दायें और बाएं
करन का बराबर बंटवारा करती ,,
"दायीं आँख तेरी है बायीं वाली मेरी "
और सबुत के तौर पे किस्सी
फिर गाल , सिर्फ किस्सी ही नहीं हलकी सी बाइट भी ,
" हे तेरा वाल गाल ज्यादा मीठा है क्या , चल थोडा शेयर करते हैं "
और फिर जोर से दोनों ने एक दूसरे के हिस्से के गाल को पहले चूसा और फिर, कचाक से , बाइट।
करन कुछ कुनमुनाया , तो रीत ने आँख तरेर कर देखा ,
" हे हिलने का का नहीं , अच्छे बच्चे की तरह चुपचाप , बस , पड़े रहो। "
और रीत और मीनल दोनों के गुलाबी रसीले होंठ , कंधे पे , फिर सीने पे ,
दहकते , सुलगते गुलाब
करन के निपल के चारो ओर जहाँ मीनल कि गुलाबी जीभ कि नोक चक्कर काट रही थी , वहीं रीत उसे चूम चूस रही थी ,
करन उचक रहा था ,
और दोनों ने एक साथ बाइट किया उसके निप्स को
करन चीखा , ज्यादा मजे से थोडा दर्द से।
और साथ साथ मीनल और रीत के हाथ , जादुई उंगलिया भी मैदान में आ गयी थीं , करन कि कमर के नीचे , जाँघों पे फिसल रही थीं , थिरक रही थीं.
और उसका असर करन के मुस्टंडे पे हुआ ,
खड़ा तो वो पहले से ही था , अब एकदम तन्नाया , पगलाया लग रहा था।
खूब मोटा , कड़ा , आलमोस्ट बित्ते भर का , बौराया। और
सुपाड़ा भी मीनल ने पहले खोल दिया था. उसके पी हॉल पे एक बूँद प्री कम कि चमक रही थी।
" दी , बहुत भूखा लग रहा है थे। " अपने उँगलियों की टिप से उसके बेस को दबाते हुए मीनल ने मुस्करा के कहा। मीनल कि कजरारी आँखों से प्यास साफ झलक रही थी।
" तो मिटा दे ना भूख उसकी , " रीत ने उकसाया। अब उसके चुम्बन लिंग के चारों और बरस रहे थे।
"ना न दी पहले आप , आप बड़ी हो ," मीनल ने शोख अदा से अपने जोबन उभार के कहा। मीनल कि आँख करन के मोटे लिंग से हट नहीं रही थी। फिर फुसफुसाती हुयी बोली ,
" दी , इसे कैसे बांटेंगे , हम दो और ये एक ,…"
" अरे बांटने कि क्या जरूरत है , मिल के लेते हैं न। कभी किसी सहेली के साथ लॉलीपॉप नहीं शेयर किया है क्या " रीत ने हड़काया और साथ ही अपनी लम्बी जीभ निकाल के एक और से करन का लिंग चाटना शुरू किया। देखा देखी मीनल भी दूसरी तरफ से चालू हो गयी।
चपड़ चपड़ , सपड़ सपड़ ,
दोनों किशोरियां लिंग के बेस से आलमोस्ट सुपाड़े तक नदीदी लड़कियों कि तरह चाट रही थी.
रीत ने देखा , मीनल बार बार कारण के सुपाड़े को ललचायी निगाह से देख रही थी.
" ले ले ना , अच्छा चल एक किस्सी ही ले ले। " उसने मीनल को उकसाया।
मीनल थोडा सा झिझकी। लेकिन वो पहाड़ी आलू ऐसा , गरम सुपाड़ा , इत्ता मस्त लग रहा था ,…वो थोडा झिझकी फिर एक चुम्मी ले ली , सीधे खुले सुपाड़े के ऊपर। फिर जबी एक बार झिझक खुल गयी तो दो , तीन , चार , किस्सी। और साथ में जीभ से लिक भी ,…
" हे मुंह में ले न , पूरा ले के चूस , बहुत मजा आएगा। " रीत ने फिर चढ़ाया उसे।
मीनल ने इशारे से कहा बहुत मोटा है और बोली , " नहीं दी , अच्छा एक बार , जस्ट एक बार तुम लो ना , फिर मैं प्रामिस। "
,
रीत समझ रही थी कि अब उसके झिझक मिटाने का एक ही तरीका है कि वो खुद ही पहल करे। फिर मिआल को सिखाते , दिखाते , उसने अपने होंठों से दांत अच्छी तरह कवर किये , अंगूठे और तरजनी से लिंग का बेस पकड़ा और खूब बड़ा सा खुला मुंह सीधे सुपाड़े पे और फिर गड़प , और जोर से चूसना शुरू। मीनल कि उसने इशारे से समझाया कि कैसे वो अपने होंठो से लिंग को रगड़ रही है , नीचे से जीभ से चाट रही है और जोर जोर से चूस रही है।
थोड़ी देर चूसने के बाद लिंग उसने मीनल के हवाले कर दिया।
अभी भी थोड़ी सी वो शर्मायी , फिर रीत की देखा देखी होंठों से दांतो को ढक के चूसना , शुरू कर दिया। पहले धीरे धीरे फिर जोर से ,
नौसिखिये होंठो का मजा ही और होता है , मीनल के रसीले होंठ करन के लिंग से रगड़ रगड़ के जा रहे थे , और करन और पागल हो रहा था।
थोडी देर चूसने के बाद जब मीनल ने होंठ हटाए , तो उसके गाल पिंच कर , रीत बोली ,
" हे काटा तो नहीं , इसने” ,करन के तन्नाये लिंग की ओर इशारा कर के वो बोली
"ना ,… " मुस्कराती खिलखिलाती मीनल बोली।
" किसने ,…" रीत चिढ़ाती हुयी बोली। वो आज मीनल कि सारी शरम , लाज मिटाने पे बोली।
" धत , मीनल के गाल बीर बहूटी हो गए। फिर करन के लिंग की और इशारा कर के बोली ,
" इसने "
" पिटेगी तू आज कस के मेरे हाथ से , तूझे अभी समझाया था ना , फिर होली के दिन होलिका देवी नाराज हो जाती है , ये , वो बोलने से। छूने में शरम नहीं , पकड़ने में शरम नहीं , कस के चूसने में लाज नहीं और नाम लेने में लाज आ रही है सारी , " रीत ने हड़काया।
वो दूबे भाभी और चंदा भाभी से अच्छी तरह सीख चुकी थी की कैसे कुँवारी बछेड़ियोँ कि शर्म लाज उतारी जाती है।
मीनल फिर भी हिचक रही थी। करन ने उसे आँख से इशारा किया , " अरे बोल दे यार , क्यों ,…""
रीत ने फिर छेड़ा , " अरे चूसने में तो काटा नहीं , तो क्या नाम लेने में काट लेगा, जो इत्ता डर रही है। "
मीनल ने हिम्मत की , " ल ,… लन ,… लंड "
" झूठी ,…" रीत ने उसका कान पकड़ के सुपाड़े की ओर झुकाया। "मुश्किल से तो तूने सुपाड़ा मुंह में लिया है , साल्ली लंड तो अभी बाकी है चल न ,"
और अब मीनल के होंठ एक बार फिर सुपाड़े पे थे। एक बार उसके होंठ कड़े मस्त मोटे सुपाड़े का स्वाद ले चुके थे , इसलिए अब कि बिना झिझक , उसने वो मोटा लाल सुपाड़ा मुंह के अंदर भर लिया और लगी चुभलाने।
रीत ने करन कि ओर देखा और करन ने रीत कि ओर। उन दोनों से ज्यादा , एक दूसरे के नैनों की भाषा कौन समझता।
रीत ने मीनल के सर पे हाथ रखा और जोर जोर से नीचे की ओर दबाने लगी।
उधर करन ने भी चूतड़ ऊपर पुश कर अपना मोटा लंड ,मीनल के कुंवारे मुंह में ठेलना शुरू कर दिया।
मीनल गों गों कर रही , सर इधर उधर कर रही थी , छटपटा रही थी।
जवाब में सर पे जोर रीत ने और बढ़ा दिया , और दूसरे हाथ से उसके गले को कभी उसकी , झुकी हुयी चूंचियों को सहलाने लगी।
सूत सूत कर के मोटा लंड अंदर जा रहा था। और जबी आधे से ज्यादा लण्ड मीनल के रसीले होंठो के बीच घुस गया , तो रीत ने दबाव कम किया।
मीनल भी तो आखिर मुंहबोली बहन थी , रीत की , मुख मैथुन में प्रवीण।
सपड सपड़ , उसने लंड चाटना शुरू कर दिया।
जैसे किसी मछली को तैरना नहीं सीखना पड़ता , बस मीनल को उसी तरह लंड चुसाई नहीं सिखानी पड़ी , लग रहा था वो कैसी सीखी सिखायी है।
रीत तारीफ की निगाह से अपनी छोटी मुंहबोली बहन को देख रही थी , कैसे वो अपने गुलाबी रसीले किशोर होंठो को लंड पे रगड़ रही थी , नीचे से उसकी जीभ लपर लपर चाट रही थी और साथ में उसके गाल चूसने में किसी वैक्यूम क्लीनर को मात कर रहे थे।
साथ उसके कोमल हाथ लंड के बेस पे कस के पकडे , हलके हलके ऊपर नीचे कर रही और सबसे बड़ी बात थी उसकी बड़ी बड़ी नाचती मचलती आँखों में , जिसमें ख़ुशी छलक रही थी और जब उस मस्ती भरी निगाह से वो अपने जीजू को देखती, तो करन खुद मीनल के सर पकड़ के , अपना लंड और उसके मखमली मुंह में ठेल देता।
जवाब में मीनल भी ताल में ताल मिलाती , अपने मुंह को उसके लंड पे पुश कर देती।
थोड़ी देर तक मीनल , पूरे जोश से लंड चूसती रही , करीब दो तिहाई लंड उसने घोंट लिया था , बस दो इंच के करीब बाहर था।
लेकिन कुछ देर में वो थक गयी और उसने अपना मुंह हटा लिया।
और रीत को देखते बोली ,
"मैं पूरा , वो ,… पूरा नहीं ,"
रीत उसकी बात काट हँसते हुए बोली।
" अरे पूरा क्या , फिर वही , पहले बोल तो वरना मैं , सच में पीटूँगी।"
मीनल भी उसकी हंसी में शामिल हो गयी और बोली,
" दी तू भी न , जीजू का ल ,…लण्ड , नहीं ले पायी पूरा। "
रीत मुस्करायी और बोली , "अरे इसका है ही घोड़े जैसा , लेकिन कोई बात नहीं मैं दिखाती हूँ तुझे फिर तू ट्राई करना। छोटी बहन है सीखाना तो पड़ेगा। एकदम लंड चूसने में एक्सपर्ट हो जायेगी।चल मैं चूस के दिखाती हूँ ,"
रीत पहले तो करन के सुपाड़े को हलके से चूसा और फिर धीमे धीमे , आधे से ज्यादा लंड गटक गयी। हाँ , छह इंच के बाद जा के वो भी अटक गयी.
लेकिन वो बिंदास बनारसी बाला , उसने अपने गैग रिफ्लेक्स पे कंट्रोल किया,और फिर धीमी धीमे , सूत सूत आगे प्रेशर बढ़ाती गयी।
मीनल कि निगाहें वही चिपकी थीं। वो देख रही थी कि कैसे बिना घबड़ाये , मजे से रीत , करन का आठ इंच का मुस्टंडा , पूरा लील गयी।
कुछ देर चूसने के बाद , रीत ने अपने होंठ दूर कर लिए और मीनल कि ओर देखा।
वो ख़ुशी से और तारीफ से रीत को देख रही थी , लेकिन चुप्पी तोड़ी करन ने।
" अरे साली जी अगर ऊपर वाला मुंह थक गया हो तो नीचे वाला मुंह ट्राई कर लो , सारी मेहनत मेरी, गारंटी पूरा घोंट जाओगी। पक्का। "
रीत जान रही थी कि करन का बहोत मन कर रहा है , मीनल के भरतपुर लूटने का। मन तो मीनल का भी कर रहा था , लेकिन वो करन कि बित्ते बाहर कि साइज और उस से भी ज्यादा कलाई मुटाई देख के डर रही थी। वो बोली ,
" नहीं जीजू , मेरी हिम्मत नहीं है , मेरी चुन्मुनिया कि ऐसी कि तैसी हो जायेगी। "
रीत ने हिम्मत बढ़ायी , " अरे मीनल मैं हूँ ना , ले जितना ले सके। जैसे ज्यादा दर्द होगा मुझसे बोलना मैं हटा दूंगी इन्हे। "
" नहीं दी , मुझे डर लग रहा है , बहोत दर्द होगा। " मीनल ने मुंह बनाया लेकिन उस कि आँख अभी भी करन के मोटे खड़े लंड से चिपकी थी.
" अच्छा चल तू जीजू के औजार से डर रही है न मेरी परी से तो दोस्ती करेगी न , चल हम लोग अपना बचा काम पूरा करते हैं " रीत बोली।
साथ ही रीत ने जोर से आँख करन को मारी कि वो उसका नंबर लगवा देगी साली के साथ , चिंता न करे।
जब तक मीनल कुछ समझे , रीत ने उसे हलके से धक्का दिया। मीनल नीचे , रीत ऊपर और दोनों सिक्स्टी नाइन कि पोजिशन में.
लंड चूसने का तो मीनल का पहला मौका था लेकिन वो हाईस्कूल के बाद से ही वो बोर्डिंग में पहली रैगिंग में ही सीनियर्स ने उसे चूत चाटने का चस्का लगा दिया था। और यूनिवर्सिटी कि रैंगिंग में तो उसे चूत चटोरी का इनाम भी मिला , और इधर रीत भी कन्या प्रेमी भाभियों के शिष्यत्व में , पूरी दीक्षा प्राप्त कर चुकी थी।
मुकाबला बराबर का था , आलमोस्ट।
क्योंकि रीत तो रीत थी , हर चीज में बेस्ट।
रीत ऊपर थी और अपनी देह के वजन से उसने मीनल को दबा रखा था। रीत की दोनों मांसल जाँघों के बीच , मीनल का सर दबा हुआ था और रीत ने अपनी गुलाबी बुर से उसके होंठों को भी भींच के बंद कर रखा था। मीनल के दोनों हाथ भी , रीत के पैरों के नीचे दबे थे। मीनल चाह के भी नहीं हिल सकती थी।
लेकिन मीनल को कोई फर्क नहीं पड रहा था। उसके दोनों होंठ मजे ले रहे थे। ऊपर के होंठ रीत कि चिकनी चूत चाट रहे थे और निचले होंठ रीत चाट रही थी।
और जिस तरह से रीत चाट रही थी , मीनल के बदन में तूफान मचा था। वो कभी मीनल की कसी गुलाबी फांको के बीच , जीभ कि नोक लगा के चला देती तो कभी दोनों होंठ के बीच , मीनल कि चूत दबा के कस कस के चूसने लगती , और साथ में उसकी शैतान उँगलियाँ भी ,… जब मीनल कि क्लिट रीत के होंठों में दबी होती तो उसकी उंगलिया मीनल के चूत कि पुत्तियों को जोर जोर से दबाती रगड़ती। दोनों हाथो से रीत ने पूरी ताकत से मीनल कि मांसल जांघो को फैला रखा था।
दो बार वो मीनल को झड़ने के कगार पे ले गयी , फिर रुक गयी। तीसरी बार जब फिर मीनल कि सिसकियाँ तेज हो गयी , और उसकी चूत कि पत्तियां , जोर जोर से कापने लगी , रीत समझ गयी तवा गरम है और उसने इशारे से करन को बुलाया , और सीधे करन का लिंग अपने मुंह में ले के चूसने लगी।
करन का लंड इत्ते देर से वैसे ही तड़प रहा था , रीत के मुंह में जाते ही वो फिर फुफकारने लगा।
रीत ने मीनल की चूत को भी नहीं बख्शा था। उसकी उंगलिया कभी चूत को मसलतीं कभी तरजनी का एक पोर वो अंदर पुश कर के , गोल गोल घुमाती।
बहुत ही कसी चूत थी मीनल की। लगता है कभी ऊँगली भी अंदर नहीं गयी।
थोड़ी देर करन का लंड चूसने के बाद फिर रीत मीनल के क्लिट को फ्लिक करने लगी और मीनल की चूत में आग सी लग गयी।
रीत यही चाहती थी। उसने एक बार फिर से जाँघों का प्रेशर मीनल के सर पे बढ़ाया और अपनी चूत से उसका मुंह अच्छी तरह सील कर दिया।
वो जानती थी , यही एक रास्ता है। अब मीनल लाख सर पटके न हिल सकती है न बोल सकती है। रीत कि देह का पूरा वजन उसके ऊपर था और रीत ने अब कस को उसे दबा रखा था।
रीत जान रही थी , मन तो मीनल का भी कर रहा था , लेकिन करन के मोटे मूसल को देख के वो डर गयी थी। वो बार बार उसका मोटा मुस्टंडा देख के ललचा रही थी , लेकिन एक तो शर्मा रही थी , झिझक रही थी और दूसरे उसकी मोटी साइज देख के वो घबड़ा गयी थी।
करन को रीत कि प्लानिंग का पूरा अंदाजा था।
रीत ने अब अपने दोनों मजबूत हाथों से मीनल कि जांघे पूरी तरह फैला दी थीं और करन उनके बीच में खड़ा था। अब मीनल लाख कोशिश कर वो जांघे फैली ही रहनी थीं। रीत ने एक हाथ से करन के मोटे सुपाड़े को पकड़ा और दुसरे हाथ कि उँगलियों से मीनल की चूत को फैला के सुपाड़ा एक दम बीच में सेट किया। रीत कि जीभ तेजी से साथ क्लिट पे दौड़ रही थी।
बस अब दो चार धक्के में करन का सुपाड़ा , मीनल कि चूत में होगा , रीत सोच रही थी। और एक बार सुपाड़ा अंदर घुस जाय फिर तो रीत हट जायेगी और मीनल लाख चूतड़ पटके , बिना चुदे कोई बचत नहीं थी। रीत जानती थी सके बिना इसके मीनल कि कच्ची , एकदम कसी कुँवारी , किशोर चूत में लंड , वो भी करन का घोड़े जैसा लंड , घुसने का कोई सीन नहीं था।
और फिर मीनल को भी खूब मजा आता ,…
करन ने मीनल केले ऐसी चिकनी उठी , फैली जांघे पकड़ीं , रीत ने अपनी देह से मीनल को जोर से दबाया , और जैसे ही करन ने पहला धक्का मारा ,
मीनल बहोत जोर से चिल्लाई , दर्द से नहीं डर से , भयानक डर से।
वो इतनी जोर से उछली कि रीत आलमोस्ट पलंग से नीचे आ गयी।
मीनल के सर के पास ही , करन का मोबाइल रखा था।
वो उसी को दिखा दिखा के चिल्ला रही थी।
मीनल बहोत जोर से चिल्लाई , दर्द से नहीं डर से , भयानक डर से।
वो इतनी जोर से उछली कि रीत आलमोस्ट पलंग से नीचे आ गयी।
मीनल के सर के पास ही , करन का मोबाइल रखा था।
वो उसी को दिखा दिखा के चिल्ला रही थी।
और जब रीत और करन ने उसे देखा तो उनकी भी हालत खऱाब हो गयी ,
एक कटा हुआ सर ,
एक कटे हुए सर का फ़ोटो ,
जब कारण ने उसे खोला तो देखा ये पुलिस कमिशनर का मेसेज था , ये सर माही नदी के किनारे से मिला था थोड़ी देर पहले और कुछ ही दूर पे उसका धड़ भी था।
यह फ़ोटो उन्होंने रीत और मीनल को पहचानने के लिए दिया था कि क्या ये वोही आदमी है , जो "वाई " के हेल्प के लिए कोशिश कर रहा था , और जिसके स्नैप मीनल ने खिंच के पुलिस के पास भेजे थे।
जिस तरह मीनल चिल्ला रही थी , उसमे कोई शक नहीं था ,
वो बस बोल रही थी , वही है , वही है.
तब तक एक और पिक्चर सन्देश आया।
इसमें शेष बाड़ी का चित्र था। जहां से गला कटा था , वहाँ ज्यादा खून नहीं था।
गले के नीचे एक जगह पर चाक़ू का हल्का सा निशान था और दो चार बूंदे खून की थी।
रीत बहुत ध्यान से उसे देखती रही , उसके चेहरे पे परेशानी के निशान थे। वो करन कि ओर मुड़ी और बोली ,
" कालिया , सेंट परसेंट कालिया। "
करन भी फ़ोटो बहुत ध्यान से देख रहा था। उसने भी हामी में सर हिलाया , फिर रीत से पुछा ,
" ये तुम कैसे श्योर हो ?"
मीनल का डर अब निकल गया था और वो उन दोनों कि बात सुन रही थी।
" देखो , बनारस में जेड का मर्डर भी उसी ने किया था। जब जेड कि प्लानिग फेल हो गयी और ये लगा कि या तो उसे पकड़ लिया जायेगा , या उस का पीछा कर के पुलिस सोर्स तक पहुंचेगी , तो गोदौलिया पे भरी भीड़ में , चारो ओर पुलिस के लोग थे आई बी के लोग थे , उसने उसे पार लगा दिया।
उस कि चाक़ू कि एक ख़ास स्टाइल है औ ये गारंटी है कि पुलिस उसका पता नहीं लगा सकती। वो उनका फेल सेफ अरेंजमेंट है। अगर स्लीपर उनका फेल हो जाय तो उसका पत्ता साफ करने के लिए। आज एम्बुलेंस से तुम वाई को पकड़ ले गए और अब वो उनके कब्जे से बाहर है। लेकिन ये जो छुटभैया , वाई कि हेल्प के लिए उन्होंने रख छोड़ा था , उस ने उसी का पत्ता साफ कर दिया।
उस को इंस्ट्रक्शन रहा होगा , और फिर उसे ये भी शक हो गया होगा कि कहीं मैंने और मीनल ने उसे देखा न हो , और पुलिस उस को ट्रेस कर के कुछ उगलवा ना ले , इसलिये कालिया ने उसे ऊपर पहुंचा दिया। "
मीनल को अभी भी कुछ समझ में नहीं आ रहा था। उसने रीत से पुछा ,
" ये कालिया कौन है ?"
"मैं बताता हूँ , करन बोला ,
" ये दुनिया का हाइएस्ट पेड़ अस्सेन है। इस के पीछे दर्जन भर देशो कि पुलिस , इंटरपोल सब लगे हैं , लेकिन एक ढंग का फ़ोटो भी नहीं है। वो एक ख़ास चाक़ू से वार करता है , जिसकी नोक और धार एक ख़ास किस्म कि है , और उस के विक्टिम को देख के ये अंदाजा लग जाता है , कि ये कालिया का शिकार है।
उस का नाम नेशनलिटी भी कोई नहीं जानता। हाँ कुछ जगहो पे शुरु में उस के चाक़ू मिले थे जिसमें , माइक्रोस्कोपिक ' के ' खुदा हुआ है , हाथी दांत के हैंडल पे।
मीनल उन दोनों को ध्यान से देख रही थी। वो एक हाथ से रीत को कस के पकडे थी।
और रीत और करन मीनल को देख रहे थे , ये सोचते हुए , कि क्या इसे मालुम है ये कितने खतरे में है।
निश्चित रूप से कोई यार्ड में था , जो वाई पे निगाह रखे था। और उसने मीनल और रीत दोनों को बात करते देखा होगा। ये भी साफ हो गया होगा की इन दोनों ने ही प्लान का तियां पांचा किया।
लेकिन मीनल उसके पहले भी कई बार यार्ड गयी थी , बड़ोदा कि रहने वाली है। तो किसी को ये जोड़ने में शक नहीं होगा कि मीनल का रोल क्या है।
फिर रीत तो आपरेशन का अब पार्ट थी , कल का दिन उसका मुम्बई में बीतना था और वो आपरेशन के चलते सुरक्षा के घेरे में ही रहती , बची मीनल। अब अगर वो उन दोनों के साथ मुम्बई चलती है तो उस पर खतरा और बढ़ जाएगा। मुम्बई में रीत और करन दोनों सुबह से ही आपरेशन में बिजी हो जायेंगे। तो फिर मीनल ?
और चान्सेज है कल कालिया भी मुम्बई में हो।
फिर ये सबको पता है कि मीनल उन दोनों के साथ महाराजा एक्सप्रेस से जा रही है और इस गाडी का रास्ते में कोई स्टापेज नहीं है तो श्योर , मुम्बई में हमले के लिए रिस्पेशन पार्टी तैयार मिलेगी।
हाँ एक बार मुबई का आपरेशन कामयाब हो जाये , तो वो सारे दम दबा के भागेंगे , अपनी बिलों में। वो उस हाइड्रा हेडेड मॉन्स्टर का आखिरी लेकिन सबसे खतरनाक सर था , बनारस और बड़ोदा के बाद। बस दो दिनों की बात है. और उन दिनों रीत और करन भी बिजी रहंगे। कुछ समझ में नहीं आ रहा था।
तभी करन का फोन बजा , और अबकी मेसेज नहीं , पुलिस कमिशनर खुद थे।
" फ़ोटो मिली " उन्होंने पुछा।
" हाँ " करन ने जवाब दिया।
" कालिया " कुछ देर चुप रह के वो बोले।
" हाँ मेरा और रीत का भी यही शक है " करन ने हामी में बोला।
" और मुझे लगता है मीनल खतरे में है। " पुलिस कमिशनर ने कहा।
" हाँ , लेकिन बस दो दिन कि बात है , एक बार मुम्बई का कचड़ा साफ हो जाय तो उन्हें भागने की जगह नहीं मिलेगी। करें क्या कुछ समझ में नहीं आ रहा। " कारण ने परेशानी बतायी।
" उसी का इंतजाम बता रहा हूँ। एक मेरी असिस्टेंट पुलिस कमिशनर थी यहाँ , शिखा , वो अभी सूरत में पोस्टेड है। मीनल और उन दोनों में अच्छी दोस्ती है. मैं उसे सूरत से भेज रहा हूँ। सूरत के पहले एक स्टेशन पड़ता है उतरान। एकदम सूनसान , राप्ती नदी के किनारे। हजीरा के पास।
वही तुम्हारी गाडी रुकेगी। एक अन मार्क्ड गाडी में शिखा खुद आएगी साथ में शाहिद है मेरा पर्सनल सिक्योरिटी आफिसर था जब मैं सूरत में था , एकदम रिलायबल। हजीरा एरिया में मैने कुछ सेफ हाउसेज का इंतजाम किया है। दो तीन दिन शिखा के साथ मीनल वही रहेगी। तब तक होपफुली खतरा टल जाएगा। "
उन्होंने बोला और फोन रख दिया।
करन के चेहरे पे अब कुछ तनाव ख़तम हुआ।
मीनल बाथरूम गयी थी। करन ने रीत को सारी बातें बतायीं, तब तक मीनल बाथ रूम से निकल के आ गयी।
" हे तुम ,शिखा नाम कि किसी आई पी एस आफिसर को जानती हो " करन ने मीनल से पुछा।
" जानती हूँ अरे उसका क्या नहीं जानती हूँ , बोर्डिंग में मेरी सीनियर थी। मैं ११ वें में गयी थी तो मेरी पहली रैगिंग उसी ने ली थी। फिर हम लोग एक साल रूम पार्टनर भी थे। उसकी पहली पोस्टिंग बड़ोदा में ही थी। सारे बदमाश उससे डरते थे। अभी सूरत में हैं , क्यों हुआ क्या "
मीनल ने बोला।
जबतक करन कुछ समझाता, पुलिस कमिशनर का फोन मीनल के ही फोन पे आ गया और उन्होंने उसे खुद सारे डिटेल बता दिए।
रीत ने इशारे से बताया कि उन लोगों को मालुम है।
मीनल बोली , " जीजू ये उतरान स्टेशन कब तक आएगा , अभी कितना टाइम है। "
"वान्या के पास टाइम टेबल होगा और वहाँ से ट्रेन के गार्ड से बात भी हो जायेगी मैं अभी पता कर के आता हूँ " ये बोल के करन निकल गया।
उसके निकलते ही मीनल ने रीत को जोर से गले लगा लिया और हलके से मुस्काराकर बोली ,
" आई एम् सारी दी आप लोगों का प्रोग्राम फेल हो गया."
रीत ने अलग होते हुए हलके से एक हाथ उसके नितम्ब पे लगाया और बोली , " दुष्ट तुझे मालूम था कि ,...."
" और क्या ,… " खिखिलाती हुयी मीनल बोली।
" जब जीजू मेरी ओर से आपके पास गए तो मैं कनखियों से देख रही थी , और जिस तरह से आप मेरे ऊपर चढ़ी थीं मैं समझ गयी थी क्या होनेवाला है , और जब आपने जीजू का वो , ऊप्स , मेरा मतलब सुपाड़ा पकड़ के मेरी चूत पे लगाया , मैं एकदम गिनगिना गयी थी।
मैं समझ रही थी यही एक तरीका है, मेरे भरतपुर के उद्घाटन का। जब सुबह से मैंने जीजू को देखा था ना तभी से मेरी चुनमुनिया में बड़े बड़े चींटे काट रहे थे। मन तो बहुत कर रहा था , लेकिन जब देखा तो मैं डर भी गयी थी , कि फटेगी तो बहुत दर्द होगा।
फिर मुझे लगा दी है ना सम्भाल लेंगी।लेकिन अगर आप वो जुगाड़ न करती न तो सच में मारे डर के शायद मैं मना कर देती। इसलिए मैं चुप चाप वेट कर रही थी अब जीजू का मोटा मुस्टंडा घुसे , लेकिन वो साल्ला , कालिया , उसकी मां के भोसड़ें में सारे उसके भाई घुसें , मादर , उसके चक्कर में सब बना बनाया काम बिगड़ गया। "
"तेरे साथ मुझे करन कि भी चिंता थी। उसका घोड़े ऐसा लंड , तेरी कच्ची कली में घुसता , दरेरता , रगड़ता , और कहीं तेरे एक आंसू भी निकलता या दर्द से चीखती ," रीत बोली
, लेकिन उसकी बात काट के मीनल बोली,
" अरे दी , वही दर्द असली मजा है , वही आंसू तो यादगार रहते हैं कि जब मेरी फटी थी , तो कित्ता जोर से दर्द हुआ था। मैं तो बस उसी का इन्तजार कर रही थी कि वो साला कालिया ,…"
अब रीत कि बात काटने कि बारी थी , वो बोली
" यार , तू समझती है , मैं समझती हूँ। लेकिन ये लड़के न , तेरे जीजू थोड़े ही समझते , बस तेरे आंसू देख के बाहर निकाल लेते , इसलिए मैं ऊपर थी , कि उन्हें कुछ दिखे भी ना , और एक बार सुपाड़ा घुस जाता न , तो नैया पार। "
और अब तक करन अंदर घुसा , हाथ में टाइम टेबल लिए।
" गाडी अभी अंकलेश्वर पार हुयी है। अभी कम से कम १५ -२० मिनट लगेंगे , लेकिन अभी तुम लोग किसकी नैया पार करा रही थी।" करन ने पुछा।
" जीजू मेरी , और किसकी। लेकिन नैया पार हो कहाँ पायी। खैर दो दिन कि बात है ,मैंने दी से कहा है कि बाम्बे निपटा के दो दिन में फिर आप लोग आइये और अबकी सूत ब्याज समेत , दो दिन तक मैं एकदम दी को आपके पास फटकने नहीं दूंगी। "
एकदम , रीत और करन ने एक साथ कहा लेकिन रीत ने एक बार और कही ,
' मीनल , अरे यार थोड़ी सी पेट पूजा कहीं भी कभी भी , और अभी तो १५ -२० मिनट बाकी है। "
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फागुन के दिन चार--109
गतांक से आगे ...........
" और क्या मिशन , लूटो जीजू को " खिखिलाती हुयी मीनल बोली।
" जब मैं उसके बाद तुम को लूटूँगा न तो पता चलेगा। " उसके गाल को जोर से पिंच करता हुआ करन बोला।
" कब आयेगा वो टाइम जीजू ,…मैं तो लुटाने के लिए बेताब हूँ " उसे पीछे से पकड़ के अपने उभार करन कि पीठ पे रगड़ती , मीनल बोली।
थोड़ी देर में ही तीनो नवाबाजार में थे , बड़ोदा के ट्रेडिशनल ड्रेस का अड्डा , और करन को लूटने का काम चालु हो गया।
मीनल ने न सिर्फ अपने लिए बल्कि रीत के लिए भी बैक लेस चोली , चनिया और करन के लिए भी ट्रेडिशनल गरबा के ड्रेस खरीदवाए।
एकदो नहीं ढेर सारे , और उन का इस्तेमाल भी हो गया।
जब वो तीनो पैलेस में पहुंचे तो बाकी टूरिस्ट पहुँच रहे थे।
कल्चरल प्रोग्राम में गरबा था। मीनल ने रीत और करन को कुछ स्टेप सिखा दिए और फिर जबरदस्त नचाया ,
शरत पूनो ना चाँद नू ,
चाँद शरद का नहीं फागुन का ही सही , पूनो तो थी ही और उस पूनम में मीनल और रीत के रूप के चाँद भी दमक रहे थे।
और वहाँ से बाकी टूरिस्ट के साथ वो महाराजा एक्सप्रेस में पहुंचे।
इस बार खाना उन्होंने हवेली स्टाइल में खाया और फिर प्रेसिडेंशियल स्यूट में,
अब मेरा लूटने का नंबर है , करन बोला और जोर से मीनल को बांहो में भर के उसके रसीले , भरे भरे गाल कस के काट लिए।
"दी देखो जीजू कित्ते जोर से काटते हैं है , कटखने कही के,… " मीनल मुंह बना के जोर से चिल्लाई।
" हंसते हुए रीत बोली , " हे जीजू साल्ली के बीच मैं नहीं बोलने वाली , तू भी काट ना "
बात आगे बढ़ती उसके पहले वान्या पहुँच गयी ,
" अभी दस मिनट में गाडी स्टार्ट होने वाली है। " उसका इशारा मीनल की ओर था कि अगर उसे उतरना है तो अभी उतर ले ,
तब तक गाड़ी में जोर का झटका लगा शायद इंजन लगा गया था।
वान्या से करन बोला , नहीं ये भी हमारे साथ चलेगी।
वान्या ने पुछा , फिर बगल का ट्विन बेड वाला केबिन मैं तैयार कर देती हूँ।
" नहीं नहीं बाद में देखेंगे , मैं बाद में बता दूंगा आपको " करन बोला।
मीनल उहापोह में थी , इन लोगो के साथ चले ना चले , घर पे एक हप्ते के लिए वो अकेली थी और उसने अपने सिटी एडिटर को बोल भी दिया था कि वो रात में कांटेक्ट के बाहर रहेगी।
और मीनल का फैसला ट्रेन ने कर दिया , गाडी स्टार्ट हो गयी , और उस के झटके से मीनल डबल बेड पे.
और उसके ऊपर करन।
जब तक मीनल सम्हलती सम्हलती , उसकी दोनों नरम कलाइयां , करन के हाथ में ,
और दूसरे हाथ ने मीनल के उभारों को अनावृत कर दिया ,
वो दोनों मस्त गोलाइयां , कड़ी कड़ी गुदाज , जो सुबह से करन का दिल ललचा रही थीं , करन के हाथों में थी।
और फिर तो उसके दोनों हाथो में लड्डू ,
पहले तो वो हलके हलके सहलाता रहा , मसलता रहा , फिर करन के नदीदे होंठ भी मैदान में आ गए.
करन भी नवल खिलाड़ी था , चपल रसिया।
उसकी जीभ , हलके हलके मीनल की किशोर , गोरी गोलाइयों के बेस को सहलाती रही , पुचकारती रही। फिर होंठ चुम्बन के पग धरते ऊपर कि और बढे। उरोजों के शिखर पर पहुँच कर , पहले तो जीभ ने उसके चारो और परिक्रमा की , छोटे छोटे चुम्बन लिए.
मीनल के निपल्स एकदम कड़े , खड़े थे दावत देते , चैलेन्ज करते ,
और जीभ से करन ने उन्हें हलके हलके फ्लिक करना शुरू किया , कभी वो धीरे से मीनल के निपल के बेस को बाइट कर लेता , और जब मीनल चीखती तो उसे चूम लेता ,
फिर अचानक जैसे दूर आकाश में उड़ता बाज एकदम नीचे आये और कबूतर को दबोच ले , उसके होंठों ने मीनल के एक निपल को दबोच लिया और चूसने , चुभलाने लगे। जोर जोर से।
दूसरा जोबन करन के हाथों के बीच अब कस कस के कुचला मसला जा रहा था , और उसके निपल पे करन ने अचानक पिंच कर लिया।
मीनल ने खूब जोर से सिसकी ली।
उसका मन कर रहा था बस जीहे जू , उसे मसल दे रगड़ दे , चढ़ जाय उसके ऊपर और अपने मुस्टंडे से उसके भरतपुर को,…
रीत ने उसे चिढ़ाया , " हे कैसा लग रहा है , मजा आ रहा है जीजू के साथ,…"
मीनल भी कौन सी कम थी , आँख नचाकर , मुस्कराकर बोली ,
" दी एक बात समझ लो , आज कि रात जीजू मेरे , आप उपवास करो। छूने भी नहीं दूंगी इनको। "
" अरे यार तेरे जीजू है , तू इनके साली , तेरा तो हक़ बनता है , मैं बगल वाले केबिन में चली जाती हूँ। " रीत मुस्करा के मीनल के गाल सहलाते बोली।
" नहीं दी , आप यही रहो न , आप पास में रहेंगी , तो ज्यादा तंग करेंगे न तो मैं आप से शिकायत लगा दूंगी , " मीनल खिलखिला के बोली।
तब तक करन भी टॉप लेस हो गया,
और करन कि चौड़ी छाती के नीचे ,मीनल के नयी आयी जवानी के दोनों फूल दबे , मसले , कुचले जा रहे थे।
करन के होंठ , मीनल के रसीले गुलाबी होंठो का रस ले रहे थे , चूस रहे थे , और जब मस्ती में मीनल ने अपनी गुलाब की पंखुड़ियों खोले तो करन की जीभ अंदर ,
पर मीनल भी कम रसीली नहीं थी। माना उसकी चुनमुनिया ने अभी तक चारा नहीं घोंटा था , लेकिन देह सुख का पाठ कितने गरबा की रातों में सहेलियों कि देखादेखी अच्छी तरह सीख लिया था।
करन की रसीली जुबान को मीनल के मखमली मुंह ने झट गड़प लिया , और इस तरह चूसने लगी , जैसे यार का लिंग चूस रही हो, मजे ले ले कर।
उसके बांहो की लताएँ करन के देह को दबोचे , भींचे हुयी थीं। और जब करन का सीना उसके उभारों को दबाता तो वो भी उसे ललचाती , अपने गद्दर जोबन उभार के रगड़ देती , मानो कह रही हो , ले लो जीजा साल्ली का मजा।
मजा करन को आ रहा था , मीनल को आ रहा था ,
लेकिन उन दोनों से ज्यादा सुख रीत के मन में हो रहा था , करन के चेहरे कि ख़ुशी को देख के,
कित्ते दिनों बाद सब कुछ नारमल सा , जीजा साली की ये मस्ती , ये देह सुख , … वो सोच भी नहीं सकती थी सपने में भी , कि विधना ये अच्छे सुनहले दिन लिखे होंगे उसके लिए। .
उसे एक शरारत सूझी और उसने झुक के मीनल के कान में फुसफुसाया।
मीनल भी मुस्करायी और अगले पल मीनल कि मृणाल बाहों की तरह , उसकी लम्बी टाँगे भी करन के चारो ओर ,
बेल्ट तो पहले ही उतर चुकी थी , मीनल कि शरारती उँगलियों ने करन के पैंट की भी बटन खोल दी और जबतक करन कुछ समझे , सरर सरर ,…जिप भी खुल गयी और मुस्टंडा बाहर ,
मीनल की मीन सी बड़ी बड़ी आँखे उसे देखे नहीं अघा रही थी , गोरा खूब मोटा , आलमोस्ट बित्ते के बराबर
मीनल के ऊपर और नीचे दोनों मुंह में लार टपक रही थी।
सरर… सरर और करन ने भी मीनल कि स्किनी जींस पकड़ के नीचे खींच दी , और उसकी खूब लम्बी लम्बी , गोरी , चिकनी टाँगे बाहर।
मीनल ने दोनों हाथों से अपने जांघो के बीच हाथ कर के उसे उस छुपाने कि कोशिश की , उस खजाने पे जहाँ आज तक किसी लड़के का हाथ नहीं लगा था।
लेकिन उसकी दी, रीत ने पाला बदल लिया और अब वो करन के साथ हो गयी।
रीत ने मीनल की जांघो के बीच गुदगुदी लगायी , और पल भर ले लिए प्रेम गली पर से मीनल के हाथों का पर्दा उठ गया। इतना समय काफी था करन के हाथों के लिए और अब वो उड़ने को बेताब गुलाबी परी , मखमली ,काम रस से गीली , करन की हथेली के नीचे थी।
करन उस कभी हलके से दबा रहा था , सहला रहा था तो कभी दबोच लेता। और उसका असर मुस्टंडे पे भी हुआ।
वो पूरा ९ ० डिग्री का हो गया था ,तना , टनटनाया ,…
" अरे तू भी तो पकड़। "
लजाती , शरमाती , झिझकती मीनल का हाथ पकड़ के जबरन रीत ने करन के लिंग पे रख दिया। दो चार पल तो बस वो शर्माती रही फिर उसने , हलके से उसे महसूस करना शुरू कर दिया , सहलाने लगी।
" कित्ता कड़ा है , मोटा भी ,… दी ," रीत के कान में उसने फुसफुसाया।
" अरे तभी तो मजा देगा। आगे पीछे कर ना " रीत भी उसी तरह उसके कान में बोली।
मीनल को अच्छा तो लग रहा था लेकिन कुछ समझ में नहीं आ रहा था। रीत का हाथ अभी भी मीनल के लिंग पकडे हाथ पे था। रीत ने अपने हाथ कि पकड़ का जोर थोडा बढ़ाया और मीनल कि कोमल उंगलियों से उसके लिंग को आगे पीछे करवाने लगी, जैसे कोई बच्चे के हाथ में कलम पकड़ा के क ख ग लिखना सिखाये।
"काटेगा नहीं , जोर से आगे पीछे कर न ,"प्यार से मीनल को डांटते हुए रीत बोली।
" कहीं काट ले तो "खिलखिलाती मीनल बोली।
" तो कटवा लेना ," उसी तरह हंस के रीत बोली , फिर उस के कान में कहा "अरे यार सुपाड़ा खोल ना उसका बहोत मस्त है। "
और रीत के हाथ में फँसी मीनल कि उँगलियों ने जोर लगा के स्किन पीछे किया, तो सुपाड़ा खुल गया।
खूब मोटा, गुस्साया सा, पहाड़ी आलू ऐसा , लाल गुलाबी , बीच में जैसे कोई टीका लगा , वैसा पी होल।
मीनल कि बड़ी बड़ी आँखे नदीदी , ललचायी उसे देख रही थीं।
रीत ने अपनी उंगलिया अब हटा ली थी , लेकिन मीनल खुद अब प्यार से लिंग आगे पीछे कर रही थी , कभी हलके से कभी जोर से।
" लेगी मुंह में , 'रीत ने फिर मीनल को उकसाया।
" धत , " लजा के मीनल बोली। फिर हलके से अपने आप उसके मुंह से निकल गया ,
" बहुत मोटा है जाएगा नहीं। "
" रानी एकदम जायेगा , बस तू झुक के एक चुम्मी ले ले ना इस के सुपाड़े पे , सारे मुंह में जाएगा। और अगर कही तेरे जीजू को ज्यादा जोश आ गया ना , तो जो इतना टाइट जींस में चूतड़ मटकाती फिरती है न , तो निहुरा के तेरी कुँवारी गांड भी मार लेंगे। "
अब रीत के अंदर दूबे भाभी की आत्मा घुस गयी थी और उस कि भाषा वही हो गयी थी।
मीनल का अंगूठा झिझकते , ललचाते अब करन के मोटे सुपाड़े को सहला रहा था और उधर करन ने भी अपनी तरजनी , मीनल की कसी, कच्ची, कुँवारी ,गुलाबी पुत्तियों के बीच डाल के उसे फैला रहा था , आगे पीछे कर रहा था। कई बार उसका अंगूठा , मस्ती से सूजी हुयी क्लिट को भी सहला देता और मीनल गिनगिना उठती.
अपने आप स्वागत में मीनल की गोरी चिकनी जांघे फैली जा रही थीं।
करन अपने हथेली के निचले हिस्से से मीनल की गीली रसीली योनि को अब जोर जोर से रगड़ रहा था. उसके हाथ की दोनों उँगलियाँ भगोष्ठों को दबोचे हुए कस कस के दब रही थी , भींच रही थी।
उसकी बुर अब अच्छी तरह पनिया गयी थी।
मीनल लम्बी लम्बी साँसे ले रही थी , उसकी आँखे मुंदी पड़ रही थी , किशोर अनछुए स्तन अब पत्थर के हो गए थे और निापल भी छोटे छोटे कंचो कि तरह कड़े खड़े। वह अपने आप हलके हलके , भारी नितम्बो को उठा रही थी , उचका रही थी। और अब बिना किसी शरम के उसकी कोमल नाजुक उंगलिया , करन के मस्त मोटे लंड को जोर जोर से आगे पीछे कर रही थीं।
तभी ड्राइवर ने जोर से ब्रेक लगाया , और मीनल अब बिस्तर पे गिर पड़ी ,करन के कब्जे से अलग हो कर।
गाडी रुक रही थी लेकिन उनकी प्रेम लीला नहीं रुकी।
करन एक बार फिर बादल की तरह मीनल के उपर छा गया , लेकिन मीनल ने अपनी बांहे ऊपर कर , अपनी बड़ी कजरारी आँखों से बरज कर उसे वहीँ रोक दिया।
उसे मालूम था कि करन को क्या चाहिए था। जब वो टॉप पहने थी तब भी करन कि लालची निगाहें वहीँ आके गाड़ जाती।
उसने अपने भारी भारी नितम्बो और कंधो के जोर से धनुष की तरह वक्र कर अपने शरीर को उठाया , और सोने के उलटे कटोरों कि तरह , उसके सपुष्ट वक्ष , अपने आप करन के प्यासे होंठो के पास पहुँच गए। थोड़ी देर वो तरसाती रही , ललचाती रही , लेकिन वो भी तो उतनी ही प्यासी थी ,…
अगले पल उसके निपल्स करन के होंठो के बीच। होंठ उसे चूस रहे थे , जीभ उसे चाट रही थी और दांत हलके हलके काट के अपनी सील लगा रहे थे।
मुंह एक था और गदराये , बौराये जोबन दो ,
करन कभी एक को चूसता तो कभी दूसरे को , कभी एक उरोज पे अपने दांत के निशान लगाता और दूसरे पे नाखुनो के,…
लेकिन करन के होंठ आज लम्बी यात्रा पे थे पूरी देह की यात्रा पे ,
और कुछ देर में उरोजो कि उंचाइयो से नीचे उतर कर , पान के पत्ते से चिकने, कोमल ,स्निग्ध , गोरे पेट पे उन्होंने चुम्बनो की बारिश शुरू कर दी। जीभ कि नोक गहरे नाभि -कूप में भी उतरी , लेकिन स्त्री की गहराई और ऊंचाई कौन नाप पाया है आज तक ,
मीनल को लग रहा था अब करन के होंठ उसके निचले होंठो तक पहुंचेंगे , उसका रस लेंगे , लेकिन अब करन कि बारी थी उसे तड़पाने की सुलगाने की.
पागल हो के सब शरम लिहाज भूल के , मीनल उसके सर को अपने दोनों हाथो से पकड़ के जोर से अपनी ओर खींच रही थी , दबा रही थी।
करन कि जीभ मीनल के केले के तने ऐसी चिकनी मांसल जांघो को चाट रहा था , चूम रहा था और फिर उसकी जीभ बहुत धीमे धीमे योनी के चारो ओर घूम रही थी। फिर एक उंगली से कसी चूत कि फांको को अलग कर के उसके बीच जीभ फिरानी शुरू की ,…
और मीनल पागल हो गयी। दोनों हाथो से बिस्तर को उसने जोर से पकड़ रखा था , आँखे आधी बंद थी और उसके मुंह से निकल रहा था ,
जीजू , जीजू , प्लीज जीजू , दी बोलो न जीजू को , चूस लो उसे , ओह्ह ओह्ह
और अपने दोनों होंठो के बीच करन ने मीनल कि गुलाबी सहेली को भींच लिया , और ओअहली बार में ही खूब और से चूस लिया ,
लेकिन तब तक मोबाइल फोन घनघनाया ,
उसने काट दिया।
फिर फोन बजा , और उसने जब देखा तो उसके बॉस के बॉस का मेसेज ,
नॅशनल सिक्योरटी अडवाइजर का , आई बी के बॉस ने फारवर्ड किया था।
उसे वो इग्नोर नहीं कर सकता था ,
माफी के अंदाज में उसने मीनल की और देखा ,
और मुस्करा के मीनल ने उसे माफ कर दिया।
वो और रीत भी तो उसी आपरेशन का हिस्सा थीं , उन्हें मालूम था पहले काम , .... फिर काम.
मेसेज था कि होम मिनिस्ट्री , पेट्रोलियम , पावर मिनिस्ट्री और गुजरात सरकार ने मिलकर एक पोटेंशियल डैमेज असेसमेंट रिपोर्ट तैयार की है , मतलब डैमेज जो नहीं हुआ।
साढ़े नौ बजे कैबिनेट कमिटी आफ इंटरनल सिक्योरिटी की इसको लेके एक अर्जेंट मीटिंग होनी है, जिसमें ये रिपोर्ट पेश होनी है। अभी वो रिपोर्ट भी मेल की जा रही है। नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर का कहना है की करन , एक बार इसे देख के रिवाइज कर के साढ़े आठ तक उसे भेज दे।
सबकी निगाहें घडी की ओर मुड़ गयीं। ठीक आठ बजे थे। आधे घंटे का समय।
तब तक फिर दुबारा एक मेल का मेसेज आया।
मीनल करन के पीछे पकड़ के बैठी थी , अपने अनावृत उरोजों से उसके पीठ पे रगड़ती छेड़ती। उसके इयर लोब्स को चूमती वो बोली ,
" फिकर नाट जीजू , मैं कही जा नहीं रही हूँ , और गाडी तो मुम्बई सुबह पहुंचेगी। बस अभी दस मिनट में इस का तिया पांचा कर देते हैं , फिर आप साली सेवा में लग जाना , ब्रेक के बाद। "
रीत भी करन से सट के बैठी थी , और मेल खोल के करन बोल बोल के पढने लगा ,
एक्सपेक्टेड ह्यूमन लास - बड़ोदा - १२ ०० ,जामनगर ४,०० , वानकबोरी पावर हाउस , २०० , उकई पावर हाउस २०० , कुल २,०००।
मीनल ने वहीँ टोका , गलत है बहुत अंडरस्टेटेड है। अगल बगल के गाँवों का अकाउंट नहीं किया है।
करन ने रीत को इशारा किया और उसने गूगल अर्थ पे करछिया डिटेल्ड मैप निकाला। कुल पंद्रह गाँव थे जो रिफायनरी से सटे थे। मीनल ने पापुलेशन कि फिगर निकाली और कहा कि अगर २० % भी लास आफ लाइफ इन गावों का माने तो वो फिगर ४,००० आएगी।
कारन ने बोला चलो आधी मान लेते है यानि २,००० और बड़ोदा में।
"इसके अलावा , इतने तेज एक्सप्लोशन से जहरीली गैसें भी निकलती और उसका असर सीधे शहर पे पड़ता तो करीब १,००० और। " मीनल बोली।
चलो ८,०० मन के बड़ोदा कि फिगर ४,००० पे राउंड आफ करते हैं। करन बोला।
रीत और मीनल ने बाकी जगहों के भी मैप निकले , पापुलेशन फिगर भी और सारी फिगर बढ़ के कंजर्वेटिव इस्टीमेट से आठ हजार डेथ की हो रही थी।
करन साथ साथ मेल टाइप कर रहा था।
बाद में फाइंनेशियल लास कि फिगर थीं।
हिंदुस्तान कि गवर्मेंट सेकटर और प्राइवेट सेक्टर दोनों की सबसे बड़ी रिफायनरी कम से कम एक महीने के लिए बंद हो जाती और रिफायनिंग कैपेसिटी २८ % कम हो जाती।
यानि रिफाइंड तेल इम्पोर्ट करना पड़ता , उसका अतिरिक्त खरचा पेट्रोलियम मन्त्रालय ने ६, हजार करोड़ आका था। उसके अलावा रिफानरी के रिपेयर में १२०० करोड़ खर्च होता। इसी तरह के फिगर दोनों पावर हाउस के भी थे।
करन ने कहा इसमें तो हम कुछ जोड़ नहीं सकते। मीनल कुछ देर सोचती रही , फिर बोली
" हाँ , लेकिन एक बात लिख सकते हैं , एक अन स्पेसिफाइड डैमेज , उन इंडस्ट्रिज का जो बड़ोदा के आस पास हैं और पेट्रो केमिकल प्रॉडक्ट बनाते हैं
महीनो वो बंद रहेंगे और मैन डेज का नुकसान , प्रोडक्शन कैपिसिटी का नुकसान "
' सही है , करन बुदबुदाया और उसको भी मेसेज में जोड़ दिया। फिर उसने पूरा मेल पढ़ के सुनाया।
मीनल का मन तो कही और था , वो बार बार घडी देखती , कभी शरारत से करन के निपल्स को अपने लम्बे नाखून से स्क्रैच कर देती।
" भेज दूँ , करन ने बोला।
एकदम , रीत और मीनल एक साथ बोलीं। और करन के सेंड दबाते ही तीनो ने जोर से हाई फाइव किया।
घडी में अभी आठ पन्दरह हुए थे।
"जीजू आप झूठे ही परेशान हो रहे थे , सिर्फ पन्दरह मिनट का ब्रेक तो था , अब साली सेवा शुरू ,…" मीनल ने एक हलकी सी बाइट करन के गाल पे काटते हुए कहा।
मीनल ने अपनी गुलाबी जीभ की नोक से करन के कान में सुरसुरी की , और कुछ फुसफुसाया।
करन मुस्करा उठा , ख़ुशी से उसकी आँखे चमक उठीं।
रीत बिना किसी खतरे की आशंका के करन के बगल में बैठी थी।
मीनल चुपके से उसके पीछे गयी , उसकी कमर में गुदगुदी की , और जब तक रीत सम्हले , दोनों हाथों से उसका टॉप पकड़ कर उपर।
एक साथ १,००० वाट के दो दूधिया बल्ब जल उठे।
रीत के कड़े गुदाज, ,उभार बाहर थे।
और उसका टॉप वहीँ जहाँ मीनल का टॉप और जींस , करन कि टी और पैंट थे , पलंग के नीचे।
चाहती तो वो भी थी इस कबड्डी में ज्वाइन करना लेकिन थोड़ी हिचक , झिझक रही थी।
" पिटेगी तू मेरे हाथ से आज कस के , बहुत मारूंगी । "बनावटी गुस्से से रीत मीनल पे हाथ उठाते बोली।
लेकिन करन ने उसका हाथ कस के पकड़ लिया और बोला , " जाने दे यार छोटी सी बच्ची है। "
" बच्ची जरूर है , मम्मे देखो कित्ते मस्त हैं , मुझसे बड़े ही होंगे " रीत करन से बोली , और मीनल को एक बार फिर घात लगाने का मौका मिल गया।
वो एक बार फिर रीत के पीछे थी , उसके हाथ रीत के मखमली पेट पे और अबकी निशाना , पजामी का नाडा था। रीत की गुलाबी पजामी का नाडा उसने ना सिर्फ खोल दिया , बल्कि पजामी थोड़ी नीचे भी सरका दी।
रीत अब और गुस्से में
और बनारसी बोली में भी उतर आयी ,
" एही पलन्ग पे न पटक पटक के तोहार कचूमर बनवाउंगी। रगड़ रगड़ के , जो तुम्हारे जीजू , तुम्हारे साथ दे रहे हैं , ना ओनही से।
करन ने अभी भी रीत को पकड़ रखा था।
मीनल ने फिर रीत को चिढ़ाया , "अरे दीदी आपके मुंह में घी शक्कर। कब?"
और करन ने रीत को छोड़ दिया। रीत फनफनाती हुयी खड़ी हुयी।
मीनल तो इसी मौके कि तलाश में थी , उसने हलके हाथों से रीत कि गुलाबी पजामी पकड़ रखी थी। और रीत के खड़े होते ही ,
सरर,… सरर ,… गुलाबी पजामी नीचे , और गुलाबी परी बाहर।
रीत ने इसकी चिंता नहीं की और पलंग के कोने पे जा के मीनल को धर दबोचा।
अब मीनल नीचे , रीत ऊपर। दोनों बिना कपड़ों के।
रीत के उभार कस के , मीनल के उरोजों को दबा रहे थे। एक हाथ से रीत ने मीनल के दोनों हाथों को दबोच रखा था। रीत के बड़े गुदाज नितम्ब , छोटे छोटे नगाड़ों की तरह उभरे ललचा रहे थे।
लड़ दोनों रही थीं , हालत करन के मुस्टंडे कि खराब हो रही थी।
मीनल भी पीछे नहीं रहने वाली थी।
दोनों हाथो से उसने रीत कड़े कड़े जोबन को दबाया , और हंस के बोली,
" क्यों दी , जीजू ऐसे दबाते हैं क्या ?
रीत ने जोर से उसके गुदाज उभार रगड़ते हुए उसके निपल पूरी ताकत से पुल कर लिया और बोली ,
" नहीं ऐसे " फिर उसके कान में बोली ," बुला दूँ, खुद मलवा के देख ले ना। "
मीनल ने जोर से रीत के निपल को जवाब में कस के चूस लिया।
रीत के होंठ क्यों पीछे रहते। पहला किस, मीनल के कंधे पे था , दूसरा खुले उभार के ऊपरी हिस्से पे और फिर सीधे निपल को उसकी जुबान , जोर जोर से फ्लिक करने लगी। दूसरे उभार पे रीत के लम्बे नाख़ून निशान बना रहे थे।
मस्ती से मीनल कि गोरी मांसल जांघे अपने आप फैल गयीं। उसकी चुनमुनिया फिर रस बहाने लगी।
और रीत बनारस की सीखी खेली, दूबे भाभी कि शिष्या , अपनी चूत से उसने मीनल कि कुँवारी चुनमुनिया पे घिस्से पे घिस्से मारने शुरू किये।
और कुछ ही देर में मीनल झड़ने के कगार पे आ गयी और रीत ने फिर पैंतरा बदल दिया। वो रुक गयी।
मीनल तड़प रही थी , सुलग रही थी और करन ललचा रहा था।
मीनल कि मस्त चूंचियों को पकड़ के पूरी ताकत से रीत ने फिर एक घीस्सा अपनी चूत से दिया , और मीनल जोर से सिसक पड़ी।
रीत ने मीनल के कान में कुछ कहा , और मीनल ने जवाब में ना में जोर से सर हिलाया और हलके से बोली , नहीं दी , जीजू के सामने नहीं।
रीत ने फिर समझाया , और मीनल अभी भी ना में सर हिला रही थी , तो रीत ने तीन चार बार बिना रुके कस के , अपनी बुर उसकी चूत पे रगड़ी।
मीनल जोर से सिसकने लगी।
"बोल , हाँ ,…" अबकी रीत ने जोर से बोला। फिर धीरे से समझाया ,
" अरे यार होली का दिन है। और वो भी जीजा साली की होली का दिन , अगर खुल के नहीं बोली ना तो होलिका गुस्सा हो जाती हैं "
" ओ के दी तुम बोल रही हो तो , हम लोग सहेलियां , तो आपस में ऐसे ही खुल के बोलते हैं ,लेकिन जीजू के सामने। तुम बोल रही हो तो चलो
मीनल मान गयी।
लेकिन करन अब बौरा रहा था , " मैं भी आ जाऊं , हे मुझे भी शामिल कर लो ना " वो बोला।
मीनल और रीत ने फिर आपस में कानाफूसी की और रीत मीनल से बोली ,
" क्यों मीनल , शामिल कर लें इन्हे , और बिना उसके जवाब का इन्तजार किये बोली , ठीक है आ जाओ।
" चलो दी मिल के जीजू कि , " मीनल ने मुस्कराकर कहा और बात रीत ने पूरी की , सैंडविच बनाते हैं।
जब तक करन कुछ समझे , दोनों ने एक साथ धक्का दिया और करन पलंग के बीचो बीच , और वो दोनों शरारती , नटखट , उसके दायें और बाएं
करन का बराबर बंटवारा करती ,,
"दायीं आँख तेरी है बायीं वाली मेरी "
और सबुत के तौर पे किस्सी
फिर गाल , सिर्फ किस्सी ही नहीं हलकी सी बाइट भी ,
" हे तेरा वाल गाल ज्यादा मीठा है क्या , चल थोडा शेयर करते हैं "
और फिर जोर से दोनों ने एक दूसरे के हिस्से के गाल को पहले चूसा और फिर, कचाक से , बाइट।
करन कुछ कुनमुनाया , तो रीत ने आँख तरेर कर देखा ,
" हे हिलने का का नहीं , अच्छे बच्चे की तरह चुपचाप , बस , पड़े रहो। "
और रीत और मीनल दोनों के गुलाबी रसीले होंठ , कंधे पे , फिर सीने पे ,
दहकते , सुलगते गुलाब
करन के निपल के चारो ओर जहाँ मीनल कि गुलाबी जीभ कि नोक चक्कर काट रही थी , वहीं रीत उसे चूम चूस रही थी ,
करन उचक रहा था ,
और दोनों ने एक साथ बाइट किया उसके निप्स को
करन चीखा , ज्यादा मजे से थोडा दर्द से।
और साथ साथ मीनल और रीत के हाथ , जादुई उंगलिया भी मैदान में आ गयी थीं , करन कि कमर के नीचे , जाँघों पे फिसल रही थीं , थिरक रही थीं.
और उसका असर करन के मुस्टंडे पे हुआ ,
खड़ा तो वो पहले से ही था , अब एकदम तन्नाया , पगलाया लग रहा था।
खूब मोटा , कड़ा , आलमोस्ट बित्ते भर का , बौराया। और
सुपाड़ा भी मीनल ने पहले खोल दिया था. उसके पी हॉल पे एक बूँद प्री कम कि चमक रही थी।
" दी , बहुत भूखा लग रहा है थे। " अपने उँगलियों की टिप से उसके बेस को दबाते हुए मीनल ने मुस्करा के कहा। मीनल कि कजरारी आँखों से प्यास साफ झलक रही थी।
" तो मिटा दे ना भूख उसकी , " रीत ने उकसाया। अब उसके चुम्बन लिंग के चारों और बरस रहे थे।
"ना न दी पहले आप , आप बड़ी हो ," मीनल ने शोख अदा से अपने जोबन उभार के कहा। मीनल कि आँख करन के मोटे लिंग से हट नहीं रही थी। फिर फुसफुसाती हुयी बोली ,
" दी , इसे कैसे बांटेंगे , हम दो और ये एक ,…"
" अरे बांटने कि क्या जरूरत है , मिल के लेते हैं न। कभी किसी सहेली के साथ लॉलीपॉप नहीं शेयर किया है क्या " रीत ने हड़काया और साथ ही अपनी लम्बी जीभ निकाल के एक और से करन का लिंग चाटना शुरू किया। देखा देखी मीनल भी दूसरी तरफ से चालू हो गयी।
चपड़ चपड़ , सपड़ सपड़ ,
दोनों किशोरियां लिंग के बेस से आलमोस्ट सुपाड़े तक नदीदी लड़कियों कि तरह चाट रही थी.
रीत ने देखा , मीनल बार बार कारण के सुपाड़े को ललचायी निगाह से देख रही थी.
" ले ले ना , अच्छा चल एक किस्सी ही ले ले। " उसने मीनल को उकसाया।
मीनल थोडा सा झिझकी। लेकिन वो पहाड़ी आलू ऐसा , गरम सुपाड़ा , इत्ता मस्त लग रहा था ,…वो थोडा झिझकी फिर एक चुम्मी ले ली , सीधे खुले सुपाड़े के ऊपर। फिर जबी एक बार झिझक खुल गयी तो दो , तीन , चार , किस्सी। और साथ में जीभ से लिक भी ,…
" हे मुंह में ले न , पूरा ले के चूस , बहुत मजा आएगा। " रीत ने फिर चढ़ाया उसे।
मीनल ने इशारे से कहा बहुत मोटा है और बोली , " नहीं दी , अच्छा एक बार , जस्ट एक बार तुम लो ना , फिर मैं प्रामिस। "
,
रीत समझ रही थी कि अब उसके झिझक मिटाने का एक ही तरीका है कि वो खुद ही पहल करे। फिर मिआल को सिखाते , दिखाते , उसने अपने होंठों से दांत अच्छी तरह कवर किये , अंगूठे और तरजनी से लिंग का बेस पकड़ा और खूब बड़ा सा खुला मुंह सीधे सुपाड़े पे और फिर गड़प , और जोर से चूसना शुरू। मीनल कि उसने इशारे से समझाया कि कैसे वो अपने होंठो से लिंग को रगड़ रही है , नीचे से जीभ से चाट रही है और जोर जोर से चूस रही है।
थोड़ी देर चूसने के बाद लिंग उसने मीनल के हवाले कर दिया।
अभी भी थोड़ी सी वो शर्मायी , फिर रीत की देखा देखी होंठों से दांतो को ढक के चूसना , शुरू कर दिया। पहले धीरे धीरे फिर जोर से ,
नौसिखिये होंठो का मजा ही और होता है , मीनल के रसीले होंठ करन के लिंग से रगड़ रगड़ के जा रहे थे , और करन और पागल हो रहा था।
थोडी देर चूसने के बाद जब मीनल ने होंठ हटाए , तो उसके गाल पिंच कर , रीत बोली ,
" हे काटा तो नहीं , इसने” ,करन के तन्नाये लिंग की ओर इशारा कर के वो बोली
"ना ,… " मुस्कराती खिलखिलाती मीनल बोली।
" किसने ,…" रीत चिढ़ाती हुयी बोली। वो आज मीनल कि सारी शरम , लाज मिटाने पे बोली।
" धत , मीनल के गाल बीर बहूटी हो गए। फिर करन के लिंग की और इशारा कर के बोली ,
" इसने "
" पिटेगी तू आज कस के मेरे हाथ से , तूझे अभी समझाया था ना , फिर होली के दिन होलिका देवी नाराज हो जाती है , ये , वो बोलने से। छूने में शरम नहीं , पकड़ने में शरम नहीं , कस के चूसने में लाज नहीं और नाम लेने में लाज आ रही है सारी , " रीत ने हड़काया।
वो दूबे भाभी और चंदा भाभी से अच्छी तरह सीख चुकी थी की कैसे कुँवारी बछेड़ियोँ कि शर्म लाज उतारी जाती है।
मीनल फिर भी हिचक रही थी। करन ने उसे आँख से इशारा किया , " अरे बोल दे यार , क्यों ,…""
रीत ने फिर छेड़ा , " अरे चूसने में तो काटा नहीं , तो क्या नाम लेने में काट लेगा, जो इत्ता डर रही है। "
मीनल ने हिम्मत की , " ल ,… लन ,… लंड "
" झूठी ,…" रीत ने उसका कान पकड़ के सुपाड़े की ओर झुकाया। "मुश्किल से तो तूने सुपाड़ा मुंह में लिया है , साल्ली लंड तो अभी बाकी है चल न ,"
और अब मीनल के होंठ एक बार फिर सुपाड़े पे थे। एक बार उसके होंठ कड़े मस्त मोटे सुपाड़े का स्वाद ले चुके थे , इसलिए अब कि बिना झिझक , उसने वो मोटा लाल सुपाड़ा मुंह के अंदर भर लिया और लगी चुभलाने।
रीत ने करन कि ओर देखा और करन ने रीत कि ओर। उन दोनों से ज्यादा , एक दूसरे के नैनों की भाषा कौन समझता।
रीत ने मीनल के सर पे हाथ रखा और जोर जोर से नीचे की ओर दबाने लगी।
उधर करन ने भी चूतड़ ऊपर पुश कर अपना मोटा लंड ,मीनल के कुंवारे मुंह में ठेलना शुरू कर दिया।
मीनल गों गों कर रही , सर इधर उधर कर रही थी , छटपटा रही थी।
जवाब में सर पे जोर रीत ने और बढ़ा दिया , और दूसरे हाथ से उसके गले को कभी उसकी , झुकी हुयी चूंचियों को सहलाने लगी।
सूत सूत कर के मोटा लंड अंदर जा रहा था। और जबी आधे से ज्यादा लण्ड मीनल के रसीले होंठो के बीच घुस गया , तो रीत ने दबाव कम किया।
मीनल भी तो आखिर मुंहबोली बहन थी , रीत की , मुख मैथुन में प्रवीण।
सपड सपड़ , उसने लंड चाटना शुरू कर दिया।
जैसे किसी मछली को तैरना नहीं सीखना पड़ता , बस मीनल को उसी तरह लंड चुसाई नहीं सिखानी पड़ी , लग रहा था वो कैसी सीखी सिखायी है।
रीत तारीफ की निगाह से अपनी छोटी मुंहबोली बहन को देख रही थी , कैसे वो अपने गुलाबी रसीले किशोर होंठो को लंड पे रगड़ रही थी , नीचे से उसकी जीभ लपर लपर चाट रही थी और साथ में उसके गाल चूसने में किसी वैक्यूम क्लीनर को मात कर रहे थे।
साथ उसके कोमल हाथ लंड के बेस पे कस के पकडे , हलके हलके ऊपर नीचे कर रही और सबसे बड़ी बात थी उसकी बड़ी बड़ी नाचती मचलती आँखों में , जिसमें ख़ुशी छलक रही थी और जब उस मस्ती भरी निगाह से वो अपने जीजू को देखती, तो करन खुद मीनल के सर पकड़ के , अपना लंड और उसके मखमली मुंह में ठेल देता।
जवाब में मीनल भी ताल में ताल मिलाती , अपने मुंह को उसके लंड पे पुश कर देती।
थोड़ी देर तक मीनल , पूरे जोश से लंड चूसती रही , करीब दो तिहाई लंड उसने घोंट लिया था , बस दो इंच के करीब बाहर था।
लेकिन कुछ देर में वो थक गयी और उसने अपना मुंह हटा लिया।
और रीत को देखते बोली ,
"मैं पूरा , वो ,… पूरा नहीं ,"
रीत उसकी बात काट हँसते हुए बोली।
" अरे पूरा क्या , फिर वही , पहले बोल तो वरना मैं , सच में पीटूँगी।"
मीनल भी उसकी हंसी में शामिल हो गयी और बोली,
" दी तू भी न , जीजू का ल ,…लण्ड , नहीं ले पायी पूरा। "
रीत मुस्करायी और बोली , "अरे इसका है ही घोड़े जैसा , लेकिन कोई बात नहीं मैं दिखाती हूँ तुझे फिर तू ट्राई करना। छोटी बहन है सीखाना तो पड़ेगा। एकदम लंड चूसने में एक्सपर्ट हो जायेगी।चल मैं चूस के दिखाती हूँ ,"
रीत पहले तो करन के सुपाड़े को हलके से चूसा और फिर धीमे धीमे , आधे से ज्यादा लंड गटक गयी। हाँ , छह इंच के बाद जा के वो भी अटक गयी.
लेकिन वो बिंदास बनारसी बाला , उसने अपने गैग रिफ्लेक्स पे कंट्रोल किया,और फिर धीमी धीमे , सूत सूत आगे प्रेशर बढ़ाती गयी।
मीनल कि निगाहें वही चिपकी थीं। वो देख रही थी कि कैसे बिना घबड़ाये , मजे से रीत , करन का आठ इंच का मुस्टंडा , पूरा लील गयी।
कुछ देर चूसने के बाद , रीत ने अपने होंठ दूर कर लिए और मीनल कि ओर देखा।
वो ख़ुशी से और तारीफ से रीत को देख रही थी , लेकिन चुप्पी तोड़ी करन ने।
" अरे साली जी अगर ऊपर वाला मुंह थक गया हो तो नीचे वाला मुंह ट्राई कर लो , सारी मेहनत मेरी, गारंटी पूरा घोंट जाओगी। पक्का। "
रीत जान रही थी कि करन का बहोत मन कर रहा है , मीनल के भरतपुर लूटने का। मन तो मीनल का भी कर रहा था , लेकिन वो करन कि बित्ते बाहर कि साइज और उस से भी ज्यादा कलाई मुटाई देख के डर रही थी। वो बोली ,
" नहीं जीजू , मेरी हिम्मत नहीं है , मेरी चुन्मुनिया कि ऐसी कि तैसी हो जायेगी। "
रीत ने हिम्मत बढ़ायी , " अरे मीनल मैं हूँ ना , ले जितना ले सके। जैसे ज्यादा दर्द होगा मुझसे बोलना मैं हटा दूंगी इन्हे। "
" नहीं दी , मुझे डर लग रहा है , बहोत दर्द होगा। " मीनल ने मुंह बनाया लेकिन उस कि आँख अभी भी करन के मोटे खड़े लंड से चिपकी थी.
" अच्छा चल तू जीजू के औजार से डर रही है न मेरी परी से तो दोस्ती करेगी न , चल हम लोग अपना बचा काम पूरा करते हैं " रीत बोली।
साथ ही रीत ने जोर से आँख करन को मारी कि वो उसका नंबर लगवा देगी साली के साथ , चिंता न करे।
जब तक मीनल कुछ समझे , रीत ने उसे हलके से धक्का दिया। मीनल नीचे , रीत ऊपर और दोनों सिक्स्टी नाइन कि पोजिशन में.
लंड चूसने का तो मीनल का पहला मौका था लेकिन वो हाईस्कूल के बाद से ही वो बोर्डिंग में पहली रैगिंग में ही सीनियर्स ने उसे चूत चाटने का चस्का लगा दिया था। और यूनिवर्सिटी कि रैंगिंग में तो उसे चूत चटोरी का इनाम भी मिला , और इधर रीत भी कन्या प्रेमी भाभियों के शिष्यत्व में , पूरी दीक्षा प्राप्त कर चुकी थी।
मुकाबला बराबर का था , आलमोस्ट।
क्योंकि रीत तो रीत थी , हर चीज में बेस्ट।
रीत ऊपर थी और अपनी देह के वजन से उसने मीनल को दबा रखा था। रीत की दोनों मांसल जाँघों के बीच , मीनल का सर दबा हुआ था और रीत ने अपनी गुलाबी बुर से उसके होंठों को भी भींच के बंद कर रखा था। मीनल के दोनों हाथ भी , रीत के पैरों के नीचे दबे थे। मीनल चाह के भी नहीं हिल सकती थी।
लेकिन मीनल को कोई फर्क नहीं पड रहा था। उसके दोनों होंठ मजे ले रहे थे। ऊपर के होंठ रीत कि चिकनी चूत चाट रहे थे और निचले होंठ रीत चाट रही थी।
और जिस तरह से रीत चाट रही थी , मीनल के बदन में तूफान मचा था। वो कभी मीनल की कसी गुलाबी फांको के बीच , जीभ कि नोक लगा के चला देती तो कभी दोनों होंठ के बीच , मीनल कि चूत दबा के कस कस के चूसने लगती , और साथ में उसकी शैतान उँगलियाँ भी ,… जब मीनल कि क्लिट रीत के होंठों में दबी होती तो उसकी उंगलिया मीनल के चूत कि पुत्तियों को जोर जोर से दबाती रगड़ती। दोनों हाथो से रीत ने पूरी ताकत से मीनल कि मांसल जांघो को फैला रखा था।
दो बार वो मीनल को झड़ने के कगार पे ले गयी , फिर रुक गयी। तीसरी बार जब फिर मीनल कि सिसकियाँ तेज हो गयी , और उसकी चूत कि पत्तियां , जोर जोर से कापने लगी , रीत समझ गयी तवा गरम है और उसने इशारे से करन को बुलाया , और सीधे करन का लिंग अपने मुंह में ले के चूसने लगी।
करन का लंड इत्ते देर से वैसे ही तड़प रहा था , रीत के मुंह में जाते ही वो फिर फुफकारने लगा।
रीत ने मीनल की चूत को भी नहीं बख्शा था। उसकी उंगलिया कभी चूत को मसलतीं कभी तरजनी का एक पोर वो अंदर पुश कर के , गोल गोल घुमाती।
बहुत ही कसी चूत थी मीनल की। लगता है कभी ऊँगली भी अंदर नहीं गयी।
थोड़ी देर करन का लंड चूसने के बाद फिर रीत मीनल के क्लिट को फ्लिक करने लगी और मीनल की चूत में आग सी लग गयी।
रीत यही चाहती थी। उसने एक बार फिर से जाँघों का प्रेशर मीनल के सर पे बढ़ाया और अपनी चूत से उसका मुंह अच्छी तरह सील कर दिया।
वो जानती थी , यही एक रास्ता है। अब मीनल लाख सर पटके न हिल सकती है न बोल सकती है। रीत कि देह का पूरा वजन उसके ऊपर था और रीत ने अब कस को उसे दबा रखा था।
रीत जान रही थी , मन तो मीनल का भी कर रहा था , लेकिन करन के मोटे मूसल को देख के वो डर गयी थी। वो बार बार उसका मोटा मुस्टंडा देख के ललचा रही थी , लेकिन एक तो शर्मा रही थी , झिझक रही थी और दूसरे उसकी मोटी साइज देख के वो घबड़ा गयी थी।
करन को रीत कि प्लानिंग का पूरा अंदाजा था।
रीत ने अब अपने दोनों मजबूत हाथों से मीनल कि जांघे पूरी तरह फैला दी थीं और करन उनके बीच में खड़ा था। अब मीनल लाख कोशिश कर वो जांघे फैली ही रहनी थीं। रीत ने एक हाथ से करन के मोटे सुपाड़े को पकड़ा और दुसरे हाथ कि उँगलियों से मीनल की चूत को फैला के सुपाड़ा एक दम बीच में सेट किया। रीत कि जीभ तेजी से साथ क्लिट पे दौड़ रही थी।
बस अब दो चार धक्के में करन का सुपाड़ा , मीनल कि चूत में होगा , रीत सोच रही थी। और एक बार सुपाड़ा अंदर घुस जाय फिर तो रीत हट जायेगी और मीनल लाख चूतड़ पटके , बिना चुदे कोई बचत नहीं थी। रीत जानती थी सके बिना इसके मीनल कि कच्ची , एकदम कसी कुँवारी , किशोर चूत में लंड , वो भी करन का घोड़े जैसा लंड , घुसने का कोई सीन नहीं था।
और फिर मीनल को भी खूब मजा आता ,…
करन ने मीनल केले ऐसी चिकनी उठी , फैली जांघे पकड़ीं , रीत ने अपनी देह से मीनल को जोर से दबाया , और जैसे ही करन ने पहला धक्का मारा ,
मीनल बहोत जोर से चिल्लाई , दर्द से नहीं डर से , भयानक डर से।
वो इतनी जोर से उछली कि रीत आलमोस्ट पलंग से नीचे आ गयी।
मीनल के सर के पास ही , करन का मोबाइल रखा था।
वो उसी को दिखा दिखा के चिल्ला रही थी।
मीनल बहोत जोर से चिल्लाई , दर्द से नहीं डर से , भयानक डर से।
वो इतनी जोर से उछली कि रीत आलमोस्ट पलंग से नीचे आ गयी।
मीनल के सर के पास ही , करन का मोबाइल रखा था।
वो उसी को दिखा दिखा के चिल्ला रही थी।
और जब रीत और करन ने उसे देखा तो उनकी भी हालत खऱाब हो गयी ,
एक कटा हुआ सर ,
एक कटे हुए सर का फ़ोटो ,
जब कारण ने उसे खोला तो देखा ये पुलिस कमिशनर का मेसेज था , ये सर माही नदी के किनारे से मिला था थोड़ी देर पहले और कुछ ही दूर पे उसका धड़ भी था।
यह फ़ोटो उन्होंने रीत और मीनल को पहचानने के लिए दिया था कि क्या ये वोही आदमी है , जो "वाई " के हेल्प के लिए कोशिश कर रहा था , और जिसके स्नैप मीनल ने खिंच के पुलिस के पास भेजे थे।
जिस तरह मीनल चिल्ला रही थी , उसमे कोई शक नहीं था ,
वो बस बोल रही थी , वही है , वही है.
तब तक एक और पिक्चर सन्देश आया।
इसमें शेष बाड़ी का चित्र था। जहां से गला कटा था , वहाँ ज्यादा खून नहीं था।
गले के नीचे एक जगह पर चाक़ू का हल्का सा निशान था और दो चार बूंदे खून की थी।
रीत बहुत ध्यान से उसे देखती रही , उसके चेहरे पे परेशानी के निशान थे। वो करन कि ओर मुड़ी और बोली ,
" कालिया , सेंट परसेंट कालिया। "
करन भी फ़ोटो बहुत ध्यान से देख रहा था। उसने भी हामी में सर हिलाया , फिर रीत से पुछा ,
" ये तुम कैसे श्योर हो ?"
मीनल का डर अब निकल गया था और वो उन दोनों कि बात सुन रही थी।
" देखो , बनारस में जेड का मर्डर भी उसी ने किया था। जब जेड कि प्लानिग फेल हो गयी और ये लगा कि या तो उसे पकड़ लिया जायेगा , या उस का पीछा कर के पुलिस सोर्स तक पहुंचेगी , तो गोदौलिया पे भरी भीड़ में , चारो ओर पुलिस के लोग थे आई बी के लोग थे , उसने उसे पार लगा दिया।
उस कि चाक़ू कि एक ख़ास स्टाइल है औ ये गारंटी है कि पुलिस उसका पता नहीं लगा सकती। वो उनका फेल सेफ अरेंजमेंट है। अगर स्लीपर उनका फेल हो जाय तो उसका पत्ता साफ करने के लिए। आज एम्बुलेंस से तुम वाई को पकड़ ले गए और अब वो उनके कब्जे से बाहर है। लेकिन ये जो छुटभैया , वाई कि हेल्प के लिए उन्होंने रख छोड़ा था , उस ने उसी का पत्ता साफ कर दिया।
उस को इंस्ट्रक्शन रहा होगा , और फिर उसे ये भी शक हो गया होगा कि कहीं मैंने और मीनल ने उसे देखा न हो , और पुलिस उस को ट्रेस कर के कुछ उगलवा ना ले , इसलिये कालिया ने उसे ऊपर पहुंचा दिया। "
मीनल को अभी भी कुछ समझ में नहीं आ रहा था। उसने रीत से पुछा ,
" ये कालिया कौन है ?"
"मैं बताता हूँ , करन बोला ,
" ये दुनिया का हाइएस्ट पेड़ अस्सेन है। इस के पीछे दर्जन भर देशो कि पुलिस , इंटरपोल सब लगे हैं , लेकिन एक ढंग का फ़ोटो भी नहीं है। वो एक ख़ास चाक़ू से वार करता है , जिसकी नोक और धार एक ख़ास किस्म कि है , और उस के विक्टिम को देख के ये अंदाजा लग जाता है , कि ये कालिया का शिकार है।
उस का नाम नेशनलिटी भी कोई नहीं जानता। हाँ कुछ जगहो पे शुरु में उस के चाक़ू मिले थे जिसमें , माइक्रोस्कोपिक ' के ' खुदा हुआ है , हाथी दांत के हैंडल पे।
मीनल उन दोनों को ध्यान से देख रही थी। वो एक हाथ से रीत को कस के पकडे थी।
और रीत और करन मीनल को देख रहे थे , ये सोचते हुए , कि क्या इसे मालुम है ये कितने खतरे में है।
निश्चित रूप से कोई यार्ड में था , जो वाई पे निगाह रखे था। और उसने मीनल और रीत दोनों को बात करते देखा होगा। ये भी साफ हो गया होगा की इन दोनों ने ही प्लान का तियां पांचा किया।
लेकिन मीनल उसके पहले भी कई बार यार्ड गयी थी , बड़ोदा कि रहने वाली है। तो किसी को ये जोड़ने में शक नहीं होगा कि मीनल का रोल क्या है।
फिर रीत तो आपरेशन का अब पार्ट थी , कल का दिन उसका मुम्बई में बीतना था और वो आपरेशन के चलते सुरक्षा के घेरे में ही रहती , बची मीनल। अब अगर वो उन दोनों के साथ मुम्बई चलती है तो उस पर खतरा और बढ़ जाएगा। मुम्बई में रीत और करन दोनों सुबह से ही आपरेशन में बिजी हो जायेंगे। तो फिर मीनल ?
और चान्सेज है कल कालिया भी मुम्बई में हो।
फिर ये सबको पता है कि मीनल उन दोनों के साथ महाराजा एक्सप्रेस से जा रही है और इस गाडी का रास्ते में कोई स्टापेज नहीं है तो श्योर , मुम्बई में हमले के लिए रिस्पेशन पार्टी तैयार मिलेगी।
हाँ एक बार मुबई का आपरेशन कामयाब हो जाये , तो वो सारे दम दबा के भागेंगे , अपनी बिलों में। वो उस हाइड्रा हेडेड मॉन्स्टर का आखिरी लेकिन सबसे खतरनाक सर था , बनारस और बड़ोदा के बाद। बस दो दिनों की बात है. और उन दिनों रीत और करन भी बिजी रहंगे। कुछ समझ में नहीं आ रहा था।
तभी करन का फोन बजा , और अबकी मेसेज नहीं , पुलिस कमिशनर खुद थे।
" फ़ोटो मिली " उन्होंने पुछा।
" हाँ " करन ने जवाब दिया।
" कालिया " कुछ देर चुप रह के वो बोले।
" हाँ मेरा और रीत का भी यही शक है " करन ने हामी में बोला।
" और मुझे लगता है मीनल खतरे में है। " पुलिस कमिशनर ने कहा।
" हाँ , लेकिन बस दो दिन कि बात है , एक बार मुम्बई का कचड़ा साफ हो जाय तो उन्हें भागने की जगह नहीं मिलेगी। करें क्या कुछ समझ में नहीं आ रहा। " कारण ने परेशानी बतायी।
" उसी का इंतजाम बता रहा हूँ। एक मेरी असिस्टेंट पुलिस कमिशनर थी यहाँ , शिखा , वो अभी सूरत में पोस्टेड है। मीनल और उन दोनों में अच्छी दोस्ती है. मैं उसे सूरत से भेज रहा हूँ। सूरत के पहले एक स्टेशन पड़ता है उतरान। एकदम सूनसान , राप्ती नदी के किनारे। हजीरा के पास।
वही तुम्हारी गाडी रुकेगी। एक अन मार्क्ड गाडी में शिखा खुद आएगी साथ में शाहिद है मेरा पर्सनल सिक्योरिटी आफिसर था जब मैं सूरत में था , एकदम रिलायबल। हजीरा एरिया में मैने कुछ सेफ हाउसेज का इंतजाम किया है। दो तीन दिन शिखा के साथ मीनल वही रहेगी। तब तक होपफुली खतरा टल जाएगा। "
उन्होंने बोला और फोन रख दिया।
करन के चेहरे पे अब कुछ तनाव ख़तम हुआ।
मीनल बाथरूम गयी थी। करन ने रीत को सारी बातें बतायीं, तब तक मीनल बाथ रूम से निकल के आ गयी।
" हे तुम ,शिखा नाम कि किसी आई पी एस आफिसर को जानती हो " करन ने मीनल से पुछा।
" जानती हूँ अरे उसका क्या नहीं जानती हूँ , बोर्डिंग में मेरी सीनियर थी। मैं ११ वें में गयी थी तो मेरी पहली रैगिंग उसी ने ली थी। फिर हम लोग एक साल रूम पार्टनर भी थे। उसकी पहली पोस्टिंग बड़ोदा में ही थी। सारे बदमाश उससे डरते थे। अभी सूरत में हैं , क्यों हुआ क्या "
मीनल ने बोला।
जबतक करन कुछ समझाता, पुलिस कमिशनर का फोन मीनल के ही फोन पे आ गया और उन्होंने उसे खुद सारे डिटेल बता दिए।
रीत ने इशारे से बताया कि उन लोगों को मालुम है।
मीनल बोली , " जीजू ये उतरान स्टेशन कब तक आएगा , अभी कितना टाइम है। "
"वान्या के पास टाइम टेबल होगा और वहाँ से ट्रेन के गार्ड से बात भी हो जायेगी मैं अभी पता कर के आता हूँ " ये बोल के करन निकल गया।
उसके निकलते ही मीनल ने रीत को जोर से गले लगा लिया और हलके से मुस्काराकर बोली ,
" आई एम् सारी दी आप लोगों का प्रोग्राम फेल हो गया."
रीत ने अलग होते हुए हलके से एक हाथ उसके नितम्ब पे लगाया और बोली , " दुष्ट तुझे मालूम था कि ,...."
" और क्या ,… " खिखिलाती हुयी मीनल बोली।
" जब जीजू मेरी ओर से आपके पास गए तो मैं कनखियों से देख रही थी , और जिस तरह से आप मेरे ऊपर चढ़ी थीं मैं समझ गयी थी क्या होनेवाला है , और जब आपने जीजू का वो , ऊप्स , मेरा मतलब सुपाड़ा पकड़ के मेरी चूत पे लगाया , मैं एकदम गिनगिना गयी थी।
मैं समझ रही थी यही एक तरीका है, मेरे भरतपुर के उद्घाटन का। जब सुबह से मैंने जीजू को देखा था ना तभी से मेरी चुनमुनिया में बड़े बड़े चींटे काट रहे थे। मन तो बहुत कर रहा था , लेकिन जब देखा तो मैं डर भी गयी थी , कि फटेगी तो बहुत दर्द होगा।
फिर मुझे लगा दी है ना सम्भाल लेंगी।लेकिन अगर आप वो जुगाड़ न करती न तो सच में मारे डर के शायद मैं मना कर देती। इसलिए मैं चुप चाप वेट कर रही थी अब जीजू का मोटा मुस्टंडा घुसे , लेकिन वो साल्ला , कालिया , उसकी मां के भोसड़ें में सारे उसके भाई घुसें , मादर , उसके चक्कर में सब बना बनाया काम बिगड़ गया। "
"तेरे साथ मुझे करन कि भी चिंता थी। उसका घोड़े ऐसा लंड , तेरी कच्ची कली में घुसता , दरेरता , रगड़ता , और कहीं तेरे एक आंसू भी निकलता या दर्द से चीखती ," रीत बोली
, लेकिन उसकी बात काट के मीनल बोली,
" अरे दी , वही दर्द असली मजा है , वही आंसू तो यादगार रहते हैं कि जब मेरी फटी थी , तो कित्ता जोर से दर्द हुआ था। मैं तो बस उसी का इन्तजार कर रही थी कि वो साला कालिया ,…"
अब रीत कि बात काटने कि बारी थी , वो बोली
" यार , तू समझती है , मैं समझती हूँ। लेकिन ये लड़के न , तेरे जीजू थोड़े ही समझते , बस तेरे आंसू देख के बाहर निकाल लेते , इसलिए मैं ऊपर थी , कि उन्हें कुछ दिखे भी ना , और एक बार सुपाड़ा घुस जाता न , तो नैया पार। "
और अब तक करन अंदर घुसा , हाथ में टाइम टेबल लिए।
" गाडी अभी अंकलेश्वर पार हुयी है। अभी कम से कम १५ -२० मिनट लगेंगे , लेकिन अभी तुम लोग किसकी नैया पार करा रही थी।" करन ने पुछा।
" जीजू मेरी , और किसकी। लेकिन नैया पार हो कहाँ पायी। खैर दो दिन कि बात है ,मैंने दी से कहा है कि बाम्बे निपटा के दो दिन में फिर आप लोग आइये और अबकी सूत ब्याज समेत , दो दिन तक मैं एकदम दी को आपके पास फटकने नहीं दूंगी। "
एकदम , रीत और करन ने एक साथ कहा लेकिन रीत ने एक बार और कही ,
' मीनल , अरे यार थोड़ी सी पेट पूजा कहीं भी कभी भी , और अभी तो १५ -२० मिनट बाकी है। "
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