FUN-MAZA-MASTI
सौतेला बाप--31
अब आगे
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दोनो एक दूसरे को ऐसे चूम चाट रहे थे जैसे आजकल के प्रेमी प्रेमिका हो..हालाँकि दोनो की उम्र मे काफ़ी अंतर था, पर विक्की को उसको चूमते हुए एक पल के लिए भी ऐसा नही लगा की वो किसी आंटी को चूम रहा है, इतना जोश और उत्तेजना तो आजकल की लड़कियों मे होती ही नही है...उसकी चुदाई करने मे सच मे उसको बहुत मज़ा आने वाला था.
रश्मि के हाथ सीधा उसके टावल पर जा पहुँचे और उसने एक ही झटके मे उसे उतार फेंका और अब विक्की उसकी नज़रों के सामने पूरा नंगा खड़ा था..अपने खड़े हुए लंड को लिए...जो उसकी उम्मीदों के अनुसार काफ़ी लंबा और मोटा था..
रश्मि एक दम से उसके सामने बैठ गयी और उसके भुट्टे जैसे लंड को पकड़ कर प्यासी नज़रों से देखने लगी...और जैसे ही वो अपना मुँह खोलकर उसको निगलने लगी, विक्की ने कुछ ऐसा बोल दिया की उसकी झाँटे सुलग उठी..
विक्की : "आंटी....काव्या कैसी है....मुझे याद करती है या नही..''
उसकी ये बात सुनकर रश्मि यथार्थ के धरातल पर आ गिरी...उसे तो याद भी नही रहा था की वो उसकी बेटी का बॉयफ्रेंड है...और उसको अपनी बेटी से दूर रहने की हिदायत देने के लिए ही वो उसके पास आई थी कल...पर कल और आज के बीच जो कुछ भी हुआ था, उसके बाद तो रश्मि के दिमाग़ से ये बात निकल ही चुकी थी की विक्की तो उसकी बेटी के पीछे पड़ा है....कब और कैसे वो खुद विक्की के जाल मे फँस कर उसके लंड की दीवानी हो गयी थी ये वो खुद भी नही जानती थी..
उसके हाथ मे विक्की का लंड था...पूरा खड़ा हुआ...और उसकी चूत बुरी तरह से गीली होकर बह रही थी...ऐसी हालत मे विक्की ने ये बात बोलकर उसको एहसास करवाया था की वो असल मे है कौन...और किसलिए वहाँ आई है...
पर अपनी चूत की हालत वो अच्छी तरह से जानती थी..उसके अंदर उठ रही खुजली के आगे उसको अपनी बेटी और उसका बॉयफ्रेंड नही बल्कि अपनी चूत की खुजली मिटाने वाला एक मोटा लंड ही दिखाई दे रहा था...उसने बिना कुछ कहे उसके लंड को एक ही झटके मे अपने मुँह के अंदर डाल लिया...और ज़ोर-2 से चूसने लगी..
विक्की को मज़ा तो बहुत आया, पर उससे भी ज़्यादा मज़ा वो रश्मि को लज्जित करके लेना चाहता था..वो फिर से बोला : "काव्या भी ऐसे ही चूसती है मेरा लंड .....''
उसकी ये बात तो रश्मि को दिल के अंदर तक चुभ गयी...
पर उसको ये बात एक माँ की तरह नही बल्कि एक प्रेमिका की तरह चुबी....एक ही दिन मे वो तो विक्की पर खुद का कब्जा समझ बैठी थी...पर ऐसी हालत मे आकर भी विक्की उसके सामने उसकी बेटी का नाम ले रहा है, उसकी तारीफ कर रहा है, ये उसको बिल्कुल भी पसंद नही आया..वो जलन के मारे गुस्से मे भर गयी और एकदम से उठकर उसने अपने शरीर पर पहने पेटीकोत को उतार फेंका और विक्की के सामने पूरी नंगी होकर खड़ी हो गयी..
और पूरे गुस्से मे भरकर वो विक्की से बोली : "तू अपने आप को ज़्यादा चालू समझ रहा है...मैं अपनी जवानी खुद तेरे सामने लेकर खड़ी हू और तू काव्या को बीच मे ला रहा है...वो तो बच्ची है अभी...देख, इसे कहते हैं असली जवानी...ये देख, मेरी ब्रेस्ट, कभी देखी है तूने इतनी बड़ी छातियाँ,कभी चूसा है तूने ऐसे बूब्स को...और ये देख..मेरी चूत ....अभी भी दो उंगलियाँ एक साथ अंदर जाने मे दर्द होता है...तेरा लंड जब इसमे जाएगा तो सोच कितना मज़ा मिलेगा तुझे, और तू है की काव्या की बातें कर रहा है अभी तक...''
रश्मि तो शराब और ईर्ष्या के नशे मे आकर अपने आप को पूरी तरह से खोलकर खड़ी हो गयी थी विक्की के सामने, और अपने शरीर के हर अंग की तारीफ खुद ही करके वो अपनी बेटी के मुक़ाबले ज़्यादा अंक लेने की कोशिश कर रही थी विक्की से..
और वो ठीक भी था, वो जो कुछ भी कह रही थी,विक्की उसकी बात से पूरी तरह से सहमत भी था..काव्या तो उसके भरे शरीर के सामने आधी भी नही थी...उसके छोटे-2 नींबू और रश्मि के मोटे-2 रसीले खरबूजे, काव्या का पतला सा पेट और रश्मि का गूदे से भरा हुआ , काव्या की पतली सी कमर, और रश्मि की कमर पर जो कटाव था उसका तो कोई मुकाबला ही नही था, और तो और काव्या की चौड़ी गांद भी उसकी माँ की गुदाज गांद के सामने कुछ भी नही थी...
विक्की से भी रहा नही गया, उसने अपने हाथ आगे किए और रश्मि के मोटे-2 मुम्मे अपनी उंगलियों से दबाने लगा...वो सच ही कह रही थी, ऐसी छातियाँ तो उसने आज तक नही पकड़ी थी.
पर एक बात थी जो रश्मि को काव्या से अलग करती थी...वो थी काव्या की कुँवारी चूत ...
चूत एक ऐसी चीज़ होती है जो एक बार चुद जाए तो उसमे वो बात नही रहती जो कुँवारी मे होती है...दुनिया की कोई भी ताक़त उसको पहले जैसा नही कर सकती..
पर इस वक़्त तो रश्मि को अपना ही पलड़ा भारी लग रहा था...क्योंकि उसकी बात सुनकर विक्की का लंड बुरी तरह से फुफ्कार रहा था...कारण था उसका उफान मार रहा यौवन जो अब विक्की की भूखी नज़रों के सामने पूरा नंगा था.
पर फिर भी विक्की अपनी तरफ से कोई पहल नही कर रहा था, वरना ऐसी हालत मे देखकर कोई भी इंसान अपने आप पर सब्र नही रख सकता..वो समझ गयी की ये आजकल के जवान लड़के-लड़कियों पर जो सच्चे प्यार का भूत सवार होता है, वही इस वक़्त विक्की के सर पर भी सवार है...और शायद इसलिए वो अपनी प्रेमिका की माँ के साथ कुछ भी करने से कतरा रहा है..उसने ऐसी सीचुएशन को दूसरी तरह से निपटने की सोची..
रश्मि धीरे से आगे आई और विक्की के गले से लिपट गयी...और उसके हाथों को पकड़ कर उसने अपनी कमर पर रख दिया..
रश्मि : "मैं जानती हूँ की तुम मेरी बेटी से प्यार करते हो...और जो कुछ भी मैं कर रही हू वो सही नही है..पर मेरा यकीन मानो, ये जो कुछ भी हम कर रहे हैं, इसका काव्या या किसी और को कुछ भी पता नही चलेगा...''
विक्की भी उसकी चालाकी भरी बात सुनकर दंग रह गया, वो सोच भी नही सकता था की ऐसी मासूम सी दिखने वाली औरत अपनी चुदाई के लिए इतनी गिर सकती है की अपनी ही बेटी के प्रेमी से चुदने के लिए तैयार हो गयी और उपर से वो बात छुपाने के लिए भी कह रही है...भले ही वो उसकी बेटी का असली प्रेमी नही है, पर अगर होता भी तो ऐसे लुभावने ऑफर से कोई भी बच कर नही निकल सकता था..
पर विक्की का शातिर दिमाग़ भी अपनी चाल चल रहा था.
विक्की : "मैं समझता हू आंटी...पर आप भी समझने की कोशिश करिए...मैने काव्या को वचन दिया है...वही मेरी जिंदगी की पहली लड़की होगी , जिसके साथ मैं फकिंग करूँगा...आप फकिंग के अलावा मेरे साथ कुछ भी कर सकती है, मुझे कोई प्राब्लम नही है...पर इस काम के लिए आपको तब तक वेट करना होगा , जब तक मैं उसकी सील नही तोड़ देता..और अपनी वर्जीनीटी भी मैं उसके साथ नही गँवा देता...''
उसकी सपाट सी बात सुनकर रश्मि दंग रह गयी, वो कितनी आसानी से उसकी ही बेटी को चोदने की बात कर रहा था उसके सामने...और वो किसी भी तरह का गुस्सा भी नही कर सकती थी...अभी तक की बातों से वो इतना तो जान ही गयी थी की दोनो के बीच शारीरिक संबंध ज़रूर है, पर उन्होने चुदाई अभी तक नही की है...ये सोचकर ही रश्मि को काफ़ी सकून सा मिला..
पर उसी पल मे रश्मि अपनी बेटी के ना चुदने से मायूस भी हो गयी, काश वो अब तक चुद चुकी होती विक्की से, तो आज वो भी विक्की के लंड को अपनी चूत मे पिलवा रही होती..
एक ही पल मे उसके मन मे हज़ारों तरह के विचार आ रहे थे..जिन्हे पड़ने की कोशिश विक्की कर रहा था, पर उसकी समझ मे कुछ भी नही आ रहा था..
रश्मि तो अपना पूरा मूड बना चुकी थी विक्की के लंड को अंदर लेने का, वो बोली : "तो...तुम दोनो....कब ...वो सब करने वाले हो.....''
यानी वो विक्की से पूछना चाह रही थी की कब वो उसकी बेटी की चुदाई करेगा, ताकि बाद मे वो उसकी भी मार सके...
विक्की : "अभी तक तो मैने उसको सही से प्रोपोस भी नही किया....इसलिए तो उससे मिलने के लिए मैने उसको लवर पॉइंट पर बुलाया है संडे को...''
ये बात उसने उसी बात को सुनकर कही थी जो रश्मि ने आते ही उससे पूछी थी, वरना उसको क्या पता था की काव्या ने ऐसा झूठ क्यो बोला है, उससे मिलने का, लवर पॉइंट पर,संडे को..
रश्मि : "लेकिन वहाँ तो कुछ भी नही हो पाएगा तुम दोनो के बीच...''
फिर कुछ देर सोचने के बाद वो बोली : "तुम एक काम करो, सैटरडे को मेरे घर आ जाओ, मेरे पति तो ऑफीस जाते हैं, पर काव्या की छुट्टी होती है, तुम उससे वहीं मिल लेना...उसके बेडरूम मे...''
इतना कहकर वो नज़रें झुका कर बैठ गयी....शायद आगे की बात बोलने की हिम्मत नही थी उसमे...वो खुद अपनी बेटी की चुदाई का इंतज़ाम जो कर रही थी..
विक्की : "अरे वाव आंटी....ये तो बहुत बढ़िया तरीका है...ठीक है...मैं आ जाऊंगा ..''
पर अभी के लिए तो रश्मि कुछ ना कुछ करना ही चाहती थी...भागते भूत की लंगोटी ही सही...ये सोचकर वो फिर से विक्की से लिपट गयी और उसको ज़ोर-2 से चूमने लगी...जैसे उसकी ज़िदगी की सबसे बड़ी प्रॉब्लम दूर कर दी हो उसने.
विक्की ने बोलना चाहा : "पर आंटी...मैने बोला ना....ये सब...''
रश्मि ने बीच मे ही उसकी बात काट दी : "वो सब नही..पर कुछ और तो कर ही सकते है ना...''
रश्मि उसके सामने बैठ गयी और बोली : "प्लीज , मुझे ये सक करने दो ''
विक्की की समझ से परे थी ये औरत...वो अपनी चुदाई के लिए हर हद पार कर देना चाहती थी..
पर अभी के मज़े लेने मे उसको भी कोई प्राब्लम नही थी..वो अपने मोटे-2 मुम्मों को अपने ही हाथों से पिचकाती हुई उसके लंड को चूस रही थी...
अपनी थूक से उसने विक्की के लंड को पूरी तरह से नहला दिया..फिर उसे अपने मुम्मो के बीच लेकर उसको टिट मसाज देने लगी...विक्की ने उपर उठकर उसके होंठों को चूम लिया...और फिर उसके सेक्सी से चेहरे को देखते हुए उसने खुद ही अपने लंड को मसलना शुरू कर दिया...वो उसकी टाँगो के बीच बैठी थी...प्यासी सी...सेक्स मे नहाई हुई सी...
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सौतेला बाप--31
अब आगे
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दोनो एक दूसरे को ऐसे चूम चाट रहे थे जैसे आजकल के प्रेमी प्रेमिका हो..हालाँकि दोनो की उम्र मे काफ़ी अंतर था, पर विक्की को उसको चूमते हुए एक पल के लिए भी ऐसा नही लगा की वो किसी आंटी को चूम रहा है, इतना जोश और उत्तेजना तो आजकल की लड़कियों मे होती ही नही है...उसकी चुदाई करने मे सच मे उसको बहुत मज़ा आने वाला था.
रश्मि के हाथ सीधा उसके टावल पर जा पहुँचे और उसने एक ही झटके मे उसे उतार फेंका और अब विक्की उसकी नज़रों के सामने पूरा नंगा खड़ा था..अपने खड़े हुए लंड को लिए...जो उसकी उम्मीदों के अनुसार काफ़ी लंबा और मोटा था..
रश्मि एक दम से उसके सामने बैठ गयी और उसके भुट्टे जैसे लंड को पकड़ कर प्यासी नज़रों से देखने लगी...और जैसे ही वो अपना मुँह खोलकर उसको निगलने लगी, विक्की ने कुछ ऐसा बोल दिया की उसकी झाँटे सुलग उठी..
विक्की : "आंटी....काव्या कैसी है....मुझे याद करती है या नही..''
उसकी ये बात सुनकर रश्मि यथार्थ के धरातल पर आ गिरी...उसे तो याद भी नही रहा था की वो उसकी बेटी का बॉयफ्रेंड है...और उसको अपनी बेटी से दूर रहने की हिदायत देने के लिए ही वो उसके पास आई थी कल...पर कल और आज के बीच जो कुछ भी हुआ था, उसके बाद तो रश्मि के दिमाग़ से ये बात निकल ही चुकी थी की विक्की तो उसकी बेटी के पीछे पड़ा है....कब और कैसे वो खुद विक्की के जाल मे फँस कर उसके लंड की दीवानी हो गयी थी ये वो खुद भी नही जानती थी..
उसके हाथ मे विक्की का लंड था...पूरा खड़ा हुआ...और उसकी चूत बुरी तरह से गीली होकर बह रही थी...ऐसी हालत मे विक्की ने ये बात बोलकर उसको एहसास करवाया था की वो असल मे है कौन...और किसलिए वहाँ आई है...
पर अपनी चूत की हालत वो अच्छी तरह से जानती थी..उसके अंदर उठ रही खुजली के आगे उसको अपनी बेटी और उसका बॉयफ्रेंड नही बल्कि अपनी चूत की खुजली मिटाने वाला एक मोटा लंड ही दिखाई दे रहा था...उसने बिना कुछ कहे उसके लंड को एक ही झटके मे अपने मुँह के अंदर डाल लिया...और ज़ोर-2 से चूसने लगी..
विक्की को मज़ा तो बहुत आया, पर उससे भी ज़्यादा मज़ा वो रश्मि को लज्जित करके लेना चाहता था..वो फिर से बोला : "काव्या भी ऐसे ही चूसती है मेरा लंड .....''
उसकी ये बात तो रश्मि को दिल के अंदर तक चुभ गयी...
पर उसको ये बात एक माँ की तरह नही बल्कि एक प्रेमिका की तरह चुबी....एक ही दिन मे वो तो विक्की पर खुद का कब्जा समझ बैठी थी...पर ऐसी हालत मे आकर भी विक्की उसके सामने उसकी बेटी का नाम ले रहा है, उसकी तारीफ कर रहा है, ये उसको बिल्कुल भी पसंद नही आया..वो जलन के मारे गुस्से मे भर गयी और एकदम से उठकर उसने अपने शरीर पर पहने पेटीकोत को उतार फेंका और विक्की के सामने पूरी नंगी होकर खड़ी हो गयी..
और पूरे गुस्से मे भरकर वो विक्की से बोली : "तू अपने आप को ज़्यादा चालू समझ रहा है...मैं अपनी जवानी खुद तेरे सामने लेकर खड़ी हू और तू काव्या को बीच मे ला रहा है...वो तो बच्ची है अभी...देख, इसे कहते हैं असली जवानी...ये देख, मेरी ब्रेस्ट, कभी देखी है तूने इतनी बड़ी छातियाँ,कभी चूसा है तूने ऐसे बूब्स को...और ये देख..मेरी चूत ....अभी भी दो उंगलियाँ एक साथ अंदर जाने मे दर्द होता है...तेरा लंड जब इसमे जाएगा तो सोच कितना मज़ा मिलेगा तुझे, और तू है की काव्या की बातें कर रहा है अभी तक...''
रश्मि तो शराब और ईर्ष्या के नशे मे आकर अपने आप को पूरी तरह से खोलकर खड़ी हो गयी थी विक्की के सामने, और अपने शरीर के हर अंग की तारीफ खुद ही करके वो अपनी बेटी के मुक़ाबले ज़्यादा अंक लेने की कोशिश कर रही थी विक्की से..
और वो ठीक भी था, वो जो कुछ भी कह रही थी,विक्की उसकी बात से पूरी तरह से सहमत भी था..काव्या तो उसके भरे शरीर के सामने आधी भी नही थी...उसके छोटे-2 नींबू और रश्मि के मोटे-2 रसीले खरबूजे, काव्या का पतला सा पेट और रश्मि का गूदे से भरा हुआ , काव्या की पतली सी कमर, और रश्मि की कमर पर जो कटाव था उसका तो कोई मुकाबला ही नही था, और तो और काव्या की चौड़ी गांद भी उसकी माँ की गुदाज गांद के सामने कुछ भी नही थी...
विक्की से भी रहा नही गया, उसने अपने हाथ आगे किए और रश्मि के मोटे-2 मुम्मे अपनी उंगलियों से दबाने लगा...वो सच ही कह रही थी, ऐसी छातियाँ तो उसने आज तक नही पकड़ी थी.
पर एक बात थी जो रश्मि को काव्या से अलग करती थी...वो थी काव्या की कुँवारी चूत ...
चूत एक ऐसी चीज़ होती है जो एक बार चुद जाए तो उसमे वो बात नही रहती जो कुँवारी मे होती है...दुनिया की कोई भी ताक़त उसको पहले जैसा नही कर सकती..
पर इस वक़्त तो रश्मि को अपना ही पलड़ा भारी लग रहा था...क्योंकि उसकी बात सुनकर विक्की का लंड बुरी तरह से फुफ्कार रहा था...कारण था उसका उफान मार रहा यौवन जो अब विक्की की भूखी नज़रों के सामने पूरा नंगा था.
पर फिर भी विक्की अपनी तरफ से कोई पहल नही कर रहा था, वरना ऐसी हालत मे देखकर कोई भी इंसान अपने आप पर सब्र नही रख सकता..वो समझ गयी की ये आजकल के जवान लड़के-लड़कियों पर जो सच्चे प्यार का भूत सवार होता है, वही इस वक़्त विक्की के सर पर भी सवार है...और शायद इसलिए वो अपनी प्रेमिका की माँ के साथ कुछ भी करने से कतरा रहा है..उसने ऐसी सीचुएशन को दूसरी तरह से निपटने की सोची..
रश्मि धीरे से आगे आई और विक्की के गले से लिपट गयी...और उसके हाथों को पकड़ कर उसने अपनी कमर पर रख दिया..
रश्मि : "मैं जानती हूँ की तुम मेरी बेटी से प्यार करते हो...और जो कुछ भी मैं कर रही हू वो सही नही है..पर मेरा यकीन मानो, ये जो कुछ भी हम कर रहे हैं, इसका काव्या या किसी और को कुछ भी पता नही चलेगा...''
विक्की भी उसकी चालाकी भरी बात सुनकर दंग रह गया, वो सोच भी नही सकता था की ऐसी मासूम सी दिखने वाली औरत अपनी चुदाई के लिए इतनी गिर सकती है की अपनी ही बेटी के प्रेमी से चुदने के लिए तैयार हो गयी और उपर से वो बात छुपाने के लिए भी कह रही है...भले ही वो उसकी बेटी का असली प्रेमी नही है, पर अगर होता भी तो ऐसे लुभावने ऑफर से कोई भी बच कर नही निकल सकता था..
पर विक्की का शातिर दिमाग़ भी अपनी चाल चल रहा था.
विक्की : "मैं समझता हू आंटी...पर आप भी समझने की कोशिश करिए...मैने काव्या को वचन दिया है...वही मेरी जिंदगी की पहली लड़की होगी , जिसके साथ मैं फकिंग करूँगा...आप फकिंग के अलावा मेरे साथ कुछ भी कर सकती है, मुझे कोई प्राब्लम नही है...पर इस काम के लिए आपको तब तक वेट करना होगा , जब तक मैं उसकी सील नही तोड़ देता..और अपनी वर्जीनीटी भी मैं उसके साथ नही गँवा देता...''
उसकी सपाट सी बात सुनकर रश्मि दंग रह गयी, वो कितनी आसानी से उसकी ही बेटी को चोदने की बात कर रहा था उसके सामने...और वो किसी भी तरह का गुस्सा भी नही कर सकती थी...अभी तक की बातों से वो इतना तो जान ही गयी थी की दोनो के बीच शारीरिक संबंध ज़रूर है, पर उन्होने चुदाई अभी तक नही की है...ये सोचकर ही रश्मि को काफ़ी सकून सा मिला..
पर उसी पल मे रश्मि अपनी बेटी के ना चुदने से मायूस भी हो गयी, काश वो अब तक चुद चुकी होती विक्की से, तो आज वो भी विक्की के लंड को अपनी चूत मे पिलवा रही होती..
एक ही पल मे उसके मन मे हज़ारों तरह के विचार आ रहे थे..जिन्हे पड़ने की कोशिश विक्की कर रहा था, पर उसकी समझ मे कुछ भी नही आ रहा था..
रश्मि तो अपना पूरा मूड बना चुकी थी विक्की के लंड को अंदर लेने का, वो बोली : "तो...तुम दोनो....कब ...वो सब करने वाले हो.....''
यानी वो विक्की से पूछना चाह रही थी की कब वो उसकी बेटी की चुदाई करेगा, ताकि बाद मे वो उसकी भी मार सके...
विक्की : "अभी तक तो मैने उसको सही से प्रोपोस भी नही किया....इसलिए तो उससे मिलने के लिए मैने उसको लवर पॉइंट पर बुलाया है संडे को...''
ये बात उसने उसी बात को सुनकर कही थी जो रश्मि ने आते ही उससे पूछी थी, वरना उसको क्या पता था की काव्या ने ऐसा झूठ क्यो बोला है, उससे मिलने का, लवर पॉइंट पर,संडे को..
रश्मि : "लेकिन वहाँ तो कुछ भी नही हो पाएगा तुम दोनो के बीच...''
फिर कुछ देर सोचने के बाद वो बोली : "तुम एक काम करो, सैटरडे को मेरे घर आ जाओ, मेरे पति तो ऑफीस जाते हैं, पर काव्या की छुट्टी होती है, तुम उससे वहीं मिल लेना...उसके बेडरूम मे...''
इतना कहकर वो नज़रें झुका कर बैठ गयी....शायद आगे की बात बोलने की हिम्मत नही थी उसमे...वो खुद अपनी बेटी की चुदाई का इंतज़ाम जो कर रही थी..
विक्की : "अरे वाव आंटी....ये तो बहुत बढ़िया तरीका है...ठीक है...मैं आ जाऊंगा ..''
पर अभी के लिए तो रश्मि कुछ ना कुछ करना ही चाहती थी...भागते भूत की लंगोटी ही सही...ये सोचकर वो फिर से विक्की से लिपट गयी और उसको ज़ोर-2 से चूमने लगी...जैसे उसकी ज़िदगी की सबसे बड़ी प्रॉब्लम दूर कर दी हो उसने.
विक्की ने बोलना चाहा : "पर आंटी...मैने बोला ना....ये सब...''
रश्मि ने बीच मे ही उसकी बात काट दी : "वो सब नही..पर कुछ और तो कर ही सकते है ना...''
रश्मि उसके सामने बैठ गयी और बोली : "प्लीज , मुझे ये सक करने दो ''
विक्की की समझ से परे थी ये औरत...वो अपनी चुदाई के लिए हर हद पार कर देना चाहती थी..
पर अभी के मज़े लेने मे उसको भी कोई प्राब्लम नही थी..वो अपने मोटे-2 मुम्मों को अपने ही हाथों से पिचकाती हुई उसके लंड को चूस रही थी...
अपनी थूक से उसने विक्की के लंड को पूरी तरह से नहला दिया..फिर उसे अपने मुम्मो के बीच लेकर उसको टिट मसाज देने लगी...विक्की ने उपर उठकर उसके होंठों को चूम लिया...और फिर उसके सेक्सी से चेहरे को देखते हुए उसने खुद ही अपने लंड को मसलना शुरू कर दिया...वो उसकी टाँगो के बीच बैठी थी...प्यासी सी...सेक्स मे नहाई हुई सी...
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !