FUN-MAZA-MASTI
फागुन के दिन चार--133
रीत को एक्सप्लोसिव लगाते समय टिक टिक टिक टिक की आवाज सुनाई पड़ी।
किसी और के लिए ये आवाज सुनना असंभव नहीं , तो लगभग असंभव जरूर था। बनारस में योग और तंत्र की शिक्षा ने , उसकी सारी इन्द्रियों को अति संवेदित कर रखा था और विशेष रूप से किसी आपरेशन के पहले वह सबको आमंत्रित कर लेती थी। और फिर वह अकेली नहीं होती थी , उसके साथ सारे भैरव , योगिनिया और उसके पीछे , दसों महाविद्याएं रहतीं थीं , अपने आशीर्वादके साथ।
रीत ने फिर ध्यान केंद्रित किया और वह समझ गयी यह टाइम बॉम्ब की आवाज है। कंट्रोल रूम में ही वह कील के ठीक ऊपर वो एक्सप्लोसिव लगा रही थी।
रीत ने गहरी सांस ली , और एक बार फिर चारों और देखा ,और उसकी निगाह उस आदमी पर पड़ी जिसके गले में अभी अग्नि शामक यंत्र की पाइप मौत माला बन कर झूल रही थी।
लेकिन उसका हाथ टेबल के नीचे लगे एक लाल बटन पर था जिसका प्लंजर उसने दबा रखा था।
और उसी के साथ एक शिप का प्लान था , जहाँ पहले से लगे बॉम्ब की लोकेशन दिख रही थी। कुल १८ बॉम्ब थे।
और उन्हें १५ मिनट के अंदर डिटोनेट होना था , जब उसने प्लंजर दबाया था।
किसी भी हालत में उन्हें डिफ्यूज या डिस्कनेक्ट नहीं किया जा सकता था।
उसने एक बार फिर टाइम बॉम्ब के टाइमर को देखा , अभी बारह मिनट बचे थे।
खतरा मार्कोस टीम को नहीं था , अगले ७ मिनट में उन्हें बॉम्ब लगाना था और दस मिनट में वो निकल जाते।
खतरा और बड़ा था।
शिप को अब सिंक १२ मिनट के पहले होजाना था या कम से कम आधा सिंक हो जाना था।
आधे टाइम बॉम्ब , गैस होल्ड के ठीक नीचे लगे थे।
और शिप में आग लगने से एल पी जी एक्सप्लोड होते।
आयल प्लेटफार्म अभी भी ३० मिनट की दूरी पर था , लेकिन १५ मिनट में ये शिप , आयल वेल के ऊपर होगा।
प्रत्युपनमति में रीत का जवाब नहीं था।
उसने टीम के बाकी मेम्बर्स को मेसेज दिया , बाम्ब्स अब ७ मिनट के बजाय ४ मिनट में लग जाने चाहिए।
अगले चार मिनट में सारे बॉम्ब लग गए।
लेकिन दूसरी परेशानी हो गयी , मार्कोस के टीम के कमांडर को पकड़ लिया गया।
उसके मेसेंजर पर मेसेज आया।
कमांडर , स्टर्न साइड से एंट्री सिक्योर किये हुए था , और साथ ही उसे उस लोकेशन की कील और हल में बॉम्ब भी लगाने थे. जब वह झुक कर दूसरा बॉम्ब लगा रहा था , उसी समय पीछे से हमला हुआ।
उस ने बिना उठे अपनी कुहनी और एक पैर से हमला कर के उस अटैंकर को न्यूट्रलाइज कर दिया। लेकिन हमला करने वाले तीन थे।
दोनों ने एक साथ अपना पूरा बाड़ी वेट उसपर डाल दिया। और एक तेज धार दार चाक़ू की नोक उसके गर्दन पर रख दी। वो पूछ रहते थे उसके साथ कौन है।
उन्हें क्या मालूम , उसके साथ पूरा देश था , वो हर इंसान था जो आतंक के खिलाफ है।
रीत भी तेजी से उस जगह की ओर बढ़ी , लेकिन वो हुआ , वो देख कर वह सन्न रह गयी।
उसके आगे के कमांडो के हाथ से बिजली की तेजी से खुखरी निकली , और उसने जिस तेजी से वो फेंकी ,
अगले पल जिस दुष्टात्मा ने , कमांडो कमांडर के गले पे चाक़ू लगा रखा था , उसका हाथ फर्श पर छटपटा रहा था , चाकू समेत। कटा हुआ अलग।
और जब तक उसकी चीख निकलती , कमांडो उस के ऊपर सवार था , और उसकी गरदन उस ने मरोड़ दी थी।
बाकी दोनों से निपटना रीत और कमांडो कमांडर के लिए बाएं हाथ का खेल था।
एक ने जान खुखरी से गंवाई और दूसरे ने रीत की उँगलियों से।
लेकिन मौत तुरंत आई , बिना आवाज , चीख पुकार के।
रीत ने कमांडो कमांडर से कुछ खुसुर पुसुर की।
और ये तय हुआ की बाम्ब्स लग गए हैं इसलिए दोनों मार्कोस के कमांडो तुरंत शिप से निकल के , बाहर पहॅुंच के एक्जिट प्वाइंट सिक्योर करेंगे , और इन्फ्लेटेबल बोट को रेड़ी रखंगे।
उनके सपोर्ट के लिए आये हेलीकाप्टर को और कोस्ट गार्ड शिप को रेड़ी होने का अलर्ट देंगे।
चार मिनट के अंदर , रीत और कमांडर वापस आएंगे , झाडू लगा कर।
कुछ ही पलों में दोनों मार्कोस के कमांडो शिप के बाहर थे।
कमांडर ने बताया था की डमी पैराट्रूपर्स ने जो बातें रिकार्ड की हैं उनसे ये पता चला है की , शिप के कैप्टेन (असली ) और कुछ सेलर्स को कहीं बंद कर के रखा है। उस का प्लान ये था की बचे हुए समय में अगर वो मिल जाते हैं तो उन्हें रिजक्यू करा सकते हैं और साथ में शिप के लाइफ बोट्स को अलग कर देंगे , जिससे जब शिप सिंक हो तो टेरर वाले लोग निकल न भागे।
बस एक बात का ध्यान रखना था की उनके शिप से निकलने के टाइम में कोई फेर बदल नहीं होगा।
कमांडर के मेसेज देने के तुरंत बाद , रीत को एस्केप प्लेस पर पहुँच जाना होगा।
कुल चार मिनट थे उनके पास।
एक ओर से रीत ने काम्बिंग शुरू की और दूसरी ओर से कमांडो कमांडर ने।
लेकिन रीत के मन में कुछ और था , वो चाहती थी कुछ सबूत इकठ्ठा करना।
रीत , दुश्मन की मांद में
एक ओर से रीत ने काम्बिंग शुरू की और दूसरी ओर से कमांडो कमांडर ने।
लेकिन रीत के मन में कुछ और था , वो चाहती थी कुछ सबूत इकठ्ठा करना।
और एक बार जब शिप सिंक हो जाएगा , तो ये लोग लाख कहें इंटरनेशनल फोरम में , बिना किसी सबूत के कोई मानने वाला नहीं है।
और दूसरी बात , इससे वो लिंक जोड़ के , जिसने ये आपरेशन आर्डर किया , जो इसको कंट्रोल और फाइनान्स कर रहे हैं , उन तक पहुँच सकते हैं , जब तक दुशमन की मांद में घुस के न मारा तो क्या मजा।
और इस काम में करन एक्सपर्ट था।
रीत और करन की जोड़ी के आगे दुश्मन नतमस्तक हो जाएँ तो बात है।
पहला हमला उसने कम्युनिकेशन रूम पर किया , वहां सिर्फ एक आदमी था।
न उसे ज्यादा तकलीफ हुयी न रीत को।
रीत ने उसे बेहोश कर के छोड़ दिया।
और वहां पर तो शुद्ध सोना मिला उसे , कम्युनिकेशन लॉग , किससे बात हुयी और सबसे बढ़कर , पिछले १२ घंटों की पूरी बातचीत वायस रिकार्डर डाटा कार्ड में थी।
रीत ने उसे निकाल लिया और कैप्टेन केबिन की ओर रुख किया।
पहले तो रीत को कुछ नहींमिला। फिर कबर्ड में हाथ से फील करने पर उसे एक दीवार खोखली लगी। और फिर नाख़ून के सहारे उसने एक उभरी हुयी जगह को उठाया तो वहां एक डायरी , लॉग , चार्ट मिले। डायरी शिप के असली कैप्टेन की थी।
और तभी उसे हलकी सी हेल्प हेल्प की आवाज सुनाई पड़ी। ध्यान देने पर पता चला लॉफ्ट से , ऊपर से , आवाज आ रही थी।
और जैसे ही उसने खोला , बण्डल नीचे गिरा।
वो शिप का असली कैप्टेन था। हाथ , पैर आपस में बांध कर बंडल बना दिया था। मुंह पर पट्टी , लेकिन वो उसने रगड़ रगड़ कर थोड़ी खोल ली थी।
पल भर में रीत ने उसे आजाद कर दिया।
उसने कुछ बोलने की कोशिश की तो रीत ने उसे इशारे से चुप करा दिया।
उनकी आवाज सुन कर कोई भी आ सकता था।
दूसरे स्मोक बम्ब का असर कम हो रहा था। और अब हल्का हलका दिखाई पड़ रहा था। उन्होंने कुछ पावर केबल काटे थे पर इमरजेंसी लाइट्स अभी भी जल रही थीं।
रीत ने कैप्टेन से लाइट्स का स्विच बोर्ड पता किया और फिर दो तारों को जोड़ कर उसे शार्ट कर दिया।
शिप का अंदरुनी हिस्सा एक बार फिर घुप अँधेरे में डूब गया। यही से पावर इंजिन रूम को भी जाता था ,वहां भी पावर सप्लाई बंद हो गयी।
रीत ने नाइट विजन ग्लासेस लगा रखे थे , उसने शिप कैप्टेन का हाथ पकड़ा और दोनों बाहर गलियारे में निकल पड़े।
एस्केप प्वाइंट पर मिलने में सिर्फ डेढ़ मिनट का समय बचा था।
थोड़ी देर में उसने मार्कोस के लीडर को देखा , उसके साथ भी तीन लोग थे।
और वो आलरेडी एस्केप प्वाइंट पर लगी रोप लैडर से उतर रहे थे।
दो आदमियों को मार्कोस लीडर ने नीचे उतार दिया और इशारा किया।
वो इन्फलेटबल बोट अब शिप से दूर चल दी।
वो इन्फलेटबल बोट अब शिप से दूर चल दी।
शिप और बाहर समुद्र घुप अँधेरे में डूबे थे।
रीत और मार्कोस कमांडर ने अब दूसरी बोट पे लैंडिंग शुरू की।
सबसे पहले लीडर ने जिसे रिजक्यू कराया था वो आदमी , और फिर रीत बोट में उतरे।
उतरने के बाद वो रस्सी हिला के इशारा करते और अगला आदमी उतरना शुरू करता।
अब शिप के कैप्टेन और फिर मार्कोस टीम के लीडर का नंबर था।
पहली बोट अब पूरी तेजी से जा रही थी और शिप से करीब आधे किलोमीटर दूर पहुँच गयी थी
उन्होंने दोनों हेलीकाप्टर को मेसेज दे दिया था की अब बजाय चार के आठ लोग हेलीकाप्टर से जाएंगे।
एक हेलीकाप्टर अब पहली बोट के ऊपर मंडरा रहा था।
कोस्ट गार्ड का शिप भी किसी परिस्थिति के लिए पास आ गया था।
शिप से होने वाले किसी भी फायर के रेंज से वो बाहर थे।
पहले हेलीकाप्टर ने विन्च नीची की और रोप लटका दी।
मार्कोस का एक आदमी सबसे पहले चढ़ा , फिर रिजक्यू किये गए दोनों और अंत में मार्कोस का एक आदमी।
अब रीत के बोट का नंबर था।
पहले हेलीकाप्टर के दूर जाने के बाद इस हेलीकाप्टर की विन्च खुली और रोप नीचे आई।
सबसे पहले एल पी जी शिप के कैप्टेन , फिर एक और रिजक्यू किया हुआ आदमी , रीत और सबसे अंत में मार्कोस के लीडर को चढ़ना था।
कैप्टेन के चढने के बाद दूसरा आदमी चढ़ा।
रीत ने घडी देखी।
एक्सप्लोजन में अभी ६ मिनट बचे थे और शिप की सिंकिंग शुरू होने में आठ मिनट।
और ये एक्स्प्लोसिव बहुत ही लो पावर थे ,शिप के बाहर से पता ही नहीं चलता।
जब शिप सिंक करना शुरू करता तो पता चलेगा।
रीत ने चैन की साँस ली, आपरेशन सक्सेसफुल रहा।
रीत रस्सी पर चढ़ गयी थी और उस के ठीक पीछे , मार्कोस का लीडर।
उन्हें जल्दी से यह जगह खाली करनी थी।
तभी नीचे से मार्कोस के लीडर की चीख और चेतावनी सुनाई पड़ी।
कैप्टेन के बाद रिजक्यू किया हुआ आदमी रोप से चढ़ा था वो हेलीकाप्टर की विन्च पर से झुक कर रोप चाक़ू से काट रहा था।
चीख सुन कर , हेलीकाप्टर के कमांडो ने, पिस्टल के शॉट से उस आदमी को खत्म कर दिया।
रस्सी अभी भी झूल रही थी , लेकिन रीत मार्कोस लीडर के वजन से वह टूट गयी।
मार्कोस लीडर तो इन्फलेटबल बोट के जस्ट बाहर गिरा , और वापस बोट में चढ़ गया।
लेकिन रोप के झटके से रीत बोट से दो सौ मीटर दूर सीधे समुद्र में जा गिरी।
मार्कोस के कमांडर ने बोट में से रैफ्ट का एक टुकड़ा फेंका और वो रीत की ओर तैर रहा था।
गहरा काला अरब सागर , अँधेरे में डूबा।
होली के अगले दिन का चाँद , बादलों से लुकाछिपी करते पास कुछ चांदनी कभी कभी बरसा देता।
दुर्दांत भयावह काल की तरह पास में वो विशाल काय टेरर शिप ,
और समुद्र की लहरों से लड़ती , थपेड़ों से जूझती , बिंदास बनारसी बाला ,
सिर्फ एक लकड़ी के टुकड़े के सहारे।
तैरती ,समुद्र की ताकत अपनी बाहों से नापती , जूझती , रीत।
उसे अहसास हो गया था , कि सबसे पहले , उसे उस टेरर शिप से दूर जाना था। जितना दूर हो सके।
एक इन्फ्लेटेबल बोट उस शिप के पास भी थी , लेकिन रीत उधर नहीं जा सकती थी।
पांच मिनट में शिप सिंक होना था , और जैसे ही वो सिंक होना शुरू होता , आसपास की छोटी मोटी चीजें , सब उसके साथ ,समुद्र के गर्त में।
गनीमत हो डी आर डी ओ , वालों का।
जो ड्रेस इस आपरेशन के लिए रीत ने पहनी थी , वो लाइफ बेल्ट की तरह थी। एक बटन दबाकर उसमें हवा भरी जा सकती थी।
और इन्फ्लेट करने के बाद , रीत अब कम से कम समुद्र में डूब नहीं सकती थी।
उसने अपनी हेड लाईट भी आन कर दी थी।
और थोड़ी देर में वो शिप से दूसरी दिशा में जा रही थी।
वह बार बार पीछे मुड़ कर उस शिप की छाया को देखती और उसकी बाँहों में दुबारा ताकत भर उठती।
और तभी उसको एक इन्फेलटेबल बोट दिखी , वही जिससे पहले चार लोग हेलीकाप्टर में चढ़े थे।
किसी तरह वह उसमें चढ़ी ,
और एक पल केलिए उसने गहरी सांस ली।
और जब उसने शिप की और देखा तो उसे लगा वो शिप स्टार बोर्ड साइड में , टिल्ट हो रहा है।
पहले तो उसे विशवास नहीं ,हुआ फिर दुबारा देखा। अबकी टिल्ट और प्रोनाउंस्ड था।
लेकिन फिर उसे याद आया की कही शिप के साथ ,
और तुरंत उसने अपने ड्रेस में रखे दो फ्लेयर्स एक साथ जलाये और दोनों हाथों से हवा में लहराने लगी।
आसमान अभी भी काला था और सूना , सिर्फ सन्नाटा।
उसके दिल की धड़कन और तेज होने लगी ,कही आज की रात,… काल रात्रि , लेकिन उसे अपने ऊपर भरोसा था और उससे भी ज्यादा काशी के कोतवाल पर ,
और तभी हलकी हलकी आसमान में हेलीकाप्टर के रोटर की आवाज सुनायी देने लगी।
शिप और टिल्ट हो रहा था , और लहरे भी अब शिप की ओर ,
अपने रेडियो से रीत बार मेडे में डे का मेसेज दे रही थी।
वो जान रही थी की बस कुछ मिनटों में उसने अगर ये बोट नहीं छोडी तो ,
और हेलीकाप्टर उसके बोट के ठीक ऊपर आकर रुका , विन्च नीचे आगयी थी और रोप लहरा रही थी।
उम्मीद की आखिरी किरण की तरह ,
उछल कर उसने रोप पकड़ ली।
रोप मार्कोस के लीडर कंट्रोल कर रहे थे।
बिना नीचे देखे वो दोनों हाथों थे रस्सी पकड़ , हेलीकाप्टर में पहुँच गयी।
और जैसे ही वो अंदर घुस रही थी , उसने नीचे देखा।
सी बहुत चापी हो गया था।
वह जिस बोट पर थी , समुद्र की लहरों पर गेंद कीतरह उछल रही थी।
शिप उसी तरह था।
मार्कोस कमांडर ने बताया की उन्हें नेवल कंटोल ने बोला है की वो यहीं आधे घंटे तक और रहेंगे , और जब तक शिप पूरी तरह सिंक नहीं कर जाता उसे ऑब्जर्व करेंगे। कम्प्लीट सिंक होने के पन्दरह मिनट बाद ही वह वहां से निकलेंगे।
और तब तक वो शिप के ओरिजिनल कैप्टेन को डी ब्रीफ करेंगे।
रीत उनकी बात सुन रही थी लेकिन उसकी निगाह नीचे शिप से चिपकी थी।
अब वह काफी तिरछा हो गया था.
पहला आयल वेल अभी भी , शिप से ५०० मीटर दूर था।
उन्हें उसकी चिंता नहीं थी।
चारो ओर नेवल शिप्स , कोस्ट गार्ड के शिप्स इसलिए थे , कोई भी बचने वाला नहीं था। नेवी के स्क्यूबा डाइवर भी तैनात थे।
रीत चिल्लाई कुछ और देख और देख के।
एक लम्बा अादमी , एक इन्फेलटेबल बोट पर खड़ा होकर कंधे पर कुछ रखे उनकी ओर टारगेट कर रहा था।
कैप्टेन की निगाह भी उसी ओर थी और वो भी भी बोले ,
" अरे ये तो वही है उन लोगों का ग्रूप लीडर , "
फिर उसे कुछ याद आया और वो जोर से मार्कोस लीडर की और चिल्लाया ," उनके पास चार पांच आर पी जी लांचर भी थे '
हेलीकॉपटर नेविगेटर ने बाकी सारे हेलीकाप्टर को अर्जेंट मेसेज दिया ,
" आर पी जी लांचर साइटेड , इंक्रीज हाइट , गो अप , डेंजर डेंजर "
रीत उसी लीडर को बाइनक्युलर से देख रही थी।
उन का हेलीकाप्टर भी ऊपर उठना शुरू कर रहा था।
लेकिन तभी ग्रेनेड लांच हो गया।
तेजी से आग के गोले की तरह ,
सीधे हेलीकाप्टर की ओर
और रीत के बगल की विंडो से टकराया।
१२. ३५ ,… आधी रात
बनारस से करीब १०० किलोमीटर दूर एक शहर ,
कुछ पता नहीं चल रहा था , रीत का।
कुछ समझ में नहीं आ रहा था।
दूबे भाभी का फोन दो बार आ चूका था।
फेलू दा और कार्लोस भी शतरंज खेल रहे थे , जगे हुए थे।
लग रहा था आधा बनारस जगा हुआ हो , बनारस की बिंदास बाला , आज देश के लिए लड़ रही थी।
जो दुःख उसे देखना पड़ा और किसी को न देखना पड़े।
मैंने हार कर करन को फोन किया।
उसकी हालत भी मेरे जैसी थी।
जितना मुझे मालूम था , उतना ही उसे मालुम था।
रीत ने जाने के पहले , मुझे एक ऑपरेशन हेड का नंबर दिया था।
दो बार उन का नंबर इंगेज आया और एक बार किसी ने उठाया नहीं .
१२. ०५ पर जब उनसे बात हुयी तो आपरेशन जारी है , कह के उन्होंने फोन रख दिया।
ये आपरेशन कोड तो मुझे भी मालुम था और करन को भी।
शायद उस समय में मैं कंट्रोल रूम में रहता तो किसी से बात नहीं करता।
ऐसे आपरेशन में १००% कंसंट्रेशन होने के साथ , सारी कम्युनिकेशन लाइन खुली रखनी पड़ती हैं।
कोई और बातचीत , जो आपरेशन से न जुडी हो , वो कम्युनिकेशन चैनेल क्लाग करती है।
ये सब बातें ककहरे की तरह याद रहती हैं।
लेकिन अगर रीत आपरेशन में इन्वाल्व हो ,
आप वहां से १५०० किलोमीटर दूर बैठे हों ,
आप कुछ कर नही सकते हो ,
तो कुछ भी रुल हों मन तो करेगा न की कोई बस इतना कह दे हाँ सब ठीक है।
और मैंने दो बार उस नंबर पे भी फोन लगाया , लेकिन फिर नो रिप्लाई आया।
करन का फोन आया। उसे भी और कुछ पता नहीं चला था। उसने दिल्ली में अपने रा के कांटैक्ट का इस्तेमाल किया था। वो होम मिनिस्ट्री से लियाजन करता था।
उसे बस इतना पता चला की होम मिनिस्ट्री को भी कुछ और पता नहीं है।
स्पेशल सेक्रेटरी ( इंटरनल सिक्योरिटी ) होम अपने आफिस में है। उनके साथ आई बी और रा के सीनियर आफिसर हैं। नेवल हेडक्वारटर ने बोला है की डेढ़ बजे रात के आसपास वो बताएँगे। रियर एडमिरल आपरेशन नेवल हेडक्वारटर में है और होम मिनिस्ट्री के टच में है।
एन एस जी की दो यूनिट मानसर से चलदी है और आधे घंटे में पालम पहुँच जाएगा। एयर इण्डिया ने एक प्लेन रेडिनेस में रखा है। एयर कंट्रोल को बोला गया है पांच मिनट की नोटिस पर इसे प्रायर्टी पर क्लियरेंस दिया जाय।
लेकिन आपरेशन की करेंट स्टेटस के बारे में उन्हें कुछ पता नहीं है।
करन ने आई बी के जो लोग नेवल कमांड में हैं उनसे बात करने की कोशिस की तो नहीं पायी। मेसेज कंट्रोल रूम बस रिसीव करता है।
जब हम किसी के बारे में चिंता करते हैं और कुछ नहीं कर पाते हैं , तो बस आपस में बात कर लेते हैं।
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फागुन के दिन चार--133
रीत को एक्सप्लोसिव लगाते समय टिक टिक टिक टिक की आवाज सुनाई पड़ी।
किसी और के लिए ये आवाज सुनना असंभव नहीं , तो लगभग असंभव जरूर था। बनारस में योग और तंत्र की शिक्षा ने , उसकी सारी इन्द्रियों को अति संवेदित कर रखा था और विशेष रूप से किसी आपरेशन के पहले वह सबको आमंत्रित कर लेती थी। और फिर वह अकेली नहीं होती थी , उसके साथ सारे भैरव , योगिनिया और उसके पीछे , दसों महाविद्याएं रहतीं थीं , अपने आशीर्वादके साथ।
रीत ने फिर ध्यान केंद्रित किया और वह समझ गयी यह टाइम बॉम्ब की आवाज है। कंट्रोल रूम में ही वह कील के ठीक ऊपर वो एक्सप्लोसिव लगा रही थी।
रीत ने गहरी सांस ली , और एक बार फिर चारों और देखा ,और उसकी निगाह उस आदमी पर पड़ी जिसके गले में अभी अग्नि शामक यंत्र की पाइप मौत माला बन कर झूल रही थी।
लेकिन उसका हाथ टेबल के नीचे लगे एक लाल बटन पर था जिसका प्लंजर उसने दबा रखा था।
और उसी के साथ एक शिप का प्लान था , जहाँ पहले से लगे बॉम्ब की लोकेशन दिख रही थी। कुल १८ बॉम्ब थे।
और उन्हें १५ मिनट के अंदर डिटोनेट होना था , जब उसने प्लंजर दबाया था।
किसी भी हालत में उन्हें डिफ्यूज या डिस्कनेक्ट नहीं किया जा सकता था।
उसने एक बार फिर टाइम बॉम्ब के टाइमर को देखा , अभी बारह मिनट बचे थे।
खतरा मार्कोस टीम को नहीं था , अगले ७ मिनट में उन्हें बॉम्ब लगाना था और दस मिनट में वो निकल जाते।
खतरा और बड़ा था।
शिप को अब सिंक १२ मिनट के पहले होजाना था या कम से कम आधा सिंक हो जाना था।
आधे टाइम बॉम्ब , गैस होल्ड के ठीक नीचे लगे थे।
और शिप में आग लगने से एल पी जी एक्सप्लोड होते।
आयल प्लेटफार्म अभी भी ३० मिनट की दूरी पर था , लेकिन १५ मिनट में ये शिप , आयल वेल के ऊपर होगा।
प्रत्युपनमति में रीत का जवाब नहीं था।
उसने टीम के बाकी मेम्बर्स को मेसेज दिया , बाम्ब्स अब ७ मिनट के बजाय ४ मिनट में लग जाने चाहिए।
अगले चार मिनट में सारे बॉम्ब लग गए।
लेकिन दूसरी परेशानी हो गयी , मार्कोस के टीम के कमांडर को पकड़ लिया गया।
उसके मेसेंजर पर मेसेज आया।
कमांडर , स्टर्न साइड से एंट्री सिक्योर किये हुए था , और साथ ही उसे उस लोकेशन की कील और हल में बॉम्ब भी लगाने थे. जब वह झुक कर दूसरा बॉम्ब लगा रहा था , उसी समय पीछे से हमला हुआ।
उस ने बिना उठे अपनी कुहनी और एक पैर से हमला कर के उस अटैंकर को न्यूट्रलाइज कर दिया। लेकिन हमला करने वाले तीन थे।
दोनों ने एक साथ अपना पूरा बाड़ी वेट उसपर डाल दिया। और एक तेज धार दार चाक़ू की नोक उसके गर्दन पर रख दी। वो पूछ रहते थे उसके साथ कौन है।
उन्हें क्या मालूम , उसके साथ पूरा देश था , वो हर इंसान था जो आतंक के खिलाफ है।
रीत भी तेजी से उस जगह की ओर बढ़ी , लेकिन वो हुआ , वो देख कर वह सन्न रह गयी।
उसके आगे के कमांडो के हाथ से बिजली की तेजी से खुखरी निकली , और उसने जिस तेजी से वो फेंकी ,
अगले पल जिस दुष्टात्मा ने , कमांडो कमांडर के गले पे चाक़ू लगा रखा था , उसका हाथ फर्श पर छटपटा रहा था , चाकू समेत। कटा हुआ अलग।
और जब तक उसकी चीख निकलती , कमांडो उस के ऊपर सवार था , और उसकी गरदन उस ने मरोड़ दी थी।
बाकी दोनों से निपटना रीत और कमांडो कमांडर के लिए बाएं हाथ का खेल था।
एक ने जान खुखरी से गंवाई और दूसरे ने रीत की उँगलियों से।
लेकिन मौत तुरंत आई , बिना आवाज , चीख पुकार के।
रीत ने कमांडो कमांडर से कुछ खुसुर पुसुर की।
और ये तय हुआ की बाम्ब्स लग गए हैं इसलिए दोनों मार्कोस के कमांडो तुरंत शिप से निकल के , बाहर पहॅुंच के एक्जिट प्वाइंट सिक्योर करेंगे , और इन्फ्लेटेबल बोट को रेड़ी रखंगे।
उनके सपोर्ट के लिए आये हेलीकाप्टर को और कोस्ट गार्ड शिप को रेड़ी होने का अलर्ट देंगे।
चार मिनट के अंदर , रीत और कमांडर वापस आएंगे , झाडू लगा कर।
कुछ ही पलों में दोनों मार्कोस के कमांडो शिप के बाहर थे।
कमांडर ने बताया था की डमी पैराट्रूपर्स ने जो बातें रिकार्ड की हैं उनसे ये पता चला है की , शिप के कैप्टेन (असली ) और कुछ सेलर्स को कहीं बंद कर के रखा है। उस का प्लान ये था की बचे हुए समय में अगर वो मिल जाते हैं तो उन्हें रिजक्यू करा सकते हैं और साथ में शिप के लाइफ बोट्स को अलग कर देंगे , जिससे जब शिप सिंक हो तो टेरर वाले लोग निकल न भागे।
बस एक बात का ध्यान रखना था की उनके शिप से निकलने के टाइम में कोई फेर बदल नहीं होगा।
कमांडर के मेसेज देने के तुरंत बाद , रीत को एस्केप प्लेस पर पहुँच जाना होगा।
कुल चार मिनट थे उनके पास।
एक ओर से रीत ने काम्बिंग शुरू की और दूसरी ओर से कमांडो कमांडर ने।
लेकिन रीत के मन में कुछ और था , वो चाहती थी कुछ सबूत इकठ्ठा करना।
रीत , दुश्मन की मांद में
एक ओर से रीत ने काम्बिंग शुरू की और दूसरी ओर से कमांडो कमांडर ने।
लेकिन रीत के मन में कुछ और था , वो चाहती थी कुछ सबूत इकठ्ठा करना।
और एक बार जब शिप सिंक हो जाएगा , तो ये लोग लाख कहें इंटरनेशनल फोरम में , बिना किसी सबूत के कोई मानने वाला नहीं है।
और दूसरी बात , इससे वो लिंक जोड़ के , जिसने ये आपरेशन आर्डर किया , जो इसको कंट्रोल और फाइनान्स कर रहे हैं , उन तक पहुँच सकते हैं , जब तक दुशमन की मांद में घुस के न मारा तो क्या मजा।
और इस काम में करन एक्सपर्ट था।
रीत और करन की जोड़ी के आगे दुश्मन नतमस्तक हो जाएँ तो बात है।
पहला हमला उसने कम्युनिकेशन रूम पर किया , वहां सिर्फ एक आदमी था।
न उसे ज्यादा तकलीफ हुयी न रीत को।
रीत ने उसे बेहोश कर के छोड़ दिया।
और वहां पर तो शुद्ध सोना मिला उसे , कम्युनिकेशन लॉग , किससे बात हुयी और सबसे बढ़कर , पिछले १२ घंटों की पूरी बातचीत वायस रिकार्डर डाटा कार्ड में थी।
रीत ने उसे निकाल लिया और कैप्टेन केबिन की ओर रुख किया।
पहले तो रीत को कुछ नहींमिला। फिर कबर्ड में हाथ से फील करने पर उसे एक दीवार खोखली लगी। और फिर नाख़ून के सहारे उसने एक उभरी हुयी जगह को उठाया तो वहां एक डायरी , लॉग , चार्ट मिले। डायरी शिप के असली कैप्टेन की थी।
और तभी उसे हलकी सी हेल्प हेल्प की आवाज सुनाई पड़ी। ध्यान देने पर पता चला लॉफ्ट से , ऊपर से , आवाज आ रही थी।
और जैसे ही उसने खोला , बण्डल नीचे गिरा।
वो शिप का असली कैप्टेन था। हाथ , पैर आपस में बांध कर बंडल बना दिया था। मुंह पर पट्टी , लेकिन वो उसने रगड़ रगड़ कर थोड़ी खोल ली थी।
पल भर में रीत ने उसे आजाद कर दिया।
उसने कुछ बोलने की कोशिश की तो रीत ने उसे इशारे से चुप करा दिया।
उनकी आवाज सुन कर कोई भी आ सकता था।
दूसरे स्मोक बम्ब का असर कम हो रहा था। और अब हल्का हलका दिखाई पड़ रहा था। उन्होंने कुछ पावर केबल काटे थे पर इमरजेंसी लाइट्स अभी भी जल रही थीं।
रीत ने कैप्टेन से लाइट्स का स्विच बोर्ड पता किया और फिर दो तारों को जोड़ कर उसे शार्ट कर दिया।
शिप का अंदरुनी हिस्सा एक बार फिर घुप अँधेरे में डूब गया। यही से पावर इंजिन रूम को भी जाता था ,वहां भी पावर सप्लाई बंद हो गयी।
रीत ने नाइट विजन ग्लासेस लगा रखे थे , उसने शिप कैप्टेन का हाथ पकड़ा और दोनों बाहर गलियारे में निकल पड़े।
एस्केप प्वाइंट पर मिलने में सिर्फ डेढ़ मिनट का समय बचा था।
थोड़ी देर में उसने मार्कोस के लीडर को देखा , उसके साथ भी तीन लोग थे।
और वो आलरेडी एस्केप प्वाइंट पर लगी रोप लैडर से उतर रहे थे।
दो आदमियों को मार्कोस लीडर ने नीचे उतार दिया और इशारा किया।
वो इन्फलेटबल बोट अब शिप से दूर चल दी।
वो इन्फलेटबल बोट अब शिप से दूर चल दी।
शिप और बाहर समुद्र घुप अँधेरे में डूबे थे।
रीत और मार्कोस कमांडर ने अब दूसरी बोट पे लैंडिंग शुरू की।
सबसे पहले लीडर ने जिसे रिजक्यू कराया था वो आदमी , और फिर रीत बोट में उतरे।
उतरने के बाद वो रस्सी हिला के इशारा करते और अगला आदमी उतरना शुरू करता।
अब शिप के कैप्टेन और फिर मार्कोस टीम के लीडर का नंबर था।
पहली बोट अब पूरी तेजी से जा रही थी और शिप से करीब आधे किलोमीटर दूर पहुँच गयी थी
उन्होंने दोनों हेलीकाप्टर को मेसेज दे दिया था की अब बजाय चार के आठ लोग हेलीकाप्टर से जाएंगे।
एक हेलीकाप्टर अब पहली बोट के ऊपर मंडरा रहा था।
कोस्ट गार्ड का शिप भी किसी परिस्थिति के लिए पास आ गया था।
शिप से होने वाले किसी भी फायर के रेंज से वो बाहर थे।
पहले हेलीकाप्टर ने विन्च नीची की और रोप लटका दी।
मार्कोस का एक आदमी सबसे पहले चढ़ा , फिर रिजक्यू किये गए दोनों और अंत में मार्कोस का एक आदमी।
अब रीत के बोट का नंबर था।
पहले हेलीकाप्टर के दूर जाने के बाद इस हेलीकाप्टर की विन्च खुली और रोप नीचे आई।
सबसे पहले एल पी जी शिप के कैप्टेन , फिर एक और रिजक्यू किया हुआ आदमी , रीत और सबसे अंत में मार्कोस के लीडर को चढ़ना था।
कैप्टेन के चढने के बाद दूसरा आदमी चढ़ा।
रीत ने घडी देखी।
एक्सप्लोजन में अभी ६ मिनट बचे थे और शिप की सिंकिंग शुरू होने में आठ मिनट।
और ये एक्स्प्लोसिव बहुत ही लो पावर थे ,शिप के बाहर से पता ही नहीं चलता।
जब शिप सिंक करना शुरू करता तो पता चलेगा।
रीत ने चैन की साँस ली, आपरेशन सक्सेसफुल रहा।
रीत रस्सी पर चढ़ गयी थी और उस के ठीक पीछे , मार्कोस का लीडर।
उन्हें जल्दी से यह जगह खाली करनी थी।
तभी नीचे से मार्कोस के लीडर की चीख और चेतावनी सुनाई पड़ी।
कैप्टेन के बाद रिजक्यू किया हुआ आदमी रोप से चढ़ा था वो हेलीकाप्टर की विन्च पर से झुक कर रोप चाक़ू से काट रहा था।
चीख सुन कर , हेलीकाप्टर के कमांडो ने, पिस्टल के शॉट से उस आदमी को खत्म कर दिया।
रस्सी अभी भी झूल रही थी , लेकिन रीत मार्कोस लीडर के वजन से वह टूट गयी।
मार्कोस लीडर तो इन्फलेटबल बोट के जस्ट बाहर गिरा , और वापस बोट में चढ़ गया।
लेकिन रोप के झटके से रीत बोट से दो सौ मीटर दूर सीधे समुद्र में जा गिरी।
मार्कोस के कमांडर ने बोट में से रैफ्ट का एक टुकड़ा फेंका और वो रीत की ओर तैर रहा था।
गहरा काला अरब सागर , अँधेरे में डूबा।
होली के अगले दिन का चाँद , बादलों से लुकाछिपी करते पास कुछ चांदनी कभी कभी बरसा देता।
दुर्दांत भयावह काल की तरह पास में वो विशाल काय टेरर शिप ,
और समुद्र की लहरों से लड़ती , थपेड़ों से जूझती , बिंदास बनारसी बाला ,
सिर्फ एक लकड़ी के टुकड़े के सहारे।
तैरती ,समुद्र की ताकत अपनी बाहों से नापती , जूझती , रीत।
उसे अहसास हो गया था , कि सबसे पहले , उसे उस टेरर शिप से दूर जाना था। जितना दूर हो सके।
एक इन्फ्लेटेबल बोट उस शिप के पास भी थी , लेकिन रीत उधर नहीं जा सकती थी।
पांच मिनट में शिप सिंक होना था , और जैसे ही वो सिंक होना शुरू होता , आसपास की छोटी मोटी चीजें , सब उसके साथ ,समुद्र के गर्त में।
गनीमत हो डी आर डी ओ , वालों का।
जो ड्रेस इस आपरेशन के लिए रीत ने पहनी थी , वो लाइफ बेल्ट की तरह थी। एक बटन दबाकर उसमें हवा भरी जा सकती थी।
और इन्फ्लेट करने के बाद , रीत अब कम से कम समुद्र में डूब नहीं सकती थी।
उसने अपनी हेड लाईट भी आन कर दी थी।
और थोड़ी देर में वो शिप से दूसरी दिशा में जा रही थी।
वह बार बार पीछे मुड़ कर उस शिप की छाया को देखती और उसकी बाँहों में दुबारा ताकत भर उठती।
और तभी उसको एक इन्फेलटेबल बोट दिखी , वही जिससे पहले चार लोग हेलीकाप्टर में चढ़े थे।
किसी तरह वह उसमें चढ़ी ,
और एक पल केलिए उसने गहरी सांस ली।
और जब उसने शिप की और देखा तो उसे लगा वो शिप स्टार बोर्ड साइड में , टिल्ट हो रहा है।
पहले तो उसे विशवास नहीं ,हुआ फिर दुबारा देखा। अबकी टिल्ट और प्रोनाउंस्ड था।
लेकिन फिर उसे याद आया की कही शिप के साथ ,
और तुरंत उसने अपने ड्रेस में रखे दो फ्लेयर्स एक साथ जलाये और दोनों हाथों से हवा में लहराने लगी।
आसमान अभी भी काला था और सूना , सिर्फ सन्नाटा।
उसके दिल की धड़कन और तेज होने लगी ,कही आज की रात,… काल रात्रि , लेकिन उसे अपने ऊपर भरोसा था और उससे भी ज्यादा काशी के कोतवाल पर ,
और तभी हलकी हलकी आसमान में हेलीकाप्टर के रोटर की आवाज सुनायी देने लगी।
शिप और टिल्ट हो रहा था , और लहरे भी अब शिप की ओर ,
अपने रेडियो से रीत बार मेडे में डे का मेसेज दे रही थी।
वो जान रही थी की बस कुछ मिनटों में उसने अगर ये बोट नहीं छोडी तो ,
और हेलीकाप्टर उसके बोट के ठीक ऊपर आकर रुका , विन्च नीचे आगयी थी और रोप लहरा रही थी।
उम्मीद की आखिरी किरण की तरह ,
उछल कर उसने रोप पकड़ ली।
रोप मार्कोस के लीडर कंट्रोल कर रहे थे।
बिना नीचे देखे वो दोनों हाथों थे रस्सी पकड़ , हेलीकाप्टर में पहुँच गयी।
और जैसे ही वो अंदर घुस रही थी , उसने नीचे देखा।
सी बहुत चापी हो गया था।
वह जिस बोट पर थी , समुद्र की लहरों पर गेंद कीतरह उछल रही थी।
शिप उसी तरह था।
मार्कोस कमांडर ने बताया की उन्हें नेवल कंटोल ने बोला है की वो यहीं आधे घंटे तक और रहेंगे , और जब तक शिप पूरी तरह सिंक नहीं कर जाता उसे ऑब्जर्व करेंगे। कम्प्लीट सिंक होने के पन्दरह मिनट बाद ही वह वहां से निकलेंगे।
और तब तक वो शिप के ओरिजिनल कैप्टेन को डी ब्रीफ करेंगे।
रीत उनकी बात सुन रही थी लेकिन उसकी निगाह नीचे शिप से चिपकी थी।
अब वह काफी तिरछा हो गया था.
पहला आयल वेल अभी भी , शिप से ५०० मीटर दूर था।
डी ब्रीफिंग
कैप्टेन ने सोमालिया के पास कैसे उनकी हाईजैकिंग हुयी से बात शुरू की , कितने दिन वो लोग जंगलों में रखे गए और कब छोड़े गए।
और उन्होंने ये रहस्योद्घाटन भी किया की ४ लोग उनके शिप में शुरू से थे , और सोमालियन हाईजैकर्स उनके कांटेक्ट में थे। सोमालियन लोगों ने शिप के १०सेलर्स को होस्टेज बना रखा था , की अगर वो उनकी बात नहीं मानेंगे या उन्होने ने किसी को ये बात लीक की , तो होस्टेज की जान चली जायेगी।
वो चार लोग शिप के होल्ड में छिपे थे। और सिर्फ कैप्टेन को मालूम था की वो कहाँ हैं , पर उसे रोज उनसे मिलना होता था।
रीत डी ब्रीफिंग सुन रही थी , लेकिन उसकी निगाह शिप पर थी ,जो अभी भी धीरे धीरे टिल्ट हो रहा था। नेवल आर्किटेक्ट और एक्सप्लोसिव एक्सपर्ट्स ने यही बताया था की पहले वो टिल्ट करेगा और फिर ,…
हेलीकाप्टर ठीक शिप के ऊपर था और बस एक धब्बे की तरह लग रहा था।
रीत बस उस पल का इन्तजार कर रही थी जब वह शिप पूरी तरह समुद्र में समा जाय।
और अचानक उस का ध्यान एक बार फिर कैप्टेन की बातों की ओर चला गया।
बात यह पूछी गयी की दो बार हाइ सी में उस शिप की पूरी जांच हुयी तो कैसे कुछ पता नहीं चला।
कैप्टन ने बोला की जैसे ही उनका शिप स्ट्रेट आफ होमरुज से निकला , एक फिशिंग शिप उनके साथ चलने लगा। उन्हें पहले तो उस पे शक नही हुआ , लेकिन जब वह जहाज की स्पीड धीमी करते , वो भी स्पीड धीमी कर देता। और जब दोनों बार चेक होगया , कुछ नहीं मिला और वोभारत की सीमा के बहुत पास आगये , तभी उस शिप ने अपनी रफ्तार तेज की , और जो चार सोमालियन्स शिप में छिप कर चल रहे थे कंट्रोल रूम में आगये और उन्होंने इंस्ट्रकशन दिया की शिप पे फिशिंग शिप के लोगों को आने दे।
और उस के बाद वर्चुअली , उन चारों का शिप पर कंट्रोल हो गया।
उन्होंने शिप के कुछ सेलर्स को बंधक बना लिया था।
फिशिंग शिप से जो लोग आये , वो ट्रेंड लड़ाकू और टेरर के एक्सपर्ट्स थे। उनमें से कई सेलिंग मे भी एक्सपेरियंस्ड थे। और उन्होंने नेविगेशन , कंट्रोल रूम , इंजिन रूम सब पर कब्ज़ा जमा लिया। उन्हें शिप लेंस , चार्ट सब के बारे में अच्छी तरह से पता था। लेकिन कुछ उसमे शुद्ध लड़ाकू लग रहे थे।
लोगों के साथ ही ढेर सारे आर्म्स और एम्युनिशन भी उस शिप से ट्रांशशिप किये गए।
जिसमे टी एन टी के बाक्सेज , आर डी एक्स , ढेर सारे ग्रेनेड , डिटोनेटर इत्यादि थे। और उन्होंने सबसे पहले शिप के गैस के होल्ड्टैंक्स के नीचे बाम्ब्स लगाये। और शिप के निचले भाग में गन पाउडर रखा की पूरा शिप बॉम्ब में बदल गया।
रीत शिप के अगवा किये गए कैप्टेन की बात सुन रही थी और बीच बीच में नीचे भी देख रही थी।
मार्कोस के लीडर भी बीच बीच में नेवल कंट्रोल रूम से बात कर रहे थे।
और तभी उन लोगों के पास मेसेज आया की चार किलोमीटर के पेरीमीटर पर नेवी और कोस्ट गार्ड्स के शिप , इस टेरर शिप को घेर रहे हैं और धीरे धीरे ये घेरा कसा जाएगा। जैसे ही शिप सिंक करना शुरू करेगा , ये घेरा एक किलोमीटर का कर दिया जाएगा। जिससे जो भाग कर निकल रहे हों , उन्हें पकड़ा जा सके।
उनके हेलीकाप्टर को बोला गया की वो आसमान से सर्च लाइट आन कर लाइफ बोट्स पर नजर रखे और उन्हें पकड़ने में मदद करें।
शिप का घेरा जैसे ही छोटा हो , हेलीकाप्टर भी अपनी ऊंचाई कम कर के सर्च ऐंड रिजक्यू के मोड में आ जाए।
नेवी के शिप अब नजर आ रहे थे।
लेकिन तब तक अगवा किये गए शिप के कैप्टेन ने ऐसी बात की , की सब का दिल दहल गया।
कैप्टेन ने बोला की उसे दो बातें जल्द ही मालूम हो गयी।
पहली तो ये की कैप्टेन को जिन्दा छोड़ने का उनका प्लान नहीं है।
कैप्टेन को न तो उन्होंने ब्लाइंड फोल्ड किया और न ही उसे बंद किया।
यहाँ तक की जब तक रेडियो साइलेंस नहीं हुआ , कम्युनिकेशन रूम से बात भी कैप्टेन कर रहा था।
इसलिए उस के दिमाग में कोई भ्रम नहीं था। वो उसे जिन्दा नहीं छोड़ना चाहते , इसलिए उससे कुछ छिपाने का मतलब नहीं है।
और दूसरी बात इसी से उसे पता चली की , उनका टारगेट बॉम्बे हाई उड़ाना नहीं बल्कि उस पर कब्जा करना है। और उसे होस्टेज बनाना है।
सिर्फ रीत ही नहीं सब के हाथों के तोते उड़ गए।
कोई ये सोच भी नहीं सकता था।
कैप्टेन ने पूरा प्लान बताया।
फिशिंग शिप से वो अपने साथ कुछ एम्फीबियस बोट्स और काफी माइंस भी लाये थे।
उन्हें मालूम था की जब वो काफी नजदीक पहुँच जाएंगे ( जैसा की वो पहुँच भी गए थे ) नेवी या कोस्ट गार्ड उन पर हमला नहीं कर सकते क्योंकि गैस होल्ड के विस्फोट से आयल रिग्स और प्लेटफार्म पूरी तरह डैमेज हो जाएंगे।
उसके साथ उन्होंने जो बाम्ब्स लगा रखे थे गैस होल्ड में और शिप में रखी डायनामाइट के बारे में वीडियो मेसेज देते।
और शिप आयल रिग के पास पहुँच जाता।
वो किसी भी रेजिस्टेंस की हालत में , अपने शिप एक्सप्लोड कराने की धमकी देते।
और एक बार आयल प्लैटफॉर्म पहुँच जाने पर सभी लोगों को वो होस्टेज बना लेते।
और फिर उनके एक्सपर्ट फेज टू शुरू करते।
फेज टू क्या था , मार्कोस के लीडर ने पूछा।
" फेज टू , दो से तीन घंटे का था , और सूरज की पहली रोशनी के साथ खत्म हो जाता , फिर फेज तीन शुरू होता। " कैप्टेन ने बताया और बिना किसी के उकसाए , फेज टू डिटेल भी बता दिया। इसके अनुसार , वो लोग रात के अँधेरे में सारे आयल वेल्स में बाम्ब्स लगा देते। और इसके अलावा चार माइल्स के पेरीमीटर पर वो माइन्स भी ले करते। सारे बाम्ब्स और माइंस का कंट्रोल इनके ग्रुप लीडर के पास होता। ग्रुप लीडर का नाम कोई नहीं ले रहा था और उसका और उसके साथियों का चेहरा भी पूरा ढका था। ये भी तय था की सारी निगोशिएशन मुझे ही करनी होगी। ' कैप्टेन ने बोला।
" जिस से उसकी आवाज से कोई उसे नहीं पहचान सके। " एक मार्कोस का कमांडो बोला।
ये बात एकदम साफ थी।
सब चुप बैठे थे।
कैप्टेन ने फिर आगे बात शुरू की।
उनकी डिमांड में रैन्सम , और आर्थर जेल में बंद कुछ कैदियों को छुड़ाने की थी।
उसके बाद वो हेलीकॉप्टर्स से उड़ते और हर हेलीकाप्टर में बॉम्बे हाई के लोग भी रहते। जिससे नेवी या एयर फोर्स उन्हें मार के गिरा न सके। और यहाँ से कुछ दूर इंटरनेशनल वाटर्स में कोई छोटा सा आइलैंड पर हेलीकाप्टर उतरता और वहां से एक पडोसी देश की सीमा पास में है वहां वो शिप से चले जाते।
लेकिन जैसे ही वो ये जगह छोड़ते उसी के साथ वो सारे बाम्ब्स और माइंस भी डिटोनेट कर देते जिससे सारे आयल वेल्स में एक साथ एक्सप्लोजन होता और उसी का फायदा उठा के निगल भागते।
रीत बस यही सोच रही थी , किसी तरह वो ग्रूप लीडर जिन्दा पकड़ा जाता तो कितने राज सामने आते।
वैसे उसे ये उम्मीद थी की जो डॉक्युमेंट्स उसने इकठा किये हैं , उससे कितने राज खुलेंगे।
तब तक कैप्टेन ने रीत से सीधे पूछ लिया ,
" लेकिन आपने शिप को सिंक कैसे करने की कोशीश कर ली। उन्होंने तो सारे सिनेरियो सोच रखे थे। यहाँ तक की लिम्पेट माइंस से भी शिप में एक्सप्लोजन होजाता , सिंक होने के पहले।
कैप्टेन ने सोमालिया के पास कैसे उनकी हाईजैकिंग हुयी से बात शुरू की , कितने दिन वो लोग जंगलों में रखे गए और कब छोड़े गए।
और उन्होंने ये रहस्योद्घाटन भी किया की ४ लोग उनके शिप में शुरू से थे , और सोमालियन हाईजैकर्स उनके कांटेक्ट में थे। सोमालियन लोगों ने शिप के १०सेलर्स को होस्टेज बना रखा था , की अगर वो उनकी बात नहीं मानेंगे या उन्होने ने किसी को ये बात लीक की , तो होस्टेज की जान चली जायेगी।
वो चार लोग शिप के होल्ड में छिपे थे। और सिर्फ कैप्टेन को मालूम था की वो कहाँ हैं , पर उसे रोज उनसे मिलना होता था।
रीत डी ब्रीफिंग सुन रही थी , लेकिन उसकी निगाह शिप पर थी ,जो अभी भी धीरे धीरे टिल्ट हो रहा था। नेवल आर्किटेक्ट और एक्सप्लोसिव एक्सपर्ट्स ने यही बताया था की पहले वो टिल्ट करेगा और फिर ,…
हेलीकाप्टर ठीक शिप के ऊपर था और बस एक धब्बे की तरह लग रहा था।
रीत बस उस पल का इन्तजार कर रही थी जब वह शिप पूरी तरह समुद्र में समा जाय।
और अचानक उस का ध्यान एक बार फिर कैप्टेन की बातों की ओर चला गया।
बात यह पूछी गयी की दो बार हाइ सी में उस शिप की पूरी जांच हुयी तो कैसे कुछ पता नहीं चला।
कैप्टन ने बोला की जैसे ही उनका शिप स्ट्रेट आफ होमरुज से निकला , एक फिशिंग शिप उनके साथ चलने लगा। उन्हें पहले तो उस पे शक नही हुआ , लेकिन जब वह जहाज की स्पीड धीमी करते , वो भी स्पीड धीमी कर देता। और जब दोनों बार चेक होगया , कुछ नहीं मिला और वोभारत की सीमा के बहुत पास आगये , तभी उस शिप ने अपनी रफ्तार तेज की , और जो चार सोमालियन्स शिप में छिप कर चल रहे थे कंट्रोल रूम में आगये और उन्होंने इंस्ट्रकशन दिया की शिप पे फिशिंग शिप के लोगों को आने दे।
और उस के बाद वर्चुअली , उन चारों का शिप पर कंट्रोल हो गया।
उन्होंने शिप के कुछ सेलर्स को बंधक बना लिया था।
फिशिंग शिप से जो लोग आये , वो ट्रेंड लड़ाकू और टेरर के एक्सपर्ट्स थे। उनमें से कई सेलिंग मे भी एक्सपेरियंस्ड थे। और उन्होंने नेविगेशन , कंट्रोल रूम , इंजिन रूम सब पर कब्ज़ा जमा लिया। उन्हें शिप लेंस , चार्ट सब के बारे में अच्छी तरह से पता था। लेकिन कुछ उसमे शुद्ध लड़ाकू लग रहे थे।
लोगों के साथ ही ढेर सारे आर्म्स और एम्युनिशन भी उस शिप से ट्रांशशिप किये गए।
जिसमे टी एन टी के बाक्सेज , आर डी एक्स , ढेर सारे ग्रेनेड , डिटोनेटर इत्यादि थे। और उन्होंने सबसे पहले शिप के गैस के होल्ड्टैंक्स के नीचे बाम्ब्स लगाये। और शिप के निचले भाग में गन पाउडर रखा की पूरा शिप बॉम्ब में बदल गया।
रीत शिप के अगवा किये गए कैप्टेन की बात सुन रही थी और बीच बीच में नीचे भी देख रही थी।
मार्कोस के लीडर भी बीच बीच में नेवल कंट्रोल रूम से बात कर रहे थे।
और तभी उन लोगों के पास मेसेज आया की चार किलोमीटर के पेरीमीटर पर नेवी और कोस्ट गार्ड्स के शिप , इस टेरर शिप को घेर रहे हैं और धीरे धीरे ये घेरा कसा जाएगा। जैसे ही शिप सिंक करना शुरू करेगा , ये घेरा एक किलोमीटर का कर दिया जाएगा। जिससे जो भाग कर निकल रहे हों , उन्हें पकड़ा जा सके।
उनके हेलीकाप्टर को बोला गया की वो आसमान से सर्च लाइट आन कर लाइफ बोट्स पर नजर रखे और उन्हें पकड़ने में मदद करें।
शिप का घेरा जैसे ही छोटा हो , हेलीकाप्टर भी अपनी ऊंचाई कम कर के सर्च ऐंड रिजक्यू के मोड में आ जाए।
नेवी के शिप अब नजर आ रहे थे।
लेकिन तब तक अगवा किये गए शिप के कैप्टेन ने ऐसी बात की , की सब का दिल दहल गया।
कैप्टेन ने बोला की उसे दो बातें जल्द ही मालूम हो गयी।
पहली तो ये की कैप्टेन को जिन्दा छोड़ने का उनका प्लान नहीं है।
कैप्टेन को न तो उन्होंने ब्लाइंड फोल्ड किया और न ही उसे बंद किया।
यहाँ तक की जब तक रेडियो साइलेंस नहीं हुआ , कम्युनिकेशन रूम से बात भी कैप्टेन कर रहा था।
इसलिए उस के दिमाग में कोई भ्रम नहीं था। वो उसे जिन्दा नहीं छोड़ना चाहते , इसलिए उससे कुछ छिपाने का मतलब नहीं है।
और दूसरी बात इसी से उसे पता चली की , उनका टारगेट बॉम्बे हाई उड़ाना नहीं बल्कि उस पर कब्जा करना है। और उसे होस्टेज बनाना है।
सिर्फ रीत ही नहीं सब के हाथों के तोते उड़ गए।
कोई ये सोच भी नहीं सकता था।
कैप्टेन ने पूरा प्लान बताया।
फिशिंग शिप से वो अपने साथ कुछ एम्फीबियस बोट्स और काफी माइंस भी लाये थे।
उन्हें मालूम था की जब वो काफी नजदीक पहुँच जाएंगे ( जैसा की वो पहुँच भी गए थे ) नेवी या कोस्ट गार्ड उन पर हमला नहीं कर सकते क्योंकि गैस होल्ड के विस्फोट से आयल रिग्स और प्लेटफार्म पूरी तरह डैमेज हो जाएंगे।
उसके साथ उन्होंने जो बाम्ब्स लगा रखे थे गैस होल्ड में और शिप में रखी डायनामाइट के बारे में वीडियो मेसेज देते।
और शिप आयल रिग के पास पहुँच जाता।
वो किसी भी रेजिस्टेंस की हालत में , अपने शिप एक्सप्लोड कराने की धमकी देते।
और एक बार आयल प्लैटफॉर्म पहुँच जाने पर सभी लोगों को वो होस्टेज बना लेते।
और फिर उनके एक्सपर्ट फेज टू शुरू करते।
फेज टू क्या था , मार्कोस के लीडर ने पूछा।
" फेज टू , दो से तीन घंटे का था , और सूरज की पहली रोशनी के साथ खत्म हो जाता , फिर फेज तीन शुरू होता। " कैप्टेन ने बताया और बिना किसी के उकसाए , फेज टू डिटेल भी बता दिया। इसके अनुसार , वो लोग रात के अँधेरे में सारे आयल वेल्स में बाम्ब्स लगा देते। और इसके अलावा चार माइल्स के पेरीमीटर पर वो माइन्स भी ले करते। सारे बाम्ब्स और माइंस का कंट्रोल इनके ग्रुप लीडर के पास होता। ग्रुप लीडर का नाम कोई नहीं ले रहा था और उसका और उसके साथियों का चेहरा भी पूरा ढका था। ये भी तय था की सारी निगोशिएशन मुझे ही करनी होगी। ' कैप्टेन ने बोला।
" जिस से उसकी आवाज से कोई उसे नहीं पहचान सके। " एक मार्कोस का कमांडो बोला।
ये बात एकदम साफ थी।
सब चुप बैठे थे।
कैप्टेन ने फिर आगे बात शुरू की।
उनकी डिमांड में रैन्सम , और आर्थर जेल में बंद कुछ कैदियों को छुड़ाने की थी।
उसके बाद वो हेलीकॉप्टर्स से उड़ते और हर हेलीकाप्टर में बॉम्बे हाई के लोग भी रहते। जिससे नेवी या एयर फोर्स उन्हें मार के गिरा न सके। और यहाँ से कुछ दूर इंटरनेशनल वाटर्स में कोई छोटा सा आइलैंड पर हेलीकाप्टर उतरता और वहां से एक पडोसी देश की सीमा पास में है वहां वो शिप से चले जाते।
लेकिन जैसे ही वो ये जगह छोड़ते उसी के साथ वो सारे बाम्ब्स और माइंस भी डिटोनेट कर देते जिससे सारे आयल वेल्स में एक साथ एक्सप्लोजन होता और उसी का फायदा उठा के निगल भागते।
रीत बस यही सोच रही थी , किसी तरह वो ग्रूप लीडर जिन्दा पकड़ा जाता तो कितने राज सामने आते।
वैसे उसे ये उम्मीद थी की जो डॉक्युमेंट्स उसने इकठा किये हैं , उससे कितने राज खुलेंगे।
तब तक कैप्टेन ने रीत से सीधे पूछ लिया ,
" लेकिन आपने शिप को सिंक कैसे करने की कोशीश कर ली। उन्होंने तो सारे सिनेरियो सोच रखे थे। यहाँ तक की लिम्पेट माइंस से भी शिप में एक्सप्लोजन होजाता , सिंक होने के पहले।
" सिंपल। मारने वाले से बचाने वाला बड़ा होता है। बस जैसे
बिल्डिंग , ब्रिजेज को गिराते हैं , कंट्रोल्ड इम्प्लोजन , जिसमे
स्ट्रक्चर अपने वजन से गिरता है। उसका एक बहुत बहुत लिमिटेड इस्तेमाल।
हमें मालूम था की कोई भी एक्सप्लोसिव जो गैस होल्ड को डैमेज करेगा शाक
पहुंचाएगा , शिप को एक्सप्लोड करा देगा। इसलिए माइन का इस्तेमाल या सब का
इस्तेमाल पॉसिबल नहीं था। किस्मत हमारी , हमें ये पता चल गया था की इस
शिप में कुछ सीरियस स्ट्रक्चरल वीकनेस हैं। हमने उसी को एक्सप्लायट किया। "
" लेकिन एक्सप्लोसिव " शिप के कैप्टेन को अभी भी कुछ समझ में नहीं आ रहा था।
" पूरी तरह तो मेरे भी समझ में नहीं आया , लेकिन लगता है वो काम कर रहा है। " रीत बोली , फिर चालू हो गयी।
" ये बहुत ही माइल्ड एक्सप्लोसिव्स थे , जिसमे प्लास्टिक एक्सप्लोसिव और नैनो थर्माइट का इस्तेमाल हुआ था। और ये डायरेक्शनल थे और मटीरियल की वीकनेस के अनुसार थे। ये स्पेशली डिजाइंड बाम्ब्स हैं , जो बिना किसी इनसेंडियरी प्रभाव के , मैटीरियल को नष्ट कर देते हैं। सारे बॉम्ब की टाइमिंग इस प्रकार अलग अलग सेट थी की शिप का बैलेंस डिस्टर्ब हो जाय और वो एक साइड टिल्ट होता जाय। इसके साथ ही बॉम्ब एक सुपर एसिड भी थ्रो करता है जो मेटल के कोरोजन को एक्सिलरेट देता है और एक बड़ा होल जेनरेट कर देता है। शिप के टिल्ट होने के कारण पानी का प्रेशर भी बढ़ जाता है , और फिर पानी एक बार पांच छ जगह से घुसने लगेगा , तो जहाँ जहाँ मैटेरियल बॉम्ब के शाक से वीक हो गया होगा , वो सब टूटने लगेगा और फिर तेजी से जैसे बाँध टूटे , पानी अंदर घुसने लगेगा। टिल्टेड शिप का बैलेंस बिगड़ने बिगड़ने में देर नहीं लगेगा। इस तरह इस शिप को डुबाने में बॉम्ब से ज्यादा काम , पानी करेगा , और जो किसी तरह से एक्सप्लोड नहीं करायेगा , बल्कि शिप में लगे बाम्ब्स का असर कम करेगा। '
रीत एक मिनट के लिए चुप हुयी और फिर मार्कोस के लीडर की ओर देखते हुए बोली ,
" और असली बहादुरी इनकी , इनके नेतृत्व में शिप के अंदर घुसकर , बॉम्ब लगाना और बचकर निकल आना था। "
मार्कोस लीडर ने तारीफ भरी नज़रों से रीत की ओर देखा।
कौन हैं ये लड़की। इतना सब कुछ करने के बाद भी कुछ क्रेडिट नहीं लेती। और अगर ये इतनी जिद न करती , अपनी जान हथेली पे ले के शिप में घुसने का ऑफर ना करती , तो हमसब बैठ कर बॉम्बे हाई सिर्फ एवक्यूशन में लगे होते और जो प्लान पता ,चला तो बॉम्बे हाई होस्टेज बनने वाला होता और हम लोग उसके बाद कुछ ख़ास नहीं कर सकते थे।
लेकिन आवाज कैप्टेन की निकली।
" आप सब शिप के अंदर नहीं आते तो मेरी साथियों की जान भी बचती नहीं। "
रीत सिर्फ चीज से परेशान होती थी अपनी तारीफ से और उसने बात बदली
" हाँ , तो मैं कह रही थी , जैसे पानी तेजी से भरना शुरू होगा , शिप तेजी से सिंक करने लगेगा। फिर सिर्फ वक्त की बात होगी की शिप कब पूरा डूबता है "
और जैसे ही उनकी निगाह नीचे पड़ी ,शिप जैसे रीत के इस बोलने का इन्तजार कर रहा था , वो तेजी से सिंक कर रहा था। एक तिहाई से ज्यादा अब वो समुद्र के अंदर था।
उनका हेलीकाप्टर अब काफी नीचे था , इसलिए बिना बाइनाक्युलर के भी शिप पर होने वाली हलचल दिख रही थी।
चारो ओर के नेवी और कोस्ट गार्ड्स के शिप का घेरा भी तेजी से और कसने लगा था।
उनके अलावा तीन और हेलीकाप्टर बहुत लो हाइट पे शिप के चारो और उड़ रहे थे।
तभी रीत चिल्ला पड़ी , " ये क्या हो रहा है ".
नीचे डूबते शिप से कई एम्फीबियस वेसल , इन्फ्लेटेबल बोट और लाइफ बोट में लोग निकल रहे थे। " लेकिन एक्सप्लोसिव " शिप के कैप्टेन को अभी भी कुछ समझ में नहीं आ रहा था।
" पूरी तरह तो मेरे भी समझ में नहीं आया , लेकिन लगता है वो काम कर रहा है। " रीत बोली , फिर चालू हो गयी।
" ये बहुत ही माइल्ड एक्सप्लोसिव्स थे , जिसमे प्लास्टिक एक्सप्लोसिव और नैनो थर्माइट का इस्तेमाल हुआ था। और ये डायरेक्शनल थे और मटीरियल की वीकनेस के अनुसार थे। ये स्पेशली डिजाइंड बाम्ब्स हैं , जो बिना किसी इनसेंडियरी प्रभाव के , मैटीरियल को नष्ट कर देते हैं। सारे बॉम्ब की टाइमिंग इस प्रकार अलग अलग सेट थी की शिप का बैलेंस डिस्टर्ब हो जाय और वो एक साइड टिल्ट होता जाय। इसके साथ ही बॉम्ब एक सुपर एसिड भी थ्रो करता है जो मेटल के कोरोजन को एक्सिलरेट देता है और एक बड़ा होल जेनरेट कर देता है। शिप के टिल्ट होने के कारण पानी का प्रेशर भी बढ़ जाता है , और फिर पानी एक बार पांच छ जगह से घुसने लगेगा , तो जहाँ जहाँ मैटेरियल बॉम्ब के शाक से वीक हो गया होगा , वो सब टूटने लगेगा और फिर तेजी से जैसे बाँध टूटे , पानी अंदर घुसने लगेगा। टिल्टेड शिप का बैलेंस बिगड़ने बिगड़ने में देर नहीं लगेगा। इस तरह इस शिप को डुबाने में बॉम्ब से ज्यादा काम , पानी करेगा , और जो किसी तरह से एक्सप्लोड नहीं करायेगा , बल्कि शिप में लगे बाम्ब्स का असर कम करेगा। '
रीत एक मिनट के लिए चुप हुयी और फिर मार्कोस के लीडर की ओर देखते हुए बोली ,
" और असली बहादुरी इनकी , इनके नेतृत्व में शिप के अंदर घुसकर , बॉम्ब लगाना और बचकर निकल आना था। "
मार्कोस लीडर ने तारीफ भरी नज़रों से रीत की ओर देखा।
कौन हैं ये लड़की। इतना सब कुछ करने के बाद भी कुछ क्रेडिट नहीं लेती। और अगर ये इतनी जिद न करती , अपनी जान हथेली पे ले के शिप में घुसने का ऑफर ना करती , तो हमसब बैठ कर बॉम्बे हाई सिर्फ एवक्यूशन में लगे होते और जो प्लान पता ,चला तो बॉम्बे हाई होस्टेज बनने वाला होता और हम लोग उसके बाद कुछ ख़ास नहीं कर सकते थे।
लेकिन आवाज कैप्टेन की निकली।
" आप सब शिप के अंदर नहीं आते तो मेरी साथियों की जान भी बचती नहीं। "
रीत सिर्फ चीज से परेशान होती थी अपनी तारीफ से और उसने बात बदली
" हाँ , तो मैं कह रही थी , जैसे पानी तेजी से भरना शुरू होगा , शिप तेजी से सिंक करने लगेगा। फिर सिर्फ वक्त की बात होगी की शिप कब पूरा डूबता है "
और जैसे ही उनकी निगाह नीचे पड़ी ,शिप जैसे रीत के इस बोलने का इन्तजार कर रहा था , वो तेजी से सिंक कर रहा था। एक तिहाई से ज्यादा अब वो समुद्र के अंदर था।
उनका हेलीकाप्टर अब काफी नीचे था , इसलिए बिना बाइनाक्युलर के भी शिप पर होने वाली हलचल दिख रही थी।
चारो ओर के नेवी और कोस्ट गार्ड्स के शिप का घेरा भी तेजी से और कसने लगा था।
उनके अलावा तीन और हेलीकाप्टर बहुत लो हाइट पे शिप के चारो और उड़ रहे थे।
तभी रीत चिल्ला पड़ी , " ये क्या हो रहा है ".
उन्हें उसकी चिंता नहीं थी।
चारो ओर नेवल शिप्स , कोस्ट गार्ड के शिप्स इसलिए थे , कोई भी बचने वाला नहीं था। नेवी के स्क्यूबा डाइवर भी तैनात थे।
रीत चिल्लाई कुछ और देख और देख के।
एक लम्बा अादमी , एक इन्फेलटेबल बोट पर खड़ा होकर कंधे पर कुछ रखे उनकी ओर टारगेट कर रहा था।
कैप्टेन की निगाह भी उसी ओर थी और वो भी भी बोले ,
" अरे ये तो वही है उन लोगों का ग्रूप लीडर , "
फिर उसे कुछ याद आया और वो जोर से मार्कोस लीडर की और चिल्लाया ," उनके पास चार पांच आर पी जी लांचर भी थे '
हेलीकॉपटर नेविगेटर ने बाकी सारे हेलीकाप्टर को अर्जेंट मेसेज दिया ,
" आर पी जी लांचर साइटेड , इंक्रीज हाइट , गो अप , डेंजर डेंजर "
रीत उसी लीडर को बाइनक्युलर से देख रही थी।
उन का हेलीकाप्टर भी ऊपर उठना शुरू कर रहा था।
लेकिन तभी ग्रेनेड लांच हो गया।
तेजी से आग के गोले की तरह ,
सीधे हेलीकाप्टर की ओर
और रीत के बगल की विंडो से टकराया।
१२. ३५ ,… आधी रात
बनारस से करीब १०० किलोमीटर दूर एक शहर ,
कुछ पता नहीं चल रहा था , रीत का।
कुछ समझ में नहीं आ रहा था।
दूबे भाभी का फोन दो बार आ चूका था।
फेलू दा और कार्लोस भी शतरंज खेल रहे थे , जगे हुए थे।
लग रहा था आधा बनारस जगा हुआ हो , बनारस की बिंदास बाला , आज देश के लिए लड़ रही थी।
जो दुःख उसे देखना पड़ा और किसी को न देखना पड़े।
मैंने हार कर करन को फोन किया।
उसकी हालत भी मेरे जैसी थी।
जितना मुझे मालूम था , उतना ही उसे मालुम था।
रीत ने जाने के पहले , मुझे एक ऑपरेशन हेड का नंबर दिया था।
दो बार उन का नंबर इंगेज आया और एक बार किसी ने उठाया नहीं .
१२. ०५ पर जब उनसे बात हुयी तो आपरेशन जारी है , कह के उन्होंने फोन रख दिया।
ये आपरेशन कोड तो मुझे भी मालुम था और करन को भी।
शायद उस समय में मैं कंट्रोल रूम में रहता तो किसी से बात नहीं करता।
ऐसे आपरेशन में १००% कंसंट्रेशन होने के साथ , सारी कम्युनिकेशन लाइन खुली रखनी पड़ती हैं।
कोई और बातचीत , जो आपरेशन से न जुडी हो , वो कम्युनिकेशन चैनेल क्लाग करती है।
ये सब बातें ककहरे की तरह याद रहती हैं।
लेकिन अगर रीत आपरेशन में इन्वाल्व हो ,
आप वहां से १५०० किलोमीटर दूर बैठे हों ,
आप कुछ कर नही सकते हो ,
तो कुछ भी रुल हों मन तो करेगा न की कोई बस इतना कह दे हाँ सब ठीक है।
और मैंने दो बार उस नंबर पे भी फोन लगाया , लेकिन फिर नो रिप्लाई आया।
करन का फोन आया। उसे भी और कुछ पता नहीं चला था। उसने दिल्ली में अपने रा के कांटैक्ट का इस्तेमाल किया था। वो होम मिनिस्ट्री से लियाजन करता था।
उसे बस इतना पता चला की होम मिनिस्ट्री को भी कुछ और पता नहीं है।
स्पेशल सेक्रेटरी ( इंटरनल सिक्योरिटी ) होम अपने आफिस में है। उनके साथ आई बी और रा के सीनियर आफिसर हैं। नेवल हेडक्वारटर ने बोला है की डेढ़ बजे रात के आसपास वो बताएँगे। रियर एडमिरल आपरेशन नेवल हेडक्वारटर में है और होम मिनिस्ट्री के टच में है।
एन एस जी की दो यूनिट मानसर से चलदी है और आधे घंटे में पालम पहुँच जाएगा। एयर इण्डिया ने एक प्लेन रेडिनेस में रखा है। एयर कंट्रोल को बोला गया है पांच मिनट की नोटिस पर इसे प्रायर्टी पर क्लियरेंस दिया जाय।
लेकिन आपरेशन की करेंट स्टेटस के बारे में उन्हें कुछ पता नहीं है।
करन ने आई बी के जो लोग नेवल कमांड में हैं उनसे बात करने की कोशिस की तो नहीं पायी। मेसेज कंट्रोल रूम बस रिसीव करता है।
जब हम किसी के बारे में चिंता करते हैं और कुछ नहीं कर पाते हैं , तो बस आपस में बात कर लेते हैं।
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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