FUN-MAZA-MASTI
बदलाव के बीज--23
अब आगे....
पिताजी: और लाड़-साहब फैले पड़े हो? हो गया आराम या अभी बाकी है?
इतना कहते हुए पिताजी ने थपकी देने के लिए मेरी पीठ पे ज़ोरदार हाथ मार| हाथ लगते ही मेरी चीख निकल पड़ी:
"आअह्ह्ह"
भौजी भागती हुई मेरे पास आईं और पिताजी को सारा हाल सुनाया, इधर मैं दर्द से करहा रहा था| पूितजी ने मेरी टी-शर्ट उठाई और मेरी पीठ का हाल देख के माँ और पिताजी ने सर पीट लिया|
माँ: हाय राम!!! मेरे बेटे की क्या हालत कर दी| डॉक्टर के पास गया था?
मैं: नहीं... भौजी ने मलहम लगाया था| उससे कुछ आराम है.. PAIN किलर भी ली थी|
पिताजी: बड़े भैया कहाँ हैं?
भौजी: चाचा वो खेत गए हैं|
पिताजी: मैं वहीँ जाता हूँ... तब तक तुम दोनों इसका ख्याल रखो| इसे डॉक्टर के नहीं जाना तो ना सही, मैं डॉक्टर को यहीं ले आता हूँ|
माँ मेरे पास बैठी सर पे हाथ फेर रहीं थीं... और भौजी खाना बना रहीं थी| खाना लघभग तैयार था.. दाल में छौंका लगा और खाना तैयार| भौजी ने माँ से कहा की आप नह धो लो तब तक वो मेरे पास बैठेंगी| माँ स्नान करने चलीं गईं और भौजी मेरी पीठ पे फूंक मार रहीं थी| उनकी ठंडी-ठंडी फूंक से मुझे बहुत आराम मिला|
पिताजी डॉक्टर को ले आये, साथ-साथ बड़के दादा (बड़े चाचा), बड़की अम्मा (बड़ी चाची) और अजय भैया, सभी अपना काम काज छोड़के आ गए| डॉक्टर मेरे पास आया और मुझसे अंग्रेजी में बात करने लगा:
डॉक्टर: Hey Man! How are you? (दोस्त क्या हाल है तुम्हारा?)
मैं: In Pain…. AAH!!! (दर्द हो रहा है डॉक्टर साहब!)
डॉक्टर: oh yeah, your dad told me about your Bravery Stunt. You did a great job, you seem to care a lot about your Bhabhi! (हाँ, तुम्हारे पिताजी ने मुझे रास्ते में तुम्हारी वीरता के बारे में सब बताया| शाबाश!!! तुम अपनी भाभी का ज्यादा ही ध्यान रखते हो?)
मैं: Yeah, she’s my best friend. (जी, क्योंकि ये मेरी सबसे अच्छी दोस्त हैं|)
डॉक्टर: What I see, I can see a different bond between you two. Anyways your wound’s all messed up.. did you put any Gel on the affected area? (मुझे ना जाने क्यों ऐसा महसूस होता है की तुम दोनों के बीच में एक अटूट रिश्ता है| खेर, तुम्हारे पीठ के जख्मों की हालत अच्छी नहीं है, क्या तुमने इस्पे कोई मलहम लगाईं थी?)
मैं: That’s just some Ayurvedic Ointment. (हाँ, कोई आयुर्वेदिक मलहम लगाईं थी|)
डॉक्टर: You shouldn’t just apply anything without first consulting a qualified doctor. You could have phoned me? (बिना किसी डॉक्टर की राय लिए तुम्हें कोई भी दवाई नहीं लगानी चाहिए| फिर तुम मुझे फ़ोन भी तो कर सकते थे|)
मैं: Actually sir this all happened so fast, almost forgot that Ive your number. Extremely Sorry! (दरअसल ये सब इतनी अचानक हुआ की मुझे याद ही नहीं रहा की मेरे पास आपका नंबर भी है| मुझे माफ़ कर दीजिये|)
डॉक्टर: No Need to be sorry, I’ll have to first clean your wound with Spirit, after that I’ll have to do some dressing. No doubt that it’ll hurt a lot. (माफ़ी मांगने की कोई आवश्यकता नहीं है| अब मुझे पहले तुम्हारे घावों को स्पिरिट से धोना होगा उसके बाद मुझे इनकी पट्टी करने होगी| इसमें कोई दो राय नहीं की तुम्हें दर्द बहुत होगा| )
मैं: Okay, I think I can handle that much pain. (जी ठीक है, मैं दर्द बर्दाश्त कर लूँगा|)
जब मैं और डॉक्टर अंग्रेजी में बात कर रहे थे तो घर के सभी मुँह खोले हमें उत्सुकता से देख रहे थे| क्योंकि आज पहली बार डॉक्टर मरीज को चेक करने आया था, वरना हमेशा ही बीमार गाँव वालों को ही डॉक्टर के पास जाना पड़ता था ऊपर से डॉक्टर और मैं अंग्रेजी में गुफ्तगू कर रहे थे| इस से एक बात तो तय थी की पिताजी का सीना गर्व से चौड़ा हो गया था, आखिर उनके खानदान में मैं ही एक अकेला ऐसा लड़का था जो दसवीं से ज्यादा पढ़ा था और वो भी अंग्रेजी मीडियम स्कूल से! भौजी के चेहरे से लग रहा था की उन्हें भी मुझपे नाज था... गर्व था.. इसलिए वो भी हलके-हलके मुस्कुरा रहीं थी|
डॉक्टर बड़े संभाल-संभाल के अपने हाथ चला रहा था पर जब स्पिरिट घावों में लगती तो बहुत जलन होती| मैं बस दाँत पीस के रह जाता... डॉक्टर ने मेरी पट्टी कर दी और मुझे एक इंजेक्शन देने लगा:
डॉक्टर: I need to give you this injection, it’s got some morphine so you’ll feel a bit better. Its simply to lessen your pain. (मुझे तुम्हें ये इंजेक्शन लगाना होगा, इससे तुम्हारा दर्द कुछ काम होगा|)
मैं: okay Doc, but I’ve a request. Actually during that incident she was also hurt, there are two belt marks on her back but she won’t let you examine! So if you don’t mind can you gimme some pain killers for her and some spirit and bandages. I’ll ask my Chachi and she’ll do the dressing. Don’t worry we’ll pay you for that! Just add it in the bill and my Dad will pay it but please don’t tell him about what I just said.
(ठीक है डॉक्टर साहब, पर मेरी आपसे एक गुजारिश है| दरअसल जब वो हादसा हुआ तो भाभी को भी चोट आई थी| उनकी पीठ पे भी दो बेल्ट के निशान हैं, वो आपसे इसका इलाज किसी भी हालत में नहीं कराएंगी| क्या आप मुझे कुछ PAIN KILLER और थोड़ी स्पिरिट और पट्टी दे सकते हैं, मैं अपनी चाची से कह के उनकी पट्टी करवा दूँगा| आप फीस की चिंता ना करें वो हम दे देंगे, बस आप टोटल बिल में ही जोड़ देना मेरे पिताजी आपको पैसे दे देंगे| और हाँ ये बात आप प्लीज पिताजी से मत कहना|)
डॉक्टर: Usually I don’t do this but since you’ve asked me so politely I’ll give you the medicine. (मैं आम तौर पे ऐसा नहीं करता पर चुकी तुमने बड़े प्यार से कहा है तो इसलिए मैं दवाई दे देता हूँ|)
मैं: Thank You Doc. (शुक्रिया डॉक्टर साहब|)
डॉक्टर ने मुझे दवाई अलग से दी और अपने पैसे ले के चला गया| उसके जाने के बाद सभी जन मुझे घेर के बैठ गए और पूछने लगे की क्या बात हुई हम दोनों के बीच| मैंने सभी को सब बाताई सिवाय "मेरा भौजी का ख्याल रखने के"| सभी बहुत खुश थे, माँ पिताजी को भी तसल्ली थी की अब मैं जल्दी अच्छा हो जाऊँगा| तभी वहां माधुरी भी आ गई उसने जब मेरी ऐसी हालत देखी तो अपनी चिंता जाहिर करते हुए पूछने लगी की ये सब कैसे हुआ| माँ ने उसे साड़ी बात बताई, उसने कनखी नजर से भौजी को ताड़ा, जैसे उन पे गुस्सा हो और फिर चुप-चाप चली गई| मैंने उसे ज्यादा तवज्जो नहीं दी.... भोजन का समय हो गया था, सब ने भोजन किया| भोजन के उपरान्त बड़के दादा, बड़की अम्मा और अजय भैया वास खेत चले गए काम करने के लिए और माँ-पिताजी बड़े घर जा रहे थे सोने| उन्होंने मुझे अपने साथ चलने को कहा पर मैंने ये कह के टाल दिया की "मैं धुप में नहीं जा रहा" | पिताजी भौजी को ध्यान रखने के लिए बोल गए| आप भौजी के घर में सिर्फ मैं, नेहा और भौजी ही बचे थे| दरवाजा खुला था, भौजी अपनी चारपाई पर लेटी थीं और मैं अपनी चारपाई पे लेटा था बीच वाली चारपाई पे नेहा लेटी थी|
मैं: ये लो आपके लिए....
ये कहते हुए मैंने भौजी को डॉक्टर के द्वारा दी हुई स्पिरिट और पट्टी दी|
भौजी: ये किस लिए?
मैं: मैंने डॉक्टर से आपके लिए लिया था|
भौजी: तो क्या तुमने उसे बता दिया की ये क्यों चाहिए?
मैं: हाँ
भौजी: तो उसने चेक अप के लिए तो कहा नहीं?
मैं: मैंने उसे समझा दिया था की किसी भी हालत में आप उससे चेक अप नहीं करवाओगे| उसे रिक्वेस्ट करके आपके लिए ले लिया| अब इसे लो और बड़की अम्मा (बड़ी चाची) से लगवा लेना|
भौजी: तुम्हीं क्यों नहीं लगा देते?
मैं: मैं लगा तो दूँ पर अगर ईमान डोल गया तो?
भौजी: तो क्या? तुम्हारी पत्नी हूँ...
मैं: हाय!!! पर अगर अम्मा ने पूछा की किस ने दवाई लगाईं तो क्या कहोगी?
भौजी: कह दूँगी नेहा ने लगाईं|
मैं: बहुत होशियार होगये हो आप?
भौजी: अब तुम्हारे साथ रह-रह के कुछ तो सीखूंगी ही|
उनकी कही बात ने सच में मेरे अंदर एक नई जान फूंक दी थी| उनके इस प्यार भरे लहजे ने मेरी जान ले ली थी और मैं उनकी इन अदाओं का कायल हो चूका था| भौजी ने दरवाजा बंद किया, और मेरे सामने खड़े-खड़े अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगीं| मैं बड़े प्यार से उन्हें देखता रहा... भौजी की आंखें मुझपे टिकीं थी और मेरी आँखें भौजी की अदाओं को निहार रहीं थी| हमेशा की तरह भौजी ने आज भी ब्रा नहीं पहनी थी... भौजी मेरी ओर पीठ करके खड़ी हो गईं| मैंने एक नजर नेहा की ओर देखा, वो सो रही थी| मैंने स्पिरिट में थोड़ी रुई डुबोई ओर भौजी के घाव पर रख दिया| भौजी के मुख से सिसकारी निकली:
"स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स... अह्ह्ह ... मानु बहुत जल रहा है|"
मैं: दर्द तो होगा.... पर पट्टी के बाद ठंडा-ठंडा लगेगा|
मैंने धीरे-धीरे भौजी के घावों को स्पिरिट से धोया उसके बाद, डॉक्टर के द्वारा दी गए पाउडर से भौजी की ड्रेसिंग की| जब मैं भौजी को पट्टी बांध रहा था तो बार बार उनके स्तन को अपने हाथों से सहला देता| जब पट्टी बांध गई तो भौजी मेरी ओर मुड़ी ओर सवालिया नज़रों से मुझे देखने लगी| मैंने उनके होठों को चूम लिया, मेरे चुम्बन से भौजी मदहोश हो रही थीं ओर इधर मैं उनकी बातों से मन्त्र मुग्ध हो चूका था| उनकी "पत्नी" वाली बात ने मुझे उनका दीवाना बना दिया था| मैं नीचे झुका ओर उनकी साडी पकड़ के ऊपर उठा के उनके हाथों में थम दी| अब हम लेट के तो सम्भोग नहीं कर सकते थे, क्योंकि या तो उन्हें नहीं तो मुझे बहुत दर्द होता| दिमाग में अलग ही स्टाइल ने दस्तक दी, मैंने अपना लंड निकला और उनकी योनि के ऊपर रगड़ने लगा| फिर अचानक मैंने हाथ हटा दिया और भौजी बायीं टांग पकड़ के चारपाई के ऊपर रख दी| भौजी ने मेरे लंड को पकड़ के अपनी योनि के भीतर प्रवेश कराया| अब मैंने एक झटके में भौजी को अपनी गोद में उठा लिया| इसे अकस्मात् झटके के कारन मेरा लंड उनकी पहले से गीली योनि में फिसलता हुआ उनकी बच्चे दानी से टकराया| भौजी एक डैम से चिहुक उठी:
"आह्ह...उम्म्म"
पर अगले ही पल उन्होंने अपनी टांगों से मेरी कमर को जकड लिया, अपने हाथों से मेरी गर्दन को अपनी गिरफ्त में ले लिया और मैंने उनको उनकी कमर से थाम लिया| मैं उन्हें इसी हालत में लिए स्नान घर में ले गया, क्योंकि मैं नहीं चाहता था की नेहा हमारी सिस्कारियां सुन उठ जाए और हमें सम्भोग करते हुए देखे| अंदर पहुँच मैंने होले-होले झटके मारता रहा, क्योंकि मुझे आभास था की इस अवस्था में मेरे लंड का उनकी बच्चे दानी से टकराना संभव है| मैं उन्हें दर्द नहीं देना चाहता था इसलिए पूरी कोशिश कर रहा था की पूरा लंड उनकी योनि में ना जाए! ग्रशण इतना अधिक था की हमारा सम्भोग ज्यादा देर नहीं चला| सर्वप्रथम मैं स्खलित हुआ पर फिर भी मैंने नीचे से झटके मारना बंद नहीं किया| अगले ही पल भौजी भी स्खलित हो गईं, उनकी योनि में हम दोनों के शरीर का रास भरने लगा था और जब भौजी ने अपने पाँव जम्मन पे रखे तब मैंने अपना लंड बहार निकला| तब जैसे एक पाँव खीर भौजी की योनि से निकल जमीन पे पचाक!!! कर गिरी| ना जाने क्यों पर भौजी नीचे पड़े मिश्रण को देखने लगीं... मैंने उनका मुख अपने हाथों से उठाया और उनके होठों को चूमा, भौजी की आँखें बंद थीं| उसके बाद भौजी ने लोटे से पानी डालके मेरे लंड को साफ़ किया, मेरे पजामे पर भी हमारे रस की कुछ बूँदें गिरी थीं| जिसे भौजी ने पानी से साफ़ किया और फिर मैं बहार आ गया|
मैंने जा के धीरे से दरवाजा खोला ताकि किसी को शक न हो| पाँच मिनट बाद भौजी भी आ गईं, और वो कुछ निराश लग रहीं थी| वो आपके सीधे अपनी चारपाई पर पेट के बल लेट गईं और मैं अपनी चारपाई पर लेट गया|
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पिताजी: और लाड़-साहब फैले पड़े हो? हो गया आराम या अभी बाकी है?
इतना कहते हुए पिताजी ने थपकी देने के लिए मेरी पीठ पे ज़ोरदार हाथ मार| हाथ लगते ही मेरी चीख निकल पड़ी:
"आअह्ह्ह"
भौजी भागती हुई मेरे पास आईं और पिताजी को सारा हाल सुनाया, इधर मैं दर्द से करहा रहा था| पूितजी ने मेरी टी-शर्ट उठाई और मेरी पीठ का हाल देख के माँ और पिताजी ने सर पीट लिया|
माँ: हाय राम!!! मेरे बेटे की क्या हालत कर दी| डॉक्टर के पास गया था?
मैं: नहीं... भौजी ने मलहम लगाया था| उससे कुछ आराम है.. PAIN किलर भी ली थी|
पिताजी: बड़े भैया कहाँ हैं?
भौजी: चाचा वो खेत गए हैं|
पिताजी: मैं वहीँ जाता हूँ... तब तक तुम दोनों इसका ख्याल रखो| इसे डॉक्टर के नहीं जाना तो ना सही, मैं डॉक्टर को यहीं ले आता हूँ|
माँ मेरे पास बैठी सर पे हाथ फेर रहीं थीं... और भौजी खाना बना रहीं थी| खाना लघभग तैयार था.. दाल में छौंका लगा और खाना तैयार| भौजी ने माँ से कहा की आप नह धो लो तब तक वो मेरे पास बैठेंगी| माँ स्नान करने चलीं गईं और भौजी मेरी पीठ पे फूंक मार रहीं थी| उनकी ठंडी-ठंडी फूंक से मुझे बहुत आराम मिला|
पिताजी डॉक्टर को ले आये, साथ-साथ बड़के दादा (बड़े चाचा), बड़की अम्मा (बड़ी चाची) और अजय भैया, सभी अपना काम काज छोड़के आ गए| डॉक्टर मेरे पास आया और मुझसे अंग्रेजी में बात करने लगा:
डॉक्टर: Hey Man! How are you? (दोस्त क्या हाल है तुम्हारा?)
मैं: In Pain…. AAH!!! (दर्द हो रहा है डॉक्टर साहब!)
डॉक्टर: oh yeah, your dad told me about your Bravery Stunt. You did a great job, you seem to care a lot about your Bhabhi! (हाँ, तुम्हारे पिताजी ने मुझे रास्ते में तुम्हारी वीरता के बारे में सब बताया| शाबाश!!! तुम अपनी भाभी का ज्यादा ही ध्यान रखते हो?)
मैं: Yeah, she’s my best friend. (जी, क्योंकि ये मेरी सबसे अच्छी दोस्त हैं|)
डॉक्टर: What I see, I can see a different bond between you two. Anyways your wound’s all messed up.. did you put any Gel on the affected area? (मुझे ना जाने क्यों ऐसा महसूस होता है की तुम दोनों के बीच में एक अटूट रिश्ता है| खेर, तुम्हारे पीठ के जख्मों की हालत अच्छी नहीं है, क्या तुमने इस्पे कोई मलहम लगाईं थी?)
मैं: That’s just some Ayurvedic Ointment. (हाँ, कोई आयुर्वेदिक मलहम लगाईं थी|)
डॉक्टर: You shouldn’t just apply anything without first consulting a qualified doctor. You could have phoned me? (बिना किसी डॉक्टर की राय लिए तुम्हें कोई भी दवाई नहीं लगानी चाहिए| फिर तुम मुझे फ़ोन भी तो कर सकते थे|)
मैं: Actually sir this all happened so fast, almost forgot that Ive your number. Extremely Sorry! (दरअसल ये सब इतनी अचानक हुआ की मुझे याद ही नहीं रहा की मेरे पास आपका नंबर भी है| मुझे माफ़ कर दीजिये|)
डॉक्टर: No Need to be sorry, I’ll have to first clean your wound with Spirit, after that I’ll have to do some dressing. No doubt that it’ll hurt a lot. (माफ़ी मांगने की कोई आवश्यकता नहीं है| अब मुझे पहले तुम्हारे घावों को स्पिरिट से धोना होगा उसके बाद मुझे इनकी पट्टी करने होगी| इसमें कोई दो राय नहीं की तुम्हें दर्द बहुत होगा| )
मैं: Okay, I think I can handle that much pain. (जी ठीक है, मैं दर्द बर्दाश्त कर लूँगा|)
जब मैं और डॉक्टर अंग्रेजी में बात कर रहे थे तो घर के सभी मुँह खोले हमें उत्सुकता से देख रहे थे| क्योंकि आज पहली बार डॉक्टर मरीज को चेक करने आया था, वरना हमेशा ही बीमार गाँव वालों को ही डॉक्टर के पास जाना पड़ता था ऊपर से डॉक्टर और मैं अंग्रेजी में गुफ्तगू कर रहे थे| इस से एक बात तो तय थी की पिताजी का सीना गर्व से चौड़ा हो गया था, आखिर उनके खानदान में मैं ही एक अकेला ऐसा लड़का था जो दसवीं से ज्यादा पढ़ा था और वो भी अंग्रेजी मीडियम स्कूल से! भौजी के चेहरे से लग रहा था की उन्हें भी मुझपे नाज था... गर्व था.. इसलिए वो भी हलके-हलके मुस्कुरा रहीं थी|
डॉक्टर बड़े संभाल-संभाल के अपने हाथ चला रहा था पर जब स्पिरिट घावों में लगती तो बहुत जलन होती| मैं बस दाँत पीस के रह जाता... डॉक्टर ने मेरी पट्टी कर दी और मुझे एक इंजेक्शन देने लगा:
डॉक्टर: I need to give you this injection, it’s got some morphine so you’ll feel a bit better. Its simply to lessen your pain. (मुझे तुम्हें ये इंजेक्शन लगाना होगा, इससे तुम्हारा दर्द कुछ काम होगा|)
मैं: okay Doc, but I’ve a request. Actually during that incident she was also hurt, there are two belt marks on her back but she won’t let you examine! So if you don’t mind can you gimme some pain killers for her and some spirit and bandages. I’ll ask my Chachi and she’ll do the dressing. Don’t worry we’ll pay you for that! Just add it in the bill and my Dad will pay it but please don’t tell him about what I just said.
(ठीक है डॉक्टर साहब, पर मेरी आपसे एक गुजारिश है| दरअसल जब वो हादसा हुआ तो भाभी को भी चोट आई थी| उनकी पीठ पे भी दो बेल्ट के निशान हैं, वो आपसे इसका इलाज किसी भी हालत में नहीं कराएंगी| क्या आप मुझे कुछ PAIN KILLER और थोड़ी स्पिरिट और पट्टी दे सकते हैं, मैं अपनी चाची से कह के उनकी पट्टी करवा दूँगा| आप फीस की चिंता ना करें वो हम दे देंगे, बस आप टोटल बिल में ही जोड़ देना मेरे पिताजी आपको पैसे दे देंगे| और हाँ ये बात आप प्लीज पिताजी से मत कहना|)
डॉक्टर: Usually I don’t do this but since you’ve asked me so politely I’ll give you the medicine. (मैं आम तौर पे ऐसा नहीं करता पर चुकी तुमने बड़े प्यार से कहा है तो इसलिए मैं दवाई दे देता हूँ|)
मैं: Thank You Doc. (शुक्रिया डॉक्टर साहब|)
डॉक्टर ने मुझे दवाई अलग से दी और अपने पैसे ले के चला गया| उसके जाने के बाद सभी जन मुझे घेर के बैठ गए और पूछने लगे की क्या बात हुई हम दोनों के बीच| मैंने सभी को सब बाताई सिवाय "मेरा भौजी का ख्याल रखने के"| सभी बहुत खुश थे, माँ पिताजी को भी तसल्ली थी की अब मैं जल्दी अच्छा हो जाऊँगा| तभी वहां माधुरी भी आ गई उसने जब मेरी ऐसी हालत देखी तो अपनी चिंता जाहिर करते हुए पूछने लगी की ये सब कैसे हुआ| माँ ने उसे साड़ी बात बताई, उसने कनखी नजर से भौजी को ताड़ा, जैसे उन पे गुस्सा हो और फिर चुप-चाप चली गई| मैंने उसे ज्यादा तवज्जो नहीं दी.... भोजन का समय हो गया था, सब ने भोजन किया| भोजन के उपरान्त बड़के दादा, बड़की अम्मा और अजय भैया वास खेत चले गए काम करने के लिए और माँ-पिताजी बड़े घर जा रहे थे सोने| उन्होंने मुझे अपने साथ चलने को कहा पर मैंने ये कह के टाल दिया की "मैं धुप में नहीं जा रहा" | पिताजी भौजी को ध्यान रखने के लिए बोल गए| आप भौजी के घर में सिर्फ मैं, नेहा और भौजी ही बचे थे| दरवाजा खुला था, भौजी अपनी चारपाई पर लेटी थीं और मैं अपनी चारपाई पे लेटा था बीच वाली चारपाई पे नेहा लेटी थी|
मैं: ये लो आपके लिए....
ये कहते हुए मैंने भौजी को डॉक्टर के द्वारा दी हुई स्पिरिट और पट्टी दी|
भौजी: ये किस लिए?
मैं: मैंने डॉक्टर से आपके लिए लिया था|
भौजी: तो क्या तुमने उसे बता दिया की ये क्यों चाहिए?
मैं: हाँ
भौजी: तो उसने चेक अप के लिए तो कहा नहीं?
मैं: मैंने उसे समझा दिया था की किसी भी हालत में आप उससे चेक अप नहीं करवाओगे| उसे रिक्वेस्ट करके आपके लिए ले लिया| अब इसे लो और बड़की अम्मा (बड़ी चाची) से लगवा लेना|
भौजी: तुम्हीं क्यों नहीं लगा देते?
मैं: मैं लगा तो दूँ पर अगर ईमान डोल गया तो?
भौजी: तो क्या? तुम्हारी पत्नी हूँ...
मैं: हाय!!! पर अगर अम्मा ने पूछा की किस ने दवाई लगाईं तो क्या कहोगी?
भौजी: कह दूँगी नेहा ने लगाईं|
मैं: बहुत होशियार होगये हो आप?
भौजी: अब तुम्हारे साथ रह-रह के कुछ तो सीखूंगी ही|
उनकी कही बात ने सच में मेरे अंदर एक नई जान फूंक दी थी| उनके इस प्यार भरे लहजे ने मेरी जान ले ली थी और मैं उनकी इन अदाओं का कायल हो चूका था| भौजी ने दरवाजा बंद किया, और मेरे सामने खड़े-खड़े अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगीं| मैं बड़े प्यार से उन्हें देखता रहा... भौजी की आंखें मुझपे टिकीं थी और मेरी आँखें भौजी की अदाओं को निहार रहीं थी| हमेशा की तरह भौजी ने आज भी ब्रा नहीं पहनी थी... भौजी मेरी ओर पीठ करके खड़ी हो गईं| मैंने एक नजर नेहा की ओर देखा, वो सो रही थी| मैंने स्पिरिट में थोड़ी रुई डुबोई ओर भौजी के घाव पर रख दिया| भौजी के मुख से सिसकारी निकली:
"स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स... अह्ह्ह ... मानु बहुत जल रहा है|"
मैं: दर्द तो होगा.... पर पट्टी के बाद ठंडा-ठंडा लगेगा|
मैंने धीरे-धीरे भौजी के घावों को स्पिरिट से धोया उसके बाद, डॉक्टर के द्वारा दी गए पाउडर से भौजी की ड्रेसिंग की| जब मैं भौजी को पट्टी बांध रहा था तो बार बार उनके स्तन को अपने हाथों से सहला देता| जब पट्टी बांध गई तो भौजी मेरी ओर मुड़ी ओर सवालिया नज़रों से मुझे देखने लगी| मैंने उनके होठों को चूम लिया, मेरे चुम्बन से भौजी मदहोश हो रही थीं ओर इधर मैं उनकी बातों से मन्त्र मुग्ध हो चूका था| उनकी "पत्नी" वाली बात ने मुझे उनका दीवाना बना दिया था| मैं नीचे झुका ओर उनकी साडी पकड़ के ऊपर उठा के उनके हाथों में थम दी| अब हम लेट के तो सम्भोग नहीं कर सकते थे, क्योंकि या तो उन्हें नहीं तो मुझे बहुत दर्द होता| दिमाग में अलग ही स्टाइल ने दस्तक दी, मैंने अपना लंड निकला और उनकी योनि के ऊपर रगड़ने लगा| फिर अचानक मैंने हाथ हटा दिया और भौजी बायीं टांग पकड़ के चारपाई के ऊपर रख दी| भौजी ने मेरे लंड को पकड़ के अपनी योनि के भीतर प्रवेश कराया| अब मैंने एक झटके में भौजी को अपनी गोद में उठा लिया| इसे अकस्मात् झटके के कारन मेरा लंड उनकी पहले से गीली योनि में फिसलता हुआ उनकी बच्चे दानी से टकराया| भौजी एक डैम से चिहुक उठी:
"आह्ह...उम्म्म"
पर अगले ही पल उन्होंने अपनी टांगों से मेरी कमर को जकड लिया, अपने हाथों से मेरी गर्दन को अपनी गिरफ्त में ले लिया और मैंने उनको उनकी कमर से थाम लिया| मैं उन्हें इसी हालत में लिए स्नान घर में ले गया, क्योंकि मैं नहीं चाहता था की नेहा हमारी सिस्कारियां सुन उठ जाए और हमें सम्भोग करते हुए देखे| अंदर पहुँच मैंने होले-होले झटके मारता रहा, क्योंकि मुझे आभास था की इस अवस्था में मेरे लंड का उनकी बच्चे दानी से टकराना संभव है| मैं उन्हें दर्द नहीं देना चाहता था इसलिए पूरी कोशिश कर रहा था की पूरा लंड उनकी योनि में ना जाए! ग्रशण इतना अधिक था की हमारा सम्भोग ज्यादा देर नहीं चला| सर्वप्रथम मैं स्खलित हुआ पर फिर भी मैंने नीचे से झटके मारना बंद नहीं किया| अगले ही पल भौजी भी स्खलित हो गईं, उनकी योनि में हम दोनों के शरीर का रास भरने लगा था और जब भौजी ने अपने पाँव जम्मन पे रखे तब मैंने अपना लंड बहार निकला| तब जैसे एक पाँव खीर भौजी की योनि से निकल जमीन पे पचाक!!! कर गिरी| ना जाने क्यों पर भौजी नीचे पड़े मिश्रण को देखने लगीं... मैंने उनका मुख अपने हाथों से उठाया और उनके होठों को चूमा, भौजी की आँखें बंद थीं| उसके बाद भौजी ने लोटे से पानी डालके मेरे लंड को साफ़ किया, मेरे पजामे पर भी हमारे रस की कुछ बूँदें गिरी थीं| जिसे भौजी ने पानी से साफ़ किया और फिर मैं बहार आ गया|
मैंने जा के धीरे से दरवाजा खोला ताकि किसी को शक न हो| पाँच मिनट बाद भौजी भी आ गईं, और वो कुछ निराश लग रहीं थी| वो आपके सीधे अपनी चारपाई पर पेट के बल लेट गईं और मैं अपनी चारपाई पर लेट गया|
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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