Tuesday, August 26, 2014

FUN-MAZA-MASTI चूत का चंदनपुर

FUN-MAZA-MASTI


चूत का चंदनपुर

प्रेषक : गुमनाम
टाइटल पढ़ के आप हैरान हो गए यह मुझे पता हैं..! लेकिन मुझे जब यह चूत अपने दूर के चाचा के चौथे पर मिली तो मैं खुद भी दंग रह गया था. यह चुदाई की कहानी हैं मेरी और वंदना की. कहानी को आगे बढ़ाने से पहले मैं बताऊँ की वंदना मुझे कैसे मिली. दरअसल मैं मेरे बापूजी के
दोस्त इशांत अंकल की मरनी पे उनके वहाँ धुलिया गया हुआ था. धुलिया की संकरी गलियों में मुझे दो दिन हो गए थे. चाचा जी की मौत की खबर सुन के मैं राजस्थान से निकल तो गया लेकिन उनकी अंतिमविधि में मुझे शामिल होने का मौका नहीं मिला इसलिए मेरे बापूजी ने मुझे उनकी चौथ की रस्म ख़तम कर के ही वापस राजस्थान आने को कहाँ. और चाचा के घर के सामने उनके एक दोस्त के वहाँ मुझे रुकने का अवसर मिला. वही दोस्त की बिटिया थी वंदना जिसकी चूत मैंने दो रात मारी थी.
पहली ही रात को मैं अपने मोबाइल के ऊपर गेम खेल रहा था तब वंदना आई और उसने मुझे पूछा, “क्या आप भी इंजीनियरिंग की पढाई करते हैं?”
मैंने हंस के हाँ में सर हलाया. वंदना ने एक बुक निकाली और मुझे दिखा के बोली, “मुझे यह सम में कुछ समझ नहीं आ रही हैं. दरअसल मैं भी इजनेरी शाखा में ही पढाई करती हूँलेकिन डिप्लोमा. और आप तो जानते ही हैं की डिप्लोमा वालों के लिए थोडा टफ होता हैं क्यूंकि हम 10 के बाद सीधा दाखिला लेते हैं…!”
मैंने वंदना की और देखाएक मिनिट में ही यह देसी लड़की बहुत कुछ बोल जो गई थी. उसकी उम्र कुछ 19 की होंगीघुंघराले बाल और मस्त स्माइल. अभी भी उसके गालों के ऊपर स्माइल की वजह से चने बने हुए थे. मैंने उसके हाथ से कापी ली और सम का जवाब दो मिनिट में ही निकाल के दिया. यह सम सच में थोडा हार्ड था. उसने मुझे थेंक्स कहा और वो मेरे गाल पे हलके से किस कर के भाग गई. मैं दो मिनिट के लिए तो सोचता ही रहा की वंदना यह क्या कर के गई. फिर मुझे लगा की शायद उसकी चूत के अंदर भी लौड़ा लेने के लिए आग लगी होंगी तभी तो वो मुझे ऐसे किस दे के भागी. मैं मनोमन सोचने लगा की मरनी पे ना आया होता और शादी में आया होता तो तेरी चूत का चंदनपुर बना के ही जाता. मैं खिन्न हुआ अपनी किस्मत पर की काश वंदना आज यह ना करतीया चाचा जी का देहांत ना हुआ होता.
वो रात तो मैंने अपने लंड के ऊपर हाथ घिस के कुछ तरह निकाल दी लेकिन दुसरे दिन सुबह सुबह ही मुझे वंदना के चुतियापे का फिर से नजारा मिला. दरअसल मैं उनके वहाँ रुका था इसलिए नास्ता भी वही करना था मुझे. वंदना के पिताजी तो सुबह जल्दी अपनी ऑफिस के लिए निकल गए और उसकी मम्मी किचन में पराठे पका रही थी. वंदना ही किचन से पराठे ला ला के मेरी प्लेट में परोस रही थी. एक एक पराठे में उसने अपने कसे हुए सेक्सी चुंचे मुझे 3-3 बार तो दिखाए ही थे. वो जानबूझ के नीचे झुकती थी, जिस से मेरी नजर ना चाहते हुए भी उसके स्तन के ऊपर जायें. और चाय निकालने के वक्त भी उसका वही नाटक चालू रहा. मैंने मनोमन सोचा की इस लड़की की चूत में आज लंड नहीं गया तो यह मेरा पुरुष बलात्कार कर देंगी.
वंदना ने चाय देते देते अपने चुंचे दो बार और मुझे दिखाएँ और वो हंस रही थी. मैंने चाय की प्याली नीचे रखी और मरे हुए चाचा जी को मन में याद कर के क्षमा मांगी. मैंने मनोमन चाचा जी से कहा, “चाचा जी माफ़ करना मैं भी उसी चूत के झमेले में फस गया हूँ जिस चूत के चक्कर में राजा और महाराजाओ के राजपाठ घुस गए. आया तो आप जे चौथे पे हूँ लेकिन अब लगता हैं की यह प्रवास आप की चौथ से ज्यादा इसकी चोद से याद रखना पड़ेंगा. आप मुझे दिल से क्षमा करें….!”
और फिर जब वंदना आखरी परांठा ले के आई तो मैंने उसकी गांड के ऊपर हाथ फेर दिया. वो पीछे मुड के हंसी और मुझे आँख मार दी. साला धुलिया की लड़की इतनी गरम होती हैं मुझे तो आज ही पता चला. तभी वंदना की मम्मी किचन से आई और वंदना को कहने लगी, “बेटा मैं इशांत अंकल के वहाँ जाउंगी तेरी चाची का नास्ता ले के. तू भी कोलेज चली जाना.
वंदना बोली, “नहीं मम्मी आज कोलेज नहीं जाती हूँ. मैं इन से कुछ और प्रोब्लेम्स सीख लूँ. यह यहाँ हैं इसलिए उन्हें भी कंपनी मिल जायेंगी.
वंदना की मम्मी दो प्लेट में नास्ता ले के चली गई और वंदना आके सीधे मेरी गोद में ही बैठ गई. उसके ढीले कपड़ो की वजह से उसके आधे चुंचे मैं ऊपर से ही देख सकता था. उसने नखरे वाली स्टाइल में पूछा, “क्यों मेरे मास्टरजी मुझे सिखाओगे ना.
मैंने उसकी चूत वाले हिस्से के ऊपर हाथ रखा और उसे ऊपर चलने के लिए इशारा किया. वंदना ने नीचे के लोहे के फाटक की ऊपर नीचे की दोनों कड़ी लगाई ताकि उसके खुलने पे हम लोग अलर्ट हो सकें. और फिर हम दोनों ऊपर के कमरे में चले गए. वंदना अपना कोलेज का बेग और बुक्स ले आई ताकि किसी को शक ना हो अगर कोई आ भी जाएँ तो. कमरे में आते ही उसने मुझे गले से पकड़ के अपनी और खींचा और किस करने लगी. मैंने उसके चुंचे पकडे और उसे उसके बूब्स दिखाने को कहा. वंदना ने अपनी टी-शर्ट खोली और अपने टाईट इंडियन चुंचे मुझे दिखाए. माय गॉड क्या जबरदस्त टाईट चुंचे हैं इस देसी लड़की के. मेरा लंड तो जैसे की फट से कूदने लगा. मैंने उसे उसकी चूत दिखाने के लिए भी कहा. और इस लड़की ने बिना कोई हिचकिचाहट के अपनी पेंट की क्लिप खोल दी. और उसने अपनी ज़िप खोल के पेंट थोड़ी नीचे कर दी. उसकी पेंटी मुझे साफ़ दिख रही थी अब तो. मन कर रहा था की उसकी पेंटी ही फाड़ दूँ और उसकी चूत बहार निकाल लूँ
वंदना को अपनी पेंटी उतारने में जैसे की कोई झिझक नहीं हुई. दूसरी लड़कियां पहले अपने चुंचे दिखाती हैं और फिर अपनी चिकनी चूत के दर्शन करवाती हैं लेकिन यहाँ तो उलटी नदी बह रही थी.  मैं कुछ सोच पाता उसके पहले तो वंदना की पेंटी जमीन के ऊपर पड़ी थी और वो अपनी चूत के अंदर अपनी ऊँगली से हिलाने लगी थी. बिना बाल वाली चिकनी चूत थी इस हॉट मराठी लड़की की जिस में से चूत का रस भी बहता हुआ नजर आ रहा था. मेरे लंड ने भी जैसे की पेंट की दिवार को दस्तक दी और कहने लगा, भोसड़ी वाले हमें भी तो दिखाओ चूत. हम ही दुल्हे हैं इस चिकनी चूत के और यह चूत की आग को ठंडी करने के लिए हमारा ही पानी चाहियें होगा तुम्हे.
वंदना ने अब हलके से अपना लूज़ टॉप खोला और अपने चुंचे हवा में लहरा दिए. वो अपने दोनों चुंचो को पकड़ के जोर जोर से दबाने लगी मेरे सामने ही. लोग पैसे दे के स्ट्रिप क्लब जाके नग्न नाच देखतें हैं और मैं पहला इंसान होऊंगा शायद जो आया तो मरनी पे था लेकिन उसे चूत के दर्शन भी हो रहे थे और एक लड़की उसके लिए नग्न नाच भी कर रही थी. वंदना ने अब अपनी चिकनी चूत को मेरी नजरों से दूर किया और उसकी छोटी लेकिन फटी हुई गान को मेरी तरफ किया. उसने अपने दोनों कूल्हें दोनों तरफ से फैलाए और मुझे अपनी गांड का गहरे रंग का छेद दिखाने लगी. वाऊदोनों छेद में काफी अंतर नहीं थाऊपर गांड का छेद था जो थोडा काला था और नीचे चूत का छेद था जो साफ़ और थोडा चिकना था.
वंदना ने पीछे घुमे रहते हुए ही अपनी चूत के अंदर एक ऊँगली डाली और वो ऊँगली को अंदर बहार करने लगी. मैंने उसकी चिकनी चूत की अंदर बहार होती ऊँगली देखी और मुझे जैसे के उस ऊँगली से जलन सी हो रही थी. मैंने अपनी पेंट निकाल दी पूरी की पूरी और मैं उसके पास जा के खड़ा हो गया. वंदना का हाथ सीधा ही मेरे लंड के ऊपर आ गया. वो लंड जैसे की कार का गियर हो वैसे पकड़ के उसे इधर उधर करने लगी. मेरे लंड और लंड के नीचे के टट्टे जैसे की कराह रहे थे की छोड़ दो और अब जल्दी ही मुझे चोद दो. लेकिन वंदना इतनी जल्दी उन्हें अपनी चूत के फाटक में थोड़ी घुसने देने वाली थी. वो मुझे पकड़ के बेड के ऊपर ले के गई और वही पटक दिया. अब वो मेरे ऊपर चढ़ गईउसकी गांड मेरी जांघो के ऊपर थी और उसने अपने बाल भी खोल डाले अब तो. अब वो अपने चुंचे पकड़ के मेर होंठो पे निपल से हमला करने लगी. उसकी कड़ी हुई चुंचिया मेरे होंठो और नाक के ऊपर लड़ रही थी. मैंने अपने हाथ लम्बे कर के उसकी चुंचिया पकड़ के जोर से दबा दी. वंदना की आह निकल गई क्यूंकि उसकी चुंची को मैंने कुछ ज्यादा ही जोर से दबोच जो लिया था.
और वंदना उसके बाद जो बोली वो तो जैसे मेरे कान में गरम शीशे की तरह उतर गया, “तूने झडती चूत का रस पिया हैं क्या कभीनहीं पिया तो मैं तुझे आज अपनी कुंवारी चूत का रस पिलाती हूँ…!”
और उसने अपनी चूत के अंदर एक ऊँगली डाली. जब ऊँगली बहार आई तो उसके ऊपर बहुत सारा रस लगा हुआ था. उसने बिना एक सेकंड रुके वो ऊँगली मेरे मुहं में डाल दी. खारा खारा रस चख के जैसे मुझे सेक्स का नशा और भी चढ़ गया. मैंने वंदना की गांड के ऊपर जोर से चमाट लगाई. तभी वंदना बोली, “चल अब बहुत हुआ तू मेरी चिकनी चूत के अंदर अपना लंड डाल के मुझे पेल डाल. मैं भी बहुत समय से लंड ढूंढ रही थी और तेरे आते मेरी तलाश पूरी हो गई हैं.
मैंने वंदना की गांड के ऊपर एक चमाट और लगाई और उसे खड़ा कर के आगे झुका दिया.. उसकी गांड पीछे खुली थी औए नीचे चूत का छेद था. मैंने अपनी ऊँगली पे ढेर सारा थूंक लगाया और लंड के सुपाड़े के उपर थूंक मल दिया.  वंदना अपनी गांड फाड़ के खड़ी हो गई थीवो भी लौड़ा अपनी चूत में पेलवाने के लिए बेताब ही थी. मैंने अपने लंड को पकड़ के उसकी चूत के ऊपर सही तरह घिसा और फिर एक ही झटके में पूरा 75% लौड़ा अंदर घुसेड दिया. वंदना के मुहं से एक लंबी चीख निकल पड़ी. मैंने उसके मुहं को अपने हाथ से दबा दिया नहीं तो चाचा की मरनी पे आये सारे लोग यहाँ आ जाते. मैंने 6-7 हलके हलके झटके उसकी चूत में मार के उसे लंड से थोडा एडजस्ट किया. वंदना अब एडजस्ट होती दिखी क्यूंकि उसकी गांड थोड़ी हिलने लगी और वो पूरा लंड अपनी चिकनी चूत में लेने के लिए अपनी गांड को मस्त हिलाने लगी.
मैंने अब वंदना की कमर के दोनों तरफ हाथ रख दिए और मैंने उसकी चिकनी चूत को जोर जोर से पेलने लगा. वंदना को और उत्तेजित करने के लिए मैंने अपनी ऊँगली उसके मुहं में दे दी. और वो जैसे की छोटी लूल्ली चूस रही हो वैसे मेरी ऊँगली को सक करने लगी. आह आह की आवाजें निकाल के मैं पूरा लौड़ा उसकी चिकनी चूत में डाल रहा था और वो भी आह आह करती हुई मुझे पुरे मजे देने के मुड में थी. उसकी उत्तेजना और भी बढती दिखी मुझे अब क्यूंकि वो अपनी गांड को और भी जोर से हिलाने लगी. मैंने भी कस के उसकी चूत को पुरे 20 मिनिट ठेला और फिर उसकी चूत में ही अपने लंड का रस निकाल दिया.
वंदना थक गई मेरी हार्डकोर चुदाई से अब तो. लंड निकालते ही वो नीचे लेट गई. मैंने कपडे पहने ताकि कोई आये तो प्रॉब्लम ना हो. मैंने जिद कर के वंदना को भी कपडे पहनाये. वंदना तो दूसरी बार भी चुदना चाहती थी उसी वक्त. लेकिन मैंने उसे शाम के बाद चोदने का वादा किया और कपडे पहना दिए. शाम को वंदना की चिकनी चूत मैंने फिर से एक बार ली. चाचा की चौथ आते आते तो वंदना ने मुझ से गांड भी मरवा ली थी। चौथ के बाद मैं वापस राजस्थान आने के लिए निकल पड़ा. वंदना ने मुझे अपना मोबाइल नंबरदिया और जब उसे चोदना हो तो धुलिया आ जाने को कहा










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