FUN-MAZA-MASTI
पुजारी हवस का --9
मैने अपने खडे लंड को उसकी गीली चूत के छेद पर लगा दिया। फिर एक जोरदार धक्के के साथ अपना पुर लंड उसकी बुर में, एक ही बार में पेल दिया। ओह, क्या अदभुत अहसास था, यह ! इसका वर्णन शब्दो में करना संभव नही है। उसकी रस से भरी, पनियाई हुई चूत ने, मेरे लौडे को अपनी गरम आगोश में ले लिया। उसकी मखमली चूत ने मेरे लंड को पुरी तरह से कस लिया। मैं धक्के लगाने लगा। मेरी प्यारी बहन ने भी अपनी गांड को पिछे की तरफ धकेलते हुए, मेरे लंड को अपनी चूत में लेना शुरु कर दिया। हम दोनो भाई-बहन, अब पुरी तरह से मदहोश होकर मजे की दुनिया में उतर चुके थे। मैं आगे झुक कर, उसकी कांख की तरफ से अपने हाथ को बाहर निकाल कर उसकी गुदाज चुचियों को, उपर से ही दबाने लगा। उसकी चुचियां एकदम कठोर हो गई थी। उसकी ठोस चुचियों को दबाते हुए मैं अब तेजी से धक्के लगाने लगा था, और रचना के मुंह से सिसकारीयां फुटने लगी थी। वो सिसकाते हुए बोल रही थी,
“ओह भाई, ऐसे ही, ऐसे ही चोदो, हां,,,, हां, इसी तरह से जोर-जोर से धक्का लगाओ, भाई। इसी प्रकार से चोदो, मुझे।”“आह, शीईईईई, रचना तुम्हारी चूत कितनी टाईट और गरम है। ओह,,, मेरी प्यारी बहना,,,, लो अपनी चूत में मेरे लंड को,,,, ऐसे ही लो। देखो,,, ये लो मेरा लंड अपनी चूत में,,,,,, ये लो,,,,,,,, फिर से लो,,,,,,, क्या, एक और दुं ?? ले लो,,,, मेरी रानी बहन,,,,, हाये रचना।”
मैं उसकी चूत की चुदाई, अब पुरी ताकत और तेजी के साथ कर रहा था। हम दोनो की उत्तेजना बढती जा रही थी। ऐसा लग रहा था कि, किसी भी पल मेरे लौडे से गरम लावा निकल पडेगा।
“ओह चोदु,,,,, चोदो,,,,,, और जोर से चोदो। ओह, कस कर मारो,,,,,, और जोर लगा कर धक्का मारो। ओह,,,, मेरा निकल जाआयेएएगाआ,,,,, उईईईईई!!!!!! कुत्तेएएए, और जोर से चोद, मुझे। बडी बहन की बुर चोदने वाले,,,, चोदु हरामी,,,, और जोर से मारो, अपना पुरा लंड मेरी चूत में घुसा कर चोद,,,,, कुतिया के बच्चे,,,,,,,,श्श्शीशीशीईईईईईई,,,,, मेरा निकल जायेगाआआ,,,,,,”
मैं अब और जोर-जोर से धक्के मारने लगा। मैं अपने लंड को पुरा बाहर निकल कर, फिर से उसकी गीली चूत में पेल देता। रचना की चुचियों को दबाते हुए, उसके चुतडों पर हाथ फेरते और मसलते हुए, मैं बहुत तेजी के साथ रचना को चोद रहा था। मेरी बहन, अब किसी कुतिया की तरह कुकिया रही थी। और वो अपने चुतडों को नचा-नचा कर, आगे-पिछे धकेलते हुए, मेरे लंड को अपनी चूत में लेते हुए, सिसिया रही थी,
“ओह चोदो, मेरे चोदु भाई, और जोर से चोदो। ओह,,,,,, मेरे चुदक्कड बलमा, श्श्शीशीशीशीईईईई,,,,,,, हरामजादे,,,,,,, और जोर से मारो मेरी चूत को,,,, ओह,,,, ओह,,,,,ईईईस्स्स,,,,आआह्ह,,,, बहनचोद,,,,, मेरा अब निकल रहा हैएएएए,,,, ओओओओह्ह्ह,,, ,,, श्श्शीशीशीशीईईईई,,,,,!!!!!”,
कहते हुए, अपने दांतो को पीसते हुए, और चुतडों को उचकाते हुए, वो झडने लगी।
मैने भी झडने ही वाला था। इसलिये चिल्ला कर उसको बोला,
“ओह कुतिया,,,,, लंडखोर,,,, साआल्ली,,, मेरे लिये रुको। मेरा भी अब निकलने वाला,,,,,,,, ओह,, रानी,,,, मेरे लंड का पानी भी,,,,, अपनी बुर में लोओओओ,,, ओह,,, लो,,, लो,,,, ओह ऊउफ्फ्फ,,,,,,,”
ठीक उसी समय मुझे ऐसा लगा, जैसे मैं किसी के जोर से बोलने और चिल्लाने की आवाज सुन रहा हुं। जब मैने मुड कर देखा तो, ओह,,, ये मैं क्या देखा रहा हुं !!!!!! मेरे अंदर की सांस, अंदर ही रह गई। सामने मेरी मम्मी खडी थी। उसका चेहरा गुस्से से लाल हो रहा था। वो क्रोध में अपने होंठो को काट रही थी, और अपने कुल्हे पर अपने हाथ रख कर चिल्ला रही थी। उसका चिल्लाना तो, एक पल के लिये हम दोनो भाई-बहन को कुछ समझ में नही आया।
मेने मॉम से कहा की वो ऐसे रियेक्ट नही करे इसमें रचना की कोई गलती नही हे मेने ही उसे सेक्स के लिए मजबूर किया हे ,मॉम ने मुझे हिकारत भरी नजरो से देखते हुए कहा की मुझे पता नही था की तू इतना बड़ा कमीना निकलेगा।
मेने शांति से कहा की मॉम अब जो हो चूका वो हो चूका ,अब बेहतर ये ही हे की आप और रचना चुदाई में हमेशा मेरा सहयोग करे नही तो आप को इसका खामियाजा उठाना पद सकता हे। मॉम अब तो और भड़क गयी और वो अंत शांत बकने लगी में सब सुनता रहा ,थोड़ी देर बाद मेने मॉम से कहा की अब बहुत हो चूका,आप हमारे मौसम की इस तेस न करे अगर उन्हें भी इस मौसम में चुदाई का आनंद लेना हे तो वो भी बेशरम बन जाये और थोड़ी देर के लिए ये सोच ले की रचना और में तो भाई बहन हे जो चुदाई कर ही रहे हे और आप रचना की एक फ्रेंड हे ,अब हम आपको मॉम नही कह कर आपको आपके नाम से ही पुकारेंगे,मॉम ने देखा की में नही मन ने वाला तो उन्होंने अपनी सहमति दे दी।
मेने मॉम से कहा की अगर वो बेशरम बन कर सहयोग करेगी तो उन्हें भी ज्यादा मजा आएगा और हमें भी। हम तीनो, यानि मैं, ऋतू और रचना पहाड़ी की तरफ चल दिए, ऋतू आगे चल रही थी, , उस ऊँची चट्टान पर, मैं और रचना उसके पीछे थे, रचना ने अपने हाथ मेरी कमर पर लपेट रखे थे और मैंने उसकी कमर पर, बीच-२ में हम एक दुसरे को किस भी कर लेते थे, बड़ा ही सुहाना मौसम था, आज धुप भी निकली हुई थी.
रचना थोडा थक गयी और सुस्ताने के लिए एक पेड़ के नीचे बैठ गयी, मैं भी उसके साथ बैठ गया, ऋतू आगे निकल गयी और हमारी आँखों से ओझल हो गयी.
रचना ने अपने होंठ मेरी तरफ बड़ा दिए और में उन्हें चूसने लगा, मैंने हाथ बड़ा कर उसके सेब अपने हाथों में ले लिए और उनके साथ खेलने लगा, उसे बहुत मजा आ रहा था, मेरा लंड भी खड़ा हो चुका था, पर तभी मेरा ध्यान ऋतू की तरफ गया और मैं जल्दी से खड़ा हुआ और रचना को चलने को कहा, क्योंकि वो जंगली इलाका था और मुझे अपनी मॉम की चिंता हो रही थी, हम जल्दी-२ चलते हुए चट्टान के पास पहुंचे और वहां देखा तो ऋतू , अपने कपडे उतार कर, बिलकुल नंगी बैठी हुई थी। .में मॉम के इस अंदाज को देख कर खुश हो गया मेने मॉम को शुक्रिया कहा तो उन्होंने कहा की इसकी जरू रत नही हे वो अपने बेटे ख़ुशी के लिए सब कर सकती हे ,फिर उन्होंने कहा की में अब उन्हें ऋतू के नाम से ही पुकारू।
"तुम क्या रास्ते में ही शुरू हो गए थे, इतनी देर क्यों लगा दी ?" उसने हमसे शिकायती लहजे से पूछा.
रचना ने जब देखा की ऋतू नंगी है तो उसने भी अपनी लोन्ग फ्रोक्क को नीचे से पकड़ा और अपने सर से उठा कर उसे उतार दिया, वो नीचे से बिलकुल नंगी थी और वो भी जाकर अपनी मॉम के साथ चट्टान पर लेट गयी, अब मेरे सामने दो जवान नंगी लड़कियां बैठी थी, मेरा लंड मचल उठा और मैंने भी अपने कपडे बिजली की फुर्ती से उतार डाले.
रचना ने मेरा लंड देखा तो उसकी आँखों में एक चमक सी आ गयी, वो आगे बड़ी तभी ऋतू ने उसे पीछे करते हुए कहा "चल कुतिया पीछे हो जा, पहले मैं चुसुंगी अपने बेटे का लंड"
रचना को विश्वास नहीं हुआ की ऋतू ने उसे गाली दी, पर जब हम दोनों को मुस्कुराते हुए देखा तो वो समझ गयी की आज गाली देकर चुदाई करनी hai, तो वो भी चिल्लाई "तू हट हरामजादी, अपने बेटे का लंड चूसते हुए तुझे शर्म नहीं आती भेन की लोड़ी, कमीनी कहीं की...." और उसने ऋतू के बाल हलके से पकड़ कर पीछे किया और झुक कर मेरे लम्बे लंड को मुंह में भर लिया.
ठन्डे मौसम में मेरा लंड उसके गरम मुंह में जाते ही मैं सिहर उठा.
"अच्छा तो तो इससे चुसना चाहती है, ठहर मैं तुझे बताती हूँ..."और ये कहते ही उसने रचना की गांड को थोडा ऊपर उठाया और अपनी जीभ रख दी उसके गांड के छेद पर..
आआआआआयीईईईईईईई ....."वो चिल्ला उठी..और इतने में ऋतू ने एक जोरदार हाथ उसके गोल चुतद पर दे मारा....और अपनी एक ऊँगली उसकी गांड के छेद में डाल दी...आआआआआआआआआआह्ह्ह्ह ......नहीईईईईईईईईईईई .....वहान्न्नन्न्न्न नहीईईईईईईईई.....पर ऋतू ने नहीं सुना और अपनी दूसरी ऊँगली भी घुसेड दी...उसकी आँखें बाहर निकल आई. पर उसने मेरा लंड चुसना नहीं छोड़ा...
उनकी लड़ाई में मेरे लंड का बुरा हाल था, क्योंकि अपने ऊपर हुए हमले का बदला रचना मेरे लंड को उतनी ही जोर से चूस कर और काट कर ले रही थी...
मैंने रचना के बाल वहशी तरीके से पकडे और उसका चेहरा ऊपर करके उसके होंठ काट डाले, वो दर्द से बिलबिला उठी " छोड़ कुत्ते ......आआआआआआयीईईईईइ ..भेन चोद..भुतनिके...आआआआआह...वो चिल्लाती जा रही थी, क्योंकि उसकी गांड में ऋतू की उँगलियाँ थी जिससे उसकी गांड फट रही थी और ऊपर से उसके उसके होंठ काट-२ कर मैं उसकी फाड़ रहा था, उसके मुंह से लार गिर रही थी और उसके पेट पर गिरकर उसे चिकना बना रही थी, अचानक ऋतू ने अपने दुसरे हाथ को आगे बढाकर मेरी गांड में एक ऊँगली दाल दी, मेरे तन बदन में बिजली दौड़ गयी, मैं उछल पड़ा, पर मैंने रचना को चुसना नहीं छोड़ा, फिर मैंने अपनी बलशाली भुजाओं का प्रयोग किया और रचना को किसी बच्चे की तरह उसकी जांघो से पकड कर ऊपर उठा लिया और उसने अपनी टांगे मेरे मुंह के दोनों तरफ रख दी, और अपनी चूत का द्वार मेरे मुंह पर टिका दिया.
ऋतू ने चूसकर उसकी चूत को काफी गीला कर दिया था, मेरे मुंह में उसका रस और ऋतू के मुंह की लार आई और मैं सड़प-२ कर उसे चाटने लगा, उसने मेरे बालों को जोर से पकड़ रखा था और मैं चट्टान पर अपनी गांड टिकाये जमीन पर खड़ा था, रचना मेरे मुंह पर चूत टिकाये चट्टान पर हवा में खड़ी थी, और ऋतू नीचे जमीन पर किसी कुतिया की तरह अब मेरे गांड के छेद को चाट रही थी.
पूरी वादियों में हम तीनो की सिस्कारियां गूंज रही थी.
मैंने अपना हाथ पीछे करके रचना की गांड पर रख दिया और उसकी गांड के छेद में एक साथ दो उंगलियाँ घुसा दी, अब उसे भी अपनी गांड के छेद के द्वारा मजा आ रहा था, वो मुझसे चुद चुकी थी, आज उसके मन में गांड मरवाने का भी विचार आने लगा, गांड में हुए उत्तेजक हमले और चूत पर मेरे दांतों के प्रहार से वो और भड़क उठी और वो अपनी चूत को ओर तेजी से मेरे मुंह पर घिसने लगी, और झड़ने लगी.......आआआआआआआआअह्ह्ह...ले कुत्ते ....भेन के लोडे.....पी जा मेरा रस......आआआआआआआआह्ह...उसकी चूत आज काफी पानी छोड़ रही थी, मेरे मुंह से निकलकर चूत के पानी की बूंदे नीचे गिर रही थी और वहां बैठी हमारी कुतिया ऋतू अपना मुंह ऊपर फाड़े उसे कैच करने में लगी हुई थी.
झड़ने के बाद रचनामेरे मुंह से नीचे उतर आई और चट्टान पर अपनी टाँगे चोडी करके बैठ गयी, मैंने अपना फड़कता हुआ लंड उसकी चूत के मुहाने पर रखा ही था की उसने मुझे रोक दिया ओर बोली "आज मेरी गांड में डालो...." मैंने हैरानी से उसकी आँखों में देखा ओर उसने आश्वासन के साथ मुझे फिर कहा "हां...बाबा...चलो मेरी गांड मारो...प्लीस .." मैंने अपनी वही पुरानी तरकीब अपनाई ओर एक तेज झटका मारकर उसकी चूत में अपना लंड डाल दिया....वो चिल्लाई..."अबे...भेन चोद..समझ नहीं आती क्या...गांड मार मेरी...चूत नहीं कुत्ते..." पर मैं नहीं रुका ओर उसकी चूत में अपना लंड अन्दर तक पेल दिया ओर तेजी से झटके मारने लगा.....अब मेरा लंड उसकी चूत के रस से अच्छी तरह सराबोर हो चूका था, मैंने उसे निकाला, उसकी आँखों में विस्मय के भाव थे की मैंने उसकी चूत में से अपना डंडा क्यों निकाल लिया, मैंने उसे उल्टा लेटने को कहा, कुतिया वाले पोस में, वो समझ गयी ओर अपनी मोटी गांड उठा कर चट्टान पर अपना सर टिका दिया, ऋतू जो अब तक खामोश बैठी अपनी चूत में उँगलियाँ चला रही थी, उछल कर चट्टान पर चढ़ गयी ओर अपनी टाँगे फैला कर रचना के मुंह के नीचे लेट गयी, रचना समझ गयी ओर अपना मुंह उसकी नरम ओर गरम चूत पर रख दिया ओर चाटने लगी..
आआआआआआआआह्ह्ह....ऋतू ने अपनी आँखें बंद कर ली ओर चटवाने के मजे लेने लगी, .म्म्म्मम्म्म्मम्म .....
वो रचना के सर को अपनी चूत पर तेजी से दबा रही थी...चाट कुतिया....मेरी चूत से सारा पानी चाट ले...आआआआआआअह्ह्ह.....भेन चोद ....हरामजादी....चूस मेरी चूत को....आआआआआह्ह्ह्ह...
रचना ने उसकी चूत को खोल कर उसकी क्लिट को अपने मुंह में ले लिया ओर चूसने लगी, ऋतू तो पागल ही हो गयी..
ओह ओह ओह ओह ओह ओह ओह ओह ओह अह अह अह अह अह अह अह .......वो बदबदाये जा रही थी ओर चुसवाती जा रही थी.
पीछे से मैंने रचना की गांड की बनावट देखि तो देखता ही रह गया, उसके उठे हुए कुल्हे किसी बड़े से गुब्बारे से बने दिल की आकृति सा लग रहा था, मैंने उसे प्यार से सहलाया ओर अपने एक हाथ से उसे दबाने लगा , .... रचना ने ऋतू की चूत चाटना छोड़ा ओर पीछे सर करके बोली "अबे भेन छोड़.....क्या अपना लंड हिला रहा है पीछे खड़ा हुआ...कमीने, मेरी गांड मसलना छोड़ ओर डाल दे अपना हथियार मेरी कुंवारी गांड में...डाल कुत्ते....." वो लगभग चिल्ला ही रही थी.
मैंने अपना लंड थूक से गीला किया ओर उसकी गांड के छेद पर टिकाया ओर थोडा सा धक्का मारा...अयीईईईईईईईईईई .........मर गयीईईईईईईईईईईइ .....अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ..............नहीईईईईईईईइ...."मेरे लंड का तोप उसकी गांड के रिंग में फंस गया था....मैंने आगे बढकर अपने लंड का निशाना बनाकर थूक फैंकी जो सही निशाने पर लगी, लंड गीला हो गया, मैंने एक ओर धक्का मारा....आआआआआआआआआआआआआआआआअह्ह्ह ये चीख काफी लम्बी थी...उसने अपने दांत ऋतू की चूत में गाद दिए, वो भी बिलबिला उठी....."हत्त्तत्त्त्त कुतियाआआआअ.......अपनी गांड फटने का बदला मेरी चूत से ले रही है........आआआआआआआआह्ह्ह्ह ...धीरे चाट........नहीं तो तेरी चूत में लकड़ी का तना डाल दूंगी..."ऋतू ने रचना को धमकी दी..
मेरा लंड आधा उसकी गांड में घुस चूका था....मैंने उसे निकाला ओर थोड़ी ओर थूक लगाकर फिर से अन्दर डाला..अब मैं सिर्फ आधा लंड ही डाल रहा था, वो अपनी गांड धीरे -२ मटका कर घुमाने लगी, मैं समझ गया की उसे भी मजा आ रहा है, रचना की गांड मोटी होने के साथ-२ काफी टायट भी थी, ८-१० धक्के लगाने के बाद मैंने फिर से आगे की तरफ झटका मारा......"तेरी माँ की चूत........भोंसड़ीके ....कमीने....कुते....फाड़ डाली मेरी गांड......आआआआआआआआह्ह्ह्ह ......वो चिल्लाती जा रही थी ओर अपनी गांड मटकाए जा रही थी, मैं समझ नहीं पा रहा था की उसे मजा आ रहा है या दर्द हो रहा है.
उधर ऋतू का बुरा हाल था, चटवाने से पहले उसे बड़े जोर से पेशाब आ रहा था, पर चटवाने के लालच में वो कर नहीं पायी थी, अब जब रचना उसकी चूत का ताना बाना अलग कर रही थी तो उससे बर्दाश्त नहीं हुआ ओर उसने अपने तेज पेशाब की धार सीधे रचना के मुंह में दे मारी, पहले तो रचना को लगा की ऋतू झड गयी है पर जब पेशाब की बदबू उसके नथुनों में समायी तो उसने झटके से अपना मुंह पीछे किया ओर उसकी चूत पर थूक दिया, उसकी चूत का फव्वारा बड़ी तेजी से उछला ओर उसके सर के ऊपर से होता हुआ रचना की पीठ पर गिरा, मेरे सामने ऋतू अपनी चूत खोले अपने पेचाब से रचना की कमर भिगो रही थी, उसकी कमर से होता हुआ ऋतू का पेशाब, मेरे गांड मारते लंड तक फिसल कर आ गया ओर उसे ओर लसीला बना दिया, ओर मैं ओर तेजी से रचना की गांड मारने लगा...
रचना ने अपना मुंह तो हटा लिया था पर उसके गले से कुछ बुँदे उसके पेट में भी चली गयी थी, उसका स्वाद थोडा कसेला था, पर उसे पसंद आया, आज वो किसी जंगली की तरह बर्ताव कर रही थी, उसने उसी जंगलीपन के आवेश में अपना मुंह वापिस बारिश कर रहे फुव्वारे पर टिका दिया, ओर जलपान करने लगी...ऋतू ने जब देखा की उसकी बेटी उसका पेशाब पी रही है तो वो ओर तेजी से झटके दे देकर अपनी चूत उसके मुंह में धकेलने लगी.
मेरा लंड भी अब काफी गीला हो चूका था, थूक, पेशाब ओर रचना की चूत के रस में डूबकर..
वो किसी पिस्टन की तरह उसकी गांड में अन्दर बाहर हो रहा था, रचना की गांड का कसाव मेरे लंड पर हावी हो रहा था, मेरे लंड ने जवाब दे दिया ओर उसने नेहा की गांड में उल्टी कर दी.
रचना ने भी अपनी गांड में गर्म वाला महसूस करते ही, झड़ना शुरू कर दिया, ओर वहां ऋतू की चूत ने भी जवाब दे दिया ओर वो भी रस टपकने लगी, रचना ने अपनी गांड से मेरा लंड निकाला ओर अपना मुंह ऋतू की चूत की तरफ घुमा कर अपनी गांड उसके मुंह पर टिका दी, ऋतू मेरे लावे को चाटने लगी ओर अपना रस रचना को चटवाने लगी, मैं जमीन पर खड़ा हुआ अपने मुरझाते हुए लंड को देख रहा था ओर उन दोनों कुतियों को एक दुसरे की चूत चाटते हुए देख रहा था.
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पुजारी हवस का --9
मैने अपने खडे लंड को उसकी गीली चूत के छेद पर लगा दिया। फिर एक जोरदार धक्के के साथ अपना पुर लंड उसकी बुर में, एक ही बार में पेल दिया। ओह, क्या अदभुत अहसास था, यह ! इसका वर्णन शब्दो में करना संभव नही है। उसकी रस से भरी, पनियाई हुई चूत ने, मेरे लौडे को अपनी गरम आगोश में ले लिया। उसकी मखमली चूत ने मेरे लंड को पुरी तरह से कस लिया। मैं धक्के लगाने लगा। मेरी प्यारी बहन ने भी अपनी गांड को पिछे की तरफ धकेलते हुए, मेरे लंड को अपनी चूत में लेना शुरु कर दिया। हम दोनो भाई-बहन, अब पुरी तरह से मदहोश होकर मजे की दुनिया में उतर चुके थे। मैं आगे झुक कर, उसकी कांख की तरफ से अपने हाथ को बाहर निकाल कर उसकी गुदाज चुचियों को, उपर से ही दबाने लगा। उसकी चुचियां एकदम कठोर हो गई थी। उसकी ठोस चुचियों को दबाते हुए मैं अब तेजी से धक्के लगाने लगा था, और रचना के मुंह से सिसकारीयां फुटने लगी थी। वो सिसकाते हुए बोल रही थी,
“ओह भाई, ऐसे ही, ऐसे ही चोदो, हां,,,, हां, इसी तरह से जोर-जोर से धक्का लगाओ, भाई। इसी प्रकार से चोदो, मुझे।”“आह, शीईईईई, रचना तुम्हारी चूत कितनी टाईट और गरम है। ओह,,, मेरी प्यारी बहना,,,, लो अपनी चूत में मेरे लंड को,,,, ऐसे ही लो। देखो,,, ये लो मेरा लंड अपनी चूत में,,,,,, ये लो,,,,,,,, फिर से लो,,,,,,, क्या, एक और दुं ?? ले लो,,,, मेरी रानी बहन,,,,, हाये रचना।”
मैं उसकी चूत की चुदाई, अब पुरी ताकत और तेजी के साथ कर रहा था। हम दोनो की उत्तेजना बढती जा रही थी। ऐसा लग रहा था कि, किसी भी पल मेरे लौडे से गरम लावा निकल पडेगा।
“ओह चोदु,,,,, चोदो,,,,,, और जोर से चोदो। ओह, कस कर मारो,,,,,, और जोर लगा कर धक्का मारो। ओह,,,, मेरा निकल जाआयेएएगाआ,,,,, उईईईईई!!!!!! कुत्तेएएए, और जोर से चोद, मुझे। बडी बहन की बुर चोदने वाले,,,, चोदु हरामी,,,, और जोर से मारो, अपना पुरा लंड मेरी चूत में घुसा कर चोद,,,,, कुतिया के बच्चे,,,,,,,,श्श्शीशीशीईईईईईई,,,,, मेरा निकल जायेगाआआ,,,,,,”
मैं अब और जोर-जोर से धक्के मारने लगा। मैं अपने लंड को पुरा बाहर निकल कर, फिर से उसकी गीली चूत में पेल देता। रचना की चुचियों को दबाते हुए, उसके चुतडों पर हाथ फेरते और मसलते हुए, मैं बहुत तेजी के साथ रचना को चोद रहा था। मेरी बहन, अब किसी कुतिया की तरह कुकिया रही थी। और वो अपने चुतडों को नचा-नचा कर, आगे-पिछे धकेलते हुए, मेरे लंड को अपनी चूत में लेते हुए, सिसिया रही थी,
“ओह चोदो, मेरे चोदु भाई, और जोर से चोदो। ओह,,,,,, मेरे चुदक्कड बलमा, श्श्शीशीशीशीईईईई,,,,,,, हरामजादे,,,,,,, और जोर से मारो मेरी चूत को,,,, ओह,,,, ओह,,,,,ईईईस्स्स,,,,आआह्ह,,,, बहनचोद,,,,, मेरा अब निकल रहा हैएएएए,,,, ओओओओह्ह्ह,,, ,,, श्श्शीशीशीशीईईईई,,,,,!!!!!”,
कहते हुए, अपने दांतो को पीसते हुए, और चुतडों को उचकाते हुए, वो झडने लगी।
मैने भी झडने ही वाला था। इसलिये चिल्ला कर उसको बोला,
“ओह कुतिया,,,,, लंडखोर,,,, साआल्ली,,, मेरे लिये रुको। मेरा भी अब निकलने वाला,,,,,,,, ओह,, रानी,,,, मेरे लंड का पानी भी,,,,, अपनी बुर में लोओओओ,,, ओह,,, लो,,, लो,,,, ओह ऊउफ्फ्फ,,,,,,,”
ठीक उसी समय मुझे ऐसा लगा, जैसे मैं किसी के जोर से बोलने और चिल्लाने की आवाज सुन रहा हुं। जब मैने मुड कर देखा तो, ओह,,, ये मैं क्या देखा रहा हुं !!!!!! मेरे अंदर की सांस, अंदर ही रह गई। सामने मेरी मम्मी खडी थी। उसका चेहरा गुस्से से लाल हो रहा था। वो क्रोध में अपने होंठो को काट रही थी, और अपने कुल्हे पर अपने हाथ रख कर चिल्ला रही थी। उसका चिल्लाना तो, एक पल के लिये हम दोनो भाई-बहन को कुछ समझ में नही आया।
मेने मॉम से कहा की वो ऐसे रियेक्ट नही करे इसमें रचना की कोई गलती नही हे मेने ही उसे सेक्स के लिए मजबूर किया हे ,मॉम ने मुझे हिकारत भरी नजरो से देखते हुए कहा की मुझे पता नही था की तू इतना बड़ा कमीना निकलेगा।
मेने शांति से कहा की मॉम अब जो हो चूका वो हो चूका ,अब बेहतर ये ही हे की आप और रचना चुदाई में हमेशा मेरा सहयोग करे नही तो आप को इसका खामियाजा उठाना पद सकता हे। मॉम अब तो और भड़क गयी और वो अंत शांत बकने लगी में सब सुनता रहा ,थोड़ी देर बाद मेने मॉम से कहा की अब बहुत हो चूका,आप हमारे मौसम की इस तेस न करे अगर उन्हें भी इस मौसम में चुदाई का आनंद लेना हे तो वो भी बेशरम बन जाये और थोड़ी देर के लिए ये सोच ले की रचना और में तो भाई बहन हे जो चुदाई कर ही रहे हे और आप रचना की एक फ्रेंड हे ,अब हम आपको मॉम नही कह कर आपको आपके नाम से ही पुकारेंगे,मॉम ने देखा की में नही मन ने वाला तो उन्होंने अपनी सहमति दे दी।
मेने मॉम से कहा की अगर वो बेशरम बन कर सहयोग करेगी तो उन्हें भी ज्यादा मजा आएगा और हमें भी। हम तीनो, यानि मैं, ऋतू और रचना पहाड़ी की तरफ चल दिए, ऋतू आगे चल रही थी, , उस ऊँची चट्टान पर, मैं और रचना उसके पीछे थे, रचना ने अपने हाथ मेरी कमर पर लपेट रखे थे और मैंने उसकी कमर पर, बीच-२ में हम एक दुसरे को किस भी कर लेते थे, बड़ा ही सुहाना मौसम था, आज धुप भी निकली हुई थी.
रचना थोडा थक गयी और सुस्ताने के लिए एक पेड़ के नीचे बैठ गयी, मैं भी उसके साथ बैठ गया, ऋतू आगे निकल गयी और हमारी आँखों से ओझल हो गयी.
रचना ने अपने होंठ मेरी तरफ बड़ा दिए और में उन्हें चूसने लगा, मैंने हाथ बड़ा कर उसके सेब अपने हाथों में ले लिए और उनके साथ खेलने लगा, उसे बहुत मजा आ रहा था, मेरा लंड भी खड़ा हो चुका था, पर तभी मेरा ध्यान ऋतू की तरफ गया और मैं जल्दी से खड़ा हुआ और रचना को चलने को कहा, क्योंकि वो जंगली इलाका था और मुझे अपनी मॉम की चिंता हो रही थी, हम जल्दी-२ चलते हुए चट्टान के पास पहुंचे और वहां देखा तो ऋतू , अपने कपडे उतार कर, बिलकुल नंगी बैठी हुई थी। .में मॉम के इस अंदाज को देख कर खुश हो गया मेने मॉम को शुक्रिया कहा तो उन्होंने कहा की इसकी जरू रत नही हे वो अपने बेटे ख़ुशी के लिए सब कर सकती हे ,फिर उन्होंने कहा की में अब उन्हें ऋतू के नाम से ही पुकारू।
"तुम क्या रास्ते में ही शुरू हो गए थे, इतनी देर क्यों लगा दी ?" उसने हमसे शिकायती लहजे से पूछा.
रचना ने जब देखा की ऋतू नंगी है तो उसने भी अपनी लोन्ग फ्रोक्क को नीचे से पकड़ा और अपने सर से उठा कर उसे उतार दिया, वो नीचे से बिलकुल नंगी थी और वो भी जाकर अपनी मॉम के साथ चट्टान पर लेट गयी, अब मेरे सामने दो जवान नंगी लड़कियां बैठी थी, मेरा लंड मचल उठा और मैंने भी अपने कपडे बिजली की फुर्ती से उतार डाले.
रचना ने मेरा लंड देखा तो उसकी आँखों में एक चमक सी आ गयी, वो आगे बड़ी तभी ऋतू ने उसे पीछे करते हुए कहा "चल कुतिया पीछे हो जा, पहले मैं चुसुंगी अपने बेटे का लंड"
रचना को विश्वास नहीं हुआ की ऋतू ने उसे गाली दी, पर जब हम दोनों को मुस्कुराते हुए देखा तो वो समझ गयी की आज गाली देकर चुदाई करनी hai, तो वो भी चिल्लाई "तू हट हरामजादी, अपने बेटे का लंड चूसते हुए तुझे शर्म नहीं आती भेन की लोड़ी, कमीनी कहीं की...." और उसने ऋतू के बाल हलके से पकड़ कर पीछे किया और झुक कर मेरे लम्बे लंड को मुंह में भर लिया.
ठन्डे मौसम में मेरा लंड उसके गरम मुंह में जाते ही मैं सिहर उठा.
"अच्छा तो तो इससे चुसना चाहती है, ठहर मैं तुझे बताती हूँ..."और ये कहते ही उसने रचना की गांड को थोडा ऊपर उठाया और अपनी जीभ रख दी उसके गांड के छेद पर..
आआआआआयीईईईईईईई ....."वो चिल्ला उठी..और इतने में ऋतू ने एक जोरदार हाथ उसके गोल चुतद पर दे मारा....और अपनी एक ऊँगली उसकी गांड के छेद में डाल दी...आआआआआआआआआआह्ह्ह्ह ......नहीईईईईईईईईईईई .....वहान्न्नन्न्न्न नहीईईईईईईईई.....पर ऋतू ने नहीं सुना और अपनी दूसरी ऊँगली भी घुसेड दी...उसकी आँखें बाहर निकल आई. पर उसने मेरा लंड चुसना नहीं छोड़ा...
उनकी लड़ाई में मेरे लंड का बुरा हाल था, क्योंकि अपने ऊपर हुए हमले का बदला रचना मेरे लंड को उतनी ही जोर से चूस कर और काट कर ले रही थी...
मैंने रचना के बाल वहशी तरीके से पकडे और उसका चेहरा ऊपर करके उसके होंठ काट डाले, वो दर्द से बिलबिला उठी " छोड़ कुत्ते ......आआआआआआयीईईईईइ ..भेन चोद..भुतनिके...आआआआआह...वो चिल्लाती जा रही थी, क्योंकि उसकी गांड में ऋतू की उँगलियाँ थी जिससे उसकी गांड फट रही थी और ऊपर से उसके उसके होंठ काट-२ कर मैं उसकी फाड़ रहा था, उसके मुंह से लार गिर रही थी और उसके पेट पर गिरकर उसे चिकना बना रही थी, अचानक ऋतू ने अपने दुसरे हाथ को आगे बढाकर मेरी गांड में एक ऊँगली दाल दी, मेरे तन बदन में बिजली दौड़ गयी, मैं उछल पड़ा, पर मैंने रचना को चुसना नहीं छोड़ा, फिर मैंने अपनी बलशाली भुजाओं का प्रयोग किया और रचना को किसी बच्चे की तरह उसकी जांघो से पकड कर ऊपर उठा लिया और उसने अपनी टांगे मेरे मुंह के दोनों तरफ रख दी, और अपनी चूत का द्वार मेरे मुंह पर टिका दिया.
ऋतू ने चूसकर उसकी चूत को काफी गीला कर दिया था, मेरे मुंह में उसका रस और ऋतू के मुंह की लार आई और मैं सड़प-२ कर उसे चाटने लगा, उसने मेरे बालों को जोर से पकड़ रखा था और मैं चट्टान पर अपनी गांड टिकाये जमीन पर खड़ा था, रचना मेरे मुंह पर चूत टिकाये चट्टान पर हवा में खड़ी थी, और ऋतू नीचे जमीन पर किसी कुतिया की तरह अब मेरे गांड के छेद को चाट रही थी.
पूरी वादियों में हम तीनो की सिस्कारियां गूंज रही थी.
मैंने अपना हाथ पीछे करके रचना की गांड पर रख दिया और उसकी गांड के छेद में एक साथ दो उंगलियाँ घुसा दी, अब उसे भी अपनी गांड के छेद के द्वारा मजा आ रहा था, वो मुझसे चुद चुकी थी, आज उसके मन में गांड मरवाने का भी विचार आने लगा, गांड में हुए उत्तेजक हमले और चूत पर मेरे दांतों के प्रहार से वो और भड़क उठी और वो अपनी चूत को ओर तेजी से मेरे मुंह पर घिसने लगी, और झड़ने लगी.......आआआआआआआआअह्ह्ह...ले कुत्ते ....भेन के लोडे.....पी जा मेरा रस......आआआआआआआआह्ह...उसकी चूत आज काफी पानी छोड़ रही थी, मेरे मुंह से निकलकर चूत के पानी की बूंदे नीचे गिर रही थी और वहां बैठी हमारी कुतिया ऋतू अपना मुंह ऊपर फाड़े उसे कैच करने में लगी हुई थी.
झड़ने के बाद रचनामेरे मुंह से नीचे उतर आई और चट्टान पर अपनी टाँगे चोडी करके बैठ गयी, मैंने अपना फड़कता हुआ लंड उसकी चूत के मुहाने पर रखा ही था की उसने मुझे रोक दिया ओर बोली "आज मेरी गांड में डालो...." मैंने हैरानी से उसकी आँखों में देखा ओर उसने आश्वासन के साथ मुझे फिर कहा "हां...बाबा...चलो मेरी गांड मारो...प्लीस .." मैंने अपनी वही पुरानी तरकीब अपनाई ओर एक तेज झटका मारकर उसकी चूत में अपना लंड डाल दिया....वो चिल्लाई..."अबे...भेन चोद..समझ नहीं आती क्या...गांड मार मेरी...चूत नहीं कुत्ते..." पर मैं नहीं रुका ओर उसकी चूत में अपना लंड अन्दर तक पेल दिया ओर तेजी से झटके मारने लगा.....अब मेरा लंड उसकी चूत के रस से अच्छी तरह सराबोर हो चूका था, मैंने उसे निकाला, उसकी आँखों में विस्मय के भाव थे की मैंने उसकी चूत में से अपना डंडा क्यों निकाल लिया, मैंने उसे उल्टा लेटने को कहा, कुतिया वाले पोस में, वो समझ गयी ओर अपनी मोटी गांड उठा कर चट्टान पर अपना सर टिका दिया, ऋतू जो अब तक खामोश बैठी अपनी चूत में उँगलियाँ चला रही थी, उछल कर चट्टान पर चढ़ गयी ओर अपनी टाँगे फैला कर रचना के मुंह के नीचे लेट गयी, रचना समझ गयी ओर अपना मुंह उसकी नरम ओर गरम चूत पर रख दिया ओर चाटने लगी..
आआआआआआआआह्ह्ह....ऋतू ने अपनी आँखें बंद कर ली ओर चटवाने के मजे लेने लगी, .म्म्म्मम्म्म्मम्म .....
वो रचना के सर को अपनी चूत पर तेजी से दबा रही थी...चाट कुतिया....मेरी चूत से सारा पानी चाट ले...आआआआआआअह्ह्ह.....भेन चोद ....हरामजादी....चूस मेरी चूत को....आआआआआह्ह्ह्ह...
रचना ने उसकी चूत को खोल कर उसकी क्लिट को अपने मुंह में ले लिया ओर चूसने लगी, ऋतू तो पागल ही हो गयी..
ओह ओह ओह ओह ओह ओह ओह ओह ओह अह अह अह अह अह अह अह .......वो बदबदाये जा रही थी ओर चुसवाती जा रही थी.
पीछे से मैंने रचना की गांड की बनावट देखि तो देखता ही रह गया, उसके उठे हुए कुल्हे किसी बड़े से गुब्बारे से बने दिल की आकृति सा लग रहा था, मैंने उसे प्यार से सहलाया ओर अपने एक हाथ से उसे दबाने लगा , .... रचना ने ऋतू की चूत चाटना छोड़ा ओर पीछे सर करके बोली "अबे भेन छोड़.....क्या अपना लंड हिला रहा है पीछे खड़ा हुआ...कमीने, मेरी गांड मसलना छोड़ ओर डाल दे अपना हथियार मेरी कुंवारी गांड में...डाल कुत्ते....." वो लगभग चिल्ला ही रही थी.
मैंने अपना लंड थूक से गीला किया ओर उसकी गांड के छेद पर टिकाया ओर थोडा सा धक्का मारा...अयीईईईईईईईईईई .........मर गयीईईईईईईईईईईइ .....अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ..............नहीईईईईईईईइ...."मेरे लंड का तोप उसकी गांड के रिंग में फंस गया था....मैंने आगे बढकर अपने लंड का निशाना बनाकर थूक फैंकी जो सही निशाने पर लगी, लंड गीला हो गया, मैंने एक ओर धक्का मारा....आआआआआआआआआआआआआआआआअह्ह्ह ये चीख काफी लम्बी थी...उसने अपने दांत ऋतू की चूत में गाद दिए, वो भी बिलबिला उठी....."हत्त्तत्त्त्त कुतियाआआआअ.......अपनी गांड फटने का बदला मेरी चूत से ले रही है........आआआआआआआआह्ह्ह्ह ...धीरे चाट........नहीं तो तेरी चूत में लकड़ी का तना डाल दूंगी..."ऋतू ने रचना को धमकी दी..
मेरा लंड आधा उसकी गांड में घुस चूका था....मैंने उसे निकाला ओर थोड़ी ओर थूक लगाकर फिर से अन्दर डाला..अब मैं सिर्फ आधा लंड ही डाल रहा था, वो अपनी गांड धीरे -२ मटका कर घुमाने लगी, मैं समझ गया की उसे भी मजा आ रहा है, रचना की गांड मोटी होने के साथ-२ काफी टायट भी थी, ८-१० धक्के लगाने के बाद मैंने फिर से आगे की तरफ झटका मारा......"तेरी माँ की चूत........भोंसड़ीके ....कमीने....कुते....फाड़ डाली मेरी गांड......आआआआआआआआह्ह्ह्ह ......वो चिल्लाती जा रही थी ओर अपनी गांड मटकाए जा रही थी, मैं समझ नहीं पा रहा था की उसे मजा आ रहा है या दर्द हो रहा है.
उधर ऋतू का बुरा हाल था, चटवाने से पहले उसे बड़े जोर से पेशाब आ रहा था, पर चटवाने के लालच में वो कर नहीं पायी थी, अब जब रचना उसकी चूत का ताना बाना अलग कर रही थी तो उससे बर्दाश्त नहीं हुआ ओर उसने अपने तेज पेशाब की धार सीधे रचना के मुंह में दे मारी, पहले तो रचना को लगा की ऋतू झड गयी है पर जब पेशाब की बदबू उसके नथुनों में समायी तो उसने झटके से अपना मुंह पीछे किया ओर उसकी चूत पर थूक दिया, उसकी चूत का फव्वारा बड़ी तेजी से उछला ओर उसके सर के ऊपर से होता हुआ रचना की पीठ पर गिरा, मेरे सामने ऋतू अपनी चूत खोले अपने पेचाब से रचना की कमर भिगो रही थी, उसकी कमर से होता हुआ ऋतू का पेशाब, मेरे गांड मारते लंड तक फिसल कर आ गया ओर उसे ओर लसीला बना दिया, ओर मैं ओर तेजी से रचना की गांड मारने लगा...
रचना ने अपना मुंह तो हटा लिया था पर उसके गले से कुछ बुँदे उसके पेट में भी चली गयी थी, उसका स्वाद थोडा कसेला था, पर उसे पसंद आया, आज वो किसी जंगली की तरह बर्ताव कर रही थी, उसने उसी जंगलीपन के आवेश में अपना मुंह वापिस बारिश कर रहे फुव्वारे पर टिका दिया, ओर जलपान करने लगी...ऋतू ने जब देखा की उसकी बेटी उसका पेशाब पी रही है तो वो ओर तेजी से झटके दे देकर अपनी चूत उसके मुंह में धकेलने लगी.
मेरा लंड भी अब काफी गीला हो चूका था, थूक, पेशाब ओर रचना की चूत के रस में डूबकर..
वो किसी पिस्टन की तरह उसकी गांड में अन्दर बाहर हो रहा था, रचना की गांड का कसाव मेरे लंड पर हावी हो रहा था, मेरे लंड ने जवाब दे दिया ओर उसने नेहा की गांड में उल्टी कर दी.
रचना ने भी अपनी गांड में गर्म वाला महसूस करते ही, झड़ना शुरू कर दिया, ओर वहां ऋतू की चूत ने भी जवाब दे दिया ओर वो भी रस टपकने लगी, रचना ने अपनी गांड से मेरा लंड निकाला ओर अपना मुंह ऋतू की चूत की तरफ घुमा कर अपनी गांड उसके मुंह पर टिका दी, ऋतू मेरे लावे को चाटने लगी ओर अपना रस रचना को चटवाने लगी, मैं जमीन पर खड़ा हुआ अपने मुरझाते हुए लंड को देख रहा था ओर उन दोनों कुतियों को एक दुसरे की चूत चाटते हुए देख रहा था.
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