FUN-MAZA-MASTI
सौतेला बाप--28
अब आगे
*********
काव्या : "पापा...देखो ना...कैसी लग रही है...''
समीर बस यही बोल पाया : "हाँ ......अच्छी ...है ..''
उसके मुँह से शब्द ही नही फूटने को हो रहे थे...वो तो अपनी जवान बेटी के सेक्सी फिगर को देखकर पागल हुए जा रहा था...छोटी-2 ब्रेस्ट...पतली कमर...सेक्सी सी नेवल...और फेली हुई गांड के उपर छोटी सी कच्छी ...और पीछे से तो ऐसा लगता था की वो पूरी नंगी है...उसके भरंवा चूतड़ देखकर उसका मन कर रहा था की उन्हे दबोच कर उसका रस निकाल दे...
काव्या : "पर ये मेरी ब्रेस्ट के हिसाब से लूस है...देखो...कितना गेप है...''
वो जैसे समीर को उकसा रही थी..की आओ पापा और ब्रा के कपड़े को पकड़ कर देखो..पर समीर तो जैसे लल्लू सा बन गया था..वो अवाक सा होकर बस उसके सेक्सी शरीर को देखे जा रहा था..
काव्या अपनी उंगलियों से ब्रा के कपड़े को खींचकर उपर नीचे कर रही थी..और ऐसा करते हुए अचानक समीर को उसके निप्पल के दर्शन हो गये...
उफफफफफफफ्फ़ इतना गुलाबी भी कोई होता है क्या ...ऐसा गुलाबी रंग तो उसने अपनी कल्पना मे भी नही देखा था...बेबी पिंक कलर के निप्पल्स....उम्म्म्मममम....उन्हे चूसने मे और उनका जूस पीने मे कितना मज़ा आएगा...
वो अपने ही ख़यालों मे मगन सा होकर एकटक देखता रहा उसकी ब्रेस्ट को...
काव्या को काफ़ी मज़ा आ रहा था उसको टीस करने मे..
काव्या : "फाइनल बोलो पापा...लू या नही...''
ऐसा करते हुए उसने अपनी नंगी गांड समीर की तरफ कर दी...अब ऐसे सीन को देखकर कोई कैसे मना कर सकता था..वो अगर हीरे से बनी हुई होती तो भी ले देता समीर उस वक़्त ..
समीर :"ले लो...काफ़ी सेक्सी...उम्म...अच्छी लग रही है...''
काव्या : "थॅंक्स पापा....''
इतना कहकर वो बिना किसी वजह के उसके गले से लिपट गयी..और उसके गाल पर एक पप्पी दे डाली..
उसकी छोटी-२ सिप्पियां समीर की छाती से टकराकर टूट सी गयी , समीर के हाथ उसकी नंगी कमर पर लिपट गए
समीर के खड़े हुए लंड का एहसास अपनी चूत पर महसूस करते ही वो भी बहक सी गयी एक पल के लिए...और उसने सोचा की जो करना है आज ही कर लेती हू...पर तभी उसे फिर से अपनी सहेली श्वेता के कहे शब्द याद आ गये की जितना तरसाओगी , उतनी ही बेहतर चुदाई होगी...वैसे भी जगह चुदाई के हिसाब से ठीक नहीं थी
वो एकदम से अलग हुई..और समीर से बोली : "ठीक है पापा....आप बाहर जाओ, मैं चेंज करके आती हू..''
और समीर बेचारा ना चाहते हुए भी बाहर आ गया..काव्या ने जल्दी से अपने कपड़े वापिस पहने और अपने हाथ मे वो ब्रा-पेंटी लेकर बाहर आ गयी..
इतनी देर तक दोनो बाप-बेटी अंदर क्या कर रहे थे, ये सोच-सोचकर कुसुम अपनी छोटी सी स्कर्ट के उपर से ही अपनी चूत को रगड़ रही थी..
काव्या : "मुझे ये पसंद आई...और पापा को भी...ये पॅक कर दो..''
दोनों के चेहरे पर एक शरारत भरी मुस्कान थी
उसके बाद काव्या ने लगभग 5 जोड़े और लिए, पर उन्हे पहना कर या पहन कर नही देखा, क्योंकि उसके हिसाब से आज के लिए इतना ही काफ़ी था..
घर पहुँच कर गाड़ी से निकलकर काव्या समीर के पास आई और उसकी बाहों को अपने हाथ मे फँसा कर अंदर की तरफ चल दी, जैसे वो उसकी गर्लफ्रेंड हो..और बोली : "पापा, बाकी के सेट्स मैं आपको आराम से पहन कर दिखाउंगी ...''
और दोनो एक दूसरे की तरफ देखकर मुस्कुराते हुए अंदर की तरफ चल दिए..
और उपर बालकनी मे खड़ी हुई रश्मि ये सोचकर खुश हो रही थी की बाप-बेटी मे लगाव होना शुरू हो गया है..
पर वो नही जानती थी की ये लगाव किस तरह का है.
रश्मि बाथरूम मे चली गयी...उसने कुछ अलग ही सोचा हुआ था आज समीर के लिए.
कुछ ही देर मे समीर भी अपने बेडरूम मे पहुँचा,रश्मि को वहाँ ना पाकर वो बाथरूम के पास गया, दरवाजा अंदर से बंद था, वो समझ गया की रश्मि अंदर ही है..उसके लंड की हालत काफ़ी खराब थी आज, उसने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए..यहाँ तक की उसने अपना अंडरवीयर भी उतार फेंका, क्योंकि काव्या के साथ खरीदारी करते हुए उसके लंड की अकड़ जिस तरह से उस अंडरवीयर मे सिमटी पड़ी थी, उसे आज़ाद करना ज़रूरी था, खुली हवा मे झटके मारते हुए उसको काफ़ी आराम मिल रहा था..अब वो अपने हाथ मे खड़ा लंड लेकर रश्मि के निकलने का इंतजार करने लगा..आज वो उसकी चूत का कीमा बना देना चाहता था..जैसे उसकी चूत को कूटकर वो उसे इतनी सेक्सी लड़की पैदा करने का इनाम देना चाहता हो.
अब समीर से सहन नही हो रहा था, उसने दरवाजा खड़काया : "रश्मि...क्या कर रही हो...जल्दी बाहर आओ...''
अंदर खड़ी हुई रश्मि अपनी चूत पर एक बार और रेजर फेर रही थी...उसकी चूत भी तो सुबह से इतनी बार गीली हो चुकी थी,विक्की के साथ आज जो कुछ भी हुआ था, उसे सोचकर उसके बदन मे अभी तक रोमांच की ठंडक दौड़ रही थी..
कुछ ही देर मे उसने दरवाजा खोल दिया और बाहर निकल आई..
रश्मि को ऐसी हालत मे देखकर समीर एक पल के लिए तो अपनी सोतेली बेटी को भी भूल गया और उसका लंड रश्मि की लदी हुई जवानी के गुणगान करने लगा..
रश्मि ने आज अपने पति के द्वारा लाई हुई एक सेक्सी ब्रा पेंटी का सेट पहना हुआ था, बाथरूम मे उसने अपना गाउन उतार दिया था और सिर्फ़ अपनी ब्रा पेंटी मे ही बाहर निकल आई..
जितना शॉक समीर को लगा था, उतना ही रश्मि को भी लगा समीर को देख कर, वो सिर्फ़ अपनी सैंडो मे था और अपने लंड को हाथ मे पकड़ कर हिला रहा था..जैसे वो रश्मि का ही इंतजार कर रहा हो की कब बाहर निकले और उसकी चूत मे अपना लंड पेल दे..
दोनो के जिस्म बुरी तरह से सुलग रहे थे...रश्मि का विक्की की वजह से और समीर का काव्या की वजह से..अब समय था दोनो जिस्मों मे लगी हुई आग को बुझाने का..एक दूसरे से रगड़ कर..
दोनो एक दूसरे के गले से ऐसे चिपके जैसे बरसों के बिछुड़े प्रेमी हो..समीर ने अपनी बीबी को बेतहाशा चूमना और मसलना शुरू कर दिया..
रश्मि ने तो सोचा था की बाहर निकल कर समीर को अपने जिस्म के जलवे दिखा कर पहले तो थोड़ा तरसाएगी, फिर धीरे-2 उसके कपड़े उतार कर उसे नंगा करेगी, उसको सीडयूस करेगी , फिर खुद भी नंगी हो जाएगी और आराम से उसका लंड चूसेगी और अपनी चूत भी चुस्वाएगी...पर समीर ने सब गड़बड़ कर दिया था, उसे क्या पता था की वो पहले से नंगा खड़ा होगा और उसपर एकदम से झपटकर सारा प्लान बिगड़ देगा..
कभी-2 इंसान चुदाई के प्लान तो काफ़ी बड़े-2 बनाता है, पर जब करने की बारी आती है तो सब अपने हिसाब से ही होता चला जाता है.
यही हो रहा था आज रश्मि के साथ भी..पलक झपकते ही उसकी ब्रा पेंटी ज़मीन पर थी और वो पूरी नंगी होकर समीर की बाहों मे मचल रही थी..
वो भी पूरा नंगा हो चुका था, उसे रश्मि को धक्का सा देकर अपने पैरों मे बिठा लिया और उसे लंड चूसने के लिए बोला..वो अपने लंबे बालों को संभालती हुई अपने घुटनो के बल बैठकर समीर के लंड को चूसने लगी..
उसके गर्म मुँह मे अपना लंड जाते ही समीर का मुँह उपर की तरफ हो गया और वो उसके रेशमी बालों मे हाथ फेरते हुए अपनी आँखे बंद करके काव्या के बारे मे सोचने लगा..एक पल मे ही उसके दिमाग़ मे शोरुम का सीन आ गया जहाँ काव्या उस छोटे से केबिन मे थी और उसे अंदर बुलाते ही वो पूरी नंगी हो गयी और नीचे बैठकर उसके लंड को चूसने लगी..
रश्मि की चूत मे से पानी रिस रहा था और नीचे ज़मीन पर उसके रस की बूंदे गिरने लगी...वो आज अपनी पसंद का एक काम तो करना ही चाहती थी..उसके लिए समीर के झड़ने से पहले वो उसे बिस्तर पर ले जाना चाहती थी..
रश्मि ने एकदम से समीर का लंड अपने मुँह से निकाला और समीर को पीछे की तरफ धक्का देते हुए बेड पर गिरा दिया..ये समीर पर ज़बरदस्ती करने का उसका पहला मौका था, उसने आज तक समीर के कहे अनुसार ही काम किया था, वो जिस आसन मे उसे चोदना चाहता था, वो उसी आसन मे उसके कहे अनुसार आ जाती थी..वो कहे तो उसकी दासी बनकर उसका लंड चूसती , वो कहता तो कुतिया बनकर अपनी गांड पीछे कर देती..वो कहता तो अपनी टांगे फेला कर उसके सामने लेट जाती और वो कहता तो उछलकर उसके खड़े हुए लंड के उपर बैठकर उछल कूद करती..
पर आज ये पहला मौका था जब वो समीर से कुछ करवाना चाहती थी..समीर भी हैरान था की आज रश्मि को ये क्या हो गया है..पर वो चुप रहा ,क्योंकि उत्तेजना का आवेग ही इतना अधिक था की उस समय तो कुछ भी करवा लो, वो मना नही करता..
उसके लेटते ही रश्मि उछल कर बेड पर चड गयी और उसके शरीर के दोनो तरफ पैर करके खड़ी हो गयी....समीर के लंड के उपर रश्मि की चूत थी..समीर ने सोचा की शायद वो उसके उपर बैठ जाएगी..पर ऐसा नही हुआ..और वो थोड़ा आगे की तरफ खिसक आई...पर आगे आने से पहले उसकी रस टपकाती चूत से एक और मीठे पानी की बूँद निकल कर नीचे गिरी और वो सीधा समीर के खड़े लंड से जा टकराई...समीर का पूरा शरीर झनझना सा गया, उसने वो पानी अपने लंड के उपर चोपड़ लिया..फिर धीरे-2 चलती हुई रश्मि उसके चेहरे के बिल्कुल उपर आकर खड़ी हो गयी...और उसके शरीर की थिरकन से हर बार एक बूँद निकल कर झटके से नीचे भी गिर जाती, इस तरह से समीर के शरीर पर लंड से लेकर गर्दन तक एक गाड़े और मीठे रस की लकीर सी बन गयी....
अब रश्मि की चूत की फांके बिल्कुल समीर के चेहरे के ऊपर थी...समीर को उसकी चूत ऐसे दिख रही थी मानो दो दरारों के बीच से पानी रिसकर गिर रहा हो..रश्मि का दिल ज़ोर से धड़कने लगा..इस पोज़ के लिए वो काफ़ी समय से तरस रही थी...और अब वो करने जा रही थी,ये सोचकर उसकी चूत मे लगी टूटी और तेज़ी से अपने अंदर का पानी बाहर फेंकने लगी..और टप -2 करते हुए समीर के चेहरे पर जैसे उसके रस की बारिश सी होने लगी..एक ही पल मे उसका चेहरा रश्मि के रस से भीगकर पूरा गीला हो गया..आज कुछ अलग ही स्वाद लग रहा था उसकी चूत का , इसलिए समीर भी चटकारे ले -लेकर उसका रस पीने लगा..
और फिर समीर की आँखों मे देखते हुए रश्मि ने धीरे-2 नीचे झुकना शुरू किया,और जैसे ही वो सिर्फ़ एक इंच की दूरी पर रह गयी, समीर ने अपनी लंबी और गर्म जीभ बाहर निकाल ली और उसकी चूत के अंदर घुसेड डाली..
''अहहssssssssssssssssssssssss .......... उम्म्म्मममममममम ......येसस्स्स्स्स्स्स्स्सस्सस्स्स्स्स्स्स ''
रश्मि धम्म से अपने शरीर के समेत उसकी खड़ी हुई जीभ के उपर बैठ गयी..जीभ तो पता नही कहाँ तक गयी,समीर के होंठ भी उसकी चूत के अंदर फंसकर गायब से हो गये..
बस फिर क्या था, रश्मि ने अपना मोर्चा संभाला और रोड आयरन से बने बेड के सरिऐ को पकड़ कर उसके चेहरे पर अपनी चिकनी चूत को रगड़ने लगी...
उसने भी आनंद से अपनी आँखे बंद कर ली और उसके मुँह से उत्तेजना वश निकल गया : "अहहssssssssssssssssssssssss ....विक्की......चूसो इसको....''
शुक्र था की उसकी आवाज़ इतनी धीमे थी की समीर सुन नही पाया, पर आज पहली बार चुदाई के समय उसको कुछ बुदबुदाते हुए देखकर वो काफ़ी खुश हुआ, क्योंकि वो चुपचाप चुदाई करवाकर सो जाने वाली औरत थी, और आज जिस तरह से वो अपनी चूत चुस्वा रही है, और कुछ बड़बड़ा भी रही है, ये समीर को बहुत अच्छा लगा..वो चाहता था की रश्मि खुल कर बोले, जो फील कर रही है या जो चाहती है वो अपने मुँह से बयान करे..इसलिए वो उसको उकसाने लगा..
"रश्मि...ज़ोर से बोलो....क्या बोल रही थी....बोलो ना...''
समीर ने अपनी जीभ से उसकी चूत और गांड एक ही बार मे चाटते हुए कहा.
रश्मि अपने आप को कोस रही थी की ये एकदम से उसके मुँह से विक्की का नाम कैसे निकल गया, वो इतनी बेवकूफ़ कैसे हो सकती है..अगर समीर ने सुन लिया होता तो पता नही क्या ..
पर अभी के लिए वो बेकार की बहस करके समीर को परेशान नही करना चाहती थी...वो उसी टोन मे ज़ोर से बुदबुदाई : ""अहहssssssssssssssssssssssss ....समीर......चूसो इसको....''
बड़ी चालाकी से उसने अपनी बेवकूफी को छुपा लिया..और उसने ये भी सोच लिया की अब वो ऐसी बेवकूफी दोबारा नही करेगी, इसलिए कुछ देर के लिए उसने विक्की का ख़याल अपने दिल से निकाल दिया और अपनी आँखे खोल कर समीर के बारे मे ही सोचकर मज़े लेने लगी..
अब वो अपनी चूत वाले हिस्से को उसके चेहरे पर बुरी तरह से घिस कर ज़ोर-2 से चिल्ला रही थी : "आआआआआआअहह समीर ........सकककककक करो......अहहस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स ज़ोर से ........ उम्म्म्मममममममम ......यस ..................ऐसे ही...... ओह.... तुम्हारी जीभ कितनी अच्छी लग रही है अंदर जाकर .......अआआआहह.... काटो मत प्लीस...... अहह....मेरी क्लिट ......येस .....इसको पकड़ो .....होंठों से ......जीभ से कुरेदो .....अहह ऐसे ही ..... ओह ....समीर......... माय लाइफ ........उम्म्म्मम......आई एम कमिंग...''
और एक जोरदार झटके के साथ उसकी हांड़ी मे से गरम-2 शहद निकल कर समीर के मुँह मे जाने लगा..रश्मि के शरीर के हर जर्क के साथ कुछ बूंदे निकल कर नीचे जाती, जिसे समीर बड़े चाव से निगल जाता..
अब बारी थी समीर की...उसने रश्मि को मोटी-2 जांघे पकड़ी और उसे बेड पर चित्त कर दिया और एक ही झटके मे उसके उपर सवार हो गया..रश्मि अपने झड़ने का स्वाद अभी तक ले रही थी और उसकी आँखे बंद थी, समीर ने उसकी एक टाँग अपने कंधे पर रखी और अपने हाथ से लंड पकड़ कर उसकी चूत के मुहाने पर रखा और एक आगे की तरफ झुकता चला गया..रश्मि की एक टाँग समीर के नीचे थी और दूसरी उसकी खुद की छाती से आ लगी...और साथ ही साथ समीर भी पूरा उसके अंदर दाखिल हो गया..
''ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् समीर , चोदो मुझे आआआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह जोर से ''
इतने अंदर तक चुदने का ये पहला एहसास था उसका..आज तक इतनी गहराई मे कभी नही डूबा था समीर..वो भी उसके आनंद सागर मे गोते लगा-लगाकर अपनी इस उपलब्धि का मज़ा लेने लगा..
कभी वो झुकते हुए उसके होंठों को चूम लेता और कभी नीचे झुकते हुए उसके स्तनों को काट लेता..कभी उसके मांसल चूतड़ों पर चांटा मारता
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सौतेला बाप--28
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काव्या : "पापा...देखो ना...कैसी लग रही है...''
समीर बस यही बोल पाया : "हाँ ......अच्छी ...है ..''
उसके मुँह से शब्द ही नही फूटने को हो रहे थे...वो तो अपनी जवान बेटी के सेक्सी फिगर को देखकर पागल हुए जा रहा था...छोटी-2 ब्रेस्ट...पतली कमर...सेक्सी सी नेवल...और फेली हुई गांड के उपर छोटी सी कच्छी ...और पीछे से तो ऐसा लगता था की वो पूरी नंगी है...उसके भरंवा चूतड़ देखकर उसका मन कर रहा था की उन्हे दबोच कर उसका रस निकाल दे...
काव्या : "पर ये मेरी ब्रेस्ट के हिसाब से लूस है...देखो...कितना गेप है...''
वो जैसे समीर को उकसा रही थी..की आओ पापा और ब्रा के कपड़े को पकड़ कर देखो..पर समीर तो जैसे लल्लू सा बन गया था..वो अवाक सा होकर बस उसके सेक्सी शरीर को देखे जा रहा था..
काव्या अपनी उंगलियों से ब्रा के कपड़े को खींचकर उपर नीचे कर रही थी..और ऐसा करते हुए अचानक समीर को उसके निप्पल के दर्शन हो गये...
उफफफफफफफ्फ़ इतना गुलाबी भी कोई होता है क्या ...ऐसा गुलाबी रंग तो उसने अपनी कल्पना मे भी नही देखा था...बेबी पिंक कलर के निप्पल्स....उम्म्म्मममम....उन्हे चूसने मे और उनका जूस पीने मे कितना मज़ा आएगा...
वो अपने ही ख़यालों मे मगन सा होकर एकटक देखता रहा उसकी ब्रेस्ट को...
काव्या को काफ़ी मज़ा आ रहा था उसको टीस करने मे..
काव्या : "फाइनल बोलो पापा...लू या नही...''
ऐसा करते हुए उसने अपनी नंगी गांड समीर की तरफ कर दी...अब ऐसे सीन को देखकर कोई कैसे मना कर सकता था..वो अगर हीरे से बनी हुई होती तो भी ले देता समीर उस वक़्त ..
समीर :"ले लो...काफ़ी सेक्सी...उम्म...अच्छी लग रही है...''
काव्या : "थॅंक्स पापा....''
इतना कहकर वो बिना किसी वजह के उसके गले से लिपट गयी..और उसके गाल पर एक पप्पी दे डाली..
उसकी छोटी-२ सिप्पियां समीर की छाती से टकराकर टूट सी गयी , समीर के हाथ उसकी नंगी कमर पर लिपट गए
समीर के खड़े हुए लंड का एहसास अपनी चूत पर महसूस करते ही वो भी बहक सी गयी एक पल के लिए...और उसने सोचा की जो करना है आज ही कर लेती हू...पर तभी उसे फिर से अपनी सहेली श्वेता के कहे शब्द याद आ गये की जितना तरसाओगी , उतनी ही बेहतर चुदाई होगी...वैसे भी जगह चुदाई के हिसाब से ठीक नहीं थी
वो एकदम से अलग हुई..और समीर से बोली : "ठीक है पापा....आप बाहर जाओ, मैं चेंज करके आती हू..''
और समीर बेचारा ना चाहते हुए भी बाहर आ गया..काव्या ने जल्दी से अपने कपड़े वापिस पहने और अपने हाथ मे वो ब्रा-पेंटी लेकर बाहर आ गयी..
इतनी देर तक दोनो बाप-बेटी अंदर क्या कर रहे थे, ये सोच-सोचकर कुसुम अपनी छोटी सी स्कर्ट के उपर से ही अपनी चूत को रगड़ रही थी..
काव्या : "मुझे ये पसंद आई...और पापा को भी...ये पॅक कर दो..''
दोनों के चेहरे पर एक शरारत भरी मुस्कान थी
उसके बाद काव्या ने लगभग 5 जोड़े और लिए, पर उन्हे पहना कर या पहन कर नही देखा, क्योंकि उसके हिसाब से आज के लिए इतना ही काफ़ी था..
घर पहुँच कर गाड़ी से निकलकर काव्या समीर के पास आई और उसकी बाहों को अपने हाथ मे फँसा कर अंदर की तरफ चल दी, जैसे वो उसकी गर्लफ्रेंड हो..और बोली : "पापा, बाकी के सेट्स मैं आपको आराम से पहन कर दिखाउंगी ...''
और दोनो एक दूसरे की तरफ देखकर मुस्कुराते हुए अंदर की तरफ चल दिए..
और उपर बालकनी मे खड़ी हुई रश्मि ये सोचकर खुश हो रही थी की बाप-बेटी मे लगाव होना शुरू हो गया है..
पर वो नही जानती थी की ये लगाव किस तरह का है.
रश्मि बाथरूम मे चली गयी...उसने कुछ अलग ही सोचा हुआ था आज समीर के लिए.
कुछ ही देर मे समीर भी अपने बेडरूम मे पहुँचा,रश्मि को वहाँ ना पाकर वो बाथरूम के पास गया, दरवाजा अंदर से बंद था, वो समझ गया की रश्मि अंदर ही है..उसके लंड की हालत काफ़ी खराब थी आज, उसने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए..यहाँ तक की उसने अपना अंडरवीयर भी उतार फेंका, क्योंकि काव्या के साथ खरीदारी करते हुए उसके लंड की अकड़ जिस तरह से उस अंडरवीयर मे सिमटी पड़ी थी, उसे आज़ाद करना ज़रूरी था, खुली हवा मे झटके मारते हुए उसको काफ़ी आराम मिल रहा था..अब वो अपने हाथ मे खड़ा लंड लेकर रश्मि के निकलने का इंतजार करने लगा..आज वो उसकी चूत का कीमा बना देना चाहता था..जैसे उसकी चूत को कूटकर वो उसे इतनी सेक्सी लड़की पैदा करने का इनाम देना चाहता हो.
अब समीर से सहन नही हो रहा था, उसने दरवाजा खड़काया : "रश्मि...क्या कर रही हो...जल्दी बाहर आओ...''
अंदर खड़ी हुई रश्मि अपनी चूत पर एक बार और रेजर फेर रही थी...उसकी चूत भी तो सुबह से इतनी बार गीली हो चुकी थी,विक्की के साथ आज जो कुछ भी हुआ था, उसे सोचकर उसके बदन मे अभी तक रोमांच की ठंडक दौड़ रही थी..
कुछ ही देर मे उसने दरवाजा खोल दिया और बाहर निकल आई..
रश्मि को ऐसी हालत मे देखकर समीर एक पल के लिए तो अपनी सोतेली बेटी को भी भूल गया और उसका लंड रश्मि की लदी हुई जवानी के गुणगान करने लगा..
रश्मि ने आज अपने पति के द्वारा लाई हुई एक सेक्सी ब्रा पेंटी का सेट पहना हुआ था, बाथरूम मे उसने अपना गाउन उतार दिया था और सिर्फ़ अपनी ब्रा पेंटी मे ही बाहर निकल आई..
जितना शॉक समीर को लगा था, उतना ही रश्मि को भी लगा समीर को देख कर, वो सिर्फ़ अपनी सैंडो मे था और अपने लंड को हाथ मे पकड़ कर हिला रहा था..जैसे वो रश्मि का ही इंतजार कर रहा हो की कब बाहर निकले और उसकी चूत मे अपना लंड पेल दे..
दोनो के जिस्म बुरी तरह से सुलग रहे थे...रश्मि का विक्की की वजह से और समीर का काव्या की वजह से..अब समय था दोनो जिस्मों मे लगी हुई आग को बुझाने का..एक दूसरे से रगड़ कर..
दोनो एक दूसरे के गले से ऐसे चिपके जैसे बरसों के बिछुड़े प्रेमी हो..समीर ने अपनी बीबी को बेतहाशा चूमना और मसलना शुरू कर दिया..
रश्मि ने तो सोचा था की बाहर निकल कर समीर को अपने जिस्म के जलवे दिखा कर पहले तो थोड़ा तरसाएगी, फिर धीरे-2 उसके कपड़े उतार कर उसे नंगा करेगी, उसको सीडयूस करेगी , फिर खुद भी नंगी हो जाएगी और आराम से उसका लंड चूसेगी और अपनी चूत भी चुस्वाएगी...पर समीर ने सब गड़बड़ कर दिया था, उसे क्या पता था की वो पहले से नंगा खड़ा होगा और उसपर एकदम से झपटकर सारा प्लान बिगड़ देगा..
कभी-2 इंसान चुदाई के प्लान तो काफ़ी बड़े-2 बनाता है, पर जब करने की बारी आती है तो सब अपने हिसाब से ही होता चला जाता है.
यही हो रहा था आज रश्मि के साथ भी..पलक झपकते ही उसकी ब्रा पेंटी ज़मीन पर थी और वो पूरी नंगी होकर समीर की बाहों मे मचल रही थी..
वो भी पूरा नंगा हो चुका था, उसे रश्मि को धक्का सा देकर अपने पैरों मे बिठा लिया और उसे लंड चूसने के लिए बोला..वो अपने लंबे बालों को संभालती हुई अपने घुटनो के बल बैठकर समीर के लंड को चूसने लगी..
उसके गर्म मुँह मे अपना लंड जाते ही समीर का मुँह उपर की तरफ हो गया और वो उसके रेशमी बालों मे हाथ फेरते हुए अपनी आँखे बंद करके काव्या के बारे मे सोचने लगा..एक पल मे ही उसके दिमाग़ मे शोरुम का सीन आ गया जहाँ काव्या उस छोटे से केबिन मे थी और उसे अंदर बुलाते ही वो पूरी नंगी हो गयी और नीचे बैठकर उसके लंड को चूसने लगी..
रश्मि की चूत मे से पानी रिस रहा था और नीचे ज़मीन पर उसके रस की बूंदे गिरने लगी...वो आज अपनी पसंद का एक काम तो करना ही चाहती थी..उसके लिए समीर के झड़ने से पहले वो उसे बिस्तर पर ले जाना चाहती थी..
रश्मि ने एकदम से समीर का लंड अपने मुँह से निकाला और समीर को पीछे की तरफ धक्का देते हुए बेड पर गिरा दिया..ये समीर पर ज़बरदस्ती करने का उसका पहला मौका था, उसने आज तक समीर के कहे अनुसार ही काम किया था, वो जिस आसन मे उसे चोदना चाहता था, वो उसी आसन मे उसके कहे अनुसार आ जाती थी..वो कहे तो उसकी दासी बनकर उसका लंड चूसती , वो कहता तो कुतिया बनकर अपनी गांड पीछे कर देती..वो कहता तो अपनी टांगे फेला कर उसके सामने लेट जाती और वो कहता तो उछलकर उसके खड़े हुए लंड के उपर बैठकर उछल कूद करती..
पर आज ये पहला मौका था जब वो समीर से कुछ करवाना चाहती थी..समीर भी हैरान था की आज रश्मि को ये क्या हो गया है..पर वो चुप रहा ,क्योंकि उत्तेजना का आवेग ही इतना अधिक था की उस समय तो कुछ भी करवा लो, वो मना नही करता..
उसके लेटते ही रश्मि उछल कर बेड पर चड गयी और उसके शरीर के दोनो तरफ पैर करके खड़ी हो गयी....समीर के लंड के उपर रश्मि की चूत थी..समीर ने सोचा की शायद वो उसके उपर बैठ जाएगी..पर ऐसा नही हुआ..और वो थोड़ा आगे की तरफ खिसक आई...पर आगे आने से पहले उसकी रस टपकाती चूत से एक और मीठे पानी की बूँद निकल कर नीचे गिरी और वो सीधा समीर के खड़े लंड से जा टकराई...समीर का पूरा शरीर झनझना सा गया, उसने वो पानी अपने लंड के उपर चोपड़ लिया..फिर धीरे-2 चलती हुई रश्मि उसके चेहरे के बिल्कुल उपर आकर खड़ी हो गयी...और उसके शरीर की थिरकन से हर बार एक बूँद निकल कर झटके से नीचे भी गिर जाती, इस तरह से समीर के शरीर पर लंड से लेकर गर्दन तक एक गाड़े और मीठे रस की लकीर सी बन गयी....
अब रश्मि की चूत की फांके बिल्कुल समीर के चेहरे के ऊपर थी...समीर को उसकी चूत ऐसे दिख रही थी मानो दो दरारों के बीच से पानी रिसकर गिर रहा हो..रश्मि का दिल ज़ोर से धड़कने लगा..इस पोज़ के लिए वो काफ़ी समय से तरस रही थी...और अब वो करने जा रही थी,ये सोचकर उसकी चूत मे लगी टूटी और तेज़ी से अपने अंदर का पानी बाहर फेंकने लगी..और टप -2 करते हुए समीर के चेहरे पर जैसे उसके रस की बारिश सी होने लगी..एक ही पल मे उसका चेहरा रश्मि के रस से भीगकर पूरा गीला हो गया..आज कुछ अलग ही स्वाद लग रहा था उसकी चूत का , इसलिए समीर भी चटकारे ले -लेकर उसका रस पीने लगा..
और फिर समीर की आँखों मे देखते हुए रश्मि ने धीरे-2 नीचे झुकना शुरू किया,और जैसे ही वो सिर्फ़ एक इंच की दूरी पर रह गयी, समीर ने अपनी लंबी और गर्म जीभ बाहर निकाल ली और उसकी चूत के अंदर घुसेड डाली..
''अहहssssssssssssssssssssssss .......... उम्म्म्मममममममम ......येसस्स्स्स्स्स्स्स्सस्सस्स्स्स्स्स्स ''
रश्मि धम्म से अपने शरीर के समेत उसकी खड़ी हुई जीभ के उपर बैठ गयी..जीभ तो पता नही कहाँ तक गयी,समीर के होंठ भी उसकी चूत के अंदर फंसकर गायब से हो गये..
बस फिर क्या था, रश्मि ने अपना मोर्चा संभाला और रोड आयरन से बने बेड के सरिऐ को पकड़ कर उसके चेहरे पर अपनी चिकनी चूत को रगड़ने लगी...
उसने भी आनंद से अपनी आँखे बंद कर ली और उसके मुँह से उत्तेजना वश निकल गया : "अहहssssssssssssssssssssssss ....विक्की......चूसो इसको....''
शुक्र था की उसकी आवाज़ इतनी धीमे थी की समीर सुन नही पाया, पर आज पहली बार चुदाई के समय उसको कुछ बुदबुदाते हुए देखकर वो काफ़ी खुश हुआ, क्योंकि वो चुपचाप चुदाई करवाकर सो जाने वाली औरत थी, और आज जिस तरह से वो अपनी चूत चुस्वा रही है, और कुछ बड़बड़ा भी रही है, ये समीर को बहुत अच्छा लगा..वो चाहता था की रश्मि खुल कर बोले, जो फील कर रही है या जो चाहती है वो अपने मुँह से बयान करे..इसलिए वो उसको उकसाने लगा..
"रश्मि...ज़ोर से बोलो....क्या बोल रही थी....बोलो ना...''
समीर ने अपनी जीभ से उसकी चूत और गांड एक ही बार मे चाटते हुए कहा.
रश्मि अपने आप को कोस रही थी की ये एकदम से उसके मुँह से विक्की का नाम कैसे निकल गया, वो इतनी बेवकूफ़ कैसे हो सकती है..अगर समीर ने सुन लिया होता तो पता नही क्या ..
पर अभी के लिए वो बेकार की बहस करके समीर को परेशान नही करना चाहती थी...वो उसी टोन मे ज़ोर से बुदबुदाई : ""अहहssssssssssssssssssssssss ....समीर......चूसो इसको....''
बड़ी चालाकी से उसने अपनी बेवकूफी को छुपा लिया..और उसने ये भी सोच लिया की अब वो ऐसी बेवकूफी दोबारा नही करेगी, इसलिए कुछ देर के लिए उसने विक्की का ख़याल अपने दिल से निकाल दिया और अपनी आँखे खोल कर समीर के बारे मे ही सोचकर मज़े लेने लगी..
अब वो अपनी चूत वाले हिस्से को उसके चेहरे पर बुरी तरह से घिस कर ज़ोर-2 से चिल्ला रही थी : "आआआआआआअहह समीर ........सकककककक करो......अहहस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स ज़ोर से ........ उम्म्म्मममममममम ......यस ..................ऐसे ही...... ओह.... तुम्हारी जीभ कितनी अच्छी लग रही है अंदर जाकर .......अआआआहह.... काटो मत प्लीस...... अहह....मेरी क्लिट ......येस .....इसको पकड़ो .....होंठों से ......जीभ से कुरेदो .....अहह ऐसे ही ..... ओह ....समीर......... माय लाइफ ........उम्म्म्मम......आई एम कमिंग...''
और एक जोरदार झटके के साथ उसकी हांड़ी मे से गरम-2 शहद निकल कर समीर के मुँह मे जाने लगा..रश्मि के शरीर के हर जर्क के साथ कुछ बूंदे निकल कर नीचे जाती, जिसे समीर बड़े चाव से निगल जाता..
अब बारी थी समीर की...उसने रश्मि को मोटी-2 जांघे पकड़ी और उसे बेड पर चित्त कर दिया और एक ही झटके मे उसके उपर सवार हो गया..रश्मि अपने झड़ने का स्वाद अभी तक ले रही थी और उसकी आँखे बंद थी, समीर ने उसकी एक टाँग अपने कंधे पर रखी और अपने हाथ से लंड पकड़ कर उसकी चूत के मुहाने पर रखा और एक आगे की तरफ झुकता चला गया..रश्मि की एक टाँग समीर के नीचे थी और दूसरी उसकी खुद की छाती से आ लगी...और साथ ही साथ समीर भी पूरा उसके अंदर दाखिल हो गया..
''ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् समीर , चोदो मुझे आआआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह जोर से ''
इतने अंदर तक चुदने का ये पहला एहसास था उसका..आज तक इतनी गहराई मे कभी नही डूबा था समीर..वो भी उसके आनंद सागर मे गोते लगा-लगाकर अपनी इस उपलब्धि का मज़ा लेने लगा..
कभी वो झुकते हुए उसके होंठों को चूम लेता और कभी नीचे झुकते हुए उसके स्तनों को काट लेता..कभी उसके मांसल चूतड़ों पर चांटा मारता
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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