FUN-MAZA-MASTI
सीता --एक गाँव की लड़की--31
हम सब पूरे मेले में पहले तो सिर्फ चक्कर ही काटते रहे...कभी कभी किसी मेले में लगी दुकान पर खड़ी टाइम पास करती...पूजा कुछ अपने लिए सामान भी खरीदी तो मैं भी कुछ-2 ले ली...
फिर हम सब मनोरंजन क्षेत्र की तरफ घुसी जहाँ तरह-2 के मनोरंजन के साधन थे...हम चारों फिर इनमें खूब सारी मस्ती की...बड़ी वाली झूला पर जब चढ़ी तो मैं तो डर से पानी-2 हो गई थी और सन्नी से चिपक गई थी...
बस सन्नी को पूरा मौका मिल गया...जैसे ही झूला ऊपर की तरफ बढ़ती वो मेरे होंठों को अपने दांतों से दबा लेता और मेरी साड़ी के अंदर हाथ डाल चुची मसलने लगता...बिना ब्रॉ में ब्लॉउज पर से महसूस होती कि सन्नी मेरी नंगी चुची मसल रहा है...
फिर जब नीचे की तरफ आती तो छोड़ देता क्योंकि इस तरफ से देखने वाले और झूला पर चढ़ने वाले की काफी भीड़ थी...मैं इस तरह की चुसाई में भी गर्म हो गई और फिर सन्नी का साथ भी देनी लगी...
जब झूले कई चक्कर लगाने के बाद रूकी तो मैं सन्नी से अलग हुई...उफ्फ्फ..मेरी साड़ी सीने से सरक कर हम दोनों के बीच फंसी थी...और सामने ढ़ेर सारे मर्द की निगाहें मेरी खड़ी निप्पल को घूर रही थी जो ब्रॉ की अनुपस्थिति में ब्लॉउज से साफ झलक रही थी...
और ऊपर से तेज लाइट में मेरी चुची भी कुछ-2 दिख रही थी...मैं तेजी से साड़ी खींची और बदन पर रख ली...पर इस दौरान ना जाने कितने लोग अपनी आँखें सेंक चुके थे...
मैं उठी और तेजी से सन्नी के पीछे हो ली...तभी पीछे से किसी ने कंधे पर हाथ रख दी...पलटकर देखी तो पूजा थी जिसे देख मेरी हँसी निकल पड़ी...
"अपने लिपिस्टिक साफ कर लो, ओंठ से बहकर नीचे पूरी फैली हुई है...ही..ही..ही..."मैं पूजा धीमे से हँसती हुई बोली जिसे सुन पूजा बंटी से हैंकी मांगी और चारों तरफ नजर दौड़ाती लिपिस्टिक साफ करने लगी...
पर कुछ लोग तो गुलाबी पूजा की चोरी पकड़ ही ली थी और देख कर मंद-2 मुस्कुरा रहे थे...तब तक हम बाहर निकल गए...तभी मेरी नजर सामने पड़ी..ओह गॉड..मर गई...
झूले पर चढ़ने वाले की लाइन में रूम मालिक भी अपने फैमिली के साथ लगे थे...क्या मुसीबत थी..आज सुबह ही वो मुझे दोस्त माने थे और अभी मुझे किस हालत में देख लिए...
बीवी के डर से तो इस वक्त टोकेंगे नहीं पर जब अगले दिन मुलाकात होगी तो क्या जवाब दूँगी...सोचने से ही मेरी फट रही थी...और ऊपर से उनकी बड़ी होती आँखें...मैं सबको चलने बोल तेजी से खिसक ली...
अब तो मैं ज्यादा देर तक रूकना नहीं चाहती थी...पूजा से फोन ली जो कि वो पर्स में डाल रखी थी और श्याम को फोन करने लगी...ऐसे परेशान देख वो तीनों आश्चर्य से मेरी तरफ देखे जा रहे थे आखिर हुआ क्या...
"हाँ हैल्लो, कहाँ हैं अभी...पूरी रात घूमना ही है क्या...घर नहीं जाना.."श्याम के फोन उठाते ही मैं बोल पड़ी...
"हाँ बस आ ही रहा हूँ...बस 10 मिनट और..तुम लोग को हो गया क्या..?"उधर से श्याम की आवाज आई..
"हाँ.."मैं एक ही शब्दों में अपनी बात कह दी और असलियत बात दबा दी..
"अच्छा ठीक है, तुम लोग स्टैंड के पास रूको, मैं वहीं पहुँच रहा हूँ...और हाँ अपने दोस्त को मेरे आने तक जाने मत देना...तुम दोनों अकेली मत रहना..ठीक है.."श्याम ने पूरी बात एक ही सुर में कह दिए...जिसे सुन मैं ओके कह फोन काट दी...
कुछ ही पलों में हम सब स्टैंड के पास थे...यहां रूकते ही पूजा पूछ बैठी,"क्या हुआ जो ऐसे अचानक चली आई.."
मैं पूजा की तरफ मुस्कुराती हुई बोली,"हुआ कुछ नहीं,..बस अब घूमने की इच्छा नहीं हो रही है इसलिए चली आई...तुम्हे और घुमनी थी क्या..?"
पूजा: "नहीं पर ये बात नहीं है...जरूर कोई बात है जो हमसे छिपा रही हो...नहीं बतानी हो तो कह दो, मैं नहीं पूछती..."
मैं पूजा की नाराजगी उसकी आवाजों में साफ सुन ली थी..सो मैं बोली,"वो वहाँ झूले से उतरते रूममालिक देख लिए थे..और हम दोनों को ऐसी हालत में देख लिए तो शायद कहीं उन्हें बुरा लगे और गुस्से में हो हल्ला करेंगे तो अच्छा नहीं ना होगा...वैसे भी काफी मस्ती कर ही ली तो सोची अब घर ही चली जाए..."
मेरी बात सुन पूजा कुछ बोल नहीं पाई..शायद वो भी स्थिति को समझ गई थी...तभी सामने से श्याम और सुमन एक दूसरे का हाथ थामे हंसते हुए चले आ रहे थे...उन्हें देख पूजा और मैं नजरों में ही मुस्कुरा पड़ी...
"तुम दोनों अभी घूमोगे या चलोगे..?" मैं बंटी और श्याम से एक ही साथ पूछी...
"अब यहाँ रह के घंटा बजाएंगे क्या...मैं भी बाइक निकाल रहा हूँ.." कहते हुए दोनों बाइक लेने चले गए...तब तक श्याम और सुमन भी आ गए और मुस्कुराते हुए बाइक लेने चले गए...
हम तीनों अपने-2 यार का इंतजार करने लगी...कुछ ही पलों में तीनों अपनी-2 बाइक हम तीनों के पास खड़ी कर दिए...तभी श्याम बंटी और श्याम से बोले,"बात ऐसा है कि सुमन की दोस्त मिली थी तो हमारे साथ देख बोली कि आप सुमन को घर तक ड्रॉप कर देना और वो अपने बॉयफ्रेंड के साथ चली गई...तो अगर आप दोनों अगर फ्री हो तो इन दोनों को ले कर चलिए और सुमन को पहले छोड़ देंगे फिर इन्हें ले जाएंगे..."
"कैसी बात करते हैं आप, इतनी रात को भला क्या काम रहेगा..चलिए...साथ ही चलेंगे और इनको ड्रॉप करने के बाद ही हम निकलेंगे..."बंटी बोला जिसके साथ सन्नी भी हाँ में हाँ मिला दिया...
और फिर इतना सुनते ही मैं सन्नी की बाइक पर बैठ गई...और पूजा बंटी के साथ जबकि सुमन श्याम के साथ बैठ के चिपक कर बैठ गई...और फिर हम सब एक साथ निकल पड़े..
करीब आधे रास्ते चलने के बाद श्याम एक जगह रूके जहाँ से एक सड़क दूसरी तरफ निकल रही थी..पीछे से बंटी और सन्नी भी बाइक को श्याम के बगल में रोक दिए...
"इधर ही जाना है क्या..?"सन्नी उस दूसरी तरफ निकली सड़क की ओर इशारा करते हुए बोले...
"हाँ और आप लोग को किधर जाना है..."श्याम सन्नी की बात का जवाब देते हुए बोले...
"हम दोनों का घर आपके इलाके से 3-4 किमी और आगे है पर हमारी छोड़िए, पर अब ये कहिए यहाँ रूक कर आपका वेट करूँ या आहिस्ते-2 आगे बढूं.."बंटी बीच में अपनी बात रखते हुए बोला...
"फिर तो अच्छा ही है...आप लोग इन दोनों को लेकर निकलिए...मैं सुमन को ड्रॉप कर के आता हूँ..ठीक है..?" श्याम गंभीरता से मुस्कुराते हुए बोले...
"ओके, ठीक है...मैं इन्हें घर तक ड्रॉप कर निकल जाऊंगा..."सन्नी कहते हुए अपनी बाइक स्टॉर्ट कर दी...श्याम भी ओके कह निकल गए सुमन को छोड़ने...और इधर हम दोनों की बाइक भी चल पड़ी...
फिर मैं और पूजा अपनी-2 बाइक सवार से कस के चिपक गई...साड़ी पहनी थी तो उतनी ढ़ंग से नहीं चिपक पा रही थी पर ऊपर से दोनों चुची उनकी पीठ में तो धाँस ही चुकी थी...
तभी मैं अपने हाथ सरकाते हुए लंड के समीप ले गई और हल्के-2 दबाने लगी...सन्नी अपने लंड पर हाथ महसूस करते ही कराह पड़ा...सन्नी को भी बड़ा मजा आ रह था ऐसे बाइक चलाते....
उधर पूजा की तरफ नजर की तो वो भी बंटी के लंड को जिप से बाहर करने में लगी थी...पर निकल नहीं रही थी जींस से...मैं भी उसकी देखा-देखी सन्नी की जिप खोल दी और हाथ अंदर कर लंड को अंडर वियर से बाहर करने लगी...
तभी बंटी अपनी बाइक काफी स्लो कर ली...मैं और सन्नी एक साथ उसकी तरफ नजर की तो बंटी लंड निकालने के लिए बाइक स्लो की थी और अगले ही पल उसका लंड पूजा के हाथों में थी...
सन्नी भी तेजी से बाइक स्लो किया और झटपट में अपना लंड मेरे हाथों में भर दिया और फिर दोनों लंड मसलवाते बाइक चलाने लगा...अभी 5 मिनट ही हुए थे कि बंटी ने अपनी बाइक अचानक से एक सिंगल सड़क में घुमा दी और कुछ दूर आगे चल कर एक बड़ी सी बिल्डिंग के पास रूक गया...
दिखने से ये कोई कॉलेज लग रही थी...सन्नी तब तक कुछ आगे बढ़ गया था...शायद सन्नी आगे बढ़ना चाहता था और बंटी भी रूकने के लिए बोला नहीं था...आगे से मुड़ कर जब पूजा के पास आई तो ये क्या...दोनों शुरू हो गए थे यहीं सड़क पर...
आसपास नजर दौड़ाई तो कहीं कोई नहीं था...वैसे भी कॉलेज में कौन रात को रहता...
गेट के पास स्ट्रीट लाइट जल रही थी पर उसकी रोशनी पूरी तरह हमारे निकट नहीं पहुँच रही थी ..बस परछाई लग रहे थे हम सब..
पूजा तेजी से बंटी के लंड को मुँह में भर आगे पीछे कर रही थी, जबकि बंटी बाइक पर दोनों पैर एक तरफ किए खड़ा मस्ती से आहें भर रहा था...सन्नी अगले ही पल मेरी कलाई पकड़ अपनी तरफ खींचा और मेरी गर्दन पर हाथ रख हल्के दबाव दे डाला नीचे झुकाने के लिए...
इतने देर से लंड की गर्मी पा कर गर्म तो हो ही गई थी...तो बिना कोई विरोध किए अपने होंठ सन्नी के लंड से छुआते मुंह में भर ली...मेरे होठों की गरमी पाते ही सन्नी की आह निकल गई और वो सिससकारी लेने लगा...
मैं उसे और मजे देने की सोच तेज-2 चुप्पे लगाने लगी और उसके अण्डो को निचोरने लगी...सच में काफी एक्साइटेड हो रही थी मैं...खुली सड़को पर बेफिक्र हो कर लंड चूस रही थी....
करीब 5 मिनट की ननस्टॉप चुसाई में ही सन्नी बदहवाश हो गया और तेजी से मुझे अपने लंड से जुदा कर दिया...अलग होते ही मेरी नजर पूजा की तरफ गई तो वो भी हाँफ रही थी और बंटी अपना जींस खोल रहा था...
बंटी को नंगा होते देख सन्नी भी अपना जींस खोलने गया...मतलब चुदाई होने वाली थी हम दोनों की...पर किसी के आ जाने की डर मेरे अंदर जग गई...
"सन्नी, कोई आ जाएगा...यहाँ सड़क पर ठीक नहीं होगा..."मैं अपनी डर को बाहर करती बोल पड़ी...जिसे सुन बंटी और सन्नी एक साथ मेरी तरफ देखने लगे...
"...मतलब लंड अभी खड़ा है और चूत चोदेंगे कल..." बंटी सेक्स की आग में जलता खिसियाते हुए बोल पड़ा और अपना जींस बाइक की हैंडल में फंसा दिया...
"नहीं, मैं वो नहीं कह रही..आज ही करना पर यहाँ खुले में ठीक नहीं...." मैं अपनी बात पूरी कर भी नहीं पाई कि बीच में बंटी बोल पड़ा,"चुपचाप रह समझी...आज तो हम दोनों ही चोद रहे अगर ज्यादा चपड़-2 की तो 10 लौंडे को बुलवा लूंगा अभी और बीच सड़क पर चोदूँगा दोनों को..शुक्र मना कि साइड में चोद रहा हूँ..."
कहते हुए बंटी अपनी बाइक को बड़ी स्टैंड पर खड़ी करने लगा...मैं बंटी के इस स्वभाव से थोड़ी डर गई और चुप रहने में ही भलाई समझी...तभी सन्नी अपना जींस बाइक पर रखने आगे बढ़ा और मेरी तरफ देखते हुए बोला,"कुछ नहीं होगा..रात के 12:30 बज रहे हैं और उधर मेन रोड छोड़कर कोई इधर सुनसान कॉलेज गली में नहीं आएगा...इधर किसी का घर भी नहीं है...बस कॉलेज है.."
पूजा: "यस दीदी, कॉलेज बंद हो तो दिन में इधर कोई नहीं फटकता..अभी तो रात है...लेट्स इंज्वाय...वैसे भी जीजू सुमन जी की लिए बिना तो आएंगे नहीं..." पूजा के कहने से थोड़ी राहत हुई डर से...पर अंदर ही अंदर एक अलग रोमांच भर गई तन बदन में शहर के बीच सड़कों पर चुदने की सोच से...
फिर सन्नी ने भी अपनी बाइक बड़ी स्टैंड पर कर बंटी के बाइक से बिल्कुल सटा के खड़ा कर दिया...फिर दोनों बाइक के दोनों तरफ खड़ा हो हम दोनों को एक साथ आने का इशारा किया...
"आजा रण्डियों, आज खुले सड़क पर कुतिया की तरह चोदता हूँ...तेरा भड़वा दूसरी औरत को चोदता फिरता है तो तू भी दूसरे लंड को लेती रहा कर..." हम दोनों बंटी और सन्नी की गाली को मजे से सुनती उनकी तरफ बढ़ने लगी...
जैसे ही हम दोनों उसके निकट पहुँचे हम दोनों की साड़ी पलक झपकते ही जमीन पर थी...इतनी तेजी से उसने साड़ी पकड़ के हमें नचा दिया कि पूरी की पूरी साड़ी खुल गई...अब हम दोनों केवल ब्लाउज और पेटीकोट में खड़ी थी...
उन दोनों के जंगलीपन हम दोनों को और मस्ती की गहराई में डुबो रही थी...मैं और पूजा के बीच दो बाइक की दूरी थी जहां हम दोनों की एक साथ अलग-2 मर्दो की प्यास बुझाने खड़ी थी...तभी सन्नी आगे हाथ बढ़ा मेरी ब्लॉउज पकड़ अपनी तरफ खींचा...
कपड़े तो मजबूत थे पर ब्लॉउज के हुक इस हमले को नहीं सह सकी और पट-2 करती टूट गई...यही आवाज पूजा की तरफ से आई और आज की पिंक पूजा बीच सड़क पर नंगी हो गई...
और अब मैं सन्नी के कैद में जकड़ी हुई थी जहाँ उसका अंडरवियर से बाहर निकल चुका लंड सीधा पेटीकोट को धँसाती मेरी बुर में घुसने को आतुर थी...तभी सन्नी ने पेटीकोट के नाड़े खींच दिए और हल्के लंड को पीछे खींच लिया...जिससे पेटीकोट सरकती हुई नीचे चली गई...
तभी दूसरी तरफ बंटी पूजा को लिए दोनों सट के लगी बाइक की सीट पर पीठ के बल लिटा दिया...जिससे पूजा की चूतड़ बंटी की बाइक पर थी जबकि चेहरा सन्नी की बाइक पर पड़ गई...
"आज दिखाता हूँ कि असली चुदाई क्या होती है शाली.."कहते हुए सन्नी मेरी छाती पर हाथ रख पीछे की तरफ ढ़केल दिया..जिससे मैं पूजा के ठीक बगल में पीछे की तरफ गिर गई और गिरने से हल्की दर्द में आह निकल पड़ी...
अब हम दोनों बाइक पर लेटे हुए थे बस बूर से नीचे का हिस्सा जमीन पर था...अपना चेहरा पूजा की तरफ की तो उसकी बूर पर बंटी लंड रगड़ रहा था...और तभी सन्नी का लंड भी मेरी बुर पर महसूस हुई जिसे पूजा आसानी से देख रही थी...
तभी सन्नी और बंटी ने आगे झुक हम दोनों की चुची को कस के पकड़ा और वन-टू-थ्री कहता पावर गियर में जड़ तक लंड पेल दिया...हम दोनों की चीख इस वीरान सड़कों पर गूँज उठी जो कॉलेज की दीवारों से टकरा के देर तक सुनाई देती रही....
पर इस चीख से उन दोनों को कोई असर नहीं हुआ और बेफिक्र हो लगा दनादन पेलने...हम दोनों की चुदी चुदाई बुर रहने के बावजूद उसने चीख निकलवा दी, सोचनीय थी...वो ऐसे चोदता रहा मानों कि कोई मशीन अपनी गति से चल रही हो..सटासट-सटासट-सटासट....
कुछ देर तक दर्द से बिलबिलाने के बाद जब कुछ शांत हुई तो मेरी चीख सिसकारी में बदल गई..."ईसससस...आहह..आहहहह...ओहहहह..यससस..सन्न्न्न्नी...और जोर सेऐऐऐऐऐ....आउच्च्च्च्च...यससस..."
साथ में पूजा भी सेक्स की आग में तड़पती गंदी गंदी गालियां भी बकने लगी,"हाँ ऐसे ही कमीने...जोर से पेल आहहहहह नाआआआआ बहनचोददददद....आउउउउउउउ..साले मैं तेरी बहन नहीं जो आराम से चोद रहाआआआआआआआआआ...."
पूजा की आवाज अचानक आआआआ में बदल गई...बंटी गाली सुनते ही उसकी चुची इतनी जोर से उमेठ जो दिया था और वैसे ही उमेठे तेज धक्के लगाता हुआ बोला,"मादरचोद, बहनचोद बोलती है रण्डी...कुतिया ना बनाया तुझे अपना तो बंटी मेरा नाम नहीं...ले राण्ड की पैदाइश...तेरी तो पूरी खानदान चोदूँगा...बुला ला अपने गाँव से सबको...आहहहह...याहह..याहह..."
फिर इस कड़क चुदाई से मेरे मन में भी जिज्ञासा जग कि मैं भी और दर्दनाक चुदाई करवाऊँ...बस ये सोची और पटापट 10 रंग बिरंगी गालियाँ बक दी...फिर क्या..सन्नी भी गुस्से में मेरी चुची को इतनी जोर से उमेठा कि मेरी आँखों से अश्रु बह निकली और आवाज गुम...
पर वो दोनों तो पूरे दरिंदे बन गए थे...बिना किसी परवाह के तड़ातड़ पेलने लगा...काफी देर तक यूँ ही पेलता रहा दो जानवर हम दोनों को...ऐसा लगता था कि पावर कैप्सूल खा कर आया हो...
तभी उसने हम दोनों की चुचियाँ छोड़ दिया...चुची के आजाद होते ही हम दोनों की आवाजें भी आजाद हो गई और लगी गर्मी से परेशान कुतिया की तरह किकियाने...पर इसमें हम दोनों की संतुष्टि साफ सुनाई पड़ रही थी...सच में,आज की चुदाई जिंदगी भर नहीं भूलूँगी...
तभी सन्नी मेरे एक पांव जमीन से उठा अपने सीने तक कर लिया, जिससे मैं पूजा की बूर की तरफ आधी करवट में आ गई...पूजा तो पहले ही आधी करवट में थी...अब हालत ये थी कि पूजा के बूर ठीक मेरी नाक के सामने थी...और नीचे पूजा की नाक मेरी बूर के सामने...जिसमें लंड जड़ तक धँसे थे...
बूर-लंड की मिली जुली पानी की खुशबू अब हम दोनों के अंदर तक जा रही थी..फर्क थी तो बस ये कि ना बूर मेरी थी और ना मुझे पेलने वाला लंड...दोनों अलग...और इसकी रोमांच तो आग में घी डालने का काम कर रही थी...
तभी एक जोर की ठोकरें बूर में पड़ी जिससे मैं अपनी आहह निकालती मस्ती में डूबने लगी...और यही ठोकर पूजा की भी पड़ी...हम दोनों सेक्सी आवाजें करती आँखों के सामने एक दूसरे की बुर चुदते देख रही थी...
धक्के की तेज गति से मेरे हाथ पूजा की चूतड़ से पीछे की तरफ जा उसके जमीं पर वाले पांव की जांघ थाम ली और पूजा मेरी...अब तो हम दोनों के नाक से कभी-2 लंड टकरा जाता...और फिर लंड की खुशबू से खुद को ज्यादा देर तक नहीं रोक पाई...अपनी जीभ निकाल पूजा की बुर में घुसता निकलता बंटी के लंड पर रख दी...
नीचे पूजा भी सन्नी के लंड पर अपनी जुबान लगा दी और लंड का स्वाद चखने लगी जो कि मेरी बुर की पानी से सनी थी..इधर मैं भी अपनी लपलपाती जीभ बंटी के लंड पर रख पानी सोख रही थी जो पूजा अपनी बूर से निकाले जा रही थी...
हम दोनों की चुचियाँ आपस में दब रही थी...इस अनोखे ढ़ंग हो रही चुदाई से मजे और दुगने बढ़ गए थे...अंदर से एक आवाज निकल रही थी और...और...और...साथ हीमैं भी मना रही थी कि काश ये रात खत्म ना हो...
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सीता --एक गाँव की लड़की--31
हम सब पूरे मेले में पहले तो सिर्फ चक्कर ही काटते रहे...कभी कभी किसी मेले में लगी दुकान पर खड़ी टाइम पास करती...पूजा कुछ अपने लिए सामान भी खरीदी तो मैं भी कुछ-2 ले ली...
फिर हम सब मनोरंजन क्षेत्र की तरफ घुसी जहाँ तरह-2 के मनोरंजन के साधन थे...हम चारों फिर इनमें खूब सारी मस्ती की...बड़ी वाली झूला पर जब चढ़ी तो मैं तो डर से पानी-2 हो गई थी और सन्नी से चिपक गई थी...
बस सन्नी को पूरा मौका मिल गया...जैसे ही झूला ऊपर की तरफ बढ़ती वो मेरे होंठों को अपने दांतों से दबा लेता और मेरी साड़ी के अंदर हाथ डाल चुची मसलने लगता...बिना ब्रॉ में ब्लॉउज पर से महसूस होती कि सन्नी मेरी नंगी चुची मसल रहा है...
फिर जब नीचे की तरफ आती तो छोड़ देता क्योंकि इस तरफ से देखने वाले और झूला पर चढ़ने वाले की काफी भीड़ थी...मैं इस तरह की चुसाई में भी गर्म हो गई और फिर सन्नी का साथ भी देनी लगी...
जब झूले कई चक्कर लगाने के बाद रूकी तो मैं सन्नी से अलग हुई...उफ्फ्फ..मेरी साड़ी सीने से सरक कर हम दोनों के बीच फंसी थी...और सामने ढ़ेर सारे मर्द की निगाहें मेरी खड़ी निप्पल को घूर रही थी जो ब्रॉ की अनुपस्थिति में ब्लॉउज से साफ झलक रही थी...
और ऊपर से तेज लाइट में मेरी चुची भी कुछ-2 दिख रही थी...मैं तेजी से साड़ी खींची और बदन पर रख ली...पर इस दौरान ना जाने कितने लोग अपनी आँखें सेंक चुके थे...
मैं उठी और तेजी से सन्नी के पीछे हो ली...तभी पीछे से किसी ने कंधे पर हाथ रख दी...पलटकर देखी तो पूजा थी जिसे देख मेरी हँसी निकल पड़ी...
"अपने लिपिस्टिक साफ कर लो, ओंठ से बहकर नीचे पूरी फैली हुई है...ही..ही..ही..."मैं पूजा धीमे से हँसती हुई बोली जिसे सुन पूजा बंटी से हैंकी मांगी और चारों तरफ नजर दौड़ाती लिपिस्टिक साफ करने लगी...
पर कुछ लोग तो गुलाबी पूजा की चोरी पकड़ ही ली थी और देख कर मंद-2 मुस्कुरा रहे थे...तब तक हम बाहर निकल गए...तभी मेरी नजर सामने पड़ी..ओह गॉड..मर गई...
झूले पर चढ़ने वाले की लाइन में रूम मालिक भी अपने फैमिली के साथ लगे थे...क्या मुसीबत थी..आज सुबह ही वो मुझे दोस्त माने थे और अभी मुझे किस हालत में देख लिए...
बीवी के डर से तो इस वक्त टोकेंगे नहीं पर जब अगले दिन मुलाकात होगी तो क्या जवाब दूँगी...सोचने से ही मेरी फट रही थी...और ऊपर से उनकी बड़ी होती आँखें...मैं सबको चलने बोल तेजी से खिसक ली...
अब तो मैं ज्यादा देर तक रूकना नहीं चाहती थी...पूजा से फोन ली जो कि वो पर्स में डाल रखी थी और श्याम को फोन करने लगी...ऐसे परेशान देख वो तीनों आश्चर्य से मेरी तरफ देखे जा रहे थे आखिर हुआ क्या...
"हाँ हैल्लो, कहाँ हैं अभी...पूरी रात घूमना ही है क्या...घर नहीं जाना.."श्याम के फोन उठाते ही मैं बोल पड़ी...
"हाँ बस आ ही रहा हूँ...बस 10 मिनट और..तुम लोग को हो गया क्या..?"उधर से श्याम की आवाज आई..
"हाँ.."मैं एक ही शब्दों में अपनी बात कह दी और असलियत बात दबा दी..
"अच्छा ठीक है, तुम लोग स्टैंड के पास रूको, मैं वहीं पहुँच रहा हूँ...और हाँ अपने दोस्त को मेरे आने तक जाने मत देना...तुम दोनों अकेली मत रहना..ठीक है.."श्याम ने पूरी बात एक ही सुर में कह दिए...जिसे सुन मैं ओके कह फोन काट दी...
कुछ ही पलों में हम सब स्टैंड के पास थे...यहां रूकते ही पूजा पूछ बैठी,"क्या हुआ जो ऐसे अचानक चली आई.."
मैं पूजा की तरफ मुस्कुराती हुई बोली,"हुआ कुछ नहीं,..बस अब घूमने की इच्छा नहीं हो रही है इसलिए चली आई...तुम्हे और घुमनी थी क्या..?"
पूजा: "नहीं पर ये बात नहीं है...जरूर कोई बात है जो हमसे छिपा रही हो...नहीं बतानी हो तो कह दो, मैं नहीं पूछती..."
मैं पूजा की नाराजगी उसकी आवाजों में साफ सुन ली थी..सो मैं बोली,"वो वहाँ झूले से उतरते रूममालिक देख लिए थे..और हम दोनों को ऐसी हालत में देख लिए तो शायद कहीं उन्हें बुरा लगे और गुस्से में हो हल्ला करेंगे तो अच्छा नहीं ना होगा...वैसे भी काफी मस्ती कर ही ली तो सोची अब घर ही चली जाए..."
मेरी बात सुन पूजा कुछ बोल नहीं पाई..शायद वो भी स्थिति को समझ गई थी...तभी सामने से श्याम और सुमन एक दूसरे का हाथ थामे हंसते हुए चले आ रहे थे...उन्हें देख पूजा और मैं नजरों में ही मुस्कुरा पड़ी...
"तुम दोनों अभी घूमोगे या चलोगे..?" मैं बंटी और श्याम से एक ही साथ पूछी...
"अब यहाँ रह के घंटा बजाएंगे क्या...मैं भी बाइक निकाल रहा हूँ.." कहते हुए दोनों बाइक लेने चले गए...तब तक श्याम और सुमन भी आ गए और मुस्कुराते हुए बाइक लेने चले गए...
हम तीनों अपने-2 यार का इंतजार करने लगी...कुछ ही पलों में तीनों अपनी-2 बाइक हम तीनों के पास खड़ी कर दिए...तभी श्याम बंटी और श्याम से बोले,"बात ऐसा है कि सुमन की दोस्त मिली थी तो हमारे साथ देख बोली कि आप सुमन को घर तक ड्रॉप कर देना और वो अपने बॉयफ्रेंड के साथ चली गई...तो अगर आप दोनों अगर फ्री हो तो इन दोनों को ले कर चलिए और सुमन को पहले छोड़ देंगे फिर इन्हें ले जाएंगे..."
"कैसी बात करते हैं आप, इतनी रात को भला क्या काम रहेगा..चलिए...साथ ही चलेंगे और इनको ड्रॉप करने के बाद ही हम निकलेंगे..."बंटी बोला जिसके साथ सन्नी भी हाँ में हाँ मिला दिया...
और फिर इतना सुनते ही मैं सन्नी की बाइक पर बैठ गई...और पूजा बंटी के साथ जबकि सुमन श्याम के साथ बैठ के चिपक कर बैठ गई...और फिर हम सब एक साथ निकल पड़े..
करीब आधे रास्ते चलने के बाद श्याम एक जगह रूके जहाँ से एक सड़क दूसरी तरफ निकल रही थी..पीछे से बंटी और सन्नी भी बाइक को श्याम के बगल में रोक दिए...
"इधर ही जाना है क्या..?"सन्नी उस दूसरी तरफ निकली सड़क की ओर इशारा करते हुए बोले...
"हाँ और आप लोग को किधर जाना है..."श्याम सन्नी की बात का जवाब देते हुए बोले...
"हम दोनों का घर आपके इलाके से 3-4 किमी और आगे है पर हमारी छोड़िए, पर अब ये कहिए यहाँ रूक कर आपका वेट करूँ या आहिस्ते-2 आगे बढूं.."बंटी बीच में अपनी बात रखते हुए बोला...
"फिर तो अच्छा ही है...आप लोग इन दोनों को लेकर निकलिए...मैं सुमन को ड्रॉप कर के आता हूँ..ठीक है..?" श्याम गंभीरता से मुस्कुराते हुए बोले...
"ओके, ठीक है...मैं इन्हें घर तक ड्रॉप कर निकल जाऊंगा..."सन्नी कहते हुए अपनी बाइक स्टॉर्ट कर दी...श्याम भी ओके कह निकल गए सुमन को छोड़ने...और इधर हम दोनों की बाइक भी चल पड़ी...
फिर मैं और पूजा अपनी-2 बाइक सवार से कस के चिपक गई...साड़ी पहनी थी तो उतनी ढ़ंग से नहीं चिपक पा रही थी पर ऊपर से दोनों चुची उनकी पीठ में तो धाँस ही चुकी थी...
तभी मैं अपने हाथ सरकाते हुए लंड के समीप ले गई और हल्के-2 दबाने लगी...सन्नी अपने लंड पर हाथ महसूस करते ही कराह पड़ा...सन्नी को भी बड़ा मजा आ रह था ऐसे बाइक चलाते....
उधर पूजा की तरफ नजर की तो वो भी बंटी के लंड को जिप से बाहर करने में लगी थी...पर निकल नहीं रही थी जींस से...मैं भी उसकी देखा-देखी सन्नी की जिप खोल दी और हाथ अंदर कर लंड को अंडर वियर से बाहर करने लगी...
तभी बंटी अपनी बाइक काफी स्लो कर ली...मैं और सन्नी एक साथ उसकी तरफ नजर की तो बंटी लंड निकालने के लिए बाइक स्लो की थी और अगले ही पल उसका लंड पूजा के हाथों में थी...
सन्नी भी तेजी से बाइक स्लो किया और झटपट में अपना लंड मेरे हाथों में भर दिया और फिर दोनों लंड मसलवाते बाइक चलाने लगा...अभी 5 मिनट ही हुए थे कि बंटी ने अपनी बाइक अचानक से एक सिंगल सड़क में घुमा दी और कुछ दूर आगे चल कर एक बड़ी सी बिल्डिंग के पास रूक गया...
दिखने से ये कोई कॉलेज लग रही थी...सन्नी तब तक कुछ आगे बढ़ गया था...शायद सन्नी आगे बढ़ना चाहता था और बंटी भी रूकने के लिए बोला नहीं था...आगे से मुड़ कर जब पूजा के पास आई तो ये क्या...दोनों शुरू हो गए थे यहीं सड़क पर...
आसपास नजर दौड़ाई तो कहीं कोई नहीं था...वैसे भी कॉलेज में कौन रात को रहता...
गेट के पास स्ट्रीट लाइट जल रही थी पर उसकी रोशनी पूरी तरह हमारे निकट नहीं पहुँच रही थी ..बस परछाई लग रहे थे हम सब..
पूजा तेजी से बंटी के लंड को मुँह में भर आगे पीछे कर रही थी, जबकि बंटी बाइक पर दोनों पैर एक तरफ किए खड़ा मस्ती से आहें भर रहा था...सन्नी अगले ही पल मेरी कलाई पकड़ अपनी तरफ खींचा और मेरी गर्दन पर हाथ रख हल्के दबाव दे डाला नीचे झुकाने के लिए...
इतने देर से लंड की गर्मी पा कर गर्म तो हो ही गई थी...तो बिना कोई विरोध किए अपने होंठ सन्नी के लंड से छुआते मुंह में भर ली...मेरे होठों की गरमी पाते ही सन्नी की आह निकल गई और वो सिससकारी लेने लगा...
मैं उसे और मजे देने की सोच तेज-2 चुप्पे लगाने लगी और उसके अण्डो को निचोरने लगी...सच में काफी एक्साइटेड हो रही थी मैं...खुली सड़को पर बेफिक्र हो कर लंड चूस रही थी....
करीब 5 मिनट की ननस्टॉप चुसाई में ही सन्नी बदहवाश हो गया और तेजी से मुझे अपने लंड से जुदा कर दिया...अलग होते ही मेरी नजर पूजा की तरफ गई तो वो भी हाँफ रही थी और बंटी अपना जींस खोल रहा था...
बंटी को नंगा होते देख सन्नी भी अपना जींस खोलने गया...मतलब चुदाई होने वाली थी हम दोनों की...पर किसी के आ जाने की डर मेरे अंदर जग गई...
"सन्नी, कोई आ जाएगा...यहाँ सड़क पर ठीक नहीं होगा..."मैं अपनी डर को बाहर करती बोल पड़ी...जिसे सुन बंटी और सन्नी एक साथ मेरी तरफ देखने लगे...
"...मतलब लंड अभी खड़ा है और चूत चोदेंगे कल..." बंटी सेक्स की आग में जलता खिसियाते हुए बोल पड़ा और अपना जींस बाइक की हैंडल में फंसा दिया...
"नहीं, मैं वो नहीं कह रही..आज ही करना पर यहाँ खुले में ठीक नहीं...." मैं अपनी बात पूरी कर भी नहीं पाई कि बीच में बंटी बोल पड़ा,"चुपचाप रह समझी...आज तो हम दोनों ही चोद रहे अगर ज्यादा चपड़-2 की तो 10 लौंडे को बुलवा लूंगा अभी और बीच सड़क पर चोदूँगा दोनों को..शुक्र मना कि साइड में चोद रहा हूँ..."
कहते हुए बंटी अपनी बाइक को बड़ी स्टैंड पर खड़ी करने लगा...मैं बंटी के इस स्वभाव से थोड़ी डर गई और चुप रहने में ही भलाई समझी...तभी सन्नी अपना जींस बाइक पर रखने आगे बढ़ा और मेरी तरफ देखते हुए बोला,"कुछ नहीं होगा..रात के 12:30 बज रहे हैं और उधर मेन रोड छोड़कर कोई इधर सुनसान कॉलेज गली में नहीं आएगा...इधर किसी का घर भी नहीं है...बस कॉलेज है.."
पूजा: "यस दीदी, कॉलेज बंद हो तो दिन में इधर कोई नहीं फटकता..अभी तो रात है...लेट्स इंज्वाय...वैसे भी जीजू सुमन जी की लिए बिना तो आएंगे नहीं..." पूजा के कहने से थोड़ी राहत हुई डर से...पर अंदर ही अंदर एक अलग रोमांच भर गई तन बदन में शहर के बीच सड़कों पर चुदने की सोच से...
फिर सन्नी ने भी अपनी बाइक बड़ी स्टैंड पर कर बंटी के बाइक से बिल्कुल सटा के खड़ा कर दिया...फिर दोनों बाइक के दोनों तरफ खड़ा हो हम दोनों को एक साथ आने का इशारा किया...
"आजा रण्डियों, आज खुले सड़क पर कुतिया की तरह चोदता हूँ...तेरा भड़वा दूसरी औरत को चोदता फिरता है तो तू भी दूसरे लंड को लेती रहा कर..." हम दोनों बंटी और सन्नी की गाली को मजे से सुनती उनकी तरफ बढ़ने लगी...
जैसे ही हम दोनों उसके निकट पहुँचे हम दोनों की साड़ी पलक झपकते ही जमीन पर थी...इतनी तेजी से उसने साड़ी पकड़ के हमें नचा दिया कि पूरी की पूरी साड़ी खुल गई...अब हम दोनों केवल ब्लाउज और पेटीकोट में खड़ी थी...
उन दोनों के जंगलीपन हम दोनों को और मस्ती की गहराई में डुबो रही थी...मैं और पूजा के बीच दो बाइक की दूरी थी जहां हम दोनों की एक साथ अलग-2 मर्दो की प्यास बुझाने खड़ी थी...तभी सन्नी आगे हाथ बढ़ा मेरी ब्लॉउज पकड़ अपनी तरफ खींचा...
कपड़े तो मजबूत थे पर ब्लॉउज के हुक इस हमले को नहीं सह सकी और पट-2 करती टूट गई...यही आवाज पूजा की तरफ से आई और आज की पिंक पूजा बीच सड़क पर नंगी हो गई...
और अब मैं सन्नी के कैद में जकड़ी हुई थी जहाँ उसका अंडरवियर से बाहर निकल चुका लंड सीधा पेटीकोट को धँसाती मेरी बुर में घुसने को आतुर थी...तभी सन्नी ने पेटीकोट के नाड़े खींच दिए और हल्के लंड को पीछे खींच लिया...जिससे पेटीकोट सरकती हुई नीचे चली गई...
तभी दूसरी तरफ बंटी पूजा को लिए दोनों सट के लगी बाइक की सीट पर पीठ के बल लिटा दिया...जिससे पूजा की चूतड़ बंटी की बाइक पर थी जबकि चेहरा सन्नी की बाइक पर पड़ गई...
"आज दिखाता हूँ कि असली चुदाई क्या होती है शाली.."कहते हुए सन्नी मेरी छाती पर हाथ रख पीछे की तरफ ढ़केल दिया..जिससे मैं पूजा के ठीक बगल में पीछे की तरफ गिर गई और गिरने से हल्की दर्द में आह निकल पड़ी...
अब हम दोनों बाइक पर लेटे हुए थे बस बूर से नीचे का हिस्सा जमीन पर था...अपना चेहरा पूजा की तरफ की तो उसकी बूर पर बंटी लंड रगड़ रहा था...और तभी सन्नी का लंड भी मेरी बुर पर महसूस हुई जिसे पूजा आसानी से देख रही थी...
तभी सन्नी और बंटी ने आगे झुक हम दोनों की चुची को कस के पकड़ा और वन-टू-थ्री कहता पावर गियर में जड़ तक लंड पेल दिया...हम दोनों की चीख इस वीरान सड़कों पर गूँज उठी जो कॉलेज की दीवारों से टकरा के देर तक सुनाई देती रही....
पर इस चीख से उन दोनों को कोई असर नहीं हुआ और बेफिक्र हो लगा दनादन पेलने...हम दोनों की चुदी चुदाई बुर रहने के बावजूद उसने चीख निकलवा दी, सोचनीय थी...वो ऐसे चोदता रहा मानों कि कोई मशीन अपनी गति से चल रही हो..सटासट-सटासट-सटासट....
कुछ देर तक दर्द से बिलबिलाने के बाद जब कुछ शांत हुई तो मेरी चीख सिसकारी में बदल गई..."ईसससस...आहह..आहहहह...ओहहहह..यससस..सन्न्न्न्नी...और जोर सेऐऐऐऐऐ....आउच्च्च्च्च...यससस..."
साथ में पूजा भी सेक्स की आग में तड़पती गंदी गंदी गालियां भी बकने लगी,"हाँ ऐसे ही कमीने...जोर से पेल आहहहहह नाआआआआ बहनचोददददद....आउउउउउउउ..साले मैं तेरी बहन नहीं जो आराम से चोद रहाआआआआआआआआआ...."
पूजा की आवाज अचानक आआआआ में बदल गई...बंटी गाली सुनते ही उसकी चुची इतनी जोर से उमेठ जो दिया था और वैसे ही उमेठे तेज धक्के लगाता हुआ बोला,"मादरचोद, बहनचोद बोलती है रण्डी...कुतिया ना बनाया तुझे अपना तो बंटी मेरा नाम नहीं...ले राण्ड की पैदाइश...तेरी तो पूरी खानदान चोदूँगा...बुला ला अपने गाँव से सबको...आहहहह...याहह..याहह..."
फिर इस कड़क चुदाई से मेरे मन में भी जिज्ञासा जग कि मैं भी और दर्दनाक चुदाई करवाऊँ...बस ये सोची और पटापट 10 रंग बिरंगी गालियाँ बक दी...फिर क्या..सन्नी भी गुस्से में मेरी चुची को इतनी जोर से उमेठा कि मेरी आँखों से अश्रु बह निकली और आवाज गुम...
पर वो दोनों तो पूरे दरिंदे बन गए थे...बिना किसी परवाह के तड़ातड़ पेलने लगा...काफी देर तक यूँ ही पेलता रहा दो जानवर हम दोनों को...ऐसा लगता था कि पावर कैप्सूल खा कर आया हो...
तभी उसने हम दोनों की चुचियाँ छोड़ दिया...चुची के आजाद होते ही हम दोनों की आवाजें भी आजाद हो गई और लगी गर्मी से परेशान कुतिया की तरह किकियाने...पर इसमें हम दोनों की संतुष्टि साफ सुनाई पड़ रही थी...सच में,आज की चुदाई जिंदगी भर नहीं भूलूँगी...
तभी सन्नी मेरे एक पांव जमीन से उठा अपने सीने तक कर लिया, जिससे मैं पूजा की बूर की तरफ आधी करवट में आ गई...पूजा तो पहले ही आधी करवट में थी...अब हालत ये थी कि पूजा के बूर ठीक मेरी नाक के सामने थी...और नीचे पूजा की नाक मेरी बूर के सामने...जिसमें लंड जड़ तक धँसे थे...
बूर-लंड की मिली जुली पानी की खुशबू अब हम दोनों के अंदर तक जा रही थी..फर्क थी तो बस ये कि ना बूर मेरी थी और ना मुझे पेलने वाला लंड...दोनों अलग...और इसकी रोमांच तो आग में घी डालने का काम कर रही थी...
तभी एक जोर की ठोकरें बूर में पड़ी जिससे मैं अपनी आहह निकालती मस्ती में डूबने लगी...और यही ठोकर पूजा की भी पड़ी...हम दोनों सेक्सी आवाजें करती आँखों के सामने एक दूसरे की बुर चुदते देख रही थी...
धक्के की तेज गति से मेरे हाथ पूजा की चूतड़ से पीछे की तरफ जा उसके जमीं पर वाले पांव की जांघ थाम ली और पूजा मेरी...अब तो हम दोनों के नाक से कभी-2 लंड टकरा जाता...और फिर लंड की खुशबू से खुद को ज्यादा देर तक नहीं रोक पाई...अपनी जीभ निकाल पूजा की बुर में घुसता निकलता बंटी के लंड पर रख दी...
नीचे पूजा भी सन्नी के लंड पर अपनी जुबान लगा दी और लंड का स्वाद चखने लगी जो कि मेरी बुर की पानी से सनी थी..इधर मैं भी अपनी लपलपाती जीभ बंटी के लंड पर रख पानी सोख रही थी जो पूजा अपनी बूर से निकाले जा रही थी...
हम दोनों की चुचियाँ आपस में दब रही थी...इस अनोखे ढ़ंग हो रही चुदाई से मजे और दुगने बढ़ गए थे...अंदर से एक आवाज निकल रही थी और...और...और...साथ हीमैं भी मना रही थी कि काश ये रात खत्म ना हो...
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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