FUN-MAZA-MASTI
मामी की गदराई गांड-7
मुतने के बाद मामीजी जब बाहर आयी तभीभी उनकी साड़ी घुटनों तक ही थी. कपडे धोने के कारन पसीना आ रहा था उनको बहोत. उस पसीने में उनका चेहरा बहोत ही मादक दिख रहा था. पोछा और बकेट लेके वो कमरे में आगयी. बकेट पानी से भरा होने के कारन मामीजीकी गांड एक तरफ आगयी थी. बहोत ही सेक्सी लग रही थो वो. बकेट कमरे के कोने में रखके वो पोछा लगाने लगी. महेश की तरफ उनका साईड था. मूतते वक़्त जैसे औरते बैठती है, वैसेही मामीजी बेठी थी और पोछा लगाते हुए पीछे पीछे आ रही थी. जैसे ही वो महेश के सामने आयी उन्होंने अपना मुंह उस्सके सामने कर दिया. उनका पल्लू इकट्ठा होके उनके दोनों मम्मोंके गहरायी से गया था. उसीकारन उनके दोनों साइड से मम्मे दिख रहे थे और बिच की गहरायी भी देख सकता था वो. क्या नजारा था वो. ऐसे ही पोछा लगाते हुए मामीजी की गांड अब महेश की तरफ होगई थी. वैसे ही बेठे बेठे वो आगे जा रही थी दो पैरोंपे. जैसे ही आगे जाती उनके गांड की जो भी हलचल होती वो देख के महेश तो बिलकुल घायल होगया था. एक जगह फर्श पे बहोत सारे दाग पड़े थे. वहा मामीजी जोर जोर से घिस रही थी पोछा. महेश को पता था वो दाग कैसे है. मामीजी के ही नाम से वो जब रोज वो मूठ मारता था तो कभी कभी जोशमे वो रूम में ही झड जाता था. उसीके पानी के वो दाग थे.
“कितने जिद्दी दाग है ये महेश. मिटाए नहीं मिट रहे. क्या गिराया था?” वैसे तो मामीजी को अंदाजा होगया था.
“क्या पता चाचीजी, कुछ खाने वक़्त गिरा होगा.” महेश ने भोला बनकर जवाब दिया.
सारी फर्श पोछने के बाद मामीजी ने एक लम्बी सास ली और पंखेके निचे खडी होगई. अभीभी उनके मम्मे और बिच की गहरायी साफ़ दिख रही थी. उनकी साड़ी भी कमर में खोचने की बजह से उनका साड़ी के अन्दर का बड़ा पेट और भी बड़ा देख रहा था. साड़ी और ब्लोउज के बिच का नंगा पेट भी घायल कर रहा था महेश को. और ऐसे में उन्होंने अपना पल्लू निचे करके हवा लेनी शुरू कर दी. उफ्फ....
“चाचीजी आप तो थक गयी बहोत. पानी लाऊ क्या आपके लिए.”
“नहीं रहने दो.. घर जाती हूँ अब वहा ही पि लुंगी.” ऐसे कहके वो अपने घर चली गयी.
महेश का तो लंड बहोत देर से उंस उंस कर पानी छोड़ रहा था. मामीजी के जाने के बाद झट से उस्सने अन्दर से लॉक किया और अपनी पेंट उतार कर वही मूठ मारने लग गया. १० सेकण्ड भी नहीं लगे उसके पानी गिरने. पानी गिरने के पहले कुछ ही पलोंमे उस्सको एक आईडिया आया. उस्सने अपना सारा गाढ़ा वीर्य अपने हाथोंमें जमा किया और एक गिलास में ले लिया. उसमे उसने पानी मिलाया. अपना लंड भी उसने उसी गिलास में डुबो दिया. लंड पे जो भी वीर्य की बुँदे लटक रही थी वो उस्सने गिलास में धो दिये. और उसी वीर्य भरे पानी में शक्कर नमक और निम्बू डालके निम्बू का शरबत बना दिया. वो छान कर लिया उसमे ताकि जो वीर्य पानी में घुला न हो वो निकल जाये. निम्बू शरबत का और एक गिलास बनाके वो मामीजीके यहाँ गया. मामीजीने उनके यहाँ से लॉक नहीं किया था दरवाजा इसीलिए वो ऐसे ही चला गया. मामीजी हॉल में कुछ रही थी. उसने उनको वो उस्सके वीर्य से बना हुआ शरबत दे दिया.
“अरे वा महेश. बहोत जरूरत थी इस्सकी अभी. बहोत बहोत शुक्रिया” मामीजी बहोत खुश होगयी महेश के ऊपर.
“शुक्रिया किस बात का चाचीजी. आप बहोत थकी हुयी थी इसीलिए बना दिया. पि लीजिये ना. मामीजी ने झट से दो-तिन घूँट पि ले शरबत के..
“वाह महेश, एकदम मस्त बना है शरबत.” ऐसा कहके सारा शरबत मामीजी ने पि लिया. ये देखके महेश मन ही मन सोच रहा था कब इसे अपना कच्चा वीर्य पिला सकूँगा.
“थैंक यू चाचीजी. चाचीजी आप से पूछना था, कल मेरे फ्रेंड का बर्थ डे है, इसीलिए मेरे रूम में हम आज रात पार्टी करे क्या?”
“करो ना महेश, आज तुम्हारे चाचा भी नहीं है. कोई प्रॉब्लम नहीं. लेकिन ज्यादा शोर मचाओगे क्या.?”
“नहीं चाचीजी.”
“बियर वैगरा लाने वाले हो क्या?” मामीजी मुस्कुराकर बोली.
“हाँ, आपको दिक्कत तो नहीं?” महेश ने हौसला पाकर बोला.
“ठीक है मजे करो”
“चाचाजी कहा गए है?”
“उनके दोस्त की बेटी की शादी है कल. वो आजही गए है. में कल सीधा शादी में जाउंगी.”
“ठीक है फिर, बहोत शुक्रिया आपका,”
उस रात को महेशने के २-३ दोस्त बुलाकर बहोत बियर पी ली. चिकन वैगरा भी मंगवाया था. लेकिन सुबह जब उठा तो दोस्त जाने के बाद देखा तो सारा कचरा हो गया था. वो साफसफाई के लिए मामीजी को बुलाने के लिए दरवाजा खटखटाने वाला था की, मामीने ही दरवाजा खोला. मामीजी सजधज के तैयार थी शादी में जाने के लिए.
“अरे महेश, में जा रही हूँ शादी में यही बोलने के लिए आयी थी,”
“पर चाचीजी आज झाड़ू-पोछा नहीं लगाओगी क्या?”
“वापिस आने के बाद कर दूंगी न”
“प्लीज चाचीजी अभी थोडा साफसफाई कर दो , आपके आने तक बदबू मारने लगेगी.”
“अरे बेटा, मुझे फिर से साड़ी बदलने लगेगी”
“प्लीज चाचीजी, इस हालत में पढाई नहीं कर सकूँगा”
“ठीक है महेश, लेकिन तुम हमारे घर जाकर बेठो. में कहती हूँ तब तक अन्दर मत आना.”
“क्यूँ?”
अरे बेटा, मुझे भी जल्दी है, और इस सिल्क सारी में ही पोछा मारू क्या?”
महेश को पता चला, मामीजी सारी उतार कर वैसे ही काम करने वाली थी.
“ठीक है, में जाता हूँ, लेकिन जल्दी करना.” ऐसा कहके महेश उनके घर जाकर बेठा. लेकिन थोड़ी देर बाद उसे याद आया उस्सका मोबाइल वही उस्सके कमरे में रह गया. उस्सने दरवाजा ठकठकाया लेकिन वो खुला ही था. उस्सने बाहर से ही आवाज लगायी.
“चाचीजी मेरा मोबाइल रह गया अन्दर. और आपका भी बज रहा है.”
“ठीक है लेलो. मेरा रहने दो बाद में देखती हूँ.
महेश दरवाजेसे अन्दर गया. दरवाजे के पास में ही उस्सका बाथरूम था . जोकि अभी बंद था. वो धीरे से अन्दर आया. उसने देखा वही बेड पे मामीजी की सिल्क सारी पड़ी थी. साड़ी उठाकर देखा उस्सने तो वही पेटीकोट और ब्लाउज भी था. चड्डी नहीं थी लेकिन और ब्रा भी. इस्सका मतलब मामीजी सिर्फ चड्डी और ब्रा में अन्दर बर्तन धो रही थी. महेश मोबाइल लेकर वही बेठ गया. १० मिनिट बाद बाथरूम का दरवाजा खुला. दरवाजे के बायीं तरफ महेश बेठा था. लेकिन मामीजी बाथरूम से बाहर आकर दाई तरफ देखने लग गयी. उनके घर में जाने वाला दरवाजा खुला देखकर वो उसे बंद करने के लिए उधर मूड गयी. महेश की तरफ उनकी पीठ थी. और वो सिर्फ चड्डी और ब्रा में थी. पिंक कलर की फूल पत्ती वाली कॉटन की चड्डी थी वो. उस्सका साइज़ उसे पता था ११० cm. चड्डी भी थोड़ी निचे खिसक जाने के कारन उनके गांड की दरार ऊपर से दिख रही थी. क्या नजारा था वो. महेश तो पग्लोंकी तरह वो नजारा अपने आंखोमें समां रहा था. साड़ी में जो भी शरीर का भाग खुला रहता है वो काला पड़ गया था मामीजी का. उनके हाथ और पीठ का भाग. बाकी सब गोरा और मुलायम था. बहोत ही खुबसूरत दिख रही थी मामीजी. उनकी वो मोटी गांड, चौड़ी और उभरी हुयी समां नहीं रही थी उनके चड्डी में.
मामीजी दरवाजा बंद करके जैसे ही मुड़ी वो महेश को देखकर चौक गयी.
“अरे महेश, तुम गए नहीं.” ऐसा कहके उन्होंने वही पड़ा टॉवल उठा लिया उर सिर्फ अपने मम्मोंको ढक लिया. उनकी गदरायी जांघे, मोटा पेट, गहरी और गोल नाभी अभीभी महेश को दिख रही थी. वो पागलों की तरह मामीजी को देख रहा था.
“सॉरी चाचीजी, मोबाइल मिल नहीं रहा था, अभी मिला, जा ही रहा था की ...”
“ठीक है बदमाश, चल जा उधर जाके बेठ” मामीजी मुस्कुराकर बोली. बोलते बोलते वो महेश को पास करके बेड की तरफ आगयी. महेशने जाते जाते पीछे मुड़ा तो देखा चाचीजी अपनी चड्डी ऊपर ओढ़ रही थी..
उफ्फ..
“चाचीजी बाथरूम और टॉयलेट भी साफ़ कर देना.”
“ठीक है” मामीजी वैसेही मुड़कर बोली. उनको भी मजा आ रहा था अब.
महेश उनके घर गया तो लेकिन उसने दरवाजा बंद नहीं किया. मामिजिने भी उसे बंद नहीं किया. २ ही मिनट में चाची की पुकार सुनकर वो फिरसे उस्सके रूम में आया. मामीजी अपनी नाक बंद कर बोली..
“अरे कितनी बदबू आ रही है.. कितनी बियर पी रात में? और फिनाईल ख़त्म होगई है. जा हमारे घर से ला." महेश ने झट से जाकर फिनाइल लाया और मामीजी को दे दिया. मामीजी फिनाईल लेकर टॉयलेट में डाला. इंडियन सिटींग का टॉयलेट था वो, इसीलिए उनको झुकना पड़ा. महेश अभीभी पीछे खड़ा था. जैसी ही मामीजी झुकी महेश आंखे फाड़ फाड़ कर उनकी गांड देखने लग गया. उस्सको अब कुछ सूझ नहीं रहा था. उस्सके हाथ पैर गरम होकर कापने लगे थे. मामीजी की चौड़ी गांड झुकने की बजह से और चौड़ी होगई थी. टॉयलेट ब्रश से साफ़ करने बाद वो मुड़कर बाहर आयी..
“उफ्फ, थक गयी.. में तो , जरा पानी तो दो बेटा.”
महेश ने लाया पानी मामीने पी लिया..
“हाय राम, देखो में तुम्हारे सामने वैसे ही बिना कपडोंकी नंगी बेठी हूँ. और तू भी बदमाश इधर ही खड़ा है. चल झाड़ू लगाती हूँ में.”
मामीजी झुक कर झाड़ू लगाने लग गयी. लेकिन इस बार उन्होंने महेश को जाने के लिए नहीं बोला. मामीजी का मुंह झाड़ू लगाते वक़्त उसीके तरफ था.. उनका नेकलेस, मंगलसूत्र और ब्रा में लिपटे मम्मे सारे, लटक रहे थे.
पटापट झाड़ू लगाने के बाद मामीजी अपने कपडे उठाकर जल्दी से अपने कमरे में चली गयी और फिरसे सजधज कर वापिस आगयी में जाती हूँ बोलने के लिए. मामीजी वो सिल्क साड़ी में बहोत ही मादक दिख रही थी. उनका वो बड़ा पेट जो महेश के सामने पूरा नंगा था बहोत ही उत्तेजित कर रहा था महेश को. उनके पीठ की वो गहरायी और फोल्ड्स महेश को सास नहीं लेने दे रहे थे. जैसे ही मामीजी चली गयी. महेशने एक सिगरेट जलाई और नंगा होगया. लैपटॉप पे मामीकी अभी अभी चड्डी में ली फोटो डिस्प्ले करके वो मुठ मारने लगा. इतनी उत्तेजना पहले उसने कभीभी महसूस नहीं की थी.उस्सका लंड फुले नहीं समा रहा था. उस्सका लंड भी आज पानी छोड़ने को तैयार नहीं हो रहा था जल्दी. उसे भी मानो मामीजीके गांड पे ही अपना पानी छोड़ना था. १० – १५ मिनिट होगये तब भी उस्सका पानी नहीं निकला. महेश ने फिर दूसरी सिगरेट जलायी और जोर जोर से मुठ मारने लगा. तभी पीछे मामीजी आके खडी हुयी. उनकी बस छुट गयी थी और उनको भी शादी में जाने का मन नहीं था इसीलिए वो वापिस आगयी थी. जानबूझ के वो कोई आवाज किये बिना ताला खोलके उनके घर आयी थी. उनको देखना था महेश क्या कर रहा है. आज तो सिर्फ चड्डी में ही वो उस्सके सामने बहोत देर तक काम कर रही थी. उस्सका असर कुछ हुआ है क्या उसपर ये जानने के लिए बेताब थी वो. जब वो घर में आयी तो महेश के कमरे का दरवाजा खुला ही था. ज्यादातर मामीजी वो दरवाजा बंद ही नहीं करती थी अब. उस दरवाजे से उन्होंने अन्दर झाका तो देखा महेश पूरा नंगा था. उस्सकी पीठ दरवाजे के तरफ थी.
“अरे महेश क्या कर रहे हो?” मामीजीने उसे पूछा.
महेश के मानो होश ही उड़ गए. उसके हाथ में सिगरेट थी. लैपटॉप पर मामीजी की चड्डी में खिची तस्वीर और पूरा नंगा था वो. जल्दी से उसने लैपटॉप बंद किया और वो पीछे मुड गया. एक हाथ से उसने अपना औजार छुपा लिया और उसने सिगरेट ऐश ट्रे में बुझा दी.
“चाचीजी आप वापिस आगयी? गयी नहीं शादी में.”
“हाँ नहीं गयी. बस छुट गयी मेरी. तू ये क्या कर रहा था बेटा. नंगी औरतोंकी तस्वीर देखके मुठ मारते हो.. मेरी ही गलती है उसमे , है न बेटा. सुबह तेरे सामने में ऐसे ही आधी नंगी होगयी थी और तुझे उत्तेजित कर दिया होगा. देख कितना फुला हुआ है तेरा . आ बेटा तुझे खाली करती हूँ.”
महेश कुछ बोल पता उसके पहले ही मामीने उसे हाथ पकड़ कर बेड पे बिठा दिया. महेश को तो यकीन नहीं आ रहा था जो भी हो रहा है उसपर. मामीजी ने उसे बेड पे बिठाकर खुद उस्सके पैरोंमे बेठ गयी. और उसका हाथ उस्सके औजार से हठा लिया. महेश का लंड मामीजीका हाथ लगते ही और डोलने लग गया और सीधे खड़ा होगया.
“सिगरेट भी पिते हो क्या महेश बेटा. बुरी आदत है बेटा.”
“कभी कभी पिता हूँ चाचीजी. आप को बुरा लग गया हो तो माफ़ करना. लेकिन जब आप को आज सुबह आधा नंगा देखा तब से कुछ सूझ नहीं रहा था. ऐसे वक़्त टेंशन में पिने का मन करता है.” महेश ने भी चालाकी से उन्ही को ही जिम्मेदार बना दिया.
“ठीक है बेटा.कभी कभी पीना ठीक है. तुम आज कल के बच्चे बहोत टेंशन लेते हो. मेरी ही गलती है. तू आराम से बेठ. तेरा टेंशन अभी निकाल देता हूँ तेरे औजार से. हाय राम देख कितना तन गया है.तुझे बहोत दर्द हो रहा होगा न?” ऐसा कह के मामीजीने उसे आगे पीछे करना शुरू कर दिया.
“ आह चाचीजी धीरे. आह आह...”
“हाँ हाँ बेटा.. ये पूरा सुख गया है तेरा, इसीलिए तुझे दर्द हो रहा होगा. ठहर में इसे गिला करती हूँ” ऐसा कहके मामीजी ने महेश का सूपड़ा मुंह में ले लिया.
महेश तो सातवे आसमान पे पहुच गए.सपने में भी उसने सोचा नहीं था की उस्सके घर की मालकिन उसके पैरोंमें बैठके उसका लंड चूस रही होगी. मामीजी तो एक्सपर्ट जैसे उसका लंड चाट रही थी. उसका सूपड़ा ही सिर्फ उन्होंने अपने मुंह में लिया था. और उसे ही वो लोलीपॉप की तरह चाट रही थी. महेश आराम से बेठा था बेड पर. अब उसने अपने हाथ मामी के सर पे रख दिया और वो उसके बालोंपर हाथ फेरने लगा.
“मैं जब आयी तो तू लैपटॉप पे किसकी फोटो देख रहा था.?”
“किसीकी नहीं चाचीजी” महेश घबराकर बोला.
“शरमा मत महेश बता भी दे” ऐसा कहके महेश का लैपटॉप जो वही पड़ा था उन्होंने खोल दिया. लेकिन लीड ढकने के कारन स्लीप पे चला गया था. महेश की जान में जान आयी. वो तो मामीका ही फोटो देख रहा था उस वक़्त.
“अरे ये बंद होगया है.”
“ठहरो चाचीजी दिखाता हूँ..” ऐसा कहके उसने xossip साईट खोलके सरोजा भाभी और कामिनी की थ्रेड दिखा दी उनको. उसको भी अब मामीजीका रिएक्शन देखना था.
“हाय राम ये कौन है ? कैसी कैसी फोटो डाली है?
“महेश ने सब मामीजी को समझाया कैसे लोग अपनी बीवी की फोटोज डालते है साईट पे, सब रिप्लाई क्या देते है.
“हे भगवान्, क्या जमाना आया है, ऐसे अपनी बिवियोंकी नंगी फोटोज डालता है क्या कोई?”
हाँ चाचीजी मजा आता है जब लोग रिप्लाई देते है, और चेहरा तो छिपाया जाता है न तो कोई पहचान नहीं सकता.”
“तुझे पसंद है क्या ये सरोजा भाभी?”
“हाँ चाचीजी” महेश शरमाकर बोला.
“लडकिया पसंत नहीं आती?”
“ऐसा नहीं है, लेकिन आंटीया ज्यादा पसंत है मुझे आप जैसी” महेश ने धैर्य जुटाकर कहा.
“छट बदमाश, मैं तो कितनी मोटी हूँ. तुम्हारे जैसे जवान लड्कोंको थोड़ी ही मोटी औरते पसंत आएगी?”
“आप कहा मोटी हो चाचीजी, आप तो बहोत सुन्दर हो, पतली औरते और लडकिया लड्कोंको पसंत नहीं आती. देखो इस साईट पे आंटीयो के थ्रेड पे कितने रिप्लाई आते है.”
“मुझे पसंत करेंगे के या इस साईट पे?”
“हाँ चाचीजी, आपको देख कर तो सभी पागल हो जायेंगे. आपकी एक फोटो डाले क्या?”
“पागल होगये हो क्या, किसीने देख लिया तो क़यामत आजायेगी.”
“चेहरा थोड़ी ही दिखायेंगे? और पुरे कपडे में डालते है.. देखो आपको भी मजा आएगा”
“नहीं नहीं डर लगता है, कोई देख न ले.”
“ठीक है चाचीजी”
“कितनी देर होगयी तेरा पानी अभी तक गिरा नहीं”
“गिरनेवालाही है चाचीजी, मुंह में लो ना फिरसे”
“हट बदमाश..” ऐसा कहके मामीजी जोरजोरसे हिलाने लगी महेश का..
महेश अब जोरजोरसे आहे भर रहा था..
“आह आह आह!!! चाचीजी, रुको मत.. में गिरनेवाला हूँ..”
दो मिनिट में ही झड गया वो, मामीजी ने वही पड़ा तोलिया उठाकर उस्सकी लंड पे रख दिया, फिर भी थोड़ी बुँदे मामीजिकी साड़ी पे और मुंह पे गिर गयी..
“हाय राम, साड़ी ख़राब होगयी मेरी, में जाती हूँ..” और महेश के कुछ कहनेसे पहले ही मामीजी वहा से चली गयी.
मामीजी चले जाने के बाद महेश वही पड़ा रहा बेड पे..अभी जो कुछ भी हुआ उस्स्पे उस्से यकीन ही नहीं हो रहा था.
उधर मामीजी अपने कमरे में जाकर आईने के सामने खडी होगयी. अपने चेहरे पर महेश की वीर्य की बुँदे देखकर वो बहोत ही गरम होगयी थी. उसी हालत अपनी में अपनी सेल्फी निकालकर उन्होंने मुझे whats app पे भेज दी. मैंने ही उन्हें whats app सिखाया था, अपनी नंगी तस्वीरे भेजने के लिए. लेकिन मामिजीकी ये फोटो देखकर में भी भोचक्का रह गया. मामीजी के गोलमटोल गोरे चेहरे पर वो वीर्य की चमकती बुँदे देखकर मेरा बाबुराव तो डोलने लगा. मैंने उन्हें फ़ोन लगाया.
“मामीजी क्या पिक भेजी है.. माँ कसम अभी आकर आपको चोदने का मन कर रहा है.”
“आ ना बेटा, तेरा ही तो इंतज़ार है, तुझे ही मामीकि याद नहीं आती.”
“क्या करे मामीजी इस कमबख्त पेट के लिए नोकरी तो करनी पड़ेगी, और इतने दूर आपसे थोडीही हमेशा मिलने आ सकता हूँ, खैर आप बताइए, चुद ही गयी क्या आप महेशसे?”
“नहीं बेटा, उस्सका लंड मुझे पसंत नहीं आया, लगा था उस्सका जवान लंड मस्त होगा, लेकिन काले मोटे लंड का मजा नहीं उस्समे.”
“तो फिर किससे चुदी आप?”
“चुदी नहीं बेटा, सिर्फ महेश का हिलाकर गिरा दिया, लम्बी कहानी है, तू आ तब बताती हूँ”
"ठीक है चाचीजी, वैसे आपसे एक बात पूछनीं थी, आप बुरा तो नहीं मानेगी?”
“नहीं मानूंगी बता तो सही.”
“मेरा एक दोस्त है, मैंने आपकी फोटो उस्से दिखाई थी, आपकी फोटो देखकर वो पूरा पागल हो गया है, आपसे मिलने के लिए वो बेकरार है.”
“तुम दोस्तोंसे मेरी बाते करते हो?”
मैंने फिर उनको xossip के बारे में बताया और मेरा वो दोस्त xossip पे कैसे हुआ वो बताया.
“तूने मेरी फोटो डाल दी क्या उस वेबसाईट पर, वो महेश भी इसी के बारे में बात कर रहा था, बेटा ऐसा मत कर किसी ने देख लिया तो तेरी मामी किसी के मुंह दिखाने के काबिल नहीं रहेगी.”
“घबराओ मत मामी, मैंने सबको थोड़ी ही दिखाई है, मैंने तो सिर्फ मेरे दोस्त को प्राइवेट में दिखाई है.वो भी आपका चेहरा नहीं दिखाया. आपकी याद आती रेहती है तो में आपके गदरायी गांड की फोटो शेयर कर चैट करता हूँ उस्ससे. आपकी गदरायी गोलमटोल गोरी गांड देखकर वो तो पागल ही हो गया है.”
“कहा का है वो? और मेरी नंगी फोटो दिखायी क्या उस्से?”
“नहीं नहीं मामी, नंगी नहीं दिखाई, चेन्नई का है वो”
“ठीक है, लेकिन तू पूछना क्या चाहता है?”
“वही उस्सका लंड बहोत मोटा और काला है, आप अभी कह रही थी ना आपको वैसा पसंत है”
“हाँ, अस्लम चाचा का था वैसा, मेरी गोरी जांघो में उनका लंड बहोत ही उद्दीपित करता था मुझे, लेकिन तुम्हे कैसे पता तेरे दोस्त का मोटा और काला है?”
“मैं दो सालोंसे उस्सके साथ आपकी बाते करता हूँ, एक बार उस्सने अपनी फोटो भेजी थी”
“क्या क्या करते हो तुम आज कल के बच्चे! तो तुम क्या उस्ससे चुदवाओगे मुझे?”
“हाँ, आप का मन हो तो, ”
“लेकिन किसी अंजान आदमीसे कैसे भरोसा रखेंगे और वो तो चेन्नई में रहता है, वो इतनी दूर आएगा?”
“उस्सकी आप चिंता मत करो, वो बहोत अमीर है, वो तो आपके लिए पैसे गिनने को भी तैयार है”
“हट बदमाश, में रंडी थोड़ी ही हूँ पैसे लेकर चुदने के लिए”
“बुरा मत मानो मामी, लेकिन वो दे रहा है तो, लेने में हर्ज क्या है?”
“ठीक है, तू देख ले, मैं भी अब ४५ की होगयी, तेरे मामा को तो मुझमे इंटरेस्ट नहीं, में तो कब तक अपना मन मारती रहू, जिंदगी में खाना और चुदना यही सत्य है, बाकि सब झूठ”
“वाह मामी क्या बात की है, मैं उस्सको आपका नंबर देता हूँ, आप जान पहचान कर लेना, ताकि जब मिलोगी आप उस्से तो आपको कोई दिक्कत नहीं होगी”
“ठीक है, लेकिन उस्सकी उमर तो बता”
“४८ है”
“अच्छा? मुझे लगा तुम्हारे उम्र का है.”
“क्यूँ मामी? आपको जवान लड़का चाहिए था क्या?”
“हट, बदमाश मामीको चिढाता है”
“हा हा हा, मैं तो युही मजाक कर रहा था. लेकिन आप महेश को ऐसा ही छोड़ देगी क्या? आपको देखकर तो बड़े बड़े बेकाबू हो जाते है, आपने तो उस्सको अब आपकी लत भी लगा दी , दया करना उस्सपर नहीं तो आपको फसा देगा पीछे लगकर ,औरत की लत आदमी को पागल बना देती है.”
“हाँ, वो तो अब यही है, उस्से भी मजा दूंगी में, और प्यार से काबू में रखूंगी उस्सकी चिंता नहीं मुझे”
“हाँ आपका कोई हाथ नहीं धर सकता लड़कों को काबू रखने में.”
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मामी की गदराई गांड-7
मुतने के बाद मामीजी जब बाहर आयी तभीभी उनकी साड़ी घुटनों तक ही थी. कपडे धोने के कारन पसीना आ रहा था उनको बहोत. उस पसीने में उनका चेहरा बहोत ही मादक दिख रहा था. पोछा और बकेट लेके वो कमरे में आगयी. बकेट पानी से भरा होने के कारन मामीजीकी गांड एक तरफ आगयी थी. बहोत ही सेक्सी लग रही थो वो. बकेट कमरे के कोने में रखके वो पोछा लगाने लगी. महेश की तरफ उनका साईड था. मूतते वक़्त जैसे औरते बैठती है, वैसेही मामीजी बेठी थी और पोछा लगाते हुए पीछे पीछे आ रही थी. जैसे ही वो महेश के सामने आयी उन्होंने अपना मुंह उस्सके सामने कर दिया. उनका पल्लू इकट्ठा होके उनके दोनों मम्मोंके गहरायी से गया था. उसीकारन उनके दोनों साइड से मम्मे दिख रहे थे और बिच की गहरायी भी देख सकता था वो. क्या नजारा था वो. ऐसे ही पोछा लगाते हुए मामीजी की गांड अब महेश की तरफ होगई थी. वैसे ही बेठे बेठे वो आगे जा रही थी दो पैरोंपे. जैसे ही आगे जाती उनके गांड की जो भी हलचल होती वो देख के महेश तो बिलकुल घायल होगया था. एक जगह फर्श पे बहोत सारे दाग पड़े थे. वहा मामीजी जोर जोर से घिस रही थी पोछा. महेश को पता था वो दाग कैसे है. मामीजी के ही नाम से वो जब रोज वो मूठ मारता था तो कभी कभी जोशमे वो रूम में ही झड जाता था. उसीके पानी के वो दाग थे.
“कितने जिद्दी दाग है ये महेश. मिटाए नहीं मिट रहे. क्या गिराया था?” वैसे तो मामीजी को अंदाजा होगया था.
“क्या पता चाचीजी, कुछ खाने वक़्त गिरा होगा.” महेश ने भोला बनकर जवाब दिया.
सारी फर्श पोछने के बाद मामीजी ने एक लम्बी सास ली और पंखेके निचे खडी होगई. अभीभी उनके मम्मे और बिच की गहरायी साफ़ दिख रही थी. उनकी साड़ी भी कमर में खोचने की बजह से उनका साड़ी के अन्दर का बड़ा पेट और भी बड़ा देख रहा था. साड़ी और ब्लोउज के बिच का नंगा पेट भी घायल कर रहा था महेश को. और ऐसे में उन्होंने अपना पल्लू निचे करके हवा लेनी शुरू कर दी. उफ्फ....
“चाचीजी आप तो थक गयी बहोत. पानी लाऊ क्या आपके लिए.”
“नहीं रहने दो.. घर जाती हूँ अब वहा ही पि लुंगी.” ऐसे कहके वो अपने घर चली गयी.
महेश का तो लंड बहोत देर से उंस उंस कर पानी छोड़ रहा था. मामीजी के जाने के बाद झट से उस्सने अन्दर से लॉक किया और अपनी पेंट उतार कर वही मूठ मारने लग गया. १० सेकण्ड भी नहीं लगे उसके पानी गिरने. पानी गिरने के पहले कुछ ही पलोंमे उस्सको एक आईडिया आया. उस्सने अपना सारा गाढ़ा वीर्य अपने हाथोंमें जमा किया और एक गिलास में ले लिया. उसमे उसने पानी मिलाया. अपना लंड भी उसने उसी गिलास में डुबो दिया. लंड पे जो भी वीर्य की बुँदे लटक रही थी वो उस्सने गिलास में धो दिये. और उसी वीर्य भरे पानी में शक्कर नमक और निम्बू डालके निम्बू का शरबत बना दिया. वो छान कर लिया उसमे ताकि जो वीर्य पानी में घुला न हो वो निकल जाये. निम्बू शरबत का और एक गिलास बनाके वो मामीजीके यहाँ गया. मामीजीने उनके यहाँ से लॉक नहीं किया था दरवाजा इसीलिए वो ऐसे ही चला गया. मामीजी हॉल में कुछ रही थी. उसने उनको वो उस्सके वीर्य से बना हुआ शरबत दे दिया.
“अरे वा महेश. बहोत जरूरत थी इस्सकी अभी. बहोत बहोत शुक्रिया” मामीजी बहोत खुश होगयी महेश के ऊपर.
“शुक्रिया किस बात का चाचीजी. आप बहोत थकी हुयी थी इसीलिए बना दिया. पि लीजिये ना. मामीजी ने झट से दो-तिन घूँट पि ले शरबत के..
“वाह महेश, एकदम मस्त बना है शरबत.” ऐसा कहके सारा शरबत मामीजी ने पि लिया. ये देखके महेश मन ही मन सोच रहा था कब इसे अपना कच्चा वीर्य पिला सकूँगा.
“थैंक यू चाचीजी. चाचीजी आप से पूछना था, कल मेरे फ्रेंड का बर्थ डे है, इसीलिए मेरे रूम में हम आज रात पार्टी करे क्या?”
“करो ना महेश, आज तुम्हारे चाचा भी नहीं है. कोई प्रॉब्लम नहीं. लेकिन ज्यादा शोर मचाओगे क्या.?”
“नहीं चाचीजी.”
“बियर वैगरा लाने वाले हो क्या?” मामीजी मुस्कुराकर बोली.
“हाँ, आपको दिक्कत तो नहीं?” महेश ने हौसला पाकर बोला.
“ठीक है मजे करो”
“चाचाजी कहा गए है?”
“उनके दोस्त की बेटी की शादी है कल. वो आजही गए है. में कल सीधा शादी में जाउंगी.”
“ठीक है फिर, बहोत शुक्रिया आपका,”
उस रात को महेशने के २-३ दोस्त बुलाकर बहोत बियर पी ली. चिकन वैगरा भी मंगवाया था. लेकिन सुबह जब उठा तो दोस्त जाने के बाद देखा तो सारा कचरा हो गया था. वो साफसफाई के लिए मामीजी को बुलाने के लिए दरवाजा खटखटाने वाला था की, मामीने ही दरवाजा खोला. मामीजी सजधज के तैयार थी शादी में जाने के लिए.
“अरे महेश, में जा रही हूँ शादी में यही बोलने के लिए आयी थी,”
“पर चाचीजी आज झाड़ू-पोछा नहीं लगाओगी क्या?”
“वापिस आने के बाद कर दूंगी न”
“प्लीज चाचीजी अभी थोडा साफसफाई कर दो , आपके आने तक बदबू मारने लगेगी.”
“अरे बेटा, मुझे फिर से साड़ी बदलने लगेगी”
“प्लीज चाचीजी, इस हालत में पढाई नहीं कर सकूँगा”
“ठीक है महेश, लेकिन तुम हमारे घर जाकर बेठो. में कहती हूँ तब तक अन्दर मत आना.”
“क्यूँ?”
अरे बेटा, मुझे भी जल्दी है, और इस सिल्क सारी में ही पोछा मारू क्या?”
महेश को पता चला, मामीजी सारी उतार कर वैसे ही काम करने वाली थी.
“ठीक है, में जाता हूँ, लेकिन जल्दी करना.” ऐसा कहके महेश उनके घर जाकर बेठा. लेकिन थोड़ी देर बाद उसे याद आया उस्सका मोबाइल वही उस्सके कमरे में रह गया. उस्सने दरवाजा ठकठकाया लेकिन वो खुला ही था. उस्सने बाहर से ही आवाज लगायी.
“चाचीजी मेरा मोबाइल रह गया अन्दर. और आपका भी बज रहा है.”
“ठीक है लेलो. मेरा रहने दो बाद में देखती हूँ.
महेश दरवाजेसे अन्दर गया. दरवाजे के पास में ही उस्सका बाथरूम था . जोकि अभी बंद था. वो धीरे से अन्दर आया. उसने देखा वही बेड पे मामीजी की सिल्क सारी पड़ी थी. साड़ी उठाकर देखा उस्सने तो वही पेटीकोट और ब्लाउज भी था. चड्डी नहीं थी लेकिन और ब्रा भी. इस्सका मतलब मामीजी सिर्फ चड्डी और ब्रा में अन्दर बर्तन धो रही थी. महेश मोबाइल लेकर वही बेठ गया. १० मिनिट बाद बाथरूम का दरवाजा खुला. दरवाजे के बायीं तरफ महेश बेठा था. लेकिन मामीजी बाथरूम से बाहर आकर दाई तरफ देखने लग गयी. उनके घर में जाने वाला दरवाजा खुला देखकर वो उसे बंद करने के लिए उधर मूड गयी. महेश की तरफ उनकी पीठ थी. और वो सिर्फ चड्डी और ब्रा में थी. पिंक कलर की फूल पत्ती वाली कॉटन की चड्डी थी वो. उस्सका साइज़ उसे पता था ११० cm. चड्डी भी थोड़ी निचे खिसक जाने के कारन उनके गांड की दरार ऊपर से दिख रही थी. क्या नजारा था वो. महेश तो पग्लोंकी तरह वो नजारा अपने आंखोमें समां रहा था. साड़ी में जो भी शरीर का भाग खुला रहता है वो काला पड़ गया था मामीजी का. उनके हाथ और पीठ का भाग. बाकी सब गोरा और मुलायम था. बहोत ही खुबसूरत दिख रही थी मामीजी. उनकी वो मोटी गांड, चौड़ी और उभरी हुयी समां नहीं रही थी उनके चड्डी में.
मामीजी दरवाजा बंद करके जैसे ही मुड़ी वो महेश को देखकर चौक गयी.
“अरे महेश, तुम गए नहीं.” ऐसा कहके उन्होंने वही पड़ा टॉवल उठा लिया उर सिर्फ अपने मम्मोंको ढक लिया. उनकी गदरायी जांघे, मोटा पेट, गहरी और गोल नाभी अभीभी महेश को दिख रही थी. वो पागलों की तरह मामीजी को देख रहा था.
“सॉरी चाचीजी, मोबाइल मिल नहीं रहा था, अभी मिला, जा ही रहा था की ...”
“ठीक है बदमाश, चल जा उधर जाके बेठ” मामीजी मुस्कुराकर बोली. बोलते बोलते वो महेश को पास करके बेड की तरफ आगयी. महेशने जाते जाते पीछे मुड़ा तो देखा चाचीजी अपनी चड्डी ऊपर ओढ़ रही थी..
उफ्फ..
“चाचीजी बाथरूम और टॉयलेट भी साफ़ कर देना.”
“ठीक है” मामीजी वैसेही मुड़कर बोली. उनको भी मजा आ रहा था अब.
महेश उनके घर गया तो लेकिन उसने दरवाजा बंद नहीं किया. मामिजिने भी उसे बंद नहीं किया. २ ही मिनट में चाची की पुकार सुनकर वो फिरसे उस्सके रूम में आया. मामीजी अपनी नाक बंद कर बोली..
“अरे कितनी बदबू आ रही है.. कितनी बियर पी रात में? और फिनाईल ख़त्म होगई है. जा हमारे घर से ला." महेश ने झट से जाकर फिनाइल लाया और मामीजी को दे दिया. मामीजी फिनाईल लेकर टॉयलेट में डाला. इंडियन सिटींग का टॉयलेट था वो, इसीलिए उनको झुकना पड़ा. महेश अभीभी पीछे खड़ा था. जैसी ही मामीजी झुकी महेश आंखे फाड़ फाड़ कर उनकी गांड देखने लग गया. उस्सको अब कुछ सूझ नहीं रहा था. उस्सके हाथ पैर गरम होकर कापने लगे थे. मामीजी की चौड़ी गांड झुकने की बजह से और चौड़ी होगई थी. टॉयलेट ब्रश से साफ़ करने बाद वो मुड़कर बाहर आयी..
“उफ्फ, थक गयी.. में तो , जरा पानी तो दो बेटा.”
महेश ने लाया पानी मामीने पी लिया..
“हाय राम, देखो में तुम्हारे सामने वैसे ही बिना कपडोंकी नंगी बेठी हूँ. और तू भी बदमाश इधर ही खड़ा है. चल झाड़ू लगाती हूँ में.”
मामीजी झुक कर झाड़ू लगाने लग गयी. लेकिन इस बार उन्होंने महेश को जाने के लिए नहीं बोला. मामीजी का मुंह झाड़ू लगाते वक़्त उसीके तरफ था.. उनका नेकलेस, मंगलसूत्र और ब्रा में लिपटे मम्मे सारे, लटक रहे थे.
पटापट झाड़ू लगाने के बाद मामीजी अपने कपडे उठाकर जल्दी से अपने कमरे में चली गयी और फिरसे सजधज कर वापिस आगयी में जाती हूँ बोलने के लिए. मामीजी वो सिल्क साड़ी में बहोत ही मादक दिख रही थी. उनका वो बड़ा पेट जो महेश के सामने पूरा नंगा था बहोत ही उत्तेजित कर रहा था महेश को. उनके पीठ की वो गहरायी और फोल्ड्स महेश को सास नहीं लेने दे रहे थे. जैसे ही मामीजी चली गयी. महेशने एक सिगरेट जलाई और नंगा होगया. लैपटॉप पे मामीकी अभी अभी चड्डी में ली फोटो डिस्प्ले करके वो मुठ मारने लगा. इतनी उत्तेजना पहले उसने कभीभी महसूस नहीं की थी.उस्सका लंड फुले नहीं समा रहा था. उस्सका लंड भी आज पानी छोड़ने को तैयार नहीं हो रहा था जल्दी. उसे भी मानो मामीजीके गांड पे ही अपना पानी छोड़ना था. १० – १५ मिनिट होगये तब भी उस्सका पानी नहीं निकला. महेश ने फिर दूसरी सिगरेट जलायी और जोर जोर से मुठ मारने लगा. तभी पीछे मामीजी आके खडी हुयी. उनकी बस छुट गयी थी और उनको भी शादी में जाने का मन नहीं था इसीलिए वो वापिस आगयी थी. जानबूझ के वो कोई आवाज किये बिना ताला खोलके उनके घर आयी थी. उनको देखना था महेश क्या कर रहा है. आज तो सिर्फ चड्डी में ही वो उस्सके सामने बहोत देर तक काम कर रही थी. उस्सका असर कुछ हुआ है क्या उसपर ये जानने के लिए बेताब थी वो. जब वो घर में आयी तो महेश के कमरे का दरवाजा खुला ही था. ज्यादातर मामीजी वो दरवाजा बंद ही नहीं करती थी अब. उस दरवाजे से उन्होंने अन्दर झाका तो देखा महेश पूरा नंगा था. उस्सकी पीठ दरवाजे के तरफ थी.
“अरे महेश क्या कर रहे हो?” मामीजीने उसे पूछा.
महेश के मानो होश ही उड़ गए. उसके हाथ में सिगरेट थी. लैपटॉप पर मामीजी की चड्डी में खिची तस्वीर और पूरा नंगा था वो. जल्दी से उसने लैपटॉप बंद किया और वो पीछे मुड गया. एक हाथ से उसने अपना औजार छुपा लिया और उसने सिगरेट ऐश ट्रे में बुझा दी.
“चाचीजी आप वापिस आगयी? गयी नहीं शादी में.”
“हाँ नहीं गयी. बस छुट गयी मेरी. तू ये क्या कर रहा था बेटा. नंगी औरतोंकी तस्वीर देखके मुठ मारते हो.. मेरी ही गलती है उसमे , है न बेटा. सुबह तेरे सामने में ऐसे ही आधी नंगी होगयी थी और तुझे उत्तेजित कर दिया होगा. देख कितना फुला हुआ है तेरा . आ बेटा तुझे खाली करती हूँ.”
महेश कुछ बोल पता उसके पहले ही मामीने उसे हाथ पकड़ कर बेड पे बिठा दिया. महेश को तो यकीन नहीं आ रहा था जो भी हो रहा है उसपर. मामीजी ने उसे बेड पे बिठाकर खुद उस्सके पैरोंमे बेठ गयी. और उसका हाथ उस्सके औजार से हठा लिया. महेश का लंड मामीजीका हाथ लगते ही और डोलने लग गया और सीधे खड़ा होगया.
“सिगरेट भी पिते हो क्या महेश बेटा. बुरी आदत है बेटा.”
“कभी कभी पिता हूँ चाचीजी. आप को बुरा लग गया हो तो माफ़ करना. लेकिन जब आप को आज सुबह आधा नंगा देखा तब से कुछ सूझ नहीं रहा था. ऐसे वक़्त टेंशन में पिने का मन करता है.” महेश ने भी चालाकी से उन्ही को ही जिम्मेदार बना दिया.
“ठीक है बेटा.कभी कभी पीना ठीक है. तुम आज कल के बच्चे बहोत टेंशन लेते हो. मेरी ही गलती है. तू आराम से बेठ. तेरा टेंशन अभी निकाल देता हूँ तेरे औजार से. हाय राम देख कितना तन गया है.तुझे बहोत दर्द हो रहा होगा न?” ऐसा कह के मामीजीने उसे आगे पीछे करना शुरू कर दिया.
“ आह चाचीजी धीरे. आह आह...”
“हाँ हाँ बेटा.. ये पूरा सुख गया है तेरा, इसीलिए तुझे दर्द हो रहा होगा. ठहर में इसे गिला करती हूँ” ऐसा कहके मामीजी ने महेश का सूपड़ा मुंह में ले लिया.
महेश तो सातवे आसमान पे पहुच गए.सपने में भी उसने सोचा नहीं था की उस्सके घर की मालकिन उसके पैरोंमें बैठके उसका लंड चूस रही होगी. मामीजी तो एक्सपर्ट जैसे उसका लंड चाट रही थी. उसका सूपड़ा ही सिर्फ उन्होंने अपने मुंह में लिया था. और उसे ही वो लोलीपॉप की तरह चाट रही थी. महेश आराम से बेठा था बेड पर. अब उसने अपने हाथ मामी के सर पे रख दिया और वो उसके बालोंपर हाथ फेरने लगा.
“मैं जब आयी तो तू लैपटॉप पे किसकी फोटो देख रहा था.?”
“किसीकी नहीं चाचीजी” महेश घबराकर बोला.
“शरमा मत महेश बता भी दे” ऐसा कहके महेश का लैपटॉप जो वही पड़ा था उन्होंने खोल दिया. लेकिन लीड ढकने के कारन स्लीप पे चला गया था. महेश की जान में जान आयी. वो तो मामीका ही फोटो देख रहा था उस वक़्त.
“अरे ये बंद होगया है.”
“ठहरो चाचीजी दिखाता हूँ..” ऐसा कहके उसने xossip साईट खोलके सरोजा भाभी और कामिनी की थ्रेड दिखा दी उनको. उसको भी अब मामीजीका रिएक्शन देखना था.
“हाय राम ये कौन है ? कैसी कैसी फोटो डाली है?
“महेश ने सब मामीजी को समझाया कैसे लोग अपनी बीवी की फोटोज डालते है साईट पे, सब रिप्लाई क्या देते है.
“हे भगवान्, क्या जमाना आया है, ऐसे अपनी बिवियोंकी नंगी फोटोज डालता है क्या कोई?”
हाँ चाचीजी मजा आता है जब लोग रिप्लाई देते है, और चेहरा तो छिपाया जाता है न तो कोई पहचान नहीं सकता.”
“तुझे पसंद है क्या ये सरोजा भाभी?”
“हाँ चाचीजी” महेश शरमाकर बोला.
“लडकिया पसंत नहीं आती?”
“ऐसा नहीं है, लेकिन आंटीया ज्यादा पसंत है मुझे आप जैसी” महेश ने धैर्य जुटाकर कहा.
“छट बदमाश, मैं तो कितनी मोटी हूँ. तुम्हारे जैसे जवान लड्कोंको थोड़ी ही मोटी औरते पसंत आएगी?”
“आप कहा मोटी हो चाचीजी, आप तो बहोत सुन्दर हो, पतली औरते और लडकिया लड्कोंको पसंत नहीं आती. देखो इस साईट पे आंटीयो के थ्रेड पे कितने रिप्लाई आते है.”
“मुझे पसंत करेंगे के या इस साईट पे?”
“हाँ चाचीजी, आपको देख कर तो सभी पागल हो जायेंगे. आपकी एक फोटो डाले क्या?”
“पागल होगये हो क्या, किसीने देख लिया तो क़यामत आजायेगी.”
“चेहरा थोड़ी ही दिखायेंगे? और पुरे कपडे में डालते है.. देखो आपको भी मजा आएगा”
“नहीं नहीं डर लगता है, कोई देख न ले.”
“ठीक है चाचीजी”
“कितनी देर होगयी तेरा पानी अभी तक गिरा नहीं”
“गिरनेवालाही है चाचीजी, मुंह में लो ना फिरसे”
“हट बदमाश..” ऐसा कहके मामीजी जोरजोरसे हिलाने लगी महेश का..
महेश अब जोरजोरसे आहे भर रहा था..
“आह आह आह!!! चाचीजी, रुको मत.. में गिरनेवाला हूँ..”
दो मिनिट में ही झड गया वो, मामीजी ने वही पड़ा तोलिया उठाकर उस्सकी लंड पे रख दिया, फिर भी थोड़ी बुँदे मामीजिकी साड़ी पे और मुंह पे गिर गयी..
“हाय राम, साड़ी ख़राब होगयी मेरी, में जाती हूँ..” और महेश के कुछ कहनेसे पहले ही मामीजी वहा से चली गयी.
मामीजी चले जाने के बाद महेश वही पड़ा रहा बेड पे..अभी जो कुछ भी हुआ उस्स्पे उस्से यकीन ही नहीं हो रहा था.
उधर मामीजी अपने कमरे में जाकर आईने के सामने खडी होगयी. अपने चेहरे पर महेश की वीर्य की बुँदे देखकर वो बहोत ही गरम होगयी थी. उसी हालत अपनी में अपनी सेल्फी निकालकर उन्होंने मुझे whats app पे भेज दी. मैंने ही उन्हें whats app सिखाया था, अपनी नंगी तस्वीरे भेजने के लिए. लेकिन मामिजीकी ये फोटो देखकर में भी भोचक्का रह गया. मामीजी के गोलमटोल गोरे चेहरे पर वो वीर्य की चमकती बुँदे देखकर मेरा बाबुराव तो डोलने लगा. मैंने उन्हें फ़ोन लगाया.
“मामीजी क्या पिक भेजी है.. माँ कसम अभी आकर आपको चोदने का मन कर रहा है.”
“आ ना बेटा, तेरा ही तो इंतज़ार है, तुझे ही मामीकि याद नहीं आती.”
“क्या करे मामीजी इस कमबख्त पेट के लिए नोकरी तो करनी पड़ेगी, और इतने दूर आपसे थोडीही हमेशा मिलने आ सकता हूँ, खैर आप बताइए, चुद ही गयी क्या आप महेशसे?”
“नहीं बेटा, उस्सका लंड मुझे पसंत नहीं आया, लगा था उस्सका जवान लंड मस्त होगा, लेकिन काले मोटे लंड का मजा नहीं उस्समे.”
“तो फिर किससे चुदी आप?”
“चुदी नहीं बेटा, सिर्फ महेश का हिलाकर गिरा दिया, लम्बी कहानी है, तू आ तब बताती हूँ”
"ठीक है चाचीजी, वैसे आपसे एक बात पूछनीं थी, आप बुरा तो नहीं मानेगी?”
“नहीं मानूंगी बता तो सही.”
“मेरा एक दोस्त है, मैंने आपकी फोटो उस्से दिखाई थी, आपकी फोटो देखकर वो पूरा पागल हो गया है, आपसे मिलने के लिए वो बेकरार है.”
“तुम दोस्तोंसे मेरी बाते करते हो?”
मैंने फिर उनको xossip के बारे में बताया और मेरा वो दोस्त xossip पे कैसे हुआ वो बताया.
“तूने मेरी फोटो डाल दी क्या उस वेबसाईट पर, वो महेश भी इसी के बारे में बात कर रहा था, बेटा ऐसा मत कर किसी ने देख लिया तो तेरी मामी किसी के मुंह दिखाने के काबिल नहीं रहेगी.”
“घबराओ मत मामी, मैंने सबको थोड़ी ही दिखाई है, मैंने तो सिर्फ मेरे दोस्त को प्राइवेट में दिखाई है.वो भी आपका चेहरा नहीं दिखाया. आपकी याद आती रेहती है तो में आपके गदरायी गांड की फोटो शेयर कर चैट करता हूँ उस्ससे. आपकी गदरायी गोलमटोल गोरी गांड देखकर वो तो पागल ही हो गया है.”
“कहा का है वो? और मेरी नंगी फोटो दिखायी क्या उस्से?”
“नहीं नहीं मामी, नंगी नहीं दिखाई, चेन्नई का है वो”
“ठीक है, लेकिन तू पूछना क्या चाहता है?”
“वही उस्सका लंड बहोत मोटा और काला है, आप अभी कह रही थी ना आपको वैसा पसंत है”
“हाँ, अस्लम चाचा का था वैसा, मेरी गोरी जांघो में उनका लंड बहोत ही उद्दीपित करता था मुझे, लेकिन तुम्हे कैसे पता तेरे दोस्त का मोटा और काला है?”
“मैं दो सालोंसे उस्सके साथ आपकी बाते करता हूँ, एक बार उस्सने अपनी फोटो भेजी थी”
“क्या क्या करते हो तुम आज कल के बच्चे! तो तुम क्या उस्ससे चुदवाओगे मुझे?”
“हाँ, आप का मन हो तो, ”
“लेकिन किसी अंजान आदमीसे कैसे भरोसा रखेंगे और वो तो चेन्नई में रहता है, वो इतनी दूर आएगा?”
“उस्सकी आप चिंता मत करो, वो बहोत अमीर है, वो तो आपके लिए पैसे गिनने को भी तैयार है”
“हट बदमाश, में रंडी थोड़ी ही हूँ पैसे लेकर चुदने के लिए”
“बुरा मत मानो मामी, लेकिन वो दे रहा है तो, लेने में हर्ज क्या है?”
“ठीक है, तू देख ले, मैं भी अब ४५ की होगयी, तेरे मामा को तो मुझमे इंटरेस्ट नहीं, में तो कब तक अपना मन मारती रहू, जिंदगी में खाना और चुदना यही सत्य है, बाकि सब झूठ”
“वाह मामी क्या बात की है, मैं उस्सको आपका नंबर देता हूँ, आप जान पहचान कर लेना, ताकि जब मिलोगी आप उस्से तो आपको कोई दिक्कत नहीं होगी”
“ठीक है, लेकिन उस्सकी उमर तो बता”
“४८ है”
“अच्छा? मुझे लगा तुम्हारे उम्र का है.”
“क्यूँ मामी? आपको जवान लड़का चाहिए था क्या?”
“हट, बदमाश मामीको चिढाता है”
“हा हा हा, मैं तो युही मजाक कर रहा था. लेकिन आप महेश को ऐसा ही छोड़ देगी क्या? आपको देखकर तो बड़े बड़े बेकाबू हो जाते है, आपने तो उस्सको अब आपकी लत भी लगा दी , दया करना उस्सपर नहीं तो आपको फसा देगा पीछे लगकर ,औरत की लत आदमी को पागल बना देती है.”
“हाँ, वो तो अब यही है, उस्से भी मजा दूंगी में, और प्यार से काबू में रखूंगी उस्सकी चिंता नहीं मुझे”
“हाँ आपका कोई हाथ नहीं धर सकता लड़कों को काबू रखने में.”
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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