FUN-MAZA-MASTI
तिन दीन बित गये पर किसी से कोई चान्स नहीमिला..आज सुबह माँ पापाके साथ गाँव की दूकान पर जाने को तैयार हुई थी..आज में और मांजी घर पर अकेले रहने वाले थे...सब खाना खाने के बाद चले गये...मांजी किचन में कुछ कम कर रही थी..मेने पीछे से जकड़ लिया..उन्होंने पूछा दरवाजा बंद कीया ....??हाँ..चलो न..कहाँ..?? मेरे रुममे....आज घर पर कोई नहीं है तो फिर ररूम में जाने की क्या..जरूरत है..??रुक जा मुझे थोडा काम है पूरा कर लेने दे...नहीं मांजी पहले मेरा काम करो...मेने लंड कपडे उतार ते हुए कहा देखोना...केसे तैयार हो गया है...बाप रे कितना बेशर्म हो गया है तू...बेशर्म नहीं हुआ हु मेरी प्यास बढ़ गयी है...कितनो दिनों से भूखा है ये??? तोक्या.. तूने इतने दिनों तक मुठ भी नहीं मारी...ना, मेरे लंड पे हाथ घुमाते मेरे अंडो को माजीने पकड़ा बोली हाँ..तेरे टोटे तो माल से भरे लगते है...हाय..मेरे मुह में पानी आरहा है...और वो चूसने लगी...कभी.मेरे लंड को चुस्ती कभी अंडो को भूखी शेरनी की तरह वो लंड पर टूट पड़ी थी....मेभी मजा ले रहा था...में सस्स..सस्स...करने लगा तो उसने कहा छूटने वाला है क्या?? मेने कहाँ..ज्यादा दिन होगये है तो ज्यादा टिक नाही पाउँगा... ओके..मेरे लाल...में जानती हूँ..मेतो तेरा सारा माल आज आइस्क्रिम के साथ खाऊँगी..और वो कड़ी हुई फ्रिज से आइसक्रीम निकाली..और मेरे लंड पर लगाने लगी...
दुसरे दिन..दादाजी और पापा दुकान के लिए रवाना हो गये..घर पर में,माँ और दादी ही थे..प्लान के मुताबिक़ अब हमें काम करना था..माँ-दादी ने सब अपना काम निपटा लिया ...तो दादी ने माँ से कहा बहु आज मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा में थोडा आराम करती हूँ...ऐसा बोलते मांजी अपने रूम्मे जाने लगी...वो उपर अपने कमरे में चली गई..तो मेने माँ को बाहों में भर लिया और किस करने लगा..मेने कहा माँ बहुत दिन हो गये मुझे तेरी चुदाई करनी है प्लीज मना मत करना...माँ ने कहा ओ.के..थोडा ठहर जा..कुछ देरबाद ...माँ-.में जरा तेरी दादी को देख आती हूँ...माँ ऊपर गई..मांजी ,आप केसी है..?पर मांजी ने कुछ जवाब नहीं दिया..तो माँ वापस आई बोली में बाथरूम जाकर आती हूँ..माँ आई मुझे फिर से दादी के पास भेजा बोली जा जरा देख आ...में गया और वापस आया..मेने कहा वो सो गई है...तो माने मुझे बाहों में भर लिया दोनों किस करने लगे...मेने उनका गाउन उंचा किया..चुत्तड़ो को सहलाने दबाने लगा....फिर मेने माँ को उठा लिया और किचन के प्लेटफोर्म पर बेठा दीया और गाउन ऊपर करके निकाल ने लगा...तो माने कहा रहने दे दादी घर में है...में- वो सो गई है नहीं आएगी..माँ-फीर भी ...मुझे नंगा मत कर...में-ठीक है..अपने पैर जरा खोल दो में तुम्हारी चुसना चाहता हूँ..माँ ने पैर खोल दिए उनकी मस्त चूत आधी खुल गई थी.और पानी भी छोड़ रहीथी..में ने चुसाई चालु कर दी..अचानक माने कहा किचन का दरवाजा बंद कर..दे.में ने दरवाजा आधा खुला छोड़ दिया माँ से कहा तुम खाम-खा डरती हो..ऊपर चेक कर आऊ..? नहीं रह ने दे...और फिर से माँ की चूत का रस पीने लगा..माँ भी सस्स..सस्स..करते हुए मस्त होने लगी..आइसक्रीम वाला आइडिया माँ पर आजमाया माँ बहुत ही गरूम होने लगी..वो चूत पर आइसक्रीम गिरा रही थी..में चूस रहा था..आइसक्रीम ज्यादा गिर जाती तो गांड तक चली जाती और में वहां गांड के छेद पर जीभ घुमा कर चाट लेता..पहली बार ऐसा हुआ तो माँ...के मुह से आ.आ.आह्ह्ह. निकाल गई..मेने कहा क्या हुआ..माँ-अच्छा..लगा..में-तो फिर से डाल..माँ-नहीं ये गन्दा...काम है..जरा उंगुली..घुमा देना..मेने ऐसा ही किया..चूत को चाट ने लगा और गांड में उंगुली करने लगा..माँ को बहुत मजा आरहा था..उनकी साँसे तेज हो रही थी....वो आह्ह...आह..ओ...करने लगी...में भी किसी भूखे भेडीये की तरह खा ने लगा...माँ-आह..आह..बेटे..जल्दी. .आह्ह...में..झ..ड..आह्ह..आह.ह् ह्ह..ऊ..उ..ऊ..ओ.ओ.ऊऊउ..ऊऊऊ..ओ. ओ.ओ.ओह्ह्ह...हाय..मर गई.. माँ ने मेरे सिर को पकड़ लिया..और चूत पर दबा दिया उनका सारा माल मेरे मुह में भर गया..में पी गया...माँ आउट हो गई थी..और हांफ रही थी...में उनको देखा रहा था..मेने कहा..क्या अन्दर डाल दू.?? माँ – न अभी थोड़ी देर बाद...जा ऊपर देख आ...में ऊपर गया.
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में और मेरी प्यारी माँ--9
मांजी कुछ ओरतो के साथ खड़ी थी....बाकी लोग भी छुट-मूट खड़े थे..में चीका के पास खड़ा था...चीकाने मुझे लास्ट फिगर का इशारा किया कहा..आना है ..मेने हाँ यार..वेसे भी यहाँ देर होने वाली है...हम दोनों..थोडा दूर गये,साइड में झाड़ी थी उसके पीछे गये...में लंड निकाल कर मुतने लगा..चीका मुझसे थोडा दूर जाके मुतने लगा..मेने देखा पास की झाडी के पीछे कुछ ओरते भी मूत रही थी..सबका पिछवाड़ा हमारी और था..उनके काले,सांवले,गोरे,और छोटे-बड़े चुत्तड दिख रहे थे..वहाँ एक के बाद एक इसे लगभग सभी ओरते मुतने आगई मांजी के चुत्तड़ो को भी देखा.उनके जेसे बड़े-गोल चुत्तड किसी के पास नहीं थे...मांजी के चुत्तड देखकर चीकाने कहा यार,ये हमारी बाजु वाली आंटी की गांड कितनी मस्त है,उनके चुत्तड़ो का आकार कितना मस्त है....कोण है वो..?.साली पेंटी भी नहीं पहनती..उसके नाप की मिलती ही नहीं होगी..हंसने लगा..मेरा लंड खड़ा हो गया..चीका पास आया और लंड को सहलाने लगा..मेने भी उसके चुत्तड़ो पर हाथ रखदिया,और उपरसे ही सहलाने लगा..बोस,..मुहमे लेलूं..मेने कहा हाँ,यार ये चुत्तड़ो ने तो दिमाग ख़राब कर दिया..वो झुक गया और चूसने लगा..कोई लड़का पहली बार मेरा लंड चूस रहाथा..मुझे मजा आ रहाथा..वो अपनी जीभ को सुपाडे पर गोल-गोल घुमाता..फिर लंड को अंदर लेता..होठों से दबाता...और बाहर निकालता..में उसके चुत्तड़ो को सहला रहाथा..में कहा यार,.तेरी चीज तो दिखा..वो बोला यहाँ नहीं..मेने कहा...यार तेरी यहाँ नहीं मारूंगा...दिखा तो सही..उसने अपना पेंट निकाला घूम गया...साले चुत्तड क्या मस्त थे..भरावदार मोटे..एकदम गोरे..अर्धगोलाकार...मुलायम लडकियों के जेसे..मेने गांड के छेड़ को देखा..गुलाबी..और छोटा सा..में लंड को टिकाने जा रहा था की..कन्डक्टर ने सिटी बजाई..फिर भी मेने थूंक लगाके उसकी गांड में ऊँगली डाल दी...वो ओ.ई...मम्मी बोल गया..सहसा..खड़ा हो गया...बोला..ब्रो,..चलो सीटी बज गई है..हाँ,यार जल्दी बज गई...थोड़ी देर बाद बजती तो,अच्छा होता,में तेरी बजा देता...वो जोर से हंसने लगा..उसने पेंट पहन लिया..और हम दोनों हँसते-खेलते बस में आ गये..मांजी हमारी सीट रोक कर इंतजार कर रही थी..मेने चीका को दादी की पहचान करवाई...उसने मुझे कहा सोरी..ब्रो,..में- इट्स ओके....हम अपनी-अपनी जगह बेठ गये...थोड़ीदेर बाद उसने बेग नीचे उतारा पानीकी बोतल निकाली मेने भी थोडा पानी पीया...वो बोतल रख कर बेग को गोदमे लेकर बेठ गया...दुबारा..खेल सुरु हुआ.. बरोदा पहुच गये उसने अपना मो.नंबर दिया..मेने भी उसे अपना नंबर दिया..उसने कहाँ,..ब्रो..कोई काम हो-तो फोन कर देना...आप के जेसा मेरा कोई दोस्त नहीं है..तो आप दोस्ती रखना...मेने कहा..कोई बात नहीं तुमे कोई जरूरत हो तो तुम भी फोन कर देना..और रिक्सा करके घर भी आ गये...
माँ ने दरवाजा खोला....हँसते हुए हमारा स्वागत किया...हम अंदर गये..माने मुझे और मांजी को पानी दिया...हम ड्रॉइंग रूम्मे बेठे थे..माने कहा में चाय बनाती हूँ ..आप फ्रेश हो जाइए...वो किचन मे चली गई..मांजी बाथरूम में गई में उठा...किचन में पहुच गया...माँ को पिछेसे पकड़ लिया...माँ पलट गई मेरे सामने आगइ ...मुझसे लिपट गई..हम एक दुसरे को चूमने लगे.....सिर्फ एक मिनट तक ही.. माने मुझे छोड़ दिया...कहा मांजी है..तू बाहर जा..में निकाल गया..मांजी बाथरूम से आगई...में फ्रेश होने चला गया...वो दोनों किचन में बेठी थी...मुझे भी बुलाया हम चाय पिने लगे...वो दोनो..बाते करने लगी बीच-बीच में मेभी हा-ना करने लगा....शाम हुई दादाजी आ गये थोड़ी देरमे पापा भी आगये..सब ने साथ में खाना खाया...बेठे थे..माने कहा मांजी आपको बाहर आना है..अक्सर...रात को खाना खाने के बाद हम नजदीक के पार्क में घुमने चले जाते वहां बैठते..कभी-कभी ठंडा या आइसक्रीम खाते और एकाद घंटा...बैठते और घर आजाते....पार्क काफी बड़ा था..बहुत सारे लोग वहां रात को आते थे... माँजी ने कहा नहीं तुम जाओ.. मांने पापा कीओर देखा पापाने कहा राहुल तू मम्मी के साथ जा..मम्मी से कहा पेसे लेते जाना उसे कुछ खिलादेना..में और माँ निकाल गये..चलते-चलते बातें करने लगे..माँ ने गाउन पहना हुआ था..में हाफ पेंट में था..कुछ देर चलने के बाद पार्क आगया...हम बेंच पर बेठे थे...माँ ने मुझे पेसे दिए में आइसक्रीम के दो कोन ले आया..मेने माँ से कहा चलो कहीं और बैठते है..हम पार्क के दुसरे हिस्से में चले गये..वहां थोडा अँधेरा था..वहीं एक पेड़ के निचे बेठ गये..आइसक्रीम खाने लगे..हमारे बिलकुल पीछे ही कंटीले तार की बोर्डर थी..फिर भी कुछ कपल वहां से निकालते तो कुछ अंदर जाते..कभी कोई इक्का-दुक्का आदमी भी चला जाता....बोर्डर की उस पार घनी झाडी थी....और अँधेरा भी था...कुछ अजीब सा लगता था....हम पहली बार पार्क के इस छोर पर गये थे...
पेड़ के निचे बेठे हम आईस्क्रिम खा रहे थे..तभी एक फिमेल आवाज आई...आह्ह....मेरे...बच्चे जल्दी कर..में और माँ चोंक गये..तभी..हाँ..मम्मी, बस थोड़ी देर...हमारे पीछे ही माँ-बेटा सेक्स कर रहेथे..शायद वो पेड़ के पीछे की झाड़ी में थे..माँ-बेटे की आव्वज हम सुनने लगे..बेटा अभी घर पे तेरे बाप का लंड लेना है..तू जल्दी कर..माँ तेरा हो गया..?क्या..हाँ बेटा,तू जल्दी कर..कहीं कोई दवा तो नहीं खाई तूने..?क्यों..?ऐसा पूछती है मम्मी..?तो अभी तक तेरा माल नहीं निकला..नहीं..मम्मी.तेरे माल छोड़ने की वजह से चूत ज्यादा गीली हो गई है...इसलिए...तो..?मम्मी..गांड में डालने दोना.. नहीं..बेटा..यहाँ,..तेल भी नहीं है..तोमुझे तकलीफ होगी... तभी एक और मर्द की आवाज आई..मेरे पास आजा...थूंक लगाके मेरी मारले...मुझे कोई तकलीफ नहीं होगी...बहुत मजा दूंगा.. फिमेल—भाग साले गांडू....वरना गांड में टोर्च डालके जुगनू बना दूंगी.. मम्मी..छोड़ न उसे..मेरे पास तेल का पाउच है..क्या..?गांड पे लगा दू..हाँ,बेटा ले तेल लगा के गांड में पेल दे....आह....धीरे से कर..बस इसे ही..हाँ...आनेदे...थपाक-थपाक की आवाज आने लगी..आह्ह...मम्मी..ओह..कम-ओन-फ़ ास्ट..फक मी...स्पीड..बढ़ गई थी..आह्ह...ओह्ह..ओह्ह्ह..उह्ह् ह...ऊऊ...होरहा था...शायद खेल ख़त्म हो गया..मेरी निकर कहाँ है..?ये रही मम्मी..मेने जेब में रखली थी..चल बेटा...बहुत देर हो गई...
मेने माँ को लिपकिस कर ली...माँ ने भी मुझे दबोच लिया...थोड़ी देर बाद वो दोनों माँ-बेटा..बाहर निकले अँधेरे की वजह से सिर्फ उनका साया ही नजर आ रहा था..मेने माँ से कहा चलो ना हम भी करते है..माने भी बहुत दिनों से मेरा लंड नहीं लिया था..तो वो भी तैयार हो गयी..हम पीछे झाडी में चले गये..मेने मोबाइल की रोशनीमे देखा...तो सब साफ़ था..बाजू से उस मर्द की आवाज आई....कहाँ..?चला गयाथा..दूसरा..यार बोस ने तिन दिनों केलिए बाहर भेज दिया था..क्यों..?तेरी गांड को और लोडा नहीं मिला...मिलाथा ...यार पर छोटा सा था..तेरे साथ जो मजा आताहै वो किसी और के साथ नहीं आता..ले में आगया...चाट ले...ला मेरे राजा तेरा चूस देताहू..[में माँ को घोड़ी बना कर चोद ने लगा.था.]..अब कोंडोम लगा और ठूस दे मेरी गांड में साली में बहुत खुजली हो रही है.. ले साले गांडू..ले..ओह..आह्ह..आह्ह..करन े लगे.... माँ.सस्स..आआआ..आह्ह..कर रही थी..{मेभी jजम कर चोद रहा था..उन दोनों की बाते सुनकर हमे बहुत मजा आरहा था..और हम दोनों..साथ में जड़ गये...माने अपनी पेंटी पहनी और हम बाहर आ गये}..माने कहा चल अब जल्दी घर जाते है...रस्ते में माने कहा तू पहले कभी वहां गया था..में नहीं तो..माँ-जगह तो अच्छी है...वो दोनों मर्द क्या कर रहे थे..मेने कहा माँ वो गांड मरवा रहा था..माँ मेने एसा सुना तो था..की दो मर्द भी काम कर लेते है पर देखा आज...में—देखा..माँ—देखा मतलब लाइव सुना..में-तुझे जो सुनने जेसा था..वो तो सूना ही नहीं ...माँ—क्या..?उस लड़के की माने केसे उसे अपनी गांड देदी...तू भी कुछ सोचना..माँ—मेने मना करदिया...तो बार-बार क्यों..पुछता है...में- वो..तो में लेकर ही रहूंगा...माँ—में दूंगी तो लेगा न..और सुन अब घर में मेरे साथ कोई शरारत मत करना...वरना मरने की नोबत आएगी...इतनेमे हम घर तक आगये..
मेने माँ को लिपकिस कर ली...माँ ने भी मुझे दबोच लिया...थोड़ी देर बाद वो दोनों माँ-बेटा..बाहर निकले अँधेरे की वजह से सिर्फ उनका साया ही नजर आ रहा था..मेने माँ से कहा चलो ना हम भी करते है..माने भी बहुत दिनों से मेरा लंड नहीं लिया था..तो वो भी तैयार हो गयी..हम पीछे झाडी में चले गये..मेने मोबाइल की रोशनीमे देखा...तो सब साफ़ था..बाजू से उस मर्द की आवाज आई....कहाँ..?चला गयाथा..दूसरा..यार बोस ने तिन दिनों केलिए बाहर भेज दिया था..क्यों..?तेरी गांड को और लोडा नहीं मिला...मिलाथा ...यार पर छोटा सा था..तेरे साथ जो मजा आताहै वो किसी और के साथ नहीं आता..ले में आगया...चाट ले...ला मेरे राजा तेरा चूस देताहू..[में माँ को घोड़ी बना कर चोद ने लगा.था.]..अब कोंडोम लगा और ठूस दे मेरी गांड में साली में बहुत खुजली हो रही है.. ले साले गांडू..ले..ओह..आह्ह..आह्ह..करन
आइसक्रीम की ठण्ड की वजह से मेरा..लंड थोडा नर्म होने लगा था मांजी ने आइसक्रीम खानी सुरु कर दी ..फिर वो लंड पर नहीं लगाती थी...अपने मुहमे आइसक्रीम भर लेटी ओ लंड को चुस्ती ..मुझे बाहुत मजा आने लगा....स्सस्स...आह.ह्ह्ह.. करने लगा...मांजी ने आइसक्रीम से मुह भर लिया और लैंको जोर-जोर से चूसने लगी..आह्ह्ह..आह्ह्ह्ह....ओहओह् ह्ह....ओ.ओ.ओ.ओ.....मेरा माल निकाल गया मांजी आइसक्रीम के साथ उसके मजे ले रही थी....क्या..सिन था..दोस्तों. होठों को खोला.... आइसक्रीम और मेरे माल के मिस्रण से मांजी का मुह भरा हुआ था...वो मेरी और देखती थी..और मुह में अपनी जुबान..घुमाती.... आइसक्रीम और मेरे माल को और मिक्ष करती..उसने मेरे लंड को पकड़ा..और खुले मुहमें डाला आइसक्रीम और मेरे माल के मिश्रण और मिक्ष करने लगी...में सोचने लगा..कितनी सेक्सी ओरत...है..ये.. उर वो मेरी और देखने हुए सारा मिस्रण पी गई...मेने पूछा केसा लगा?? उसने कहा.. आइसक्रीम और तेरा रस हाय..क्या..स्वाद था....तुझे क्या पता...मुझे कितना मजा आया... आइसक्रीम और मर्दाना माल साथमे पीने का मेरा सपना पूरा कर दिया बोल क्या चाहिए तू जे...? मेने कहा..बस आपकी दोनों लेनी है...उसने कहा..हाँ मेरे बच्चे अभी जा मुझे काम निपटा ने दे..तब तक तेरा खडा भी हो जाएगा..में कपडे पहने बगेर ही रूम से बाहर आया...थोड़ी देर में मेरा खड़ा हुआ तो में इसे लेकर अंदर गया अब लग बैग उनका काम ख़त्म हो गया था..तो मेने उनको कहा आप किचन के प्लेटफोर्म पर बेठ जाए..वो बेठ गयी...साडी उठाई और दोनों पैर भी उचां करवा दिया इस्ससे उनकी चूत मुझे खुली दिखने लगी में भी उस पर टूट पड़ा...चूमने चाटने-चूसने लगा..वो भी सस्स..सस्स.करने लगी...मुझसे कहा बेटा आइसक्रीम साथ में ले ले...मेने आइसक्रीम लिया और उसके हाथ में दे दिया...वो आइसक्रीम चूत पर गिराने लगी में खाने लगा...बड़ा मजा आरहा था यार...पहली बार ऐसा किया था मेने...वो सस्स्स्स..सा...कररही थी मेने सोचा चलो चूत को चूस कर ही ठंडा कर देता हु तो गांड मारने में मजा आयेगा....और में जोर-जोर से चूसने लगा....वो आइसक्रीम छोड़ कर अपने बुब्ब्स दबाने लगी...थी..आह्ह..आह्ह्ह...ओह्ह. .ओ.ओ..ओ.. और काम पूरा हो गया..वो हांफ रही थी...मेने फ्रिज से आणि की बोतल दी..वो पीने लगी शांत हुई... मेने कहा आप का भी तो जल्दी हो गया..तो बोली..में भी तेरे लंड का इन्तजार कर रही थी..उंगुली नहीं की..वो प्लेटफोर्म से उतार गई...में उसके पीछे-पीछे अपने खड़े लंड को लेकर उनके कमरे में गया...मेने कहाँ मांजी इसका कुछ कीजिए न...वोहंसने लगी..बोली अभी तो दिखाई थी..चोद्लिया होता तो..तब तो चूसने में लगा रहा...अब नहीं मिलेगी..मेने गांड पर हाथा रखा कहा ये बाकी है...ठीक है दूंगी पर.. में-पर क्या मांजी..? तुझे एक बात सच-सच बतानी पड़ेगी..? में- क्या,में आपसे कभी झूठ बोला हूँ..चल नीचे सोफे पर आराम से करते है... और हम निचे आगये...मांजी ने कहा में आती हूँ और किचन से सरासो का तेल ले आई...मेरे खड़े लंड को मालिस करने लगी...मेरा तन्नाया हुआ लंड और..टाईट हो गया...तो मांजी सोफे पर चुत्तड उठाके बेठ गई..मेने साडी उपर की मांजी को और ज्यादा चुत्तड उठाने को कहा..उन्होंने सिर को निचे झुका लिया और चुत्तड उठा दिए...अब गांड का छेड़ पूरा बाहर नकला हुआ था...मेने तेल लगाके उंगुली अंदर जाने दी..मांजी ने कहा थोडा उंगुली से ही काम कर..में खड़ा-खड़ा उंगुली अंदर बाहर करने लगा..तेल लगाने लगा...मांजी ने कहा मुझे तुजसे कुछ पूछना है...मेने अपने लंड का सुपाड़ा उनकी गांड के छेद पर गुमाते कहा ..तो पुछोना..और सुपाड़ा घुसा दिया...वो- ओ..ओह्ह..साले मादर चोद..फाड़ देगा क्या..? आहिस्ता डाल...थोडा तेल उपर लगा...मेने लंड के उपर तेल गिराया और अंदर जाने दिया...हु..हु..कर गई...मेने आधा गुसा दिया था..वो बोली..मेने तुझे जो गाली दी उसका मतलब तो तू समझ ता होगा...मेने कहा हाँ..मादरचोद मतलब माँ को चोद्नेवाला..मांजी ने सीधा सवाल किया ..तो अपनी माको कितनीबार चोद चूका है..???... मेरा दिमाग सन्न रहा गया...लंड भी ढीला होने लगा..में कुछ बोल नहीं सका..तो मांजी ने कहा..ऐसा आधा डाले ही रहेगा की पूरा भी डालेगा..और में गांड मारने लगा....तो मांजी ने फिर से पूछा तूने जवाब नहीं दिया..में गांड की चुदाई करने में मस्त हो गया ..तो उन्होंने आगे हट कर मेरे लंड को बाहर निकाल दिया...मेने कहा क्या कर रही हो आप ..मेंरा निकाल जाने दो..न..उन्हों ने आपनी साडी ठीक करते हुए कहा मेरे सवाल का जवाब पहले दो...मेने कहा आपने ऐसा केसे सोचा लिया..उनका स्वर थोडा सख्त हुआ..कितनी बार आपनी माँ को चोद चुके हो..??.मेरे पास कोई चारा नहीं था..मेने कहा...सिर्फ एक बार...नहीं सच बताओ... मेने कहा सच कहता हु..तिन बार चोदा है में ने माँ को...इससे ज्यादा तो आपको चोद चुका हूँ.और .उन्होंने हँसते हुए कहा..ले मेरे लाले अब बजा दे मेरी गांड का बाजा..वो घोड़ी बना गई..मेने गांड में पेल दिया..और मजे से ठोकने लगा...मेने पूछा आपको केसे पता..लगा..उन्होंने बताया...जिस दिन हम अहमदाबाद से आये उस रात को तुम अपनी माके साथ घुमने गये थे...वापस आये तो तुम्हारी हाफ पेंट की जीप खुली हुई थी..तेरी माँ रेखा आते ही बाथरूम चलि गई..कुछ देर बाद में भी बाथरूम में गई तो वहां तेरी माने अपनी पेंटी छोड़ दिठी..मेने उसे उठाया देखा तो उसमे मर्दाना माल था...मेने उसे सुंघा..तो पता चला तेरा ही माल था...कहाँ ले जाके छोदा था उसे ...मेने उनकी गांड बजाते हुए कहा पार्क में..और केसे पता या उसे ..? मेने कहा वो तुम उनसे ही पूछ लेना..और उनका ध्यान चालु काम में आया उन्होंने पूछा उसकी मारी है कभी...? में- न नहीं मारने देती कहती है सिर्फ चुदवाउंगी गांड नहीं मर्वौंगी ..अआप कुछ सम्जाइये न...आह्ह..गांड मरवा ने से डरती होगी...बेचारी तेरा इतना बड़ा जो है..आह्ह..आअह्ह.उनके चुत्तड उछलने लगे...में भी जोर-जोर से ठोकने लगा...रूम्मे थपाक-थपाक की आवाजे गूंज ने लगी..आह्ह्ह.आह्ह.ओ.ओह्ह..ओ.ओ.ओ .ओ...और सब शांत हो गया हम दोनों हांफ ने लगे..में निकाल ने वाला था..उन्होंने आहा रहने दे...और वो आइह्स्ता से कड़ी होगई..मेरा लंड गांड में रखे हुए चलने लगी..बाथरूम तक आ गयी..मुझे बहुत मजा आया..मेने कहा कभी काम होने से पहले एसा करने देना...वो क्या??ऐसा गांड में डालकर चलना..वो हंसने लगी व्ही तो प्रेक्टिस कर रही हूँ..तेरा ढीला है..तब अच्छा लगता है ..अब ऐसा भी करुँगी..मेने कहा माकी गांड दिलाई ऐ..उन्होंने कहा कपडे पहन ले में आती हु कुछ प्लान बनाते है..फिर हम ने एक मस्त प्लान बनाया
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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