FUN-MAZA-MASTI
चोपड़ा साहब आज फिर अनिल के गांड और लंड के किस्से केंटिन में सुन के आये थे. अनिल ऑफिस में दुसरे दर्जे का कर्मचारी था। जो अभी काफी जवान था और वो एक गे था. चोपड़ा साहब वैसे तो शादीशुदा हैं और उनके दो बच्चे भी हैं लेकिन उनकी बीवी को लंड की अब इतनी तड़प नहीं रही हैं. इसलिए एक तरफ चोपड़ा साहब के
लंड में भी ऐसे किसी आशियाने की तलाश जारी ही थी और ऊपर से अनिल के रोज के किस्से. आज तो चोपड़ा साहब ने डिसाइड कर लिया की अनिल को बुला के उस से मजे ले ही लेते हैं. उन्होंने इंटरकोम से अनिल को फोन किया और कुछ फ़ाइल ले के आने को कहा. अनिल ऑफिस के डोर पे नोक कर के अंदर आया. चोपड़ा साहब ने फ़ाइल ली और बोले, “क्या बात हैं अनिल ऑफिस के सभी लोग तुम्हारी तारीफ़ करते हैं…!”
अनिल हंस के अपने छक्के वाले अंदाज में बोला, “सर महरबानी हैं सब की.”
चोपड़ा साहब ने फ़ाइल को डेस्क पे रखा और अपने लौड़े पे हाथ मलते हुए बोले, “महरबानी उनकी नहीं तुम्हारी ही हैं उसमे. मैंने सुना हैं की तुम ऑफिस में सब का ख्याल रखते हो चपरासी से ले के क्लर्क तक का. तो हम मेनेजर का लंड नहीं होता क्या. कभी कभी हमें भी खुश करो. आखीर हम ही हैं जो तुम्हारी सेलरी पे हाँ की मुहर लगाते हैं.”
अनिल चोपड़ा साहब का यह रूप देख के दंग रह गया. उसकी गांड के अंदर तो उसी वक्त गांड में लंड लेने की खुजली उमड़ पड़ी. लेकिन यह ऑफिस था और चोपड़ा साहब की ऑफिस में लोगो और फोन की घंटी की बड़ी आवन जावन रहती थी. अनिल हंस के बोला, “चोपड़ा साहब आप जब चाहें मुझे बुला लेना. और अगर आप को जगह की दिक्कत हो रही हैं तो मुझे बोल देना. निलगिरी पार्क में मेरा फ्लेट हैं जहाँ पे तेल लगा के मजे ले सकते हैं हम लोग.”
चोपड़ा साहब बोले, “अरे वो सब ठीक हैं लेकिन अभी लौड़ा क़ुतुब मीनार बना पड़ा हैं उसका क्या करेंगे….!”
अनिल ने चोपड़ा साहब के लंड की तरफ देखा. लौड़े ने सच में पेंट को उपर की और उठा लिया था और वो किसी भी वक्त मलाई छोड़ सकता था. अनिल का तो बड़ा मन था की वही अपनी गांड खोल के उस लौड़े पे झूल जाए, लेकिन वो सब उस वक्त जरा भी मुमकिन नहीं था. चोपड़ा साहब के मुहं पे अब बिलकुल दया के भाव आ रहे थे; जैसे की वो अपने लौड़े की तड़प के आगे मजबूर थे. अनिल ने इधर उधर देखा और वो बोला, “चोपड़ा साहब अगर आप कहो तो मैं आप के लौड़े को अभी चूस के उसका रस निकाल सकता हूँ. टेबल के निचे आ जाता हूँ मैं और आप अप्सरा से कुछ फ़ाइल मंगवा लो इस के पहले ताकि कोई शक ना करें.”
चोपड़ा साहब अनिल की बात सुन के बड़े खुश हुए. उन्होंने अनिल को बैठने को कहा और उन्होंने रिसेप्शनिस्ट अप्सरा को फोन किया, “हेल्लो अप्सरा एक काम करो प्लीज़, गौतम चपरासी के हाथों मुझे वर्मा बिल्डर्स की सभी फाइलें भेज दो. और अर्जंट कॉल हो तभी मुझे अंदर देना. मेक स्योर आई एम नोट डिस्टर्बड ”
अप्सरा ने थोड़ी देर में गौतम चपरासी को भेजा और वो फ़ाइल रख के निकल गया. जाते जाते उसने तिरछी नजरों से अनिल की और देखा था; शायद वो समझ गया था की चोपड़ा साहब भी आज बहती नदी में स्नान करने वाले हैं. गौतम के जाते ही चोपड़ा साहब उठे और उन्होंने दरवाजे को लोक किया. वापस आके वो अपनी चेर पे बैठ गए. अनिल उठ खड़ा हुआ और वो चोपड़ा साहब के पाँव के बीच बैठ गया टेबल के नीचे. चोपड़ा साहब की जांघो के ऊपर हाथ फेरता फेरता वो सीधे चोपड़ा साहब के लंड तक पहुँच गया. बहुत दिनों के बाद चोपड़ा साहब के लौड़े को किसी ने छुआ था. वो तो जैसे की हवा में उड़ने लगे. उन्होंने अनिल को दूर हटाया और अपनी पेंट की ज़िप खोलने लगे. लेकिन अनिल ने चोपड़ा साहब के हाथ को हटा दिया और वो पेंट के ऊपर से ही लौड़े को अपनी जबान से घिसने लगा. अनिल ने फिर धीरे से पेंट की ज़िप खोली और चोपड़ा साहब के लंड को बहार निकाला.
चोपड़ा साहब तो अपनी आँखे ही बंध कर बैठे जब अनिल ने अपनी जबान को लौड़े के सुपाड़े के ऊपर रखा. जैसे 10 रूपये वाले आइसक्रीम को वो अपने जबान से चाट रहा था; वैसे अनिल चोपड़ा साहब के लौड़े को मस्त चाटने लगे. पहले तो उसने लौड़े को ऊपर ऊपर से चाटा और फिर वो धीरे से उसे अपने मुहं के अंदर लेने लगा. चोपड़ा साहब को इतना मजा तो आज तक चूत के अंदर लंड देने में भी नहीं आया था. वो कराह रहे थे जैसे के इस ख़ुशी को अपने अंदर दबा के. अनिल ने अब लौड़े को पुरे का पूरा अपने मुहं में भर लिया. चोपड़ा साहब तो जैसे की सातवें आसमान पे पहुँच गए. उन्होंने अनिल के माथे को अपने लौड़े पे और दबाया और अनिल भी लंड को अपने गले तक ले के मस्त चूसने लगा. चोपड़ा साहब के मुह से आह आह आह अह ओह ओह निकल पड़ा.
अनिल ने अब लंड को थोडा पकड़ के हिलाया और फिर अपने मुहं में ले लिया. इस बार की चुसाई में तो चोपड़ा साहब निढाल हो गए. उनके लंड से वीर्य की पिचकारी निकल पड़ी और अनिल का मुहं पूरा भर गया, बहुत दिन बाद वीर्य निकाला था इसलिए मलाई निकली भी बहुत सारी थी. अनिल ने बिना किसी प्रॉब्लम के सभी वीर्य को पी लिया. वो रुमाल से अपने मुहं को पौंछता हुआ खड़ा हुआ और चोपड़ा साहब भी अपनी ज़िप बंद करने लगे. अनिल ने चोपड़ा साहब को सही अर्थ में बड़ा मजा करवाया था. अनिल ऑफिस से बहार निकला और चोपड़ा साहब उसकी गांड को देख रहे थे. उनके मन में था की इस गांड में भी एक दुबकी जरुर लगानी पड़ेंगी।
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चोपड़ा साहब
प्रेषक : अनिलचोपड़ा साहब आज फिर अनिल के गांड और लंड के किस्से केंटिन में सुन के आये थे. अनिल ऑफिस में दुसरे दर्जे का कर्मचारी था। जो अभी काफी जवान था और वो एक गे था. चोपड़ा साहब वैसे तो शादीशुदा हैं और उनके दो बच्चे भी हैं लेकिन उनकी बीवी को लंड की अब इतनी तड़प नहीं रही हैं. इसलिए एक तरफ चोपड़ा साहब के
लंड में भी ऐसे किसी आशियाने की तलाश जारी ही थी और ऊपर से अनिल के रोज के किस्से. आज तो चोपड़ा साहब ने डिसाइड कर लिया की अनिल को बुला के उस से मजे ले ही लेते हैं. उन्होंने इंटरकोम से अनिल को फोन किया और कुछ फ़ाइल ले के आने को कहा. अनिल ऑफिस के डोर पे नोक कर के अंदर आया. चोपड़ा साहब ने फ़ाइल ली और बोले, “क्या बात हैं अनिल ऑफिस के सभी लोग तुम्हारी तारीफ़ करते हैं…!”
अनिल हंस के अपने छक्के वाले अंदाज में बोला, “सर महरबानी हैं सब की.”
चोपड़ा साहब ने फ़ाइल को डेस्क पे रखा और अपने लौड़े पे हाथ मलते हुए बोले, “महरबानी उनकी नहीं तुम्हारी ही हैं उसमे. मैंने सुना हैं की तुम ऑफिस में सब का ख्याल रखते हो चपरासी से ले के क्लर्क तक का. तो हम मेनेजर का लंड नहीं होता क्या. कभी कभी हमें भी खुश करो. आखीर हम ही हैं जो तुम्हारी सेलरी पे हाँ की मुहर लगाते हैं.”
अनिल चोपड़ा साहब का यह रूप देख के दंग रह गया. उसकी गांड के अंदर तो उसी वक्त गांड में लंड लेने की खुजली उमड़ पड़ी. लेकिन यह ऑफिस था और चोपड़ा साहब की ऑफिस में लोगो और फोन की घंटी की बड़ी आवन जावन रहती थी. अनिल हंस के बोला, “चोपड़ा साहब आप जब चाहें मुझे बुला लेना. और अगर आप को जगह की दिक्कत हो रही हैं तो मुझे बोल देना. निलगिरी पार्क में मेरा फ्लेट हैं जहाँ पे तेल लगा के मजे ले सकते हैं हम लोग.”
चोपड़ा साहब बोले, “अरे वो सब ठीक हैं लेकिन अभी लौड़ा क़ुतुब मीनार बना पड़ा हैं उसका क्या करेंगे….!”
अनिल ने चोपड़ा साहब के लंड की तरफ देखा. लौड़े ने सच में पेंट को उपर की और उठा लिया था और वो किसी भी वक्त मलाई छोड़ सकता था. अनिल का तो बड़ा मन था की वही अपनी गांड खोल के उस लौड़े पे झूल जाए, लेकिन वो सब उस वक्त जरा भी मुमकिन नहीं था. चोपड़ा साहब के मुहं पे अब बिलकुल दया के भाव आ रहे थे; जैसे की वो अपने लौड़े की तड़प के आगे मजबूर थे. अनिल ने इधर उधर देखा और वो बोला, “चोपड़ा साहब अगर आप कहो तो मैं आप के लौड़े को अभी चूस के उसका रस निकाल सकता हूँ. टेबल के निचे आ जाता हूँ मैं और आप अप्सरा से कुछ फ़ाइल मंगवा लो इस के पहले ताकि कोई शक ना करें.”
चोपड़ा साहब अनिल की बात सुन के बड़े खुश हुए. उन्होंने अनिल को बैठने को कहा और उन्होंने रिसेप्शनिस्ट अप्सरा को फोन किया, “हेल्लो अप्सरा एक काम करो प्लीज़, गौतम चपरासी के हाथों मुझे वर्मा बिल्डर्स की सभी फाइलें भेज दो. और अर्जंट कॉल हो तभी मुझे अंदर देना. मेक स्योर आई एम नोट डिस्टर्बड ”
अप्सरा ने थोड़ी देर में गौतम चपरासी को भेजा और वो फ़ाइल रख के निकल गया. जाते जाते उसने तिरछी नजरों से अनिल की और देखा था; शायद वो समझ गया था की चोपड़ा साहब भी आज बहती नदी में स्नान करने वाले हैं. गौतम के जाते ही चोपड़ा साहब उठे और उन्होंने दरवाजे को लोक किया. वापस आके वो अपनी चेर पे बैठ गए. अनिल उठ खड़ा हुआ और वो चोपड़ा साहब के पाँव के बीच बैठ गया टेबल के नीचे. चोपड़ा साहब की जांघो के ऊपर हाथ फेरता फेरता वो सीधे चोपड़ा साहब के लंड तक पहुँच गया. बहुत दिनों के बाद चोपड़ा साहब के लौड़े को किसी ने छुआ था. वो तो जैसे की हवा में उड़ने लगे. उन्होंने अनिल को दूर हटाया और अपनी पेंट की ज़िप खोलने लगे. लेकिन अनिल ने चोपड़ा साहब के हाथ को हटा दिया और वो पेंट के ऊपर से ही लौड़े को अपनी जबान से घिसने लगा. अनिल ने फिर धीरे से पेंट की ज़िप खोली और चोपड़ा साहब के लंड को बहार निकाला.
चोपड़ा साहब तो अपनी आँखे ही बंध कर बैठे जब अनिल ने अपनी जबान को लौड़े के सुपाड़े के ऊपर रखा. जैसे 10 रूपये वाले आइसक्रीम को वो अपने जबान से चाट रहा था; वैसे अनिल चोपड़ा साहब के लौड़े को मस्त चाटने लगे. पहले तो उसने लौड़े को ऊपर ऊपर से चाटा और फिर वो धीरे से उसे अपने मुहं के अंदर लेने लगा. चोपड़ा साहब को इतना मजा तो आज तक चूत के अंदर लंड देने में भी नहीं आया था. वो कराह रहे थे जैसे के इस ख़ुशी को अपने अंदर दबा के. अनिल ने अब लौड़े को पुरे का पूरा अपने मुहं में भर लिया. चोपड़ा साहब तो जैसे की सातवें आसमान पे पहुँच गए. उन्होंने अनिल के माथे को अपने लौड़े पे और दबाया और अनिल भी लंड को अपने गले तक ले के मस्त चूसने लगा. चोपड़ा साहब के मुह से आह आह आह अह ओह ओह निकल पड़ा.
अनिल ने अब लंड को थोडा पकड़ के हिलाया और फिर अपने मुहं में ले लिया. इस बार की चुसाई में तो चोपड़ा साहब निढाल हो गए. उनके लंड से वीर्य की पिचकारी निकल पड़ी और अनिल का मुहं पूरा भर गया, बहुत दिन बाद वीर्य निकाला था इसलिए मलाई निकली भी बहुत सारी थी. अनिल ने बिना किसी प्रॉब्लम के सभी वीर्य को पी लिया. वो रुमाल से अपने मुहं को पौंछता हुआ खड़ा हुआ और चोपड़ा साहब भी अपनी ज़िप बंद करने लगे. अनिल ने चोपड़ा साहब को सही अर्थ में बड़ा मजा करवाया था. अनिल ऑफिस से बहार निकला और चोपड़ा साहब उसकी गांड को देख रहे थे. उनके मन में था की इस गांड में भी एक दुबकी जरुर लगानी पड़ेंगी।
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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