Tuesday, August 26, 2014

FUN-MAZA-MASTI रूहानी दुनिया

FUN-MAZA-MASTI


रूहानी दुनिया

 शाम ढल चुकी थी। बादलों के कारण मौसम में ठण्डक आ गई थी। अचानक रास्ते में मुझे एक लड़की नजर आई। वो पंजों के बल उछल उछल कर मुझे रुकने का इशारा कर रही थी। बरसात होने वाली थी। काले बादल सर पर आ चुके थे। ऊंचा सा स्कर्ट पहने और गहरे गले का टॉप पहने कोई मॉडर्न गर्ल थी। मैंने उसके पास ही गाड़ी रोकी ... कार का दरवाजा खोल कर मैंने अन्दर आने का इशारा किया। वो लपक कर सामने बगल वाली सीट पर आ गई।
"थेन्क्स जो ... नाईस ऑफ़ यू ... "
"आप मुझे जानती हैं ... आप का परिचय ... ?"
"मैं शैली ... यहीं पास में होटल में काम करती हूँ ... आप कल शाम को यहाँ रुके थे ना ... "
"ओह हाँ ... मैंने 50 रुपये टिप में दिये थे ... ऐसे मौसम में बाहर नहीं निकलना चाहिये ... "
" रात भर मैं यहाँ क्या करती ... सोचा बाहर आ कर कोशिश करूँ ... देखा, आप मिल गये ना ... यहाँ पास में मन्दिर में रुकना ... मुझे कुछ काम है।" उसने सामने मन्दिर की तरफ़ इशारा किया। बरसात चढ़ी हुई थी, मेरा मन रुकने को नहीं था, बस 50 किलोमीटर ही दूर था मडगांव। फिर भी मैंने मन्दिर की तरफ़ गाड़ी मोड़ ली। बूंदा बांदी शुरू हो गई थी। बादलो की गड़गड़ाहट और तेज बिजलियाँ कौंध रही थी। गाड़ी मन्दिर परिसर में खड़ी करके हम दोनों मन्दिर के अन्दर चले आये।
"जल्दी करना शैली ... "
"बस दो मिनट ... "
इतने में अन्दर से एक लड़का भागता हुआ आया ... उसके हाथ में छाता था और शायद वो घर जा रहा था।
"मन्दिर में कोई नहीं है ... चलो ... " लड़के ने भागते हुए कहा "बारिश जोर की आयेगी ... "
"अरे मुझे पण्डित जी से काम है ... " शैली ने जोर से चीख कर कहा।
" वो नहीं है ... चाबी वहीं हैं ... आप इन्तज़ार कर लो ... " वो तेजी से सीढ़ियां उतर कर चला गया।
"मुझे पता है ... आओ जो ... " वो मुझे देख कर मुस्कराई ...
इतने में बरसात तेज हो गई। हवा में शैली का छोटा सा स्कर्ट बार बार कमर के ऊपर उड़ कर आ रहा था। उसकी छोटी सी पेन्टी में से उसके उभरे हुए चूतड़ साफ़ दिखने लगे थे। मैंने अपना दिल थाम लिया ... साली चुदने लायक है ... मैंने लण्ड को दबा कर समझाने का प्रयास किया। फिर मैंने निराशा से बाहर देखा और रुकने में ही भलाई समझी। मन्दिर के साथ ही पुजारी का कमरा था,हमने पुजारी का कमरा खोला ... और अन्दर आ गये।
आते ही शैली बिस्तर पर लेट गई, लेटते ही उसकी स्कर्ट फिर से ऊपर हो गई। उसकी चिकनी सलोनी गोरी मांसल जांघें चमक उठी। मेरी पैन्ट के ऊपर से लण्ड का उभार देख कर वो भी इतराने लगी और जान करके अपनी टांगें फ़ैला ली। चूत के स्थान पर एक गीला धब्बा उभर आया था।
"शैली , स्कर्ट नीचे कर लो ... सब दिख रहा है।" मैंने झिझकते हुए कहा।
"अच्छा ... तो देखो ना ... कैसी हूँ नीचे से ... " उसने मुझे निमंत्रण देते हुए कहा, अपनी चूत को हाथ से दबाते हुई बोली ... गीला धब्बा और फ़ैल गया ... चूत का रस निकल रहा था।
"तराशी हुई चिकनी जांघे, गोरी सुन्दर् ... छोटी सी पेन्टी ... और उभरी और गीली हुई ... "
"हाय ... " उसने जल्दी से स्कर्ट ऊपर डाल लिया ... "आप तो मेरे अन्दर ही घुसे जा रहे हैं ... "
"आपने पूछा था ना ... कोई दूसरा होता तो ... वो जाने क्या कर डालता ... ये गीली ... "
"और आप कुछ भी नहीं करते क्या ... और गीली क्या ... " खुला न्योता दे रही थी ... अगर मैंने कुछ नहीं किया तो वो समझेगी कि मेरे में कुछ कमी है।
"क्यों नहीं करता ... । जैसे ये आपके बड़े बड़े सेक्सी चूंचे ... और ये गीली चूत ... " मैंने उसके पास जाकर उसके चूंचे दबा दिये।
"रुको ... 5000 रुपये लूंगी ... " मुझे भड़का कर उसने कमाई की दर बता दी।
"मंजूर है ... पर फिर मैं जो चाहूँगा वो करूंगा ... चाहे पिछाड़ी ही मार दूँ !"
"और सुनो ... उसके अलावा, मैं जो चाहूँ वो भी करोगे ना ... आ जाओ ना ... समय कीमती है ... शुरू हो जाओ ... और निकाल दो मेरी हसरतें ... आपकी हसरतें ... " वो बड़े ही प्रोफ़ेशनल अन्दाज में बोली।
"चलो कपड़े उतारें ... शैली" बाहर बरसात पूरा जोर पकड़ चुकी थी।
मैंने अपने कपड़े उतार दिये ... उसके तो कपड़े वैसे ही ना के बराबर थे। मेरा तन्नाया हुआ लण्ड देख कर उसके मुख से अनायास ही निकल पड़ा ...
"माई गॉड ... ... ये लण्ड है या मूसल ... इसका तो पूरा मजा लूंगी मैं तो ... " मुझे समझ में नहीं आया, मेरा लण्ड तो साधारण था, हां खड़े होने के बाद आठ या साढ़े आठ इन्च का हो जाता होगा।
उसकी नंगी चूत गीली थी, हाथ लगाया तो लसलसी सी, चिकनाई से भरी हुई थी ... मेरा हाथ उसने झटक डाला।
"यहाँ खड़े हो जाओ जो ... " खुद एक कुर्सी पर नंगी बैठ गई और मेरा लण्ड पकड़ लिया। उसके ठण्डे और नरम हाथों ने मेरे लण्ड को और कड़क कर दिया। मेरे लण्ड को वो हल्के हल्के मलने लगी। मुझे मीठा मीठा सा मजा आने लगा। मैंने उसके बाल पकड़ लिये और दूसरे हाथ से उसकी चूची सहलाने लगा। वो कभी कभी मेरा लण्ड अपने मुँह में लेकर चूस भी लेती थी। मेरा सुपाड़ा उसके थूक से भीग जाता था।
"साला ... चूत में घुसेगा तो मुझे मस्त ही कर डालेगा ... और गाण्ड को तो मजे आ जायेंगे ... "
"शैली, अब जरा मुठ मार के मजा दे यार ... "
"ये लो ... क्या कड़क लौड़ा है ... चूसने में भी मजा आ रहा है ... " और उसने अपने हाथ में लण्ड को ठीक से बांध लिया और जोर से दबा लिया ... ।
"तैयार हो जो ... तेरा लण्ड अब तो गया ... " उसके हाथों ने कस कर हाथ जड़ तक रगड़ा और फिर बाहर तक दबा कर रगड़ मारी ... मुझे लगा कि माल निकाला ...
"हां शैली अब लगा कि मुठ मारा है ... चल जल्दी जल्दी कर ... फिर चुदाई भी तो करनी है ...
"जल्दी क्या है जो ... ये भयंकर बरसात है, सुबह तक तो चलेगी ... तब तक क्या करोगे ... "
और उसका भारी हाथ मेरे लौड़े को रगड़ मारते हुये मुठ मारने लगा। मुझे मस्ती चढ़ने लगी। मुझे आश्चर्य हुआ कि उसके हाथों में इतनी ताकत कहां से आ गई। मेरा जिस्म वासना से भर कर तन गया। लण्ड को मैंने और उभार लिया। शैली जम कर मुठ मार रही थी।
"बस कर शैली ... देख मेरा माल निकल जायेगा ... "
"जो ... निकाल दे माल ... निकाल दे ... मजा आ जायेगा ... " उसने अपने हाथों को और तेज कर दिया। मेरा लण्ड उफ़ान पर आ गया।
"शैली ... रुक जा रे ... देख निकल जायेगा ... "
उसने हाथ रोक दिया और लण्ड को मुँह में ले लिया ... और एक विशेष तरह से लण्ड को मोड़ कर मुठ मारा ... तीन चार स्ट्रोक में मेरी हालत खराब हो गई।
"मा ... दी फ़ुद्दी ... मां चुद गई मेरी तो ... हाय रे ... ओह्ह्ह्ह्ह्ह" और मेरे लण्ड ने वीर्य छोड़ दिया, वीर्य उसके हलक में सीधा उतर गया और वो गट से पी गई। अब वो मेरे लण्ड को जोर जोर से चूस रही थी, मानो लण्ड की सफ़ाई कर रही हो ... ।
मैं बिस्तर पर लम्बी सांसें भरता हुआ लेट गया। मेरे लेटते ही वो मेरे ऊपर आ गई। और मुझे लिपटा कर चूमने लगी।
"जो मजा आया ना ... तेरा लण्ड मस्त है रे ... मुठ मारने में बहुत मजा आया ... ।"
शैली अपनी चूत मेरे लण्ड पर घिसने लगी ... उसकी शेव की हुई चूत के कड़े बाल मेरे लण्ड पर चुभ रहे थे और खरोंचें मार रहे थे। बड़ा मजा आ रहा था।
"शैली तुमने कहां से सीखी ये सब मस्ती वाली हरकतें ...? "
"यह तो मैं अस्सी नब्बे सालों से कर रही हूँ ... ।" और हंस दी ... "तुम्हें जब सौ साल का अनुभव हो जायेगा ना, तो तुम भी एक्स्पर्ट हो जाओगे ... "
"हां जैसे सत्तर साल का तो हूँ ही ... !" और हम दोनों हंस पड़े।
"सच कहती हूँ रे ... साला मजाक समझ रहा है ... " वो हंस के अजीब से स्वर में बोली।
"सच है ... चूत 20 साल की, बोबे 15 साल के ... जवानी 25 साल की ... गाण्ड 20 साल की ... और नशीली आंखें ... जोशीला बदन ... माल निकाल देने वाली अदायें ... 20 साल और जोड़ लो हो गया 100 का आंकड़ा।"
"हाय तुमने तो ये बोल कर मेरे बदन में आग लगा दी। आह्ह्ह्ह्ह्ह, साला लौड़ा चूत में घुस ही गया ना"
मेरा लौड़ा जाने कब कड़ा हो गया और शैली ने जोर लगा कर अपनी चूत में घुसेड़ लिया था। मुझे भी चूत का गरम गरम अहसास होने लगा। उसने अपनी चूंचियां उठा कर मेरे मुँह में घुसेड़ दी और मैं उसकी चूची एक एक करके दोनों चूसने लगा। अचानक उसके चूचियों में से दूध आने लगा। मीठा मीठा सा ... स्वाद भरा ... मैं दूध पीने लगा ... उसने अपनी चूत का धक्का जोर से मारा और मेरा पूरा लण्ड चूत ने समा लिया।
"कैसा लगा मेरे जो ... दूध का मजा ... चूत का मजा ... ?"
"इतना सारा दूध निकल रहा है ... मजा आ रहा है ... पी जाऊँ क्या ... तुम्हारा कोई बच्चा है ना ... ?"
"कुछ भी मत कहो ... तुम ही हो मेरे सब कुछ ... बस पी लो ... " और चूत उछाल उछाल कर लण्ड पर मारने लगी। उसकी छाती में से दूध भी बहने लगा। मेरा लण्ड मस्ती में भर गया थ। मेरा पेट दूध पी कर भर चुका था। जाने कितना दूध था उसकी छातियों में ...
"जो ... राजा तुम्हारा पेट भर गया क्या ...? "
"क्या ?? शैली तुम भी ना गजब की हो ... " मैंने भी अपना लण्ड ऊपर चूत पर मारते कहा।
उसका दूध निकलना बन्द हो गया था और अब वो रुक गई थी ...
"जो लण्ड निकालो तो ... मुझे सू सू आ रही है ... " मेरे लण्ड निकालते ही वो मुझसे लिपट गई और थोड़ा सा जोर लगाया तो पेशाब होने लगा। जाने कैसे मेरे लण्ड में भी तरावट आ गई और मेरे लण्ड से भी पेशाब निकल पड़ा। पेशाब निकलते ही मुझे बड़ा आराम सा लगा। हम दोनों ही पेशाब करने लगे। मुझे लगा कि साथ ही मैं झड़ भी गया हूँ ... वीर्य भी साथ निकल गया है ... एक अजीबो गरीब अहसास ... जो मुझे कभी नहीं हुआ था।
"शैली यह क्या हुआ ... मेरा तो माल ही निकल गया ... "
"मेरे दूध का असर था ... मैं भी झड़ गई हूँ ... तुमने मुझे आज पूरा सन्तुष्ट कर दिया है ... अब तुम सो जाओ।"
"आअह्ह्ह्ह्ह्ह, ये क्या ... मुझे गहरी नींद आ रही है ... ।"
"मेरे प्यारे जो, तुम्हारे पापा, मेरे मित्र थे ... अपनी मां से पूछना ... मुझे तुम्हारे नाना ने मार डाला था ... पर मैं तुमसे, तुम्हारे पापा से प्यार करती थी ... तुम्हारे अन्दर मुझे डेविड हन्टर नजर आते है ... तुमसे चुद कर यूँ लगता है जैसे डेविड ही हो ... मुझे तुम्हारा हमेशा इन्तज़ार रहेगा।" जैसे मुझे कोई दूर से बोल रहा हो ... मेरी पलकें बंद होती जा रही थी ... मैं सोना नहीं चाह रहा था। शैली मेरे ऊपर लेटी हुई मुझे चूमे जा रही थी ... । उसके प्यार की गर्मी से मैं कब सो गया मुझे पता ही नहीं चला।
सुबह पन्डित मुझे जगा रहे थे ... मेरा सर भारी था, पन्डित जी ने मुझे कॉफ़ी पिलाई ... मेरा सर थोड़ा हल्का हुआ। अचानक मुझे रात वाली घटना याद हो आई ... मैंने तुरन्त बिस्तर की ओर देखा ... वो एक दम साफ़ सुथरा था ... कोई पेशाब का दाग नहीं था।
"अब आप जाईये जो साहब ... भाभी को मेरा प्रणाम कहना ... !"
मैंने उन्हें धन्यवाद कहा।
मैं बाहर निकल आया ... मौसम साफ़ था ... मैंने कार स्टार्ट की और मडगांव की ओर चल पड़ा।








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