FUN-MAZA-MASTI
पुजारी हवस का --6
मैं तो भोचक्का रह गया, मुझे इसकी बिलकुल भी उम्मीद नहीं थी, पर जब मैंने रचना का तृप्ति भरा चेहरा देखा, उसकी बंद आँखें और हलकी मुस्कराहट से भरा चेहरा देखा tab मुझे एक सुखद एहसास हुआ, और मैं भी पुरे जोश के साथ अपने लंड को उसकी चूत में अन्दर बाहर करने लगा,
उसने अपनी bahon से मेरी गर्दन के चारो तरफ फंदा बना डाला जिसकी वजह से उसके मुम्मे मेरे चेहरे पर रगड़ खा रहे थे, मैंने अपने हाथ उसकी चोडी गांड पर रखे और उन्हें दबाते हुए नीचे से धक्के मारने लगा, उसके होंठ मेरे कानो के बिलकुल पास थे, और वो मीठे दर्द से हलके हलके चिल्ला रही थी..
आआआआआआआआअह भैया .....i love you .......fuck me .....आई लव यौर बिग cock ....तुम्हारा मोटा
लंड.....आआआआआ...मेरी चूत में अन्दर तक दाआआआअलो .................और जोर से.....और जोर से.....आआआआअह्ह्ह
मेरी चूत तुम्हारी है.......मारो मेरी चूत.....चोदो मुझे......
वो अब गन्दी गन्दी गालियाँ भी देने लगी थी..
बहिन चोद....चोद न......आआआआआआआअह...
चोद अपनी बहन को.......अपने लम्बे लंड से.........पूरा ले लुंगी...............आआआआआआअयीईईईइ
हरामखोर........चोद मुझे.....फाड़ दे अपनी बहन की चूऊऊऊऊत ....आआआआह.....
बेहेण के लोडे......माआआआआआआऐन तो गयीईईईईईईईईईई ......आआआआआअह....
और वो झड़ने लगी ..
मैंने अपने लंड पर उसका लावा महसूस किया.
वो गहरी -२ साँसे लेकर ढीली पड़ गयी...
फिर मैंने उसे बेड पर धक्का दिया और उसे घोड़ी बना कर उसकी चूत में पीछे से अपना लंड दाल दिया.
उसकी फैली हुई गांड काफी दिलकश लग रही थी...
मैंने उसको स्टारिंग की तरह पकड़ा और अपनी गाडी की स्पीड बड़ा दी.
उसके मुंह से ओह्ह्हह्ह...ओफ्फ्फफ्फ्फ्फ़.aaaahhhhh की आवाजें दुबारा आने लगी.
मैं भी अब झड़ने के करीब पहुँच गया...मैंने कहा...........रचना मैं आया..............वो जल्दी से पलटी और मेरे लंड पर अपना मुंह लगा दिया....मेरे लिए ये काफी था, मैंने उसका मुंह उसकी मनपसंद मिठाई से भर दिया...
वो सारी रसमलाई खा गयी.
फिर वो उठी और आई लव यू कहकर मेरे सीने से लग गयी मैं भी उसके कोमल से शरीर को सहलाते हुए आई लव यू टू ..आई लव यू टू ...कहने लगा.
हाँफते हुए रचना ने अपनी नजर मुझसे मिलायी और मुस्कुराकर बोली.."मुझे तुम्हारा लंड पसंद आया, ये अन्दर जाकर तो बहुत ही मजे देता है, ये कितना मुलायम, गर्म, और मजेदार है."
मैंने कहा "तुम्हारी चूत भी बहुत मजेदार है, मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा है, कितना आनंद आ रहा था, तुम्हारी रेशम जैसी चूत में अपना लंड डालने में, इस आनंद की तो मैंने कल्पना भी नहीं की थी."
रचना : "अब तुम कल मुझे सुबह उठाने के लिए आ जाना मेरे रूम में" उसने उठते हुए कहा.
मैं :"उठाने के लिए ? पर किसलिए ??"
रचना : "क्योंकि मुझे और मजे चाहिए इसलिए..कल से रोज सुबह तुम मेरी चूत चाटोगे और फिर अपने इस खुबसूरत लंड से मेरी चूत मारोगे..
मैं : "हाँ हाँ बिलकुल हैं." मैंने खुश होते हुए कहा.
ऋतू : "ठीक है फिर..good night " और उसने झुक कर मेरे लंड को चूम लिया
मैं : " good night " मैंने कहा.
अगले दिन सुबह मेरी नींद जल्दी ही खुल गयी और मैंने जब छेद से रचना के रूम में देखा तो वहां अँधेरा था, मैं दबे पांव उसके रूम में गया और उसके बेड के किनारे जाकर खड़ा हो गया, थोड़ी देर बाद अँधेरे में अपनी आँखें adjust करने के बाद मैंने देखा की रचना अपनी चादर से बाहर निकल कर सो रही है, वो एकदम नंगी थी, उसकी दोनों टांगें फैली हुई थी जिसकी वजह से उसकी चूत अलग ही चमक रही थी. मेरा लंड ये नजारा देखकर फुफकारने लगा, मैंने रिकॉर्ड टाइम में अपने कपडे उतारे और उसकी खुली हुई टांगो के बीच कूद गया, मैंने अपना मुंह जैसे ही उसकी चूत पर टिकाया उसके शरीर में एक सिहरन सी हुई और उसकी नींद खुल गयी, जब उसने मुझे अपनी चूत चाटते हुए देखा तो वो सब समझ गयी और उसके मुंह से सिस्कारियां निकलने लगी..
म्म्म्मम्म्म्मम्म आआआआआआआआ भैया ......गुड मोर्निंग.
मैंने उसकी रसीली चूत से अपना मुंह ऊपर उठाया और बोला "गुड मोर्निंग"
हमेशा की तरह उसकी चूत में से ढेर सारा रस बहने लगा और मैं सड़प-२ करके उसे पीने लगा.रचना ने मेरे बाल पकड़ लिए और मुझे ऊपर की तरफ खीचने लगी..मैं ऊपर खिसकते हुए उसकी नाभि, पेट और फिर मोटे-मोटे मुम्मो पर किस्स करता चला गया और अंत में उसके अधीर होठों ने मुझे ऐसे जकड़ा की मेरे मुंह से भी आह निकल गयी, मैंने अपने दोनों हाथों से उसका चेहरा पकड़ लिया और चूम चूमकर उसे गीला कर दिया, उसने अपना हाथ हम दोनों के बीच डाला और मेरा लंड पकड़कर अपनी चूत के मुंहाने पर रख दिया, बाकी काम मैं जानता था, और एक तेज धक्के से मैंने अपना सात इंच लम्बा लंड उसकी गरम चूत में दाल दिया, उसकी आँखें उबल कर बाहर आने को होने लगी पर फिर ३-४ झटको के बाद वोही आँखें मदहोश होने लगी और उसके मुंह से तरह-२ की आवाजें आने लगी...
aaaaaaaaaaaaaaahhhhhhhhh
चोदो मुझीईईईईईईए ..................मुझे तुम्हारा लंड रूऊऊऊऊज चहियीईईईईई
aaaaaaaahhhhhhhhhh आआआआआआआअह ...............जोर से sssssssssssssssssss
और जूऊऊऊऊऊऊऊर से sssssssssssss
मैंने अपना मुंह रचना के मुंह से जोड़ दिया, और उसकी जीभ चूसने लगा, मैं झड़ने के करीब था, मेरे मुंह से एक भारी हुंकार निकली, ऋतू समझ गयी और उसने हमारी किस तोड़ते हुए मेरा लंड बाहर निकाला और बेड के किनारे पर लेट कर मेरा गीला लंड अपने मुंह में ले लिया, मैं अब तेजी से अपना लंड उसके मुंह में आगे पीछे करने लगा, अब मैं उसका मुंह चोद रहा था.
वो भी मेरे लंड को अन्दर तक ले जा रही थी, जो उसके गले के अंत तक जाकर उसकी दीवारों से टकरा रहा था.
मैंने जल्दी ही झड़ना शुरू कर दिया. और अपने गर्म वीर्य की धारें ऋतू के गले में छोड़ने लगा.
वो मेरे वीर्य की हर बूँद चटखारे लेकर पी गयी.
फिर उसने मुझे धक्का दिया और मेरे मुंह के ऊपर आकर बैठ गयी उसकी चूत ने मेरे होंठो को ढक लिया, मैंने उसकी चूत में अपनी जीभ डाली और उसे चुसना शुरू कर दिया, और जल्दी ही उसका रस बहकर मेरे मुंह में आने लगा और वो हलके से चिल्लाकर झड़ने लगी.
वो उठी और फिर हम दोनों ने काफी देर तक एक दुसरे की किस्स ली.
रचना को में चोद चूका था,लेकिन में जब भी मॉम को दिन में देखता तो मुझे उन रातो की याद अ जाती जब मेने उनको डैड से चुदते देखा था,अब में हमेशा इसी इंतजार में रहता की कभी दिन के उजाले में मॉम को नंगी देखने का मौका मिल जाये और फि मौका भी लगे तो उन्हें चोदा भी जाये। में जनता था ये असंभव हे और गलत भी लेकिन रचना की चूत को चोदने के बाद मुझे हमेशा चुदाई का मन रहता था। मुझे मौका मिल गया रचना कॉलेज गयी हुई थी और में और मॉम घर में अकेले थे,मॉम ने मुझसे कहा की वो अभी नह कर आती हे फिर वो मेरा नाश्ता तैयार करती हे,मॉम जल्दी जल्दी में बहार के उस बाथ रूम में नहाने घुस गयी जिसमे सुराख़ था और जिसमे से मेने रचना को भी नहाते देखा था। मॉम अंदर गयी मेने जब थोड़ी देर बाद देखा तो वो नल की तरफ घूम गई और अपने हाथ को पीछे ले जाकर अपनी ब्रा का स्ट्रैप खोल दिया और अपने कंधो से सरका कर बहार निकाल फर्श पर दाल दिया और जल्दी से निचे बैठ गई. अब मुझे केवल उनका सर और थोड़ा सा गर्दन के निचे का भाग नज़र आ रहा था. अपनी किस्मत पर बहुत गुस्सा आया. काश मॉम सामने घूम कर ब्रा खोलती या फिर जब वो साइड से घूमी हुई थी तभी अपनी ब्रा खोल देती मगर ऐसा नहीं हुआ था और अब वो निचे बैठ कर शायद अपनी ब्लाउज और ब्रा और दुसरे कपड़े साफ़ कर रही थी. मैंने पहले सोचा की निकल जाना चाहिए, मगर फिर सोचा की नहाएगी तो खड़ी तो होगी ही, ऐसे कैसे नहा लेगी. इसलिए चुप-चाप यही की होल से देखने में ही भलाई है. मेरा धैर्य रंग लाया थोड़ी देर बाद मॉम उठ कर खड़ी हो गई और उन्होंने पेटीकोट को घुटनों के पास से पकड़ कर जांघो तक ऊपर उठा दिया. मेरा कलेजा एक दम धक् से रह गया.मॉम ने अपना पेटिकोट पीछे से पूरा ऊपर उठा दिया था. इस समय उनकी जांघे पीछे से पूरी तरह से नंगी हो गई थी. मुझे औरतो और लड़कियों की जांघे सबसे ज्यादा पसंद आती है. मोटी और गदराई जांघे जो की शारीरिक अनुपात में हो, ऐसी जांघे. पेटीकोट के उठते ही मेरे सामने ठीक वैसी ही जांघे थी जिनकी कल्पना कर मैं मुठ मारा करता था. एकदम चिकनी और मांसल. जिन पर हलके हलके दांत गरा कर काटते हुए जीभ से चाटा जाये तो ऐसा अनोखा मजा आएगा की बयान नहीं किया जा सकता. मॉम की जांघे मांसल होने के साथ सख्त और गठी हुई थी उनमे कही से भी थुलथुलापन नहीं था. इस समय मॉम की जांघे केले के पेड़ के चिकने तने की समान दिख रही थी. मैंने सोचा की जब हम केले पेड़ के तने को अगर काटते है या फिर उसमे कुछ घुसाते है तो एक प्रकार का रंगहीन तरल पदार्थ निकलता है शायद मॉम के जांघो को चूसने और चाटने पर भी वैसा ही रस निकलेगा. मेरे मुंह में पानी आ गया. लण्ड के सुपाड़े पर भी पानी आ गया था. में कसी हुईमॉम के चुत्तरों को ध्यान से देखने लगा.मॉम का हाथ इस समय अपनी कमर के पास था और उन्होंने अपने अंगूठे को पैंटी के इलास्टिक में फसा रखा था. मैं दम साधे इस बात का इन्तेज़ार कर रहा था की कब मॉम अपनी पैंटी को निचे की तरफ सरकाती है. पेटीकोट कमर के पास जहा से पैंटी की इलास्टिक शुरू होती है वही पर हाथो के सहारे रुका हुआ था.मॉम ने अपनी पैंटी को निचे सरकाना शुरू किया और उसी के साथ ही पेटीकोट भी निचे की तरफ सरकता चला गया. ये सब इतनी तेजी से हुआ की मॉम के चुत्तर देखने की हसरत दिल में ही रह गई.मॉम ने अपनी पैंटी निचे सरकाई और उसी साथ पेटीकोट भी निचे आ कर उनके चुत्तरों और जांघो को ढकता चला गया. अपनी पैंटी उतार उसको ध्यान से देखने लगी पता नहीं क्या देख रही थी. छोटी सी पैंटी थी, पता नहीं कैसे उसमे मॉम के इतने बड़े चुत्तर समाते है. मगर शायद यह प्रश्न करने का हक मुझे नहीं था क्यों की अभी एक क्षण पहले मेरी आँखों के सामने ये छोटी सी पैंटी मॉम के विशाल और मांसल चुत्तरों पर अटकी हुई थी. कुछ देर तक उसको देखने के बाद वो फिर से निचे बैठ गई और अपनी पैंटी साफ़ करने लगी. फिर थोड़ी देर बाद ऊपर उठी और अपने पेटीकोट के नाड़े को खोल दिया. मैंने दिल थाम कर इस नज़ारे का इन्तेज़ार कर रहा था. कब मॉम अपने पेटीकोट को खोलेंगी और अब वो क्षण आ गया था. लौड़े को एक झटका लगा और मॉम के पेटीकोट खोलने का स्वागत एक बार ऊपर-निचे होकर किया. मैंने लण्ड को अपने हाथ से पकर दिलासा दिया. नाड़ा खोल मॉम ने आराम से अपने पेटीकोट को निचे की तरफ धकेला पेटीकोट सरकता हुआ धीरे-धीरे पहले उसके तरबूजे जैसे चुत्तरो से निचे उतरा फिर जांघो और पैर से सरक निचे गिर गया. मॉम वैसे ही खड़ी रही. इस क्षण मुझे लग रहा था जैसे मेरा लण्ड पानी फेंक देगा. मुझे समझ में नहीं आ रहा था मैं क्या करू. मैंने आज तक जितनी भी फिल्में और तस्वीरे देखी थी नंगी लड़कियों की वो सब उस क्षण में मेरी नजरो के सामने गुजर गई और मुझे यह अहसास दिला गई की मैंने आज तक ऐसा नज़ारा कभी नहीं देखा. वो तस्वीरें वो लड़कियाँ सब बेकार थी. उफ़ मॉम पूरी तरह से नंगी हो गई थी. हालाँकि मुझे केवल उनके पिछले भाग का नज़ारा मिल रहा था, फिर भी मेरी हालत ख़राब करने के लिए इतना ही काफी था. गोरी चिकनी पीठ जिस पर हाथ डालो तो सीधा फिसल का चुत्तर पर ही रुकेंगी. पीठ के ऊपर काला तिल, दिल कर रहा था आगे बढ़ कर उसे चूम लू. रीढ़ की हड्डियों की लाइन पर अपने तपते होंठ रख कर चूमता चला जाऊ. पीठ पीठ इतनी चिकनी और दूध की धुली लग रही थी की नज़र टिकाना भी मुश्किल लग रहा था. तभी तो मेरी नज़र फिसलती हुई मॉम के चुत्तरो पर आ कर टिक गई. ओह, मैंने आज तक ऐसा नहीं देखा था. गोरी चिकनी चुत्तर. गुदाज और मांसल. मांसल चुत्तरों के मांस को हाथ में पकर दबाने के लिए मेरे हाथ मचलने लगे. मॉम के चुत्तर एकदम गोरे और काफी विशाल थे. उनके शारीरिक अनुपात में, पतली कमर के ठीक निचे मोटे मांसल चुत्तर थे. उन दो मोटे मोटे चुत्तरों के बीच ऊपर से निचे तक एक मोटी लकीर सी बनी हुई थी. ये लकीर बता रही थी की जब मॉम के दोनों चुत्तरों को अलग किया जायेगा तब उनकी गांड देखने को मिल सकती है या फिर यदि मॉम कमर के पास से निचे की तरफ झुकती है तो चुत्तरों के फैलने के कारण गांड के सौंदर्य का अनुभव किया जा सकता है. तभी मैंने देखा की मॉम अपने दोनों हाथो को अपनी जांघो के पास ले गई फिर अपनी जांघो को थोड़ा सा फैलाया और अपनी गर्दन निचे झुका कर अपनी जांघो के बीच देखने लगी शायद वो अपनी चूत देख रही थी. मुझे लगा की शायद मॉम की चूत के ऊपर भी उसकी कान्खो की तरह से बालों का घना जंगल होगा और जरुर वो उसे ही देख रही होंगी. वो फिर से निचे बैठ गई और अपने पेटीकोट और पैंटी को साफ़ करने लगी. मैंने अपने लौड़े को आश्वाशन दिया की घबराओ नहीं कपरे साफ़ होने के बाद और भी कुछ देखने को मिल सकता है. ज्यादा नहीं तो फिर से मॉम के नंगे चुत्तर, पीठ और जांघो को देख कर पानी गिरा लेंगे.
करीब पांच-सात मिनट के बाद वो फिर से खड़ी हो गई. लौड़े में फिर से जान आ गई. मॉम इस समय अपनी कमर पर हाथ रख कर खड़ी थी. फिर उसने अपने चुत्तर को खुजाया और सहलाया फिर अपने दोनों हाथों को बारी बारी से उठा कर अपनी कान्खो को देखा और फिर अपने जांघो के बीच झाँकने के बाद फर्श पर परे हुए कपड़ो को उठाया. यही वो क्षण था जिसका मैं काफी देर से इन्तेज़ार कर रहा था. फर्श पर पड़े हुए कपड़ो को उठाने के लिए मॉम निचे झुकी और उनके चुत्तर
की होल के बीच बने गैप के सामने आ गए. निचे झुकने के कारण उनके दोनों चुत्तर अपने आप अलग हो गए और उनके बीच की मोटी लकीर अब मॉम की गहरी गांड में बदल गई. दोनों चुत्तर बहुत ज्यादा अलग नहीं हुए थे मगर फिर भी इतने अलग तो हो चुके थे की उनके बीच की गहरी खाई नज़र आने लगी थी. देखने से ऐसा लग रहा था जैसे किसी बड़े खरबूजे को बीच से काट कर थोड़ा सा अलग करके दो खम्भों के ऊपर टिका कर रख दिया गया है. मॉम वैसे ही झुके हुए बाल्टी में कपड़ो को डाल कर खंगाल रही थी और बाहर निकाल कर उनका पानी निचोड़ रही थी. ताकत लगाने के कारण मॉम के चुत्तर और फ़ैल गए और गोरी चुत्तरों के बीच की गहरी भूरे रंग की गांड की खाई पूरी तरह से नज़र आने लगी.मॉम की गांड की खाई एक दम चिकनी थी. गांड के छेद के आस-पास भी बाल उग जाते है मगर मॉम के मामले में ऐसा नहीं था उसकी गांड, जैसा की उसका बदन था, की तरह ही मलाई के जैसी चिकनी लग रही थी. झुकने के कारण चुत्तरों के सबसे निचले भाग से जांघो के बीच से मॉम की चूत के बाल भी नजर आ रहे थे.. चुत्तरो की खाई में काफी निचे जाकर जहा चूत के बाल थे उनसे थोड़ा सा ऊपर मॉम की गांड की सिकुरी हुई भूरे रंग की छेद थी. ऊँगली के अगले सिरे भर की बराबर की छेद थी. किसी फूल की तरह से नज़र आ रही थी. मॉम के एक दो बार हिलने पर वो छेद हल्का सा हिला और एक दो बार थोड़ा सा फुला-पिचका. ऐसा क्यों हुआ मेरी समझ में नहीं आया मगर इस समय मेरा दिल कर रहा था की मैं अपनी ऊँगली को मॉम की गांड की खाई में रख कर धीरे-धीरे चलाऊ और उसके भूरे रंग की दुप-दुपाती छेद पर अपनी ऊँगली रख हलके-हलके दबाब दाल कर गांड की छेद की मालिश करू. उफ़ कितना मजा आएगा अगर एक हाथ से चुत्तर को मसलते हुए दुसरे हाथ की ऊँगली को गांड की छेद पर डाल कर हलके-हलके कभी थोड़ा सा अन्दर कभी थोड़ा सा बाहर कर चलाया जाये तो. पूरी ऊँगली मॉम की गांड में डालने से उन्हें दर्द हो सकता था इसलिए पूरी ऊँगली की जगह आधी ऊँगली या फिर उस से भी कम डाल कर धीरे धीरे गोल-गोल घुमाते हुए अन्दर-बाहर करते हुए गांड की फूल जैसी छेद ऊँगली से हलके-हलके मालिश करने में बहुत मजा आएगा. इस कल्पना से ही मेरा पूरा बदन सिहर गया.मॉम की गांड इस समय इतनी खूबसूरत लग रही थी की दिल कर रहा थी अपने मुंह को उसके चुत्तरों के बीच घुसा दू और उसकी इस भूरे रंग की सिकुरी हुई गांड की छेद को अपने मुंह में भर कर उसके ऊपर अपना जीभ चलाते हुए उसके अन्दर अपनी जीभ डाल दू. उसके चुत्तरो को दांत से हलके हलके काट कर खाऊ और पूरी गांड की खाई में जीभ चलाते हुए उसकी गांड चाटू. पर ऐसा संभव नहीं था. मैं इतना उत्तेजित हो चूका था की लण्ड किसी भी समय पानी फेंक सकता था. लौड़ा अपनी पूरी औकात पर आ चूका था और अब दर्द करने लगा था. अपने अंडकोष को अपने हाथो से सहलाते हुए हलके से सुपाड़े को दो उँगलियों के बीच दबा कर अपने आप को सान्तवना दिया.
सारे कपड़े अब खंगाले जा चुके थे.मॉम सीधी खड़ी हो गई और अपने दोनों हाथो को उठा कर उसने एक अंगराई ली और अपनी कमर को सीधा किया फिर दाहिनी तरफ घूम गई. मेरी किस्मत शायद आज बहुत अच्छी थी. दाहिनी तरफ घूमते ही उसकी दाहिनी चूची जो की अब नंगी थी मेरी लालची आँखों के सामने आ गई. उफ़ अभी अगर मैं अपने लण्ड को केवल अपने हाथ से छू भर देता तो मेरा पानी निकल जाता. चूची का एक ही साइड दिख रहा था. मॉम की चूची एक दम ठस सीना तान के खड़ी थी. ब्लाउज के ऊपर से देखने पर मुझे लगता तो था की उनकी चूचियां सख्त होंगी मगर उनकी चुचियों में कोई ढलकाव नहीं आया था. मॉम के मस्त बोबे किसी भी १६-१७
साल की लौंडिया के दिल में जलन पैदा कर सकती थी. जलन तो मेरे दिल में भी हो रही थी इतनी अच्छी चुचियों मेरी किस्मत में क्यों नहीं है. चूची एकदम दूध के जैसी गोरे रंग की थी. चूची का आकार ऐसा था जैसे किसी मध्यम आकार के कटोरे को उलट कर मॉम की छाती से चिपका दिया गया हो और फिर उसके ऊपर किशमिश के एक बड़े से दाने को डाल दिया गया हो. मध्यम आकार के कटोरे से मेरा मतलब है की अगर मॉम की चूची को मुट्ठी में पकड़ा जाये तो उसका आधा भाग मुट्ठी से बाहर ही रहेगा. चूची का रंग चूँकि हद से ज्यादा गोरा था इसलिए हरी हरी नसे उस पर साफ़ दिखाई पर रही थी, जो की चूची की सुन्दरता को और बढा रही थी. साइड से देखने के कारण चूची के निप्पल वन-डायेमेन्शन में नज़र आ रहे थे. सामने से देखने पर ही थ्री-डायेमेन्शन में नज़र आ सकते थे. तभी उनकी लम्बाई, चौड़ाई और मोटाई का सही मायेने में अंदाज लगाया जा सकता था मगर क्या कर सकता था मजबूरी थी मैं साइड व्यू से ही काम चला रहा था. निप्पलों का रंग गुलाबी था, पर हल्का भूरापन लिए हुए था. बहुत ज्यादा बड़ा तो नहीं था मगर एक दम छोटा भी नहीं था किशमिश से बड़ा और चॉकलेट से थोड़ा सा छोटा. मतलब मुंह में जाने के बाद चॉकलेट और किशमिश दोनों का मजा देने वाला. दोनों होंठो के बीच दबा कर हलके-हलके दबा-दबा कर दांत से काटते हुए अगर चूसा जाये तो बिना चोदे झर जाने की पूरी सम्भावना थी \अब मॉम ने
दाहिनी तरफ घूम कर आईने में अपने दाहिने हाथ को उठा कर देखा फिर बाएं हाथ को उठा कर देखा. फिर अपनी गर्दन को झुका कर अपनी जांघो के बीच देखा. फिर वापस नल की तरफ घूम गई और खंगाले हुए कपरों को वही नल के पास बनी एक खूंटी पर टांग दिया और फिर नल खोल कर बाल्टी में पानी भरने लगी. मैं समझ गया की मॉम अब शायद नहाना शुरू करेंगी. मैंने पूरी सावधानी के साथ अपनी आँखों को की होल के गैप में लगा दिया. मग में पानी भर कर मॉम थोड़ा सा झुक गई और पानी से पहले अपने बाएं हाथ फिर दाहिनी हाथ के कान्खो को धोया. पीछे से मुझे कुछ दिखाई नहीं पर रहा था मगर. मॉम ने पानी से अच्छी तरह से धोने के बाद कान्खो को अपने हाथो से छू कर देखा. फिर उन्होंने अपना ध्यान अब अपनी जांघो के बीच लगा दिया. दाहिने हाथ से पानी डालते हुए अपने बाएं हाथ को अपनी जांघो बीच ले जाकर धोने लगी. हाथों को धीरे धीरे चलाते हुए जांघो के बीच के बालों को धो रही थी. मैं सोच रहा था की काश इस समय वो मेरी तरफ घूम कर ये सब कर रही होती तो कितना मजा आता. मॉम की चुत के बारे में ये सोच का बदन में झन-झनाहट होने लगी. पानी से अपने जन्घो के बीच साफ़ कर लेने के बाद मॉम ने अब नहाना शुरू कर दिया. अपने कंधो के ऊपर पानी डालते हुए पुरे बदन को भीगा दिया. बालों के जुड़े को खोल कर उनको गीला कर शैंपू लगाने लगी.मॉम का बदन भीग जाने के बाद और भी खूबसूरत और मदमस्त लगने लगा था. बदन पर पानी पड़ते ही एक चमक सी आ गई थी मॉम के बदन में. शैंपू से खूब सारा झाग बना कर अपने बालों को साफ़ कर रही थी. बालो और गर्दन के पास से शैंपू मिला हुआ मटमैला पानी उनकी गर्दन से बहता हुआ उनकी पीठ पर चुते हुए निचे की तरफ गिरता हुआ कमर के बाद सीधा दोनों चुत्तरों के बीच यानी की उनके बीच की दरार जो कीमॉम की गांड थी में घुस रहा था. क्योंकि ये पानी शैंपू लगाने के कारण झाग से मिला हुआ था और बहुत कम मात्रा में था इसलिए गांड की दरार में घुसने के बाद कहा गायब हो जा रहा था ये मुझे नहीं दिख रहा था. अगर पानी की मात्रा ज्यादा होती तो फिर वो वहां से निकल कर जांघो के अंदरूनी भागो से ढुलकता हुआ निचे गिर जाता. बालों में अच्छी तरह से शैंपू लगा लेने के बाद बालों को लपेट कर एक गोला सा बना कर गर्दन के पास छोड़ दिया और फिर अपने कंधो पर पानी डाल कर अपने बदन को फिर से गीला कर लिया. गर्दन और पीठ पर लगा हुआ शैंपू मिला हुआ मटमैला पानी भी धुल गया था. फिर उन्होंने एक स्पोंज के जैसी कोई चीज़ रैक पर से उठा ली और उस से अपने पुरे बदन को हलके-हलके रगरने लगी. पहले अपने हाथो को रगरा फिर अपनी छाती को फिर अपनी पीठ को फिर बैठ गई. निचे बैठने पर मुझे केवल गर्दन और उसके निचे का कुछ हिस्सा दिख रहा था. पर ऐसा लग रहा था जैसे वो निचे बैठ कर अपने पैरों को फैला कर पूरी तरह से रगर कर साफ़ कर रही थी क्योंकि उनका शरीर हिल रहा था. थोरी देर बाद खड़ी हो गई और अपने जांघो को रगरना शुरू कर दिया. मैं सोचने लगा की फिर निचे बैठ कर क्या कर रही थी. फिर दिमाग में आया की हो सकता है अपने पैर के तलवे और उँगलियों को रगर कर साफ़ कर रही होंगी. अब वो अपने जांघो को रगर रगर कर साफ़ कर रही थी और फिर अपने आप को थोड़ा झुका कर अपनी दोनों जांघो को फैलाया और फिर स्पोंज को दोनों जांघो के बीच ले जाकर जांघो के अंदरूनी भाग और रान को रगरने लगी. पीछे से देखने पर लग रहा था जैसे वो जांघो को जोर यानि जहाँ पर जांघ और पेट के निचले हिस्से का मिलन होता और जिसके बीच में चूत होती है को रगर कर साफ़ करते हुए हलके-हलके शायद अपनी चूत को भी रगर कर साफ़ कर रही थी ऐसा मेरा सोचना है. वैसे चुत जैसी कोमल चीज़ को हाथ से रगर कर साफ़ करना ही उचित होता. वाकई ऐसा था या नहीं मुझे नहीं पता, पीछे से इस से ज्यादा पता भी नहीं चल सकता था. थोड़ी देर बाद थोड़ा और झुक कर घुटनों तक रगर कर फिर सीधा हो कर अपने हाथों को पीछे ले जाकर अपने चुत्तरों को रगरने लगी. वो थोड़ी-थोड़ी देर में अपने बदन पर पानी डाल लेती थी जिस से शरीर का जो भाग सुख गया होता वो फिर से गीला हो जाता था और फिर उन्हें रगरने में आसानी होती थी. चुत्तरों को भी इसी तरह से एक बार फिर से गीला कर खूब जोर जोर से रगर रही थी. चुत्तरों को जोर से रगरने से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला था क्योंकि वहां का मांस बहुत मोटा था, पर जोर से रगरने के कारण लाल हो गया था और थल-थलाते हुए हिल रहा था. मेरे हाथों में खुजली होने लगी थी और दिल कर रहा था की थल-थलाते हुए चुत्तरों को पकड़ कर मसलते हुए हलके-हलके मारते हुए खूब हिलाउ. चुत्तारों को रगरने के बाद मॉम ने स्पोंज को दोनों चुत्तरों की दरार के ऊपर रगरने लगी फिर थोड़ा सा आगे की तरफ झुक गैई जिस से उसके चुत्तर फ़ैल गए. फिर स्पोंज को दोनों चुत्तरों के बीच की खाई में डाल कर रगड़ने लगी. कोमल गांड की फूल जैसी छेद शायद रगड़ने के बाद लाल हो गुलाब के फूल जैसी खिल जायेगी. ये सोच कर मेरे मन में मॉम की गांड देखने की तीव्र इच्छा उत्पन्न हो गई. मन में आया की इस लकड़ी की दिवार को तोड़ कर सारी दुरी मिटा दू, मगर, सोचने में तो ये अच्छा था, सच में ऐसा करने की हिम्मत मेरी गांड में नहीं थी.
स्पोंज से अपने बदन को रगड़ने के बाद. वापस स्पोंज को रैक पर रख दिया और मग से पानी लेकर कंधो पर डालते हुए नहाने लगी. मात्र स्पोंज से सफाई करने के बाद ही मॉम का पूरा बदन चम-चमाने लगा था. पानी से अपने पुरे बदन को धोने के बाद मॉम ने अपने शैंपू लगे बालों का गोला खोला और एक बार फिर से कमर के पास से निचे झुक गई और उनके चुत्तर फिर से लकड़ी के पट्टो के बीच बने गैप के सामने आ गए. इस बार उनके गोरे चम-चमाते चुत्तरों के बीच की चमचमाती खाई के आलावा मुझे एक और चीज़ के दिखने को मिल रही थी. वो क्या थी इसका अहसास मुझे थोड़ी देर से हुआ. गांड की सिकुरी हुई छेद से करीब चार अंगुल भर की दूरी पर निचे की तरफ एक लम्बी लकीर सी नज़र आ रही थी. मैं ये देख कर ताज्जुब में पर गया, पर तभी ख्याल आया की ये तो शायद चूत है. पहले ये लकीर इसलिए नहीं नज़र आ रही थी क्योंकि यहाँ पर झान्ट के बाल थे,जब झांटो की सफाई कर दी तो चूत की लकीर स्पष्ट दिखने लगी. इस बात का अहसास होते ही की मैं अपनी मॉमकी चूत देख रहा हूँ, मुझे लगा जैसे मेरा कलेजा मुंह को आ जायेगा और फिर से मेरा गला सुख गया और पैर कांपने लगे. इस बार शायद मेरे लण्ड से दो बूँद टपक कर निचे गिर भी गया पर मैंने इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया. लण्ड भी मारे उत्तेजना के काँप रहा था. बाथरूम में वैसे तो लाइट आँन थी मगर मॉम की पीठ की तरफ रोशनी कम थी. फिर भी दोनों मोटी जांघो के बीच ऊपर की तरफ चुत्तरों की खाई के ठीक निचे एक गुलाबी लकीर सी दिख रही थी. पट्टो के बीच से देखने से ऐसा लग रहा था जैसे सेब या पके हुए पपीते के आधे भाग को काट कर फिर से आपस में चिपका कर दोनों जांघो के बीच फिट कर दिया गया है. मतलब रेनू की चूत ऐसी दिख रही थी जैसे सेब को चार भागो में काट कर फिर दो भागो को आपस में चिपका कर गांड के निचे लगा दिया गया हो. कमर या चुत्तरों के इधर-उधर होने पर दोनों फांकों में भी हरकत होती थी और ऐसा लगता जैसे कभी लकीर टेढी हो गई है कभी लकीर सीधी हो गई है. जैसे चूत के दोनों होंठ कभी मुस्कुरा रहे है कभी नाराज़ हो रहे है. दोनों होंठ आपस में एक दुसरे से एक दम सटे हुए दिख रहे थे. होंठो के आपस में सटे होने के मतलब बाद में समझ में आया की ऐसा चूत के बहुत ज्यादा टाइट होने के कारण था. दोनों फांक एक दम गुलाबी और पावरोटी के जैसे फूले हुए थे. मेरे मन में आया की काश मैं चूत की लकीर पर ऊपर से निचे तक अपनी ऊँगली चला और हलके से दोनों फांकों को अलग कर के देख पाता की कैसी दिखती है, दोनों गुलाबी होंठो के बीच का अंदरूनी भाग कैसा है मगर ये सपना ही रह गया.मॉम के बाल धुल चुके थे और वो सीधी खड़ी हो गई.
बालो को अच्छी तरह से धोने के बाद फिर से उनका गोला बना कर सर के ऊपर बाँध लिया और फिर अपने कंधो पर पानी डाल कर अपने आप को फिर से गीला कर पुरे बदन पर साबुन लगाने लगी. पहले अपने हाथो पर अच्छी तरह से साबुन लगाया फिर अपने हाथो को ऊपर उठा कर वो दाहिनी तरफ घूम गई और अपने कान्खो को आईने में देख कर उसमे साबुन लगाने लगी.
गोरी, गुलाबी और चिकनी हो गई थी. जीभ लगा कर चाटो तो जीभ फिसल जाये ऐसी चिकनी लग रही थी.मॉम ने खूब सारा साबुन अपनी कान्खो में लगाया और फिर वैसे ही अपनी छाती पर रगर-रगर कर साबुन लगाने लगी. छाती पर साबुन का खूब सारा झाग उत्पन्न हो रहा था. मॉम का हाथ उसमे फिसल रहा था और वो अपनी ही चुचियों के साथ खिलवार करते हुए साबुन लगा रही थी. कभी निप्पल को चुटकियों में पकर कर उन पर साबुन लगाती कभी पूरी चूची को दोनों हाथो की मुट्ठी में कस कर साबुन लगाती. साबुन लगाने के कारण मॉम की चूची हिल रही थी और थलथला रही थी. चुचियों के हिलने का नज़ारा लण्ड को बेकाबू करने के लिए काफी था. तभी मॉम वापस नल की तरफ घूम गई और फिर निचे झुक कर पैरों पर साबुन लगाने के बाद सीधा हो कर अपनी जांघो पर साबुन लगाने लगी. दोनों जांघो पर साबुन लगाने के बाद अपने हाथो में ढेर सारा साबुन का झाग बना कर अपनी जांघो को फैला कर उनके बीच अपने हाथों को घुसा दिया. हाथ चलाते हुए अपनी चूत पर साबुन लगाने लगी. अच्छी तरह से चूत पर साबुन लगा लेने के बाद जैसा की मैंने सोचा था गांड की बारी आई और फिर पहले अपने चुतरों पर साबुन लगा लेने के बाद अपने हाथो में साबुन का ढेर सारा झाग बना कर अपने हाथो को चुत्तरों की दरार में घुसा दिया और ऊपर से निचे चलाती हुई अपनी गांड की खाई को रगरते हुए उसमे साबुन लगाने लगी. गांड में साबुन लगाने से भी खूब सारा झाग उत्पन्न हो रहा था. खूब अच्छी तरह से साबुन लगा लेने के बाद. नल खोल कर मग से पानी उठा-उठा कर मॉम ने अपना बदन धोना शुरू कर दिया. पानी धीरे-धीरे साबुन को धो कर निचे गिराता जा रहा था और उसी के साथ मॉम के गोरे बदन की सुन्दरता को भी उजागर करता जा रहा था. साबुन से धुल जाने के बाद मॉमका गोरा बदन एक दम ढूध का धुला लग रहा था. जैसे बाथरूम के उस अंधियारे में चांदनी रौशन हो गई थी. ऊपर से निचे तक मॉम का पूरा बदन चम-चमा रहा था. मेरी आंखे चुंधिया रही थी और मैं अपनी आँखों को फार कर ज्यादा से ज्यादा उसके मद भरे यौवन का रस अपनी आँखों से पी जाना चाहता था. मेरे पैर थक चुके थे और कमर अकड़ चूँकि थी मगर फिर भी मैं वह से हिल नहीं पा रहा था. अपने पुरे बदन को धो लेने के बाद मॉम ने खूंटी पर टंगा तौलिया उतारा और अपने बदन को पोछने लगी. पुरे बदन को तौलिये से हौले-हौले दबा कर पोछने के बाद अपने सर को बालों को तौलिये से हल्के से पोछा और तौलिये को बालों में लपेट कर एक गोला बना दिया. फिर दाहिनी तरफ घूम कर आईने के सामने आ गई. दाहिनी चूची जो की मुझे इस समय दिख रही थी थोड़ी लाल या फिर कहे तो गुलाबी लग रही थी. ऐसा शायद रगर का सफाई करने के कारण हुआ होगा, निप्पल भी थोड़ी काली लग रही थी ऐसा शायद उनमे खून भर जाने के कारण हुआ होगा.मॉम ने अपने आप को आईने अच्छी तरह से देखा फिर अपने दोनों हाथो को उठा कर बारी-बारी से अपनी कान्खो को देखा और सुंघा भी, फिर अपने दोनों जांघो के बीच अच्छी तरह से देखा, अपने चेहरे का हर कोण से अच्छी तरह से आईने में देखा और फिर अपनी नजरो को निचे ले जा कर अपने पैरों आदि को देखने लगी. मैं समझ गया की अब मॉम बाहर निकलेंगी. इस से पहले की वो बाहर निकले मुझे चुप चाप निकल जाना चाहिए,में उठा और बिस्टर पर जाकर लेट गया मॉम बाथरूम से निकली और सीधे सामने अपने कमरे में चल गयी
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पुजारी हवस का --6
मैं तो भोचक्का रह गया, मुझे इसकी बिलकुल भी उम्मीद नहीं थी, पर जब मैंने रचना का तृप्ति भरा चेहरा देखा, उसकी बंद आँखें और हलकी मुस्कराहट से भरा चेहरा देखा tab मुझे एक सुखद एहसास हुआ, और मैं भी पुरे जोश के साथ अपने लंड को उसकी चूत में अन्दर बाहर करने लगा,
उसने अपनी bahon से मेरी गर्दन के चारो तरफ फंदा बना डाला जिसकी वजह से उसके मुम्मे मेरे चेहरे पर रगड़ खा रहे थे, मैंने अपने हाथ उसकी चोडी गांड पर रखे और उन्हें दबाते हुए नीचे से धक्के मारने लगा, उसके होंठ मेरे कानो के बिलकुल पास थे, और वो मीठे दर्द से हलके हलके चिल्ला रही थी..
आआआआआआआआअह भैया .....i love you .......fuck me .....आई लव यौर बिग cock ....तुम्हारा मोटा
लंड.....आआआआआ...मेरी चूत में अन्दर तक दाआआआअलो .................और जोर से.....और जोर से.....आआआआअह्ह्ह
मेरी चूत तुम्हारी है.......मारो मेरी चूत.....चोदो मुझे......
वो अब गन्दी गन्दी गालियाँ भी देने लगी थी..
बहिन चोद....चोद न......आआआआआआआअह...
चोद अपनी बहन को.......अपने लम्बे लंड से.........पूरा ले लुंगी...............आआआआआआअयीईईईइ
हरामखोर........चोद मुझे.....फाड़ दे अपनी बहन की चूऊऊऊऊत ....आआआआह.....
बेहेण के लोडे......माआआआआआआऐन तो गयीईईईईईईईईईई ......आआआआआअह....
और वो झड़ने लगी ..
मैंने अपने लंड पर उसका लावा महसूस किया.
वो गहरी -२ साँसे लेकर ढीली पड़ गयी...
फिर मैंने उसे बेड पर धक्का दिया और उसे घोड़ी बना कर उसकी चूत में पीछे से अपना लंड दाल दिया.
उसकी फैली हुई गांड काफी दिलकश लग रही थी...
मैंने उसको स्टारिंग की तरह पकड़ा और अपनी गाडी की स्पीड बड़ा दी.
उसके मुंह से ओह्ह्हह्ह...ओफ्फ्फफ्फ्फ्फ़.aaaahhhhh की आवाजें दुबारा आने लगी.
मैं भी अब झड़ने के करीब पहुँच गया...मैंने कहा...........रचना मैं आया..............वो जल्दी से पलटी और मेरे लंड पर अपना मुंह लगा दिया....मेरे लिए ये काफी था, मैंने उसका मुंह उसकी मनपसंद मिठाई से भर दिया...
वो सारी रसमलाई खा गयी.
फिर वो उठी और आई लव यू कहकर मेरे सीने से लग गयी मैं भी उसके कोमल से शरीर को सहलाते हुए आई लव यू टू ..आई लव यू टू ...कहने लगा.
हाँफते हुए रचना ने अपनी नजर मुझसे मिलायी और मुस्कुराकर बोली.."मुझे तुम्हारा लंड पसंद आया, ये अन्दर जाकर तो बहुत ही मजे देता है, ये कितना मुलायम, गर्म, और मजेदार है."
मैंने कहा "तुम्हारी चूत भी बहुत मजेदार है, मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा है, कितना आनंद आ रहा था, तुम्हारी रेशम जैसी चूत में अपना लंड डालने में, इस आनंद की तो मैंने कल्पना भी नहीं की थी."
रचना : "अब तुम कल मुझे सुबह उठाने के लिए आ जाना मेरे रूम में" उसने उठते हुए कहा.
मैं :"उठाने के लिए ? पर किसलिए ??"
रचना : "क्योंकि मुझे और मजे चाहिए इसलिए..कल से रोज सुबह तुम मेरी चूत चाटोगे और फिर अपने इस खुबसूरत लंड से मेरी चूत मारोगे..
मैं : "हाँ हाँ बिलकुल हैं." मैंने खुश होते हुए कहा.
ऋतू : "ठीक है फिर..good night " और उसने झुक कर मेरे लंड को चूम लिया
मैं : " good night " मैंने कहा.
अगले दिन सुबह मेरी नींद जल्दी ही खुल गयी और मैंने जब छेद से रचना के रूम में देखा तो वहां अँधेरा था, मैं दबे पांव उसके रूम में गया और उसके बेड के किनारे जाकर खड़ा हो गया, थोड़ी देर बाद अँधेरे में अपनी आँखें adjust करने के बाद मैंने देखा की रचना अपनी चादर से बाहर निकल कर सो रही है, वो एकदम नंगी थी, उसकी दोनों टांगें फैली हुई थी जिसकी वजह से उसकी चूत अलग ही चमक रही थी. मेरा लंड ये नजारा देखकर फुफकारने लगा, मैंने रिकॉर्ड टाइम में अपने कपडे उतारे और उसकी खुली हुई टांगो के बीच कूद गया, मैंने अपना मुंह जैसे ही उसकी चूत पर टिकाया उसके शरीर में एक सिहरन सी हुई और उसकी नींद खुल गयी, जब उसने मुझे अपनी चूत चाटते हुए देखा तो वो सब समझ गयी और उसके मुंह से सिस्कारियां निकलने लगी..
म्म्म्मम्म्म्मम्म आआआआआआआआ भैया ......गुड मोर्निंग.
मैंने उसकी रसीली चूत से अपना मुंह ऊपर उठाया और बोला "गुड मोर्निंग"
हमेशा की तरह उसकी चूत में से ढेर सारा रस बहने लगा और मैं सड़प-२ करके उसे पीने लगा.रचना ने मेरे बाल पकड़ लिए और मुझे ऊपर की तरफ खीचने लगी..मैं ऊपर खिसकते हुए उसकी नाभि, पेट और फिर मोटे-मोटे मुम्मो पर किस्स करता चला गया और अंत में उसके अधीर होठों ने मुझे ऐसे जकड़ा की मेरे मुंह से भी आह निकल गयी, मैंने अपने दोनों हाथों से उसका चेहरा पकड़ लिया और चूम चूमकर उसे गीला कर दिया, उसने अपना हाथ हम दोनों के बीच डाला और मेरा लंड पकड़कर अपनी चूत के मुंहाने पर रख दिया, बाकी काम मैं जानता था, और एक तेज धक्के से मैंने अपना सात इंच लम्बा लंड उसकी गरम चूत में दाल दिया, उसकी आँखें उबल कर बाहर आने को होने लगी पर फिर ३-४ झटको के बाद वोही आँखें मदहोश होने लगी और उसके मुंह से तरह-२ की आवाजें आने लगी...
aaaaaaaaaaaaaaahhhhhhhhh
चोदो मुझीईईईईईईए ..................मुझे तुम्हारा लंड रूऊऊऊऊज चहियीईईईईई
aaaaaaaahhhhhhhhhh आआआआआआआअह ...............जोर से sssssssssssssssssss
और जूऊऊऊऊऊऊऊर से sssssssssssss
मैंने अपना मुंह रचना के मुंह से जोड़ दिया, और उसकी जीभ चूसने लगा, मैं झड़ने के करीब था, मेरे मुंह से एक भारी हुंकार निकली, ऋतू समझ गयी और उसने हमारी किस तोड़ते हुए मेरा लंड बाहर निकाला और बेड के किनारे पर लेट कर मेरा गीला लंड अपने मुंह में ले लिया, मैं अब तेजी से अपना लंड उसके मुंह में आगे पीछे करने लगा, अब मैं उसका मुंह चोद रहा था.
वो भी मेरे लंड को अन्दर तक ले जा रही थी, जो उसके गले के अंत तक जाकर उसकी दीवारों से टकरा रहा था.
मैंने जल्दी ही झड़ना शुरू कर दिया. और अपने गर्म वीर्य की धारें ऋतू के गले में छोड़ने लगा.
वो मेरे वीर्य की हर बूँद चटखारे लेकर पी गयी.
फिर उसने मुझे धक्का दिया और मेरे मुंह के ऊपर आकर बैठ गयी उसकी चूत ने मेरे होंठो को ढक लिया, मैंने उसकी चूत में अपनी जीभ डाली और उसे चुसना शुरू कर दिया, और जल्दी ही उसका रस बहकर मेरे मुंह में आने लगा और वो हलके से चिल्लाकर झड़ने लगी.
वो उठी और फिर हम दोनों ने काफी देर तक एक दुसरे की किस्स ली.
रचना को में चोद चूका था,लेकिन में जब भी मॉम को दिन में देखता तो मुझे उन रातो की याद अ जाती जब मेने उनको डैड से चुदते देखा था,अब में हमेशा इसी इंतजार में रहता की कभी दिन के उजाले में मॉम को नंगी देखने का मौका मिल जाये और फि मौका भी लगे तो उन्हें चोदा भी जाये। में जनता था ये असंभव हे और गलत भी लेकिन रचना की चूत को चोदने के बाद मुझे हमेशा चुदाई का मन रहता था। मुझे मौका मिल गया रचना कॉलेज गयी हुई थी और में और मॉम घर में अकेले थे,मॉम ने मुझसे कहा की वो अभी नह कर आती हे फिर वो मेरा नाश्ता तैयार करती हे,मॉम जल्दी जल्दी में बहार के उस बाथ रूम में नहाने घुस गयी जिसमे सुराख़ था और जिसमे से मेने रचना को भी नहाते देखा था। मॉम अंदर गयी मेने जब थोड़ी देर बाद देखा तो वो नल की तरफ घूम गई और अपने हाथ को पीछे ले जाकर अपनी ब्रा का स्ट्रैप खोल दिया और अपने कंधो से सरका कर बहार निकाल फर्श पर दाल दिया और जल्दी से निचे बैठ गई. अब मुझे केवल उनका सर और थोड़ा सा गर्दन के निचे का भाग नज़र आ रहा था. अपनी किस्मत पर बहुत गुस्सा आया. काश मॉम सामने घूम कर ब्रा खोलती या फिर जब वो साइड से घूमी हुई थी तभी अपनी ब्रा खोल देती मगर ऐसा नहीं हुआ था और अब वो निचे बैठ कर शायद अपनी ब्लाउज और ब्रा और दुसरे कपड़े साफ़ कर रही थी. मैंने पहले सोचा की निकल जाना चाहिए, मगर फिर सोचा की नहाएगी तो खड़ी तो होगी ही, ऐसे कैसे नहा लेगी. इसलिए चुप-चाप यही की होल से देखने में ही भलाई है. मेरा धैर्य रंग लाया थोड़ी देर बाद मॉम उठ कर खड़ी हो गई और उन्होंने पेटीकोट को घुटनों के पास से पकड़ कर जांघो तक ऊपर उठा दिया. मेरा कलेजा एक दम धक् से रह गया.मॉम ने अपना पेटिकोट पीछे से पूरा ऊपर उठा दिया था. इस समय उनकी जांघे पीछे से पूरी तरह से नंगी हो गई थी. मुझे औरतो और लड़कियों की जांघे सबसे ज्यादा पसंद आती है. मोटी और गदराई जांघे जो की शारीरिक अनुपात में हो, ऐसी जांघे. पेटीकोट के उठते ही मेरे सामने ठीक वैसी ही जांघे थी जिनकी कल्पना कर मैं मुठ मारा करता था. एकदम चिकनी और मांसल. जिन पर हलके हलके दांत गरा कर काटते हुए जीभ से चाटा जाये तो ऐसा अनोखा मजा आएगा की बयान नहीं किया जा सकता. मॉम की जांघे मांसल होने के साथ सख्त और गठी हुई थी उनमे कही से भी थुलथुलापन नहीं था. इस समय मॉम की जांघे केले के पेड़ के चिकने तने की समान दिख रही थी. मैंने सोचा की जब हम केले पेड़ के तने को अगर काटते है या फिर उसमे कुछ घुसाते है तो एक प्रकार का रंगहीन तरल पदार्थ निकलता है शायद मॉम के जांघो को चूसने और चाटने पर भी वैसा ही रस निकलेगा. मेरे मुंह में पानी आ गया. लण्ड के सुपाड़े पर भी पानी आ गया था. में कसी हुईमॉम के चुत्तरों को ध्यान से देखने लगा.मॉम का हाथ इस समय अपनी कमर के पास था और उन्होंने अपने अंगूठे को पैंटी के इलास्टिक में फसा रखा था. मैं दम साधे इस बात का इन्तेज़ार कर रहा था की कब मॉम अपनी पैंटी को निचे की तरफ सरकाती है. पेटीकोट कमर के पास जहा से पैंटी की इलास्टिक शुरू होती है वही पर हाथो के सहारे रुका हुआ था.मॉम ने अपनी पैंटी को निचे सरकाना शुरू किया और उसी के साथ ही पेटीकोट भी निचे की तरफ सरकता चला गया. ये सब इतनी तेजी से हुआ की मॉम के चुत्तर देखने की हसरत दिल में ही रह गई.मॉम ने अपनी पैंटी निचे सरकाई और उसी साथ पेटीकोट भी निचे आ कर उनके चुत्तरों और जांघो को ढकता चला गया. अपनी पैंटी उतार उसको ध्यान से देखने लगी पता नहीं क्या देख रही थी. छोटी सी पैंटी थी, पता नहीं कैसे उसमे मॉम के इतने बड़े चुत्तर समाते है. मगर शायद यह प्रश्न करने का हक मुझे नहीं था क्यों की अभी एक क्षण पहले मेरी आँखों के सामने ये छोटी सी पैंटी मॉम के विशाल और मांसल चुत्तरों पर अटकी हुई थी. कुछ देर तक उसको देखने के बाद वो फिर से निचे बैठ गई और अपनी पैंटी साफ़ करने लगी. फिर थोड़ी देर बाद ऊपर उठी और अपने पेटीकोट के नाड़े को खोल दिया. मैंने दिल थाम कर इस नज़ारे का इन्तेज़ार कर रहा था. कब मॉम अपने पेटीकोट को खोलेंगी और अब वो क्षण आ गया था. लौड़े को एक झटका लगा और मॉम के पेटीकोट खोलने का स्वागत एक बार ऊपर-निचे होकर किया. मैंने लण्ड को अपने हाथ से पकर दिलासा दिया. नाड़ा खोल मॉम ने आराम से अपने पेटीकोट को निचे की तरफ धकेला पेटीकोट सरकता हुआ धीरे-धीरे पहले उसके तरबूजे जैसे चुत्तरो से निचे उतरा फिर जांघो और पैर से सरक निचे गिर गया. मॉम वैसे ही खड़ी रही. इस क्षण मुझे लग रहा था जैसे मेरा लण्ड पानी फेंक देगा. मुझे समझ में नहीं आ रहा था मैं क्या करू. मैंने आज तक जितनी भी फिल्में और तस्वीरे देखी थी नंगी लड़कियों की वो सब उस क्षण में मेरी नजरो के सामने गुजर गई और मुझे यह अहसास दिला गई की मैंने आज तक ऐसा नज़ारा कभी नहीं देखा. वो तस्वीरें वो लड़कियाँ सब बेकार थी. उफ़ मॉम पूरी तरह से नंगी हो गई थी. हालाँकि मुझे केवल उनके पिछले भाग का नज़ारा मिल रहा था, फिर भी मेरी हालत ख़राब करने के लिए इतना ही काफी था. गोरी चिकनी पीठ जिस पर हाथ डालो तो सीधा फिसल का चुत्तर पर ही रुकेंगी. पीठ के ऊपर काला तिल, दिल कर रहा था आगे बढ़ कर उसे चूम लू. रीढ़ की हड्डियों की लाइन पर अपने तपते होंठ रख कर चूमता चला जाऊ. पीठ पीठ इतनी चिकनी और दूध की धुली लग रही थी की नज़र टिकाना भी मुश्किल लग रहा था. तभी तो मेरी नज़र फिसलती हुई मॉम के चुत्तरो पर आ कर टिक गई. ओह, मैंने आज तक ऐसा नहीं देखा था. गोरी चिकनी चुत्तर. गुदाज और मांसल. मांसल चुत्तरों के मांस को हाथ में पकर दबाने के लिए मेरे हाथ मचलने लगे. मॉम के चुत्तर एकदम गोरे और काफी विशाल थे. उनके शारीरिक अनुपात में, पतली कमर के ठीक निचे मोटे मांसल चुत्तर थे. उन दो मोटे मोटे चुत्तरों के बीच ऊपर से निचे तक एक मोटी लकीर सी बनी हुई थी. ये लकीर बता रही थी की जब मॉम के दोनों चुत्तरों को अलग किया जायेगा तब उनकी गांड देखने को मिल सकती है या फिर यदि मॉम कमर के पास से निचे की तरफ झुकती है तो चुत्तरों के फैलने के कारण गांड के सौंदर्य का अनुभव किया जा सकता है. तभी मैंने देखा की मॉम अपने दोनों हाथो को अपनी जांघो के पास ले गई फिर अपनी जांघो को थोड़ा सा फैलाया और अपनी गर्दन निचे झुका कर अपनी जांघो के बीच देखने लगी शायद वो अपनी चूत देख रही थी. मुझे लगा की शायद मॉम की चूत के ऊपर भी उसकी कान्खो की तरह से बालों का घना जंगल होगा और जरुर वो उसे ही देख रही होंगी. वो फिर से निचे बैठ गई और अपने पेटीकोट और पैंटी को साफ़ करने लगी. मैंने अपने लौड़े को आश्वाशन दिया की घबराओ नहीं कपरे साफ़ होने के बाद और भी कुछ देखने को मिल सकता है. ज्यादा नहीं तो फिर से मॉम के नंगे चुत्तर, पीठ और जांघो को देख कर पानी गिरा लेंगे.
करीब पांच-सात मिनट के बाद वो फिर से खड़ी हो गई. लौड़े में फिर से जान आ गई. मॉम इस समय अपनी कमर पर हाथ रख कर खड़ी थी. फिर उसने अपने चुत्तर को खुजाया और सहलाया फिर अपने दोनों हाथों को बारी बारी से उठा कर अपनी कान्खो को देखा और फिर अपने जांघो के बीच झाँकने के बाद फर्श पर परे हुए कपड़ो को उठाया. यही वो क्षण था जिसका मैं काफी देर से इन्तेज़ार कर रहा था. फर्श पर पड़े हुए कपड़ो को उठाने के लिए मॉम निचे झुकी और उनके चुत्तर
की होल के बीच बने गैप के सामने आ गए. निचे झुकने के कारण उनके दोनों चुत्तर अपने आप अलग हो गए और उनके बीच की मोटी लकीर अब मॉम की गहरी गांड में बदल गई. दोनों चुत्तर बहुत ज्यादा अलग नहीं हुए थे मगर फिर भी इतने अलग तो हो चुके थे की उनके बीच की गहरी खाई नज़र आने लगी थी. देखने से ऐसा लग रहा था जैसे किसी बड़े खरबूजे को बीच से काट कर थोड़ा सा अलग करके दो खम्भों के ऊपर टिका कर रख दिया गया है. मॉम वैसे ही झुके हुए बाल्टी में कपड़ो को डाल कर खंगाल रही थी और बाहर निकाल कर उनका पानी निचोड़ रही थी. ताकत लगाने के कारण मॉम के चुत्तर और फ़ैल गए और गोरी चुत्तरों के बीच की गहरी भूरे रंग की गांड की खाई पूरी तरह से नज़र आने लगी.मॉम की गांड की खाई एक दम चिकनी थी. गांड के छेद के आस-पास भी बाल उग जाते है मगर मॉम के मामले में ऐसा नहीं था उसकी गांड, जैसा की उसका बदन था, की तरह ही मलाई के जैसी चिकनी लग रही थी. झुकने के कारण चुत्तरों के सबसे निचले भाग से जांघो के बीच से मॉम की चूत के बाल भी नजर आ रहे थे.. चुत्तरो की खाई में काफी निचे जाकर जहा चूत के बाल थे उनसे थोड़ा सा ऊपर मॉम की गांड की सिकुरी हुई भूरे रंग की छेद थी. ऊँगली के अगले सिरे भर की बराबर की छेद थी. किसी फूल की तरह से नज़र आ रही थी. मॉम के एक दो बार हिलने पर वो छेद हल्का सा हिला और एक दो बार थोड़ा सा फुला-पिचका. ऐसा क्यों हुआ मेरी समझ में नहीं आया मगर इस समय मेरा दिल कर रहा था की मैं अपनी ऊँगली को मॉम की गांड की खाई में रख कर धीरे-धीरे चलाऊ और उसके भूरे रंग की दुप-दुपाती छेद पर अपनी ऊँगली रख हलके-हलके दबाब दाल कर गांड की छेद की मालिश करू. उफ़ कितना मजा आएगा अगर एक हाथ से चुत्तर को मसलते हुए दुसरे हाथ की ऊँगली को गांड की छेद पर डाल कर हलके-हलके कभी थोड़ा सा अन्दर कभी थोड़ा सा बाहर कर चलाया जाये तो. पूरी ऊँगली मॉम की गांड में डालने से उन्हें दर्द हो सकता था इसलिए पूरी ऊँगली की जगह आधी ऊँगली या फिर उस से भी कम डाल कर धीरे धीरे गोल-गोल घुमाते हुए अन्दर-बाहर करते हुए गांड की फूल जैसी छेद ऊँगली से हलके-हलके मालिश करने में बहुत मजा आएगा. इस कल्पना से ही मेरा पूरा बदन सिहर गया.मॉम की गांड इस समय इतनी खूबसूरत लग रही थी की दिल कर रहा थी अपने मुंह को उसके चुत्तरों के बीच घुसा दू और उसकी इस भूरे रंग की सिकुरी हुई गांड की छेद को अपने मुंह में भर कर उसके ऊपर अपना जीभ चलाते हुए उसके अन्दर अपनी जीभ डाल दू. उसके चुत्तरो को दांत से हलके हलके काट कर खाऊ और पूरी गांड की खाई में जीभ चलाते हुए उसकी गांड चाटू. पर ऐसा संभव नहीं था. मैं इतना उत्तेजित हो चूका था की लण्ड किसी भी समय पानी फेंक सकता था. लौड़ा अपनी पूरी औकात पर आ चूका था और अब दर्द करने लगा था. अपने अंडकोष को अपने हाथो से सहलाते हुए हलके से सुपाड़े को दो उँगलियों के बीच दबा कर अपने आप को सान्तवना दिया.
सारे कपड़े अब खंगाले जा चुके थे.मॉम सीधी खड़ी हो गई और अपने दोनों हाथो को उठा कर उसने एक अंगराई ली और अपनी कमर को सीधा किया फिर दाहिनी तरफ घूम गई. मेरी किस्मत शायद आज बहुत अच्छी थी. दाहिनी तरफ घूमते ही उसकी दाहिनी चूची जो की अब नंगी थी मेरी लालची आँखों के सामने आ गई. उफ़ अभी अगर मैं अपने लण्ड को केवल अपने हाथ से छू भर देता तो मेरा पानी निकल जाता. चूची का एक ही साइड दिख रहा था. मॉम की चूची एक दम ठस सीना तान के खड़ी थी. ब्लाउज के ऊपर से देखने पर मुझे लगता तो था की उनकी चूचियां सख्त होंगी मगर उनकी चुचियों में कोई ढलकाव नहीं आया था. मॉम के मस्त बोबे किसी भी १६-१७
साल की लौंडिया के दिल में जलन पैदा कर सकती थी. जलन तो मेरे दिल में भी हो रही थी इतनी अच्छी चुचियों मेरी किस्मत में क्यों नहीं है. चूची एकदम दूध के जैसी गोरे रंग की थी. चूची का आकार ऐसा था जैसे किसी मध्यम आकार के कटोरे को उलट कर मॉम की छाती से चिपका दिया गया हो और फिर उसके ऊपर किशमिश के एक बड़े से दाने को डाल दिया गया हो. मध्यम आकार के कटोरे से मेरा मतलब है की अगर मॉम की चूची को मुट्ठी में पकड़ा जाये तो उसका आधा भाग मुट्ठी से बाहर ही रहेगा. चूची का रंग चूँकि हद से ज्यादा गोरा था इसलिए हरी हरी नसे उस पर साफ़ दिखाई पर रही थी, जो की चूची की सुन्दरता को और बढा रही थी. साइड से देखने के कारण चूची के निप्पल वन-डायेमेन्शन में नज़र आ रहे थे. सामने से देखने पर ही थ्री-डायेमेन्शन में नज़र आ सकते थे. तभी उनकी लम्बाई, चौड़ाई और मोटाई का सही मायेने में अंदाज लगाया जा सकता था मगर क्या कर सकता था मजबूरी थी मैं साइड व्यू से ही काम चला रहा था. निप्पलों का रंग गुलाबी था, पर हल्का भूरापन लिए हुए था. बहुत ज्यादा बड़ा तो नहीं था मगर एक दम छोटा भी नहीं था किशमिश से बड़ा और चॉकलेट से थोड़ा सा छोटा. मतलब मुंह में जाने के बाद चॉकलेट और किशमिश दोनों का मजा देने वाला. दोनों होंठो के बीच दबा कर हलके-हलके दबा-दबा कर दांत से काटते हुए अगर चूसा जाये तो बिना चोदे झर जाने की पूरी सम्भावना थी \अब मॉम ने
दाहिनी तरफ घूम कर आईने में अपने दाहिने हाथ को उठा कर देखा फिर बाएं हाथ को उठा कर देखा. फिर अपनी गर्दन को झुका कर अपनी जांघो के बीच देखा. फिर वापस नल की तरफ घूम गई और खंगाले हुए कपरों को वही नल के पास बनी एक खूंटी पर टांग दिया और फिर नल खोल कर बाल्टी में पानी भरने लगी. मैं समझ गया की मॉम अब शायद नहाना शुरू करेंगी. मैंने पूरी सावधानी के साथ अपनी आँखों को की होल के गैप में लगा दिया. मग में पानी भर कर मॉम थोड़ा सा झुक गई और पानी से पहले अपने बाएं हाथ फिर दाहिनी हाथ के कान्खो को धोया. पीछे से मुझे कुछ दिखाई नहीं पर रहा था मगर. मॉम ने पानी से अच्छी तरह से धोने के बाद कान्खो को अपने हाथो से छू कर देखा. फिर उन्होंने अपना ध्यान अब अपनी जांघो के बीच लगा दिया. दाहिने हाथ से पानी डालते हुए अपने बाएं हाथ को अपनी जांघो बीच ले जाकर धोने लगी. हाथों को धीरे धीरे चलाते हुए जांघो के बीच के बालों को धो रही थी. मैं सोच रहा था की काश इस समय वो मेरी तरफ घूम कर ये सब कर रही होती तो कितना मजा आता. मॉम की चुत के बारे में ये सोच का बदन में झन-झनाहट होने लगी. पानी से अपने जन्घो के बीच साफ़ कर लेने के बाद मॉम ने अब नहाना शुरू कर दिया. अपने कंधो के ऊपर पानी डालते हुए पुरे बदन को भीगा दिया. बालों के जुड़े को खोल कर उनको गीला कर शैंपू लगाने लगी.मॉम का बदन भीग जाने के बाद और भी खूबसूरत और मदमस्त लगने लगा था. बदन पर पानी पड़ते ही एक चमक सी आ गई थी मॉम के बदन में. शैंपू से खूब सारा झाग बना कर अपने बालों को साफ़ कर रही थी. बालो और गर्दन के पास से शैंपू मिला हुआ मटमैला पानी उनकी गर्दन से बहता हुआ उनकी पीठ पर चुते हुए निचे की तरफ गिरता हुआ कमर के बाद सीधा दोनों चुत्तरों के बीच यानी की उनके बीच की दरार जो कीमॉम की गांड थी में घुस रहा था. क्योंकि ये पानी शैंपू लगाने के कारण झाग से मिला हुआ था और बहुत कम मात्रा में था इसलिए गांड की दरार में घुसने के बाद कहा गायब हो जा रहा था ये मुझे नहीं दिख रहा था. अगर पानी की मात्रा ज्यादा होती तो फिर वो वहां से निकल कर जांघो के अंदरूनी भागो से ढुलकता हुआ निचे गिर जाता. बालों में अच्छी तरह से शैंपू लगा लेने के बाद बालों को लपेट कर एक गोला सा बना कर गर्दन के पास छोड़ दिया और फिर अपने कंधो पर पानी डाल कर अपने बदन को फिर से गीला कर लिया. गर्दन और पीठ पर लगा हुआ शैंपू मिला हुआ मटमैला पानी भी धुल गया था. फिर उन्होंने एक स्पोंज के जैसी कोई चीज़ रैक पर से उठा ली और उस से अपने पुरे बदन को हलके-हलके रगरने लगी. पहले अपने हाथो को रगरा फिर अपनी छाती को फिर अपनी पीठ को फिर बैठ गई. निचे बैठने पर मुझे केवल गर्दन और उसके निचे का कुछ हिस्सा दिख रहा था. पर ऐसा लग रहा था जैसे वो निचे बैठ कर अपने पैरों को फैला कर पूरी तरह से रगर कर साफ़ कर रही थी क्योंकि उनका शरीर हिल रहा था. थोरी देर बाद खड़ी हो गई और अपने जांघो को रगरना शुरू कर दिया. मैं सोचने लगा की फिर निचे बैठ कर क्या कर रही थी. फिर दिमाग में आया की हो सकता है अपने पैर के तलवे और उँगलियों को रगर कर साफ़ कर रही होंगी. अब वो अपने जांघो को रगर रगर कर साफ़ कर रही थी और फिर अपने आप को थोड़ा झुका कर अपनी दोनों जांघो को फैलाया और फिर स्पोंज को दोनों जांघो के बीच ले जाकर जांघो के अंदरूनी भाग और रान को रगरने लगी. पीछे से देखने पर लग रहा था जैसे वो जांघो को जोर यानि जहाँ पर जांघ और पेट के निचले हिस्से का मिलन होता और जिसके बीच में चूत होती है को रगर कर साफ़ करते हुए हलके-हलके शायद अपनी चूत को भी रगर कर साफ़ कर रही थी ऐसा मेरा सोचना है. वैसे चुत जैसी कोमल चीज़ को हाथ से रगर कर साफ़ करना ही उचित होता. वाकई ऐसा था या नहीं मुझे नहीं पता, पीछे से इस से ज्यादा पता भी नहीं चल सकता था. थोड़ी देर बाद थोड़ा और झुक कर घुटनों तक रगर कर फिर सीधा हो कर अपने हाथों को पीछे ले जाकर अपने चुत्तरों को रगरने लगी. वो थोड़ी-थोड़ी देर में अपने बदन पर पानी डाल लेती थी जिस से शरीर का जो भाग सुख गया होता वो फिर से गीला हो जाता था और फिर उन्हें रगरने में आसानी होती थी. चुत्तरों को भी इसी तरह से एक बार फिर से गीला कर खूब जोर जोर से रगर रही थी. चुत्तरों को जोर से रगरने से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला था क्योंकि वहां का मांस बहुत मोटा था, पर जोर से रगरने के कारण लाल हो गया था और थल-थलाते हुए हिल रहा था. मेरे हाथों में खुजली होने लगी थी और दिल कर रहा था की थल-थलाते हुए चुत्तरों को पकड़ कर मसलते हुए हलके-हलके मारते हुए खूब हिलाउ. चुत्तारों को रगरने के बाद मॉम ने स्पोंज को दोनों चुत्तरों की दरार के ऊपर रगरने लगी फिर थोड़ा सा आगे की तरफ झुक गैई जिस से उसके चुत्तर फ़ैल गए. फिर स्पोंज को दोनों चुत्तरों के बीच की खाई में डाल कर रगड़ने लगी. कोमल गांड की फूल जैसी छेद शायद रगड़ने के बाद लाल हो गुलाब के फूल जैसी खिल जायेगी. ये सोच कर मेरे मन में मॉम की गांड देखने की तीव्र इच्छा उत्पन्न हो गई. मन में आया की इस लकड़ी की दिवार को तोड़ कर सारी दुरी मिटा दू, मगर, सोचने में तो ये अच्छा था, सच में ऐसा करने की हिम्मत मेरी गांड में नहीं थी.
स्पोंज से अपने बदन को रगड़ने के बाद. वापस स्पोंज को रैक पर रख दिया और मग से पानी लेकर कंधो पर डालते हुए नहाने लगी. मात्र स्पोंज से सफाई करने के बाद ही मॉम का पूरा बदन चम-चमाने लगा था. पानी से अपने पुरे बदन को धोने के बाद मॉम ने अपने शैंपू लगे बालों का गोला खोला और एक बार फिर से कमर के पास से निचे झुक गई और उनके चुत्तर फिर से लकड़ी के पट्टो के बीच बने गैप के सामने आ गए. इस बार उनके गोरे चम-चमाते चुत्तरों के बीच की चमचमाती खाई के आलावा मुझे एक और चीज़ के दिखने को मिल रही थी. वो क्या थी इसका अहसास मुझे थोड़ी देर से हुआ. गांड की सिकुरी हुई छेद से करीब चार अंगुल भर की दूरी पर निचे की तरफ एक लम्बी लकीर सी नज़र आ रही थी. मैं ये देख कर ताज्जुब में पर गया, पर तभी ख्याल आया की ये तो शायद चूत है. पहले ये लकीर इसलिए नहीं नज़र आ रही थी क्योंकि यहाँ पर झान्ट के बाल थे,जब झांटो की सफाई कर दी तो चूत की लकीर स्पष्ट दिखने लगी. इस बात का अहसास होते ही की मैं अपनी मॉमकी चूत देख रहा हूँ, मुझे लगा जैसे मेरा कलेजा मुंह को आ जायेगा और फिर से मेरा गला सुख गया और पैर कांपने लगे. इस बार शायद मेरे लण्ड से दो बूँद टपक कर निचे गिर भी गया पर मैंने इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया. लण्ड भी मारे उत्तेजना के काँप रहा था. बाथरूम में वैसे तो लाइट आँन थी मगर मॉम की पीठ की तरफ रोशनी कम थी. फिर भी दोनों मोटी जांघो के बीच ऊपर की तरफ चुत्तरों की खाई के ठीक निचे एक गुलाबी लकीर सी दिख रही थी. पट्टो के बीच से देखने से ऐसा लग रहा था जैसे सेब या पके हुए पपीते के आधे भाग को काट कर फिर से आपस में चिपका कर दोनों जांघो के बीच फिट कर दिया गया है. मतलब रेनू की चूत ऐसी दिख रही थी जैसे सेब को चार भागो में काट कर फिर दो भागो को आपस में चिपका कर गांड के निचे लगा दिया गया हो. कमर या चुत्तरों के इधर-उधर होने पर दोनों फांकों में भी हरकत होती थी और ऐसा लगता जैसे कभी लकीर टेढी हो गई है कभी लकीर सीधी हो गई है. जैसे चूत के दोनों होंठ कभी मुस्कुरा रहे है कभी नाराज़ हो रहे है. दोनों होंठ आपस में एक दुसरे से एक दम सटे हुए दिख रहे थे. होंठो के आपस में सटे होने के मतलब बाद में समझ में आया की ऐसा चूत के बहुत ज्यादा टाइट होने के कारण था. दोनों फांक एक दम गुलाबी और पावरोटी के जैसे फूले हुए थे. मेरे मन में आया की काश मैं चूत की लकीर पर ऊपर से निचे तक अपनी ऊँगली चला और हलके से दोनों फांकों को अलग कर के देख पाता की कैसी दिखती है, दोनों गुलाबी होंठो के बीच का अंदरूनी भाग कैसा है मगर ये सपना ही रह गया.मॉम के बाल धुल चुके थे और वो सीधी खड़ी हो गई.
बालो को अच्छी तरह से धोने के बाद फिर से उनका गोला बना कर सर के ऊपर बाँध लिया और फिर अपने कंधो पर पानी डाल कर अपने आप को फिर से गीला कर पुरे बदन पर साबुन लगाने लगी. पहले अपने हाथो पर अच्छी तरह से साबुन लगाया फिर अपने हाथो को ऊपर उठा कर वो दाहिनी तरफ घूम गई और अपने कान्खो को आईने में देख कर उसमे साबुन लगाने लगी.
गोरी, गुलाबी और चिकनी हो गई थी. जीभ लगा कर चाटो तो जीभ फिसल जाये ऐसी चिकनी लग रही थी.मॉम ने खूब सारा साबुन अपनी कान्खो में लगाया और फिर वैसे ही अपनी छाती पर रगर-रगर कर साबुन लगाने लगी. छाती पर साबुन का खूब सारा झाग उत्पन्न हो रहा था. मॉम का हाथ उसमे फिसल रहा था और वो अपनी ही चुचियों के साथ खिलवार करते हुए साबुन लगा रही थी. कभी निप्पल को चुटकियों में पकर कर उन पर साबुन लगाती कभी पूरी चूची को दोनों हाथो की मुट्ठी में कस कर साबुन लगाती. साबुन लगाने के कारण मॉम की चूची हिल रही थी और थलथला रही थी. चुचियों के हिलने का नज़ारा लण्ड को बेकाबू करने के लिए काफी था. तभी मॉम वापस नल की तरफ घूम गई और फिर निचे झुक कर पैरों पर साबुन लगाने के बाद सीधा हो कर अपनी जांघो पर साबुन लगाने लगी. दोनों जांघो पर साबुन लगाने के बाद अपने हाथो में ढेर सारा साबुन का झाग बना कर अपनी जांघो को फैला कर उनके बीच अपने हाथों को घुसा दिया. हाथ चलाते हुए अपनी चूत पर साबुन लगाने लगी. अच्छी तरह से चूत पर साबुन लगा लेने के बाद जैसा की मैंने सोचा था गांड की बारी आई और फिर पहले अपने चुतरों पर साबुन लगा लेने के बाद अपने हाथो में साबुन का ढेर सारा झाग बना कर अपने हाथो को चुत्तरों की दरार में घुसा दिया और ऊपर से निचे चलाती हुई अपनी गांड की खाई को रगरते हुए उसमे साबुन लगाने लगी. गांड में साबुन लगाने से भी खूब सारा झाग उत्पन्न हो रहा था. खूब अच्छी तरह से साबुन लगा लेने के बाद. नल खोल कर मग से पानी उठा-उठा कर मॉम ने अपना बदन धोना शुरू कर दिया. पानी धीरे-धीरे साबुन को धो कर निचे गिराता जा रहा था और उसी के साथ मॉम के गोरे बदन की सुन्दरता को भी उजागर करता जा रहा था. साबुन से धुल जाने के बाद मॉमका गोरा बदन एक दम ढूध का धुला लग रहा था. जैसे बाथरूम के उस अंधियारे में चांदनी रौशन हो गई थी. ऊपर से निचे तक मॉम का पूरा बदन चम-चमा रहा था. मेरी आंखे चुंधिया रही थी और मैं अपनी आँखों को फार कर ज्यादा से ज्यादा उसके मद भरे यौवन का रस अपनी आँखों से पी जाना चाहता था. मेरे पैर थक चुके थे और कमर अकड़ चूँकि थी मगर फिर भी मैं वह से हिल नहीं पा रहा था. अपने पुरे बदन को धो लेने के बाद मॉम ने खूंटी पर टंगा तौलिया उतारा और अपने बदन को पोछने लगी. पुरे बदन को तौलिये से हौले-हौले दबा कर पोछने के बाद अपने सर को बालों को तौलिये से हल्के से पोछा और तौलिये को बालों में लपेट कर एक गोला बना दिया. फिर दाहिनी तरफ घूम कर आईने के सामने आ गई. दाहिनी चूची जो की मुझे इस समय दिख रही थी थोड़ी लाल या फिर कहे तो गुलाबी लग रही थी. ऐसा शायद रगर का सफाई करने के कारण हुआ होगा, निप्पल भी थोड़ी काली लग रही थी ऐसा शायद उनमे खून भर जाने के कारण हुआ होगा.मॉम ने अपने आप को आईने अच्छी तरह से देखा फिर अपने दोनों हाथो को उठा कर बारी-बारी से अपनी कान्खो को देखा और सुंघा भी, फिर अपने दोनों जांघो के बीच अच्छी तरह से देखा, अपने चेहरे का हर कोण से अच्छी तरह से आईने में देखा और फिर अपनी नजरो को निचे ले जा कर अपने पैरों आदि को देखने लगी. मैं समझ गया की अब मॉम बाहर निकलेंगी. इस से पहले की वो बाहर निकले मुझे चुप चाप निकल जाना चाहिए,में उठा और बिस्टर पर जाकर लेट गया मॉम बाथरूम से निकली और सीधे सामने अपने कमरे में चल गयी
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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