FUN-MAZA-MASTI
सौतेला बाप--26
अब आगे
*********
और कुछ ही देर मे रघु अपने दोनो साथियों के साथ वहाँ आ पहुँचा..उन्होने विक्की को अकेला वहाँ देखा और भागकर उसके पास आए..
और अगले ही पल सभी ठहाका मारकर हँसने लगे..वो सभी एक दूसरे से गले मिलकर अपनी खुशी जाहिर कर रहे थे...
रघु : "साले ...आज तो तूने मेरा सिर ही फोड़ डालना था...मैने तो अपने सिर पर नकली खून की थेली फोड़ डाली थी..फिर भी तू उसमे से असली मे खून निकालने को लगा था...शायद मेडम को इंप्रेस करने के चक्कर मे अपने दोस्तो की जान सस्ती नज़र आ रही थी तुझे..''
विक्की : "साले, रबड़ की होक्की से भी कभी सर फटता है , हा हा हा ''
दरअसल ये सब विक्की और रघु की चाल थी...विक्की को भी नशे का चस्का था...वो अक्सर रात के समय उनके पास आकर नशा किया करता था, पैसों की कमी हमेशा रही थी विक्की को, इसलिए जब रश्मि उसके पास पहुँची तो उसके दिमाग़ मे ये प्लान बना, और उसने रघु को फोन करके सब समझा दिया..
बाद मे अपने दोस्तो के साथ मिलकर रश्मि को बचाने का नाटक भी किया ताकि वो उससे इंप्रेस हो जाए...पहले भी उसने कई बार ऐसा नाटक किया था..पर ज़्यादातर दिन के समय, क्योंकि कोइ भी भले घर की लड़की उसके साथ रात के समय ऐसी जगह पर नही आती..
पर रश्मि तो ऐसी फंसी हुई थी की वो रात के समय भी उसके साथ वहाँ आने के लिए तैयार हो गयी थी..और फिर वही हुआ जो रश्मि को दिखाया जा रहा था...उसे तो विक्की मे एक हीरो ही दिखा , जिसने अपने दोस्तों के साथ मिलकर,अपनी जान पर खेलकर, उसकी इज़्ज़त बचाई थी..
एक तो बेचारी पहले से ही अपनी बेटी के चक्कर को लेकर परेशान थी, उपर से विक्की के इस प्लान ने उसे भी अपने चुंगल मे ले लिया.
पर असली प्लान तो कुछ और ही था उनका..
विक्की बोला : "अच्छा , वो मोबाइल दिखा ज़रा, उसकी पिक्चर तो सही आई है ना...''
रघु के एक साथी ने अपना मोबाइल उसे दे दिया, विक्की ने जल्दी से उसकी फोटो गेलरी देखी, और वहाँ की पिक्चर्स देखकर उसका चेहरा खिल उठा...ये उन लोगो ने तब खींची थी जब रघु उसके कपड़े उतरवा रहा था...उसके मुम्मे चूस रहा था...उसकी चूत को अपने मुँह के उपर रखकर उसका रस्पान कर रहा था..
रात के समय भी उस केमरे ने ऐसी पिक्चर ली थी की उसकी क्वालिटी देखकर वो खुद हैरान रह गया..
विक्की : ''साले रघु, तूने तो आंटी को पूरा चूस डाला... ''
रघु खी खी करके हंसा और बोला : "लेकिन एक बात बोलू, साली माल बड़ी गजब की है...ऐसी चूत मैने आज तक नही चखी ...अब जल्दी से इसे अपने नीचे लाने का इंतज़ाम कर...''
विक्की मोबाइल को अपने हाथ मे लहराकर बोला : "अब तू देखता जा...मैं इस आंटी को कैसे नचाता हू...साली अपने साथ -2 अपनी बेटी को भी चुदवायेगी और पैसे भी बरसाएगी हमपर.... हा हा हा ''
और फिर से एक बार सभी दोस्त मिलकर हँसने लगे.
दूसरी तरफ रश्मि नहा धोकर अपने कमरे मे आ गयी...उसे तो रघु की दुर्गन्ध अभी तक अपने शरीर से आ रही थी..वो बिस्तर पर लेटकर सब कुछ दोबारा सोचने लगी...और विक्की के बारे मे सोचकर उसके होंठों पर एक प्यारी सी हँसी भी आ गयी...
तभी बाहर से समीर की कार के रुकने की आवाज़ आई...वो दौड़कर बालकनी मे गयी..दोनो बाप बेटी हाथों मे हाथ डाले , एक दूसरे से चिपके अंदर आ रहे थे...
रश्मि उनके प्यार को देखकर बहुत खुश हुई..
पर उसे क्या पता था की आज शाम से लेकर अब तक उनके बीच क्या - क्या हुआ है..
काव्या जब अपने पापा के ऑफिस पहुँची तो उसके लगभग 20 मिनट के बाद ही समीर अपनी सौतेली बेटी (जो अब उसको जान से प्यारी लगने लगी थी) के साथ अपनी कार मे बैठकर शॉपिंग के लिए निकल पड़ा.
रास्ते मे काव्या के मन मे अपनी सहेली श्वेता की कही हुई बातें गूँज रही थी..
उसके साथ बात करते हुए श्वेता ने उससे कहा था की मर्द को जितना तरसाएगी, उसके साथ चुदाई मे उतना ही मज़ा मिलेगा..उसने जिस तरह अपने भाई नितिन को रोज अपना शरीर धीरे-2 दिखा कर तरसाया था..और जिस तरह से वो धीरे-2 आगे बड़ी थी, वो उसको भी काफ़ी पसंद आया था, क्योंकि जिस तरह लास्ट मे जब दोनो के सब्र का बाँध टूट गया था तो उसके बाद की पहली चुदाई श्वेता को आज तक नही भूली, हालाँकि उसके बाद भी वो अक्सर नितिन से चुदवाती रहती है, पर इतने दिनों तक तरसाने के बाद की वो पहली चुदाई की कसक आज तक नही भूली थी...
और यही कसक काव्या भी महसूस करना चाहती थी..वैसे भी पहली चुदाई की कसक तो हर किसी को याद रहती है, पर अगर वो ललचा कर की जाए तो उसकी बात ही कुछ और होगी...
अपने बाप को अपनी तरफ आकर्षित करने मे तो वो कामयाब ही गयी थी, अब उसको तड़पाना था उसको...सही मायने मे कहा जाए तो उसको सिडयूस करना था...
काव्या ने आज एक छोटी सी स्कर्ट और टाइट टी शर्ट पहनी हुई थी..इसलिए कार मे बैठते ही वो थोड़ा और उपर जा चड़ी...और उसकी मोटी-2 दूधिया जांघे चमकने लगी..
बेचारे समीर की हालत खराब थी..लेग पीस तो हमेशा से उसकी कमज़ोरी रहे हैं, चाहे वो लेग मुर्गे की हो या किसी लड़की की..
उसकी मोटी-2 जांघे देखकर समीर का मन तो हुआ की उसपर हाथ रखकर ज़ोर से दबा दे...पर इतनी हिम्मत नही थी उसमे अभी..पर उसपर से नज़रे हटा कर वो सही से कार चला ही नही पा रहा था.
धीमी कार मे बैठी काव्या बाहर की तरफ देखकर अपना मुँह छिपा कर हंस रही थी...उसे पता था की वो जो दिखा रही है उसका क्या असर हो रहा है समीर के उपर...
तभी काव्या को एक आइस्क्रीम वाला दिखा और वो किसी बच्चे की तरहा चिल्लाई : "आइस्क्रीम....मुझे आइस्क्रीम खानी है...''
समीर ने मुस्कुराते हुए अपनी कार उस आइस्क्रीम वाले के पास रोक दी..वो काव्या की तरफ ही था, काव्या ने जैसे ही अपनी तरफ का शीशा नीचे किया ,वो आदमी भागता हुआ उनके पास आया..और लगभग अपना सिर उसने कार के अंदर ही डाल दिया,और जैसे ही उसने अंदर देखा, काव्या की मोटी-2 जांघे उसकी आँखो के बिल्कुल सामने थी..
समीर चिल्लाया : "अंदर ही घुस जाएगा क्या...''
वो सॉरी साहब बोलता हुआ बाहर हो गया...काव्या को अच्छा भी लगा, क्योंकि समीर उसके लिए पॉसेसिवनेस दिखा रहा था..और ये बात हर लड़की को पसंद आती है..
काव्या ने एक लंबी और गोल केन्डी आइस्क्रीम ले ली (शायद जान बूझकर) और फिर समीर ने गाड़ी आगे बड़ा दी..
काव्या उस आइस्क्रीम को खाने लगी...चूसने लगी...और उसके मज़े लेने लगी..वो अपनी आँखे बंद करते हुए उसको ऐसे चूस रही थी जैसे वो कोई लंड हो ... और मन ही मन वो उस पल को सोच रही थी जब असली मे उसने लोकेश अंकल का लंड चूसा था उनकी नाव पर...वो पल याद आते ही उसकी चूत मे जमी बर्फ की परत पिघलने लगी और गीलापन निकल कर बाहर आने लगा..
समीर की नज़र जब काव्या के चेहरे पर पड़ी तो वो भी चोंक गया, वो अपनी आँखे बंद करके उस आइस्क्रीम को जैसे चूस रही थी,सॉफ पता चल रहा था की वो लंड चूसने का तरीका है...उसकी जीभ लाल हो चुकी थी...जिसे वो आइस्क्रीम पर नीचे से उपर तक फिरा रही थी..ऐसा तो लंड चूसते हुए किया जाता है...तो क्या इसका मतलब काव्या लंड चूसना जानती है...पर लगता तो नही है...इतनी छोटी सी उम्र मे इसने कैसे इतनी अच्छी तरह से ये सब सीखा होगा...नही नही...ये शायद उसका वहां है...वो शायद आइस्क्रीम ऐसे ही खाती है..
एक साथ कई विचार कौंध रहे थे समीर के दिमाग़ मे...पर उसकी हरकत देखकर उसके लंड ने जो हाहाकार उसकी पेंट मे मचाया था वो सॉफ उजागर हो चुका था..उसने एक हाथ मे स्टेयरिंग पकड़े हुए दूसरे से अपनी पेंट को ठीक किया..
कुछ ही देर मे शॉपिंग माल आ गया, और दोनो कार पार्क करने के बाद अंदर आ गये..काव्या काफ़ी खुश थी आज..वो सीधा एक बड़े से शोरुम मे घुस गयी..और आनन फानन मे ही उसने 3 टी शर्ट्स ले ली...पेमेंट करने के बाद वो बाहर आ गये..और फिर एक जीन्स के शोरुम से काव्या ने अपने लिए एक जीन्स ली..और समीर को भी ज़बरदस्ती करवाकर जीन्स दिलवाई..
फिर कुछ देर के लिए दोनो ओपन मे बने हुए केफे मे बैठ गये और कॉफी पी और संडविच खाए..समीर को तो बस उस वक़्त का इंतजार था जब वो अंडरगार्मेंट्स के शोरुम मे जाएँगे..जो सेकेंड फ्लोर पर था..
वहाँ से निपटने के बाद समीर जल्दी-2 उपर की तरफ चलने लगा...काव्या भी उसकी जल्दबाज़ी देखकर मुस्कुरा रही थी...समीर सीधा अंदर गया और वहाँ खड़ी लड़की से काव्या के लिए कुछ इंपॉर्टेंट ब्रा और पेंटी दिखाने के लिए कहा..
वो लड़की पहले तो दोनो को देखने लगी फिर एकदम से पलटकर दूसरे सेक्षन की तरफ चल दी..समीर पहले भी वहाँ आ चुका था..काफ़ी पहले..अपनी पहली बीबी के साथ..इसलिए उस जगह की अहमियत और फेसिलिटी उसको पता थी..
पीछे की तरफ एक बड़ा सा कमरा था..जहाँ चारों तरफ शीचे लगे थे..और बीच मे एक आलीशान और गद्देदार सोफा...पूरा कमरा एसी चलने की वजह से चिल्ड हुआ पड़ा था..बीच मे एक ग्लास की टेबल भी थी..
समीर और कावा सोफे पर बैठ गये..वो इतना मुलायम था की काव्या की गांड तो पूरी तरह से अंदर धँस सी गयी..वो एक तरफ झुकती चली गयी और समीर के उपर जा गिरी...दोनो ने हंसते हुए एक दूसरे की तरफ देखा..और समीर ने काव्या को अपनी तरफ खींचकर बिठा लिया..काव्या भी अपनी छोटी सी ब्रेस्ट को समीर के बाजू मे घुसा कर चिपक कर बैठ गयी..
कुछ ही देर मे वो लड़की अपने हाथ मे काफ़ी सारी ब्रा-पेंटी के सेट लेकर आई और उन्हे सेंटर टेबल पर रख दिया..
फिर उसने एक रिमोट से सामने लगी बड़ी सी प्रोजेक्टर स्क्रीन चला दी, फिर उसने अपने हाथ मे एक सेट लिया और समीर और काव्या के सामने आकर खड़ी हो गयी..
उस लड़की का नाम कुसुम था, जो लगभग 22 साल की थी..मासूम सा चेहरा और बड़ी-2 ब्रेस्ट थी.
कुसुम : "सर ये इंपोर्टेड पीस है, इसमे टाई करने का और हुक करने का, दोनो ऑप्शन है..''
इतना कहकर उसने रिमोट से स्क्रीन ओन कर दिया और उसमे एक मॉडल ने सेम वही सेट पहना हुआ था, जो घूम-घूमकर उसकी फिटिंग दिखा रही थी..
समीर का लंड तो स्क्रीन पर दिख रही मॉडेल के फिगर को देखकर एकदम से खड़ा हो गया..
काव्या ने वो सेट अपने हाथ मे लिया और उसके कपड़े को अपनी उंगलियों से मसलकर देखने लगी..
कुसुम : "मेम ...हाथों मे लेने से कपड़े का पता नही चलता, हमारी ब्रेस्ट की स्किन ज़्यादा सेंसेटिवे होती है, असली मे तो वहीं लगा कर पता चलेगा की कैसी फील है इस कपड़े की..''
उसकी बात सुनकर काव्या शर्मा सी गयी...
समीर : "शायद ये सही कह रही है...तुम जाकर इसको ट्राइ कर सकती हो...''
काव्या : "अभी नही....और देखते हैं पहले ...''
कुसुम ने फिर से एक और सेट उठाया...ये भी इंपोर्टेड सेट था, जिसमे लाल रंग के दिल बने हुए थे..और पेंटी के बदले थोंग था..यानी पिछली तरफ एक महीन सा कपड़ा जो पहनने के बाद गांड की दीवारों मे घुसकर गायब ही हो जाए..
काव्या ने पहले कभी थोंग नही पहना था...इसलिए वो उसे काफ़ी गौर से देखने लगी..
कुसुम : "मेम आप इसका विसुअल देखिए...''
फिर से उसने स्क्रीन ओन कर दी, उसमे एक दूसरी मॉडेल ने वही सेट पहना हुआ था..समीर ने देखा की उस अँग्रेजन की मोटी सी गांड पूरी नंगी थी..क्योंकि पेंटी के नाम पर सिर्फ़ आगे की तरफ एक छोटा सा पैच ही तो था...
काव्या भी सोचने लगी की वो कैसे लगेगी उसे पहन कर...माना की उसकी ब्रेस्ट ज़्यादा बड़ी नही है..पर उसकी फेली हुई गांड तो पूरी नंगी होकर दिखेगी...
ये सोचते ही उसके दिल की धड़कन तेज होने लगी..
समीर ने अचानक वो थोंग काव्या के हाथ से ले लिया..और कुसुम को अपने पास बुलाया..और जैसे ही वो समीर के पास आई, समीर ने उसकी कमर पर हाथ रखकर उसकी गांड अपनी तरफ की और उसके पीछे वो थोंग लगा कर दिखाया..
काव्या को उम्मीद नही थी की उसके पापा ऐसी हरकत करेंगे और वो भी एक सेल्सगर्ल के साथ...पर कुसुम पर जैसे कोई असर ही नही हुआ...वो दूसरी तरफ मुँह करके खड़ी रही..
समीर : "देखो...ये ऐसे लगेगी...इसे भी तुम पहनकर देखना चाहो तो देख लो ...या फिर ये भी तुम्हे दिखा सकती है पहन कर..''
शायद ये उस हाइ प्रोफाइल शोरुम के कस्टमर का रोज का काम था...इसलिए समीर बड़ी ही आसानी से वो सब कर और कह रहा था.
काव्या : "क्या सच मे...ये मुझे पहन कर दिखा सकती है...''
कुसुम : "यस मेम ...पर इन्हे बाहर जाना होगा...''
शायद वो फेसिलिटी सिर्फ़ फीमेल कस्टमर्स के लिए ही थी...
उसकी बात सुनते ही काव्या एकदम से बोली : "ये क्यो जाएँगे...इनके बिना तो मैं कुछ भी नही खरीदूगी...आपने अगर दिखना है तो इनके सामने ही दिखाओ...वरना मुझे नही लेना यहाँ से कुछ..''
वो लड़की एकदम से घबरा गयी...शायद उसे भी अब तक पता चल चुका था की वो किस लेवल के कस्टमर्स है..उन्हे वापिस भेजने का मतलब हज़ारों रुपये का नुकसान और साथ ही उसके इन्सेंटिव का भी..
कुसुम : "ओक मेम ..आप कहती है तो ठीक है...मैं अभी इसे पहन कर आती हू..''
इतना कहकर वो उस सेट को लेकर चेंगिंग रूम मे चली गयी...और कुछ ही पल मे बाहर निकल कर आई..
उसे देखते ही काव्या के मुँह से सिर्फ़ एक ही शब्द निकला : "वाव ......सो सेक्सी....''
कुसुम को देखकर काव्या के मुँह से तो ये निकला, पर समीर का मुँह तो खुला का खुला ही रह गया...वो कुछ बोल ही नही पाया...कुसुम के मोटे-2 मुम्मे और पतली कमर के नीचे फैले हुए कूल्हे देखकर उसके मुँह से कुछ निकला ही नही..लंड और खड़ा हो गया.
समीर तो बस यही सोचे जा रहा था की ऐसा ही अगर चलता रहा तो वो कब तक अपने आप पर कंट्रोल कर पाएगा...
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सौतेला बाप--26
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और कुछ ही देर मे रघु अपने दोनो साथियों के साथ वहाँ आ पहुँचा..उन्होने विक्की को अकेला वहाँ देखा और भागकर उसके पास आए..
और अगले ही पल सभी ठहाका मारकर हँसने लगे..वो सभी एक दूसरे से गले मिलकर अपनी खुशी जाहिर कर रहे थे...
रघु : "साले ...आज तो तूने मेरा सिर ही फोड़ डालना था...मैने तो अपने सिर पर नकली खून की थेली फोड़ डाली थी..फिर भी तू उसमे से असली मे खून निकालने को लगा था...शायद मेडम को इंप्रेस करने के चक्कर मे अपने दोस्तो की जान सस्ती नज़र आ रही थी तुझे..''
विक्की : "साले, रबड़ की होक्की से भी कभी सर फटता है , हा हा हा ''
दरअसल ये सब विक्की और रघु की चाल थी...विक्की को भी नशे का चस्का था...वो अक्सर रात के समय उनके पास आकर नशा किया करता था, पैसों की कमी हमेशा रही थी विक्की को, इसलिए जब रश्मि उसके पास पहुँची तो उसके दिमाग़ मे ये प्लान बना, और उसने रघु को फोन करके सब समझा दिया..
बाद मे अपने दोस्तो के साथ मिलकर रश्मि को बचाने का नाटक भी किया ताकि वो उससे इंप्रेस हो जाए...पहले भी उसने कई बार ऐसा नाटक किया था..पर ज़्यादातर दिन के समय, क्योंकि कोइ भी भले घर की लड़की उसके साथ रात के समय ऐसी जगह पर नही आती..
पर रश्मि तो ऐसी फंसी हुई थी की वो रात के समय भी उसके साथ वहाँ आने के लिए तैयार हो गयी थी..और फिर वही हुआ जो रश्मि को दिखाया जा रहा था...उसे तो विक्की मे एक हीरो ही दिखा , जिसने अपने दोस्तों के साथ मिलकर,अपनी जान पर खेलकर, उसकी इज़्ज़त बचाई थी..
एक तो बेचारी पहले से ही अपनी बेटी के चक्कर को लेकर परेशान थी, उपर से विक्की के इस प्लान ने उसे भी अपने चुंगल मे ले लिया.
पर असली प्लान तो कुछ और ही था उनका..
विक्की बोला : "अच्छा , वो मोबाइल दिखा ज़रा, उसकी पिक्चर तो सही आई है ना...''
रघु के एक साथी ने अपना मोबाइल उसे दे दिया, विक्की ने जल्दी से उसकी फोटो गेलरी देखी, और वहाँ की पिक्चर्स देखकर उसका चेहरा खिल उठा...ये उन लोगो ने तब खींची थी जब रघु उसके कपड़े उतरवा रहा था...उसके मुम्मे चूस रहा था...उसकी चूत को अपने मुँह के उपर रखकर उसका रस्पान कर रहा था..
रात के समय भी उस केमरे ने ऐसी पिक्चर ली थी की उसकी क्वालिटी देखकर वो खुद हैरान रह गया..
विक्की : ''साले रघु, तूने तो आंटी को पूरा चूस डाला... ''
रघु खी खी करके हंसा और बोला : "लेकिन एक बात बोलू, साली माल बड़ी गजब की है...ऐसी चूत मैने आज तक नही चखी ...अब जल्दी से इसे अपने नीचे लाने का इंतज़ाम कर...''
विक्की मोबाइल को अपने हाथ मे लहराकर बोला : "अब तू देखता जा...मैं इस आंटी को कैसे नचाता हू...साली अपने साथ -2 अपनी बेटी को भी चुदवायेगी और पैसे भी बरसाएगी हमपर.... हा हा हा ''
और फिर से एक बार सभी दोस्त मिलकर हँसने लगे.
दूसरी तरफ रश्मि नहा धोकर अपने कमरे मे आ गयी...उसे तो रघु की दुर्गन्ध अभी तक अपने शरीर से आ रही थी..वो बिस्तर पर लेटकर सब कुछ दोबारा सोचने लगी...और विक्की के बारे मे सोचकर उसके होंठों पर एक प्यारी सी हँसी भी आ गयी...
तभी बाहर से समीर की कार के रुकने की आवाज़ आई...वो दौड़कर बालकनी मे गयी..दोनो बाप बेटी हाथों मे हाथ डाले , एक दूसरे से चिपके अंदर आ रहे थे...
रश्मि उनके प्यार को देखकर बहुत खुश हुई..
पर उसे क्या पता था की आज शाम से लेकर अब तक उनके बीच क्या - क्या हुआ है..
काव्या जब अपने पापा के ऑफिस पहुँची तो उसके लगभग 20 मिनट के बाद ही समीर अपनी सौतेली बेटी (जो अब उसको जान से प्यारी लगने लगी थी) के साथ अपनी कार मे बैठकर शॉपिंग के लिए निकल पड़ा.
रास्ते मे काव्या के मन मे अपनी सहेली श्वेता की कही हुई बातें गूँज रही थी..
उसके साथ बात करते हुए श्वेता ने उससे कहा था की मर्द को जितना तरसाएगी, उसके साथ चुदाई मे उतना ही मज़ा मिलेगा..उसने जिस तरह अपने भाई नितिन को रोज अपना शरीर धीरे-2 दिखा कर तरसाया था..और जिस तरह से वो धीरे-2 आगे बड़ी थी, वो उसको भी काफ़ी पसंद आया था, क्योंकि जिस तरह लास्ट मे जब दोनो के सब्र का बाँध टूट गया था तो उसके बाद की पहली चुदाई श्वेता को आज तक नही भूली, हालाँकि उसके बाद भी वो अक्सर नितिन से चुदवाती रहती है, पर इतने दिनों तक तरसाने के बाद की वो पहली चुदाई की कसक आज तक नही भूली थी...
और यही कसक काव्या भी महसूस करना चाहती थी..वैसे भी पहली चुदाई की कसक तो हर किसी को याद रहती है, पर अगर वो ललचा कर की जाए तो उसकी बात ही कुछ और होगी...
अपने बाप को अपनी तरफ आकर्षित करने मे तो वो कामयाब ही गयी थी, अब उसको तड़पाना था उसको...सही मायने मे कहा जाए तो उसको सिडयूस करना था...
काव्या ने आज एक छोटी सी स्कर्ट और टाइट टी शर्ट पहनी हुई थी..इसलिए कार मे बैठते ही वो थोड़ा और उपर जा चड़ी...और उसकी मोटी-2 दूधिया जांघे चमकने लगी..
बेचारे समीर की हालत खराब थी..लेग पीस तो हमेशा से उसकी कमज़ोरी रहे हैं, चाहे वो लेग मुर्गे की हो या किसी लड़की की..
उसकी मोटी-2 जांघे देखकर समीर का मन तो हुआ की उसपर हाथ रखकर ज़ोर से दबा दे...पर इतनी हिम्मत नही थी उसमे अभी..पर उसपर से नज़रे हटा कर वो सही से कार चला ही नही पा रहा था.
धीमी कार मे बैठी काव्या बाहर की तरफ देखकर अपना मुँह छिपा कर हंस रही थी...उसे पता था की वो जो दिखा रही है उसका क्या असर हो रहा है समीर के उपर...
तभी काव्या को एक आइस्क्रीम वाला दिखा और वो किसी बच्चे की तरहा चिल्लाई : "आइस्क्रीम....मुझे आइस्क्रीम खानी है...''
समीर ने मुस्कुराते हुए अपनी कार उस आइस्क्रीम वाले के पास रोक दी..वो काव्या की तरफ ही था, काव्या ने जैसे ही अपनी तरफ का शीशा नीचे किया ,वो आदमी भागता हुआ उनके पास आया..और लगभग अपना सिर उसने कार के अंदर ही डाल दिया,और जैसे ही उसने अंदर देखा, काव्या की मोटी-2 जांघे उसकी आँखो के बिल्कुल सामने थी..
समीर चिल्लाया : "अंदर ही घुस जाएगा क्या...''
वो सॉरी साहब बोलता हुआ बाहर हो गया...काव्या को अच्छा भी लगा, क्योंकि समीर उसके लिए पॉसेसिवनेस दिखा रहा था..और ये बात हर लड़की को पसंद आती है..
काव्या ने एक लंबी और गोल केन्डी आइस्क्रीम ले ली (शायद जान बूझकर) और फिर समीर ने गाड़ी आगे बड़ा दी..
काव्या उस आइस्क्रीम को खाने लगी...चूसने लगी...और उसके मज़े लेने लगी..वो अपनी आँखे बंद करते हुए उसको ऐसे चूस रही थी जैसे वो कोई लंड हो ... और मन ही मन वो उस पल को सोच रही थी जब असली मे उसने लोकेश अंकल का लंड चूसा था उनकी नाव पर...वो पल याद आते ही उसकी चूत मे जमी बर्फ की परत पिघलने लगी और गीलापन निकल कर बाहर आने लगा..
समीर की नज़र जब काव्या के चेहरे पर पड़ी तो वो भी चोंक गया, वो अपनी आँखे बंद करके उस आइस्क्रीम को जैसे चूस रही थी,सॉफ पता चल रहा था की वो लंड चूसने का तरीका है...उसकी जीभ लाल हो चुकी थी...जिसे वो आइस्क्रीम पर नीचे से उपर तक फिरा रही थी..ऐसा तो लंड चूसते हुए किया जाता है...तो क्या इसका मतलब काव्या लंड चूसना जानती है...पर लगता तो नही है...इतनी छोटी सी उम्र मे इसने कैसे इतनी अच्छी तरह से ये सब सीखा होगा...नही नही...ये शायद उसका वहां है...वो शायद आइस्क्रीम ऐसे ही खाती है..
एक साथ कई विचार कौंध रहे थे समीर के दिमाग़ मे...पर उसकी हरकत देखकर उसके लंड ने जो हाहाकार उसकी पेंट मे मचाया था वो सॉफ उजागर हो चुका था..उसने एक हाथ मे स्टेयरिंग पकड़े हुए दूसरे से अपनी पेंट को ठीक किया..
कुछ ही देर मे शॉपिंग माल आ गया, और दोनो कार पार्क करने के बाद अंदर आ गये..काव्या काफ़ी खुश थी आज..वो सीधा एक बड़े से शोरुम मे घुस गयी..और आनन फानन मे ही उसने 3 टी शर्ट्स ले ली...पेमेंट करने के बाद वो बाहर आ गये..और फिर एक जीन्स के शोरुम से काव्या ने अपने लिए एक जीन्स ली..और समीर को भी ज़बरदस्ती करवाकर जीन्स दिलवाई..
फिर कुछ देर के लिए दोनो ओपन मे बने हुए केफे मे बैठ गये और कॉफी पी और संडविच खाए..समीर को तो बस उस वक़्त का इंतजार था जब वो अंडरगार्मेंट्स के शोरुम मे जाएँगे..जो सेकेंड फ्लोर पर था..
वहाँ से निपटने के बाद समीर जल्दी-2 उपर की तरफ चलने लगा...काव्या भी उसकी जल्दबाज़ी देखकर मुस्कुरा रही थी...समीर सीधा अंदर गया और वहाँ खड़ी लड़की से काव्या के लिए कुछ इंपॉर्टेंट ब्रा और पेंटी दिखाने के लिए कहा..
वो लड़की पहले तो दोनो को देखने लगी फिर एकदम से पलटकर दूसरे सेक्षन की तरफ चल दी..समीर पहले भी वहाँ आ चुका था..काफ़ी पहले..अपनी पहली बीबी के साथ..इसलिए उस जगह की अहमियत और फेसिलिटी उसको पता थी..
पीछे की तरफ एक बड़ा सा कमरा था..जहाँ चारों तरफ शीचे लगे थे..और बीच मे एक आलीशान और गद्देदार सोफा...पूरा कमरा एसी चलने की वजह से चिल्ड हुआ पड़ा था..बीच मे एक ग्लास की टेबल भी थी..
समीर और कावा सोफे पर बैठ गये..वो इतना मुलायम था की काव्या की गांड तो पूरी तरह से अंदर धँस सी गयी..वो एक तरफ झुकती चली गयी और समीर के उपर जा गिरी...दोनो ने हंसते हुए एक दूसरे की तरफ देखा..और समीर ने काव्या को अपनी तरफ खींचकर बिठा लिया..काव्या भी अपनी छोटी सी ब्रेस्ट को समीर के बाजू मे घुसा कर चिपक कर बैठ गयी..
कुछ ही देर मे वो लड़की अपने हाथ मे काफ़ी सारी ब्रा-पेंटी के सेट लेकर आई और उन्हे सेंटर टेबल पर रख दिया..
फिर उसने एक रिमोट से सामने लगी बड़ी सी प्रोजेक्टर स्क्रीन चला दी, फिर उसने अपने हाथ मे एक सेट लिया और समीर और काव्या के सामने आकर खड़ी हो गयी..
उस लड़की का नाम कुसुम था, जो लगभग 22 साल की थी..मासूम सा चेहरा और बड़ी-2 ब्रेस्ट थी.
कुसुम : "सर ये इंपोर्टेड पीस है, इसमे टाई करने का और हुक करने का, दोनो ऑप्शन है..''
इतना कहकर उसने रिमोट से स्क्रीन ओन कर दिया और उसमे एक मॉडल ने सेम वही सेट पहना हुआ था, जो घूम-घूमकर उसकी फिटिंग दिखा रही थी..
समीर का लंड तो स्क्रीन पर दिख रही मॉडेल के फिगर को देखकर एकदम से खड़ा हो गया..
काव्या ने वो सेट अपने हाथ मे लिया और उसके कपड़े को अपनी उंगलियों से मसलकर देखने लगी..
कुसुम : "मेम ...हाथों मे लेने से कपड़े का पता नही चलता, हमारी ब्रेस्ट की स्किन ज़्यादा सेंसेटिवे होती है, असली मे तो वहीं लगा कर पता चलेगा की कैसी फील है इस कपड़े की..''
उसकी बात सुनकर काव्या शर्मा सी गयी...
समीर : "शायद ये सही कह रही है...तुम जाकर इसको ट्राइ कर सकती हो...''
काव्या : "अभी नही....और देखते हैं पहले ...''
कुसुम ने फिर से एक और सेट उठाया...ये भी इंपोर्टेड सेट था, जिसमे लाल रंग के दिल बने हुए थे..और पेंटी के बदले थोंग था..यानी पिछली तरफ एक महीन सा कपड़ा जो पहनने के बाद गांड की दीवारों मे घुसकर गायब ही हो जाए..
काव्या ने पहले कभी थोंग नही पहना था...इसलिए वो उसे काफ़ी गौर से देखने लगी..
कुसुम : "मेम आप इसका विसुअल देखिए...''
फिर से उसने स्क्रीन ओन कर दी, उसमे एक दूसरी मॉडेल ने वही सेट पहना हुआ था..समीर ने देखा की उस अँग्रेजन की मोटी सी गांड पूरी नंगी थी..क्योंकि पेंटी के नाम पर सिर्फ़ आगे की तरफ एक छोटा सा पैच ही तो था...
काव्या भी सोचने लगी की वो कैसे लगेगी उसे पहन कर...माना की उसकी ब्रेस्ट ज़्यादा बड़ी नही है..पर उसकी फेली हुई गांड तो पूरी नंगी होकर दिखेगी...
ये सोचते ही उसके दिल की धड़कन तेज होने लगी..
समीर ने अचानक वो थोंग काव्या के हाथ से ले लिया..और कुसुम को अपने पास बुलाया..और जैसे ही वो समीर के पास आई, समीर ने उसकी कमर पर हाथ रखकर उसकी गांड अपनी तरफ की और उसके पीछे वो थोंग लगा कर दिखाया..
काव्या को उम्मीद नही थी की उसके पापा ऐसी हरकत करेंगे और वो भी एक सेल्सगर्ल के साथ...पर कुसुम पर जैसे कोई असर ही नही हुआ...वो दूसरी तरफ मुँह करके खड़ी रही..
समीर : "देखो...ये ऐसे लगेगी...इसे भी तुम पहनकर देखना चाहो तो देख लो ...या फिर ये भी तुम्हे दिखा सकती है पहन कर..''
शायद ये उस हाइ प्रोफाइल शोरुम के कस्टमर का रोज का काम था...इसलिए समीर बड़ी ही आसानी से वो सब कर और कह रहा था.
काव्या : "क्या सच मे...ये मुझे पहन कर दिखा सकती है...''
कुसुम : "यस मेम ...पर इन्हे बाहर जाना होगा...''
शायद वो फेसिलिटी सिर्फ़ फीमेल कस्टमर्स के लिए ही थी...
उसकी बात सुनते ही काव्या एकदम से बोली : "ये क्यो जाएँगे...इनके बिना तो मैं कुछ भी नही खरीदूगी...आपने अगर दिखना है तो इनके सामने ही दिखाओ...वरना मुझे नही लेना यहाँ से कुछ..''
वो लड़की एकदम से घबरा गयी...शायद उसे भी अब तक पता चल चुका था की वो किस लेवल के कस्टमर्स है..उन्हे वापिस भेजने का मतलब हज़ारों रुपये का नुकसान और साथ ही उसके इन्सेंटिव का भी..
कुसुम : "ओक मेम ..आप कहती है तो ठीक है...मैं अभी इसे पहन कर आती हू..''
इतना कहकर वो उस सेट को लेकर चेंगिंग रूम मे चली गयी...और कुछ ही पल मे बाहर निकल कर आई..
उसे देखते ही काव्या के मुँह से सिर्फ़ एक ही शब्द निकला : "वाव ......सो सेक्सी....''
कुसुम को देखकर काव्या के मुँह से तो ये निकला, पर समीर का मुँह तो खुला का खुला ही रह गया...वो कुछ बोल ही नही पाया...कुसुम के मोटे-2 मुम्मे और पतली कमर के नीचे फैले हुए कूल्हे देखकर उसके मुँह से कुछ निकला ही नही..लंड और खड़ा हो गया.
समीर तो बस यही सोचे जा रहा था की ऐसा ही अगर चलता रहा तो वो कब तक अपने आप पर कंट्रोल कर पाएगा...
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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