Saturday, August 16, 2014

FUN-MAZA-MASTI में और मेरी प्यारी माँ--10

FUN-MAZA-MASTI


में और मेरी प्यारी माँ--10


दादी से कहा चुसाई ख़त्म हो गई..अब चुदाई होगी..ओके.मेरे शेर में वक्त पर.. जाउंगी.. में किचन में वापस आया माँ से कहा सब ठीक है...माँ पानी पी रही थी..तो मेने प्याला..बाजू में रख दिया..और माँ को फिर से प्लेटफार्म पर बिठा दिया..और अपना..लंड पेलने लगा..ऐसा करते माँ को थोड़ी तकलीफ हुई क्योकि लंड अच्छी तरह से चूत को फाड़ रहा था..माँ ने कहा निकाल मेने निकाल दिया..फिर माने खुद थोडा सेट करके धीरे से अंदर घुसा लिया..और मुझे कहा अब..धीरे धीरे चोद...में चोदने लगा...और आहिस्ता से वो प्याला प्लेटफार्म से नीचे गिरा दिया..माँ ने इसे सहज समजा पर ये में और दादी के बीच की प्लानिंग का हिस्सा था...ये इशारा था.की आप जाओ..वो चुपके से गई..और दरवाजे के बाहर से नजारा देखने लगी..में जमकर चुदाई कर रहा था..माँ भी स्सस्सा..आह्ह...आह्ह..कर रही थी उनकी चूत गीली होने की वजह से पच-पच की आवाजे..होने लगी थी...माँ की साँसे तेज होने लगी.......आह्ह...बेटे...फाड़ डाल..माकी चूत..चोद जोर लगा के.....बहुत दिनों बाद तेरा....लम्बा लंड मिला है...आह..आह्ह्ह......ले ममी..तेरे बेटे का लंड ले...आह..धमाकेदार चुदाई हो रही थी मा पूरी मस्ती में थी..चोद मेरे मादरचोद.. आह..आह्ह्ह......ओह्ह..ओह..मे..गई..आह..आह............रुक..जा..बेटे.. मे रुक गया..वो सीईई..सीई..ईईईइ..कर रही थी... हांफ रही थी..कुछ शांत हुई..मेरा लंड अभी चूत में ही घुसा हुआ था..तभी दादी ने एंट्री मारी......
माँ झटसे प्लेटफोर्म से उतार गई...में देखता रहा...तभी मांजी ने कहा....चुदा लिया..अपने बेटे से रंडी साली...कितनो दिनों से चुदवा रही है अपने बेटे से...साली कुतिया..छिनाल कही की...शर्म नहीं आती.गेरूमर्द का लंड लेते हुए...क्या..इतनी आग लगी है तेरे भोसड़े में तुझे अपना बेटा भी नजर नहीं आया...साली रंडी.. मेरी और देखते हुए कहा..और तू साला मादरचोद..अपनी माँ कोचोदते हुए तुझे जरा भी ख्याल नहीं आया की जिस भोसड़े को फाड़ रहा है उसी से तू निकला है... माँ दादी के पैर में गिर गई..उनके पैर पकड़ लिए रोने लगी..मांजी माफ़ करदो मुझे दुबारा एसी गलती नहीं होगी....और क्या बोलती थी...बड़ा लम्बा लंड है मुझे बहुत मजा आता है..छिनाल साली...माँ को लात मारते हुए..बोली..तो जा शहरमे गधे और घोड़े की कमी नहिहै उनका भी बड़ा होता है जा जाके..चूत फड़वा ले अपनी..रांड ..साली निकाल..निकाल जाओ दोनों मेरे घर से...अभी के अभी निकाल जाओ...माँ ने फिर से मांजी के पैर पकड लिए और जोर-जोर से रोने लगी....मांजी माफ़ करदो मुझे दुबारा एसी गलती नहीं होगी...चुदवाते वक्त ये ख्याल नहीं आया,रंडी साली.. की गलत कर रही हूँ....तब तो मजे ले रही थी...चलो निकाल जाओ...तू भी मादरचोद अपना लोडा ले के निकाल जा..वरना काट दूंगी..माँरोते हुए मांजी माफ़ कर दिजीए ..हम कहाँ जायेगे..और हमारे परिवार की बदनामी होगी... उनके पैर पकड़ लिए रोने लगी..मांजी, माफ़ करदो मुझे दुबारा एसी गलती नहीं होगी....मांजी कुछ नर्म होते...साली रांड, छिनाल कही की,अगर मुझे बदनामी का डर ना होता तो कबका तुम दोनों को नंगा ही घर से निकाल दिया होता..लेकिन सजा तो तुम दोनों को मिलेगी...भोसड़ी की बहुत जलन है ना तेरी चूत में...और तू मादरचोद साला....तुझे गलती का अहैसास नहीं है क्या..?में- मुझे जो सजा देनी है, दे दीजिए गा..लेकिन पहले मेरा अधूरा काम पूरा करने दो...वाह रे, रांड की ओलाद साले माँ की भोसड़ी का भोसड़ा बना दिया और कहता है काम बाकी है...क्या...अधुरा रहा गया..है..? मेंने सीधा बोल दिया... में अभी मम्मी की गांड मारना चाहता हूँ... माँ- नहीं-नहीं अब कुछ नहीं करने दूंगी..माजी आप समजाइये इसे....मांजी- तो तूने अभी तक अपने भडवे का लोडा..गांड में नहीं लिया है क्यों..?माँ- मांजी मुझे डर लगता है..मांजीसाली चूत फडवाते डर नहीलगता और गांड मरवाते डर लगता है...भोसड़ी की अब तेरी गांड में इसका लोड़ा डालना ही पडेगा...यही सजा है तेरी..और तू खुश मत होना...मादरचोद..माके लोडे..तेरे लिए भी कुछ सोचती हूँ..चल साली रांड गांड में ले-ले अपने बेटे का लंडबा लंड..माँ ने हाथ जोड़ दिए नहीं मांजी और कुछ कहिये ये मेरे से नहीं होगा...आप कहै तो उसका चूस लेती हूँ..पर गांड नहीं देनी मुझे ...ये फाड़ देगा...मांजी- क्यों रंडी, साली..लोडा चूसने में मजा आता होगा तुझे...भोसड़ी की सजा में तकलीफ होती है..मजा नहीं...होता...चल..तैयार हो जा..और तू भी साले,मादरचोद ...अपने लंड पर तेल लगा और पेल दे इसकी गांड में..माँ ने फिर कहा नहीं माजी रहम कीजिए..में आप की बहु हु..बेटी जेसी हूँ...में खड़ा-खड़ा अपने लंड को तेल पिला रहा था..माँजी देखरही थी.. माँ रो रही थी..दादीचल साली छिनाल नाटक बंद कर और घोडी बन जा.. माँ ने फिर कहा नहीं माजी रहम कीजिए मुझे बहुत तकलीफ होगी..प्लीज मेरे दर्द को समजिए....रोने लगी..मांजी ने कहा..चलो दोने ड्रॉइंग रूम्मे आजाओ...हम तीनो ड्रॉइंग रुममे गये...मांजी ने कहा चल बहु सोफे पर घोड़ी बन जा... माँ ने फिर कहा नहीं माजी माफ़ कर दीजिए..मेने माँ के गाउन को उठाया और निकाल दिया...अब माँ के बदन पर सिर्फ ब्रा..रही थी..माँ सोफे के पास खड़ी थी..दादी ने धक्का दिया माँ सोफे पर गिर पड़ी..मांजी ने कडक कर कहा बेनचोद,...रंडी साली,...कब से नखरे दिखा रही है..माँ रो रही थी..मांजी ने माँ के बाल पकडे और सोफे पर उल्टा घुमाया..बोली अब घोड़ी बनती है या..माँ रोती हुई चुत्तड उठाने लगी उसकी गांड मेरे सामने थी..में उस पर उंगुली घुमाने लगा... माँ ने फिर कहा नहीं माजी रहम कीजिए..में मर जाउंगी...प्लीज...मांजी ने नर्म होते हुए कहा..कुछ नहीं होगा थोड़ी देर दर्द होगा फिर ...ठीक हो जाएगा... माँ ने फिर कहा नहीं माजी में मर जाउंगी...ये मेरी फाड़ देगा..नहीं छोड़ेगा कितने दिनों से मांग रहा फिर भी में नहीं देती थी..तो इतना प्यार करता है माकी गांड से...ठीक है जरा प्यार से ठोक ना..मेने कहा--पहलीबार किसी की गांड मार रहा हूँ..आप जरा हैल्प कीजिए ..प्लीज..माँ के लोडे कितना बेशर्म हो गया है...मुझसे कहता है..की गांड मारना शिखाऊ..? में- तो यहाँ और कोण बड़ा है..जो इसके बारे में जानता हो..एसा, है तो चल पहले माकी गांड में तेल लगा के उंगुली डाल..मादरचोद..माँ..आखों में पानी लिए सिसकियाँ ले रही थी.... मेने अपना काम सुरु कर दिया माँ को उंगुली की तो आदत थी..तो मजे लेजे लगी..में भी बड़े प्यार से उंगुली डाल कर गोल-गोल घुमाने लगा..थोडा अंदरबाहर भी करने लगा...ममा पर मस्ती चढने लगी..ससस्स्स...करने लगी....मांजीबहु और भी मजा आयेगा...ओये..लोडे ...जरा दो से ट्राय कर.. मेने दूसरी उंगुली डाली...माँ थोडा आगे खिसकी पर दोनों उंगुलिया..अंदर चली गई....में घुमाने लगा...मांजी- बहु अब डर मत अपनी गांड में लोडा ले..ले..ये तैयार हो गई है...माँ-मुझे डर लगताहै मांजी ..प्लीज..छोड़ दीजिए मुझे..मांजी- चुप कर भोसड़ी की थोडा नर्म क्या हुई...साली फिरसे नखरे दिखाने लगी...ओये..देख क्या रहा है..बेन्चोद...लोडे पे तेल लगा..और ठोक दे....कुछ नहीं होगा... माकी लोड़ी को...साली उन्गियाँ डालता है तो माजा लेती है और लंड की बात करती हु तो नाटक करने लगाती है...भोसडी की...फाड़ दे...मेने अपना लंड गांड पर टिकाया...माँ उछल गई..रोने लगी मांजी प्लीज...मांजी ने कहा ठीक है में सपोर्ट करती हूँ...मांजी ने मेरा लंड पकड़ा..सुपाड़ा माँ की गांड पर रगड़ने लगी..तेल लगाने लगी...फिर सुपाड़ा थोडा छेद पर दबाया..फिसल गया..फिर से ट्राय किया..माँ आह..कर गई...मांजी ने फिर तेल डाला और लंड को जोर-जोर से रगड़ने लगी...और मुझे इशारा किया..धीरे से सुपाड़ा गांड में डाल दिया...माँ.........करने लगी..मांजी कुछ नहीं होगा..तू जरा धीरज रख....माँ से कहा..अब थोडा और डालती हूँ...सुपाडे से थोड़ा ज्यादा अन्दर जाने दिया..माँ..कि आन्खो में आसू रहे थे..वो रो रहीथी..मांजी..माँ के चुत्तड़ो को सहलाने लगी..पुरे बदन को सहलाती...सिर को सहलाने लगी..माँ ने चेहरा  ऊपर उठाया...आँखों से आसू निकाल रहे थे..मांजी.ने मुझे कहा..कुछ मत करना...ऐसे ही रहना...किचनमे गई और माके लिए ठंडा पानी ले आई..माँ को पानी पिलाया..और चहरे पर से आसू पोछने लगी..सिर को सहलाने लगी....में ऐसे ही खड़ा...था..मांजी ने कहा बहु..अब तुझे कोई दर्द नहीं होगा..जितना दर्द होना था तेरी गांड ने सारा दर्द झेल लिया..अब तो मजा ही लेना है..तू बाकी लंड पर थोडा तेल लगा..मेने तेल लगाया..मांजी ने कहा बहु अब तू थोडा गांड पे जोर लगा..और आहिस्ता-अहिस्ता अंदर ले.ले..माँ ने ऐसा किया धीरे से आधा लंड ले लिया...फिर से गांड को दबाया..और आधे से ज्यादा घुसा लिया...ऐसा करते करते पुरा लंड अपनी गांड में ले लिया मेने मांजी को इशारा किया..मांजी ने कहा क्यों..बहु मजा आया ना..अभी जब जल्दी-जल्दी अंदर बाहर होगा तो बहुत मजा आयेगा... माँ- मांजी, इसे कहना जल्द बाजी ना करे....ये कुछ नहीं करेगा...तू अपनी मर्जी से जितना चाहै उतना उंदर ले..और बाहर भी करती रहना..माँ आहिस्ता आहिस्ता..चुत्तड आगेपीछे करके गांड को दबाने लगी..मेरा लंड उंदर-बाहर होने लगा...मुझे मजा आने लगा...जाहिर है माँ को भी मजा आने लगा था.तो उसने भी धीरे-धीरे स्पीड बढाने लगी...और गांड चुदाई होने लगी..अब तो माँ ससस्स्स्स.....आह्ह..आह्ह..कर रही थी..मांजी ने कहा क्यों..? बहु मजा आरहा है ..माँ-हाँ मांजी...अगर आप नहीं होती तो में कभी ये मजा नहीं ले पाती...साली,..रांड ये लंड होती है ऐसी मजेदार चीज जहाँ भी पहली बार डालो दर्द करता है फिर जन्नत का मजा देता है...आह्ह..मांजी...इसे कहो अब खड़ा रहने की बजाय..मेरी ठोक दे...मांजी- सुन तेरी रांड..माँ..को मजा आरहा है अब जोर लगा के अपना सपना पूरा कर ले..में भी ताव में गया...और ठोकने लगा...


 
माँ की सस्स्स्स....आह्ह..आह..ओह्ह...ने दे ..मजा गया...सस्स्स्स...............ऊऊ...ओह्ह..में भी आह..ले मेरा...पूरा ले..ले..साथ में थपाक-थप्पाक की आवाजे गूंजने लगी..माँ चिल्लाने लगी..आह...ऊईई............उई..उईईइ...माँ...आह.....और मेरा भी काम हो गया..शायद माँ की आग भी शांत हो गई....थी...मांजी मुस्कुराते मुझसे बोली...बहुत दिनों से मांग रहा था माँ से अब मजा ले लिया ...में हाँ..मांजी..मजा आगया...मांजी माँ..के चुत्त्दो को सहलाने लगी..बोली क्या..अभी अंदर ही रहने देना है क्या..नहीं मांजी..मेने लंड को खीचा..लंड बख..की आवाज के साथ बाहर गया...माँ-..ऊच ...धीरे से बेटा...माजी अब तुम दोनों..खेल पूरा होगया होतो कपडे पहन लो सुन साली रांड.. मेरे लिए चाय बना और मेरे कमरे में ले ..तू मादरचोद उपर ..मेरे सिर में दर्द हो रहा है दबा दे...

मांजी ऊपर अपने कमरे में चली गई... में ममा कके पास किचेन में चला गया..माँ बाहों में भर लिया और को लिप किस दे दिया..माँ ने कहा छोड़ अब तेरी तमन्ना तो पूरी होगई ...मुझे बदनाम कर दिया..मेने कहा पर तुम्हे मजा आया की नहीं ..हाँ मजा तो बहुत आया...पर इस मोटी का कुछ करना पड़ेगा..मेने कहा उसका क्या करेंगे साली बहुत गुस्से में है..बेटा तू कुछ भी करके उसे मेरे सामने चोद दे..ठीक है अभी में उपर जाता हूँ..साली के सिर के साथ गला भी दबा देता हूँ..नाही बेटे..ऐसा कुछ मत करना तुझे मेरी सोगंध है..बस उसे कुछ भी करके उसे मेरे सामने चोद दे

मांजी ऊपर अपने कमरे में चली गई... में ममा कके पास किचेन में चला गया..माँ बाहों में भर लिया और को लिप किस दे दिया..माँ ने कहा छोड़ अब तेरी तमन्ना तो पूरी होगई ...मुझे बदनाम कर दिया..मेने कहा पर तुम्हे मजा आया की नहीं ..हाँ मजा तो बहुत आया...पर इस मोटी का कुछ करना पड़ेगा..मेने कहा उसका क्या करेंगे साली बहुत गुस्से में है..बेटा तू कुछ भी करके उसे मेरे सामने चोद दे..ठीक है अभी में उपर जाता हूँ..साली के सिर के साथ गला भी दबा देता हूँ..नाही बेटे..ऐसा कुछ मत करना तुझे मेरी सोगंध है..बस उसे कुछ भी करके उसे मेरे सामने चोद दे..

और में ऊपर मान्जिके पास चला गया..मुस्कुराते मांजी ने कहा तेरा काम कर दिया..केसा लगा...मजा आया ....हाँ मांजी मेरा सपना पूरा हो गया...इतनेमे चीका का फोन आया...में बाते करने लगा...चीका मुझे मिलने के किए बुला रहा था...कुछ बाते हुई..माँ चाय लेकर आई..सबसे पहले कप मांजी को दिया....मांजी ने कहा झह्र्र तो नहीं डाला है..?? चाय में..माँ ने कहा लाइए मांजी वो कप में पीलेती हूँ..आप इन दोनों मेसे कोई भी ले ले..सच में दादी ने कप बदल लिया...चाय पीने लगे..चाय खतम कर के मांजी ने कहा बहु मेरे पेरो में दर्द हो रहा है दबा दे...माँ दादी के पैर दबाने लगी..में पास में खड़ा था..तू क्या देख रहा है...?चल पैर दबा.में भी पैर दबाने लगा..मांजी हाँ..तो बहु ये चुदाई वाली गलती पहली बार केसे हुई..माँ- मांजी मे किचन में गिर गई थी...और मेरे पैर में दर्द हो रहा था..तो इसे मेने पैर दबाने को कहा..ये ऐसे ही पैर दबा रहा था...में सो गई..तो,ये ऐसे ही दबाते हुए मेरी जांगो तक गया..केसे..??.माँ ने मुझे आँख मारी कहा बेटे केसे किया था मांजी को बता..में ने मांजी की साडी को उपर उठाया..और जांगो को दबाते बोला..ऐसे..ठीक है आगे फिर इसने..साडी को थोडा और उपर उठाया..और दोनों पेरों के बीच बेठ गया..में-ऐसे..और पेरों के बीच बेठ गया.....फिर...?फिर इसने और साडी उपरकी मेरी चूत को देखने लगा...तो मेने सोचा बच्चा है जी थोड़ी मस्ती कर लेने दू..तो इसने अपना लंड निकाला और मेरी चूत पर रगड़ ने लगा..में भी रगड़ने लगा..अब मांजी गरूम हो रही थी..मांजी ऐसे ही ये मेरी चूत पर रगड़ रहा था..और मेरी चूत से भी ऐसे पानी निकालने लगा था....सस्स..मांजी के मुह से सिसकी निकाल गई...हाँ मांजी में भी ऐसे ही गरूम हो गई...तो इसने लंड को आधा अंदर डाल दिया...आह..मांजी आहें भरने लगी..बिलकुल ऐसे ही वो लंड को अंदर बाहर कर रहा था...मांजी आह्ह.....ये मादरचोद मुझे भी चोद देगा...रुक जा साले भड़वे...माँ ने मुझे आँखे दिखाई नहीं, रुकना मत ..मेने कहा मांजी अभी तो आधा ही गया है पूरा डालूँगा तो बहुत मजा आयेगा....ओर में चोदने लगा...मांजी रुक जा,साले मादरचोद तेरी दादी लगती हूँ..में ..ये तेरी माका भोसड़ा नहीं है...दर्द हो रहाहै..निकाल साले..में-आराम से मांजी मजा लेती रहो...माँ मांजी के बुब्ब्स को थोडा दबा दे ..माँ लाइए मांजी में आपके दूध को सह्लादेती हूँ..और माँ मांजी के बुब्ब्स को दबा ने लगी..मांजी की साँसे तेज हो गई थी..मांजी--अरे छोड़ माँ की लोड़ी..माँ-नहीं मांजी आज को आपको चुदाना ही पडेगा..चोद मेरे लाल माकी चूत समझ  कर बजादे..मान्जिको भी मजा आरहा है..में जोर जोर से चोद ने लग...मांजी ..आह्ह.आह्ह.......... करने लगी..माँ ने भी मांजी का ब्लाउज खोल दिया और बुब्ब्स को चूसने और दबाने लगी..मांजी...आह्ह..चूस ले बहु...आह्ह.....मजा रहा है.......चोद साले माके लोडे ..आह....कितना बड़ा है....गधे का है क्या........आह्ह..आह...और मांजी का खेल ख़त्म होगया..मेरा भी गिर गया..पच-पच की आवाज आने लगी...मांजी बस...बसकर..बस..में रुक गया...मांजीअरे ये क्या किया तुम दोनों ने...में किसीको मुंह दिखाने लायक नहीं रही..माँ ने मान्जिको पानी दिया कह मांजी आप को मजा तो आया ...मांजी हाँ,बहु लेकिन मन-लेकिन-वेकिन.. कुछ नहीं बस मजा आया..तो मजा लेती.. रहना में और राहुल किसीको नहीं बताएँगे.. मांजी हंस कर बोली...साली एकदम रांड लगती है..बाते भी रंडी जेसी करती है...माँ- जब चमड़े की भठ्ठी में आग लगती है तो उसके जुगाड़ के लिए कुछ नकुछ करना ही पड्ताहै..क्या आप को ऐसे बड़े लंड जरुरत नहीं थी..मांजी ने विस्फोट किया..-- हाँ मेरी बच्ची लकिन तुझे मालुम नहीं है...में इस लोडे से तुजसे ज्यादा चुद चुकी हूँ....माँ, बस हम दोनों को देखती रही..में और मांजी हंस रहे थे....माँ ने मेरा कान पकड़ा, तो फिर मुझे इतना टेंशन क्यों दिया..मेने कहा..माँ,आपकी गांड जो मारनी थी.. मांजी-हाँ बेटे अगर हमने ऐसा नहीं किया होता तो क्या तू गांड देती इसे..माँ-कभी नहीं देती..में-तो आपको केसा लगा..मतलब गांड मरवाने में मजा आया की नहीं..माँ-बहुत मजा आया बेटे..में- तो हो जाये.एकबार फिर से..मांजीहाँ बहु अभी एकबार मरवा ले.तो दुबारा कभी दर्द नहीं होगा..माँ-खुजली तो हो रही है..पर आप के गुस्से की वजह से बोल नहीं पाई थी...मांजी--तो आजा....चल मुन्ना माररदे माकी गांड...मेंलोडा तैयार करने लगा..मांजी ने खा बहु थोडा चूस दे खड़ा हो जाएगा..माँ चूसने लगी..तो जल्दी खड़ा होगया...और दुबारा प्यार से माँ की मारने लगा...मांजी..गाइड कर रही थी...माँ मजा कर रहीथी...

बिच्छुमामा
तीन दिनों बाद गाँव से मामा का फोन आया... में कल रहा हु..मामा??? नाम- बिरेनकुमार..उमर..26 बोड़ी फ़िगर सलमान खान जैसा,आँखें बड़ी-बड़ी..पतले होठ..लम्बा चेहरा ...घठिला बदन,मजबूत हाथ.. बड़े-बड़े डोले..कंधो पर बिच्छु का टेटू ......चौड़ा सीना,बिलकुल क्लीन एक भी बाल नहीं...इतने सुंदर होने बावजूद शादी नहीं हुईथी... चोंक गये?? क्यों..क्योकि मामा जी पैर से बिलकूल अपाहिज थे..जी बिलकुल ठीक समजें..आपने ऐसे लोगों को अकसर बस स्टॉप,रेलवे या मंदिर के पास देखें होगे..जो अपने पैरों प् नहीं चल सकते..हाथमें चप्पल पहनकर बोड़ी को घसीटते हुए चलते है..इन्ही वजह से मामा को बचपन में लोग बिच्छु कहकर चिढाते थे..लेकिन अब उन्हें बुरा नहीं लगता हम ख़ुशी से उन्हें बिच्छुमामा कहकर बुलाते है..मेरे बिच्छुमामा बेचारे,लाचार या भिखमंगे नहीं है..मेरे नानाजी के दो बेटे है उनमें बिच्छुमामा सबसे छोटे है बड़े मामा नोकरी करते है..तो नानाजी ने अपनी सारी केश,करीब २०, लाख रुपया बिच्छुमामा को दे दिया था.. बिच्छुमामा उसी पेसो को घह्नों की अवेज में रेट पर घुमाते थे..और अब तक तो करीब ३५ लाख रूपये बना लिए थे..गाँव की छोटी सी दुकान पर बैठते थे..थोडा बहुत घह्नों का धंधा हो जाता..तो वो हमारी दूकान से खरीदते और दो-तिन महीनो बाद हिसाब देने जाते...जब वो आते तो दो-तीन दिन ठहरते माँ उनकी बहुत देखभाल करती..खाने में हंमेशा स्वीट बनाती..रिक्शा करके बिच्छुमामा को शहरमें घुमाने ले जाती..माँ हंमेशा बिच्छुमामा के प्रति इमोशनल रहती..नए कपडे जो ख़ास कर टी-शर्ट और हाफ पेंट खरीद कर ला देती...माँ बिच्छुमामा को हंमेशा छोटे बच्चे कीतरह प्यार करती...










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