Sunday, August 24, 2014

FUN-MAZA-MASTI सीता --एक गाँव की लड़की--30

FUN-MAZA-MASTI

 सीता --एक गाँव की लड़की--30

 फिर हमने वापस बेडरूम में गई तो पूजा नहीं थी..शायद बाथरूम गई थी..श्याम अभी भी बेड पर पड़े हुए थे..मैं उनके पास बैठती हुई उनके सीने पर किस करती हुई बोली,"उठिए ना...ऑफिस नहीं जाना..."

श्याम: "उम्म्म्म...मूड नहीं है डियर..आज सोने दो...हुअंअअअ्म्म..."श्याम करवट बदलते हुए सोने की कोशिश करने लगी...मैं भी मुस्कुराते हुए छोड़ दी और उठ गई..फिर पूजा बाथरूम से फ्रेश हो कर निकली तो मैं फ्रेश होने घुस गई...

फ्रेश होने के खाना खाई और आराम करने चली गई..श्याम करीब 12 बजे उठे और फ्रेश होने के बाद बाहर निकल गए...मैं फिर वापस पूजा के बदन से चिपक के सो गई...शाम में करीब 5 बजे नींद खुली...

पूजा और मैं कुछ टहलने छत पर चली गई...कुछ घूमने के बाद बोली,"पूजा,वो सामने वाला नजर नहीं आता.."

पूजा: "हाँ दीदी, अब शायद उसे शर्म आती होगी कि उसका भी बाप है सेक्स में..खुद को मॉडर्न समझता था छत पर चुदाई कर के..शाले की हेकड़ी निकल गई हम दोनों को एक मर्द के साथ देखकर...ही..ही..ही.."

"हाँ...हम दोनो जितने कमीनी हैं,उतनी तो वो सोच भी नहीं सकती..."मैं हंसती हुई पूजा की बात में हाँ मिलाई...फिर इसी तरह की कुछ इधर उधर की बातें होती रही...अचानक तभी सीढ़ी से ऊपर किसी के चढ़ने की पदचाप सुनाई दी...

हम दोनों आपस में गुपचुप ही इशारे से पूछ रही थी कि कौन हो सकता है...तभी पूजा आगे बढ़ नीचे कैम्पस में झाँकी तो तेजी से अपने पास बुलाई...मैं झटपट पुजा के बगल में खड़ी हो गई...

नीचे एक बाइक लगी थी...इस घर में तो बाइक थी पर ऐसी नई नहीं थी...बिल्कुल चमकती हुई...शायद खरीदे हुए कुछ दिन ही हुए हों...मैं हौले से पूजा से बोली,"शायद नीचे किसी के गेस्ट होंगे और वो घूमनेछत पर आ रहे है..."

पूजा: "आने दो, अकेला आया और मस्त लगा तो खा ही जाऊंगी...ही..ही..ही..." और पूजा खिलखिला पड़ी जिससे मैं भी खुद को रोक नहीं पाई...फिर हम दोनों वापस सीढ़ी की तरफ देखने लगी भूखी लोमड़ी की तरह कि शिकार आ रहा है...

तभी सामने देख हम दोनों के सारे अरमान शीशे की तरह बिखर गई...सामने श्याम थे...हम दोनों अपने मंसूबे की नाकामयाबी पर एक दूसरे की तरफ ताक हंस पड़े...जिसे देख श्याम हंसते हुए बोले,"क्यों गर्ल्स, हमें देख के हंसी क्यों निकल पड़ी..."

"नहीं दरअसल हम दोनों नीचे नई बाइक देखी तो सोची नीचे किसी के यहाँ गेस्ट आए हैं जो ऊपर आ रहे हैं तो सोची कुछ लाइनबाजी कर लूँ..पर....वैसे ये किसकी बाइक है..." मैं मुस्कुराती हुई बोली..

"ओहहह...फिर तो बहुत बुरा हुआ तुम दोनों के साथ...खैर इस बुरेपन को दूर करने ही आया हूँ...चलो तैयार हो जाओ और घूमने चलते हैं नई बाइक से..."श्याम हमदरदी जताते हुए बोले...

पूजा: "वॉव जीजू, बाइक लिए हैं क्या...थैंक्स जीजू..." और पूजा श्याम से लिपटती हुई किस करने लगी खुशी से...मैं भी खुश थी कि श्याम को अब ऑफिस ऑटो से नहीं जानी पड़ेगी और साथ में हम लोग भी बाहर घूम लेंगे...

"आज कहाँ ले जाएँगे घुमाने...?" मैं भी आगे बढ़ श्याम के शरीर से चिपक उनके गाल चूमती हुई पूछी...जिसे सुन श्याम और पूजा किस तोड़ दिए...

श्याम: "मेला...शहर के बाहर एक जगह कृष्णाष्टमी का मेला लगा है...वहीं चलेंगे..अब चलो नीचे और तैयार हो जाओ मेरी रानी..." कहते हुए श्याम अपने होंठ मेरे होंठ पर रख दिए ...

कुछ देर किस करने के बाद हम अलग हुए और नीचे चले आए...फिर हम एक साथ कपड़े चेंज करने लगी...कुछ ही पलों में हम दोनों लड़की सिर्फ पेंटी और ब्रॉ में थी...

श्याम इस पल का बखूबी से मस्ती लेते हुए बेड पर बैठे देख रहे थे...मैं ब्लैक कलर की एक ट्रांसपैरेंट साड़ी निकाली और साथ की मैच्युवल ब्लॉउज,पेटीकोट बेड पर रख दी...तभी श्याम बीच में बोले..

श्याम: "जान, आज बिना ब्रॉ की ब्लॉउज पहनो...मस्त लगोगी...और पूजा तुम भी ब्रॉ निकाल दो.. " श्याम कह कर मजे से उड़ते हुए आनंदमय हो गए...मैं भी मुस्कुराते हुए ब्रॉ की हुक खोल दी...

पूजा: "दीदी, मुझे भी साड़ी पहननी है आज..."और फिर पूजा अपनी आँखें नचाती हुई मुस्कुराने लगी..मैं और श्याम उसकी बात पर हंस पड़े,जिससे पूजा भी हँसे बिना रह नहीं पाई...

अगले ही पल एक गुलाबी पारदर्शी साड़ी उसके सामने रख दी...पूजा काफी खुश होती हुई अपनी ब्रॉ की हुक खोलने लगी...

श्याम: "पूजा, अगर साड़ी बाँधने में मदद की जरूरत हो मैं पास ही बैठा हूँ..." कहते हुए चुटकी बजाते हुए अपनी दावेदारी पेश कर दिए...जिस पर पूजा आँखें ऊपर कर हँसती हुई बोली,"सॉरी...मैं साड़ी पहनना अच्छी तरह जानती हूँ..."

कुछ ही देर में हम दोनों तैयार हो गए, जिसे श्याम आँखें फाड़ फाड़ कर देखे जा रहे थे...जब मैं उन्हें ऐसे एकटक निहारती देख इशारे में पूछी क्या हुआ...

श्याम: "माशाल्लाह....लोग उस मेले को छोड़ इस मेले को देखने टूट पड़ेंगे...कसम से, सेक्स की देवी दिखती हो तुम दोनों जो 80 साल के बुड्ढ़े का भी खड़ा कर दे..."

"अच्छा,अच्छा...मैं आज पहली दफा मेले घूमने नहीं जा रही हूँ...वहाँ ढ़ेर सारी खूबसूरत लेडिज बन-ठन के आती हूँ..अच्छी लगती हूँ या नहीं ये बताइए बस..." मैं मुस्कुराहट में बोल पड़ी...

श्याम: "सुपर...बिल्कुल परी लग रही हो...गोरे बदन पर ब्लैक साड़ी...अल्लाह बचाए नजर लगने से...चलें अब.."

मैं खुश होती हुई हाँ कह दी और उनके साथ रूम लॉक कर निकल गई गुलाबी पूजा के साथ...वो तो और खूबसूरत लग रही थी गुलाबी साड़ी,गुलाबी लिपस्टिक,गुलाबी सैंडल,गुलाबी हेयरबैंड,गुलाबी नेलपॉलिश...सुपर...


 मैं और पूजा श्याम के संग बाइक से करीब एक घंटे तक चलने के बाद मेला पहुँचे...श्याम ने बाइक स्टैंड में बाइक लगा दी..इस दौरान अकेली लड़की देख ना जाने कितने कमेंट सुनने को मिल गए...

पर हम दोनों कोई जवाब दिए बिना बस बातों में मशगूल मजे लेती रही कमेंट्स के...कुछ पल में श्याम के साथ मंदिर की तरफ गई जहाँ भक्तों की काफी भीड़ थी...हम दोनों लेडिज लाइन में लग गई मंदिर में जाने के लिए..

जबकि कुछेक दूरी पर मर्दों की लाइन थी, जिसमें से कुछ तो चुपचाप थे और कुछ सभी लेडिज को देख हल्के से कमेंट्स कर रहे थे...अजीब इंसान है...भगवान के सामने भी नहीं चुप रहते...

खैर कुछ ही पलों में हम दोनों भगवान के सामने शीश नमन किए...तभी मेरे सर पर हाथ पड़ी और सरकती हुई नंगी पीठ पर रगड़ गई..मैं चौंक सी गई और उठी तो सामने पंडा थे जो मंदिरों में रहते हैं...

ऐसी रगड़ तो सिर्फ वासना की होती है, जिसे हम लेडिज लोग अच्छी तरह पहचान लेते हैं..वो मेरी तरफ वहशी निगाहों से देख आशीर्वाद में कुछ बुदबुदाते हुए प्रसाद बढ़ा दिया..जिसे मैं ली और चुपचाप वापस हो ली...

पूजा: "दीदी, ये तो पाखण्डी लगता था...देखी कैसे पीठ सहला रहा था कमीना..." पूजा चुप ना रह पाई और अपनी व्यथा कह डाली...

"छोड़ ना...आदत होगी उसकी...सभी को शायद ऐसे ही आशीर्वाद देते होंगे...चल अब घूमते हैं कुछ..."मैं बातों को टालती हुई बोली..पर पूजा बोल तो सच ही रही थी...वो भी कुछ समझ चुप रह गई...

पर श्याम अभी भी अंदर ही थे...हम दोनों बाहर खड़ी हो उनके आने का इंतजार करने लगी...कुछ ही देर में वो आते हुए दिखे पर वो अकेले नहीं थे...उनके साथ एक लेडिज थी जो साथ में हंसती हुई बातें करती आ रही थी...

हम दोनों कुछ समझ नहीं पा रही थी कौन है ये..तू तक श्याम मेरे निकट पहुँचते हुए बोले,"सीता, ये मेरी दोस्त है. सुमन..और सुमन से मेरी पत्नी सीता और ये पूजा.."

फिर ना चाहते हुए भी हम ने सुमन को हैलो बोली और फिर हम सब चल दिए...रास्ते में चुपके से श्याम कह दिए कि गर्लफ्रेंड है...जिसे सुन हम दोनों के होंठों पर मुस्कान तैर गई और थोड़ी जलन भी...

जलन इसलिए कि श्याम की प्रार्थना भगवान ने सुन ली और इनकी गर्लफ्रेंड से मिला दिए और हम दोनों....हम दोनों को ठेंगा दे दिए..खैर अब इन्हीं के साथ घूमती हूँ...

"आप अकेली आई है क्या..?"मैं अचानक सुमन से सवाल कर गई...मैं तो सोची कि ये मेरी सवाल से नर्वस हो जाएगी पर वो बोल्ड होती हुई हंसती हुई बोली,"नहीं...मैं अपने दोस्त के साथ आई थी पर यहाँ उसका बॉयफ्रेंड मिल गया तो थोड़ी देर में आती हूँ कह निकल गई और फिर मैं यहाँ एक घंटे से उसके इंतजार में खड़ी थी..."

उसकी बात सुन हम सब हँस पड़े...मन ही मन बोली कि हाँ अब तुम्हारा भी बॉयफ्रेंड मिल गया तो तुम भी उड़ जाओ कहीं...तभी मेरी नजर बगल में पूजा की तरफ मुड़ी तो वो नदारद थी...मैं डरती हुई श्याम से बोली,"पूजा कहाँ गई..."

श्याम भी चौंकते हुए रूकते हुए चारों तरफ नजर दौड़ाते हुए बोले,"तुम्हारे साथ ही तो आ रही थी...हम दोनों तो आगे चल रहे थे..."

"हाँ पर जैसे ही मैं अभी इनसे बात करने थोड़ी आगे हुई इसी बीच कहाँ गायब हुई देख नहीं पाई..."मैं थोड़ी परेशानसी होती हुई बोली...श्याम के चेहरे पर परेशानी साफ झलक रही थी और वो चारों तरफ नजर घुमा ढ़ूँढ़ रहे थे...

अचानक सुमन बोल पड़ी,"श्याम, वो वहाँ गोलगप्पे के पास कौन खड़ी है.." सुमन की आवाज से हम दोनों उस तरफ देखे...जो कि मेले के सबसे एकांत सी जगह थी...मेरी नजर तुरंत ही पूजा को पहचान ली...वो पूजा ही थी...

तभी मेरी नजर उसके साथ बंटी और सन्नी पर पड़ी जो पूजा के साथ गोलगप्पे खा रहे थे...सारा माजरा समझ में आ गई...श्याम भी देख चुके थे और वो मेरी तऱफ घूरने लगे कि ये क्या चक्कर है...

"वो दोनों पूजा के दोस्त हैं कॉलेज के...वही ले गया होगा..."मैं श्याम के सवालिया नजरों का जवाब देती हुई बोली..श्याम को थोड़ा गुस्सा आ गया कि कम से कम बता कर तो जाती...और श्याम भी तुरंत समझ गए कि किस टाइप का दोस्त है और उसे मैं भी अच्छी तरह जानती हूँ...

श्याम: "ठीक है, जाओ पूजा के पास..जब उसका पेट भर जाए लेती आना..तब तक हम इधर घूमते हैं...फोन कर लेना...ओह सिट..तब से ध्यान ही नहीं आया कि पूजा के पास भी तो फोन है...मैं भी ना. "

श्याम की बात से हमें थोड़ी हंसी भी आ गई...फिर ओके कह मैं वहाँ से निकल गई पूजा की तरफ..कुछ दूर जाकर जब वापस मुड़ी तो हमें हंसी आ गई...श्याम सुमन के हाथ में हाथ डालकर चल दिए थे...

मैं जैसे ही सीधी हुई कि एक जोरदार टक्कर हो गई...ओहहह गॉड....आउच्च्च्चचच...मर गईईईईईईई...एक लड़का फिल्मी स्टाइल में पीछे मुड़ने का फायदा उठा ठीक सामने से मेरी एक चुची पर हाथ रख टक्कर मार दिया और हटते वक्त बड़ी सफाई से कस के मसल भी दिया..

"मैडम, भीड़ में आगे देख कर चला करो..कहीं आपका बम फट जाता तो मैं तो गया काम से..."उस लड़के को मैं कुछ कहती इससे पहले ही वो बोल पड़ा और चल दिया...उसके साथ दो और लड़के थे जो उसके पीछे बारी-2 से मेरी चुची पर ही नजर गड़ाए आगे निकल गया...

कुछ देर तक वहीं मूक बनी खड़ी उसे जाते देखती रही कि कितना कमीना था...एक तो मजे भी लूट लिया और गलती हमही को बोल आसानी से निकल गया...उसकी शरारत पर अचानक मेरी हंसी निकल पड़ी...और ठीक उसी वक्त वो तीनों लड़का भी आगे बढ़ मेरी तरफ पलट गया...

और मुझे हँसते देख वो आश्चर्य से भर गया और अचानक मेरी तरफ बढ़ने लगा...मैं उसे अपनी तरफ आते देख चौंकी और तेजी से मुड़ पूजा की तरफ चल दी...पूजा तक आने के चक्कर में मैं खुद कई बार कई औरतें,लड़के,अंकल से टकरा गई...काफी हंसी आ रही थी खुद पर...


 पूजा के समीप पहुँचते ही पूजा पर बरस पड़ी, पर पूजा मेरी बातों को दरकिनार कर बस गोलगप्पे खाने में मशगूल रही...अंत में पूजा के शरीर अपनी तरफ करते हुए लगभग डाँटती हुई बोली,"ऐ...मैं तुमहे ही कह रही हूँ..कुछ सुन भी रही है या बहरी हो गई..."

जिस पर वह मेरी तरफ गोलगप्पे दिखाती हुई बोली,"खाओगी...?"

उफ्फ्फ...अजीब किस्म की लड़की है ये...इस पर कोई असर ना देख बंटी को बुरा भला सुनाने लगी...जिस पर वह दूसरी तरफ हो गया और सन्नी को मेरे सामने कर दिया...सन्नी गोलगप्पे की प्लेट रखता हुआ मेरी बाँह पकड़ा और चलने लगा..

"भैया जी, मेमसाब को साइड में ले जाओ तभी शांत होगी...बहुत गरमी है इनमें..." पीछे से गोलगप्पे वाले ने आवाज दी जिसे सुन पूजा और बंटी की हंसी साफ सुनाई दी...मैं गुस्से में उसकी तरफ लपकनी चाही पर सन्नी कस के दबोचता हुआ दूसरी तरफ खींचता चला गया...

गोलगप्पे वाले के पीछे कुछ दूर हट के एक पुराना खंडहरनुमा घर था...आगे एक बड़ी सी वृक्ष जो पूरी तरह उस घर को ढ़ँक रही थी...एकदम गुप्प अंधेरा...शाले मेला संचालक को इस पर ध्यान देनी चाहिए..कम से कम एक लाईट तो दे देते...पर वो मेला से इतनी दूर थी कि शायद जरूरत नहीं समझा होगा...

फिर ये गोलगप्पे वाला इतना एकांत में क्यों है...जबकि इसे मालूम है कि गोलगप्पे ज्यादातर लड़की ही खाती है...यही सब सोच ही रही थी कि तभी सन्नी एक दीवाल से हमें चिपकाता हुआ मेरे होंठों पर टूट पड़ा...

मैं गुस्से के कारण खुद को अलग करना चाह रही थी पर वो अगले ही पल मेरी चुची पर कब्जा करता हुआ रगड़ने लगा...जिससे मैं ज्यादा देर तक खुद को रोक नहीं पाई...और लगी मैं भी चूसने...हम दोनों की किस तब टूटी जब बगल में हरकत हुई कुछ...

मैं रूकती हुई अंधेरे में हाथ बढ़ाई तो मेरे हाथ सीधी किसी लड़की के चुची पर पड़ गई...उसने बिना कुछ कहे मेरे हाथ पकड़ के हटा दी..मैं कुछ कहना चाहती थी पर तब तक सन्नी दुबारा किस करने लगा...मैं भी उस तरफ से ध्यान हटा किस करने लगी...

जब मेरे होंठ दर्द करने लगी तो सन्नी से हल्की अलग हो गई...सन्नी भी समझ गया...वो अलग हो मेरे हाथ थामा और बाहर की तरफ रूख कर लिया...मैं बाहर निकलते वक्त एक बार फिर गौर की उस लड़की की तरफ कि कौन है और लड़का कौन है...पर अंधेरे की वजह से नहीं पहचान पाई...

बाहर निकल जब हल्की रोशनी पड़ने लगी तो सन्नी रूक गया और बोला,"हाँ तो मैडम जी क्या कह रही थी आप...?" सन्नी की बात सुन मेरी हंसी निकल गई...कमीना पहले तो जबरदस्ती किस कर बात को बदल देता है, फिर पूछता है क्या बात है...

मुझे हंसता देख बोला,"दरअसल मुझे नहीं पता था पूजा मेरे इशारों से ही चली आएगी...साथ में आपके पति थे तो हिम्मत नहीं हुई निकट जाने की तो जब पूजा हमलोगों को देखी तो बंटी ने आने का इशारा कर दिया...हम दोनों देखते रह गए कि ये पागल हो गई है क्या...फिर निकट आते ही बोली डरते क्यों हो...भैया पूछेंगे तो कह दूंगी दोस्त हैं...उनकी भी तो दोस्त मिल गई है यहाँ तो मेरे दोस्त से प्रॉब्लम क्यों होगी...फिर हमें क्या दिक्कत होती भला...और इतनी परेशान क्यों हो रही जब फोन था ही तो एक कॉल कर लेती..."

"अचानक से गायब हो गई ना तो ध्यान ही नहीं रहा कि फोन कर लूँ..चलो अब.."मैं भी शांत होती हुई बोली...तो वो मुस्कुराते हुए बोला,"चलो गोलगप्पे खाते हैं..."

"नहीं, मुझे नहीं खानी उसके पास...शाला कैसे बेशर्मो की तरह चिल्ला के बोल रहा था...सुना नहीं.."अचानक से मुझे गोलगप्पे वाले की बात याद आ गई...मैं सन्नी के साथ आगे बढ़ती हुई बोल पड़ी..

सन्नी: "अरे वो वैसा नहीं है..बस बोलने की बीमारी है...दरअसल ये वीमेंस कॉलेज के पास रोजाना बेचता है तो लड़कियों से सीख लिया ज्यादा बोलना..और लड़कियों से हॉट बातें करना ये अच्छी तरह जानता है...एक खास बात ये भी कि अब तक ये सैकड़ों प्रेमी युगल को मिलवा चुका है, पर गद्दारी या गलत फायदा कभी नहीं उठाया किसी का...पर मजाक सबसे करता रहता है एकदम ओपेन...अब चलो और तुम भी कुछ मजे ले लो..मस्त कर देगा..."

मैं उसकी कहनी सुनते-2 गोलगप्पे वाले के पास पहुँच गई...मेरी नजर उन तीन लड़कों को ढ़ूँढ़ने लगी जिनसे टकराई थी...पर वो कहीं नहीं दिखे..तभी मेरी तरफ देख गोलगप्पे वाला दाँत दिखाता बोला,"गुस्सा शांत हुआ कि, और चाहिए कुछ.." उसकी बात सुन सब के साथ मैं भी हँस पड़ी...

"देखा मेमसाब,इनके साथ कुछ देर खड़ी रही तो इतनी खुश हो गई...जब ये साथ में सोएगी तो किता खुश होगी..." अपने आदत से मजबूर उसने मजाकिया लहजे में बोल पड़ा जिसे सुन मैं शर्म से मुँह दूसरी तरफ कर ली जबकि वो तीनों जोर से हँस पड़ा...

"लो मैडम, मेरा वाला भी मुँह में ले को देखो कि कैसा टेस्ट है..."एक बार फिर उसने एक और द्विअर्थी शब्द बोल दिया..इस बार मैं खुद की हंसी रोक नहीं पाई और हंसती हुई वापस मुड़ प्लेट पकड़ गोलगप्पे खाने लगी...

जब तक खाती रही वो कुछ ना कुछ बकड़-2 करता रहा...तभी मेरी नजर उसी अंधेरे से निकलती लड़के-लड़की पर पड़ी...पर पहचान नहीं सकी...फिर हम सब वहाँ से निकल लिए..फिर कुछ देर तक मस्ती में इधर उधर अपने-2 साथी के हाथों में हाथ डाल घूमती रही...

बाहर तो ज्यादा भीड़ नहीं थी पर अंदर मुख्य मेले की जगह भीड़ काफी थी..इस भीड़ में सन्नी के हाथ तो मेरे हाथ पकड़े थे पर औरों बगल से गुजरने वाले के हाथ सीधा मेरी चुची के साइड पर पड़ती या फिर पीछे चूतड़ पर...इन सब के बीच हम दोनों मस्ती में डूबी घूमती रही अपने यार के संग...फिर अचानक से पूजा बोली...

पूजा: "दीदीजी, अभी तक आपके पति महोदय नजर नहीं आए हैं..."

"इतनी भीड़ में वो बगल से भी गुजर जाते होंगे तो मालूम थोड़े ही पड़ेगी.."मैं अपनी बात से पूजा को संतुष्ट करती हुई श्याम पर ज्यादा चर्चा नहीं करना चाहती थी हम और पूजा श्याम के साथ किस तरह रहते हैं...

_____[.....क्रमशः]_____











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