FUN-MAZA-MASTI
पुजारी हवस का --7
मॉम को नहाते देखने के बाद तो मेरा हाल और भी बुरा हो गया था,मुझे तो अब एक ही धुन सवार हो गयी थी की किसी भी तरह मॉम को चोदना हे,पर कैसे ये मेरी समझ नही आ रहा था। अब मेने एक काम शुरू किया की में जब भी मॉम के पास जाता तो अपने लोडे को खड़ा कर के मेरे लंड का उभर साफ दिख जाये। ये ही नही में ये भी कोशिश करने लगा की कमरे का दरवाजा तो बंद न करू और नंगा होकर मूठ मरू ताकि मॉम जब भी रूम में घुसे तो उन्हें मेरा लौड़ा दिख जाये।
एक दिन में अपनी कोशिश में कामयाब हो गया ,में अपने रूम में मूठ मर ही रहा था की मॉम रूम में आ गयी ,में उन्हें देख कर सक पकाया नही बल्कि मेने अपना टॉवल बड़े आराम से लोडे पर डाला और खड़ा हो गया पर में अपना लौड़ा मॉम को दिखने में कामयाब हो गया था,मॉम ने जोर से मुझे चिल्ला कर कहा,ये तुम क्या कर रहे थे ,तुम्हे शर्म नही आ रही थी की तुम्हारी मॉम या बहन तुम्हारे रूम में आ सकती हे ,और ये करने से तुम्हारी ज़िंदगी ख़राब हो जाएगी।
मुझे सब पता हे लेकिन कर सकता हु? मेने मेने कहा। मॉम फिर जोर से बोली ,क्या मतलब ?मेने कहा मेने आपको और डैड को रात को कई बार सेक्स करते देखा हे और आप जिस तरह से आप दोनों सेक्स करते हो उसने मेरी ज़िंदगी ख़राब कर दी हे में अब दिन रात आपके बारे में ही सोचता रहता हु। मॉम अब ठंडी पड़ी ,क्या सोचते रहते हो मेने कहा ,मॉम में आपको नंगा देखना चाहता हु ,क्या ,मॉम जोर चिल्लाई तेरा दिमाग तो ख़राब नही हो गया , तू अपनी मॉम से ऐसे कैसे कह सकता हे ? मेने कहा आप सोच लीजिये अगर आप नही मानती तो में ऐसे ही मूठ मारूंगा,मॉम अब और ठंडी पड़ी,
मगर तभी मॉम बोली "ठीक है मतलब तुझे चुत देखनी है....अभी बाथरूम से आती हूँ तो तुझे अपनी बुर दिखाती हूँ" कहती हुई बेड से निचे उतर ब्लाउज के बटन बंद करने लगी. मेरी कुछ समझ में नहीं आया की मॉम अपना ब्लाउज क्यों बंद कर रही है मैं मॉम के चेहरे की तरफ देखने लगा तो मॉम आँख नचाते हुए बोली "चुत ही तो देखनी है...वो तो मैं पेटिकोट उठा कर दिखा दूंगी..." फिर तेजी से बाहर निकल बाथरूम चली गई. मैं सोच में पड़ गया मैं मॉम को पूरा नंगा देखना चाहता था. मैं उनकी चूची और चुत दोनों देखना चाहता था और साथ में उनको चोदना भी चाहता था, पर वो तो बाद की बात थी पहले यहाँ मॉम के नंगे बदन को देखने का जुगार लगाना बहुत जरुरी था. मैंने सोचा की मुझे कुछ हिम्मत से काम लेना होगा. मॉम जब वापस रूम में आकर अपने पेटिकोट को घुटनों के ऊपर तक चढा कर बिस्तर पर बैठने लगी तो मैं बोला " मॉम...मैं….चू…चू…चूची भी देखना...चाहता हूँ". मॉम इस पर चौंकने का नाटक करती बोली "क्या मतलब...चूची भी देखनी है….चुत भी देखनी है....मतलब तू तो मुझे पूरा नंगा देखना चाहता है....हाय....बड़ा बेशर्म है....अपनी मॉम को नंगा देखना चाहता है....क्यों मैं ठीक समझी ना...तू अपनी मॉम को नंगा देखना चाहता है...बोल, ...ठीक है ना...." मैं भी शरमाते हुए हिम्मत दिखाते बोला "हां मॉम....मुझे आप बहुत अच्छी लगती हो....मैं....मैं आप को पूरा...नंगा देखना....चाहता..."
"बड़ा अच्छा हिसाब है तेरा....अच्छी लगती हो.....अच्छी लगने का मतलब तुझे नंगी हो कर दिखाऊ...कपड़ो में अच्छी नहीं लगती हूँ क्या...."
"हाय मॉम मेरा वो मतलब नहीं था....वो तो आपने कहा था....फिर मैंने सोचा....सोचा...."
"...तुने जो भी सोचा सही सोचा....मैं अपने बेटे को दुखी नहीं देख सकती....मुझे ख़ुशी है की मेरा इक्कीस साल का बेटा अपनी मॉम को इतना पसंद करता है की वो नंगा देखना चाहता है.... मैं तुझे पूरा नंगा हो कर दिखाउंगी.....फिर तुम मुझे बताना की तुम अपनी मॉम के साथ क्या-क्या करना चाहते हो....".
मेरी तो जैसे लाँटरी लग गई. चेहरे पर मुस्कान और आँखों में चमक वापस आ गई. मॉम बिस्तर से उतर कर नीचे खड़ी हो गई और हंसते हुए बोली "पहले पेटिको़ट ऊपर उठाऊ या ब्लाउज खोलू..." मैंने मुस्कुराते हुए कहा "हाय मॉम दोनों....खोलो....पेटिको़ट भी और ब्लाउज भी...."
"इस.....स......स....बेशर्म पूरा नंगा करेगा....चल तेरे लिए मैं कुछ भी कर दूंगी....अपने बेटे के लिए कुछ भी...पहले ब्लाउज खोल लेती हूँ फिर पेटिको़ट खोलूंगी....चलेगा ना..." गर्दन हिला कर मॉम ने पूछा तो मैंने भी सहमती में गर्दन हिलाते हुए अपने गालो को शर्म से लाल कर मॉम को देखा. मॉम ने चटाक-चटाक ब्लाउज के बटन खोले और फिर अपने ब्लाउज को खोल कर पीछे की तरफ घूम गई और मुझे अपनी ब्रा का हूक
खोलने के लिए बोला मैंने कांपते हाथो से उनके ब्रा का हूक खोल दिया. मॉम फिर सामने की तरफ घूम गई. मॉम के घूमते ही मेरी आँखों के सामने मॉम की मदमस्त, गदराई हुई मस्तानी कठोर चूचियां आ गई. मैं पहली बार अपनी मॉम के इन गोरे गुब्बारों को पूरा नंगा देख रहा था. इतने पास से देखने पर गोरी चूचियां और उनकी ऊपर की नीली नसे, भूरापन लिए हुए गाढे गुलाबी रंग की उसकी निप्पले और उनके चारो तरफ का गुलाबी घेरा जिन पर छोटे-छोटे दाने जैसा उगा हुआ था सब नज़र आ रहा था. मैं एक दम कूद कर हाय करते हुए उछला तो मॉम मुस्कुराती हुई बोली "अरे, रे इतना उतावला मत बन अब तो नंगा कर दिया है आराम से देखना....ले...देख..." कहती हुई मेरे पास आई. मैं बिस्तर पर बैठा हुआ था और वो निचे खड़ी थी इसलिए मेरा चेहरा उनके चुचियों के पास आराम से पहुँच रहा था. मैं चुचियों को ध्यान से से देखते हुए बोला "हाय...मॉम पकड़े..."
"हाँ...हाँ....पकड़ ले जकड़...ले अब जब नंगा कर के दिखा रही हूँ तो...छूने क्यों नहीं दूंगी....ले आराम से पकड़ कर मजा कर......अपनी मॉम की नंगी चुचियों से खेल...." मैंने अपने दोनों हाथ बढा कर दोनों चुचियों को आराम से दोनों हाथो में थाम लिया. नंगी चुचियों के पहले स्पर्श ने ही मेरे होश उड़ा. उफ्फ्फ मॉम की चूचियां कितनी गठीली और गुदाज थी, इसका अंदाजा मुझे इन मस्तानी चुचियों को हाथ में पकड़ कर ही हुआ. मेरा लण्ड फरफराने लगा. दोनों चुचियों को दोनों हथेली में कस हलके दबाब के साथ मसलते हुए चुटकी में निप्पल को पकड़ हलके से दबाया जैसे किशमिश के दाने को दबाते है. मॉम के मुंह से एक हलकी सी आह निकल गई. मैंने घबरा कर चूची छोड़ी तो मॉम ने मेरा हाथ पकड़ फिर से अपनी चुचियों पर रखते हुए दबाया तो मैं समझ गया की मॉम को मेरा दबाना अच्छा लग रहा है और मैं जैसे चाहू इनकी चुचियों के साथ खेल सकता हूँ. गर्दन उचका कर चुचियों के पास मुंह लगा कर एक हाथ से चूची को पकड़ दबाते हुए दूसरी चूची को जैसे ही अपने होंठो से छुआ मुझे लगा जैसे मॉम गनगना गई उनका बदन सिहर गया. मेरे सर के पीछे हाथ लगा बालों में हाथ फेरते हुए मेरे सर को अपनी चुचियों पर जोर से दबाया. मैंने भी अपने होंठो को खोलते हुए उनकी चुचियों के निप्पल सहित जितना हो सकता था उतना उनकी चुचियों को अपने मुंह में भर लिया और चूसते हुए अपनी जीभ को निप्पल के चारो तरफ घुमाते हुए चुमलाया तो मॉम सिसयाते हुए बोली "आह....आ...हा....सी...सी....ये क्या कर रहा है...उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़.....मार डाला....साले मैं तो तुझे अनारी समझती थी....मगर....तू....तो खिलाड़ी निकला रे.....हाय...चूची चूसना जानता है.....मैं सोच रही थी सब तेरे को सिखाना पड़ेगा....हाय...चूस ...सीईई....ऐसे ही निप्पल को मुंह में लेकर चूस और चूची दबा....हाय रस निकाल बहुत दिन हो गए....." अब तो मैं जैसे भूखा शेर बन गया और मॉम की चुचियों को मुंह में भर ऐसे चूसने लगा जैसे सही में उसमे से रस निकल कर खा जाऊंगा. कभी बाई चूची को कभी दाहिनी चूची को मुंह में भर भर कर लेते हुए निप्पलों को अपने होंठो के बीच दबा दबा कर चूसते हुए रबर की तरह खींच रहा था. चुचियों के निप्पल के चारो तरफ के घेरे में जीभ चलाते हुए जब दुसरे हाथ से मॉम की चूची को पकड़ कर दबाते हुए निप्पल को चुटकी में पकड़ कर खींचा तो मस्ती में लहराते हुए मॉम लड़खड़ाती आवाज़ में बोली "हाय ....सीईई...ई...उफ्फ्फ्फ्फ्फ....चूस ले.....पूरा रस चूस.....मजा आ रहा है....तेरी मॉम को बहुत मजा आ रहा है .....हाय तू तो चूची को क्रिकेट की गेंद समझ कर दबा रहा है....मेरे निप्पल क्या मुंह में ले चूस....तू बहुत अच्छा चूसता है....हाय मजा आ गया ....पर क्या तू चूची ही चूसता रहेगा.....बूर नहीं देखेगा अपनी मॉम की चुत नहीं देखनी है तुझे.....हाय उस समय से मरा जा रहा था और अभी....जब चूची मिल गई तो उसी में खो गया है....हाय चल बहुत दूध पी लिया.....अब बाद में पीना" मेरा मन अभी भरा नहीं था इसलिए मैं अभी भी चूची पर मुंह मारे जा रहा था. इस पर मॉम ने मेरे सर के बालों को पकड़ कर पीछे की तरफ खींचते हुए अपनी चूची से मेरा मुंह अलग किया और बोली "साले....हरामी....चूची...छोड़....कितना दूध पिएगा....हाय अब तुझे अपनी चूत का रस पिलाती हु....चल हट माधरचोद....." गाली देने से मुझे अब कोई फर्क नहीं पड़ता था क्योंकि मैं समझ गया था की ये तो मॉम का शगल है और शायद मार भी सकती है अगर मैं इसके मन मुताबिक ना करू तो. पर दुधारू गाये की लथार तो सहनी ही परती है. इसकी चिंता मुझे अब नहीं थी. मॉम लगता था अब गरम हो चूँकि थी और चुदवाना चाहती थी. मैं पीछे हट गया और मॉम के पेट पर चुम्मा ले कर बोला "हाय मॉम बूर का रस पिलाओगी...हाय जल्दी से खोलो ना..." मॉम पेटिको़ट के नाड़े को झटके के साथ खोलती हुई बोली "....अब तो तुझे पिलाना ही पड़ेगा...ठहर जा अभी तुझे पिलाती अपनी चुत पूरा खोल कर उसकी चटनी चटाऊंगी फिर...देखना तुझे कैसा मजा आता है...." पेटिको़ट सरसराते हुए निचे गिरता चला गया पैंटी तो पहनी नहीं थी इसलिए पेटिको़ट के निचे गिरते ही मॉम पूरी नंगी हो गई. मेरी नजर उनके दोनों जन्घो के बीच के तिकोने पर गई. दोनों चिकनी मोटी मोटी रानो के बीच में मॉम की बूर का तिकोना नज़र आ रहा था. चुत पर हलकी झांटे उग आई थी. मगर इसे झांटो का जंगल नहीं कह सकते थे. ये तो चुत की खूबसूरती को और बढा रहा था. उसके बीच मॉम की गोरी गुलाबी चुत की मोटी फांके झांक रही थी. दोनों जांघ थोड़ा अलग थे फिर भी चुत की फांके आपस में सटी हुई थी और जैसा की मैंने बाथरूम में पीछे से देखा था एक वैसा तो नहीं मगर फिर भी एक लकीर सी बना रही थी दोनों फांके. मॉम की कमर को पकड़ सर को झुकाते हुए चुत के पास ले जाकर देखने की कोशिश की तो मॉम अपने आप को छुड़ाते हुए बोली " ऐसे नहीं....ऐसे ठीक से नहीं देख पाओगे....दोनों जांघ फैला कर अभी दिखाती हूँ...फिर आराम से बैठ कर मेरी बूर को देखना और फिर तुझे उसके अन्दर का माल खिलाउगीं...घबरा मत बेटे ...मैं तुझे अपनी चुत पूरा खोल कर दिखाउंगी और....उसकी चटनी भी चटाउगीं...चल छोड़ कहते हुए पीछे मुड़ी. पीछे मुड़ते ही मॉम गुदाज चुत्तर और गांड मेरी आँखों के सामने नज़र आ गए. मॉम चल रही थी और उसके दोनों चुत्तर थिरकते हुए हिल रहे थे और आपस में चिपके हुए हिलते हुए ऐसे लग रहे थे जैसे बात कर रहे हो और मेरे लण्ड को पुकार रहे हो. लौड़ा दुबारा अपनी पूरी औकात पर आ चूका था और फनफना रहा था. मॉम ड्रेसिंग टेबल के पास रखे गद्देदार सोफे वाली कुर्सी पर बैठ गई और हाथो के इशारे से मुझे अपने पास बुलाया और बोली "हाय...बेटे ...आ जा तुझे मजे करवाती हूँ....अपने मालपुए का स्वाद चखाती हूँ....देख बेटे मैं इस कुर्सी के दोनों हत्थों पर अपनी दोनों टांगो को रख कर जांघ टिका कर फैलाऊंगी ना तो मेरी चुत पूरी उभर कर सामने आ जायेगी और फिर तुम उसके दोनों फांको को अपने हाथ से फैला कर अन्दर का माल चाटना....इस तरह से तुम्हारी जीभ पूरा बूर के अन्दर घुस जायेगी....ठीक है बेटा ...आ जा....जल्दी कर....अभी एक पानी तेरे मुंह में गिरा देती हूँ फिर तुझे पूरा मजा दूंगी...." मैं जल्दी से बिस्तर छोर मॉम की कुर्सी के पास गया और जमीं पर बैठ गया. मॉम ने अपने दोनों पैरो को सोफे के हत्थों के ऊपर चढा कर अपनी दोनों जांघो को फैला दिया. रानो के फैलते ही मॉम की चुत उभर कर मेरी आँखों के सामने आ गई. उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़....क्या खूबसूरत चुत थी. गोरी गुलाबी....काले काले झांटो के जंगल के बीच में से झांकती ऐसी लग रही थी जैसे बादलो के पीछे से चाँद मुस्कुरा रहा है. एक दम पावरोटी के जैसी फूली हुई चुत थी. दोनों पैर कुर्सी के हत्थों के ऊपर चढा कर फैला देने के बाद भी चुत के दोनों होंठ अलग नहीं हुए थे. चुत पर ऊपर के हिस्से में झांटे थी मगर निचे गुलाबी कचौरी जैसे होंठो के आस पास एक दम बाल नहीं थे. मैं जमीन पर बैठ कर मॉम के दोनों रानो पर दोनों हाथ रख कर गर्दन झुका कर एक दम ध्यान से मॉम की चुत को देखने लगा. चुत के सबसे ऊपर में किसी तोते के लाल चोंच की तरह बाहर की तरफ निकली हुई मॉम के चुत का भागनाशा था. कचौरी के जैसी चुत के दोनों फांको पर अपना हाथ लगा कर दोनों फांको को हल्का सा फैलाती हुई मॉम बोली रोहित ....ध्यान से देख ले....अच्छी तरह से अपनी मॉम की बूर को देख बेटा....चुत फैला के देखेगा तो तुझे....पानी जैसा नज़र आएगा....उसको चाट का अच्छी तरह से खाना....चुत की असली चटनी वही है...." मॉम के चुत के दोनों होंठ फ़ैल और सिकुर रहे थे. मैंने अपनी गर्दन को झुका दिया और जीभ निकल कर सबसे पहले चुत के आस पास वाले भागो को चाटने लगा. रानो के जोर और जांघो को भी चाटा.
जांघो को हल्का हल्का काटा भी फिर जल्दी से मॉम की चुत पर अपने होंठो को रख कर एक चुम्मा लिया और जीभ निकाल कर पूरी दरार पर एक बार चलाया. जीभ छुलाते ही मॉम सिसया उठी और बोली "सीईई....बहुत अच्छा बेटा ...तुम्हे आता है...मुझे लग रहा था की सिखाना पड़ेगा मगर तू तो बहुत होशियार है....हाय….बूर चाटना आता है.... ऐसे ही.... तुने शुरुआत बहुत अच्छी की है....अब पूरी चुत पर अपनी जीभ फिराते हुए.....मेरी बूर की टीट को पहले अपने होंठो के बीच दबा कर चूस...देख मैं बताना भूल गई थी....चुत के सबसे ऊपर में जो लाल-लाल निकला हुआ है ना....उसी को होंठो के बीच दबा के चूसेगा....तब मेरी चुत में रस निकलने लगेगा....फिर तू आराम से चाट कर चूसना....सीईईई..... मैं जैसा बताती हूँ वैसा ही कर...." मैं तो पहले से ही जानता था की टीट या भागनाशा क्या होती है. मुझे बताने की जरुरत तो नहीं थी पर मॉम ने ये अच्छा किया था की मुझे बता दिया था की कहाँ से शुरुआत करनी है. मैंने अपने होंठो को खोलते हुए टीट को मुंह में भर कर चूसना शुरू कर दिया. टीट को होंठो के बीच दबा कर अपनी दांतों से हलके हलके काटते हुए मैं उस पर अपने होंठ रगर रहा था. टीट और उसके आस पास ढेर सारा थूक लग गया था और एक पल के लिए जब मैंने वह से अपना मुंह हटाया तो देखा की मेरी चुसाई के कारण टीट चमकने लगी है. एक बार और जोर से टीट को पूरा मुंह में भर कर चुम्मा लेने के बाद मैंने अपनी जीभ को करा करके पूरी चुत की दरार में ऊपर से निचे तक चलाया और फिर चुत के एक फांक को अपने दाहिने हाथ की उँगलियों से पकर कर हल्का सा फैलाया. चुत की गुलाबी छेद मेरी आँखों के सामने थी. जीभ को टेढा कर चुत के मोटे फांक को अपने होंठो के बीच दबा कर चूसने लगा. फिर दूसरी फांक को अपने मुंह में भर कर चूसा उसके बाद दोनों फांक को आपस में सटा कर पूरी चुत को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा. चुत से रिस रिस कर पानी निकल रहा था और मेरे मुंह में आ रहा था. चुत का नमकीन पानी शुरू में तो उतना अच्छा नहीं लगा पर कुछ देर के बाद मुझे कोई फर्क नहीं पर रहा था और मैं दुगुने जोश के साथ पूरी चुत को मुंह में भर कर चाट रहा था. मॉम को भी मजा आ रहा था और वही कुर्सी पर बैठे-बैठे अपने चुत्तारो को ऊपर
उछालते हुए वो जोश में आ कर मेरे सर को अपने दोनों हाथो से अपनी चुत पर दबाते हुए बोली "हाय ....बहुत अच्छा कर रहा है....राजा.....हाय......सीईई....बड़ा मजा आ रहा है....हाय मेरी चुत के कीड़े....मेरे सैयां.....ऊऊऊउ...सीईईइ.....खाली ऊपर-ऊपर से चूस रहा है.... बहनचोद....जीभ अन्दर घुसा कर चाट ना.....बूर में जीभ पेल दे और अन्दर बाहर कर के जीभ से मेरी चुत चोदते हुए अच्छी तरह से चाट....अपनी बड़ी बहन की चुत अच्छी तरह से चाट मेरे राजा....माधरचोद....ले ले.....ऊऊऊऊ......इस्स्स्स्स्स...घुसा चुत में जीभ....मथ....दे......." मॉम बहुत जोश में आ चुकी थी और लग रहा था की उनको काफी मजा आ रहा है. उनके इतना बोलने पर मैंने दोनों हाथो की उँगलियों से दोनों फान्को को अलग कर के अपनी जीभ को कड़ा करके चुत में पेल दिया. जीभ को चुत के अन्दर बाहर करते हुए लिबलिबाने लगा और बीच बीच में बूर से चूते रस को जीभ टेढा करके चूसने लगा. मॉम की दोनों जांघे हिल रही थी और मैं दोनों जांघो को कस कर हाथ से पकर कर चुत में जीभ पेल रहा था. जांघो को मसलते हुए बीच बीच में जीभ को आराम देने के लिए मैं जीभ निकल कर जांघो और उसके आस-पास चुम्मा लेने लगता था. मेरे ऐसा करने पर मॉम जोर से गुर्राती और फिर से मेरे बालों को पकर कर अपनी चुत के ऊपर मेरा मुंह लगा देती थी. मॉम मेरी चुसी से बहुत खुश थी और चिल्लाती हुई बोल रही थी "हाय....राजा...जीभ बाहर मत निकालो....हाय बहुत मजा आ रहा है...ऐसे ही.... बूर के अन्दर जीभ डाल के मेरी चुत मथते रहो....हाय चोद....दे माधरचोद....अपनी जीभ से अपनी मॉम की बूर चोद दे....हाय सैयां....बहुत दिनों के बाद ऐसा मजा आया है....इतने दिनों से तड़पती घूम रही थी....हाय हाय....अपनी मॉम की बूर को चाटो….मेरे राजा….मेरे बालम.... तुझे बहुत अच्छा इनाम दूंगी.... भोसड़ीवाले.....तेरा लौड़ा अपनी चुत में लुंगी....आजतक तुने किसी की चोदी नहीं है ना....तुझे चोदने का मौका दूंगी....अपनी चुत तेरे से मरवाऊगीं....मेरे बेटे .....मेरे सोना मोना....मन लगा कर मॉम की चुत चाट....मेरा पानी निकलेगा....तेरे मुंह में....हाय जल्दी जल्दी चाट....पूरा जीभ अन्दर डाल कर सीईई.....". मॉम पानी छोरने वाली है ये जान कर मैंने अपनी पूरी जीभ चुत के अन्दर पेल दी और अंगूठे को टीट के उ़पर रख कर रगरते हुए जोर जोर से जीभ अन्दर बाहर करने लगा. मॉम अब और तेजी के साथ गांड उछल रही थी और मैं लप लप करते हुए जीभ को अन्दर बाहर कर रहा था. कुत्ते की तरह से मॉम की बूर चाटते हुए टीट को रगरते हुए कभी कभी मॉम की चुत पर दांत भी गरा देता था, मगर इन सब चीजों का मॉम के ऊपर कोई असर नहीं पर रहा था और वो मस्ती में अब गांड को हवा में लहराते हुए सिसया रही थी "हाय मेरा निकल रहा है....हाय ...निकल रहा है मेरा पानी....पूरा जीभ घुसा दे....साले.....बहुत अच्छा....ऊऊऊऊऊ.....सीईईईईईइ....मजा आ गया राजा...मेरे चुत चाटू सैयां....मेरी चुत पानी छोर रही है...........इस्स्स्स्स्स्स्स्स......मजा आ गया....बहनचोद....पी ले अपनीमॉम के बूर का पानी....हाय चूस ले अपनी मॉम की जवानी का रस.....ऊऊऊऊ.......गांडू......" मॉम अपनी गांड को हवा में लहराते हुए झरने लगी और उनकी चुत से पानी बहता हुआ मेरी जीभ को गीला करने लगा. मैंने अपना मुंह मॉम की चुत पर से हटा दिया और अपनी जीभ और होंठो पर लगे चुत के पानी को चाटते हुए को देखा. वो अपनी आँखों को बंद किये शांत पड़ी हुई थी और अपनी गर्दन को कुर्सी के पुश्त पर टिका कर ऊपर की ओर किये हुए थी. उनकी दोनों जांघे वैसे ही फैली हुई थी. पूरी चुत मेरी चुसाई के कारण लाल हो गई थी और मेरे थूक और लार के कारण चमक रही थी.
मॉम आंखे बंद किये गहरी सांसे ले रही थी और उनके माथे और छाती पर पसीने की छोटी-छोटी बुँदे चमक रही थी. मैं वही जमीन पर बैठा रहा और मॉम की चुत को गौर से देखने लगा. मॉम को सुस्त परे देख मुझे और कुछ नहीं सूझा तो मैं उनके जांघो को चाटने लगा. चूँकि मॉम ने अपने दोनों पैरों को मोड़ कर जांघो को कुर्सी के पुश्त से टिका कर रखा हुआ था इसलिए वो एक तरह से पैर मोड़ कर अधलेटी सी अवस्था में बैठी हुई थी और मॉम की गांड मेरा मतलब है चुत्तर आधी कुर्सी पर और आधी बाहर की तरफ लटकी हुई थी. ऐसे बैठने के कारण उनके गांड की भूरी छेद मेरी आँखों से सामने थी. छोटी सी भूरे रंग की सिकुरी हुई छेद किसी फूल की तरह लग रही थी और लिए अपना सपना पूरा करने का इस से अच्छा अवसर नहीं था. मैं हलके से अपनी एक ऊँगली को मॉम की चुत के मुंह के पास ले गया और चुत के पानी में अपनी ऊँगली गीली कर के चुत्तरों के दरार में ले गया. दो तीन बार ऐसे ही करके पूरी गांड की खाई को गीला कर दिया फिर अपनी ऊँगली को पूरी खाई में चलाने लगा. धीरे धीरे ऊँगली को गांड की छेद पर लगा कर हलके-हलके केवल छेद की मालिश करने लगा. कुछ देर बाद मैंने थोरा सा जोर लगाया और अपनी ऊँगली के एक पोर को गांड की छोटी सी छेद में घुसाने की कोशिश की. ज्यादा तो नहीं मगर बस थोड़ी सी ऊँगली घुस गई मैंने फिर ज्यादा जोर नहीं लगाया और उतना ही घुसा कर अन्दर बाहर करते हुए गांड की छेद का मालिश करने लगा. बड़ा मजा आ रहा था. मेरे दिल की तम्मना पूरी हो गई. बाथरूम में नहाते समय जब मॉम को देखा था तभी से सोच रहा था की एक बार इस गांड की दरार में ऊँगली चलाऊंगा और इसकी छेद में ऊँगली डाल कर देखूंगा कैसा लगता है इस सिकुरी हुई भूरे रंग की छेद में ऊँगली पेलने पर. मस्त राम की किताबों में तो लिखा होता है की लण्ड भी घुसेरा जाता है. पर गांड की सिकुरी हुई छेद इतनी टाइट लग रही थी की मुझे विश्वास नहीं हो रहा था की लण्ड उसके अन्दर घुसेगा. खैर दो तीन मिनट तक ऐसे ही मैं करता रहा. मॉम की बूर से पानी बाहर की निकल कर धीरे धीरे रिस रहा था. मैंने दो तीन बार अपना मुंह लगा कर बाहर निकलते रस को भी चाट लिया और गांड में धीरे धीरे ऊँगली करता रहा. तभी मॉम ने मुझे पीछे धकेला "हट...माधरचोद....क्या कर रहा है....गांड मारेगा क्या....फिर अपने पैर से मेरी छाती को पीछे धकेलती हुई उठ कर खड़ी हो गई. मैं हड़बड़ाता हुआ पीछे की तरफ गिरा फिर जल्दी से उठ कर खड़ा हो गया. मेरा लण्ड पूरा खड़ा हो कर नब्बे डिग्री का कोण बनाते हुए लप-लप कर रहा था मगर मॉम के इस अचानक हमले ने फिर एक झटका दिया. मैं डर कर दो कदम पीछे हुआ. मॉम नंगी ही बाहर निकल गई लगता था फिर से बाथरूम गई थी. मैं वही खड़ा सोचने लगा की अब क्या होगा. थोड़ी देर बाद मॉम फिर से अन्दर आई और बिस्तर पर बैठ गई और मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देखा फिर मेरे लपलपाते लण्ड को देखा और अंगराई लेती हुई बोली "हाय रोहित बहुत मजा आया....अच्छा चूसता है...तू.... "मुझे लग रहा था की तू अनारी होगा मगर तुने तो अपने डैड को भी मात कर दिया....उस साले को चूसना नहीं आता था...खैर उसका क्या...उस भोसड़ीवाले को तो चोदना भी नहीं आता था....तुने चाट कर अच्छा मजा दिया... इधर आ,……आ ना...वहां क्यों खड़ा है बेटा .....आ यहाँ बिस्तर पर बैठ...." मॉम के इस तरह बोलने पर मुझे शांति मिली की चलो नाराज़ नहीं है और मैं बिस्तर पर आ कर बैठ गया. मॉम मेरे लण्ड की तरफ देखती बोली "हूँ....खड़ा हो गया है....इधर आ तो पास में....देखू...." मैं खिसक कर पास में गया तो मेरे लण्ड को मुठ्ठी में कसती हुई सक-सक ऊपर निचे किया. लाल-लाल सुपाड़े पर से चमरी खिसका. उस पर ऊँगली चलाती हुई बोली "अब कभी हाथ से मत करना.....समझा अगर मैंने पकड़ लिया तो तेरी खैर नहीं.....मारते मारते गांड फुला दूंगी....समझा...." मैं मॉम के इस धमकी को सुन नासमझ बनने का नाटक करता हुआ बोला "तो फिर कैसे करू....मेरी तो शादी भी नहीं हुई है...." फिर गर्दन झुका कर शरमाने का नाटक किया. मॉम ने मेरी ठोडी पकड़ गर्दन को ऊपर उठाते हुए कहा "जानता तो तू सब कुछ है.....फिर कोई लड़की क्यों नहीं पटाता अभी तो तेरी शादी में टाइम है.....अपने लिए कोई छेद खोज ले...." मैं बुरा सा मुंह बनाता हुआ बोला "हुह…मुझे कोई अच्छी नहीं लगती...सब बस ऐसे ही है…..” मॉम इस पर थोड़ा सा खुंदक खाती हुई बोली "अजीब लड़का है...बहनचोद...तुझे अपनी मॉम के अलावा और कोई अच्छी नहीं लगती क्या.....". मैं इस पर शर्माता हुआ बोला "…मुझे सबसे ज्यादा आप अच्छी लगती हो......मैं....."
"आये....हाय...ऐसा तो लड़का ही नहीं देखा....मॉम को चोदने के चक्कर में....भोसड़ीवाले को सबसे ज्यादा मॉम अच्छी लगती है.... मैं नहीं मिली तो……मुठ मारता रह जायेगा.....” मॉम ने आँख नाचते हुए भौं उचका कर प्रश्न किया. मैंने मुस्कुराते हुए गाल लाल करते हुए गर्दन हिला कर हाँ किया. मेरी इस बात पर रीझती हुई मॉम ने मुझे अपनी बाँहों में भर लिया और अपनी छाती से लगाती हुई बोली "हाय रे मेरा सोना....मेरे प्यारे बेटे .... तुझे मॉम सबसे अच्छी लगती है....तुझे मेरी चुत चाहिए....मिलेगी मेरे प्यारे बेटे मिलेगी....मेरे राजा....आज रात भर अपने हलब्बी लण्ड से अपनी मॉम की बूर का बाजा बजाना......अपने बेटे का लण्ड अपनी चुत में लेकर मैं सोऊगीं......हाय राजा.....अपने मुसल से अपनी मॉम की ओखली को रात भर खूब कूटना.....अब मैं तुझे तरसने नहीं दूंगी....तुझे कही बाहर जाने की जरुरत नहीं है.....चल आ जा.....आज की रात तुझे जन्नत की सैर करा दू....." फिर मॉम ने मुझे धकेल कर निचे लिटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ कर मेरे होंठो को चूसती हुई अपनी गठीली चुचियों को मेरी छाती पर रगड़ते हुए मेरे बालों में अपना हाथ फेरते हुए चूमने लगी. मैं भी मॉम के होंठो को अपने मुंह में भरने का प्रयास करते हुए अपनी जीभ को उनके मुंह में घुसा कर घुमा रहा था. मेरा लण्ड मॉम की दोनों जांघो के बीच में फस कर उसकी चुत के साथ रगड़ खा रहा था. मॉम भी अपना गांड नाचते हुए मेरे लण्ड पर अपनी चुत को रगड़ रही थी और कभी मेरे होंठो को चूम रही थी कभी मेरे गालो को काट रही थी. कुछ देर तक ऐसे ही करने के बाद मेरे होंठो को छोर का उठ कर मेरी कमर पर बैठ गई. और फिर आगे की ओर सरकते हुए मेरी छाती पर आकर अपनी गांड को हवा में उठा लिया और अपनी हलके झांटो वाली गुलाबी खुश्बुदार चुत को मेरे होंठो से सटाती हुई बोली "जरा चाट के गीला कर... बड़ा तगड़ा लण्ड है तेरा...सुखा लुंगी तो…..साली फट जायेगी मेरी तो.....” एक बार मुझे मॉम की चुत का स्वाद मिल चूका था, इसके बाद मैं कभी भी उनकी गुदाज कचौरी जैसी चुत को चाटने से इंकार नहीं कर सकता था, मेरे लिए तो मॉम की बूर रस का खजाना थी. तुंरत अपने जीभ को निकल दोनों चुत्तरो पर हाथ जमा कर लप लप करता हुआ चुत चाटने लगा. इस अवस्था में मॉम को चुत्तरों को मसलने का भी मौका मिल रहा था और मैं दोनों हाथो की मुठ्ठी में चुत्तर के मांस को पकड़ते हुए मसल रहा था और चुत की लकीर में जीभ चलाते हुए अपनी थूक से बूर के छेद को गीला कर रहा था. वैसे मॉम की बूर भी ढेर सारा रस छोड़ रही थी. जीभ डालते ही इस बात का अंदाज हो गया की पूरी चुत पसीज रही है, इसलिए मॉम की ये बात की वो चटवा का गीला करवा रही थी हजम तो नहीं हुई, मगर मेरा क्या
बिगर रहा था मुझे तो जितनी बार कहती उतनी बार चाट देता. कुछ ही देर मॉम की चुत और उसकी झांटे भी मेरी थूक से गीली हो गई. मॉम दुबारा से गरम भी हो गई और पीछे खिसकते हुए वो एक बार फिर से मेरी कमर पर आ कर बैठ गई और अपने हाथ से मेरे तनतनाये हुए लण्ड को अपनी मुठ्ठी में कस हिलाते हुए अपने चुत्तरों को हवा में उठा लिया और लण्ड को चुत के होंठो से सटा कर सुपाड़े को रगड़ने लगी. सुपाड़े को चुत के फांको पर रगड़ते चुत के रिसते पानी से लण्ड की मुंडी को गीला कर रगड़ती रही. मैं बेताबी से दम साधे इस बात का इन्तेज़ार कर रहा था की कब मॉम अपनी चुत में मेरा लौड़ा लेती है. मैं निचे से धीरे-धीरे गांड उछाल रहा था और कोशिश कर रहा था की मेरा सुपाड़ा उनके बूर में घुस जाये. मुझे गांड उछालते देख मॉम मेरे लण्ड के ऊपर मेरे पेट पर बैठ गई और चुत की पूरी लम्बाई को लौड़े की औकात पर चलाते हुए रगड़ने लगी तो मैं सिस्याते हुए बोला "मॉम प्लीज़....ओह....सीईई अब नहीं रहा जा रहा है....जल्दी से अन्दर कर दो ना.....उफ्फ्फ्फ्फ्फ......ओह मॉम ....बहुत अच्छा लग रहा है....और तुम्हारी चु...चु....चु....चुत मेरे लण्ड पर बहुत गर्म लग रही है....ओह मॉम...जल्दी करो ना....क्या तुम्हारा मन नहीं कर रहा है....." अपनी गांड नचाते हुए लण्ड पर चुत रगड़ते हुए मॉम बोली "हाय... जब इतना इन्तेजार किया है तो थोड़ा और इन्तेजार कर लो....देखते रहो....मैं कैसे करती हूँ....मैं कैसे तुम्हे जन्नत की सैर कराती हूँ....मजा नहीं आये तो अपना लौड़ा मेरी गांड में घुसेड़ देना.....माधरचोद....अभी देखो मैं तुम्हारा लण्ड कैसे अपनी बूर में लेती हूँ.....लण्ड सारा पानी अपनी चुत से पी लुंगी...घबराओ मत..... अपनी मॉम पर भरोसा रखो...
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पुजारी हवस का --7
मॉम को नहाते देखने के बाद तो मेरा हाल और भी बुरा हो गया था,मुझे तो अब एक ही धुन सवार हो गयी थी की किसी भी तरह मॉम को चोदना हे,पर कैसे ये मेरी समझ नही आ रहा था। अब मेने एक काम शुरू किया की में जब भी मॉम के पास जाता तो अपने लोडे को खड़ा कर के मेरे लंड का उभर साफ दिख जाये। ये ही नही में ये भी कोशिश करने लगा की कमरे का दरवाजा तो बंद न करू और नंगा होकर मूठ मरू ताकि मॉम जब भी रूम में घुसे तो उन्हें मेरा लौड़ा दिख जाये।
एक दिन में अपनी कोशिश में कामयाब हो गया ,में अपने रूम में मूठ मर ही रहा था की मॉम रूम में आ गयी ,में उन्हें देख कर सक पकाया नही बल्कि मेने अपना टॉवल बड़े आराम से लोडे पर डाला और खड़ा हो गया पर में अपना लौड़ा मॉम को दिखने में कामयाब हो गया था,मॉम ने जोर से मुझे चिल्ला कर कहा,ये तुम क्या कर रहे थे ,तुम्हे शर्म नही आ रही थी की तुम्हारी मॉम या बहन तुम्हारे रूम में आ सकती हे ,और ये करने से तुम्हारी ज़िंदगी ख़राब हो जाएगी।
मुझे सब पता हे लेकिन कर सकता हु? मेने मेने कहा। मॉम फिर जोर से बोली ,क्या मतलब ?मेने कहा मेने आपको और डैड को रात को कई बार सेक्स करते देखा हे और आप जिस तरह से आप दोनों सेक्स करते हो उसने मेरी ज़िंदगी ख़राब कर दी हे में अब दिन रात आपके बारे में ही सोचता रहता हु। मॉम अब ठंडी पड़ी ,क्या सोचते रहते हो मेने कहा ,मॉम में आपको नंगा देखना चाहता हु ,क्या ,मॉम जोर चिल्लाई तेरा दिमाग तो ख़राब नही हो गया , तू अपनी मॉम से ऐसे कैसे कह सकता हे ? मेने कहा आप सोच लीजिये अगर आप नही मानती तो में ऐसे ही मूठ मारूंगा,मॉम अब और ठंडी पड़ी,
मगर तभी मॉम बोली "ठीक है मतलब तुझे चुत देखनी है....अभी बाथरूम से आती हूँ तो तुझे अपनी बुर दिखाती हूँ" कहती हुई बेड से निचे उतर ब्लाउज के बटन बंद करने लगी. मेरी कुछ समझ में नहीं आया की मॉम अपना ब्लाउज क्यों बंद कर रही है मैं मॉम के चेहरे की तरफ देखने लगा तो मॉम आँख नचाते हुए बोली "चुत ही तो देखनी है...वो तो मैं पेटिकोट उठा कर दिखा दूंगी..." फिर तेजी से बाहर निकल बाथरूम चली गई. मैं सोच में पड़ गया मैं मॉम को पूरा नंगा देखना चाहता था. मैं उनकी चूची और चुत दोनों देखना चाहता था और साथ में उनको चोदना भी चाहता था, पर वो तो बाद की बात थी पहले यहाँ मॉम के नंगे बदन को देखने का जुगार लगाना बहुत जरुरी था. मैंने सोचा की मुझे कुछ हिम्मत से काम लेना होगा. मॉम जब वापस रूम में आकर अपने पेटिकोट को घुटनों के ऊपर तक चढा कर बिस्तर पर बैठने लगी तो मैं बोला " मॉम...मैं….चू…चू…चूची भी देखना...चाहता हूँ". मॉम इस पर चौंकने का नाटक करती बोली "क्या मतलब...चूची भी देखनी है….चुत भी देखनी है....मतलब तू तो मुझे पूरा नंगा देखना चाहता है....हाय....बड़ा बेशर्म है....अपनी मॉम को नंगा देखना चाहता है....क्यों मैं ठीक समझी ना...तू अपनी मॉम को नंगा देखना चाहता है...बोल, ...ठीक है ना...." मैं भी शरमाते हुए हिम्मत दिखाते बोला "हां मॉम....मुझे आप बहुत अच्छी लगती हो....मैं....मैं आप को पूरा...नंगा देखना....चाहता..."
"बड़ा अच्छा हिसाब है तेरा....अच्छी लगती हो.....अच्छी लगने का मतलब तुझे नंगी हो कर दिखाऊ...कपड़ो में अच्छी नहीं लगती हूँ क्या...."
"हाय मॉम मेरा वो मतलब नहीं था....वो तो आपने कहा था....फिर मैंने सोचा....सोचा...."
"...तुने जो भी सोचा सही सोचा....मैं अपने बेटे को दुखी नहीं देख सकती....मुझे ख़ुशी है की मेरा इक्कीस साल का बेटा अपनी मॉम को इतना पसंद करता है की वो नंगा देखना चाहता है.... मैं तुझे पूरा नंगा हो कर दिखाउंगी.....फिर तुम मुझे बताना की तुम अपनी मॉम के साथ क्या-क्या करना चाहते हो....".
मेरी तो जैसे लाँटरी लग गई. चेहरे पर मुस्कान और आँखों में चमक वापस आ गई. मॉम बिस्तर से उतर कर नीचे खड़ी हो गई और हंसते हुए बोली "पहले पेटिको़ट ऊपर उठाऊ या ब्लाउज खोलू..." मैंने मुस्कुराते हुए कहा "हाय मॉम दोनों....खोलो....पेटिको़ट भी और ब्लाउज भी...."
"इस.....स......स....बेशर्म पूरा नंगा करेगा....चल तेरे लिए मैं कुछ भी कर दूंगी....अपने बेटे के लिए कुछ भी...पहले ब्लाउज खोल लेती हूँ फिर पेटिको़ट खोलूंगी....चलेगा ना..." गर्दन हिला कर मॉम ने पूछा तो मैंने भी सहमती में गर्दन हिलाते हुए अपने गालो को शर्म से लाल कर मॉम को देखा. मॉम ने चटाक-चटाक ब्लाउज के बटन खोले और फिर अपने ब्लाउज को खोल कर पीछे की तरफ घूम गई और मुझे अपनी ब्रा का हूक
खोलने के लिए बोला मैंने कांपते हाथो से उनके ब्रा का हूक खोल दिया. मॉम फिर सामने की तरफ घूम गई. मॉम के घूमते ही मेरी आँखों के सामने मॉम की मदमस्त, गदराई हुई मस्तानी कठोर चूचियां आ गई. मैं पहली बार अपनी मॉम के इन गोरे गुब्बारों को पूरा नंगा देख रहा था. इतने पास से देखने पर गोरी चूचियां और उनकी ऊपर की नीली नसे, भूरापन लिए हुए गाढे गुलाबी रंग की उसकी निप्पले और उनके चारो तरफ का गुलाबी घेरा जिन पर छोटे-छोटे दाने जैसा उगा हुआ था सब नज़र आ रहा था. मैं एक दम कूद कर हाय करते हुए उछला तो मॉम मुस्कुराती हुई बोली "अरे, रे इतना उतावला मत बन अब तो नंगा कर दिया है आराम से देखना....ले...देख..." कहती हुई मेरे पास आई. मैं बिस्तर पर बैठा हुआ था और वो निचे खड़ी थी इसलिए मेरा चेहरा उनके चुचियों के पास आराम से पहुँच रहा था. मैं चुचियों को ध्यान से से देखते हुए बोला "हाय...मॉम पकड़े..."
"हाँ...हाँ....पकड़ ले जकड़...ले अब जब नंगा कर के दिखा रही हूँ तो...छूने क्यों नहीं दूंगी....ले आराम से पकड़ कर मजा कर......अपनी मॉम की नंगी चुचियों से खेल...." मैंने अपने दोनों हाथ बढा कर दोनों चुचियों को आराम से दोनों हाथो में थाम लिया. नंगी चुचियों के पहले स्पर्श ने ही मेरे होश उड़ा. उफ्फ्फ मॉम की चूचियां कितनी गठीली और गुदाज थी, इसका अंदाजा मुझे इन मस्तानी चुचियों को हाथ में पकड़ कर ही हुआ. मेरा लण्ड फरफराने लगा. दोनों चुचियों को दोनों हथेली में कस हलके दबाब के साथ मसलते हुए चुटकी में निप्पल को पकड़ हलके से दबाया जैसे किशमिश के दाने को दबाते है. मॉम के मुंह से एक हलकी सी आह निकल गई. मैंने घबरा कर चूची छोड़ी तो मॉम ने मेरा हाथ पकड़ फिर से अपनी चुचियों पर रखते हुए दबाया तो मैं समझ गया की मॉम को मेरा दबाना अच्छा लग रहा है और मैं जैसे चाहू इनकी चुचियों के साथ खेल सकता हूँ. गर्दन उचका कर चुचियों के पास मुंह लगा कर एक हाथ से चूची को पकड़ दबाते हुए दूसरी चूची को जैसे ही अपने होंठो से छुआ मुझे लगा जैसे मॉम गनगना गई उनका बदन सिहर गया. मेरे सर के पीछे हाथ लगा बालों में हाथ फेरते हुए मेरे सर को अपनी चुचियों पर जोर से दबाया. मैंने भी अपने होंठो को खोलते हुए उनकी चुचियों के निप्पल सहित जितना हो सकता था उतना उनकी चुचियों को अपने मुंह में भर लिया और चूसते हुए अपनी जीभ को निप्पल के चारो तरफ घुमाते हुए चुमलाया तो मॉम सिसयाते हुए बोली "आह....आ...हा....सी...सी....ये क्या कर रहा है...उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़.....मार डाला....साले मैं तो तुझे अनारी समझती थी....मगर....तू....तो खिलाड़ी निकला रे.....हाय...चूची चूसना जानता है.....मैं सोच रही थी सब तेरे को सिखाना पड़ेगा....हाय...चूस ...सीईई....ऐसे ही निप्पल को मुंह में लेकर चूस और चूची दबा....हाय रस निकाल बहुत दिन हो गए....." अब तो मैं जैसे भूखा शेर बन गया और मॉम की चुचियों को मुंह में भर ऐसे चूसने लगा जैसे सही में उसमे से रस निकल कर खा जाऊंगा. कभी बाई चूची को कभी दाहिनी चूची को मुंह में भर भर कर लेते हुए निप्पलों को अपने होंठो के बीच दबा दबा कर चूसते हुए रबर की तरह खींच रहा था. चुचियों के निप्पल के चारो तरफ के घेरे में जीभ चलाते हुए जब दुसरे हाथ से मॉम की चूची को पकड़ कर दबाते हुए निप्पल को चुटकी में पकड़ कर खींचा तो मस्ती में लहराते हुए मॉम लड़खड़ाती आवाज़ में बोली "हाय ....सीईई...ई...उफ्फ्फ्फ्फ्फ....चूस ले.....पूरा रस चूस.....मजा आ रहा है....तेरी मॉम को बहुत मजा आ रहा है .....हाय तू तो चूची को क्रिकेट की गेंद समझ कर दबा रहा है....मेरे निप्पल क्या मुंह में ले चूस....तू बहुत अच्छा चूसता है....हाय मजा आ गया ....पर क्या तू चूची ही चूसता रहेगा.....बूर नहीं देखेगा अपनी मॉम की चुत नहीं देखनी है तुझे.....हाय उस समय से मरा जा रहा था और अभी....जब चूची मिल गई तो उसी में खो गया है....हाय चल बहुत दूध पी लिया.....अब बाद में पीना" मेरा मन अभी भरा नहीं था इसलिए मैं अभी भी चूची पर मुंह मारे जा रहा था. इस पर मॉम ने मेरे सर के बालों को पकड़ कर पीछे की तरफ खींचते हुए अपनी चूची से मेरा मुंह अलग किया और बोली "साले....हरामी....चूची...छोड़....कितना दूध पिएगा....हाय अब तुझे अपनी चूत का रस पिलाती हु....चल हट माधरचोद....." गाली देने से मुझे अब कोई फर्क नहीं पड़ता था क्योंकि मैं समझ गया था की ये तो मॉम का शगल है और शायद मार भी सकती है अगर मैं इसके मन मुताबिक ना करू तो. पर दुधारू गाये की लथार तो सहनी ही परती है. इसकी चिंता मुझे अब नहीं थी. मॉम लगता था अब गरम हो चूँकि थी और चुदवाना चाहती थी. मैं पीछे हट गया और मॉम के पेट पर चुम्मा ले कर बोला "हाय मॉम बूर का रस पिलाओगी...हाय जल्दी से खोलो ना..." मॉम पेटिको़ट के नाड़े को झटके के साथ खोलती हुई बोली "....अब तो तुझे पिलाना ही पड़ेगा...ठहर जा अभी तुझे पिलाती अपनी चुत पूरा खोल कर उसकी चटनी चटाऊंगी फिर...देखना तुझे कैसा मजा आता है...." पेटिको़ट सरसराते हुए निचे गिरता चला गया पैंटी तो पहनी नहीं थी इसलिए पेटिको़ट के निचे गिरते ही मॉम पूरी नंगी हो गई. मेरी नजर उनके दोनों जन्घो के बीच के तिकोने पर गई. दोनों चिकनी मोटी मोटी रानो के बीच में मॉम की बूर का तिकोना नज़र आ रहा था. चुत पर हलकी झांटे उग आई थी. मगर इसे झांटो का जंगल नहीं कह सकते थे. ये तो चुत की खूबसूरती को और बढा रहा था. उसके बीच मॉम की गोरी गुलाबी चुत की मोटी फांके झांक रही थी. दोनों जांघ थोड़ा अलग थे फिर भी चुत की फांके आपस में सटी हुई थी और जैसा की मैंने बाथरूम में पीछे से देखा था एक वैसा तो नहीं मगर फिर भी एक लकीर सी बना रही थी दोनों फांके. मॉम की कमर को पकड़ सर को झुकाते हुए चुत के पास ले जाकर देखने की कोशिश की तो मॉम अपने आप को छुड़ाते हुए बोली " ऐसे नहीं....ऐसे ठीक से नहीं देख पाओगे....दोनों जांघ फैला कर अभी दिखाती हूँ...फिर आराम से बैठ कर मेरी बूर को देखना और फिर तुझे उसके अन्दर का माल खिलाउगीं...घबरा मत बेटे ...मैं तुझे अपनी चुत पूरा खोल कर दिखाउंगी और....उसकी चटनी भी चटाउगीं...चल छोड़ कहते हुए पीछे मुड़ी. पीछे मुड़ते ही मॉम गुदाज चुत्तर और गांड मेरी आँखों के सामने नज़र आ गए. मॉम चल रही थी और उसके दोनों चुत्तर थिरकते हुए हिल रहे थे और आपस में चिपके हुए हिलते हुए ऐसे लग रहे थे जैसे बात कर रहे हो और मेरे लण्ड को पुकार रहे हो. लौड़ा दुबारा अपनी पूरी औकात पर आ चूका था और फनफना रहा था. मॉम ड्रेसिंग टेबल के पास रखे गद्देदार सोफे वाली कुर्सी पर बैठ गई और हाथो के इशारे से मुझे अपने पास बुलाया और बोली "हाय...बेटे ...आ जा तुझे मजे करवाती हूँ....अपने मालपुए का स्वाद चखाती हूँ....देख बेटे मैं इस कुर्सी के दोनों हत्थों पर अपनी दोनों टांगो को रख कर जांघ टिका कर फैलाऊंगी ना तो मेरी चुत पूरी उभर कर सामने आ जायेगी और फिर तुम उसके दोनों फांको को अपने हाथ से फैला कर अन्दर का माल चाटना....इस तरह से तुम्हारी जीभ पूरा बूर के अन्दर घुस जायेगी....ठीक है बेटा ...आ जा....जल्दी कर....अभी एक पानी तेरे मुंह में गिरा देती हूँ फिर तुझे पूरा मजा दूंगी...." मैं जल्दी से बिस्तर छोर मॉम की कुर्सी के पास गया और जमीं पर बैठ गया. मॉम ने अपने दोनों पैरो को सोफे के हत्थों के ऊपर चढा कर अपनी दोनों जांघो को फैला दिया. रानो के फैलते ही मॉम की चुत उभर कर मेरी आँखों के सामने आ गई. उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़....क्या खूबसूरत चुत थी. गोरी गुलाबी....काले काले झांटो के जंगल के बीच में से झांकती ऐसी लग रही थी जैसे बादलो के पीछे से चाँद मुस्कुरा रहा है. एक दम पावरोटी के जैसी फूली हुई चुत थी. दोनों पैर कुर्सी के हत्थों के ऊपर चढा कर फैला देने के बाद भी चुत के दोनों होंठ अलग नहीं हुए थे. चुत पर ऊपर के हिस्से में झांटे थी मगर निचे गुलाबी कचौरी जैसे होंठो के आस पास एक दम बाल नहीं थे. मैं जमीन पर बैठ कर मॉम के दोनों रानो पर दोनों हाथ रख कर गर्दन झुका कर एक दम ध्यान से मॉम की चुत को देखने लगा. चुत के सबसे ऊपर में किसी तोते के लाल चोंच की तरह बाहर की तरफ निकली हुई मॉम के चुत का भागनाशा था. कचौरी के जैसी चुत के दोनों फांको पर अपना हाथ लगा कर दोनों फांको को हल्का सा फैलाती हुई मॉम बोली रोहित ....ध्यान से देख ले....अच्छी तरह से अपनी मॉम की बूर को देख बेटा....चुत फैला के देखेगा तो तुझे....पानी जैसा नज़र आएगा....उसको चाट का अच्छी तरह से खाना....चुत की असली चटनी वही है...." मॉम के चुत के दोनों होंठ फ़ैल और सिकुर रहे थे. मैंने अपनी गर्दन को झुका दिया और जीभ निकल कर सबसे पहले चुत के आस पास वाले भागो को चाटने लगा. रानो के जोर और जांघो को भी चाटा.
जांघो को हल्का हल्का काटा भी फिर जल्दी से मॉम की चुत पर अपने होंठो को रख कर एक चुम्मा लिया और जीभ निकाल कर पूरी दरार पर एक बार चलाया. जीभ छुलाते ही मॉम सिसया उठी और बोली "सीईई....बहुत अच्छा बेटा ...तुम्हे आता है...मुझे लग रहा था की सिखाना पड़ेगा मगर तू तो बहुत होशियार है....हाय….बूर चाटना आता है.... ऐसे ही.... तुने शुरुआत बहुत अच्छी की है....अब पूरी चुत पर अपनी जीभ फिराते हुए.....मेरी बूर की टीट को पहले अपने होंठो के बीच दबा कर चूस...देख मैं बताना भूल गई थी....चुत के सबसे ऊपर में जो लाल-लाल निकला हुआ है ना....उसी को होंठो के बीच दबा के चूसेगा....तब मेरी चुत में रस निकलने लगेगा....फिर तू आराम से चाट कर चूसना....सीईईई..... मैं जैसा बताती हूँ वैसा ही कर...." मैं तो पहले से ही जानता था की टीट या भागनाशा क्या होती है. मुझे बताने की जरुरत तो नहीं थी पर मॉम ने ये अच्छा किया था की मुझे बता दिया था की कहाँ से शुरुआत करनी है. मैंने अपने होंठो को खोलते हुए टीट को मुंह में भर कर चूसना शुरू कर दिया. टीट को होंठो के बीच दबा कर अपनी दांतों से हलके हलके काटते हुए मैं उस पर अपने होंठ रगर रहा था. टीट और उसके आस पास ढेर सारा थूक लग गया था और एक पल के लिए जब मैंने वह से अपना मुंह हटाया तो देखा की मेरी चुसाई के कारण टीट चमकने लगी है. एक बार और जोर से टीट को पूरा मुंह में भर कर चुम्मा लेने के बाद मैंने अपनी जीभ को करा करके पूरी चुत की दरार में ऊपर से निचे तक चलाया और फिर चुत के एक फांक को अपने दाहिने हाथ की उँगलियों से पकर कर हल्का सा फैलाया. चुत की गुलाबी छेद मेरी आँखों के सामने थी. जीभ को टेढा कर चुत के मोटे फांक को अपने होंठो के बीच दबा कर चूसने लगा. फिर दूसरी फांक को अपने मुंह में भर कर चूसा उसके बाद दोनों फांक को आपस में सटा कर पूरी चुत को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा. चुत से रिस रिस कर पानी निकल रहा था और मेरे मुंह में आ रहा था. चुत का नमकीन पानी शुरू में तो उतना अच्छा नहीं लगा पर कुछ देर के बाद मुझे कोई फर्क नहीं पर रहा था और मैं दुगुने जोश के साथ पूरी चुत को मुंह में भर कर चाट रहा था. मॉम को भी मजा आ रहा था और वही कुर्सी पर बैठे-बैठे अपने चुत्तारो को ऊपर
उछालते हुए वो जोश में आ कर मेरे सर को अपने दोनों हाथो से अपनी चुत पर दबाते हुए बोली "हाय ....बहुत अच्छा कर रहा है....राजा.....हाय......सीईई....बड़ा मजा आ रहा है....हाय मेरी चुत के कीड़े....मेरे सैयां.....ऊऊऊउ...सीईईइ.....खाली ऊपर-ऊपर से चूस रहा है.... बहनचोद....जीभ अन्दर घुसा कर चाट ना.....बूर में जीभ पेल दे और अन्दर बाहर कर के जीभ से मेरी चुत चोदते हुए अच्छी तरह से चाट....अपनी बड़ी बहन की चुत अच्छी तरह से चाट मेरे राजा....माधरचोद....ले ले.....ऊऊऊऊ......इस्स्स्स्स्स...घुसा चुत में जीभ....मथ....दे......." मॉम बहुत जोश में आ चुकी थी और लग रहा था की उनको काफी मजा आ रहा है. उनके इतना बोलने पर मैंने दोनों हाथो की उँगलियों से दोनों फान्को को अलग कर के अपनी जीभ को कड़ा करके चुत में पेल दिया. जीभ को चुत के अन्दर बाहर करते हुए लिबलिबाने लगा और बीच बीच में बूर से चूते रस को जीभ टेढा करके चूसने लगा. मॉम की दोनों जांघे हिल रही थी और मैं दोनों जांघो को कस कर हाथ से पकर कर चुत में जीभ पेल रहा था. जांघो को मसलते हुए बीच बीच में जीभ को आराम देने के लिए मैं जीभ निकल कर जांघो और उसके आस-पास चुम्मा लेने लगता था. मेरे ऐसा करने पर मॉम जोर से गुर्राती और फिर से मेरे बालों को पकर कर अपनी चुत के ऊपर मेरा मुंह लगा देती थी. मॉम मेरी चुसी से बहुत खुश थी और चिल्लाती हुई बोल रही थी "हाय....राजा...जीभ बाहर मत निकालो....हाय बहुत मजा आ रहा है...ऐसे ही.... बूर के अन्दर जीभ डाल के मेरी चुत मथते रहो....हाय चोद....दे माधरचोद....अपनी जीभ से अपनी मॉम की बूर चोद दे....हाय सैयां....बहुत दिनों के बाद ऐसा मजा आया है....इतने दिनों से तड़पती घूम रही थी....हाय हाय....अपनी मॉम की बूर को चाटो….मेरे राजा….मेरे बालम.... तुझे बहुत अच्छा इनाम दूंगी.... भोसड़ीवाले.....तेरा लौड़ा अपनी चुत में लुंगी....आजतक तुने किसी की चोदी नहीं है ना....तुझे चोदने का मौका दूंगी....अपनी चुत तेरे से मरवाऊगीं....मेरे बेटे .....मेरे सोना मोना....मन लगा कर मॉम की चुत चाट....मेरा पानी निकलेगा....तेरे मुंह में....हाय जल्दी जल्दी चाट....पूरा जीभ अन्दर डाल कर सीईई.....". मॉम पानी छोरने वाली है ये जान कर मैंने अपनी पूरी जीभ चुत के अन्दर पेल दी और अंगूठे को टीट के उ़पर रख कर रगरते हुए जोर जोर से जीभ अन्दर बाहर करने लगा. मॉम अब और तेजी के साथ गांड उछल रही थी और मैं लप लप करते हुए जीभ को अन्दर बाहर कर रहा था. कुत्ते की तरह से मॉम की बूर चाटते हुए टीट को रगरते हुए कभी कभी मॉम की चुत पर दांत भी गरा देता था, मगर इन सब चीजों का मॉम के ऊपर कोई असर नहीं पर रहा था और वो मस्ती में अब गांड को हवा में लहराते हुए सिसया रही थी "हाय मेरा निकल रहा है....हाय ...निकल रहा है मेरा पानी....पूरा जीभ घुसा दे....साले.....बहुत अच्छा....ऊऊऊऊऊ.....सीईईईईईइ....मजा आ गया राजा...मेरे चुत चाटू सैयां....मेरी चुत पानी छोर रही है...........इस्स्स्स्स्स्स्स्स......मजा आ गया....बहनचोद....पी ले अपनीमॉम के बूर का पानी....हाय चूस ले अपनी मॉम की जवानी का रस.....ऊऊऊऊ.......गांडू......" मॉम अपनी गांड को हवा में लहराते हुए झरने लगी और उनकी चुत से पानी बहता हुआ मेरी जीभ को गीला करने लगा. मैंने अपना मुंह मॉम की चुत पर से हटा दिया और अपनी जीभ और होंठो पर लगे चुत के पानी को चाटते हुए को देखा. वो अपनी आँखों को बंद किये शांत पड़ी हुई थी और अपनी गर्दन को कुर्सी के पुश्त पर टिका कर ऊपर की ओर किये हुए थी. उनकी दोनों जांघे वैसे ही फैली हुई थी. पूरी चुत मेरी चुसाई के कारण लाल हो गई थी और मेरे थूक और लार के कारण चमक रही थी.
मॉम आंखे बंद किये गहरी सांसे ले रही थी और उनके माथे और छाती पर पसीने की छोटी-छोटी बुँदे चमक रही थी. मैं वही जमीन पर बैठा रहा और मॉम की चुत को गौर से देखने लगा. मॉम को सुस्त परे देख मुझे और कुछ नहीं सूझा तो मैं उनके जांघो को चाटने लगा. चूँकि मॉम ने अपने दोनों पैरों को मोड़ कर जांघो को कुर्सी के पुश्त से टिका कर रखा हुआ था इसलिए वो एक तरह से पैर मोड़ कर अधलेटी सी अवस्था में बैठी हुई थी और मॉम की गांड मेरा मतलब है चुत्तर आधी कुर्सी पर और आधी बाहर की तरफ लटकी हुई थी. ऐसे बैठने के कारण उनके गांड की भूरी छेद मेरी आँखों से सामने थी. छोटी सी भूरे रंग की सिकुरी हुई छेद किसी फूल की तरह लग रही थी और लिए अपना सपना पूरा करने का इस से अच्छा अवसर नहीं था. मैं हलके से अपनी एक ऊँगली को मॉम की चुत के मुंह के पास ले गया और चुत के पानी में अपनी ऊँगली गीली कर के चुत्तरों के दरार में ले गया. दो तीन बार ऐसे ही करके पूरी गांड की खाई को गीला कर दिया फिर अपनी ऊँगली को पूरी खाई में चलाने लगा. धीरे धीरे ऊँगली को गांड की छेद पर लगा कर हलके-हलके केवल छेद की मालिश करने लगा. कुछ देर बाद मैंने थोरा सा जोर लगाया और अपनी ऊँगली के एक पोर को गांड की छोटी सी छेद में घुसाने की कोशिश की. ज्यादा तो नहीं मगर बस थोड़ी सी ऊँगली घुस गई मैंने फिर ज्यादा जोर नहीं लगाया और उतना ही घुसा कर अन्दर बाहर करते हुए गांड की छेद का मालिश करने लगा. बड़ा मजा आ रहा था. मेरे दिल की तम्मना पूरी हो गई. बाथरूम में नहाते समय जब मॉम को देखा था तभी से सोच रहा था की एक बार इस गांड की दरार में ऊँगली चलाऊंगा और इसकी छेद में ऊँगली डाल कर देखूंगा कैसा लगता है इस सिकुरी हुई भूरे रंग की छेद में ऊँगली पेलने पर. मस्त राम की किताबों में तो लिखा होता है की लण्ड भी घुसेरा जाता है. पर गांड की सिकुरी हुई छेद इतनी टाइट लग रही थी की मुझे विश्वास नहीं हो रहा था की लण्ड उसके अन्दर घुसेगा. खैर दो तीन मिनट तक ऐसे ही मैं करता रहा. मॉम की बूर से पानी बाहर की निकल कर धीरे धीरे रिस रहा था. मैंने दो तीन बार अपना मुंह लगा कर बाहर निकलते रस को भी चाट लिया और गांड में धीरे धीरे ऊँगली करता रहा. तभी मॉम ने मुझे पीछे धकेला "हट...माधरचोद....क्या कर रहा है....गांड मारेगा क्या....फिर अपने पैर से मेरी छाती को पीछे धकेलती हुई उठ कर खड़ी हो गई. मैं हड़बड़ाता हुआ पीछे की तरफ गिरा फिर जल्दी से उठ कर खड़ा हो गया. मेरा लण्ड पूरा खड़ा हो कर नब्बे डिग्री का कोण बनाते हुए लप-लप कर रहा था मगर मॉम के इस अचानक हमले ने फिर एक झटका दिया. मैं डर कर दो कदम पीछे हुआ. मॉम नंगी ही बाहर निकल गई लगता था फिर से बाथरूम गई थी. मैं वही खड़ा सोचने लगा की अब क्या होगा. थोड़ी देर बाद मॉम फिर से अन्दर आई और बिस्तर पर बैठ गई और मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देखा फिर मेरे लपलपाते लण्ड को देखा और अंगराई लेती हुई बोली "हाय रोहित बहुत मजा आया....अच्छा चूसता है...तू.... "मुझे लग रहा था की तू अनारी होगा मगर तुने तो अपने डैड को भी मात कर दिया....उस साले को चूसना नहीं आता था...खैर उसका क्या...उस भोसड़ीवाले को तो चोदना भी नहीं आता था....तुने चाट कर अच्छा मजा दिया... इधर आ,……आ ना...वहां क्यों खड़ा है बेटा .....आ यहाँ बिस्तर पर बैठ...." मॉम के इस तरह बोलने पर मुझे शांति मिली की चलो नाराज़ नहीं है और मैं बिस्तर पर आ कर बैठ गया. मॉम मेरे लण्ड की तरफ देखती बोली "हूँ....खड़ा हो गया है....इधर आ तो पास में....देखू...." मैं खिसक कर पास में गया तो मेरे लण्ड को मुठ्ठी में कसती हुई सक-सक ऊपर निचे किया. लाल-लाल सुपाड़े पर से चमरी खिसका. उस पर ऊँगली चलाती हुई बोली "अब कभी हाथ से मत करना.....समझा अगर मैंने पकड़ लिया तो तेरी खैर नहीं.....मारते मारते गांड फुला दूंगी....समझा...." मैं मॉम के इस धमकी को सुन नासमझ बनने का नाटक करता हुआ बोला "तो फिर कैसे करू....मेरी तो शादी भी नहीं हुई है...." फिर गर्दन झुका कर शरमाने का नाटक किया. मॉम ने मेरी ठोडी पकड़ गर्दन को ऊपर उठाते हुए कहा "जानता तो तू सब कुछ है.....फिर कोई लड़की क्यों नहीं पटाता अभी तो तेरी शादी में टाइम है.....अपने लिए कोई छेद खोज ले...." मैं बुरा सा मुंह बनाता हुआ बोला "हुह…मुझे कोई अच्छी नहीं लगती...सब बस ऐसे ही है…..” मॉम इस पर थोड़ा सा खुंदक खाती हुई बोली "अजीब लड़का है...बहनचोद...तुझे अपनी मॉम के अलावा और कोई अच्छी नहीं लगती क्या.....". मैं इस पर शर्माता हुआ बोला "…मुझे सबसे ज्यादा आप अच्छी लगती हो......मैं....."
"आये....हाय...ऐसा तो लड़का ही नहीं देखा....मॉम को चोदने के चक्कर में....भोसड़ीवाले को सबसे ज्यादा मॉम अच्छी लगती है.... मैं नहीं मिली तो……मुठ मारता रह जायेगा.....” मॉम ने आँख नाचते हुए भौं उचका कर प्रश्न किया. मैंने मुस्कुराते हुए गाल लाल करते हुए गर्दन हिला कर हाँ किया. मेरी इस बात पर रीझती हुई मॉम ने मुझे अपनी बाँहों में भर लिया और अपनी छाती से लगाती हुई बोली "हाय रे मेरा सोना....मेरे प्यारे बेटे .... तुझे मॉम सबसे अच्छी लगती है....तुझे मेरी चुत चाहिए....मिलेगी मेरे प्यारे बेटे मिलेगी....मेरे राजा....आज रात भर अपने हलब्बी लण्ड से अपनी मॉम की बूर का बाजा बजाना......अपने बेटे का लण्ड अपनी चुत में लेकर मैं सोऊगीं......हाय राजा.....अपने मुसल से अपनी मॉम की ओखली को रात भर खूब कूटना.....अब मैं तुझे तरसने नहीं दूंगी....तुझे कही बाहर जाने की जरुरत नहीं है.....चल आ जा.....आज की रात तुझे जन्नत की सैर करा दू....." फिर मॉम ने मुझे धकेल कर निचे लिटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ कर मेरे होंठो को चूसती हुई अपनी गठीली चुचियों को मेरी छाती पर रगड़ते हुए मेरे बालों में अपना हाथ फेरते हुए चूमने लगी. मैं भी मॉम के होंठो को अपने मुंह में भरने का प्रयास करते हुए अपनी जीभ को उनके मुंह में घुसा कर घुमा रहा था. मेरा लण्ड मॉम की दोनों जांघो के बीच में फस कर उसकी चुत के साथ रगड़ खा रहा था. मॉम भी अपना गांड नाचते हुए मेरे लण्ड पर अपनी चुत को रगड़ रही थी और कभी मेरे होंठो को चूम रही थी कभी मेरे गालो को काट रही थी. कुछ देर तक ऐसे ही करने के बाद मेरे होंठो को छोर का उठ कर मेरी कमर पर बैठ गई. और फिर आगे की ओर सरकते हुए मेरी छाती पर आकर अपनी गांड को हवा में उठा लिया और अपनी हलके झांटो वाली गुलाबी खुश्बुदार चुत को मेरे होंठो से सटाती हुई बोली "जरा चाट के गीला कर... बड़ा तगड़ा लण्ड है तेरा...सुखा लुंगी तो…..साली फट जायेगी मेरी तो.....” एक बार मुझे मॉम की चुत का स्वाद मिल चूका था, इसके बाद मैं कभी भी उनकी गुदाज कचौरी जैसी चुत को चाटने से इंकार नहीं कर सकता था, मेरे लिए तो मॉम की बूर रस का खजाना थी. तुंरत अपने जीभ को निकल दोनों चुत्तरो पर हाथ जमा कर लप लप करता हुआ चुत चाटने लगा. इस अवस्था में मॉम को चुत्तरों को मसलने का भी मौका मिल रहा था और मैं दोनों हाथो की मुठ्ठी में चुत्तर के मांस को पकड़ते हुए मसल रहा था और चुत की लकीर में जीभ चलाते हुए अपनी थूक से बूर के छेद को गीला कर रहा था. वैसे मॉम की बूर भी ढेर सारा रस छोड़ रही थी. जीभ डालते ही इस बात का अंदाज हो गया की पूरी चुत पसीज रही है, इसलिए मॉम की ये बात की वो चटवा का गीला करवा रही थी हजम तो नहीं हुई, मगर मेरा क्या
बिगर रहा था मुझे तो जितनी बार कहती उतनी बार चाट देता. कुछ ही देर मॉम की चुत और उसकी झांटे भी मेरी थूक से गीली हो गई. मॉम दुबारा से गरम भी हो गई और पीछे खिसकते हुए वो एक बार फिर से मेरी कमर पर आ कर बैठ गई और अपने हाथ से मेरे तनतनाये हुए लण्ड को अपनी मुठ्ठी में कस हिलाते हुए अपने चुत्तरों को हवा में उठा लिया और लण्ड को चुत के होंठो से सटा कर सुपाड़े को रगड़ने लगी. सुपाड़े को चुत के फांको पर रगड़ते चुत के रिसते पानी से लण्ड की मुंडी को गीला कर रगड़ती रही. मैं बेताबी से दम साधे इस बात का इन्तेज़ार कर रहा था की कब मॉम अपनी चुत में मेरा लौड़ा लेती है. मैं निचे से धीरे-धीरे गांड उछाल रहा था और कोशिश कर रहा था की मेरा सुपाड़ा उनके बूर में घुस जाये. मुझे गांड उछालते देख मॉम मेरे लण्ड के ऊपर मेरे पेट पर बैठ गई और चुत की पूरी लम्बाई को लौड़े की औकात पर चलाते हुए रगड़ने लगी तो मैं सिस्याते हुए बोला "मॉम प्लीज़....ओह....सीईई अब नहीं रहा जा रहा है....जल्दी से अन्दर कर दो ना.....उफ्फ्फ्फ्फ्फ......ओह मॉम ....बहुत अच्छा लग रहा है....और तुम्हारी चु...चु....चु....चुत मेरे लण्ड पर बहुत गर्म लग रही है....ओह मॉम...जल्दी करो ना....क्या तुम्हारा मन नहीं कर रहा है....." अपनी गांड नचाते हुए लण्ड पर चुत रगड़ते हुए मॉम बोली "हाय... जब इतना इन्तेजार किया है तो थोड़ा और इन्तेजार कर लो....देखते रहो....मैं कैसे करती हूँ....मैं कैसे तुम्हे जन्नत की सैर कराती हूँ....मजा नहीं आये तो अपना लौड़ा मेरी गांड में घुसेड़ देना.....माधरचोद....अभी देखो मैं तुम्हारा लण्ड कैसे अपनी बूर में लेती हूँ.....लण्ड सारा पानी अपनी चुत से पी लुंगी...घबराओ मत..... अपनी मॉम पर भरोसा रखो...
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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