FUN-MAZA-MASTI
होली का असली मजा--16
और अब मम्मी की बारी थी , उनका शार्ट सरका के सीधे , फर्श पे फेंकने की।
फिर मैं कैसे बचती। सास , दामाद ने मिलके मेरा ब्लाउज और साया भी दूर फ़ेंक दिया और हम तीनो एक जैसे।
मम्मी ने पैंतरा बदला , वो उठ बैठीं और सीधे 'उनके ' हाथ मोड के तेजी से तकिये के नीचे दबा दिए।
'हिलना मत '
एकदम सख्त लहजें में वो बोलीं और अपनी दोनों जांघे फैला के सीधे उनके चेहरे के ऊपर बैठ गयीं। उनकी 'रामप्यारी ' पे छोटी छोटी झांटो का गुच्छा था , जो गोरी गुलाबी जाँघों के बीच बहुत खूबसूरत लग रह था। 'इन्होने ' जो हरकत वहाँ की थी , बस दो तार की चासनी जैसा गाढ़ा रस रह रह के टपक रहा था।
" बस चुपचाप लेटे रहो , अच्छे बच्चे की तरह। जरा भी मत हिलना , बस जैसे बोलूं वैसे करना। " मम्मी ने इंस्ट्रक्शन दिया।
और उन्होंने आज्ञाकारी बच्चे की तरह से हामी में सर हिलाया।
" मुंह खोल ,चूस साले , मादरचोद " अपनी बुर मम्मी ने उनके खुले मुंह पे रगड़ते बोला।
और उन्होंने खूब जोर जोर से चूसना शुरू कर दिया।
" हाँ ऐसे जीभ अंदर डाल , मादरचोद। " मम्मी ने एक बार फिर जांघो को थोडा ऊपर उठा के अपनी बुर की फांको को फैलते हुए कहा।
और जोर से उनके ऊपर बैठते हुए अपनी मोटी मोटी जांघोंसे उनके सर को कस के दबोच लिया। वो एक सूत भी सर नहीं हिला सकते थे।
" चाट मादरचोद चाट , देखूं मेरी समधन छिनार ने क्या सिखाया है अपने मुन्ने को। डाल जीभ अंदर , भोंसड़ी के , रंडी के जने "
और जिस तरह वो सपड सपड़ चाट रहे थे , लग रहा था मम्मी की गालियों से उनका जोश और दूना हो रहा है।
और मम्मी भी उन्हें तंग करने पे तुली थीं। अब उनका एक हाथ सीधे 'उनके ' टिट्स पे और अपने बड़े बड़े नाखुनो से उसे वो जोर जोर से चिकोटी काट रही थीं।
डंडा उनका एकदम तन्नाया था।
" मस्त चाटता है तू , लगता है समधन ने बचपन से ही ट्रेन किया है , एकदम पक्का चूत चटोरा। और जोर से मादरचोद , हाँ हाँ "
मम्मी के चेहरे से लग रहा था उन्हें कितना मजा आ रहा है लेकिन उन्होंने गियर चेंज कर दिया।
और खुद दोनों हाथ से उनका सर पकड़ के जोर जोर से धक्के मार रही थीं जैसे उनका मुंह चोद रही हों।
उनकी आँखों में मस्ती का नशा छाया हुआ था , और उन्होंने मुझे इशारा किया , मैं खुद खड़ा लंड देख के ललचा रही थी
बस , मेरी ललचायी जीभ ने नीचे पेल्हड़ से ( बॉल्स ) यात्रा शुरू की पहले बस जीभ कि नोक लगायी और फिर धीरे धीरे उसे सपड़ सपड़ चाटना शुरू किया।
और कुछ ही देर में एक बाल मेरे मुंह में मैं उसे रसगुल्ले की तरह चूस रही थी। और मेरा हाथ उन के गोल गुदाज चूतड़ों को सहला रहा था , दबा रहा था। एक ऊँगली सीधे गांड के छेद पे , उन्हें जैसे करेंट लग गया।
मम्मी ने मुस्करा के तारीफ से मेरी और देखा और अपने मुंह के धक्के की रफ्तार तेज कर दी।
वो जोर जोर से उनके मुंह पे अपना भोंसड़ा रगड़ रही थी. मेरी जीभ अब उनके चर्म दंड पे टहल रही थी , मस्त चाटते हुए और अचानक एक बाज की तरह मैंने उनके सुपाड़े को अपने होंठो में दबा लिया , लेकिन थोड़ी देर तड़पाने के बाद , मेरे होंठो ने उनका चमड़ा सरकाया , और सुपाड़ा खोल दिया।
मोटा , पहाड़ी आलू जैसा पगलाया।
लेकिन आज तो मैं और मम्मी मिल के उन्हें तंग करने के ही मूड में थे। मैंने मुंह ऊपर उठा लिया और मेरी उँगलियाँ लंड के बेस को दबाने लगी जोर से और फिर मेरी जुबान की नोक ने , उनके सुपाड़े के पी होल , पेशाब के छेद में सुरसुरी कर दी।
लंड एक दम गिनगिना गया। उनका मन कर रहा था की बस मैं एक पल के लिए सुपाड़ा चूस लूँ , चुभला लूँ।
मम्मी उनकी प्यास समझ रही थी , एक पल के लिए उन्होंने जांघे फैलायीं , चूतड़ थोड़े ऊपर किये और बोली ,
" क्यों बहुत मन कर रहा है न , दे दे बेटी। लेकिन उसके पहले चल मेरी गांड चाट सिर्फ ऊपर से नहीं , जीभ पूरी तरह अंदरजानी चाहिए , गांड के माल तक तब मिलेगी , क्यों " और उन्होंने मुझे आँख मार दी .
फिर अपनी गांड खूब दोनों हाथों से उन्होंने फैलायी और गांड का छेद सीधे उनके मुंह पे , और मम्मी ने मुझे ग्रीन सिग्नल दे दिया।
वो जोर जोर से गांड चाट रहे थे , चूस रहे थे और मम्मीके चेहरे को देख के लग रहा था , की अब जीभ गांड के अंदर घुस गयी है , गोल गोल अनादर तक घूम रही है ।
"ओह मादरचोद , आह उह्ह , समधन ने बढ़िया सिखाया है , जीभ थोडा और अंदर , हाँ रंडी के जने, भँड़वे की औलाद और जीभ घुसा , हाँ बस अब गोल गोल , पूरा पूरा मक्खन चाट ले तब समझूंगी नंबरी मादरचोद , अब ससुराल में मैं और मेरी बेटी तुझे सिर्फ इसी नाम से बुलाएंगे। '
उनके होंठ एकदम मम्मी की गांड से चिपके थे जैसे फेविकोल लगा हो।
और अब मैं भी खूब मजे से गन्ना चूस रही थी , एक साथ माँ बेटी का मजा।
मम्मी लगता है झड़ने के कगार पे पहुँच गयी थी , लेकिन वो उठ गयीं और मुझे भी हटने का इशारा किया।
लंड अब उनका था।
मुझे लगा शायद वो अब उस पे चढ़ के चोदेंगी , लेकिन
मम्मी तो मम्मी थी।
पहले तो उन्होंने उन्हें खूब धमकाया , हिलना मत जरा सा एक दो तमाचे भी प्यार से गाल पे मारे।
मम्मी को मालूम था की उनका दामाद उनके जोबन का दीवाना है। बस अपने दोनों हाथों में अपने 38 डी डी के उभारो को ले के उन्हें दिखा के सहलाया , मसला , और दोनों हाथों में ले उन्हें ललचाया।
अगर मम्मी का सख्त हुक्म नहीं होता ऐसे लेटे रहो तो ,… फिर तो
उसके बाद मम्मी ने वो किया जो न मैं सोच सकती थी न 'वो '
उन्होंने अपने दोनों मस्त मम्मों के बीच लंड को पकड़ लिया और जकड के , खूब जोर जोर से उहे चूंची चोदन का मजा देने लगीं।
उह ओह अह्ह्ह नहीईईईइ ओह्हह्हह्हह्हह , वो सिस्कारिया ले रहे थे मजे से चूतड़ उचका रहे थे।
लगा जब वो कगार पे पहुँच गए तो मम्मी ने एक पल के लिए चूचियां हटा ली और फिर एक हाथ से जोर से उनके सख्त लंड को पकड़ा और अपने कड़े निपल को सीधे उनके पी हॉल में , पेशाब के छेद में डाल के ,…
मस्ती से वो बिचारे, और जैसे ये काफी नहीं था , उन्होें एक ऊँगली कि टिप सीधेगांड़ के छेद पे
थोड़ी देर इसी तरह तंग करने के बाद मम्मी ने छोड़ा और अब मम्मी सीधे उनके तने , कड़े , खड़े लंड के ऊपर , दोनों हाथो से उनकी कमर पकड़ के जैसे कोई तगड़ा मर्द किसी नयी नवेली सुकुमार कन्या की ले रहा हो। ।
थोड़ी देर अपनी रसीली बुर फैला के उन्होंने सुपाड़े पे रगड़ा , वो चूतड़ उचका उचका के दिल कि बात कह रहे थे।
मम्मी बिचारी कितनी देर अपने दामाद को तड़पाती , उनके कमर को पकड़ के एक जोर का धक्का मारा , उतना तगड़ जैसे कोई किसी लड़की कि सील तोड़ रहा हो
और गप्प से सुपाड़ा अंदर।
लेकिन मम्मी को तो तड़पाने में मजा आ रहा था।
थोड़ी देर तड़पाने के बाद मम्मी ने उन्हें चोदना शुरू किया। क्या कोई मर्द चोदेगा।
और साथ में ललचाना भी वो अपनी दोनों चूंचिया बार बार उनके मुंह के पास ले जा के ललचाती थीं और जब वो सर उठा के निपल चूसने की कोशिश करते थे तो वो हटा लेती थीं।
बार बार छेड़ने और तंग करने से 'वो ' और जोश में आ रहे थे।
मम्मी ने उनके दोनों कन्धों को हाथ से दबा के बोला
" बोल , चाहिये क्या "
" हा मम्मी हाँ दो न बहुत मस्त है जोबन आपके " वो गिड़गिड़ाये।
उनके छाती पे अपनी ग़द्दर चूंचियां जोर जोर से रगड़ते मम्मी ने छेड़ा ,
" हे बोल , भँड़वे , तेरी माँ को गदहे चोदें ,अपनी महतारी और बाप की बहिन के अलावा और किसको अपने घर में चोदा। "
वो थोडा सा मुस्कराये और फिर मुझे देख के मेरी ओर इशारा कर के कबूले ,
" मम्मी , इसकी बड़ी ननद को "
मेरी तो फट के हाथ में आ गयी।
बड़ी ननद को भी , मम्मी ने आज क्या क्या पता लगाया।
मम्मी ने फिर पुछा , " क्यों शादी के पहले चोदी थी ,या "
मम्मी की काट के वो जोर से मुस्कराते बोले ,
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होली का असली मजा--16
और अब मम्मी की बारी थी , उनका शार्ट सरका के सीधे , फर्श पे फेंकने की।
फिर मैं कैसे बचती। सास , दामाद ने मिलके मेरा ब्लाउज और साया भी दूर फ़ेंक दिया और हम तीनो एक जैसे।
मम्मी ने पैंतरा बदला , वो उठ बैठीं और सीधे 'उनके ' हाथ मोड के तेजी से तकिये के नीचे दबा दिए।
'हिलना मत '
एकदम सख्त लहजें में वो बोलीं और अपनी दोनों जांघे फैला के सीधे उनके चेहरे के ऊपर बैठ गयीं। उनकी 'रामप्यारी ' पे छोटी छोटी झांटो का गुच्छा था , जो गोरी गुलाबी जाँघों के बीच बहुत खूबसूरत लग रह था। 'इन्होने ' जो हरकत वहाँ की थी , बस दो तार की चासनी जैसा गाढ़ा रस रह रह के टपक रहा था।
" बस चुपचाप लेटे रहो , अच्छे बच्चे की तरह। जरा भी मत हिलना , बस जैसे बोलूं वैसे करना। " मम्मी ने इंस्ट्रक्शन दिया।
और उन्होंने आज्ञाकारी बच्चे की तरह से हामी में सर हिलाया।
" मुंह खोल ,चूस साले , मादरचोद " अपनी बुर मम्मी ने उनके खुले मुंह पे रगड़ते बोला।
और उन्होंने खूब जोर जोर से चूसना शुरू कर दिया।
" हाँ ऐसे जीभ अंदर डाल , मादरचोद। " मम्मी ने एक बार फिर जांघो को थोडा ऊपर उठा के अपनी बुर की फांको को फैलते हुए कहा।
और जोर से उनके ऊपर बैठते हुए अपनी मोटी मोटी जांघोंसे उनके सर को कस के दबोच लिया। वो एक सूत भी सर नहीं हिला सकते थे।
" चाट मादरचोद चाट , देखूं मेरी समधन छिनार ने क्या सिखाया है अपने मुन्ने को। डाल जीभ अंदर , भोंसड़ी के , रंडी के जने "
और जिस तरह वो सपड सपड़ चाट रहे थे , लग रहा था मम्मी की गालियों से उनका जोश और दूना हो रहा है।
और मम्मी भी उन्हें तंग करने पे तुली थीं। अब उनका एक हाथ सीधे 'उनके ' टिट्स पे और अपने बड़े बड़े नाखुनो से उसे वो जोर जोर से चिकोटी काट रही थीं।
डंडा उनका एकदम तन्नाया था।
" मस्त चाटता है तू , लगता है समधन ने बचपन से ही ट्रेन किया है , एकदम पक्का चूत चटोरा। और जोर से मादरचोद , हाँ हाँ "
मम्मी के चेहरे से लग रहा था उन्हें कितना मजा आ रहा है लेकिन उन्होंने गियर चेंज कर दिया।
और खुद दोनों हाथ से उनका सर पकड़ के जोर जोर से धक्के मार रही थीं जैसे उनका मुंह चोद रही हों।
उनकी आँखों में मस्ती का नशा छाया हुआ था , और उन्होंने मुझे इशारा किया , मैं खुद खड़ा लंड देख के ललचा रही थी
बस , मेरी ललचायी जीभ ने नीचे पेल्हड़ से ( बॉल्स ) यात्रा शुरू की पहले बस जीभ कि नोक लगायी और फिर धीरे धीरे उसे सपड़ सपड़ चाटना शुरू किया।
और कुछ ही देर में एक बाल मेरे मुंह में मैं उसे रसगुल्ले की तरह चूस रही थी। और मेरा हाथ उन के गोल गुदाज चूतड़ों को सहला रहा था , दबा रहा था। एक ऊँगली सीधे गांड के छेद पे , उन्हें जैसे करेंट लग गया।
मम्मी ने मुस्करा के तारीफ से मेरी और देखा और अपने मुंह के धक्के की रफ्तार तेज कर दी।
वो जोर जोर से उनके मुंह पे अपना भोंसड़ा रगड़ रही थी. मेरी जीभ अब उनके चर्म दंड पे टहल रही थी , मस्त चाटते हुए और अचानक एक बाज की तरह मैंने उनके सुपाड़े को अपने होंठो में दबा लिया , लेकिन थोड़ी देर तड़पाने के बाद , मेरे होंठो ने उनका चमड़ा सरकाया , और सुपाड़ा खोल दिया।
मोटा , पहाड़ी आलू जैसा पगलाया।
लेकिन आज तो मैं और मम्मी मिल के उन्हें तंग करने के ही मूड में थे। मैंने मुंह ऊपर उठा लिया और मेरी उँगलियाँ लंड के बेस को दबाने लगी जोर से और फिर मेरी जुबान की नोक ने , उनके सुपाड़े के पी होल , पेशाब के छेद में सुरसुरी कर दी।
लंड एक दम गिनगिना गया। उनका मन कर रहा था की बस मैं एक पल के लिए सुपाड़ा चूस लूँ , चुभला लूँ।
मम्मी उनकी प्यास समझ रही थी , एक पल के लिए उन्होंने जांघे फैलायीं , चूतड़ थोड़े ऊपर किये और बोली ,
" क्यों बहुत मन कर रहा है न , दे दे बेटी। लेकिन उसके पहले चल मेरी गांड चाट सिर्फ ऊपर से नहीं , जीभ पूरी तरह अंदरजानी चाहिए , गांड के माल तक तब मिलेगी , क्यों " और उन्होंने मुझे आँख मार दी .
फिर अपनी गांड खूब दोनों हाथों से उन्होंने फैलायी और गांड का छेद सीधे उनके मुंह पे , और मम्मी ने मुझे ग्रीन सिग्नल दे दिया।
वो जोर जोर से गांड चाट रहे थे , चूस रहे थे और मम्मीके चेहरे को देख के लग रहा था , की अब जीभ गांड के अंदर घुस गयी है , गोल गोल अनादर तक घूम रही है ।
"ओह मादरचोद , आह उह्ह , समधन ने बढ़िया सिखाया है , जीभ थोडा और अंदर , हाँ रंडी के जने, भँड़वे की औलाद और जीभ घुसा , हाँ बस अब गोल गोल , पूरा पूरा मक्खन चाट ले तब समझूंगी नंबरी मादरचोद , अब ससुराल में मैं और मेरी बेटी तुझे सिर्फ इसी नाम से बुलाएंगे। '
उनके होंठ एकदम मम्मी की गांड से चिपके थे जैसे फेविकोल लगा हो।
और अब मैं भी खूब मजे से गन्ना चूस रही थी , एक साथ माँ बेटी का मजा।
मम्मी लगता है झड़ने के कगार पे पहुँच गयी थी , लेकिन वो उठ गयीं और मुझे भी हटने का इशारा किया।
लंड अब उनका था।
मुझे लगा शायद वो अब उस पे चढ़ के चोदेंगी , लेकिन
मम्मी तो मम्मी थी।
पहले तो उन्होंने उन्हें खूब धमकाया , हिलना मत जरा सा एक दो तमाचे भी प्यार से गाल पे मारे।
मम्मी को मालूम था की उनका दामाद उनके जोबन का दीवाना है। बस अपने दोनों हाथों में अपने 38 डी डी के उभारो को ले के उन्हें दिखा के सहलाया , मसला , और दोनों हाथों में ले उन्हें ललचाया।
अगर मम्मी का सख्त हुक्म नहीं होता ऐसे लेटे रहो तो ,… फिर तो
उसके बाद मम्मी ने वो किया जो न मैं सोच सकती थी न 'वो '
उन्होंने अपने दोनों मस्त मम्मों के बीच लंड को पकड़ लिया और जकड के , खूब जोर जोर से उहे चूंची चोदन का मजा देने लगीं।
उह ओह अह्ह्ह नहीईईईइ ओह्हह्हह्हह्हह , वो सिस्कारिया ले रहे थे मजे से चूतड़ उचका रहे थे।
लगा जब वो कगार पे पहुँच गए तो मम्मी ने एक पल के लिए चूचियां हटा ली और फिर एक हाथ से जोर से उनके सख्त लंड को पकड़ा और अपने कड़े निपल को सीधे उनके पी हॉल में , पेशाब के छेद में डाल के ,…
मस्ती से वो बिचारे, और जैसे ये काफी नहीं था , उन्होें एक ऊँगली कि टिप सीधेगांड़ के छेद पे
थोड़ी देर इसी तरह तंग करने के बाद मम्मी ने छोड़ा और अब मम्मी सीधे उनके तने , कड़े , खड़े लंड के ऊपर , दोनों हाथो से उनकी कमर पकड़ के जैसे कोई तगड़ा मर्द किसी नयी नवेली सुकुमार कन्या की ले रहा हो। ।
थोड़ी देर अपनी रसीली बुर फैला के उन्होंने सुपाड़े पे रगड़ा , वो चूतड़ उचका उचका के दिल कि बात कह रहे थे।
मम्मी बिचारी कितनी देर अपने दामाद को तड़पाती , उनके कमर को पकड़ के एक जोर का धक्का मारा , उतना तगड़ जैसे कोई किसी लड़की कि सील तोड़ रहा हो
और गप्प से सुपाड़ा अंदर।
लेकिन मम्मी को तो तड़पाने में मजा आ रहा था।
थोड़ी देर तड़पाने के बाद मम्मी ने उन्हें चोदना शुरू किया। क्या कोई मर्द चोदेगा।
और साथ में ललचाना भी वो अपनी दोनों चूंचिया बार बार उनके मुंह के पास ले जा के ललचाती थीं और जब वो सर उठा के निपल चूसने की कोशिश करते थे तो वो हटा लेती थीं।
बार बार छेड़ने और तंग करने से 'वो ' और जोश में आ रहे थे।
मम्मी ने उनके दोनों कन्धों को हाथ से दबा के बोला
" बोल , चाहिये क्या "
" हा मम्मी हाँ दो न बहुत मस्त है जोबन आपके " वो गिड़गिड़ाये।
उनके छाती पे अपनी ग़द्दर चूंचियां जोर जोर से रगड़ते मम्मी ने छेड़ा ,
" हे बोल , भँड़वे , तेरी माँ को गदहे चोदें ,अपनी महतारी और बाप की बहिन के अलावा और किसको अपने घर में चोदा। "
वो थोडा सा मुस्कराये और फिर मुझे देख के मेरी ओर इशारा कर के कबूले ,
" मम्मी , इसकी बड़ी ननद को "
मेरी तो फट के हाथ में आ गयी।
बड़ी ननद को भी , मम्मी ने आज क्या क्या पता लगाया।
मम्मी ने फिर पुछा , " क्यों शादी के पहले चोदी थी ,या "
मम्मी की काट के वो जोर से मुस्कराते बोले ,
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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