Sunday, August 31, 2014

FUN-MAZA-MASTI सौतेला बाप--29

FUN-MAZA-MASTI

 सौतेला बाप--29

अब आगे
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 हर झटके मे समीर अपनी मंज़िल के करीब पहुँच रहा था..और फिर जब वो समय निकट आया जब वो समझ गया की अब और नही रोक पाएगा तो उसने रश्मि की टाँग छोड़ दी और उसके दोनो हाथों पर हाथ रखकर ज़ोर-2 से झटके मारने लगा..


और उसके हिलते स्तनों और लरजते होंठों को देखते हुए उसने अपना लंड एकदम से बाहर निकाला और उसके चेहरे से लेकर उसकी नाभि तक हिस्से को बर्फीली चादर से ढक दिया

''आआआआआआआअहह ............. रश्मि .........मैं तो गया.......''

और वो उसके उपर गिरकर ज़ोर-2 से हाफने लगा.

दोनो के मन मे सिर्फ़ एक ही बात चल रही थी की आज किसी और के बारे मे सोचकर चुदाई करने मे कितना मज़ा मिला है.

जब उसके साथ असली की चुदाई होगी तो कैसा लगेगा.

दोनो अलग हुए और एक-2 करके दोनो बाथरूम मे गये और अपने अंगों को सॉफ किया..

फिर रश्मि नंगी ही आकर समीर के बदन से लिपटकर लेट गयी.

रश्मि : "कैसी रही शॉपिंग...क्या -2 लिया आज काव्या के लिए ..''

काव्या का नाम सुनते ही समीर के लंड ने एक हरकत सी की, जिसे रश्मि ने भी महसूस किया..पर वो कुछ समझ नही पाई, उसे लगा की शायद ऐसे नंगे लेटने की वजह से समीर फिर से उत्तेजित हो रहा है.

समीर : "सही थी...काफ़ी कुछ लिया काव्या ने आज....बाकी कल देख लेना की क्या-2 उसने , बहुत खुश भी थी आज ''

रश्मि : "हाँ , वो तो मैने भी देखा, और मुझे खुशी हुई की वो आपसे घुल मिल रही है..''

दोनों कुछ देर चुप रहे

समीर : "और तुम तो बताओ...तुम मिली थी क्या उस लड़के से आज...विक्की से...''

और इस बार विक्की का नाम सुनते ही रश्मि का शरीर झनझना उठा...और उसकी सूख चुकी चूत मे फिर से गीलापन आने लगा..

रश्मि : "हाँ ...मिली तो थी...पर कुछ ढंग से बात नही हो पाई...वो कही गया हुआ था, और उसके बाद उसने दोस्तों के साथ कहीं जाना था, सिर्फ़ एक मिनट के लिए ही बात हो पाई...कल मिलना है दोबारा..कल उसके कॉलेज की छुट्टी है..''

समीर : "ह्म्*म्म्म....देखो, जो भी करना , सोच समझ कर करना, कोई प्राब्लम हो तो मुझे बता देना, मैं उसको सीधा कर दूँगा..''

रश्मि : "पता है जी...पर आप फ़िक्र ना करो...मैं संभाल लूँगी उसको...''

रश्मि ने बड़ी सफाई से झूट बोलकर आज का सारा किस्सा छुपा लिया, वैसे भी ऐसी बात अपने पति को बताई नही जाती..और साथ ही साथ उसने अगले दिन भी विक्की से मिलने का रास्ता सॉफ कर लिया..और कल उसको विक्की से कहा मिलना है और क्या-2 करना है, ये सोच सोचकर उसको सारी रात नींद ही नही आई..

उसको तो बस इंतजार था कल का, की कब सुबह हो और समीर ऑफीस जाए..काव्या कॉलेज जाए..और वो विक्की से मिलने..

और ये बात विक्की भी नही जानता था की उसका जादू इस कदर रश्मि को फिर से उसके पास ले आएगा, वो भी अगले ही दिन.
समीर और काव्या के जाते ही रश्मि पार्लर मे पहुँची और अपने शरीर के सारे अन्दरूनी बाल निकलवा दिए...वो ऐसे सज संवर रही थी मानो उसकी सुहागरात होने वाली हो..उसके मन मे आज वही रोमांच था जो उसकी पहली शादी के समय था..घर आते-आते 12 बज गये..उसने लंच किया और फिर झटपट तैयार होकर बाहर निकल गयी...भले ही वो जल्दबाज़ी मे तैयार हुई थी पर वो आज काफ़ी सेक्सी लग रही थी...वजह थी उसकी साड़ी का डिज़ाइन..शिफोन के कपड़े की हल्के गुलाबी रंग की साड़ी जो उसने नाभि से काफ़ी नीचे करके बाँधी थी और ब्लाउस का गला भी काफ़ी गहरा था..जिसमे उसके किलो-2 के मुम्मे संभाले नही संभल रहे थे.


उसने ड्राइवर को ले जाना सही नही समझा और मेन रोड से ऑटो करके अपने पुराने मोहल्ले की तरफ चल दी..अभी सिर्फ़ 4 ही बजे थे..आधा घंटा लगना था उसको वहाँ पहुँचने मे और विक्की का कॉलेज से आने का समय 5 बजे का था..

वो बाहर ही उतर गयी और धीरे-2 चलती हुई विक्की के घर के बाहर पहुँच गयी..वो उसी की गली का आख़िरी मकान था, उसके घर वो पहले कभी भी नही आई थी..पहली वजह थी विक्की का आवारापन और दूसरी था की उस घर मे कोई औरत नही थी...सिर्फ़ विक्की और उसका बाप ही रहते थे..उसका बाप भी हर वक़्त शराब के नशे मे डूबा रहता था..

रश्मि ने दरवाजा खड़काया..एक दो बार खड़काने के बाद दरवाजा खुल गया..विक्की का बाप पायज़ामे और बनियान मे बाहर निकला..उसकी बोझिल आँखे बता रही थी की वो या तो सोकर उठा है या फिर शराब पीकर..

उसके बाप का नाम था देवी लाल उमर करीब 48 के आसपास थी...बिल्कुल मरियल सा ...जैसे उसके अंदर की हवा निकाल दी गयी हो..और चेहरे पर हल्की सफेद दाढ़ी भी थी.

रश्मि : "जी ...नमस्ते ...वो विक्की से मिलना था..''

देवी लाल ने उसको उपर से नीचे तक ऐसे देखा जैसे उसको चोद ही देगा अपनी आँखो से...फिर वो बोला : "वो नही है.....''

इतना कहकर उसने बड़ी ही बेरूख़ी से दरवाजा बंद कर दिया..

बेचारी रश्मि को बड़ी बेइजत्ती महसूस हुई...वो आ तो गयी थी पर अब उसके अंदर जो विक्की से मिलने की ललक थी वो बड़ चुकी थी,इसलिए वापिस जाने का तो सवाल ही नही था..बाहर खड़ी रहकर वो उसका वेट नही करना चाहती थी,क्योंकि कोई भी उसको पहचान सकता था,आख़िर बरसों रही थी वो उस गली मे..

उसने निश्चय कर लिया की वो अंदर बैठकर विक्की का इंतजार करेगी..पर ये निर्णय कितना ख़तरनाक हो सकता था वो नही जानती थी..

उसने दरवाजा फिर से खड़काया.

देवी लाल फिर से बाहर निकला, वो अब थोड़ा गुस्से मे लग रहा था..वो कुछ बोलता, इससे पहले ही रश्मि ने बड़ा मासूम सा चेहरा बनाया और सेक्सी से अंदाज मे बोली : "जब तक विक्की नही आता, क्या मैं अंदर बैठकर उसका इंतजार कर सकती हू...''

देवी लाल ने कुछ देर सोचा फिर बोला : "आ जाओ अंदर...''

और वो पलटकर अंदर की तरफ चल दिया..

रश्मि धड़कते दिल से अंदर आ गयी..

देवी लाल : "दरवाजा बंद कर दो...''

उसकी रोबिली आवाज़ सुनकर एक पल के लिए तो वो सहम सी गयी...उसने दरवाजा बंद कर दिया और उसके पीछे-2 अंदर आ गयी.

अंदर काफ़ी घुटन सी थी...देवी लाल सीधा चलता हुआ अपने छोटे से कमरे मे पहुँचा, जहाँ एक बड़ा सा बिस्तर अस्त-व्यस्त था और पास ही एक टेबल था, जिसपर शराब की बोतल और ग्लास रखा हुआ था..

उसने ग्लास मे बची हुई शराब का एक घूँट लिया ..रश्मि का अंदाज़ा सही निकला, वो शराब ही पी रहा था..

रश्मि ने हकलाते हुए पूछा : "जी वो ....विक्की कब तक आएगा...''

देवी लाल : "इतनी क्यो मचल रही है विक्की से मिलने के लिए....चुदाई करवानी है क्या उससे...''

उसके मुँह से एकदम से ऐसी बेबाकी भारी बात सुनकर एक पल के लिए तो रश्मि सहम सी गयी...और अगले ही पल गुस्से से तमतमा उठी..पर वो कुछ बोलने ही वाली थी की देवी लाल अपनी जगह से उठा और उसकी तरफ मुँह करके खड़ा हो गया...और अगले ही पल वो हुआ जिसकी उसने आशा भी नही की थी..

देवी लाल ने अपनी लूँगी खोल दी, उसने अंदर कुछ भी नही पहना हुआ था..उसकी मरियल से टाँगो के बीच लटका लंड देखकर रश्मि की आँखे फैल सी गयी..

वो इसलिए की एक तो उसने आशा भी नही की थी की विक्की का बाप इतनी बेशर्मी से एकदम से अपने कपड़े उतार कर उसे अपना लंड दिखाएगा...और लंड क्या वो तो एक घिया था..इतना मोटा और लंबा लंड तो उसने आज तक नही देखा था..और अभी तो वो बैठा हुआ था, जब खड़ा होगा तो कैसा लगेगा..उसका शरीर काँपने लगा..

देवी लाल : "तेरी चूत मे जो आग लगी है वो मैं भी बुझा सकता हू...विक्की का इंतजार करने से क्या होगा..चल इधर आ..मैं तुझे बताता हू की असली चुदाई किसे कहते हैं...''

पता नही क्या सम्मोहन था उसकी बातों मे...या ये कह लो उसके लंड मे की रश्मि अपनी पलकें झपकना भी भूल गयी...और मंत्रमुग्ध सी चलती हुई उसके पास तक पहुँची..

देवी लाल ने भी शायद नही सोचा था की इतनी आसानी से ये अंजान औरत उसके लंड को देखते ही उसके जाल में फँस जाएगी..

रश्मि चलती हुई आगे आ रही थी..उसके हाथ से उसका पर्स फिसलकर नीचे गिर गया...उसकी साड़ी का सिल्की पल्लू भी खिसककर नीचे आ गया...और वो अपनी बड़ी-2 छातियाँ आगे की तरफ निकाले देवी लाल के सामने पहुँच गयी..

उसके मुँह से एक तेज दुर्गंध आ रही थी शराब की...वैसे एक विशेष बात थी रश्मि के साथ..उसे शराब की महक बहुत पसंद थी...वैसे तो उसने आज तक शराब पी नही थी..और ना ही उसका पहला पति पीता था..पर समीर के मुँह से आती महंगी शराब की गंध उसको पागल सा कर देती थी..वो उसके होंठों को उस दिन ऐसे चूसती थी जैसे उसपर कोई शहद लगा हो...उसकी साँसों को अपने चेहरे पर महसूस करके वो खुद नशीली हो जाती थी..

और आज वही सब वो देवी लाल के सामने भी फील कर रही थी...भले ही उसकी शराब काफ़ी सस्ती थी और ज़्यादा दुर्गंध वाली थी पर उसका असर उसके उपर उतना ही हो रहा था जितना समीर की शराब का होता था..बल्कि आज ऐसी परिस्थिति मे तो वो नशा और भी ज़्यादा चढ़ रहा था उसके उपर....

देवी लाल ने उसका हाथ पकड़ा और सीधा अपने उठ रहे लंड के उपर रख दिया..रश्मि के शरीर के सारे तार झनझना उठे..देवी लाल की आँखों मे एक अजीब सी कशिश थी..उसके सूखे हुए होंठो से निकल रही शराब की दुर्गंध उसको पागल सा कर रही थी..शायद ये बात देवी लाल नही जानता था की उसको शराब की गंध पसंद है, वो सोच रहा था की इतनी सभ्य सी दिखने वाली औरत को शायद उसके मुँह से आ रही दुर्गंध पसंद नही आ रही हो और ऐसा ना हो की वो सूँघकर वो बिफर जाए और भाग जाए..और वो ऐसा हरगिज़ नही चाहता था, क्योंकि आज काफ़ी सालो के बाद उसके सामने इतनी सेक्सी औरत आई थी जिसकी वो चुदाई करने के बारे मे सोचने लगा था.

इसलिए देवी लाल अपना मुँह इधर उधर करते हुए अपनी साँस को उसके सामने निकालने से कतरा रहा था..और यही बात रश्मि को उत्तेजित कर रही थी..वो उसके मुँह से निकल रही गंध की दीवानी हो चुकी थी..वो ये भी भूल चुकी थी की वो वहाँ किसलिए आई है,और किसके लिए आई है..

वो उत्तेजित तो पहले से ही थी, देवी लाल ने तो बस अपना लंबा लंड दिखाकर उसकी अंदर की आग को और ज़्यादा भड़का दिया था और शराब ने तो उस उत्तेजना की आग पर घी का काम किया और वो अब बिफरने सी लगी थी..और इससे पहले की देवी लाल कुछ समझ पाता , उसने उसके मरियल से शरीर को अपनी बाहों मे भरा और उसके शराब से भीगे होंठों पर टूट पड़ी..और उन्हे ज़ोर-2 से चूसने लगी.

वो बेचारा देवी लाल ये सोचने की कोशिश कर रहा था की आख़िर उसके अंदर ऐसा क्या देख लिया इसने जो इस तरह से उसपर टूट पड़ी है..उसने तो ये सोचकर की उसके बेटे से मिलने आई ये औरत केरेक्टर की ढीली होगी, इसलिए ट्राइ करने की सोची थी और बेशरम होकर अपनी लूँगी भी खोल दी थी..

पर जब सामने वाली ही इतनी उत्तेजना से भरकर उसका साथ दे रही है तो वो क्यो पीछे हटे, उसने भी अपनी मरियल उंगलियों से उसके मोटे-2 स्तन दबाने शुरू कर दिए..

और अब तक उसका लंड पूरे आकार मे आ चुका था..जिसे रश्मि ने जैसे ही चुभता हुआ महसूस किया , वो उसे देखने लगी और वो नज़ारा देखकर उसका रही सही समझ भी जाती रही की वो किसके साथ क्या कर रही है..

वो झट से नीचे बैठ गयी और पलक झपकते ही उसके खंबे को अपने मुँह मे लेकर चूसने लगी..

देवी लाल के लिए ये नया था, आज तक उसके लंड को किसी ने नही चूसा था, वो सिसक उठा...अपने पंजों पर खड़ा होकर मचल उठा..उसके बालों को पकड़कर उसे धक्का देने लगा, क्योंकि रश्मि के दाँत उसके लंड पर चुभ रहे थे..पर वो भूखी शेरनी की तरह उसके लंड के माँस को नोचने मे लगी थी..ऐसी उत्तेजना का बुखार उसपर आज तक नही चड़ा था..अचानक रश्मि ने पास पड़ी बोतल को उठाया और उसे उल्टा करते हुए उसने देवी लाल के लंड पर शराब की कुछ बूंदे टपका दी...

ये काम वो काफ़ी समय से समीर के साथ भी करना चाहती थी..पर अपनी घरेलू औरत वाली इमेज के चलते वो कर नही पा रही थी...पर आज जैसे उसको सब कुछ करने की छूट सी मिल गयी थी..

देवी लाल उसकी हरकत देखकर एक ही पल मे समझ गया की असल मे माजरा क्या है, क्यो वो उसके शराब से तर होंठों को चूसने मे लगी थी..उसको शराब का नशा पसंद था..

लंड पर शराब की बूंदे फिसल कर उसकी बॉल्स तक आई और जैसे ही वो नीचे गिरने को हुई, रश्मि ने अपनी जीभ फैलाकर उसके टटटे चाट लिए...और वही नशीला स्वाद उसे अपने मुँह मे महसूस हुआ जो देवी लाल के मुँह से आ रहा था, ये भले ही रश्मि का पहला मौका था शराब चखने का, पर उसे ऐसा लग रहा था की वो बरसों से पीती आई है..

कुछ ही देर मे रश्मि ने उसके लंड और टट्टों को चाटकर चमका दिया..











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