Sunday, April 27, 2014

बदनाम रिश्ते--राजन के कारनामे--12

FUN-MAZA-MASTI

 बदनाम रिश्ते--राजन के कारनामे--12


 शालिनी दीदी मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी , मैंने दीदी को पकड़कर अपनी ओर खींचा और अपनी गोद में बिठा लिया और उनके बगलों से अपने हाथ निकालकर उनकी चूचियाँ दबाना चालु कर दिया , साथ ही उनकी गालों को अपने गालों से सहलाने लगा |

दीदी आँखे मूंदकर मजे लेने लगी |

दीदी ......

उंह...

दीदी तुम हमारे साथ बीच में कैसे शामिल हो गयी ...जहां तक मुझे लगा था की गुड्डी तुमसे पर्दा करने के लिए ही दीवानखाने से भागी थी क्योंकि मेरे कमरे में वो बिलकुल इधर उधर नहीं की ....


जरुरी था ....तुमसे ज्यादा मै उस हरामजादी को जानता हूँ ....जब तुम हमारे घर आओगे या मै तुम्हारे पास आउंगी तो वो मेरे साथ होगी ही ..... मै कभी भी अकेले बाहर नहीं निकल सकती ....फिर मै कैसे खुल के इंजॉय कर सकती थी इसलिए तो उसे इस खेल में शामिल करना जरुरी था ........

(दीदी अपना हाथ मेरे लंड पर लोअर के ऊपर से फेरकर उसे मुठिआने लगी , मैंने सोंचा ...चलो किसी को तो इस बेचारे का ख्याल आया )


अब तक मै दीदी के समीज में पीछे से हाथ डालकर उसे दबा रहा था ....आह क्या मुलाएम चूचियाँ थी ....

दीदी ने मेरा लोअर नीचे कर मेरा तना हुआ डंडा बाहर निकाल कर उसका स्ट्रेंथ चेक करने लगी ......

वाउ .....क्या मस्त है तुम्हारा (शालिनी मेरी आँखों में झांकती हुई बोली ....उसकी आँखों में चमक थी )

दीदी, मेरे इस मस्ताने लंड ने तुम्हारी बूर को कई बार फाड़ा है ...........सपने में ........कई बार तुम्हारे नाम की मुठ मार चुका हूँ .........

वो तो कई बार मै इअर फोन लगाकर तुम्हारे मुठ मारने वाली विडियो में सुन चुकी हूँ .......शालिनी दीदी ....शालिनी दीदी ...ऐसे ही ...बस ऐसे ही चूसती रहो .....और फिर झड़ते समय भी मेरा नाम ले लेकर चिल्ला रहे थे ...उसी सीन ने तो मुझे तुम्हारी तरफ आकृष्ट किया है ......


तो अब सपने को हकीकत में बदल दो न दीदी ......


शालिनी मेरे गोद से उतरकर मेरे लंड की तरफ झुकी और सुपाडे पर एक चुम्मी ली ....फिर उसपर अपना जीभ फिराने लगी

....मै दीदी के बालों में हाथ फेर रहा था और धीरे धीरे अपना कमर उठाकर उनके मुँह में लंड ठुसने की कोशिश कर रहा था ......फिर दीदी ने लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी ....मेरे सारे शारीर में रोमांच की लहर दौड़ने लगा


 इधर दीदी तन्मय होकर चूसने में व्यस्त थी ...मै दीदी के गांड पर सलवार के ऊपर से हाथ फेर रहा था

.....फिर मैंने झटके से दीदी का सलवार का नाड़ा खोल दिया और सलवार के साथ पैंटी को नीचे खिसकाकर उनकी नंगी गांड को सहलाया ....आह जबरदस्त गांड थी ......ऐसी सुडौल और बिलकुल गोल गोल चुतर मै पहली बार देख रहा था ....

मेरा लंड झटके देने लगा जिसे बड़ी मुश्किल से दीदी पकड़कर चूस रही थी ....दीदी चूसते चूसते डौगी स्टाइल में पीछे से अपना चुतर उठा दी .....

हल्की झांटों की झुडमुटों से झांकती दीदी की पनिआइ चूत मै पहली बार देख रहा था, जो चूतरों की गोल गुम्बदों की आड़ में छिपकर मुझे ललचा रही थी.......मैंने गुम्बदों को सहलाते सहलाते अपनी एक अंगुली पीछे से चूत में पेल दिया ......

आउच .........दीदी चूसना छोड़कर एक बार चिहुंकी और फिर अपने मीनार सरीखे टांगो को फैलाते हुए गोल गुम्बदो के बीच गैप बनाकर लंड चूसने लगी .....अब मै आराम से उनके बूर में ऊँगली कर रहा था .....बहुत मजा आ रहा था .....मजे से मेरी आँख मूंद गयी .....

मै आँख बंद कर मजे ले रहा था कि एक और सिसकारी सुनकर मैंने अपना आँख खोला .....

उधर दरवाजे पर गुड्डी पैंटी में खडी थी और अपना बूब्स मसलते हुए हमें देख रही थी .....

मैंने पास आने का इशारा किया ......

जैसे ही वो पास आयी मैंने उसके पैटी को नीचे खींचकर उसकी बिना बालों वाली सफाचट चूत पर दुसरा हाथ फेरना चालू कर दिया और झुककर उसके मम्मो पर मुँह लगा दिया .......


मेरे दोनों हाथ दो बिभिन्न चूतों पर थिरक रहे थे ....एक के मुँह में मेरा लंड था और दुसरे की चूचियाँ चूस रहा था .......अप्रतीम आनंद .......ओह ..........जिन्दगी के सबसे अनोखे पल से गुजरने लगा..........................................तभी

दीदी चुसना छोड़कर उठी और अपनी समीज उतारती हुई मेरे सीने पर बैठ गयी और अपनी बूर उभारकर जंगली बिल्ली की तरह मेरे मुँह पर घिसने लगी और अपनी ब्रा खोलकर फेंक दी ....

गुड्डी हडबडाकर दूर हट कर अपनी दीदी को देख रही थी ....

मै अपना जीभ निकालकर दीदी की बूर चाटने लगा ..........दीदी जोर जोर से अपनी बूर घिस रही थी .....मैंने जीभ अन्दर पेल दिया ....वो चिल्लाई .......आह .....और फिर शांत होने लगी ......वो झड चुकी थी और उनकी चूत का नमकीन पानी मेरी जीभ तर कर रहा था ......

थोड़ी देर बाद मैंने दीदी को चित लिटा दिया ....अब वह पूर्ण नग्न थी ....

मै उसकी सुन्दरता निहारने लगा ...फिर झुककर उनकी चूचियां बारी बारी से चुभलाने लगा .....उधर गुड्डी दीदी के जाँघों के बीच घुसकर मेरी चाटी हुई बूर दुबारा चूसने लगी ...

दीदी फिर गर्म होने लगी .....अब उनके हाथ मेरे सर पर फिर रहे थे .....

मैंने गुड्डी को उनकी बूर से हटाया और अरसे से अपनी बारी का इन्तजार करते अपने खड़े लंड को दीदी की बूर में चांपा ...

दीदी चिल्लाई ......इस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स .................अहिस्ते से भाई .........ये किसी रंडी की नहीं तेरे दोस्त की बहन की बूर है ......फाड़ो मत प्लीज .......

फिर मैंने अन्दर ठेलना रोककर उनके दर्द के कम होने का इन्तजार करने लगा .....

थोड़ी देर में उनके चेहरे पर दर्द के जगह जोश आने लगा और जब उन्होंने अपना कमर चलाना शुरू किया तब मैंने फिर लंड अन्दर करना चालु कर दिया .....

फिर मंथर गति से उनको चोदने लगा ......लगभग १० मिनट बाद जब मै झड़ने वाला था तब मैंने तूफानी गति पकड़ ली ...लंड तेजी से अन्दर बाहर होने लगा .......दीदी लगातार सिसिक रही थी .........फिर हम दोनों एक साथ झडे..............

थोड़ी देर बाद दोनों बहने अपने अपने कपडे पहन कर जाने लगी ....

जाते जाते दीदी ने मुझे चुमते हुए कहा - राजन तुमने आज मुझे स्वार्गिक आनंद दिया है - थैंक यू ....लेकिन यहाँ आना थोडा मुश्किल है ....तुम घर आते रहना


मै पूरी तरह संतुष्ट था ....अब मुझे चूत के लिए भटकने की जरुरत नहीं थी .....इसलिए मैंने रेस्ट करने के बाद पूरी शाम पढ़ाई की | अगले दिन सुबह भी मै अच्छे से पढ़ा.... माँ भी मुझे इस तरह पढता देखकर खुश थी |

माँ के कॉलेज जाने के बाद मै नहा धोकर रेस्ट कर रहा थी कि दरवाजे की बेल बजी ....

मैंने अनिक्छा से दरवाजा खोला ......सामने गुड्डी खड़ी थी ...अकेली ...सलवार और फ्रॉक में .....

( मैंने मन ही मन कहा .....इस कुतिया की अभी चुदाई नहीं हुई है, इसलिए लंड की तलाश में भटक रही है ....चलो, साली को चोद ही देता हूँ ....चाहे इसकी फटे या बचे ........अच्छा है ..इसे अभी चोदता हूँ ..और शाम को इसके घर जाकर दीदी को चोदूंगा.........)


कोई देख न ले ..इसलिए मैंने झट से उसे अन्दर किया और दरबाजा बंद करते ही उसके टांगों के बीच हाथ डालकर उसकी चूत सलवार के ऊपर से मसलने लगा और फिर उसे गोद में उठाकर अपने कमरे में ले जाकर बेड पर पटक कर उसकी सलवार खोलने लगा

थोड़ी देर में ही सलवार और पैंटी दोनों कमरे के फर्श को चूम रहे थे .......

फिर फ्रॉक को ऊपर कर उसके सर से निकाल दिया

गुड्डी मेरे इस त्वरित आक्रमण के लिए शायद तैयार नहीं थी इसलिए जैसे ही नग्न हुई तो उसने अपना दोनों हाथ चूत के ऊपर रख ली .....

गुड्डी........ चुदने आयी है तो मजे ले .....अपनी चूत क्यूँ ढक रही है ?........

भैया .....आज चो.....चोदोगे क्या ?

हाँ...........आज तेरी जरुर लूंगा

ले लेना भैया .....लेकिन आहिस्ते आहिस्ते .....आपका बहुत बड़ा और मोटा है ..........फाड़ना नहीं ....जैसे कल आपने दीदी की ली थी .......

दीदी की पहले से चुदी हुई थी .....तेरी फटेगी, चीखना नहीं ... तेरी चूत में पहला लंड घुसेगा ......मै पहला ही हूँ न ? .....या किसी और से भी चुदवाई है पहले ??.......


दीदी की पहले से चुदी हुई थी .....तेरी फटेगी, चीखना नहीं ... तेरी चूत में पहला लंड घुसेगा ......मै पहला ही हूँ न ? .....या किसी और से भी चुदवाई है पहले ??.........

नहीं ......

तो बोल ना ........मै पहला ही हूँ न तुझे पेलने वाला ....

हाँ............

पूरा बोल .....

पूरा क्या ?......

यही की तेरी बुर चोदने वाला मै पहला व्यक्ति हूँ ....

जबाब में गुड्डी ने मेरे सीने पर प्यार से मुक्का मारा......आप बड़े बेशरम हो भईया....

बोल .....नहीं तो नहीं चोदूंगा

हाँ भैया .....आप ही वो पहले मर्द हो जिसने जिसने मेरी बुर को छुआ.....उसमे ऊँगली की और आप ही हो जो मुझे पहली बार चोदोगे ....आपकी ही अमानत है मेरी बुर ...प्यार से मारना ....और शरमाकर दोनों हाथो से अपना चेहरा ढक ली .....

मै गुड्डी के शब्दों को सुनकर गनगना गया ....मैंने उसे भरपूर मजा देने का ठान लिया था

मैंने उसके जांघो को फैलाया और उसके बीच अपना चेहरा घुसाकर उसकी छोटी सलोनी बुर को अपने जीभ से चाटने लगा .........

आआआआआआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ...........................ईईईईईईइस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स ..........

गुड्डी की मादक सिसकारी पुरे कमरे में फ़ैल रही थी

उसके बुर के अन्दर से उसका आनंद रस का स्त्राव हो रहा था और उस नमकीन रस का हर एक बूंद मै चाटे जा रहा था ....

फिर मैंने गुड्डी को बेड से उतारा और अपने कपडे उतारते हुए अपना खडा लंड उसके हाथ में पकड़ा दिया

....वो मेरा इशारा समझ गयी ........

उसने अपना प्यार सा मुंह खोलकर मेरा लंड अपने मुंह में लेने लगी ......वो पहले भी दो बार मेरा लंड चूस चुकी थी ..इसलिए अब प्यार से लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी .....

मै जन्नत में था ..........तभी ..................

ये क्या हो रहा है ?.......एक अपरिचित आवाज ने हम दोनों को फ्रिज कर दिया .......मै घुमा .....मेरा लंड गुड्डी के मुंह से निकलकर स्प्रिंग की तरह उछला ......

कमरे के दरवाजे पर मेरी पड़ोसन ... मिसेज मेहरा ....सोनिया मेहरा.....खड़ी थी ...............
 
 


 ये बहन की लौड़ी कहाँ से आ गयी ....मैंने मन ही मन सोंचा ....मेन डोर तो मैंने ठीक से बंद कर दिया था...शायद छत से ...

तभी मेरा ध्यान अपने फड़कते खम्भे की तरफ गया जो अपने मजे में व्यवधान उत्पन्न करने वाली दरवाजे पर खड़ी अवांछित अतिथि की ओर तना हुआ था | मै शरमाकर बेडशीट पकड़ कर लपेटना चाहा ....लेकिन बेडशीट को तो गुड्डी पहले ही लपेटकर बेड के साईड में बैठ गयी थी ....मेरे लिए अपने खम्भे को छुपाने के लिए हाथ से ढकने के अलावा कोई चारा नहीं बचा था


मै खिड़की से देखती थी इस समय ये लड़की रोज आती है , कल तो अपनी सहेली भी लेकर आयी थी .......मै तो यही देखने आयी थी की तुम लोग आखिर करते क्या हो ?......छिः तुम लोग कितने गंदे हो .....तुम्हारी ये उमर है ये सब करने की ...ठहरो , मै तुम्हारी माँ को सब बताती हूँ .........कहते हुए मिसेज मेहरा डाइनिंग हॉल की तरफ बढ़ी ....


मुझे काटो तो खून नहीं ............. चेहरा सफ़ेद पड़ गया और लंड डर से सटक कर लटक गया


आंटी के हटते ही गुड्डी जल्दी जल्दी अपने कपडे पहनने लगी तो मुझे भी अपना लोअर पहनने का ख्याल आया | गुड्डी तेजी से बाहर जाने लगी ...मै भी अपनी बेइज्जती कराना नहीं चाहता था इसलिए मै भी उसके साथ बाहर चला गया और पंद्रह -बीस मिनट बाद लौटा ...लौटना तो था ही क्योंकि घर खुला था लेकिन मै उम्मीद कर रहा था बल्कि इश्वर से प्रार्थना कर रहा था की मिसेज मेहरा चली गयी हो |




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