FUN-MAZA-MASTI
मेरा नाम फ़ातिमा है, उम्र अभी केवल 18 की है, मैं एकलौती हूँ मेरी अम्मी सायरा अभी केवल 34 साल की हैं। मेरे चाचाजान जो पास के ही एक छोटे से शहर में रहते हैं, अक्सर हमारे घर आया करते हैं, पर वे ज़्यादातर अम्मी के कमरे में ही घुसे रहते हैं। मुझे पहले तो कु्छ नहीं लगा पर एक दिन जान ही गई कि अम्मी अपने देवर यानि मेरे चाचा से ही फ़ुद्दी चुदवाने का पूरा मज़ा लेती हैं। मुझे बहुत आश्चर्य हुआ पर अजीब सा मज़ा भी मिला दोनों को देखकर।
मैं जान गई अम्मी अपने देवर से फँसी है और दोनों चुदाई का मज़ा लेते हैं। चाचा करीब 30 साल के हैं। चाचा अब मुझे भी अजीब नज़र से देखते हैं पर मैं कु्छ ना बोलती !
घर के माहौल का असर मुझ पर भी पड़ा, चाचा को अपनी चूचियों को घूरते देख अजीब सा मज़ा मिलता था मुझे ! अगर पापा नहीं होते तो अम्मी चाचा को अपने कमरे में ही ठहराती, सुलाती।
एक रात अम्मी के कमरे में कान लगा कर मैं दोनों की बात सुन रही थी तो दोनों की बात सुन दंग रह गई।
चाचा ने कहा- सायरा भाभी, अब तो अपनी फ़ातिमा भी जवान हो गई है। भाभी, आपने कहा था कि फ़ातिमा का मज़ा भी आप दिलवाओगी?
“ओह्ह मेरे प्यारे देवर जी, तुमको रोकता कौन है। तुम्हारी भतीजी है, जो करने का मन है वो करो। जवान हो गई है तो चोद दो साली को। जब मैं फ़ातिमा की उम्र की थी तो कई-कई लंड खा चुकी थी। 5 साल से सिर्फ़ तुमसे ही चुदवा रही हूँ। आजकल तो लड़कियाँ हाई स्कूल में चुदवाने लगती हैं।
मैं चुपचाप दोनों की बात सुन रही थी और बेचैन हो रही थी।
“वो गुस्सा ना हो जाए?”
“नहीं होगी ! तुम गधे हो, पहली बार सब लड़कियाँ बुरा मानती है पर जब मज़ा पाएगी तो खुद उछल उछल कर देने लगेगी। ज़रा चूत चाटो और तैयार ! अब अपनी भाभी की चूत चाटो, भतीजी की जब मिलेगी तो मिलेगी।”
“जी भाभी !” चाचा अम्मी की चूत को चाटने लगे।
कु्छ देर बाद फिर चाचा की आवाज़ आई- फ़ातिमा पूरी गदरा गई है भाभी !
“हाँ ! हाथ लगाओगे तो और गदरायेगी ! डरने की ज़रूरत नहीं। वो खुद ही चुदने को तैयार दीखती है, एक दिन गली में कुत्ते-कुतिया की गांठ लगी देख कर अपनी बुर पर हाथ फ़ेर रही थी ! फ़िर भी अगर नखरे दिखाए तो पटक कर चोद देना, देखना मज़ा पाते ही अपने चाचा की दीवानी हो जाएगी जैसे मैं अपने देवर भैया की दीवानी हो गई हूँ। चाटो मेरे देवर जी ! मुझे चटवाने में बहुत मज़ा आता है।”
“हाँ भाभी, मुझे भी तुम्हारी चूत चाटने में बड़ा मज़ा मिलता है।”
मैं दोनों की बात सुन कर मस्त हो गई। मन का डर तो अम्मी की बात सुन निकल गया, जान गई कि मेरा कुँवारापन अब बचेगा नहीं। अम्मी खुद मुझे चुदवाना चाह रही थी।
जान गई कि जब अम्मी को इतना मज़ा आ रहा है तो मुझे तो बहुत आएगा। अम्मी तो अपने देवर से चुदवा ही रही थी साथ ही मुझे भी चोदने को कह रही थी। अम्मी और चाचा की बात सुन वापस आ अपने कमरे में लेट गई। मैं अपनी दोनों चूचियों तेज़ी से मसल रही थी और रानों के बीच की चूत गुदगुदा रही थी।
कु्छ देर बाद मैं फिर अम्मी के कमरे की खिड़की के पास गई और अंदर की बात सुनने लगी। अजीब सी पक्क-चक्क की आवाज़ आ रही थी, मैंने सोचा कि पता नहीं यह कैसी आवाज़ है, तभी अम्मी की आवाज़ सुनाई दी- हाए थोड़ा और साले बहनचोद तुमने तो आज थका ही दिया।
“अरे साली रंडी भाभीजान ! अभी तो दस बार ऐसे ही करूँगा।”
मैं तड़प उठी दोनों की गंदी-गंदी बातें सुनकर, जान गई कि पक्क-पक्क की आवाज़ चुदाई की है और अम्मी अंदर चुद रही हैं, चाचा अम्मी को चोद रहे हैं। मैंने धीरे से खिड़की के पल्ले को धकेला तो वो थोड़ा सा खुल गया, अन्दर का नजारा मुझे साफ़ दिखने लगा। अम्मी पूरी नंगी बैड पर हाथ टिका कर जमीन पर खड़ी थी और चाचा उन्हें पीछे से चोद रहे थे। मुझे तो चाचा के कूल्हे आगे पीछे होते दिख रहे थे।
तभी अम्मी ने कहा- अय हाय… बहुत दमदार लौड़ा है तुम्हारा। ग़ज़ब की ताक़त है ! मेरी दो बार झड़ चुकी है। आ…आअहह… बस ऐसे ही… तीसरी बार निकलने वाला है… आह… अहह… बस राजा… निकला… तुम सच में एक बार में दो तीन लौण्डियों को खुश कर सकते हो। जाओ अगर तुम्हारा मन और कर रहा हो तो फ़ातिमा को जवान कर दो जाकर !
“कहाँ होगी मेरी जान?”
“अपने कमरे में ! जाओ दरवाज़ा खुला होगा। मुझमें तो अब जान ही नहीं रह गई है।”
अम्मी ने तो यह कह कर मुझे मस्त ही कर दिया था, घर में ही सारा मज़ा है तो बाहर क्यों चूतड़ तुड़वायें !
चाचा अपनी भाभी को चोदने के बाद अब अपनी कुँवारी भतीजी को चोदने को तैयार थे। अम्मी के चुप हो जाने के बाद मैं अपने कमरे में आ गई। मैं जान गई कि चाचा अम्मी को चोदने के बाद मेरी कुँवारी चूत को चोदकर जन्नत का मज़ा लेने मेरे कमरे में आएँगे।
मैं खुद मानसिक तौर पर पूरी तरह से तैयार हो चुकी थी अपने चाचा से चुदने के लिये ! मेरे पूरे बदन में करेंट दौड़ने लगा।
मैंने अपने कमरे में आकर फ़ौरन मैक्सी पहनी। मैं चड्डी पहनकर सोती थी पर अभी चड्डी भी उतार कर बाथरूम में डाल आई। आज तो मेरी कुँवारी अक्षतयौवना अनछुई चूत की ओपनिंग होने वाली थी।
मेरी चूत के पपोटों में धड़कन होने लगी थी, चूत गीली तो पहले से ही हो रही थी और चूचियों में रस भर रहा था। अब तो मेरा मन कर रहा था कि मैं खुद अम्मी के कमरे में जाकर चाचा से कह दूँ- चाचा, अम्मी तो बूढ़ी हैं। मैं जवान हूँ ! मुझे चोदो… मुझे !
रात के 11:30 हो चुके थे। मैंने कमरे का दरवाजा दरवाज़ा खुला रखा था। मॅक्सी को एक टाँग से ऊपर चढ़ा दिया और एक चूची को गले की ओर से थोड़ी सी बाहर निकाल दिया और उसके आने की आहट लेने लगी। मैं मस्त थी और ऐसे पोज़ में थी कि कोई भी आता तो उसे अपनी चखा देती। अभी तक लंड नहीं देखा था, बस सुना था।
मैं खुद मानसिक तौर पर पूरी तरह से तैयार हो चुकी थी अपने चाचा से चुदने के लिये ! मेरे पूरे बदन में करेंट दौड़ने लगा।
मैंने अपने कमरे में आकर फ़ौरन मैक्सी पहनी। मैं चड्डी पहनकर सोती थी पर अभी चड्डी भी उतार कर बाथरूम में डाल आई। आज तो मेरी कुँवारी अक्षतयौवना अनछुई चूत की ओपनिंग होने वाली थी।
मेरी चूत के पपोटों में धड़कन होने लगी थी, चूत गीली तो पहले से ही हो रही थी और चूचियों में रस भर रहा था। अब तो मेरा मन कर रहा था कि मैं खुद अम्मी के कमरे में जाकर चाचा से कह दूँ- चाचा, अम्मी तो बूढ़ी हैं। मैं जवान हूँ ! मुझे चोदो… मुझे !
रात के 11:30 हो चुके थे, मैंने कमरे का दरवाजा दरवाज़ा खुला रखा था, मैक्सी को एक टाँग से ऊपर चढ़ा दिया और एक चूची को गले की ओर से थोड़ी सी बाहर निकाल दिया और उसके आने की आहट लेने लगी। मैं मस्त थी और ऐसी हालत में थी कि कोई भी आता तो उसे अपनी चखा देती, मैंने अभी तक लंड नहीं देखा था, बस सुना था।
10 मिनट बाद उसकी आहट मिली, मेरे रोएँ खड़े हो गये, मुझे चैन नहीं मिला तो झटके से एक पूरी चूची को बाहर निकाल आँख बंद कर ली।
जब 30 साल की चूत का दीवाना था तो मेरी 18 साल की देखकर तो चचाजान पागल हो जाता। तभी वह कमरे में आया। मैं गुदगुदी से भर गई, जो सोचा था वही हुआ, पास आते ही उसकी आँख मेरी बिखरी मैक्सी में उघड़ी रानों के बीच गई।
अम्मी के पास से वापस आने पर मज़ा खराब हुआ था पर अब फिर मज़ा आने लगा था।
जब चाचा अपने दोनों हाथ पलंग पर जमा मेरी रानों पर झुका तो मैंने आँखें बंद कर ली, मेरी साँसें तेज़ हुई, मेरी चूचियों और चूत में फुलाव आया। मैं दोनों रानों के बीच एक फुट का फासला किए उसे अपनी अनछुई हक्ले रोमों से सजी उजली चूत का पूरा दीदार करा रही थी।
कु्छ देर तक वा मेरी चूत को घूरता रहा, फिर मेरे दोनों उभरे उभरे अनारों को निहारता रहा, फ़िर धीरे से बोला- हाय, क्या उम्दा चीज़ है, एकदम पाव रोटी का टुकड़ा ! बुर की लकीर बिल्कुल पके हुए आड़ू जैसी ! हाय फ़ातिमा, गर तू अपने चचा से चुदने को राज़ी हो जाए तो कितना मज़ा मिले तुझे भी और मुझे भी !
और इसके साथ ही उसने झुककर मेरी चूत को बेताबी के साथ चूम लिया !
मेरे तो पूरे बदन में करेंट सा दौड़ गया ! मैं तो नींद का बहाना किए लेटी थी, चचा अप्नी भतीजी की नंगी कोरी बुर को चूमकर कु्छ देर तक मेरी कुँवारी चूत को देखता रहा फिर झुककर दुबारा मुँह से चूमते एक हाथ से मेरी मैक्सी को ठीक से ऊपर करता बोला- हाय, क्या मस्त माल है ! अब तो चुदी माँ के साथ बेटी की कुँवारी फाँकों का पूरा मज़ा लूँगा।
मैंने अपने चोदू चाचा के मुँह से अपनी तारीफ़ सुनी तो और मस्त हो गई। चूत पर बोसे से बहुत गुदगुदी हुई और मन किया कि उससे लिपट कर कह दूँ कि ‘अब नहीं रह सकती तुम्हारे बिना ! मैं तैयार हूँ ! लूटो मेरी कुँवारी चूत को चाचा !
पर चुप रही।
तभी चाचा बेड पर बैठ गये और मेरी गोरी चिकनी जांघों पर हाथ फेर मेरी चूत को सहलाने लगे। उससे चूत पर हाथ लगवाने में इतना मज़ा आ रहा कि बस मन यह कहने को बेताब हो उठा कि ‘राजा, नंगी करके पूरा बदन सहलाओ, मसल दो अपनी भतीजी को !
अम्मी का कहना सही था कि ‘हाथ लगाओ, मज़ा पाते ही लाइन क्लियर कर देगी मेरी फ़ातिमा !’
तभी उसकी एक उंगली चूत की फाँक के बीच में आई तो मैं तड़प कर बोल ही पड़ी- हाय ! कौन?
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जवान होती भतीजी
मेरा नाम फ़ातिमा है, उम्र अभी केवल 18 की है, मैं एकलौती हूँ मेरी अम्मी सायरा अभी केवल 34 साल की हैं। मेरे चाचाजान जो पास के ही एक छोटे से शहर में रहते हैं, अक्सर हमारे घर आया करते हैं, पर वे ज़्यादातर अम्मी के कमरे में ही घुसे रहते हैं। मुझे पहले तो कु्छ नहीं लगा पर एक दिन जान ही गई कि अम्मी अपने देवर यानि मेरे चाचा से ही फ़ुद्दी चुदवाने का पूरा मज़ा लेती हैं। मुझे बहुत आश्चर्य हुआ पर अजीब सा मज़ा भी मिला दोनों को देखकर।
मैं जान गई अम्मी अपने देवर से फँसी है और दोनों चुदाई का मज़ा लेते हैं। चाचा करीब 30 साल के हैं। चाचा अब मुझे भी अजीब नज़र से देखते हैं पर मैं कु्छ ना बोलती !
घर के माहौल का असर मुझ पर भी पड़ा, चाचा को अपनी चूचियों को घूरते देख अजीब सा मज़ा मिलता था मुझे ! अगर पापा नहीं होते तो अम्मी चाचा को अपने कमरे में ही ठहराती, सुलाती।
एक रात अम्मी के कमरे में कान लगा कर मैं दोनों की बात सुन रही थी तो दोनों की बात सुन दंग रह गई।
चाचा ने कहा- सायरा भाभी, अब तो अपनी फ़ातिमा भी जवान हो गई है। भाभी, आपने कहा था कि फ़ातिमा का मज़ा भी आप दिलवाओगी?
“ओह्ह मेरे प्यारे देवर जी, तुमको रोकता कौन है। तुम्हारी भतीजी है, जो करने का मन है वो करो। जवान हो गई है तो चोद दो साली को। जब मैं फ़ातिमा की उम्र की थी तो कई-कई लंड खा चुकी थी। 5 साल से सिर्फ़ तुमसे ही चुदवा रही हूँ। आजकल तो लड़कियाँ हाई स्कूल में चुदवाने लगती हैं।
मैं चुपचाप दोनों की बात सुन रही थी और बेचैन हो रही थी।
“वो गुस्सा ना हो जाए?”
“नहीं होगी ! तुम गधे हो, पहली बार सब लड़कियाँ बुरा मानती है पर जब मज़ा पाएगी तो खुद उछल उछल कर देने लगेगी। ज़रा चूत चाटो और तैयार ! अब अपनी भाभी की चूत चाटो, भतीजी की जब मिलेगी तो मिलेगी।”
“जी भाभी !” चाचा अम्मी की चूत को चाटने लगे।
कु्छ देर बाद फिर चाचा की आवाज़ आई- फ़ातिमा पूरी गदरा गई है भाभी !
“हाँ ! हाथ लगाओगे तो और गदरायेगी ! डरने की ज़रूरत नहीं। वो खुद ही चुदने को तैयार दीखती है, एक दिन गली में कुत्ते-कुतिया की गांठ लगी देख कर अपनी बुर पर हाथ फ़ेर रही थी ! फ़िर भी अगर नखरे दिखाए तो पटक कर चोद देना, देखना मज़ा पाते ही अपने चाचा की दीवानी हो जाएगी जैसे मैं अपने देवर भैया की दीवानी हो गई हूँ। चाटो मेरे देवर जी ! मुझे चटवाने में बहुत मज़ा आता है।”
“हाँ भाभी, मुझे भी तुम्हारी चूत चाटने में बड़ा मज़ा मिलता है।”
मैं दोनों की बात सुन कर मस्त हो गई। मन का डर तो अम्मी की बात सुन निकल गया, जान गई कि मेरा कुँवारापन अब बचेगा नहीं। अम्मी खुद मुझे चुदवाना चाह रही थी।
जान गई कि जब अम्मी को इतना मज़ा आ रहा है तो मुझे तो बहुत आएगा। अम्मी तो अपने देवर से चुदवा ही रही थी साथ ही मुझे भी चोदने को कह रही थी। अम्मी और चाचा की बात सुन वापस आ अपने कमरे में लेट गई। मैं अपनी दोनों चूचियों तेज़ी से मसल रही थी और रानों के बीच की चूत गुदगुदा रही थी।
कु्छ देर बाद मैं फिर अम्मी के कमरे की खिड़की के पास गई और अंदर की बात सुनने लगी। अजीब सी पक्क-चक्क की आवाज़ आ रही थी, मैंने सोचा कि पता नहीं यह कैसी आवाज़ है, तभी अम्मी की आवाज़ सुनाई दी- हाए थोड़ा और साले बहनचोद तुमने तो आज थका ही दिया।
“अरे साली रंडी भाभीजान ! अभी तो दस बार ऐसे ही करूँगा।”
मैं तड़प उठी दोनों की गंदी-गंदी बातें सुनकर, जान गई कि पक्क-पक्क की आवाज़ चुदाई की है और अम्मी अंदर चुद रही हैं, चाचा अम्मी को चोद रहे हैं। मैंने धीरे से खिड़की के पल्ले को धकेला तो वो थोड़ा सा खुल गया, अन्दर का नजारा मुझे साफ़ दिखने लगा। अम्मी पूरी नंगी बैड पर हाथ टिका कर जमीन पर खड़ी थी और चाचा उन्हें पीछे से चोद रहे थे। मुझे तो चाचा के कूल्हे आगे पीछे होते दिख रहे थे।
तभी अम्मी ने कहा- अय हाय… बहुत दमदार लौड़ा है तुम्हारा। ग़ज़ब की ताक़त है ! मेरी दो बार झड़ चुकी है। आ…आअहह… बस ऐसे ही… तीसरी बार निकलने वाला है… आह… अहह… बस राजा… निकला… तुम सच में एक बार में दो तीन लौण्डियों को खुश कर सकते हो। जाओ अगर तुम्हारा मन और कर रहा हो तो फ़ातिमा को जवान कर दो जाकर !
“कहाँ होगी मेरी जान?”
“अपने कमरे में ! जाओ दरवाज़ा खुला होगा। मुझमें तो अब जान ही नहीं रह गई है।”
अम्मी ने तो यह कह कर मुझे मस्त ही कर दिया था, घर में ही सारा मज़ा है तो बाहर क्यों चूतड़ तुड़वायें !
चाचा अपनी भाभी को चोदने के बाद अब अपनी कुँवारी भतीजी को चोदने को तैयार थे। अम्मी के चुप हो जाने के बाद मैं अपने कमरे में आ गई। मैं जान गई कि चाचा अम्मी को चोदने के बाद मेरी कुँवारी चूत को चोदकर जन्नत का मज़ा लेने मेरे कमरे में आएँगे।
मैं खुद मानसिक तौर पर पूरी तरह से तैयार हो चुकी थी अपने चाचा से चुदने के लिये ! मेरे पूरे बदन में करेंट दौड़ने लगा।
मैंने अपने कमरे में आकर फ़ौरन मैक्सी पहनी। मैं चड्डी पहनकर सोती थी पर अभी चड्डी भी उतार कर बाथरूम में डाल आई। आज तो मेरी कुँवारी अक्षतयौवना अनछुई चूत की ओपनिंग होने वाली थी।
मेरी चूत के पपोटों में धड़कन होने लगी थी, चूत गीली तो पहले से ही हो रही थी और चूचियों में रस भर रहा था। अब तो मेरा मन कर रहा था कि मैं खुद अम्मी के कमरे में जाकर चाचा से कह दूँ- चाचा, अम्मी तो बूढ़ी हैं। मैं जवान हूँ ! मुझे चोदो… मुझे !
रात के 11:30 हो चुके थे। मैंने कमरे का दरवाजा दरवाज़ा खुला रखा था। मॅक्सी को एक टाँग से ऊपर चढ़ा दिया और एक चूची को गले की ओर से थोड़ी सी बाहर निकाल दिया और उसके आने की आहट लेने लगी। मैं मस्त थी और ऐसे पोज़ में थी कि कोई भी आता तो उसे अपनी चखा देती। अभी तक लंड नहीं देखा था, बस सुना था।
मैं खुद मानसिक तौर पर पूरी तरह से तैयार हो चुकी थी अपने चाचा से चुदने के लिये ! मेरे पूरे बदन में करेंट दौड़ने लगा।
मैंने अपने कमरे में आकर फ़ौरन मैक्सी पहनी। मैं चड्डी पहनकर सोती थी पर अभी चड्डी भी उतार कर बाथरूम में डाल आई। आज तो मेरी कुँवारी अक्षतयौवना अनछुई चूत की ओपनिंग होने वाली थी।
मेरी चूत के पपोटों में धड़कन होने लगी थी, चूत गीली तो पहले से ही हो रही थी और चूचियों में रस भर रहा था। अब तो मेरा मन कर रहा था कि मैं खुद अम्मी के कमरे में जाकर चाचा से कह दूँ- चाचा, अम्मी तो बूढ़ी हैं। मैं जवान हूँ ! मुझे चोदो… मुझे !
रात के 11:30 हो चुके थे, मैंने कमरे का दरवाजा दरवाज़ा खुला रखा था, मैक्सी को एक टाँग से ऊपर चढ़ा दिया और एक चूची को गले की ओर से थोड़ी सी बाहर निकाल दिया और उसके आने की आहट लेने लगी। मैं मस्त थी और ऐसी हालत में थी कि कोई भी आता तो उसे अपनी चखा देती, मैंने अभी तक लंड नहीं देखा था, बस सुना था।
10 मिनट बाद उसकी आहट मिली, मेरे रोएँ खड़े हो गये, मुझे चैन नहीं मिला तो झटके से एक पूरी चूची को बाहर निकाल आँख बंद कर ली।
जब 30 साल की चूत का दीवाना था तो मेरी 18 साल की देखकर तो चचाजान पागल हो जाता। तभी वह कमरे में आया। मैं गुदगुदी से भर गई, जो सोचा था वही हुआ, पास आते ही उसकी आँख मेरी बिखरी मैक्सी में उघड़ी रानों के बीच गई।
अम्मी के पास से वापस आने पर मज़ा खराब हुआ था पर अब फिर मज़ा आने लगा था।
जब चाचा अपने दोनों हाथ पलंग पर जमा मेरी रानों पर झुका तो मैंने आँखें बंद कर ली, मेरी साँसें तेज़ हुई, मेरी चूचियों और चूत में फुलाव आया। मैं दोनों रानों के बीच एक फुट का फासला किए उसे अपनी अनछुई हक्ले रोमों से सजी उजली चूत का पूरा दीदार करा रही थी।
कु्छ देर तक वा मेरी चूत को घूरता रहा, फिर मेरे दोनों उभरे उभरे अनारों को निहारता रहा, फ़िर धीरे से बोला- हाय, क्या उम्दा चीज़ है, एकदम पाव रोटी का टुकड़ा ! बुर की लकीर बिल्कुल पके हुए आड़ू जैसी ! हाय फ़ातिमा, गर तू अपने चचा से चुदने को राज़ी हो जाए तो कितना मज़ा मिले तुझे भी और मुझे भी !
और इसके साथ ही उसने झुककर मेरी चूत को बेताबी के साथ चूम लिया !
मेरे तो पूरे बदन में करेंट सा दौड़ गया ! मैं तो नींद का बहाना किए लेटी थी, चचा अप्नी भतीजी की नंगी कोरी बुर को चूमकर कु्छ देर तक मेरी कुँवारी चूत को देखता रहा फिर झुककर दुबारा मुँह से चूमते एक हाथ से मेरी मैक्सी को ठीक से ऊपर करता बोला- हाय, क्या मस्त माल है ! अब तो चुदी माँ के साथ बेटी की कुँवारी फाँकों का पूरा मज़ा लूँगा।
मैंने अपने चोदू चाचा के मुँह से अपनी तारीफ़ सुनी तो और मस्त हो गई। चूत पर बोसे से बहुत गुदगुदी हुई और मन किया कि उससे लिपट कर कह दूँ कि ‘अब नहीं रह सकती तुम्हारे बिना ! मैं तैयार हूँ ! लूटो मेरी कुँवारी चूत को चाचा !
पर चुप रही।
तभी चाचा बेड पर बैठ गये और मेरी गोरी चिकनी जांघों पर हाथ फेर मेरी चूत को सहलाने लगे। उससे चूत पर हाथ लगवाने में इतना मज़ा आ रहा कि बस मन यह कहने को बेताब हो उठा कि ‘राजा, नंगी करके पूरा बदन सहलाओ, मसल दो अपनी भतीजी को !
अम्मी का कहना सही था कि ‘हाथ लगाओ, मज़ा पाते ही लाइन क्लियर कर देगी मेरी फ़ातिमा !’
तभी उसकी एक उंगली चूत की फाँक के बीच में आई तो मैं तड़प कर बोल ही पड़ी- हाय ! कौन?
“मैं हूँ मेरी जान, तुम्हारा चाहने वाला ! हाय अच्छा हुआ कि तुम जाग गई !”
“क्या मस्त जवानी पाई है ! आज मैं तुमको…!” और किसी भूखे कुत्ते की तरह
मुझे अपनी बाँहो में कसता मेरी दोनों चूचियों को टटोलता बोला- हाय हाय…
क्या गदराई जवानी है !”
मैं अपने दोनों उभारों को उसके हाथ में देते ही जन्नत में पहुँच गई।
मेरा चाचा मेरे चिकने गाल पर अपने गाल लगा दोनों को दबा बोला- बस एक बार
चखा दो, देखो कितना मज़ा आता है !
“हाय चाचा, आप मुझे छोड़ दो ! यह क्या कर रहे हैं आप? अम्मी आ जाएगी !”
“सायरा से मत डर, उसने ही तो भेजा है, कहा है कि जाओ, मेरी बेटी जवान हो
गई है, उसे जवानी का मज़ा दो। बहुत दिनों से ललचा रही हो, बड़ा मज़ा
पाओगी। अम्मी कु्छ नहीं कहेंगी !” और इसके साथ ही मेरी चूचियों को मैक्सी
के ऊपर से कसकर दबाया तो मेरा मज़ा सातवें आसमान पर पहुँच गया।
“अम्मी सो गई क्या?” मैंने पूछा तो चाचा बोले- हाँ, आज तुम्हारी अम्मी
को मैंने बुरी तरह थका दिया है। अब वो रात भर मीठी नींद सोएगी। बस मेरी
रानी एक बार ! देखना मेरे साथ कितना मज़ा आता है !
और उसने मेरे दोनों निप्पल को चुटकी में मसल कर मुझे राज़ी कर लिया। सच
आज चाचा की हरकत में मज़ा आ रहा था, दोनों निप्प्लों को मसले जाने का नशा
रानों में उतर रहा था।
“चाचा आप अम्मी के साथ सोते हैं? वह तो आपकी भाभी हैं?”
“आज अपने पास सुलकर देखो, जन्नत की सैर करा दूँगा। हाय, कैसी मतवाली
जवानी पाई तूने ! भाभी है तो क्या हुआ, माल तो बढ़िया है तेरी अम्मी का !”
“दरवाज़ा खुला है !” मैंने मज़े से भरकर कहा। मेरी नस नस में बिजली दौड़
रही थी, अब बदन पर एक कपड़ा भी बुरा लग रहा था। उसने मेरी चूचियों को मसलते
हुए मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया। उसे मेरी जैसी कुँवारी लड़कियों
को राज़ी करना आता था। होंठ कऊसते ही मैं ढीली हो गई।
चाचा मेरी मस्ती को देख एकदम से मस्त हो गये, धीरे से मेरे बदन को बेड
पर सीधे बिछा कर मेरी चूचियों पर झुक कर मेरी रानों पर हाथ फेरते बोले- अब
तुम एकदम जवान हो गई हो। कब मज़ा लोगी अपनी जवानी का। डरो नहीं, तुमको कली
से फूल बना दूँगा। अम्मी से मत डरो, उनके सामने तुमको मज़ा दूँगा बस तुम
हाँ कर दो !
हाथ लगवाने में और मज़ा आ रहा था, मैं मस्त हो उसे देखती बोली- अम्मी को आप रोज़….?
“हां मेरी जान, जब भी यहाँ रहता हूँ तो तुम्हारी अम्मी को रोज़ चोदता
हूँ। तुम तैयार हो तो तुमको भी रोज़ चोदूँगा। हाय कितनी खूबसूरत हो। ज़रा
सा और खोलो ना !
मैं तो जन्नत में थी। चाचा चूचियों को दबाए एक हाथ गाल पर और दूसरा
रानों के बीच फेर रहे थे और दोनों रानों को पूरा खोल दिया। चाचा चालाक थे,
पैर खोलने का मतलब समझ गये, मुस्काराकार मेरे होंठ चूम कर बोले- तुम्हारी
फ़ूफ़ा की छोटी बहन को तो तुम जानती हो, अभी बारहवीं की भी नहीं है, उसकी
चूचियाँ भी तुमसे छोटी हैं, वह भी मुझसे खूब चुदवाती है।”
और चूत की फाँक को चुटकी से मसला तो मैं कसमसकर बोली- हाय चाचा, आप फ़रज़ाना को भी मेरी अम्मी की तरह चोदते हो?”
“हां यहाँ रहता हूँ तो तुम्हारी अम्मी को और अकसर तुम्हारी जीनत फ़ूफ़ी के घर में उसकी ननद फ़रजाना को खूब हचक कर चोदता हूँ !
“बोलो तो हो राज़ी मेरे से चुदवाने के लिये?”
और मेरी बुर की दरार में उंगली फ़ेरी तो मैं राज़ी हो गई और बोली- राज़ी हूँ पर अम्मी से मत बताना।
मैं चाचा को यह एहसास नहीं होने देना चाहती थी कि मैं तो जाने कब से
राज़ी हूँ। मैं अपना 18 साल का ताज़ा बदन उसके हवाले करने को तैयार थी। अगर
वह अम्मी को चोद कर ना आए होते तो मेरी कुँवारी चूत को देखकर बिना पूछे
मुझे चोद ही डालते ! पर वह अम्मी को चोद कर अपनी बेकरारी को काबू में कर
चुके थे। वह मेरी नई चूचियों को हाथ में लेते ही मेरी कीमत जान गये थे।
मेरे लिए यह पहला मौका था, चाचा मुझसे ज़बरदस्ती ना कर प्यार से कर रहे
थे, अब तक वह मेरी नंगी चूत को देख उस पर हाथ फेर कर उसे चूम भी रहे थे पर
मैंने अभी तक उनका लंड नहीं देखा था।
चाचा ने दुबारा चूचियों को मसलते हुए कहा- अम्मी से मत डरो। अम्मी ने पूरी छूट दे दी है। बस तुम तैयार हो जाओ !
और चूचियों को इतनी ज़ोर से दबाया कि मैं तड़प उठी।
“मुझे कु्छ नहीं आता !” मैं राज़ी होकर बोली तो उसने कहा- मैं सिखा दूँगा !
और मेरे गाल काटा तो मैं बोली- ऊई… बड़े बेदर्द हो चाचा…
मेरी इस अदा पर मस्त हो गाल सहलाते मैक्सी पकड़ कर बोले- इसको उतार दो !
“हाय पूरी नंगी करके?”
“हां मेरी जान, मज़ा तो नंगे होने में ही आता है। बोलो पूरा मज़ा लोगी ना?”
“हाँ !”
“तो फिर नंगी हो जा, मैं अभी आता हूँ।” चाचा कमरे से बाहर चला गए।
मेरी हालत क्या थी, बता नहीं सकती थी, मेरेपूरे बदन में चीटियाँ सी
रेंगने लगी, चूत फुदकने लगी थी, पानी छोड़ रही थी, मैं पूरी तरह तैयार थी।
मैंने जल्दी से मैक्सी उतार दी और पूरी नंगी होकर बिस्तर पर लेट गई। अम्मी
तो चुदवाने के बाद अपने कमरे में आराम से सो रही थी और अपने चोदू यार को
मेरे पास भेज दिया था।
मैं अपने नंगे जवान कुंवारे बदन को देखती आने वाले लम्हों की याद में
खोई थी कि मेरी माँ का यार वापस आया। मुझे नंगी देख वह खिल उठा, पास आ पीठ
पर हाथ फेर कर बोला- अब पाओगी जन्नत का मज़ा !
मेरी नंगी पीठ पर हाथ फेर मज़ा दे उसने झटके से अपनी लुंगी अलग की तो
उनका लंड मेरे पास आते ही झटके खाने लगा। अभी शायद उसमें फुल पॉवर नहीं आई
थी पर अभी भी उसका कम से कम 6 इंच का था। मैं पहली बार चचा का लंड देख
मस्ती से भर गई।
चाचा बिस्तर पर आया और पीछे बैठ मेरी कमर पकड़कर बोला- गोद में आओ मेरी जान !
मेरा कमरा मेरे लिए जन्नत बन गया था। अब हम दोनों ही नंगे थे। जब चाचा
की गोद में अपने चूतड़ रखे तो चाचा ने फ़ौरन मेरी दोनों चूचियों को अपने
दोनों हाथों में ले बदन में करेंट दौड़ाया। चचा का लवड़ा मेरे चूतड़ों की दरार
में झटके दे रहा था।
“ठीक से बैठो, तभी असली मज़ा मिलेगा। देखना आज मेरे साथ कितना मज़ा आता है !”
नंगी चूचियों पर उसका हाथ चला तो आँख बंद होने लगी। अब सच में ही बड़ा मज़ा आ रहा था।
“फ़ातिमा !”
“जी चचा !”
“कैसा लग रहा है?”
मेरी गाण्ड में उनका खड़ा लंड गड़ रहा था जो एक नया मज़ा दे रहा था। अब
मैं बदहवास हो उनकी नंगी गोद में नंगी बैठी अपनी चूचियों को मसलवा कर मस्त
होती जा रही थी।
तभी चाचा ने चूचियों के टाइट निप्पल को चुटकी से दबाते पूछा- बोलो मेरी जान? कैसा लग रहा है?
“हाय, अब और मज़ा आ रहा है चाचा !”
“घबराओ नहीं, तुमको भी अम्मी की तरह पूरा मज़ा दूँगा ! हाय तुम्हारी चूचियाँ तो भाभी से भी अच्छी हैं।”
चचा मेरी मस्त जवानी को पाकर एकदम से पागल से हो गये थे। निप्पल की छेड़
छाड़ से बदन झनझना गया था मेरा ! जी कर रहा था कि कोई मुझे रगड़ दे, निचोड़
दे !
तभी चाचा ने मुझे गोद से उतारकर बेड पर लिटाया और मेरे निप्पल को होंठो
से चूस कर मुझे और ज्यादा पागल कर दिया, हाथ की बजाए मुँह से ज़्यादा मज़ा
आया। चाचा की इस हरकत से मैं खुद को भूल गई, उनको मेरी चूचियाँ खूब पसंद
आई। चाचा 10 मिनट तक मेरी चूचियों को चूस चूस कर पीते रहे।
चूचियों को पीने के बाद चाचा ने मुझसे मेरी रानों को फैलाने को कहा तो
मैंने खुश होकर अपने चोदू चाचा के लिए जन्नत का दरवाज़ा खोल दिया। पैर
खोलने के बाद चाचा ने मेरी कुँवारी चूत पर अपनी जीभ फिराई तो मैं तड़प उठी।
चाचा मेरी चूत को चाटने लगे, चूत चटवाते ही मैं तड़प उठी।
चाचा ने चाटते हुए पूछा- अब बोलो जान, कैसा लग रहा है?
“बहुत अच्छा मेरे राजा !”
“तुम तो डर रही थी। अब दोनों का मज़ा एक साथ लो !” और अपने दोनों हाथों
को मेरी मस्त चूचियों पर लगा दोनों को दबाते मेरी कुँवारी गुलाबी चूत को
चाटने लगे तो मैं दोनों का मज़ा एक साथ पाकर तड़पती हुई बोली- “हाय… आआहह…
बस करो चाचा… ऊई… नहीं… अब और नहीं…”
“अभी लेटी रहो !”
मुझे ग़ज़ब का मज़ा आया, वो भी मेरी जवानी को चाटकर मस्त हो उठे।
10 मिनट तक चाटते रहे फिर मुझे जवान करने के लिए मेरे ऊपर आए। चाचा ने
पहले ही मस्त कर दिया था इसलिए दर्द कम हुआ। चाचा भी धीरे धीरे पेलकर चोद
रहे थे। मेरी चूत एकदम ताज़ी थी इसलिए चाचा मेरे दीवाने होकर बोले- हाय अब
तो सारी रात तुमको ही चोदूँगा।”
मैं मस्त थी इसलिए दर्द की जगह मज़ा आ रहा था।
“मैं भी अब आपसे रोज़ चुदवाऊँगी।”
उस रात चाचा ने दो बार चोदा था और जब वे अगली रात मुझे पेल रहे थे तो
अचानक अम्मी भी मेरे कमरे में आ गई। मैं ज़रा सा घबराई लेकिन चाचा उसी तरह
चोदते रहे।
अम्मी पास आकर मेरी बगल में लेट मेरी चूचियों को पकड़कर बोली- ओह बेटी,
अब तो तुम्हारी बुर चोदने लायक हो गई है। लो मज़ा मेरे यार के तगड़े लंड का
!”
“ओह अम्मी, चाचा बहुत अच्छे हैं, बहुत अच्छा लग रहा है।”
अब मैं और अम्मी दोनों साथ ही चाचा से चुदवाते हैं। चाचा अक्सर आते हैं
ओर हम दोनों माँ बेटी चुदाई का मज़ा लेती हैं और चाचा हमें खूब मज़ा देते
हैं।
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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