FUN-MAZA-MASTI
मेरी बहन का लड़का
मैं कविता हूँ, उत्तर प्रदेश की रहने वाली हूँ, उम्र 23 वर्ष है ! मेरा रंग गोरा है, नैन-नक्श बहुत तीखे और सुन्दर हैं, जिस्म भी अति आकर्षक है ! मेरा कद पांच फुट छह इंच और वज़न 51 किलोग्राम है तथा मेरे छुईमुई शरीर के पैमाने 34-25-34 है !
मेरे माता और पिता के स्वर्ग सिधारने बाद मैं पिछले 5 साल से अपनी सबसे बड़ी बहन, जीजाजी और उनके इकलौते बेटे नितिन के साथ उत्तर प्रदेश के एक बड़े शहर में रहती हूँ। मैंने बी एस सी पास करने के बाद अब एम एस सी कर चुकी हूँ तथा यहाँ की एक कंपनी में नौकरी कर रही हूँ।
जीजाजी बैंक में एक बड़े अफसर हैं और दीदी एक उच्चतर माध्मिक स्कूल में टीचर हैं, उनका बेटा नितिन 18 साल का है और +2 पास करने के बाद इस वर्ष कॉलेज में प्रवेश ले रहा है।
दीदी का घर बहुत ही बड़ा है, उसमें हर एक को अलग अलग कमरा मिला हुआ है, हर कमरे के साथ एक बाथरूम भी जुड़ा हुआ है।
मैं अपने कमरे में ज्यादातर अर्धनग्न ही रहती हूँ, जीजाजी के जाने के बाद मैं अक्सर एक छोटी सी निकर और एक लो नेक की बनियान बिना ब्रा और पैंटी के ही पहनती हूँ जिससे मेरी लंबी टाँगें और मेरे चूचियों के दर्शन सबको आराम से हो सकते हैं।
मैंने अपना छोटा सा परिचय तो आप सबको दे दिया, अब मैं आपको उस घटना के बारे में बताना चाहूँगी जिससे मेरे जीवन में बदलाव आया और मुझे बेशर्म बना दिया !
पहले मैं अपने जिस्म की नुमाइश नहीं होने देती थी और हमेशा सलवार कमीज ही पहने रहती थी लेकिन उस घटना के घटित होने के बाद मेरे पहनावे में बदलाव आ गया और मैं घर में जिस्म की नुमाइश करने लगी !
जीजाजी के सामने तो मैं अपने जिस्म को ढक कर ही रखती हूँ और ढंग के कपड़े ही पहनती हूँ पर दीदी और नितिन के सामने नेकर बनियान में ही घूमती रहती हूँ, कभी कभी तो उनके सामने ही टॉपलेस हो कर अपने कपड़े भी बदल लेती हूँ !
दीदी बहुत टोकती है पर मैं उनकी परवाह ही नहीं करती हूँ।
मेरे साथ वह घटना आज से दो माह पहले हुई थी, उस समय मुझे टाईफाइड हुआ था जिसके कारण मैं बहुत कमजोर हो गई थी, कहीं वह पीलिया न बन जाए इसलिए डाक्टर ने मुझे हिलने डुलने को मना कर दिया था और बिस्तर पर ही आराम करने को कहा। उन्होंने कुछ दिनों के लिए नहाने धोने को भी मना किया और दीदी से मेरे जिस्म को सिर्फ गीले कपड़े से पोंछने (स्पंज करने) के लिए ही कहा। बाथरूम जाने की इजाजत तो दी लेकिन वह भी किसी का सहारा ले कर जाना पड़ता था। ज्यादातर तो दीदी ही यह सब करती थी लेकिन कभी कभी नितिन भी मुझे बाथरूम ले जाता था। वह हमेशा मुझे बाथरूम के अंदर छोड़ कर बाहर जाकर खड़ा हो जाता था और जब मैं आवाज देती थी तो वह वापिस मुझे बिस्तर तक छोड़ देता था।
एक सप्ताह के बाद मेरा बुखार तो उतर गया था लेकिन ज्यादा कमजोरी के कारण डाक्टर ने अगले दो सप्ताह के लिए भी वैसा ही आराम करने को कह दिया था। दीदी की जिद पर और जीजाजी की आज्ञा के कारण मैं सारा दिन बिस्तर पर ही लेटी रहती थी और जब जरूरत पड़ती थी तब दीदी को या नितिन को आवाज़ लगा देती थी।
इस तरह आराम करते मुझे अभी पांच दिन ही बीते थे कि गाँव से जीजाजी के पिताजी का निधन होने का समाचार मिलने के कारण जीजाजी और दीदी को तुरन्त वहाँ जाना पड़ा। जाने से पहले दीदी ने सीमा (कामवाली बाई) को घर के सब काम के साथ साथ मेरा स्पंज करने और खाना बनाने का निर्देश भी दे दिया था इसलिए वह दिन में हमारे घर पर ही रहती थी और शाम का खाना बना कर अपने घर चली जाती थी, देर शाम तथा रात में बाथरूम जाने के लिए मुझे नितिन पर ही निर्भर रहना पड़ता था।
दीदी के जाने के तीसरे दिन सुबह जब सीमा ने मेरे कपड़े उतार कर मेरे बदन को स्पंज कर रही थी तब मैंने देखा कि नितिन छुप कर खिड़की के काँच में से झांक कर मुझे देख रहा था। मुझे उसकी उस हरकत पर बहुत गुस्सा आया लेकिन मैं उस समय चुप ही रही और जैसे ही सीमा वहाँ से चली गई तब मैंने नितिन को बुला कर उसको बहुत डांटा। मेरी डांट सुन कर तो वह खिलखिला कर हंसने लगा और जब मैंने उससे हँसने का कारण पूछा तो वह कहने लगा कि यह नज़ारा तो वह रोज देखता है क्योंकि जब भी दीदी मेरा स्पंज करती थी तब भी वह इसी तरह छुप कर खिड़की से झाँक कर यह नज़ारा देखता रहता था।
मेरे पूछने पर कि उसे यह सब देखने से क्या मिलता है, तो उसने कहा कि उसे मेरे गोरे रंग का जिस्म, मेरे उभरे हुए गोल गोल चूचियों तथा उनके ऊपर काले चुचूक और नीचे चूत के उपर के गहरे भूरे रंगे के बाल देखने में बहुत अच्छे लगते हैं ! उसके यह कहने पर की, उसके मन में उन्हें छूने कि इच्छा भी करती है, को सुन कर मैं दंग रह गई और उसे एक बार फिर से डांट कर वहाँ से भगा दिया।
अगले तीन दिन भी सब कार्य उसी प्रकार चलता रहा लेकिन चौथे दिन सुबह सीमा ने सन्देश भेज दिया कि वह देर से दोपहर तक ही आयेगी। सीमा के सन्देश को सुन कर मैं परेशान हो गई क्योंकि रात में मुझे बहुत पसीना आने के कारण मेरे जिस्म में खुजली हो रही थी! जब मुझसे खुजली बर्दाश्त नहीं हुई, तब मैंने सोचा कि क्यों न नितिन का सहारा लिया जाए और उसी से स्पंज करवा लिया जाए ! क्योंकि उसने मुझे नग्न देखा हुआ ही था इसलिए मुझे उससे किसी भी प्रकार की शर्म नहीं करनी चाहिए !
यह सोच कर मैंने नितिन को आवाज दी और उसे सीमा के देर से आने के बारे में बताते हुए उससे आग्रह किया कि वह मेरा स्पंज कर दे। यह सुन कर वह पहले तो अच्चम्भित हुआ फिर हिचकिचाते हुए पूछने लगा कि क्या मैं उसे अपने जिस्म का हर जगह स्पंज करने दूंगी। जब मैंने उसे हाँ में उत्तर दिया तब वह खुशी खुशी भाग कर बाथरूम में गया और स्पंज करने का सारा सामान ले आया, फिर उसने आगे बढ़ कर मेरे कपड़े उतारने शुरू किये !
पहली मेरी कमीज उतारी, फिर मेरी सलवार उतारी, उसके बाद मेरी ब्रा उतारी, और अंत में मेरी पैंटी भी उतार दी ! यही वह क्षण था जब मैं उसके सामने बिल्कुल नग्न लेटी हुई थी और उसी क्षण से मेरे जीवन में ऐसा बदलाव आया की मैं शर्मसार से बेशर्म बन गई थी ! उस दिन के बाद से ही मैं पूरे घर में कम कपड़ों में ही घूमना शुरू कर दिया था तथा दीदी और नितिन के सामने अक्सर अर्धनग्न भी हो जाती थी।
स्पंज करने से पहले नितिन ने बड़े ध्यान से मेरी नग्नता को निहारा, मेरे चूचियों, चुचूकों तथा चूत के बालों पर हाथ फेरा ! फिर मुझे उल्टा कर के मेरी पीठ और टांगों को स्पंज किया, मेरे चूतड़ों को जोर जोर से रगड़ कर स्पंज किया तथा मेरी गुदा में उंगली भी कर दी। जब मैंने उससे पूछा कि वह यह क्या कर रहा था तो उसने कहा कि अंदर तक स्पंज कर रहा था !
नितिन के द्वारा इस तरह मेरी गांड में उंगली करना और मेरे चूतड़ों को दबाना तथा मसलना मुझे बहुत अच्छा लग रहा था इसलिए मैंने कुछ देर उसे ऐसा करने दिया।पीछे का स्पंज पूरा करने के बाद नितिन ने मुझे सीधा किया और मेरे सिर और चेहरे, मेरी गर्दन, छाती, चूचियों, पेट, नाभि, कमर, जाँघों और टांगों को स्पंज किया। इसके बाद उसने मेरी दोनों टांगों को चौड़ा कर उनके बीच में विराजमान मेरी योनि को भी रगड़ते हुए स्पंज कर दिया !
जब वह चूत का स्पंज कर रहा था तब उसने उसमे भी उंगली करने की कोशिश की पर मैंने उसे रोक दिया। जब मैंने उसे जल्दी से स्पंज समाप्त करने को कहा तो उसने मुझे सूखे तौलिए से पौंछ दिया और मेरी चूचियों और उनके चुचूकों को पकड़ कर मसला और थोड़ी देर बाद वह मेरी चूत के बालों के ऊपर हाथ फेरने लगा।
उसकी इस हरकत से मैं बहुत गर्म होने लगी थी लेकिन अपनी बिमारी की कमजोरी को ध्यान में रखते हुए मैंने अपने पर काबू रखा तथा उसे अलग हटने को और कपड़े पहनाने के लिए कहा।
नितिन मुझे पहनाने के लिए मेरे साफ़ कपड़े निकाल लाया और सबसे पहले उसने मुझे पैंटी पहनाई लेकिन उसे ऊपर करने से पहले उसने मेरी चूत के बालों को अच्छी तरह मसला और एक बार फिर उंगली करने की नाकाम कोशिश की। इसके बाद उसने मुझे ब्रा पहनाई लेकिन ब्रा पहनाने से पहले उसने मेरे मेरे चूचियों को बड़े प्यार से मसला !
उसका ऐसा करना मुझे बहुत अच्छा लगा लेकिन बात आगे ना बढ़ जाये इसलिए मैंने उसे कहा कि वह अब बस कर दे और बाकी के कपड़े पहना दे !
मेरी बात सुन कर उसने मुझे सलवार और कमीज पहना दी तथा स्पंज का सामान उठा कर वहाँ से चला गया। जब वह जा रहा था तब मैंने देखा कि उसका पजामा आगे से उठा हुआ था और कुछ गीला सा भी लग रहा था। जब वह मेरे कमरे में वापिस आया तो उसने पैंट पहन रखी थी।
मैंने उसे पूछा कि पैंट पहन ली है, क्या उसने कहीं जाना है, तो वह बोला नहीं, स्पंज का पानी गिरने से पजामा गीला हो गया था इसलिए बदल लिया।
मैंने मुस्कराते हुए उसे देखा और मेरे मुख से निकल गया- मैं तो समझी थी कि कुछ रिसाव हो गया था !
मेरी बात सुन कर वह कुछ भी नहीं बोला और शरमा कर वहाँ से चला गया।
दुपहर को जब सीमा आई और उसने मुझसे स्पंज करने के लिए पूछा तो मैंने उसे मना कर दिया और बोल दिया कि शाम को काम समाप्त करके घर जाने से पहले कर देना !
नितिन ने मेरे जिस्म को इतनी अच्छी तरह मसला और दबाया था इसलिए मुझे खाना खाने के बाद तुरंत नींद आ गई। शाम का काम समाप्त कर के सीमा ने मेरा स्पंज किया और जब अपने घर चली गई तब नितिन मेरे कमरे में आकर मेरे पास बैठ गया।
मैंने उससे पूछा- क्या बात हो गई जो इतना चुप-चाप क्यों बैठा है?
तो उसने मेरे चूचियों पर हाथ रख कर उन्हें दबाने तथा मसलने की इजाजत माँगी। मेरे हामी भरने पर उसने बड़े प्यार से मेरी कमीज और ब्रा को ऊपर कर दिया और मेरे पास लेट कर मेरे चूचियों पर हाथ फेरने लगा तथा मसलने लगा। कुछ देर के बाद उसने मेरे चूचियों के चुचूकों को बारी बारी अपने मुहँ में डाल कर आहिस्ता आहिस्ता चूसने लगा। मेरे चूचियों की उसके द्वारा इस तरह की प्यारी चुसाई से मैं सातवें आसमान पर तैरने लगी, मेरी चूत में भी गुदगदी होने लगी।
तभी मुझे नितिन की जाँघों के बीच में कुछ हलचल दिखाई दी और उसकी पैंट आगे से भी उभरी हुई सी लगी। मैंने जैसे ही उस उभार की ओर अपना हाथ बढ़ाया तो नितिन ने मेरा हाथ थाम कर आगे बढ़ने से रोक लिया। तब मैंने भी उसे अपने से अलग कर दिया और अपनी ब्रा और कमीज़ ठीक करते हुए कह दिया- तूने तो मेरा पूरा शरीर अच्छी तरह से देख लिया है और उससे खेल भी लिया है लेकिन अपना शरीर अभी तक नहीं दिखाया, अब जब तक तू मुझे अपना पूरा शरीर नहीं दिखाता और उससे खेलने नहीं देता तब तक मैं तुझे अपने पास आने भी नहीं दूंगी!
मेरी यह बात सुन कर नितिन कुछ देर तक सोचता रहा और फिर पूछा- अगर मैं पूरा नग्न होकर अपना जिस्म दिखाऊँ और उससे खेलने दूँ तो क्या आप भी पूरी नग्न हो कर मेरे साथ लेटोगी?
मेरे द्वारा उसकी बात को स्वीकृति देने पर उसने अपनी टीशर्ट, बनियान, जींस तथा जांघिया उतार दिए और मेरे सामने बिल्कुल नग्न हो कर खड़ा हो गया। उसका शरीर बहुत हष्टपुष्ट था और उसका लौड़ा, जो अभी पूरा खड़ा भी नहीं हुआ था, काफी तगड़ा लग रहा था। उस अर्ध-चेतना की अवस्था में भी उसके लौड़े की लम्बाई लगभग 5 इंच और मोटाई डेढ़ इंच के लगभग लग रही थी। उसके डेढ़ इंच साइज़ के दोनों गोल गोल टट्टे नीचे की ओर लटके हुए थे, उसके लौड़े के ऊपर का मांस पीछे हटा हुआ था तथा सुपारा बाहर निकला हुआ था।
यह देख कर मुझसे रहा नहीं गया और मैंने झट से उसके लौड़े को हाथ में ले लिया और उसे हल्के हल्के मसलने लगी।
क्योंकि मैंने किसी भी मर्द का लौड़े को इतनी नज़दीक से पहली बार देखा और पकड़ा था इसलिए मुझे कुछ अजीब लग रहा था। मेरे छूने से नितिन का लौड़ा एकदम सख्त हो कर तनने लगा जिसे देख कर मैंने घबरा कर उसके लौड़े को एकदम छोड़ दिया।
इस पर नितिन ने हँसते हुए कहा- इससे डरो मत, यह काटेगा नहीं ! यह तो खुश होकर आपको सलामी दे रहा था !
उसका तना हुआ लौड़ा बहुत ही सुंदर दिख रहा था और मुझे उस पर बहुत प्यार आने लगा। उसका सुपारा तो एकदम चमक रहा था और दोनों लटके हुए टट्टे अब सिकुड कर ऊपर की ओर चिपक गए थे !
ऐसा मनभावन नज़ारा देख कर मेरी चूत में अब गुदगदी के साथ साथ खुजली भी होने लगी थी, वह गीली भी होने लगी थी तथा उसमें से पानी रिसने लगा था जिसके कारण मेरी पैंटी भी गीली होने लगी थी ! मुझे पहली बार चूत और लौड़े के बीच के अदृश्य सम्बन्ध के बारे में समझ आने लगी थी !
मैं नितिन के लौड़े को हाथ में पकड़ कर हिलाने, मुठ मारने लगी जिससे नितिन एकदम घबरा गया और सिकुड़ने तथा हिलने लगा। अब उसका लौड़ा मस्त हो गया था और उसकी लम्बाई 8 इंच और मोटाई 2 इंच हो गई थी तथा उसके लौड़े का सुपारा फूल कर ढाई इंच का हो गया था !
मैंने नितिन से पूछे बिना उसके लौड़े को चूम लिया और सुपारे को जीभ से चाटने लगी। उसी समय नितिन को एक झटका लगा और उसके सुपारे के छिद्र में से पानी जैसी दो बूँदे बाहर निकली। उन बूंदों को निकला देख कर मैंने जब नितिन की ओर देखा तो उसने इशारे से चाटने के कहा, तब मैंने उन बूंदों को चाट लिया !
मुझे उनका नमकीन स्वाद बहुत अच्छा लगा और मेरे से रहा नहीं गया, मैंने अपने होंट उसके सुपारे के उस छिद्र पर लगा कर जोर से चूसा और उसके अंदर से सारा पानी खींच कर पी गई, इसके बाद मैंने मुंह खोल कर सुपारे को अंदर लेने की कोशिश की लेकिन उसे पूरा अंदर नहीं कर सकी इसलिए उसको फिर से चाटने लगी !
नितिन ने पांच मिनट तक मुझे अपने लौड़े के सुपारे को चाटने दिया और फिर मुझे अलग कर उसने मेरी कमीज़, सलवार, ब्रा और पैंटी उतार दी !
पैंटी का गीलापन देख का उसने मेरी जाघों के बीच में हाथ डाल कर मेरी चूत को छूकर देखा और गीले हाथ को अपने मुँह में रख कर चाटा तथा मेरी ओर देखा !
जब मैंने पूछा- स्वाद कैसा है?
तो उसने कहा- शरबत जैसा !
फिर वह जल्दी से मेरे बिस्तर पर मेरी टांगों की तरफ सिर कर के लेट गया और मेरी टांगों को चौड़ा करके अपना मुँह मेरी चूत पर लगा दिया और मेरा रस खींच कर चूसने तथा पीने लगा !
जब उसके लौड़े को अपने चेहरे के पास देखा तो मेरा मुहँ भी अपने आप खुल गया और मैं उसका सुपारा चूसने लगी। कुछ देर के बाद नितिन ने जब मेरे भगांकुर पर जीभ घुमाई तो मुझको झटका लगा और मेरी चूत में से एकदम पानी छूटा जिसे नितिन ने लप लप कर कर पी लिया !
मैंने भी अपने मुँह को और ज्यादा खोला तो नितिन का पूरा सुपारा मेरे मुंह के अंदर चला गया और मैं उसे बड़े प्यार से चूसने लगी। दस मिनट तक हम दोनों की चुसाई ऐसे ही चलती रही और फिर जब मुझे एक और झटका लगा तो मैं चिल्लाई आईई… और नितिन के मुहँ में पानी की धार सी छोड़ दी, नितिन ने सारा पानी पी लिया !
मैं बहुत गर्म हो गई थी इसलिए नितिन के लौड़े को जोर से चूसने लगी, तभी उसका लौड़े ने फड़फड़ा कर अपना रस मेरे मुँह में उड़ेल दिया ! मुझे ऐसा लगा कि उसने मेरे मुँह में रबड़ी डाल दी गई है और मैं उसे मजे से चटकारे लेकर चट कर गई।
इसके बाद नितिन मेरे साथ लिपट के लेट गया और मुझ को चूम लिया ! अब उसका ढीलाढाला लौड़ा मेरी चूत के बालों से चिपका हुआ था और मेरी चूचियाँ उसकी छाती से चिपके हुई थी।
करीब एक घंटे के बाद हम अलग हुए और नितिन ने मुझे सिर्फ सलवार और कमीज पहना दी और मेरी ब्रा तथा पैंटी को बाथरूम में डाल दी, बाद में उसने पजामा और टी-शर्ट पहनी और रसोई से खाना लाया। हम दोनों ने मिल कर खाना खाया और उसके बाद हम अपने अपने बिस्तर पर जाकर सो लगे तब मैंने नितिन से दीदी और जीजाजी के आने तक वह मेरे ही कमरे में मेरे साथ ही सो जाने के लिए कह दिया ताकि रात में मुझे बाथरूम जाने आने में उसकी मदद मिल सके।
नितिन मान गया वह मेरे पास आ कर लेट गया, उसने अपना एक हाथ मेरे चूचियों पर रख दिया और मैंने भी उसके लौड़े को पकड़ लिया, हम बहुत देर तक बातें करते रहे और फिर सो गए। बातों बातों में नितिन ने मुझसे चुदाई के बारे टोहने कि कोशिश की लेकिन मैंने उसे टाल दिया और बात आगे नहीं बढ़ने दी। मैं अपनी कमजोरी की वजह अभी ऐसा कुछ नहीं करना चाहती थी जिससे मैं दुबारा बीमार पड़ जाऊँ !
हम दोनों के बीच यह सहलाने, मसलने, हिलाने और चूसने अथवा चाटने का सिलसिला अगले पांच दिनों तक इसी तरह चलता रहा तथा हमने अपनी इस दिनचर्या को सिर्फ शरबत पीने तथा रबड़ी खाने तक ही सीमत रखा।
छ्टे दिन दीदी का फोन आया तो उन्होंने बताया कि वे लोग सात दिन बाद अगले इतवार रात तक ही वापिस आ पाएँगे क्योंकि जीजाजी बड़े हैं इसलिए वह सभी रीति रिवाज समाप्त होने के बाद वहाँ के सारे काम काज का जायजा लेकर और छोटे भाइयों को समझा कर ही लौटेंगे !
फिर दीदी ने यह भी बताया कि अगले दिन दो सप्ताह हो जायेंगे इसलिए मुझे एक बार फिर डाक्टर को बुला कर दिखने की सलाह भी दी! उनके ऐसा कहने पर मैंने डाक्टर साहिब को फोन किया और उन्हें आकर मुझे देख जाने को कहा, तो उन्होंने अगले दिन शाम को चार बजे तक आने की बात कही। तब मैंने नितिन को सब बता दिया और कहा कि वह अगले दिन चार बजे से पहले ही घर पहुँच जाये और डॉक्टर के आने पर मेरे पास ही होना चाहिए।
अगले दिन शाम को 4 बजे डॉक्टर साहिब आये और मेरा चेकअप करके बताया की मेरी बिमारी बिल्कुल ठीक हो गई है, अब मेरा स्वास्थ्य भी पहले से बहुत बेहतर हो गया था, अब मैं उठ बैठ सकती थी तथा नहा धो भी सकती थी।
उन्होंने यह भी कहा कि मुझे अभी अपने खाने पीने का ध्यान रखना होगा और आराम भी करना होगा तथा मैं सिर्फ घर में ही चल फिर सकती हूँ। डॉक्टर साहब के जाने के बाद मैंने सीमा को कह दिया कि अगले दिन से उसे जल्दी आने की जरूरत नहीं है और जैसे पहले आती थी वैसे ही आया करे !
सीमा के जाने के बाद मैं उठकर बाथरूम गई और बाद में नितिन के कमरे में उसके पास जा कर बैठ गई। नितिन बिस्तर पर बैठा पढ़ रहा था तो मैं भी उसी के पास बैठे बैठे लेट गई। आधे घंटे के बाद नितिन का काम समाप्त हो गया तो वह भी मेरे पास लेट गया और मेरे चेहरे पर हाथ फेरने लगा। अचानक उसने मेरे चेहरे को दोनों हाथों से पकड़ कर मेरे होंठों को चूम लिया, मुझसे भी रहा नहीं गया और मैंने भी नितिन को के सिर को पकड़ कर उसके होंठों पर एक जोर का चुम्बन ले लिया !
फिर क्या था नितिन मेरे साथ लिपट गया और अपने होटों को मेरे होटों से भिड़ा कर बार बार चूमने लगा। हम बहुत देर तक एक दूसरे की जीभ को भी मुँह में ले कर बारी बारी चूसते रहे और एक दूसरे का चुम्बन लेते रहे।
उस रात को खाना खाने के बाद हम दोनों नग्न हो कर एक ही बिस्तर पर लेट गए! नितिन कभी मेरे चूचियों को चूसता और कभी उन्हें हाथों से मसलता, बीच बीच में वह अपने हाथों से मेरी चूत और चूत के बालों को सहला भी देता !
मैं भी उसके लौड़े और टट्टों से खेलती रही, कभी आगे पीछे हिलाती, कभी मरोड़ती, कभी सुपारे को खाल से ढक देती और कभी बाहर निकाल कर उसे जीभ से चाट लेती !
इस तरह आधे घंटे तक हम एक दूसरे के गुप्तांगों से खेलते रहे और रोज की तरह के एक दूसरे को चूसते एवं चुसाते रहे। जब हम दोनों ने अपनी अपनी शरबत और रबड़ी की टंकियां खाली कर दी तब सीधे हो कर एक दूसरे से लिपट के सो गए।
सुबह नितिन की नींद खुली तब वह रसोई में जाकर चाय बना लाया और हम दोनों ने चाय पी। फिर हम दोनों एक ही बाथरूम में घुस गए और एक दूसरे के सामने मूता भी और हगा भी !
बाद में नितिन ने मुझे खूब साबुन लगा कर नहलाया, उसने हर जगह हाथ लगा लगा कर मसला और मस्ती ली। मैंने भी उसे खूब साबुन लगाया और उसके लौड़े और टट्टों को रगड़ रगड़ नहलाया! फिर हमने एक दूसरे को कपड़े पहनाये, दोनों ने मिल के नाश्ता बनाया और खाया।
दाखिले के लिए कालेज जाने से पहले नितिन मेरे पास बाय कहने आया और मेरे मेरे चूचियों को दबाया तथा मेरा कस कर चुम्बन भी लिया। जब वह मेरा चुम्बन ले रहा था तब मैंने भी उसके लौड़े और टट्टों को कस के दबा दिया, जिससे वह एक दम ‘सी सी’ कर उठा था।
नितिन के जाने के बाद मैं कुछ देर के लिए मैंने बिस्तर पर आराम किया और सीमा के आने पर उठ कर उसको काम समझाया तथा उसके साथ रसोई का काम समेटने में लग गई। दोपहर को जब सीमा काम खत्म कर के चली गई तो मैं नितिन का इन्तजार करते हुए फिर बिस्तर पर लेटे लेटे सो गई।
तीन बजे के बाद नितिन आया, मुझे जगाया, तब हम ने खाना खाया और फिर उसी के कमरे में लेट कर एक दूसरे के गुप्तांगों से छेड़खानी करते हुए सो गये। पांच बजे नींद खुली तो मैंने उठ के कपड़े पहने और बाहर वाले कमरे आ कर बैठ गई, नितिन ने भी कपड़े पहने और पढ़ने बैठ गया।
साढ़े पांच बजे सीमा आई और उसने हमें चाय पिलाई, फिर रात का खाना बनाया और बाकी का काम समेट कर चली गई। सीमा के जाने के बाद मैंने ब्रा और पैंटी सहित अपने सब कपड़े उतार दिए और निकर तथा बनियान पहन कर नितिन के पास बिस्तर पर लेट गई! नितिन पढ़ाई के साथ साथ अपने एक हाथ से मेरे चूचियों और चुचूकों को मसलता रहा।
जब वह पढ़ कर उठा तो हम दोनों ने मिल बैठ कर खाना खाया तब खाने के दौरान नितिन ने सुझाया कि उस रात हम उसी के कमरे में सोयें !
मुझे नितिन का सुझाव अच्छा लगा क्योंकि मैं इतने दिनों से दिन भर अपने कमरे में पड़ी पड़ी उकता गई थी इसलिए मैंने झट से हाँ कह कर उसके बिस्तर को दोनों के सोने के लिए ठीक-ठाक किया। इस दौरान नितिन ने अपने कपड़े उतार दिए और फिर मेरी निकर तथा बनियान उतार कर मुझे भी नग्न कर दिया और मुझसे चिपट गया। बातों ही बातों में नितिन ने बताया कि उसने मुझे और दीदी को छोड़ कर और किसी भी लड़की या औरत को नग्न नहीं देखा था !
मुझे और दीदी को वह अक्सर बाथरूम में नहाते हुए देखा करता था !
जब मैंने पूछा कि कैसे देखता था तो उसने बताया कि जब मैं अथवा दीदी नहाने जाती थीं तो अक्सर अपने बाथरुम का दरवाज़ा आधा खुला छोड़ देती थीं और तब वह चुपके से हमारे कमरे में आकर उस आधे खुले दरवाज़े में से झांक कर हमें नहाते हुए देखा करता था। उसने यह भी बताया कि दीदी तो चूत के बाल हमेशा साफ़ रखती है और उसने कई बार उन्हें शेव करते हुए भी देखा था! उसने यह भी बताया कि उसका किसी भी लड़की या औरत के साथ कोई भी सम्बन्ध नहीं था और मैं पहली लड़की हूँ जिसे उसने छुआ था, हाँ उसने दीदी के पास लेटे लेटे उनके चूचियों पर कई बार हाथ रख कर सोया था!
उसने बताया कि लड़कियों से क्या और कैसे करना होता है इसके बारे में उसे कुछ भी पता नहीं है और इसीलिए उसे डर लगता है कि अगर वह बाहर किसी लड़की से सम्बन्ध बनाए तो वह कहीं उसका मजाक ना उड़ाए ! इसलिए उसने इस बारे में मुझे उसकी सहायता करने का आग्रह किया ताकि बात घर में ही रहेगी।
जब मैंने उससे पूछा कि किसी तरह की सहायता चहिये तो उसने मेरे साथ चुदाई करने की इच्छा प्रकट की।
मैंने भी उसे बताया कि मैं तो पहले कभी चुदी नहीं इसलिए मुझे भी इस बारे में ज्यादा कुछ मालूम नहीं है तो उसने कहा कि वह भी पहली ही बार करेगा। जब उसने बताया कि उसने इन्टरनेट पर इस बारे में बहुत कुछ देखा हुआ है तब मैंने भी उसे बताया कि इन्टरनेट पर तो मैंने भी बहुत कुछ देखा है पर कुछ करने को डर लगता है।
इसके बाद हम रोज की तरह किस करते रहे और चूत और लौड़े को चूसते रहे ! नितिन की बातों और चुसाई के कारण मैं बहुत गर्म हो गई और मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने नितिन के कान में कहा कि मेरी चूत में बहुत खुजली हो रही है और उसको मिटाने के लिए कुछ करे !
तब नितिन ने उठ कर मुझे सीधा किया और मेरी टांगों को चौड़ा कर के मेरी चूत को चूसने लगा! वह बार बार मेरे भगांकुर पर जीभ फेरने लगा जिस की वजह से मैं आह्ह्ह… आहह्ह्ह… और सी.. सी.. सी.. की आवाजें निकालने लगी, मेरे अंदर की आग बहुत ज्यादा भड़कने लगी, तब मैंने नितिन से कहा कि अब और सहा नहीं जाता और अब यह आग तो उसके लौड़े की बौछार से ही बुझेगी !
तब नितिन ने मेरी दोनों टाँगें ऊपर उठा कर अपने कंधों पर रखा और अपने लौड़े को मेरी चूत के मुँह पर रख कर उसे अंदर डालने के लिए धक्का लगाने लगा लेकिन उसका लौड़ा बार बार फिसल जाता था!
कई बार कोशिश करने के बाद भी जब नितिन को सफलता नहीं मिली तो उसने मुझसे मदद के लिए इशारा किया। तब मैंने हाथ नीचे करके नितिन के लौड़े को पकड़ कर चूत के मुख पर लगा दिया और उसे धक्का लगाने को कहा।
नितिन ने जैसे ही आहिस्ता से धक्का लगाया तो उसका लौड़ा फिसला नहीं और मेरी चूत के मुँह पर टिक गया, अगले धक्के लगने से उसका सुपारा मेरी चूत के अंदर घुसने लगा और मेरी चूत में हल्का दर्द हुआ !
मैंने उस दर्द को बर्दाश्त कर लिया और मैंने नितिन को धक्का लगाते रहने को कहा! जैसे ही नितिन ने एक और धक्का लगाया तो उसका आधा सुपारा चूत के अंदर चला गया और मेरी ‘उईई…’ करके चीख निकल गई, मुझे लगा कि मेरी चूत फट रही थी और वह दर्द मुझ से सहन नहीं हो रहा था !
नितिन ने पूछा भी कि क्या वह लौड़े को हटा ले लेकिन मैंने उसे मना कर दिया और धक्का लगाने को कहा। इस बार नितिन ने थोड़ा जोर से धक्का लगाया और उसका पूरा सुपारा मेरी चूत के अंदर चला गया और मेरे मुँह से तो ‘उईई…माँ… उईई…माँ…’ की चीखें निकल गई। मैंने उन चीखों के बीच में ही नितिन को थोड़ा रुकने को कहा।
लगभग पांच मिनट रुकने के बाद मुझे कुछ आराम मिला तो मैंने नितिन को फिर से धक्के लगाने को कह दिया। जब उसने अगला धक्का लगाया तो उसका लौड़ा मेरी चूत में दो इंच घुस गया था और दर्द के मारे मेरी चीखें पूरे कमरे में गूँज गई ! मैं तड़पने लगी और मेरे आंसू निकल आये ! इस बार नितिन रुका नहीं और एक और धक्का मार कर अपने आधा लौड़ा मेरी चूत के अंदर घुसा दिया।
अब तो मैं हाथ पैर पटकने लगी, उईई…माँ… उईई…माँ… करके चीखें मारने लगी और नितिन को गालियाँ भी देने लगी। नितिन का लौड़ा अब सुपारे समेत चार इंच मेरी चूत में था इसलिए वह कुछ देर के लिए रुक गया। जब मैं शांत हुई तो मुझे लगा कि मेरी चूत से कुछ रिस रहा था, मैंने अपना हाथ अपनी चूत पर लगाया और उँगलियाँ को खून से लथपथ देखा तो मैं घबराह गई लेकिन फिर सोचा कि जब ओखली में सिर दिया है तो डरना किस बात का, यह तो होना ही था !
इसके बाद नितिन ने मुझे शांत देख कर एक और धक्का पूरे जोर से लगा दिया और पूरा का पूरा आठ इंच का लौड़ा मेरी चूत के अंदर घुसा दिया !
इस बार भी मुझे दर्द भी हुआ और मैं उईई…माँ… कर के चीखी भी लेकिन वह दर्द अब मुझे मीठा लगने लगा था!
अब नितिन ने आहिस्ता आहिस्ता धक्के लगाने शुरू कर दिए और कुछ ही देर के बाद उन्हें तेज भी कर दिया ! मुझे आनन्द आने लगा था और मैं भी उसके धक्कों का साथ देने लगी थी। लगभग दस मिनट की तेज चुदाई के बाद मेरी चूत एकदम सिकुड़ गई और नितिन के लौड़े को जकड़ लिया।
उसे धक्के लगाने में दिक्कत होने लगी थी तब वह थोड़ी देर के लिए रुका और मेरे ढीले होने का इंतज़ार करने लगा। जब उसे ढीलापन महसूस होने लगा तो वह फिर से धक्के लगाने लगा। इस बार वह बहुत तेज धक्के लगा रहा था और मैं उसे अधिक तेज, और अधिक तेज, शाबाश नितिन बहुत तेज़, की आवाजें लगा कर प्रोत्साहित करती रही !
इसी तेज धक्कों में अचानक नितिन का लौड़ा फड़फड़ाया और मेरी चूत भी एकदम से सिकुड़ी और हम दोनों की एक साथ चीख निकली उन्ह… उन्ह्ह.. आह्ह… आह्ह्ह… उईई… उईई… आह्ह्ह… आह्ह्ह… और नितिन के लौड़े ने बरसात कर दी !
पहले एक बौछार, फिर दूसरी बौछार तथा उसके बाद तीसरी, चौथी, पांचवीं, छठी बौछार… और फिर मैं गिनती ही भूल गई ! पता नहीं नितिन ने कितनी ही बौछारें करी, मेरी चूत में तो जैसे बाढ़ आ गई थी जिससे मेरी सारी आग बुझ गई। हम दोनों बहुत थक गए थे इसलिए नितिन ने मेरी टाँगें अपने कंधों से उतारी और निढाल होकर मेरे ऊपर ही लेट गया, मेरी चूत भी ढीली होने लगी थी और उसका सिकुड़ा हुआ लौड़ा अब एक टल्ली (सुकड़ा हुआ लौड़ा) बन कर मेरी चूत से बाहर निकलने लगा था।
लगभग पांच मिनट के बाद नितिन को साँस में साँस आई तब वह मेरे ऊपर से हटा तथा अपनी टल्ली को मेरी चूत से पूरा बाहर निकाला।
पन्द्रह मिनट के बाद हम दोनों उठ कर बाथरूम गए और एक दूसरे को धोया तथा साफ़ किया, तब मैंने देखा कि नितिन की टल्ली एकदम लाल हो गई है और उस पर नीले रंग कि नसें उभर आईं हैं! जब मैंने नितिन को इस बारे में बताया तो उसने कहा कि इतनी रगड़ाई के कारण यह तो होना ही था।
फिर कमरे में आकर नितिन ने मुझे लिटाया और मेरी चूत को ध्यान से देखा और बताया के वह भी काफी खुल गई थी, उसके बाहर का भाग बहुत लाल हो गया था तथा सूज भी गया था, अंदर का भाग गुलाबी रंग का हो गया था।
इस चुदाई से मुझे इतना आनन्द तथा संतोष मिला था कि मैंने पागलों कि तरह नितिन को अपने पास खींच कर लिटा लिया और उसे और उसकी टल्ली को चूमने लगी !
नितिन भी मुझे और मेरी चूत को चूमता रहा और फिर हम दोनों एक दूसरे को लिपट तथा चिपट के नींद के आगोश में खो गए !
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मेरी बहन का लड़का
मैं कविता हूँ, उत्तर प्रदेश की रहने वाली हूँ, उम्र 23 वर्ष है ! मेरा रंग गोरा है, नैन-नक्श बहुत तीखे और सुन्दर हैं, जिस्म भी अति आकर्षक है ! मेरा कद पांच फुट छह इंच और वज़न 51 किलोग्राम है तथा मेरे छुईमुई शरीर के पैमाने 34-25-34 है !
मेरे माता और पिता के स्वर्ग सिधारने बाद मैं पिछले 5 साल से अपनी सबसे बड़ी बहन, जीजाजी और उनके इकलौते बेटे नितिन के साथ उत्तर प्रदेश के एक बड़े शहर में रहती हूँ। मैंने बी एस सी पास करने के बाद अब एम एस सी कर चुकी हूँ तथा यहाँ की एक कंपनी में नौकरी कर रही हूँ।
जीजाजी बैंक में एक बड़े अफसर हैं और दीदी एक उच्चतर माध्मिक स्कूल में टीचर हैं, उनका बेटा नितिन 18 साल का है और +2 पास करने के बाद इस वर्ष कॉलेज में प्रवेश ले रहा है।
दीदी का घर बहुत ही बड़ा है, उसमें हर एक को अलग अलग कमरा मिला हुआ है, हर कमरे के साथ एक बाथरूम भी जुड़ा हुआ है।
मैं अपने कमरे में ज्यादातर अर्धनग्न ही रहती हूँ, जीजाजी के जाने के बाद मैं अक्सर एक छोटी सी निकर और एक लो नेक की बनियान बिना ब्रा और पैंटी के ही पहनती हूँ जिससे मेरी लंबी टाँगें और मेरे चूचियों के दर्शन सबको आराम से हो सकते हैं।
मैंने अपना छोटा सा परिचय तो आप सबको दे दिया, अब मैं आपको उस घटना के बारे में बताना चाहूँगी जिससे मेरे जीवन में बदलाव आया और मुझे बेशर्म बना दिया !
पहले मैं अपने जिस्म की नुमाइश नहीं होने देती थी और हमेशा सलवार कमीज ही पहने रहती थी लेकिन उस घटना के घटित होने के बाद मेरे पहनावे में बदलाव आ गया और मैं घर में जिस्म की नुमाइश करने लगी !
जीजाजी के सामने तो मैं अपने जिस्म को ढक कर ही रखती हूँ और ढंग के कपड़े ही पहनती हूँ पर दीदी और नितिन के सामने नेकर बनियान में ही घूमती रहती हूँ, कभी कभी तो उनके सामने ही टॉपलेस हो कर अपने कपड़े भी बदल लेती हूँ !
दीदी बहुत टोकती है पर मैं उनकी परवाह ही नहीं करती हूँ।
मेरे साथ वह घटना आज से दो माह पहले हुई थी, उस समय मुझे टाईफाइड हुआ था जिसके कारण मैं बहुत कमजोर हो गई थी, कहीं वह पीलिया न बन जाए इसलिए डाक्टर ने मुझे हिलने डुलने को मना कर दिया था और बिस्तर पर ही आराम करने को कहा। उन्होंने कुछ दिनों के लिए नहाने धोने को भी मना किया और दीदी से मेरे जिस्म को सिर्फ गीले कपड़े से पोंछने (स्पंज करने) के लिए ही कहा। बाथरूम जाने की इजाजत तो दी लेकिन वह भी किसी का सहारा ले कर जाना पड़ता था। ज्यादातर तो दीदी ही यह सब करती थी लेकिन कभी कभी नितिन भी मुझे बाथरूम ले जाता था। वह हमेशा मुझे बाथरूम के अंदर छोड़ कर बाहर जाकर खड़ा हो जाता था और जब मैं आवाज देती थी तो वह वापिस मुझे बिस्तर तक छोड़ देता था।
एक सप्ताह के बाद मेरा बुखार तो उतर गया था लेकिन ज्यादा कमजोरी के कारण डाक्टर ने अगले दो सप्ताह के लिए भी वैसा ही आराम करने को कह दिया था। दीदी की जिद पर और जीजाजी की आज्ञा के कारण मैं सारा दिन बिस्तर पर ही लेटी रहती थी और जब जरूरत पड़ती थी तब दीदी को या नितिन को आवाज़ लगा देती थी।
इस तरह आराम करते मुझे अभी पांच दिन ही बीते थे कि गाँव से जीजाजी के पिताजी का निधन होने का समाचार मिलने के कारण जीजाजी और दीदी को तुरन्त वहाँ जाना पड़ा। जाने से पहले दीदी ने सीमा (कामवाली बाई) को घर के सब काम के साथ साथ मेरा स्पंज करने और खाना बनाने का निर्देश भी दे दिया था इसलिए वह दिन में हमारे घर पर ही रहती थी और शाम का खाना बना कर अपने घर चली जाती थी, देर शाम तथा रात में बाथरूम जाने के लिए मुझे नितिन पर ही निर्भर रहना पड़ता था।
दीदी के जाने के तीसरे दिन सुबह जब सीमा ने मेरे कपड़े उतार कर मेरे बदन को स्पंज कर रही थी तब मैंने देखा कि नितिन छुप कर खिड़की के काँच में से झांक कर मुझे देख रहा था। मुझे उसकी उस हरकत पर बहुत गुस्सा आया लेकिन मैं उस समय चुप ही रही और जैसे ही सीमा वहाँ से चली गई तब मैंने नितिन को बुला कर उसको बहुत डांटा। मेरी डांट सुन कर तो वह खिलखिला कर हंसने लगा और जब मैंने उससे हँसने का कारण पूछा तो वह कहने लगा कि यह नज़ारा तो वह रोज देखता है क्योंकि जब भी दीदी मेरा स्पंज करती थी तब भी वह इसी तरह छुप कर खिड़की से झाँक कर यह नज़ारा देखता रहता था।
मेरे पूछने पर कि उसे यह सब देखने से क्या मिलता है, तो उसने कहा कि उसे मेरे गोरे रंग का जिस्म, मेरे उभरे हुए गोल गोल चूचियों तथा उनके ऊपर काले चुचूक और नीचे चूत के उपर के गहरे भूरे रंगे के बाल देखने में बहुत अच्छे लगते हैं ! उसके यह कहने पर की, उसके मन में उन्हें छूने कि इच्छा भी करती है, को सुन कर मैं दंग रह गई और उसे एक बार फिर से डांट कर वहाँ से भगा दिया।
अगले तीन दिन भी सब कार्य उसी प्रकार चलता रहा लेकिन चौथे दिन सुबह सीमा ने सन्देश भेज दिया कि वह देर से दोपहर तक ही आयेगी। सीमा के सन्देश को सुन कर मैं परेशान हो गई क्योंकि रात में मुझे बहुत पसीना आने के कारण मेरे जिस्म में खुजली हो रही थी! जब मुझसे खुजली बर्दाश्त नहीं हुई, तब मैंने सोचा कि क्यों न नितिन का सहारा लिया जाए और उसी से स्पंज करवा लिया जाए ! क्योंकि उसने मुझे नग्न देखा हुआ ही था इसलिए मुझे उससे किसी भी प्रकार की शर्म नहीं करनी चाहिए !
यह सोच कर मैंने नितिन को आवाज दी और उसे सीमा के देर से आने के बारे में बताते हुए उससे आग्रह किया कि वह मेरा स्पंज कर दे। यह सुन कर वह पहले तो अच्चम्भित हुआ फिर हिचकिचाते हुए पूछने लगा कि क्या मैं उसे अपने जिस्म का हर जगह स्पंज करने दूंगी। जब मैंने उसे हाँ में उत्तर दिया तब वह खुशी खुशी भाग कर बाथरूम में गया और स्पंज करने का सारा सामान ले आया, फिर उसने आगे बढ़ कर मेरे कपड़े उतारने शुरू किये !
पहली मेरी कमीज उतारी, फिर मेरी सलवार उतारी, उसके बाद मेरी ब्रा उतारी, और अंत में मेरी पैंटी भी उतार दी ! यही वह क्षण था जब मैं उसके सामने बिल्कुल नग्न लेटी हुई थी और उसी क्षण से मेरे जीवन में ऐसा बदलाव आया की मैं शर्मसार से बेशर्म बन गई थी ! उस दिन के बाद से ही मैं पूरे घर में कम कपड़ों में ही घूमना शुरू कर दिया था तथा दीदी और नितिन के सामने अक्सर अर्धनग्न भी हो जाती थी।
स्पंज करने से पहले नितिन ने बड़े ध्यान से मेरी नग्नता को निहारा, मेरे चूचियों, चुचूकों तथा चूत के बालों पर हाथ फेरा ! फिर मुझे उल्टा कर के मेरी पीठ और टांगों को स्पंज किया, मेरे चूतड़ों को जोर जोर से रगड़ कर स्पंज किया तथा मेरी गुदा में उंगली भी कर दी। जब मैंने उससे पूछा कि वह यह क्या कर रहा था तो उसने कहा कि अंदर तक स्पंज कर रहा था !
नितिन के द्वारा इस तरह मेरी गांड में उंगली करना और मेरे चूतड़ों को दबाना तथा मसलना मुझे बहुत अच्छा लग रहा था इसलिए मैंने कुछ देर उसे ऐसा करने दिया।पीछे का स्पंज पूरा करने के बाद नितिन ने मुझे सीधा किया और मेरे सिर और चेहरे, मेरी गर्दन, छाती, चूचियों, पेट, नाभि, कमर, जाँघों और टांगों को स्पंज किया। इसके बाद उसने मेरी दोनों टांगों को चौड़ा कर उनके बीच में विराजमान मेरी योनि को भी रगड़ते हुए स्पंज कर दिया !
जब वह चूत का स्पंज कर रहा था तब उसने उसमे भी उंगली करने की कोशिश की पर मैंने उसे रोक दिया। जब मैंने उसे जल्दी से स्पंज समाप्त करने को कहा तो उसने मुझे सूखे तौलिए से पौंछ दिया और मेरी चूचियों और उनके चुचूकों को पकड़ कर मसला और थोड़ी देर बाद वह मेरी चूत के बालों के ऊपर हाथ फेरने लगा।
उसकी इस हरकत से मैं बहुत गर्म होने लगी थी लेकिन अपनी बिमारी की कमजोरी को ध्यान में रखते हुए मैंने अपने पर काबू रखा तथा उसे अलग हटने को और कपड़े पहनाने के लिए कहा।
नितिन मुझे पहनाने के लिए मेरे साफ़ कपड़े निकाल लाया और सबसे पहले उसने मुझे पैंटी पहनाई लेकिन उसे ऊपर करने से पहले उसने मेरी चूत के बालों को अच्छी तरह मसला और एक बार फिर उंगली करने की नाकाम कोशिश की। इसके बाद उसने मुझे ब्रा पहनाई लेकिन ब्रा पहनाने से पहले उसने मेरे मेरे चूचियों को बड़े प्यार से मसला !
उसका ऐसा करना मुझे बहुत अच्छा लगा लेकिन बात आगे ना बढ़ जाये इसलिए मैंने उसे कहा कि वह अब बस कर दे और बाकी के कपड़े पहना दे !
मेरी बात सुन कर उसने मुझे सलवार और कमीज पहना दी तथा स्पंज का सामान उठा कर वहाँ से चला गया। जब वह जा रहा था तब मैंने देखा कि उसका पजामा आगे से उठा हुआ था और कुछ गीला सा भी लग रहा था। जब वह मेरे कमरे में वापिस आया तो उसने पैंट पहन रखी थी।
मैंने उसे पूछा कि पैंट पहन ली है, क्या उसने कहीं जाना है, तो वह बोला नहीं, स्पंज का पानी गिरने से पजामा गीला हो गया था इसलिए बदल लिया।
मैंने मुस्कराते हुए उसे देखा और मेरे मुख से निकल गया- मैं तो समझी थी कि कुछ रिसाव हो गया था !
मेरी बात सुन कर वह कुछ भी नहीं बोला और शरमा कर वहाँ से चला गया।
दुपहर को जब सीमा आई और उसने मुझसे स्पंज करने के लिए पूछा तो मैंने उसे मना कर दिया और बोल दिया कि शाम को काम समाप्त करके घर जाने से पहले कर देना !
नितिन ने मेरे जिस्म को इतनी अच्छी तरह मसला और दबाया था इसलिए मुझे खाना खाने के बाद तुरंत नींद आ गई। शाम का काम समाप्त कर के सीमा ने मेरा स्पंज किया और जब अपने घर चली गई तब नितिन मेरे कमरे में आकर मेरे पास बैठ गया।
मैंने उससे पूछा- क्या बात हो गई जो इतना चुप-चाप क्यों बैठा है?
तो उसने मेरे चूचियों पर हाथ रख कर उन्हें दबाने तथा मसलने की इजाजत माँगी। मेरे हामी भरने पर उसने बड़े प्यार से मेरी कमीज और ब्रा को ऊपर कर दिया और मेरे पास लेट कर मेरे चूचियों पर हाथ फेरने लगा तथा मसलने लगा। कुछ देर के बाद उसने मेरे चूचियों के चुचूकों को बारी बारी अपने मुहँ में डाल कर आहिस्ता आहिस्ता चूसने लगा। मेरे चूचियों की उसके द्वारा इस तरह की प्यारी चुसाई से मैं सातवें आसमान पर तैरने लगी, मेरी चूत में भी गुदगदी होने लगी।
तभी मुझे नितिन की जाँघों के बीच में कुछ हलचल दिखाई दी और उसकी पैंट आगे से भी उभरी हुई सी लगी। मैंने जैसे ही उस उभार की ओर अपना हाथ बढ़ाया तो नितिन ने मेरा हाथ थाम कर आगे बढ़ने से रोक लिया। तब मैंने भी उसे अपने से अलग कर दिया और अपनी ब्रा और कमीज़ ठीक करते हुए कह दिया- तूने तो मेरा पूरा शरीर अच्छी तरह से देख लिया है और उससे खेल भी लिया है लेकिन अपना शरीर अभी तक नहीं दिखाया, अब जब तक तू मुझे अपना पूरा शरीर नहीं दिखाता और उससे खेलने नहीं देता तब तक मैं तुझे अपने पास आने भी नहीं दूंगी!
मेरी यह बात सुन कर नितिन कुछ देर तक सोचता रहा और फिर पूछा- अगर मैं पूरा नग्न होकर अपना जिस्म दिखाऊँ और उससे खेलने दूँ तो क्या आप भी पूरी नग्न हो कर मेरे साथ लेटोगी?
मेरे द्वारा उसकी बात को स्वीकृति देने पर उसने अपनी टीशर्ट, बनियान, जींस तथा जांघिया उतार दिए और मेरे सामने बिल्कुल नग्न हो कर खड़ा हो गया। उसका शरीर बहुत हष्टपुष्ट था और उसका लौड़ा, जो अभी पूरा खड़ा भी नहीं हुआ था, काफी तगड़ा लग रहा था। उस अर्ध-चेतना की अवस्था में भी उसके लौड़े की लम्बाई लगभग 5 इंच और मोटाई डेढ़ इंच के लगभग लग रही थी। उसके डेढ़ इंच साइज़ के दोनों गोल गोल टट्टे नीचे की ओर लटके हुए थे, उसके लौड़े के ऊपर का मांस पीछे हटा हुआ था तथा सुपारा बाहर निकला हुआ था।
यह देख कर मुझसे रहा नहीं गया और मैंने झट से उसके लौड़े को हाथ में ले लिया और उसे हल्के हल्के मसलने लगी।
क्योंकि मैंने किसी भी मर्द का लौड़े को इतनी नज़दीक से पहली बार देखा और पकड़ा था इसलिए मुझे कुछ अजीब लग रहा था। मेरे छूने से नितिन का लौड़ा एकदम सख्त हो कर तनने लगा जिसे देख कर मैंने घबरा कर उसके लौड़े को एकदम छोड़ दिया।
इस पर नितिन ने हँसते हुए कहा- इससे डरो मत, यह काटेगा नहीं ! यह तो खुश होकर आपको सलामी दे रहा था !
उसका तना हुआ लौड़ा बहुत ही सुंदर दिख रहा था और मुझे उस पर बहुत प्यार आने लगा। उसका सुपारा तो एकदम चमक रहा था और दोनों लटके हुए टट्टे अब सिकुड कर ऊपर की ओर चिपक गए थे !
ऐसा मनभावन नज़ारा देख कर मेरी चूत में अब गुदगदी के साथ साथ खुजली भी होने लगी थी, वह गीली भी होने लगी थी तथा उसमें से पानी रिसने लगा था जिसके कारण मेरी पैंटी भी गीली होने लगी थी ! मुझे पहली बार चूत और लौड़े के बीच के अदृश्य सम्बन्ध के बारे में समझ आने लगी थी !
मैं नितिन के लौड़े को हाथ में पकड़ कर हिलाने, मुठ मारने लगी जिससे नितिन एकदम घबरा गया और सिकुड़ने तथा हिलने लगा। अब उसका लौड़ा मस्त हो गया था और उसकी लम्बाई 8 इंच और मोटाई 2 इंच हो गई थी तथा उसके लौड़े का सुपारा फूल कर ढाई इंच का हो गया था !
मैंने नितिन से पूछे बिना उसके लौड़े को चूम लिया और सुपारे को जीभ से चाटने लगी। उसी समय नितिन को एक झटका लगा और उसके सुपारे के छिद्र में से पानी जैसी दो बूँदे बाहर निकली। उन बूंदों को निकला देख कर मैंने जब नितिन की ओर देखा तो उसने इशारे से चाटने के कहा, तब मैंने उन बूंदों को चाट लिया !
मुझे उनका नमकीन स्वाद बहुत अच्छा लगा और मेरे से रहा नहीं गया, मैंने अपने होंट उसके सुपारे के उस छिद्र पर लगा कर जोर से चूसा और उसके अंदर से सारा पानी खींच कर पी गई, इसके बाद मैंने मुंह खोल कर सुपारे को अंदर लेने की कोशिश की लेकिन उसे पूरा अंदर नहीं कर सकी इसलिए उसको फिर से चाटने लगी !
नितिन ने पांच मिनट तक मुझे अपने लौड़े के सुपारे को चाटने दिया और फिर मुझे अलग कर उसने मेरी कमीज़, सलवार, ब्रा और पैंटी उतार दी !
पैंटी का गीलापन देख का उसने मेरी जाघों के बीच में हाथ डाल कर मेरी चूत को छूकर देखा और गीले हाथ को अपने मुँह में रख कर चाटा तथा मेरी ओर देखा !
जब मैंने पूछा- स्वाद कैसा है?
तो उसने कहा- शरबत जैसा !
फिर वह जल्दी से मेरे बिस्तर पर मेरी टांगों की तरफ सिर कर के लेट गया और मेरी टांगों को चौड़ा करके अपना मुँह मेरी चूत पर लगा दिया और मेरा रस खींच कर चूसने तथा पीने लगा !
जब उसके लौड़े को अपने चेहरे के पास देखा तो मेरा मुहँ भी अपने आप खुल गया और मैं उसका सुपारा चूसने लगी। कुछ देर के बाद नितिन ने जब मेरे भगांकुर पर जीभ घुमाई तो मुझको झटका लगा और मेरी चूत में से एकदम पानी छूटा जिसे नितिन ने लप लप कर कर पी लिया !
मैंने भी अपने मुँह को और ज्यादा खोला तो नितिन का पूरा सुपारा मेरे मुंह के अंदर चला गया और मैं उसे बड़े प्यार से चूसने लगी। दस मिनट तक हम दोनों की चुसाई ऐसे ही चलती रही और फिर जब मुझे एक और झटका लगा तो मैं चिल्लाई आईई… और नितिन के मुहँ में पानी की धार सी छोड़ दी, नितिन ने सारा पानी पी लिया !
मैं बहुत गर्म हो गई थी इसलिए नितिन के लौड़े को जोर से चूसने लगी, तभी उसका लौड़े ने फड़फड़ा कर अपना रस मेरे मुँह में उड़ेल दिया ! मुझे ऐसा लगा कि उसने मेरे मुँह में रबड़ी डाल दी गई है और मैं उसे मजे से चटकारे लेकर चट कर गई।
इसके बाद नितिन मेरे साथ लिपट के लेट गया और मुझ को चूम लिया ! अब उसका ढीलाढाला लौड़ा मेरी चूत के बालों से चिपका हुआ था और मेरी चूचियाँ उसकी छाती से चिपके हुई थी।
करीब एक घंटे के बाद हम अलग हुए और नितिन ने मुझे सिर्फ सलवार और कमीज पहना दी और मेरी ब्रा तथा पैंटी को बाथरूम में डाल दी, बाद में उसने पजामा और टी-शर्ट पहनी और रसोई से खाना लाया। हम दोनों ने मिल कर खाना खाया और उसके बाद हम अपने अपने बिस्तर पर जाकर सो लगे तब मैंने नितिन से दीदी और जीजाजी के आने तक वह मेरे ही कमरे में मेरे साथ ही सो जाने के लिए कह दिया ताकि रात में मुझे बाथरूम जाने आने में उसकी मदद मिल सके।
नितिन मान गया वह मेरे पास आ कर लेट गया, उसने अपना एक हाथ मेरे चूचियों पर रख दिया और मैंने भी उसके लौड़े को पकड़ लिया, हम बहुत देर तक बातें करते रहे और फिर सो गए। बातों बातों में नितिन ने मुझसे चुदाई के बारे टोहने कि कोशिश की लेकिन मैंने उसे टाल दिया और बात आगे नहीं बढ़ने दी। मैं अपनी कमजोरी की वजह अभी ऐसा कुछ नहीं करना चाहती थी जिससे मैं दुबारा बीमार पड़ जाऊँ !
हम दोनों के बीच यह सहलाने, मसलने, हिलाने और चूसने अथवा चाटने का सिलसिला अगले पांच दिनों तक इसी तरह चलता रहा तथा हमने अपनी इस दिनचर्या को सिर्फ शरबत पीने तथा रबड़ी खाने तक ही सीमत रखा।
छ्टे दिन दीदी का फोन आया तो उन्होंने बताया कि वे लोग सात दिन बाद अगले इतवार रात तक ही वापिस आ पाएँगे क्योंकि जीजाजी बड़े हैं इसलिए वह सभी रीति रिवाज समाप्त होने के बाद वहाँ के सारे काम काज का जायजा लेकर और छोटे भाइयों को समझा कर ही लौटेंगे !
फिर दीदी ने यह भी बताया कि अगले दिन दो सप्ताह हो जायेंगे इसलिए मुझे एक बार फिर डाक्टर को बुला कर दिखने की सलाह भी दी! उनके ऐसा कहने पर मैंने डाक्टर साहिब को फोन किया और उन्हें आकर मुझे देख जाने को कहा, तो उन्होंने अगले दिन शाम को चार बजे तक आने की बात कही। तब मैंने नितिन को सब बता दिया और कहा कि वह अगले दिन चार बजे से पहले ही घर पहुँच जाये और डॉक्टर के आने पर मेरे पास ही होना चाहिए।
अगले दिन शाम को 4 बजे डॉक्टर साहिब आये और मेरा चेकअप करके बताया की मेरी बिमारी बिल्कुल ठीक हो गई है, अब मेरा स्वास्थ्य भी पहले से बहुत बेहतर हो गया था, अब मैं उठ बैठ सकती थी तथा नहा धो भी सकती थी।
उन्होंने यह भी कहा कि मुझे अभी अपने खाने पीने का ध्यान रखना होगा और आराम भी करना होगा तथा मैं सिर्फ घर में ही चल फिर सकती हूँ। डॉक्टर साहब के जाने के बाद मैंने सीमा को कह दिया कि अगले दिन से उसे जल्दी आने की जरूरत नहीं है और जैसे पहले आती थी वैसे ही आया करे !
सीमा के जाने के बाद मैं उठकर बाथरूम गई और बाद में नितिन के कमरे में उसके पास जा कर बैठ गई। नितिन बिस्तर पर बैठा पढ़ रहा था तो मैं भी उसी के पास बैठे बैठे लेट गई। आधे घंटे के बाद नितिन का काम समाप्त हो गया तो वह भी मेरे पास लेट गया और मेरे चेहरे पर हाथ फेरने लगा। अचानक उसने मेरे चेहरे को दोनों हाथों से पकड़ कर मेरे होंठों को चूम लिया, मुझसे भी रहा नहीं गया और मैंने भी नितिन को के सिर को पकड़ कर उसके होंठों पर एक जोर का चुम्बन ले लिया !
फिर क्या था नितिन मेरे साथ लिपट गया और अपने होटों को मेरे होटों से भिड़ा कर बार बार चूमने लगा। हम बहुत देर तक एक दूसरे की जीभ को भी मुँह में ले कर बारी बारी चूसते रहे और एक दूसरे का चुम्बन लेते रहे।
उस रात को खाना खाने के बाद हम दोनों नग्न हो कर एक ही बिस्तर पर लेट गए! नितिन कभी मेरे चूचियों को चूसता और कभी उन्हें हाथों से मसलता, बीच बीच में वह अपने हाथों से मेरी चूत और चूत के बालों को सहला भी देता !
मैं भी उसके लौड़े और टट्टों से खेलती रही, कभी आगे पीछे हिलाती, कभी मरोड़ती, कभी सुपारे को खाल से ढक देती और कभी बाहर निकाल कर उसे जीभ से चाट लेती !
इस तरह आधे घंटे तक हम एक दूसरे के गुप्तांगों से खेलते रहे और रोज की तरह के एक दूसरे को चूसते एवं चुसाते रहे। जब हम दोनों ने अपनी अपनी शरबत और रबड़ी की टंकियां खाली कर दी तब सीधे हो कर एक दूसरे से लिपट के सो गए।
सुबह नितिन की नींद खुली तब वह रसोई में जाकर चाय बना लाया और हम दोनों ने चाय पी। फिर हम दोनों एक ही बाथरूम में घुस गए और एक दूसरे के सामने मूता भी और हगा भी !
बाद में नितिन ने मुझे खूब साबुन लगा कर नहलाया, उसने हर जगह हाथ लगा लगा कर मसला और मस्ती ली। मैंने भी उसे खूब साबुन लगाया और उसके लौड़े और टट्टों को रगड़ रगड़ नहलाया! फिर हमने एक दूसरे को कपड़े पहनाये, दोनों ने मिल के नाश्ता बनाया और खाया।
दाखिले के लिए कालेज जाने से पहले नितिन मेरे पास बाय कहने आया और मेरे मेरे चूचियों को दबाया तथा मेरा कस कर चुम्बन भी लिया। जब वह मेरा चुम्बन ले रहा था तब मैंने भी उसके लौड़े और टट्टों को कस के दबा दिया, जिससे वह एक दम ‘सी सी’ कर उठा था।
नितिन के जाने के बाद मैं कुछ देर के लिए मैंने बिस्तर पर आराम किया और सीमा के आने पर उठ कर उसको काम समझाया तथा उसके साथ रसोई का काम समेटने में लग गई। दोपहर को जब सीमा काम खत्म कर के चली गई तो मैं नितिन का इन्तजार करते हुए फिर बिस्तर पर लेटे लेटे सो गई।
तीन बजे के बाद नितिन आया, मुझे जगाया, तब हम ने खाना खाया और फिर उसी के कमरे में लेट कर एक दूसरे के गुप्तांगों से छेड़खानी करते हुए सो गये। पांच बजे नींद खुली तो मैंने उठ के कपड़े पहने और बाहर वाले कमरे आ कर बैठ गई, नितिन ने भी कपड़े पहने और पढ़ने बैठ गया।
साढ़े पांच बजे सीमा आई और उसने हमें चाय पिलाई, फिर रात का खाना बनाया और बाकी का काम समेट कर चली गई। सीमा के जाने के बाद मैंने ब्रा और पैंटी सहित अपने सब कपड़े उतार दिए और निकर तथा बनियान पहन कर नितिन के पास बिस्तर पर लेट गई! नितिन पढ़ाई के साथ साथ अपने एक हाथ से मेरे चूचियों और चुचूकों को मसलता रहा।
जब वह पढ़ कर उठा तो हम दोनों ने मिल बैठ कर खाना खाया तब खाने के दौरान नितिन ने सुझाया कि उस रात हम उसी के कमरे में सोयें !
मुझे नितिन का सुझाव अच्छा लगा क्योंकि मैं इतने दिनों से दिन भर अपने कमरे में पड़ी पड़ी उकता गई थी इसलिए मैंने झट से हाँ कह कर उसके बिस्तर को दोनों के सोने के लिए ठीक-ठाक किया। इस दौरान नितिन ने अपने कपड़े उतार दिए और फिर मेरी निकर तथा बनियान उतार कर मुझे भी नग्न कर दिया और मुझसे चिपट गया। बातों ही बातों में नितिन ने बताया कि उसने मुझे और दीदी को छोड़ कर और किसी भी लड़की या औरत को नग्न नहीं देखा था !
मुझे और दीदी को वह अक्सर बाथरूम में नहाते हुए देखा करता था !
जब मैंने पूछा कि कैसे देखता था तो उसने बताया कि जब मैं अथवा दीदी नहाने जाती थीं तो अक्सर अपने बाथरुम का दरवाज़ा आधा खुला छोड़ देती थीं और तब वह चुपके से हमारे कमरे में आकर उस आधे खुले दरवाज़े में से झांक कर हमें नहाते हुए देखा करता था। उसने यह भी बताया कि दीदी तो चूत के बाल हमेशा साफ़ रखती है और उसने कई बार उन्हें शेव करते हुए भी देखा था! उसने यह भी बताया कि उसका किसी भी लड़की या औरत के साथ कोई भी सम्बन्ध नहीं था और मैं पहली लड़की हूँ जिसे उसने छुआ था, हाँ उसने दीदी के पास लेटे लेटे उनके चूचियों पर कई बार हाथ रख कर सोया था!
उसने बताया कि लड़कियों से क्या और कैसे करना होता है इसके बारे में उसे कुछ भी पता नहीं है और इसीलिए उसे डर लगता है कि अगर वह बाहर किसी लड़की से सम्बन्ध बनाए तो वह कहीं उसका मजाक ना उड़ाए ! इसलिए उसने इस बारे में मुझे उसकी सहायता करने का आग्रह किया ताकि बात घर में ही रहेगी।
जब मैंने उससे पूछा कि किसी तरह की सहायता चहिये तो उसने मेरे साथ चुदाई करने की इच्छा प्रकट की।
मैंने भी उसे बताया कि मैं तो पहले कभी चुदी नहीं इसलिए मुझे भी इस बारे में ज्यादा कुछ मालूम नहीं है तो उसने कहा कि वह भी पहली ही बार करेगा। जब उसने बताया कि उसने इन्टरनेट पर इस बारे में बहुत कुछ देखा हुआ है तब मैंने भी उसे बताया कि इन्टरनेट पर तो मैंने भी बहुत कुछ देखा है पर कुछ करने को डर लगता है।
इसके बाद हम रोज की तरह किस करते रहे और चूत और लौड़े को चूसते रहे ! नितिन की बातों और चुसाई के कारण मैं बहुत गर्म हो गई और मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने नितिन के कान में कहा कि मेरी चूत में बहुत खुजली हो रही है और उसको मिटाने के लिए कुछ करे !
तब नितिन ने उठ कर मुझे सीधा किया और मेरी टांगों को चौड़ा कर के मेरी चूत को चूसने लगा! वह बार बार मेरे भगांकुर पर जीभ फेरने लगा जिस की वजह से मैं आह्ह्ह… आहह्ह्ह… और सी.. सी.. सी.. की आवाजें निकालने लगी, मेरे अंदर की आग बहुत ज्यादा भड़कने लगी, तब मैंने नितिन से कहा कि अब और सहा नहीं जाता और अब यह आग तो उसके लौड़े की बौछार से ही बुझेगी !
तब नितिन ने मेरी दोनों टाँगें ऊपर उठा कर अपने कंधों पर रखा और अपने लौड़े को मेरी चूत के मुँह पर रख कर उसे अंदर डालने के लिए धक्का लगाने लगा लेकिन उसका लौड़ा बार बार फिसल जाता था!
कई बार कोशिश करने के बाद भी जब नितिन को सफलता नहीं मिली तो उसने मुझसे मदद के लिए इशारा किया। तब मैंने हाथ नीचे करके नितिन के लौड़े को पकड़ कर चूत के मुख पर लगा दिया और उसे धक्का लगाने को कहा।
नितिन ने जैसे ही आहिस्ता से धक्का लगाया तो उसका लौड़ा फिसला नहीं और मेरी चूत के मुँह पर टिक गया, अगले धक्के लगने से उसका सुपारा मेरी चूत के अंदर घुसने लगा और मेरी चूत में हल्का दर्द हुआ !
मैंने उस दर्द को बर्दाश्त कर लिया और मैंने नितिन को धक्का लगाते रहने को कहा! जैसे ही नितिन ने एक और धक्का लगाया तो उसका आधा सुपारा चूत के अंदर चला गया और मेरी ‘उईई…’ करके चीख निकल गई, मुझे लगा कि मेरी चूत फट रही थी और वह दर्द मुझ से सहन नहीं हो रहा था !
नितिन ने पूछा भी कि क्या वह लौड़े को हटा ले लेकिन मैंने उसे मना कर दिया और धक्का लगाने को कहा। इस बार नितिन ने थोड़ा जोर से धक्का लगाया और उसका पूरा सुपारा मेरी चूत के अंदर चला गया और मेरे मुँह से तो ‘उईई…माँ… उईई…माँ…’ की चीखें निकल गई। मैंने उन चीखों के बीच में ही नितिन को थोड़ा रुकने को कहा।
लगभग पांच मिनट रुकने के बाद मुझे कुछ आराम मिला तो मैंने नितिन को फिर से धक्के लगाने को कह दिया। जब उसने अगला धक्का लगाया तो उसका लौड़ा मेरी चूत में दो इंच घुस गया था और दर्द के मारे मेरी चीखें पूरे कमरे में गूँज गई ! मैं तड़पने लगी और मेरे आंसू निकल आये ! इस बार नितिन रुका नहीं और एक और धक्का मार कर अपने आधा लौड़ा मेरी चूत के अंदर घुसा दिया।
अब तो मैं हाथ पैर पटकने लगी, उईई…माँ… उईई…माँ… करके चीखें मारने लगी और नितिन को गालियाँ भी देने लगी। नितिन का लौड़ा अब सुपारे समेत चार इंच मेरी चूत में था इसलिए वह कुछ देर के लिए रुक गया। जब मैं शांत हुई तो मुझे लगा कि मेरी चूत से कुछ रिस रहा था, मैंने अपना हाथ अपनी चूत पर लगाया और उँगलियाँ को खून से लथपथ देखा तो मैं घबराह गई लेकिन फिर सोचा कि जब ओखली में सिर दिया है तो डरना किस बात का, यह तो होना ही था !
इसके बाद नितिन ने मुझे शांत देख कर एक और धक्का पूरे जोर से लगा दिया और पूरा का पूरा आठ इंच का लौड़ा मेरी चूत के अंदर घुसा दिया !
इस बार भी मुझे दर्द भी हुआ और मैं उईई…माँ… कर के चीखी भी लेकिन वह दर्द अब मुझे मीठा लगने लगा था!
अब नितिन ने आहिस्ता आहिस्ता धक्के लगाने शुरू कर दिए और कुछ ही देर के बाद उन्हें तेज भी कर दिया ! मुझे आनन्द आने लगा था और मैं भी उसके धक्कों का साथ देने लगी थी। लगभग दस मिनट की तेज चुदाई के बाद मेरी चूत एकदम सिकुड़ गई और नितिन के लौड़े को जकड़ लिया।
उसे धक्के लगाने में दिक्कत होने लगी थी तब वह थोड़ी देर के लिए रुका और मेरे ढीले होने का इंतज़ार करने लगा। जब उसे ढीलापन महसूस होने लगा तो वह फिर से धक्के लगाने लगा। इस बार वह बहुत तेज धक्के लगा रहा था और मैं उसे अधिक तेज, और अधिक तेज, शाबाश नितिन बहुत तेज़, की आवाजें लगा कर प्रोत्साहित करती रही !
इसी तेज धक्कों में अचानक नितिन का लौड़ा फड़फड़ाया और मेरी चूत भी एकदम से सिकुड़ी और हम दोनों की एक साथ चीख निकली उन्ह… उन्ह्ह.. आह्ह… आह्ह्ह… उईई… उईई… आह्ह्ह… आह्ह्ह… और नितिन के लौड़े ने बरसात कर दी !
पहले एक बौछार, फिर दूसरी बौछार तथा उसके बाद तीसरी, चौथी, पांचवीं, छठी बौछार… और फिर मैं गिनती ही भूल गई ! पता नहीं नितिन ने कितनी ही बौछारें करी, मेरी चूत में तो जैसे बाढ़ आ गई थी जिससे मेरी सारी आग बुझ गई। हम दोनों बहुत थक गए थे इसलिए नितिन ने मेरी टाँगें अपने कंधों से उतारी और निढाल होकर मेरे ऊपर ही लेट गया, मेरी चूत भी ढीली होने लगी थी और उसका सिकुड़ा हुआ लौड़ा अब एक टल्ली (सुकड़ा हुआ लौड़ा) बन कर मेरी चूत से बाहर निकलने लगा था।
लगभग पांच मिनट के बाद नितिन को साँस में साँस आई तब वह मेरे ऊपर से हटा तथा अपनी टल्ली को मेरी चूत से पूरा बाहर निकाला।
पन्द्रह मिनट के बाद हम दोनों उठ कर बाथरूम गए और एक दूसरे को धोया तथा साफ़ किया, तब मैंने देखा कि नितिन की टल्ली एकदम लाल हो गई है और उस पर नीले रंग कि नसें उभर आईं हैं! जब मैंने नितिन को इस बारे में बताया तो उसने कहा कि इतनी रगड़ाई के कारण यह तो होना ही था।
फिर कमरे में आकर नितिन ने मुझे लिटाया और मेरी चूत को ध्यान से देखा और बताया के वह भी काफी खुल गई थी, उसके बाहर का भाग बहुत लाल हो गया था तथा सूज भी गया था, अंदर का भाग गुलाबी रंग का हो गया था।
इस चुदाई से मुझे इतना आनन्द तथा संतोष मिला था कि मैंने पागलों कि तरह नितिन को अपने पास खींच कर लिटा लिया और उसे और उसकी टल्ली को चूमने लगी !
नितिन भी मुझे और मेरी चूत को चूमता रहा और फिर हम दोनों एक दूसरे को लिपट तथा चिपट के नींद के आगोश में खो गए !
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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